लेखक- डा. मनीष कुमार सिंह,
विषय वस्तु विशेषज्ञ (उद्यान विज्ञान) ] डा. सोमेंद्र नाथ, विषय वस्तु विशेषज्ञ (शस्य विज्ञान) ध निया मसालों वाली फसलों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस के दानों में पाए जाने वाले वाष्पशील तेल के कारण यह भोज्य पदार्थों को स्वादिष्ठ एवं सुगंधित बनाती है. भारत में इस की खेती मुख्यत: राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में की जाती है. जलवायु और भूमि धनिया की फसल को शुष्क व ठंडा मौसम अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अनुकूल होता है.
बीजों के अंकुरण के लिए 25-26 सैल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. धनिया शीतोष्ण जलावायु की फसल है. इस की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली अच्छी दोमट भूमि सब से अच्छी मानी जाती है, जिस का पीएच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए. असिंचित दशा में काली भारी भूमि अच्छी होती है. धनिया की फसल क्षारीय एवं लवणीय भूमि को सहन नहीं करती है. भूमि की तैयारी बोआई के समय सही नमी न हो, तो भूमि की तैयारी पलेवा दे कर करनी चाहिए, जिस से जमीन में जुताई के समय ढेले न बनें. 2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. बोआई का समय और तापमान धनिया की फसल रबी मौसम में बाई जाती है. धनिया की बोआई 15 अक्तूबर से 15 नवंबर तक की जाती है. धनिया की फसल के लिए दिन का उपयुक्त तापमान 20 डिगरी सैल्सियस से कम आते ही बोआई शुरू कर देनी चाहिए. फसल चक्र धनियाभिंडी, धनियासोयाबीन, धनियामक्का, धनियामूंग आदि फसल चक्र लाभदायक पाए जाते हैं.