दलबदल के इस जमाने में पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अपने ठुलमुल मुख्यमंत्री भगवत ङ्क्षसह मान की सरकार को बचाए रखा है और अपने सारे विधायकों को. हाल में हुई विधानसभा की वोङ्क्षटग में उस के सारे विधायक गिनती में पूरे धर गए.

यह अजूबा है. भाजपा आजकल सेंध मारने को सरकार का मुख्य फर्ज मानकर चल रही है और गृहमंत्री अमित शाह हर रोज दूसरी पाॢटयों के आफर मिलने वाले विधायकों का सम्मान करते नजर आते हैं, लगभग हर पार्टी में तोडफ़ोड़ करने की कोशिश की जा रही है और लगातार यही एक काम है जो सरकार सही ढंग से कर रही है.

दलबदल असल में भारत के रगरग में पौराणिक कहानियों में आया है. हमारे यहां सदियों तक पढ़ाईलिखाई के नाम पर पुराणों, महाभारत, रामायण की कहानियां कही जाती रही हैं. इन में हर मजेदार कहानी की तरह पाला बदलने वाले भी होते रहे हैं जो कभी एक तरफ होते थे तो कभी दूसरी तरफ.

आज जब सच को परखने का विज्ञान और तकनीक हमारे हाथ में आ गई है और देशों का काम पाले बदलने वालों से नहीं, अपने स्टैंड पर जमा रहने वालों से चलता है, हमारे यहां रातदिन इन्हीं कहानियों को दोहराया जाता है. नई शिक्षा नीति में बारबार यही कहा गया है कि पौराणिक बातें पढ़ाने में चूक न हो. इस युग में लगता है देवीदेवता तभी अपना मकसद पूरा कर पाते थे जब वे किसी को दूसरे पाले से फोड़ लें चाहे वे अमृत मंथन में दस्यु हो या विभीषण हो या जयचंद.

भारतीय जनता पार्टी की कई राज्यों की सरकारें दलबदलूओं पर बनी हैं. कम वोट और सीटें जीत कर भी वे सत्ता में है क्योंकि उन्होंने सामदामदंडभेद का इस्तेमाल किया. पंजाब में यह नहीं हो पा रहा, यह अजब है. अरङ्क्षवद केजीवाल की आम आदमी पार्टी में ऐसे तो कोई गुण नहीं है कि उन के विधायक भाजपा की धमकियों और लालच के दोहरे वार बारबार सहते रहें.

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