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वेलेंसिया की भूल: भाग 1

भाग 1

बात 7 जून, 2019 की है. उस समय सुबह के यही कोई 4 बजे थे. सैलानियों के लिए स्वर्ग कहे जाने वाले गोवा राज्य के मडगांव की रहने वाली जूलिया फर्नांडीस अपने साथ 4-5 रिश्तेदारों को ले कर कुडतरी पुलिस थाने पहुंची. वह किसी अनहोनी की आशंका से घबराई हुई थी.

थाने में मौजूद ड्यूटी अफसर ने जूलिया से थाने में आने की वजह पूछी तो उस ने अपना परिचय देने के बाद कहा कि उस की बहन वेलेंसिया फर्नांडीस कल से गायब है, उस का कहीं पता नहीं लग रहा है.

‘‘उस की उम्र क्या थी और कैसे गायब हुई?’’ ड्यूटी अफसर ने पूछा.

‘‘वेलेंसिया की उम्र यही कोई 30 साल थी. रोजाना की तरह वह कल सुबह 8 बजे अपनी ड्यूटी पर गई थी. वह मडगांव के एक जानेमाने मैडिकल स्टोर पर नौकरी करती थी. अपनी ड्यूटी पर जाते समय वेलेंसिया काफी खुश थी. क्योंकि आज से 10 दिनों बाद उस का जन्मदिन आने वाला था, उन का परिवार उस के जन्मदिन की पार्टी धूमधाम से मनाता था.

‘‘घर से निकलते समय वह कह कर गई थी कि आज उसे घर लौटने में देर हो जाएगी. फिर भी वह 9 बजे तक घर पहुंच जाएगी. उस का कहना था कि ड्यूटी के बाद वह मौल जा कर जन्मदिन की पार्टी की कुछ शौपिंग करेगी.

‘‘मगर ऐसा नहीं हुआ. रात 9 बजे के बाद भी जब वेलेंसिया नहीं आई तो घर वालों की चिंता बढ़ गई. उस के मोबाइल नंबर पर फोन किया गया तो उस का फोन नहीं मिला. इस के बाद सारे नातेरिश्तेदारों और उस की सभी सहेलियों को फोन कर के उस के बारे में पूछा गया. लेकिन कहीं से भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.’’ जूलिया फर्नांडीस ने बताया.

जूलिया फर्नांडीस और उन के साथ आए रिश्तेदारों की सारी बातें सुन कर ड्यूटी अफसर ने वेलेंसिया फर्नांडीस की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर इस की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी. इस के बाद उन्होंने वेलेंसिया का फोटो लेने के बाद आश्वासन दिया कि पुलिस वेलेंसिया को खोजने की पूरी कोशिश करेगी.

वेलेंसिया की गुमशुदगी की शिकायत को अभी 4 घंटे भी नहीं हुए थे कि वेलेंसिया के परिवार वालों को उस के बारे में जो खबर मिली, उसे सुन कर पूरा परिवार हिल गया.

दरअसल, सुबहसुबह वायना के कुडतरी पुलिस थाने से लगभग 7 किलोमीटर दूर रीवन गांव के जंगल में कुछ लोगों ने सफेद रंग की चादर में एक लाश देखी तो उन में से एक शख्स ने इस की जानकारी गोवा पुलिस के कंट्रोलरूम को दे दी. पुलिस कंट्रोलरूम ने वायरलैस द्वारा यह सूचना शहर के सभी पुलिस थानों में प्रसारित कर दी.

जिस जंगल में लाश मिलने की सूचना मिली थी, वह इलाका मडगांव केपे पुलिस थाने के अंतर्गत आता था, सूचना मिलते ही केपे थाने की पुलिस लगभग 10 मिनट में मौके पर पहुंच गई. पुलिस को वहां काफी लोग खड़े मिले.

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इस बीच जंगल में लाश मिलने की खबर आसपास के गांवों तक पहुंच गई थी. देखते ही देखते वहां काफी लोगों की भीड़ एकत्र हो गई. पुलिस ने मुआयना किया तो सफेद रंग की चादर में बंधे शव के थोड़े से पैर दिखाई दे रहे थे, जिस से लग रहा था कि शव किसी महिला का हो सकता है. जब पुलिस ने चादर खोली तो वास्तव में शव युवती का ही निकला.

मृतका के हाथपैर एक नायलौन की रस्सी से बंधे थे और गले में उस का दुपट्टा लिपटा हुआ था. लेकिन हत्यारे ने उस का चेहरा इतनी बुरी तरह से विकृत कर दिया था कि उसे पहचानना आसान नहीं था. हत्यारे ने यह शायद इसलिए किया होगा ताकि उस की शिनाख्त न हो सके.

फिर भी पुलिस को अपनी काररवाई तो करनी ही थी. सब से पहले मृतका की शिनाख्त जरूरी थी, लिहाजा पुलिस ने मौके पर मौजूद लोगों से मृतका के बारे में पूछा, लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं सका. मृतका के कपड़ों की तलाशी लेने के बाद कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिस से उस की शिनाख्त हो सके.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को मामले की सूचना देने के बाद केपे पुलिस ने मौके पर फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड टीम को भी बुला लिया. खोजी कुत्ते से पुलिस को एक साक्ष्य मिल गया. शव सूंघने के बाद वह वहां से कुछ दूर झाडि़यों में पहुंच कर भौंकने लगा. पुलिस ने वहां खोजबीन की तो एक मोबाइल फोन मिला. जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया.

केपे थाना पुलिस घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रही थी कि दक्षिणी गोवा के एसपी अरविंद गावस अपने सहायकों के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने शव और घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और केपे थाने के थानाप्रभारी को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर लौट गए.

इस के बाद थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई कर युवती की लाश पोस्टमार्टम के लिए गोवा के जिला अस्पताल भेज दी.

थाने लौट कर थानाप्रभारी ने मृतका की शिनाख्त पर जोर दिया. क्योंकि बिना शिनाख्त के मामले की तफ्तीश आगे बढ़ना संभव नहीं थी. इस के लिए थानाप्रभारी ने गोवा शहर और जिलों के सभी पुलिस थानों में मृतका का फोटो भेज कर यह पता लगाने की कोशिश की कि कहीं किसी पुलिस थाने में उस की गुमशुदगी तो नहीं दर्ज है.

कुडतरी थाने में जब लाश की फोटो हुलिए के साथ पहुंची तो वहां के थानाप्रभारी को एक दिन पहले अपने थाने में दर्ज वेलेंसिया फर्नांडीस की गुमशुदगी की सूचना याद आ गई. बरामद लाश का हुलिया वेलेंसिया के हुलिए से मिलताजुलता था. कुडतरी थानाप्रभारी ने उसी समय केपे के थानाप्रभारी को फोन कर इस बारे में बात की.

इस के बाद उन्होंने तुरंत वेलेंसिया के परिवार वालों को थाने बुला कर उन्हें लाश की शिनाख्त करने के लिए केपे थाने भेज दिया. केपे थानाप्रभारी ने जिला अस्पताल की मोर्चरी ले जा कर युवती की लाश वेलेंसिया के घर वालों को दिखाई. चेहरे से तो नहीं, लेकिन कपड़ों और चप्पलों को देखते ही घर वाले फूटफूट कर रोने लगे. उन्होंने लाश की शिनाख्त वेलेंसिया फर्नांडीस के रूप में की.

थानाप्रभारी ने उन्हें सांत्वना दे कर शांत कराया. इस के बाद उन से पूछताछ की. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद उन्होंने केस की जांच शुरू कर दी. घटनास्थल पर बंद हालत में मिले मोबाइल की सिम निकाल कर उन्होंने दूसरे फोन में डाली और मोबाइल की काल हिस्ट्री खंगालने लगे. इस जांच में एक नंबर संदिग्ध लगा.

वह नंबर शैलेश वलीप के नाम पर लिया गया था. शैलेश वलीप ने 7 जून, 2019 को ही वेलेंसिया से बातें की थीं. पुलिस टीम जब शैलेश वलीप के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. घर पर मिली उस की बहन भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकी. पुलिस ने जब उस की बहन से बात की तो वेलेंसिया और शैलेश वलीप के संबंधों की पुष्टि हो गई.

पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि वेलेंसिया की हत्या में जरूर शैलेश का हाथ रहा होगा. इसलिए उस की तलाश सरगरमी से शुरू हो गई. थानाप्रभारी ने अपने मुखबिरों को भी अलर्ट कर दिया.

एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने शैलेश को गोवा के अमोल कैफे में दबोच लिया. पुलिस टीम ने जिस समय उसे गिरफ्तार किया, उस समय वह शराब के नशे में धुत था.

जब नशा उतर जाने के बाद थाने में उस से पूछताछ की गई तो पहले तो वह पुलिस अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश करते हुए वेलेंसिया हत्याकांड से खुद को अनभिज्ञ और बेगुनाह बताता रहा. लेकिन जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए हत्याकांड में शामिल रहे अपने सहयोगी देवीदास गावकर का भी नाम बता दिया. शैलेश वलीप की निशानदेही पर पुलिस टीम ने देवीदास गांवकर को भी गिरफ्तार कर लिया.

इन दोनों से पूछताछ करने के बाद वेलेंसिया फर्नांडीस की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

30 वर्षीया वेलेंसिया फर्नांडीस दक्षिणी गोवा के मडगांव के थाना कुडतरी गांव मायना की रहने वाली थी. वह अपनी चारों बहनों में तीसरे नंबर की थी. उस के पिता जोसेफ फर्नांडीस एक सीधेसादे और सरल स्वभाव के थे. वह अपनी बेटियों में कोई भेदभाव नहीं रखते थे.

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वेलेंसिया फर्नांडीस की दोनों बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी. वे अपने परिवार के साथ अपनी ससुराल में खुश थीं. वेलेंसिया अपनी छोटी बहन जूलिया फर्नांडीस के साथ रहती थी. उस की सारी जिम्मेदारी वेलेंसिया पर थी. वेलेंसिया ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नौकरी की कोशिश की तो उसे बिना किसी परेशानी के गोवा मडगांव के एक जानेमाने बड़े मैडिकल शौप में सेल्सगर्ल की नौकरी मिल गई.

वेलेंसिया देखने में जितनी सुंदर थी, उतनी ही वह महत्त्वाकांक्षी भी थी. जिस मैडिकल शौप में वह काम करती थी, वहां रीमा वलीप नाम की लड़की भी काम करती थी. वह वेलेंसिया की अच्छी दोस्त बन गई थी.

क्रमश:

—कथा के कुछ नाम काल्पनिक हैं

आजकल की लड़कियां

आपने अक्सर सुना होगा कि प्रेमी प्रेमिका को खुश करने के लिए  कई तरह से महंगे गिफ्ट देता है,सोने की अंगूठी,चांदी की पायल,जाने क्या क्या! लेकिन इस मामले में अब चौंकाने वाली खबरें भी आ रही हैं . अब तो उल्टी गंगा भी बहने लगी है.  प्रेमी  की जगह अब प्रेमिका गिफ्ट  देती है और यही नहीं, प्रेमी  लड़के को आकर्षित करने के लिए  अपने ही घर में  सेंध लगा देती है  चोरी करने से भी बाज नहीं आती. ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के भनपुरी थाना क्षेत्र  में  घटित हुआ है. एक लड़की ने अपने बौयफ्रेंड  को खुश  करने की कोशिश कुछ इस तरह की,  की अपने ही घर में अपराध कर डाला… और यह क्राइम उसे इतना   भारी पड़ गया की उस पर पुलिस ने  अपराध  दर्ज कर लिया . दरअसल, नाबालिग लड़की अपने प्रेमी को उसके जन्मदिन पर एक बाइक गिफ्ट करना चाहती थी. मगर उसके पास पैसे नहीं थे. फिर लड़की ने अपने ही घर चोरी  की और पैसे युवक को दे दिए. जब प्रेमी को नाबालिग लड़की ने लगभग पौने दो लाख रुपए बाइक के लिए गिफ्ट दिए तब प्रेमी ने पूछा भी कि यह पैसे कहां से लाई हो तो उसने अपनी कसम देकर प्रेमी को रुपए थमा दिए और कहा इसके बारे में कुछ भी न पूछो. अजीबो गरीब अपराध और प्रेम की कहानी बिल्कुल सच्ची है.

ऐसे  हुआ  पुलिस  को लड़की  पर शक

घरवालों ने जब मामले की शिकायत पुलिस  मे की तो जांच शुरू हुई. भनपुरी पुलिस ने मामला  दर्ज होने के पश्चात  घर के प्रत्येक सदस्य  एवं नौकरों से  पूछताछ करनी प्रारंभ कर दी  लड़की से  नाबालिक होने के कारण  पूछताछ  अंतिम समय में की गई  जब पुलिस ने लड़की को तलब किया  तो वह  पसीना पसीना हो गई  तब जांच अधिकारी  रमाकांत साहू को  लड़की पर शक हुआ  उन्होंने  बड़े ही  पुलिसिया अंदाज में  लड़की से सच  कबूल करवा लिया.  लड़की ने  रोते हुए  पुलिस के सामने सारी सच्चाई बयां कर दी.जांच में पुलिस का शक नाबालिग लड़की सबसे  अंतिम समय  मे गया . पूछताछ में लड़की ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया.  पुलिस ने आरोपी युवक को नगद  राशि के साथ गिरफ्तार कर लिया,  उससे भी पूछताछ की तो सारी सच्चाई आईने की तरह साफ हो गई. लड़की ने बताया कि वह  प्रेमी को खुश करना चाहती थी इसके लिए उसने घर में ही चोरी करने की योजना बना ली थी.

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अपने तरह का अजीबोगरीब मामला

राजधानी रायपुर के खमतराई थाना क्षेत्र के भनपुरी इलाके में हुए तकरीबन 1.73 लाख रुपए के चोरी के मामले का खुलासा पुलिस ने कर दिया है.

और यह बड़ा  खुलासा हो गया है कि प्रेमी को उसके जन्मदिन के मौके पर गिफ्ट देने के फेर  में नाबालिग लड़की ने अपने ही घर चोरी की थी. इन दिनों इस तरह की अनेक घटनाएं घटित हो रही है जो हमें चौकाती है और बताती है कि प्रेम  के इस नये रंग लडकियों  क्या  गुल  खिला  सकती है.

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आखिरी भाग

डूंगरदान के पड़ोस में ही मोहन सिंह राव का आनाजाना था. मोहन सिंह राव पुराना भीनमाल के नरता रोड पर रहता था. वह अपराधी प्रवृत्ति का रसिकमिजाज व्यक्ति था. उस की नजर रसाल कंवर पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. मोहन सिंह ने इस के लिए ही डूंगरदान से दोस्ती की थी. इस के बाद वह उस के घर आनेजाने लगा.

मोहन सिंह रसाल कंवर से भी बड़ी चिकनीचुपड़ी बातें करता था. जब डूंगरदान मजदूरी करने चला जाता और उस के बच्चे स्कूल तो घर में रसाल कंवर अकेली रह जाती. ऐसे मौके पर मोहन सिंह उस के यहां आने लगा. मीठीमीठी बातों में रसाल को भी रस आने लगा. मोहन सिंह अच्छीखासी कदकाठी का युवक था.रसाल और मोहन के बीच धीरेधीरे नजदीकियां बढ़ने लगीं.

थोड़े दिनों के बाद दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. इस के बाद रसाल कंवर उस की दीवानी हो गई. डूंगरदान हर रोज सुबह मजदूरी पर निकल जाता तो फिर शाम होने पर ही घर लौटता था.

रसाल और मोहन पूरे दिन रासलीला में लगे रहते. डूंगरदान की पीठ पीछे उस की ब्याहता कुलटा बन गई थी. दिन भर का साथ उन्हें कम लगने लगा था. मोहन चाहता था कि रसाल कंवर रात में भी उसी के साथ रहे, मगर यह संभव नहीं था. क्योंकि रात में पति घर पर होता था.

ऐसे में एक दिन मोहन सिंह ने रसाल कंवर से कहा, ‘‘रसाल, जीवन भर तुम्हारा साथ तो निभाऊंगा ही, साथ ही एक प्लौट भी तुम्हें ले कर दूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम्हारे बदन को अब मेरे सिवा और कोई न छुए. तुम्हारे तनमन पर अब सिर्फ मेरा अधिकार है.’’

‘‘मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाऊंगी.’’ रसाल कंवर ने प्रेमी की हां में हां मिलाते हुए कहा.

रसाल के दिलोदिमाग में यह बात गहराई तक उतर गई थी कि मोहन उसे बहुत चाहता है. वह उस पर जान छिड़कता है. रसाल भी पति को दरकिनार कर पूरी तरह से मोहन के रंग में रंग गई. इसलिए दोनों ने डूंगरदान को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. लेकिन इस से पहले ही डूंगरदान को पता चल गया कि उस की गैरमौजूदगी में मोहन सिंह दिन भर उस के घर में पत्नी के पास बैठा रहता है.

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यह सुनते ही उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. गुस्से से भरा डूंगरदान घर आ कर चिल्ला कर पत्नी से बोला, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में मोहन यहां क्यों आता है, घंटों तक यहां क्या करता है? बताओ, तुम से उस का क्या संबंध है?’’ कहते हुए उस ने पत्नी का गला पकड़ लिया.

रसाल मिमियाते हुए बोली, ‘‘वह तुम्हारा दोस्त है और तुम्हें ही पूछने आता है. मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. जरूर किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं. हमारी गृहस्थी में कोई आग लगाना चाहता है. तुम्हारी कसम खा कर कहती हूं कि मोहन सिंह से मैं कह दूंगी कि वह अब घर कभी न आए.’’

पत्नी की यह बात सुन कर डूंगरदान को लगा कि शायद रसाल सच कह रही है. कोई जानबूझ कर उन की गृहस्थी तोड़ना चाहता है. डूंगरदान शरीफ व्यक्ति था. वह बीवी पर विश्वास कर बैठा. रसाल कंवर ने अपने प्रेमी मोहन को भी सचेत कर दिया कि किसी ने उस के पति को उस के बारे में बता दिया है. इसलिए अब सावधान रहना जरूरी है.

उधर डूंगरदान के मन में पत्नी को ले कर शक उत्पन्न तो हो ही गया था. इसलिए वह वक्तबेवक्त घर आने लगा. एक रोज डूंगरदान मजदूरी पर गया और 2 घंटे बाद घर लौट आया. घर का दरवाजा बंद था. खटखटाने पर थोड़ी देर बाद उस की पत्नी रसाल कंवर ने दरवाजा खोला. पति को अचानक सामने देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डूंगरदान की नजर कमरे में अंदर बैठे मोहन सिंह पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने मोहन सिंह पर गालियों की बौछार कर दी. मोहन सिंह गालियां सुन कर वहां से चला गया. इस के बाद डूंगरदान ने पत्नी की लातघूंसों से खूब पिटाई की. रसाल लाख कहती रही कि मोहन सिंह 5 मिनट पहले ही आया था. मगर पति ने उस की एक न सुनी.

पत्नी के पैर बहक चुके थे. डूंगरदान सोचता था कि गलत रास्ते से पत्नी को वापस कैसे लौटाया जाए. वह इसी चिंता में रहने लगा. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. वह चिड़चिड़ा भी हो गया था. बातबात पर उस का पत्नी से झगड़ा हो जाता था.

आखिर, रसाल कंवर पति से तंग आ गई. यह दुख उस ने अपने प्रेमी के सामने जाहिर कर दिया. तब दोनों ने तय कर लिया कि डूंगरदान को जितनी जल्दी हो सके, निपटा दिया जाए.

रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को तैयार हो गई. मोहन सिंह ने योजना में अपने दोस्त मांगीलाल को भी शामिल कर लिया. मांगीलाल भीनमाल में ही रहता था.

साजिश के तहत रसाल और मोहन सिंह 12 जुलाई, 2019 को डूंगरदान को उपचार के बहाने बोलेरो गाड़ी में जालौर के राजकीय चिकित्सालय ले गए. मांगीलाल भी साथ था. वहां उस के नाम की परची कटाई. डाक्टर से चैकअप करवाया और वापस भीनमाल रवाना हो गए. रास्ते में मौका देख कर रसाल कंवर और मोहन सिंह ने डूंगरदान को मारपीट कर अधमरा कर दिया. फिर उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

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इस के बाद डूंगरदान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोलेरो में डाल कर बोरटा से लेदरमेर जाने वाले सुनसान कच्चे रास्ते पर ले गए, जिस के बाद डूंगरदान के शरीर पर पहने हुए कपड़े पैंटशर्ट उतार कर नग्न लाश वन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर डाल कर रेत से दबा दी. उस के बाद वे भीनमाल लौट गए.

भीनमाल में रसाल कंवर ने आसपास के लोगों से कह दिया कि उस का पति जालौर अस्पताल चैकअप कराने गया था. मगर अब उस का कोई पता नहीं चल रहा. तब डूंगरदान की गुमशुदगी उस के रिश्तेदार शैतानदान चारण ने जालौर सिटी कोतवाली में दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी मोहन सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस ने अपने साले की बीवी की हत्या की थी. इन दिनों वह जमानत पर था. मोहन सिंह शादीशुदा था, मगर बीवी मायके में ही रहती थी. भीनमाल निवासी मांगीलाल उस का मित्र था. वारदात के बाद मांगीलाल फरार हो गया था.

थाना रामसीन के इंचार्ज छतरसिंह देवड़ा अवकाश से ड्यूटी लौट आए थे. उन्होंने भी रिमांड पर चल रहे रसाल कंवर और मोहन सिंह राव से पूछताछ की.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने 19 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों रसाल कंवर और मोहन सिंह को फिर से कोर्ट में पेश कर दोबारा 2 दिन के रिमांड पर लिया और उन से पूछताछ कर कई सबूत जुटाए. उन की निशानदेही पर मृतक के कपड़े, वारदात में प्रयुक्त बोलेरो गाड़ी नंबर आरजे14यू बी7612 बरामद की गई. मृतक डूंगरदान के कपडे़ व चप्पलें रामसीन रोड बीएड कालेज के पास रेल पटरी के पास से बरामद कर ली गईं.

पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. पुलिस तीसरे आरोपी मांगीलाल माली को तलाश कर रही है.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

रसीली नहीं थी रशल कंवर: भाग 1

डूंगरदान पत्नी को सुखी और खुश रखने के लिए गांव से शहर ले आया था. वह जितना कमाता था, उतने में गृहस्थी आराम से चल जाती थी, लेकिन दिन भर घर में अकेली रहने वाली पत्नी रसाल कंवर ने अपना सुख खोजा पति के दोस्त मोहन सिंह राव में. इस के चलते कुछ न कुछ तो गलत होना ही था. आखिर…

रविवार 14 जुलाई, 2019 का दिन था. दोपहर का समय था. जालौर के एसपी हिम्मत अभिलाष टाक को फोन पर

सूचना मिली कि बोरटा-लेदरमेर ग्रेवल सड़क के पास वन विभाग की जमीन पर एक व्यक्ति का नग्न अवस्था में शव पड़ा है.

एसपी टाक ने तत्काल भीनमाल के डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई को घटना से अवगत कराया और घटनास्थल पर जा कर काररवाई करने के निर्देश दिए. एसपी के निर्देश पर डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए, साथ ही उन्होंने थाना रामसीन में भी सूचना दे दी. उस दिन थाना रामसीन के थानाप्रभारी छतरसिंह देवड़ा अवकाश पर थे. इसलिए सूचना मिलते ही मौजूदा थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर आसपास के गांव वालों की भीड़ जमा थी. वहां वन विभाग की खाई में एक आदमी का नग्न शव पड़ा था. आधा शव रेत में दफन था. उस का चेहरा कुचला हुआ था. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि उस की हत्या शायद कई दिन पहले की गई है.

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वहां पड़ा शव सब से पहले एक चरवाहे ने देखा था. वह वहां सड़क किनारे बकरियां चरा रहा था. उसी चरवाहे ने यह खबर आसपास के लोगों को दी थी. कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को खबर कर दी.

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खाई से बाहर निकाल कर शिनाख्त कराने की कोशिश की, मगर जमा भीड़ में से कोई भी मृतक की शिनाख्त नहीं कर सका. शव से करीब 20 मीटर की दूरी पर किसी चारपहिया वाहन के टायरों के निशान मिले. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे शव को किसी गाड़ी में ले कर आए और यहां डाल कर चले गए.

पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. शव के पास ही खून से सनी सीमेंट की टूटी हुई ईंट भी मिली. लग रहा था कि उसी ईंट से उस के चेहरे को कुचला गया था. कुचलते समय वह ईंट भी टूट गई थी.

मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी भिजवा दिया. डाक्टरों की टीम ने उस का पोस्टमार्टम किया.

जब तक शव की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. शव की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मृतक के फोटो वाट्सऐप पर शेयर कर दिए. साथ ही लाश के फोटो भीनमाल, जालौर और बोरटा में तमाम लोगों को दिखाए. लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

सोशल मीडिया पर मृतक का फोटो वायरल हो चुका था. जालौर के थाना सिटी कोतवाली में 2 दिन पहले कालेटी गांव के शैतानदान चारण नाम के एक शख्स ने अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

कोतवाली प्रभारी को जब थाना रामसीन क्षेत्र में एक अज्ञात लाश मिलने की जानकारी मिली तो उन्होंने लाश से संबंधित बातों पर गौर किया. उस लाश का हुलिया लापता डूंगरदान चारण के हुलिए से मिलताजुलता था. कोतवाली प्रभारी बाघ सिंह ने डीएसपी भीनमाल हुकमाराम को सारी बातें बताईं.

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मारा गया व्यक्ति डूंगरदान चारण था

इस के बाद एसपी जालौर ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया, इन में एक टीम भीनमाल थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद के नेतृत्व में गठित की गई, जिस में एएसआई रघुनाथ राम, हैडकांस्टेबल शहजाद खान, तेजाराम, संग्राम सिंह, कांस्टेबल विक्रम नैण, मदनलाल, ओमप्रकाश, रामलाल, भागीरथ राम, महिला कांस्टेबल ब्रह्मा शामिल थी.

दूसरी पुलिस टीम में रामसीन थाने के एएसआई विरधाराम, हैडकांस्टेबल प्रेम सिंह, नरेंद्र, कांस्टेबल पारसाराम, राकेश कुमार, गिरधारी लाल, कुंपाराम, मायंगाराम, गोविंद राम और महिला कांस्टेबल धोली, ममता आदि को शामिल किया गया.

डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई दोनों पुलिस टीमों का निर्देशन कर रहे थे. जालौर के कोतवाली निरीक्षक बाघ सिंह ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराने वाले उस के रिश्तेदार शैतानदान को राजदीप चिकित्सालय की मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण के रूप में कर दी.

मृतक की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उस के परिजनों से संपर्क किया तो इस मामले में अहम जानकारी मिली. मृतक की पत्नी रसाल कंवर ने पुलिस को बताया कि उस के पति डूंगरदान 12 जुलाई, 2019 को जालौर के सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे.

वहां से घर लौटने के बाद पता नहीं वे कहां लापता हो गए, जिस की थाने में सूचना भी दर्ज करा दी थी. रसाल कंवर ने पुलिस को अस्पताल की परची भी दिखाई. पुलिस टीम ने अस्पताल की परची के आधार पर जांच की.

पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय जालौर के 12 जुलाई, 2019 के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि डूंगरदान को काले रंग की बोलेरो आरजे14यू बी7612 में अस्पताल तक लाया गया था.

उस समय डूंगरदान के साथ उस की पत्नी रसाल कंवर के अलावा 2 व्यक्ति भी फुटेज में दिखे. उन दोनों की पहचान मोहन सिंह और मांगीलाल निवासी भीनमाल के रूप में हुई. पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जांच के बाद गांव के विभिन्न लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि मृतक डूंगरदान चारण की पत्नी रसाल कंवर से मोहन सिंह राव के अवैध संबंध थे. इस जानकारी के बाद पुलिस ने रसाल कंवर और मोहन सिंह को थाने बुला कर सख्ती से पूछताछ की.

मांगीलाल फरार हो गया था. रसाल कंवर और मोहन सिंह राव ने आसानी से डूंगरदान की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

केस का खुलासा होने की जानकारी मिलने पर पुलिस के उच्चाधिकारी भी थाने पहुंच गए. उच्चाधिकारियों के सामने आरोपियों से पूछताछ कर डूंगरदान हत्याकांड से परदा उठ गया.

पुलिस ने 16 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों मृतक की पत्नी रसाल कंवर एवं उस के प्रेमी मोहन सिंह राव को कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो डूंगरदान चारण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी-

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मृतक डूंगरदान चारण मूलरूप से राजस्थान के जालौर जिले के बागौड़ा थानान्तर्गत गांव कालेटी का निवासी था. उस के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. वह उस जमीन पर खेती के अलावा दूसरी जगह मेहनतमजदूरी करता था. उस की शादी करीब एक दशक पहले जालौर की ही रसाल कंवर से हुई थी.

करीब एक साल बाद रसाल कंवर एक बेटे की मां बनी तो परिवार में खुशियां बढ़ गईं. बाद में वह एक और बेटी की मां बन गई. जब डूंगरदान के बच्चे बड़े होने लगे तो वह उन के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा.

गांव में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा डूंगरदान अपने बीवीबच्चों के साथ गांव कालेटी छोड़ कर भीनमाल चला गया और वहां लक्ष्मीमाता मंदिर के पास किराए का कमरा ले कर रहने लगा. भीनमाल कस्बा है. वहां डूंगरदान को मजदूरी भी मिल जाती थी. जबकि गांव में हफ्तेहफ्ते तक उसे मजदूरी नहीं मिलती थी.

क्रमश: 

पत्नी के जाल में हलाल हुआ पति: भाग 2

पत्नी के जाल में हलाल हुआ पति: भाग 1

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एक रोज रानी की नजर बबलू से टकरा गई. बबलू गांव का दबंग युवक था और अपराधी भी. उस पर एक दरजन से अधिक मुकदमे दर्ज थे. उस की तलाश में अकसर पुलिस गांव में आती रहती थी. लेकिन उस के खौफ से कोई गांव वाला जुबान नहीं खोलता था.

उस दिन बबलू आया तो था प्रवीण से मिलने, लेकिन उस का सामना हो गया उस की खूबसूरत बीवी रानी से. पहली ही नजर में रानी बबलू के मन में रच बस गई. बबलू को देख कर रानी के मन में भी उथलपुथल होने लगी.

रानी की खूबसूरती ने बबलू को बेचैन किया तो वह उस से नजदीकियां बनाने के उपाय खोजने लगा. उस ने प्रवीण से दोस्ती कर ली. उस से मिलने उस के घर आने लगा. इतना ही नहीं, उस ने प्रवीण को शराब की लत भी लगा दी तथ उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. प्रवीण, बबलू के अहसानों तले इतना दब गया कि उस का प्रवीण के घर बेरोकटोक आनाजाना होने लगा. कभीकभी पुलिस उस के पीछे पड़ती तो वह प्रवीण के घर में छिप भी जाता था.

घर आतेजाते बबलू अकसर रानी के हुस्न की तारीफ करता तो रानी फूल कर गदगद हो जाती. बबलू रानी से छोटा था, इसलिए वह उसे भाभी कहता था. इस नाते वह उस से हंसीमजाक करता था. रानी को यह सब अच्छा लगता था. वह भी बबलू से खुल कर हंसीमजाक कर लेती थी. कभीकभी तो दोनों की हंसीमजाक सामाजिक मर्यादा तोड़ने पर उतारू हो जाती थी.

इस के बाद बबलू ने प्रवीण की गैरमौजूदगी में भी उस के यहां जाना शुरू कर दिया. एक दिन बातों ही बातों में रानी ने जैसे ही अपने पति की बेरुखी का बखान किया, वैसे ही बबलू ने उस का हाथ थामते हुए कहा, ‘‘भाभी, तुम क्यों चिंता करती हो, मैं तुम्हारा खयाल रखूंगा. आज से तुम्हारे सारे दुख मेरे हैं और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी.’’

‘‘सच बबलू…’’ रानी ने मुसकरा कर पूछा.

‘‘हां भाभी, बिलकुल सच. कभी मुझे सेवा का मौका तो दो.’’ वह बोला.

‘‘तो कल शाम ढलते ही आ जाना. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’ रानी मुसकरा कर बोली.

रानी की बात सुन कर बबलू बहुत खुश हुआ. उस दिन वह अपने घर न जा कर डकोर चला गया. वहां उस का एक अपराधी साथी लाखन रहता था. वह रात उस ने लाखन के घर पर करवटें बदलते गुजारी.

रात भर वह रानी के खयालों में डूबा रहा. सुबह वह देर से जागा. दोपहर बाद उस ने लाखन के साथ होटल में खाना खाया फिर शाम को रानी के घर जा पहुंचा. रानी उसी का इंतजार कर रही थी. बबलू ने पहुंचते ही रानी को अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘आज तो तुम हुस्न की परी लग रही हो, जी चाहता है कि…’’

‘‘मैं भी तुम्हारे इंतजार में पलकें बिछाए बैठी थी.’’ रानी बोली.

इस के बाद दोनों ने इत्मीनान से हसरतें पूरी कीं.

अवैध रिश्तों का यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर इस ने रुकने का नाम नहीं लिया. जब भी दोनों को मौका मिलता, एकदूसरे की बांहों में सिमट जाते. चूंकि बबलू अपराधी था और रात को ही आता था, अत: दोनों के संबंधों की भनक किसी को नहीं लग पाती थी.

प्रवीण ने अपना बसेरा खेतों पर बना लिया था. दरअसल, आवारा जानवर तथा नीलगाय खड़ी फसल को रात में रौंद डालते थे. इसलिए फसल की रखवाली के लिए वह रात में खेत पर चला जाता था. खेत के किनारे उस ने छप्पर डाल रखा था. चारपाई व बिस्तर लगाकर वह छप्पर के नीचे सोता था.

दिन में तो वह कुछ समय के लिए घर पर रहता था, लेकिन शाम ढलते ही खाना खा कर खेत पर चला जाता था. प्रवीण को वैसे भी सैक्स में रुचि नहीं रह गई थी. अत: वह पत्नी के प्रति लापरवाह हो गया था.

प्रवीण की इसी लापरवाही का बबलू और रानी भरपूर फायदा उठाते थे. दोनों एकदूसरे के इस कदर दीवाने बन गए थे कि उन्हें बिना मिले चैन नहीं मिलता था. दोनों बेहद सतर्कता बरतते थे, पर इस के बावजूद एक रोज उन का भांडा फूट गया.

उस रोज शाम को प्रवीण खाना खा कर घर से निकला तो कुछ देर बाद बबलू आ गया. आते ही बबलू ने रानी को बांहों में भरा और बिस्तर पर ले गया. उसी समय प्रवीण घर आ गया. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल प्रवीण अपनी तंबाकू चूने वाली चुनौटी घर में भूल गया था. उसे लेने ही वह घर आया था. लापरवाही में रानी दरवाजा बंद करना भूल गई थी.

रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद बबलू तो चला गया लेकिन रानी कहां जाती. उस ने रानी की जम कर धुनाई कर डाली फिर बड़बड़ाता हुआ खेत पर चला गया. इस के बाद जब भी प्रवीण को शक होता, वह रानी को रूई की तरह धुन देता. कभीकभी तो बातबेबात भी पीट कर अपना गुस्सा उतार देता.

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विषम स्थिति तो उस दिन बन जाती, जिस दिन वह शराब ज्यादा पी लेता था. उस दिन वह हैवान ही बन जाता. रानी को वह इतना पीटता कि उस का शरीर ही काला कर देता.

दरअसल, बबलू दबंग व अपराधी था. प्रवीण उस का सामना नहीं कर सकता था. अत: वह सारा गुस्सा पत्नी पर ही उतारता था. रानी पति के जुल्मों से परेशान हो चुकी थी.

एक रात जब बबलू रानी से मिलने आया तो रानी ने उस से कहा, ‘‘तुम तो यहां से चले जाते हो. पर मुझ पर क्या बीतती है, यह मैं ही जानती हूं. मेरा पति मुझे मारमार कर मेरा शरीर काला कर देता है. मैं कमरे में पड़ी आंसू बहाती रहती हूं. तुम्हें मेरी फिक्र है ही नहीं. अब मैं तुम से तभी बात करूंगी, जब उस हैवान को मिटा दोगे.’’

‘‘ठीक है रानी. मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है.’’ बबलू ने रानी को भरोसा दिया.

बबलू का एक अपराधी दोस्त था लाखन. वह मूलरूप से कानपुर देहात जिले के शिवली कस्बे का रहने वाला था. कानपुर देहात पुलिस ने उस पर शिकंजा कसा तो वह जालौन आ गया था. यहां उस ने उरई तथा डकोर में अपना ठिकाना बना लिया था.

वह बबलू के साथ मिल कर अपराध करता था. बबलू ने अपनी समस्या लाखन को बताई तो वह उस का साथ देने को तैयार हो गया.

9 जुलाई, 2019 की रात 10 बजे लाखन और बबलू ट्रैक्टर ट्रौली ले कर चिली गांव हो कर प्रवीण के खेत के पास पहुंचे. वे ट्रैक्टर ट्रौली लाखन के दोस्त की थी जो उस में गांव से अनाज भर कर उरई मंडी लाता था. उस दिन वह अपनी ट्रैक्टर ट्रौली लाखन के पास छोड़ गया था.

ट्रैक्टर को उन्होंने सड़क किनारे खड़ा कर दिया, फिर हाथ में शराब की 2 बोतलें ले कर प्रवीण के पास पहुंचे. प्रवीण उस समय चारपाई पर लेटा था. बबलू को देख कर वह चारपाई से उठा और बोला, ‘‘बबलू, तुम इस वक्त? क्या पुलिस तुम्हारा पीछा कर रही है?’’

‘‘नहीं प्रवीण भाई, पुलिस पीछा नहीं कर रही. मैं अपने साथी लाखन के साथ इधर से गुजर रहा था, सो तुम्हारी याद आ गई. दवाई साथ में है, सोचा कि तुम्हें भी पिलाता चलूं.’’ बबलू ने शराब की बोतलों की तरफ इशारा करते हुए कहा.

शराब की बोतल देख कर प्रवीण के मुंह में पानी आ गया. वह बोला, ‘‘बबलू, तुम ने यह अच्छा किया, जो यहां आ गए. पैसे न होने की वजह से मैं ने कई दिनों से नहीं पी थी.’’

इस के बाद महफिल जमी और तीनों ने शराब पी. शराब पी कर प्रवीण कुमार जब मदहोश हो गया, तब बबलू ने इशारा कर के लाखन से ट्रैक्टर ट्रौली में रखी कुल्हाड़ी मंगा ली. इस के बाद लाखन ने प्रवीण को जमीन से उठा कर चारपाई पर पटक दिया और बबलू ने कुल्हाड़ी से सिर व चेहरे पर वार कर प्रवीण को मौत के घाट उतार दिया.

सबूत मिटाने के लिए बबलू और लाखन ने प्रवीण का शव बिस्तर सहित चारपाई को ट्रौली पर रखा और कुछ दूर जा कर एक खेत के किनारे आम के पेड़ के नीचे उस की लाश फेंक दी.

इस के बाद मलीहा गांव से पहले एक सूखे कुएं में बिस्तर व चारपाई डाल दी. इस के बाद लाखन ट्रैक्टर ट्रौली ले कर डकोर चला गया और बबलू रात के अंधेरे में रानी के पास.

उस ने रानी को बता दिया कि उस ने शर्त पूरी कर दी है. रास्ते का कांटा हमेशा के लिए निकाल दिया. पति की हत्या की बात सुन कर रानी बहुत खुश हुई.

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अगले दिन 10 जुलाई की सुबह चिली गांव के लोगों ने प्रवीण की लाश देखी. इस के बाद की गई पुलिस काररवाई में केस का परदाफाश हुआ और कातिल पकड़े गए.

14 जुलाई, 2019 को थाना डकोर पुलिस ने अभियुक्त बबलू, लाखन तथा रानी को जालौन की उरई कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया.

  —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पत्नी के जाल में हलाल हुआ पति: भाग 1

10जुलाई, 2019 का सवेरा था. उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के चिली गांव के कुछ लोग खेतों की तरफ जा रहे थे. जैसे ही वे लोग राजवीर शर्मा के बाग की पगडंडी पर पहुंचे तो

उन में शामिल रामप्रसाद की नजर आम के एक पेड़ के नीचे पड़ी लाश पर गई.

रामप्रसाद ने अपने साथ वाले लोगों को इस बारे में बताया तो सभी उत्सुकतावश लाश के नजदीक पहुंच गए. लाश को देख कर वे सभी चौंक गए. क्योंकि लाश उसी गांव के रहने वाले प्रवीण कुमार की थी.

लाश की खबर मिलते ही उधर से गुजरने वाले लोग भी वहां जमा होने लगे. सभी इस बात पर अचरज में थे कि इतने भले इंसान की पता नहीं किस ने हत्या कर दी. कुछ ही देर में गांव में खबर फैली तो लोगों का वहां मजमा लगना शुरू हो गया.

उसी दौरान किसी ने मृतक के छोटे भाई नवीन तथा मृतक की पत्नी रानी को उस के कत्ल की जानकारी दे दी. पति की हत्या की खबर सुनते ही रानी छाती पीटपीट कर रोने लगी. नवीन ने उसे समझायाबुझाया. वह देवर के साथ बिलखती हुई उस जगह पहुंची जहां पति की रक्तरंजित लाश पड़ी थी.

उसी दौरान किसी ने इस की सूचना फोन कर के थाना डकोर को दे दी. थोड़ी देर में थानाप्रभारी विनोद मिश्रा, एसआई त्रिलोकी नाथ और 4 सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए.

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घटनास्थल पर पहुंच कर विनोद मिश्रा और त्रिलोकी नाथ मौकामुआयना करने में लग गए. प्रवीण का शव खेत के किनारे आम के पेड़ के नीचे पड़ा था. उस के चेहरे और गरदन पर कटने के गहरे घाव थे. लगता था उस पर किसी धारदार हथियार से वार किया गया था.

प्रवीण की उम्र यही कोई 50 वर्ष के आसपास थी, वह शरीर से हृष्टपुष्ट था. देखने से ऐसा लगता था कि उस की हत्या कहीं और कर के शव वहां फेंका गया था.

थानाप्रभारी विनोद मिश्रा ने मृतक के भाई नवीन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि प्रवीण ज्यादातर खेत पर ही सोता था. वहां उस ने छप्पर डाल रखा था. उसी के नीचे चारपाई डाल कर सोता था. वह नशे का आदी था. प्रवीण की लाश जहां पड़ी थी, उस से 10 खेत दूर ही उस का खेत था.

थानाप्रभारी वहां पहुंचे तो यह देख कर दंग रह गए कि वहां न प्रवीण की चारपाई थी और न ही बिस्तर. यहां, शराब की 2 खाली बोतलें तथा डिसपोजेबल गिलास जरूर पड़े थे. छप्पर के नीचे जमीन पर खून भी पड़ा था.

यह देख कर थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि प्रवीण की हत्या इसी स्थान पर की गई थी और शव वहां ले जा कर फेंक दिया. सबूत मिटाने के लिए हत्यारों ने मृतक की चारपाई तथा बिस्तर भी गायब कर दिया था. उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि हत्यारे प्रवीण के परिचित ही होंगे क्योंकि उस ने उन के साथ शराब पी होगी. पुलिस ने वहां मिले सबूत जब्त कर लिए.

थानाप्रभारी ने गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला प्रवीण कुमार निहायत शरीफ और नेक चालचलन का था. गांव में या बाहर उस की किसी से रंजिश या दुश्मनी नहीं थी. कुछ सालों से उस में एक बुराई घर कर गई थी कि वह शराब पीने लगा था. इसी वजह से उस का पत्नी से विवाद रहता था, जिस से वह खेतों पर सोने लगा था.

इसी बीच सूचना मिलने पर एसपी स्वामी प्रसाद  एएसपी अवधेश सिंह और डीएसपी संतोष कुमार भी वहां आ गए. इन पुलिस अधिकारियों ने भी मौकामुआयना किया. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

मामले की जांच का भार विनोद मिश्रा ने अपने ही हाथों में रखा. उन्होंने मृतक प्रवीण कुमार की पत्नी रानी से बात की. प्रवीण के भाई नवीन ने उस के कुशल व्यवहार की तो तारीफ की लेकिन शराब की लत को बुरा बताया. उस ने यह भी बताया कि प्रवीण भैया कुछ समय से किसी बात को ले कर परेशान रहते थे. परेशानी की वजह क्या थी, यह उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया था.

पत्नी रानी ने बताया कि नीलगाय वगैरह फसल को नुकसान पहुंचाती थीं, इसलिए उन्होंने खेत पर छप्पर डाल लिया था. वह रात को वहीं सोते थे. कभीकभी जब वह यारदोस्तों के साथ ज्यादा शराब पी लेते थे तो घर पर भी नहीं आते थे. कल रात भी वह खाना खाने नहीं आए थे. देवरभाभी दोनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस को ऐसा कोई क्लू नहीं मिला, जिस से जांच आगे बढ़ाई जा सके.

पुलिस को मृतक की पत्नी रानी और भाई नवीन पर शक हो रहा था. लिहाजा थानाप्रभारी ने मुखबिरों को लगा दिया. 13 जुलाई, 2019 को एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को बताया कि मृतक की पत्नी रानी और बबलू के बीच चक्कर चल रहा था और 9 जुलाई की रात को बबलू रानी के घर आया था. कुछ देर वहां रुकने के बाद वह चला गया था.

बबलू का नाम सुनते ही थानाप्रभारी विनोद मिश्रा चौंके. क्योंकि बबलू पेशेवर अपराधी था. थाना डकोर के अलावा भी उस के खिलाफ कई थानों में मुकदमे दर्ज थे. मामले की तह में जाने के लिए थानाप्रभारी ने उसी दिन दोपहर के समय रानी को पूछताछ के लिए थाने बुलवाया.

रानी ने थाने में पहले वाला बयान ही दोहरा दिया. उन्होंने उस से 2 घंटे तक पूछताछ की लेकिन वह टस से मस नहीं हुई. तब उन्होंने 2 महिला कांस्टेबलों को बुला लिया. महिला पुलिस ने रानी से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सच उगल दिया. उस ने स्वीकार किया कि उस ने ही प्रेमी से पति की हत्या बबलू व उस के साथी लाखन की मदद से कराई थी.

रानी द्वारा पति की हत्या का जुर्म कबूल करने के बाद थानाप्रभारी विनोद मिश्रा ने बबलू तथा उस के साथी लाखन को डकोर बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. दोनों कहीं फरार होने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे.

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थाने में जब उन से प्रवीण की हत्या के संबंध में पूछा गया तो दोनों साफ मुकर गए. लेकिन जब थाने में उन का सामना रानी से कराया तो लाखन और बबलू का चेहरा लटक गया. फिर उन दोनों ने भी सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी बरामद कर ली. वह उन्होंने कुल्हाड़ी एक सूखे कुएं में फेंक दी थी. उसी कुएं से पुलिस ने मृतक की चारपाई तथा खून सना बिस्तर भी बरामद कर लिया. यही नहीं, कातिलों ने वह ट्रैक्टर ट्रौली भी बरामद करा दी, जिस पर रख कर वह लाश, बिस्तर व चारपाई लाद कर ले गए थे.

हत्यारोपियों के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने उन के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. केस का खुलासा व अभियुक्तों को गिरफ्तार करने की जानकारी थानाप्रभारी ने एसपी स्वामी प्रसाद को दे दी थी.

एसपी ने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता कर के अभियुक्तों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. पुलिस पूछताछ में एक ऐसी औरत की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने जिस्म की भूख के लिए अपना सुहाग मिटा दिया.

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का एक बड़ा कस्बा उरई है. यहां बड़े पैमाने पर गल्ले का व्यापार होता है. जालौन में आवागमन के साधन कम होने से सभी सरकारी काम उरई में ही संपन्न होते हैं. यहां तक कि जिला न्यायालय भी उरई में ही है. अत: यहां हर रोज चहलपहल रहती है. इसी उरई कस्बे में स्टेशन रोड पर अरविंद कुमार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रामवती के अलावा 3 बेटियां थीं, जिस में रानी तीसरे नंबर की थी. अरविंद कुमार की स्टेशन रोड पर चाय की दुकान थी.

रानी अपनी अन्य बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी. उस का स्वभाव भी चंचल था. 20 साल की उम्र पार करते ही अरविंद कुमार ने रानी का विवाह जालौन के डकोर थाना क्षेत्र के गांव चिली निवासी बिंदा प्रसाद के बड़े बेटे प्रवीण कुमार के साथ कर दिया. प्रवीण कुमार पिता के साथ खेतीकिसानी करता था. उस का छोटा भाई नवीन पढ़ रहा था. घर में संपन्नता थी.

रानी जब अपनी ससुराल पहुंची तो उस का वहां मन नहीं लगा. क्योंकि वह शहर में पलीबढ़ी थी, इसलिए उसे गांव का माहौल पसंद नहीं आया. उस ने पति पर दबाव डाला कि वह गांव छोड़ कर शहर चले. वहां कोई नौकरी या व्यवसाय करे. लेकिन प्रवीण ने पत्नी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और शहर जाने से साफ मना कर दिया. उस के बाद रानी मन मार कर रह गई.

रानी गांव में रह तो गई लेकिन उस ने धीरेधीरे पति को अपनी अंगुलियों पर नचाना शुरू कर दिया था. प्रवीण रानी को खुश रखने के लिए हरसंभव प्रयास करता था लेकिन तुनकमिजाज रानी खुश नहीं रहती थी. कभी वह खर्चा न मिलने का रोना रोती तो कभी अपने भाग्य को कोसती.

समय बीतते परिवार का खर्च बढ़ा और खेती की उपज से दोनों भाइयों का गुजारा होना मुश्किल हो गया. घर में कलह शुरू हो गई. रानी वैसे भी सासससुर और देवर को पसंद नहीं करती थी. वह उन से झगड़ा करती रहती थी. अत: बिंदा प्रसाद ने दोनों बेटों का  बंटवारा कर दिया.

बंटवारे के बाद प्रवीण रानी के साथ अलग मकान में रहने लगा. अलग रहने पर रानी स्वच्छंद हो गई. जब उस का मन करता, मायके चली जाती और जब मन करता वापस आ जाती. उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था.

कालांतर में रानी 2 बच्चों एक बेटे और एक बेटी की मां बनी. बच्चों के बाद घर में खुशियां बढ़ गईं. वे दोनों बच्चों को बेहद प्यार करते थे और उन्हें खुश रखने का हर प्रयास करते थे. रानी खुद तो ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी लेकिन वह बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती थी.

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गांव में प्राथमिक शिक्षा के बाद रानी ने दोनों बच्चों को अपने मायके उरई भेज दिया. प्रवीण बच्चों को अपने से दूर नहीं भेजना चाहता था, लेकिन पत्नी के आगे उस की एक न चली. लिहाजा बच्चे ननिहाल में रह कर पढ़ने लगे.

प्रवीण की जैसेजैसे उम्र बढ़ती जा रही थी, वह पत्नी से दूर होता जा रहा था. अब वह पत्नी का उतना ध्यान नहीं रखता था, जिस से रानी के पैर देहरी लांघने के लिए उतारू हो गए.

क्रमश:

  —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मौजमौज के खेल में हत्या

  लेखक:  रविंद्र शिवाजी दुपारगुडे    

मुंबई से सटे कल्याण तहसील के गांव राया के पुलिस चौकीदार किरण जाधव को किसी ने बताया कि गांव के बाहर नाले के किनारे बोरी में किसी की लाश पड़ी है. चूंकि किरण जाधव गांव में पुलिस की तरफ से चौकीदार था, इसलिए वह इस खबर को सुनते ही मौके पर पहुंच गया.

उसे जो सूचना दी गई थी, वह बिलकुल सही थी. इसलिए चौकीदार ने फोन कर के यह खबर टिटवाला थाने में दे दी. यह बात 23 जून, 2019 की है. थानाप्रभारी इंसपेक्टर बालाजी पांढरे को पता चला तो वह एसआई कमलाकर मुंडे और अन्य स्टाफ के साथ मौके पर पहुंच गए.

थानाप्रभारी जब मौके पर पहुंचे तो उन्हें वहां एक युवती की अधजली लाश मिली, जो एक बोरी में थी. बोरी और लाश दोनों ही अधजली हालत में थीं. मृतका की उम्र यही कोई 25-30 साल थी. लाश झुलसी हुई थी. उस की कमर पर काले धागे में पीले रंग का ताबीज बंधा था. जिस बोरी में वह लाश थी, उस में मुर्गियों के कुछ पंख चिपके मिले.

थानाप्रभारी ने यह खबर अपने अधिकारियों को दे दी. कुछ ही देर में फोरैंसिक टीम के साथ एसडीपीओ आर.आर. गायकवाड़ और क्राइम ब्रांच के सीनियर इंसपेक्टर व्यंकट आंधले भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

तब तक वहां तमाम लोग जमा हो चुके थे. पुलिस अधिकारियों ने उन सभी से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका. फोरैंसिक टीम का जांच का काम निपट जाने के बाद थानाप्रभारी ने लाश मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दी और अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया.

इस ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाने के लिए ठाणे (देहात) के एसपी डा. शिवाजी राठौड़ ने 2 पुलिस टीमें बनाईं. पहली टीम का गठन एसडीपीओ आर.आर. गायकवाड़ के नेतृत्व में किया. इस टीम में थानाप्रभारी बालाजी पांढरे, एसआई कमलाकर मुंडे, जितेंद्र अहिरराव, हवलदार अनिल सातपुते, दर्शन साल्वे, सचिन गायकवाड़ और तुषार पाटील आदि को शामिल किया गया.

दूसरी टीम क्राइम ब्रांच के सीनियर इंसपेक्टर व्यंकट आंधले के नेतृत्व में बनाई गई. इस टीम में एपीआई प्रमोद गढ़ाख, एसआई अभिजीत टेलर, बजरंग राजपूत, हेडकांस्टेबल अविनाश गर्जे, सचिन सावंत आदि थे. दोनों टीमों का निर्देशन एडिशनल एसपी संजय कुमार पाटील कर रहे थे.

मृतका के गले में जो ताबीज था, पुलिस ने उस की जांच की तो उस पर बांग्ला भाषा में कुछ लिखा नजर आया. उस से यह अंदाजा लगाया गया कि युवती शायद पश्चिम बंगाल की रही होगी. जिस बोरी में शव मिला था, उस बोरी में मुर्गियों के पंख थे, जिस का मतलब यह था कि बोरी किसी चिकन की दुकान से लाई गई होगी.

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पुलिस टीमों ने इन्हीं दोनों बिंदुओं पर जांच शुरू की. पुलिस ने टिटवाला में चिकन की दुकान चलाने वालों को अज्ञात युवती की लाश के फोटो दिखाए तो पुलिस को सफलता मिल गई. एक दुकानदार ने फोटो पहचानते हुए बताया कि वह टिटवाला के खड़वली इलाके में रहने वाली मोनी है, जो अकसर बनेली के चिकन विक्रेता आलम शेख उर्फ जाने आलम के यहां आतीजाती थी.

पुलिस टीम आलम शेख की चिकन की दुकान पर पहुंच गई. लेकिन आलम दुकान पर नहीं था. पुलिस ने उस के नौकर से पूछा तो उस ने बताया कि आलम शेख पश्चिम बंगाल स्थित अपने घर गया है. पुलिस ने आलम की दुकान की जांच की. इस के बाद पुलिस खड़वली इलाके में उस जगह पहुंची, जहां मोनी रहती थी. वहां के लोगों से बात कर के पुलिस को जानकारी मिली कि मोनी और आलम शेख के बीच नाजायज संबंध थे.

अवैध संबंधों और आलम शेख के दुकान से फरार होने से पुलिस समझ गई कि मोनी की हत्या में आलम शेख का ही हाथ होगा. पुलिस ने किसी तरह से आलम शेख का पश्चिम बंगाल का पता हासिल कर लिया. वह पश्चिम बंगाल के जिला वीरभूम के गांव सदईपुर का रहने वाला था.

एडिशनल एसपी संजय कुमार पाटील ने एक पुलिस टीम बंगाल के सदईपुर भेज दी. वहां जा कर टिटवाला पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से आलम शेख को हिरासत में ले लिया.

आलम शेख को स्थानीय न्यायालय में पेश कर पुलिस ने उस का ट्रांजिट रिमांड ले लिया और थाना टिटवाला लौट आई. पुलिस ने आलम शेख से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने मोनी के कत्ल की बात स्वीकार कर ली. उस से पूछताछ के बाद मोनी की हत्या की  कहानी इस प्रकार निकली—

मूलरूप से पश्चिम बंगाल के जिला वीरभूम के गांव सदईपुर का रहने वाला 33 वर्षीय आलम शेख उर्फ जाने आलम टिटवाला क्षेत्र में चिकन की दुकान चलाता था. करीब 4-5 महीने पहले उस की मुलाकात खड़वली क्षेत्र की रहने वाली मोनी से हुई.

मोनी आलम की दुकान पर चिकन लेने गई थी. पहली मुलाकात में ही आलम उस का दीवाना हो गया. उसी दिन बातचीत के दौरान आलम ने मोनी से उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया.

इस के बाद मोनी अकसर उस की दुकान से चिकन लेने जाने लगी. नजदीकियां बढ़ाने के लिए आलम ने उस से चिकन के पैसे लेने भी बंद कर दिए. धीरेधीरे दोनों के संबंध गहराते गए और फिर जल्दी ही उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

कुछ दिनों बाद आलम शेख ने मोनी को खड़वली क्षेत्र में ही किराए का एक मकान भी ले कर दे दिया, जिस में मोनी अकेली रहने लगी. उस के अकेली रहने की वजह से आलम की तो जैसे मौज ही आ गई. जब उस का मन होता, मोनी के पास चला जाता और मौजमस्ती कर दुकान पर लौट आता.

उन के संबंधों की खबर मोहल्ले के तमाम लोगों को हो चुकी थी. आलम मोनी को आर्थिक रूप से भी सहयोग करता था. धीरेधीरे मोनी की आलम से पैसे मांगने की आदत बढ़ती गई. वह उस से ढाई लाख रुपए ऐंठ चुकी थी.

इतने पैसे ऐंठने के बाद भी वह उसे ब्लैकमेल करने लगी. वह आलम को धमकी देने लगी कि अगर उस ने बात नहीं मानी तो वह उस के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करा देगी. मोनी की धमकी से आलम परेशान रहने लगा.

अंत में आलम शेख ने मोनी को रास्ते से हटाने की ठान ली. एक दिन आलम ने अपनी इस पीड़ा के बारे में अपने दोस्त मनोरुद्दीन शेख को बताया और साथ ही मोनी की हत्या करने में उस से मदद मांगी. मनोरुद्दीन ने आलम को हर तरह का सहयोग देने की हामी भर दी. इस के बाद दोनों ने मोनी का काम तमाम करने की योजना बनाई.

योजना के अनुसार 22 जून, 2019 की रात को आलम शेख गले में अंगौछा बांध कर दुकान पर पहुंचा और वहां से एक खाली बोरी ले कर मोनी के घर पहुंच गया. उस वक्त मोनी सोई हुई थी. आलम ने आवाज दे कर दरवाजा खुलवाया. इस के बाद दोनों बैठ कर इधरउधर की बातें करने लगे. उसे अपनी बातों में उलझा कर आलम मौका देख रहा था. फिर मौका मिलते ही उस ने अंगौछा मोनी के गले में डाल कर पूरी ताकत से खींचना शुरू कर दिया.

मोनी ज्यादा विरोध नहीं कर सकी. कुछ देर बाद जब उस की सांसें बंद हो गईं तब आलम ने मोनी के गले का अंगौछा ढीला किया. इस के बाद आलम ने अपने दोस्त मनोरुद्दीन शेख को भी वहां बुला लिया.

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दोनों ने साथ में लाई बोरी में शव डाला. फिर आलम शेख और मनोरुद्दीन उस बोरी को मोटरसाइकिल से ले कर निकल पड़े. रास्ते में उन्होंने एक पैट्रोलपंप से एक डिब्बे में पैट्रोल भी लिया. फिर उन्होंने शव को राया गांव के पास एक नाले के किनारे डाल दिया और पैट्रोल डाल कर जलाने की कोशिश की. पर शव झुलस कर रह गया. लाश ठिकाने लगाने के बाद दोनों वहां से चंपत हो गए.

आलम शेख उर्फ जानेआलम से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के दोस्त मनोरुद्दीन शेख को भी गिरफ्तार कर लिया. दोनों को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

कथा लिखने तक दोनों आरोपियों की जमानत नहीं हो सकी थी. मामले की जांच इंसपेक्टर बालाजी पांढरे कर रहे थे.

मन का खोट

पिता की मौत के बाद घर में नेहा और उस की मां सपना ही रह गई थीं. पिता ही कमाने वाले थे, उन के न होने पर घर की माली हालत काफी खराब थी. मांबेटी को समझ नहीं आ रहा था कि अपना जीवन आगे कैसे चलाएं.

सपना को खुद की चिंता कम और जवान बेटी की ज्यादा चिंता थी. वह सोच रही थी कि किसी तरह बेटी की शादी हो जाए तो वह इस बड़ी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएगी. क्योंकि गरीब की जवान होती बेटी हर किसी की आंखों में चढ़ जाती है. नेहा के पिता मनोहरलाल लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में रहते थे. उन का छोटा सा कारोबार था. उन की मृत्यु के बाद कारोबार तो बंद हो ही गया, साथ ही घर में रखी जमापूंजी भी कुछ दिनों में खत्म हो गई.

मनोहरलाल के एक दोस्त थे सुरेंद्र जायसवाल. सुरेंद्र का पहले से ही मनोहरलाल के घर आनाजाना था. उन की मृत्यु के बाद सुरेंद्र जायसवाल का मदद के बहाने सपना के घर आनाजाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया. सुरेंद्र बिजनैसमैन थे और रकाबगंज में रहते थे. वह सपना के घर का पूरा खर्च उठाने लगे. एक दिन सुरेंद्र ने नेहा और उस की मां सपना के सामने प्रस्ताव रखा कि नेहा को कपड़े की दुकान खुलवा देते हैं. वह दुकान पर काम करेगी तो उस का मन भी लगा रहेगा, साथ ही चार पैसे की आमदनी भी होगी.

इस पूरी मदद के पीछे समाज और सपना को सुरेंद्र की इंसानियत दिखाई दे रही थी, पर असल में इस के पीछे सुरेंद्र का मकसद कुछ और ही था. वह किसी भी तरह नेहा के करीब जाना चाहता था. हालांकि नेहा सुरेंद्र की बेटी की उम्र की थी, इस के बावजूद उस की नीयत में खोट था.

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सुरेंद्र नेहा पर दोनों हाथों से पैसे खर्च कर रहा था, इसलिए धीरेधीरे नेहा का झुकाव भी उस की तरफ हो गया. दोनों में करीबी रिश्ते बन गए. समय के साथ नेहा को इस बात का आभास हो गया था कि सुरेंद्र शादीशुदा है और उस के साथ यह संबंध बहुत दिनों तक नहीं चल सकेंगे.

इस के बाद नेहा ऐसे साथी को तलाशने लगी जो उस का हमउम्र हो. इसी दौरान नेहा की दोस्ती प्रभात से हो गई. नेहा प्रभात को पसंद करती थी. फलस्वरूप दोनों की दोस्ती जल्दी ही प्यार में बदल गई. दोनों ने शादीशुदा जोड़े की तरह रहना शुरू कर दिया. नेहा और प्रभात ने अपने परिजनों से बात कर के शादी करने का फैसला कर लिया.

उधर सुरेंद्र को नेहा और प्रभात के संबंधों की जानकारी मिली तो उसे यह बात अच्छी नहीं लगी. वह उन दोनों को अलग कराना चाहता था, इसलिए उस ने उस की मां सपना के कान भरे और उसे प्रभात के प्रति भड़काया.

सपना ने इस बारे में नेहा से बात की तो उस ने कह दिया कि वह और प्रभात एकदूसरे को बहुत चाहते हैं और दोनों ने जीवन भर साथ रहने का फैसला कर लिया है. इस पर सपना ने कहा कि ऐसा हरगिज नहीं हो सकता क्योंकि प्रभात अच्छा लड़का नहीं है.

मां और सुरेंद्र के आगे नेहा की एक नहीं चली. सुरेंद्र ने दबाव बना कर न सिर्फ नेहा को प्रभात से अलग कराया बल्कि उस ने नेहा की तरफ से महिला थाने में प्रभात के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत भी दर्ज करा दी.

प्रभात का साथ छूट जाने के बाद नेहा फेसबुक पर ज्यादा समय बिताने लगी. फेसबुक के जरिए नेहा की दोस्ती शरद निगम से हुई. चैटिंग और बातचीत से दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ गई. बातचीत से पता चला कि शरद लखनऊ के ठाकुरगंज की बंशीविहार कालोनी में रहता है और एचसीएल में सौफ्टवेयर इंजीनियर है.

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उस के पिता सरकारी विभाग में एकाउंटेंट थे जो रिटायर हो चुके थे. शरद उन का एकलौता बेटा था. शरद के बारे में यह जानकारी मिलने के बाद नेहा के मन में लड्डू फूटने लगे. फलस्वरूप शरद में नेहा की दिलचस्पी बढ़ गई.

बात आगे बढ़ी तो नेहा और शरद की मुलाकातें होने लगीं. दोनों घर से बाहर भी मिलने लगे. कुछ समय के बाद नेहा शरद को अपने घर भी बुलाने लगी. जल्दी ही इस की जानकारी सुरेंद्र जायसवाल को हो गई.

सुरेंद्र ने नेहा को शरद से दूर रहने को कहा. साथ ही उस ने शरद को धमकी भी दी कि वह नेहा से दूर रहे. लेकिन उन दोनों में से कोई भी उस की बात को मानने को तैयार नहीं था. शरद ने सुरेंद्र की धमकी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

इस पर अपराधी स्वभाव के सुरेंद्र को गुस्सा आ गया. उस ने शरद को रास्ते से हटाने की ठान ली. वह नेहा को तो ज्यादा कुछ नहीं कह सकता था पर शरद को अपने रास्ते से हटाने के लिए उस ने योजना बनानी शुरू कर दी. उस ने अपने दोस्त सूरज से रेकी करानी शुरू कर दी कि शरद नेहा से मिलने कब आता है.

22 जुलाई, 2019 को शरद नेहा से मिलने उस के घर आया. इस के बाद दोनों सहारागंज मौल घूमने गए. वहां दोनों ने रौयल कैफे में खाना खाया. सूरज नेहा और शरद पर नजर रख रहा था. उसी दिन सुरेंद्र और सूरज ने शरद को मारने का प्लान बना लिया.

सुरेंद्र और सूरज यही सोच कर उन का पीछा करने लगे कि सुनसान जगह मिलते ही शरद को गोली मार देंगे. उन्होंने अपनी बाइक शरद की बाइक के पीछे लगा दी. लेकिन हजरतगंज से ठाकुरगंज के बीच उन्हें शरद को टपकाने का मौका नहीं मिला.

22 जुलाई का मौका चूकने के बाद भी सुरेंद्र के मन की आग नहीं बुझी थी. उस ने सूरज से सही मौके की तलाश में लगे रहने को कहा.

23 जुलाई, 2019 को शरद शाम को करीब 6 बजे अपने औफिस से निकला. वह औफिस से अपने घर न जा कर सीधे नेहा के घर गया. करीब 3 घंटे वह नेहा के घर पर रहा. इस बात की सूचना जब सुरेंद्र को मिली तो उस का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. तभी सुरेंद्र ने सूरज से कहा, ‘‘सूरज, आज फील्डिंग सही से करनी है. आज इसे आउट कर ही देंगे.’’

‘‘भैया, चिंता मत करो. आज तो यह आउट होने से नहीं बचेगा. शरद आज हाथ से नहीं निकल पाएगा.’’ सूरज बोला.

सुरेंद्र और सूरज दोनों शरद के वहां से निकलने की राह देखने लगे. दोनों उस के इंतजार में घात लगाए बैठे थे. शरद जब घर जाने के लिए वहां से निकला तो दोनों ने काफी दूर तक उस का पीछा किया. लेकिन रास्ते में उन्हें गोली चलाने का मौका नहीं मिला.

करीब साढ़े 10 बजे शरद अपने घर के पास पहुंचा. कैंपवेल रोड पर मरी माता के मंदिर के पास सुनसान जगह दिखी तो सूरज अपनी बाइक शरद की बाइक के बराबर में चलाने लगा. तभी सूरज के पीछे बैठे सुरेंद्र ने शरद के हेलमेट से रिवौल्वर सटा कर उसे गोली मार दी.

सिर में गोली लगने के बाद शरद वहीं गिर गया. इस के बाद सुरेंद्र और सूरज वहां से फरार हो गए. गोली की आवाज सुन कर लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. लोगों ने खून से लथपथ पड़े शरद को पहचान लिया. इस के बाद उस के परिजनों को सूचना दे दी गई.

शरद को लखनऊ मैडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर पहुंचाया गया. लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घटना की सूचना पाते ही आईजी एस.के. भगत और एसएसपी कलानिधि नैथानी सहित तमाम पुलिस अफसर घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने वहां के सीसीटीवी फुटेज देख कर इस मामले को हल करने का प्रयास शुरू कर दिया.

इस केस की रिपोर्ट ठाकुरगंज थाने में लिखी गई. इंसपेक्टर ठाकुरगंज नीरज ओझा ने सीओ दुर्गाप्रसाद तिवारी के मार्गदर्शन में जांच शुरू कर दी.

हत्या के तरीके से यह साफ हो गया था कि हत्या लूट के इरादे से नहीं की गई है. ऐसे में मामला प्रेम प्रसंग से जोड़ कर देखा जाने लगा. पुलिस ने सीसीटीवी और सोशल मीडिया की नेटवर्किंग साइट से मामले को खोलने का काम शुरू किया.

शरद के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स और सोशल साइट से पता चला कि शरद के प्रेम संबंध नेहा नाम की एक लड़की से थे. सोशल मीडिया की छानबीन में यह भी पता चल गया कि नेहा के साथ ठाकुरगंज के ही रहने वाले एक कारोबारी सुरेंद्र जायसवाल के भी संबंध थे.

पुलिस ने नेहा से पूछताछ की. नेहा से बातचीत में सुरेंद्र की भूमिका और भी खुल कर सामने आ गई. पुलिस ने सुरेंद्र को उस के घर पर तलाशा लेकिन वह नहीं मिला. मुखबिरों से पता चला कि वह नेपाल भाग गया है. इस से पुलिस का शक यकीन में बदल गया.

नेपाल में पैसा खत्म होने पर सुरेंद्र पैसे के इंतजाम के लिए वापस लखनऊ आया. तभी मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

उस ने आसानी से शरद की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने पुलिस को बता दिया कि इस हत्या में उस का दोस्त सूरज भी शामिल था. सुरेंद्र की निशानदेही पर पुलिस ने सूरज को भी गिरफ्तार कर लिया.

दोनों से पूछताछ कर पुलिस ने उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक आरोपी सुरेंद्र जायसवाल और उस का दोस्त सूरज जेल में बंद थे.

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—मनोहरलाल, सपना और नेहा परिवर्तित नाम हैं

कुदरत को चुनौती: भाग 2

कुदरत को चुनौती: भाग 1

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दोनों की दोस्ती गहराने लगी. चूंकि दलजीत का मकसद केवल किसी पुरुष द्वारा देहसुख पाना था, सो वह सीधा अपने मुद्दे पर आ गई और उन की मुलाकातें अमृतसर के होटलों के बंद कमरों में होने लगीं.

बाद में जब उन का रिश्ता काफी गहरा गया तो हरकृष्ण उसे अपने घर पर ले जाने लगा था. उस ने अपनी पत्नी और बच्चों को भी बता दिया था कि दलजीत कौर उस की प्रेमिका है. अपने प्रेमी हरकृष्ण से मिलने वह गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब माथा टेकने के बहाने अमृतसर जाती थी. इस धार्मिक भावना के चलते जसबीर भी कोई ऐतराज नहीं करता था.

लेकिन जब दलजीत सप्ताह में 2-3 बार जाने लगी तो जसबीर को उस पर कुछ शक हुआ. पर वह बोला कुछ नहीं बल्कि उस ने पत्नी पर नजर रखनी शुरू कर दी. दलजीत इतनी चालाक थी कि उस ने 2 सिम कार्ड जगराओं से खरीदे थे, जिस में एक उस ने अपने पास रखा और दूसरा अपने प्रेमी हरकृष्ण को दे दिया था. जब दलजीत को हरकृष्ण से बात करनी होती थी तो वह नए वाले सिम का इस्तेमाल करती थी.

एक दिन मौका मिलने पर जसबीर ने उस का फोन चैक किया तो दूसरे सिम का भेद खुल गया. उस ने जब मामले की गहराई से पड़ताल की तो पता चला कि उस की पत्नी के किसी दूसरे पुरुष से संबंध हैं.

उसी दिन से दोनों के बीच दरार पड़ गई. उन का एकदूसरे के प्रति मोहभंग हो गया. दलजीत किसी भी कीमत पर अपने प्रेमी को छोड़ना नहीं चाहती थी.

वह अपने पति से निजात पाना चाहती थी. इस बारे में एक दिन उस ने प्रेमी हरकृष्ण से साफ कह दिया, ‘‘देखो हरकृष्ण, अगर तुम मुझे चाहते हो तो तुम्हें मेरे पति जसबीर को रास्ते से हटाना होगा, वरना तुम मुझे भूल जाओ.’’

हरकृष्ण को दलजीत से देहसुख के साथ जेबखर्च भी मिलता था, इसलिए वह दलजीत की बात मानने के लिए तैयार हो गया. लेकिन उस ने यह भी कहा कि यह काम उस से अकेले से नहीं होगा. दलजीत ने कहा, ‘‘तुम आदमी तलाश करो, जितने पैसे खर्च होंगे, मैं दूंगी.’’

दलजीत कौर की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद हरकृष्ण ने जसबीर की हत्या के लिए सब से पहले अपने 20 वर्षीय बेटे हरिंदर सिंह उर्फ हन्नी को सारी बात बता कर इस काम के लिए तैयार किया. वैसे भी हरकृष्ण के दलजीत कौर के साथ संबंध की जानकारी उस की पत्नी और पूरे परिवार को थी.

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हरिंदर ने अपने साथ अपने एक दोस्त पलविंदर सिंह उर्फ पारस को पैसे का लालच दे कर हत्या के लिए राजी कर लिया. इतना ही नहीं, दलजीत से कुछ रुपए ले कर उसे पेशगी के रूप में दे भी दिए थे. अब समस्या यह थी कि वे किराए के हत्यारे जसबीर सिंह को और उस के घर को कैसे पहचानें?

इस बारे में जब हरकृष्ण ने दलजीत कौर से बात की और उसे बताया, ‘‘2 लड़के रात के समय तुम्हारे घर की तरफ आएंगे, लेकिन वे तुम्हारे घर की पहचान करेंगे कैसे?’’

तब दलजीत कौर ने उस दिन अपने पहने हुए कपड़ों का रंग हरकृष्ण को बताया और कहा कि वह अपने घर के बाहर बैठी होगी.

हरकृष्ण ने अपने बेटे हरिंदर सिंह को दलजीत का पता और फोन नंबर दे दिया था. साथ ही उस के द्वारा पहने हुए कपड़ों का रंग भी बता दिया था. दोनों आरोपी वहां पहुंच गए.

महिला के जिस रंग के कपड़े पहने होने की बात दोनों युवकों को बताई गई थी, उसी पहचान की औरत उन्हें एक दरवाजे पर बैठी दिखाई दी तो हरिंदर ने उस को इशारा कर दिया. दलजीत कौर ने भी हां में सिर हिला दिया. इस के बाद दोनों युवक दलजीत के घर की लोकेशन बाहर से देखने के बाद वहां से चले गए. फिर वे लोग रात को साढ़े 11 बजे दीवार फांद कर दलजीत के घर में दाखिल हो गए.

योजना के अनुसार, दलजीत कौर ने पहले ही रात के खाने में अपने पति जसबीर सिंह को नींद की गोलियां खिला दी थीं, जिस से काम आसानी से हो सके. युवकों ने घर में घुसते ही बैड पर सो रहे जसबीर सिंह पर चाकुओं से ताबड़तोड़ हमले कर उस की हत्या कर दी.

जसबीर सिंह का कत्ल करने के बाद लूट दिखाने के लिए दलजीत कौर ने खुद ही हत्यारों को अलमारी की चाबियां सौंप दीं और बता दिया कि पैसे कहां हैं. बदमाशों ने अलमारी में रखे करीब 2 लाख रुपए निकाल कर कमरे के अंदर कपड़े आदि बिखेर दिए.

इस के बाद दलजीत कौर के दोनों बाजुओं पर चाकू से हलके घाव कर दिए, जिस से यह लगे कि उसे भी घायल किया गया है. जाते समय वे दलजीत कौर को उसी की मरजी से कुरसी से बांध कर चले गए थे.

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दिन निकलने पर उस ने अपने बेटे को जगा कर पड़ोसियों को बुलाने के लिए भेजा और पड़ोसियों के आने से पहले फर्श पर बहाना कर लेट गई थी.

दलजीत कौर का प्रेमी हरकृष्ण सिंह और उस के भेजे हुए सुपारी किलर पुलिस की गिरफ्त से अभी दूर हैं. सीसीटीवी फुटेज पुलिस के हाथ लग गई थी और बाद में यही फुटेज पुलिस को कातिलों तक पहुंचाने में मददगार साबित हुई. 2 विभिन्न फुटेज में आरोपी जसबीर के घर में बाहरी दीवार फांद कर अंदर जाते नजर आ रहे थे. इस के करीब एक घंटे बाद वे उसी दीवार से बाहर आते दिखाई दिए.

जबकि एक अन्य फुटेज में उन दोनों के चेहरे साफ नजर आ रहे थे, जिन में एक युवक के सिर पर पगड़ी बंधी हुई थी और दूसरे के बाल कटे हुए थे. इन दोनों की उम्र 25-30 वर्ष रही होगी. एसआई किरनजीत कौर सीसीटीवी फुटेज से निकलवाए प्रिंटों के आधार पर हत्यारों की तलाश करती रहीं.

अंत में एक गुप्त सूचना के आधार पर पलविंदर सिंह उर्फ पारस को 25 अगस्त, 2019 को अरेस्ट कर लिया गया. अगले दिन उसे 26 अगस्त को अदालत में पेश कर उन्हें 3 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया.

रिमांड के दौरान पलविंदर ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. पलविंदर की निशानदेही पर पुलिस ने एक छुरी और खून सने उस के कपड़े भी बरामद कर लिए, जो उस ने जसबीर सिंह की हत्या करने के समय पहन रखे थे.

रिमांड समाप्त होने के बाद 29 अगस्त को उसे अदालत में पेश कर जिला जेल लुधियाना भेज दिया गया. इस हत्याकांड के 2 मुख्य आरोपी बापबेटा हरकृष्ण सिंह और हरिंदर सिंह उर्फ हन्नी अभी तक फरार हैं, जिन की पुलिस बड़ी तत्परता से तलाश कर रही थी.

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कुदरत को चुनौती: भाग 1

जसबीर कौर और दलजीत कौर आपस में पक्की सहेलियां ही नहीं थीं, बल्कि उन दोनों के बीच दिलों का गहरा संबंध भी था. जसबीर गांव ढडीके, अजीतवाला, मोगा में रहती थी, जबकि दलजीत कौर पड़ोस के गांव की रहने वाली थी.

दोनों ने स्कूल से कालेज तक की पढ़ाई साथसाथ की थी. दोनों के बीच दोस्ती तो शुरू से ही थी, पर युवा होते ही उन के बीच अजीब से पे्रम का रिश्ता बन गया था. दोनों की दोस्ती एक ऐसे रिश्ते में तब्दील हो गई, जैसी एक युवा और युवती के प्रेम संबंधों के बीच होती है.

धीरेधीरे दोनों ऐसे प्रेम की डोर में बंध गए, जिसे हमारा समाज स्वीकार नहीं करता. ऐसे रिश्ते का विरोध होना लाजिमी था. हुआ भी, लेकिन वे दोनों तो एकदूसरे की दीवानी थीं. यह बात ऐसी नहीं थी जो छिप पाती. उन के संबंधों की जानकारी दोनों के परिजनों तक पहुंची तो जैसे भूचाल सा आ गया.

दोनों के घर वालों ने उन्हें समझाया, गांव के बड़ेबूढ़ों से ले कर पंचायत तक ने भी सामाजिक मानमर्यादा का उन्हें पाठ पढ़ाया, पर उन्होंने किसी की बात नहीं मानी. जसबीर और दलजीत एक साथ रहने और साथसाथ जीनेमरने की कसमें खा चुकी थीं. फिर वे किसी की क्या परवाह क्यों करतीं.

इस बीच दोनों की नौकरियां भी लग गईं. जसबीर कौर को मोगा स्थित आईटीआई में बतौर क्लर्क की नौकरी मिल गई थी जबकि दलजीत कौर गांव चूहड़चक के आईटीआई कालेज में बतौर टीचर नियुक्त हो गई थी. दोनों जब अपने पैरों पर खड़ी हो गईं तो उन्होंने अपना घर बसाने के लिए आगे की योजना बनाई.

तय हुआ कि जसबीर कौर अपना लिंग परिवर्तन करा कर जसबीर सिंह बन जाए और दलजीत कौर उस की पत्नी बन कर रहे. दोनों शादी कर के पतिपत्नी की तरह रहेंगी और अपना अलग घर बसा लेंगी. दोनों लड़कियों ने जो सोचा था, वह काम बहुत कठिन था पर प्रेम में पागल इन दोनों दीवानियों को भला कौन समझाता. यह बात सन 1998 की है.

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आईटीआई में जसबीर की नौकरी महिला वर्ग में लगी थी. अपना लिंग परिवर्तन कराने से पहले उसे विभाग और सरकार से अनुमति लेनी जरूरी थी. लिहाजा उस ने स्वास्थ्य मंत्रालय से मंजूरी मांगी. उस की फाइल लुधियाना के सिविल सर्जन को सौंपी गई. वहां से अप्रूवल लेने के बाद औपरेशन के लिए सन 1998 में जसबीर ने अपने कार्यालय से छुट्टियां लीं.

लुधियाना के एक अस्पताल में औपरेशन द्वारा उस का लिंग परिवर्तन किया गया. लिंग परिवर्तन के बाद वह औरत से पुरुष बन गया था. इस बीच दलजीत कौर ने अपना फर्ज निभाते हुए उस की खूब सेवा की थी. जसबीर कौर से जसबीर सिंह बनने में उसे थोड़ा वक्त लग गया था. फिर साल 2004 में दोनों ने शादी कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की.

जसबीर और दलजीत ने शादी के बाद जगराओं में मकान बनवा कर रहना शुरू कर दिया. शादी के बाद कुछ सालों तक पतिपत्नी के रिश्तों में बहुत मिठास थी. लेकिन शादी के 7 साल बीत जाने के बाद भी जब उन की कोई संतान नहीं हुई तो दोनों का मन निराशा से भर गया. कई डाक्टरों से इलाज भी करवाया पर दलजीत कौर की गोद सूनी ही रही.

अंत में सन 2011 में लुधियाना के एक अस्पताल में टेस्टट्यूब तकनीक से दलजीत कौर एक बेटे की मां बनी, जिस का नाम अमानत सिंह रखा गया. बच्चा होने के बाद दोनों के जीवन में जैसे खुशियों की बहार आ गई थी. उन की गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगी थी. सब कुछ ठीक चल रहा था. अमानत भी अब 8 साल का हो गया था और स्कूल जाने लगा था.

4 अगस्त, 2019 की बात है. 8 वर्षीय अमानत ने सुबहसुबह अपने पड़ोसी सुरजीत के घर जा कर बताया कि उस के मातापिता की किसी ने हत्या कर दी है. सुरजीत ने अपनी पत्नी और कुछ पड़ोसियों के साथ जसबीर सिंह के घर जा कर देखा तो वह चौंक गया.

कमरे में बैड पर जसबीर सिंह और उस की बगल में उस की पत्नी दलजीत कौर लहूलुहान पड़े थे. सुरजीत ने पास जा कर देखा तो पाया कि दलजीत की सांसें चल रही थीं, जबकि जसबीर सिंह की मौत हो चुकी थी.

उन्होंने तुरंत इस घटना की सूचना थाना सिटी जगराओं को दी और दलजीत को जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

घटना की सूचना मिलने पर थाना सिटी के प्रभारी निधान सिंह, लेडी एसआई किरनजीत कौर, डीएसपी गुरदीप सिंह, डीएसपी (देहात) रछपाल सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए.

पतिपत्नी दोनों खून से लथपथ थे. थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी तो थोड़ी देर में सीआईए प्रभारी जगदीश सिंह, थाना सदर के प्रभारी किक्कर सिंह, नारकोटिक्स सैल के प्रभारी इकबाल हुसैन और पुलिस चौकी बस स्टैंड इंचार्ज सईद शकील मौके पर पहुंच गए.

मौके पर फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड को भी बुला लिया गया. अधिकारियों ने मुआयना किया तो पता चला कि जसबीर सिंह पर तेजधार चाकू से 20-25 वार किए गए थे. घर की अलमारी और लौकर भी खुले हुए थे. अलमारी का सामान इधरउधर बिखरा पड़ा था. बाद में पुलिस को पता चला था कि  हत्यारे घर से लगभग 2 लाख रुपए और जेवर लूट ले गए थे.

पुलिस ने घर के आसपास लगे दोनों सीसीटीवी कैमरे खंगाले, लेकिन कोई भी सुराग नहीं मिला. इतना ही नहीं, न तो घर का कोई दरवाजा टूटा मिला और न ही खिड़की. जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि घर का दरवाजा भी अंदर से बंद था, जिसे सुबह उन के बेटे अमानत ने कुरसी पर खड़े हो कर मुश्किल से खोला था और पड़ोसियों को घटना की जानकारी दी थी.

पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बयान दर्ज करने के बाद मृतक के भांजे कमलजीत सिंह के बयान पर 4 अगस्त, 2019 को अज्ञात लोगों के खिलाफ थाना सिटी जगराओं में हत्या का मुकदमा दर्ज कर जसबीर सिंह की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी गई.

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केस का खुलासा करने के लिए डीएसपी गुरदीप सिंह ने थानाप्रभारी निधान सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की. टीम में एसआई किरनजीत कौर, एएसआई गुरमीत सिंह, कांस्टेबल जगजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, दर्शन सिंह आदि को शामिल किया गया.  टीम ने जांच शुरू कर दी.

पुलिस को अब अस्पताल में भरती दलजीत कौर के होश में आने का इंतजार था. इस मामले की वही एक ऐसी चश्मदीद गवाह थी, जिस ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा था.

होश में आने के बाद दलजीत कौर ने अपने बयान में बताया कि 3 अगस्त की रात वह अपने पति जसबीर सिंह और 8 साल के बेटे अमानत के साथ घर में सो रही थी. उस रात वह खाना खा कर करीब साढ़े 9 बजे सो गए थे. आधी रात को 4 लोग घर में दाखिल हुए जिन के मुंह पर कपड़े बंधे थे.

उन में 2 कमरे के बाहर खड़े रहे और 2 अंदर आ गए. उन दोनों ने उन पर हमला कर दिया, वह उन से भिड़ गई तो बदमाशों ने उस की बाजू व कंधे पर तेज धारदार हथियार से हमला कर घायल कर दिया और उस के मुंह में कपड़ा ठूंस कर कुरसी से बांध दिया.

बदमाशों ने उस के पति पर कई वार किए, जिस से उन की मौके पर ही मौत हो गई थी. दलजीत ने बताया कि इस के बाद उन्होंने घर में लूट की और फरार हो गए. बाद में उस ने किसी तरह अपने बेटे को उठाया. जब वह उठा तो हमें खून से लथपथ देख घबरा गया. उस ने ही चाकू से रस्सी काट कर उसे खोला और पड़ोसियों को घटना की जानकारी दी.

पुलिस को दलजीत कौर का यह बयान झूठा और बचकाना लगा. क्योंकि घर के अंदर किसी जोरजबरदस्ती से एंट्री के निशान नहीं मिले थे. उस का बयान उस के बेटे अमानत के बयान से दूरदूर तक भी मेल नहीं खा रहा था. थानाप्रभारी ने उस समय दलजीत से कुछ कहना उचित नहीं समझा. वह उस के खिलाफ और पुख्ता सबूत हासिल करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपने मुखबिरों को दलजीत कौर के बारे में पता लगाने के लिए कह दिया.

एसआई किरनजीत कौर को असपास के लोगों से पूछताछ करने पर केवल इतना ही पता चला कि पिछले कुछ समय से दोनों पतिपत्नी के बीच अकसर झगड़ा रहता था. उन के संबंध ठीक नहीं थे. उन्हें यह भी जानकारी मिली कि दलजीत कौर सप्ताह में 2-3 बार अमृतसर श्री हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा जाती थी.

उन्होंने यह बात थानाप्रभारी को बताई. थानाप्रभारी ने जब दलजीत कौर के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में एक ऐसा नंबर मिला, जिस पर दलजीत की रातबेरात कई घंटे तक बातें होती थीं.

जांच में वह फोन नंबर अमृतसर निवासी हरकृष्ण सिंह का निकला लेकिन उस की लोकेशन जगराओं की थी. जिस से कहानी काफी हद तक साफ हो गई थी.

थानाप्रभारी निधान सिंह ने चौकी इंचार्ज सईद शकील की अगुवाई में एक टीम अमृतसर में हरकृष्ण के घर भेजी. पर वह घर पर नहीं मिला. हरकृष्ण सिंह और दलजीत कौर पुलिस के शक के दायरे में आ चुके थे. अब पुलिस मौके का इंतजार कर रही थी.

10 अगस्त, 2019 को मृतक जसबीर सिंह की अंतिम अरदास के तुरंत बाद पुलिस ने दलजीत कौर को गिरफ्तार कर लिया. उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने पति की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसी दिन देर शाम को करनवीर मज्जू की अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए 4 दिन के रिमांड पर ले लिया.

दलजीत कौर से की गई पूछताछ के बाद इस हत्याकांड की जो कहानी प्रकाश में आई, वह 2 ऐसी औरतों की कहानी थी, जिन्होंने प्रकृति का नियम बदलने का प्रयास किया, जिस के बदले एक को मौत मिली और दूसरी को जेल.

हमारे समाज में अधिकांश अपराध मोह और आकर्षण के कारण ही होते हैं. दलजीत कौर और जसबीर कौर का भी एकदूसरे के प्रति बहुत आकर्षण था. इसीलिए साथ जीनेमरने की कसमें खाने के बाद जसबीर ने अपना लिंग परिवर्तन करा कर पतिपत्नी के साथ रहना शुरू कर दिया था.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, पिछले कुछ सालों से दलजीत कौर को पति जसबीर सिंह में शारीरिक रूप से कई खामियां नजर आने लगी थीं. वह उस से शारीरिक रूप से संतुष्ट नहीं थी. वह किसी अन्य पुरुष का संग चाहती थी.

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ऐसे में उस ने अपना विकल्प फेसबुक को बनाया. जल्द ही फेसबुक के माध्यम से उस की मुलाकात सुल्तानविंड रोड अमृतसर निवासी हरकृष्ण से हो गई, जो पहले से ही विवाहित और युवा बच्चों का बाप था.

क्रमश:

 —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य: मनोहर कहानियां

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