स्वामीजी का चेला अब हर बात के लिए नीचे मंडराने लगा था. रवीना को अब बहुत उकताहट हो रही थी. उस से अब यहां स्वामीजी का रहना किसी भी तरह से बरदाश्त नहीं हो पा रहा था.