Download App

मेरी गर्लफ्रेंड शादी नहीं करना चाहती है, क्या करूं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवक हूं. 3 महीने पहले मेरी अपनी 5 साल पुरानी गर्लफ्रैंड से ब्रेकअप हो गया. उस का और मेरा रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया क्योंकि उस के घर वाले किसी और से उस की शादी करवा रहे हैं और घर वालों के खिलाफ वह जाना नहीं चाहती. उस ने कहा कि मेरी ऐसी नौकरी भी नहीं है कि वह मेरे साथ रहने का कोई बोल्ड स्टैप उठा ले.

पहले मु?ो इस से ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, सोचा कि अगर उसे मेरी फिक्र नहीं तो मैं क्यों उस की फिक्र करूं. मैं न रोया, न भावुक हुआ, बल्कि गुस्से में लगा कि जो हुआ सही ही हुआ लेकिन जैसेजैसे टाइम बीत रहा है वैसेवैसे मु?ो उस की अहमियत सम?ा आने लगी है. अब चाह रहा हूं कि वह मेरे साथ ही रहे. मु?ो उस की याद आती है. उसे कई बार फोन किया पर उस ने एकदो रिंग के बाद मु?ो ब्लौक कर दिया. आप ही बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

अफसोस है कि आप को ऐसे समय से गुजरना पड़ रहा है. दिलचस्प बात यह है कि ज्यादातर इस तरह के मामलों में एक बात यह कौमन देखी गई है कि ब्रेकअप के बाद शुरूशुरू में लड़कियां रोती हैं, उदास होती हैं और लड़कों पर इस का कम असर होता है. वे या तो जोश में या ईगो में अपने इमोशन को सम?ा नहीं पाते पर जैसेजैसे समय बीतता है, लड़कियां खुद को स्ट्रौंग बना लेती हैं और लड़के बाद में रोपीट रहे होते हैं.

खैर, आप के मामले में 2-3 चीजें सम?ा आ रही हैं. लड़की प्रैक्टिकली चीजों को ले रही है. एक, आप की जौब के चलते वह कौन्फिडैंट नहीं है, जोकि आप ने बताया भी कि आप की नौकरी पर उसे संशय है. दूसरा, वह घरपरिवार में अपने प्रेम संबंधों को ले कर किसी तरह का विवाद नहीं चाह रही. तीसरा, वह आप की कौल या मैसेज का अब जवाब नहीं दे रही मतलब अब वह इस रिश्ते को आगे ले जाने के बिलकुल भी मूड में नहीं.

अब सवाल है कि आप कितनी उम्मीद लगा कर रख सकते हैं. आप कह रहे हैं कि वह आप के कौल मैसेज का जवाब नहीं दे रही है, यानी वह अब आगे बढ़ गई है और आप के अनुसार किसी और से शादी भी कर रही है.

बात मानिए अब समय है अपने ऊपर फोकस करने का. जिन भी कारणों से वह आप को छोड़ कर गई उन कारणों को खत्म करने का. ब्रेकअप दुख देता है, बहुत परेशान करता है पर आप चाहें तो इस से उबर सकते हैं. इस के लिए कुछ टिप्स हैं.

पहले तो स्वीकार करें कि आप का ब्रेकअप हो गया है. फिर कोशिश करें कि सकारात्मक रहा जाए. आप की एक्स गर्लफ्रैंड अगर आप से रिश्ता नहीं रखना चाहती तो यह उस का फैसला है. कोशिश करें कि जलन, भावुकता या गुस्से में कोई गलत कदम न उठा लें. ब्रेकअप के दर्द को भूलने का सब से बेहतर तरीका है कि खुद को व्यस्त रखें. अपनेआप को खाली न होने दें. दोस्तों के साथ घूमने जाएं, भाईबहनों के साथ टाइम स्पैंड करें. कुछ न कुछ काम करते रहें. जो दुखदर्द है उसे कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाएं और अपनी लाइफ को बेहतर बनाएं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

दिल्लगी: बेरोजगार शख्स की प्रेम कहानी

यों ही मैं घूमने निकला तो बस स्टौप पर एक सुंदर सी कन्या को देख रुक सा गया. वह बेहद सुंदर थी. साड़ी पहने उस की लंबी सी चोटी, सुंदर आंखें, छरहरी बदन को मैं बस देखता ही रह गया. तभी एक बस आई और वह उस में बैठ कर चली गई. मैं हक्काबक्का बस को जाते देखता रह गया. झट से अपनेआप को संभाला और घड़ी देखी तो 11 बजे थे. वहां से चल तो दिया लेकिन दूसरे दिन इसी वक्त वहां पहुंचने के इरादे के साथ.

वैसे भी पढ़ाई पूरी हो गई थी मगर नौकरी या कामधंधा नहीं था तो इस दौरान इश्क की पींगे ही चढ़ा ली जाएं, यह सोच कर दूसरे दिन बनठन कर बस स्टौप पर पहुंचा तो वह भी बस में चढ़ने की कतार में खड़ी थी. उसे देख कर दिल बहुत जोर से धड़का जैसे गले से बाहर ही आ जाएगा. मैं भी कतार मैं खड़ा हो उस की ओर देख उस के सौंदर्य का नजरों से ही पान करने लगा. कल जो सुंदरता देखी थी वह और भी ज्यादा दिखनी शुरू हो गई और खयालों की दुनिया में जाने से ज्यादा उस के हुस्न का अवलोकन करना ज्यादा बेहतर समझा. बस आई तो हाथ में टिफिन ले वह बस में जा बैठी तो हम भी पीछे हो लिए.

एक ही सीट खाली देख थोड़ी उदारता का प्रदर्शन करते हुए उसे बैठने दे पास में खड़े हो कर आंखों से उस के सौंदर्य का हवाई अवलोकन करने लगा. अब वह भी थोड़ी बेतकल्लुफ सी बैठीबैठी मेरी गतिविधियों से अवगत होते हुए भी मुझे नजरअंदाज कर रही थी. मगर अब मेरी हिम्मत खुल गई थी और अब तो बेधड़क देखता रहा उस की सुहानी मूरत को. बस, एक ही बात का दुख था कि जब से देखा है उसे, इतनी बार बस में मिला उस से लेकिन उस की आवाज नहीं सुनी जो मेरे हिसाब से चांदी की घंटी सी मीठी होनी चाहिए थी.

