Download App

पतिपत्नी के बीच जब हो जाए किसी तीसरे की एंट्री तो क्या करें

वर्षों पहले गीतकार संतोष आनंद ने फिल्म ‘प्रेम रोग’ में सवाल उठाया था, मोहब्बत है क्या चीज़ हम को बताओ. ये किस ने शुरू की हमें भी सुनाओ….’ आज तक इस सवाल का जवाब हमें नहीं मिला. तभी तो कई बार शादी के बाद भी इंसान किसी तीसरे के प्यार में पड़ जाता है. यह प्यार अचानक या किसी मकसद से या सोच समझ कर नहीं होता.

आज की व्यस्त दिनचर्या में वैसे भी इस तरह किसी तीसरे का मिलना आसान नहीं. मगर जब अनजाने ही कोई आंखों को भाने लगे तो दिल में कुछ उथलपुथल होने लग जाती है. इंसान धीरेधीरे अपने जीवन में उस तीसरे का भी आदी होने लगता है. मगर जब यह हकीकत जीवन साथी के सामने आए तो मामला उलझ सकता है.

तभी तो 18वीं सदी के मशहूर शायर मीर तक़ी मीर ने फ़रमाया था, “इश्क़ इक ‘मीर’ भारी पत्थर है…
मीर ने इश्क़ को भारी पत्थर कहा तो 20वीं सदी के एक और शायर अकबर इलाहाबादी ने इसे कुछ ऐसे परिभाषित किया…

“इश्क़ नाज़ुक मिज़ाज है बेहद, अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता…”

जाहिर है यह प्यार किसी को भारी पत्थर लगा तो किसी को नाज़ुक मिज़ाज, किसी ने मोहब्बत में ख़ुदा देखा तो किसी को दुश्मन नजर आया.

मगर प्यार की हकीकत केवल शायराना अंदाज से नहीं समझी जा सकती. इस प्यार या इश्क के जज्बातों के पीछे कहीं न कहीं साइंस काम कर रहा है. दरअसल किसी के प्रति यह आकर्षण आप के दिमाग का केमिकल लोचा भर है. इसलिए इसे ले कर ज्यादा तनाव नहीं लेना चाहिए. मोहब्बत होती है तो खुद से हो जाती है और न होनी हो तो लाख कोशिशें करते रहिए छू कर भी न गुजरेगी आप को.

तभी तो चचा ग़ालिब कह गए- इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’ के लगाए न लगे और बुझाए न बुझे.

क्या कहता है साइंस जब होता है प्यार

जब आप किसी के प्यार में पड़ते हैं तो दिमाग न्यूरो केमिकल प्रोसेस से गुजरता हुआ शरीर में एड्रेनल, डोपामाइन, सेरोटोनिन, टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन रिलीज करता है. वैसे तो हमारी बौडी में ये सारे केमिकल्स नौर्मली रिलीज होते ही रहते हैं लेकिन प्यार में पड़ने पर इन की रिलीजिंग स्पीड बढ़ जाती है. यही वजह है कि जब व्यक्ति अपने लव्ड वन के साथ हो तो वह अलग तरह का एक्साइटमेंट, हैप्पीनेस और इमोशन्स फील करता है.

इस मामले में न्यूरोपेप्टाइड औक्सीटोसिन नाम का केमिकल भी प्यार का एहसास कराने में अहम साबित होता है क्योंकि इस को बौन्डिंग हार्मोन कहा जाता है. यह आप के मन में दूसरों से जुड़ाव पैदा करता है.

सताती है उस की याद

ऐसा कोई भी शख्स नहीं होगा जिसे कभी किसी व्यक्ति की याद ने सताया न हो. भले ही वह इंसान शादीशुदा ही क्यों न हो मगर इस के बावजूद वह किसी तीसरे से दिल से जुड़ जाता है. ऐसे में उस शख्स के दूर होने पर उसे मिसिंग की फीलिंग आती है और इस से वह दुखी या स्ट्रेस्ड आउट महसूस करता है. यह बात वह संकोच वश किसी से शेयर भी नहीं कर पाता. जबकि दूर होने की वजह से उस की सैडनेस बढ़ जाती है.

वैसे भी आप जिस के प्रति आकर्षित हैं जब वह दूर होता है तो हैपी हार्मोन को तेजी से रिलीज करने वाला प्रोसेस स्लो हो जाता है. इस वजह से आप दुख, स्ट्रेस, एंग्जायटी और इनसिक्योर फील करने लगते हैं. यह बौडी का केमिकल फ्लो में आए बदलाव पर रिएक्शन होता है.

इस की वजह से आप अपने जीवनसाथी के प्रति उदासीन से हो जाते हैं और उसे इस बात का अहसास होने लगता है कि आप की जिंदगी में कोई और भी है. ऐसे में परिस्थितियां जटिल होने लगती हैं मगर फिर भी आप उस तीसरे का मोह नहीं त्याग पाते. क्योंकि वह तीसरा इंसान आप के जीवन में एक अलग तरह का रोमांच और खुशियां ले कर आता है. उस की कुछ खासियतें आप को अपनी तरफ खींचती हैं. आप अपने जीवन साथी को धोखा देना नहीं चाहते मगर फिर भी उस तीसरे की यादों से अलग भी नहीं हो पाते. आप ये जुगत भिड़ाने के प्रयासों में लगे रहते हैं कि उस तीसरे से बारबार आप का सामना हो.

नई रिलेशनशिप में आती है ज्यादा प्रौब्लम

एक स्टडी में यह भी सामने आया है किपुराने रिलेशनशिप्स में किसी से दूरी उतनी इफैक्ट नहीं करती मगर किसी नए रिश्ते में दूरी बढ़ने पर उदासी काफी प्रबल होती है. मतलब यह कि शादीशुदा इंसान जब अपने पार्टनर से कुछ समय के लिए दूर होता है तो उस के मन पर खास असर नहीं होता मगर जिस से हाल फिलहाल रिश्ता जुड़ा है उस का दूर जाना आप को ज्यादा इफैक्ट करता है. यह आप के चेहरे से नजर आने लगता है. आप परेशान रहने लगते हैं. वहीं जब रिश्ता पुराना हो यानी पतिपत्नी का हो तो उस में एक स्थिरता और सुरक्षा का भाव होता है.

औब्सेसिव लव डिसऔर्डर से बचें

जब प्यार का जुनून ‘मानसिक बीमारी’ बन जाए तो ऐसा प्यार जानलेवा होता है. जैसा कि फिल्म डर में शारुख खान का किरदार था. इस में नायिका पर जबरदस्ती का प्यार थोपा जा रहा था, ‘तू हां कर या न कर तू है मेरी क…क…किरन’. ऐसे प्यार को आप औब्सेसिव लव डिसऔर्डर कह सकते हैं.

अमरीकी हैल्थ वेबसाइट ‘हैल्थलाइन’ के मुताबिक़ “औब्सेसिव लव डिसऔर्डर (OLD) एक तरह की ‘साइकोलौजिकल कंडीशन’ है जिस में लोग किसी एक शख़्स पर असामान्य रूप से मुग्ध हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि वो उस से प्यार करते हैं. उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उस शख्स पर सिर्फ उन का हक है और उसे भी बदले में उन से प्यार करना चाहिए. अगर दूसरा शख्स शादीशुदा है या उन से प्यार नहीं करता तो वो इसे स्वीकार नहीं कर पाते. वो दूसरे शख्स और उस की भावनाओं पर पूरी तरह काबू पाना चाहते हैं.”

असल ज़िंदगी में भी ऐसे लोग प्यार में ठुकराया जाना स्वीकार नहीं कर पाते और न कहे जाने के बाद अजीबोगरीब हरकतें करने लगते हैं.

बहुत से जुनूनी आशिक तथाकथित प्रेमिका को यह कह कर धमकाते हैं कि ठुकरा के मेरा प्यार तू मेरी मोहब्बत का इन्तकाम देखेगी. किसी शादीशुदा से इस तरह जुनून भरा प्यार करने का नतीजा हिंसा, हत्या या आत्महत्या के रूप में नजर आता है. इसे औब्सेसिव लव डिसऔर्डर कहते हैं. ऐसे प्यार करने वाले शख्स से हमेशा बच कर रहें. क्योंकि ऐसा प्यार न सिर्फ आप की शादीशुदा जिंदगी बर्बाद करेगा बल्कि आप की जिंदगी भी जा सकती है.

प्यार सुकून का नाम है. जब तक सुकून मिले तब तक उस में रहिए वरना जिंदगी में आगे बढ़ने से हिचकिचाइए नहीं.

Winter Special : सर्दियों में क्यों खाना चाहिए अखरोट ? जानें इसके अनगिनत फायदे

Benefits of Walnuts in Winter : सर्द‍ियों के मौसम में शीत लहर की चपेट में आने से कई लोगों को सर्दी-जुकाम, बुखार और सिर दर्द आदि की परेशानी होने लगती है. इसके अलावा खफ और संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि लोग अपनी सेहत का ध्यान रखें. तो आइए जानते है एक ऐसे उपाय के बारे में जिसके नियमित सेवन से ठंड के मौसम में भी आप कई बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं.

