टीम इंडिया के नए हेड अनिल कुंबले ने कहा है कि ड्रेसिंग रूम में भारतीयता यानी इंडियननेस नजर आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि टीम के मेंबर्स खुद को एक बड़े परिवार का हिस्सा समझें और सीनियर्स को रिस्पेक्ट दें. हालांकि, कुंबले ने ये भी साफ किया कि इसका मतलब ये नहीं है कि सिर्फ ऑर्डर्स फॉलो कराए जाएंगे. उनके मुताबिक, हर प्लेयर को अपने विचार रखने की आजादी होगी.
एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कुंबले ने कई अहम सवालों के जवाब दिए. कोचिंग का जॉब चुनने के सवाल पर जंबो के नाम से मशहूर इस लेग स्पिनर ने कहा कि इसका विचार मुझे इस साल यूरोप में छुट्टियां बिताने के दौरान आया था. वाइफ ने भी मेरा समर्थन किया. अगर वाइफ और बच्चे समर्थन नहीं करते तो इस काम को हाथ में लेना आसान नहीं होता.
अनिल ने माना कि कोच और प्लेयर में बहुत फर्क होता है. उन्होंने ये भी कहा कि वो आरसीबी और मुंबई इंडियन्स के साथ काम कर चुके हैं. इसलिए उन्हें काफी जानकारी है. एक कोच को प्लेयर्स के साथ फ्रेंडली रहना और उनके बीच दोस्ती बनाए रखना बहुत जरूरी है. सही प्लानिंग बहुत जरूरी है.
जॉन राइट से इन्सपायर्ड
टेस्ट की एक पारी में पूरे 10 विकेट ले चुके इस लेग स्पिनर के मुताबिक, वो जॉन राइट की कोचिंग स्टाइल को बहुत पसंद करते हैं. उनके पास नए आइडियाज होते थे. वो नेट्स पर भी पूरी तैयारी के साथ पहुंचते थे. फील्डिंग और बॉलिंग ग्रुप बनाकर प्रैक्टिस कराना उनकी खूबी थी. इसके अलावा वो कभी अपने आइडियाज प्लेयर्स पर थोपते नहीं थे.
कुंबले से जब ये पूछा गया कि वो कैसी टीम बनाना चाहते हैं तो उन्होंने कहा- "मैं ऐसी टीम चाहता हूं जिसमें भारतीयता नजर आए. उसमें हमारा कल्चर होना चाहिए. सीनियर्स की रिस्पेक्ट हो. साथ ही, हर किसी को अपनी बात खुले तौर पर कहने की छूट हो. मैं स्कूल मास्टर की तरह टीम को नहीं चलाना चाहता."
कुंबले ने स्लेजिंग को गलत नहीं माना, लेकिन ये भी कहा कि इसमें सभ्यता होनी चाहिए.