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रिलीज से 17 दिन पहले लीक हुई ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’

‘‘उड़ता पंजाब’’ सिनेमाघरों में पहुंचने के दो दिन पहले इंटरनेट पर आ गयी थी. अब उसी तर्ज पर मशहूर फिल्मकार इंद्र कुमार की सेक्स कॉमेडी फिल्म ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ भी इंटरनेट पर लीक हो गयी. यानी कि फिल्म पायरेसी पर अंकुश लगाने के सारे उपाय असफल साबित हो रहे हैं. रितेश देशमुख, विवेक ओबराय और आफताब शिवदसानी के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ 22 जुलाई को सिनेमाघरो में पहुंचने वाली थी, लेकिन उससे 17 दिन पहले ही पांच जुलाई को इंटरनेट पर इस फिल्म के लीक हो जाने से फिल्मकार इंद्र कुमार की तो लुटिया ही डूब गयी.

मजेदार बात यह है कि फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ के सिनेमाघर में रिलीज होने से दो दिन पहले इंटरनेट पर लीक होने पर काफी हंगामा मचा था. इस सिलसिले में साइबर सेल ने एक वेबसाइट के अधिकारी को गिरफ्तार भी किया. पर ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ के 17 दिन पहले ही इंटरनेट पर आ जाने से सभी हैरान हैं. फिल्मकार इंद्र कुमार की भी समझ में नही आ रहा है कि वह क्या कहें?

‘‘उड़ता पंजाब’’ और ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ के बीच एक समानता एकता कपूर हैं. एकता कपूर ने ‘उड़ता पंजाब’ का निर्माण ‘फैटम’ के साथ मिलकर किया था. जबकि एकता कपूर ने ही ‘‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ का निर्माण इंद्र कुमार के साथ मिलकर किया है. दूसरी समानता यह है कि ‘उड़ता पंजाब’ की ही तरह ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ फिल्म जो इंटरनेट पर लीक हुई है, उस पर ‘‘सेंसर कॉपी’’ मार्क लगा हुआ है.

अब ऐप से बनेंगे आपसी रिश्ते बेहतर!

आप अपने खतों के जवाब खुद ही लिखते हैं न? और घर-दफ्तर के ई-मेल्स. पक्का आप ही लिखते होंगे. दोस्तों से चैट करते वक्त भी खुद ही बातें कहते होंगे आप! है न? कई बार अपने लिखे खत में ही बाद में कमी महसूस हुई होगी. या फिर जो ई-मेल आपने भेजा, उसके बारे में आपने सोचा होगा कि कुछ कसर रह गई.

काश! कोई बता पाता कि इसे और बेहतर कैसे बनाया जा सकता था. करीबी दोस्तों से बातचीत में भी कई बार तनातनी हो जाती है. जिसके बाद लोग सोचते हैं कि काश! अपनी बात को वो और बेहतर ढंग से रख पाते तो ये बेवजह का तनाव न होता, रिश्तों में.

अगर हम आपको कहें कि इस काम में आपकी मदद के लिए ऐप बनाए जा रहे हैं, तो शायद आप यकीन न करें. मगर है ये पूरी तरह सच्ची बात. चिट्ठी लिखने में, ई-मेल लिखने में, सोशल साइट्स पर बात करने में खुद को कमतर पाने वाले लोगों को ये जानकर खुशी होगी, कि ऐसे ऐप बनाने की कोशिशें हो रही हैं जो आपकी तरफ से जवाबी ई-मेल लिखेगा.

आपके लिखे ई-मेल को बेहतर बनाने की सलाह देगा. अपनी गर्लफ्रैंड या ब्वॉयफ्रैंड से चैट करने में भी आपकी मदद करेगा.

तो क्या आप ऐसे किसी ऐप की मदद से मेल लिखना पसंद करेंगे? क्या आप किसी ऐप को ये हक देंगे कि वो आपको ये बताए कि किस दोस्त से ताल्लुक बेहतर करने की जरूरत है और किससे दूरी बनाने की? या फिर जब आप डेट पर जाएं तो ये ऐप बताए कि आप क्या बातें करें?

इमोशनल लेबर

इन्हीं सवालों के जवाब तलाशते हुए जोआन मैक्नील ने जी-मेल के साथ एक प्लगइन फीचर डेवलप कर डाला. इसका नाम है 'इमोशनल लेबर'. ये आपकी मेल चेक करता है. इसके बाद ये आपकी मेल को अपने तरीके से हेर-फेर करके, बेहतर बनाने की कोशिश करता है.

मैक्नील ने जब 'इमोशनल लेबर' ऑनलाइन बाजार में पेश किया, तो लोगों ने इसमें जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई. वो कहती हैं कि उन्हें खुद के बारे में ही लगता था कि दोस्तों को और दफ्तर के साथियों को मेल लिखने का काम उन्हें नहीं आता.

लेकिन जिस तरह लोगों ने 'इमोशनल लेबर' को हाथो-हाथ लिया, उससे पता चला कि दुनिया में बहुत से लोगों को ऐसे ऐप की जरूरत है, जो उन्हें ई-खत लिखना सिखाए. जैसे कि किसी बीमार साथी को ई-मेल लिखा जाए तो उसमें हमदर्दी का भाव साफ झलके.

मैक्नील कहती हैं कि हमदर्दी जताने के लिए गिने चुने लफ्ज ही हैं. ऐसे में 'इमोशनल लेबर' में लोगों की जबरदस्त दिलचस्पी थी. हालांकि वो मानती हैं कि अब लोग ऐसे ऐप के लिए तैयार हैं जो उनकी निजी बातचीत में दखल दे, उनकी मदद करे. ताकि वो सामने वाले से बेहतर ढंग से पेश आएं.

स्मार्टफोन के लिए 'क्राउडपायलट' नाम से एक ऐप बनाया है

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर लॉरेन मैकार्थी भी जोआन मैक्नील की ही तरह ऐसे ऐप को डेवलप कर रही हैं. उन्होंने स्मार्टफोन के लिए 'क्राउडपायलट' नाम से एक ऐप बनाया है, जो सिर्फ तजुर्बा करने के इरादे से बाजार में उतारा गया था.

'क्राउडपायलट' ऐप आपको किसी डेट पर जाने में मदद कर सकता है. डेट के दौरान क्या बात कहनी है और क्या नहीं कहनी, ये भी इस ऐप की मदद से जाना जा सकता है. असल में जब आप डेट पर गए होते हैं तो इस ऐप के जरिए कुछ लोग आपकी और आपके साथी की बातें सुन रहे होते हैं.

फिर वो इसी ऐप के जरिए आपको बताते हैं कि आपका बर्ताव कैसा है और आपको आगे क्या कहना और करना चाहिए. इस ऐप से आपके दोस्त भी जुड़े होते हैं और साथ ही कुछ ऐसे लोग भी जो आप से पूरी तरह अनजान होते हैं.

मैकार्थी कहती हैं कि तकनीक ने इंसान की जिंदगी को कई मायनों में बेहतर बनाया है. तो संवाद के मोर्चे पर ही उसका इस्तेमाल क्यों न किया जाए.

''यूएस प्लस'' नाम का ऐप भी बनाया है

मैकार्थी ने अपनी दोस्त काइल मैक्डोनाल्ड के साथ मिलकर ''यूएस प्लस'' नाम का ऐप भी बनाया है. ये वीडियो चैटिंग के दौरान आपकी मदद करता है. वो सामने वाले का चेहरा पढ़कर बताता है कि जिससे आप बात कर रहे हैं वो खुश है या दुखी.

ये ऐप आपकी बातचीत सुनकर आपको बताता है कि आप सही तरीके से बात कर रहे हैं या उसमें सुधार की जरूरत है. कहीं आप कुछ ज्यादा जोश में तो नहीं हैं. या फिर, कहीं आपकी बातों से बोरियत तो नहीं झलक रही है. अगर सामने वाला मुसीबत में है तो आप उससे सही तरीके से हमदर्दी जता पा रहे हैं या नहीं.

