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बिग बॉस 16: सुंबुल के पिता ने टीना की मम्मी से मांगी माफी तो लोगों ने कही ये बात

बिग बॉस 16 में इन दिनों लगातार धमाके के धमाके होने शुरू होते गए, कंटेस्टेंट सुंबुल तौसीर खान इन दिनों चर्चा में बनी हुईं हैं. वहीं सुंबुल के पिता ने टीना की क्लास लगाई थी, जिसे लेकर काफी ज्यादा विवाद हुआ था.

टीना दत्ता की क्लास लगाने के बाद से सुंबुल के पिता को जमकर सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया है, जिसके बाद से लोग सुंबुल के पिता ने अब जाकर सोशल मीडिया पर सभी लोगों से मांफी मांगी है. सुंबुल के पिता ने टीना की मां से मांफी हैं.

 

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सुंबुल के पिता ने कहा कि मैं टीना की मां से मांफी मांगना चाहता हूं कि मैं ज्यादा ही बोल गया लेकिन उन्हें अपनी बेटी टीना को समझाना चाहिए, मेरी बेटी के बारे में बातें न करें. और मैं आप सबसे प्रार्थना करना चाहता हूं कि आप लोग सुंबुल की मदद करें.

सुंबुंल के पिता ने कहा कि मेरी बेटी को आप सभी लोग नॉमिनेट होने से बचा लें, हांलांकि अब देखना होगा कि घर से कौन नॉमिनेट होता है. इस हफ्ते एमसी स्टेन, सौदर्या शर्मा , सुंबुल तौसीर खान नॉमिनेट होते थें.

सुंबुल और शालीन के बीच में भी कोल्ड वार होना शुरू हो गया है. दोनों अब एक-दूसरे को देखना पसंद नहीं कर रहे हैं.

विक्रम गोखले की मौत की खबर निकली झूठ, अभी अस्पताल में हैं भर्ती

बॉलीवुड के मशहूर एक्टर विक्रम गोखले की निधन की खबर आई थी कि वह अब इस दुनियां में नहीं रहें,लेकिन उनकी बेटी ने इस खबर को गलत करार दिया है, उन्होंने बताया है कि यह खबर बिल्कुल झूठ हैं. अभी उनके पिता जी अस्पताल में भर्ती हैं.

इससे पहले जैसे ही उनकी मौत की खबर आईं कई दिग्गज सितारे अजय देवगन, रितेशदेशमुख ने अपने ट्विटर पर उनको श्रद्धांजलि  अर्पित कर दी थीं.

बाकी लोगों में शोक की लहर दौड़ गई थी, जिसके बाद से न्यूज एजेंसी ने दोपहर 3 बजें ट्विट करके बताया कि अभी उनकी निधन नहीं हुई है. वह कौमा में हैं. वेंटिलेटर पर उनका इलाज चल रहा है.  वह कुछ पबल के लिए ठीक भी हुए थें, लेकिन वह दोबारा कोमा में चले गए.

अभी उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है, परिवार और रिश्तेदार लगातार उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं, बता दें कि एक्टर विक्रम ने अमिताभ बच्चन की फिल्म परवाना से डेब्यू किया था. उनके 40 साल के कैरियर में उन्होंने कई सारी मराठी और हिंदी फिल्मों में काम किया है.  वह भूल भूलैया औऱ अग्निपथ जैसी फिल्मों में काम किया है. जिसमें उनकी भूमिका को खूब पसंद किया गया था,

भगवन, तेरी कृपा बरसती रहे : भाग 3

पंडितजी अपने पुराने दिनों में डूबते ही जा रहे थे कि पंडिताइन शाम की चाय ले कर आ गईं. पंडितजी उठ कर बैठे और बोले, “भोजन कर लिया था न पंडिताइन, हम ने तो इतना छक कर खाया कि बैठने तक का दम नहीं बचा था. बड़े दिनों बाद इतना स्वादिष्ठ भोजन मिला था, दाल रोटी खाखा कर ऊब गए थे हम.”

“भोजन तो स्वादिष्ठ था ही. हमें तो उन की दी हुई साड़ी बहुत पसंद आई. अगली बार कहीं जाएं तो सूट ले कर आइएगा.”

