Download App

‘ट्रैफिक’ मेरी पिछली फिल्मों से अलग: मनोज बाजपेयी

संजीदा अभिनय से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी फिल्म ‘अलीगढ़’ के बाद जल्द ही अपनी आगामी फिल्म ‘ट्रैफिक’ में एक ट्रैफिक हवलदार के रूप में नजर आएंगे. इस फिल्म की कहानी उनके दिल को छू गई, इसलिए उन्होंने इसमें काम करने की हामी भर दी.

अपनी लगभग हर फिल्म में अभिनय का जादू चलाने वाले मनोज ने फिल्म, समाज और हिंदी फिल्म जगत से जुड़ी कई बातों पर अपने दिल की बात रखी.

‘ट्रैफिक’ एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म है. सच्ची घटना पर आधारित फिल्म में काम करना अपने आप में एक चुनौती है. इसी चुनौती के बारे में मनोज कहते हैं कि आप तथ्यों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते. पूरी फिल्म उस वास्तविक घटना के ईद-गिर्द घूमती है. इसलिए इस तरह की फिल्मों में काम करने से जिम्मेदारी बढ़ जाती है, लेकिन कहानी उम्दा हो तो सुकून भी रहता है.

फिल्म की कहानी के बारे में मनोज कहते हैं, “इस फिल्म की कहानी सीधे दिल को छूती है तो मैंने हां करने में देर नहीं की. मैं नहीं चाहता था कि इस तरह की फिल्म मेरे हाथ से निकल जाए.”

यह फिल्म एक ट्रैफिक हवलदार की कहानी है, जो समाज की वास्तविकता को सामने लाती है कि किस तरह एक ट्रैफिक हवलदार दिनभर की समस्याओं से जूझते हुए जिंदगी बचाता है. इस फिल्म में रोमांच, इमोशन, सुख, दुख सब कुछ है, जो दर्शकों को बांधे रखने के लिए पर्याप्त है.

मनोज बाजपेयी ने अपनी फिल्मी कैरियर में अलग-अलग तरह की भूमिकाएं की हैं. उनकी यह फिल्म पिछली फिल्म से कितनी अलग है कि इस पर वह कहते हैं, “ट्रैफिक मेरी पिछली सभी फिल्मों से एकदम अलग है. आप मेरी किसी एक फिल्म की तुलना दूसरी फिल्म से नहीं कर सकते हैं. मेरे कैरियर की अच्छी बात यही है कि मैंने कभी भी एक तरह की फिल्में नहीं की. अलग-अलग तरह की फिल्में करना मेरा उद्देश्य रहा है और मैं वही करता रहा हूं.”

हाल ही में सलमान खान ने ट्वीट कर ‘ट्रैफिक’ फिल्म के पोस्टर और ट्रेलर की सराहना की और इसे देखने की इच्छा जताई थी. मनोज बाजपेयी इस पर कहते हैं, “मैं सलमान के ट्वीट को देखकर चौंक गया था. इतने बड़े स्टार हमारी फिल्म को सपोर्ट कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि ‘ट्रैफिक’ के ट्रेलर ने उनके दिल को छू लिया है. ऋषि कपूर ने भी इसी तरह ट्वीट कर फिल्म को सराहा है.”

बाजपेयी कहते हैं कि ‘ट्रैफिक’ की यूएसपी इसकी कहानी है, क्योंकि दर्शक पैसे खर्च करके कहानी देखना चाहते हैं. अगर दर्शक इस तरह की फिल्म नहीं देखेंगे तो वह किसी को दोष नहीं दे सकते कि हमारे यहां इस तरह की फिल्में नहीं बनती. इस तरह की फिल्म देखना उनकी भी जिम्मेदारी बनती है.

‘ट्रैफिक’ एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है. आजकल हर रोज ट्रैफिक से जुड़ी घटनाएं घट रही हैं, जिनसे हम अंजान हैं और हमें उनके बारे में अखबारों से पता चलता है कि ट्रैफिक वाले कितनी मशक्कत के साथ हर मिनट जिंदगी बचाने में लगे रहते हैं. इसीलिए अभी ग्रीन कॉरिडोर नीति भी लाई जा रही है.

फिलहाल, दिल्ली में सम-विषम यातायात योजना लागू है और ग्रीन कॉरिडोर नीति बन रही है तो ऐसे समय में फिल्म का रिलीज होना बिल्कुल सटीक है.

मनोज बाजपेयी को फिल्म के अच्छे कारोबार की उम्मीद है. वह कहते हैं कि फिल्म ने अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी है. बाकी सब छह मई को फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा. सोशल मीडिया पर इसके ट्रेलर को काफी सराहा जा रहा है.

आज के दौर में नवाजुद्दीन सिद्दीकी, इरफान खान जैसे संजीदा अभिनेताओं के बारे में मनोज कहते हैं कि ये अच्छे कलाकार अच्छा काम कर रहे हैं. इन्हें सराहा जाना चाहिए. एक कलाकार के काम को दूसरे के काम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

वह इंडस्ट्री में कदम रख रहे नए एवं युवा अभिनेताओं को अभिनय और कहानी प्रधान फिल्में करने की सलाह देते हैं, ताकि लोग उन्हें लंबे समय तक याद रख सकें.

फिल्मों के रीमेक के इस दौर में मनोज बाजपेयी कहते हैं कि यह एक स्वतंत्र देश है. मेरी किसी फिल्म का रीमेक बनता है तो यह अच्छी बात है. मेरी सभी फिल्में मेरे दिल के पास हैं. मैंने कहानी और अभिनय प्रधान फिल्में की हैं.

‘ट्रैफिक’ छह मई को रिलीज को रिलीज़ होने जा रही है. यह इसी नाम से 2011 में बनी मलयालम फिल्म की रीमेक है. इसमें मनोज के अलावा जिम्मी शेरगिल, प्रोसेनजीत चटर्जी और सचिन खाडेकर भी हैं.

सस्ता हुआ सोना, चांदी के दाम भी गिरे

कमजोर वैश्विक रुख और मौजूदा स्तर पर आभूषण निर्माताओं और स्थानीय ग्राहकों की मांग कमजोर पड़ने से दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोने के भाव 100 रुपये टूटकर 29,800 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गये.

वहीं औद्योगिक उठाव सुस्त पड़ने से चांदी के भाव 550 रुपये की गिरावट के साथ 40,350 रुपये किलो रह गए. बाजार सूत्रों के अनुसार मौजूदा स्तर पर मांग में गिरावट और वैश्विक बाजार में कमजोर रुख का असर बाजार धारणा पर पड़ा. सिंगापुर में सोने के भाव 0.17 फीसदी घटकर 1245.90 डॉलर प्रति औंस रहे.

दिल्ली में सोना 99.9 और 99.5 शुद्धता के भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 29,800 रुपये और 29,650 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुए. गुरुवार को सोने में 400 रुपये का उछाल आया था. गिन्नी के भाव पूर्वस्तर 23,200 रुपये प्रति आठ ग्राम पर स्थिर बने रहे.

चांदी तैयार के भाव 550 रुपये की गिरावट के साथ 40,350 रुपये और चांदी साप्ताहिक डिलीवरी 1,115 रुपये की गिरावट के साथ 40,115 रुपये किलो बंद हुई. चांदी सिक्का के भाव पूर्वस्तर 64 हजार रुपये प्रति सैकड़ा अपरिवर्तित बंद हुए.

 

 

हजारों साल पहले भी थीं ये एडवांस टेक्‍नालॉजी

प्राचीन काल में रहने वाले लोग भी आज के जमाने की एडवांस कही जाने वाली तकनीक का भरपूर इस्तेमाल करते थे. वे नैनो तकनीक और सीस्मोग्राफ जैसी तकनीक के साथ ही रोबोट साइंस का उपयोग भी करते थे. इन सभी हैरतअंगेज बातों के प्रमाण हाल ही में मिले हैं. जानते हैं, ऐसी ही 6 प्राचीन तकनीक के बारे में जिनमें एडवांस साइंस का प्रयोग होता था :

बूमरंग :

यह मानवों द्वारा आविष्कार किया गया सबसे पुराना उड़ने वाला आविष्कार है, जिसे ऑस्ट्रेलिया के आदिवासियों द्वारा विकसित किया गया था. वो भी 10,000 साल पहले. यह लकड़ी से बना पतले किनारों वाला एक उपकरण था, जिसके 23,000 साल पुराना होने का अनुमान है. जिसे हवा में फेंकने पर यह उड़ता हुआ जाता था.

पीतल :

पुराने जमाने में कीटनाशक के तौर पर पीतल का प्रयोग भी किया जाता था. पीतल के डोरनॉब इसी का एक उदाहरण हैं. माना जाता था कि ये धातु कीटनाशक की तरह काम करती हैं. इसलिए इसका उपयोग कई रूपों में किया गया.

कंक्रीट :

कंक्रीट से सबसे पहला निर्माण रोम शासन काल में हुआ. कंक्रीट के प्रभाव और प्रयोग के बारे में रोमन्स ने कैमिस्ट्री से समझा. उन्होंने जाना कि रासायनिक प्रक्रिया के कारण यह सख्त हो जाती है. इसे जानने के बाद निर्माण कार्यों में तेजी आई.

दा विंसी का भविष्य का शहर :

लियोनार्डो दा विंसी ने अपने कागज पर भविष्य के शहरों की कल्पना को पहले ही उतार दिया था. उन्होंने ब्लॉक बनाकर बताया था कि भविष्य के शहर कैसे होंगे. 1400 में दा विंसी मिलान शहर में रहते थे. उस वक्त प्लेग फैला था. उन्होंने एक सिद्धांत के आधार पर बताया कि हवा के कारण ज्यादातर रोग फैलते हैं.

दमिश्क इस्पात :

प्राचीन काल में सुपरस्टील का इस्तेमाल 300 BC में किया जाने लगा था. एलेक्जेंडर ने इसका उपयोग किया था. दमिश्क इस्पात की खूबी इसकी मजबूती और शार्पनेस थी. जिसका इस्तेमाल हथियारों में किया जाता था. हालांकि, 18वीं शताब्दी आते-आते इस तकनीक का इस्तेमाल बंद हो गया और आज तक इसे दुबारा नहीं पाया जा सका है.

रोबोट :

15वीं शताब्दी में ही रोबोट का निर्माण कर लिया गया था. इस मानव आकृति वाले रोबोट को सैनिक की शक्ल दी गई थी. जिस रस्सियों के सहारे चलाया जाता था. इसमें अपनाए गए कई सिद्धांत आधुनिक जमाने की तकनीक से मेल खाते हैं.

भारत में बनी है दुनिया की ये पहली हॉस्पिटल ट्रेन

लाइफलाइन एक्सप्रेस (जीवनरेखा एक्सप्रेस) को मैजिक ट्रेन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है. यह पिछले 24 साल से काम कर रही है. इसका मुख्य उद्देश्य अच्छी मेडिकल सुविधा से महरूम दूर-दराज और दुर्गम ग्रामीण इलाकों में इलाज की सुविधाएं मुहैया कराना है.

उपलब्ध सुविधाएं :

इस ट्रेन को इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन भारतीय रेलवे के साथ मिलकर चलाती है. ट्रेन पर बेहतरीन स्टेट-ऑफ-द-आर्ट ऑपरेशन थिएटर हैं. यहां के सर्जनों ने इस OT में मोतियाबिंद ऑपरेशन के जरिए आंखों की रोशनी लौटाने, सर्जरी के जरिए कटे होठ ठीक करने, दांतों का इलाज जैसी काफी सुविधाएं दी हैं. साथ ही छोटे शहरों के सर्जनों को इसके जरिए सिखाया भी जाता है.

लंबी रेस का घोड़ा :

पिछले 24 सालों में इस ट्रेन ने बिहार, महाराष्ट्र, मप्र से लेकर बंगाल और केरल सहित पूरे भारत का सफर तय किया है. लाइफलाइन एक्सप्रेस का मेन टारगेट अलग-अलग राज्यों में कई प्राइवेट और पब्लिक ऑर्गनाइजेशन इसके प्रोजेक्ट्स को स्पॉन्सर करते हैं.

दूसरे देश भी प्रभावित :

इ्म्पैक्ट इंडिया के मुताबिक, दिसंबर 2010 तक इससे लाभान्वित होने वालों की संख्या 6 लाख पहुंच चुकी है. लाइफलाइन एक्सप्रेस के मॉडल से दूसरे देश भी सीख रहे हैं. चीन व सेंट्रल अफ्रीका में इसी की तर्ज पर प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं. इसी से प्रेरणा लेकर बांग्लादेश और कंबोडिया में नाव पर अस्पताल भी शुरू किए गए हैं.

5 करोड़ परिवारों को मिलेगा फ्री LPG कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 मई को गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले पांच करोड़ परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने की 8,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत करेंगे. इस योजना में 1.13 करोड़ उपभोक्ताओं के एलपीजी सब्सिडी छोड़ने से हुई बचत का उपयोग किया जाएगा.

प्रधानमंत्री मोदी 1 मई को उत्तर प्रदेश के बलिया में इस 'उज्ज्वला' योजना की शुरुआत करेंगे और 15 मई को गुजरात के दाहोद में इसी प्रकार का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने समर्थ लोगों को एक वर्ष के लिए रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील के साथ ‘गिव-इट-अप’ अभियान की शुरुआत औपचारिक तौर पर पिछले साल 27 मार्च को की थी. वैसे यह योजना जनवरी 2015 में शुरू की गई थी.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा, 'इस अभियान की शुरुआत से अब तक 1.13 करोड़ लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है और वे रसोई गैस बाजार भाव पर खरीद रहे हैं.'

इस सूची में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है जहां 16.44 लाख ग्राहकों ने सब्सिडी छोड़ी. वहीं उत्तर प्रदेश में 13 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ी. उसके बाद दिल्ली (7.26 लाख) का स्थान रहा. प्रधानमंत्री का गृह राज्य गुजरात में 4.2 लाख जबकि प्रधान के गृह राज्य ओडिशा में 1.3 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ी. प्रधान ने कहा, 'गैस सब्सिडी छोड़ने वालों में पांच राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु का योगदान करीब आधा है.'

 

यूपी में राहुल गांधी करेंगे ‘चने पर चर्चा’

लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अपने मेकओवर में लगी है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव इसमें अहम रोल अदा कर सकते है. उत्तर प्रदेश से ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी सांसद हैं. उत्तर प्रदेश की जीत से 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ सकता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिये ‘जियो या मरो’ वाले बन गये हैं.

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपने मेकओवर का जिम्मा प्रशांत किशोर को दे दिया है. जिनको ‘पीके’ के नाम से ज्यादा पहचान मिल रही है. प्रशांत किशोर कांग्रेस संगठन को लेकर काम कर रहे हैं. चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं. कांग्रेस की रणनीति के दो हिस्से हैं. संगठन का हिस्सा प्रशांत किशोर संभालेगे और जनता के बीच संवाद का काम राहुल गांधी करेगे. राहुल गांधी को सोशल मीडिया के जरीये चर्चा में लाने की योजना भी ‘पीके’ तैयार करेगे.

विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी जनता के बीच अपनी पकड मजबूत करने के लिये ‘चने पर चर्चा’ की योजना बना रहे हैं. चने का गांव की जीवनशैली से बड़ा गहरा नाता है. इसको लेकर ‘टूटी चूडी चने के खेत में’ गाना तक बन चुका है. माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया यह गाना लोगों को बहुत पसंद आया था.

मनोरंजन ही नहीं चना गरीब और गांव वालों का भोजन माना जाता है. मजदूर और किसान अपनी भूख मिटाने के लिये अपने साथ दो मुठ्ठी चना जरूर रखता था. चना, मक्का और जौ से तैयार होने वाला सत्तू ही गरीबों का भोजन होता था. चने को गरीबों से जोड कर देखा जा रहा है. इसलिये अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘चने पर चर्चा’ करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं. गरीबों के साथ चने का करीबी संबंध किसानों से होता है. चना अकेली ऐसी फसल होती है जिसकी पत्ती से लेकर पकने तक खाने में प्रयोग किया जाता है. चने का साग, चने का निमोना, चने की दाल, चने की रोटी बहुत सारी चीजे इससे तैयार होती हैं. गांव का मजदूर चना और सत्तू के अलावा जिस चोखा बाटी को सबसे अधिक खाता है, वह भी चने से तैयार होती है.

गांव, गरीब, किसान, मजदूर, दलित और खेतिहर पिछडी जातियां चने से दिल से जुडी है. राहुल गांधी ‘चने पर चर्चा’ के दौरान ऐसे ही लोगों से संपर्क करने का काम करेगे. कांग्रेस इस तरह से ‘चने पर चर्चा’ के कार्यक्रम प्रदेश भर में गांव-गांव में आयोजित करेगी. हाल के दिनों में चने सहित दूसरी दलहन फसलों के दाम तेजी से बढ रहे है. जबकि इनका उत्पादन घट रहा है. राहुल गांधी चर्चा के दौरान किसानों से चने के उत्पादन के लिये जोर देगे. जिससे लोग कांग्रेस की नीतियों की तरफ आकर्षित हो सकेंगे.

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की नैया पार लगाने में ‘चाय पर चर्चा’ का  बडा रोल था. अब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ‘चने पर चर्चा’ कर चुनाव जीतना चाहती है.देखना यह है कि ‘चाय पर चर्चा’ की तरह ‘चने पर चर्चा’ क्या रंग दिखाती है.                                    

पाक बोला, मिसाइल परीक्षण बंद करे भारत, वरना…

पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों वाले पनडुब्बी (सबमैरीन) बेड़े के विकास की भारतीय कोशिश पर चिंता जताई है. उसने भारत की पनडुब्बी से बैलेस्टिक मिसाइल दागे जाने के प्रयोग पर भी चिंता व्यक्त की है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा कि वो भारत से सभी मामलों पर बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन उन्होंने भारत के मिसाइल टेस्ट करने पर सवाल उठा दिया. जकारिया ने भारत के पनडुब्बी बैलेस्टिक मिसाइल के परीक्षण करने को गलत कदम बताया.

पाकिस्तानी प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा है कि अत्याधुनिक हथियारों का इस तरह का विकास न केवल पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है. इससे इलाके का सामरिक संतुलन बिगड़ेगा और हिंद महासागर में परमाणु हथियारों की होड़ शुरू हो जाएगी. जकारिया ने कहा कि गुपचुप तरीके से इस तरह मिसाइल परीक्षण से पड़ोसी देशों के साथ सामरिक संतुलन पर गंभीर असर पड़ता है. पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को लेकर कई देशों को सूचित किया है.

उन्होंने कहा कि हाल में किए गए बैलेस्टिक मिसाइल के परीक्षण से पहले पाकिस्तान को उसकी नियमानुसार सूचना नहीं दी गई. जबकि सतह या नौसेना के जहाज से किसी बैलेस्टिक मिसाइल के परीक्षण से पहले उसकी सूचना पड़ोसी देशों को दी जाती है. इससे पड़ोसी हमलावर मिसाइल के दिशा बदलने की आशंका से सतर्क रहते हैं और उसके मद्देनजर इंतजाम करते हैं. प्रवक्ता ने बताया कि सूचना न देने पर भारत से विरोध जता दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के भीतर काफी गहराई में रहने और चलने में सक्षम होती है. इससे छुपकर दुश्मन पर वार किया जा सकता है. इसके परमाणु हथियारों की क्षमता से लैस हो जाने पर यह और खतरनाक हो जाती है. ऐसे में यह अचानक दुश्मन की सीमा के नजदीक जाकर पल झपकते ही उस पर परमाणु हमला कर सकती हइसके अलावा पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के अंदरूनी मामलों के दखल देने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मिसाइल परीक्षण के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में पिछले काफी दिनों से मानवाधिकार कानूनों का उल्लघंन हो रहा है, ये गंभीर चिंता का विषय है.

इसके अलावा पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के अंदरूनी मामलों के दखल देने की कोशिश की है. पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि मिसाइल परीक्षण के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में पिछले काफी दिनों से मानवाधिकार कानूनों का उल्लघंन हो रहा है, ये गंभीर चिंता का विषय है.

उन्होंने कहा कि कथित भारतीय एजेंट कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान के लंबे समय से रखे जा रहे रुख की पुष्टि की है कि देश में आतंकवादी घटनाओं में भारत का हाथ है. उन्होंने यह भी दावा किया कि यादव के इकबालिया बयान के आधार पर उसकी गिरफ्तारी हुई. हालांकि उन्होंने गिरफ्तारी का विवरण साझा करने से इन्कार कर दिया.

 

अब स्कूल में बच्चे सीखेंगे मनी मैनेजमेंट

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज एनएसई के साथ मिलकर विद्यार्थियों को कम उम्र में ही वित्तीय बाजार की दृष्टि से समझदार बनाने की तैयारी की है. बोर्ड के करीब 75 स्कूलों ने नौवीं-दसवीं के छात्रों के लिए इसी सत्र से वित्तीय बाजार प्रबंधन (एफएमएम) पाठ्यक्रम शुरू किया है जो उन्हें धन प्रबंधन के गुर सिखाएगा.

सीबीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बच्चों को वित्तीय योजना और धन प्रबंधन के प्रति जागरूक बनाने के लिए ये कोर्स शुरू करवा रहे हैं. एनएसई ने एक बयान में बताया, ‘कई नामी-गिरामी स्कूल सोसायटियों और समूहों ने निर्णय किया है कि वह इस साल से इस पाठ्यक्रम को शुरू करेंगे.’

एनएसई की एक विज्ञप्ति के अनुसार, इन 75 नए स्कूल जिनमें दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, कोलकाता, ओडिशा, केरल और अंडमान एवं निकोबार के स्कूल शामिल हैं. केंद्रीय विद्यालय संगठन इसे इस साल आगरा, दिल्ली, जयपुर और देहरादून के 25 स्कूलों में शुरू कर रहा है. इसके अलावा दिल्ली पब्लिक स्कूल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संबंद्ध स्कूल और पंजाब के भारती फाउंडेशन के स्कूल भी इस पाठ्यक्रम को शुरू कर रहे हैं.

इस तरह विश्व शक्तियों से आगे निकला भारत

फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) आकर्षित करने के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया ने 63 बिलियन डॉलर के एफडीआई प्रॉजेक्टस को 2015 में आकर्षित किया. इसके साथ ही 697 प्रॉजेक्टस में 8 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है. यह जानकारी द फाइनैंशल टाइम्स के एफडीआई डिविजन ने दी है. 2015 में बड़ी कंपनियों में फॉक्सकॉन, सनएडिशन ने 5 और 4 बिलियन डॉलर के प्रॉजेक्टस में इन्वेस्टमेंट की हामी भरी हैं.

भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है. पिछले एक साल में कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस और अक्षय ऊर्जा सेक्टर्स में बड़े प्रॉजेक्टस की घोषणा की गई. रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में भारत पहली बार एफडीआई के मामले में शिखर पर पहुंचा. भारत ने चीन के साथ अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया. अमेरिका ने 2015 में 59.6 बिलियन डॉलर और चीन ने 56.6 बिलियन डॉलर एफडीआई आकर्षित किए.

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा,' एफडीआई आकर्षित करने के मामले में भारत टॉप पर पहुंच गया'. दावा किया गया है कि 2015 में एफडीआई आकर्षित करने वाले टॉप 10 राज्यों में पांच भारतीय राज्य हैं. इस दौरान गुजरात ने 12.4 बिलियन डॉलर एफडीआई आकर्षित किए. महाराष्ट्र ने पूरे साल में शानदार प्रदर्शन करते हुए 8.3 बिलियन डॉलर की एफडीआई को आकर्षित किया.

दूरसंचार कंपनियां मालामाल, ग्राहक बेहाल

देश में चार-पांच दूर संचार कंपनियों का एक गुट एक अरब ग्राहक जोड़े हुए हैं और प्रतिदिन 250 करोड़ रुपये कमा रहे हैं, पर वे सेवा को बेहतर बनाकर कॉल ड्रॉप रोकने के लिए अपने नेटवर्क पर जरूरी निवेश नहीं कर रहे हैं. सरकार ने यह जानकारी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को दी.

अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये कंपनियां आउटगोइंग कॉल (अपने नेटवर्क से की गई कॉल) के जरिए प्रतिदिन 250 करोड़ रुपये कमा रही हैं. इनके कारोबार की वृद्धि जबरदस्त है, लेकिन वे कॉल ड्रॉप पर अंकुश के लिए सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए अपने नेटवर्क पर बहुत कम निवेश कर रही हैं.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ओर से उपस्थित रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ तथा न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की पीठ के समक्ष नियामक द्वारा दूरसंचार कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने को उचित बताया.

क्या है पूरा मामला: सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस सहित 21 दूरसंचार कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें ट्राई के जनवरी से कॉल ड्रॉप के लिए ग्राहकों को मुआवजा देने के फैसले को उचित ठहराया गया है.

अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उठाए ये मुद्दे

·       61 प्रतिशत ग्राहक आधार बढ़ा: अटर्नी जनरल ने कहा कि 2009 से 2015 के दौरान दूरसंचार कंपनियों के ग्राहकों का आधार 61 प्रतिशत बढ़ा है. वे स्पेक्ट्रम के एक हिस्से का इस्तेमाल डेटा के लिए कर रही हैं और पैसा बना रही हैं.

·       डेटा की लागत अधिक: रोहतगी ने कहा कि डेटा सेवाओं की लागत कॉल्स से अधिक बैठती है. कोई भी कंपनी यहां परमार्थ के लिए नहीं है. वे यहां एक अरब ग्राहकों के साथ मुनाफा कमाने के लिए हैं. वे हर चीज के लिए पैसा लेती हैं.

·       स्पेक्ट्रम की कमी एक बहाना: अटर्नी जनरल ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटर कॉल ड्रॉप के लिए स्पेक्ट्रम की कमी को वजह बताते हैं, लेकिन हालिया 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी में स्पेक्ट्रम बिक नहीं पाया. उन्होंने कहा कि चाहे आपके पास स्पेक्ट्रम है या कम स्पेक्ट्रम है, यह ट्राई की समस्या नहीं है. यदि आपके पास कम स्पेक्ट्रम है तो आपको या तो अपने ग्राहकों की संख्या कम करनी चाहिए या प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहिए. कोई भी यह कहते हुए आगे नहीं आया है कि मेरे हाथ भरे हुए हैं और मुझे और ग्राहकों की जरूरत नहीं है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें