Download App

26 जनवरी स्पेशल : जवाबी हमला- भाग 3

बताया गया 3 बजे आर्मी चीफ के साथ हमारी मुलाकात तय है. 3 बजे हम आर्मी चीफ के समक्ष बैठे थे. इस मीटिंग में डीजीएमओ, डायरैक्टर जनरल मिलटरी औपरेशन उपस्थित थे.

चीफ साहब ने सभी के चेहरों को गहरी नजरों से देखा. शायद वे हमारे सपाट चेहरों से कुछ भी अनुमान नहीं लगा पाए. फिर कहा, ‘‘आप सब जानते हैं, मैं ने आप सब को यहां क्यों बुलाया है. आज सारे अखबार, टीवी चैनल, सरकार, सरहद पार की सरकार उन सिरकटे 20 पाकिस्तानी जवानों की बातें कर रहे हैं जो रात की कार्यवाही में मारे गए हैं.

‘‘मैं जानता हूं, कोई इसे माने या न माने पर यह कार्य हमारे जवानों का ही है. पर, हम इसे कभी नहीं मानेंगे कि यह हम ने किया है. मैं उस रैजिमैंट के कमांडिंग अफसर और जवानों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने यह कार्यवाही इतनी सफाई से की.

‘‘मैं उस बिग्रेड कमांडर साहब को भी बधाई देना चाहता हूं जिस ने इस बहादुरीपूर्ण कार्य के लिए आदेश दिया. हम पाकिस्तान को यह संदेश दे पाने में समर्थ हुए हैं कि आप अगर हमारे एक जवान का गला काटेंगे तो हम आप के 10 जवानों का गला काटेंगे. राजनीतिक स्तर पर सरकारें आपस में क्या करती हैं, हमें इस से कोई मतलब नहीं है. हम सरहदों पर उन्हीं के आदेशों का पालन करते हैं, करते रहेंगे अर्थात हमारी सेना एलओसी पार नहीं करेगी, लेकिन चुपचाप जवाबी हमला करती रहेगी, जैसे कल किया गया है.

‘‘आप सब को मेरा यही आदेश है यदि वे एक मारते हैं तो आप 10 मारेंगे,’’ जनरल साहब थोड़ी देर के लिए रुके, फिर कहा, ‘‘डीजीएमओ, मैं आप को खा जाऊंगा यदि इस कमरे की मीटिंग की कोई भी बात बाहर गई.’’

‘‘राइट सर. मैं समझता हूं, सर.’’

‘‘गुड. आप सब अपनी ड्यूटी पर जाएं. मैं आज रात को प्रैस कौन्फ्रैंस करने जा रहा हूं. मैं जानता हूं, उस में मुझे क्या कहना है. आप सब भी जान जाएंगे.’’

रात को हम सब टीवी के सामने बैठ कर आर्मी चीफ की प्रैस कौन्फैं्रस सुन और देख रहे थे.

‘‘सर, कल रात जो सरहद पार 20 पाकिस्तानी जवानों के सिर कलम किए गए, यह हमारी सेना की कार्यवाही तो नहीं?’’

‘‘यह प्रश्न सरहद पार की सरकार और सेना से पूछा जाना चाहिए. मैं आप को बता दूं, हमारी सेना बिना आदेश के ऐसी कोई कार्यवाही नहीं करती. ऐसा नहीं कर सकती.’’

‘‘सर, यह आप से इसलिए पूछा जा रहा है कि 2 दिनों पहले 2 जवानों के सिर कलम कर दिए गए थे. सो, इस कार्यवाही को हमारी सेना का जवाबी हमला समझा जा रहा है. क्या यह सही नहीं है?’’

‘‘देखिए, हमारी सेना बहुत ही अनुशासनप्रिय है. बिना आदेश के वह किसी भी कार्यवाही को अंजाम नहीं दे सकती, न ही देगी.’’

‘‘क्या इसे सेना की कमजोरी समझी जाए कि अपने जवानों को मरते देख कर भी जवाबी कार्यवाही नहीं कर सकती या नहीं करती?’’

‘‘भारतीय सेना क्या कर सकती है, यह सारी दुनिया जानती है. वर्ष 1965, 1971 और कारगिल की लड़ाई में आप सब भी जान चुके हैं. हम इस का जवाब जरूर देंगे परंतु अपने समय, स्थान निश्चित कर के.’’

‘‘क्या हमारी सरकार ऐसी किसी कार्यवाही में अड़चन नहीं डालती? क्या अपनेआप सेना तुरंत जवाबी कार्यवाही नहीं कर सकती?’’

‘‘अपने पहले प्रश्न का उत्तर आप को सरकार से पूछना चाहिए. दूसरे प्रश्न के उत्तर के लिए मैं आप को बता दूं, सेना को किसी भी कार्यवाही के लिए योजना बनानी पड़ती है, उस के लिए समय चाहिए होता है. आप को बहुत जल्दी इस का जवाब मिल जाएगा.’’

‘‘सर, क्या ये गीदड़ भभकियां नहीं हैं. जैसे पहले होता रहा है, हम ये करेंगे, वो करेंगे, बहुत शोर मचता है पर होता कुछ नहीं. क्या पाकिस्तान हमारी इस कमजोरी को जान नहीं गया है. तभी वह कभी आतंकवादी भेजता है, कभी 26/11 करवाता है?’’

प्रश्न बड़े तीखे थे. टीवी देख रहे कर्नल अमरीक सिंह सोच रहे थे, देखें जनरल साहब इस का क्या उत्तर देते हैं. उन्होंने बड़ी समझदारी से उत्तर दिए.

‘‘मुझे नहीं पता ये गीदड़ भभकियां हैं या नहीं, यह आप सरकार से पूछें. मैं आप को बता दूं, आज तक भारतीय सेना के किसी जनरल ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर के ऐसी बातें नहीं कहीं. केवल आप प्रतीक्षा करें और देखें. हम पाकिस्तान को जवाब जरूर देंगे.’’

कर्नल अमरीक सिंह सोच रहे थे, जनरल साहब ने बहुत समझदारी से सारी बातें सरकार पर डाल दी थीं पर अभी भी अनेक प्रश्न हैं जिन के उत्तर मिलने बाकी हैं. क्यों हम पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी माकूल कार्यवाही नहीं कर पाए कि वह ऐसी कार्यवाहियां करने की हिम्मत न करे? क्यों हम आज तक अपने देश में हो रही घुसपैठ को रोक नहीं पाए? क्यों पाकिस्तान 26/11 जैसे हमले करने में सफल हो रहा है?

हम कहां कमजोर पड़ रहे हैं? क्यों हम इन कमजोरियों को दूर नहीं कर पाते? इस के लिए सेना कहां दोषी है? और इस दोष को क्यों सेना दूर नहीं कर पाती? क्या इस में सरकार बाधक है? अगर है, तो सेना इस का विरोध क्यों नहीं करती? और अगर करती है तो क्यों इस का आज तक हल नहीं मिला? मैं जानता हूं, इन प्रश्नों के उत्तर शायद किसी सैनिक अधिकारी और जवान के पास नहीं हैं. अगर हैं, तो कोई क्यों इसे खुल कर नहीं कहना चाहता. क्यों…आखिर क्यों?

दुस्वप्न-भाग 3: संविधा के साथ ससुराल में क्या हुआ था ?

पति राजेश को भी उस का शांत, आज्ञाकारी, लड़ाईझगड़ा न करने वाला स्वभाव अनुकूल लगता था. पति खुशीखुशी तीजत्योहार पर उस के लिए कोई न कोई उपहार खरीद लाता, पर इस में भी उस की पसंद न पूछी जाती. संविधा का संसार इसी तरह सालों से चला आ रहा था.

किसी से सवाल करने या किसी की बात का जवाब देने की उस की आदत नहीं थी. राजेश के गुस्से से वह बहुत डरती थी. उसे नाराज करने की वह हिम्मत नहीं कर पाती थी.

बच्चे अब बड़े हो गए थे. पर अभी भी उस के मन की, इच्छा की, विचारों की, पसंदनापसंद की घर में कोई कीमत नहीं थी. इसलिए इधर वह जब रोजाना शाम को पार्क में, पड़ोस में, सहेलियों के यहां और महिलाओं के समूह की बैठकों में जाने लगी तो राजेश को ही नहीं, बेटी और बहुओं को भी हैरानी हुई.

आखिर एक दिन शाम को खाते समय बेटे ने कह ही दिया, ‘‘मम्मी, आजकल आप रोजाना शाम को कहीं न कहीं जाती हैं. आप तो एकदम से मौडर्न हो गई हैं.’’उस समय संविधा कुछ नहीं बोली. अगले दिन वह जाने की तैयारी कर रही थी, तभी बहू ने कहा, ‘‘मम्मी, आज आप बाहर न जाएं तो ठीक है. आप बच्चे को संभाल लें, मुझे बाहर जाना है.’’

‘‘आज तो मुझे बहुत जरूरी काम है, इसलिए मैं घर में नहीं रुक सकती,’’ संविधा ने कहा.उस दिन संविधा को कोई भी जरूरी काम नहीं था. लेकिन उस ने तो मन ही मन तय कर लिया था कि अब उस से कोई भी काम बिना उस की मरजी के नहीं करवा सकता. उस का समय अब उस के लिए है. कोई भी काम अब वह अपनी इच्छानुसार करेगी. वह किसी का भी काम उस की इच्छानुसार नहीं करेगी. कोई भी अब उसकी मरजी के खिलाफ अपना काम नहीं करवा सकता, क्योंकि उस की भी अपनी इच्छाएं हैं. अब वह किसी के हाथ से चलने वाली कठपुतली बन कर नहीं रहेगी.

इसलिए जब उस रात सोते समय राजेश ने कहा, ‘‘संविधा टिकट आ गए हैं, तैयारी कर लो. इस शनिवार की रात हम काशी चल रहे हैं. तुम्हें भी साथ चलना है. उधर से ही प्रयागराज और अयोध्या घूम लेंगे.’’तब संविधा ने पूरी दृढ़ता के साथ कहा, ‘‘मैं आप के साथ नहीं जाऊंगी. मेरी बहन अणिमा की तबीयत खराब है. मैं उस से मिलने जाऊंगी. आप को काशी, प्रयागराज और अयोध्या जाना है, आप अकेले ही घूम आइए.’’

‘‘पर मैं तो तुम्हारे साथ जाना चाहता था, उस का क्या होगा?’’ राजेश ने झल्ला कर कहा.‘‘आप जाइए न, मैं कहां आप को रोक रही हूं,’’ संविधा ने शांति से कहा.‘‘इधर से तुम्हें हो क्या गया है? जब जहां मन होता है चली जाती हो, आज मुझ से जबान लड़ा रही हो. अचानक तुम्हारे अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई? मैं ऐसा नहीं होने दूंगा. तुम्हें मेरे साथ काशी चलना ही होगा,’’ राजेश ने चिल्ला कर कहा.

गुस्से से उस का चेहरा लालपीला हो गया था. संविधा जैसे कुछ सुन ही नहीं रही थी. वह एकदम निर्विकार भाव से बैठी थी. थोड़ी देर में राजेश कुछ शांत हुआ. संविधा का यह रूप इस से पहले उस ने पहले कभी नहीं देखा था. हमेशा उस के अनुकूल, शांत, गंभीर, आज्ञाकारी, उस की मरजी के हिसाब से चलने वाली पत्नी को आज क्या हो गया है? संविधा का यह नया रूप देख कर वह हैरान था.

अपनी आवाज में नरमी लाते हुए राजेश ने कहा, ‘‘संविधा, तुम्हें क्या चाहिए? तुम्हें आज यह क्या हो गया है? मुझ से कोई गलती हो गई है क्या? तुम कहो तो…’’ राजेश ने संविधा को समझाने की कोशिश की.

‘‘गलती आप की नहीं मेरी है. मैं ने ही इतने सालों तक गलती की है, जिसे अब सुधारना चाहती हूं. मेरा समग्र अस्तित्व अब तक दूसरों की मुट्ठी में बंद रहा. अब मुझे उस से बाहर आना है. मुझे आजादी चाहिए. अब मैं मुक्त हवा में सांस लेना चाहती हूं. इस गुलामी से बेचैन रहती हूं.’’

‘‘मैं कुछ समझा नहीं,‘‘ राजेश ने कहा, ‘‘तुम्हें दुख क्यों है? घर है, बच्चे हैं, पैसा है, मैं हूं,’’ संविधा के करीब आते हुए राजेश ने बात पूरी की.‘‘छोटी थी तो मांबाप की मुट्ठी में रहना पड़ा. उन्होंने जैसा कहा, वैसा करना पड़ा. जो खिलाया, वह खाया. जो पहनने को दिया, वह पहना. इस तरह नहीं करना, उस तरह नहीं करना, यहां नहीं जाना, वहां नहीं जाना. किस से बात करनी है और किस से नहीं करनी है, यह सब मांबाप तय करते रहे. हमेशा यही सब सुनती रही. शब्दों के भाव एक ही रहे, मात्र कहने वाले बदल गए. कपड़े सिलाते समय मां कहती कि लंबाई ज्यादा ही रखना, ज्यादा खुले गले का मत बनवाना. सहेली के घर से आने में जरा देर हो जाती, फोन पर फोन आने लगते, मम्मीपापा दोनों चिल्लाने लगते.

“इंटर पास किया, कालेज गई, कालेज का 1 ही साल पूरा हुआ था कि मेरी शादी की चिंता सताने लगी. पड़ोस में रहने वाला रवि हमारे कालेज में साथ ही पढ़ता था. वह मेरे घर के सामने से ही कालेज आताजाता था.”एक दिन मैं ने उसे घर बुला कर बातें क्या कर लीं, बुआ ने मेरी मां से कहा कि भाभी, संविधा अब बड़ी हो गई है, इस के लिए कोई अच्छा सा घर और वर ढूंढ़ लो. उस के बाद क्या हुआ, आप को पता ही है. उन्होंने मेरे लिए घर और वर ढूंढ़ लिया. उन की इच्छा के अनुसार यही मेरे लिए ठीक था.’’

एक गहरी सांस ले कर संविधा ने आगे कहा, ‘‘ऐसा नहीं था कि मैं ने शादी के लिए रोका नहीं. मैं ने पापा से एक बार नहीं कई बार कहा कि मुझे मेरी पढ़ाई पूरी कर लेने दो, पर पापा कहां माने. उहोंने कहा कि बेटा, तुम्हें कहां नौकरी करनी है… जितनी पढ़ाई की है, उसी में अच्छा लङका मिल गया है. अब आगे पढ़ने की क्या जरूरत है? हम जो कर रहे हैं, तेरी भलाई के लिए ही कर रहे है.”