उस का स्टैंड आ गया था तो वह उतर गई. पीछेपीछे मैं भी उतर गया और कुछ खुल कर उस के सामने हंस दिया. जवाब में उस के भी होंठ हलके से फङफङाए थे.

दूसरे दिन मिलने की आशा के साथ मैं भी घर की ओर चल पड़ा. सुबह उठते ही उसी के खयालों से दिनचर्या शुरू की और 10 बजते ही बस स्टौप पहुंच इंतजार में लग गया. सामने से होंठों पर मुसकान लिए वह आ गई और बस की लाइन में खड़ी हो गई तो मैं भी पीछे जा कर खड़ा हो गया. थोड़ी देर में बस आई तो आगे वह और पीछे मैं बस में चढ़ गया. संयोग से आज एक सीट पूरी खाली थी. मैं ने भी नारी सम्मान को मान देते हुए उसे बैठ जाने के लिए इशारे से बोला. वह खिड़की के पास बैठ गई और मैं उस के साथ में बैठ इतरा रहा था.

कंडक्टर आया तो उस ने अपने पर्स से पैसे निकाले तो कंडक्टर ने बिना पूछे ही टिकट पकड़ा दी. इस पर वह मुसकरा कर रह गई. मेरा उस की आवाज सुन पाने का जो ख्वाब था वह टूट गया.

टिकट के पैसे दे उस ने पर्स हम दोनों के बीच में रख दिया तो अपनी भी हिम्मत बढ़ी और पर्स को छू कर ऐसा महसूस होने लगा जैसे उस के गरम हाथों को छू लिया हो. मैं ने हिम्मत इक्कठी की और जेब में से पेन निकाला और एक छोटी सी परची पर लिखा और उसे दूसरे दिन बस स्टौप के पास वाले बगीचे में मिलने बुला लिया. चिट्ठी उस के पर्स के बाहर वाले पौकेट में डाला और उस के उतरने से पहले ही बस से उतर गया.

सारी रात सो नहीं पाया मैं कि पता नहीं वह आएगी भी या नहीं. दूसरे दिन समय होते ही बगीचे की ओर चल दिया जहां वह पहले से ही बैठी थी. सुंदर साड़ी, बालों में गजरा लगाए और होंठों पर हलकी सी लाली शायद कुदरती ही थी. मैं भी इधरउधर देख उस की ओर चल दिया और जा कर उस के बगल में बेंच पर बैठ गया तो वह थोड़ी अदा से मुसकराई. मैं भी जवाब में हंस दिया.

मैं अपनी ओर से पता नहीं क्याक्या पूछता रहा और बताता रहा. लेकिन वह हंस कर सिर हलके से हां या न कहती रही. इस से मेरे सब्र ने जवाब दे दिया. मैं झुंझला कर बोल ही पड़ा,”आप जवाब क्यों नहीं दे रही हो, गूंगी हो क्या?”

इस पर उस ने उंगली से मेरी जेब की ओर इशारा किया जहां पेन था, तो मैं ने भी दे दिया. उस ने अपने बैग में से एक छोटा सा कागज का टुकड़ा निकाल कुछ लिखा और मेरी ओर बढ़ा दिया. लिखा था,’मैं पूर्णतया सुन सकती हूं लेकिन बोल पाने में असमर्थ हूं. क्या आप मुझ से शादी करेंगे?’

अपनी तो बैंड बज गई. सोचा, वैसे भी बेकार हूं, दोस्त लोग ताना मारेंगे कि गूंगी ही मिली. मैं एक झटके से उठ कर बिना पूछे बिना देखे चल पड़ा. मैं वहां जल्द से जल्द भाग जाना चाहता था. पेन भी लेने नहीं रुका. तभी पीछे से एक मधुर चांदी की घंटी सी आवाज आई,” अपना पेन तो लेते जाएं जनाब…”

मैं जड़वत वहीं खङा रह गया. काटो तो खून नहीं, मगर अब कर भी क्या सकता था. उस ने मेरी परीक्षा ली थी जिस में मैं फेल हो चुका था. पेन लेने की हिम्मत नहीं थी. कैसे करता उस का सामना और अब तो मुट्ठियां बांध पहले धीरेधीरे और बाद में झट से दौड़ बगीचे से बाहर भागा और बाहर आ कर देखा तो कलेजा गले को आया हुआ था और पसीने से कपड़े गीले हो गए थे. इश्क का बुखार उतर चुका था.

राइटर- जयश्री बिरमी

त्यौहार 2022: दिल को धड़कने दो

अपनी आंखों की बड़ीबड़ी पुतलियों को और बड़ा करते हुए सलोनी अपनी मम्मी नूपुर से बोली, “मम्मी, मैं क्या 5 हजार रुपए की यह साड़ी खरीदूंगी? मम्मी, शादी जीवन में एक बार होती है.”

नूपुर शांत स्वर में बोली, “सलोनी, तुम ने कल ही तो बेटा 20-20 हजार रुपए की साड़ियां खरीदी हैं. जरूरी नहीं न हर कपड़ा इतना महंगा ही लो.”

सलोनी गुस्से में बोली, “हां, मेरे कपड़ों और ज्वैलरी की बात आते ही आप को पैसे याद आते हैं. अब मुझे गुस्सा न दिलाइए, मेरा दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है.”

नूपुर को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी लाड़ली को कैसे समझाए. सलोनी नूपुर के दिल की धड़कन थी, वह कैसे उस पर गुस्सा कर सकती थी.

22 वर्ष की सलोनी अभी पूरी तरह से विवाह के लिए तैयार नहीं हुई थी. मगर हालात कुछ ऐसे बन गए थे कि नूपुर और सचिन को सलोनी का विवाह इतनी कम उम्र में करना पड़ रहा था.

सलोनी नूपुर और सचिन की इकलौती लाड़ली थी. सचिन और नूपुर के विवाह के 10 वर्षों के बाद सलोनी उन की जिंदगी में आई थी. अपनी परी जैसी बेटी को देख कर नूपुर और सचिन बेहद खुश थे. मगर नूपुर और सचिन की खुशियों को तब ग्रहण लग गया जब डाक्टर ने उन्हें बताया कि उन की बेटी की हार्ट बीट बेहद स्लो है. सलोनी को कंजेनिटल हार्ट डिफैक्ट है. अगर सलोनी के ह्रदय के अंदर पेसमेकर इंप्लांट नहीं किया तो उस की दिल की धड़कन कभी भी रुक सकती है.