दरअसल विंटर में अखरोट खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं, क्योंकि इसमें कई पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है. इसके अलावा इसमें विटामिन और मिनरल्स के साथ-साथ प्रोटीन की भी उच्च मात्रा होती है. इसलिए ठंड में अखरोट का सेवन करना बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. तो आइए जानते हैं प्रतिदिन सुबह खाली पेट 4 से 5 अखरोट (Benefits of Walnuts in Winter) खाने के लाभकारी फायदों के बारे में.

अखरोट खाने के फायदे

  • स्किन रहती है मुलायम

सर्दियों में रोजाना सुबह अखरोट (Benefits of Walnuts in Winter) खाने से शरीर को गर्माहट मिलती है, जिससे त्वचा सूखती नहीं है और स्किन में नमी बनी रहती है. इसके अलावा जो लोग प्रतिदिन अखरोट खाते है उनकी त्वचा पर झुर्रियां भी कम आती है और लंबे समय तक उनकी स्किन कोमल रहती है.

  • दिमाग के लिए है फायदेमंद

आपको बता दें कि रोजाना अखरोट (Benefits of Walnuts in Winter) खाने से दिमाग तेज होता है. दरअसल अखरोट में विटामिन E  के साथ-साथ ओमेगा 3, फैटी एसिड और कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. जो दिमाग को हेल्दी रखने के साथ-साथ दिमाग में रक्त संचार को भी बढ़ाते है. इसके अलावा अखरोट के सेवन से दिमाग की कार्यक्षमता में भी सुधार आता है, जिससे स्मृति शक्ति बढ़ती है और तनाव कम होने लगता है.

  • वजन कम करने में है असरदार

सर्दियों में कई लोगों का वजन भी बढ़ने लगता है. ऐसे में जो लोग बढ़ते वजन की समस्या से परेशान है. उन्हें तो अपनी डाइट में अखरोट (Benefits of Walnuts in Winter) को जरूर शामिल करना चाहिए. दरअसल अखरोट में हेल्दी फैट, प्रोटीन, विटामिन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जिससे पेट भरा भरा रहता है. ऐसे में इसे खाने के बाद भूख कम लगने लगती है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है.

Disclaimer : लेख में लेख में दी गई सलाह केवल सामान्य जानकारी के लिए है. अधिक जानकारी के लिए आप हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें.

सरकार ने मुंह की खाई, फिर कानून वापस लिया

हिट एंड रन कानून को ले कर मोदी सरकार बैकफुट पर आ गई है. ट्रक ड्राइवरों के हड़ताल पर जाते ही ऐसा हड़कंप मचा और चक्काजाम की ऐसी स्थिति बनी कि सरकार को तुरंत नया कानून वापस लेने का ऐलान करना पड़ा. पिछले 9 सालों में मोदी सरकार ने कई ऊलजलूल कानून बना कर जनता पर जबरन थोपने के प्रयास किए और बारबार उन्हें वापस लेने की शर्मनाक हालत का सामना किया.

अभी चंद दिनों पहले कुश्ती संघ में भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह की अश्लील हरकतों व अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों के यौनशोषण का मामला सुर्खियों में था. इस मामले ने मोदी सरकार की खूब फजीहत करवाई. मगर अपने नेता को गिरफ्तार कर जेल में डालने की हिम्मत सरकार नहीं दिखा पाई.

अंतर्राष्ट्रीय फलक पर देश का नाम चमकाने वाली महिला खिलाड़ियों को जिस तरह दिल्ली की सड़कों पर पुलिस द्वारा घसीटा और पीटा गया, उस को देख कर पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया. उस के बावजूद बृजभूषण पर कोई आंच नहीं आई और उस की सरपरस्ती में कुश्ती संघ का अगला चुनाव हुआ जिस में बृजभूषण के नजदीकी को अध्यक्ष चुना गया. सरकार को शर्म तब आई जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पहलवानों ने अपने सम्मान और पुरस्कार वापस करने शुरू किए. सरकार तब चेती जब खिलाड़ी अपने सम्मान मोदी के घर के सामने सड़क पर पटक आए. तब जा कर कुश्ती संघ का चुनाव रद्द करने के आदेश निकले.

इस से कुछ और पहले चलें तो 3 नए कृषि कानूनों को वापस लेने पर जिस अपमानजनक स्थिति का सामना मोदी सरकार ने किया था वह भाजपा के इतिहास का सब से काला अध्याय है. मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए बड़े जोरशोर से 3 कृषि कानून लाई थी जिन के खिलाफ देशभर का किसान सड़क पर आ गया था.

सालभर से ज़्यादा समय तक दिल्ली की सीमा पर जाड़ा, गरमी, बरसात की मार सहता हुआ हमारा अन्नदाता बैठा रहा. उस पर खूब पुलिसिया जुर्म टूटे मगर वह टस से मस न हुआ और आखिरकार सरकार को खामियों से भरे अपने तीनों कानून जारी करने के बाद वापस लेने पड़े. अन्नदाता के सत्याग्रह ने अहंकार का सिर झुका दिया. सरकार को किसानों से माफी मांगनी पड़ी.

इस से पहले मोदी सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून भी वापस लेना पड़ा था. तब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए हुए कुछ ही समय हुआ था. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आने के कुछ ही महीने बाद ही सरकार नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश ले आई. इस के जरिए भूमि अधिग्रहण को सरल बनाने के लिए सरकार ने किसानों की सहमति का प्रावधान ही खत्म कर दिया. इस पर किसान भड़क उठे. आखिर उन की जमीन लेने के लिए उन से ही कोई बात न हो? उन्होंने विरोध किया. आंदोलनरत हो गए. सरकार ने अपनी हेकड़ी दिखाई.

4 बार सरकार ने उस अध्यादेश को जारी किया लेकिन वह इस से संबंधित बिल संसद में पास नहीं करा पाई. अंत में सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े और 31 अगस्त, 2015 को अधिग्रहण कानून वापस लेने का ऐलान मोदी सरकार ने किया.

जीएसटी पर भी मोदी सरकार को झुकना पड़ा. अक्टूबर 2020 में जीएसटी को ले कर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद पैदा हो गया. वजह यह थी कि राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए कर्ज कौन लेगा? इस पर केंद्र ने कहा कि राज्य सरकारें यह कर्ज लें. लेकिन केरल के वित्त मंत्री थौमस इसाक ने इस का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही. जिस के बाद उन के साथ 9 और राज्य भी आ गए. नतीजा यह हुआ कि केंद्र सरकार को यूटर्न लेते हुए खुद कर्ज लेने का फैसला करना पड़ा. इस से पहले जब जीएसटी कानून लाया गया तो उस में भी लगातार बदलाव किए जाते रहे.

छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें कम करने के फैसले पर तो मोदी सरकार को 24 घंटे में ही यूटर्न लेना पड़ा था. वित्त मंत्रालय ने अप्रैल 2021 में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें कम करने का फैसला किया था, लेकिन 24 घंटे के अंदर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह फैसला वापस लेने का ऐलान किया. जिस को ले कर उस वक्त विपक्ष ने सरकार पर खूब तंज कसे थे.

मार्च 2016 में कर्मचारी भविष्य निधि का पैसा निकालने पर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट के दौरान टैक्स लगाने की घोषणा की थी, लेकिन कुछ समय बाद ही सरकार ने इस पर भी यूटर्न लिया और फैसला वापस ले लिया.

एनआरसी और सीएए के खिलाफ शाहीनबाग, दिल्ली में धरने पर बैठी औरतों से सरकार ने मुंह की खाई. ध्रुवीकरण के जरिए सत्ता पर काबिज रहने की मंशा पालने वाली मोदी सरकार को बड़े शांतिपूर्ण और गांधीवादी तरीके से बुजुर्ग महिलाओं ने बता दिया कि यह सिर्फ एक ‘मुसलिम समुदाय से जुड़ा मुद्दा’ नहीं, बल्कि भारतीय नागरिकता पर प्रहार करने वाला कानून है जो मान्य नहीं है.

मोदी सरकार का सीएए और एनआरसी की क्रोनोलौजी भारत के समावेशी विचारों और संवैधानिक मूल्यों पर आघात करने वाले अधिनियम के रूप में उभर कर सामने आया. प्रदर्शनकारियों ने इस जाल से बचने में अभूतपूर्व बुद्धिमानी दिखलाई और समुदाय विशेष को निशाना बनाने की सरकार की साजिश का परदाफाश हो गया. महिलाओं ने सरकार को बता दिया कि तानाशाही रवैया इख्तियार कर कोई नियमकानून जबरन नहीं थोपा जा सकता है.

अब एक बार फिर मोदी सरकार अपने तानाशाही कानून को ले कर बैकफुट पर है. हिट एंड रन कानून जारी करने के 2 दिनों के अंदर ही सरकार को कानून वापस लेने का ऐलान करना पड़ा. लोकसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में जनता का गुस्सा सत्ता की चूलें हिला सकता है, इस आशंका से भरी मोदी सरकार को रात में ही कानून वापस लेने का ऐलान करना पड़ा. 2 दिनों में ही सरकार को समझ आ गया कि उस से फिर बड़ी गलती हो गई है. आह, कितनी शर्मनाक स्थिति.

दरअसल, हिट एंड रन कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में ट्रक चालकों ने देशभर में चक्का जाम कर दिया. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, महाराष्ट्र समेत अनेक राज्यों में हड़ताल का असर दिखा. प्रदर्शन के दौरान कई जगह कानून व्यवस्था कायम रखने के चक्कर में पुलिस को आंदोलनरत ड्राइवरों से झड़प, मारपीट और पथराव का सामना करना पड़ा.

ट्रक ड्राइवरों के हड़ताल पर जाते ही चीजों के दाम उछलने लगे. लोग इस आशंका से कि कहीं हड़ताल के चलते मार्केट में चीजों की कमी न हो जाए, रेट आसमान न छूने लग जाएं, थैले ले कर बाजार भागने लगे और हफ्तों की ग्रोसरी-डेयरी का सामान खरीद लाए. पैट्रोल पंपों पर डीजल, पैट्रोल भरवाने के लिए लोगों की लंबी कतारें लग गईं, जिस के चलते पंपों पर जल्दी ही पैट्रोल ख़त्म हो गया और 70 फ़ीसदी पैट्रोल पंपों को ‘आउट औफ स्टौक’ का बोर्ड टांगना पड़ा.

मध्य प्रदेश के सभी जिले अलर्ट मोड पर आ गए. वहां पैट्रोल न मिलने से करीब 5 लाख वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई. अकेले मुंबई शहर में एक दिन में करीब 150 करोड़ रुपए का कारोबार, जो ट्रक ड्राइवरों के जरिए होता था, ठप हो गया. मुंबई में 3 दिन की हड़ताल में करीब 450 करोड़ रुपए के नुकसान होने का अंदाजा लगाया गया है.

फलसब्जी समेत खानेपीने की तमाम चीजों की आवाजाही रुकने से चीजों के दाम अचानक बढ़ गए. उत्तर प्रदेश में 60 हजार से अधिक ट्रक सड़कों पर नहीं उतरे. यहां करीब 2 दिन में 2 हजार करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ. दवाइयां, सब्जी, फल, डेयरी प्रोडक्ट और डीजलपैट्रोल की सप्लाई बाधित हुई. शाम तक प्रदेश के एकचौथाई पैट्रोल पंप खाली थे. चीजों के दाम चढ़ गए. सब तरफ से सरकार को गालियां पड़ने लगीं. अन्य प्रदेशों का भी कमोबेश यही हाल रहा.

हिट एंड रन का मतलब है तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और फिर भाग जाना. पहले आईपीसी में हिट एंड रन में पीड़ित की मौत होने पर आरोपी के लिए 2 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान था, मगर मोदी सरकार ने भारतीय न्याय संहिता में इस सजा को 5 साल बढ़ा कर 7 साल कर दिया. अगर ड्राइवर मौके से फरार हो जाता है तो सजा को 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही, उसे लाखों रुपये का भारी जुर्माना भी भरना होगा.

ड्राइवर्स का कहना है कि कोई दुर्घटना होने पर दोष सीधे ट्रक चलाने वाले पर मढ़ा जाता है. भीड़ उस को पकड़ती है. ऐसे में भागने के सिवा कोई और रास्ता नहीं है. यदि वे घायल की मदद करना भी चाहें तो उन्हें भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ेगा. भीड़ के हत्थे चढ़ जाएं तो उन्हें खुद की जान से हाथ धोना पड़ेगा. देश में ऐक्सिडैंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकौल का अभाव है. पुलिस वैज्ञानिक जांच किए बिना ही दोष बड़े वाहन पर मढ़ देती है. ऐसे में आंख बंद कर के कानून बना कर थोपने से पहले सरकार को इन बिंदुओं पर चर्चा करनी चाहिए थी. फिर जुर्माने की इतनी बड़ी राशि भरने की हैसियत अगर उस की होती तो वह ट्रक क्यों चला रहा होता? इन बातों पर गौर किए बिना ही सरकार ने सजा और जुर्माना इतना अधिक कर दिया.

आखिर सरकार के नए नियमकानूनों में जो छेद आम जनता को आसानी से नजर आ जाते हैं, वह सरकार को क्यों नहीं दिखते? इस की वजह यह है कि मोदी सरकार के मंत्री जिन्हें कोई कानून बनाने से पहले बैठ कर उस पर चर्चा करनी चाहिए थी, आमजन से विचारविमर्श करना चाहिए था वह तो धर्म की चाकरी बजा रहे हैं, और आमजन से जुड़े नियमकानून की पोथियां एयरकंडीशन कमरों में बैठे उन अधिकारियों की फ़ौज तैयार कर रही है जो कभी जनता के बीच जाती नहीं.

सारा काम पीएमओ के हवाले है जो जनता की तकलीफों से अनजान है. जिस का रवैया हमेशा ही तानाशाही वाला रहा है. मंत्री-विधायक तो फिर कभीकभी जनता के बीच उठतेबैठते हैं, वे उन की जरूरतों और तकलीफों को जानते हैं मगर अधिकारी तो गरीब आदमी की छाया भी बरदाश्त नहीं करता. फिर वह उस के हित की बात कैसे सोच सकता है? लोकतंत्र में जनता की तकलीफ तो नेता ही समझ सकता है और वही उस के हित में काम कर सकता है, मगर मोदी सरकार अपने नेताओं को धर्म की चाकरी से फुरसत तो दे.

Winter Special : ठंड के मौसम में अपने दिल का ऐसे रखें ख्याल

Heart Health Tips : सर्दियों का मौसम जहां कई लोगों को अच्छा लगता है. तो वहीं कुछ लोगों के लिए ये परेशानियां भी लेकर आता है. दरअसल, ठंड में शीत लहर के चलने से ज्यादातार लोग बुखार, सर्दी-जुकाम, खफ, संक्रमण और सिर दर्द आदि की चपेट में आ जाते है. इसके अलावा इस मौसम में नमी भी कम होती है, जिससे हवा में धूल और अन्य कण की संख्या बढ़ जाती है और जब व्यक्ति सांस लेता है तो ये कण फेफड़ों में चले जाते है, जिससे सांस लेने में परेशानी तो होती ही है. साथ ही हृदय संबंधी समस्याएं होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि लोग अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें.

तो आइए जानते हैं उन खास उपायों के बारे में जिन्हें अपनाने से विंटर में भी आप अपने दिल (Heart Health Tips) का ख्याल रख सकते है.

विंटर में इन बातों का रखें ख्याल

  • ब्लड प्रेशर का रखें ध्यान

सर्दियों के मौसम में कई लोगों का ब्लड प्रेशर अपने आप बढ़ने लगता है, क्योंकि शरीर के ब्लड प्रेशर का बाहीर तापमान से विपरीत संबंध होता हैं. इसी वजह से बॉडी के तामपान को सामान्य बनाए रखने के लिए दिल (Heart Health Tips) को खून पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. और अगर दिल ऐसा नहीं करता है तो दिल का दौरा और स्ट्रोक आने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि ठंड के मौसम में गर्म चीजें खाएं और एक्सरसाइज करें.

  • शराब से बनाएं दूरी

सर्दियों में शरीर को गर्म रखने के लिए कई लोग शराब का अधिक मात्रा में सेवन करने लगते हैं, जिससे दिल की बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है.

  • ज्यादा से ज्यादा पिएं पानी

इसके अलावा ठंड के दिनों में प्यास भी कम लगती है और व्यक्ति पानी कम पीता है. जो कि गलत है. क्योंकि अगर सर्दियों में शरीर में पानी की कमी होने लगती है तो इससे खून चिपचिपा होने लगता है. जिससे खून में थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए इस मौसम में भी ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं.

  • ज्यादा तला-भुना खाना न खाएं

ठंड में शरीर को गर्म रखने के लिए कुछ लोग ज्यादा तली-भुनी चीजें खाते हैं, जिससे दिल (Heart Health Tips) की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.

Disclaimer: लेख में लेख में दी गई सलाह केवल सामान्य जानकारी के लिए है. अधिक जानकारी के लिए आप हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें.

पार्टियों के लिए क्रेजी क्यों होती हैं लड़कियां

मुंबई जैसे शहर में जहां स्कूल से कालेज तक पहुंचते ही लड़कियां पूर्ण आजादी प्राप्त कर लेती हैं वहां उन के दोस्तों का विस्तार होता जाता है. कई लड़कियां तो दोस्तों के साथ ही रहती हैं. ज्यादातर लड़कियां तो स्कूल लाइफ के दौरान ही एंगेज हो जाती हैं. उन की लड़कों से दोस्ती को मुंबई की लाइफस्टाइल में नौर्मल माना जाता है. बल्कि, जो लड़कों से दोस्ती न करें, उन्हें एब्नौर्मल माना जाता है.

बाहर से इस शहर में आने वाली लड़कियों को अपने रहने के इंतजाम के तहत लिवइन रिलेशनशिप ज्यादा भाता है.

रंजना जब मुंबई आई तो वह बहुत डरीसहमी थी.  ि झ  झकती, शरमाती वह बातें कम करती थी. पेइंग गेस्ट के बतौर वह अपने लोकल गार्जियन के यहां रहती थी. वहीं उस की दोस्ती मोंटी से हो गई. मोंटी मुंबई के एक इंजीनियरिंग कालेज का छात्र था. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी. रंजना काम से लौट कर मोंटी के साथ कहीं बाहर घूमने निकल जाती. आखिरकार दोनों ही उस दौर से गुजर गए जिसे शादी से पहले वर्जित माना जाता है.

रंजना जैसी जाने कितनी लड़कियां हैं जो इमोशनल सपोर्ट के लिए अपनी वर्जिनिटी खो देती हैं. ऐसा शायद वे अपने उस साथ के कारण कर जाती हैं जिस से उन्हें भावनात्मक सपोर्ट मिलता है. वे उस सहारे पर इतना निर्भर हो जाती हैं कि लेटनाइट में उन्हें यही नहीं मालूम होता कि नशे की हालत में वे रात में किस के साथ सोईं या किस ने उन की इज्जत से खिलवाड़ किया क्योंकि इन जगहों में नशा करना, नशा कर के होश खो देना आम बात है.

पार्टियों में नशे में तेज नशा मिलाया जाता है, जिस में लड़कियां होश खो देती हैं. कई बार तो यह होता है कि नशे में धुत लड़की के संग दोचार लड़के एक ही रात में एकसाथ संबंध बना लेते हैं.

एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक पर आरोप लगाने वाले शख्स, जिस की मां की इज्जत एक पार्टी में नशे की हालत में लुट गई थी, ने रात में चल रही ऐसी पार्टियों की असलियत बयान की. कुछेक लोगों ने बताया कि नशे की हालत में लगभग अचेत लड़की को वहीं पार्टी के बगल के रूम में उठा कर ले जाते हैं.

क्यों जाती हैं लड़कियां पार्टियों में

बेशक हर लड़की जानती है कि वह पार्टी में पिएगी. यदि नहीं पिएगी तब भी उसे पिलाया जाएगा. फिर भी अपना सरोकार बढ़ाने के लिए उसे पार्टियों की जरूरत होती है. वह सजसंवर कर अपने साथी की बांहों में बांहें डाले पार्टी में जाती है.

यहां पार्टी में लड़की आती किसी और के साथ है, जाती किसी और के साथ. पार्टी से कोई यदि शाम को ही मिल कर निकल जाना चाहे तो उस से कुछ देर ठहरने के लिए कहा जाता है. उसे ठहरने के दौरान एक जाम से हुई शुरुआत अनेक जामों पर भी जा कर नहीं रुकती. वह कौकटेल में सबकुछ भूल जाती है.

पार्टीबाजी के अलावा लड़कियों को खुद का दायरा बढ़ाने के लिए ऐसी महफिलों की जरूरत होती है. यदि भाई दूर का ही हो तो भी इन पार्टीज में लोग बेतकल्लुफी से हाथ पकड़ लेते हैं. एकदूसरे को चूमना तो एटीकेट्स है.

हाथ पकड़ना, जादू की   झप्पी देनालेना, यह सब प्रक्रिया जादू की तरह उन अकेली लड़कियों को पुरुषों के नजदीक ले आती है, जहां से बचने के अवसर न के बराबर होते हैं. यदि लड़की सावधान हो तो शायद बच जाए.

इन लड़कियों को आगे चल कर कोई दिक्कत होती है, ऐसा नहीं लगता. इन को लगातार किसी न किसी तरह का काम भी मिलता रहता है और अपना जैसा पार्टनर भी. 30-35 साल तक स्टेबल होने पर या बच्चे होने पर ये अकेले मजे में रहना शुरू कर देती हैं. यह लाइफस्टाइल अलग चाहे हो पर जरूरी नहीं कि बुरा हो.

सर्दियों में कफ से हैं परेशान, तो अपनाएं ये घरेलू उपाय

आजकल तो हर मौसम में लोगों को खांसी, कफ की परेशानी हो रही है, लेकिन ठंड आते ही लोगों में सर्दी, खांसी, कफ की परेशानी शुरू हो जाती है. खासतौर पर इस मौसम में लोगों के गले और छाती में बलगम बनने की शिकायत बढ़ जाती है. इससे केवल सांस लेने में तकलीफ नहीं होती, बल्कि अपने साथ ये और भी परेशानियां साथ लाती है. लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई तरह की दवाओं और सिरप का सेवन करते हैं लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होता. इस खबर में हम आपको इस परेशानी से निजात पाने की तरकीबें बताएंगे.

काली मिर्च

काली मिर्च का तीखा और कड़वा स्वाद सर्दी और खांसी में काफी कारगर है. कफ और बलगम की समस्या में ये काफी असरदार होता है. काली मिर्च में पाइपरलांगमाइन (पीएल) नामक रासायनिक तत्व पाया जाता है इसमें हमारे शरीर में ये एंजाइम के बनने को रोकती हैं. शरीर में बनने वाले एंजाइम खांसी और इसके इन्फेक्शन को बढ़ाते हैं जो कफ का कारण बनता हैं. रोज एक कप में करीब 20 दाने काली मिर्च के उबालें और पानी में शहद डाल के पीएं. इससे आपको काफी फायदा मिलेगा.

हल्‍दी

गर्म पानी में एक चम्मच हल्दी मिलाएं. इसमें कुरक्यूमिन नाम का एक तत्व होता है. इसमें एंटीबैक्टीरियस गुण पाए जाते हैं. ये तत्व कफ को पलता करने में मददगार होता है.

शहद और नींबू

एक गिलास में एक चम्मच प्राकृतिक शहद और दो चम्मच नींबू का रस मिला कर पीएं, इससे आपको काफी राहत मिलेगी. ये आपके गले को आराम पहुंचाता है और कफ की समस्या को दूर रखता है. आपको बता दें कि नींबू में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, इसके अलावा नींबू में विटामिन सी की मात्रा होती है जो आपके गले को आराम पहुंचाता है.

अंगूर का जूस

अंगूर में हेरोस्टिलवेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होता है. अंगूर में एक्सपेक्टोरेंट होता हैं जो छाती और फेफड़ों से बलगम निकलने में सहायक होता है. छाती में जमा कफ निकलने के लिए अंगूर के जूस में दो चम्मच शहद मिला कर रोज पिएं.

हाइड्रेटेड रहें

कफ की परेशानी में हमेशा गर्म पानी पीना काफी असरदार होता है. ये आपके गले में बनने वाली कफ की मात्रा को कम करता है. नींबू पानी या नींबू चाय पी कर आप खुद को हाइड्रेट रख सकते हैं.

Reader Problem: मौसम बदलते ही मेरे होंठ सूखने लगते हैं, सौफ्टनैस बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 28 साल की हूं. मौसम बदलते ही मेरे होंठ सूखने लगते हैं. कृपया बताएं कि मुझे अपने होंठों की सौफ्टनैस बनाए रखने के लिए क्या प्रयोग करना चाहिए?

जवाब

जहां सर्दियों में सर्द हवाएं होंठों को रूखा कर देती हैं, वहीं गरमियों में शरीर में पानी की कमी हो जाने से भी होंठ सूखे व रूखे हो जाते हैं. शरीर में पानी का बैलेंस बनाए रखने के लिए दिन में 12-15 गिलास पानी जरूर पीएं. इस के अलावा ग्लिसरीन, गुलाब की पंखुडि़यां और मलाई को मिला कर इस पेस्ट को रात में सोने से पहले होंठों पर लगाएं. ऐसा नियमित करने से होंठ गुलाबी हो जाएंगे. सूर्य की हानिकारक किरणें भी होंठों पर बुरा प्रभाव डालती हैं. ऐसे में एसपीएफ युक्त लिपबाम का इस्तेमाल करें. लिप्स को सौफ्ट बनाए रखने के लिए उन पर अच्छी क्वालिटी का लिपबाम लगाएं. इस के अलावा रात को सोने से पहले लिपस्टिक को अच्छी तरह हटा लें और नाभि में सरसों का तेल लगाया करें.

ये भी पढ़ें…

अपने होंठो को दीजिए सेक्‍सी लुक

होठ की सुन्दरता आपकी चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाती हैं, न कि केवल खूबसूरती बढ़ाती है बल्कि उसपर चार चांद भी लगाती है, इसीलिए तो होठों को महिलाओं की खूबसूरती का सबसे महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा माना गया है. सुंदर से होंठो पर जब आप लाल रंग की लिपस्‍टिक लगाती हैं, तो हजारों की नजरे केवल आप पर ही टिक जाती होंगी.

कुछ महिलाएं अपने होंठो के शेप से खुश ही रहती हैं तो वहीं कुछ महिलाओं को मोटे और उभार वाले होठ अच्‍छे लगते हैं. मोटे या भरे हुए होठ काफी सुंदर दिखते हैं. इनकी वजह से चेहरे की खूबसूरती और भी ज्‍यादा निखर कर आती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि हर किसी का होठ मोटा या भरा हुआ हो. लेकिन अगर आप भी हिरोइनों की तरह ही फुलर लिप्‍स चाहती हैं, तो आज के समय में बाजार में लिप जाब्‍स या फिलर्स जैसे कई साधन उपलब्ध है जिसकी सहायता से आप अपने चेहरे को मनचाहा लुक प्रदान कर सकती है. बहुत सारी सेलेब्रिटीज ने भरे हुए होठ पाने के लिये कई तरह की सर्जरी करवाई है. लेकिन अगर आप इन सब चीजों के हक में नहीं हैं, तो आप नीचे दिये कुछ मेकअप ट्रिक्‍स आजमा कर अपने होंठो को सेक्‍सी लुक दे सकती हैं.

स्‍क्रब करें

होठों को सुंदर गुलाबी बनाने के लिए होठों पर स्‍क्रब करना काफी जरूरी होता है, क्योंकि स्क्रब करने से त्वचा की मृत कोशिकाएं अलग हो जाती है. जिससे त्वचा साफ होकर निखार प्राप्त करती है. होठों पर स्‍क्रब करने के लिए शक्कर के साथ नीबू को मिलाकर होठों पर लगाये और हल्के हाथों से रगड़ते हुए होठों के ऊपरी परत को निकाल लें. इससे आपके होठ गुलाबी, मोटे और आकर्षक दिखने लगेंगे. स्‍क्रब करने से होठों पर किया गया मेकअप भी ज्‍यादा देर तक टिका रहता है.

होठों को कंसील करें

कंसीलर लगाने से आपके होठों में बहुत अंतर आ सकता है. इसलिए इसे सुन्दर बनाने के लिए कंसीलर लगाएं और उसे लिप लाइन तक फैलाएं. इससे आपके होठ भरे हुए दिखाई देने लगते हैं.

लिपलाइनर का प्रयोग करें

होंठो को बड़ा दिखाने के लिये लिपलाइनर लगाना बेहद ही जरुरी है. लिपलाइनर से अपने होठों पर एक परफेक्‍ट लाइन बनाएं, जो कि बाहर की ओर होना चाहिये. यह अंतर केवल कुछ मिलीमीटर का ही होगा लेकिन यह आपके होठों को काफी बड़ा दिखा सकता है.

लिप ग्लास को बीच में लगाएं

होंठो पर अपनी मन पसंद का लिप ग्लास लगाएं मगर ध्यान रखें कि यह लिपग्लास होंठो के बीच में लगाएं. इससे आपके पाउट थोड़े उभरे हुए दिखेंगे. आप चाहें तो इसके ऊपर लिपस्‍टिक लगा सकती हैं लेकिन एक सही फिनिशिंग वाली लिपस्टिक का ही इस्तेमाल करें. गहरे रंग के लिपस्टिक से आपके होठ पतले दिखाई देते हैं और आपको एक पाउट नहीं मिलता.

मैट कलर

जिन लड़कियों के लिप्‍स पतले होते हैं, उनके ऊपर मैट कलर की लिपस्‍टिक काफी अच्‍छी लगती है. ये होंठो के फीचर्स को उभार देते हैं

लिप्स को हाइलाइट करें

हाइलाइटर लगाकर आप अपने होठों को थोड़ा फिनिशिंग टच दे सकती हैं. बस एक अच्छा रिफ्लेक्टिंग हाइलाइटर लगाएं, जिससे आपके लिप्स को थोड़ी अतिरिक्त गहराई मिल सके और लिप्स कुलर दिख सके.

विरासत : क्या लिखा था उन खतों में ? – भाग 4

‘‘कौन जानता है प्रतीक को आज की तारीख में? वहीं वह खुद लेखन के क्षेत्र का प्रमुख हस्ताक्षर बन कर शोहरत का पर्यात बन चुकी थी. बड़ा गुमान था प्रतीक को अपने काबिल इंजीनियर होने पर… लकीर का फकीर कहीं का. मध्यवर्गीय मानसिकता का शिकार… जिन्हें सिर्फ इंजीनियरिंग और कुछ दूसरे इसी

तरह के प्रोफैशन ही समझ में आते हैं. लेखन, संगीत और आर्ट उन की सोच से परे की बातें होती हैं.

नहीं चाहिए था उसे दिखावे का हीरो अपनी जिंदगी में. रही बात अकेलेपन की तो राहें और भी थी. उस ने निश्चित किया कि वह दिल्ली लौट कर किसी अनाथ बच्ची को अपना लेगी… गोद ले कर उसे अपना उत्तराधिकारी… अपने सूने आंगन की खुशबू बना लेगी.

खुशबू को अपराजिता के आंगन में महकते हुए करीब 10 साल हो गए थे. जिस दिन अपराजिता किसी बच्चे की तलाश में अनाथाश्रम पहुंची थी तो उस 4-5 साल की पोलियोग्रस्त बच्ची की याचक दृष्टि उस के दिल को भीतर तक भेद गई थी. उस रात आंखों से नींद की जंग चलती रही थी. सारी रात करवटें लेतेलेते बदन थक गया था. दूसरे दिन बिना विलंब किए अनाथाश्रम पहुंच गई अपराजिता जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए.

अगले कुछ महीनों तक गंभीर कागजी कार्यवाही को पूरा करने के बाद वह कानूनी तौर पर खुशबू को अपनी बेटी का दर्जा देने में कामयाब हो गई. हैरान रह गई थी अपराजिता दुनिया का चलन देख कर तब. किसी ने छींटाकशी की कि उस का दिमाग खराब हो गया है जो वह यह फालतू का काम कर रही है.

किसी ने यहां तक कह दिया कि यदि वह एक संस्कारित, खानदानी परिवार का खून होती तो मर्यादा में रह कर शादी कर के अपने बालबच्चे पाल रही होती. कुछ और लोगों के ऐक्सपर्ट कमैंट थे कि वह शोहरत पाने की लालसा में यह सब कर रही है. मात्र उंगलियों पर गिनने लायक ही लोग थे, जिन्होंने उस के इस कदम की दिल से सराहना की थी. खैर, कोई बात नहीं. नेकी और बदी की जंग का दस्तूर जहां में सदियों पुराना है.

बरसों के लंबे इलाज और फिजियोथेरैपी सैशंस के बाद खुशबू काफी हद तक स्वस्थ हो गई थी. गजब का आत्मविश्वास था उस में. उस की हर पेंटिंग में जीवन रमता था. वह हर समय इंद्रधनुषी रंग कैनवस पर बिखेरती हुई उमंगों से भरपूर खूबसूरत चित्र बनाती. शरीर की विकलांगता, अनाथाश्रम में बीता कोमल बचपन दोनों उस की उमंगों के वेग को बांध न सके थे.

खुशबू के प्रयासों की महक से अपराजिता की जीत का मान बढ़ता ही चला गया. अपनी शर्तों पर नेकी के साथ जिंदगी जीते हुए दोनों जहां की खुशियां पा ली थीं अपराजिता ने और अपने नाम को सार्थक कर दिखाया था. आज रात वह अपना 50वां जन्मदिन मनाने वाली थी नानी के आखिरी ‘सौगाती खत’ को खोल कर.

‘‘डियर अप्पू

तुम अब तक उम्र के 50 वसंत देख चुकी होगी और अपने रिटायरमैंट में स्थिर होने की सोच रही होगी. यह वह उम्र है जिसे जीने का मौका तुम्हारी मां को कुदरत ने नहीं दिया था. इसलिए मुबारक हो… बेटा वक्त तुम पर हमेशा मेहरबान रहे.

‘‘तुम्हारे मन में शायद अध्यात्म और तीर्थ के ख्याल भी आते होंगे. ऐसे ख्याल कई बार स्वेच्छा अनुसार आते हैं और कई बार इस दिशा में दूसरों के दबाव में भी सोचना पड़ता है. विशेषतौर पर महिलाओं से इस तरह की अपेक्षा जरूर की जाती है कि उन का आचरण पूर्णतया धार्मिक हो. यों तो धर्म एक बहुत ही व्यक्तिगत मामला है फिर भी धर्म में रुचि न रखने वाली स्त्रियों पर असंस्कारित होने की मुहर लगा दी जाती है.

‘‘मैं तुम से कहूंगी कि ये सब बकवास है. मैं ने अपने जीवन में अनेक ऐसे महात्मा, मुल्ला और पादरियों के बारे में पढ़ा और सुना है जो धर्म की आड़ में हर तरह के घृणित कृत्य करते हैं और दूसरों के बूते पर ऐशोआराम की जिंदगी जीते हैं.

‘‘ज्यादा दूर क्यों जाए मैं ने तो स्वयं तुम्हारे नाना को ये सब पाखंड करते देखा है. उन्होंने हवन, जप, मंत्र करने में पूरी उम्र तो बिताई पर उस के सार के एक अंश को कभी जीवन में नहीं उतारा. दूसरों को प्रताड़ना देना ही उन के जीवन का एकमात्र उद्देश्य और उपलब्धि था. अब तुम ही बताओ यह कैसा पूजापाठ और कर्मकांड जिस में आडंबर करने वाले के स्वयं के कर्म और कांड ही सही नहीं हैं.

‘‘तो डियर अप्पू कहने का सार मेरा यह है कि धर्म, पूजापाठ कभी भी मन की शुद्धता के प्रमाण नहीं होते. मन की शुद्धता होती है अच्छे कर्मों में, अपने से कमजोर का संबल बनने में, बाकी सब तो तुम्हारे अपने ऊपर है, पर एक वचन मैं भी तुम से लेना चाहूंगी और मुझे पूरा भरोसा है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी.

‘‘बेटी यह शरीर नश्वर है, जो भी दुनिया में आया है उसे जाना ही है. इस शरीर का महत्त्व तभी तक है जब तक इस में जान है. जान निकलने के बाद खूबसूरत से खूबसूरत जिस्म भी इतना वीभत्स लगता है कि मृतक के परिजन भी उसे छूने से डरते हैं. जीतेजी हम दुनिया के फेर में इस कदर फंसे होते हैं कि कई बार चाह कर भी कुछ अच्छा नहीं कर पाते. मौत में हम सारी बंदिशों से आजाद हो जाते हैं, तो फिर क्यों न कुछ इंसानियत का काम कर जाएं और दूसरों को भी इंसान बनने का हुनर सिखा जाएं?

‘‘डियर अप्पू, संक्षेप में मेरी बात का अर्थ है कि जैसे मैं ने किया था वैसे ही तुम भी मेरी तरह मृत्यु के बाद अंगदान की औपचारिकताएं पूरी कर देना. मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे 50वें जन्मदिन को मनाने का इस से श्रेष्ठतर तरीका कोई और हो सकता है.

‘‘बस आज के लिए इतना ही अप्पू… तबीयत आज कुछ ज्यादा ही नासाज है. ज्यादा लिखने की हिम्मत नहीं हो रही… लगता है अब जान निकलने ही वाली है. कोशिश करूंगी, मगर फिलहाल तो ऐसा ही महसूस हो रहा है कि यह मेरा आखिरी खत होगा तुम्हारे लिए.

‘‘सदा सुखी रहो मेरी बच्ची.

‘‘नानी.’’

अपराजिता ने पत्र को सहेज कर सुनहरे रंग के कार्डबोर्ड बौक्स में नानी के अन्य पत्रों के साथ रख दिया. इन सभी पत्रों को आबद्ध करा के वह खुशबू के अठारवें जन्मदिन पर भेंट करेगी.

अपराजिता अब तक एक बहुत ही सफल लेखिका थी. उस के लिखे उपन्यासों पर कई दूरदर्शन चैनल धारावाहिक बना चुके थे. ट्राफी और अवार्ड्स से उस के ड्राइंगरूम का शोकेस पूरी तरह भर चुका था. रेडियो, टेलीविजन पर उस के कितने ही इंटरव्यू प्रसारित हो चुके थे. देशभर की पत्रपत्रिकाएं भी उस के इंटरव्यू छापने का गौरव ले चुकी थीं.

इन सभी साक्षात्कारों में एक प्रश्न हमेशा पूछा गया कि अपनी लिखी किताबों में उस की पसंदीदा किताब कौन सी है और इस सवाल का एक ही जवाब उस ने हमेशा दिया था, ‘‘मेरी नानी के लिखे ‘विरासती खत’ ही मेरे जीवन की पसंदीदा किताब है और मेरी इच्छा है कि मैं अपनी बेटी के लिए भी ऐसी ही विरासत छोड़ कर जाऊं जो कमजोर पलों में उस का उत्साहवर्द्धन कर उस का जीवनपथ सुगम बनाए. वह लकीर की फकीर न बन कर अपनी एक स्वतंत्र सोच का विकास करे.’’

Arthritis : बच्चों को अपाहिज कर सकता है आर्थराइटिस, जानें कैसे

अनिकेत, 14 साल का उभरता हुआ फुटबौल खिलाड़ी, जोकि पश्चिमी दिल्ली में रहता है, ने एक दिन अपना रोजाना का अभ्यास खत्म ही किया था कि उस की दाईं एड़ी में दर्द होने लगा और कुछ ही देर में उस में काफी सूजन भी आ गई. उस ने कुछ दर्दनिवारक दवाएं और दर्द कम करने वाले अन्य उपाय भी अपनाए पर कोई लाभ नहीं हुआ.

उस के परिवार वाले उसे एक और्थोपैडिक डाक्टर के पास ले गए तो पता चला कि उसे जेआरए यानी जूवेनाइल रिह्यूमेटौयड आर्थराइटिस है. आजकल बच्चों में यह रोग काफी तेजी से बढ़ रहा है. डाक्टरों ने अनिकेत को पूरी तरह से आराम करने व फुटबौल खेलने से परहेज करने की सलाह दी. वह राज्य की जूनियर टीम में शामिल होने के लिए तैयारी कर रहा था. इस खबर ने अनिकेत का पूरा उत्साह ही ठंडा कर दिया और उस के मातापिता भी काफी निराश हो गए. बेचारे अनिकेत का राज्य जूनियर फुटबौल टीम में शामिल होने का सपना चूरचूर हो गया. वह कम उम्र में ही अपनेआप को असहाय महसूस करने लगा. उस के मातापिता के लिए वह काफी मुश्किल समय था. अनिकेत के पिता नवनीत मेहता बताते हैं, ‘‘हमारा बेटा अब घर पर बैठा टीवी देखता रहता है, उस की भूख भी कम हो गई है. वह ऐक्टिव बच्चा था पर अपनी बीमारी के कारण उसे इस उम्र में भी घर पर बैठना पड़ रहा है.’’

जूवेनाइल रिह्यूमेटौयड आर्थराइटिस बच्चों में क्रौनिक गठिया का आम कारण है जो कि 6 सप्ताह तक असर बनाए रखता है. इस के विभिन्न प्रकार अलगअलग क्लीनिकल संकेतों व लक्षणों पर निर्भर करते हैं. जेआरए में बच्चों को जोड़ों के दर्द के साथ ही सूजन भी होती है और कई बार बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते उभरना, पीठदर्द, आंखों में लाली व पंजों या एड़ी में दर्द भी होता है.

श्री बालाजी ऐक्शन मैडिकल इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली की सीनियर कंसल्टैंट, प्रियंका खरबंदा बताती हैं, ‘‘एक नियमित ऐक्सरसाइज कार्यक्रम को बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है. जेआरए से प्रभावित बच्चों को स्कूल जाना चाहिए और अतिरिक्त गतिविधियों व परिवार के साथ विभिन्न कामों में हिस्सा लेना चाहिए, साथ ही जितना संभव हो सके, अपने सामान्य जीवन को जीना चाहिए. मांसपेशियां मजबूत और स्वस्थ होनी चाहिए ताकि वे आप के जोड़ों को समर्थन व सुरक्षा प्रदान कर सकें. यह भी सुनिश्चित करें कि आप का बच्चा ऐक्सरसाइज शुरू करने से पहले शरीर को अच्छी तरह से वार्मअप या पीटी आदि जरूर कर ले. ऐक्सरसाइज को एक पारिवारिक गतिविधि में बदल कर मस्ती व उत्साह का माहौल बनाए रखें. बच्चे को भोजन में संतुलित खुराक लेनी चाहिए जिस में अच्छीखासी मात्रा में कैल्शियम भी होना चाहिए ताकि हड्डियों को मजबूती मिले.’’

कैसे पहचानें

गठिया, जोड़ों में इन्फ्लेमेशन के तौर पर सामने आता है और इस की मुख्य पहचान सूजन, गरमाहट और दर्द के तौर पर होती है. भारत में हर हजार बच्चों में से 1 बच्चा जेआरए से प्रभावित है. भारत में यह लड़कों से अधिक युवा लड़कियों में पाया जा रहा है. अधिकांश मामलों में लोगों को इस रोग के बारे में पता ही नहीं चलता, जिस के चलते इस का इलाज भी शुरू नहीं हो पाता है. गठिया, एक सीमित अवधि के लिए भी हो सकता है और यह कुछ सप्ताह या कुछ महीनों तक बना रह सकता है. कभीकभी यह सालों तक भी बना रहता है.

जेआरए के कारणों के बारे में बताते हुए नई दिल्ली साकेत सिटी अस्पताल के जौइंट रिप्लेसमैंट्स के डायरैक्टर डा. रमणीक महाजन ने कहा कि रिसर्च के अनुसार गठिया के प्रभाव को कम करने के लिए इस की जल्द पहचान बेहद जरूरी है. जेआरए के विभिन्न प्रकारों को समझने के लिए इस के लक्षणों और चरित्रों को समझना महत्त्वपूर्ण है ताकि आप अपने बच्चे को एक सक्रिय व स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने में मदद कर सकें. जेआरए, आमतौर पर 6 महीनों से 16 साल के बच्चों में देखा जाता है. सब से पहला संकेत जोड़ों में दर्द और सूजन होती है और जोड़ों में गरमाहट व लालिमा बनी रहती है. जेआरए के 7 प्रमुख प्रकार हैं :

सिस्टेमिक जेआरए :

यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है. इस के लक्षणों में अकसर रहने वाला काफी तेज बुखार है जोकि शाम को होता है और फिर अचानक ही वह सामान्य हो जाता है. बुखार के दौरान बच्चा काफी बीमार महसूस करता है और पीला पड़ जाता है, कई बार चकत्ते भी उभर आते हैं. ये चकत्ते कई बार अचानक ही मिट जाते हैं और उस के बाद तेजी से फिर दिखने लगते हैं.

ओलिगो आर्थराइटिस :

यह 4 या कुछ कम जोड़ों को प्रभावित करता है. संकेतों में दर्द, अकड़न या जोड़ों में सूजन शामिल है. घुटनों और कलाई के जोड़ आमतौर पर ज्यादा प्रभावित होते हैं.

पौलिआर्टिकुलर आर्थराइटिस रिह्यूमेटौयड फैक्टर नैगेटिव :

यह लड़के व लड़कियों दोनों को प्रभावित करता है. इस के लक्षणों में 5 या अधिक जोड़ों में सूजन शामिल है. हाथों के छोटे जोड़ भी प्रभावित होते हैं और इस के साथ ही, वजन वहन करने वाले जोड़ जैसे कि घुटने, कूल्हे, एडि़यां, पैर और गला भी प्रभावित होते हैं.

पौलिआर्टिकुलर आर्थराइटिस, रिह्यूमेटौयड फैक्टर पौजिटिव :

पौलिआर्टिकुलर आर्थराइटिस करीब 15 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है या जेआरए के साथ 3 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है.

सोरायसिस आर्थराइटिस :

बच्चों में सोरायसिस रैश अपनेआप ही उभरते हैं या किसी निकटसंबंधी के सोरायसिस से होते हैं. इस परिस्थिति में उंगलियों के नाखून भी प्रभावित हो सकते हैं.

एंथसाटिस संबंधित आर्थराइटिस :

आमतौर पर यह शरीर के निचले हिस्सों और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है. बच्चों के जोड़ों पर भी इन्फ्लेमेशन होती है.

अनडिफरैंटशिएटिड आर्थराइटिस :

जो भी आर्थराइटिस उपरोक्त वर्गों में नहीं आता है या उन में से किसी प्रकार से मेल नहीं खाता है उसे अनडिफरैंटशिएटिड आर्थराइटिस माना जाता है.

खानपान संबंधी सावधानी बरतना महत्त्वपूर्ण है. आलू और दालों आदि को भोजन में शामिल करने से जोड़ों का दर्द नहीं बढ़ता है. संतुलित आहार मांसपेशियों के संतुलन, हड्डियों की मजबूती और रक्त में हीमोग्लोबिन की समुचित मात्रा बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है. युवा उम्र से ही बच्चों को वसा व अधिक नमक युक्त भोजन से परहेज करना चाहिए.

मजबूरियां -भाग 4 : ज्योति और प्रकाश के रिश्ते से निशा को क्या दिक्कत थी

‘‘वाह, एक बाजारू औरत की  इतनी चिंता.’’

‘‘निशा,’’  प्रकाश गुस्से से दहाड़ उठा.

‘‘चिल्लाओ मत और जिस से जो कहना हो, खुद कहना. मैं तो चली चैन की नींद सोने,’’ कह कर निशा बाथरूम की तरफ कपड़े बदलने चली गई और प्रकाश क्रोध व बेबसी का शिकार बना काफी देर तक छटपटाता रहा था.

प्रकाश को दोपहर का खाना खिलाने के बाद ही ज्योति ने उसे बड़े शांत स्वर में बताया, ‘‘आज सुबह आप की माताजी, बड़ी बहन और बड़ी साली मु झ से मिलने यहां आई थीं.’’

‘‘क्या कहा उन लोगों ने तुम से? देखो, मु झ से कुछ छिपाना मत. एकएक बात बताओ मु झे,’’ प्रकाश की आंखों में गुस्से के भाव जाग उठे.

‘‘आप से दूर हो जाने के लिए मु झे धमका रहे थे सब,’’ ज्योति का गला एकाएक भर आया, ‘‘मैं उन्हें कैसे सम झाती कि आप से दूर हो कर मेरे लिए जीना अब असंभव है. अपने  प्रेम के हाथों मैं मजबूर हूं और वे मेरी इस मजबूरी को सम झने को तैयार  नहीं थे.’’

‘‘तुम्हारी मनोदशा को वे तभी सम झ सकते थे जब उन के जीवन में प्रेम की एकाध किरण कभी उतरी होती. मैं उन तीनों को अच्छी तरह जानता हूं. ‘प्रेम’ शब्द का सही अर्थ सम झ पाना उन के लिए असंभव है,’’ प्रकाश ने खिन्न स्वर में अपनी बात कही.

‘‘वे तीनों बहुत गुस्से में थीं. मैं ने उन की बातों का जरा भी बुरा नहीं माना, पर अब वे सब आप के लिए जरूर परेशानियां खड़ी करेंगी, यह सोच कर मेरा दिल बहुत दुखी हो उठता है,’’ कहते हुए ज्योति की आंखों से आंसू बह निकले.

‘‘मैं उन से निबट लूंगा. तुम रोओ मत,’’ कहते हुए प्रकाश ने अपने होंठों के चुंबनों से उस के आंसुओं को पोंछ डाला.

‘‘आप मेरे लिए उन से लड़ना झगड़ना मत.’’

‘‘अच्छा, ठीक है, पर ऐसा इंतजाम मैं जरूर कर दूंगा कि आज के बाद उन  की तुम से मिलने आने की जरूरत  नहीं पड़ेगी.’’

‘‘मेरा दिल घबराने लगा है. हम इतने सुखी थे, पर अब दूसरों की दखलंदाजी मन में चिंताएं पैदा करने लगी है. पता नहीं क्या होने जा रहा है?’’ प्रकाश के सीने से लगने के बावजूद ज्योति का मन भय से कांप रहा था.

निशा बहुत परेशान और गुस्से में नजर आ रही थी, ‘‘मु झे विश्वास नहीं होता कि एक सम झदार, 45 साल की उम्र का इंसान किसी स्त्री के इश्क में ऐसा पागल हो सकता है कि अपनी

मां और बड़ी बहन को अपने घर में कदम रखने से मना कर दे. शर्म  आनी चाहिए आप को अपने ऐसे गंदे व्यवहार पर.’’

‘‘प्लीज, खामोश रहो, निशा. इस वक्त कुछ भी बोल कर मेरा दिमाग और न खराब करो,’’ प्रकाश बहुत तनावग्रस्त नजर आ रहा था.

‘‘हम सभी आप के हितैषी हैं. ज्योति से संबंध तोड़ लेने की हमारी सलाह आप मान लीजिए,’’  निशा ने उसे शांत लहजे में सम झाने का प्रयास किया.

‘‘उस से संबंध तोड़ लेना मेरे लिए संभव नहीं है,’’ प्रकाश बोला.

‘‘क्यों संभव नहीं है?’’ निशा ने पूछा.

‘‘क्योंकि उस ने बिना किसी स्वार्थ के मु झ से प्रेम किया है. उस से दूर होने का अर्थ उसे जबरदस्त धोखा देना होगा. वह उस सदमे को सहन नहीं कर सकेगी और अपनी जान दे देगी.’’

‘‘ऐसी फिल्मी बातें मत करिए मेरे सामने,’’ निशा चिढ़ कर बोली, ‘‘आप जब उस की आंखों से दूर रहने लगेंगे तो वह आप को भूलने लगेगी. कुछ दिन आंसू बहा कर बदली स्थिति को स्वीकार कर लेगी. उस जैसी तेज औरत की जिंदगी में दूसरा प्रेमी आने में ज्यादा देर भी नहीं लगेगी.’’

‘‘ज्योति को तुम सम झती नहीं हो. लिहाजा, उस के बारे में उलटेसीधे अंदाज मत लगाओ. मैं इस विषय पर और ज्यादा बातें नहीं करना चाहता हूं,’’ कहता हुआ प्रकाश ड्राइंगरूम से उठ कर बैडरूम की तरफ चल पड़ा.

‘‘अपनी रखैल से संबंध कायम रख के अगर तुम ने मु झे बेइज्जत करना जारी रखा तो मैं भी तुम्हारा जीवन बद से बदतर करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगी,’’ निशा की चेतावनी देर तक प्रकाश के कानों में गूंजती रही थी.

ज्योति ने प्रकाश का चेहरा अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘पिछले 3 महीनों में कितने कमजोर हो गए हैं आप.’’

‘‘हमारी खुशियां बरदाश्त नहीं हुईं लोगों से, ज्योति,’’ प्रकाश ज्योति से कह रहा था. उस के स्वर में निराशा और बेबसी के भाव थे, ‘‘मैं तंग आ गया हूं अपने परिवार वालों की दिनरात की  िझक िझक से. मालूम है कभीकभी मेरा दिल क्या करने को करता है?’’

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि जो भी तुम्हारे खिलाफ जहर उगले उसे गोली मार दूं या अपना जीवन ही समाप्त कर लूं. मैं तुम से दूर हो कर नहीं रह सकता, यह क्यों नहीं सम झ पाते मां और निशा…’’ कहते हुए प्रकाश की पलकें गीली हो उठीं.

ज्योति एकाएक फूटफूट कर रो उठी, ‘‘मैं आप को ऐसे घुटघुट कर जीते नहीं देख सकती. आप मेरे दिल में बसे हैं. मैं बदनसीब आप के जीवन में खुशियां भरने के बजाय दुख, चिंता और तनाव भरने का कारण बनती जा रही हूं. मैं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मेरा प्रेम आप की परेशानी का कारण बन जाएगा. मेरी सम झ में नहीं आता कि मैं क्या करूं?  मैं आप को ऐसे उदास और परेशान नहीं देख सकती.’’

‘‘तुम्हारी आंखों से बहते आंसू देख कर मेरे दिल को बहुत पीड़ा होती है, ज्योति. रोओ मत प्लीज,’’  प्रकाश की बांहों में कैद होने के बावजूद ज्योति का रोना बहुत देर तक बंद नहीं हुआ.

निशा ने प्रकाश का उतरा चेहरा देख कर चिंतित स्वर में पूछा, ‘‘क्या तबीयत ठीक नहीं है?  इतनी देर कैसे लग गई घर आने में?’’

‘‘तुम सब हत्यारे हो,’’ प्रकाश रुंधे गले से बोला, ‘‘तुम सब ने मेरी ज्योति को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया- वह आज मु झे अकेला छोड़ कर बहुत दूर चली गई मु झ से.’’

‘‘हमें जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं आप. उस की आत्महत्या के लिए वह खुद जिम्मेदार थी अपने जीवन को उल झाने के लिए. दूसरों के लिए कांटे बोने वाले का अंत सदा ही दुख और पीड़ा से भरा होता है. इसे ही कहते  हैं इंसाफ.’’

‘‘हम सब के मुकाबले वह कहीं ज्यादा नेक और सरल इंसान थी. निशा, मैं ही उस की जिंदगी में न आया होता तो वह आज जिंदा होती. ज्योति, ज्योति, तुम क्यों मु झे अकेला छोड़ कर चली गईं,’’ अपने हाथों में मुंह छिपा कर प्रकाश फूटफूट कर रोने लगा तो निशा पैर पटकती रसोई की तरफ चली गई.

अपनी बेटी के सगाई समारोह की समाप्ति के बाद अकेले में निशा प्रकाश से उल झ पड़ी, ‘‘खुशी के मौके पर आज दिनभर क्यों मुंह लटकाए रहे आप? सब मेहमानों को मु झ पर हंसने का मौका देने में आप को क्या मजा आता है?’’

‘‘मैं ऐसा कोई गलत प्रयास जानबू झ कर नहीं करता, निशा,’’ प्रकाश ने थकेहारे स्वर में जवाब दिया.

‘‘लेकिन आप की उदास सूरत देख कर तो लोग यही अंदाजा लगाते हैं न कि आप अभी तक अपनी मृत प्रेमिका को भूले नहीं हैं. मैं तुम्हें खुश और संतुष्ट नहीं रख सकती, इस कारण वे मु झ पर हंसते हैं.’’

‘‘ज्योति की यादों को भुलाना मेरे वश में होता तो मैं वैसा जरूर करता, निशा. मेरे कारण तुम खुद को परेशान करना छोड़ दो, प्लीज.’’

‘‘आप हंसनामुसकराना फिर से शुरू कर दीजिए,’’ निशा का स्वर कुछ कोमल हो उठा, ‘‘ज्योति की याद में अगर ऐसे उदास और बु झेबु झे रहेंगे तो आप का हाई ब्लडप्रैशर और ज्यादा बिगड़ता चला जाएगा.’’

‘‘अब और ज्यादा जीना नहीं चाहता मैं, मेरी फिक्र न किया करो,’’ प्रकाश का स्वर इतना टूटा और उदासी से भरा था कि निशा को अपना गला भर आया महसूस हुआ.

अपनी बहू के हाथ से पानी का गिलास ले कर निशा ने प्रकाश को पकड़ाया और चिंतित स्वर में बोली, ‘‘अपनी दवा ले लीजिए, आप की घबराहट और बेचैनी जल्दी ही कम  हो जाएगी.’’

दवा खाने के बाद प्रकाश ने गहरी सांस छोड़ कर कहा, ‘‘अब दवा खाखा कर मैं ऊब चुका हूं, निशा. पता नहीं कब इन गोलीकैप्सूलों से छुटकारा मिलेगा.’’

‘‘आप कोशिश करें तो जल्दी ही आप की तबीयत में सुधार होने लगे,’’ निशा की आंखों में अचानक आंसू छलक आए, ‘‘देखिए, अब तो घर में बहू भी आ गई है. मु झ से तो आप जीवनभर नाराज रहे. नहीं की मैं ने आप की सेवा, मैं यह मान लेती हूं, पर अब तो बहू है घर में, उसे सेवा करने दीजिए. उस के कारण हंसाबोला कीजिए. मैं आप की आंखों के सामने आना ही बंद कर दूंगी. पर मैं आप से हाथ जोड़ कर विनती करती हूं कि खुश रहा करिए. ज्योति की मौत के बाद से आप एक बार भी तो सही ढंग से कभी नहीं हंसे.’’

‘‘ज्योति की आत्महत्या ने मेरे अंदर तक तोड़ डाला, कुछ ऐसा महत्त्वपूर्ण सदा के लिए चला गया कि मु झे अपना जीवन नीरस और बेकार लगने लगा है. सच तो यही है कि उसे भी मैं सुख नहीं दे पाया और तुम्हें भी परेशान रखा है आज तक. अब मु झे मौत ही…’’

निशा ने प्रकाश के मुंह पर हाथ रख दिया और फिर रोंआसी आवाज में बोली, ‘‘ऐसी बात मुंह से मत निकालिए. अगर आप को कुछ हो गया, तो मैं खुद को कभी माफ नहीं  कर पाऊंगी.’’

‘‘मेरी बिगड़ी हालत के लिए  तुम खुद को जिम्मेदार मानना बंद कर दो, निशा.’’

‘‘अगर मु झे बहुत पहले यह अंदाजा हो गया होता कि ज्योति से अलग हो कर आप की सेहत इतनी खराब हो जाएगी कि आप जीने की चाह और उत्साह भी खो देंगे तो मैं आप को आजादी दे देती. ज्योति के चले जाने के बाद भी तो आप मु झे नहीं मिल पाए. यों साथसाथ रहने से क्या होता है,’’ कहतेकहते निशा सुबकने लगी थी.

प्रकाश ने निशा का हाथ थपथपा कर बेबस स्वर में कहा, ‘‘मैं ऐसा करती, अगर ऐसा होता… ऐसे वाक्य सोचनेविचारने से कोई फायदा नहीं होता. अपने दिल, अपने अहंकार, अपने स्वार्थ और अपनी कामनाओं के हाथों हम सब मजबूर हैं. ये मजबूरियां हम से जानेअनजाने सबकुछ करा लेती हैं. बाद में पछताने और आंसू बहाने से कुछ नहीं होता.’’

‘‘हमारा जीवन बेहतर गुजर सकता था अगर मैं कुछ सम झदारी से काम लेती,’’ निशा बोली.

‘‘यह बात मु झ पर भी लागू होती है, सभी पर लागू होती है, निशा, लेकिन अतीत तो सदा के लिए हाथ से निकल कर खो जाता है. इस तरह सोच कर खुद को दुखी न करो. अब सोने की कोशिश करो,’’ हाथ बढ़ा कर प्रकाश ने बत्ती बु झा दी, पर उन दोनों की आंखों से नींद बहुत देर तक दूर रही थी.

अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के पलंग पर लेटे प्रकाश से निशा ने हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘डाक्टर महेश शहर के सब से काबिल हृदय रोग विशेषज्ञ हैं. उन के द्वारा लिखी दवाओं के शुरू होते ही आप जल्दी ठीक होने लगेंगे.’’

‘‘2 बार दिल का दौरा पड़ चुका है मु झे. अब मैं क्या ठीक होऊंगा,’’ प्रकाश के होंठों पर उदास सी मुसकान उभरी.

‘‘उदासी और निराशा का शिकार हो कर आप ने अपने शरीर को घुन लगा लिया. ज्योति को भूल जाने की कभी दिल से कोशिश ही नहीं की आप ने. आप की यही नासम झी आज आप को यहां तक ले आई. कम से कम अब तो…’’ भावावेश का शिकार होने के कारण निशा का गला अचानक रुंध  गया था.

‘‘तुम ठीक ही कह रही हो, निशा. ज्योति ने जिस दिन आत्महत्या की उसी दिन से मेरी जीने की चाह जाती रही. अपनी मौत का साया मु झे अब अपने सिर मंडराता साफ दिख रहा है, पर मेरी मौत के दिन की उलटी गिनती तो ज्योति की मौत के साथ ही शुरू हो गई थी. मेरी नासम िझयों के लिए तुम मु झे माफ कर देना.’’ प्रकाश की आवाज तभी उस के सिर के ऊपर लगी मशीन से निकलने वाले खतरे के अलार्म की आवाज में दब गई थी.

डाक्टर और नर्सों की भीड़ को प्रकाश की तबीयत संभालने के प्रयास में जीजान से लगा देख निशा का चेहरा अपने पति की संभावित मौत की आशंका से पीला पड़ गया और वह बेहद दुखी व कांपती आवाज में बुदबुदा उठी, ‘‘तुम खुशकिस्मत हो, प्रकाश. तुम्हें जीवन के एक मोड़ पर ज्योति का सच्चा प्यार मिला तो सही. मैं बदकिस्मत न तुम्हें प्रेम कर पाई, न तुम्हारा प्यार पा सकी. वक्त रहते न मैं ने खुद को बदला न तुम्हें ज्योति को सौंपने की सम झदारी दिखाई. तुम भी मु झे माफ कर देना.’’

निशा की बात पूरी होने के साथ ही प्रकाश के बीमार दिल ने सदा के लिए धड़कना बंद कर दिया था.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें