कपिल ने कार सड़क के किनारे ला कर रोक दी तो मारिया ने दरवाजा खोला और बाहर निकल गई. ‘‘एक मिनट रुको,’’ कपिल ने जेब से पर्स निकालते हुए कहा, ‘‘लो, कुछ रुपए रख लो.’’
सौसौ के नोट थे, जिन्हें न तो कपिल ने गिना और न ही मारिया ने. मारिया ने नोट हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘धन्यवाद, आप बहुत अच्छे हैं.’’
‘‘अब कहां मिलोगी?’’ कपिल ने पूछा. ‘‘ऐसे ही किसी चौराहे पर,’’ मारिया ने दोनों हाथ हवा में फैला दिए.
‘‘फिर भी, कोई टैलीफोन या मोबाइल नंबर तो होगा?’’ कपिल ने पूछा. ‘‘नहीं,’’ मारिया ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘मेरा कोई फोन नंबर नहीं है.’’
‘‘ओह,’’ कपिल ने खेद से कहा. ‘‘हां, आप अपना नंबर दे दीजिए,’’ मारिया ने शरारतभरी मुसकान से कहा, ‘‘कभीकभी फोन करती रहूंगी.’’
कपिल की आंखों में चमक आ गई. सोचा, घर का नंबर देना तो ठीक नहीं होगा, मोबाइल नंबर…नहीं, यह भी ठीक नहीं है. कहीं ब्लैकमेल ही करने लगे तो? अपनी सुरक्षा की उतनी ही चिंता थी जितनी कि मारिया की संगति का आकर्षण. ‘‘सुनो, क्या कल इसी समय इसी जगह मिल सकती हो?’’
‘‘सर, कल की कौन जानता है,’’ मारिया ने खनखनाती हंसी से कहा, ‘‘कल इस राह से आप गुजरें और मुझे पहचानें तक नहीं?’’ ‘‘तो फिर कहां?’’ कपिल हंसा, ‘‘बहुत शरारती हो.’’
‘‘कोशिश कर लीजिएगा,’’ मारिया ने कहा और भीड़ में गायब हो गई. अगले 2-3 दिनों तक कपिल उसी जगह उसी समय बेकरारी से मारिया को ढूंढ़ता रहा. अचानक अच्छाखासा पारिवारिक आदमी नए यौनाकर्षण का शिकार हो गया. दिमाग पर धुंध सी छा गई थी.
चौथे दिन कुछ देर प्रतीक्षा के बाद… ‘‘सर, अच्छे तो हैं?’’ एक नई खुशबू का झोंका आया.
‘‘हाय,’’ कपिल ने कहा. ‘‘हाय,’’ मारिया ने मुसकरा कर कहा और बिना निमंत्रण के कार का दरवाजा खोल कर कपिल के पास बैठ गई.
‘‘तुम्हारी मां अब कैसी है?’’ कपिल ने पूछा. ‘‘छोडि़ए सर,’’ मारिया ने हाथ घुमाते हुए कहा, ‘‘आप तो सब समझते हैं. अपनी बताइए, क्या इरादा है?’’
‘‘तुम्हारा गुलाम हूं,’’ कपिल ने रोमानी अंदाज में कहा, ‘‘जहां चाहो, ले चलो.’’ ‘‘आप को कोई डर तो नहीं है?’’ मारिया ने पूछा.
‘‘डर तो है, पर तुम्हारे ऊपर विश्वास करने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं है.’’ ‘‘आप बहुत समझदार हैं,’’ मारिया ने कहा और गैस्टहाउस का रास्ता बताया.
जब कार गैस्टहाउस के आगे रुकी तो कपिल का मन गुदगुदा रहा था, पर दिल पहली बेवफाई के एहसास से कुछ अधिक गति से धड़क रहा था.
अंदर पहुंच कर मारिया ने एक आदमी से कुछ बातें कीं और फिर कपिल को एक कमरे में ले गई. ऐशोआराम का सारा सामान कमरे में मौजूद था. कपिल को सोफे पर बैठने का संकेत करते हुए मारिया ने फ्रिज का दरवाजा खोला और पूछा, ‘‘बीयर चलेगी?’’ कपिल ने स्वीकृति में सिर हिलाया.
मारिया ने 2 गिलासों में बीयर डाली. ‘‘चीयर्स,’’ मारिया ने कहा.
‘‘चीयर्स,’’ कपिल मुसकराया. तभी उसी आदमी ने, जो बाहर था, भीतर प्रवेश किया. कपिल ने प्रश्नसूचक दृष्टि से उसे देखा.
‘‘अपना पहचानपत्र दिखाइए,’’ उस ने आदेश दिया. ‘‘पहचानपत्र?’’ कपिल ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्यों?’’
‘‘हमें यह देखना है कि आप पुलिस के आदमी तो नहीं हैं?’’ उस ने उत्तर दिया. ‘‘पर मारिया जानती है,’’ कपिल ने बौखला कर कहा, ‘‘मैं पुलिस का आदमी नहीं हूं.’’
‘‘आप को पहचानपत्र दिखाना होगा,’’ उस ने जोर दे कर कहा. ‘‘मेरे पास कोई पहचानपत्र नहीं है.’’
‘‘कोई और सुबूत होगा?’’ ‘‘नहीं, मेरे पास कुछ नहीं है,’’ कपिल ने झूठ कहा.
तभी एक दूसरे आदमी ने भीतर प्रवेश किया. उस के हाथ में कैमरा था. ‘‘इन का फोटो ले लो,’’ पहले आदमी ने कहा.
‘‘मैं फोटो नहीं खिंचवाऊंगा,’’ कपिल ने घबरा कर कहा, ‘‘आप का मतलब क्या है?’’ ‘‘20 हजार रुपए चाहिए,’’ उस ने कहा.
‘‘मेरे पास रुपए नहीं हैं,’’ कपिल ने कहा. ‘‘कोईर् बात नहीं,’’ उस आदमी ने शांति से कहा, ‘‘कपड़े उतार लेते हैं. मारिया, चलो अपना काम करो.’’
कपिल ने घबरा कर कहा, ‘‘ठहरो, मैं रुपए देता हूं, पर इतने नहीं हैं.’’ ‘‘कितने हैं?’’
‘‘मेरे ब्रीफकेस में हैं, और ब्रीफकेस कार में है.’’ ‘‘अपना पर्स और घड़ी दो,’’ उस आदमी ने कहा.
कपिल ने चुपचाप पर्स में से रुपए निकाल कर दे दिए. फिर घड़ी उतार दी. उस की सांस तेजी से चल रही थी.
‘‘साहब के साथ जाओ,’’ उस आदमी ने मारिया से कहा, ‘‘और ब्रीफकेस ले कर आओ. होशियारी मत करना. मुन्ना साथ जा रहा है. हमें रुपए वसूल करना आता है.’’
कपिल ने गहरी सांस ले कर उन्हें देखा और फिर चुपचाप बाहर आ गया. उस के पीछे मारिया और मुन्ना भी थे. कार के पास पहुंच कर कपिल ने चाबी से दरवाजा खोला और अंदर बैठ गया. पीछे की सीट पर रखे ब्रीफकेस की ओर देखा. इस से पहले कि वे कुछ करते, उस ने कार स्टार्ट कर दी. मुन्ना ने कार रोकने के लिए आगे पैर बढ़ा दिया, पर कपिल ने फौरन गति बढ़ा दी. चलती कार ने मुन्ना को पीछे फेंक दिया. कुछ ही क्षणों में वह आंखों से ओझल हो गया.
काफी दूर पहुंच कर कपिल ने गहरी सांस ली कि क्षणिक कमजोरी कितनी यातना देती है. अब मैं कभी इस चक्कर में नहीं पड़ूंगा. शाम को जब वह घर पहुंचा तो ऐसा लग रहा था, मानो कोई कैदी जेल से भाग कर आया हो. कभी भी पुलिस द्वार पर दस्तक दे सकती है.
रात में जब घंटी बजी तो कपिल का दिल दहल गया. ‘‘इतनी रात गए कौन होगा?’’ इंद्राणी ने कहा.
‘‘देखता हूं,’’ कपिल ने उठते हुए कहा. दिल तेजी से धड़क रहा था. घबराते हुए दरवाजा खोला तो देखा, सामने बेटा बल्लू खड़ा है. ‘‘अरे,’’ कपिल ने उसे छाती से लगा लिया.
‘‘ऐसे ही आता है,’’ मां ने गदगद कंठ से कहा, ‘‘मुझे लग रहा था कि बल्लू ही होगा.’’ सुबह नाश्ते की मेज पर कहकहे लग रहे थे. अचानक कपिल की निगाह समाचारपत्र पर गई. पहले पृष्ठ पर ही समाचार छपा था कि साउथ दिल्ली के एक गैस्टहाउस में ब्लैकमेल करने व लूटने वाले एक गिरोह को गिरफ्तार किया गया. गिरोह में एक लड़की भी शरीक थी.
‘‘कोई खास बात है क्या?’’ पत्नी ने पूछा. ‘‘कुछ नहीं,’’ कपिल ने समाचारपत्र नीचे फेंकते हुए कहा, ‘‘वही आम बातें…’’