Download App

रजत पथ

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग हो कर एक नई पार्टी बना ली है जिस के कोई खास माने नहीं हैं. खुद के कांग्रेसमुक्त होने के बाद उन्होंने जो वादे छत्तीसगढ़ की जनता से किए वे बड़े दिलचस्प और चौंका देने वाले भी हैं. इन में से एक यह भी है अगर उन्हें दोबारा सेवा का मौका मिला तो वे पूरे छत्तीसगढ़ में चांदी की सड़कें बनवा देंगे. बात मानव कल्पना से परे है लेकिन शायद यह सोचते की गई है कि सूबे के बेचारे अधिकांश आदिवासी नंगेपांव चलते हैं. सड़कें चांदी की हो जाएंगी तो धूप, धूल से उन के तलवे बचे रहेंगे और चांदी पर चल कर उन की दीनहीनता दूर हो जाएगी. अभी तक लोगों ने चांदी के बरतनों के बारे में सुना था लेकिन चांदी की सड़कों का जिक्र सोने की लंका गढ़ने वाले धार्मिक साहित्यकारों ने भी नहीं किया है.

पूनम ऐक्सप्रैस

भाजपा सांसद पूनम महाजन के ठाठ निराले हैं. बीते दिनों वे एक सरकारी जलसे में हिस्सा लेने सागर आई थीं पर गईं तो 2 डब्बों वाली स्पैशल ट्रेन में सवार हो कर, जिस का उल्लेख भारतीय रेलवे के किसी टाइमटेबल में नहीं है. हुआ यों था कि पूनम को भोपाल आ कर फ्लाइट पकड़नी थी और उन के पास वक्त महज 2 घंटे का था. सड़क के रास्ते से जातीं तो फ्लाइट छूट जाती. लिहाजा, पश्चिम मध्य क्षेत्र रेलवे के अधिकारियों ने नियमकानून की परवा न करते तुरंत स्पैशल ट्रेन प्लेटफौर्म पर लगवा दी. जिन अधिकारियों ने नियम के विरुद्ध जा कर यह कारनामा कर दिखाया उन के खिलाफ कुछ नहीं हुआ. अब हैरत इस बात की होगी कि उन्हें प्रमोशन क्यों नहीं दिया जा रहा. बेहतर तो यह होगा कि सरकार हरेक सांसद के घर के बाहर 2 डब्बों वाली ऐसी ट्रेनें खड़ी करवा दे जिस से जनसेवा फुरती से हो.

ट्रंप और हिलेरी

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ही होंगे, यह पक्का हो गया है. डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका ने कैसे स्वीकार कर लिया है, यह अपने आप में पहेली है. हर तरह के गुनाह के आरोप लगे होने वाले धनवान शख्स को राष्ट्रपति पद के लिए मान लेना अमेरिका के विचारकों के लिए पहेली है. डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी जिद, सिरफिरेपन, अनापशनाप बोलने और अपने पैसे का भरपूर उपयोग कर के अमेरिका को भ्रमित कर दिया और अमेरिकियों ने एक अलोकतांत्रिक, असभ्य से व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के लायक मान लिया है.

उन का मुकाबला डैमोके्रटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन से होगा. यह पक्का नहीं है कि हिलेरी जीतेंगी क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप अपने सिरफिरेपन के कारण अमेरिकियों पर छा गए हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने वाइल्ड वैस्ट यानी अमेरिका के 16वीं सदी में अनजाने पश्चिमी उजाड़ इलाकों में जाने वाले हिम्मती युवाओं की तरह राजनीति में प्रवेश किया जो बातबात पर बंदूक निकाल लेते थे पर उन्होंने अमेरिका को पूर्वी तट से पश्चिमी तट तक फैला दिया. अमेरिकी जनता आज अपने वर्तमान व भविष्य को ले कर चिंता में डूबी है. एक तरफ घरेलू कर्ज उस पर चढ़ा हुआ है, दूसरी तरफ निवेश का भरोसा नहीं है. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अच्छी नीतियां बनाईं पर इतनी अच्छी नहीं कि अमेरिका पुरानी ऊंचाइयों को छू सके. इसलामिक स्टेट का खतरा सिर पर सवार है और डर लगता है कि कब, न जाने कहां आईएस का हमला हो जाए.

अमेरिका को चीन से भी बड़ी चिंता है कि कहीं वह नौकरियों के साथ उस की अर्थव्यवस्था को भी हड़प न कर जाए. उभरते देश लाखों नौकरियां ले जा चुके हैं. यूरोप में शरणार्थियों का बोझ कब अमेरिकियों के सिर पर न आ जाए, यह डर भी है. ऐसे में अमेरिका ऐसा नेता खोज रहा है जो कूटनीति में नहीं, धमकियों से बात करे. जो हर बात पर ‘सिर फोड़ देंगे’, ‘धक्के दे कर निकाल देंगे’, ‘पटक देंगे’, ‘भगा देंगे’ वाली भाषा बोले जो बहुतों को अच्छी भी लगती है.अमेरिकी वैसे ही थोड़े हिंसक हैं. हर घर में बंदूक रखने का वहां संवैधानिक अधिकार है. वहां की जेलें ठसाठस भरी हैं. वहां की सड़कें सुरक्षित नहीं हैं. लोग बड़ी गाडि़यों में चलते हैं शान बघारने के लिए.

वहां लोकतंत्र है, विचारों की स्वतंत्रता है, सभ्यता है, दुनियाभर के लोगों को पनाह मिलती है, कानून है, बिजलीपानी है पर विरोधाभास भी है. डोनाल्ड ट्रंप वैसे कट्टरवादियों की शह पर चमचमा रहे हैं जैसे 2014 से पहले भारत में नरेंद्र मोदी चमचमाए थे और रूस में जब व्लादिमीर पुतिन आए. डोनाल्ड ट्रंप अगर राष्ट्रपति बने तो अमेरिका शांति का दूत नहीं, धौंस का हथियार बन जाएगा. ऐसे राष्ट्रपति पहले नहीं हुए हैं पर इस बार अमेरिका शायद दबाव में ऐसा प्रयोग करना चाहता है.

भारत के लिए ट्रंप टेढ़े साबित होंगे. अपनेटेढ़ेपन को वे भारत के लोकतंत्र में नहीं, पाकिस्तान को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल करेंगे. ट्रंप को अमेरिका में बसे भारतीयों से कोई प्रेम नहीं है. वे शायद कभी भारत आएं ही नहीं. वे राष्ट्रपति बने तो नरेंद्र मोदी को गले लगाते नजर नहीं आएंगे. वे केवल अपने से मतलब रखेंगे, जैसे ठेठ सेठ रखते हैं. मुनाफा कितना है किस काम में, यह सिद्धांत रह जाएगा अमेरिका का.

तुम्हारी आंखें

किसी ने फुरसत से बनाई हैं तुम्हारी आंखें

सारी आंखों में निराली हैं तुम्हारी आंखें

कितनी उम्मीद से देखे हैं मुसाफिर इन को

राह जीने की दिखाती हैं तुम्हारी आंखें

वश में कर लें जिसे इकबार वो क्यूं कर छूटे

काले जादू की पिटारी हैं तुम्हारी आंखें

उम्रभर भूल न पाएंगे इन्हें हम ‘आलोक’

अपनी आंखों में बसा ली हैं तुम्हारी आंखें.

       

– आलोक यादव

 

यह भी खूब रही

एक दिन पड़ोस वाली भाभी मेरे पास सवेरेसवेरे आई और बड़े प्यार से एक बड़ा सा फल दे कर बोलीं, ‘‘लो हमारे खेत से आए हैं.’’ तो मैं ने कहा, ‘‘अजी क्या है और क्या करना है?’’ तो वे बोलीं, ‘‘1 घंटे पानी में भिगो कर रखना, फिर मसल कर पानी और चीनी के साथ मिला कर, छान कर शरबत बना लेना. इसे पीने से पेट में ठंडक रहेगी.’’

मैं ने वैसा ही किया. 3-4 दिनों बाद भाभी मिलीं. उन्होंने सोचा होगा कि कैसे लोग हैं, धन्यवाद भी नहीं देते. इस से पहले वे और कुछ सोचतीं, मैं ने कहा, ‘‘अरे भाभी, शरबत तो निकलना दूर, 3 दिनों से पानी में भिगो रखा है, गीला तक नहीं हुआ.’’ इस पर वे इतना हंसी कि पेट की सारी ठंडक दर्द में बदल गई और बोलीं, ‘‘ओहो, तुम ने शायद उसे बिना फोड़े ही भिगो दिया, तभी…’’ मेरा मुंह देखने लायक था और मेरी भी हंसी रोके न रुकी. 

– तरुणा मालपाणी

*

सिविल लाइंस में रहने वाली मेरी कजिन सुंदरता, फैशन एवं व्यवहार में अग्रणी मानी जाती थीं. बात उस समय की है जब वे अपने उच्चपदस्थ पुलिस अधिकारी पति की उत्तरपूर्वी क्षेत्र में पोस्ंिटग पर असम में थीं. एक बड़े सरकारी समारोह में उन्हें जाना था. मेरी कजिन झटपट तैयार हो कर अपने 2 बच्चों को तैयार कर रही थीं. उन के बाल बना कर असावधानी में बड़ा कंघा अपने जूड़े में खोंस लिया और उसी अवस्था में समारोह में चली गईं. सबकुछ ठीक चल रहा था और वे हमेशा की तरह वाहवाही ले रही थीं. तभी उन का शीशे से सामना हुआ और वे यह देख कर दंग रह गईं कि वह बेढंगा कंघा उन के जूड़े की शोभा बढ़ा रहा था.

अचकचा कर उन्होंने वहां उपस्थित अपनी मित्र से पूछा कि उन्होंने पहले ही क्यों न बता दिया. तो बड़े भोलेपन से उस ने कहा कि उस ने सोचा कि यह भी दिल्ली का कोई फैशन होगा.

– मनोरमा दयाल, नोएडा (उ.प्र.)

*

मैं ने अपनी कामवाली लड़की को बहुत पहले समझाया था कि घर आने के बाद सब से पहले बाहर सूखते कपड़े उतारा करो, फिर कोई दूसरा काम किया करो. उस दिन मैं रसोई में व्यस्त थी. वह आ कर झाड़ू लगाने लगी. मैं ने उसे झाड़ू लगाते हुए देखा तो बोली, ‘‘कितनी बार बोली हूं कि पहले कपड़े उतारा करो, फिर काम शुरू किया करो.’’ मेरा इतना कहा सुनते ही सब लोग हंसने लगे. मैं ने भी जब अपने कहे पर गौर किया तो हंसे बगैर न रह सकी.

– सिम्मी बवेजा, सूरत (गुज.)

सोशल मीडिया में वायरल हुआ सलमान का Cute अवतार

सलमान खान अपनी फ़िल्म सुल्तान के लिए ज़ोरों-शोरों से प्रमोशन में लगे हुए हैं. हाल ही में वो कृष्णा और भारती के शो कॉमेडी नाइट्स लाइव में भी अपनी फ़िल्म का प्रमोशन करते नज़र आये. आप सोच रहे होंगे कि अपने इतने बिज़ी शेड्यूल के चलते सलमान को आराम करने का समय मिलता भी होगा या नहीं?

तो हम आपको बता दें कि आजकल सलमान अपने इतने बिज़ी शेड्यूल से समय निकाल कर अपने भांजे आहिल के साथ मस्ती कर रहे हैं. हाल ही में फेसबुक पर शेयर किये गये इस वीडियो में आप सलमान को नन्हे आहिल के साथ खेलते हुए देख सकते हैं. सलमान आहिल के साथ फाइटिंग करते और उन्हें "सुल्तान" का गाना सुनाते देखे जा सकते हैं.

नन्हा आहिल भी अपनी भोली-सी मुस्कराहट से सलमान को जवाब दे रहा है और दोनों बेहद क्यूट लग रहा है. आप भी देखिये ये वीडियो.

 

धर्म का कुकर्म

दुनियाभर के धर्म अपने झंडाबरदारों की काम- पिपासा से परेशान हैं. भारत में हिंदू पंडेपुजारियों, गुरुओं, साधुसंतों की सैक्स लीलाएं आएदिन सुर्खियों में रहती हैं तो कैथोलिक चर्च सैक्स स्कैंडलों की बदनामी झेल रहे हैं. समूचे यूरोप और अमेरिका सहित अनेक देशों में पादरियों के सैक्स किस्से लोगों की जबान पर हैं. भारत में कभी स्वामी नित्यानंद, कभी चित्रकूट वाले बाबा भीमानंद तो कभी आसाराम बापू तो कभी उस के बेटे नारायण साईं तो कभी कोई मंदिर, मठ, आश्रम का पुजारी, साधुसंत सैक्स चर्चाओं में रहते हैं और अब एक और नया नाम बाराबंकी जिले का तथाकथित बाबा परमानंद का जुड़ गया है.

उत्तर प्रदेश का 32 लाख की जनसंख्या वाला बाराबंकी जिला 4,402 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जिले में 15 विकास खंड हैं. यहां के करीब 65 फीसदी लोग साक्षर हैं. 1 लोकसभा और 6 विधानसभा सीटों वाले बाराबंकी जिले में परमानंद के कुछ वीडियो व्हाट्सऐप पर दिखने लगे. देखते ही देखते ये वीडियो पूरे देश में लोगों के मोबाइल पर पहुंच गए. वीडियो में परमानंद औरतों के साथ सैक्स करते दिख रहा था. 5 मिनट से ले कर 13 मिनट तक के ये वीडियो परमानंद की पोल खोल रहे थे. परमानंद बाराबंकी जिले के हर्रइ गांव में आश्रम बना कर रहता था. 26 बीघा जमीन में फैले इस आश्रम को उस के भक्त ‘हर्रइ धाम’ कहते थे. 65 साल के परमानंद के कई नाम भक्तों के बीच मशहूर थे. इन में शक्ति बाबा, कल्याणी गुरु सब से ज्यादा मशहूर थे. परमानंद को उस के भक्तों ने मठाधीश की उपाधि दे दी थी.

बाबा परमानंद को काली देवी का पुजारी माना जाता था. शनिवार से मंगलवार तक विशेष पूजा चलती थी. इस के अलावा नवरात्रि, गुरुपूर्णिमा और शरदपूर्णिमा में परमानंद विशेष दीक्षा देने का काम करता था. गुरुपूर्णिमा पर विशेष दीक्षा लेने वाले भक्त उस को देवता सरीखा मानते थे. वे अपने घरों के पूजास्थल पर उस की फोटो लगा कर पूजा करते थे. शुरुआत में परमानंद ढोलक और हारमोनियम धुन व रामायण की तर्ज पर भजन गा कर लोगों को अपने आश्रम में बुलाता था. समय के साथसाथ उस का आश्रम हाईटेक होता गया. परमानंद ने सुखशांति और मनोकामना की पूर्ति के लिए कई तरह की संगीत थैरेपी शुरू कीं. इन में कई थैरेपी तो ऐसी थीं जिन के नाम तक लोगों ने कभी नहीं सुने थे. हर थैरेपी के लिए अलग फीस वसूल की जाती थी. परमानंद के आश्रम में इन थैरेपी को परमानंद साधना सिद्धि संगीत थैरेपी, प्राइमेल थैरेपी और संतान थैरेपी कहते थे. इन सभी की अलगअलग फीस देनी पड़ती थी. आश्रम में इन थैरेपी की आड़ में तमाम तरह के घिनौने काम होते थे. आश्रम के वीडियो सामने आने के बाद उन के भक्त भी अपने को ठगा और शर्मिंदा महसूस करने लगे. समाज में उन की मानसम्मान और प्रतिष्ठा पर असर पड़ा.

वीडियो को देखने के बाद बाराबंकी जिले के एसपी अब्दुल हमीद ने एसपी सिटी विशाल विक्रम सिंह और इंस्पैक्टर जावेद खान को इस मामले की जांच का काम सौंप दिया. वीडियो की जांच के बाद पुलिस ने परमानंद पर मुकदमा दायर कर मामले की छानबीन शुरू कर दी. परमानंद औरतों के बांझपन को दूर करने के साथ ही भक्तों के तमाम दूसरे दुखों को भी दूर करने का दावा करता था. उस का दावा होता था कि उस के आशीर्वाद से केवल बेटा ही होता है. इस के लिए चुनी गई औरतों को मासिकधर्म के बाद मिलने के लिए बुलाया जाता था. संतान के लिए आने वाली औरतों को पहले परमानंद पसंद करता था. इस के बाद ही उन का इलाज शुरू किया जाता था. इलाज के नाम पर औरतों को मानसिक रूप से बाबा के साथ सैक्स करने को तैयार किया जाता था. वीडियो को देखने से साफ पता चलता है कि औरतों के साथ परमानंद जोरजबरदस्ती नहीं करता था. औरतें खुद से ही बाबा के साथ सैक्स करने की पहल करती थीं. बाबा कम उम्र की ही औरतों को अपने लिए पसंद करता था.

परमानंद का असली नाम रामशंकर तिवारी है. उस के आश्रम में बच्चे पैदा करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं की लाइन लगी रहती थी. आश्रम में कई राज्यों से महिलाएं आती थीं. दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार से आने वाली महिलाएं ज्यादा होती थीं. उस के चेले इस बात का प्रचार करते थे कि आश्रम में आशीर्वाद पाने और पूजा करवाने वाली सभी महिलाओं को बेटा होता है. आश्रम में आने वाली औरतें सब से पहले एक जगह पर अपना रजिस्ट्रेशन कराती थीं. इस के लिए 500 रुपए की फीस ली जाती थी. यहां पर आश्रम में काम करने वाली महिलाएं संतान के लिए आने वाली औरतों से बातचीत कर के उन का पूरा विवरण हासिल कर लेती थीं. परमानंद की पूजा देर रात तक चलती रहती थी. इस दौरान कमरे में बाबा और महिला के अलावा कोई नहीं रहता था. परमानंद शरीर से दुबलापतला है. वह अपने को मोटा दिखाने के लिए ऐसे कपड़े पहनता था कि वह मोटा दिखे. वह अपने खाने में पौष्टिक आहार लेता था, जिन में चना, मक्का, काजू और बादाम जैसी चीजों के अलावा सैक्स बढ़ाने वाली चीजें शामिल होती थीं. वह पहले बाराबंकी के स्टेशन रोड पर लोगों की झाड़फूंक करता था. धीरेधीरे जब उस का प्रचारप्रसार हो गया तो उस ने गांव में ही आश्रम बना लिया. कुछ सालों में उस के पास अकूत संपत्ति आ गई. उस के दरबार में पुलिस के कई अफसर भी आनेजाने लगे जिस से उस का इलाके में रुतबा बढ़ गया. उस के पास कई मोटरसाइकिल, स्कौर्पियो, मारुति वैन, औल्टो, ट्रक, ट्रैक्टर के साथ सीमेंटसरिया की एक दुकान भी बताई जाती है. 1989 से ले कर साल 2008 के बीच परमानंद पर तमाम तरह के 9 मुकदमे दर्ज हुए. लेकिन जब उस का कद बढ़ गया तो इन मुकदमों से उस का कुछ बिगड़ा नहीं.

12 मई को बाबा के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी ऐक्ट (अश्लीलता फैलाने) के तहत केस दर्ज हुआ. बाबा का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिस में वह एक महिला का दैहिक शोषण करता दिख रहा था. इस के बाद कई और लोग सामने आए जिन्होंने परमानंद द्वारा ठगे जाने का आरोप लगाया. 16 मई, सोमवार को एक महिला ने परमानंद के खिलाफ रेप के प्रयास, धोखाधड़ी और मारपीट जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया. इस के बाद बाराबंकी पुलिस ने उस तथाकथित बाबा को पकड़ने का प्रयास शुरू किया तो वह अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ हाईकोर्ट चला गया. हाईकोर्ट ने बाराबंकी पुलिस को परमानंद की गिरफ्तारी करने से पहले सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और सीआरपीसी की धारा 41 ए के प्रावधानों का पालन करने के निर्देश दिए. 25 मई को बाराबंकी पुलिस ने पाखंडी बाबा रामशंकर तिवारी उर्फ स्वामी परमानंद और उस के ड्राइवर अरविंद पाठक को गिरफ्तार कर लिया है. इस दौरान उस ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे साजिश के तहत फंसाया गया है. परमानंद की बात में सचाई है या उस के खिलाफ शिकायत करने वालों में, यह अदालत तय करेगी. यह जरूर सामने आ गया कि बांझपन दूर करने के लिए आज भी औरतें इस तरह के बाबाओं के झांसे में आ जाती हैं, जिस के चलते उन के शोषण का रास्ता साफ हो जाता है.

पुलिस ने रामशंकर तिवारी उर्फ बाबा परमानंद को 3 दिन की रिमांड पर ले कर पूछताछ की तो पता चला कि बाबा के पास करोड़ों रुपयों की जायदाद है. उस के आश्रम में 25 बीघा जमीन है. लखनऊ में उस के पास 2 आलीशान फ्लैट हैं. उस का मामला जहां पहले सामान्य नजर आ रहा था, अब उस पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है.

पंडेपादरियों के कुकर्म

इधर विश्व में सब से बड़े ईसाई कैथोलिक चर्च अपने पादरियों के यौन दुराचार मामलों के चलते बदनाम हो रहे हैं. तमाम प्रयासों के बावजूद पादरियों के कुकर्मों की पोल खुलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोमन कैथोलिक पादरियों के सैक्स स्कैंडल की बातें उजागर होते देख कर धर्मराज्य वैटिकन हैरानपरेशान है. चर्च को अपनी चूलें हिलती दिख रही हैं क्योंकि अब आम जनता के नैतिकता के पैमाने बदल गए हैं.

चर्च को अपने पादरियों के इंद्रियनिग्रह की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. 16वें पोप बेनेडिक्ट जगहजगह जा कर प्रार्थना करने के बजाय अपने लंपट पादरियों के कुकर्मों के लिए माफी मांगते नजर आ रहे हैं, पीडि़त लोगों से मिल रहे हैं और बेहद शर्मिंदगी व दुख जता रहे हैं. सदियों तक जो बात ढकी रहती थी, अब छिपाए छिप नहीं पा रही और चर्च के सुख का मुख्य सुख यौनसुख अब संकट में है. उधर, गे अधिकार संगठन, एथेइस्ट कार्यकर्ता और प्रोटेस्टैंट नेता रोमन कैथोलिक चर्च के पीछे पड़े हुए हैं. ये संगठन अपने पादरियों के यौन अपराध के लिए चर्च को कुसूरवार बता रहे हैं और पोप को गिरफ्तार करने तक की बातें कर रहे हैं. आयरलैंड, बैल्जियम, अमेरिका पादरियों के सैक्स स्कैंडल के कारण ‘वर्स्ट हिट’ देश माने जाते हैं. अमेरिका की यात्रा के दौरान पोप बेनेडिक्ट ने स्वीकार किया था कि अमेरिकी चर्च को बरबाद कर देने वाले पादरी सैक्स स्कैंडल से वे बेहद शर्मिदा हैं. पोप ने औपचारिक तौर पर पीडि़तों से माफी मांगी थी. पीडि़तों से क्षमा करने को भी कहा तथा आरोपी पादरियों से पश्चात्ताप करने की अपील की थी.

जुलाई 2008 में पोप बेनेडिक्ट ने आस्ट्रेलिया दौरे में पादरियों द्वारा यौनाचार किए जाने के मामलों के लिए भी माफी मांगी थी. उस समय वहां 107 अभियोग सामने थे. पोप माल्टा में दुराचार के शिकार लोगों से मिले तथा माफी मांगी. उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया तथा युवाओं को भविष्य में पादरियों की सैक्स हवस से बचाने के लिए प्रभावी तरीके लागू किए जाने का आश्वासन दिया था. बेनेडिक्ट वहां 8 पीडि़तों और उन के परिवारों से मिले थे. पीडि़त लोगों से मिल कर पोप रो पड़े थे. वहां 850 में से 45 पादरी दोषी पाए गए. पोप के अलावा आर्कबिशप भी पादरियों के सताए लोगों से माफी मांग रहे हैं. मेलबर्न के कैथोलिक आर्कबिशप डेनिस हार्ट ने पीडि़तों से क्षमायाचना की थी. आर्कबिशप ने इसे चर्च के लिए दुखद और शर्मनाक बताया था. उन्होंने कहा था कि यह मेरे 43 साल के पादरी जीवन का सब से दुखद समय है.

अमेरिका, आयरलैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा तथा अन्य देशों में सैक्स स्कैंडलों पर राष्ट्रव्यापी जांच चल रही है. चर्च अपने पादरियों की नाजायज संतानों की समस्या को भी झेल रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन, आयरलैंड, जरमनी, फ्रांस, इटली और आस्ट्रेलिया में कई औरतें पादरियों से गर्भवती हो कर उन के अवैध बच्चों को पालने पर मजबूर हैं. कई चर्चों से इन औरतों से समझौते पर साइन करवा कर मुआवजे दे दिए गए हैं. चर्च के सैक्स स्कैंडलों की बदनामी से वैटिकन बारबार मीडिया की आलोचना भी करता रहा है लेकिन वैटिकन इन मामलों को रोक नहीं पा रहा है. चर्चों के सैक्स किस्से घटने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं. मार्च 2010 में न्यूयार्क टाइम्स की सैक्स स्कैंडलों पर कवरेज के लिए आलोचना की गई थी. अखबार ने 200 बहरे बच्चों के साथ दुराचार की खबरें प्रकाशित की थीं.

चर्च पर अपने इंद्रियनिग्रह का नियम भारी पड़ रहा है. दोषियों और पीडि़तों के बीच सौदेसमझौते कराए जा रहे हैं. पैसे दे कर मामलों को खत्म किया जा रहा है. कहीं मामले बाहर तो कहीं अदालतों में निबटाए जा रहे हैं. पीडि़तों को मोटे मुआवजों के भुगतान के चलते कई आर्कडायोसिस, डायोसिस, चर्च दिवालिए हो गए हैं क्योंकि मुआवजे चुकाने के लिए उन्हें अपनी संपत्तियां बेचनी पड़ीं. चर्च के सैक्स अपराध का अगर कोई रिकौर्ड आंका जाता तो निश्चित ही वह अन्य किसी भी अपराध से अधिक ही होता. शायद इसीलिए चर्च पर सांगठनिक यौन अपराध के आरोप लगते रहे हैं. बैल्जियम पुलिस ने ब्रुसेल्स के कैथोलिक हैडक्वार्टर पर छापा मार कर बाल यौनाचार पर चर्च कमीशन जांच रिकौर्ड व एक कंप्यूटर जब्त किया तो बवाल मच गया. वहां पादरियों पर सैकड़ों आरोप लगे थे. पुलिस द्वारा जब्त रिपोर्ट के बारे में कहा जा रहा है कि वह पादरी द्वारा एक व्यक्ति के यौनशोषण किए जाने की गुप्त रिपोर्ट थी. जौन हर्टगन नामक व्यक्ति ने चर्च के पैनल को अपने शोषण की कहानी इस शर्त पर बताई थी कि वह गुप्त रखी जाए. उस व्यक्ति ने पुलिस के छापे से बात उजागर होने के बाद कहा कि पुलिस ने कैथोलिक चर्च कार्यालयों और एक तहखाने में छापा मार कर उस की निजता पर हमला किया है. इस मामले में चर्च और सरकार आमनेसामने आ गए. छापे का वैटिकन ने भी विरोध जताया. पोप बेनेडिक्ट ने कहा कि छापा खेदजनक है. हर्टगन चाहते हैं कि वे सभी 475 पुरुष और बच्चे यौनाचार के आरोपों को ले कर पैनल से संपर्क करें और पीडि़त पार्टी के तौर पर ब्रुसेल्स के प्रोसीक्यूटर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराएं.

नौर्वे के कैथोलिक चर्च के एक पूर्व बिशप जौर्ज मूलर ने नौर्वे पुलिस के सामने एक नाबालिग बच्चे के साथ यौनाचार करने की बात स्वीकार की थी. बाद में मूलर को बिशप पद से हटा दिया गया था. इस खबर की प्रतिक्रियास्वरूप ओस्लो के बिशप बेर्नट ईडसविग ने कुबूल किया कि वे  नौर्वे कैथोलिक चर्च के कुल 4 मामलों से वाकिफ थे. पिछले दिनों आस्टे्रलिया के कैनबरा, गौलबर्न, मेलबर्न, बिसवैन, पर्थ, बानबरी और वागावागा सहित 12 शहरों में पादरियों को यौन दुराचार का दोषी पाया गया. 2008 में स्लीगो, काउंटी स्लीगो में 5 फादर यौनाचार के दोषी पाए गए थे. वहां ब्रदर ग्रेगरी (असली नाम मार्टिन मीने) ने एक लड़के से 4 महीने में 20 से 30 बार यौनाचार करने की बात कुबूली थी. उसे 5 मामलों में 2 साल की कैद हुई. 2005 में बैल्जियम में पूर्व पादरी ल्यूक डी और रोजर एच को मानसिक रोगी बच्चों के साथ सैक्स अपराध में बैल्जियम कोर्ट ने सजा सुनाई थी. इस मामले में आयरलैंड सब से अधिक बदनाम है. यहां का एक सब से कुख्यात मामला ब्रैंडन स्मिथ का था जिस ने 1945 और 1989 के बीच बेल्फास्ट, डबलिन और अमेरिका के 20 से अधिक बच्चों के साथ दुराचार किया था. आयरलैंड में 1930 से 1990 तक करीब 35,000 आयरिश अनाथ बच्चे, किशोर और कुंआरी मांओं को चर्च संचालित 250 इंडस्ट्रियल स्कूलों, सुधारगृहों, अनाथालयों और होस्टलों में भेजा गया था. 90 के दशक में चर्च द्वारा संचालित इन संस्थाओं में सिलसिलेवार यौनाचार की खबरें उजागर होने लगी थीं.

वहां के टैलीविजन कार्यक्रमों ‘डियर डौटर’, ‘वाशिंग अवे द स्टेन’ और ‘विटनैस: सैक्स इन द क्लाइमेट ऐंड सिनर्स’ नामक डौक्यूमैंटरी ने भूचाल सा ला दिया था. ब्रिटेन में भी बनी एक बीबीसी डौक्यूमैंटरी ‘सैक्स क्राइम ऐंड वैटिकन’ से भी चर्च की चूलें हिल गई थीं. 90 के दशक में आयरलैंड सरकार ने पिछले दशकों के यौनाचार मामलों के लिए एक कमीशन बना कर जांच शुरू की थी. 2,600 पृष्ठों की आयरिश कमीशन रिपोर्ट के अनुसार, 1930 से 1990 के बीच हजारों बच्चे यौन शोषण के शिकार बनें. रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में करीब 2 हजार गवाहों, 250 से ज्यादा चर्च संचालित संस्थाओं के करीब 2 हजार लोगों की गवाही हुई थी. यह बात भी सामने आई कि सरकारी अधिकारी यौन शोषण रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाए. मुआवजा देने पर सहमति बनी थी. इस राशि के लिए ज्यादातर चर्चों को अपनी संपत्ति सरकार को हस्तांतरित करनी पड़ी. रिपोर्ट के अनुसार वहां कुल 1.2 बिलियन डौलर पीडि़तों को दिया जा चुका है.

इसी तरह खुद अमेरिका में रोमन कैथोलिक डायोसिस के सर्वे पर आधारित अमेरिकी कौन्फ्रैंस औफ कैथोलिक बिशप्स द्वारा अधिकृत 2004 की जौन जे रिपोर्ट में हर दोषी पादरी और पीडि़त के नामों की सूचना उपलब्ध है लेकिन यह गुप्त रखी गई है. अमेरिका में ज्यादातर दोषी यजमानी पादरी बताए जाते हैं लेकिन वे डायोसिस के अधीन होते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, दोषी पाए गए करीब 40 फीसदी पादरियों को मानसिक इलाज कार्यक्रमों में भेजा गया तो कुछ को साधनागृहों में भी भेजा गया लेकिन इके बावजूद ये लोग बच्चों से निजी संपर्क बनाने के प्रयास में देखे गए. उत्तरी अमेरिका में खासतौर से पादरियों के मनोविकारों के इलाज की कई संस्थाएं हैं. 80 के दशक में क्रिश्चियन ब्रदर्स द्वारा संचालित न्यूफाउंलैंड के माउंट कैशेल औरफनेज का मामला लोग अभी तक भूले नहीं होंगे. इस संस्था के सदस्यों पर शारीरिक व यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे. मामले में सरकार, पुलिस और चर्च ने आरोपों की जांच में रुचि नहीं दिखाई. लेकिन 1989 में सैंट जौंस के ‘सनडे ऐक्सप्रैस’ ने अनाथालय के 300 से ज्यादा पूर्व विद्यार्थियों के आरोपों को ले कर रिपोर्टें प्रकाशित कीं तो हड़कंप मच गया. बाद में कई मुकदमे दर्ज किए गए. मुकदमों, मुआवजों, समझौतों के चलते अंत में अनाथालय दिवालिया हो गया और उसे बंद करना पड़ा.

अमेरिका के बोस्टन, मेसाच्यूट्स के कार्डिनल और आर्कबिशप बर्नार्ड फ्रांसिस ला को उन की आर्कडायोसिस में यौनाचार के आरोपी पादरियों को बचाने की बात उजागर होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था. दिसंबर 2002 में पोप जौन पौल द्वितीय ने उन का इस्तीफा मंजूर कर लिया था. बाद में आर्कबिशप बर्नार्ड ला की जगह आए आर्कबिशप सीन पीओ माले को यौनाचार पीडि़तों के मुआवजे के कारण डायोसिस की संपत्ति बेचनी पड़ी तथा कई चर्चों को बंद करना पड़ा. उन्हें 10 करोड़ 20 लाख डौलर के दावे निबटाने पड़े. अमेरिका में केवल 2007 में ही अपने पादरियों की करतूतों के एवज में 5 करोड़ 15 लाख डौलर खर्च करने पड़े. अमेरिकन डायोसिस 1950 से 2009 तक ढाई हजार लाख से ज्यादा डौलर दे चुका है. 1994 में अर्जेंटीना में 47 पादरियों पर यौनाचार के मामले सामने आए. 1995 में यौनाचार के आरोपों के बाद विएना (आस्ट्रिया) के आर्कबिशप हैंस हरमन ग्रोएर को पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 2001 से अब तक जो कुल मामले वैटिकन के पास आए हैं उन में से केवल 20 फीसदी बाकायदा कैनोनिकल ट्रायल के लिए भेजे गए. 60 प्रतिशत मामलों में अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई. कार्यवाही के तहत पादरी का चोगा ले लेना, रिटायर कर देना और उसे औपचारिक रूप से लोगों को संबोधित न करने देना शामिल है. सिर्फ 10 प्रतिशत मामलों में आरोपी पादरियों को पद से हटाया गया.

दरअसल, कैथोलिक परंपरा के मुताबिक, सभी पादरियों और बिशपों को अनिवार्य रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. 325 ईस्वी में कैथोलिक चर्च की पहली सार्वभौम काउंसिल बनी थी. काउंसिल ने पादरियों के लिए जो अनुशासन संहिता बनाई थी उस के तहत सभी पादरियों और बिशपों को अपनी पत्नी या किसी और औरत के साथ सैक्स संबंधों से अलग रहना जरूरी था. एक शादीशुदा व्यक्ति अगर पादरी बनता है तो उस की पत्नी को भी अपने पति के साथ सैक्स संबंधों से अलग रहने पर सहमत होना होगा. हालांकि कई प्रोटेस्टैंट और ईस्टर्न और्थोडैक्स चर्चों में ऐसा नियम नहीं है. येरूशलम में यहूदी पुरोहितों के लिए भी कथित आध्यात्मिक शुद्धि के लिए इंद्रियनिग्रह आवश्यक था. हिंदू धार्मिक संस्कृति में भी अपने पंडेपुजारियों, साधुसंतों, योगियों के लिए ब्रह्मचर्य पर जोर दिया गया है. फिर भी आएदिन स्वामियों, संतोंसाधुओं की सैक्सलीलाएं जगजाहिर हो रही हैं.

विश्वभर की सेनाएं अपने सैनिकों के साथ वेश्याओं, लड़कों को साथ ले कर चलती थीं ताकि उन के सैनिक युद्ध के वक्त तनावमुक्त रह सकें, लेकिन दुनिया के तकरीबन हर धर्म के फौजियों पर पवित्रता के नाम पर तरहतरह की बंदिशें थोपी गई हैं. इस का नतीजा है कि आज धर्मस्थल सैक्स के सब से बड़े अड्डे बन रहे हैं. आखिर इन ढोंगियों के पास लोग जाते ही क्यों हैं? धर्म के नाम पर पाखंड का यह आवरण क्यों? इस से यह बात तो जाहिर होती ही है कि किसी भी धर्म की ताकत नहीं कि वह अपने लोगों की प्राकृतिक जरूरतों को रोक सके, इसलिए इंद्रियनिग्रह, संयम, ब्रह्मचर्य जैसे ढोंग धर्मों को बंद ही कर देने चाहिए.

मैंने देवर के साथ कई बार हमबिस्तरी की. अब देवर जबरदस्ती करता है. क्या करूं.

सवाल

मैं 23 साल की हूं. शादी को 2 साल हुए हैं. मैंने 6 महीने पहले अपने देवर के साथ कई बार हमबिस्तरी की, पर अब नहीं करना चाहती. अब देवर जबरदस्ती करता है. मैं उसे कैसे रोकूं?

जवाब

आप ने अपनी मरजी से भूखे को लजीज खाने का चसका लगा दिया और अब उस के आगे से प्लेट हटा रही हैं. ऐसे में वह झपट्टा मारेगा ही. अब बेहतर यही है कि उसे ऐसा मौका ही न दें कि वह खींचातानी कर सके. उस से अकेले में कतई न मिलें. यकीनन वह खुद चोर है, इसलिए किसी से नहीं कहेगा.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.                 

बालों को दें जड़ से पोषण

काले, घने, खूबसूरत लहराते बाल हर किसी महिला की चाहत होती है, पर क्या आप को पता है बालों की सुंदरता उन की जड़ से जुड़ी होती है. इसलिए स्कैल्प केयर से उन्हें स्वस्थ व सुंदर बनाए रखा जा सकता है. स्कैल्प केयर कैसे करें. यह बता रही हैं कौस्मेटोलौजिस्ट एंड माइंड थेरेपिस्ट अवलीन खोखर.

स्कैल्प देखभाल से पहले जाने कि स्कैल्प की आम समस्या क्या होती है जो बालों को नुकसान पहुंचाती है.

स्कैल्प की आम समस्या

स्कैल्प की आम समस्या है हेयरफौल, थिन हेयर और स्लो हेयर ग्रोथ. जबकि डैंड्रफ, थिन हेयर और पीलिंग, सकैल्प की सीरियस कंडीशन है. अगर आप की स्कैल्प डैमेज्ड है तो इस में खुजली हो सकती है, कई परतें दिख सकती हैं, प्रौब्लम बढ़ने पर हेयर लौस के हालात भी बन सकते हैं.

स्कैल्प की सेहत करे प्रभावित

स्कैल्प की सेहत को आप की डाइट, हारर्मोनल फंक्शन, हेयर केयर प्रोडक्ट्स और वातावरण जैसी चीजें प्रभावित कर सकती है इसलिएअपने खानपान का विशेष खयाल रखें.

स्कैल्प ड्राई होने की वजह

जब आप बहुत गरम पानी से शैंपू करते हैं इस की वजह से स्किन के ऐसेंशियल औयल हट जाते हैं और ड्राईनैस आ जाती है, बेहतर होगा कि स्कैल्प के ऐसैंशियल औयल को बरकरार रखने के लिए आप ल्यूकवार्म वाटर से ही हेयर वाश करें.

हेयर कलरिंग

बालों में हेयर कलरिंग जैसे ट्रीटमैंट का भी स्कैल्प पर निगेटिव असर पड़ता है. दरअसल, आप बालों पर कोई भी कैमिकल ट्रीटमैंट करवाती हैं तो इस का सीधा असर स्कैल्प पर पड़ता है.

स्कैल्प केयर के उपाय

स्कैल्प केयर में, मसाज और डाइट का अहम रोल होता है, अगर स्कैल्प की साफसफाई पर ध्यान नहीं दिया गया तो डेड स्किन सैल्स बनने लगते हैं. यही नहीं इस में इंफैक्शन भी हो सकता है.

स्कैल्प के लिए लें हैल्दी डाइट

स्कैल्प को स्वस्थ रखने के लिए आप अपनी डाइट में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन को शामिल करें ये सब बालों की ग्रोथ के लिए जरूरी है. आप फ्रूट्स, वेजीटेबल्स, होल ग्रेंस और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स वाली बैलेंस्ड डाइट लें.

बालों की डाइट

अगर आप के बाल बहुत ज्यादा ड्राई हैं तो क्रीमी कंडीशनर के इस्तेमाल के बाद कोई प्रोटीन बेस्ड सीरम का प्रयोग करें. ऐसे में आप के किसी माइल्ड शैंपू का प्रयोग करना चाहिए.

डैंड्रफ

अगर बालों में डैंड्रफ अपने शुरुआती दौर में है तो आप किसी एंटी डैंड्रफ शैंपू के प्रयोग से इसे कंट्रोल कर सकती है. और अगर प्रौब्लम ज्यादा बढ़ जाएं तो किसी स्किन एक्सपर्ट को जरूर दिखाएं और इलाज कराएं.

स्कैल्प की अच्छी सेहत के लिए

अगर स्कैल्प को मजबूत बनाना चाहती हैं तो ऐलोवेरा जैल स्कैल्प पर लग सकती है, विटामिन ई औयल के कैपसूल लगाएं. जो स्कैल्प को स्वस्थ रखेंगे.

बालों को नियमित रूप से वाश करें ताकि उन में गंदगी न रहें.

फिंगर टिप से स्कैल्प की नियमित मसाज करें. इस से स्कैल्प में स्टिमुलेशन और सर्कुलेशन बना रहता है.

किसी भी हेयरकेयर प्रोडक्ट्स को डायरैक्ट स्कैल्प पर न लगाएं.

स्वीमिंग पूल से आने के बाद शैंपू करें ताकि बालों से क्लोरीन निकल जाएं.

हेयर ब्रश व कंघी का चुनाव सही तरीके से करें और दूसरे की कंघी, ब्रश प्रयोग न करें.

स्कैल्प और हेयर को तेज धूप से बचाने के लिए स्कार्फ, हैट्स या कैप्स का प्रयोग करें. इसे ज्यादा टाइट न पहनें. इस से ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ सकता है.

तनाव को दूर करें.

जब भी ब्लो ड्राई करना हो तो ब्लो ड्रायर को मिनिमम हीट पर सैट कर के रखें.

अगर औयली स्कैल्प है तो चिपचिपे तेल से बचे.

ड्राई हेयर के लिए मौइश्चराइजिंग शैंपू का प्रयोग करें.

स्कैल्प की मसाज कुछ इस तरह करें

बालों को जड़ों से मजबूती प्रदान करने के लिए सब से बेहतर उपाय मसाज है. मसाज से सिर की त्वचा स्वस्थ रहती है क्योंकि मसाज से सिर की कोशिकाओं में अतिरिक्त रक्त की आपूर्ति से बालों के फौलीकल में औक्सीजन तथा पोषक तत्त्व अधिक मात्रा तक पहुंच पाते हैं. रक्त की आपूर्ति बढ़ने से बाल और चमकदार बनते हैं. साथ ही बालों का झड़ना भी कम होता है. इस के अलावा स्कैल्प मसाज से जहां एक ओर सिरदर्द, तनाव से छुटकारा मिलता है वहीं दूसरी ओर बाल घने और लंबे होते हैं.

मसाज के लिए तेल का चुनाव

स्कैल्प की अच्छी सेहत के लिए जोजोबा औयल रोजमेरी औयल, औलिव औयल, नारियल, सरसों या बादाम के तेल की मसाज करें. रूखे बालों में हफ्ते में 2 बार और सामान्य बालों में हफ्ते में एक बार मसाज करें.

उंगलियों के पोरों द्वारा मसाज

स्कैल्प को पोषण देने के लिए मसाज का तरीका भी खास होना चाहिए. दोनों हाथों के अंगूठों को गर्दन के पिछले भाग के गड्ढे में टिकाएं, उंगलियों को माथे पर सामने फैला कर रखें. फिर उंगलियों को अपने माथे पर टिकाते हुए अंगूठे को गोला काट रूप में घुमाते हुए कनपटी तक लाएं फिर उंगलियों को सिर के बीच भाग में सीधा खिसकाते हुए कनपटी तक ले जाएं. इस प्रकार नीचे गर्दन से ले कर ऊपर सिर तक दबाव देते हुए मसाज करें.

स्टीम जरूर लें

बालों में मसाज करने के बाद स्टीम जरूर लें. इस के लिए टौवल को गरम पानी में भिगो कर हलका निचोड़ कर पानी निकाल दें. फिर उस टौवल को तेल लगे बालों में अच्छी तरह से लपेट दें ऐसा 10 मिनट तक करें. इस से तेल जड़ों तक पहुंच जाएगा.

इन उपायों को अपना कर आप के बाल भी बनेंगे रेशमी व हैल्दी.

वाराणसी बचाने के लिये अनुप्रिया का सहारा

नरेंद्र मोदी की कैबिनेट पर अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की चिन्ता साफ दिख रही है. उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ भाजपा पूर्वांचल और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी की सभी विधानसभा सीटे जीतना चाहती है. इसके कारण ही चंदौली के सांसद डाक्टर महेन्द्र नाथ पाडेंय और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल को केन्द्र सरकार में शामिल किया है. अनुप्रिया वाराणसी की रोहनियां विधानसभा सीट से 2012 में विधायक भी चुनी गई थी. मोदी के लिये 2014 की सफलता को दोहराने की चुनौती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह कम से कम वाराणसी की हर सीट जीतना चाहते हैं. 

अनुप्रिया पटेल अपना दल से हैं, जो भाजपा का सहयोगी दल है. अनुप्रिया पटेल युवा, पढा लिखा और पिछडे वर्ग का चेहरा हैं. अनुप्रिया का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई कई शहरों में हुई. दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से पढ़ाई के बाद उन्होंने मास्टर इन बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की है. साल 2009 में उनकी शादी इंजीनियर आशीष सिंह से हुई. शादी के ठीक 12 दिन बाद पिता डॉक्टर सोनेलाल पटेल की अक्टूबर 2009 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी.

इसके बाद अनुप्रिया राजनीति में आईं और अपना दल की महासचिव बनीं. अनुप्रिया की कुर्मी वोटों पर अच्छी पकड़ है. इसी कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना दल से गठबंधन किया था. अपना दल के हालात भी 2014 के मुकाबले अब खराब हुये हैं. अपना दल 2 धडों में बंट गया है. अपना दल पारिवारिक लडाई में फंसा है. एक गुट अनुप्रिया पटेल के साथ है तो दूसरा गुट उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल के साथ है. ऐसे में वह भाजपा की कितनी मदद कर सकेगा देखने वाली बात होगी.

अब उनके मंत्री बनने से पूर्वांचल के साथ वाराणसी भी मजबूत होगा. वाराणसी के शहरी इलाके में भाजपा की पकड़ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी उसका जनाधार कमजोर है. ऐसे में अनुप्रिया भाजपा की मदद कर सकती हैं. वह 2012 में रोहनिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक थीं. रोहनियां वाराणसी जिले की प्रमुख विधानसभा सीट है.

वाराणसी और पूर्वांचल में भाजपा का जनाधार बढाने के लिये ही मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल की ही तरह डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को भी मंत्री बनाया गया है. डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय इस समय चंदौली से सांसद हैं. वह पूर्वांचल के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. भाजपा उत्तर प्रदेश चुनावों में ब्राह्मण वोट खींचने की कोशिश में है. इससे सवर्ण वोट पार्टी से जुड सकते है. वह चंदौली से सांसद हैं. उनके मंत्री बनने से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वाराणसी किला मजबूत हो सकेगा.    

भाजपा ने दलित, पिछडा और ब्राहमण गठजोड का ध्यान रखा है. पूर्वाचल की ही तरह से भाजपा के उत्तर प्रदेश के रूहेलखंड इलाके को भी निशाने पर रखा है. इसके लिये शाहजहांपुर की सांसद कृष्णा राज को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. कृष्णा राज दलितों में पासी बिरादरी से आती है. कृष्णा राज दो बार लखीमपुर के मोहम्मदी से विधायक रह चुकी हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वह शाहजहांपुर से सांसद बनी हैं. भाजपा दलित और महिला होने के नाते उनका लाभ विधानसभा चुनाव में लेना चाहती है. भाजपा इससे  बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की योजना में है. 

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें