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मैंने छिप कर शादी की थी और हमारे संबंध भी बन चुके हैं ऐसे में क्या मुझे कहीं और शादी करनी चाहिए?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. अपनी मौसी के जेठ के बेटे से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. हम ने सब से छिप कर शादी की है. उस ने मेरी मांग में सिंदूर भरा था और मुझे मंगलसूत्र भी पहनाया था. इस बात के सिर्फ हम दोनों ही साक्षी हैं और कोई इस का गवाह नहीं है. घर में जब हम दोनों की शादी की बात चली तो हम ने उन्हें अपनी इस गुपचुप शादी के बारे में बताया पर इसे किसी ने स्वीकार नहीं किया. लड़के की सगाई कर दी गई है और मेरे घर वाले भी मेरे लिए लड़का ढूंढ़ रहे हैं. हम दोनों के शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. क्या हमें अन्यत्र शादी करनी चाहिए?

जवाब

यदि आप दोनों वास्तव में एकदूसरे से प्रेम करते तो आप अपने घर वालों को विवाह के लिए राजी कर सकते थे. पर आप ने ऐसा नहीं किया. शायद आप दोनों ही इस रिश्ते को ले कर गंभीर नहीं थे. इसीलिए लड़के (आप के बौयफ्रैंड) ने कहीं और सगाई कर ली और आप के घर वाले भी आप के लिए वर तलाश रहे हैं. इसलिए अपने प्रेम संबंध को समाप्त कर दें और भविष्य के बारे में सोचें. रही आप की चोरीछिपे शादी की बात तो इस तरह की शादी की कोई अहमियत नहीं होती. रही बात आप दोनों के अवैध संबंध की तो उसे अपने भावी जीवनसाथी से कतई जाहिर न करें.

आहुति -भाग 3 : नैनीताल में क्या हुआ था आहुति के साथ

वृंदा मिश्रा

कुछ दिनों से पापा की स्थिति में काफी सुधार आ रहा है. मम्मी के जाने के बाद जो मुसकराहट उन के चेहरे से लापता हो गई थी, वह अब हलकीहलकी फिर ?ालकने लगी है. मैं इस बात से बहुत खुश हूं.’ यह पढ़ कर मु?ो भी काफी आनंद हुआ था. फिर इस के बाद कुछ महीनों तक उस का न ही कोई पत्र आया, न फोन और फिर उस के बाद जो पत्र आया, उसे पढ़ कर मैं सम?ा नहीं पा रही थी कि मैं खुश हूं या अपनी दोस्त के लिए व्यथित, ‘प्रियल, पापा आज अपनी प्रेमिका को घर लाए थे.

वे पापा की सैक्रेटरी हैं. उन का नाम है जिया मल्होत्रा. उन्होंने अभी कुछ महीने पहले ही औफिस जौइन किया था और अपने मधुर व्यवहार से पापा के टूटते हुए मन को बांध लिया था. ‘उम्र में वे पापा से काफी छोटी हैं पर शायद जैसा लोग कहते हैं, प्यार की कोई उम्र नहीं होती. वे पापा की खुशी का कारण हैं और मु?ा से भी वे अच्छी तरह से पेश आती हैं. बहुत अच्छी हैं जिया दीदी. हां, मैं उन्हें दीदी कहती हूं, मां नहीं, क्योंकि मां तो एक ही होती न? पर पता है दीदी को इस बात का जरा भी बुरा नहीं लगा. अब अगले महीने पापा और दीदी की शादी है. हां, सुन कर थोड़ा अटपटा लगता है कि मैं अपने पापा की पुनर्विवाह की बात से खुश हूं पर सच में दीदी बहुत ही प्यारी हैं. ‘पापा ने इस रिश्ते की इजाजत मु?ा से मांगी.

वे सिर्फ अपने लिए एक जीवनसंगिनी नहीं, बल्कि मेरे लिए एक मां भी खोज रहे हैं और दीदी ने मु?ो मां और दोस्त दोनों का प्यार दिया है. अब, बस, इंतजार है कि दीदी जल्द ब्याह कर इस घर में आ जाएं.’ पत्र के साथ पापा और दीदी की तसवीर भी है. मैं ने जब तसवीर निकाली तो उस में खड़ी उस नवयुवती के सौंदर्य ने मु?ो मंत्रमुग्ध कर दिया. लंबे केश, गहरा साफ रंग, बड़ीबड़ी आंखें और उन की चमक. मैं इस अजनबी की दस्तक से थोड़ी शंका में आ गई थी. अंकल और जिया आंटी में लगभग 18 साल का अंतर था. जिया आंटी उस वक्त सिर्फ 22 की थीं, जबकि अंकल को 48वां लग चुका था पर आहुति के पत्रों ने मु?ो यकीन दिला दिया था कि जिया आंटी उसे सचमुच सिरआंखों में बैठा कर रखती हैं और मेरे लिए इतना काफी था. मैं ने भी कई बार जिया आंटी से बात की थी फोन पर, फिर पढ़ाई और कैरियर का बो?ा बढ़ता गया और संवादों का सिलसिला घटता चला गया और फिर आहुति ने मु?ो पत्र लिखा जिस में जिक्र था उस के किसी खास का, प्रथम चौहान का. ‘प्रियल, मैं कैसे बताऊं, यह पूरा अनुभव मेरे लिए एकदम नया है. मैं कुछ सम?ा ही नहीं पाई कि कब और कैसे हो गया.

प्रियल, मेरी जान, मु?ो प्रेम हो गया है. लड़के का नाम है प्रथम चौहान, एमकौम द्वितीय वर्ष के छात्र हैं. हां, मु?ा से 2 वर्ष बड़े हैं वे, पर उन की सम?ादारी, प्रेम और परिपक्वता की मैं कायल हो चुकी हूं. उन्हें मेरा सांवलापन जरा भी नहीं खटकता. वे बहुत ही सपोर्टिव हैं, चाहे पढ़ाई को ले कर हो या जौब को ले कर. उन की मुसकान ही थी जो मेरे दिल में उतर गई. वह शालीनता और सभ्यता, अहा. बस, और मैं अब क्या कहूं? पत्र के साथ उन की एक तसवीर भेज रही हूं. देख कर बताना जरूर. -तुम्हारी आहुति.’ और उसी पत्र के साथ मु?ो मिली थी एक तसवीर मेरी श्यामा सुंदरी और उस के श्याम की.

आहुति जहां दबे रंग में ही कहर बरपा रही थी, वहीं प्रथम का लंबा, हृष्टपुष्ट शरीर और गोरा रंग उस के ऊपर हावी हो रहा था. बहरहाल, मैं अपनी दोस्त के लिए खुश थी. उसे आखिर अपना प्यार जो मिल गया था. साल के अंत तक खबर मिली कि अंकल ने भी प्रथम को पसंद कर लिया है और उन का रिश्ता तय हो चुका है. बस, फिर क्या था? मैं पढ़ने के लिए बाहर चली गई और हमारा संपर्क सूत्र एकाएक ठप पड़ गया. तब का दिन था और आज का दिन है, जब मैं आहुति से मिल रही हूं पर यह आहुति इतनी बदली हुई क्यों है? यह प्रश्न बारबार मु?ो परेशान कर रहा था. ‘‘कहां जा रही हो?’’

अगले दिन मु?ो तैयार होता देख नितिन ने मु?ा से पूछा. ‘‘बस यों ही आहुति से मिलने. मैं थोड़ी देर में आ जाऊंगी,’’ मैं ने बैग उठाते हुए कहा. ‘‘कोई हड़बड़ी नहीं है. सालों बाद मिली हो तुम दोनों, आराम से गप लड़ाओ. वैसे भी, मु?ो आज आराम करने का मन है,’’ नितिन ने अंगड़ाई लेते हुए कहा. नितिन की यह बात ही मु?ो अच्छी लगती है कि वे परिस्थिति को सम?ाते हैं और मु?ो बराबरी का स्थान देते हैं. बैग लिए मैं मार्केट की ओर निकल पड़ी, वहीं जहां मैं आहुति से कल मिली थी. आहुति दुकान के बाहर ही मेरा इंतजार कर रही थी. मु?ो देखते ही वह चहक पड़ी. ‘‘तू आ गई,’’ वह मु?ा से गले लगते हुए बोली. ‘‘आती कैसे नहीं. सालों बाद मिलना हुआ है हमारा,’’ मैं ने खुश होते हुए कहा.

‘‘जीजाजी नहीं आए,’’ उस ने आजूबाजू देखते हुए पूछा. ‘‘नहीं, उन्हें आराम फरमाना था आज. वे होटल में ही हैं,’’ मैं ने कहा. ‘‘आ, अंदर चल कर बात करते हैं,’’ मु?ो दुकान के अंदर ले जाते हुए वह बोली. अंदर काउंटर के पास एक छोटे से दरवाजे से ले जाते हुए वह मु?ो एक छोटे घर में ले आई. ‘‘वैलकम, यह है मेरा छोटा सा आशियां,’’ उस ने स्वागत करते हुए कहा. ‘‘बहुत सुंदर,’’ मैं घूम कर देखने लगी और मेरी आंख सब से पहले जा कर अटकी सामने दीवार पर टंगी अंकलआंटी की तसवीर पर. छोटी सी आहुति और अंकलआंटी की तसवीरों से पूरी दीवार महक रही थी पर उस यादों के ?ारोखों में कहीं भी जिया आंटी या प्रथम की तसवीर नहीं थी, यह देख कर मु?ो जरा आश्चर्य भी हुआ. शायद यह दीवार आहुति ने सिर्फ अपने और अंकलआंटी के नाम सजाई हो, यह सोच कर मैं पूरा घर देखने लगी पर पूरे घर में कहीं भी जिया आंटी और प्रथम की कोई छवि या याद नहीं थी. ‘‘ऐसे क्या देख रही है?’’ एकाएक आहुति ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा. ‘‘कुछ नहीं, सब तसवीरें देख रही हूं,’’ मैं ने कहा. ‘‘ओह, चिंता मत कर. हमारी तसवीर वहां अंदर है मेरे कमरे में,’’ और वह मु?ो अपने कमरे की ओर खींच कर ले जाने लगी. मैं ने सोचा शायद प्रथम की तसवीर भी उस के कमरे में होगी पर ऐसा नहीं था. उस कमरे में हमारी ढेर सारी यादों को संजोया था, अंकलआंटी के आशीर्वाद की भी महक थी पर प्रथम या जिया आंटी की कोई आहट भी नहीं.

‘‘मैं अपनों को करीब रखने में विश्वास करती हूं और तू, तू तो मेरी जान है तिवारी,’’ उस ने मु?ो गले लगाते हुए कहा. ‘‘मैं जान हूं, यह तो सही बात है पर तेरे दिल का क्या?’’ मैं ने कहा. उस ने प्रश्नभरी नजरों से मु?ो देखा. ‘‘अरे बाबा, प्रथम की एक भी फोटो मु?ो तो नहीं दिख रही. क्या मेरे डर से छिपा दी है?’’ मैं ने उसे छेड़ते हुए कहा पर उस के चेहरे पर आया फीका रंग देख मेरा शक यकीन में बदल गया. जरूर कोई बात है. ‘‘क्या बात है आहुति? क्या छिपा रही है,’’ मैं ने उस से गंभीर स्वर में पूछा. उस ने एक गहरी लंबी सांस ली और मेरा हाथ पकड़ के मु?ो बिस्तर पर अपने पास बैठा लिया. ‘‘जैसा मैं ने कहा, मैं अपनों को अपने पास रखती हूं. और प्रथम, वह तो कभी अपना था ही नहीं.’’

‘‘मतलब,’’ मैं ने आश्चर्य से पूछा. ‘‘मतलब यह कि वह अपने नाम की तरह था, प्रथम, पर उस की यह प्राथमिकता, उस के स्वार्थ के लिए थी. उस ने सदा स्वयं को ऊपर रखा. जैसा कि जिया ने किया, वह भी सदा ही, पर अपने हित के लिए,’’ उस के रूखे लफ्जों में एक गहरा तंज छिपा था. ‘‘बात क्या है, खुल के बता,’’ मैं ने वर्षों बाद उसे उस नाम से पुकारा था. ‘‘प्रियल, जो कुछ तू ने जाना था, जो कुछ मैं ने सम?ा था, सब एक ?ाठ था, एक फरेब. जिया कभी मेरी दोस्त या मां बनने आई ही नहीं थी. हुंह, वह तो कभी पापा की जीवनसंगिनी भी नहीं बनना चाहती थी. यदि वह कुछ चाहती थी तो, बस, पापा के जायदाद की मालकिन बनना. वह मालकिन, जो कभी बन नहीं पाई. मेरे संग अच्छा व्यवहार, पापा की देखभाल, सब एक ढोंग था, जिस के परिणाम में वह अपने सुनहरे भविष्य के सपने बुन रही थी. शायद अंतिम दिनों में पापा को उस की सचाई का पता भी चल गया था और इसीलिए उन्होंने अपनी वसीयत बदल दी थी. बस, एक घर था, जो वे नहीं बदल सके.’’ ‘‘अंकल का देहांत हो गया पर कब?’’ और मेरी आंखों में आंसू भर आए. ‘‘3 वर्ष पहले. दिल का दौरा पड़ा और वे चल बसे.

वे तो चले गए पर मु?ो इस जिया के पिंजरे में छोड़ गए. शुरू में तो सब अच्छा ही चल रहा था. वकील साहब ने आ कर यह बता दिया कि घर जिया के नाम है. हां, पर व्यापार की बात उन्होंने नहीं छेड़ी पर जिया ने यह मान लिया कि यदि घर उस के नाम है तो व्यापार की मालकिन भी वह ही है. ‘‘एक दिन वकील अंकल ने मु?ो उन के औफिस बुलाया और मु?ो बताया कि पापा की बाकी जायदाद की मालकिन मैं हूं पर मु?ो यह बात फिलहाल गुप्त रखने की सलाह दी. ‘‘पहले तो मैं कुछ सम?ा नहीं पाई पर चूंकि अंकल पापा के पुराने मित्र और हितैषी थे तो मैं ने उन की बात मान ली और अच्छा ही हुआ कि मैं ने उन की बात सुन ली. ‘‘खैर, मैं ने अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी करने लगी. मु?ो शादी के पहले अपने पैरों पर खड़ा होना था. मैं ने जब यह प्रस्ताव प्रथम के समक्ष रखा तो उस ने भी मु?ा सपोर्ट किया. ‘‘आरंभिक तौर पर मु?ो एक कौल सैंटर में नौकरी मिली. मैं बहुत खुश थी पर जिया को ले कर थोड़ी चिंतित भी.

 

इन टिप्स को अपनाकर पति पत्नी अपने संबंधों में नयापन बनाए रखें

शादी के बाद पतिपत्नी प्यार से अपने जीवन का घोंसला तैयार करते हैं. कैरियर बनाने के लिए बच्चे जब घर छोड़ कर बाहर जाते हैं तो यह घोंसला खाली हो जाता है. खाली घोंसले में अकेले रह गए पतिपत्नी जीवन के कठिन दौर में पहुंच जाते हैं. तनाव, चिंता और तमाम तरह की बीमारियां अकेलेपन को और भी कठिन बना देती हैं. ऐसे में वह एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम का शिकार हो जाते हैं.

आज के दौर में ऐसे उदाहरण बढ़ते जा रहे हैं. अगर पतिपत्नी खुद का खयाल रखें तो यह समय भी खुशहाल हो सकता है, जीवन बोझ सा महसूस नहीं होगा. जिंदगी के हर पड़ाव को यह सोच कर जिएं कि यह दोबारा मिलने वाला नहीं.

राखी और राजेश ने जीवनभर अपने परिवार को खुशहाल रखने के लिए सारे इंतजाम किए. परिवार का बोझ कम हो, बच्चे की सही देखभाल हो सके, इस के लिए एक बेटा होने के बाद उन्होंने फैमिली प्लानिंग का रास्ता अपना लिया. बच्चे नितिन को अच्छे स्कूल में पढ़ाया. बच्चा पढ़ाई में होनहार था. मैडिकल की पढ़ाई करने के लिए वह विदेश गया.

वहां उस की जौब भी लग गई. राखी और राजेश ने नितिन की शादी नेहा के साथ करा दी. नेहा खुद भी विदेश में डाक्टर थी. बेटाबहू विदेश में ही रहने लगे. राखी और राजेश का अपना समय अकेले कटने लगा. घर का सूनापन अब उन को परेशान करने लगा था.

राखी ने एक दिन कहा, ‘‘अगर  बेटाबहू साथ होते तो कितना अच्छा होता. हम भी बुढ़ापे में आराम से रह रहे होते.’’

‘‘राखी जब नितिन छोटा था तो हम दोनों यही सोचते थे कि कब यह पढ़ेलिखे और अच्छी सी नौकरी करे. समाज कह सके कि देखो, हमारा बेटा कितना होनहार है,’’ राजेश ने पत्नी को समझाते हुए कहा.

‘‘तब हमें यह नहीं मालूम था कि हम इस तरह से अकेलेपन का शिकार हो जाएंगे,’’ राखी ने कहा.

राजेश ने समझाते हुए कहा, ‘‘हम ने कितनी मेहतन से उसे पढ़ाया. अपने शौक नहीं देखे. हम खुद पंखे की हवा खाते रहे पर बेटे को हर सुखसुविधा दी. अब जब वह सफल हो गया तो अपने अकेलेपन से घबरा कर उस को वापस तो नहीं बुला सकते. उस के सपनों का क्या होगा.’’

‘‘बात तो आप की भी सही है. हमें खुद ही अपने अकेलेपन से बाहर निकलना होगा. हम अकेले तो ऐसे नहीं हैं. बहुत सारे लोग ऐसे ही जी रहे हैं,’’ राखी ने कहा.

राखी और राजेश ने इस के बाद फिर कभी इस मुद्दे पर बात नहीं की. उन्होंने अपने को बदलना शुरू किया. सोशल ऐक्टिविटीज में हिस्सा लेना शुरू किया. खुद क ो अच्छी डाइट और ऐक्सरसाइज से फिट किया. साल में 2 बार वे अपने बहूबेटे के पास विदेश जाने लगे. वहां वे 20-25 दिनों तक रहते थे.

साल में 1-2 बार बेटाबहू भी उन के पास छुट्टियों में आने लगे. कभी महसूस ही नहीं हुआ कि वे अकेले हैं. सोशल मीडिया के जरिए वे आपस में जुडे़ रहते थे. अपने बारे में राजेश और राखी बहूबेटे को बताते तो कभी बहूबेटा उन को बताते रहते. फैस्टिवल पर कभीकभी एकसाथ मिल लेते थे.

राखी ने डांस सीखना शुरू किया. लोग शुरूशुरू में हंसने लगे कि यह कैसा शौक है. राखी ने कभी इस बात का बुरा नहीं माना. डांस सीखने के बाद राखी ने अपने को व्यस्त रखने के लिए शहर में आयोजित होने वाले डांस कंपीटिशन में हिस्सा लेना शुरू किया. राखी की डांस में एनर्जीदेख कर सभी उस की प्रशंसा करने लगे. पत्नी को खुश देख कर राजेश भी बहुत खुश था. मातापिता को खुश देख कर बेटाबहू भी खुश थे. जीवन का जो घोंसला सूनेपन से भर गया था, वापस खुशहाल हो रहा था.

राखी और राजेश एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम के शिकार अकेले कपल नहीं हैं. समाज में ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. आज के समय में हर परिवार में 1 या 2 ही बच्चे हैं. ऐसे हालात हर जगह बन रहे हैं. अब पतिपत्नी खुद को बदल कर आपस में नयापन बनाए रख कर हालात से बाहर निकल रहे हैं.

बनाएं नई पहचान

संतोष और सुमन की एक बेटी थी. वे दोनों सोचते थे कि ऐसे लड़के से शादी करेंगे जो उन के साथ रह सके. बेटी ने विदेश में जौब कर ली. उस की शादी वहीं रहने वाले एक बिजनैसमैन से हो गई. संतोष ने अपनी पत्नी सुमन को खुद को सजनेसंवरने के लिए कहा. सुमन को यह पहले भी पसंद था. ऐसे में उस का शौक अब और निखरने लगा.

कुछ ही तैयारी के बाद एक समय ऐसा आया कि सुमन शहर की हर पार्टी में शामिल होने लगी. वह पहले से अधिक निखर चुकी थी. संतोष खुद बिजनैसमैन था इसलिए पत्नी को कम समय दे पाता था पर जहां तक हो सकता था पत्नी का पूरा साथ देता था.

एक दिन सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. सुमन ने उस में हिस्सा लिया और विवाहित महिलाओं की यह सौंदर्य प्रतियोगिता जीत ली. वह अब खुद ही ऐसे आयोजनों के साथ जुड़ कर नए सिरे से अपने को स्थापित कर चुकी है.

अब केवल पति को ही नहीं, उस के बच्चों को भी मां के टैलेंट पर गर्व होता है. सुमन ने मौडलिंग भी शुरू कर दी. वह कहती है हम ने शादी के बाद जिन शौकों को पूरा करने का सपना देखा था, वे अब पूरे हो रहे हैं. ऐसे में मेरा मानना है कि शादी के बाद देखे गए सपने अगर पूरे नहीं हो रहे हैं तो उन को पूरा करने का समय यही है. सपने भी पूरे होंगे और अकेलापन भी दूर होगा.

अपने शौक को पूरा करे

अर्चना को स्कूल के दिनों से ही पेंटिंग बनाने का शौक था. जल्दी शादी, फिर बच्चे होने के बाद यह शौक दरकिनार हो गया था. अर्चना की परेशानी थोड़ी अलग थी. वह सिंगल मदर थी. उस ने खुद ही बेटे आलोक को अपने दम पर पढ़ालिखा कर विदेश भेजा. अब खुद अकेली रह गई. कई बार आलोक अपनी मां को भी अपने साथ ले जाता था. पर अर्चना वहां रहने के लिए तैयार नहीं थी. कुछ दिन बेटे के पास विदेश रह कर वापस चली आती थी. वापस आ कर उसे अकेलापन परेशान करता था.

अकेलेपन से बचने के लिए अर्चना ने अपने पेंटिंग के शौक को पूरा करना शुरू किया. खुद सीख कर अब वह बच्चों को भी पेंटिंग सिखाने लगी. इस से उसे कुछ पैसे भी मिलते थे. इन पैसों से अर्चना ने पेंटिंग कंपीटिशन का आयोजन कराया. अब अर्चना को कहीं भी अकेलापन नहीं लग रहा था. अर्चना ने अपने को फिट रखा. आज वह खुश है और अब वह पहले से अधिक सुंदर लगती है. मां को खुश देख कर बेटा भी पूरी मेहनत से अपना काम कर रहा है.

कई बार पेरैंट्स बच्चों के कैरियर को बनाने के लिए अपने शौक को पूरा नहीं करते. उन को दरकिनार कर देते हैं. जब बच्चे बाहर सैटल हो जाएं तो पेरैंट्स अपने शौक को पूरा कर सकते हैं. इस से 2 तरह के लाभ होते हैं. एक तो पुराने शौक पूरे हो जाते हैं. दूसरे, खुद इतना व्यस्त हो जाते हैं कि खालीपन का एहसास नहीं होता.

अपने शौक के पूरा होने का एहसास दिल को खुशी देता है. कई लोग हैं जो खाली समय में बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. कुछ लोग पर्यावरण के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं. इस से समाज के लोग उन के साथ खडे़ होते हैं और समाज में उन को नया मुकाम भी हासिल होता है.

नयापन बनाए रखने के टिप्स

एनर्जी से भरपूर दवाएं खाना भी जरूरी होता है. आमतौर पर ऐसे समय में सैक्स के महत्त्व को दरकिनार किया जाता है. हालांकि सैक्स भी इस उम्र में जरूरी होता है. यह केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक हैल्थ के लिए जरूरी होता है. इस से खुद में एक बदलाव का अनुभव होता है.

शुरूआत में पति खुद ही पत्नी का हौसला बढ़ाएं. फैशन, फिटनैस और ब्यूटीफुल ड्रैस आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं.

खालीपन को दूर करने के लिए क्याक्या किया जा सकता है जिस से पहचान भी बने, यह पत्नी की योग्यता को देख कर फैसला करें.

सोशल सर्किल बनाते समय यह ध्यान रखें कि एकजैसी सोच के लोग हों. कई बार नैगेटिव सोच के लोग आगे बढ़ने के बजायपीछे ढकेल देते हैं.

मिश्री के इन फायदों को जान हैरान हो जाएंगे आप

मिश्री और सौंफ का प्रयोग हम अक्सर करते हैं. आमतौर पर खाने के बाद माउथ फ्रेशनर के तौर पर हम इसका सेवन करते हैं. पर क्या आपको पता है कि इसका हमारी सेहत पर और कौन कौन से लाभ होते हैं. इस खबर को पढ़ कर आप मिश्री को अपनी डाइट में शामिल कर लेंगे.

तो आइए जाने कि मिश्री के सेवन से हमे किस तरह के फायदे हो सकते हैं.

अच्छा होता है पाचन

आपको ये जान कर काफी हैरानी होगी कि मिश्री और सौंफ के सेवन से पाचन तंत्र बेहतर रहता है. इसमें कई ऐसे तत्व मौजूद हैं जिससे हमारा डाइजेशन बेहतर होता है. इस लिए जरूरी है कि हम खाना खाने के बाद मिश्री का सेवन करें.

हीमोग्लोबिन के स्तर को करता है बेहतर

खून में जब हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है तो आपको थकान महसूस होता है. कई बार लोगों को चक्कर भी आता है. लोगों की त्वचा भी पीली पड़ जाती है. पर आपको जान कर हैरानी होगी कि मिश्री के नियमित सेवन से ये सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. इससे हीमोग्लोबिन का स्टर बढ़ता है साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है.

बढ़ाता है उर्जा

मुंह के स्वाद के अलावा हमारे शरीर के लिए ये कई मायनो में लाभकारी है. इसके नियमित सेवन से शरीर को एनर्जी मिलती रहती है. इसके अलावा इसके सेवन से आपका मूड भी अच्छा रहता है.

खांसी- जुकाम में है बेहद फायदेमंद

सर्दी के मौसम में लोग अक्सर सर्दी औक जुकाम से परेशान रहते हैं. इस मौसम में ऐसी परेशानियां बेहद आम होती हैं. ऐसे में मिश्री के पाउडर में काली मिर्च का पाउडर और घी डालकर पेस्ट बना लें और रात में रोज इसका सेवन करें. इसके अलावा मिश्री और काली मिर्च के पाउडर का सेवन गुनगुने पानी के साथ करने से भी खांसी में आराम मिलता है.

पति पत्नी के रिश्ते में हैवान बनता शक

शक एक ऐसी लाइलाज बीमारी होती है जिसका कोई इलाज नहीं, अगर एक बार यह किसी को खास कर पतिपत्नी में से किसी को अपनी चपेट में ले ले तो  वह इंसान को हैवान बना सकती है. हाल ही में कुछ ऐसी ही घटना हैदराबाद में देखने को मिली जहां अवैध संबंधों के शक पर एक महिला ने अपने पति को ऐसी सजा दी जिसका दर्द शायद वह अपनी जिन्दगी में कभी नही भुला पाएगा. आप यह जानकर दंग रह जाएंगे की ३० साल की इस आरोपी महिला ने पति से विवाद होने पर चाकू से उसका प्राइवेट पार्ट काटने की कोशिश की जिसके चलते उसके पति को काफी गंभीर चोटें आर्इं.

ऐसा ही एक अन्य मामला दिल्ली के निहाल विहार इलाके में भी सामने आया जहाँ  पति ने ही अपनी पत्नी का मर्डर कर दिया. पकड़े जाने पर पति ने सारी बातें पुलिस के सामने खोल दीं. उसने साफ किया कि उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर उसे शक था.आपको जानकार हैरानी होगी कि दोनों ने लव मैरिज की थी, लेकिन पति को लगता था कि उसकी पत्नी की दोस्ती कई लड़कों से है. इस बात को लेकर अक्सर दोनों में झगड़ा होता था.

टूटते परिवार बिखरते रिश्ते

शक न जाने कितने हँसते खेलते परिवारों को तबाह कर देता है. दांपत्य जीवन जो विश्वास की बुनियाद पर टिका होता है. उसमे शक की आहट जहर घोल देती है हाल के दिनों में अवैध संबंधों के शक में लाइफ पार्टनर पर हमले और हत्या करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. मनोवैज्ञानिक इसके पीछे संयुक्त परिवारों के बिखरने को एक बड़ा कारण मानते हैं.

दरअसल, संयुक्त परिवारों में जब पति पत्नी के बीच कोई भी मन मुटाव होता था तो घर के बड़े उसे आपसी बातचीत से सुलझा देते थे, या बड़ों की उपस्थिति में पतिपत्नी का झगडा बड़ा रूप नहीं ले पाता था जबकि आज की स्थिति में जहाँ पति पत्नी अकेले रहते है आपसी झगड़ों में वे एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं वहां उनके आपसी सम्बन्धों  में शक की दीवार को हटाने वाला कोई नहीं होता. ऐसे में शक गहराने के कारण पति-पत्नी के रिश्ते दम तोड़ने लगते हैं वर्तमान लाइफस्टाइल जहाँ जहाँ पति पत्नी दोनों कामकाजी हैं और दिन के आधे  से ज्यादा समय वे घर से बाहर रहते हैं घर से बाहर  उनका विपरीत  सेक्स के साथ उठाना बैठना होता है. ज्यादा समय साथ रहने से उनके बीच आकर्षण जन्म लेता है और ऐसे में वे बाहरी सम्बन्ध दोनों के बीच शक का आधार बनते हैं. ऐसे में पति पत्नी दोनों को एक दूसरे पर विश्वास रखना  होगा और सामने वाले को उस विश्वास को कायम रखना होगा.

बिजी लाइफ स्टाइल

शादी के बाद जहां वैवाहिक रिश्ते को बनाए रखने में पति और पत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है वहीं  इसके खत्म करने में भी दोनों का हाथ होता है. शादी के कुछ वर्षों बाद जब दोनों अपनी रूटीन लाइफ से बोर होकर और जिम्मेदारियों से बचने के लिए किसी तीसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं, यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखते हैं, तो वैवाहिक रिश्ते का अंत शक से शुरू हो कर एक दूसरे को शारीरिक नुकसान पहुंचाने और हत्या तक पहुंच जाता है.

कई बार परिवार की जिम्मेदारियों के बीच फंसे होने के कारण  जब पति पत्नी  जिंदगी की उलझनों को  सुलझा नहीं पाते तो उनके बीच अनबन होने लगती है और उस के लिए वे बाहरी संबंधों को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं. उनके दिमाग में  शक  घर करने लगता है. धीरे-धीरे शक गहराता है और झगड़े बढ़ जाते हैं. यदि कोई उन्हें समझाए तो शक और सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं, लेकिन, एकल परिवार में उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता. इस कारण हालात मारपीट, हमले और हत्या तक पहुंच जाते हैं.

तुम सिर्फ मेरे हो वाली सोच

लाइफ पार्टनर के प्रति अधिक  पजेसिव होना भी शक का बडा कारण  बनता है. आज के माहौल में जहां महिलाएं और पुरुष ऑफिस में साथ में बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां संभालते हैं ऐसे में उनका आपसी मेलजोल होना स्वाभाविक है . ऐसे में पति या पत्नी में से जब भी कोई एक दुसरे को किसी बाहरी व्यक्ति से मेलजोल बढ़ाते देखता है तो उस पर शक करने लगता है और उसे  यह बर्दाश्त नहीं होता कि उसका लाइफ पार्टनर जिसे वह प्यार करता है वह किसी और के साथ मिले जुले या बात भी करे क्योंकि वह उस पर सिर्फ अपना अधिकार समझता है. इस  तरह की मानसिकता संबंधों में कडवाहट भर देती है. पति या पत्नी जब फ़ोन पर किसी अन्य महिला  या पुरुष का मेसेज या कॉल देखते हैं तो एक दुसरे पर शक करने लगते हैं. भले ही वास्तविकता कुछ और ही हो लेकिन शक का बीज दोनों के सम्बन्ध में दरार डाल देता है जिसका अंत मारपीट और हत्या जैसी घटनाओं से होता है.

जासूसी का जरिया बनते एप्स

पति पत्नी के रिश्ते में दूरियां लाने में स्मार्टफ़ोन भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. जहां सोशल मीडिया ने वैवाहिक जोड़ों को शादी के बंधन से अलग किसी और के  साथ प्यार की पींगें बढ़ने का मौका दिया है, वहीं स्मार्ट फ़ोन में ऐसे एप्स आ गए हैं, जो पति पत्नी को एक दूसरे की जासूसी करने  का पूरा अवसर देते हैं. इन एप्स द्वारा पति या पत्नी जान सकते हैं कि उनका लाइफ पार्टनर उनके अतिरिक्त किस से फोन पर सबसे ज्यादा बातें करता है यानी किस से आजकल उसकी नजदीकियां बढ़ रही  हैं , उनके बीच क्या बातें होती है , वे कौन सी इमेजेज या वीडियोज शेयर करते हैं, यानी लाइफ पार्टनर के फ़ोन पर कंट्रोल करने का पूरा इन्तजाम है. ये एप्स लाइफ पार्टनर की हर एक्टिविटी पर नजर रखने का पूरा मौका देते हैं. इन एप्स की मदद से आपके लाइफ पार्टनर का फोन पूरी तरह आपका हो सकता है.

अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप तकनीक का सदुपयोग आपसी रिश्तों में नज़दीकी लाने में करें या इन्हें रिश्तों में दूरियां बनाने का कारण बनायें? फैसला आपका है.

खेती का जरूरी यंत्र पावर टिलर

पावर टिलर एक ऐसा बहुद्देशीय छोटा ट्रैक्टर है, जिसे किसान अपने हाथों से आराम से चला सकते हैं. यह कृषि क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले बेहतरीन उपकरणों में से एक है, जो खेतीबारी से जुड़े अनेक छोटेबड़े कामों को और भी अधिक आरामदायक बनाता?है. इस का इस्तेमाल खेत की जुताई, थ्रैशर, रीपर, कल्टीवेटर, बीज ड्रिल मशीन, पावर टिलर में पानी का पंप जोड़ कर किसान तालाब, पोखर, नदी आदि से पानी निकाल सकते हैं.

इसे चलाना बेहद ही आसान होता है, क्योंकि यह बहुत ही हलका और सुरक्षित होता है. इसे आप दोपहिए वाला ट्रैक्टर भी कह सकते हैं, जिसे कोई भी आराम से कहीं भी ले जा सकता है.

कुछ खास पावर टिलर सम्यक एसटी 960

यह पावर टिलर एक सिलैंडर, 12 एचपी (हौर्सपावर) और 2000 आरपीएम रेटेड इंजन के साथ आता है. इस में 4 स्ट्रोक डीआई डीजल इंजन और सिंगल क्लच दिया गया है. इस में 744 सीसी का शक्तिशाली इंजन और 6 फारवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स दिए गए हैं.

सम्यक एसटी 960 पावर टिलर 11 लिटर की डीजल टैंक क्षमता और इस की अधिकतम स्पीड 15 किलोमीटर प्रति घंटा है. इस में कूलिंग के लिए वाटर कूल्ड थर्मोसाइफन भी दिया गया है. भारतीय बाजार में सम्यक एसटी 960 की कीमत लगभग 1.50 लाख से 1.75 लाख रुपए तक है.

होंडा एफजे 500

होंडा एफजे 500 पावर टिलर कृषि क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी है. यह होंडा पावर टिलर एक मिनी पावर टिलर है. इस का रखरखाव और लागत कम है. यह टिलर सभी जुताई के कामों को कुशलतापूर्वक करता?है.

इस में 1 सिलैंडर और 163 सीसी का इंजन दिया गया है. यह 4 स्ट्रोक इंजन और 5.5 एचपी (हौर्सपावर) के साथ आता है.

इस पावर टिलर का कुल वजन 105 किलोग्राम है. इस में 2.4 लिटर की डीजल टैंक क्षमता है. इस पावर टिलर में 2 फारवर्ड+1 रिवर्स गियर बौक्स दिया गया है. होंडा एफजे 500 की कीमत तकरीबन 68,000 से 1 लाख रुपए तक है.

वीएसटी शक्ति 135 डीआई अल्ट्रा

वीएसटी शक्ति 135 डीआई अल्ट्रा पावर टिलर सब से उन्नत मशीनों में से एक है, जो खेतों में शानदार प्रदर्शन प्रदान करता है.

वीएसटी शक्ति 135 डीआई अल्ट्रा पावर टिलर 13 एचपी (हौर्सपावर) और 2400 आरपीएम रेटेड इंजन के साथ आता है. इस में 673 सीसी का शक्तिशाली इंजन दिया गया है.

इस के अलावा इस में 11 लिटर की डीजल टैंक क्षमता और 6 फारवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स दिया गया है. इस में मल्टीपल प्लेट ड्राई डिस्क क्लच दिया गया है.

वीएसटी शक्ति 135 डीआई अल्ट्रा (वीएसटी पावर टिलर) की कीमत तकरीबन 1 लाख से ले कर 1.55 लाख रुपए तक है.

ग्रीव्स काटन जीएस 15 डीआई

यह पावर टिलर 15.4 एचपी (हौर्सपावर) और 2000 आरपीएम रेटेड इंजन के साथ आता?है. इस के अलावा इस में 942 सीसी का शक्तिशाली इंजन और 6 फौरवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स दिए गए हैं.

इस में 15 लिटर डीजल टैंक की क्षमता और इस की ढुलाई की क्षमता 1.5 टन है. ग्रीव्स काटन जीएस 15 डीआई की कीमत तकरीबन 1 लाख से 1.4 लाख रुपए तक है.

मैगा टी 15 डीलक्स

इस टिलर में ट्रैक्टर से जुड़े सभी फायदे हैं. यह सिंगल सिलैंडर और 15 एसपी (हौर्सपावर) के साथ आता है. इस में 2000 आरपीएम रेटेड और 995 सीसी का दमदार इंजन दिया गया है. इस के अलावा इस में 6 फारवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स दिए गए हैं.

इस की अधिकतम स्पीड 14.86 किलोमीटर प्रति घंटे और इस टिलर का कुल वजन 138 किलोग्राम है. यह मल्टी क्लच और 7.5 लिटर डीजल टैंक की क्षमता के साथ आता है.

कामको सुपर डीआई

यह 12 एचपी (हौर्सपावर) और 2000 आरपीएम रेटेड के साथ आता है. इस में 4 स्ट्रोक डीआई डीजल इंजन और सिंगल सिलैंडर दिया गया है. इस के अलावा इस टिलर में 744 सीसी का इंजन और 6 फारवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स दिए गए हैं.

कामको सुपर डीआई की अधिकतम स्पीड 13 किलोमीटर प्रति घंटा और इस टिलर का कुल वजन 502 किलोग्राम है. कामको सुपर डीआई की कीमत लगभग 1.50 लाख से 1.85 लाख रुपए तक है.

ग्रीव्स जीएस 18 डीआईएल

यह 15 एचपी (हौर्सपावर) और 2000 आरपीएम रेटेड के साथ आता है. इस में 4 स्ट्रोक डीआई डीजल इंजन व सिंगल सिलैंडर दिया गया है. इस के अलावा इस टिलर में 996 सीसी का इंजन और 6 फौरवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स दिए गए हैं.

इस में 15 लिटर की डीजल टैंक क्षमता और डबल डिस्क क्लच दिया गया है. इस टिलर का कुल वजन तकरबीन 478 किलोग्राम है.

ग्रीव्स जीएस 18 डीआईएल की कीमत तकरीबन 1.50 लाख से 2.10 लाख रुपए तक है.

केएमडब्ल्यू (किर्लोस्कर)

मैगा टी 12 केएमडब्ल्यू (किर्लोस्कर) मेगा टी 12 लगभग हर तरह से खेती के कामों को पूरा कर सकता है.

