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अब फेसबुक और ट्विटर से ऑर्डर करें पिज्जा

अमेरिकी रेस्तरां श्रृंखला पिज्जा हट ने पिज्जा और अन्य खाद्य उत्पादों का ऑर्डर करने के लिए एक नए सोशल मंच 'चैटबॉट' की घोषणा की है. यहां ग्राहक सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक और ट्विटर से बातचीत के माध्यम से भोजन का ऑर्डर दे सकते हैं.

यह सुविधा अगस्त महीने से सभी पिज्जा हट सोशल अकाउंट पर उपलब्ध होगी, जिसकी शुरुआत सैन फ्रैंसिस्‍को में 2016 वेंचरबीट मोबाइलवीट कॉन्‍फ्रेंस में मुख्य डिजिटल अधिकारी बॉरन कॉसर्स ने एक डेमो से की थी. बॉपन ने कहा, 'पिज्जा हट के लिए ऑर्डर लेने वाला यह नया मंच ग्राहकों तक अपने पसंदीदा भोजन की पहुंच को आसान बनाने का एक और उदाहरण है.'

इस सुविधा के लिए पिज्जा हट ने तकनीकी कंपनी कन्‍वर्सेबल के साथ भागीदारी की है. कंपनी ने बताया, 'इस सेवा के माध्यम से ग्राहक किसी भी अमेरिकी पिज्जा हट स्टोर के फेसबुक व ट्विटर खातों पर बात करते हुए अपने पसंदीदा और बुक किए गए ऑर्डर को दोबारा ऑर्डर करने में सक्षम हैं. इसके साथ ही ग्राहक इस सुविधा के तहत अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब और नवीनतम सौदों और छूट की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं.'

प्रकृति से सीखें

वर्षा की बूंदें, नालियों में बहती कागज की नावें, रिमझिम वर्षा में नहाने का आनंद, बादलों से भरे आकाश में कड़कड़ाती बिजली की चमक अब लगता है कि कहीं खो सी गई है. आजकल बंद कमरों में टैलीविजन या मोबाइल स्क्रीन पर चिपके किशोरों को वर्षा का पता तब चलता है जब टीवी के वैदर चैनल पर जाते हैं. जिस तरह से आज की पीढ़ी ने प्रकृति का आनंद लेना बंद कर दिया है, वह बेहद दुखदायी है. इसलिए कि भले ही हम नई चीजों के कितने ही निकट क्यों न हों, प्रकृति का साया हम पर रहेगा ही और हरेक को प्रकृति के साथ हिलमिल कर चलने और जूझने की आदत बनी रहना जरूरी है. शहरी व कसबाई जिंदगी के बावजूद प्रकृति का असर बहुत ज्यादा है और आधुनिक तकनीक, सुविधाओं और खोजों से चाहे जीवन पर प्रकृति की मार न पड़ती हो, पर फिर भी आमनासामना तो होगा ही.

प्रकृति ने मानव को जो दिया है वह सब अरबों सालों में बना है और विज्ञान अभी 200 साल पुराना है. तभी तो हर कोई आज प्रकृति की गोद में जाने को लालायित है. आजकल लोग छुट्टी मनाने रिसोर्ट्स में जाते हैं जहां पेड़पौधे होते हैं. बड़े विशाल होटल तो अब केवल व्यावसायिक कामों तक सीमित रह गए हैं.

किशोरावस्था ऐसा समय है जब प्रकृति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है और इन सुनहरे दिनों को हाथ से न निकलने दें. वर्षा का भरपूर आनंद लें. कुछ भीगें, कुछ बौछारों का आनंद लें. पानी भरी सड़कों पर चलें. कीचड़ में पांव गंदे करें. ये सब जीवन के पाठ हैं जो बाद में पढ़ने को नहीं मिलेंगे. एक बार जिम्मेदारियों ने घेर लिया तो फिर मौका नहीं मिलेगा धूप, वर्षा, ठंड, गरमी, पतझड़ का आनंद लेने का.

मानव ने पिछले दशकों में प्रकृति को कुछ ज्यादा ही दुहा है. आजकल ग्रीन हाउस इफैक्ट से दुनिया परेशान है. इतनी गरमी 100-150 साल में कभी नहीं पड़ी. कहीं अति वर्षा है, कहीं अति ठंड और कहीं सूखा. समुद्र में पानी का स्तर बढ़ रहा है. आर्कटिका और अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है, पशुपक्षियों की सैकड़ों प्रजातियां खतरे में हैं. यह इसलिए कि बंद कमरों में हम ने प्रकृति को भुला दिया है, इस का आदरसम्मान करना बंद कर दिया है. ठीक है, हम प्रकृति के गुलाम नहीं बने रहना चाहते, पर इस का मतलब यह नहीं कि हम इसे भुला दें. हमें प्रकृति को अपने सुखों के लिए ढालना है. आज वैज्ञानिक लगे हैं इस काम के लिए, पर प्रकृति प्रेम, जिस में वर्षा की वे ठंडी बूंदें शामिल हैं जो गरमी के बाद आती हैं, भी जरूरी हैं.

तो चलें, बाहर बारिश हो रही हो तो भीग लें. कोई डांटेगा, तो सुन लेना. बारिश पूरे साल थोड़ी होती है.         

LORD’S TEST: पहले मैच में ही बनाया रिकॉर्ड

इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान पर इतिहास रचा गया है. पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान मिसबाह-उल-हक ने इस मैदान पर अपने पहले ही टेस्ट मैच में ही शतक लगा दिया है.

मिसबाह की इस पारी की बदौलत पाकिस्तान ने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट के पहले दिन छह विकेट पर 282 रन बना लिए. इस शतक के साथ ही मिसबाह पिछले 82 साल के क्रिकेट इतिहास में सबसे उम्रदराज शतकवीर बन गए.

इस मैच में सबकी नजरें पांच साल के बैन के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौट रहे मोहम्मद आमिर पर थीं लेकिन मिस्बाह की पारी ने सब बदलकर रख दिया.

मिसबाह ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और 18 चौकों की मदद से 110 रनों की नाबाद पारी खेली. असद शफीक ने 12 चौकों की मदद से 73 रन बनाए.

दोनों ने मिलकर टीम के लिए 148 रनों की साझेदारी की. शफीक को क्रिस वोक्स ने आउट किया. वोक्स इंग्लैंड के सबसे कामयाब गेंदबाज रहे जिन्होंने 45 रन देकर चार विकेट लिए.

इंग्लैंड के गेंदबाजों को अपने फील्डर्स का सपोर्ट नहीं मिला. जो रूट्स ने स्लिप में मिसबाह का एक कैच टपका दिया. मिसबाह उस समय केवल 16 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे.

पाकिस्तान 134 रन पर चार विकेट गंवाकर मुश्किल में नजर आ रहा था. लेकिन इसके बाद टीम ने वापसी की. दिन का खेल समाप्त होने से पहले वोक्स ने दो विकेट लेकर मैच को बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया.

मिसबाह पिछले 82 वर्षों में शतक बनाने वाले सबसे उम्रदराज पाकिस्तानी खिलाड़ी बन गए. उन्होंने 42 साल 47 दिन की उम्र में सेंचुरी लगाई.

यहां यह बात भी ध्यान रखने वाली है कि यह इंग्लैंड में मिसबाह का पहला ही टेस्ट मैच था. इससे पहले उन्हें इंग्लैंड आने का मौका नहीं मिला था. अब उन्होंने लॉर्ड्स पर शतक लगाया है और उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया है.

मिसबाह की उम्र को लेकर अकसर सवाल उठाए जाते हैं. इंग्लैंड दौरे से पहले जब पाकिस्तानी टीम काकुल में आर्मी ट्रेनिंग ले रही थी तब भी उनका काफी मजाक बनाया गया था.

जब मिसबाह बल्लेबाजी करने आए तो पाकिस्तानी टीम 77 रनों पर तीन विकेट गंवाकर संकट में थी. 16 के निजी स्कोर पर जो रूट ने स्टीवन फिन की गेंद पर स्लिप में उनका कैच टपका दिया. इसके बाद जब वह 58 पर बल्लेबाजी कर रहे थे जब गैरी बैलेंस ने उन्हें रन आउट करने का मौका गंवा दिया. मिसबाह ने इन मौकों को जाया नहीं होने दिया और शानदार शतक बनाया.

दिल्ली मेट्रो में होने वाली अनाउसमेंट के पीछे हैं इन की आवाज़ें

हर रोज़ अपनी मंज़िल पर पहुंचने के लिए लाखों लोग ‘दिल्ली मेट्रो’ का प्रयोग करते हैं, जिसे ‘दिल्ली की लाइफ़ लाइन’ भी कहा जाता है. इन लाखों यात्रियों में से कई तो ऐसे होते हैं जो लगभग रोज मेट्रो से ही अलग-अलग दिशाओं में सफ़र करते हैं. और मेट्रो में निरंतर होने वाली घोषणाओं (कृपया दरवाज़ों से हट कर खड़े हों’, अगला स्टेशन राजीव चौक है.) को रट भी लेते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी शायद ही इनमें से कोई व्यक्ति जानता होगा कि इन घोषणाओं के पीछे किस शख़्स की आवाज़ है.

हिंदी में पुरुष और अंग्रेजी में एक महिला की आवाज़ का जादू ‘दिल्ली मेट्रो’ में घोषणा के रूप में निरंतर सुनाई पड़ता है. आइये आपको बताते हैं, आखिर ये बेहतरीन आवाज़ें किनकी हैं.

शम्मी नारंग

दिल्ली मेट्रों में यात्रा के दौरान जिस पुरुष की आवाज़ आपको निरंतर हिन्दी में सुनाई देती है, वो आवाज़ आईआईटी दिल्ली से स्नातकोत्तर शम्मी नारंग की है.

आईआईटी कैंपस में हुई एक घटना ने शम्मी नारंग के जीवन कि दिशा को ही बदल दिया था. नारंग उस समय 19 वर्ष के थे. और वे कैंपस में इधर-उधर टहल रहे थे, कि अचानक उन्हें एक विदेशी इंजीनियर ने माइक्रोफ़ोन के ध्वनि परीक्षण के लिए बुलाया और माइक्रोफ़ोन में नारंग को कुछ भी कहने का आदेश दिया. जब नारंग ने माइक्रोफ़ोन पर कुछ शब्द कहे, तो वो विदेशी इंजीनियर हैरान रह गया, जिसके बाद उसने शम्मी नारंग को 'Voice of America' के हिन्दी विभाग में मौका दिया. वह संयुक्त राज्य अमेरिका के सूचना सेवा (यूएसआईएस) में तकनीकी निर्देशक था.

वे बाद में दूरदर्शन का चेहरा बन गए, जो 70 के दशक का इकलौता चैनल था. शम्मी नारंग अकेले ही शख़्स थे, जिन्हें दूरदर्शन ने 10,000 लोगों के बीच से न्यूज़ रीडर के लिए चुना था. इसके बाद से इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

रिनी साइमन खन्ना

अंग्रेजी भाषा में जिस महिला की आवाज़ आप ‘दिल्ली मेट्रो’ में सुनते हैं, वो रिनी साइमन खन्ना की है. इनका जन्म केरल में हुआ था. इनके पिता भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे, जिसके कारण रिनी को देश के 9 अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई करनी पड़ी. इन्होंने 1985-2001 तक दूरदर्शन में न्यूज़ एंकर के रूप में, और बाद में एक वॉयर ओवर आर्टिस्ट और एक एंकर के रूप में काम किया.

हम उम्मीद करते हैं कि जब आप ‘दिल्ली मेट्रो’ में यात्रा के दौरान निरतंर होने वाली घोषणाओं को सुनेंगे, तो आप इन बेहतरीन वॉयस आर्टिस्टों को ज़रूर याद करेंगे.

यू-ट्यूब वीडियो से हाईजैक हो सकता है फोन

शोधकर्ताओं के मुताबिक, यू-ट्यूब वीडियो के पीछे एक दबी आवाज होती है, जो आपके स्मार्ट फोन को बिना आपकी जानकारी के कमांड कर सकता है.

जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मिका शेर के अनुसार आवाज की पहचान के तुरंत बाद ही फोन बंद हो जाते हैं. इससे आपके सॉफ्टवेयर पर भी असर पड़ सकता है, डिवाइसेस हैक हो सकती हैं.

हैकर्स के निशाने स्मार्टफोन यूजर्स

ये आम तौर पर हमेशा नहीं होता लेकिन ये नंबर गेम जरूर है. अगर लाखों लोग एक बिल्ली के बच्चे का वीडियो देखते हैं तो इसके साथ एक खुफिया संदेश आता है, ये करीब दस हजार फोन पर पहुंचते हैं. अगर इनमें से पांच हजार ने भी मालवेयर के साथ इस यूआरएल को क्लिक किया तो करीब हजार फोन हैकर्स के नियंत्रण में होंगे. शेर ने ये बातें पीसीवर्ल्ड डॉट कॉम से कही.

अगर हैकर्स को आवाज की मान्यता देने वाले सॉफ्टवेयर के इन-आउट की तकनीक आ गई और वह इसके आंतरिक कार्यकलाप को समझ गए तो वह इसके जरिए वॉयस कमांड्स दे सकेंगे. ये घटना लोगों के लिए बेहद खतरनाक होगा.

रिपोर्ट में कहा गया कि इस खतरे से बचाव के लिए, आवाज की मान्यता देने वाले सॉफ्टवेयर बनाने वालों ने ऐसी आवाजों को समर्थन नहीं देने वाले फिल्टर बनाया. जिससे वह मानवीय आवाजों और कंप्यूटर से बनने वाली आवाजों को पहचान सकें.

ईपीएफओ से पीएफ निकालना हुआ आसान

रिटायरमेंट फंड मैनेज करने वाली संस्था ईपीएफओ ने उस प्रोविज़न में रियायत दी है, जिसमें पीएफ विदड्रॉल जैसे सेटलमेंट क्लेम्स के लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) देना जरूरी था. यह प्रावधान ऐसे सभी सब्सक्राइबर्स के लिए था, जिन्होंने 1 जनवरी 2014 के बाद मेंबरशिप छोड़ी है.

एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने क्लेम ऐप्लिकेशन फॉर्म्स पर यूएएन देना पिछले साल दिसंबर से अनिवार्य बना दिया था. एक अधिकारी ने बताया, 'इस शर्त में रियायत देने का फैसला ऐसे मेंबर्स की मुश्किलों को देखते हुए किया गया है, जिन्हें यूएएन अलॉट नहीं किया गया था. यूएएन को शुरुआत में ऐसे सभी मेंबर्स को अलॉट किया गया था, जो जनवरी से जून 2014 के दौरान सब्सक्राइबर्स थे. यह फैसला ऐसे मेंबर्स को राहत देने के लिए किया गया है, जिन्होंने 1 जनवरी 2014 से पहले नौकरी छोड़ दी थी.'

यह फैसला किया गया है कि क्लेम फॉर्म बिना यूएएन के भी स्वीकार किया जा सकता है अगर मेंबर के छोड़ने की तारीख 1 जनवरी 2014 से पहले की है. इसके अलावा, कुछ मामलों में ऑफिसर इंचार्ज अपनी समझ से बिना यूएएन के क्लेम फॉर्म जमा करने की इजाजत दे सकता है.

यूएएन को क्लेम फॉर्म पर कोट करना इस मकसद के साथ अनिवार्य बनाया गया था कि इससे गलतियों की आशंका कम होगी. चूंकि यूएएन आधार, बैंक अकाउंट और अन्य चीजों से जुड़ा रहता है, ऐसे में यह क्लेम दाखिल करने वालों को बिना किसी दिक्कत के अपना बकाया हासिल करने में मदद देता है. ईपीएफओ ने जुलाई 2015 में यूएएन नंबर देना शुरू किया था. वह मेंबर्स को अब तक चार करोड़ यूएएन अलॉट कर चुका है. मेंबर्स अपना यूएएन खुद भी ऐक्टिवेट कर सकते हैं और इसे किसी अन्य ऑनलाइन बैंक अकाउंट की तरह मैनेज कर सकते हैं.

अब कटे फटे नोट निशुल्क होंगे एक्सचेंज

बैंकों की ग्राहक सेवा में और सुधार लाने के लिये आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वह 5,000 रूपए मूल्य तक के नोटों की निशुल्क अदला-बदली करें. अदला-बदली किए जाने वाले नोटों की अधिकतम सीमा 20 होगी. सरल शब्दों में कोई भी व्यक्ति या तो 20 कटे-फटे नोट या 5000 रुपए मूल्य तक के नोटों को बैंक से निशुल्क बदल सकता है.

रिजर्व बैंक ने कहा है कि यदि बदले जाने वाले ऐसे पुराने नोटों की संख्या 20 से ज्यादा है तो बैंक शुल्क लगा सकते हैं. खराब और पुराने नोटों को बदलने की सुविधा प्राधिकृत बैंक शाखाओं और बिना-चेस्ट (खजाना) वाली शाखाओं पर उपलब्ध है.

बैंकों से कहा गया है कि यदि उन्हें 5,000 रूपए मूल्य से अधिक अथवा 20 से ज्यादा पुराने नोट बड़ी संख्या में दिये जाते हैं, तो वह यह कहकर उन्हें स्वीकार कर सकते हैं कि इनका मूल्य बाद में क्रेडिट कर दिया जायेगा. बड़ी संख्या में मिलने वाले नोटों के एवज में बैंक सेवा शुल्क ले सकते हैं. यदि दिये गये नोटों का मूल्य 50,000 रूपए से अधिक है तो बैंकों को सावधनी बरतनी चाहिये.

बिना-चेस्ट वाली बैंक शाखाओं से कहा गया है कि वह प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पांच नोट को प्रक्रिया के अनुरूप देख जांच कर उसका विनिमय मूल्य काउंटर पर दें.

पाकिस्तान में टैलेंट नहीं है: अफरीदी

एक इंटरव्यू में जब शाहिद अफरीदी से पूछा गया कि टीम सेलेक्शन में मेरिट को कितनी अहमियत दी जाती है, तो अफरीदी का कहना था, "जिस तरीके का टैलेंट इस वक्त सामने आ रहा है और जिसके हवाले से हम बहुत सी बातें करते हैं कि पाकिस्तान में बड़ा टैलेंट है. सॉरी पाकिस्तान में अभी वो टैलेंट नहीं है, जिस लेवल के क्रिकेट खिलाड़ियों कि डिमांड है."

उन्होंने कहा कि अगर उन्हें पाकिस्तान क्रिकेट टीम में नहीं चुना गया तो कोई इशू नहीं है. यानी ये उनके लिए कोई मायने नहीं रखेगा.

यह पूछा जाने पर कि पाकिस्तान महिला क्रिकटे टीम को बहेतर बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए, अफरीदी ने कहा कि पहले मर्दों की टीम को तो ठीक कर लें. उनका कहना था कि जब मर्दों के लिए ही सहूलियत मुहैया नहीं है तो जरा सोचिए औरतें किन हालात का सामना कर रही होंगी.

अपनी रिटायरमेंट पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वो पहले चाहते थे कि एक अच्छी टीम बनाकर रिटायर हों. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. उनका कहना था कि एक खिलाड़ी की हैसियत से वो दूसरे पाकिस्तानी खिलाड़ियों से बहुत बेहतर हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तानी क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में बहुत सुधार हो सकता है लेकिन वो इसके बारे में कुछ कहेंगे तो उन्हें नोटिस मिल जाएगा.

जौहरियों को सरकार का तोहफा

आभूषण को उत्पाद शुल्क के दायरे में लाने का विरोध कर रहे सर्राफा कारोबारियों को मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है. अब गत वर्ष 15 करोड़ रुपये से कम का कारोबार करनेवाले ज्वैलर्स को उत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

पहले यह सीमा 12 करोड़ रुपये थी. साथ ही चालू वित्त वर्ष में 10 करोड़ रुपये से कम का कारोबार रहने तक ज्वैलर्स को उत्पाद शुल्क से छूट रहेगी. सरकार ने यह भी साफ किया है कि जॉब वर्कर (ज्वैलरी के कारीगरों) के यहां उत्पाद शुल्क के अधिकारी छापेमारी नहीं करेंगे. इसके अलावा सेंपल के तौर पर ज्वैलरी एक जगह से दूसरी जगह भेजने पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगेगा और न ही उत्पाद शुल्क अधिकारी ट्रांजिट के दौरान ज्वैलरी चैक करेंगे.

वहीं पुरानी ज्वैलरी से नयी ज्वैलरी बनवाने पर ग्राहकों को सिर्फ वैल्यू एडीशन की राशि पर उत्पाद शुल्क का भुगतान करना होगा. वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सरकार ने ज्वैलर्स के साथ विचार विमर्श के लिए गठित की गयी उप समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने समिति की उस सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया है जिसके तहत एक करोड़ रुपये से कम ड्यूटी का भुगतान करने वाले ज्वैलर्स की इकाइयों का प्रथम दो वर्षों तक उत्पाद शुल्क का ऑडिट नहीं किया जायेगा.

मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने उत्पाद शुल्क का पंजीकरण कराने के लिए जरूरी कारोबार की सीमा को भी बढ़ा दिया है. जिन ज्वैलर्स का कारोबार गत वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये से कम था,उन्हेंउत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण लेने की आवश्यकता नहीं होगी. पहले यह सीमा 12 करोड़ रुपये थी.

इसी तरह जिन ज्वैलर्स का कारोबार मौजूदा वित्त वर्ष में 10 करोड़ रुपये को पार करता है तो उन्हें उत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण कराना होगा. पहले यह सीमा 6 करोड़ रुपये थी. साथ ही अगर किसी ज्वैलर्स का कारोबार मार्च 2016 में 85 लाख रुपये से अधिक है तो उसे पंजीकरण कराने की जरूरत होगी. सरकार ने दस करोड़ की कारोबारी सीमा ज्वैलर्स की मांग पर लागू की है. इसकी कमेटी ने सिफारिश नहीं की थी.

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में ज्वैलरी पर एक प्रतिशत (इनपुट और कैपिटल गुड्स क्रेडिट  के बिना) उत्पाद शुल्क लगाने का एलान किया था जिसका देशभर में ज्वैलर्स ने विरोध किया था.

सरकार के फैसले का स्वागत

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेडर्स फेडरेशन (जीजेएफ) के चेयरमैन जीवी श्रीधर ने कहा, ‘जीजेएफ की आरे से हम रत्न व आभूषण उद्योग को सरकार के समर्थन की सराहना करते हैं. इससे व्यापार बढ़ेगा क्योंकि उद्योग को उत्पाद शुल्क लगाने के बारे में स्पष्टीकरण का इंतजार था.’

तो ये निभायेंगे कपिल का किरदार

बहुत कम ऐसी फिल्में होती हैं, जो बायोपिक बेस्ड हों और बॉक्स ऑफिर पर न चलें. एक अजहर को छोड़ दें, तो खिलाडिय़ों पर तो अब तक जितनी भी बायोपिक बनी हैं, उन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया है. वैसे इन दिनों बॉलीवुड में क्रिकेट खिलाडिय़ों की बायोपिक पर फिल्म बनाने की होड़ लगी हुई है. पहले मोहम्मद अजहरुद्दीन के जीवन पर आधारित अजहर आई. महेंद्र सिंह धोनी पर भी एमएस धोनी: द अन्टोल्ड स्टोरी लगभग बनकर तैयार है और अब चर्चा कपिल देव की बायोपिक पर है.

चर्चा है कि 1983 में भारत की वर्ल्ड कप जीत पर भी फिल्म बनने जा रही है. रमन राघव के डायरेक्टर अनुराग कश्यप इस पर फिल्म बनाने की प्लानिंग कर चुके हैं. इस फिल्म में 1983 के दौरान टीम के हालात. वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने की खुशी और प्रेशर… आखिर में वेस्टइंडीज टीम पर जीत तक सारा रोमांच दिखाया जाएगा. फिल्म में कपिल देव, जो उस वक्त टीम के कैप्टन थे एक अहम कड़ी होंगे. वो कपिल देव ही थे  जिन्होंने फाइनल मैच में विवियन रिचड्र्स को काफी दूर तक भागकर कैच आउट किया था.

ये मोमेंट एक ऐसा गोल्डन मोमेंट था, जिसे कोई भी फैन फिल्म में मिस नहीं करना चाहेगा. अब सवाल यह है कि बॉलीवुड में ऐसा कौन एक्टर है, जो कपिल देव की भूमिका निभाने में समर्थ है? दरअसल, इस फिल्म में कपिल देव पर सर्वाधिक फोकस रहेगा, क्योंकि फिल्म के केंद्र में कपिल ही होंगे. ऐसे में व्लर्ड कप के अलावा भी कपिल की जिंदगी के कुछ हिस्सों को भी जगह दी जाएगी. खबरों की मानें, तो कपिल देव के रोल के लिए अर्जुन कपूर से सम्पर्क किया गया है. चूंकि इन दिनों अर्जुन अपनी आगामी फिल्म हॉफ गर्लफ्रैंड की शूटिंग में बिजी हैं. हाल ही वो राजस्थान में शूटिंग शेड्यूल खत्म करके मुंबई लौटे हैं. सूत्रों के अनुसार, अर्जुन फिल्म की कहानी सुनने के बाद इस पर हां या ना कहेंगे.

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