मैकार्थी और मैक्डोनाल्ड ने एक वीडियो के जरिए इस ऐप के इस्तेमाल का तरीका बताया है. वो बताती हैं कि उनके ऐप को लेकर लोगों ने जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई है.

पीपलकेपीआर

मैकार्थी और मैक्डोनाल्ड ने मिलकर एक और ऐप तैयार किया है. इसका नाम ''पीपलकेपीआर'' है. ये आपके स्मार्टफोन के जीपीएस डेटा और आपकी कलाई में बंधे वियरेबल, जैसे एपल वाच की मदद से आपके ताल्लुकात बेहतर करने में मदद करता है.

ये ऐप बताता है कि किस दोस्त से आपको अपने संबंध और बेहतर बनाने चाहिए.

ये आपके दोस्तों के बारे में सलाह देता है. ये ऐप बताता है कि किस दोस्त से आपको अपने संबंध और बेहतर बनाने चाहिए और किससे दूर ही रहें तो अच्छा. ऐसे लोगों के नंबर और ई-मेल आईडी भी ये ऐप आपके फोन से हटा देगा, जो आपको बोर करते हैं या गुस्सा दिलाते हैं.

जब मैकार्थी और मैक्डोनाल्ड ने ये ऐप ऑनलाइन उतारा तो जबरदस्त बहस छिड़ गई. कई लोगों ने इसे तकनीक का इंसान की जिंदगी में कुछ ज्यादा ही दखल बताया. तो कई लोगों को ये ऐप बहुत पसंद आया. कई कंपनियों ने इस ऐप को और बेहतर बनाने और बाजार में उतारने के लिए पैसा लगाने की बात भी कही.

वहीं युवा पीढ़ी को नई तकनीक, नए ऐप्स आजमाने में कोई हिचक नहीं आई. वो ऐसे ऐप्स इस्तेमाल करने को तैयार हैं जो ई-मेल लिखने में, डेट पर बतियाने में, दोस्तों से रिश्ते सुधारने में मदद कर सकें. इस तरह के कुछ ऐप बाजार में आ चुके हैं. जैसे- 'क्रिस्टलनोज'.

ये ऐप आपके लिंक्डइन अकाउंट को बेहतर बनाने के नुस्खे बताता है. और कारोबारी साथियों से रिश्ते बेहतर करने के तरीके भी बताता है. लेकिन मैक्नील कहती हैं कि उन्होंने किसी को भी नियमित रूप से 'क्रिस्टलनोज' ऐप इस्तेमाल करते नहीं देखा.

किसानों के आ गए ‘अच्छे दिन’

किसानों को चालू वित्त वर्ष में 3 लाख रुपए तक का लघु अवधि फसल लोन 7 फीसद की घटी ब्याज दर पर मिलेगा. सरकार ने 2 फीसद ब्याज सहायता योजना को मंजूरी दे दी है जिसके बाद किसानों को घटी हुई ब्याज दरों पर कृषि लोन मिलेगा.

इसके अलावा जो किसान कर्ज का भुगतान समय पर करेंगे उन्हें और सस्ती दर यानी 4 फीसद ब्याज पर कर्ज मिलेगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर ब्याज सहायता योजना के तहत किसानों को 3 लाख रुपए का 1 साल की अवधि का कर्ज 7 फीसद ब्याज पर मिलेगा. मंत्रिमंडल ने उन किसानों को 3 फीसद की अतिरिक्त ब्याज सहायता देने की मंजूरी दी है जो अपना कर्ज समय पर चुकाएंगे.

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद रविशंकर प्रसाद ने बताया था कि ब्याज सहायता योजना उन सभी किसानों के लिए होगी, जो 3 लाख रुपए का छोटी अवधि का 1 साल का कर्ज लेंगे. सरकार ने बैंकों के लिए चालू वित्त वर्ष में कृषि कर्ज का लक्ष्य 9 लाख करोड़ रुपए रखा है. 2015-16 में यह 8.5 लाख करोड़ रुपए था.

किसानों पर कर्ज भुगतान का बोझ कम करने के लिए सरकार ने 2016-17 के बजट अनुमान में ब्याज सहायता के रूप में 15,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. ब्याज सहायता योजना का क्रियान्वयन पहले वित्त मंत्रालय करता था. इस साल से इसे कृषि मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया है.

विंबलडन: सेरेना और वीनस सेमीफाइनल में

सर्वोच्च विश्व वरीयता प्राप्त अमेरिकी टेनिस स्टार सेरेना विलियम्स और उनकी बड़ी बहन वीनस विलियम्स ने मंगलवार को वर्ष के तीसरे ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट विंबलडन के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया. सेरेना ने जहां करियर में 10वीं बार विंबलडन के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया है, वहीं वीनस का विंबलडन में यह नौवां सेमीफाइनल होगा.

उनके अलावा चौथी वरीय जर्मनी की एंजेलिक केर्बर और रूस की एलेना वेस्निना ने भी सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया. छह बार की मौजूदा चैंपियन सेरेना को सेंटर कोर्ट पर खेले गए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में अपनी प्रतिद्वंद्वी 21वीं वरीय रूस की एनस्तासिया पावल्युनचेवकोवा को हराने में मात्र एक घंटा 13 मिनट लगे.

सेरेना ने पावल्युनचेवकोवा को सीधे सेटों में 6-4, 6-4 से मात दी. सेरेना की ग्रैंड स्लैम मैचों में यह 302वीं जीत है. 21 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुकीं सेरेना को अब सेमीफाइनल में 50वीं वरीय रूस की ही एलेना वेसनिना से भिड़ना होगा.

सेरेना को इस साल अपने पहले ग्रैंड स्लैम का इंतजार है. इस साल फ्रेंच ओपन में उन्हें स्पेन की गारबाइन मुगुरुजा ने फाइनल में हराया था. साल के पहले ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन में भी वह अपना खिताब नहीं बचा पाईं थी और जर्मनी की ऐंजेलिक केर्बर के हाथों खिताबी मुकाबला गंवा बैठीं.

दोनों विलियम्स बहनें यदि अपना-अपना सेमीफाइनल मुकाबला जीतती हैं तो दोनों विंबलडन के फाइनल में वे पांचवीं बार आमने-सामने होंगी. वीनस 2009 में आखिरी बार विंबलडन के फाइनल में पहुंची थीं और वह ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिताओं में आखिरी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी था. उसके बाद से वीनस एक भी ग्रैंड स्लैम खिताब नहीं जीत पाई हैं.

वहीं मिक्सड डबल्स प्रतियोगिता में सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना को अपने-अपने जोड़ीदारों के साथ हार का सामना करना पड़ा है. सानिया अब केवल महिला युगल में चुनौती पेश करेगी, जिसमें उन्होंने अपनी स्विस जोड़ीदार मार्टिना हिंगिस के साथ क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है. वहीं बोपन्ना और ऑस्ट्रेलिया की उनकी जोड़ीदार एनस्तेसिया रोडियानोवा की जोड़ी तीसरे दौर में पहुंचने में सफल रही लेकिन उससे आगे नहीं बढ़ पाई.

ड्रेसिंग रूम में दिखे इंडियन वैल्यूज: कुंबले

टीम इंडिया के नए हेड अनिल कुंबले ने कहा है कि ड्रेसिंग रूम में भारतीयता यानी इंडियननेस नजर आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि टीम के मेंबर्स खुद को एक बड़े परिवार का हिस्सा समझें और सीनियर्स को रिस्पेक्ट दें. हालांकि, कुंबले ने ये भी साफ किया कि इसका मतलब ये नहीं है कि सिर्फ ऑर्डर्स फॉलो कराए जाएंगे. उनके मुताबिक, हर प्लेयर को अपने विचार रखने की आजादी होगी.  

एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कुंबले ने कई अहम सवालों के जवाब दिए. कोचिंग का जॉब चुनने के सवाल पर जंबो के नाम से मशहूर इस लेग स्पिनर ने कहा कि इसका विचार मुझे इस साल यूरोप में छुट्टियां बिताने के दौरान आया था. वाइफ ने भी मेरा समर्थन किया. अगर वाइफ और बच्चे समर्थन नहीं करते तो इस काम को हाथ में लेना आसान नहीं होता.

अनिल ने माना कि कोच और प्लेयर में बहुत फर्क होता है. उन्होंने ये भी कहा कि वो आरसीबी और मुंबई इंडियन्स के साथ काम कर चुके हैं. इसलिए उन्हें काफी जानकारी है. एक कोच को प्लेयर्स के साथ फ्रेंडली रहना और उनके बीच दोस्ती बनाए रखना बहुत जरूरी है. सही प्लानिंग बहुत जरूरी है.

जॉन राइट से इन्सपायर्ड

टेस्ट की एक पारी में पूरे 10 विकेट ले चुके इस लेग स्पिनर के मुताबिक, वो जॉन राइट की कोचिंग स्टाइल को बहुत पसंद करते हैं. उनके पास नए आइडियाज होते थे. वो नेट्स पर भी पूरी तैयारी के साथ पहुंचते थे. फील्डिंग और बॉलिंग ग्रुप बनाकर प्रैक्टिस कराना उनकी खूबी थी. इसके अलावा वो कभी अपने आइडियाज प्लेयर्स पर थोपते नहीं थे.

कुंबले से जब ये पूछा गया कि वो कैसी टीम बनाना चाहते हैं तो उन्होंने कहा- "मैं ऐसी टीम चाहता हूं जिसमें भारतीयता नजर आए. उसमें हमारा कल्चर होना चाहिए. सीनियर्स की रिस्पेक्ट हो. साथ ही, हर किसी को अपनी बात खुले तौर पर कहने की छूट हो. मैं स्कूल मास्टर की तरह टीम को नहीं चलाना चाहता."

कुंबले ने स्लेजिंग को गलत नहीं माना, लेकिन ये भी कहा कि इसमें सभ्यता होनी चाहिए.

अब स्मार्टफोन के प्राइस में एलईडी टीवी

सबसे सस्ते स्मार्टफोन को लेकर सुर्खियों में आई कंपनी रिंगिंग बेल्स एक और धमाकेदार प्रोडक्ट लॉन्च करने की तैयारी कर रही है. नोएडा बेस्ड कंपनी रिंगिंग बेल्स ने 10 हजार रुपए से कम कीमत में 32 इंच डिस्प्ले वाली टीवी लाने का ऐलान किया है.

कंपनी के मुताबिक ये टीवी 7 जुलाई को लॉन्च की जाएगी. कंपनी का कहना है कि भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रोनिक्स बाजार में इस टीवी की कीमत एक क्रांति होगी.

पिछले दिनों 251 रुपए वाले स्मार्टफोन के लेकर कंपनी को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. कस्टमर्स को धोखा देने के आरोप में कंपनी पर कई एफआईआर भी कराए जा चुके हैं.

इस पूरे मामले पर रिंगिंग बेल्स के सीईओ मोहित गोयल का कहना था कि हम कस्टमर्स से किया अपना वादा निभाएंगे. हम 2 लाख 'फ्रीडम 251' हैंडसेट्स बनाने के करीब पहुंच चुके हैं. जिसकी डिलिवरी 30 जून से शुरू कर दी जाएगी. गोयल ने कहा कि एक बार डिलिवरी पूरी हो जाने के बाद हम फिर से स्मार्टफोन के लिए रजिसट्रेशन शुरू करेंगे.

गोयल ने कहा कि हमारे प्रोडक्ट्स पूरी तरह से मेड इन इंडिया होंगे. जिसे हम हरिद्वार के एक प्लांट में बनाएंगे .हर महीने करीब 2 लाख यूनिट्स बेचने के लक्ष्य लेकर हम आगे बढ़ेगे.

बात करें टीवी की तो ये जुलाई के पहले हफ्ते तक बाजार में आ सकती है ऐसा कंपनी का कहना है.

कंपनी ने बताया कि उसका नाम भी ‘फ्रिडम’ रखा जाएगा. कंपनी ने कहा है कि जहां इस साइज के बाकी टीवी 13,000 रुपए से शुरू होती हैं, वहीं उनका टीवी 10,000 से भी कम में मिलेगी.

इन्हें भी आजमाइए

– फुट कौर्न को ठीक करने के लिए कच्चे पपीते का छोटा सा टुकड़ा घिस कर उस का जूस निकाल लें. रुई को उस में डुबो कर कौर्न पर रखें और बैंडेज लगा दें. रातभर ऐसे छोड़ने के बाद सुबह बैंडेज हटा कर प्यूमिक स्टोन से रगड़ लें. ऐसा रोजाना करें.

– पिसे हुए मसालों की अपेक्षा खड़े मसालों को स्टोर करें. जरूरत के हिसाब से उन्हें पीसते रहें. खड़े मसाले इतनी जल्दी खराब नहीं होते जितनी जल्दी पिसे हुए मसाले. साथ ही, ताजे पिसे मसालों का जायका भी लाजवाब होता है.

– पुरुषों को ज्यादा पसीना आता है इसीलिए नहाने के लिए बैक्टीरियारोधी साबुन का प्रयोग करें. इस से शरीर के बैक्टीरिया मर जाते हैं और पसीना कम बनने से शरीर से बदबू नहीं आती है.

– कौकरोच से छुटकारा पाने के लिए 3 भाग बोरेक्स में 1 भाग चीनी मिलाएं तथा जहां कौकरोच दिखाई देते हैं वहां इस का छिड़काव कर दें. इस से कुछ ही घंटों में कौकरोच भाग जाएंगे.

– अपने घर को एक अलग रूप देने के लिए अजीब, अपरंपरागत और अनोखी चीजें खरीदें. विभिन्न प्रकार के रंगों और आकारों का उपयोग करें.

– संतरे के छिलकों का पाउडर और दूध का पेस्ट बना कर आंखों के नीचे लगाएं, इस से आंखों के नीचे के काले धब्बे और सूजन ठीक हो जाएगी

जीवन की मुसकान

मम्मी से मिलने मैं घर गई. दोपहर का समय था. मम्मी से बात करतेकरते कुछ ही समय हुआ, मम्मी ने कहा कि रानी (मुझे घर में रानी कह कर पुकारते हैं), मेरा सिर दुख रहा है और घबराहट भी हो रही है. मैं मम्मी को तुरंत अपने फैमिली डाक्टर के क्लीनिक ले गई. उन्होंने चैकअप कर के कहा कि इन्हें तुरंत अस्पताल ले जाओ. मैं मम्मी को अस्पताल ले गई. रास्ते में मैं ने पति को फोन कर के कहा कि मैं मम्मी को अस्पताल ले जा रही हूं. तुम बड़ी बहन मधु व पापा को खबर कर देना. वे दोनों विदेश में थे. डाक्टरों ने मम्मी का चैकअप किया और कहा, ‘हम कोशिश करते हैं.’ मम्मी बेहोश हो गई थीं. डाक्टरों ने कहा कि अगर 1 घंटे में होश आ गया तो वे बच सकती हैं वरना…’ मैं घबरा गई.

मेरे भैयाभाभी और मामामामी भी अस्पताल आ गए थे. सब का रोरो कर बुरा हाल था. डाक्टरों के कठिन प्रयास से मम्मी होश में आ गईं. बाद में मम्मी को प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया गया. दूसरे दिन बड़ी बहन व पापा भी विदेश से आ गए. सब को एकसाथ देख कर मम्मी के चेहरे पर थोड़ी सी मुसकान आ गई. तब पापा ने मम्मी के पास जा कर कहा, ‘‘महारानी, (पापा मम्मी को प्यार से महारानी कहते हैं), तुम ने तो कहा था कि हम दोनों शादी के पूरे 50 वर्ष मनाएंगे और तुम इतनी जल्दी, 47 वर्ष में ही, जा रही थी.’’ तब मम्मी की हंसी निकल गई. मम्मी को हंसता देख हम सभी लोगों के चेहरे खुशी से चमक उठे. आज मम्मी पूरी तरह स्वस्थ हैं.

– मीना चौहान, इंदौर (म.प्र.)

*

मैं कालेज में बैठा मोबाइल पर बात कर रहा था. मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी पैंट की पिछली जेब से मेरा पर्स निकल गया. मैं फोन पर बात करता हुआ घर के लिए निकल गया. कुछ दूर जाने पर अचानक मुझे लगा कि मेरा पर्स जेब में नहीं है. मेरे होश उड़ गए क्योंकि पर्स में पैसों के साथसाथ बसपास, आधारकार्ड, वोटर आईडी कार्ड आदि भी थे.

मैं तेज कदमों से वापस कालेज की तरफ भागा. वहां जा कर देखा तो एक लड़का मेरा पर्स हाथ में लिए बैठा था. मैं ने उस से कहा, ‘‘यह मेरा पर्स है.’’ उस ने पर्स में रखा मेरा फोटो देखा और बोला, ‘‘लो भाई, अगर आप नहीं आते तो मैं इसे फैकल्टी में जमा करा देता.’’ मै  ने तहेदिल से उसे शुक्रिया कहा और मन ही मन अपने कालेज के छात्रों के प्रति गर्व महसूस किया. लेकिन उस दिन के बाद से पर्स में महत्त्वपूर्ण चीजें न रखने का प्रण भी लिया. 

– समीर यूसुफ

चांदी के चमचे

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने भी अपना नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चमचों वाली लिस्ट में बाफख्र दर्ज करवा दिया है. अब उन की निष्ठा पर कोई संदेह नहीं करेगा. इतना ही नहीं, लोग इसे सिर्फ चमचागीरी ही समझें, इस के लिए उन्होंने यह खुलासा भी बड़े रहस्यमय अंदाज में किया कि विवादित और चर्चित फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में आम आदमी पार्टी का पैसा लगा है. आमतौर पर बोर्ड का किसी फिल्म को सर्टिफिकेट देने, न देने का कोई ऐसा नियम या पैमाना नहीं है कि फिल्म में किस का पैसा लगा है लेकिन पहलाज ने गजब की जासूसी करते यह बात, अपनी कुरसी बचाए रखने के लिए, कह डाली जिस का कोई अर्थ, महत्त्व या औचित्य ही नहीं था. यह जरूर कहा जा सकता है कि मोदी का चमचा बनने के लिए उन्होंने प्रवेश परीक्षा पास कर ली है. भाजपा चाहे तो अब एक और प्रकोष्ठ बना सकती है पीएम चमचा प्रकोष्ठ जिस का मुखिया अभिनेता अनुपम खेर को बना दिया जाए. और इस चमचा प्रकोष्ठ के द्वार सभी के लिए खोल दिए जाएं तो 1-2 साल में यह प्रकोष्ठ गांवगांव में दिखने लगेगा.

टैक्स माफी या दक्षिणा

मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद की डेढ़ करोड़ रुपए की कीमत वाली लग्जरी गाड़ी के 12 लाख रुपए के टैक्स को माफ कर दिया गया तो कुछ मंत्रियों ने इस फैसले पर एतराज जताया, क्योंकि ये शंकराचार्य आएदिन भाजपा की आलोचना करते रहते हैं और कांग्रेसी खेमे में शुमार किए जाते हैं. खासतौर से भाजपा के इन दिनों उमड़ रहे दलित प्रेम को राजनीतिक चाल कहने का कोई मौका वे चूकते नहीं. उन्हें खामोश रखने के लिए शिवराज सिंह ने टैक्स माफी वाला प्रस्ताव पारित करा लिया हो तो बात कतई हैरत की नहीं. लेकिन लोगों को हैरानी इस बात की है कि जो धर्मगुरु अरबों की जायदाद का मालिक है और करोड़ों की गाड़ी में घूमता है वह उस का टैक्स क्यों नहीं भर सकता? सरकार का पंडेपुजारियों को प्रसन्न रखने का यह कौन सा तरीका है कि वह जनता का पैसा यों ही उन पर लुटाए? 

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