देश में चार-पांच दूर संचार कंपनियों का एक गुट एक अरब ग्राहक जोड़े हुए हैं और प्रतिदिन 250 करोड़ रुपये कमा रहे हैं, पर वे सेवा को बेहतर बनाकर कॉल ड्रॉप रोकने के लिए अपने नेटवर्क पर जरूरी निवेश नहीं कर रहे हैं. सरकार ने यह जानकारी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को दी.
अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये कंपनियां आउटगोइंग कॉल (अपने नेटवर्क से की गई कॉल) के जरिए प्रतिदिन 250 करोड़ रुपये कमा रही हैं. इनके कारोबार की वृद्धि जबरदस्त है, लेकिन वे कॉल ड्रॉप पर अंकुश के लिए सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए अपने नेटवर्क पर बहुत कम निवेश कर रही हैं.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ओर से उपस्थित रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ तथा न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की पीठ के समक्ष नियामक द्वारा दूरसंचार कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने को उचित बताया.
क्या है पूरा मामला: सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस सहित 21 दूरसंचार कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें ट्राई के जनवरी से कॉल ड्रॉप के लिए ग्राहकों को मुआवजा देने के फैसले को उचित ठहराया गया है.
अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उठाए ये मुद्दे
· 61 प्रतिशत ग्राहक आधार बढ़ा: अटर्नी जनरल ने कहा कि 2009 से 2015 के दौरान दूरसंचार कंपनियों के ग्राहकों का आधार 61 प्रतिशत बढ़ा है. वे स्पेक्ट्रम के एक हिस्से का इस्तेमाल डेटा के लिए कर रही हैं और पैसा बना रही हैं.
· डेटा की लागत अधिक: रोहतगी ने कहा कि डेटा सेवाओं की लागत कॉल्स से अधिक बैठती है. कोई भी कंपनी यहां परमार्थ के लिए नहीं है. वे यहां एक अरब ग्राहकों के साथ मुनाफा कमाने के लिए हैं. वे हर चीज के लिए पैसा लेती हैं.
· स्पेक्ट्रम की कमी एक बहाना: अटर्नी जनरल ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटर कॉल ड्रॉप के लिए स्पेक्ट्रम की कमी को वजह बताते हैं, लेकिन हालिया 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी में स्पेक्ट्रम बिक नहीं पाया. उन्होंने कहा कि चाहे आपके पास स्पेक्ट्रम है या कम स्पेक्ट्रम है, यह ट्राई की समस्या नहीं है. यदि आपके पास कम स्पेक्ट्रम है तो आपको या तो अपने ग्राहकों की संख्या कम करनी चाहिए या प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहिए. कोई भी यह कहते हुए आगे नहीं आया है कि मेरे हाथ भरे हुए हैं और मुझे और ग्राहकों की जरूरत नहीं है.