अपनी नईनवेली दुलहन की फरमाइश सुन कर पंडित जी पहले तो हंसे, फिर मुसकराते बोले, “पंडिताइन, हम किसी से फरमाइश तो नहीं करते पर हां, देवीजी भी अब आधुनिक हो गइ हैं. उन्हें भी अब हर तरह के परिधान चढ़ाना पुण्यदायक होगा. ऐसा कह कर यजमान को देवीजी की मंशा बता देंगे. सो, कुछ लोग चढ़ावे में सूट भी ले ही आएंगे. आप चिंता मत करिए, हमें अपने यजमानों को डील करना बहुत अच्छी तरह आता है.”

पंडितजी अब शाम की पूजापाठ करने सोसाइटी के मंदिर की तरफ चल दिए. रास्ते में पंडितजी सोच रहे थे कि मई, जून, जुलाई के 3 महीने उन्हें बहुत भारी लगते हैं क्योंकि इन दिनों में कोई विशेष पर्व नहीं होता, जिस से उन की दानदक्षिणा पर भी ग्रहण सा लग जाता है, ऊपर से गरमी में लोग घर पर भी कार्यक्रम कम करते हैं. खैर, अब अगस्त से तो त्योहारों का सीजन शुरू हो जाएगा. बस, भगवान अपनी कृपा उन पर यों ही बनाए रखे. मंदिर में नित्यप्रति की पूजा कर के वे कुछ देर मंदिर में ही बैठते थे. सो, आज भी बैठ गए. मन फिर से पुराने दिनों में जा पहुंचा. कालेज की पढ़ाई करने वे खिलचीपुर से उज्जैन आ गए थे. यहां आ कर कुछ ही दिनों में वे समझ गए थे कि देश में सुरसा की तरह पांव पसारे बेरोजगारी की गिरफ्त में आने से बचने के लिए उन्हें या तो जीतोड़ मेहनत कर के आम युवाओं की तरह नौकरी के लिए कोशिशें करनी होंगी या फिर मां की तरह कोई जुगाड़ करना होगा. उज्जैन यों भी बहुत धार्मिक शहर है जहां हर चार कदम पर एक न एक मंदिर अवश्य मिल जाता है. इसी ऊहापोह के बीच वे एक दिन पास के ही मंदिर में जा पहुंचे. और मन ही मन बोले, ‘हे भगवन, अब तू ही रास्ता दिखा.’

यहीं उन की मुलाकात मंदिर के पुजारी समर्थ दास से हुई. जब भी मंदिर में किसी विशेष अवसर पर कोई पूजा होती तो समर्थ दास उन्हें अपनी मदद के लिए बुला लिया करते. और मंदिर में आई दानदक्षिणा व चढ़ावे में से कुछ हिस्सा उन्हें भी दे दिया करते. धीरेधीरे उन्हें यह समझ आ गया कि यही वह व्यवसाय है जहां दोचार मंत्र बोलने और कुछ धार्मिक ज्ञान बघारने से अच्छीखासी कमाई की जा सकती है. और काफी दिनों के समुद्रमंथन के बाद एक दिन उन्होंने अपनी इच्छा गुरु समर्थ दास के समक्ष व्यक्त कर दी. गुरुजी पहले तो मुसकराए, फिर बोले,

‘क्यों करना चाहते हो तुम यह सब?’

“गुरुजी, इस में लेना एक न देना दो, बस, भगवान का दूत ही तो बनना है और कुछ मंत्रों का ज्ञान ही तो प्राप्त करना है. सो, आप के सान्निध्य में प्राप्त कर ही लूंगा. बस, आप तो मुझे अपना चेला बना लो,’ पंडितजी ने कहा तो समर्थ दास जी बोले, ‘ठीक है, आज से तुम हर पूजा में मेरा साथ दिया करो. धीरेधीरे सब सीख जाओगे.’

उन्हें अच्छी तरह याद है, शुरूशुरू में जब एक बार वे पंडित समर्थ दास के साथ एक विवाह करवाने गए तो मंत्र ही भूल गए. वह तो भला हो समर्थ दास का जो उन्होंने तुरंत स्थिति को संभाल लिया. वापस आ कर जब समर्थ दास को उन्होंने मंत्र भूल जाने की अपनी व्यथा बताई तो वे बोले, ‘ऐसा कभी हो जाए तो रुकने की जगह लगातार मंत्र बोलते रहो. यजमान को नहीं पता होता कि हम कौन सा मंत्र बोल रहे हैं.’

धीरेधीरे वे मंत्रों के अभ्यस्त होते गए और एक मंदिर के पुजारी बन गए. यहां पर वे भगवान के दूत होते, लोग उन्हें सिर पर बैठा कर रखते. उन से उम्र में दोगुने, चौगुने बड़े लोग उन की चरण वंदना करते और जम कर दानदक्षिणा देते. इस से उन की जिंदगी आराम से चल रही थी और अब तो पंडिताइन भी आ गई थी, बस, भगवान की कृपा उन पर सदा बरसती रहे. जय प्रभु की.

“पंडितजी, नमस्कार. मुझे अपने बेटे के लिए मंगलदोष की पूजा करवानी है. बताइए, कब करवाएं?”

एक महिला स्वर से पंडितजी कि तंद्रा टूटी और वे मन ही मन भगवन को धन्यवाद देते हुए बोले, “आइएआइए माताजी, देखिए मंगलदोष की पूजा मंगलवार के दिन मंगलनाथ मंदिर में ही करवाना श्रेष्ठ होता है और मंगल परसों ही है. तो, परसों करवा देते हैं.”

“ठीक है, पंडित जी. हम अपने बेटे के साथ आ जाएंगे. पूजा की समस्त सामग्री आप ही ले आइएगा. उस की कीमत हम आप की दक्षिणा के साथ ही आप को दे देंगे,” कह कर वे देवीजी चली गईं.

वे मन ही मन खुश हो गए क्योंकि हर पूजा में सामग्री वे खुद ही लाना चाहते हैं ताकि सामग्री का खालिस पैसा उन्हें मिल जाए क्योंकि एक बार प्रयोग की गई सामग्री को ही वे बड़े आराम से बारबार प्रयोग कर लिया करते हैं और यही उन की असली बचत होती है. सो, खुश होते हुए उन्होंने अपना झोलीझंडा उठाया व मन ही मन ‘भगवन तेरी कृपा यों ही बरसती रहे’ सोचते हुए बाइक स्टार्ट कर के अपने घर की तरफ चल दिए.

भारत भूमि युगे युगे : मुलायम सिंह की तेरहवीं

मुलायम सिंह यादव केवल इसलिए लोकप्रिय नहीं थे कि वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रहे थे बल्कि पिछड़ों में उन की पूछपरख इसलिए भी थी कि उन्होंने समाज को पिछड़ा रखने वाली कुछ कुरीतियों का भी विरोध और बहिष्कार किया था. ब्राह्मण भोज और मृत्यु भोज इन में से एक हैं जिस के दिखावे में लोगों के घर, जमीन और गहने तक बिक जाते हैं. मुलायम की मौत के बाद उन की तेरहवीं उन के वारिस और अब सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने इसीलिए नहीं की. तेरहवीं की आड़ में राजनीति आम है. पिछले साल सितंबर में एक और पूर्व मुख्यमंत्री व राममंदिर के प्रमुख आंदोलनकारी कल्याण सिंह की तेरहवीं में एक लाख से भी ज्यादा लोग जमा किए गए थे.

बिहार में लोजपा के चिराग पासवान ने भी पिता रामविलास की तेरहवीं धूमधाम से की थी बावजूद इस के कि उन के पिता भी कर्मकांडों के विरोधी थे. जिहाद ए गीता 87 के हो चले पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल को न केवल राजनीति बल्कि दीगर विषयों की भी गहरी जानकारी है जिसे ज्ञान की शक्ल में उन्होंने दिल्ली में एक किताब के विमोचन के दौरान यह कहते हुए उड़ेला कि, दरअसल कुरुक्षेत्र में कृष्ण ने जो उपदेश अर्जुन को दिया था वह जिहाद था. शाब्दिक तौर पर धर्मयुद्ध और जिहाद में कोई फर्क नहीं है और यह भी सच है कि अपने ही भाइयों से लड़ने के लिए कृष्ण ने ही तरहतरह के डर दिखा कर अर्जुन को उकसाया था लेकिन हिंदूवादियों ने भड़काने का अपना काम बदस्तूर किया.

महाभारत काल में मुसलमान नहीं थे. यवन शब्द का जिक्र श्रीमदभगवद्गीता में एक बार ही आया है जिस के माने भी अलग हैं. अब सहूलियत के लिए कौरवों को ही मुसलमान माना जाना ठीक होगा कि नहीं, इस पर भी असहमति की संभावनाएं मौजूद हैं कि कौरव मुसलमानों की तरह अछूत हैं या नहीं. इसी बहाने सही, शिवराज पाटिल कुछ वक्त के लिए सुर्खियों में तो रहे. उमा का साइड रोल कभी ‘एक धक्का और दो बाबरी मसजिद तोड़ दो’ का नारा बुलंद करने वाली साध्वी उमा भारती इन दिनों भोपाल में शराब की दुकानें तुड़वाने के लिए उन के बाहर कुरसी डाल कर बैठ जाती हैं तो उन की इस हालत पर तरस भी आता है. लगता ऐसा है मानो कोई नंबर वन अभिनेता काम की कमी के चलते साइड रोल निभाने को मजबूर हो चला है.

शराब के नशे ने कइयों को तबाह कर रखा है लेकिन यह तादाद धर्म के नशे से बरबाद लोगों के मुकाबले कुछ भी नहीं है. उमा ने नया डर यह जताया है कि शराब माफिया उन की हत्या करवा सकता है. इस पर भी हाहाकार नहीं मचा तो वे मीडिया की तरफ से भी निराश हो चली हैं. अब कौन उन्हें सम?ाए कि एकाधदो दुकानों के सामने हल्ला मचाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला.

कुछ करना है तो भट्टियां और कारखाने बंद करवाएं, नहीं तो उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल में ढकेल दिया जाएगा जिसे राजनीति का वृद्धाश्रम कहा जाता है. एक और एक ग्यारह राजद प्रमुख लालू यादव ने पार्टी का नाम और निशान के कौपीराइट बेटे तेजस्वी को क्या सौंपे कि चर्चा चल पड़ी है कि जल्द ही नीतीश की जेडीयू का उस में विलय हो जाएगा और एक नई पार्टी आकार लेगी जिस का नाम जनता परिवार हो सकता है. पहले भी लालू, मुलायम और नीतीश मिल कर यह अधूरा प्रयोग कर चुके हैं लेकिन इस बार वजह भाजपा का डर है कि वह कभी भी इन के गठबंधन के विधायक फोड़ महाराष्ट्र का नजारा दोहरा सकती है, इसलिए दोनों पार्टी मिल कर एक तीसरी पार्टी बना लें तो विधायकों की संख्या 123 हो जाएगी. अनुभवी लालू का यह सोचना अपनी जगह ठीक है कि बड़ी पार्टी में फूट डालना आसान नहीं होगा और ऐसी स्थिति में कई छोटेमोटे दल भी जनता परिवार का आधार कार्ड बनवा सकते हैं.

तेरे सुर और मेरे गीत-भाग 3: श्रुति और वैजयंति का क्या रिश्ता था

वैजंती माजरा कुछ समझ पाती कि उस से पहले हेमा जी की आवाज से वह चौंक पड़ी. “आखिर क्या खराबी है वैजंती में, बोल न? पढ़ीलिखी, सुंदर, संस्कारी लड़की है, तो और क्या चाहिए तुम्हें?” उस पर अर्जुन ने कहा कि उसे नहीं चाहिए सुंदर, संस्कारी लड़की, क्योंकि वह किसी और से प्यार करता है और उस से शादी करने का वादा कर चुका है. इसलिए उसे वैजंती से तलाक चाहिए जल्द. सुन कर वैजंती सन्न रह गई थी. उस की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे. यह सोच कर कि फिर क्यों उस ने उस से शादी की, मना कर देते. लेकिन यहां अर्जुन ने इसलिए वैजंती से शादी की क्योंकि हेमा ने उसे वार्निंग दी थी कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह जान दे देगी और मजबूरन अर्जुन को वैजंती से शादी करनी पड़ी थी. लेकिन अब उसे किसी की परवा नहीं. जिसे मरना है, मरे. उसे तो वैजंती से तलाक चाहिए था. हेमा जी ने बेटे के सामने हाथ जोड़े, पैर पड़े. पर वह नहीं माना, कहने लगा, अगर उस की बात नहीं मानी गई तो वह आत्महत्या कर लेगा. कौन माँबाप चाहेगा कि उन का बेटा मर जाए. शादी के 3 महीने भी पूरे नहीं हुए और अर्जुन व वैजंती का तलाक हो गया.

“आज मुझे एहसास होता है कि वह मेरी गलती थी. मुझे उस के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी,” अपने आंसू पोंछती हुई हेमा जी कहने लगीं, “दुख मुझे इस बात का है कि हमेशा हंसनेमुसकराने और खुशमिजाज लड़की को मैं ने उदासी में धकेल दिया. दुख इस बात का भी है कि एक पराई लड़की की खातिर मेरे बेटे ने अपने मांबाप के प्यार को, उन के त्याग को भुला दिया. खैर, जो भी हुआ, बुरा हुआ. लेकिन अब मुझे ही सब ठीक करना था. इसलिए हम ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए प्रोसाहित किया और आज वह अच्छी सरकारी जौब में है. अर्जुन बेटा है हमारा, उस का बुरा नहीं चाहेंगे कभी. लेकिन अब हमारा उस से कोई रिश्ता नहीं रहा. अब वैजंती ही हमारी संतान है,” बोल कर हेमा जी ने एक गहरी सांस ली.

“लेकिन दीदी, अभी तो वैजंती की उम्र भी ज्यादा नहीं है. मात्र 27 की है वह, तो क्यों नहीं आप इस की दूसरी शादी करवा देती हैं. कल को जब आप दोनों नहीं रहेंगे तब?” मेरी बात पर वे बीच में ही बोल पड़ीं कि चाहा उन्होंने, पर वैजंती शादी के लिए मना करती है, कहती है, उस का शादी पर से विश्वास उठ गया. कल तक वैजंती के लिए जो मेरी फीलिंग थी, आज बदल चुकी थी. बेचारी, एक तो उस के मांबाप नहीं रहे. मामामामी ने भी दुत्कार दिया. पति ने भी नहीं अपनाया. लेकिन इस बात की उसे खुशी थी कि हेमा जी और उन के पति उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करते हैं.

“दीदी, प्रणाम, कैसी हो तुम और जीजा जी कैसे हैं?” मेरी मालती दीदी का फोन आया तो मैं खुशी से झूम उठी और बताने लगी कि शेखर का तबादला दिल्ली हो गया. तो वे बोलीं कि हां,, पता है उन्हें. पर उन्होंने एक खुशखबरी देने के लिए फोन किया है.

“कैसी खुशखबरी, दीदी?”

वे बोली कि वेदांत, मेरा भांजा, की नौकरी लग गई है. “क्या बात कर रही हो, दीदी. वेदांत की नौकरी लग गई एक बड़ी कंपनी में, बहुत बधाई हो आप को दीदी,” मैं ने दीदी को बधाई देते हुए पूछा कि कहां लगी है नौकरी तो वे बोलीं कि दिल्ली में ही. दीदी कहने लगीं कि मैं वेदांत के लिए यहां कोई अच्छा सा घर देखूं. यह सुन कर मुझे गुस्सा आ गया कि अब मेरे यहां रहते मेरा भांजा कहीं और घर ले कर रहेगा. लेकिन दीदी कहने लगीं कि मैं बेकार में क्यों परेशान होऊंगी. “इस में परेशानी कैसी, दीदी. वेदांत मेरा बच्चा नहीं है क्या ?” उस पर दीदी ने हंसते हुए कहा कि वह अपनी मां का कम, मौसी का ज्यादा लाड़ला है. “हां, तो फिर क्यों आप परायों जैसी बातें कर रही हो?” मैं ने मुंह बनाते हुए कहा तो दीदी हंसती हुई बोलीं कि ठीक है भई, जो तुझे ठीक लगे. वेदांत मेरा भांजा नहीं, मेरा बेटा है. याद है अपनी मां से ज्यादा वह मेरे पास ही सटा रहता था. यहां तक कि सोता भी वह मेरा साथ ही था. वेदांत को मसालाभिंडी और छोले बहुत पसंद हैं, इसलिए बाजार से जा कर मैं ताजी भिंडी ले आई. आज मैं ने उस की पसंद की सारी चीजें बनाई थीं. आते ही वह ‘मेरी प्यारी मौसी’ बोल कर मेरे गले से लटक गया और मैं ने उसे प्यार से सहलाते हुए पूछा, ”कैसा है मेरा बच्चा?”

 

अंधविश्वास से आत्मविश्वास तक : रवीना पति से क्यों परेशान थी

मैं 42 वर्षीय आदमी हूं मेरा तोंद अंदर नहीं जा रहा है क्या करूं ?

सवाल 

मैं 42 वर्षीय हूं. मेरी समस्या यह है कि मैं मोटा हूं और मेरी तोंद निकली हुई है. बहुत कोशिश कर ली लेकिन तोंद अंदर नहीं जाती. बस, 19-20 फर्क नजर आता है. मैं ने कौर्बोक्सीथेरैपी के बारे में सुना है. क्या वाकई यह पेट कम करने में कारगर है?

जवाब

कौर्बोक्सीथेरैपी वजन कम करने की एक बहुत प्रभावी व नवीन तकनीक कही जा सकती है. लेकिन इस प्रभावी तकनीक को और सुधार कर अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है ताकि इस का असर लंबे समय तक रहे क्योंकि शोध में सामने आया है कि इस प्रक्रिया से पेट कम तो हुआ लेकिन लंबे समय तक बना रहा.

कौर्बोक्सीथेरैपी स्ट्रैचमार्क्स, आंखों के नीचे काले घेरों और वजन के लिए है. इसे पलकों, गरदन, चेहरे, बांहों, पेट और टांगों पर इलाज के लिए अपनाई जा सकती है. इस के तहत शरीर में इंजैक्शन के माध्यम से कार्बनडाइऔक्साइड (जो शरीर में आमतौर पर भी बनती है) पहुंचाई जाती है. यह 15 से 30 मिनट में हो जाने वाली प्रक्रिया है. इस के तुरंत बाद मरीज अपने दैनिक काम कर सकता है. वजन कम करने के लिए इस प्रक्रिया को फिलहाल अच्छा माना जा रहा है. लेकिन कुछ भी करने से पहले डाक्टरी परामर्श जरूर लें.

प्रियंका चोपड़ा ने पहली बार शेयर की बेटी की फोटो, फैंस ने कहा- सबसे प्यारी

बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं, आए दिन नए- नए पोस्ट शेयर करती रहती हैं, प्रियंका चोपड़ा अपनी तस्वीर के साथ- साथ अपनी बेटी की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं.

हाल ही में प्रियंका ने अपनी बेटी की पहली झलक इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं, जिसमें प्रियंका की बेटी काफी ज्यादा खूबसूरत लग रही है. फैंस लंबे समय उनकी बेटी की तस्वीर देखने का इंतजार कर रहे थें.

 

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प्रियंका ने इससे पहले भी अपनी बेटी की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर तो किया है लेकिन कभी फेस नहीं दिखाया था, हांलाकि इस बार उन्होंने फेस रिवील कर दिया है, जिसे देखने के बाद से लोग लगातार कमेंट कर रहे हैं.

बता दें कि एक्ट्रेस ने मालती मैरी जोनस का पूरा चेहरा नहीं दिखाया है, उन्होंने कुछ फेस टोपी से ढंका हुआ है. तस्वीर में मालती का चेहरा आधा ढका हुआ है जिसमें उसके क्यूट से गाल और होठ दिखाई दे रहा है.

मालती मैरी जोनस की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, मालती एक क्यूट सी बेबी गर्ल है, जिसे देखने का इंतजार फैंस को खूब था. बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने साल 2018 में निक जोनस से शादी की थी,और अब उनकी एक प्यारी सी बच्ची है.

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