केएमडब्ल्यू 12 एचपी (हौर्सपावर) और 1800 आरपीएम रेटेड के साथ आता?है. इस में 995 सीसी का शक्तिशाली इंजन दिया गया है. इस के अलावा यह सिंगल सिलैंडर और 3.5 लिटर की डीजल टैंक क्षमता दी गई है.

इस पावर टिलर में 6 फारवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स और इस की अधिकतम स्पीड 16.33 किलोमीटर प्रति घंटा है. इस टिलर का कुल वजन तकरीबन 138 किलोग्राम है और ड्राई मल्टी डिस्क दिए गए हैं.

केएमडब्ल्यू (किर्लोस्कर) मेगा टी 12 की कीमत लगभग 1.90 लाख रुपए तक है.

कुबोटा पीईएम 140 डीआई

कुबोटा पीईएम 140 डीआई को किसानों के बीच में सब से ज्यादा पसंद किया जाता है. कुबोटा पीईएम 140 डीआई टिलर 13 एचपी (हौर्सपावर) और 2400 आरपीएम रेटेड के साथ आता?है.

इस टिलर में 4 स्ट्रोक डीआई डीजल इंजन व सिंगल सिलैंडर दिया गया है. इस की इंजन क्षमता 709 सीसी और 6 फारवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स दिए गए हैं.

इस के अलावा इस में मल्टी क्लच और ब्लेड की संख्या 20 दी गई?है. इस का रोटरी 80 सैंटीमीटर का है.

कुबोटा पीईएम 140 डीआई की कीमत लगभग 1.70 लाख से 1.90 लाख रुपए तक है.

केएमडब्ल्यू मेगा टी 15

यह 15 एचपी (हौर्सपावर) और 2000 आरपीएम रेटेड के साथ आता है. इस में 4 स्ट्रोक डीआई डीजल इंजन व सिंगल सिलैंडर दिया गया है. इस के अलावा इस में 996 सीसी का दमदार इंजन और बोर स्ट्रोक 105 एमएम 3 115 एमएम दिया गया है.

इस का कुल वजन तकरीबन 138 किलोग्राम है और इंजन औयल टैंक 3.5 लिटर दिया गया है. इस टिलर में 6 फारवर्ड+2 रिवर्स गियर बौक्स भी दिए गए हैं. इस में मल्टी क्लच और ब्लेड की संख्या 22 दी गई है. इस की अधिकतम स्पीड 14.86 किलोमीटर प्रति घंटा है.

सरकार द्वारा दी गई पावर टिलर पर सरकारी सब्सिडी का लाभ केवल लघु और सीमांत किसानों को दिया जाता है. किसान को पावर टिलर खरीदते समय पूरा पैसा लगाना होगा, क्योंकि इस के बाद ही आप सरकारी सब्सिडी का लाभ उठा पाएंगे.

किसान अगर सब्सिडी पर पावर टिलर खरीदना चाहते हैं, तो उसे अपने जिले के  कृषि विभाग की वैबासाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा.

कृषि यंत्रों की कीमतों में उतारचढ़ाव हो सकता है, यहां केवल अनुमानित जानकारी दी गई है. इसलिए कृषि यंत्र खरीदने से पहले उस के मौडल, उस के बारे में अधिक जानकारी और उस समय की कीमत की जानकारी संबंधित कृषि विक्रेता से जरूर लें.

भूजल में नाइट्रेट का बढ़ना: सेहत के लिए खतरा

वर्षा रानी, डा. आरएस सेंगर

देश में 400 से अधिक जिलों के भूजल में घातक रसायन मिलने से पीने के स्वच्छ व शुद्ध जल का गंभीर संकट धीरेधीरे पैदा होने लगा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों खासकर किसानों को जो अंधाधुंध फर्टिलाइजर का अपने खेतों में इस्तेमाल कर रहे हैं, उस पर अंकुश लगाना होगा.

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि कई जिलों के भूजल में जहां पहले से ही फ्लोराइड और सैनिक आयरन व हैवी मैटल निर्धारित मानक से काफी अधिक था, वहीं ज्यादातर जिलों में नाइट्रेट और आयरन की मात्रा बढ़ रही है.

एक तरह से यह मानवजनित अतिक्रमण है. उन राज्यों के भूजल में नाइट्रेट ज्यादा बढ़ रहा है, जहां सघन खेती में फर्टिलाइजर का अंधाधुंध तरीके से इस्तेमाल हो रहा है. हैवी मैटल और अन्य घातक रसायनों के भूजल में होने से पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.

रिपोर्ट में देश के 18 राज्यों के 249 जिलों का भूजल खारा है, वहीं 23 राज्यों के 370 जिलों में सामान्य मानक से अधिक पाया गया है, इसलिए आज जरूरत इस बात की है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब व हरियाणा के ज्यादातर जिले नाइट्रेट की बढ़ती हुई भूजल में मात्रा से प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए सभी को कोशिश करनी चाहिए कि भूजल को सुरक्षित रखने के लिए कम से कम रसायनों का इस्तेमाल करें और जैविक खेती यानी प्राकृतिक खेती को कर के अपने भोजन को प्रदूषित होने से बचाएं, जिस से मानव जीवन आगामी वर्षों में सुरक्षित हो सके.

नाइट्रेट व मत्स्य उत्पादन

जलस्रोतों में बढ़ते हुए नाइट्रेट और फास्फेट स्तर के कारण पोषक तत्त्वों की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है. नतीजतन, नीलहरित शैवाल की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है, जो सुपोषण का एक प्रमुख कारक बन जाती है.

ये शैवाल वृद्धि जलस्रोतों में अरुचिप्रद स्थिति पैदा कर देती है, क्योंकि कुछ नीलहरित शैवाल विषैली होती है. औक्सीजन की कमी होने के कारण अवायवीय स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिस के कारण मछलियों की मौत हो जाती है.

नाइट्रेट का पशुओं पर प्रभाव

सभी रोमंथी पशुओं जैसे गाय, भैंस, बकरी इत्यादि में नाइट्रेट विषाक्तता देखी गई है. जई, बाजरा, मक्का, गेहूं, जौ, सूडान ग्रास और राई घास ऐसे पौधे हैं, जिन में नाइट्रेट की मात्रा अधिक होती है. ये चारे हमेशा ही जहरीले हों, ऐसा नहीं है. कुछ हालात को छोड़ कर ये पशुओं के लिए उत्तम हैं.

यदि चारे को ऐसी भूमि में उगाया जाए, जिस में कार्बनिक और नाइट्रोजन तत्त्व अधिक हों और नाइट्रोजन उर्वरक अधिक मात्रा में प्रयोग किए गए हों या जल्दी में यूरिया जैसे उर्वरक का चारों ओर छिड़काव किया गया हो, तो ऐसे हालात में इन चारों में नाइट्रेट विषाक्तता अधिक हो जाती है.

अनुसंधानों से पता चला है कि गोबर और पेशाब के गड्ढों पर उगने वाली पारा घास में नाइट्रेट विष की मात्रा 4.73 फीसदी तक हो सकती है. जिस चारे में 1.5 फीसदी से अधिक नाइट्रेट (पोटैशियम नाइट्रेट के रूप में) होता है, उस को खाने पर पशुओं में विषाक्तता हो सकती है.

नाइट्रेट विषाक्तता पशुओं में जठर आंत्र शोध पैदा करता है. चारागाह में चरते हुए पशुओं की इस कारण अचानक मौत भी देखी गई है. तेज दर्द, लार का गिरना, कभीकभी पेट फूलना और बहुमूत्रता जैसे लक्षणों के साथ रोग का एकाएक प्रकोप होता है. इस से शीघ्र ही निराशा, कमजोरी व अवसन्नता के लक्षण प्रकट हो जाते हैं. सांस का तेजी से चलना और सांस लेने में तकलीफ होना, तेज नाड़ी, लड़खड़ाना व तापमान का कम हो जाना भी इस रोग के अन्य लक्षण हैं.

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली के वैज्ञानिकों ने पारा घास खाने से बछड़ों में अति तेज नाइट्रेट विषाक्तता और बकरियों में चिरकारी नाइट्रेट विषाक्तता बताया है.

देश के शुष्क क्षेत्रों में अत्यधिक नाइट्रेटयुक्त जल गरमियों के दिनों में प्यासे पशु जब एकसाथ अधिक पानी पी लेते हैं, तो उन में नाइट्रेट विषाक्तता पैदा हो जाती है, जो कभीकभी उन की मौत की वजह भी बन जाती है. कई दुधारू पशुओं में नाइट्रेटयुक्त पानी पीने से दूध में कमी व गर्भपात भी देखे गए हैं.

‘पराली‘ नहीं अलग वजहें है प्रदूषण की

‘पराली‘  किसानों के लिये मुसीबत बनती जा रही है. सरकार ‘पराली’ के प्रयोग को लेकर किसानों का उत्पीड़न करने लगी है. ‘पराली’ की मुसीबत से बचने के लिये किसान अब धान की फसल से दूर रहने की सोचने लगे हैं. अगर पराली ऐसे की किसानों के उत्पीड़न का जरिया बनी रही तो किसान धान की खेती से तौबा कर सकते हैं. तब देश में खाद्यन्न संकट पैदा हो सकता है. अक्टूबर-नवम्बर में प्रदूषण का लेवल पहले से ही बढ़ा हुआ होता है. ‘पराली’ को तो केवल बहाना बनाया जाता है. ‘पराली’ के खिलाफ टीवी चैनलों पर बैठ कर प्रदूषण पर चर्चा करने वाले अधिकांश लोगों को पराली का पता भी नहीं होता है. ‘पराली‘ पूरे देश में होती है. ऐसा क्या कारण है कि यह केवल दिल्ली में ही प्रदूषण का कारण बनती है. अफसरों से तो यह उम्मीद नहीं की जाती कि उनको पराली का कुछ पता होता पर गांव देहात से जीत कर आने वाले मंत्री, सांसद और विधायक जब पराली को प्रदूषण का कारण मानते है तो उनकी जानकारी पर बेहद अफसोस होता है.

अक्टूबर में दीवाली के बाद होने वाले प्रदूषण के लिये पराली को जिम्मेदार मानकर किसानों के खिलाफ अफसरों से लेकर कोर्ट तक गंभीर हो जाता है. प्रदूषण के लिये अगर पराली ही जिम्मेदार होती तो सामान्य दिनों में प्रदूषण अपने अधिकतम लेवल पर क्यों होता? बिना पराली के प्रदूषण का खतरनाक लेवल बताता है कि सामान्य दिनों में प्रदूषण पर ध्यान नहीं दिया जाता है. अक्टूबर-नवम्बर माह में मौसम बदल रहा होता है. ऐसे में वातावरण में अपने हिसाब से बदलाव होने से धुंध छाने लगती है. इसी मौसम में दीवाली के पटाखे और नदियों के किनारे दीपदान का आयोजन भी तेज हो जाता है. बढ़ती आबादी में यह छोटीछोटी घटनायें भी बड़ा असर डालती है.

खुले में रहने लोग सुबह शाम ठंडे मौसम में रहने वाले लोग अपना बचाव करने के लिये आग जलाने लगते हैं. इसके लिये खासतौर पर कूड़े का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही साथ शहरों में शादी-विवाह और होटलों की दावतो में तन्दूर का प्रयोग बढ़ जाता है. अक्टूबर बाद का मौसम अच्छा होने पर तमाम तरह की इमारतों का बनना भी शुरू हो जाता है. शहरों कटते पेड़ और बढ़ती आबादी भी इस प्रदूषण का कारण होती है. अक्टूबर का बदलता मौसम जीवन पर भी भारी पडता है. अधिक सख्या में शहरों के शवदाह स्थलों पर शव के दाह संस्कार में लकड़ी जलाने का काम होता है.

बढ़ती आबादी वाले शहरों में प्रदूषण के इन कारणों पर लोगों का ध्यान नही जाता. हर कोई खेत, किसान और पराली को अपने निशाने पर ले लेता है. देखा जाये तो किसान धान के पूरे पौधे को नहीं जलाता है. एक भी किसान ‘पराली’ को नहीं जलाता है. धान के ‘फाने’ जलाये जाते है. ‘फाने’ मुश्किल से 6 से 10 इंच के धान के पौधे के वह हिस्से होते हैं जो धान काटते समय खेत में रह जाते है. ‘फाने’ भी इसलिए जलाया जाता है क्योंकि जो मशीनें किसानों के पास गांठे बनाने के लिए थी वह काफी कम हैं. किसान ज्यादा दिन इंतजार करे तो अगली फसल की बोआई समय पर नहीं हो पाती है. जिस कारण कुछ किसान ‘फाने’ जला देते हैं.

धान के पूरे पौधे का उपयोग आज भी जानवरों को खाने वाले चारे के रूप में किया जाता है. पंजाब से बड़ी मात्रा में पराली को काट कर जानवरों के चारे के रूप मे डिब्बों में भर कर उन प्रदेशों में भेजा जाता है जहां पर धान कम होता है. यह बात और है कि जानवरों की संख्या घटने से धान के चारे का प्रयोग कम होता जा रहा है. इसके अलावा धान के इन पौधों को काट कर सड़ा का जैविक खाद को बनाने का काम भी कम हो गया है. ऐसे में पराली किसानों के लिये मुसीबत बनती जा रही है. ऐसे में वह इसको जलाने का काम भी करने लगा है. पराली की मुसीबत को कम करने के लिये ऐसे प्रबंध सरकार को करने चाहिये कि किसान पराली न जलाये.

लाइफ पार्टनर में क्या ढूंढते हैं पुरुष

हर पुरुष अपनी होनी वाले जीवनसाथी के अंदर कुछ ऐसे गुण ढूंढता है जो भविष्य में उनके रिश्ते के लिए अच्छे हों. जीवनसाथी अच्छा और समझदार मिले तो जिंदगी बहुत आसानी से गुजारी जा सकती है. अगर उन्हें अपनी जीवनसाथी में कुछ ऐसे गुण मिल जाएं जिनकी उन्हें तलाश हो, तो वह उन्हें हर तरह से खुश रखने की कोशिश करते हैं.

  1. समझदारी

पुरुष अपने जीवनसाथी को लेकर हमेशा सोचते हैं कि वह बहुत समझदार हो. हर छोटी-बड़ी बात को ध्यानपूर्वक सुनने और समझने की क्षमता हो ताकि भविष्य में किसी बात को लेकर परेशानी न हो. अगर वह बातों को समझेगी तो रिश्ते में संतुलन बना रहेगा. अगर आगे भविष्य में कोई समस्या आएगी तो दोनों साथ मिलकर उसका हल निकालने की कोशिश करेंगे.

2. परिवार के हित के बारे में सोचने वाली

हर पुरुष चाहता है कि उसकी जीवनसाथी उसके परिवार के बारे में हमेशा सोचे. परिवार से जुड़े हर इंसान का उतना ही सम्मान करे जितना वह अपने परिवार के लोगों का करती है. कभी किसी को कोई ऐसी बात ना बोले जिससे किसी का दिल दुखे या किसी को बुरा महसूस हो क्योंकि परिवार जीवन का सबसे अहम हिस्सा होता है.

3. मिलनसार हो

पुरुषों को ऐसी साथी चाहिए होती है जो किसी से भी आसानी से बात कर ले. अपने दोस्तों के साथ-साथ उनके दोस्तों से भी बातें करे. वह दूसरों की भावनाओं की कद्र करे. अपने व्यवहार से सबका दिल जीत ले.

4. लक्ष्य पर ध्यान हो

ऐसी महिलाएं जो अपने लक्ष्य को लेकर फोकस होती हैं वह खुद की जिम्मेदारी लेने के काबिल होती हैं. उन्हें भविष्य में किसी के ऊपर आश्रित नहीं होना पड़ता. भविष्य में अपने साथी को भी हर तरह से समर्थन देती हैं. चाहे वह घर से जुड़ी कोई बात हो या अन्य.

औरत की औकात- भाग 2: प्रौपर्टी में फंसे रिश्तों की कहानी

“जी पंडितजी,” उस की सास हां में सिर हिलाते हुए जवाब दिया तो पंडितजी आगे बोले, “समय की बहुत बलवान है आप की बहू. इस के हाथ की रेखाएं बता रही हैं कि इसे अपने पिता की संपत्ति से बहुत बड़ी धनराशि प्राप्त हुई है और उसी धनराशि से आप सब के समय संवरने वाले हैं.”

उस ने पंडित पर एक नजर डाली. पंडितजी बड़े ही ध्यान से उस की हथेली की रेखाओं को देख कर उस का वर्तमान बता रहे थे.

“जी पंडितजी. आप तो ज्ञानी हैं. गांव में इस के पिता की कई एकड़ जमीन बुलेट ट्रेन के प्रोजैक्ट में सरकार ने ले ली है. इस का कोई भाई या बहन तो है नहीं, तो उसी के पैसे से इस के पिता ने इस के नाम 20 लाख रुपए की एफडी कर दी है,” उस की सास ने पंडितजी की बात का जवाब दिया तो उस ने अपनी सास की तरफ देखा. उसे अपनी सास का पंडितजी के सामने इस तरह अपनी निजी बातें शेयर करना पसंद नहीं आया लेकिन वह उन की उम्र का लिहाज कर कुछ भी न बोल पाई.

तभी पंडितजी ने कहा, “यह अपने पिता की इकलौती संतान है, इसी से इस के हाथ की रेखाएं बता रही हैं कि भविष्य में इसे अपने पिता से और भी बड़ी रकम मिलने की उम्मीद है.”

पंडितजी की बात सुन कर उस की सास के चेहरे पर मुसकान तैर गई और वह खुश होते हुए बोली, “यह तो बड़ी अच्छी बात बताई पंडितजी आप ने, लेकिन अब मैं ने जो समस्या आप से कही थी उस का समाधान भी तो बताइए.”

“समाधान तो एक ही है. उन पैसों को मिला कर जो घर आप का बेटा ले रहा है वह आप के बेटे की राशि और ग्रहों को देखते हुए आप के नाम ही होना चाहिए. अगर वह घर आप के बेटे के नाम हुआ तो उसे भविष्य में बहुत ज्यादा ही आर्थिक नुकसान होगा. यह सब साफसाफ मैं आप की बहू के हाथ की लकीरों में देख पा रहा हूं.”

पंडितजी की कही यह बात उस के लिए असहनीय थी. वह नहीं चाहती थी कि घर के निजी मामलों में बाहर का कोई भी इंसान दखलंदाजी करे. उस ने पंडितजी की बात सुन कर एक झटके से अपनी हथेली उन की पकड़ से छुड़ाई और गुस्से से बोली, “यह हमारे घर का निजी मामला है और इस में आप को कोई भी सलाहसूचन करने का कोई अधिकार नहीं है. मैं बिलकुल भी नहीं विश्वास करती हाथ की लकीरों पर.”

अपनी बहू का यह रवैया देख कर सास गुस्से से लाल हो गई और उस ने उसे डांटते हुए कहा, “बहू, माफी मांग पंडितजी से. मेरे कहने पर राकेश ने ही इन को घर आने का निमंत्रण दिया था.”

“मैं माफी चाहती हूं पंडितजी आप से. आप से मुझे कोई शिकायत नहीं है लेकिन मेरे पिता से मिली संपत्ति पर सिर्फ मेरा अधिकार है और उस के बारे में कोई भी फैसला लेने का हक़ सिर्फ मेरा ही है. आप तो क्या, घर के किसी भी सदस्य को इस बारे में बहस करने का कोई अधिकार नहीं है,” उस ने बड़े ही तीखे मिजाज से पंडितजी की तरफ देखते हुए कहा और फिर गुस्से से अंदर रसोई में आ कर वापस अपना काम करने लग गई.

उस की सास को अपनी बहू का इस तरह पंडितजी का अपमान करना और उन्हें पंडितजी की निगाहों में नीचा दिखाना बिलकुल भी पसंद न आया. पंडितजी के सामने तो वह उसे कुछ न बोल पाई लेकिन कुछ देर पंडितजी से बातें कर उन्हें तगड़ी फीस दे कर विदा करने के बाद वह खुद रसोई में आ गई.

“यह तूने ठीक नहीं किया बहू. पैसों की गरमी से अपनी धाक जमाना बंद कर दे, वरना बहुत पछताना पड़ेगा.”

अपनी सास की धमकीभरी आवाज सुन कर उस ने अपनी आंखों से बह रहे आंसुओं को पोंछते हुए जवाब दिया, “अपने हक की बात ही तो कर रही हूं. क्या बुरा कह दिया मैं ने जो नया मकान अपने नाम पर करवाने की बात कह दी तो? पैसा भी तो मेरा ही ज्यादा लग रहा है उसे खरीदने में. राकेश तो केवल 10 लाख ही दे रहे है और वह भी लोन ले कर.”

“हमारे खानदान में जमीनजायदाद पति के जीतेजी औरत के नाम नहीं की जाती है. जिस पैसे की तू बात कर रही है उस पर तेरा पति होने के नाते राकेश का भी बराबर का हक है तो एक तरह से वह पैसा भी राकेश का ही हुआ,” सास ने सख्ताई से जवाब देते हुए उस से कहा.

“यह तो किसी कानून में नहीं लिखा है कि पत्नी की संपत्ति पर पति का हक बिना कोई कानूनी कार्यवाही के होता है. पर फिर भी मैं ऐसा नहीं कह रही हूं कि मेरे पापा के दिए पैसों पर राकेश का कोई हक नहीं है. मैं, बस, नया मकान अपने नाम करवाना चाहती हूं क्योंकि इस में ज्यादा पैसा मेरा लग रहा है. शादी से पहले नौकरी का जो पैसा जमा किया था वह भी तो राकेश ने निकलवा कर नया मकान लेने में डलवा दिया. इस तरह तो मेरे नाम कोई आर्थिक संबल रहेगा ही नहीं,” उस ने अपनी बातों से सास को समझाने का यत्न किया.

उस की बात सुन कर सास ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा, “उस रमा सहाय ने जाने क्या पट्टी पढ़ा दी तुझे जो मुझे कानूनी धौंस देने चली है. तेरी वकील चाहे जो कुछ कहे पर नया मकान तो तेरे नाम न ही होगा बहू.”

“ठीक है, आप अपने मन की कीजिए. मुझे जो ठीक लगेगा मैं वही करूंगी,” उस ने जवाब दिया और ज्यादा बहस में न पड़ते हुए चुपचाप सब्जी काटने लगी.

शाम को राकेश के औफिस से आने तक सासबहू के बीच कोई भी बातचीत न हुई लेकिन उस ने अपनी वकील रमा सहाय से फोन पर बात कर इस मामले में कानूनी सलाह ले कर मन ही मन एक फैसला ले लिया था.

शाम को राकेश के आने पर चायनाश्ता करते हुए नया मकान अपने नाम लेने के मुद्दे पर फिर उन तीनों के बीच बहस शुरू हो गई.

“आखिर तुम्हें मकान मेरे नाम पर लेने में परेशानी क्या है राकेश?” उस ने झुंझलाते हुए चाय का खाली कप टेबल पर रखते हुए राकेश से पूछा.

“बात परेशानी की नहीं है नेहा. आज तक हमारे खानदान में कभी भी पुरुष के रहते औरत के नाम पर जमीनजायदाद नहीं हुई है. यह परंपरा रही है हमारे खानदान की. पति के रहते पत्नी के नाम जमीनजायदाद करना शुभ नहीं माना जाता,” राकेश ने साफ शब्दों में न कहते हुए उसे जवाब दिया.

“शुभअशुभ कुछ नहीं होता राकेश. समय की नजाकत को समझते हुए गलत परंपराएं और जिद छोड़ी जा सकती है राकेश. तुम्हारे और मम्मीजी के कहने पर शादी के बाद मैं ने अपनी जिद छोड़ कर नौकरी छोड़ दी थी न, तो कम से कम अब तुम भी तो थोड़ा झुको,” पिछली बातें याद कर जवाब देते हुए उस की आंखें गीली हो रही थीं.

“बहू, खानदानी परंपरा तोड़ी नहीं जाती. बात अगर जिद छोड़ने की ही है तो झुकना तो तुझे ही चाहिए. पुरुष कभी औरत के आगे नहीं झुकता,” उस की बात सुन कर सास ने अपना मन्तव्य रखा.

 

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