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यारी से रिश्तेदारी : तन्मय की चाहत

विंटर स्पेशल : शाम के नाश्ते में बच्चों के लिए बनाएं ये 5 मजेदार Snacks

शाम के समय अक्सर बच्चे कुछ अलग खाने का डिमांड करते हैं, ऐसे में आप अपने बच्चों के लिए इस तरह के स्नैक्स बना सकती हैं, जो आपके बच्चों को खूब पसंद आएगा.

  1. चीजी पोटैटो वैजेज

सामग्री

– 4 आलू – 1 कप कसा हुआ मोजरेला चीज – 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर – 1 छोटा चम्मच सूखी पुदीनापत्ती – 1 छोटा चम्मच ओरिगैनो हर्ब – तलने के पर्याप्त तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को अच्छी तरह धो कर छिलके सहित लंबी पतली फांकों में काट लें. फांकों को धीमी आंच पर डीप फ्राई कर लें, गुलाबी होने पर निकाल लें. इन पर नमक व 1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च बुरक दें. मोजरेला चीज डाल कर आलुओं को 1 मिनट तक माइक्रोवेव करें. चीज पिघलने पर माइक्रोवेव से निकाल कर बची कालीमिर्च, पुदीनापत्ती व ओरिगैनो हर्ब डाल कर परोसें.

2. काजू पोटली

सामग्री खोल के लिए

– 200 ग्राम मैदा – 50 एमएल रिफाइंड तेल – नमक स्वादानुसार.

भरावन की सामग्री

– 1 कप काजू टुकड़ा – 1 बड़ा चम्मच किशमिश – 4-5 उबले आलू – 1 छोटा चम्मच बारीक कटा अदरक – 1 छोटा चम्मच कटी हरीमिर्च – 1/2 कप धनियापत्ती कटी – 1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला – 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर – तलने के लिए रिफाइंड तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

खोल की सामग्री को अच्छी तरह मिला लें और फिर आवश्यकतानुसार थोड़ाथोड़ा पानी मिलाते हुए कड़ा गूंध लें. तैयार मिश्रण को गीले कपड़े से ढक कर रख दें. फिर आलुओं को छील कर मैश कर लें. भरावन की शेष सामग्री मिला लें. गुंधे मैदे को मुलायम व लचीला होने तक थोड़ा और मसलें. फिर लोइयां बना लें. प्रत्येक लोई को पूरी की तरह बेल लें. पूरियों में 1-1 चम्मच भरावन सामग्री रख कर किनारों को समेटते हुए पोटली का आकार दें. कड़ाही में तेल गरम कर के धीमी आंच पर सुनहरी होने तक पोटलियां तल लें.

3. बनाना कोको आइसक्रीम

सामग्री

– 1 लिटर गाढ़ा दूध – 2 केले – 1 छोटा चम्मच कोको पाउडर – 1 बड़ा चम्मच कद्दूकस की हुई चौकलेट – 2 बड़े चम्मच चीनी – कटे बादाम व पिस्ता जरूरतानुसार.

विधि

केलों को छील कर बड़ेबड़े टुकड़ों में काट लें. फिर मिक्सी में केले के टुकड़े व चीनी डाल कर फेंटें. अब इस में दूध, कोको पाउडर व चौकलेट मिला कर थोड़ा और फेंटें. तैयार मिश्रण को ट्रे में डाल कर जमने के लिए फ्रीजर में रख दें. जम जाने पर बादाम व पिस्ता डाल कर सर्व करें.

4. चुकंदर अप्पे

सामग्री

– 1 कप सूजी – 1/2 कप दही – 1 बड़ा चम्मच चुकंदर उबाल कर मैश किया – 1 छोटा चम्मच उरद की दाल – 1 छोटा चम्मच चने की दाल – 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर – 1 छोटा चम्मच राई – 1 छोटा चम्मच फ्रूट साल्ट – 1 छोटा चम्मच तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

सूजी, दही व मैश किए चुकंदर को अच्छी तरह मिलाएं. आवश्यकतानुसार पानी मिला कर गाढ़ा घोल बनाएं. पैन में तेल गरम करें राई, उरद व चने की दाल को भून कर घोल में मिला लें. नमक व लालमिर्च भी घोल में मिला लें. अच्छी तरह फेंट कर फ्रूट साल्ट मिलाएं. तैयार मिश्रण को गरम अप्पम मेकर में पका कर कोकोनट चटनी के साथ परोसें.

5. कोकोनट राइस डोनट

सामग्री

– 1 कप उबले चावल – 1 छोटा चम्मच राई – 1/4 छोटा चम्मच हलदी – 1/2 छोटा चम्मच कुटी लालमिर्च – 1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला – 1/2 कप कोकोनट पाउडर – 4-5 करीपत्ते – 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

कड़ाही में तेल गरम कर राई व करीपत्तों का छौंक लगाएं. फिर चावल, नमक व सभी मसाले मिला कर अच्छी तरह भूनें. फिर आंच से उतार लें. ठंडा होने पर मिक्सी में दरदरा पीस लें. डोनट के सिलिकौन के सांचों में चिकनाई लगा कर तैयार मिश्रण भरें. अब 180 डिग्री सैल्सियस पर पहले से गरम ओवन में इसे 6 मिनट तक माइक्रोवेव करें. तैयार होने के बाद सांचों से निकाल कर गरमगरम डोनट कोकोनट चटनी व टोमैटो सौस के साथ सर्व करें.

गाजर की उन्नत खेती

डा. एसपी सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक (उद्यान) व शैलेंद्र सिंह, वैज्ञानिक (पादप रक्षा)

गाजर की उन्नत खेती गाजर एक अत्यंत ही पौष्टिक एवं महत्त्वपूर्ण सलाद वाली सब्जी है. इस का उपयोग सलाद, सब्जी, हलवा, मुरब्बा, जूस और रायता के रूप में किया जाता है. आमतौर पर गाजर की जड़ों का रंग नारंगी, लाल, काला व पीला होता है, जो कि क्रमश: विटामिन ए, लाइकोपिन एंथोसाइएनिन एवं जैन्थोफिलयंतो तत्त्वों का प्रमुख स्रोत है. इस के प्रयोग से भूख बढ़ती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है और गुरदे की बीमारी में लाभप्रद होता है.

जलवायु : गाजर ठंडी जलवायु की फसल है. इस की जड़ों का रंग और बढ़वार तापमान द्वारा प्रभावित होती है. इस के लिए 10 डिगरी सैल्सियस तापमान अच्छा पाया गया है. अधिक तापमान पर जड़ें छोटी और कम तापमान पर जड़ें लंबी और पतली हो जाती हैं. भूमि एवं भूमि की तैयारी : गाजर की खेती दोमट या बलुई दोमट, जिस में जीवांश की पर्याप्त मात्रा हो एवं जल निकास का उचित साधन हो, भूमि में कड़ी परत न हो, इस की खेती के लिए सब से उपयुक्त समझी जाती है. खेत की 3-4 जुताई कर के मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए.

उन्नतशील किस्में लाल रंग की किस्में : पूसा वृष्टि, काशी अरुण, पूसा रुधिका. नारंगी रंग की किस्में : पूसा नयन ज्योति, पूसा यमदग्नि, कुरोडा, नैन्टीज. काले रंग की किस्में : पूसा आसिता, पूसा कृष्णा. खाद एवं उर्वरक : 8 से 10 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर की दर से बोने से 3 हफ्ते पहले डाल कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें, तो बोआई के पहले अंतिम जुताई के समय 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 किलोग्राम फास्फोरस व 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें. बोआई के 30 दिन बाद 30 किलोग्राम नाइट्रोजन को टौप ड्रैसिंग रूप में दें. बोआई का समय : गाजर की बोआई आमतौर पर अगस्त से अक्तूबर महीने तक की जाती है.

बीज की बोआई एवं दूरी : बोआई के समय खेत में ठीकठाक नमी होनी चाहिए. इस के लिए बोआई से पूर्व खेत का पलेवा कर के ओट आने पर खेत की जुताई करें. इस की बोआई 30-40 सैंटीमीटर की दूरी पर बनी मेंड़ों पर करें. मेंड़ों पर 1 से 2 सैंटीमीटर गहराई पर लाइन बना कर बोआई करें और मिट्टी से ढक दें. जब बीज का अंकुरण हो जाए, तो पौधों को 6-7 सैंटीमीटर की दूरी बनाते हुए घने पौधों को निकाल दें. इस प्रकार एक हेक्टेयर के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है.

सिंचाई : बोआई के समय भूमि में नमी की कमी हो, तो बोने के तुरंत बाद हलकी सिंचाई करें, परंतु बोआई के समय भूमि में जमाव के लिए पर्याप्त नमी होनी चाहिए. पहली सिंचाई बीज उगाने के बाद करनी चाहिए. गरम मौसम में सप्ताह में एक बार और सर्दियों में 10-12 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि खेत सूखने और सख्त न होने पाए, नहीं तो जड़ों का समुचित विकास नहीं हो पाता है. साथ ही, जड़ फटने की संभावना बनी रहती है.

खुदाई : जड़ों का जब पूरी तरह से विकास हो जाए, तो उन की खुदाई कर लेनी चाहिए. सुगमतापूर्वक खुदाई के लिए खेत में हलकी सिंचाई कर दें और पत्तियों को काट दें. खुदाई कुदाल या फावड़े से करें. खुदाई करने के बाद जड़ों को पानी से अच्छी तरह धो लें. बहुत बारीक जड़ों को अलग कर लें और ग्रेडिंग के बाद बाजार में भेजें.

पैदावार : आमतौर पर गाजर की फसल 80 से 95 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. इस की औसत पैदावार 250 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.

कीट एवं रोग नियंत्रण माहू : यह कीट पत्तियों की निचली सतह, पौधों की शाखाओं और फूलों पर चिपके रहते हैं. शिशु एवं वयस्क दोनों ही हानि पहुंचाते हैं और पत्तियों एवं फूलों का रस चूस कर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिस से फसल की बढ़वार रुक जाती है और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. इस कीट का प्रकोप फरवरी व अप्रैल महीने में अधिक होता है. इस के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 0.3 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव करें.

पाउडरी मिल्ड्यू : इस रोग में पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर जगहजगह बन जाता है. इस के नियंत्रण के लिए 2.5 किलोग्राम घुलनशील गंधक को 600 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.  गाजर की खेती कृषि यंत्रों का प्रयोग गाजर बीज की बोआई बिजाई यंत्र से करें गाजर की बिजाई मजदूरों के अलावा मशीन से भी कर सकते हैं. इस के लिए तमाम कृषि यंत्र बाजार में मौजूद हैं. हरियाणा के अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के मालिक महावीर प्रसाद जांगड़ा ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम मशीनें बनाई हैं, जिन में गाजर बोने के लिए गाजर बिजाई की मशीन भी शामिल है.

गाजर बिजाई की मशीन यह मल्टीक्रौप बिजाई मशीन है, जो बोआई के साथसाथ मेंड़ भी बनाती है. इस मशीन से गाजर के अलावा मूली, पालक, धनिया, हरा प्याज, मूंग, अरहर, जीरा, गेहूं, लोबिया, भिंडी, मटर, मक्का, चना, कपास, टिंडा, तुरई, सोयाबीन, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, सरसों, राई और शलगम जैसी तमाम फसलें बोई जा सकती हैं. पूसा गाजर प्लांटर गाजर बीज बोने वाले इस यंत्र को 35 हौर्सपावर ट्रैक्टर के साथ चलाया जाता है और इस के द्वारा एक घंटे में 5 हेक्टेयर खेत में गाजर बीज बोया जा सकता है. 8 लाइन में बोआई करने के लिए यह गाजर प्लांटर एकसमान गहराई पर बीज डालता है. साथ ही, पानी की भी बचत करता है.

यंत्र कृषि यांत्रिकी विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली द्वारा बनाया गया है. मशीन से धोएं गाजर खेत से निकालने के बाद गाजरों की धुलाई का काम भी काफी मशक्कत वाला होता है, जिस के लिए मजदूरों के साथसाथ ज्यादा पानी की जरूरत भी होती है. जिन किसानों के खेत किसी नहरपोखर वगैरह के किनारे होते हैं, उन्हें गाजर की धुलाई में आसानी हो जाती है. इस के लिए वे लोग नहर के किनारे मोटर पंप के जरीए पानी उठा कर गाजरों की धुलाई कर लेते हैं, लेकिन सभी को यह फायदा नहीं मिल पाता. महावीर जांगड़ा ने जड़ वाली सब्जियों की धुलाई करने के लिए भी मशीन बनाई है. इस धुलाई मशीन से गाजर, अदरक व हलदी जैसी फसलों की धुलाई आसानी से की जाती है. इस मशीन से कम पानी में ज्यादा गाजरों की धुलाई की जा सकती है. इस मशीन को ट्रैक्टर से जोड़ कर आसानी से इधरउधर ले जाया जा सकता है. अधिक जानकारी के लिए आप महावीर जांगड़ा के मोबाइल नंबर 9896822103 पर बात कर सकते हैं.

विंटर स्पेशल : ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों में असरदार है कलौंजी

हमारे घर की रसोइयों में कई तरह के मसाले पाए जाते हैं. इनका प्रयोग केवल स्वाद के लिए नहीं होता, बल्कि इसके अपने स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. इनमें से ही एक मसाला है कलौंजी. छोटे काले बीज वाला ये मसाला स्वास्थ के लिए बेहद लाभकारी होता है. इसका इस्तेमाल ग्रेवी और दाल के लिए भी होता है. इसकी अनोखी खुशबू खाने को और भी अधिक स्वादिष्ट बना देती है.

