अनाया आज रात को पार्टी के मूड में थी. अपने करीबी 5 कलीग को उस ने बुलाया था, जिन में 2 लड़की और 3 लड़के थे.
2 कमरे, छोटा एक हाल, जिस में ड्राइंगरूम और डाइनिंग करीने से सजा था, एक ओपन किचन और किचन के पीछे वाशिंग प्लेस, सबकुछ सौम्या ही संवार कर रखती,भले ही वह अनाया के मना करने के बावजूद इस फ्लैट के 20,000 रुपए किराए में से 8,000 रुपए जबरदस्ती अनाया के कमरे की अलमारी में रख ही देती.
सौम्या यहां पीजी से बेहतर थी और 20 साल की सौम्या से अनाया 5 साल बड़ी होते हुए भी अपनी सारी बातें दोस्त सी सौम्या से साझा करती.
पार्टी की पूरी तैयारी सौम्या ने कर ली थी, और अनाया ने सब की पसंद से स्नैक्स, साइड डिशेज और खाना मंगवा लिया था.
अनाया एक मैरून वेलवेट की मिनी रैप टाइप मिडी में कमाल लग रही थी. इस के ऊपर उस ने स्पाइरल डिजाइन की थ्री क्वार्टर बांह वाली बिसकुट कलर क्रौप टौप पहने थी, जो उस के पीठ तक लटके घुंघराले ब्राउन बालों के साथ खूब मैच कर रहे थे.
सौम्या ने लाइट पिंक कलर की फ्लेयर्ड हाफ स्लीव की नी लेंथ वन पीस पहनी हुई थी, जिस पर लखनऊ की चिकनकारी के काम सजे थे, उस के कंधे तक स्टेप में कटे बाल उस के सौम्य रूप को मौर्डन लुक दे रहे थे.
कमरे की लाइट औलिव रंग के परदे सोफे के क्रीम कवर के साथ शानदार थे.
और इन सब के बीच कुछ रंगीन बल्ब और रोशनियां गजब का आकर्षण पैदा किए हुए थीं.
अनाया के कुछ दोस्त गाने पर थिरक रहे थे, और कुछ अपने फोन पर एकदूसरे के साथ कुछ देखदिखा रहे थे. ये सारे अनाया के मौडलिंग, फोटोग्राफी और स्क्रिप्ट राइटिंग ग्रुप के कलीग थे.
सौम्या को अनाया के इन से इंट्रोड्यूस कराने के बाद से सौम्या भी इन के साथ घुलमिल गई थी.
अचानक अनाया ने कहा, “दोस्तो, अच्छा बताओ, अगर मैं अपनी शादी की बात सोचने का मन बनाऊं तो कैसा रहे?”
“खूब… कौन है वो बदनसीब?” एक फोटोग्राफर लड़के ने कहा.
एक सहेली ने तपाक से कहा, “ये आज से नहीं, कई जमाने सेे है कि लोमड़ी को अंगूर खट्टे लगते हैं.”
ठहाके के बीच अनाया ने अपने मोबाइल में एक तसवीर निकाली और दोस्तों की ओर बढ़ाया. तसवीर देखने के लिए जैसे सब मोबाइल में घुसे चले जा रहे थे. सौम्या रुक गई, वो तो घर की है, देख लेगी आराम से, यद्यपि उत्सुकता उस की भी छलकी जा रही थी.
सौम्या ने खुद को रोका, लेकिन उत्सुकता इतनी थी कि अनाया के दोस्तों के बीच से उस ने अपना चेहरा घुसा कर मोबाइल में झांका.
इधर ग्वालियर में अरुणेश ने आज छुट्टी का दिन देख कर राघव को अपने घर बुला लिया था.
अरुणेश जैसे दबंग, मुंहफट अधिकारी के आगे राघव की तरह शांत, कम बोलने वाले नरम स्वभाव के व्यक्ति की चलेगी क्या. राघव को उन के घर जाना पड़ा.
अरुणेश के घर से वापस आ कर राघव ने अपने बेटे रूपक, उस की बहन और अपनी पत्नी को बैठक में बुलाया और कहा, “अरुणेशजी ने रूपक के लिए यह सारा उपहार भेजा है. शर्टपैंट, सूट का कपड़ा, बेटी के लिए सूट का कपड़ा, और पत्नी के नाम से यह कांजीवरम साड़ी भेजी है, देखो.”
पत्नी आश्चर्य मे थी. पूछा, “क्यों…? और आप ने लिया ही क्यों…?”
राघव ने आगे जोड़ा, “रूपक के लिए सोने की अंगूठी और चैन भी भेजी है. साथ में 21,000 का नेग भी मुझे थमाया. उन्होंने अपनी बेटी के साथ मेरे रूपक का रिश्ता तय कर लिया है. हम मना नहीं कर सकते.”
“अरे, यह क्या बात हुई पापा? मना नहीं कर सकते का क्या मतलब?” अकसर शांत रहने वाला रूपक अब उग्र हो रहा था.
राघव की पत्नी ने कहा, “यह तो अच्छी बात हुई. अफसर है इस का क्या मतलब कि हम ने अपना सर ही गिरवी रख दिया. यह नहीं हो सकता. आप साफ मना कर दीजिए.”
“तुम क्या समझती हो कि मैं ने मना नहीं किया. मेरी यह सारी चीजें लेने की बिलकुल भी इच्छा नहीं थी, मैं ने कहा, ‘मैं पहले रूपक से पूछ लूं.’ कहता है कि तुम बाप हो, कोई दुमछल्ले नहीं. मर्द हो, घर में अपनी बात चलाओ, मिमियाते रहते हो.
“कहता है कि वह कुछ नहीं सुनेगा. शादी उस की बेटी से ही करनी पड़ेगी. अगर उस की इच्छा से शादी हुई, तो वह हमें मालामाल कर देगा.”
“नहीं पापा, आप उस की बात ना मानें. मैं यहां शादी नहीं कर सकता.”
“पर, एक बार सोच सकते हो. ऐसा भी बुरा क्या है. आज नहीं तो कल एक अच्छी लड़की से तुम्हारी शादी होनी ही है, तो अरुणेशजी की बेटी से हुई तो बुरा क्या.”
पत्नी ने समझाया, “ऐसे लोग सही नहीं होते. इन से रिश्ता करना जिंदगीभर का दुख मोल लेना है. पिता का व्यवहार ऐसा है तो बेटी को कौन संभाले. शादी का रिश्ता जबरदस्ती तो नहीं हो सकता.
“रही बात नौकरी की, तो आप समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लेना, लेकिन रूपक के सिर पर यह परेशानी चढ़ाने की कोई जरूरत नहीं. आप कल ही उन का सामान वापस कर देना.”
अरुणेश जैसे लोग किसी की ‘न’ को अपना तौहीन ही नहीं समझते, अपनी सत्ता पर कटार की वार समझते हैं. राघव ने जैसेतैसे सामान वापस किया और अपनी मजबूरी बता कर चले आए.
अरुणेश का दिमाग पिघला हुआ गरम लोहा बन चुका था. चाहे यह दिमाग अब जो कर ले, चाहे वह जो बन जाए.
अरुणेश शादी के मामले को ले कर अनाया से अब बात करने लगे कि रूपक को फांसने के लिए वह क्याक्या कर सकती है, ताकि रूपक अनाया के सिवा दूसरा कोई विकल्प ना सोच पाए.
अनाया के ऊपर उस के मम्मीपापा की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा था. अनाया चुपचाप सुनती और सहती. सौम्या सब समझ रही थी. जाने कैसे सौम्या और अनाया के बीच एक तनाव सा बनता जा रहा था.
एक दिन अनाया झल्ला पड़ी. कहा, “यह शादी नहीं हो सकती. आप लाख चाहो, मैं नहीं करूंगी यह शादी, लड़का किसी और का प्यार है , मेरी तो जिंदगी नरक हो जाएगी. मेरे लिए क्या एक ही लड़का रखा है. अब फोन मत करना, वरना ब्लौक कर दूंगी आप दोनों को.”
अरुणेश ने बेटी से कहा तो कुछ नहीं, लेकिन वे आपे में रहे भी नहीं. उन का दिमाग बेहिसाब तरीके से चलता था. उन्होंने सोचा कि अभी लड़के को छोड़ दिया जाए, मितेश की बेटी के बारे में पता लगाया जाए. आखिर ऐसा क्या हुआ कि अनाया को उस लड़के के बारे में इतनी छुपी हुई बात साफ पता चली. अरुणेश ने पत्नी शीना के साथ मशवरा किया.
शीना इतनी तेज दिमाग की तो नहीं थी, लेकिन पति की खुराफात में उसे मजा आता था.
आपस में कुछ तय कर के शीना ने गौरव को फोन किया. कहा, “बेटा, अपनी बेटी के लिए हम तो एक लड़का ढूंढ़ चुके, लेकिन सौम्या भी अपनी बेटी ही है, लगे हाथ अभी बहुत सारे लड़कों की खबर आई है, पर बहुत पहले सौम्या किसी लड़के को पसंद करती थी, कहीं उस के मन में अभी भी वही हो, तुम को सब मानते हैं. तुम जरा पता करो ना. अभी वह लड़का क्या करता है और अभी भी दोनों एकदूसरे को चाहते हैं या नहीं? अनाया की शादी के बाद सौम्या के स्नातक पूरा करते ही अगर वह चाहे तो उस की पसंद से शादी तय कर देंगे.”
गौरव ने कहा, “बड़ी मां, पूछना क्या है? वह लड़का तो ग्वालियर का ही है. रूपक नाम है उस का, पढ़लिख कर वह प्रोफैसर बन गया है. जहां तक मुझे स्निग्धा से पता चला है, दोनों अब भी एकदूसरे को पसंद करते हैं.”
“अच्छा, फिर तो बड़ी अच्छी बात है. चलो, देखते हैं फिर.”
बात निकल आई थी, अरुणेश को बात पता चल गई.
गौरव ने खुश हो कर उसी रात अनाया को फोन किया और उस की मां से हुई सारी बातें उसे बताईं.
अनाया ने दुखी होते हुए गौरव से कहा, “कुछ पता नहीं चल रहा सौम्या का. 2 महीने पहले हम ने रात को एक पार्टी रखी थी अपने दोस्तों के साथ. उसी दिन पापा ने मुझे उस लड़के की तसवीर भेजी थी, जिस से मेरी शादी उन्होंने तय करनी चाही थी. तसवीर मैं ने सभी को दिखाई. शायद सौम्या ने भी देखी. उस रात उसे बुखार आया और यह बुखार 5 दिन तक रहा. उस के बाद से ही जाने क्या उस के और मेरे बीच में खो सा गया है. लगता है, जैसे दिल की डोर कमजोर हो गई है.
तुम सौम्या से बात करो, प्लीज. उस ने मुझे बताया कुछ भी नहीं, लेकिन मुझे पता चल गया है. क्या सौम्या उस लड़के से प्यार करती है, जिस का नाम रूपक है?”
“हां, रूपक है, लेकिन क्यों?”
“पापा ने जबरदस्ती मेरी जिस से शादी तय करने की बात सोच रखी है, वह भी रूपक ही है.”
“हो सकता है कि वह कोई दूसरा रूपक हो.”
“हो सकता था, पर है नहीं. जब से उस ने मेरे मोबाइल पर उस लड़के की तसवीर देखी है, वह उदासी में रहने लगी थी और एक दिन मैं ने उसे सोएसोए उस के अपने मोबाइल में एक तसवीर को देखते हुए पाया, जो रूपक की ही तसवीर थी. मैं तब से पूरी तरह कंफर्म हो गई. तुम सौम्या से बात करो कि मेरी तरफ से वह निश्चिंत हो जाए. मैं उस से इस मामले में खुल कर बोल नहीं सकती. उसे मेरे पापा पर भरोसा नहीं है. उसे ऐसा लगता है कि पापा की जबरदस्ती के आगे किसी की नहीं चलेगी.”
“सोचती तो वह ठीक ही है. बड़े पापा जैसे लोग दूसरों के लिए बोझ जैसे होते हैं. बुरा नही मानना अनाया. वैसे, रूपक तो जीवाजी कालेज में प्रोफैसर हो गया है, वह चाहे तो अपना फैसला ले सकता है. चलो, मैं उस से बात करता हूं. पहले रूपक से बात करना सही रहेगा. सौम्या से बाद में बात करूंगा.”
गौरव ने स्निग्धा के जरीए रूपक से बात की.
सौम्या समझने लगी थी कि गरीब और मजबूर को अपना हाजमा ठीक रखना ही पड़ता है, क्योंकि बहुत सारी अनचाही बातें उसे पचानी पड़ती ही हैं.
इस घर में उस के पिता सब से ज्यादा आर्थिक रूप से मजबूर ही तो हैं. उसे अनाया पर गुस्सा बिलकुल भी नहीं है. वह तो सौम्या को बहुत प्यार करती है. वह अपनी जिंदगी को कोसती है. रूपक को चाहती है, लेकिन उसे बिलकुल हक नहीं है कि वह दिल खोल कर इस बात को सब के सामने स्वीकार कर सके. और रूपक, वह क्या कर रहा है? प्रेम की गहरी बातों को, अपने व्यक्तित्व को वह छोड़ चुका है.
“कोई बात नहीं. वह अपनी जिंदगी इस तरह बिताएगी कि रूपक शर्मसार रहे.
उस ने भौतिक सुखों के लिए प्रेम जैसे विलक्षण गुण को ठुकरा दिया.
और कुछ दिनों बाद अचानक रूपक को अपनी कंपनी में आया देख अनाया एक बेहद खूबसूरत सरप्राइज से रूबरू थी. आधे दिन की छुट्टी ले कर रूपक के साथ वह निकल गई.
दोपहर 3 बजे तक वे दोनों मुंबई के कई जगहों पर घूमते रहे. शाम 4 बजे अनाया ने रूपक को अपने फ्लैट में पहुंचा दिया और रात 8 बजे तक के लिए औफिस चली गई.
सौम्या अपने कमरे में कुरसी पर बैठ पढ़ाई की टेबल पर छूटे हुए नोट्स लिखने में जुटी थी. उसे एहसास हुआ कि पीछे से उस के कमरे का दरवाजा खोल कर कोई अंदर आया है.
सौम्या ने कलम चलाते हुए ही कहा, “दीदी, आप की कंपनी वाले आ कर अब मुझे ही पीट जाएंगे. एक तो वे जल्दी छुट्टी देते नहीं हैं. और आप ने पहले से ही मेरी तबीयत खराब देख कर बहुत सारी छुट्टियां ले चुकी हैं.”
किसी ने कहा, “तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है, छुट्टी क्या बड़ी बात है.”
सौम्या चौंकते हुए पीछे मुड़ी. रूपक, सच में पीछे तुम ही खड़े थे.
सौम्या को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं था. हो सकता है कि रूपक सौम्या से आखिरी बार मिलने आया हो. उस ने अपने दिल को सख्त कर लिया. पक्का है कि वह नहीं रोएगी, न ही टूटेगी.
पर, यह सब धरा ही रह गया. रूपक सौम्या से लग कर खड़ा हो गया था और उस की पीठ पर अपना एक हाथ रख दिया. जाने यह कैसी युगों की बिछड़ी हुई आसक्ति थी.
सौम्या ने रूपक की कमर पर अपना चेहरा टिका दिया और फूटफूट कर रो पड़ी.
“मैं सिर्फ तुम्हारा हूं सुमी. मेरी प्यारी सुमी. तुम ने मुझ पर अपना विश्वास बनाए रखा. मुझे पता चला है कि तुम उदास थी, चिंतित थी.”
“अनाया दी का दिल मैं तोड़ नहीं सकती थी. उस ने अपने मम्मीपापा के खिलाफ जा कर मुझे इस अजनबी शहर में सहारा दिया है. मुझे अपना लगाव दिया है. तो क्यों न चिंतित होऊं?” सौम्या उदास सी कह रही थी.
“अरे पगली, अनाया ने ही मुझे तुम्हारे पास पहुंचाया है. मैं तो पहले उस से ही मिलने गया था, ताकि उसे अपनी और तुम्हारी सचाई बता सकूं. मगर उस ने ही पहले मुझे तुम्हारी बात बताई और मुझ से शादी करने से साफ इनकार कर दिया.”
सौम्या ने एक मीठी मुसकान के साथ विश्वास भरा दिल संजो कर रूपक की आंखों में देखा.
अनाया के वापस आने पर तीनों ने एकसाथ खूबसूरत शाम बिताई और डिनर के बाद रूपक ग्वालियर जाने के लिए रेलवे स्टेशन की ओर निकल पड़ा.
अब फिर से गौरव की जिम्मेदारी निभाने की बारी आ चुकी थी.
गौरव ने अर्णव को वीडियो कौल किया. अर्णव ने अनाया को जोड़ा. अनाया ने स्निग्धा और सौम्या को. अर्णव गौरव और अनाया ने यह निर्णय लिया कि रूपक और सौम्या को मिलाने की कोशिश की जाए. जब उन्होंने खुद में बात साफ कर ली, तो अनाया ने रूपक को भी इस कौल में जोड़ने की सलाह दी.
और फिर एक दिन यह हो गया, जो अरुणेश और जितेश कभी सोच भी नहीं सकते थे. उन के बच्चों ने यह साबित कर दिया कि दुनिया का दीन यानी महानता इनसान के ईमान में है, रुतबे और पैसे की औकात में नहीं.
रूपक ने ही तय किया था कि फिर कहीं कोई उलझन आ जाए, इस से पहले सौम्या को वह अपना लेना चाहेगा.
सौम्या शादी के बाद आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखेगी और कैरियर बनाने में रूपक उस की पूरी मदद करता रहेगा.
और फिर वह दिन आया, जब रूपक की शादी की पार्टी में अरुणेश, जितेश, शीना,आयशा मेहमान बने, सिर्फ खाने का आनंद ही ले पाए. शादी और पार्टी की पूरी व्यवस्था का भार अर्णव, गौरव और अनाया ने उठा रखा था. चाहे बिंदास अनाया हो या जिम्मेदार स्निग्धा, दमदार अर्णव हो या सुलझा हुआ गौरव, सभी रूपक और सौम्या पर इस तरह प्यार बरसा रहे थे कि अरुणेश और जितेश ठगे से रह गए.
रूपक और सौम्या जब वरवधू के वेश में सिंहासन पर बैठे थे, गौरव सभी भाईबहनों के साथ आया और उन दोनों को तोहफा देते हुए कहा, “यह प्यार ना कभी होगा कम.”
सौम्या और रूपक ने अर्णव, गौरव, अनाया और स्निग्धा को गले से लगा लिया.
मितेश, नलिनी, रूपक के मम्मीपापा और बहन इन लोगों की एकता पर निहाल थे.