बेहद मुश्किलभरे दिन थे सचिन और नूपुर के लिए. आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से पूरे परिवार के सामने ढेर सारे चैलेंजेज थे. मगर फिर भी सचिन और नूपुर ने सलोनी के लिए हर चैलेंज का सामना किया. सलोनी के हार्ट में पेसमेकर इंप्लांट हो गया था. मगर सलोनी की ग्रोथ बाकी बच्चों से थोड़ी स्लो थी. ज्यादा भागदौड़ वाले कार्य शुरू में डाक्टर ने उसे करने से मना कर रखा था.

सलोनी का शहर के सब से महंगे स्कूल में एडमिशन हो गया था. सलोनी की बड़ीबड़ी आंखों का भोला चितवन, गोरा रंग जो सलोनी के अनेमिक होने के कारण अधिक ही गोरा लगता था, घने घुंघराले बाल और जो सलोनी को सब से अधिक आकर्षक बनाते थे वे थे सलोनी के गालों के डिंपल.

धीरेधीरे सलोनी अपने स्कूल में बैटरी डौल के नाम से मशहूर हो गई थी. जब दूसरे बच्चे स्पोर्ट्स के पीरियड में खेलते थे तो सलोनी टुकुरटुकुर बैठ कर देखती रहती थी. जब बच्चे सलोनी से पूछते तो वह भोलेपन से बोल देती, ‘मेरे अंदर बैटरी है न. तुम लोगों जैसी नहीं हूं.”

सलोनी बच्ची थी, मगर सब समझती थी. उसे लगने लगा था कि सहानुभूति बटोर कर उस की जिंदगी आराम से कट जाएगी.

जैसेजैसे सलोनी बड़ी होती गई, स्कूल में सलोनी के बारे में अलगअलग कहानियां प्रचलित होती गईं. इसलिए जब सलोनी 12 वर्ष की हुई तो सचिन और नूपुर ने उस का स्कूल बदल दिया था.

सलोनी अब बड़ी हो रही थी. उसे समझ आने लगा था कि थोड़ा सा ड्रामा कर के जिंदगी आराम से कट जाएगी. इसलिए ड्रामा करतेकरते सलोनी सच में ही मानने लगी थी कि उसे वास्तव में प्रौब्लम है.

वह हमेशा अपने मम्मीपापा से कहती, ‘मैं हमेशा अपनेआप को दूसरों से अलग लगती हूं. हर काम करने से पहले मुझे अपने दिल के बारे में सोचना पड़ता है.” उस के दिल में डर बैठ गया था कि वह औरों से अलग है.

नूपुर और सचिन सलोनी को कितना भी समझाते थे मगर सलोनी को हमेशा प्रकृति से यह शिकायत बनी रही थी. मन ही मन सलोनी ने हार मान ली थी. सलोनी का जो मन करता वह वो करती. अगर सचिन या नूपुर टोकते तो सलोनी अपने दिल का रोना ले कर बैठ जाती. 15 वर्ष की होतेहोते सलोनी के इर्दगिर्द प्रशंसकों की एक लंबी कतार रहती थी.

सलोनी को पता था कि ये लड़के तभी तक उस के आसपास बने रहेंगे जब तक उन्हें उस की असलियत पता नहीं चलेगी. इसलिए सलोनी हर लड़के से दोस्ती करती, उस के साथ घूमतीफिरती और फिर जैसे ही कोई थोड़ा और करीब आने की कोशिश करता, सलोनी झट से अपना बौयफ्रैंड बदल लेती थी.

नूपुर को समझ आ गया था कि सलोनी का ध्यान पढ़ाई से हट कर इधरउधर भटक रहा है.

जब भी सचिन या नूपुर सलोनी को समझाने की कोशिश करते तो सलोनी फौरन बोल उठती, ‘अगर मैं उन्हें सचाई बता दूंगी तो मैं अकेली पड़ जाऊंगी. क्या मुझे खुश रहने का हक नहीं है. खेल नहीं सकती हूं, भागदौड़ नहीं सकती हूं तो क्या घूमफिर भी नहीं सकती. मम्मीपापा, आप की बेटी के अंदर दिल नहीं, बैटरी है और बैटरी में कोई भाव नहीं होते हैं.’

चाह कर भी नूपुर और सचिन अपनी बेटी को रोक नहीं पा रहे थे. सलोनी का परीक्षा परिणाम अकसर निराशाजनक ही रहता था.

सचिन ने सलोनी का पैसों के बल पर एक प्राइवेट कालेज में ऐडमिशन करा दिया था. वहां पर ही सलोनी की जिंदगी में उत्कर्ष आया था. उत्कर्ष उसी कालेज में अंतिम वर्ष का छात्र था. सलोनी उत्कर्ष को भी घुमाती रही और फिर जैसे ही उत्कर्ष ने आगे बढ़ना चाहा, सलोनी ने उसे इग्नोर करना शुरू कर दिया था.

मगर उत्कर्ष पीछे नहीं हटा तो सलोनी ने उत्कर्ष को सब सच बता दिया था. उत्कर्ष को सलोनी दिल से भा गई थी और उसे कालेज के बाद पारिवारिक बिजनैस और विवाह दोनों ही करने थे. उत्कर्ष के परिवार ने उत्कर्ष को बहुत समझाया था मगर आखिर में उन्हें उत्कर्ष की जिद के आगे झुकना पड़ा था.

इधर, सचिन और नूपुर इतनी जल्दी सलोनी के विवाह के पक्ष में नहीं थे. मगर उन्हें पता था कि उत्कर्ष से अच्छा रिश्ता सलोनी को शायद आगे न मिल पाए.

सलोनी की खूबसूरती से सब प्रभावित थे, मगर सब सलोनी की हार्ट प्रौब्लम के कारण डरते थे.

आज सलोनी और उत्कर्ष विवाह के बंधन में बंधने जा रहे थे. सचिन और नूपुर ने विवाह में दिल खोल कर खर्च किया था. उन्हें सपने में भी भान नहीं था कि उन की सलोनी को उत्कर्ष जैसा जीवनसाथी मिल जाएगा.

उधर उत्कर्ष के रिश्तेदारों को यह लग रहा था कि उत्कर्ष के परिवार ने दहेज के लालच में ये सब किया है. पहली रात उत्कर्ष और सलोनी ने बातों में ही काट दी थी. अगले दिन सलोनी जब तैयार हो कर बाहर आई तो महिलाओं में कानाफूसी होने लगी थी.

उत्कर्ष की ताईजी सलोनी को मुंहदिखाई देते हुए बोली, “बहू तो एकदम बैटरी वाली गुड़िया जैसी लग रही है.”

कोई कहता, ‘है तो बहुत खूबसूरत लेकिन एकदम सफेद है जैसे एनिमिक हो.’

सलोनी को सब समझ आ रहा था कि अनजाने में सब लोग उसे सुना रहे हैं. रात को जब उत्कर्ष ने सलोनी के करीब आना चाहा तो सलोनी घबरा गई.

सलोनी बोली, “तुम तो जानते तो हो न कि मेरे हार्ट में पेसमेकर है. मैं ज्यादा एक्सर्ट नहीं कर सकती हूं.”

उत्कर्ष हंसते हुए बोला, “ऐसा कुछ नहीं हैं पगली, तुम एकदम नौर्मल हो और सब कर सकती हो.”

मगर सलोनी तैयार नहीं हो पा रही थी. देखते ही देखते 10 दिन बीत गए थे. मगर उत्कर्ष अब तक भी सलोनी को विश्वास नहीं दिला पा रहा था.

सलोनी को अब छोटेछोटे काम करने पड़ रहे थे. सलोनी की सास उस से कहती, ‘बेटा, धीरेधीरे अगर घर के तौरतरीके समझोगी तो तुम्हें यह घर अपना लगेगा.’

सलोनी की ससुराल वाले चाहते थे कि सलोनी उन का बिजनैस जौइन कर ले. मगर सलोनी कहती, ‘न बाबा न, मैं इतना स्ट्रैस नहीं ले सकती हूं.’

एक रोज घर पर बहुत मेहमान आए हुए थे. कामवाली नहीं आई, तो सलोनी अपनी सास के कहने पर रसोई में मदद करने लगी और फिर एकाएक चक्कर खा कर गिर पड़ी.

पूरे घर में कुहराम मच गया. सलोनी की सास दोषी की तरह खड़ी हुई थी और सलोनी के ससुर अपने बेटे उत्कर्ष से कह रहे थे, ‘इसीलिए मैं इस शादी के खिलाफ था. क्या सारी उम्र तुम इस मूर्ति के साथ गुजार लोगे?’

उत्कर्ष ने अपने पापा की बात का कोई जवाब नहीं दिया. डाक्टर आया और चैकअप कर के बोला, “ऐसी कोई घबराने वाली बात नहीं है.”

“शायद किसी बात को ले कर इन के मन में स्ट्रैस है.”

सलोनी के मम्मीपापा आए और कुछ दिनों के लिए सलोनी को अपने साथ ले कर चले गए.

सालोनी की मम्मी बेहद चिंतित थी और अपने पति से बोली, “इसी कारण मैं सालोनी का विवाह नहीं कराना चाहती थी. जितनी अच्छी देखभाल हम कर सकते हैं, कोई भी नहीं कर सकता है.”

सचिन बोले, “हमारे बाद कौन सालोनी की देखभाल करेगा, यह सोच कर मैं ने सालोनी की जिद मान ली थी. उत्कर्ष वैसे भी बहुत अच्छा लड़का है, ज्यादा सोचो मत.”

घर आ कर सलोनी फिर से चहकने लगी. सारा दिन वह अपने कमरे में आराम करती और फिर शाम को सजधज कर घूमने के लिए निकल जाती थी.

जब भी उत्कर्ष सलोनी को फ़ोन करता, सलोनी एक ही बात कहती, “उत्कर्ष, मैं ने तो पहले भी कहा था कि मैं शादी के लायक नहीं हूं. हम क्या ऐसे ही नहीं रह सकते?”

उत्कर्ष को सलोनी के डर का कारण समझ नहीं आ रहा था.

उधर उत्कर्ष के घरवाले उस पर दबाव डाल रहे थे. उन के अनुसार ऐसे रिश्ते का क्या फायदा जो, बस, एकतरफा हो.

फिर उत्कर्ष ने बहुत सोचसमझ कर एक कार्डियोलौजिस्ट से बात करने की सोची. उत्कर्ष को खुद लगने लगा था कि शायद सलोनी से शादी कर के उस ने गलती कर दी है.

जब उत्कर्ष ने डाक्टर सुबोध को पूरी बात बताई तो डाक्टर हंसने लगे और बोले, “तुम पहले अपनी पत्नी को मेरे पास ले कर आओ.”

“मैं उन्हें समझाऊंगा कि वे एक नौर्मल जिंदगी जी सकती हैं. और एक डाक्टर होने के नाते एक सलाह और दूंगा, उन्हें एक अच्छे काउंसलर की भी जरूरत है. उन की काउंसलिंग करानी जरूरी है.”

उत्कर्ष ने जब यह बात सचिन और नूपुर को बताई तो उन्हें भी लगा कि शायद डाक्टर और काउंसलर की मदद से सलोनी के दिल का डर निकल जाए.

डाक्टर के पास जब सलोनी गई तो बस यह ही बोल रही थी, “मेरा दिल बहुत तेजी से धड़क रहा है. मेरे पेसमेकर लगा हुआ है, मैं दूसरों से अलग हूं.”

डाक्टर ने आराम से पूछा, “तुम से किस ने कहा, सलोनी?”

सलोनी बोली, “अरे मैं बहुत जल्दी थक जाती हूं. मैं तो शादी भी नहीं करना चाहती थी मगर अब लगता है गलती कर दी है.”

डाक्टर ने सलोनी के सारे टैस्ट करवाए, सब नौर्मल थे. जब डाक्टर ने उत्कर्ष और सलोनी को यह बात बताई. सलोनी बोली, “आप को नहीं पता, छोटीछोटी बातों से ही मेरा दिल कितनी तेजी से धड़कता है.”

डाक्टर ने उत्कर्ष को समझाया कि सलोनी के अंदर एक डर बैठ गया है. उसे डाक्टर से ज्यादा काउंसलिंग की जरूरत है.

उत्कर्ष के घर में सब को लगने लगा था कि सलोनी को दिल के साथसाथ दिमाग की भी बीमारी है.