आपको बता दें कि कलौंजी पोटैशियम, प्रोटीन, फाइबर, जरूरी विटामिन, वसा और अमीनो एसिड और एंटीऔक्सिडेंट जैसे कई जरूरी तत्वों से भरा हुआ है. ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों में भी ये बेहद असरदार होता है. इन बीमारियों में खास कर के कलौंजी का तेल बेहद असरदार होता है.

इस खबर में हम आपको कलौंजी से होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में बताएंगे.

सूजन को कम करता है

शरीर में शुगर लेवल के बढ़ने से सूजन होता है. यही कारण है कि डायबिटीज के मरीजों से शरीर में सूजन रहती है. स्टडी से पता चला है कि अपनी रोज की डाइट में कलौंजी तेल या कलौंजी को शामिल करने से शरीर में सूजन और औक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता हैं. कलौंजी या काले बीज पोटेशियम से भरे हुए होते हैं. इसकी वजह से डायबिटीज रोगियों को अद्भुत फायदे मिल सकते हैं. इसके अलावा, यह आयरन और इम्युनिटी बढ़ाने वाले विटामिन सी में भी काफी रीच है जो डायबिटीज रोगियों के सेहत की सुधार के लिए जरुरी हैं. इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपने डेली डाइट में काले बीज, या इसके तेल को शामिल करके इसका फायदा लेना चाहिए.

ब्लड शुगर को करता है कंट्रोल

एक रिसर्च में ये बात स्पष्ट हुई है कि कलौंजी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में बेहद लाभकारी होता है. शोध की माने तो कलौंजी या इसके तेल का इस्तेमाल कर डायबिटीज पर कंट्रोल किया जा सकता है.

कंट्रोल में रहता है कोलेस्ट्रोल लेवल

डायबिटीज से हार्ट अटैक का खतरा अधिक हो जाता है. कलौंजी में ऐसे बहुत से गुण होते हैं जो डायबिटीज से सेहत को होने वाले नुकसान को कम करते हैं. काले बीजों में कोई कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है. स्टडी के मुताबिक, अपने डेली डाइट में कलौंजी को शामिल करने से खून में एलडीएल  LDL और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल में कमी आ सकती है.

Bigg Boss 16 : कैप्टन बनना चाहती हैं टीना दत्ता, शिव ठाकरे ने पलटा गेम

सलमान खान के धमाकेदार रियलिटी शो बिग बॉस 16 को लोग खूब पसंद कर रहे हैं, बिग बॉस के घर में इन दिनों शिव ठाकरे का राज है, यानि शिव ठाकरे बिग बॉस के घर के राजा है. उनकी कप्तनी की घरवाले जमकर तारीफ कर रहे हैं.

वहीं अर्चना गौतम को भी शिव की कप्तानी पसंद आई है, लेकिन जल्द ही इस घर का कोई दूसरा कैप्टन बनने वाला है. इस रेस में सबसे आगे टीना दत्ता और निमृत कौर है, इन दोनों में से एक कोई भी कैप्टन बन सकता है.

 

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लेकिन लोगों को लग रहा है कि इस बार टीना दत्ता घर की कैप्टन बनेंगी. वहीं टीना भी यही चाहती हैं कि वह एक दफा कैप्टन बनें. तो वहीं टीना ने भी बिग बॉस से कहा है कि बिग बॉस उन्हें एक बार मौका दें.

शुरुआती दिनों में शिव ठाकरे से लेकर एमसी स्टेन सब चाहते थें कि टीना दत्ता कैप्टन बनें, हाल ही के एक एपिसोड में टीना दत्ता को लेकर निमृत कौर ने बयान दिया था और कहा था कि टीना को तो सिर्फ कप्तानी चाहिए.

वहीं दूसरी तरफ टीना दत्ता को देखा जाए तो वह कैप्टन बनने के लिए काफी ज्यादा बेताब हैं. उन्होंने सभी घरवालों से कहा है कि उन्हें बर्थडे गिफ्ट कप्तानी दें. अब आने वाले एपिसोड में यह देखना होगा कि घर का नया कैप्टन कौन बनेगा.

jhalak dhikhla ja 10 : गुंजन -तेजस बने शो के विजेता, 20 लाख रुपय का मिला इनाम

टीवी का डांसिंग रियलिटी शो झलक दिखला जा 10 इन दिनों लगातार चर्चा में बना हुआ है, हाल ही में शो की जज नोरा फतेही को लेकर लगातार खबर आ रही है, बताया गया है कि एक्ट्रेस शो के दौरान खूब रोने लगीं.

अब इस शो से जुड़ा एक ऐसा अपडेट सामने आया है जिसे फैंस का काफी लंबे समय से इंतजार था, दरअसल , इस शो के विनर का नाम सामने आय़ा है, लेकिन जो नाम सामने आया है उसे जानने के बाद से फैंस एक बार फिर से हैरान हो गए हैं,

 

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बता दें कि इस शो का हिस्सा निया शर्मा केअलावा औऱभीकई सारे दिग्गज कलाकार रह चुके हैं, रुबीना दिलैक और फैजल शेख भी इस शो में नजर आ चुकें हैं, लेकिन सबसे खास बात यह हैकि जिन दो लोगोॆ ने इस ट्रॉफी को अपने नाम किया है उन दोनों की उम्र सिर्फ 8 और 12 साल है. गुंजन सिन्हा और तेजस वर्मा ने शो जीत लिया है.

गुंजन सिन्हा और तेजस वर्मा ने शो को जीता है. गुंजन और तेजस शो को जीत लिया है, दोनों को 20 लाख रूपय की ट्रॉफी मिली है. गुंजन वर्मा और तेजस के परिवार वाले खूब खुश हैं इस जीत से,लगातार उन्हें बधाइयां मिल रही हैं.

11वीं क्लास के छात्र ने बनाया ‘मोटोराइज्ड सोलर ट्रैकर’, बिजली आपूर्ति में हो सकता है फायदा

भारत में हर साल 28 फरवरी को ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ मनाया जाता है, क्योंकि 1928 में इसी दिन महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन ने अपनी खोज ‘रमन इफैक्ट’ की घोषणा की थी. वे पहले भारतीय थे, जिन्हें विज्ञान के क्षेत्र में ‘नोबल पुरस्कार’ मिला था. उन्हें साल 1954 में ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था.

भले ही चंद्रशेखर रमन को 42 साल की उम्र में ‘नोबल पुरस्कार’ मिला था, पर विज्ञान के प्रति उन की दिलचस्पी स्कूली जीवन में ही पड़ गई थी. शायद इसलिए कि विज्ञान की नई तकनीकों को समझाने के लिए थ्योरी के साथसाथ प्रैक्टिकल तरीके से भी पढ़ाया जाता है और छात्रों से प्रोजैक्ट्स बनवाए जाते हैं, ताकि नएनए आविष्कार होने की उम्मीद बंधी रहे.

दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में 11वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र अर्णव गुप्ता ने अपने एक ऐसे ही प्रोजैक्ट के तहत ऐसा ‘मोटोराइज्ड सोलर ट्रैकर’ बनाया है, जो बिजली पैदा करने के लिए सूर्य की ऊर्जा का इस्तेमाल कर के सौर पैनल की दक्षता को बढ़ाएगा.

दरअसल, ज्यादातर सोलर पैनल जब इंस्टौल किए जाते हैं तो उन्हें दक्षिण दिशा की ओर एक खास अवस्था में फिक्स कर दिया जाता है, लेकिन यह तरीका बहुत असरदार नहीं है, क्योंकि सूर्य की दिशा और दशा पूरे दिन बदलती रहती है, लेकिन इस ‘मोटराइज्ड सोलर ट्रैकर’ की खासीयत यह है कि यह पूरे दिन सौर पैनल को घुमाएगा और पूर्व से पश्चिम की ओर सूर्य की गति को ट्रैक करेगा, जिस से यह पहले से कहीं ज्यादा ऊर्जा का प्रोडक्शन करेगा.

आसान भाषा में समझें तो यह ‘मोटराइज्ड सोलर ट्रैकर’ एक जबरदस्त सन (सूर्य) लोकेशन सैंसर है जो डीसी मोटर को घुमाता है, जो बदले में सोलर पैनल को घुमाता है, ताकि पैनल का मुंह पूरे दिन सूर्य की ओर रहे और ज्यादा से ज्यादा बिजली का प्रोडक्शन हो.

इस तकनीकी से दूरदराज के गांवों और कसबों में बिजली की सप्लाई हो सकेगी. इतना ही नहीं, इस सौर ऊर्जा का इस्तेमाल हमारे घरों, दफ्तरों और स्कूलों में भी किया जा सकेगा.

भविष्य में नतीजा कुछ भी निकले, पर छात्रों को इस तरह के प्रोजैक्टों पर काम करते रहना चाहिए, क्योंकि ये उन का आत्मविश्वास बढ़ाते हैं. छात्र जब अपने हाथों से मौडल बनाते हैं और प्रदर्शनियों में प्रस्तुतियां देते हैं, तो सार्वजनिक तौर पर बोलने से उन का मंच का डर भी दूर हो जाता है.

यही वजह है कि आजकल स्कूलों में इस तरह की गतिविधियों को बहुत ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार भी समयसमय पर छात्रों के लिए विज्ञान से जुड़ी प्रतियोगिताएं आयोजित कराती रहती है. प्राइवेट स्कूलों के साथसाथ सरकारी स्कूल भी विज्ञान से जुड़े प्रोजैक्ट और सैमिनार कराने में पीछे नहीं हैं.

इसी का सुखद नतीजा है कि साल 2017 में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय डांगीगुनाऊं के एक छात्र रोहित रौतेला ने विज्ञान प्रतियोगिता में ब्लौक और जिला लैवल पर पहला नंबर हासिल किया था. रोहित ने ‘अपशिष्ट प्रबंधन और जलाशयों का संरक्षण’ नामक सब्जैक्ट पर अपना प्रोजैक्ट तैयार किया था.

इस के अलावा अगर मांबाप खुद जागरूक हो कर अपने बच्चों को विज्ञान से जुड़ी ऐसी गतिविधियों के बारे में बताएंगे और उन्हें इन में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो यकीनन नएनए आविष्कारों की राह निकलेगी.

विंटर स्पेशल: सर्दियों के मौसम में ऐसे बनाएं अपना डायटचार्ट

सर्दियों के मौसम में आप खूब खाना खा कर सेहत बना सकते हैं. इस दौरान डाइजेशन सिस्टम भी अच्छी तरह काम करता है. इन दिनों सभी हैवी डाइट खाना पसंद करते हैं. ड्राइफ्रूट्स और नट्स अपने डाइट चार्ट में शामिल कर सकते हैं. हैवी डाइट लेने की वजह से इन दिनों खूब कसरत करें. मौसम बदलते ही शरीर को चुस्तदुरुस्त बनाए रखने के लिए अपने खानपान में कुछ फेरबदल करना चाहिए.

हम जैसा भोजन करते हैं, हमारे तनमन पर उस का असर होता है. हैल्थ कौंशियस युवाओं के लिए यह मौसम चुनौती भरा होता है. ठंडे मौसम में एक्सरसाइज कर शरीर को ऊर्जावान बनाए रखना जरूरी है साथ ही ऐसा आहार जिस की कम मात्रा लेने से शरीर को पूरी कैलोरी मिले. अधिकतर युवा सर्दियों में अपनी डाइट को ले कर कर कन्फ्यूज रहते हैं. इसलिए इस सर्दी में लो फैट विद हाई कैलोरी से भरपूर डाइटचार्ट पर आप ध्यान देंगे तो अपने शरीर के बढ़ते वजन को नियंत्रित रख पाएंगे और स्वस्थ रहेंगे.

सर्दियों की डाइट : इस मौसम में शरीर से थकान व आलस्य दूर भगाने के साथ ही दिन भर स्फूर्ति और ऊर्जा से भरपूर रहने के लिए युवाओं को डाइट चार्ट पर ध्यान देना चाहिए. अपने खानपान में उन सब चीजों को शामिल करें, जिस से शरीर को एनर्जी मिले और आप चुस्तदुरस्त बने रहें.

ब्रेकफास्ट : सुबह का नाश्ता ऊर्जावान होना चाहिए. नाश्ते में अंडे के साथ ब्रेड, उपमा सैंडविच, डोसा आदि का सेवन करें. रोजाना नाश्ते के बाद मलाई निकला एक गिलास गरम दूध पीना न भूलें. इस सब के साथ एक प्लेट फ्रूट या वेजीटेबल सलाद आप के नाश्ते को कंप्लीट करता है. नाश्ता हैवी होना चाहिए.

लंच स्पैशल :  दोपहर के भोजन में हरी सब्जी, चपाती, ताजा दही या छाछ, छिलके वाली दाल के साथ चावल, गरमगरम सूप लेना अच्छा रहता है. लंच में हरी चटनी भोजन में मल्टीविटामिन्स की कमी को पूरा करती है.

डिलीशियस डिनर : सर्दियों में रात को जल्दी भोजन करें. रात का भोजन दोपहर के भोजन की अपेक्षा हलका होना चाहिए. रात के भोजन में हमेशा हलका व साधारण खाना खिचड़ी या दलिया ले सकते हैं. सोने से कम से कम 4 घंटे पहले भोजन करने से शरीर में भोजन का पाचन ठीक तरह से होता है. सोने से पहले हलदी, खारेक या अदरक मिला एक गिलास गरम दूध जरूर पिएं.

स्वस्थ और निरोगी रहने के टिप्स :  कुछ आसान से घरेलू उपाय अपना कर हम इस मौसम में स्वस्थ व निरोगी रह सकते हैं. सर्दियों का मौसम शुरू होते ही सर्दी, खांसी और जुकाम का हमला तेज हो जाता है. अकसर लोग बीमार होने के बाद अपने खानपान में बदलाव के बारे में सोचते हैं जबकि बीमार होने से पहले ही यदि हम मौसम के अनुसार उचित आहार लेना शुरू कर दें तो शरीर को सर्दियों में स्वस्थ और निरोगी रखा जा सकता है.

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के नुस्खे काफी आसान हैं. पर्याप्त नींद लें और अपना खानपान सही रखें. सर्दी के मौसम में विभिन्न प्रकार के पोषक पदार्थ और जड़ीबूटियों का सेवन कर आप खुद को स्वस्थ और कई तरह के वायरल संक्रमण से बचा सकते हैं. इस मौसम में स्वस्थ रहने के लिए ऐसे आहार की जरूरत होती है जो शरीर को गरम रखें. आप को अस्थमा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसा कोई रोग है तो सर्दी में अपने खानपान पर विशेष ध्यान दें.

सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए अपने खानपान में खास फलों और सब्जियों का इस्तेमाल कर बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता.

आइए, जानते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हें अपना कर हम सर्दियों में स्वस्थ रह सकते हैं :

सब्जियों का सेवन करें :  सर्दी में हरी सब्जियों को अपने भोजन में अवश्य शामिल करें, क्योंकि इन में प्रचुर मात्रा में विटामिन्स होते हैं, जो शरीर को गरम रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं. सर्दियों में पालक की सब्जी, बीटरूट, लहसुन, बथुआ, ब्रोकली, पत्तागोभी, गाजर का सेवन अवश्य करें.

मूंगफली का सेवन कर सर्दियों में रहें फिट :  सर्दी के दिनों में मूंगफली का सेवन अवश्य करें, क्योंकि मूंगफली में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल, आयरन, विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं. इसीलिए तो इसे गरीबों का बादाम कहा जाता है. सर्दी के मौसम में शरीर को गरम रखने और खून की मात्रा बढ़ाने के लिए मूंगफली और देशी गुड़ खाएं. इस का सेवन करने से आप स्वस्थ रहेंगे.

लहसुन का सेवन बचाएगा जुकाम से :  सर्दियों में लहसुन का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि और किचन में किया जाता है. आज विज्ञान भी इस के औषधीय गुणों को मान रहा है. सर्दी के मौसम में लहसुन का नियमित सेवन सर्दी, जुकाम और खांसी से छुटकारा दिला सकता है.

स्वस्थ रहने के लिए करें तिल का सेवन :  सर्दियों में तिल खाने से ऊर्जा मिलती है. तिल के तेल से मालिश करने से त्वचा मुलायम रहती है और ठंड से भी बचाव होता है. तिल और गुड़ का एकसाथ खाने से शरीर को जरूरी पोषक तत्त्व मिलते हैं. इम्युनिटी बढ़ती है और खांसीकफ से राहत मिलती है.

गाजर का सेवन फायदेमंद : गाजर में विटामिन प्रचुर मात्रा में होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आंखें भी स्वस्थ रहती हैं. सर्दी के मौसम में गाजर खाने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है.

स्वस्थ रहने के लिए बाजरा का सेवन करें :  देश के कई हिस्सों में सर्दियों में बाजरा अधिक खाया जाता है. बाजरे में मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन और एंटी औक्सीडैंट प्रचुर मात्रा में होते हैं. खास कर छोटे बच्चों को बाजरा अवश्य खिलाना चाहिए.

सर्दियों में हलदी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है :  सर्दियों में हलदी मिला गरम दूध रोजाना रात को पीने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है. इस में एंटीबायोटिक गुणों के साथ एंटीएलर्जिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी हैं. रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने के लिए यह श्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधि है.

स्वस्थ रहने के लिए मेथी का करें सेवन :  मेथी में विटामिन के, आयरन और फोलिक एसिड होता है. शरीर को गरम रखने के साथ ही यह खून की मात्रा बढ़ाने में भी मददगार है.

बादाम का सेवन लाभदायक :  बादाम में प्रोटीन, फाइबर मिनरल होते हैं, जो सर्दी में मौसमी बीमारियों से बचाव करते हैं. सर्दी के मौसम में बादाम रोजाना खाने से दिमाग तो तेज होता ही है साथ ही कब्ज की समस्या से भी नजात मिलती है और डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी यह मदद करता है.

स्वस्थ रहने के लिए सर्दियों में फल देंगे पोषण और ऊर्जा :  सर्दियों में मौसमी फल जैसे संतरा, सेब, अनार, आंवला आदि खाना चाहिए, शरीर को पोषण, और ऊर्जा और गर्माहट देते हैं. फलों का जूस बना कर पीने से अच्छा है, आप सीधे स्वच्छ फल खाएं. इस से पाचन भी ठीक रहता है और पर्याप्त मात्रा में शरीर को फाइबर भी मिलता है.

च्यवनप्राश का सेवन है स्वास्थ्यवर्द्धक :  सर्दियों में च्यवनप्राश का सेवन जरूर करें सुबहशाम एक चम्मच च्यवनप्राश के साथ एक ग्लास गरम दूध पीने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है. यह बुढ़ापे दूर करने के लिए सब से अच्छा तरीका है.

आलू पनीर कुल्चा ऐसे बनाएं घर पर

छोला कुल्चा का नाम लेते ही सभी के मुंह में पानी आ जाता है. ऐसे में आज हम आपको छोला कुल्चा बनाना बताएंगे कम समय में घर पर छोला कुल्चा कैसेे बनाएं. आइए जानते हैं छोला कुल्ता बनाने के लिए क्या लें.

समाग्री

मैदा

दही

दूध

नमक

शक्कर

तेल

बेकिंग सोड़ा

पानी

कलौजी

मैदा

आलू पनीर

हरी मिर्च

धनिया पत्ता

नमक

चाट मसाला

विधि

सबसे पहले एक बड़़े बर्तन में मैदा नमक बेकिंग सोड़ा को अच्छे से छान लीजिए, अब इसमें बड़ा चम्मच तेल और दही डालिए, आपस में अच्छे से मिलाएं, अब इसमें दूध डालिए और अच्छे से मिलाएं, अब थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर मुलायम आटा गुंथ लें.

अब आटा को मुलायम होने के लिए एक चम्मच तेल डालिए, अब गिले कपड़े से ढ़कर आटे को कुछ देर के लिए गर्म स्थान पर ऱख दें. उसके बाद आटा जम मुलायम हो जाए तो उसके लोई बनाकर कुल्चा बना दें.

अगर आप कुल्चा भरकर बनाना चाहती है तो आलू को उबाल लें फिर उसे छिलकर सभी मसाले को डाल लें., साथ में नमक और धनिया पत्ता भी डाले अब कुल्चा वाले लोइ के अंदर डालकर इसे गोल आकार में बेलकर धी लगाकर पकाएं.

मैं प्रेग्नेंट हूं लगातार मेरे स्तनों का आकार बढ़ रहा है , ऐसे में क्या करूं?

सवाल 

मैं प्रैग्नैंट हूं, स्तनों का आकार बढ़ने लगा है. ब्रा पहनने में मुझे दिक्कत महसूस होने लगी है, इसलिए ब्रा पहननी छोड़ दी है. लेकिन इस से मेरी ब्रैस्ट ढीली तो नहीं हो जाएगी. क्या डिलीवरी के बाद ब्रैस्ट पहले वाला आकार ले लेंगे?

 जवाब
स्वाभाविक है कि गर्भावस्था में ब्रैस्ट का आकार भी बढ़ता है. ऐसे में ब्रा का न पहनना उन्हें ढीला बना देगा. ऐसे समय में आप को परफैक्ट ब्रा का चुनाव करना पड़ेगा.

 

आप चाहें तो एडजस्टेबल स्ट्रैप वाली ब्रा खरीद सकती हैं क्योंकि गर्भावस्था की हर तिमाही में ब्रैस्ट के साइज में बढ़ोतरी होती है. इसलिए, एडजस्टेबल स्ट्रैप में आप को आराम रहेगा.

 

गर्भावस्था के दौरान मैटरनिटी ब्रा अच्छा औप्शन है. मैटरनिटी ब्रा विशेषकर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ही ध्यान में रख कर तैयार की गई है. इस में उन के लिए अलग डिजाइन और सौफ्ट कौटन कपड़े का चुनाव किया जाता है. इन्हें इस तरह से तैयार किया जाता है कि प्रैग्नैंसी के दौरान स्तनों की सूजन, दर्द से आप को आराम मिल सके और आप दिनभर इसे पहन सकें. हां, रात को सोते समय ब्रालैस सोना ही आप के लिए ज्यादा सुविधाजनक रहेगा.       ?-कंचन

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