पल भर चुप रहने के बाद संविधा ने आगे कहा, ‘‘जब मैं इस घर में आई, तब मेरी उम्र 18 साल थी. तब से मैं यही सुन रही हूं, ‘संविधा ऐसा करो, वैसा करो.’ आप ही नहीं, बच्चे भी यही मानते हैं कि मुझे उन की मरजी के अनुसार जीना है. अब मैं अपना जीवन, अपना मन, अपने अस्तित्व को किसी अन्य की मुट्ठी में नहीं रहने देना चाहती. अब मुझे मुक्ति चाहिए. अब मैं अपनी इच्छा के अनुसार जीना चाहती हूं. मुझे मेरा अपना अस्तित्व चाहिए.’’

‘‘संविधा, मैं ने तुम से प्रेम किया है. तुम्हें हर सुखसुविधा देने की हमेशा कोशिश की है.’’‘‘हां राजेश, तुम ने प्यार किया है, पर अपनी दृष्टि से. आप ने अच्छे कपड़ेगहने दिए, पर वे सब आप की पसंद के थे. मुझे क्या चाहिए, मुझे क्या अच्छा लगता है, यह आप ने कभी नहीं सोचा. आप ने शायद इस की जरूरत ही नहीं महसूस की.’’

‘‘इस घर में तुम्हें क्या तकलीफ है?’’ हैरानी से राजेश ने पूछा, ‘‘तुम यह सब क्या कह रही हो, मेरी समझ में नहीं आ रहा.’’

‘‘मेरा दुख आप की समझ में नहीं आएगा,’’ संविधा ने दृढ़ता से कहा, ‘‘घर के इस सुनहरे पिंजरे में अब मुझे घबराहट यानी घुटन सी होने लगी है. मेरा प्राण, मेरी समग्र चेतना बंधक है. आप सब की मुट्ठी खोल कर अब मैं उड़ जाना चाहती हूं. मेरा मन, मेरी आत्मा, मेरा शरीर अब मुझे वापस चाहिए.’’

शादी के बाद आज पहली बार संविधा इतना कुछ कह रही थी, ‘‘हजारों साल पहले अयोध्या के राजमहल में रहने वाली उर्मिला से उस के पति लक्ष्मण या परिवार के किसी अन्य सदस्य ने वनवास जाते समय पूछा था कि उस की क्या इच्छा है? किसी ने उस की अनुमति लेने की जरूरत महसूस की थी? तब उर्मिला ने 14 साल कैसे बिताए होंगे, आज भी कोई इस बारे में नहीं विचार करता. उसी महल में सीता महारानी थीं. उन्हें राजमहल से निकाल कर वन में छोड़ आया गया जबकि वह गर्भवती थीं. क्या सीता की अनुमति ली गई थी या बताया गया था कि उन्हें राजमहल से निकाला जा रहा है?

“मेरे साथ भी वैसा ही हुआ है. मुझे मात्र पत्नी या मां के रूप में देखा गया. पर अब मैं मात्र एक पत्नी या मां के रूप में ही नहीं, एक जीतेजागते, जिस के अंदर एक धड़कने वाला दिल है, उस इंसान के रूप में जीना चाहती हूं. अब मैं किसी की मुट्ठी में बंद नहीं रहना चाहती.’’‘‘तो अब इस उम्र में घरपरिवार छोड़ कर कहां जाओगी?’’ राजेश ने पूछा.

‘‘अब आप को इस की चिंता करने की जरूरत नहीं है. इस उम्र में किसी के साथ भागूंगी तो है नहीं. मुझे तो सेवा ही करनी है. अब तक गुलाम बन कर करती रही, जहां अपने मन से कुछ नहीं कर सकती थी. पर अब स्वतंत्र हो कर सेवा करना चाहती हूं.

“मेरी सहेली सुमन को तो तुम जानते ही हो, पिछले साल उन के पति की मौत हो गई थी. उन की अपनी कोई औलाद नहीं थी, इसलिए उन की करोड़ों की जायदाद पर उन के रिश्तेदारों की नजरें गड़ गईं. जल्दी ही उन की समझ में आ गया कि उन के रिश्तेदारों को उन से नहीं, उन की करोड़ो की जायदाद से प्यार है. इसलिए उन्होंने किसी को साथ रखने के बजाय ट्रस्ट बना कर अपनी उस विशाल कोठी में वृद्धाश्रम के साथसाथ अनाथाश्रम खोल दिया.

‘‘उन का अपना खर्च तो मिलने वाली पेंशन से ही चल जाता था, वद्धों एवं अनाथ बच्चों के खर्च के लिए उन्होंने उसी कोठी में डे चाइल्ड केयर सैंटर भी खेल दिया. वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम और चाइल्ड केयर सैंटर एकसाथ खोलने में उन का मकसद यह था कि जहां बच्चों को दादादादी का प्यार मिलता रहेगा, वहीं आश्रम में रहने वाले वृद्ध कभी खुद को अकेला नहीं महसूस करेंगे. उन का समय बच्चों के साथ आराम से कट जाएगा, साथ ही उन्हें नातीपोतों की कमी नहीं खलेगी,’’ इतना कह कर संविधा पल भर के लिए रुकी.

राजेश की नजरें संविधा के ही चेहरे पर टिकी थीं. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक संविधा एकदम से कैसे बदल गई. संविधा ने डाइनिंग टेबल पर रखे जग से गिलास में पानी लिया और पूरा गिलास खाली कर के आगे बोली, ‘‘दिन में नौकरी करने वाले कपल को अपने बच्चों की बड़ी चिंता रहती है. पर सुमन के डे चाइल्ड केयर सैंटर में अपना बच्चा छोड़ कर वे निश्चिंत हो जाते हैं, क्योंकि वहां उन की देखभाल के लिए दादादादी जो होते हैं. इस के अलावा सुमन की उस कोठी में बच्चों को खेलने के निए बड़ा सा लौन तो है ही, उन्होंने बच्चों के लिए तरहतरह के आधुनिक खिलौनों की भी व्यवस्था कर रखी है. दिन में बच्चों को दिया जाने वाली खाना भी शुद्ध और पौष्टिक होता है. इसलिए उन के डे चाइल्ड केयर सैंटर में बच्चों की संख्या काफी है. जिस से उन्हें वृद्धाश्रम और अनाथाश्रम चलाने में जरा भी दिक्कत नहीं होती. आज सुबह मैं वहीं गई थी. वहां मुझे बहुत अच्छा लगा. इसलिए अब मैं वहीं जा कर सुमन के साथ उन बूढ़ों की और बच्चों की सेवा करना चाहती हूं, उन्हें प्यार देना चाहती हूं, जिन का अपना कोई नहीं है.’’

राजेश संविधा की बातें ध्यान से सुन रहा था. उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वह जो सुन रहा है, वह सब कहने वाली उस की पत्नी संविधा है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब सच है या दुस्वप्न.

Holi Special:क्या यही प्यार है-भाग 2

जिया को उत्सुकता होने लगी कि न जाने सब मिल कर कैसी मस्ती करते हैं, वह जानना चाहती थी, उस का भी मन कर रहा था जाने का, मगर कैसे कहे?

आखिर रहा न गया तो उस ने राशि से पूछा कि क्या वह भी जा सकती है?

राशि ने कहा, “हां, अभी वार्डन आएंगी और तुझ से भी चलने के लिए कहेंगी.”

इतने में वार्डन मैम आईं, “जिया, तैयार हो जाओ, हमें बर्थडे पार्टी में जाना है.”

जिया तो इन्विटेशन का इंतजार कर रही थी, “यस मैम, अभी रैडी हो जाती हूं.”

“यार राशि, तूने बताया नहीं कि बर्थडे पार्टी में जाना है, किस का बर्थडे है आज?”

“अरे यार, कोई बर्थडेवर्थडे नहीं है किसी का. बस, हर संडे किसी न किसी का बर्थडे बना लेते हैं. बस, एंजौय करने का बहाना.”

“ऐसा क्या?”

इतने में वार्डन की आवाज़ आती है, “चलो, चलो सब, जल्दी करो, लेट हो रहा है, सब वेट कर रहे होंगे.”

ख़ैर, थोड़ी ही देर में सब बौयज होस्टल में थे. वार्डन एक बड़ी सी लड़की को बुला कर बोली, “शैली, नए पंछी से मुलाकात करा दो सब की. देखो किस के कोट पे नया फूल सजता है, एंड एंजौय युअरसैल्फ.” यह कह व उसे आंख मार कर बौयज होस्टल के वार्डन के कमरे में चली गई, जहां 2-3 लोग पहले ही दिख रहे थे.

जिया यह सब हैरानी से देख रही है, मगर अभी भी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा.इतने में शैली आगे आ कर जिया का हाथ पकड़ कर एक साइड में लाती है और कहती है, “ए, सुन, अगर तुझे कोई लड़का खास पंसद आ रहा है तो मुझे बता दे, अपुन सब सैटिंग कर देगा.”

लेकिन जिया कुछ नहीं समझ पा रही कि इन बातों का क्या मतलब है, वह कहती है, “सभी लड़के अच्छे हैं.”

शैली मुसकरा कर उस की ओर देखती है, फिर कहती हैं, “चल, फिर देखते हैं, किस के कोट का फूल बनती है तू.”

शैली ऐलान किया, “अटेंशन प्लीज़, मिलिए हमारे आज के नए पंछी से.

“यह है जिया,

“न जाने कौन बनेगा इस का पिया,

“है एक कीमती नगीना,

“‘इसे देख तुम सब को आएगा पसीना.

“तो चलिए, अब आप को जिया से मिलाते हैं.”

 

जिया, मासूम कली सा चेहरा, बड़ीबड़ी बोलती आंखें, गुलाबी गाल उस पर बालों की लट ऐसे बिखरी है जैसे सफ़ेद बादल पर काली घटा छाई हो, लंबी सुराहीदार गरदन, जवानी हिलोरे ले रही, पतली कमर, नखशिख उफ़्फफफफफ कयामत ढा रही है सब पर जिया मैडम तो. हर लड़का उसे देख एक ठंडी आह भर रहा. हर कोई उस का पार्टनर बनना चाहता है.

लेकिन सभी के पास अपना पहले से एक पार्टनर था. सभी अपनेअपने पार्टनर को साथ ले कर कोनों में, सोफों पर, सोफों के पीछे चले गए. म्यूजिक चल रहा था. ड्रिंक्स का दौर जोरों पर था. कोई डांस कर रहा था. हर कोई किसी कोने में बैठ बातें कर रहा था, जिया के पास एक बहुत ही हैंडसम लड़का आया और उस से डांस के लिए पूछने लगा, “हैलो माइसैल्फ राहुल, आप डांस में मेरी पार्टनर बनना पसंद करेंगी?”

लेखक- प्रेम बजाज

सपना चौधरी ने तंगी से परेशान होकर खा लिया था जहर, जानें पूरा मामला

हियाणवी डांसर सपना  चौधरी किसी पहचान की मोहताज नहीं है, लेकिन उनकी जिंदगी की कहानी किसी आम लड़कियों की तरह नहीं है. सपना यहां तक पहुंचने के लिए काफी ज्यादा स्ट्रग्ल की हैं. सपना की जिंदगी काफी मुश्किलों भरा रहा है.

सपना के जीवन में एक समय ऐसा आय़ा था जब वह काफी ज्यादा परेशान हो गई थीं, उन्होंने खुदखुशी करने की कोशिश की थी. दरअसल, सपना चौधरी एक कार्यक्रम में रागिनी गाई थी, जो काफी ज्यादा मशहूर हुई थी, जिसके बाद से उनकी मुश्किलें भी काफी ज्यादा बढ़ गई थी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sapna Choudhary (@itssapnachoudhary)

सपना ने इस रागिनी के जरिए दलित लोगों पर सवाल खड़े किए थें, जिसके बाद से लोगों ने काफी ज्यादा विवाद खड़ा कर दिया था.

दलित समाज ने सपना चौधरी के खिलाफ केस दर्ज करा दिया था, जिसके बाद से सपना चौधरी काफी ज्यादा परेशान होकर जान देने की कोशिश की थी. विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया था कि हरियाणवी डांसर से हरियाणवी म्यूजिक ने नाता तोड़ दिया था.

जिससे परेशान होकर सपना जहर खा ली थीं. तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया औऱ सपना चौधरी बच गई थीं.

इसके बाद से सपना चौधरी ने अपनी कड़ी मेहनत से लोगों के दिल में जगह बनाई ली हैं. डॉसिंग क्वीन सलमान खान के शो बिग बॉस 11 में भी नजर आ चुकी हैं. इसके साथ ही सपना अफने शादी शुदा जिंदगी में काफी ज्यादा खुश हैं, वह एखक बेटे की मां हैं.

Bigg Boss 16: निमृत ने साजिद को तो शिव ने सुंबुल को किया नॉमिनेट, घर में शुरू हुआ घमासान

बिग बॉस 16 में इन दिनों लगातार नए- नए ड्रामे हो रहे हैं, नॉमिनेशन से बचने के लिए कंटेस्टेंट को अलग- अलग तरह का टॉस्क दिया जा रहा है. जिसमें कंटेस्टेंट एक- दूसरे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं कुछ कंटेस्टेंट एक- दूसरे के खिलाफ साजिश कर रहे हैं.

वहीं बिग बॉस के घर में टॉस्क दिया गया है कि लोग एक दूसरे को झोपड़ी का लाइट जलाकर सेव करें, लेकिन इस दौरान भी कुछ लोगों की असली शक्ल देखने को मिल रही है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by HUNGAMA (@hungamastudioofficial)

वहीं निमृत और साजिद खान के बीच में कोल्डवार होते नजर आया. निमृत ने कहा कि मैं साजिद की लाइट ऑफ करा के सुंबुल को बचाना चाहती हूं. जिसके बाद से साजिद खान ने कहा कि जिसे जो करना है कर लें मेरे कुछ कोई नहीं बिगाड़ सकता है.

इससे पहले भी शो में कई तरह के टॉस्क हो चुके हैं जिसमें कंटेस्टेंट आपस में भीड़ते नजर आ रहे हैं. इस समय सभी अपने -अपने टॉस्क को बेहतरीन तरीके से करने की कोशिश कर रहे हैं ताकी घर से बाहर न जाना पड़ें. हालांकि अब सभी घर वाले नॉमिनेशन से बचने के लिए ये सब कर रहे हैं.

खैर देखते हैं कि घर से बाहर कौन जाता है. किसकी होगी घर से विदाई. अभी घर में मजेदार और शानदार टॉस्क दिए जा रहे हैं.

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन

मल्लिकार्जुन खडग़े को बैलट से कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाने का सोनिया, प्रियंका और राहुल का कदम चाहे नौटंकी लगे पर यह उस नौटंकी से बहुत बेहतर है जिस से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सर्वसंचालक, भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष या भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री चुने जाते हैं. लोकतंत्र एक नाटक से कम नहीं हैं जिस में जीतता वह है जिस के पीछे कोर्ई राजनीतिक परिवार, सामाजिक धर्म या जाति, मोटा बिजनैसमैन हो. हां, कभीकभी बराक ओबामा सा जीत पाता है जो बिना किसी खास पृष्ठभूमि व रंग के बावजूद अमेरिका जैसे देश का राष्ट्रपति बना जो अब हर रोज बढ़ती श्वेत कट्टरता की ओर जा रहा है.

लोकतंत्र में राष्ट्र का नेता चुनना आसान नहीं है. जिसे जनता की राय कहा जाता है वह अपनेआप में आधाअधूरी होती है. अधिकांश देशों में बहुमत पद पाने वाले के खिलाफ वोट देता है पर चूंकि जीतने वाले के वोट सब से अधिक होते हैं, सत्ता उसे सौंप दी जाती है. जहां सत्ता के लिए सीधा चुनाव न हो और संसद चुनती हो वहां तो चुने हुए सांसदों में भी वह सत्ता पा जाता है जिस के पास सब से अधिक सांसद हों चाहे वे बहुमत में हों या न.

मल्लिकार्जुन खडग़े के चुनाव का माखौल उड़ाने वाले क्या बता सकते हैं कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुना था तो कितनों ने वोट दिया था. भाजपा संसदीय समिति में भी काफी आवाजें उन के विरुद्ध थीं और इसीलिए लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी जैसों को नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

मल्लिकार्जुन खडग़े 80 वर्ष की आयु में कांग्रेस में कोई नई जान फूंक पाएंगे, इस का कोई विश्वास नहीं है क्योंकि जैसा अब ‘भारत जोड़ो’ यात्रा में दिख रहा है, देश का बेरोजगार, महंगाई से त्रस्त, जातीय व धार्मिक भेदभाव से डरा हुआ युवा ही अब उस भीड़ में दिख रहा है जो राहुल गांधी के साथ मीलों चल रहा है.

फिर भी गांधी परिवार को अध्यक्ष पद की रोज की चिकचिक से फुरसत तो मिल गई और वे अपने इतिहास और पृष्ठभूमि का उपयोग करने का समय निकाल सकेंगे. राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अध्यक्ष पद के चुनाव या गुजरात व हिमाचल प्रदेश के चुनावों में भाग न लेने का फैसला कर के ठीक किया है कि अवसर है कि कांग्रेस में नया खून सामने आए.

मल्लिकार्जुन की आयु, उन का दलित होना कांग्रेस हो सकता है भुना ले. दलित आज भी सताए जा रहे हैं और बहुजन समाज पार्टी उन के हितों का ध्यान रखने में बुरी तरह असफल रही है. वैसे, कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी को जिंदा रहना अपनेआप में आश्चर्य है पर जब पर्याय कट्टरवादी और विभाजक हो तो कम से कम दूर की सोचने वालों को तो राहत मिलती है. कोर्ई देश या समाज नारों, व्यक्तिपूजा, पूजापाठ से पनपता या बढ़ता नहीं, समाज तो सुरक्षा के एहसास से पनपता है, बराबरी के अवसरों से पनपता है, आसान कानूनों से पनपता है. मल्लिकार्जुन इस तरह के लोगों को एक छत ने नीचे रख सकें, तो भी काफी रहेगा.

समस्या: एलिवेटेड सड़कों से गरीब बस्तियों को छिपाया

ट्रैफिक की समस्या से छुटकारा पाने का आसान उपाय एलिवेटेड सड़कें भले हों पर इन सड़कों ने अमीरीगरीबी की एक और समस्या पैदा की है जिस बारे में लोग सोच नहीं पा रहे. 24 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘नमस्ते ट्रंप’ के प्रचार में लगे हुए थे. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होना था और तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव प्रचार के लिए भारत आए थे,

क्योंकि उन्हें अमेरिका के भारतीयों के वोट हासिल करने थे. इस इवैंट के लिए इकट्ठा की गई भीड़ ‘मोदीट्रंपमोदीट्रंप’ के नारे लगा रही थी. मीडिया भी मुस्तैद कर दिया गया था पर एक तबका था जो नईनई चुनवाई दीवारों के पीछे से आवाज लगा रहा था, ‘हम धब्बा नहीं, हम भी भारत हैं, हमें मत छिपाओ.’ यह आवाज ट्रंप के दौरे से पूर्व सरनियावास और देवसरन ?ाग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की थी, जिन्हें 7 फुट ऊंची और लगभग आधा किलोमीटर लंबी दीवारों से ढका गया था. ट्रंप के साथ आने वाली अमेरिकी मीडिया और दुनियाभर के लोग भारत की गरीबी का यह चेहरा न देख सकें,

इसलिए यह दीवार बना कर इसे ढका गया. अफसरों की दलीलें थीं कि यह उन का सुंदरीकरण तथा सफाईकरण का तरीका था ठीक वैसे ही जैसे लोग अपने दागधब्बे ठीक करने से ज्यादा उन्हें मेकअप से छिपाने की कोशिश करते हैं. ध्यान हो कि प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी इन्हीं गरीबों को हवाई जहाज में सैर कराने की बात किया करते थे. ऐसे ही देश में सरकार अब ऐलिवेटेड सड़कों पर जोर दे रही है. ये सड़कें भले डैवलपमैंट का शोर मचाती हों पर इस शोर के पीछे भेदभाव की एक महीन सी लकीर खिंचती दिखाई देती है जिसे कोई देख नहीं पा रहा या देखना नहीं चाह रहा.

क्या है एलिवेटेड सड़क एलिवेटेड सड़क ब्रिज की तरह होती है जो अपनी सतह से ऊंचाई पर बनाई जाती है. एलिवेटेड सड़कें ऐसी जगहों पर बनाई जाती हैं जहां घनी आबादी तथा ट्रैफिक की समस्या अधिक होती है, जैसे दिल्लीगुरुग्राम एक्सप्रैसवे का निर्माण दिल्ली से हरियाणा के गुरुग्राम शहर के बीच आने वाली ट्रैफिक समस्याओं से नजात पाने के उद्देश्य से किया गया था. आंकड़ों की मानें तो 2017 तक भारत में कुल 400 किलोमीटर एक्सप्रैसवे बने थे, जो जुलाई 2022 तक बढ़ कर 2,191.2 किलोमीटर हो गए हैं. लागत की बात की जाए तो 2023 तक बन कर तैयार होने वाले दिल्लीमुंबई एक्सप्रैसवे की अनुमानत: लागत 1 लाख करोड़ रुपए है. वहीं, पिछले 15 वर्षों से दिल्लीगुरुग्राम एक्सप्रैसवे का निर्माण 9,000 करोड़ की लागत से किया जा रहा है.

लेन की बात करें तो भारत में एक एलिवेटेड सड़क तथा एक्सप्रैसवे 4 लेन से ले कर 16 लेन तक बनाई जाती है पर क्या आप के और हमारे लिए ये हाईटैक और करोड़ों की लागत से बनी सड़कें उपयोगी हैं? नियम कहते हैं, एलिवेटेड सड़कों तथा एक्सप्रैसवे पर दोपहिया वाहनों का आनाजाना मना है. केवल चारपहिया वाहन, जैसे बस तथा लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक आदि ही आजा सकते हैं. ऐसे में विडंबना यह है कि भारत में चारपहिया वाहनों की संख्या जो कि लगभग 7 करोड़ है और दोपहिया वाहन जोकि 21 करोड़ हैं को आपस में बांटने का काम क्या ये सड़कें नहीं कर रही हैं? ध्यान दिया जाए तो अधिकतर दोपहिया वाहनों के खरीदार लोअरमिडिल क्लास, लोअर क्लास वाले होते हैं जो भारत की कुल आबादी का 50 प्रतिशत से ऊपर हैं.

इन लोगों को इस सुविधा से अलगथलग रखना किस तरह की सोच दिखाती है. प्रश्न यह उठता है कि आखिर ये सड़कें बनाई किसलिए जा रही हैं? देश की गरीबी छिपातीं एलिवेटेड सड़कें एलिवेटेड सड़कें सामान्य सड़कों की जगह ले रही हैं तो वहीं दूसरी ओर इन सड़कों के निर्माण के बाद हमारी आंखों से बस्तियां, ?ाग्गी?ांपडियां ओ?ाल होती जा रही हैं. पहले के समय में जब हम सड़कों से गुजरा करते थे तो सड़क किनारे हमारे बराबर में छोटीछोटी ?ाग्गी बस्तियां दिखाई देती थीं. ?ाग्गी वाले ट्रैफिक सिग्नल के आगे आ जाया करते थे. इन में से कुछ के लिए यह कमाई का साधन भी था.

कुछ रैड लाइट पर खड़ी गाडि़यों की सफाई किया करते थे और उस के एवज में अपना मेहनताना लिया करते थे. इन लोगों को देख हम उन की समस्या भी सम?ा पाते थे, देश की हालत के बारे में सोचा करते थे. अब उन गरीब बस्तियों, सड़क किनारे की ?ाग्गियों के आगे एलिवेटेड सड़कें और एक्सप्रैसवे की ऊंचीऊंची दीवारें उन्हें नीचा दिखाने व छिपाने का काम कर रही हैं. ऊपर एक्सप्रैसवे तथा एलिवेटेड सड़कों पर दौड़ते वाहनों की नजर से अब ये ?ाग्गियां ओ?ाल हो चुकी हैं. विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 की मानें तो भारत में असमानता की दर बहुत अधिक है. ऐसे में ये सड़कें ऊंचनीच एवं असमानता के भेद को और पक्का कर रही हैं. बेहतर होता कि इन लोगों को छिपाने की जगह, सरकार विकास के मौडल में ?ाग्गियों को खत्म कर वहां रह रहे लोगों की लाइफस्टाइल बेहतर करती पर यहां तो सरकारें उन्हें छिपा कर, विकास के मौडल के नाम पर गरीबों को छिपाने की साजिश कर रही हैं.

एलिवेटेड सड़कें और एक्सप्रैसवे बेशक सरकार की ट्रैफिक समस्याओं से नजात पाने का एक तरीका हैं पर एक तरफ जहां एलिवेटेड सड़कें, शहरों को पास लाने और जोड़ने का काम कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर सड़कों और बस्तियों की जिंदगी में ऊंचनीच का भेद भी बढ़ा रही हैं. जहां एलिवेटेड सड़कों पर अमीरों की महंगी लग्जरी कारें फर्राटे से दौड़ रही होंगी वहीं नीचे सामान्य सड़कों पर दोपहिया वाहन, बसों में सवार आम नागरिक ट्रैफिक से जद्दोजेहद कर रहे होंगे. एक दफा उन ?ाग्गियों में रह रहे लोगों के बारे में सोचें जिन्हें भारत पर धब्बा सम?ा एलिवेटेड सड़कों और एक्सप्रैसवे की दीवारों से छिपाया जा रहा है व आंखों से ओ?ाल किया जा रहा है तो सम?ा आएगा कि अहमदाबाद के ?ाग्गी?ांपडि़यों को ट्रंप के दौरे के वक्त उन की आंखों से ओल क्यों किया गया था.

लेखिका-प्रेरणा किरण

कैसे करें धान का भंडारण

खेती करने वाले किसानों के लिए उस के भंडारण के लिए भी उचित प्रक्रिया अपनानी चाहिए जिस से लंबे समय तक धान को सुरक्षित रखा जा सके. किसान अपनी सुविधा के मुताबिक जब मंडी में अच्छे दाम मिलें, तब वे उन्हें बेच कर अच्छा मुनाफा ले सकें.

जिन दिनों में फसल पक कर तैयार होती है, तो ज्यादातर किसान उपज का भंडारण न कर पाने के कारण उसे उन्हीं दिनों मंडी में बेच देते हैं, लेकिन जो किसान उपज का भंडारण करने में सक्षम हैं, उन्हें भंडारण पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए. खास बातें

* धान का भंडारण करने के लिए कुछ ऊंची जगह तैयार करें, ताकि नमी न हो, कीटों व चूहों से भी बचाव हो.

* सब से पहले धान या चावल के भंडारण से पहले भंडारघर को धुआं दे कर कीटाणुरहित करें व छेद, दरार आदि को भर दें. पुराने अनाज के दाने आदि न रहें, इस लिए अच्छी तरह से सफाई करें.

* लाइनों में रखे धान के बोरों के बीच थोड़ी खाली जगह छोड़ें, जिस से हवा बनी रहे.

* साफसुथरी बोरियों में धान को भरें. अनाज भरने से पहले बोरियों को 1 फीसदी मैलाथियान घोल में तकरीबन 5 मिनट तक उबाल कर धूप में सुखा लें.

* गोदाम के प्रत्येक 100 वर्गमीटर में 15 दिन के अंतराल में एक बार (शीत मौसम में 21 दिन में एक बार) मैलाथियान (50 फीसदी ईसी) 1:10 के अनुपात का घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. विकल्प के रूप में 40 ग्राम डेल्टामेथ्रिन (2.5 फीसदी) चूर्ण एक लिटर पानी में मिला कर 90 दिन के अंतराल में प्रति 100 वर्गमीटर में 3 लिटर की दर से छिड़काव करना चाहिए. डीडीवीपी (75 फीसदी ईसी 1:150) एक अन्य विकल्प है, जिस की जरूरत पड़ने पर प्रति 100 वर्गमीटर में 3 लिटर की दर से छिड़काव किया जा सकता है.

* गोदाम या भंडारण की अन्य जगह पर बोरों को धूम्रीकरण (धुआं) आवरण से ढकने के बाद 5-7 दिनों तक 9 ग्राम/मीट्रिक टन की दर से एलुमिनियम फास्फाइड से धूम्रीकरण (धुआं) करें. गोदाम में बिना आवरण की स्थिति में 6.3 ग्राम/मीट्रिक टन की दर से प्रयोग करें. मात्र पौलीथिन से ढके हुए व पक्की जगह पर रखे धान की बोरियों में 10.8 ग्राम/मीट्रिक टन की दर से धुआं करें.

* पुरानी और नई बोरियों को अलग रखें, ताकि सफाई रहे व दानों में रोग न लगे.

New Year Special : 5 ब्रेकफास्ट जो बने जल्दी और रखे हेल्दी

सेहत के प्रति लोगों की जागरुकता दर्शाती है कि लोग आजकल ऐसे स्नैक्स खाना चाहते हैं जो खाने में स्वादिष्ठ व पौष्टिक ही न हों बल्कि जल्दी तैयार भी हो जाएं. बाजार से खरीदे किसी स्नैक्स में वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है, तो कुछ में चीनी और सोडियम की मात्रा. उन का अधिक इस्तेमाल शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए सेहत के प्रति अगर वाकई जागरूक हैं तो जल्दी तैयार हो जाने वाले ऐसे स्नैक्स खाएं जो केवल स्वादिष्ठ ही न हों, पौष्टिक भी हों.

1 बाजरा मूंग पैनकेक

सामग्री : 1/2 कप बाजरे का आटा, 2 बड़े चम्मच जौ का आटा, 3 बड़े चम्मच चावल का आटा, 4 बड़े चम्मच ताजा दही, 1 बड़ा चम्मच अदरक व हरीमिर्च का पेस्ट, 1/4 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, 1 बड़ा चम्मच बारीक कतरा हरा धनिया, पैनकेक सेंकने के लिए 2 छोटे चम्मच रिफाइंड औयल, 2 बड़े चम्मच अंकुरित मूंग और नमक स्वादानुसार.

विधि :

बाजरे के आटे में अंकुरित मूंग व तेल को छोड़ कर सभी चीजें मिला लें. घोल काफी गाढ़ा हो तो

थोड़ा सा पानी डालें. मिश्रण को 15 मिनट तक ढक कर रखें. नौनस्टिक तवे को ब्रश से चिकना कर के 1 चम्मच घोल गोलाकार में फैलाएं और उस के ऊपर थोड़े से अंकुरित मूंग बुरकें. दोनों तरफ से उलटपलट कर सेंकें. तैयार पैनकेक चटनी के साथ सर्व करें.

2 इंस्टैंट ओट्स पैटीज

सामग्री

1 छोटा पैकेट इंस्टैंट वैज ओट्स, उबला व मैश किया 1 आलू, 2 बड़े चम्मच बारीक कटा प्याज, 2 बड़े चम्मच कद्दूकस की हुई गाजर, 3 बड़े चम्मच फ्रैश ब्रैड क्रंब्स चूरा, 1 बड़ा चम्मच बारीक कतरा हरा धनिया, 2 छोटे चम्मच बारीक कतरा पुदीना, चाट मसाला और नमक स्वादानुसार. पैटीज के लिए 2 छोटे चम्मच रिफाइंड औयल.

विधि :

इंस्टैंट वैज ओट्स के पैकेट पर लिखे निर्देशानुसार ओट्स तैयार कर अच्छी तरह पानी सुखा लें. इस में उपरोक्त लिखी सभी सामग्रियां मिलाएं और मनचाहे आकार की पैटीज बनाएं. नौनस्टिक तवे पर थोड़ा सा तेल लगा कर सुनहरी पैटीज सेंकें. इस हैल्दी स्नैक को धनिएपुदीने की चटनी या सौस के साथ सर्व करें.

3 ब्रान स्टफ्ड परांठा

सामग्री :

1/2 कप गेहूं का आटा, 4 बड़े चम्मच चोकर, 1/2 छोटा चम्मच नमक, 3 बड़े चम्मच टोंड मिल्क का जमा फ्रैश दही और 2 छोटे चम्मच परांठा सेंकने के लिए औलिव औयल.

भरावन की सामग्री : 3 बड़े चम्मच कद्दूकस की हुई गाजर, 1/4 कप कद्दू- कस किया टोंड मिल्क का पनीर, 1 बड़ा चम्मच बारीक कतरा हरा धनिया, 1 बड़ा चम्मच उबली व मैश की हुई हरी मटर, नमक और कालीमिर्च चूर्ण स्वादानुसार.

विधि :

भरावन की सभी सामग्रियां मिला लें. आटे में चोकर, नमक डालें और दही डाल कर गूंधें. जरूरत हो तो थोड़ा पानी डालें. आटे को ढक कर 20 मिनट तक रख दें. भरावन की सामग्री मिलाएं. आटे की 4 लोई बनाएं. हर लोई को बेल कर थोड़ा भरावन डालें और बंद कर के फिर बेलें. गरम तवे पर उलटपलट कर सेंकें फिर थोड़ा सा तेल लगा कर करारा सेंक लें. इन परांठों को दही व अचार के साथ सर्व करें.

4 डोसा सैंडविच

सामग्री :

ब्राउन ब्रैड की 6 स्लाइस, 2 बड़े चम्मच हंगकर्ड, 2 बड़े चम्मच मैश किया पनीर, 1 बड़ा चम्मच बारीक कतरा हरा धनिया, 1/4 छोटा चम्मच कुटी काली मिर्च, 1 कप रेडीमेड इंस्टैंट डोसा मिक्स पाउडर, सैंडविच सेंकने के लिए 2 छोटे चम्मच रिफाइंड औयल और नमक स्वादानुसार.

विधि :

इंस्टैंट डोसा मिक्स पाउडर को पैकेट पर लिखे निर्देशानुसार घोल लें. भरावन वाली सामग्रियों को मिक्स कर लें. ब्रैड के किनारे काट दें. एक ब्रैड की स्लाइस पर थोड़ा भरावन ले कर अच्छी तरह फैलाएं और दूसरी ब्रैड के स्लाइस से ढक दें. सभी इसी तरह तैयार करें. ब्रश में तेल लगा कर नौनस्टिक तवे को चिकना करें. डोसा घोल में प्रत्येक स्टफ्ड ब्रैड को डिप कर के हलकी गैस पर सेंक लें. डोसा सैंडविच को सर्व करें.

5 मक्की दलिया उपमा

सामग्री :

1/2 कप मक्की का दलिया, 2 बड़े चम्मच बारीक कटा प्याज, 2 बड़े चम्मच उबली हरी मटर, 2 बड़े चम्मच छोटे क्यूब्स में कटा टमाटर, 8-10 नग करीपत्ता, 1 छोटा चम्मच राई, 2 बड़े चम्मच छोटे क्यूब्स में कटी हुई हरीपीलीलाल शिमला मिर्चें, बारीक कटा 2 हरी मिर्च, 1 छोटा चम्मच अदरक बारीक कटी, 1 छोटा चम्मच नीबू का रस, 2 छोटे चम्मच रिफाइंड औयल और नमक स्वादानुसार.

विधि :

मक्की के दलिये को सूखा ही भून लें व 1 घंटा पानी में भिगोएं. फिर आधा कप पानी में मक्की का दलिया छान कर डालें और प्रेशरपैन में 1 सीटी आने तक पका लें. नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर के राई व करीपत्ते का तड़का लगा कर प्याज भूनें. फिर तीनों प्रकार की शिमला मिर्च डाल कर 1 मिनट तक उलटेंपलटें. इस में टमाटर, मक्की का उबला दलिया डाल कर 2 मिनट चलाएं. नीबू का रस व हरा धनिया डाल कर सर्व करें.

12 टिप्स: 30 की उम्र में ऐसे बदलें अपनी डाइट नहीं तो होगा नुकसान

कामकाजी महिलाओं को अपने औफिस और परिवार की जिम्मेदारियों को एकसाथ संभालना होता है. ऐसे में कइयों के लिए अपने बेहद व्यस्त शैड्यूल में से खुद के लिए थोड़ा सा भी समय निकाल पाना मुश्किल होता है, क्योंकि उन्हें लगातार एक से दूसरे काम में व्यस्त रहना पड़ता है. अपने शरीर और समय को ले कर नियमित तनाव की वजह से अकसर इन महिलाओं को खुद की और अपने शरीर की मांगों के स्थान पर अपने कर्तव्यों को चुनना पड़ता है. समय और ऊर्जा से तंग कई महिलाएं खाने की अस्वास्थ्यकर आदतों को अपना लेती हैं.

ये महिलाएं यह भूल जाती हैं कि अगर ये अपने शरीर, अपनी सेहत का ध्यान नहीं देंगी, तो अपने महत्त्वपूर्ण बोझ को उठाने में सक्षम नहीं रह जाएंगी. इसलिए एक खुशनुमा व स्वस्थ जीवन जीने के लिए महिलाओं को अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देने, समयसमय पर सेहत की जांच कराने, पोषक आहार लेने और नियमित व्यायाम करने के लिए समय निकालने की जरूरत होती है.

सेहत को गंभीरता से लें

जब खाने की बात आती है, तो उम्रदराज वयस्कों को अपने कैलोरी के उपभोग को कम करने और फाइबर व पोषक तत्त्वों से भरपूर खाना खाने की जरूरत होती है. कैलोरी से भरे आहार की वजह से वजन बढ़ सकता है और इस से महिलाओं को डायबिटीज, स्ट्रोक, औस्टियोपोरोसिस, स्तन कैंसर, उच्च रक्तचाप, आर्थ्राइटिस जैसी कई अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं.

इसलिए महिलाओं के लिए यह अनिवार्य है कि 30 की उम्र के बाद वे अपनी सेहत को गंभीरता से लें. बीमारियों से बचने, अपनी हड्डियों को मजबूत करने, अपने प्रतिरक्षातंत्र को सुदृढ़ करने और त्वचा की रक्षा के लिए सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं.

जानिए 30 साल की होने पर अपने आहार में कैसे संशोधन करें:

1 अपने दैनिक आहार में मसूर की दाल और फलीदार सब्जियां शामिल करें. सूखी सेम और मटर, काली सेम, राजमा, पत्तागोभी और मटर की दाल में सेहतमंद फाइबर और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है. पकाई गई 1 कप मसूर की दाल में लगभग 16 ग्राम फाइबर होता है, जो कोलैस्ट्रौल के स्तर को कम करने और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के साथ ही पाचन को भी बेहतर बनाने में मदद करता है.

2- एक पैकेट आलू के चिप्स या अपनी पसंदीदा कुकीज में ही संतुष्ट हो जाने की वजह से बाद में जब भी भूख लगे तो ताजा फल और सब्जियां खाने की आदत डालें. चमकीले रंगों वाले फलों का ताजा सलाद या सब्जियों का एक बाउल जैसे कि गाजर, कद्दू, शकरकंद, टमाटर, पपीता या मौसमी हरी सब्जियों का एक बाउल सेहतमंद बीएमआई मैंटेन करने में मदद कर सकता है. यह आप के खून के कोलैस्ट्रौल और शुगर के स्तर को बेहतर करने में भी मदद करता है.

3- मलाई निकला दूध, कम वसा या वसारहित दही और चीज कैल्सियम के अच्छे स्रोत हैं. गाय का दूध खासतौर पर कैल्सियम के अच्छे स्रोत हैं. पीनट बटर में कैल्सियम की काफी मात्रा होने के साथ ही विटामिन ई, मैग्नीशियम, पौटैशियम, और प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने वाले विटामिन बी6 की अच्छाई भी होती है.

4- मिठासरहित बादाम का दूध और नारियल का दूध ऐसे पोषणयुक्त सेहतमंद पेयपदार्थ हैं, जो शरीर को पर्याप्त पोषण देते हैं. बादाम के दूध में विटामिन डी की प्रचुर मात्रा होती है जबकि कैलोरी कम होती है. नारियल का दूध लैक्टोजरहित होता है. यह कोलैस्ट्रौल के स्तर को कम करने, रक्त दाब बेहतर करने और हार्ट अटैक या स्ट्रोक रोकने में मदद करता है.

5- सेहत और सौंदर्य को ले कर हलदी के कई फायदे हैं. कढ़ी या सूप जैसे अपने खाने में इस सुनहरे पीले पाउडर की एक चुटकी मिलाने से कई बीमारियों के विरुद्घ सुरक्षा मिलती है, ऐस्ट्रोजन हारमोंस को नियमित रखने में मदद मिलती है, स्तन कैंसर का जोखिम कम होता है, झुर्रियां घटती हैं.

6- पालक, पत्तागोभी और गोभी जैसी सब्जियों में बीटा कैरोटिन की मात्रा पर्याप्त होती है और इन के सेहत संबंधित कई फायदे होते हैं.

7- भले ही रैड मीट में हाई क्वालिटी प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है, लेकिन इस में सैचुरेटेड वसा भी होती है, जिस से हाई कैलोरी काउंट भी मिलता है. इसलिए सालमन, ट्यूना और सार्डिन जैसी कम वसायुक्त मछलियों का सेवन करें.

8- दैनिक उपभोग में बादाम, अखरोट, चिआ के बीज आदि शामिल करें. रोज अगर 1 मुट्ठी बादाम खाए जाएं, तो इस से शरीर को फाइबर, प्रोटीन, कैल्सियम, जिंक, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस, कौपर, आयरन और विटामिन बी मिलेगा. चिआ के बीचों में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड्स, कैल्सियम, जिंक, विटामिन बी1, बी2, बी3 और विटामिन ई होता है.

9- सोया मिल्क, टोफू, छोले, अलसी, दलिया, जई, ओटमील, और हाई क्वालिटी प्रोटीन सप्लिमैंट्स को अपने आहार का हिस्सा बनाएं.

10- राजमा, डार्क चौकलेट्स, किशमिश, जई, ब्रोकली, टमाटर, अखरोट, जैसे हाई क्वालिटी ऐंटीऔक्सीडैंट्स को अपने आहार में मिलाएं. इन खा-पदार्थों में पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट्स फ्री रैडिकल्स के प्रभावों से कोशिकाओं की रक्षा करते हैं, उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करते हैं, दिल की बीमारी का जोखिम घटाते हैं और प्रतिरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करते हैं.

11- डार्क चौकलेट से डायबिटीज, कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारी और दिल से संबंधित अन्य बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है.

12- उम्र बढ़ने की निशानियों को घटाने का सब से अच्छा तरीका है कि रसभरी, स्ट्राबैरी और ब्लूबैरी खाएं.

ऐसे भी कुछ खा-पदार्थ हैं, जिन से महिलाओं को 30 की उम्र के बाद अपनी सेहत के संकल्प को बनाए रखने के लिए पूरी तरह बचना चाहिए:

1- सूप, कटी सब्जियां, फल और सौसेज जैसे कैन्ड फूड्स से पूरी तरह बचना चाहिए. कैन्ड फूड में सोडियम बहुत होता है. इस में प्रिजर्वेटिव्स मौजूद होते हैं और टिन में धातु या प्लास्टिक की कोटिंग के कारण इन के दूषित होने की संभावना होती है.

2- बहुत ज्यादा फ्रोजन खाना भी सेहतमंद नहीं होता है.इस में 700 से 1800 एमजी तक सोडियम शामिल होता है. इस की वजह से ब्लडप्रैशर और सेहत से संबंधित अन्य बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है.

3- ज्यादातर बेक्ड फूड आइटम्स जैसे कि केक, पेस्ट्री और बिस्कुट का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि इन में रिफाइंड आटा मौजूद होता है जो अस्वास्थ्यकर होता है. इन में पोषक तत्त्वों की कमी होती है और कैलोरी ज्यादा होती है. ये वसा और शुगर से बने होते हैं.

4- कैन्ड जूस और गैस भरे ड्रिंक्स का सेवन कम करें, क्योंकि इन में हाई शुगर की सामग्री होती है, जिस से डायबिटीज बढ़ सकती है और आप के दिल व लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

– सोनिया नारंग, न्यूट्रिशनिस्ट ऐंड फिटनैस ऐक्सपर्ट

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें