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Winter 2023 : इस विधि से बनाएं सरसो का साग

सरसों का साग लगभग हर घर में बनाया जाता है. इसे मक्का के रोटी के साथ खाया जाता है. आमतौर पर इसे ताजी सरसों के साथ बनाया जाता है. आज कल सरसों की साग मक्का की रोटी ट्रेंड में है. सरसों के साग को बहुत ज्यादा पौष्टिक माना जाता है. इसमें बहुत ज्यादा खनिज पाया जाता है.

समाग्री

सरसों

पालक

हरी मिर्च

मेथी पाउडर

प्याज

अदरक

मक्के का आटा

नमक

गरम मसाला

नींबू का रस

घी

विधि

सरसों का साग बनाने के लिए पालक और सरसों का साग मिक्स बनाने के लिए. कच्चे के डंडल को हटा दें. पालक जल्दी गल लग जाता है. सरसो के साग गलने में टाइम लगता है. सबसे पहले साग को उबालने के लिए कुकर में रख दें.

अब सबसे पहले आप साग को उबालने के लिए रख दें. उसके बाद साग को फ्राई करने के लिए हरी मिर्च , प्याज को काट लें और टमाटर को कोट लें.

अब साग को उबाल कर हटा दें, उसे मिक्सी में पिस लें. उसके बाद अब कड़ाही गर्म होने के लिए रख दें. अब कड़ाही में तेल गर्म करें और उसमें हींग को डालें और उसमें मिर्च और प्याज भूंने. कुछ देर बाद टमाटर को डाल दें. उसके बाद उसमें सभी मसाले डालकर भूनें.

सभी मसाले जब भून जाए तो उसके बाद साग को अच्छे से भूने, उसके बाद साग को डालें और कुछ देर तक भूनें. जब भून जाएं तो उसे निकाल कर आप चाहे तो परोसे.

आस्तीन का सांप

रात के 2 बज रहे थे. घर के सभी लोग गहरी नींद में थे. रीमा चुपचाप उठी और बगल वाले कमरे में चली गई. उस कमरे में उस का देवर सूरज सो रहा था. रीमा सूरज के बगल में आ कर लेट गई और उस के बालों में उंगलियां फिराने लगी. उस के लगातार ऐसा करते रहने से सूरज जाग गया और बगल में अपनी भाभी को लेटा देख धीरेधीरे मुसकराने लगा. एकदूसरे को सहलाते और चूमते रहने के बाद देवरभाभी ने जब तक ताकत रही जम कर एकदूसरे के साथ खेले. दोनों को एकदूसरे के साथ लेटे हुए सुबह के 5 बज चुके थे. रीमा जब अपने कमरे में जाने लगी, तो सूरज ने उसे पकड़ कर फिर से घसीट लिया. ‘‘जाने दो न, तुम्हारे भैया जाग गए होंगे,’’ रीमा ने इठलाते हुए कहा. ‘‘अरे भाभी, जाग गए होंगे तो जागने दो न उन्हें. मैं ने तुम्हें पाने के लिए कितनाकुछ किया है. वैसे भी उन को यह सब हमारा प्लान समझ में नहीं आएगा. इतने स्मार्ट नहीं हैं वे,’’ सूरज ने अंगड़ाई लेते हुए कहा.

सूरज की इस बात पर दोनों ही खिलखिला कर हंसने लगे और रीमा अपनी साड़ी और पल्लू सही कर के अपने कमरे में चली गई, जहां उस का पति बिरज सो रहा था. उस ने एक नजर अपने पति की ओर डाली और उस के माथे को चूम लिया. बिरज ने आंखें खोलीं और कहने लगा, ‘‘रीमा, तुम मुझे कितना प्यार करती हो. रोज मेरे माथे पर चूम कर जगाती हो. मुझे यह बहुत अच्छा लगता है. मैं कितना खुशनसीब हूं, जो मुझे तुम्हारी जैसी पत्नी मिली,’’ यह कह कर बिरज ने रीमा को अपनी बांहों में भर लिया. बिरज और सूरज का कपड़ों का कारोबार था. बिरज बहुत ही सीधा और सज्जन था, जबकि सूरज एक आवारा और गलत संगत में पड़ कर इधरउधर पैसे बरबाद करने वाला लड़का बन गया था. सारा कारोबार बिरज ने ही संभाल रखा था, जबकि सूरज सिर्फ इधरउधर घूमता और दोस्तों पर पैसे लुटाता था. सूरज को एक लड़की से प्यार भी हो गया था, जिस से वह शादी करना चाहता था.

वह लड़की और कोई नहीं, बल्कि बाद में उस की भाभी बन चुकी रीमा ही थी, पर उस समय जब सूरज ने रीमा के घर वालों से अपनी शादी की बात कही तो रीमा के पिताजी ने साफ मना कर दिया था, ‘हम तुम्हारे जैसे आवारा लड़के से अपनी बेटी की शादी नहीं करेंगे.’ पर, सूरज और रीमा के लिए एकदूसरे के बिना रह पाना नामुमकिन था. जब दोनों को अपनी शादी हो पाना मुश्किल लगा, तो दोनों ने आपसी रजामंदी से एक योजना बनाई. हालांकि बिरज और सूरज दोनों सगे भाई थे, पर उन में काफी खुलापन था. लड़कियों को ले कर भी आपस में काफी हंसीमजाक भी चल जाता था. इसी बात का फायदा सूरज ने उठा लिया और अपने मोबाइल फोन में रीमा का फोटो दिखाया. फोटो देखते ही बिरज को रीमा बहुत पसंद आ गई. ‘‘अरे सूरज, यह लड़की तो बहुत खूबसूरत है,’’ बिरज ने उतावला होते हुए कहा. ‘‘हां भैया, खूबसूरत तो है. पसंद हो, तो बात चलाऊं?’’ सूरज ने पांसा फेंका. ‘‘अरे, नहींनहीं. ये सब अच्छी बातें नहीं हैं,’’ बिरज थोड़ा शरमा सा गया. ‘‘अरे भैया, शरमा क्यों रहे हो? यह इस का ह्वाट्सएप नंबर है और चैटिंग शुरू कर दो,’’ सूरज ने एक और दांव फेंका. बिरज सीधासादा लड़का था.

जमाने की हवा उसे लगी नहीं थी, इसलिए उसे सूरज की चाल समझ में नहीं आई. उस ने धीरेधीरे रीमा से फोन पर बातें शुरू कर दीं. रीमा ने भी बिरज को अपने प्रेम में गिरफ्तार कर लिया और जब ऐसा लगने लगा कि वह रीमा के बिना नहीं रह पाएगा, तब उस ने खुद ही अपनी मां से अपने मन की बात कह दी. बिरज के पिता की मौत 4 साल पहले ही हो चुकी थी. बड़े दिनों के बाद बिरज की मां ने उस की आंखों में कोई चमक देखी थी, इसलिए वे बिरज को मना न कर पाईं और शादी के लिए न सिर्फ हां कर दी, बल्कि खुद ही रिश्ता ले कर रीमा के घर पहुंच गईं. रीमा के घर वालों को भी कोई दिक्कत नहीं हुई और जब उन्होंने रीमा का मन टटोला तो उस की भी रजामंदी देख रीमा के घर वालों ने रीमा और बिरज की शादी करा दी. सुहागरात के दिन जब बिरज अपने कमरे में पहुंचा और रीमा का चेहरा देख जब उस ने संबंध बनाना चाहा, तो रीमा ने मना कर दिया. ‘‘क्या आप ने सिर्फ शरीर के लिए मुझ से शादी की है?’’ रीमा ने बिरज से धीरे से पूछा. नई दुलहन से बिरज को ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, इसलिए वह एकदम सकपका सा गया. ‘‘नहीं, लेकिन दोस्त कहते हैं कि पहली रात में यह सब जरूरी होता है,’’ बिरज ने शरमाते हुए कहा. ‘‘देखिए, मुझे अभी पढ़ाई करनी है, इसलिए मैं इन सब कामों में नहीं पड़ना चाहती हूं. जब मेरा रिजल्ट आ जाएगा, तभी हमारे बीच में कोई संबंध बन सकेगा,’

’ रीमा ने समझाने वाले अंदाज में कहा. बिरज भोला था. वह रीमा की बातों में आ गया और यही समझता रहा कि रीमा पढ़ाई में बिजी है, इसलिए उस ने फिर संबंध बनाने के लिए जबरदस्ती नहीं की. लेकिन बिरज को क्या पता था कि उस का भाई सूरज ही उस के साथ दुश्मनी कर रहा है. बिरज तो अपने काम में बिजी रहता और रीमा और सूरज जवानी के मजे लूट रहे थे. अब उन लोगों को किसी की परवाह नहीं थी. वैसे भी सूरज और रीमा में भाभीदेवर का रिश्ता था, इसलिए मां को भी शक नहीं हुआ. रीमा कभीकभी डाक्टर को दिखाने को कहती तो बिरज यही कह देता कि आज दुकान पर बहुत काम है. तुम सूरज के साथ चली जाना. फिर क्या था, रीमा और सूरज घर से निकल जाते और किसी होटल में 3-4 घंटे मजे कर के लौट आते. किसी ने सोचा भी न था कि एक प्रेमी जोड़ा अपने प्रेम को कायम रखने के लिए किस कदर गंदे खेल को अंजाम दे सकता है. बिरज और रीमा की शादी को एक साल बीत चुका था,

पर उसे अभी तक रीमा के शरीर का सुख नहीं मिला था. जब बिरज से न रहा गया तो उस ने शरमाते हुए यह बात अपनी मां से बता दी. बिरज की मां को कुछ अजीब सा तो लगा, पर उन्होंने सोचा कि पढ़नेलिखने वाली लड़की है, अभी से बच्चों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती, यह सोच कर उन्होंने उलटे ही बिरज को समझा दिया. एक दिन की बात है. बिरज शाम को दुकान बंद कर के घर लौट रहा था. रीमा के लिए गजरा लेने के लिए वह एक दुकान की तरफ बढ़ा, तभी एक पान की गुमटी के पीछे से सूरज की आवाज आती हुई सुनाई दी, जो अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था. बिरज वहीं रुक कर सूरज की बातें सुनने लगा. एक दोस्त सूरज से कह रहा था, ‘‘अरे भाई सूरज, दिमाग हो तो तेरे जैसा. कैसे अपनी गर्लफ्रैंड को तुम ने अपनी भाभी बना लिया और अब तो जब चाहे जितनी चाहे उतनी बार मौज ले सकता है.’’ ‘‘अरे यार, मैं यह सब नहीं करना चाहता था, पर रीमा का बाप मुझ जैसे आवारा लड़के से अपनी लड़की की शादी करना ही नहीं चाहता था, इसलिए मुझे उस की शादी अपने भैया से करवाने का यह नाटक करना पड़ा,’’ सूरज नशे में सब कहे जा रहा था. बिरज के कानों में मानो किसी ने पिघला सीसा भर दिया था. ‘‘लेकिन… दोस्तो, रीमा भी बड़ी चालाक निकली. उस ने आज तक भैया को अपना शरीर छूने तक नहीं दिया है, पर उसे क्या मालूम कि रीमा के सीने पर मैं कई बार अपनी कलाकारी दिखा चुका हूं और आगे भी दिखाता रहूंगा,’

’ इतना कह कर सूरज जोरजोर से हंसने लगा. अपने खिलाफ इतना बड़ा धोखा होने की उम्मीद बिरज को सपने में भी नहीं थी और जिस तरह से सूरज ने रीमा के लिए गलत बातें कह रखी थीं, उन से बिरज का खून उबाल मारने लगा था. ‘‘बेईमान, कमीने, धोखेबाज, भाई हो कर तू ने भाई को धोखा दिया,’’ चिल्लाते हुए बिरज ने सूरज को एक जोरदार तमाचा मार दिया. अपने दोस्तों के सामने हुई इस बेइज्जती को सूरज सहन नहीं कर पाया और उस ने भी बिरज पर हाथ छोड़ दिया. दोनों भाई आपस में ही लातघूंसे चलाने लगे. सूरज का खून गरम तो था ही, उस पर शराब ने और भी गरमी चढ़ा रखी थी और ये गरमी तब शांत हुई, जब उस ने शराब की टूटी बोतल अपने भाई बिरज के सीने में उतार दी. दर्द से छटपटाता बिरज खून से नहा उठा था और कुछ देर में वह शांत हो गया. उस की मौत हो चुकी थी. सामने भाई बिरज की लाश देख कर सूरज पहले तो घबराया, पर बाद में पुलिस की कार्यवाही और इस झमेले से बचने के लिए उस ने प्लान बनाया. सूरज और उस के दोस्तों ने पुलिस में यह बताया कि कोई लूटने के मकसद से बिरज का खून कर गया है और पर्स, मोबाइल फोन, घड़ी वगैरह भी उन लोगों ने ठिकाने लगा दिया. बिरज अपने हाथ में एक सोने की अंगूठी पहने रहता था, जिस पर सूरज का दिल आ गया,

इसलिए वह अंगूठी सूरज ने पुलिस को न दे कर अपने पास रख ली. पुलिस ने भी सूरज की बात को सच मान लिया और लूट का केस मान कर केस बंद कर दिया. बिरज की मां ने भी अपनी फूटी किस्मत समझ कर आंसू पोंछ लिए. बिरज के मरने के बाद मां एकदम अकेली हो गई थीं और वे रीमा के कमरे में ही सोने लगी थीं. मां के रीमा के साथ में सोने से सूरज और रीमा का बनाबनाया खेल चौपट सा दिखने लगा, क्योंकि अब उन दोनों को जिस्मानी जरूरतें पूरी करने की आजादी नहीं मिल पा रही थी, इसलिए सूरज ने मन ही मन एक दूसरा प्लान बनाया. ‘‘मां, बिरज भैया के जाने के बाद से आप बड़े अशांत रहने लगी हो, आप को शांति मिले, इसलिए चलो, मैं आप को और भाभी को हरिद्वार घुमा लाता हूं. ‘‘कुछ दिन आश्रम में रहेंगे तो मन भी हलका हो जाएगा,’’ सूरज ने मासूमियत भरे लहजे में अपनी मां से कहा. ‘‘अरे बेटा, मैं अब बूढ़ी हड्डियां ले कर कहां जाऊंगी. तुम और रीमा ही हो आओ, मैं यहीं रह कर घर की देखभाल करूंगी,’’ मां ने कहा. अंधे को क्या चाहिए दो आंखें. सूरज और रीमा जो चाहते थे, वही उन को मिल गया. फिर क्या था, दोनों ने खूब रुपयापैसा इकट्ठा किया और निकल पड़े शांति की तलाश में.

पहले तो शहर में जा कर उन्होंने होटल में कमरा लिया और जी भर कर अपने जिस्मों की प्यास बुझाई. इधर सूरज की मां घर में अकेली होने के चलते घर की साफसफाई में लग गईं. सफाई के दौरान उन्हें सूरज के कमरे की अलमारी में बिरज की वह अंगूठी मिली, जो सूरज उस को मारने के बाद ले आया था. अचानक से बिरज को लूट लिया जाना, जबकि बिरज कई सालों से उस रास्ते से आताजाता था और आज अचानक से बिरज की अंगूठी का सूरज की अलमारी में मिलना मां के दिल में शक सा पैदा कर गया. मां ने कमरे को और खंगाला तो पाया कि उस की बहू रीमा की चुन्नी भी सूरज के कपड़ों में मिली. मां समझ गई कि क्या मामला है. लेकिन, वे कर क्या सकती थीं. उन्होंने सूरज के दोस्तों को घर पर बुलाया और बातोंबातों में सारा भेद उगलवा लिया. अब उन के पास एक ही उपाय था, दोनों की शादी कर देना, ताकि देवरभाभी का खेल किसी को पता नहीं चले. मां को मालूम था कि अब रीमा के मातापिता भी कुछ न कहेंगे, क्योंकि वे विधवा बेटी का बोझ क्यों संभालेंगे.

खामोशी के बाद-भाग 2: आखिर क्यों उसे अपनी बेटी से नफरत थी?

नहीं है, वह काफी पहले ही इस संसार से जा चुका है. रोड ऐक्सीडैंट था.

‘‘सुमेधा…‘‘ मैं ने प्रयास किया कि उस को समझाऊं कि एक अनजान लड़की को इस तरह घर में रखना ठीक नहीं है.

‘‘आप के लिए अनजान है यह, मगर मेरे लिए नहीं. मैं ने अपनी सहेली को वचन दिया है कि इस की देखभाल करूंगी…‘‘ दृढ़ था सुमेधा का स्वर.

‘‘लेकिन इस शहर में अनाथालय भी तो हैं न?‘‘

‘‘मैं ने अपनी सखी को वचन दिया है विनय कि मैं इसे अनाथालय में नहीं डालूंगी. जानते हो, मेरी सहेली अनाथ थी. अनाथालय में ही पलीबङी हुई थी. उसे कभी पता ही नहीं चला कि उस के मांबाप कौन हैं. हैं भी या नहीं. वह मेरे स्कूल की सहेली थी. वह सदा अपने अनाथालय की त्रासदी मुझे बताया करती थी. सब के बीच होने के बाद भी घोर अकेलापन होता है. मानसिक व्यथा होती है. जैसेतैसे वह शिक्षका बनी. शादी की और मां भी बनी. पर उस के पति उसे छोड़ कर चल बसे. वह स्वयं भी गंभीर बीमारी से जूझ रही थी और जब भी मुझ से बात करती अंकिता को ले कर ही करती. मैं ने उसे वचन दिया था कि मैं अंकिता को संभाल लूंगी. पर यह नहीं पता था कि वह इतनी जल्दी चली जाएगी. मैं अपने वचन से पीछे नहीं हट सकती विनय.‘‘

‘‘ठीक है जो करना हो करो…‘‘ मैं ने भी झल्ला कर कहा,‘‘पर मैं इस लङकी का खर्च वहन नहीं करूंगा.‘‘

मेरा निर्णय सुन स्तब्ध रह गई सुमेधा. कुछ देर अजीब सी नजरों से मुझे देखती रही. उस की आंखें डबडबा आई थीं. आंखों के कोर में आंसू मोतियों से चमकने लगे थे. फिर उस ने धीरे से निर्णयात्मक अंदाज में सिर हिला कर हामी भरी मानो कह रही हो, मंजूर है.

मेरी कठोरता ने सुमेधा को आत्मनिर्भर बना दिया था. अगले कुछ दिनों में ही सुमेधा ने कालोनी के कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था. मुझ से घर का खर्चा मांगना भी कम कर दिया था.

‘‘सुमेधा, यह ट्यूशन क्यों?‘‘ मैं ने एक दिन उस का हाथ पकडते हुए पूछा था,‘‘क्या मेरी पुलिस की नौकरी से घर नहीं चल रहा?‘‘

‘‘आत्मनिर्भर बनना गलत तो नहीं है न?‘‘उस के स्वर में व्यंग्य था.

कई बार लगता कि अंकिता सुमेधा के जीवन में मेरी जगह लेने लगी थी. वह अंकिता को रसोई में जमीन पर चादर बिछा कर उस पर सुलाती थी. अंकिता के लिए फुटपाथ से सस्ते कपङे खरीद लाती. सरकारी स्कूल में उस का दाखिला करवा दिया. नन्हीं सी अंकिता स्कूल पैदल ही आतीजाती थी. सुमेधा ने अंकिता को कोई सुखसुविधा नहीं दी पर बेपनाह प्यार दिया, संरक्षण दिया. अंकिता कृतार्थ थी सुमेधा के इस स्नेह पर और शायद इसीलिए उस के चेहरे पर सदैव मुसकान रहती, आत्मसंतुष्टि का भाव रहता. रोहित अपनी पढ़ाई, खेलकूद, किताबों में व्यस्त रहता. रोहित को लगता था कि अंकिता उस की बहन समान है तो उसे राखी बांधे. पर सुमेधा ने अंकिता और रोहित के बीच इस रिश्ते को स्थापित ही नहीं होने दिया.

राखी का त्योहार आ रहा था तो मैं ने भी उत्सुकतावश पूछ लिया रोहित से, ‘‘अंकिता राखी बांधेगी तुम्हें?”

‘‘नहीं पापा। मम्मा कहती हैं कि उसे किसी रिश्ते में मत बांधो,‘‘ मैं चकित रह गया. अंकिता सुमेधा की सब से करीबी बन गई थी. फिर रोहित को राखी बांधने पर उसे ऐतराज क्यों? रोहित भी अंकिता को बहुत प्यार करता था. स्कूल के दोस्तों से मिले चौकलेट और अपनी कहानियों की किताबें उस से शेयर करता. कई बार देखा है मैं ने कि अंकिता को कभी गणित तो कभी अंगरेजी भी पढ़ा दिया करता था. दोनों का व्यवहार बिलकुल वैसा ही था जैसा सभी भाईबहनों का होता है. फिर राखी बांधने पर सुमेधा को ऐतराज क्यों?

 

YRKKH: 6 साल बाद होगी अक्षरा-अभिमन्यु की मुलाकात, जानें क्या होगा आगे

टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में इन दिनों लगातार नए-नए ड्रामे देखने को मिल रहे हैं. इस सीरियल में अब अभिमन्यु की मुलाकात अक्षरा से हो जाती है, बता दें कि सालों से ये सीरियल दर्शकों के दिलों पर राज कर रहा है.

इस सीरियल की कहानी अब आगे बढ़ चुकी है, इन दिनों इस कहानी में अक्षरा और अभिमन्यु का किरदार चर्चा का विषय बना हुआ है. कहानी में जल्द ही अक्षरा और अभिमन्यु का आमना सामना होने वाला है. जिसके बाद से अक्षु की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी.

आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अक्षरा की जिंदगी में भूचाल आने वाला है.आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा कि कैसे अभिनव अभिमन्यु को लेकर होटल पहुंचाता है. अबीर और अभिमन्यु की काफी अच्छी दोस्ती हो जाती है, जिसके बाद से अबीर अभिमन्यु खूब एंजॉय करते हैं, दोनों साथ में इतना हंगामा मचाते हैं कि पुलिस आ जाती है.

आने वाले एपिसोड में दिखाया गया था कि अभिमन्यु पुलिस स्टेशन से अभिनव को फोन करता है जहां पर अक्षरा पहुंच जाती है लेकिन उसकी मुलाकात अभी तक अभिमन्यु से नहीं हो पाती है. हालांकि इसी बीच दिखाया जाएगा कि उदयपुर में आरोही के साथ अभि की शादी हो रही है. अब आने वाले एपिसोड में क्या दिखाया जाएगा जानने के लिए नेकस्ट एपिसोड का वेट करना पड़ेगा.

फिल्म की शूटिंग के दौरान पल्लवी जोशी के साथ हुआ ये हादसा , जानें अपडेट

द कश्मीर फाइल्स फेम एक्ट्रेस पल्लवी जोशी से जुड़ी एक खबर आ रही है. फिल्म की शूटिंग के दौरान उनके साथ एक हादसा हो गया है.जिसकी वजह से पल्लवी जोशी को चोट लग गई है. इस खबर के मिलते ही फैंस काफी ज्यादा दुखी हो गए हैं.

पल्लवी जोशी के फैंस उनकी सलामती के लिए दुआ मांग रहे हैं. यह हादसा फिल्म द वैकशीन वॉर की शूटिंग के दौरान हुआ है. खबर के मुताबिक एक्ट्रेस को एक गाड़ी ने टक्कर मार दी है. जिसके बाद एक्ट्रेस का इलाज पास के अस्पताल में कराया जा रहा है.

 

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हालांकि हालात काफी गंभीर नहीं बताया जा रहा है. बता दें कि यह हादसा एक्ट्रेस के साथ हैदराबाद में हुआ है. पल्लवी जोशी साल 2022 में बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाने वाली फिल्म द कश्मीर फाइल्स में अपनी एक्टिंग से धमाल मचा चुकी हैं.

इस फिल्म ने थिएटर पर मोटी कमाई की थी, इस फिल्म में पल्लवी के साथ जाने माने एक्टर अनुपम खेर भी नजर आएं थें. इस फिल्म के डॉयरेक्टर पल्लवी के पति विवेक अग्निहोत्री थें. जिसमें लोगों ने उनकी फिल्म को लेकर काफी विवाद भी हुआ था और तारीफ भी हुई थी.

खैर अब फैंस को इनकी अगली फिल्म का इंतजार है.

मनचला-भाग 3 : किस वजह से हुआ कपिल का मन बेकाबू

कपिल ने कार सड़क के किनारे ला कर रोक दी तो मारिया ने दरवाजा खोला और बाहर निकल गई. ‘‘एक मिनट रुको,’’ कपिल ने जेब से पर्स निकालते हुए कहा, ‘‘लो, कुछ रुपए रख लो.’’

सौसौ के नोट थे, जिन्हें न तो कपिल ने गिना और न ही मारिया ने. मारिया ने नोट हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘धन्यवाद, आप बहुत अच्छे हैं.’’

‘‘अब कहां मिलोगी?’’ कपिल ने पूछा. ‘‘ऐसे ही किसी चौराहे पर,’’ मारिया ने दोनों हाथ हवा में फैला दिए.

‘‘फिर भी, कोई टैलीफोन या मोबाइल नंबर तो होगा?’’ कपिल ने पूछा. ‘‘नहीं,’’ मारिया ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘मेरा कोई फोन नंबर नहीं है.’’

‘‘ओह,’’ कपिल ने खेद से कहा. ‘‘हां, आप अपना नंबर दे दीजिए,’’ मारिया ने शरारतभरी मुसकान से कहा, ‘‘कभीकभी फोन करती रहूंगी.’’

कपिल की आंखों में चमक आ गई. सोचा, घर का नंबर देना तो ठीक नहीं होगा, मोबाइल नंबर…नहीं, यह भी ठीक नहीं है. कहीं ब्लैकमेल ही करने लगे तो? अपनी सुरक्षा की उतनी ही चिंता थी जितनी कि मारिया की संगति का आकर्षण. ‘‘सुनो, क्या कल इसी समय इसी जगह मिल सकती हो?’’

‘‘सर, कल की कौन जानता है,’’ मारिया ने खनखनाती हंसी से कहा, ‘‘कल इस राह से आप गुजरें और मुझे पहचानें तक नहीं?’’ ‘‘तो फिर कहां?’’ कपिल हंसा, ‘‘बहुत शरारती हो.’’

‘‘कोशिश कर लीजिएगा,’’ मारिया ने कहा और भीड़ में गायब हो गई. अगले 2-3 दिनों तक कपिल उसी जगह उसी समय बेकरारी से मारिया को ढूंढ़ता रहा. अचानक अच्छाखासा पारिवारिक आदमी नए यौनाकर्षण का शिकार हो गया. दिमाग पर धुंध सी छा गई थी.

चौथे दिन कुछ देर प्रतीक्षा के बाद… ‘‘सर, अच्छे तो हैं?’’ एक नई खुशबू का झोंका आया.

‘‘हाय,’’ कपिल ने कहा. ‘‘हाय,’’ मारिया ने मुसकरा कर कहा और बिना निमंत्रण के कार का दरवाजा खोल कर कपिल के पास बैठ गई.

‘‘तुम्हारी मां अब कैसी है?’’ कपिल ने पूछा. ‘‘छोडि़ए सर,’’ मारिया ने हाथ घुमाते हुए कहा, ‘‘आप तो सब समझते हैं. अपनी बताइए, क्या इरादा है?’’

‘‘तुम्हारा गुलाम हूं,’’ कपिल ने रोमानी अंदाज में कहा, ‘‘जहां चाहो, ले चलो.’’ ‘‘आप को कोई डर तो नहीं है?’’ मारिया ने पूछा.

‘‘डर तो है, पर तुम्हारे ऊपर विश्वास करने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं है.’’ ‘‘आप बहुत समझदार हैं,’’ मारिया ने कहा और गैस्टहाउस का रास्ता बताया.

जब कार गैस्टहाउस के आगे रुकी तो कपिल का मन गुदगुदा रहा था, पर दिल पहली बेवफाई के एहसास से कुछ अधिक गति से धड़क रहा था.

अंदर पहुंच कर मारिया ने एक आदमी से कुछ बातें कीं और फिर कपिल को एक कमरे में ले गई. ऐशोआराम का सारा सामान कमरे में मौजूद था. कपिल को सोफे पर बैठने का संकेत करते हुए मारिया ने फ्रिज का दरवाजा खोला और पूछा, ‘‘बीयर चलेगी?’’ कपिल ने स्वीकृति में सिर हिलाया.

मारिया ने 2 गिलासों में बीयर डाली. ‘‘चीयर्स,’’ मारिया ने कहा.

‘‘चीयर्स,’’ कपिल मुसकराया. तभी उसी आदमी ने, जो बाहर था, भीतर प्रवेश किया. कपिल ने प्रश्नसूचक दृष्टि से उसे देखा.

‘‘अपना पहचानपत्र दिखाइए,’’ उस ने आदेश दिया. ‘‘पहचानपत्र?’’ कपिल ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्यों?’’

‘‘हमें यह देखना है कि आप पुलिस के आदमी तो नहीं हैं?’’ उस ने उत्तर दिया. ‘‘पर मारिया जानती है,’’ कपिल ने बौखला कर कहा, ‘‘मैं पुलिस का आदमी नहीं हूं.’’

‘‘आप को पहचानपत्र दिखाना होगा,’’ उस ने जोर दे कर कहा. ‘‘मेरे पास कोई पहचानपत्र नहीं है.’’

‘‘कोई और सुबूत होगा?’’ ‘‘नहीं, मेरे पास कुछ नहीं है,’’ कपिल ने झूठ कहा.

तभी एक दूसरे आदमी ने भीतर प्रवेश किया. उस के हाथ में कैमरा था. ‘‘इन का फोटो ले लो,’’ पहले आदमी ने कहा.

‘‘मैं फोटो नहीं खिंचवाऊंगा,’’ कपिल ने घबरा कर कहा, ‘‘आप का मतलब क्या है?’’ ‘‘20 हजार रुपए चाहिए,’’ उस ने कहा.

‘‘मेरे पास रुपए नहीं हैं,’’ कपिल ने कहा. ‘‘कोईर् बात नहीं,’’ उस आदमी ने शांति से कहा, ‘‘कपड़े उतार लेते हैं. मारिया, चलो अपना काम करो.’’

कपिल ने घबरा कर कहा, ‘‘ठहरो, मैं रुपए देता हूं, पर इतने नहीं हैं.’’ ‘‘कितने हैं?’’

‘‘मेरे ब्रीफकेस में हैं, और ब्रीफकेस कार में है.’’ ‘‘अपना पर्स और घड़ी दो,’’ उस आदमी ने कहा.

कपिल ने चुपचाप पर्स में से रुपए निकाल कर दे दिए. फिर घड़ी उतार दी. उस की सांस तेजी से चल रही थी.

‘‘साहब के साथ जाओ,’’ उस आदमी ने मारिया से कहा, ‘‘और ब्रीफकेस ले कर आओ. होशियारी मत करना. मुन्ना साथ जा रहा है. हमें रुपए वसूल करना आता है.’’

कपिल ने गहरी सांस ले कर उन्हें देखा और फिर चुपचाप बाहर आ गया. उस के पीछे मारिया और मुन्ना भी थे. कार के पास पहुंच कर कपिल ने चाबी से दरवाजा खोला और अंदर बैठ गया. पीछे की सीट पर रखे ब्रीफकेस की ओर देखा. इस से पहले कि वे कुछ करते, उस ने कार स्टार्ट कर दी. मुन्ना ने कार रोकने के लिए आगे पैर बढ़ा दिया, पर कपिल ने फौरन गति बढ़ा दी. चलती कार ने मुन्ना को पीछे फेंक दिया. कुछ ही क्षणों में वह आंखों से ओझल हो गया.

काफी दूर पहुंच कर कपिल ने गहरी सांस ली कि क्षणिक कमजोरी कितनी यातना देती है. अब मैं कभी इस चक्कर में नहीं पड़ूंगा. शाम को जब वह घर पहुंचा तो ऐसा लग रहा था, मानो कोई कैदी जेल से भाग कर आया हो. कभी भी पुलिस द्वार पर दस्तक दे सकती है.

रात में जब घंटी बजी तो कपिल का दिल दहल गया. ‘‘इतनी रात गए कौन होगा?’’ इंद्राणी ने कहा.

‘‘देखता हूं,’’ कपिल ने उठते हुए कहा. दिल तेजी से धड़क रहा था. घबराते हुए दरवाजा खोला तो देखा, सामने बेटा बल्लू खड़ा है. ‘‘अरे,’’ कपिल ने उसे छाती से लगा लिया.

‘‘ऐसे ही आता है,’’ मां ने गदगद कंठ से कहा, ‘‘मुझे लग रहा था कि बल्लू ही होगा.’’ सुबह नाश्ते की मेज पर कहकहे लग रहे थे. अचानक कपिल की निगाह समाचारपत्र पर गई. पहले पृष्ठ पर ही समाचार छपा था कि साउथ दिल्ली के एक गैस्टहाउस में ब्लैकमेल करने व लूटने वाले एक गिरोह को गिरफ्तार किया गया. गिरोह में एक लड़की भी शरीक थी.

‘‘कोई खास बात है क्या?’’ पत्नी ने पूछा. ‘‘कुछ नहीं,’’ कपिल ने समाचारपत्र नीचे फेंकते हुए कहा, ‘‘वही आम बातें…’’

अजब मृत्यु : चौकीदार ने मुहल्ले वालों को क्या खबर दी

कमरदर्द न बन जाए मुसीबत

भागती दौड़ती जिंदगी में मानव शरीर को अनेक तरह की तकलीफों व विकारों से गुजरना पड़ता है. ऐसी ही एक तकलीफ या विकार कमरदर्द है जिस का सामना हर इंसान अपने जीवनकाल में कभी न कभी करता ही है. कमरदर्द किसी को भी हो सकता है. आम लोगों में यह दर्द उठनेबैठने, चलने का सही तरीका न अपनाने के कारण होता है. ऐसा करने से रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है. वहीं वे लोग जिन्हें दिनभर कुरसी पर बैठ कर काम करना होता है या फिर जिन का काम सारे दिन खड़े हो कर करने वाला है वे भी कमरदर्द से ग्रस्त हो सकते हैं. दूसरी तरफ महिलाओं में न केवल गर्भावस्था के दौरान बल्कि आम दिनों में भी यह दर्द अकसर होता है. 30-35 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं में कमरदर्द होने की संभावना बढ़ जाती है.

गर्भावस्था में कमरदर्द :

गर्भावस्था बदलाव की वह अवस्था होती है जब महिलाओं को शारीरिक व मानसिकतौर पर अनेक तरह के बदलावों से गुजरना पड़ता है. इन्हीं शारीरिक बदलावों के चलते गर्भवती महिलाओं को जिस एक आम परेशानी का सामना करना पड़ता है वह है कमरदर्द. गर्भावस्था के दौरान चलतेफिरते, उठतेबैठते, करवट लेते समय उन्हें इस दर्द से गुजरना पड़ता है.

फरीदाबाद स्थित एशियन अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अनीता कांत के अनुसार, ‘‘गर्भावस्था के दौरान शुरुआती 3 महीनों में कमरदर्द की समस्या कम होती है, लेकिन उस के बाद बच्चे के विकास के साथ आने वाले बदलावों, जैसे पेट के बढ़ने व हार्मोनल बदलाव आदि के कारण स्पाइन पर दबाव बढ़ता जाता है जिस से शरीर की बनावट आसामान्य हो जाती है. और जोड़ों व मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता जाता है जिस की वजह से कमरदर्द बढ़ने लगता है. गर्भावस्था के छठे माह के बाद गर्भवती महिला के शरीर की हड्डियों के जोड़ ढीले होने लगते हैं. वहीं, 8वें व 9वें महीने में थकान महसूस होने व वजन बढ़ने से शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, इस के कारण मांसपेशियों पर दबाव बढ़ जाता है. नतीजतन, रीढ़ की हड्डी में झुकाव आने लगता है और फिर कमरदर्द बढ़ जाता है.’’ डा. अनीता कांत के अनुसार, ‘‘गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को डाक्टरी सलाह से व्यायाम करना चाहिए ताकि कमरदर्द की समस्या से बचा जा सके. खानपान की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक और संतुलित आहार लेना चाहिए. इस दौरान शरीर के पोश्चर पर विशेष ध्यान देना चाहिए. नीचे झुकते समय सीधे कमर से झुकने के बजाय घुटने मोड़ कर झुकें. भारी वजन उठाने से बचें. इस दौरान ऊंची एड़ी की सैंडिल न पहनें. वजन को नियंत्रण में रखें क्योंकि अधिक वजन भी कमरदर्द का कारण हो सकता है. सोते समय दोनों ओर करवट बदल कर सोएं. लगातार काम करने से बचें. बीचबीच में बे्रक लेते रहें. इस दौरान आरामदायक व सूती कपड़े पहनें.’’

आम आदमी और कमरदर्द

एशियन अस्पताल, फरीदाबाद के कंसल्टैंट स्पाइन सर्जन डा. नीरज गुप्ता के अनुसार, ‘‘वर्तमान भागदौड़भरी, तनावग्रस्त जीवनशैली, शरीर में कैल्शियम व विटामिन डी की कमी, हार्मोनल बदलाव, 30 वर्ष की उम्र के बाद मांसपेशियों में कमजोरी, मोटापा, पेट निकलना, वजन बढ़ना, उठनेबैठने का सही तरीका न होना, लगातार एक जगह गलत पोश्चर में बैठना आदि अनेक कारण हैं जिन की वजह से लोगों को अकसर कमरदर्द का सामना करना पड़ता है. इस के अलावा डिस्क की समस्या भी लोगों में कमरदर्द का कारण बनती है. डिस्क स्पाइन कौर्ड की हड्डियों के बीच कुशन जैसी मुलायम चीज होती है. डिस्क का बाहरी हिस्सा जहां एक मजबूत झिल्ली से बना होता है वहीं बीच में तरल जैलीनुमा पदार्थ होता है.

 

जब डिस्क में मौजूद जैली या कुशन जैसा हिस्सा कनैक्टिव टिश्यूज से बाहर की ओर निकल आता है तो आगे बढ़ा हुआ हिस्सा स्पाइन कौर्ड पर दबाव बनाता है. ऐसे में गलत तरीके से काम करने से डिस्क पर जोर पड़ता है और कमरदर्द की शिकायत होने लगती है. स्लिप डिस्क शरीर की मशीनरी में तकनीकी खराबी है, न कि कोई बीमारी.’’

स्लिप्ड डिस्क के कारण

गलत पोश्चर, लेट कर या झुक कर काम करना, लेट कर टीवी देखना, गलत तरीके से उठनाबैठना, अचानक अधिक वजन उठा लेना, दैनिक जीवन में शारीरिक क्रियाशीलता का अभाव, शारीरिक व्यायाम न करना, कई बार अधिक व्यायाम या गलत तरीके से व्यायाम करना, गिर जाना, दुर्घटना में चोट लगना, लगातार ड्राइविंग करना व उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का कमजोर होना आदि डिस्क पर जोर डालते हैं. कई बार जौइंट्स के डिजैनरेशन, कमर की हड्डियों में जन्मजात विकृति या इन्फैक्शन भी डिस्क पर दबाव डालते हैं. आमतौर पर स्लिप्ड डिस्क की समस्या 30-50 वर्ष की आयु के लोगों में देखने को मिलती है लेकिन आजकल युवाओं में भी यह समस्या देखने में आ रही है. इस का कारण गलत जीवनशैली है. युवाओं में गलत पोश्चर में बैठना व बिना सीटबैल्ट के ड्राइविंग करना भी डिस्क में खराबी का कारण बनता है.

स्लिप्ड डिस्क होने पर मरीजों की नसों पर दबाव के कारण कमरदर्द, पैरों में दर्द, एड़ी या पैर की उंगलियों में सुन्नता, रीढ़ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द और चलने, फिरने व झुकने में दर्द का सामना करना पड़ता है. स्लिप्ड डिस्क के मरीजों को आमतौर पर आराम और फिजियोथैरेपी की सलाह दी जाती है. 2-3 हफ्तों का कंप्लीट बैड रैस्ट स्लिप्ड डिस्क के मरीजों को समस्या से राहत देता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, आकर्षक दिखने वाले अंतर्वस्त्र अगर सही फिटिंग के न हों तो महिलाएं कमरदर्द की समस्या का शिकार हो सकती हैं. तकरीबन 70-80 प्रतिशत महिलाएं गलत फिटिंग व गलत साइज की ब्रा पहनने के कारण कमरदर्द की समस्या से जूझती हैं.

कमरदर्द की समस्या से बचाव के लिए

–       बैठने, उठने, चलने के तरीके पर विशेष ध्यान दें.

–       देर तक कुरसी पर झुक कर न बैठें.

–       हाई हील्स व फ्लैट चप्पलों से बचें.

–       हाई हील्स कमर पर दबाव डालती हैं, वहीं फ्लैट फुटवियर पैरों को नुकसान पहुंचाते हैं.

–       भारी सामान उठाते समय झुकने के बजाय घुटनों के बल नीचे बैठ कर उठाएं.

–       वजन नियंत्रण में रखें. बढ़ते वजन से रीढ़ की हड्डी पर सीधा प्रभाव पड़ता है.

–       देर तक ड्राइविंग करते समय गरदन व पीठ को कुशन का सपोर्ट दें.

–       आप का काम लगातार बैठे रहने वाला है तो बीचबीच में उठ कर टहलें.

–       अगर बैठ कर काम करना ही है तो कमर को कुशन का सपोर्ट दें.

–       कमरदर्द की समस्या से बचने के लिए निरंतर व्यायाम या सैर करें.

–       30 की उम्र के बाद महिलाओं को भोजन में कैल्शियम युक्त पदार्थ शामिल करना चाहिए.

मैंने फेसबुक के जरिए अपने ही कालेज के लड़के से दोस्ती की, हमारे बीच संबंध भी बन गए,अब मैं क्या करूं समझ नहीं आता?

सवाल

मैं ने फेसबुक के जरिए अपने ही कालेज के तृतीय वर्ष के एक छात्र से दोस्ती की. फिर वह मुझे रोज विश करने लगा. कुछ समय बाद हम कालेज में भी मिलने लगे और हमारे बीच रिलेशन बन गया, लेकिन उस के बाद उस की दिलचस्पी मुझ में कम दिखती है. मैं उसे मिलने को कहूं तो पढ़ाई में हर्ज का बहाना बनाता है. फोन करूं तो उठाता नहीं. खुद मिलने जाऊं तो भी ज्यादा देर बात नहीं करता, जबकि मैं सब लुटा कर भी उसे नहीं पा सकी, क्या करूं समझ नहीं आता?

जवाब

आप का प्यार शुरू से ही एकतरफा रहा है, जिसे आप प्यार समझ रही हैं वह तो सिर्फ वासना है. आप ने अपनी तरफ से पहल की क्योंकि आप के मन में उस के प्रति आकर्षण था लेकिन उसे समझ नहीं पाईं कि उस के मन में क्या है. जाहिर है उस के मन में आप के शरीर के प्रति आकर्षण था जिसे आप के एकतरफा प्यार ने हवा दी और उस ने लपक लिया. अब इसी कारण वह आप से कटता फिर रहा है. अब भी देर नहीं हुई है, संभल जाइए. अपना मन पढ़ाई में लगाइए व खुद को इस प्रेम से अलग कर लीजिए. अगर फिर भी बात न बने तो दूसरा साथी ढूंढि़ए, हां, भूल कर भी तनाव में न आएं व खुदकुशी आदि की तरफ न बढ़ें. कैरियर व कंपीटिशन की तरफ रुख करेंगी तो स्वत: ही इस ओर से ध्यान हटेगा. सुनहरा कैरियर बनेगा तो उस जैसे हजारों पलकें बिछाए खड़े मिलेंगे.

वह अकेली नहीं है-भाग 1 : मौसमी औऱ कबीर का क्या रिश्ता था?

“हैप्पी बर्थडे प्रीशा, मे गौड ब्लेस यू”, प्रीशा की विधवा मां मौशमी अपनी इकलौती लाड़ली बिटिया का बर्थडे केक कटवाते वक्त मन ही मन उस के लिए दुआ मांगते हुए आगत मेहमानों के साथ बर्थडे सौंग गा रही थी.

प्रीशा उस की अकेली वीरान जिंदगी की एकमात्र रोशनी थी. पति की असमय मृत्यु के बाद उस का हंसतामुसकराता सलोना चेहरा देख उस का मन एक अनूठी तरावट से भर जाता.

आज भी मैरीन ग्रीन रंग की बेहद खूबसूरत फ्रौक में उस का ताजे गुलाब सा खिलाखिला सोनपरी सा चेहरा देख उस का मन सुकून से भर उठा.

आज वह बहुत खुश थी. प्रीशा आज पूरे 7 वर्ष की हो गई. वह मगन मन अपनी फ्रैंड्स के साथ हंसतीखेलती चहक रही थी, कि तभी उस की एक सहेली की मां मौशमी से बोली, “मौशमीजी, स्कूल के ऐनुअल फंक्शन में मैं ने आप की बेटी का वौयलिन वादन सुना. आह, कितना मधुर बजाती है. उस से कहिए न, अभी उस की एक परफौर्मेंस हमारे सामने भी दे दे.”

मौशमी ने बहुत मिन्नतें कर प्रीशा को सब के सामने वौयलिन बजाने के लिए राजी किया.

प्रीशा का मधुर वौयलिन वादन सुन उपस्थित सभी मेहमान मंत्रमुग्ध हो गए. तभी मौशमी ने अपनी बेटी से कहा, “प्रीशा बेटा, अब जरा मम्मा के फेवरिट गाने भी सब को सुना दो.”

वौयलिन बजाने के साथसाथ वह गाना भी बहुत अच्छा गाती थी.

“क्या मम्मा, इतने पुराने गीत आप के सिवा किसी को भी पसंद नहीं आएंगे.”

“बेटा, आप एक गीत सुनाओ तो, प्लीज,” मम्मी के औफिस की एक सहकर्मी ने प्रीशा से चिरौरी की.

इस पर प्रीशा ने मां के दोतीन पसंदीदा गायिका शमशाद बेगम के सदाबहार गीत सुना कर सब का मन मोह लिया.

“मौशमीजी, आप की बिटिया तो औलराउंडर है. क्लास में हमेशा टौप फाइव में तो रहती ही है, एक्स्ट्रा करिक्युलर गतिविधियों में भी सब से आगे रहती है.”

“आप शुभचिंतकों की दुआएं हैं फ्रैंड्स,” इकलौती बिटिया की प्रशंसा से गदगद होते हुए मौशमी ने उन से कहा.

सब ने उस बर्थडे पार्टी को बेहद एंजौय किया.

पार्टी खत्म हुई. आखिरी मेहमान के जाने के बाद प्रीशा टेबल पर रखे उपहारों के पैकेट खोलने के लिए कैंची लेने अपने ड्यूप्लैक्स घर की ऊपरी मंजिल का जीना चढ़ ही रही थी कि अगले ही क्षण “मम्मा… मम्मा… मम्मा…” की दिल चीर देने वाली चीख सुन मौशमी उस की ओर भागी. प्रीशा अपने दोनों घुटने पकड़ दर्द से बिलख रही थी. उस ने उसे खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन वह पीड़ा से बेहाल खड़ी न हो सकी.

मौशमी ने किसी तरह उसे गोद में उठा कर पलंग पर लिटाया और फ़ौरन अपने बड़े भाई को फ़ोन किया, “भैया, प्लीज़, फ़ौरन घर आ जाइए. प्रीशा जीने से गिर गई है, दर्द से तड़प रही है. प्लीज, उसे अस्पताल ले जाना है.”

“रात बहुत हो गई है मौशमी. तुम प्रीशा को अभी तो किसी तरह मैनेज करो. मैं सुबह आता हूं,” कह कर बड़े भाई ने खट से लाइन काट दी.

उन से ऐसा टका सा जवाब सुन मौशमी की आंखों में आंसू छलक आए और टैंशन से कांपते हाथों से उस ने अपने देवर को फोन किया, “प्रीशा जीने से गिर गई है. फौरन घर आओ.”

“भाभी, यहां वनिता को तेज बुखार है. मैं तो अभी नहीं आ पाऊंगा. हां, सुबह जरूर आता हूं. ओके, गुड नाइट.”

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