Download App

डिस्कोथिक में शौर्ट स्कर्ट वाली महिलाएं बैन

महिलाओं के कपड़ों को ले कर एक बार फिर होहल्ला मचा हुआ है. निशाना इस बार चंडीगढ़ की महिलाएं बनी हैं. दरअसल, 1 अप्रैल, 2016 से ऐडमिनिस्ट्रैशन द्वारा शहर में लागू हुई ‘कंट्रोलिंग औफ प्लेसेज औफ पब्लिक एम्यूजमैंट, 2016’ पौलिसी के तहत डिस्कोथिक में महिलाओं को कम कपड़े खासतौर पर शौर्ट स्कर्ट पहन कर जाने पर रोक है. ऐडमिनिस्ट्रैशन ने नाईटक्लबों और बारों में महिलाओं द्वारा कम और भड़काऊ कपड़े पहन कर आने को इंडीसैंस करार दिया है. इतना ही नहीं, पौलिसी के तहत बार डिस्कोथिक की टाइमिंग को भी 2 घंटे कम कर दिया गए हैं. जहां बार और नाईटक्लब पहले रात के 2 बजे तक खुले रहते थे वहीं अब रात के 12 बजे तक ही खुलेंगे.

पौलिसी के तहत एक नोडल कमेटी बनाई गई है जिस में डिप्टी कमिश्नर चेयरमैन और म्यूनिसिपल कमिश्नर, एसएसपी, हैल्थ सर्विसेस ऐंड ऐक्साइज डायरैक्टर और टैक्स कमिश्नर को कमेटी का मैंबर बनाया गया है.

फिलहाल मोरल पुलिसिंग के नाम पर प्रशासन द्वारा थोपे गए इस फैसले का शहर के बार और डिस्कोथेक संचालक विरोध कर रहे हैं. उन का कहना है कि महिलाओं के कपड़ों पर फैसला सुनाने वाला प्रशासन कौन होता है? यह महिलाओं के अधिकारों का हनन है जिसे किसी भी सूरत में बरदाश्त नहीं किया जाएगा.

सवाल है कि आखिर महिलाओं के कपड़े इतने महत्त्वपूर्ण क्यों हैं? क्यों हमेशा पुरुष तय करते हैं कि महिलाएं क्या पहनें और क्या नहीं? किस स्थान पर उन्हें क्या पहनना चाहिए इस को ले कर पिछले कई वर्षों से विवाद चल रहा है. कभी कौलेज और मंदिरों में महिलाओं के जींसपैंट पहन कर प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी जाती है तो कभी क्लीवेज दिखाने पर बवाल मच जाता है. आखिर क्यों महिलाओं को खुद की मरजी से कैसे भी कपड़े पहनने की आजादी नहीं है?

चर्चित लेखिका तसलीमा नसरीन भी अपने एक लेख में इस बात का जिक्र कर चुकी हैं. उदाहरण देते हुए तसलीमा लिखती हैं, ‘‘मैं बचपन से ही सोचती थी कि मेरा भाई घर में जिस तरह आजादी के साथ निकर और बनियान पहन कर घूमता है वैसे मैं क्यों नहीं घूम सकती? गरमी लगने पर जिस तरह वह अपने कपड़े उतार देता है वैसे मैं क्यों नहीं कर सकती? गरमी तो मुझे भी लगती है. बस इसलिए क्योंकि मेरी शारीरिक संरचना उस से अलग है.’’

हर बहन या कहिए कि हर महिला के मन में यह बात कभी न कभी आती होगी कि कपड़ों के चुनाव की आजादी उसे क्यों नहीं मिली? कभी समाज के ठेकेदार तो कभी घर पर ही मातापिता बेटियों को बचपन से ही ‘ऐसे बैठो’, ‘पैर ढको’, ‘ये मत पहनो’ जैसी बातें कह कर उन की कपड़ों के चुनाव और पसंद को दबाने का प्रयास करते हैं उन्हें झिझकने पर मजबूर करते हैं, संस्कारों की दुहाई देते हैं. कपड़ों को संस्कारों से जोड़ने की जरूरत ही क्या? सिर से पांव तक कपड़ों से लिपटे पुरुष यदि शराब पीते हैं, तो क्या वे संस्कारी हैं? अपेक्षा सिर्फ महिलाओं से ही क्यों की जाती हैं? यदि कोई महिला शौर्ट ड्रैस पहनने का शौक रखती है, तो इस में बुराई क्या है? लेकिन पुरुष जमात छोटे कपड़े पहने किसी महिला को इस कदर घूरता है कि जैसे महिला न्यूड हो.

जाहिर है, प्रशासन इस तरह के जब प्रतिबंध लगाता है, तो इस में भी वह पुरुषों का स्वार्थ देखता है. नाईटक्लब, बार और डिस्कोथिक जैसी जगहों पर कोई भी महिला साड़ी या सलवारसूट में लिपटी हुई तो आएगी नहीं. यदि आ भी गई तो सहज ढंग से मनोरंजन नहीं कर पाएगी. एक समय आएगा जब महिलाओं का ऐसी जगह आना ही बंद हो जाएगा और इन जगहों पर पुरुषों का पूरी तरह अधिकार हो जाएगा और वे इसे अपनी ऐयाशी का अड्डा बना सकेंगे.

अब डिस्कोथिक जैसी जगहों पर महिलाओं के शौर्ट स्कर्ट या कम कपडे़ पहनने पर हायतौबा मचा कर प्रशासन अपनी इस मंशा को जाहिर कर ही दिया है, तो सवाल यह है कि क्या महिलाओं के पहने कपड़ों से पुरुषों की खराब नीयत को नियंत्रित किया जा सकता है? अगर हां, तो कैसे?

केवल महिलाओं पर ही मर्यादा, इज्जत आदी भारीभरकम शब्द लाद कर प्रशासन न केवल उन पर अपनी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी छीन रहा है, बल्कि पुरुषों को महिलाओं पर हावी होने और उन्हें कमजोर समझने का अधिकार भी दे रहा है. जबकि जरूरत महिलाओं के कपड़ों पर नहीं बल्कि छोटी सोच रखने वाले पुरुषों की नजरों और समझ पर पाबंदी लगाने की है .

तीन राज्यों के लिए 842 करोड़ की सहायता राशि मंजूर

केंद्र ने कर्नाटक, पुडुच्‍चेरी, और अरुणाचल प्रदेश के लिए 842.7 करोड़ रुपये की सहायता मंजूर की है. ये राज्य सूखे या बाढ़ से प्रभावित हैं. सूखा प्रभावित कर्नाटक के लिए 723.23 करोड़ रुपये तथा बाढ़ से प्रभावित पडुच्‍चेरी के लिए 35.14 करोड़ रुपये और अरुणाचल प्रदेश के लिए 84.33 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं.

आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय समिति की बैठक में इन राज्यों को सहायता प्रदान करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, गृह सचिव राजीव महर्षि और आवास, वित्त तथा कृषि मंत्रालयों के अधिकारी शामिल थे. समिति ने केंद्रीय दल की रपट के आधार पर प्रस्ताव की जांच की. टीम सूखे से प्रभावित कर्नाटक और बाढ़ पीडि़त पुदुच्‍चेरी व अरुणाचल प्रदेश भेजी गई थी.

अरुणाचल प्रदेश को दी गई 84.33 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता में 18 करोड़ रुपये राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल कार्यक्रम के तहत दिए गए हैं. महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत 10 राज्यों ने अपने यहां कई हिस्सों में सूखा घोषित किया है. इन राज्यों को इस स्थिति से निपटने के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक केंद्रीय सहायता प्रदान की जा चुकी है. पुडुच्‍चेरी दिसंबर 2015 में भारी बारिश से आई बाढ़ से प्रभावित हुआ है. अरुणाचल में भी पिछले साल बाढ़ आई थी.

 

बिहार में भूतों ने भी छोड़ दी दारू

बिहार में शराबबंदी के बाद इंसानों के साथ-साथ अब भूतों ने भी दारू पीना छोड़ दिया है. चौंकिए मत. हंसिए भी नहीं. यह न तो कोई मजाक है और न ही पोंगापंथ को बढ़ावा देने की कोई कवायद है. बिहार में शराबबंदी का असर भूतों पर भी हुआ है. सच में भूतों ने भी दारू से तौबा कर ली है. वह भी शराबबंदी के स्पोर्ट में खड़े हो गए हैं और बगैर दारू के चढ़ावे के ही पोंगापंथियों के जिस्मों से बाहर निकलने लगे हैं.

बिहार के हर गांव में भूत भगाने का खुला खेल सदियों से चलता रहा है. भूत भगाने के काम में जम कर दारू का इस्तेमाल होता है. भूत भगाने वाले ओझा-गुनी खुद भी दारू पीते हैं और भूत को भी दारू पिलाने का दावा करते हैं. भूत भगाने के बहाने ओझा पीडि़तों के परिवार वालों से दारू की कई बोतलें ठगता रहा है. ओझाओं को दावा है कि दारू पिए बगैर भूत भागता नहीं है. किसी भी इंसान के शरीर में अगर भूत-प्रेत घुस जाता है तो उसे भगाने के लिए दारू पिलाना जरूरी है.

हैरत की बात है कि जब से बिहार में शराबबंदी लागू हुई है, तब से भूतों ने बगैर दारू पिए ही इंसानों के शरीर से भागना शुरू कर दिया है. नीतीश कुमार को तो इस बात पर फख्र होना चाहिए कि शराबबंदी के बाद भी कई दारूबाज इंसान चोरी-छुपे शराब पीने की जुगत में लगे हुए हैं, पर भूत उनके आदेश को सौ फीसदी पालन कर रहे हैं. नीतीश के इस फैसले का सम्मान करते हुए भूतों ने दारू से तौबा कर ली है.

पिछले 8 से 15 अप्रैल तक चले चैत्र महीने के नवरात्रा के दौरान राज्य के कई इलाकों में भूतों की शराफत देखने को मिली. नवरात्रा के दौरान जहां-तहां लगने वाले मेलों में भूत झाड़ने का काम कापफी जोर-शोर से चलता रहा है. खास कर गंगा समेत कई नदियों के किनारे भूत भगाने और झाड़ने के नाम पर पोंगापंथ का खुल्मखुल्ला खेल चलता है. सैंकड़ों ओझा कई जगहों पर हवनकुंड बना कर अपनी दुकान लगा कर बैठ जाते हैं. भोले-भाले और अंधविश्वासी गांव वाले किसी भी तरह की बीमारी या बच्चा नहीं होने की समस्या लेकर ओझाओं के पास पहुंचते हैं. ओझा मरीज की पड़ताल करने के बाद कहता है कि उसके शरीर में भूत या प्रेत घुस गया है. भूत भगाने के नाम पर ओझा कई तरह का ड्रामा रचता है. कभी वह नाचने लगता है तो कभी लाठी भांजने लगता है. कभी चिल्लाने लगता है तो कभी अकरम-बकरम बोलने लगता है. उसके बाद ओझा पीडि़त के घरवालों से हवन-पूजा के लिए कई तरह के सामान लाने की लिस्ट थमा देता है. इसके अलावा 8-10  बोतल दारू की भी मांग की जाती है.

आजकल भूत भगाने के नाम पर ओझाओं की ड्रामेबाजी थोड़ी बदल गई है. पटना के कलेक्टेरियट घाट पर लगे भूत भगाने के मजमा में ओझा दारू के बगैर ही भूत भगाने का ड्रामा करता दिखा. जहानाबाद की सुनीता नाम की एक महिला के शरीर में घुसे भूत को भगाने के दौरान ओझा कहता है- ‘देख रहे हैं न भूत महाराज. गंगा सूखी है और गंगा का किनारा भी सूखा है. पिछली बार यहां आए थे तो शराब की धारा बहती थी. पर क्या करें? अब तो पूरा इलाका ही सूखा हुआ है. अब आपको मनाने के लिए क्या करें. सरकार ने कानून ही ऐसा बना दिया है. इस साल तो आपको दारू के बगैर ही संतोष करना पड़ेगा.’

उसके बाद ओझा चीखने-चिल्लाने लगता है. जमीन पर लाठियां पटकने लगता है. कुछ बुदबुदाने लगता है. उसके बाद पीडि़त महिला का बाल पकड़ कर खींचने लगता है. वह चिल्लाता है-‘ भूत महाराज! इस बार आपको दारू का प्रसाद नहीं मिलेगा. दारू के बिना ही आपको इस औरत का शरीर छोड़ना पड़ेगा.’ उसके बाद आंखें बंद कर ओझा कुछ मंतर पढ़ने का ढोंग करता है और फिर जोर से डंडा को जमीन पर पटकता है. इसके बाद वह पीडि़त औरत के परिवार वालों से कहता है कि अब जाइए. सब ठीक हो गया. भूत भाग गया. बहुत दिक्कत हुई. बिना दारू पिए बगैर कहीं भूत जाने का नाम लेता है? दारू के बिना काफी मेहनत करनी पड़ी, तब भूत भागा.

देखा आपने. बिहार में इंसानों से ज्यादा भूत ही शराबबंदी के आदेश को मान रहे हैं. इससे तो यही साबित होता है कि पोंगापंथ की दुकान कभी कमजोर नहीं पड़ती है. ठग और ढ़ोगीबाबा लोगों को ठगने के लिए समय के साथ नए तरीके भी ईजाद कर ही लेता है.

जापान में बढ़ा स्टाइलिश एलईडी स्कर्ट्स का क्रेज

जापान अपने अजीबो गरीब आविष्कारों के लिए काफी पॉप्युलर है. चाहे तकनीक के क्षेत्र में हो या फिर फैशन. यदि फैशन को तकनीक का साथ मिल जाए तो इसका रिजल्ट कुछ अलग हो सकता है. फैशन को मजेदार बनाने के लिए कपड़ों के साथ कई एक्सपेरिमेंट किए जाते हैं, काफी जोड़तोड़ के बाद जाकर ही कुछ अच्छा बनता है.

ऐसा ही कुछ जापान में हो रहा है. जहाँ लड़कियों की शॉर्ट स्कर्ट्स को सजा दिया गया है एलईडी लाइट्स से, हालांकि ये थोड़ी अजीब है लेकिन अब फैशन तो फैशन है. और यह फैशन वहां खूब पसंद भी किया जा रहा है. इन एलईडी स्कर्ट्स को हिकारू स्कर्ट्स का नाम दिया गया है और अभी ये काफी ट्रेंड में हैं.

यह हिकारू स्कर्ट्स जापान के डिज़ाइनर कियोयुकी अमानो ने डिजाईन की है. इन स्कर्ट्स को बनाने में एलईडी लाइट्स का प्रयोग किया गया है. इनमें नीचे अन्दर की ओर एलईडी लाइट्स लगी हैं. फिलहाल इन स्कर्ट्स की कीमत और उपलब्धता की कोई जानकारी नहीं है

हो जाइए तैयार, आ रहा है ग्लास बॉडी वाला iPhone

अब तक जो स्मार्टफोन देखने को मिले हैं, वे मेटल और प्लास्टिक से मिलकर बने होते हैं. लेकिन अमेरिकी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी एप्पल एक ऐसा स्मार्टफोन लेकर आने वाली है, जो पूरी तरह ग्लास से बना होगा.

इस कांसेप्ट को सुनकर ही आपको हैरत हो रही होगी, लेकिन ये पूरी तरह सच है. एप्पल ने इस ग्लास फोन का डिजाइन बना लिया है, जो जल्द ही मार्केट में पेश होने वाला है.

2017 में बाजार में कदम रखने वाले इस iPhone में काफी कुछ अलग होगा. इसमें AMOLED डिसप्ले के साथ-साथ वायरलैस चार्जिंग की भी सुविधा उपलब्ध होगी.

इसकी डिजाईन काफी पतली और हल्की है. इस iPhone का नाम iPhone8 या iPhone7s  रखा जाये इस पर अभी विचार नहीं किया गया है.

युवाओं का वर्तमान और भविष्य नष्ट

मैडिकल कालेजों में सीटों की बिक्री होती है और उन सीटों की भी जो हैं ही नहीं. इस देश में भ्रष्टाचार को इतनी मान्यता मिली हुई है कि आप किसी को भी कहें कि 10 लाख रुपए में कोई न हो सकने वाला काम हो जाएगा, तो वह मान जाएगा. इस मानसिकता का लाभ उठा कर शातिर लोग मैडिकल प्रवेश परीक्षाओं में असफल छात्रों के मातापिता के नामपते मालूम कर उन्हें कहते हैं कि विशेष कोटे वाली सीटें उन्हें एक रकम देने पर मिल सकती हैं. आमतौर पर मैडिकल की पढ़ाई के लालची छात्र इस तरह के झांसे में आ जाते हैं और 50-60 लाख रुपए तक खर्च कर डालते हैं. पुलिस ने जिन मामलों में छानबीन की वहां पता चला कि छात्र और अभिभावक को कालेज तक ले जाया गया, एक औफिस में बैठाया गया. वहां कंप्यूटर पर ऐडमिशन लिस्ट दिखाई गई. नकली कन्फर्मेशन पत्र दिया गया.

मातापिता और छात्र उस समय इतने पगलाए होते हैं कि वे साधारण छानबीन भी नहीं करते, क्योंकि वे जानते हैं कि वे खुद कुछ गलत कर रहे हैं. वे खुद को अपराधी मानते हैं और लुकाछिपी का खेल मिल कर खेलते हैं.

इस तरह की धांधली हर क्षेत्र में हो रही है और इस के लिए जिम्मेदार पूरा समाज है. हमारे यहां शिक्षा का ढांचा ही ऐसा खड़ा किया गया है कि इस में योग्यता, चुनौती, परिश्रम की कीमत कम है और शौर्टकट की ज्यादा. शिक्षा को कमाऊतंत्र बनाया गया है और तकनीकी शिक्षा को खासतौर पर. जो वास्तव में मेधावी हैं उन्हें स्थान मिल ही जाता है इसलिए किसी तरह रेलगाड़ी चल रही है पर सड़कों और रेलों की तरह पूरा अमला गंद और बदबू से दबा है. मैडिकल कालेज में प्रवेश और व्यापम तो नमूना मात्र हैं और केवल हवा में तिनके हैं जबकि हम पूरी रेतीली आंधी में घिरे हैं.

हमारा देश, सरकार व समाज मिल कर युवाओं का वर्तमान और भविष्य दोनों नष्ट कर रहे हैं. हमारे यहां जो शिक्षा दी जा रही है, वह यही बताती है कि कैसे बेईमानी करो. यह भव्य भारत का भव्य भविष्य है. यह जगद्गुरु भारत है. यह ज्ञान का स्रोत है. वाह क्या कहने!

दिल्ली में लांच हुई टीवीएस की कम्प्यूटर बाइक

टीवीएस मोटर्स ने अपनी नई कम्प्यूटर बाइक विक्टर 110सीसी को दिल्ली में कल लॉन्च कर दिया. दिल्ली में इस बाइक की एक्स-शोरूम कीमत 49,490 रुपये रखी गई है. टीवीएस विक्टर के नए अवतार में कई बदलाव किए गए हैं. इस बाइक की डिजाइन और स्टाइलिंग को पूरी तरह से बदल दिया गया है.

टीवीएस विक्टर डुअल ड्रम और ऑप्शनल फ्रंट डिस्क ब्रेक के साथ बाज़ार में उपलब्ध है. बाइक का फ्यूल टैंक 8-लीटर का है और कंपनी का दावा है कि ये बाइक 76 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती है. इसके इंजन को 4-स्पीड गियरबॉक्स से लैस किया गया है. टीवीएस विक्टर को सिंगल क्रेडल ट्यूबलर फ्रेम पर तैयार किया गया है.

इसमें 110सीसी सिंगल सिलिंडर, एयर-कूल्ड इंजन लगाया गया है जो 9.4 बीएचपी का पावर और 9.4Nm का टॉर्क देता है. बाइक का व्हीलबेस 1260mm और ग्राउंड क्लियरेंस 175mm का है. बाइक में टेलिस्कोपिक फ्रंट फोर्क और एडजस्टेबल हाइड्रॉलिक रियर स्प्रिंग लगाया गया है.

टीवीएस विक्टर 6 रंगों में बाज़ार में उपलब्ध होगी. इसका सीधा मुकाबला होंडा लीवो और हीरो पैशन प्रो से है.

आपको याद दिला दें कि टीवीएस विक्टर को सबसे पहले साल 2002 में लॉन्च किया गया था. उस वक्त इस बाइक की काफी डिमांड थी. एक आंकड़े के मुतबिक उस वक्त हर महीने टीवीएस विक्टर के करीब 40,000 यूनिट हर महीने बिकते थे.

फिर से नहीं (भाग-6)

अंतिम किस्त

अब तक आप ने पढ़ा:

प्लाक्षा और विवान में गहराई तक दोस्ती थी. बात शादी तक पहुंचती, इस से पहले ही दोनों का ब्रेकअप हो गया. कुछ साल बाद दोनों की फिर से मुलाकात हुई, जो बढ़ती ही गई. अपनीअपनी शादी रुकवाने के लिए दोनों ने एकदूसरे के घर वालों के सामने नाटक किया और कुछ दिनों तक के लिए शादी रुकवा ली. उधर जिस लड़की साक्षी को विवान ने अपनी मंगेतर बताया था, उसे प्लाक्षा के बचपन के एक दोस्त आदित्य ने भी अपनी मंगेतर बता कर प्लाक्षा की उलझनें बढ़ा दी थीं. उन दोनों को एकसाथ प्लाक्षा ने मौल में भी खरीदारी करते देखा था. पर जब इस बात की जानकारी उस ने विवान को दी तो विवान ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. प्लाक्षा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. जब वह विवान से मिली तो यह सुन कर और भी हैरान रह गई कि यह सब उस ने उसे ही पाने के लिए किया था.

विवान के बारबार झूठ बोलने की वजह से प्लाक्षा का उस से मोहभंग हो चुका था. विवान के बारबार मनाने के बावजूद भी दोबारा जुड़ने और शादी करने को ले कर प्लाक्षा ने साफसाफ मना कर दिया था. आंखों में आंसू लिए विवान वापस लौट गया और फिर कभी उसे फोन नहीं किया.

कुछ दिनों बाद अपने मम्मीपापा की बारबार विवाह करने की जिद पर वह एक लड़के वाले के घर मिलने जाने के लिए तैयार हो गई. एक दिन जब प्लाक्षा अपने मम्मीपापा के साथ लड़के वाले के यहां पहुंची तो उस के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. प्लाक्षा के मम्मीपापा उसे जिस लड़के वाले के यहां ले कर आए थे, वह तो विवान का ही घर था. वहां भी विवान उसे अकेले में कमरे में मिला तो रोरो कर उस की आंखें लाल हो गई थीं. विवान अपने किए पर शर्मिंदा था और बारबार प्लाक्षा से माफी मांग रहा था. प्लाक्षा ने शादी के लिए उस वक्त हां कर दी.

– अब आगे पढ़ें:

मेरेलिए यह सब किसी सपने से कम नहीं था. उस दिन तो अचानक सारा सच सामने आ जाने के कारण कुछ महसूस नहीं कर पा रही थी. लेकिन आज यह सब मुझे अच्छा लग रहा था. आज लग रहा था कि मैं खास हूं. कोई मुझ से इतना प्यार करता है और सब से बड़ी बात यह कि वह और कोई नहीं बल्कि विवान है, जिस से मैं ने अपनी जिंदगी में सब से ज्यादा प्यार किया है. ‘‘थैंक्यू सो मच प्लाक्षा. अब आखिरी और सब से अहम सवाल,’’ एक पल को चुप्पी छा गई. मेरा दिल बहुत जोरजोर से धड़क रहा था, क्योंकि मुझे पता था कि वह क्या पूछने वाला था. वह उस की आंखों में साफ लिखा था. यह पहली बार नहीं था कि वह मुझ से यह पूछने वाला था, लेकिन उस दिन मैं कोई और ही थी. आज विवान के आंसुओं ने मेरा कड़वापन धो दिया था. आज मैं फिर से उस की पहले वाली प्लाक्षा बन गई थी, जो उस के मुंह से प्यार भरे शब्द सुनने को हर पल बेकरार रहती थी. कई दिनों बाद मेरी आंखों में फिर से वही हसरत थी. आखिरकार उस ने खामोशी तोड़ी.

‘‘तुम तो जानती हो प्लाक्षा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. मेरी अब तक की हरकतों से तो शायद तुम्हें समझ आ ही गया होगा,’ विवान मासूमियत से बोला. मैं हंस पड़ी. सच में अब उस की हरकतें याद कर के मुझे हंसी आ रही थी. अब गुस्सा कहीं नहीं था. बस यह लग रहा था कि उस ने जो कुछ भी किया मेरे लिए किया. मुझे यह बताने के लिए किया कि मैं उस के लिए कितनी महत्त्वपूर्ण हूं. उस के एकएक शब्द से मेरे शरीर में अजीब सी लहर दौड़ रही थी.

‘‘पहले शायद मैं तुम्हारे प्यार को समझ नहीं पाया, लेकिन जिस दिन से समझ आया तो जीना दुश्वार हो गया. तुम्हें पाने का जनून सा सवार हो गया. उसी जनून में न जाने क्याक्या कर गया.’’

मैं बस मुसकरा रही थी. वह बोलता जा रहा था और आज मैं बस उसे सुनना चाहती थी.

‘‘तुम ने मुझ से बहुत प्यार किया है प्लाक्षा. उस का हिसाब तो मैं जीवन भर नहीं चुका सकता. बस इतनी कोशिश कर सकता हूं कि हमेशा तुम्हें और तुम्हारे प्यार को पूरी अहमियत दे पाऊं. मैं तुम से प्यार करता हूं प्लाक्षा और हमेशा करता रहूंगा.’’ मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े. लेकिन इस बार ये दुख के नहीं, बल्कि खुशी के थे.

‘‘मैं भी तुम से प्यार करती हूं विवान. मैं ने हमेशा सिर्फ और सिर्फ तुम से ही प्यार किया है और जिंदगी भर करती रहूंगी,’’ मैं उस से लिपट कर रो पड़ी. आज अपने अंदर का सारा जहर निकाल देना चाहती थी. उस की बांहों का एहसास मुझे सुकून दे रहा था. एक यही वह जगह थी जहां मुझे शांति मिल सकती थी. वह हौलेहौले मेरी पीठ सहला रहा था. धीरेधीरे मेरे आंसुओं का सैलाब थमने लगा. आज सालों बाद उस का स्पर्श पा कर लग रहा था जैसे मैं फिर से जी उठी थी.

‘‘प्लाक्षा, क्या तुम मुझ से शादी करोगी?’’ उस ने मुझे बांहों में लिए हुए ही पूछा.

‘‘शादी? मम्मीपापा को तो मैं ने शादी के लिए मना कर दिया था. अब फिर से क्या कहूंगी उन से? वे तो किसी और के साथ मेरी बात चला रहे थे,’’ मैं उस की बांहों से निकल कर हकीकत में आ गई, ‘‘क्योंकि मैं ने उन से कह दिया था कि हमारा ब्रेकअप हो गया है.’’ मेरी बात सुन कर वह परेशान होने के बजाय हंस पड़ा.

फिर बोला, ‘‘अरे हां, एक बात बताना तो मैं भूल ही गया. मैं ने तुम से एक और बात छिपाई है.’’

‘‘क्या?’’ मैं ने संदेह से उस की तरफ देखा.

‘‘मैं तुम्हारे मम्मीपापा से पहले मिल चुका हूं.’’

‘‘हां, मुझे पता है. मेरे साथ ही तो गए थे.’’

मैं उस की बात बीच में ही काट कर बोला, ‘‘उस से भी पहले मैं उन से मिला था, अपने मम्मीपापा के साथ अपनी शादी की बात करने के लिए,’’ वह हलकी मुसकान के साथ डरते हुए मुझे देख रहा था.

‘‘क्या?’’ पिछले कुछ दिनों में क्याक्या कर गया था विवान. और मम्मीपापा ने भी मुझे कुछ नहीं बताया.

‘‘हां बेटा यही है वह लड़का जिसे हम ने तेरे लिए पसंद किया था,’’ मम्मी ने कमरे में दाखिल होते हुए कहा. पापा और विवान के मम्मीपापा भी अंदर आ चुके थे.

‘‘बेटा, पहली बार विवान जब अपने मम्मीपापा के साथ हमारे घर आया तो हमें भी कुछ अटपटा लगा. मैं तो इसे पहले से जानती ही थी, कुछ तुम ने भी इस के बारे में बताया था. इस से बात करने पर पहले तो यह हमें नहीं जंचा. लेकिन खुशी इस बात की थी कि कोई हमारी बेटी से इतना प्यार करता है कि उस के लिए कुछ भी करने को तैयार है. फिर भी हम शंकित तो थे ही. जब तुम ने इसे घर बुलाया तब हम जानते थे कि तुम दोनों नाटक कर रहे हो. उस दिन विवान की बातें सुन कर यकीन हो गया कि वह तुम से कितना प्यार करता है.’’

कितना कुछ हो रहा था मेरी पीठपीछे और मुझे कोई खबर ही नहीं थी. बड़ी होशियार समझती थी खुद को. मगर आज इन सब ने मिल कर कितनी सफाई से मुझे बेवकूफ बना दिया था.

‘‘लेकिन हमारे लिए यह जानना ज्यादा जरूरी था कि तुम्हारे मन में क्या है. मैं ने कई बार तुम्हारे मन को टटोलने की कोशिश की और हर बार यही पाया कि तुम विवान से अपने प्यार को दबाती रही हो.’’ मां मेरे पास आ कर बैठ गईं और मेरा सिर सहलाने लगीं. फिर बोलीं, ‘‘जब तुम ने ब्रेकअप की खबर सुनाई तो मैं घबरा ही गई थी. मैं ने उसी वक्त विवान को फोन लगाया, तो उस ने बताया कि तुम ने साक्षी को देख लिया है. उसे मैं ने हमारे दिल्ली आने के प्लान के बारे में बताया और आगे कुछ भी करने को मना कर दिया. मुझे लगा कि तुम दोनों की आमनेसामने अच्छे से बात कराने से ही सब कुछ ठीक होगा. लेकिन फिर तुम ने साक्षी और आदित्य को साथ देख लिया जिस से मामला और बिगड़ गया.

‘‘विवान तो बिलकुल हिम्मत हार चुका था लेकिन हम ने प्लान में कोई बदलाव नहीं किया. यहां आ कर तुम्हें देखा तो यह भी विश्वास हो गया कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं सही है. हम जानते थे कि तुम दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते हो. बस कुछ गलतफहमियां और अहं ही बीच में आ रहा है. जब आमनेसामने बैठ कर एकदूसरे की दिल की बात सुनोगे तो सब ठीक हो जाएगा.’’

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया करूं. सब को सब कुछ पता था, एक मैं ही इन सारी बातों से अनजान थी. सब मेरी तरफ देख कर मुसकरा रहे थे. विवान माफी मांगने के अदांज में मेरी तरफ देख रहा था. मैं कुछ कहूं उस से पहले ही पापा बोल पड़े, ‘‘तुझे जितना गुस्सा आ रहा है उसे इस विवान पर निकालना. यही मुजरिम है तेरा. हम बस तुम्हें खुशी देना चाहते थे. इसी ने हमें झूठ बोलने पर मजबूर किया. अब जी भर के इस की पिटाई करो,’’ सब हंस पड़े साथ में मैं भी. विवान के मम्मीपापा ने भी उन का साथ देते हुए कहा, ‘‘हमारी बातों का कुछ बुरा लगा हो, तो माफ कर देना बेटा. हम तो बस इस के कहे अनुसार चल रहे थे. यही तुम्हारा गुनहगार है. अब तुम ही इस से निबटो,’’ इतना कह कर वे सब बाहर चले गए. एक बार फिर हम दोनों अकेले थे. विवान मेरे पास आ कर बैठ गया. टेबल से अंगूठी उठा कर मेरे सामने कर दी और बोला, ‘‘अब तो हां कर दो या अब भी कोई ऐतराज है?’’

मैं ने हामी में सिर हिलाया, ‘‘अब क्या, अब तो सब कुछ साफ हो गया न? अब क्या बचा है?’’ वह फिर से नर्वस दिखने लगा.

‘‘वादा करो अब कभी मुझे परेशान नहीं करोगे, झूठ नहीं बोलोगे और…’’ मैं ने गंभीरता से कहा.

‘‘और?’’ उस ने पूछा.

‘‘और रोज मुझे दिन में कम से कम एक बार ‘आई लव यू’ कहोगे. कभी गुस्सा हुए तब भी,’’ मैं ने मुसकरा कर कहा.

‘‘पक्का,’’ कह कर उस ने मुझे सीने से लगा लिया. अब मुझे कोई डर नहीं था. उस की आंखें, उस का स्पर्श, उस की खुशी सब कुछ एक ही बात कह रहे थे कि वह अब कभी मेरा दिल नहीं दुखाएगा. उस की बांहों का घेरा यही सुकून दे रहा था कि अब फिर से मुझे कभी प्यार के लिए तरसना नहीं पड़ेगा.                       

आखिर क्या है सानिया के लिए ‘सेक्सी’ का मतलब!

महिला टेनिस की स्टार सानिया मिर्जा जितना अपने खेल के लिए सुर्खियों में रहती हैं उतना ही अपनी खूबसूरती के लिए खबरों में बनी रहती हैं. सानिया ने मैदान के बाहर में भी कई बार अपने बयानों से लोगों को हैरान किया है. दुनिया की नंबर एक महिला युगल टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा इस बार फिर अपने बेबाक टिप्‍पणी को लेकर सुर्खियों में हैं.

इस बार सानिया ने एक बयान देकर सेक्सी शब्द की परिभाषा ही बदल कर रख दी है. सानिया मिर्जा ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया कि उनके अनुसार ‘सेक्सी’ शब्द को मतलब क्या है. सानिया ने सेक्‍सी शब्‍द का मतलब बताते हुए कहा, मेरे अनुसार सेक्‍सी का मतलब ‘महिला को मजबूत होना होता है न की स्लिम और आकर्षक दिखना’.

सानिया ने कहा, मेरी पहचान टेनिस से है. मेरे लिए पहले टेनिस है उसके बाद कुछ और. उन्‍होंने यह भी कहा कि दुनिया में आज मैं टेनिस के कारण पहचानी जाती हूं न की अपने ग्‍लैमर के कारण. सानिया ने कहा, अगर मेरे पास टेनिस नहीं तो मेरे पास कुछ भी नहीं है. मैं समझती हूं कि अगर मैं अच्‍छी टेनिस नहीं खेलूंगी तो कोई मेरी तस्‍वीर नहीं लेना चाहेगा.

सानिया मिर्जा ने अपनी सफलता के श्रेय अपने फिटनेस की दिया. उन्‍होंने कहा, टेनिस खेलने के लिए अच्छी फिटनेस का होना बहुत जरुरी है. मैं अपने फिटनेस को बनाये रखने के लिए खासा मेहनत करती हूं.

BCCI ने क्यों माफ किया 280 करोड़ का हर्जाना

अपने क्रिकेट बोर्ड से विवाद के चलते पिछले साल अक्टूबर में वेस्ट इंडीज की क्रिकेट टीम भारत के दौरे को बीच में ही छोड़कर घर लौट गई थी. इस दौरे पर उन्हें 5 वनडे मुकाबले, 1 टी-20 मैच और तीन टेस्ट मैच खेलने थे, लेकिन कैरेबियाई टीम पहले चार वनडे मैच खेलकर ही अपने देश लौट गई थी.

बीसीसीआई ने थमाया था 280 करोड़ का बिल

बीसीसीआई ने दौरे को रद्द होने पर बेहद चिंता चताई थी. इतना ही नहीं हर्जाने के रूप में बीसीसीआई ने वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड पर 280 करोड़ रुपयों का बिल थमा दिया था. उस वक्त बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन थे, लेकिन जैसे ही बीसीसीआई में सत्ता परिवर्तन हुआ, वैसे ही इस मामले को नए ढंग से सुलझाने की कोशिश हुई और अब उसका असर भी देखने को मिला है.

शशांक मनोहर का बयान

नए अध्यक्ष शशांक मनोहर ने बयान दिया है कि अब बीसीसीआई वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड से हर्जाना नहीं मांगेगी क्योंकि वेस्ट इंडीज़ ने भारत के दौरे पर आकर पुराने दौरे को पूरा करने की हामी भर ली है.

मैच पूरे करेगी वेस्ट इंडीज की टीम

साल 2017 में वेस्ट इंडीज़ की टीम भारत के दौरे पर आएगी और जो मैच पूरे नहीं हो पाए उन्हें पूरा करेगी. उससे पहले भारत की टीम इसी साल वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर जाएगी. दोनों बोर्ड दौरे की अंतिम रूपरेखा जल्द ही फ़ाइनल कर देंगे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें