अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चुनाव लगभग दो दशक बाद   होने जा रहा है. अब दो शख्सियत अध्यक्ष पद के लिए आमने-सामने हैं प्रथम - मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरे शशि थरूर. यह माना जा रहा है कि खड़गे को सोनिया गांधी का, गांधी परिवार का आशीर्वाद है. मगर शशि थरूर भी छोटे खिलाड़ी नहीं है उनका कद भी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. ऐसे में जब यह चुनाव संपन्न हो जाएगा और कोई एक शख्सियत लंबे अरसे के बाद गांधी परिवार से इतर कॉन्ग्रेस का खेवनहार बनेगा तब कांग्रेस और देश की राजनीति किस मोड़ पर आगे बढ़ेगी, यह देखना दिलचस्प होगा.

एक राजनीतिक प्रेक्षक  की दृष्टि से देखा जाए तो कहा जा सकता है कांग्रेस हर एक हालात में अनुभवी हाथों में होगी मलिकार्जुन खरगे का जहां लंबा राजनीतिक जीवन रहा है और उन्होंने कांग्रेस को एक तरह से आत्मसात कर लिया है.यह भी सच है कि ऐसे मौके बार-बार नहीं आते, यह हर राजनीतिक विभूति जानती है. इसलिए कहा जा सकता है कि चाहे मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष हों या शशि थरूर
देश की राजनीति एक नई करवट लेने जा रही है और यह सोनिया गांधी राहुल गांधी की छाया से अलग भी हो सकती है और छाया में भी. दोनों के ही अपने लाभ और नुकसान हैं.

अगर नवनियुक्त कांग्रेस अध्यक्ष अपनी शैली से कांग्रेस को एक दिशा देता है और सोनिया राहुल गांधी को हाशिए पर डाल दिया जाएगा और कांग्रेस और उसका नेतृत्व अगर देश की सत्ता पर काबिज हो जाए तो यह अपने आप में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है.मगर माना यह जा रहा है कि सोनिया राहुल की छाया से कांग्रेस  दूर नहीं जा सकती और किसी अध्यक्ष में इतना ताब नहीं है कि अपने बूते कांग्रेस की सत्ता केंद्र मे ला सके.

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