ट्रैफिक की समस्या से छुटकारा पाने का आसान उपाय एलिवेटेड सड़कें भले हों पर इन सड़कों ने अमीरीगरीबी की एक और समस्या पैदा की है जिस बारे में लोग सोच नहीं पा रहे. 24 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘नमस्ते ट्रंप’ के प्रचार में लगे हुए थे. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होना था और तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव प्रचार के लिए भारत आए थे,
क्योंकि उन्हें अमेरिका के भारतीयों के वोट हासिल करने थे. इस इवैंट के लिए इकट्ठा की गई भीड़ ‘मोदीट्रंपमोदीट्रंप’ के नारे लगा रही थी. मीडिया भी मुस्तैद कर दिया गया था पर एक तबका था जो नईनई चुनवाई दीवारों के पीछे से आवाज लगा रहा था, ‘हम धब्बा नहीं, हम भी भारत हैं, हमें मत छिपाओ.’ यह आवाज ट्रंप के दौरे से पूर्व सरनियावास और देवसरन ?ाग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की थी, जिन्हें 7 फुट ऊंची और लगभग आधा किलोमीटर लंबी दीवारों से ढका गया था. ट्रंप के साथ आने वाली अमेरिकी मीडिया और दुनियाभर के लोग भारत की गरीबी का यह चेहरा न देख सकें,
इसलिए यह दीवार बना कर इसे ढका गया. अफसरों की दलीलें थीं कि यह उन का सुंदरीकरण तथा सफाईकरण का तरीका था ठीक वैसे ही जैसे लोग अपने दागधब्बे ठीक करने से ज्यादा उन्हें मेकअप से छिपाने की कोशिश करते हैं. ध्यान हो कि प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी इन्हीं गरीबों को हवाई जहाज में सैर कराने की बात किया करते थे. ऐसे ही देश में सरकार अब ऐलिवेटेड सड़कों पर जोर दे रही है. ये सड़कें भले डैवलपमैंट का शोर मचाती हों पर इस शोर के पीछे भेदभाव की एक महीन सी लकीर खिंचती दिखाई देती है जिसे कोई देख नहीं पा रहा या देखना नहीं चाह रहा.
क्या है एलिवेटेड सड़क एलिवेटेड सड़क ब्रिज की तरह होती है जो अपनी सतह से ऊंचाई पर बनाई जाती है. एलिवेटेड सड़कें ऐसी जगहों पर बनाई जाती हैं जहां घनी आबादी तथा ट्रैफिक की समस्या अधिक होती है, जैसे दिल्लीगुरुग्राम एक्सप्रैसवे का निर्माण दिल्ली से हरियाणा के गुरुग्राम शहर के बीच आने वाली ट्रैफिक समस्याओं से नजात पाने के उद्देश्य से किया गया था. आंकड़ों की मानें तो 2017 तक भारत में कुल 400 किलोमीटर एक्सप्रैसवे बने थे, जो जुलाई 2022 तक बढ़ कर 2,191.2 किलोमीटर हो गए हैं. लागत की बात की जाए तो 2023 तक बन कर तैयार होने वाले दिल्लीमुंबई एक्सप्रैसवे की अनुमानत: लागत 1 लाख करोड़ रुपए है. वहीं, पिछले 15 वर्षों से दिल्लीगुरुग्राम एक्सप्रैसवे का निर्माण 9,000 करोड़ की लागत से किया जा रहा है.
लेन की बात करें तो भारत में एक एलिवेटेड सड़क तथा एक्सप्रैसवे 4 लेन से ले कर 16 लेन तक बनाई जाती है पर क्या आप के और हमारे लिए ये हाईटैक और करोड़ों की लागत से बनी सड़कें उपयोगी हैं? नियम कहते हैं, एलिवेटेड सड़कों तथा एक्सप्रैसवे पर दोपहिया वाहनों का आनाजाना मना है. केवल चारपहिया वाहन, जैसे बस तथा लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक आदि ही आजा सकते हैं. ऐसे में विडंबना यह है कि भारत में चारपहिया वाहनों की संख्या जो कि लगभग 7 करोड़ है और दोपहिया वाहन जोकि 21 करोड़ हैं को आपस में बांटने का काम क्या ये सड़कें नहीं कर रही हैं? ध्यान दिया जाए तो अधिकतर दोपहिया वाहनों के खरीदार लोअरमिडिल क्लास, लोअर क्लास वाले होते हैं जो भारत की कुल आबादी का 50 प्रतिशत से ऊपर हैं.
इन लोगों को इस सुविधा से अलगथलग रखना किस तरह की सोच दिखाती है. प्रश्न यह उठता है कि आखिर ये सड़कें बनाई किसलिए जा रही हैं? देश की गरीबी छिपातीं एलिवेटेड सड़कें एलिवेटेड सड़कें सामान्य सड़कों की जगह ले रही हैं तो वहीं दूसरी ओर इन सड़कों के निर्माण के बाद हमारी आंखों से बस्तियां, ?ाग्गी?ांपडियां ओ?ाल होती जा रही हैं. पहले के समय में जब हम सड़कों से गुजरा करते थे तो सड़क किनारे हमारे बराबर में छोटीछोटी ?ाग्गी बस्तियां दिखाई देती थीं. ?ाग्गी वाले ट्रैफिक सिग्नल के आगे आ जाया करते थे. इन में से कुछ के लिए यह कमाई का साधन भी था.
कुछ रैड लाइट पर खड़ी गाडि़यों की सफाई किया करते थे और उस के एवज में अपना मेहनताना लिया करते थे. इन लोगों को देख हम उन की समस्या भी सम?ा पाते थे, देश की हालत के बारे में सोचा करते थे. अब उन गरीब बस्तियों, सड़क किनारे की ?ाग्गियों के आगे एलिवेटेड सड़कें और एक्सप्रैसवे की ऊंचीऊंची दीवारें उन्हें नीचा दिखाने व छिपाने का काम कर रही हैं. ऊपर एक्सप्रैसवे तथा एलिवेटेड सड़कों पर दौड़ते वाहनों की नजर से अब ये ?ाग्गियां ओ?ाल हो चुकी हैं. विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 की मानें तो भारत में असमानता की दर बहुत अधिक है. ऐसे में ये सड़कें ऊंचनीच एवं असमानता के भेद को और पक्का कर रही हैं. बेहतर होता कि इन लोगों को छिपाने की जगह, सरकार विकास के मौडल में ?ाग्गियों को खत्म कर वहां रह रहे लोगों की लाइफस्टाइल बेहतर करती पर यहां तो सरकारें उन्हें छिपा कर, विकास के मौडल के नाम पर गरीबों को छिपाने की साजिश कर रही हैं.
एलिवेटेड सड़कें और एक्सप्रैसवे बेशक सरकार की ट्रैफिक समस्याओं से नजात पाने का एक तरीका हैं पर एक तरफ जहां एलिवेटेड सड़कें, शहरों को पास लाने और जोड़ने का काम कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर सड़कों और बस्तियों की जिंदगी में ऊंचनीच का भेद भी बढ़ा रही हैं. जहां एलिवेटेड सड़कों पर अमीरों की महंगी लग्जरी कारें फर्राटे से दौड़ रही होंगी वहीं नीचे सामान्य सड़कों पर दोपहिया वाहन, बसों में सवार आम नागरिक ट्रैफिक से जद्दोजेहद कर रहे होंगे. एक दफा उन ?ाग्गियों में रह रहे लोगों के बारे में सोचें जिन्हें भारत पर धब्बा सम?ा एलिवेटेड सड़कों और एक्सप्रैसवे की दीवारों से छिपाया जा रहा है व आंखों से ओ?ाल किया जा रहा है तो सम?ा आएगा कि अहमदाबाद के ?ाग्गी?ांपडि़यों को ट्रंप के दौरे के वक्त उन की आंखों से ओल क्यों किया गया था.
लेखिका-प्रेरणा किरण