उत्कर्ष अंदर ही अंदर बेहद तनाव महसूस करता था. जिस सलोनी के लिए उस ने अपने परिवार से बगावत की, वह सलोनी ही उत्कर्ष के साथ आने को भी तैयार नहीं थी.

सलोनी को लगने लगा था कि अगर उस ने पतिपत्नी का रिश्ता निभाने की कोशिश की तो उसे हार्ट अटैक हो जाएगा. उत्कर्ष उसे जितना भी समझाता वह उतना ही उलटासीधा बोलने लगती थी. सलोनी इस हद तक चली गई थी कि उसे लगने लगा था कि उत्कर्ष ने केवल फिजिकल रिलेशनशिप के लिए शादी की है.

काउंसलर के पास भी सलोनी जाने को तैयार न थी. उत्कर्ष मगर हार मानने वालों में से नहीं था.

उस ने सलोनी से कहा, “तुम हमेशा अपने घर में ही रहना, मगर एक बार मेरे कहने पर चलो तो सही.”

पहले दिन सलोनी ने काउंसलर से रूखीरूखी बात की. दूसरे दिन भी सलोनी उड़ीउड़ी रही, मगर एक हफ्ते के भीतर काउंसलर से सलोनी खुलने लगी थी.

काउंसलर ने सलोनी को ऐसे कुछ लोगों से मिलवाया जो सलोनी जैसी स्थिति से ही गुजर रहे थे मगर एकदम सामान्य जिंदगी व्यतीत कर रहे थे.

सलोनी उन लोगों से बातें कर के और मिल कर थोड़ी संयत हो गई थी. फिर काउंसलर ने सलोनी के मम्मीपापा को मिलने के लिए बुलाया.

जब नूपुर और सचिन गए तो काउंसलर ने उन्हें आड़ेहाथों लेते हुए कहा, “आप की बेटी की इस हालत के आप ही जिम्मेदार हैं. एक छोटी सी समस्या को इतना बढ़ा दिया गया कि यह प्रौब्लम अब दिल की न हो कर दिमाग की हो गई है.”

“कोई जरूरत नहीं है सलोनी के साथ हमदर्दी दिखाने की. उस के साथ थोड़ी सख्ती कीजिए, तभी वह आगे बढ़ पाएगी.”

काउंसलर के कहे अनुसार अब सचिन और नूपुर ने सलोनी को लाड़ करना कम कर दिया था. अपने छोटेछोटे काम अब सलोनी खुद ही करने लगी थी. शुरूशुरू में सलोनी को वहम होता कि उस का दिल तेजी से धड़क रहा है मगर धीरेधीरे सलोनी काउंसलर की मदद से आत्मनिर्भर होती चली गई.

अब सलोनी को उत्कर्ष का प्यार भी समझ आने लगा था. अंदर से सलोनी का मन था कि उत्कर्ष उसे वापस ले कर जाए मगर सलोनी का अहंकार आड़े आ रहा था. पिछले 14 दिनों से उत्कर्ष का फ़ोन आना भी कम हो गया था. सलोनी ने अपना सामान पैक किया और उत्कर्ष के घर पहुंच गई.

उत्कर्ष के परिवार ने ऊपरी मन से ही सलोनी का स्वागत किया. वे चाहते थे कि उत्कर्ष सलोनी को छोड़ कर आगे बढ़ जाए. मगर रात में उत्कर्ष सलोनी को देख कर खुशी से पागल हो गया. उत्कर्ष सलोनी को चुंबन करतेकरते अचानक से रुक गया.

सलोनी बोली, “क्या हुआ?”

उत्कर्ष झिझकते हुए बोला, “तुम्हारी हार्ट बीट ऊपरनीचे न हो जाए.”

सलोनी उत्कर्ष के गले लगते हुए बोली, “अब तो इस दिल को धड़कने दो. और तुम रहोगे न मेरे साथ मेरी धड़कन संभालने के लिए.”

भारत भूमि युगे युगे: टैक्सोडिगामा

किसी और ने पहल नहीं की तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुद को फादर औफ टोल टैक्स की उपाधि से बिना किसी ताम?ाम के विभूषित कर लिया. इस की वजहें भी उन्होंने गिनाईं कि चूंकि टोल टैक्स प्रणाली उन्होंने 30 साल पहले महाराष्ट्र के पीडब्लूडी मंत्री रहते पैदा की थी, इस नाते वे इस के जनक हैं. अब भविष्य में उन्हें देख कहा यह जाएगा कि वो देख, टोल टैक्स का पापा जा रहा है. टोल टैक्स नाम का उन का मानद पुत्र अब 25 साल का उद्दंड जवान हो चुका है और महंगा भी बहुत है, आखिर इतने बड़े मिनिस्टर का बेटा जो ठहरा.

क्या बेटे की अरबोंखरबों की कमाई में से वे कुछ लेते हैं और उस के व अपने वंश को और बढ़ाएंगे, पता नहीं. लेकिन कश्मीर से कन्याकुमारी तक नितिन के छोटेबड़े बेटों का जलवा है जो तादाद में कौरवों से भी ज्यादा हैं. दिक्कत तब खड़ी होगी जब सड़क परिवहन मंत्री कोई नेत्री बने और टोल की मौम बनने से इनकार कर दे.

पर्स पर नजर क्यों

महिलाओं का अपने पर्स से मोह किसी सुबूत का मुहताज नहीं. चोरउचक्कों से इसे बचाए रखना किसी टास्क से कम नहीं होता. हालत तो यह है कि संसद में भी पर्स महफूज नहीं जहां  टीएमसी की स्टाइलिश सांसद महुआ मोइत्रा अपना पर्स छिपा रही थीं. पड़ने वालों की नजर इस पर भी पड़ गई तो बेकार का बवाल मच गया कि देखो, महंगाई पर हल्ला मचाने वाली महुआ डेढ़ लाख का पर्स रखती हैं. यह और बात है कि आजकल तो बैंक में एक लाख की नौकरी करने वाली महिला भी महंगे से महंगा पर्स रखती है.

बात संभालने के लिए महुआ ने ट्वीट कर दिया कि ?ाले वाला फकीर. यह धमकी या सूचना 3 दिसंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुरादाबाद में दी थी कि हम तो फकीर हैं, कभी भी अपना ?ाला ले कर चल देंगे. देखना दिलचस्प होगा कि ईडी की नजर इस पर्स पर कब पड़ेगी.

हिंदू वीर

उत्तर प्रदेश में भाजपा की रिकौर्डतोड़ जीतों में हिंदू युवा वाहिनी संगठन का बड़ा योगदान रहा है जिसे साल 2002 में सांसद रहते योगी आदित्यनाथ ने बनाया था. तभी से वे इस के हमेव माता च पिता हमेव और हमेव गुरु और बंधु, सखा बने हुए हैं. ऐसा नहीं है कि अब न हों बल्कि उन्होंने धर्मप्रेमी युवाओं के इस संगठन को भंग कर दिया है. अब शायद नए सिरे से हिंदू रंगरूटों की भरती होगी जो हिंदू राष्ट्र निर्माण के आंदोलन में पुरु की तरह अपने यौवन की आहुति देते यज्ञ, हवन, भंडारों और कांवड़ यात्राओं में भगवा गमछा लपेट अपना जीवन सार्थक कर सकें.

हकीकत में यही हिंदूवीर इमेज बिगाड़ने का काम करने लगे थे. यानी उद्दंडता और मनमानी पर उतारू होने लगे थे. विधर्मियों की गौमांस की कथित तस्करी और प्रेमियों को पकड़ना इन का पसंदीदा काम होता जा रहा था जिसे ले कर आदित्यनाथ चिंतित थे. अब आगे वे क्या करते हैं, देखना दिलचस्प होगा.

देवी शरणम गच्छामि

भरी संसद में सोनिया गांधी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को ?ाड़ यह कहते पिला दी कि ‘डौंट टाक टू मी.’ यह ठीक वैसी ही लताड़ थी जैसे किसी कसबे की टपरिया पर ठाकुर साहब या पंडितजी ने किसी शूद्र को यह कहते हड़का दिया हो कि हमारे मुंह मत लग.

असहनीय दुख और दर्द से तिलमिलाई स्मृति इस बार नरेंद्र मोदी या अमित शाह की चौखट पर जाने के बजाय तुरंत और सीधे दतिया स्थित पीतांबरा पीठ बगुलामुखी मां के दरबार में जा पहुंचीं, जो तंत्रमंत्र के लिए कुख्यात है और शत्रु का नाश भी करता है. सोनिया गांधी के यह तेवर देख भगवा गैंग हैरान है कि इतनी प्रताड़नाओं के बाद भी कांग्रेसी मुखिया की हिम्मत क्यों नहीं टूटी. लिहाजा, मुमकिन है आने वाले दिनों में उन पर शिकंजा और कसा जाए.

त्यौहार 2022: घर पर बनाएं बादशाही आलू, मखनी लौकी और मलाई पनीर

त्योहारों का मौसम आया नहीं कि पकवानों की बहार शुरू हो जाती है. खुशी के माहौल में खानपान की विविधता जायका बढ़ा देती है. तो फिर देर किस बात की. आप भी इस दीवाली पर ऐसा कुछ विशेष बनाएं जो हर बार से कुछ हट कर हो. लीजिए, आप की दीवाली को खास बनाने के लिए पेश हैं कुछ विशेष पकवान.

  1. बादशाही आलू

सामग्री

2 आलू, 1 कप क्रीम, 2-3 कली लहसुन, 1 प्याज, 1-2 हरी मिर्चें, 1 क्यूब चीज, नमक स्वादानुसार, 1 बड़ा चम्मच पामेसान चीज, 1/4 बड़ा चम्मच कालीमिर्च पाउडर, थाइम की पत्तियां.

विधि

आलू को छील कर पतली स्लाइस में काट कर पानी में रखें. कड़ाही में क्रीम गरम कर बारीक कटी लहसुन, प्याज, हरीमिर्च मिलाएं. इसी में कटे आलू की स्लाइस व नमक मिलाएं. थाइम की पत्तियां डाल कर आंच बंद करें. एक बेकिंग डिश में डाल कर ऊपर से चीज गे्रट कर के डालें. 180 डिगरी पर गरम ओवन में 15-20 मिनट तक बेक करें.

2. मखनी लौकी

सामग्री

1 कप उबली लौकी, 1/2-1/2 कप सूजी, दही, 3-4 ब्रैड स्लाइस, 1 हरी मिर्च, 1-2 कली लहसुन, नमक स्वादानुसार, 1-1 बड़ा चम्मच क्रीम, नीबू रस, 2 बड़े चम्मच मक्खन, 1/4 चम्मच कालीमिर्च पाउडर.

विधि  

मिक्सी में उबली लौकी, सूजी, दही, ब्रैड, नमक, हरीमिर्च व लहसुन एकसाथ पीसें. इस मिश्रण को गरम तवे पर चीले की तरह दोनों तरफ तेल लगा कर सुनहरा होने तक सेकें. एक पैन में मक्खन गरम कर क्रीम डालें. आंच बंद कर नीबू रस व कालीमिर्च पाउडर डालें. इस सौस को प्लेट में डालें उस पर इन चीलों को रख कर परोसें.

3. मलाई पनीर

सामग्री

2 बड़े चम्मच घी, 1 प्याज, 5-6 काजू, 1 कप कोकोनट मिल्क, 3 बड़े चम्मच मलाई, 150 ग्राम पनीर, 1-1 तेजपत्ता, साबुत लालमिर्च, हरीमिर्च, 2-3 लौंग, 1 टुकड़ा दालचीनी, नमक स्वादानुसार, 1/4 बड़े चम्मच गरममसाला.

विधि   

प्याज का पेस्ट बनाएं. काजू पानी में भिगो कर पेस्ट बना लें. कड़ाही में घी गरम कर इस में तेजपत्ता, लौंग, दालचीनी, मिर्च डाल कर भूनें और प्याज का पेस्ट भुनने पर इस में काजू पेस्ट व कोकोनट मिल्क डाल कर पकाएं. पनीर के टुकड़े डालें. इसी के साथ नमक, गरममसाला व मलाई डालें. मलाई गे्रवी में मिलने तक पकाएं. गरमागरम परांठों के साथ परोसें.

तलाक की खबरों के बीच फिर से एक हुए राजीव और चारू, शेयर किया ये पोस्ट

चारु असोपा और राजीव सेन अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में छाये रहते हैं. कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि दोनों का तलाक होने वाला है. लेकिन अब बताया जा रहा है कि चारु असोपा और राजीव सेन फिर से एक साथ रहने का फैसला किया है. आइए बताते हैं, क्या है पूरा मामला…

बता दें कि कुछ दिनों पहले तक दोनों की बात तलाक तक पहुंच गई थी, लेकिन अब दोनों ने दोबारा साथ आने का फैसला कर लिया है.जी हां सही सुना आपने. गणेश चतुर्थी के मौके पर एक्ट्रेस चारु असोपा ने राजीव सेन और बेटी के साथ फोटोज शेयर की थी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu)

 

फैंस इन फोटोज को देखकर कन्फ्यूज हो गए थे क्योंकि कुछ दिनों पहले तक एक-दूसरे के खिलाफ नेगेटिव बोलने वाले और एक-दूसरे को तलाक तक देने को तैयार राजीव और चारु एक साथ कैसे आ गए.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu)

 

दरअसल, चारु ने राजीव और जियाना के साथ फोटो शेयर की और लिखा, ‘शादी स्वर्ग में बनती हैं, लेकिन ये हम पर डिपेंड करता है कि वह कैसी चले. हां हमने ये अनाउंस किया था कि हम अपनी शादी तोड़ रहे हैं और हमारा रिश्ता खत्म हो गया है. तलाक ही हमारे लिए एक ऑप्शन बचा था और इसे हम मना नहीं करेंगे.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu)

 

लेकिन अब आपको खुशी के साथ बता रहे हैं कि हम अपनी शादी को बचाएंगे. हम दोनों को एक खूबसूरत बेटी मिली है जियाना और हम उसे बतौर पैरेंट्स बेस्ट देना चाहते हैं. उसकी परवरिश और उसकी खुशी हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu)

 

चारु ने आगे लिखा कि हम अपने सभी फैंस को थैंक्यू बोलना चाहेंगे जिन्होंने हमेशा हमें सपोर्ट किया और हमारे रिश्ते को लेकर कभी हार नहीं मानी. थैंक्यू जियाना को इतना प्यार देने के लिए. आपको बता दें कि चारु और राजीव की साल 2019 में शादी हुई थी. हालांकि शादी के 1 साल बाद ही दोनों के बीच अनबन की खबरें आने लगी थीं. लेकिन फिर दोनों के बीच सब ठीक होने लगा है.

GHKKPM: जगताप के साथ शादी करेगी सई! होगी विराट से मुलाकात

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ में लगातार हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है,जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो में इन दिनों विराट, पाखी और सई का लव ट्रैक दिखाया जा रहा है. चौहान परिवार चाहता है कि पाखी और विराट अपनी जिंदगी में आगे बढ़ें. भवानी विराट-पाखी को हनीमून पर भेजने का प्लान करती है. तो वहीं अश्विनी भी उसका साथ देती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं, शो के अपकमिंग एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि विराट अक्सर सई को याद करता है. वह सोचता है कि काश उसने सई को घर से नहीं जाने दिया होता. तो दूसरी तरफ सई भी अपने दिल का दर्द छिपाने की कोशिश कर रही है. इसी बीच गुम है किसी के प्यार में की कहानी में एक नया मोड़ आने वाला है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sairat (@_sairat01)

 

रिपोर्ट के अनुसार जल्द ही विराट और सई का मिलन होने वाला है. शो में आप देखेंगे कि सई गुलाब राव की पोल जमाने के सामने खोल देगी. सई बताएगी कि गुलाब राव के गुंडों ने उसके घर पर हमला करने की कोशिश की थी. ऐसे में गुलाब राव पूछेगा कि सई और जगताप के बीच क्या रिश्ता है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sairat (@_sairat01)

 

ऐसे में गांव के लोग सई पर तरह तरह के इल्जाम लगाने शुरू कर देंगे. लोग सई को चरित्रहीन समझेंगे. सई की इज्जत बचाने के लिए जगताप एक बड़ा फैसला करने वाला है. जगताप सई के साथ जबरदस्ती शादी कर लेगा. इसी बीच सई की जिंदगी में विराट की एंट्री होगी. परिवार के लोगों के कहने पर विराट पाखी के साथ हनीमून पर जाएगा. इस दौरान विराट को पता चलेगा कि सई अभी जिंदा है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by sairat??❤ (@gukkpm_serial)

 

यह कैसी भावना

भावनाओं को ठेस पहुंचना अब इस देश में आम हो गया है. प्रधानमंत्री की पोल खोलने, किसी मूर्ति को अलग तरह से दिखाने, किसी पत्थर पर कटाक्ष करने, सात समंदर पार बनी किसी फिल्म में कैरेक्टर के रूप से देवीदेवता को

देख कर भावना को ठेस पहुंच जाती है क्योंकि, भावना को ठेस पहुंचने पर, बस, पड़ोस के पुलिस स्टेशन में जा कर एक प्राथमिकी यानी एफआईआर लिखानी होती है. न तथ्य पेश करने होते हैं, न मेहनत करनी होती है, न दिखाना होता है कि उस से भावना इतनी आहत हुई कि किसी का हार्ट फेल हो गया और उस की मौत हो गई.

यह भावना धार्मिक मामलों में ही आहत होती है और इन धार्मिक मामलों में धर्म के आज के रक्षक प्रधानमंत्री भी शामिल हैं. पहले पौराणिक धार्मिक देवीदेवताओं की असलियत बताने पर भावना आहत होती थी, अब धर्मसत्ता के प्रतीकों पर भी भावना आहत होने लगी है.

मजेदार बात यह है कि एक औरत को घर से निकाल देने, उस को जलाने की कोशिश करने, मजदूरों के सैकड़ों मील पैदल चल कर घर पहुंचने, नोट बदलने के लिए घंटों व दिनों लाइनों में लगने पर यह भावना आहत नहीं होती. शहरों में कूड़े के ढेर लगे रहने, पानी में बदबू आने पर, शौचालयों की कमी की वजह से दीवारों को शौचालय बनाने, ठूंस कर बस में चलने, बिजली का बिल या टैक्स भरने पर लगी लंबी लाइन पर भी भावना को ठेस नहीं पहुंचती.

किसी लड़की पर गंदे कमैंट देते लड़कों के  झुंड को देख कर किसी की भावना आहत नहीं होती. देह व्यापार में फंसी औरतों की दुर्दशा को देख कर कोई भावना आहत नहीं होती, कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे पतली चादर में सोते लोगों को देख कर भावनाएं आहत नहीं होतीं. थानेदार इन पर एफआईआर लिखने वाले को खुद पुलिस की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए गिरफ्तार कर लेगा, ऐक्शन लेना तो दूर.

भावना को ठेस पहुंचाना असल में धर्म के व्यापार का नया हथकंडा है जिस में धर्म के ठेकेदार हर उस व्यक्ति को फांस सकते हैं जो उन की पोल खोलता है. हर धर्म के ग्रंथ बेतुकी, बेहूदी बातों से भरे हैं क्योंकि ये ग्रंथ किस्सेकहानियों का संग्रह मात्र हैं जो मन बहलाने के लिए किसी युग में रचे गए थे. शातिरों ने उन्हें ही धर्म का चोगा पहना कर उन पर धर्म के साम्राज्य खड़े कर लिए. इन कहानियों की तार्किक समीक्षा करेंगे तो ढोल में पोल ही नजर आएगा, इसलिए धर्म के दुकानदार हरगिज नहीं चाहते कि आमभक्त को हकीकत का पता चले.

हर पत्थर, किताब, किस्से, कहानी की जम कर रक्षा की जाती है क्योंकि इसी पर कितने ही समाजों की राजसत्ता टिकी है और उस राजसत्ता पर व्यापारी, सैनिक, पुलिस, प्रशासन पलते हैं. भावना असल में वह गोंद है जो बदबूदार कूड़े के ढेर को ढकने के लिए बनी तिरपाल को जोड़ कर रखने का काम करती है.

यह सम झ से परे है कि कैसे देश की पुलिस सैकड़ों मील चल कर किसी भी भावना को ठेस पहुंचाने वाले को गिरफ्तार करने जा सकती है और उस से ज्यादा उस मजिस्ट्रेट की बुद्धि पर आश्चर्य होता है जो एफआईआर में लगाए आरोप पर वारंट इश्यू कर देता है.

भारत में संवैधानिक स्वतंत्रताएं समाप्तप्राय हैं, ऐसा साफ दिख रहा है और संविधान को मृतशैया पर देख कर किसी की भावना आहत नहीं हो रही है, यह हैरान करने वाली बात है.

त्यौहार 2022: घर पर ऐसे बनाएं ड्राईफ्रूट बर्फी, मावा खीर और मूंग दाल का हलवा

व्यंजन सहयोग: मीना रावत

त्योहार के समय में अगर आप कुछ स्पेशल बनाना चाहती हैं , तो ऐसे में आप अपने घर पर ड्राईफ्रूट बर्फी बा सकती हैं, इसे आप व्रत में भी खा सकती हैं.

 

  1. ड्राईफ्रूट्स बर्फी

सामग्री

1 कप खजूर

1 बड़ा चम्मच घी

1 बड़ा चम्मच खसखस

1 बड़ा चम्मच तिल

1/4 कप सूखा नारियल

1/4 कप काजू के टुकड़े

1/4 कप बादाम के टुकड़े

1/4 कप पिस्ता कटा

1/4 पिस्ता कटा

1/4 कप अखरोट कटा

2 बड़े चम्मच किशमिश

1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

1 कप गुड़ पाउडर.

विधि

1 पैन में घी गरम कर खसखस और तिल सुनहरे होने तक चलाते हुए भूनें. उसी पैन में नारियल, पिस्ता, काजू, बादाम, किशमिश, अखरोट भी चलाते हुए भूनें. धीमी आंच पर मिश्रण में खजूर, इलायची पाउडर और गुड़ पाउडर अच्छी तरह मिलाते हुए भूनें. मिश्रण भुन जाने पर उसे आंच से उतारें और कुछ देर ठंडा होने के बाद एक ट्रे में सैट होने के लिए रखें. मनचाहे टुकड़ों में काट कर सर्व करें.

  1. मावा खीर

सामग्री

1 लिटर दूध

 स्वादानुसार गुड़

1/4 कटोरी मावा

1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

1 बड़ा चम्मच चावल

1/2 कटोरी ड्राईफू्रट्स कटे

1 चम्मच घी.

विधि

दूध को पैन में थोड़ा गाढ़ा होने तक उबालें. दूसरे  पैन में थोड़ा घी गरम कर चावलों को चलाते हुए फ्राई करें और उबलते हुए दूध में डाल दें. दूध और चावल के मिश्रण को गाढ़ा होने तक धीमे आंच पर पकाएं. अब इस में मावा मिला कर मिश्रण को थोड़ा और गाढ़ा करें. मिश्रण में इलायची पाउडर और गुड़ मिला कर 1-2 मिनट तक चलातेहुए पकाएं. तैयार खीर को ड्राईफ्रूट से सजा कर परोसें.

  1. राइस पुडिंग

सामग्री

1 लिटर दूध

1/2 कप चावल पानी में भीगे

1/2 कप गुड़ पाउडर

2 छोटे चम्मच कस्टर्ड पाउडर

2 छोटे चम्मच ड्राईफू्रट्स कटे

1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर.

विधि

पैन में दूध उबाल कर चावलों को उस में मिला कर धीमे आंच पर मिश्रण थोड़ा गाढ़ा होने तक पकाएं. 1 कटोरी में कस्टर्ड पाउडर में थोड़ा सा दूध मिला कर पेस्ट तैयार करें. चावल और दूध के मिश्रण में गुड़ पाउडर और कस्टर्ड पेस्ट मिला कर गाढ़ा होने तक पकाएं. तैयार पुडिंग को इलायची पाउडर और ड्राईफ्रूट्स से गार्निश कर परोसें.

  1. मूंग दाल हलवा

सामग्री

1 कटोरी मूंग दाल पानी में भीगी

3/4 कटोरी कुनकुना दूध

1 कप गुड़ पाउडर

5-6 चम्मच घी

4-5 केसर के धागे

2 हरी इलायची

थोड़े से ड्राईफ्रूट्स कटे.

विधि

मूंग दाल को मिक्स्चर में दरदरा पीस लें. कड़ाही में घी गरम कर मूंग दाल को धीमी आंच पर अच्छी तरह भूनें. अब इस में दूध, थोड़ा सा पानी और गुड़ मिला कर लगातार चलाते हुए भूनें. मिश्रण को तब तक भूनना है जब तक कि वह घी न छोड़ दे. फिर इस में इलायची, केसर के धागे मिक्स कर आंच से उतारें और ड्राईफ्रूट्स से गार्निश कर परोसें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें