आभूषण को उत्पाद शुल्क के दायरे में लाने का विरोध कर रहे सर्राफा कारोबारियों को मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है. अब गत वर्ष 15 करोड़ रुपये से कम का कारोबार करनेवाले ज्वैलर्स को उत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

पहले यह सीमा 12 करोड़ रुपये थी. साथ ही चालू वित्त वर्ष में 10 करोड़ रुपये से कम का कारोबार रहने तक ज्वैलर्स को उत्पाद शुल्क से छूट रहेगी. सरकार ने यह भी साफ किया है कि जॉब वर्कर (ज्वैलरी के कारीगरों) के यहां उत्पाद शुल्क के अधिकारी छापेमारी नहीं करेंगे. इसके अलावा सेंपल के तौर पर ज्वैलरी एक जगह से दूसरी जगह भेजने पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगेगा और न ही उत्पाद शुल्क अधिकारी ट्रांजिट के दौरान ज्वैलरी चैक करेंगे.

वहीं पुरानी ज्वैलरी से नयी ज्वैलरी बनवाने पर ग्राहकों को सिर्फ वैल्यू एडीशन की राशि पर उत्पाद शुल्क का भुगतान करना होगा. वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सरकार ने ज्वैलर्स के साथ विचार विमर्श के लिए गठित की गयी उप समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने समिति की उस सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया है जिसके तहत एक करोड़ रुपये से कम ड्यूटी का भुगतान करने वाले ज्वैलर्स की इकाइयों का प्रथम दो वर्षों तक उत्पाद शुल्क का ऑडिट नहीं किया जायेगा.

मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने उत्पाद शुल्क का पंजीकरण कराने के लिए जरूरी कारोबार की सीमा को भी बढ़ा दिया है. जिन ज्वैलर्स का कारोबार गत वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये से कम था,उन्हेंउत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण लेने की आवश्यकता नहीं होगी. पहले यह सीमा 12 करोड़ रुपये थी.

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