सिडनी के लिंट कैफे में हुए आतंकी हमले के 1 दिन बाद पाकिस्तान के पेशावर में कैंट इलाके के नजदीक वार्सक रोड स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए आतंकी हमले में 145 लोगों की मौत हो गई. इन में 132 बच्चे हैं. सभी 6 आतंकी मारे जा चुके. स्कूल में स्टाफ सहित कुल 1,100 लोग थे.
असम में बोडो उग्रवादियों ने 40 लोगों की हत्या की. सोनितपुर और कोकराझार जिलों में 5 जगह हमले किए गए.
वाघा सीमा के पास पाकिस्तान के भीतर हुए धमाके की तालिबान और तालिबान से जुड़े चरमपंथी संगठन जुनदुल्लाह ने जिम्मेदारी ली है. इस में 50 से ज्यादा लोग मारे गए. यह वारदात वाघा बौर्डर पर रोजाना की फ्लैग परेड के तुरंत बाद घटी.
नाइजीरिया में कट्टरपंथी संगठन बोको हरम ने 200 लड़कियों को अगवा कर लिया है. बोको हरम देश से मौजूदा सरकार का तख्तापलट करना चाहता है और उसे एक इसलामिक देश में तबदील करना चाहता है.
आईएसआईएस सिर्फ तेल से ही धन की उगाही नहीं कर रहा बल्कि उस के पास इस के और भी कई स्रोत हैं. इराक में आईएसआईएस अपने मृत लड़ाकों के अंगों को बेच कर भी बड़ा मुनाफा कमा रहा है. यही वजह है कि वह इराक और सीरिया के अलावा बाकी देशों में आसानी से युद्ध लड़ रहा है. आईएसआईएस के पास इतना बड़ा शस्त्रागार है कि वह लगातार 2 साल तक युद्ध जारी रख सकता है. 2 बिलियन डौलर (1,240 करोड़ रुपए से ज्यादा) के सालाना रेवेन्यू के साथ आईएसआईएस दुनिया का सब से धनी आतंकी संगठन है.
16 दिसंबर, 2014 की सुबह तो बहुत दर्दनाक थी ही, उस के अलावा भी हर सुबह आने वाला अखबार आतंकवादी हिंसा के बारे में कोई बुरी खबर ले कर आता है. शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता है जिस दिन दुनिया के किसी न किसी हिस्से में किसी न किसी आतंकी वारदात में लोगों की बलि न चढ़ती हो.आतंकवाद आज युद्ध का एक नया रूप हो गया है जो किसी सीमा को नहीं मानता और जिस का कोई स्पष्ट चेहरा भी नहीं होता. यह आतंकवाद आधुनिक तकनीक के साथ जुड़ कर दुनिया में कहर बरपा रहा है.
आतंकवाद की मार
कुछ आतंकवादी किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर आत्मघाती हमला करते हैं और सैकड़ों लोग मारे जाते हैं.बुरी बात यह है कि मर्ज बढ़ता गया ज्योंज्यों दवा की–कुछ ऐसा ही हुआ है आतंकवाद के साथ. भारत जैसे देश तो लंबे समय से आतंकवाद को झेलते रहे हैं लेकिन विकसित देशों ने कभी सुध नहीं ली. 11 सितंबर, 2001 को न्यूयार्क में हुए आतंकी हमले के बाद पश्चिमी देश आतंकवाद के खतरे के प्रति सचेत हुए. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने आतंक के खिलाफ जंग का ऐलान किया, इराक और अफगानिस्तान पर सैनिक आक्रमण किए, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों पर ड्रोन से बमबारी हुई, 4.3 ट्रिलियन डौलर फूंक दिए. लेकिन आतंकवाद खत्म होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. यहां तक कि इस ने वैश्विक रूप से लिया है.
कुछ देशों के अस्तित्व और शांति व्यवस्था के लिए आतंकवाद सब से बड़ा खतरा बन गया है. उस का शिकार बनने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. विश्व के प्रतिष्ठित थिंकटैंक इंस्टिट्यूट औफ इकोनौमिक्स ऐंड पीस ने अपनी 2014 की रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2000 के बाद आतंकवाद से हुई मौतों में 5 गुना वृद्धि हुई है. वर्ष 2000 में 3,361 मौतें हुई थीं जबकि 2013 में यह आंकड़ा बढ़ कर 17,958 हो गया. यह इस बात का संकेत है कि मर्ज पर दवा काम नहीं कर रही, घाव नासूर बनता जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवाद चाहे दुनियाभर के मुल्कों में फैला हुआ है. पर एक तल्ख हकीकत यह है कि 2013 में 80 फीसदी आतंकवादी घटनाएं केवल 5 देशों — इराक, सीरिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया में हुई हैं.दूसरी तरफ 55 देश ऐसे हैं जहां आतंकवाद से एक या दो मौतें हुई हैं.
2013 में हुई मौतों में से 66 प्रतिशत केवल 4 आतंकवादी संगठनों — आईएसआईएस, बोको हरम, तालिबान और अलकायदा के कारण हुईं. ये सभी संगठन वहाबी इसलाम के कट्टर समर्थक हैं. लेकिन इसलामी आतंकवादी संगठन केवल यही 4 नहीं हैं. इसलामी आतंकवादी संगठनों की तो बाढ़ आई हुई है.
इसलामी आतंकवाद
दुनियाभर में 100 के आसपास आतंकवादी संगठन हो सकते हैं. यदि उन की वारदातों को भी जोड़ लिया जाए तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लगभग 80 से 85 प्रतिशत वारदातें इसलामी संगठनों की तरफ से हो रही हैं. इस तरह दुनिया में इसलामी आतंकवाद सब से ज्यादा ताकतवर बन कर उभरा है. यों तो दुनिया में कुछ ईसाई और यहूदी आतंकी संगठन भी हैं, लेकिन उन का प्रभाव और ताकत बहुत कम है, इसलिए उन की चर्चा ज्यादा नहीं होती. आतंकवाद केवल तेजी से बढ़ा ही नहीं है बल्कि उस में गुणात्मक परिवर्तन भी आया है. वर्ष 2000 से पहले मुख्यरूप से माओवाद जैसा राजनीतिक तथा एथनिक से प्रेरित आतंकवाद था लेकिन अलकायदा द्वारा न्यूयार्क पर किए 11 सितंबर के हमले के बाद से धर्म से प्रेरित आतंकवाद में नाटकीय तरीके से वृद्धि हुई. यह परिवर्तन इसलामी आतंकवाद के बहुत उभरने से हुआ है.
रिपोर्ट में आतंकवाद सूचकांक तैयार करने की भी कोशिश की गई है. इस के मुताबिक, विश्व में आतंकवाद से सब से ज्यादा प्रताडि़त पहले 10 देश हैं : इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नाइजीरिया, सीरिया, भारत, सोमालिया, यमन, फिलीपीन और थाईलैंड. उन में से सीरिया को छोड़ कर सभी पिछले 15 वर्षों से आतंकवादी हमलों का शिकार होते रहे हैं. इन में से पहले 5 देशों में वर्ष 2013 में आतंकवाद से हुई कुल मौतों में से 80 प्रतिशत मौतें हुई हैं. सब से ज्यादा यानी 35 प्रतिशत मौतें हुई हैं इराक में. पिछले 10 वर्षों में से 9 वर्षों में सब से ज्यादा मौतें भी वहीं हुई हैं. केवल अपवाद रहा 2012 जब अफगानिस्तान में इराक से 300 से ज्यादा मौतें हुईं. आतंकवाद से हुई मौतों में सब से ज्यादा इजाफा सीरिया में हुआ है. 1998 से 2010 तक सीरिया में आतंकवाद से कुल 27 मौतें हुई थीं लेकिन 2013 में 1 हजार मौतें हुईं. वर्ष 2013 के सब से दुर्दांत 4 आतंकवादी संगठनों अलकायदा, आईएसआईएस, तालिबान और बोको हरम में सब से खतरनाक संगठन तालिबान रहा है जो पिछले 25 वर्षों से सक्रिय है और पिछले एक दशक में 25 हजार लोगों की हत्या कर चुका है.
क्रूरता का पर्याय तालिबान
तालिबान एक सुन्नी इसलामिक कट्टरतावादी आंदोलन है जो अफगानिस्तान को पाषाणयुग में पहुंचाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इन दिनों इसे पिछड़ेपन और कू्ररता का पर्याय माना जाता है. लोग भले ही उस की आलोचना करें लेकिन उस के नेताओं का कहना है कि वह इसलाम को उस के मूलरूप में या पहली पीढ़ी के इसलाम को स्थापित करना चाहता है. इस के बाद अलकायदा का नंबर है जो सब से चर्चित और वैश्विक आतंकवादी संगठन है. विश्व के कई इसलामी संगठन उस के साथ जुड़े हुए हैं. बाकी 2 संगठन बोको हरम और आईएसआईएस नए हैं, जो 2009 से सक्रिय हुए हैं.
आईएसआईएस का दबदबा
आईएसआईएस इन दिनों सारी दुनिया में पहला ऐसा आतंकवादी संगठन है जो अपने लिए अलग राष्ट्र स्थापित करने में कामयाब रहा है. इस कारण दुनिया के इसलामी आतंकवादी संगठनों में उस का दबदबा बढ़ता जा रहा है और वह अलकायदा से होड़ करने लगा है.इन के अलावा भी कई इसलामी आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. आतंकवाद के शिकार देशों में 7वें नंबर पर सोमालिया का है जहां अल शबाब नामक आतंकी संगठन आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे रहा है. उस ने 2013 में 405 हत्याओं को अंजाम दिया. यह संगठन केन्या में भी सक्रिय है. 8वें नंबर पर आता है यमन. यहां शिया आतंकी नेता हौथी के समर्थक आतंकवादी सक्रिय थे, अब उन्होंने तख्ता पलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया है. इस के बाद फिलीपीन और थाईलैंड का नंबर आता है.जो 10 देश आतंकवाद से सब से ज्यादा प्रताडि़त हैं उन में से 6 देश इसलामिक हैं और जो 4 गैरइसलामिक देश हैं वे नाइजीरिया, भारत, फिलीपीन और थाईलैंड हैं. इन में से नाइजीरिया, भारत और फिलीपीन में इसलामी आतंकवाद काफी ताकतवर है.
नाइजीरिया में तो बोको हरम जैसा खूंखार इसलामी आतंकवादी संगठन सक्रिय है जो अब तक हजारों लोगों की हत्या कर चुका है. इसलामी आतंकवाद में शिया, सुन्नी और वहाबी सुन्नी हर तरह का आतंकवाद है. इराक में तो एक सूफी आतंकवादी संगठन है जिस का नाम नक्शबंदी आर्मी है. इसे सद्दाम हुसैन के समर्थकों ने बनाया है. पाकिस्तान और इराक में शिया और सुन्नी दोनों ही प्रकार के आतंकी संगठन हैं.आतंकवाद से सब से ज्यादा प्रभावित देशों में भारत छठे नंबर पर है. भारत में 2012 और 2013 के बीच आतंकवाद में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इस से मरने वालों की संख्या 238 से बढ़ कर 404 हो गई. लेकिन भारत में हुए ज्यादातर आतंकी हमले ज्यादा मारक नहीं थे. यहां हुए
70 प्रतिशत हमलों में किसी की जान नहीं गई. जिन 43 संगठनों ने हमले किए उन में 3 तरह के समूह रहे : वामपंथी, अलगाववादी और इसलामी. भारत में वामपंथी उग्रवाद सब से बड़ी चुनौती बन कर उभरा है क्योंकि आधी हत्याएं यानी 192 वामपंथी आतंकवादियों के 3 संगठनों द्वारा की गईं. उन्होंने ज्यादातर बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में हमले किए. 3 इसलामी संगठन 15 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार रहे. इन में से ज्यादातर हमले कश्मीर या हैदराबाद में हुए. उत्तरपूर्वी राज्यों के अलगाववादी संगठन 15 प्रतिशत मौतों का कारण बने. आतंकवाद को ले कर पाकिस्तान का रवैया दोहरा है. आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित होने के बावजूद वह एक तरफ तालिबान के सफाए का अभियान चलाए हुए है तो दूसरी तरफ हाफिज सईद के आतंकवादी संगठन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल भी कर रहा है. वैसे पाकिस्तान मिसाल है इस बात की कि आतंकवाद के शेर की सवारी करने का क्या हश्र होता है. वैसे उल्लेखनीय बात यह है कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे इसलामी देश भी हैं जहां आतंकवाद नहीं है, जो शांति के साथ गुजरबसर कर रहे हैं.
इसलामी आतंकवाद का वर्चस्व
आतंकवाद के जानकारों का मत है कि इस सदी में धर्म पर आधारित आतंकवाद के तेजी से उभरने की सब से बड़ी वजह यह है कि इसलामी आतंकवाद एशिया और अफ्रीका में बेहद ताकतवर बन कर उभरा है. 80 प्रतिशत से ज्यादा आतंकवाद इसलामी संगठनों के कारण है. इसलिए कई राजनीतिक चिंतक यह कहते हैं कि इसलाम के सिद्धांत आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले हैं. इसलाम और आतंकवाद का चोलीदामन का साथ है. हालांकि इसलाम के किसी ग्रंथ में आतंकवाद का समर्थन नहीं किया गया है मगर काफिरों से संघर्ष करने की बात 100 से ज्यादा जगह कही गई है जो आतंकवाद को प्रेरित करती है. इस के अलावा इसलाम का वर्चस्व कायम कर दारुल इसलाम बनाने की बात कही गई है. बहुत से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यही सोच इसलामी आतंकवाद का कारण बनती है.
वे मदरसे भी आतंकवादियों की जन्मस्थली बनते हैं जहां असहिष्णुता की शिक्षा देने वाले धार्मिक ग्रंथ ही पढ़ाए जाते हैं. इसलाम का वर्चस्व कायम करने की बात करने वाले विश्व के सब से ताकतवर इसलामी आतंकवाद की दारुण त्रासदी यह है कि आतंकवादी वारदात करने वाले भी मुसलिम होते हैं और उस के सब से ज्यादा शिकार भी मुसलिम ही होते हैं. इस से इन दिनों काफिर कम और मुसलमान ही ज्यादा मर रहे हैं. विकसित देशों में तो आतंकवाद के शिकार होने वालों में से 5 प्रतिशत ही हैं. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जो आतंकवादी वारदातें की जाती हैं उन में ज्यादातर मुसलिम ही मरते हैं. इराक में अलकायदा सुन्नी आतंकवाद का पर्याय बन गया है और उस ने शियों का ही बड़े पैमाने पर कत्लेआम किया. इराक में तो शिया और सुन्नी आतंकवादी संगठन एकदूसरे को अपनी आतंकवादी वारदातों का निशाना बनाते रहे हैं. इराक, लेबनान और पाकिस्तान जैसे देशों में तो शिया आतंकवादी संगठन भी हैं. ये सुन्नी मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं. लेकिन इस में मरता तो मुसलमान ही है. इस के अलावा ज्यादातर इसलामी आतंकी संगठन उन मुसलिमों को भी निशाना बनाते हैं जिन के बारे में उन का खयाल है कि वे इसलाम के रास्ते पर नहीं चल रहे. इसलिए तालिबान और बोको हरम का निशाना वे मुसलिम बन रहे हैं जिन्हें वे पथभ्रष्ट मुसलिम मानते हैं.
नाइजीरिया का इसलामी आतंकवादी संगठन बोको हरम देश से मौजूदा सरकार का तख्तापलट करना चाहता है और उसे एक पूरी तरह इसलामिक देश में तबदील करना चाहता है. कहा जाता है कि बोको हरम के समर्थक कुरान की शब्दावली से प्रभावित हैं, ‘जो अल्लाह की कही गई बातों पर अमल नहीं करता है वह पापी है.’ बोको हरम इसलाम के उस संस्करण को प्रचलित करता है जिस में मुसलमानों को पश्चिमी समाज से संबंध रखने वाली किसी भी राजनीतिक या सामाजिक गतिविधि में भाग लेने से वर्जित किया जाता है. इस में चुनाव के दौरान मतदान में शामिल होना, टीशर्ट, पैंट पहनना और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा लेना शामिल हैं. अपनी सनसनीखेज आतंकवादी गतिविधियों के कारण आजकल यह संगठन चर्चा में है. कुछ समय पहले उस ने 200 लड़कियों का अपहरण कर लिया था जिन्हें आज तक रिहा नहीं किया है.
आतंक के चेहरे
बोको हरम : इस संगठन का ज्यादातर प्रभाव नाइजीरिया में है. तकरीबन 9 हजार आतंकी इस संगठन से जुड़े हैं. यह संगठन वर्ष 2009 से वर्ष 2012 के बीच तकरीबन 3,500 से भी अधिक नाइजीरियाई नागरिकों को मौत के घाट उतार चुका है.
आईएसआईएस : यह आतंकी संगठन पूरी दुनिया को तबाह करना चाहता है और भारत भी इस के निशाने पर है. इस के पास तकरीबन 31,500 लड़ाके हैं. वर्ष 2013 में इस ने 350 आतंकी हमले किए जिस में 1,400 से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. इस का मुखिया अल बगदादी है.
तालिबान : वर्ष 2010 में इस के पास तकरीबन 60 हजार सदस्य थे लेकिन वर्ष 2013 में इस ने एक नहीं तकरीबन 649 जगहों में आतंकी हमले किए जिस में तकरीबन 234 लोग मारे गए.
अलकायदा : एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन 19 हजार तक इस के सदस्य हो सकते हैं. वर्ष 2013 में इस ने कई जगह आतंकी हमले किए जिन में 166 लोग मारे गए.
दुनिया भर में आतंक
पिछले कुछ वर्षों में दुनिया में इसलाम के नाम पर गठित किए जा रहे आतंकवादी संगठनों की बाढ़ आई हुई है. लगभग 100 के आसपास ऐसे आतंकी संगठन हो गए हैं. पिछले दिनों संयुक्त अरब अमीरात ने 83 आतंकी संगठनों की सूची जारी की थी. इस के अलावा अमेरिका ने भी इसलामी आतंकी संगठनों की सूची जारी की है :
अबू सय्याफ (फिलीपीन), अल गामा अल इसलामिया (मिस्र), अल अकसा मार्टायर्स ब्रिगेड (गाजा), अल शबाब (सोमालिया), अलकायदा अंसार अल इसलाम (इराक), आर्म्ड इसलामिक ग्रुप (अल्जीरिया), बोको हरम (नाइजीरिया), काकासम अमीरात (रूस), ईस्ट तुर्कमेनिस्तान इसलामिक मूवमैंट (चीन), इजिप्ट इसलामिक जिहाद (मिस्र), ग्रेट ईस्टर्न इसलामिक रेडर्स फ्रंट (तुर्की), हमास (गाजापट्टी), हिजबुल्लाह (लेबनान), इसलामिक मूवमैंट औफ सैंट्रल एशिया व इसलामिक मूवमैंट औफ उजबेकिस्तान (उजबेकिस्तान), इसलामिक स्टेट औफ इराक ऐंड द लेवांट व जमाते अंसार अल सुन्ना (इराक) जेमाह इसलामिया (इंडोनेशिया), मोरो इसलामिक फ्रंट (फिलीपीन), मोरक्को इसलामिक कोम्बोटैंट ग्रुप, पैसेस्टाइनियन इसलामिक जिहाद (गाजापट्टी), तौहीद और जिहाद.
पाकिस्तान में आतंकी संगठन
इसलाम के नाम पर आतंकी संगठन कितनी तादाद में हैं, इस का अंदाजा पाकिस्तान की सुन्नी आतंकवादी संगठनों की इस सूची से लगाया जा सकता है. लश्कर ए झांगवी, तहरीक ए तालिबान, अहले सुन्नत वल जमात, जुनदुल्लाह, अलकायदा, सिपह ए सहाबा, लश्कर ए फारूखी, लश्कर ए उमर, तहरीक ए नचफ ए शरीयते मोहम्मद, लश्कर ए तोयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, हरकत उल अंसार, इसलामी जमीयत तोलबा, अलबद्र, जमाते इसलामी, जमात उल मुजाहिदीन, मुत्तहिदा दीनी महाज, हरकत उल जेहाद अल इसलाम, तहरीक ए जिहाद, जैशे मोहम्मद मुजाहिदीन. दुनियाभर में आतंकी संगठनों की तादाद होगी, इस का अंदाजा आप लगा सकते हैं. इसलामी आतंकी संगठन इसलामी देशों में भी हैं और गैरइसलामी देशों में भी, उन्हें हर देश में इसलाम खतरे में नजर आता है.
कैसे हो खात्मा
इंस्टिट्यूट औफ इकोनौमिक्स ऐंड पीस की रपट के कुछ निष्कर्ष काफी चौंकाने वाले हैं कि पिछले 45 वर्षों में कई आतंकवादी संगठन खत्म हो गए. उन में से केवल 10 प्रतिशत ही विजयी हुए जिन्होंने सत्ता हासिल की और अपनी आतंकवादी इकाइयों को विसर्जित कर दिया. केवल 7 प्रतिशत संगठन ही ऐसे रहे जिन्हें सीधे सैनिक कार्यवाही से खत्म किया जा सका. रपट का निष्कर्ष है कि आप गरीबी खत्म कर के और शिक्षा को बढ़ावा दे कर आतंकवाद को खत्म नहीं कर सकते. इन का आतंकवाद से लेनादेना ही नहीं है. आप को उन राजनीतिक, धार्मिक और एथेनिक शिकायतों का समाधान करना होगा जो आतंकवाद के लिए विचारणीय हैं.
भारत में कब और कहां कहर बरपा
13 मई, 2008 : जयपुर में 6 बम ब्लास्ट हुए जिस में 63 लोगों की मौत हो गई और 216 लोग घायल हुए. इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी इस की जिम्मेदारी.
26 जुलाई, 2008 : अहमदाबाद में बम ब्लास्ट. इस ब्लास्ट में 56 लोग मारे गए जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी भी इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी.
13 सितंबर, 2008 : राजधानी दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट हुए. इस हमले में 30 लोग मारे गए थे और 100 लोग घायल हुए थे. इस की जिम्मेदारी भी इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी.
30 अक्तूबर, 2008 : गुवाहाटी में बम ब्लास्ट हुए. यहां 70 लोग मारे गए और 470 से ज्यादा घायल हो गए. इस सीरियल बम ब्लास्ट में आतंकी संगठन उल्फा का हाथ बताया जाता है.
13 जुलाई, 2011 : मुंबई में सीरियल ब्लास्ट. 26 लोगों की मौत और 130 लोग घायल. इस की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी.