Download App

राजनीति में उलझा कैराना

उत्तर प्रदेश के कैराना की कहानी तो चुनावी बिसात पर सुनी और सुनाई जा रही है. कहानी का जो एंगल अपने मुनाफे के हिसाब से जिस को लाभकारी लगता है वह उसी को सुना रहा है. सचाई यह है कि कैराना जैसे कसबे धार्मिक दूरियों से बनते हैं. इस में नया कुछ नहीं है. ऐसे कसबे सालोंसाल से समाज में बनते हैं. धार्मिक दूरियों से लोग एकदूसरे से दूर रहना पसंद करते हैं. गांव से ले कर शहर तक ऐसी बस्तियां देखी जा सकती हैं जहां केवल एक ही जाति और धर्म के लोग रहते हैं. दूसरी जाति और धर्म के लोग उन बस्तियों में रहना नहीं चाहते. ऐसी बस्तियों का वजूद मनुवाद से जुड़ा है. गांव में सवर्णों के घरों से दूर दलितों और पिछड़ों की बस्तियां बसाई जाती थीं. शहरों में भी बहुत सारे महल्ले एक ही जाति के बसे हुए होते थे. इन महल्लों का नाम इन में रहने वाले लोगों की जाति के नाम पर रखा जाता था. मनुवादी सोच यह थी कि गांव, बस्ती और महल्ले के नाम से ही पता चल जाए कि रहने वाला किस जाति या धर्म का है.

यह सोच आगे भी बढ़ती रही. देश की आजादी के बाद जाति और धर्म के नाम पर राजनीति शुरू हुई तो यह सोच और भी गहरी होती चली गई. मनुवाद ने जहां समाज को जाति के नाम पर बांटा, वहीं राजनीति ने धर्म के नाम पर पूरे समाज को बांट दिया. कई ऐसे शहर और महल्ले बस गए जो एक ही धर्म के लोगों के थे. पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ जिले तो इस के लिए मशहूर थे. मुसलिम बाहुल्य इन जिलों में बहुत पहले एक ही धर्म के 2 वर्गों के बीच झगडे़ होते थे. अयोध्या में राममंदिर आंदोलन के बाद शुरू हुई राजनीति ने धार्मिक दंगों को हवा देने का काम किया. आपस में दूरियां बढ़ीं तो दंगे होने लगे. यह वह समय था जब हिंदू और मुसलिम 2 अलगअलग खेमों में बंट गए. सही मानो में देखा जाए तो सामाजिक सामंजस्य का तानाबाना वहीं से टूटने लगा. ऐसे हालात से बचने के लिए 2 धर्मों के लोग एकसाथ खडे़ होने के बजाय एकदूसरे से दूर होने लगे. उन महल्लों में अपने मकान और दुकान बेच कर लोग नई जगह में अपनी आबादी के बीच बसने लगे. दंगे और तनाव असुरक्षा की भावना को लगातार बढ़ाते गए.

कैराना तो बहाना है

कैराना उत्तर प्रदेश के शामली जिले का एक कसबा है. शामली जिला पहले मुजफ्फरनगर का हिस्सा होता था. कैराना मुजफ्फरनगर से करीब 50 किलोमीटर दूर है. यह उत्तर प्रदेश व हरियाणा की सीमा पर स्थित है. कैराना शामली मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर पानीपत-खटीमा मार्ग पर पड़ता है. करीब 90 हजार की आबादी वाला कैराना बहुत पुरानी बस्ती है. यहां पढ़ाई और स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. पहले इस को कर्णपुरी के नाम से जाना जाता था. इस के बाद किराना होते हुए यह कैराना बन गया. किराना के नाम से संगीत घराना भी है. यह बात और है कि अब इस घराने के लोग कैराना में नहीं रहते. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, कैराना में 72 हजार की आबादी मुसलिम और करीब 18 हजार हिंदू आबादी है. कैराना कसबे में 44 गांव आते हैं. इन में से 32 गांव गुर्जर बाहुल्य हैं. गुर्जर जाति की खास बात यह है कि यह हिंदू और मुसलिम दोनों समुदायों में आती है.

कामकाज और कारोबार करने वाली जातियों को देखें तो बडे़ कारोबारी हिंदू बिरादरी के हैं. ये छोटीबड़ी तमाम तरह की दुकानें और दूसरे काम करते हैं. साल 2014 में 3 हिंदू कारोबारियों की हत्या के बाद कैराना में दहशत का माहौल बन गया. मुजफ्फरनगर के दंगे का प्रभाव यहां के लोगों पर पड़ा और लोग धीरेधीरे यहां से दूर कहीं दूसरी जगहों पर बसने की योजना बनाने लगे. यह शुद्ध रूप से कानून व्यवस्था का मसला था. कैराना में रंगदारी, लूट, फिरौती, अपहरण और हत्या की घटनाओं ने वहां के सामाजिक  तानेबाने को नुकसान पहुंचाया. अब मुसलिम बाहुल्य इलाके में हिंदू रहना नहीं चाहते थे. यही हालात अलगअलग जगहों पर मुसलिम बिरादरी की भी है. वे लोग भी हिंदू आबादी से दूर अलग रहना पसंद करते हैं. 

चुनावी फायदा

गांव से शहर की तरफ पलायन हर जिले में हो रहा है. रोजगार, शिक्षा, अस्पताल और अच्छी जीवनशैली के लिए लोग गांव से शहर की तरफ आते हैं. मुंबई, दिल्ली और पंजाब के तमाम शहर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों से भरे पडे़ हैं. कभी किसी ने पलायन को चुनावी रंग देने की कोशिश नहीं की. भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने कैराना से पलायन को राजनीतिक रंग दे कर चुनावी लाभ लेने की कोशिश की. हुकुम सिंह ने

346 लोगों के नाम वाली सूची को पेश करते कहा कि इन लोगों ने कैराना से पलायन किया है. कैराना के पलायन को राजनीतिक रंग देने वाले हुकुम सिंह और भारतीय जनता पार्टी को जल्द ही इस बात का एहसास हो गया कि यह मुद्दा ज्यादा दिन तक चलेगा नहीं. ऐसे में वे इस मामले को ले कर नरम पड़ गए. हुकुम सिंह ने बाद में कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक नहीं है. कैराना में ही नहीं, दूसरी जगहों पर भी अपराध बढ़ रहे हैं. इस क्षेत्र में तमाम अपराध करने वाले गैंग मुसलिम अपराधी चला रहे हैं.

कैराना के रहने वाले और वहां से पलायन करने वाले इस का कारण खराब कानून व्यवस्था को मानते हैं. यहां रहने वाले लोग शाम होते ही घरों में कैद हो जाते हैं. अपराधियों के खिलाफ पुलिस कोई कडे़ कदम नहीं उठाती, इसलिए उन के हौसले बढ़ जाते हैं. मजेदार बात यह है कि कैराना में आज तक कोई दंगा नहीं हुआ. यहां हिंदू, मुसलिम और सिख हर तरह के लोग रहते हैं. यह बात सच है कि कैराना के आसपास के इलाकों में अपराध बढ़ा है. इस की वजह से कारोबारी

वर्ग मुसीबत में हैं. कई कारोबारी अपना कारोबार छोड़ कर भाग चुके हैं. कुछ लोग अभी इस मौके की तलाश में हैं कि यहां रहना छोड़ दें. कैराना से पलायन के मुद्दे को राजनीतिक रंग दे कर भाजपा चुनावी लाभ लेने की जुगत में है.

कैराना से जुडे़ मुद्दे को उठाने के बाद खुद भाजपा नेता एकमत नहीं रह गए. सरधना से भाजपा के विधायक संगीत सोम ने सरधना से कैराना के बीच ‘निर्भय यात्रा’ निकालने की योजना बनाई तो इस मुददे को उठाने वाले भाजपा सांसद हुकुम सिंह इस से सहमत नहीं दिखे. संगीत सोम ने 40 किलोमीटर लंबी निर्भय यात्रा की शुरुआत की तो जिला प्रशासन ने उन को मना कर दिया. बाद में प्रदेश नेतृत्व भी निर्भय यात्रा के खिलाफ हो गया. इस कारण संगीत सोम यात्रा को रोकने के लिए राजी हो गए.

राजनीति के जानकार मानते हैं कि भाजपा ने कैराना मुद्दा चुनावी लाभ के लिए उठाया था. लोकसभा चुनावों के पहले भाजपा को मुजफ्फरनगर दंगों की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लाभ हुआ था. इस के बल पर वह उत्तर प्रदेश से 73 लोकसभा क्षेत्रों में जीत हासिल करने में सफल रही थी. उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में भाजपा इस बार कैराना को धार्मिक मुद्दा बनानेकी योजना में थी. लेकिन जैसेजैसे यह मुद्दा गरम होने लगा, प्याज की तरह इस के छिलके उतरने लगे. ऐसे में बहुत दिनों तक इस मुददे का चलना संभव नहीं दिख रहा था. तब भाजपा ने संगीत सोम की ‘निर्भय यात्रा’ को समर्थन न दे कर कैराना मुद्दे से हाथ वापस खींच लिया. केवल भाजपा ही नहीं, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी इस मुद्दे को भुनाने में जुट गईं.

भाजपा हर मुद्दे को राजनीतिक रंग देती है

(अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश की सरकार विकास के काम कर रही है. प्रदेश की जनता में उस की अच्छी छवि बनी है. यह बात विरोधी दलों को हजम नहीं हो रही है. भाजपा ने पहले मथुरा को बाद में कैराना को राजनीति का हथियार बनाने की कोशिश की. भाजपा हमेशा झूठे प्रचार का सहारा ले कर प्रचार करती है. लोकसभा चुनाव में जिनजिन मुद्दों को भाजपा ने उठाया आज 2 साल बाद वह उन मुद्दों को छोड़ चुकी है. भाजपा ने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया है. भाजपा अपने चुनावी मुददों को भूल चुकी है. जनता उस के सच को जान चुकी है. अब भाजपा अपनी गिरती छवि से परेशान हो कर तनाव फैलाने वाले मुददे उठाने लगी है.

‘निर्भय यात्रा’ से चमके संगीत सोम

साल 2013 में संगीत सोम मुजफ्फरनगर दंगों की वजह से चर्चा में आए थे. मुजफ्फरनगर दंगों पर बनी फिल्म ‘शोरगुल’ में भी उन के किरदार को दिखाया गया है. संगीत सोम सरधना विधानसभा के विधायक है. संगीत सोम की अपने क्षेत्र पर अच्छी पकड़ है. वे पार्टीलाइन से अलग रह कर भी कई काम करते हैं. संगीत सोम की बढ़ती लोकप्रियता से भाजपा के कई नेता परेशान हैं. वे उन को समर्थन भी नहीं देते. इस के बाद भी संगीत सोम का राजनीतिक कद बढ़ता जा रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संगीत सोम हिंदुत्व का प्रखर चेहरा माने जाते हैं. ‘निर्भय यात्रा’ निकालने का फैसला करने के बाद पार्टी स्तर पर उन को किसी का समर्थन नहीं मिला. इस के बाद भी वे यात्रा निकालने में सफल हुए. जब उन को लगा कि वे कानून का उल्लंघन कर रहे हैं तो उन्होंने यात्रा स्थगित कर दी. संगीत सोम कहते हैं, ‘‘मैं पार्टी के साथ और उस के अनुसार काम करता हूं. मेरी प्राथमिकता मेरे क्षेत्र की जनता है. मैं अकेला कुछ भी नहीं हूं.’’ 

मेरे पति पर मुखमैथुन का जनून सवार है. इस से हमारे स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा.

सवाल

मैं 25 वर्षीय विवाहिता हूं. मेरे पति बहुत ही रोमांटिक हैं. नियमित सहवास करते हैं. कई तरह की रतिक्रीड़ाएं करते हैं. मैं भी उन्हें पूरा सहयोग देती हूं. आजकल उन पर मुखमैथुन का जनून सवार है. मैं जानना चाहती हूं कि इस से हमारे स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा. कई बार मुखमैथुन करते हुए उन का वीर्य मेरे मुंह में ही स्खलित हो जाता है.

जवाब

मुखमैथुन भी संभोग की एक प्रक्रिया है. यदि इस में आप के पति को आनंद मिलता है, तो इस में कोई हरज नहीं है. जहां तक स्वास्थ्य पर इस के दुष्प्रभाव की बात है, तो यदि यौनांगों की साफ सफाई पर खास ध्यान दिया जाए, तो इस का स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

कब सुधरेगी ये पाकिस्तानी मॉडल, फिर पोस्ट किया अश्लील वीडियो

विवादित बयानों और हॉट तस्वीरों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाली पाकिस्तानी की पूनम पांडे के नाम से मशहूर मॉडल कंदील बलोच की हाल ही में एक वीडियो यू-ट्यूब पर वायरल हो रही है. इससे 'ड्रामा क्वीन' कंदील ब्लूच फिर से सुर्खियों में आ गई है.

इस अश्लील वीडियो में कंदील बेहद ही बोल्ड अवतार में दिख रही हैं और उनके डांसिंग मूव्ज भी हद से ज्यादा हॉट हैं. वीडियो का नाम बैन हैं, वीडियो को शेयर करते हुए कंदील ने फेसबुक पर लिखा था “पाकिस्तान की हिस्ट्री में ऐसा बोल्ड वीडियो आज तक नहीं होगा.”

गौरतलब है कि कंदील बलोच एक पाकिस्तानी मॉडल है जो अक्सर अपने बयानों की वजह से खबरों में रहती है. जब भारत ने एशिया कप में पाकिस्तान को हराया था, उसके बाद कंदील ने शाहिद आफरीदी को पागल कहा था. अभिनेत्री कंदील भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली के लिए भी अपने प्यार का इजहार कर चुकी है.

महाराष्ट्र महिला आयोग के सामने फिर पेश नहीं हुये सलमान

बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने ‘दुष्कर्म संबंधी टिप्पणी’ पर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (एमएसडब्ल्यूसी) को आखिरकार अपना जवाब भेज दिया है.

एमएसडब्ल्यूसी की अध्यक्ष विजया राहतकर ने गुरुवार को बताया, ‘‘उन्होंने आज अपना जवाब भेज दिया है. हम इसका विश्लेशण कर रहे हैं. उसके बाद हम अगले कदम के बारे में सोचेंगे. मैं इस स्तर पर इसके विवरण का खुलासा नहीं कर सकती.’’

सलमान पिछले गुरुवार को एमएसडब्ल्यूसी के व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने के निर्देश के बावजूद आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे. सलमान को एमएससीडब्ल्यू के समक्ष पेश होकर अपने हालियाविवादस्पद बयान के संदर्भ में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था.

इससे पहले एमएससीडब्ल्यू ने उन्हें 29 जून और सात जुलाई को भी समन भेजा था. इसके अलावा नई दिल्ली के राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी उन्हें ऐसे ही समन भेजे थे.

सलमान ने इससे पहले दो बार अपने वकील के जरिए एमएससीडब्ल्यू से आग्रह किया था कि जब राष्ट्रीय महिला आयोग में इस मामले की सुनवाई चल ही रही है, तब महाराष्ट्र महिला आयोग इस मामले की सुनवाई न करें. लेकिन राहतकर ने उनकी याचिका ठुकरा दी थी.

सलमान ने इस महीने पहले अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘सुलतान’ की रिलीज से पहले संवादाताओं से बातचीत के दौरान कहा था कि फिल्म में कुश्ती के सीन की शूटिंग के बाद उन्हें दुष्कर्म पीड़िता जैसा महसूस हुआ था.

WBBL: हरमनप्रीत पर लटकी तलवार

वुमेंस बिग बैश लीग (डब्ल्यूबीबीएल) में भारत की स्टार महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत को लेकर अब मौजूदा विजेता टीम सिडनी थंडर्स के बयान ने एक नया मोड़ दे दिया है.

सिडनी थंडर्स ने दिए अपने एक बयान में साफ किया कि वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऑलआउंडर खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह को अपने साथ शामिल करने के इच्छुक हैं, लेकिन अभी तक दोनों के बीच किसी तरह का कोई करार नहीं हुआ है.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा था कि सिडनी थंडर्स ने हरमनप्रीत के साथ करार कर लिया है.

सिडनी थंडर्स की फ्रेंचाइजी के महाप्रबंधक निक कमिंस ने हालांकि इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने भारतीय खिलाड़ी के साथ करार किया है, लेकिन उन्होंने साथ ही माना है कि क्लब का ध्यान हरमनप्रीत पर बनी हुई है.

कमिंस ने बताया, “हम सिडनी थंडर्स में हरमनप्रीत को लाने पर विचार कर रहे हैं”. उन्होंने कहा, “इस समय किसी तरह का कोई करार नहीं हुआ है.”

बीसीसीआई के द्वारा महिला क्रिकेटरों को विदेशी लीग में खेलने की मंजूरी देने के बाद हरमनप्रीत के अलावा अन्य भारतीय महिला क्रिकेटर जैसे टीम की कप्तान मिताली राज, झूलन गोस्वामी के भी लीग में हिस्सा लेने अटकलें हैं.

इस बॉलीवुड एक्टर का ‘इक्का’ में होगा डबल रोल

बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार अक्षय कुमार अपनी आने वाली एक फिल्म में डबल रोल निभाते नजर आ सकते हैं. अक्षय कुमार अपनी आने वाली फिल्म 'इक्का' में डबल रोल निभाते नजर आएंगे.

यह फिल्म तमिल फिल्म 'कठ्ठी' का हिंदी रीमेक है. इस फिल्म में अक्षय दोहरी भूमिका निभाएंगे. इस फिल्म के रीमेक के लिए मुरुग्दोस और अक्षय एक साथ जुड़े हैं जिसमें अक्षय डबल रोल करेंगे. इस फिल्म की शूटिंग अगले साल जनवरी के आस-पास शुरू की जाएगी. हालांकि अभी इसमें लीड एक्ट्रेस और नेगेटिव रोल के लिए किसी नहीं चुना गया है लेकिन फिर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पाकिस्तानी एक्ट्रेस माया अली और मॉडल सादिया खान इस रोल के लिए चुनी जा सकती हैं.

फिल्म तमिल फिल्म से काफी अलग बनाई जाएगी और नॉर्थ की जनता को ध्यान में रखते हुए इसमें कुछ ऐसे एलिमेंट्स जोड़े जाएंगे जिससे ये फिल्म लोगों को पसंद आ सके. बताया जाता है कि यह फिल्म किसानों के आत्महत्या वाले मुद्दे पर आधारित है. अक्षय इससे पूर्व 'जय किशन', 'अफलातून' और 'राउडी राठौर' जैसी फिल्मों में दोहरी भूमिका निभा चुके हैं.

पुलकित की पत्नी ने लगाया घर तोड़ने का आरोप

बॉलीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम पत्रकारों पर उस समय भड़क गईं जब उनसे पुलकित सम्राट की पत्नी श्वेता रोहिरा द्वारा लगाये गये आरोपों पर सवाल किया गया. यामी के 'सनम रे' के को-स्टार पुलकित की पत्नी श्वेता रोहिरा ने यामी पर उनकी शादी तोड़ने का आरोप लगाया है.

श्वेता और पुलकित अपनी एक साल चली शादी के बाद 2015 में अलग हो गए थे. तभी से 32 वर्षीय अभिनेता के यामी के साथ प्रेम संबंध होने की अफवाहें हैं. श्वेता सुपरस्टार सलमान खान की मुंह बोली बहन है. हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में श्वेता ने दावा किया था कि यामी ने उनकी शादी तोड़ी है.

यामी से जब इस पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, यह काफी खूबसूरत समारोह है, आपको क्यों बेकार के सवाल करने हैं. बार-बार सवाल किये जाने पर 27 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा, मैं यहां इन सवालों का जवाब देने नहीं आई हूं. कृपया समारोह से जुड़े सवाल ही पूछें.

यामी ने यहां एक फैशन शो के दौरान मीडिया से बात की. यामी यहां डिजाइनर अनिता डोगरे के लिए बतौर शो स्टॉपर रैंप पर चली.

जानिये ऋतिक रोशन को कौन लगता है रोमांटिक

फिल्म 'मोहनजोदड़ो' में आशुतोष गोवारिकर संग काम करने वाले अभिनेता ऋतिक रोशन ने बताया कि निर्देशक ने अविश्वसनीय प्रेरणादायक रोमांस के साथ शूटिंग की और वह दिल से रोमांटिक हैं.

ऋतिक ने 'मोहन जोदड़ो' के एक प्रचार कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा, "वह (आशुतोष) काफी रोमांटिक हैं. आप कह सकते हैं कि यह शख्स दिल से रोमांटिक है. उन्होंने कैमरे पर अविश्वसनीय प्रेरणादायक रोमांस दिखाया है, जो पहले कभी नहीं देखा गया."

उन्होंने कहा, "फिल्म की पटकथा बेहद खूबसूरत है. प्रत्येक रोमांटिक दृश्य आपको प्रभावित करेंगे." फिल्म 'मोहन जोदड़ो' से अभिनेत्री पूजा हेगड़े बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत करने जा रही हैं. यह फिल्म 12 अगस्त को रिलीज होगी.

बनें सजग उपभोक्ता

हाल ही में ‘सेंटर फौर साइंस ऐंड एनवायरमेंट’ के एक अध्ययन में यह सच सामने आया कि देश में बिकने वाले ब्रेड, बन्स और रेडी टू ईट बर्गर पिज्जा वगैरह में सेहत के लिए खतरनाक कैमिकल्स जैसे पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट काफी मात्रा में इस्तेमाल किए जाते हैं, जो कैंसर व थायराइड की वजह बन सकते हैं. इन के 38 पौपुलर ब्रांड्स में से 84% में सैंपल टेस्ट में इन की अधिक मात्रा पाई गई. बाद में करीब एक माह की जांच पड़ताल के बाद फूड सेफ्टी और स्टैंडर्डस औथोरिटी औफ इंडिया द्वारा स्पष्ट तौर पर पोटेशियम ब्रोमेट के प्रयोग पर बैन लगा दिया गया. इसी तरह जून 2015 में एफएसएसए ने उस वक्त मैगी नूडल्स पर पूरी तरह बैन लगा दिया था जब इस के सैंपल्स में लेड की काफी अधिक मात्रा पाई गई थी जबकि लेड सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

दरअसल उपभोक्ताओं के साथ उत्पादक कंपनियां, विक्रेता, दुकानदार या सेवाप्रदाता कंपनियां वगैरह कई तरह से धोखाधड़ी कर सकती हैं. उन पर वर्णित दोनों मामले जहां उपभोक्ताओं की सेहत से जुडे हैं तो वहीं कई दफा मानसिक या आर्थिक दृष्टि से भी उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है.

हाल ही में कंज्यूमर फ्रौड.कौम में एसबीआई बैंक के ग्राहकों की बैंकिंग जानकारी की धोखाधड़ी से संबंधित एक शिकायत की गई थी जहां पर उन्हें बेवकूफ बना कर उन की डेबिट कार्ड की जानकारी लेने के बाद उन के खाते से पैसे निकाल लिए गए.

कुछ समय पहले एक कंज्यूमर ने एक दुकानदार के खिलाफ केस दर्ज कराया क्योंकि दुकानदार ब्रेड के लिखित एमआरपी से अधिक रकम वसूल रहा था, तो वहीं एक टूर एंड ट्रैवल कंपनी पर इस बात के लिए धोखेधड़ी का केस दर्ज हुआ क्योंकि वह वादा की गई सहूलियतें मुहैया नहीं करा पाया.

आज के समय में हर व्यक्ति उपभोक्ता है, भले ही वह राशन खरीद रहा हो, कपड़े या दवाइयां और ब्यूटी प्रोडक्ट्स वगैरह या इलैक्ट्रोनिक आयटम्स ले रहा हो या फिर किसी कंपनी द्वारा दी जा रही कोई और सेवा प्राप्त कर रहा हो. कहीं भी, कभी भी आप के साथ धोखाधड़ी हो सकती है. जरूरी है कि एक उपभोक्ता होने के नाते सदैव अपनीअपनी आंखें खुली रखें और जब भी जरूरत पड़े, अपने हक के लिए आवाज उठाएं.

आरएसजे लेक्सस के डायरेक्टर गौरव जैन कहते हैं कि जब एक रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो खाने की क्वालिटी के अलावा आप को यह भी ध्यान रखना होगा कि आप से कहीं अवैध रूप से वैट या सर्विस टैक्स तो नहीं वसूला जा रहा. आप को सिर्फ इतना देखना है कि बिल पर रजिस्टर्ड सर्विस टैक्स नंबर या वैट / टिन नंबर है या नहीं. टिन एक 11 डिजिट का नंबर होता है और इसे वैट से जुड़े हर तरह के ट्रांजेक्शन में मेंशन करना जरूरी होता है. यदि बिल पर यह नंबर प्रिंटेड है तो ठीक है वरना समझ लें कि संभवतः आप को बेवकूफ बनाया जा रहा है.

महिलाएं रहें खासतौर पर सावधान

महिलाओं को खासतौर पर सावधान रहना जरूरी है प्रैग्नैंसी के दौरान कुछ खरीदना हो या छोटे बच्चों के सामान लेने हों या पूरे परिवार के लिए खानेपीने की चीजें, दवाइयां वगैरह लेनी हों, सजगता हर मोड़ पर जरूरी है.

इस तरह की सावधानी आप का 5-10 मिनट से ज्यादा वक्त नहीं लेती. आप इंटरनेट पर पहले प्रोडक्ट के बारे में पूरी जानकारी ले लें फिर उसे खरीदते वक्त पैक के ऊपर मैनफेक्चरिंग और एक्सपायरी डेट जरूरी देखें. वह प्रोडक्ट किन चीजों से बनाया गया है और उस के प्रयोग में कैसी सावधानियां जरूरी हैं, यह सब भी पैक पर लिखा होना जरूरी है.

यही नहीं, प्रोडक्ट की जितनी एमआरपी लिखी गई है उस से ज्यादा कीमत वसूली जाए तो उपभोक्ता इस की लिखित शिकायत कर सकता है. कई दफा जब आप कोई वस्तु खरीदती हैं तो उस पर लिखे हुए वजन से कम वजन निकल सकता है.

यदि आप को किसी प्रोडक्ट के वजन को ले कर शंका है तो इसे जरूर क्रौस चेक कर लें. उदाहरण के लिए एलपीजी सिलिंडर जब आप के पास आते हैं तो बहुत संभव है कि उस का वजन 1 या 2 किले कम हो. आप लेते वक्त उसे तुलवा कर देख सकती हैं.

बतौर उपभोक्ता आप को हमेशा कोई भी वस्तु खरीदने के बाद दुकानदार से उस का बिल जरूर मांगना चाहिए. धोखाधड़ी होने पर आप यह बिल सबूत के तौर पर पेश कर सकती हैं.

द फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड रेगुलेशंस एक्ट, 2011 के मुताबिक अब सभी फूड मैनुफेक्चरिंग कंपनीज के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे किसी भी पैक्ड फूड्स पर स्पष्टता दें कि फूड आइटम्स में नौनवेज इनग्रेडिएंट्स हैं या नहीं और यह स्क्वायर के अंदर ब्राउन या ग्रीन सर्कल के रूप में इंडीकेट किया जाएगा. ब्राउन सर्कल नौनवेज के लिए और ग्रीन वेजीटेरियन को इंडिकेट करता है.

आर्थिक मुद्दे

गौरव जैन कहते हैं कि अपना बैंकिंग इनफोरमेशन सुरक्षित खने का प्रयास करें. यदि आप नया सिम कार्ड लेने जाते हैं और आप से पैनकार्ड, आधारकार्ड आादि की फोटोकौपीज और आप की फोटो ली जाती है तो हमेशा खयाल रखें कि पूरे पेज पर 2 लाइनें खींच दें और लिखें कि यह फोटोकौपी क्यों और किस उद्देश्य से व कब जमा की गईं हैं.

यदि आप से फोन पर बोनस आदि का लालच देते हुए इंश्योरेंस/बैंक अकाउंट आदि से जुड़ी जानकारियां मांगी जाएं जैसे पौलिसी नंबर वगैरह तो कभी न दें. आप के साथ फ्रौड हो सकता है इसी तरह फोन पर क्रेडिट कार्ड/औनलाइन बैंकिंग आदि से जुड़े विवरण, पासवर्ड आदि मांगे जा सकते हैं. आप ऐसा कभी न करें. इस तरह के लोग फ्रौड हो सकते हैं. डिटेल जान कर बड़ी से बड़ी रकम भी अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा सकते हैं. इसी तरह वाट्सएप पर भी कभी अपने क्रेडिट कार्ड वगैरह की फोटो किसी को न भेजें. यदि कभी कार्ड खो जाए तो इसे तुरंत बंद करा दें.

कभी भी इंश्योरेंस फौर्म साइन करते वक्त आंखें बंद न रखें. खाली फौर्म में कभी भी अपना हस्ताक्षर न करें.जब भी आप इंश्योरेंस लें तो अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य का नाम नौमिनी में जरूर डालें वरना यह भी संभव है कि वह उस खाली जगह पर अपने आदमी का नाम डाल कर कमाई कर ले.

क्वालिटी का प्रमाण

वे पदार्थ जो वैधानिक रूप से स्टैंडर्ड को मेंटेन करते हैं, उन के पैक पर हमेशा खास क्वालिटी मार्कस या सर्टिफिकेशन होते हैं. उदाहरण के लिए इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स के मामले में आईएसआई मार्क हमेशा देखना चाहिए. इसी तरह कृषि उत्पादों पर एग्मार्क, फू्रट प्रोडक्ट्स के लिए एफपीओ मार्क व सोने के गहनों की शुद्धता बीआईएस हालमार्क से प्रमाणित होती है.

इसी तरह जिन कंपनियों के पास आईएसओ प्रमाणपत्र है, उन की तरफ से भी उपभोक्ता निश्चिंत हो सकते हैं. किसी भी फूड आइटम का उत्पादन करने वाली कंपनी के लिए यह जरूरी है कि वह एफएसएसएआई में रजिस्टर्ड हो.

धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराएं

अगर आप किसी तरह की धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं तो परेशान न हो, आप कंज्यूमर फोरम में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

कंज्यूमर फोरम एक सरकारी संस्था है, जहां विक्रेता और सप्लायर के खिलाफ केस दर्ज कराई जा सकती है. इसे कंज्यूमर कोर्ट भी कहा जाता है. कंज्यूमर कोर्ट 3 स्तरों पर स्थापित किए गए हैं. यदि 20 लाख तक की धोखेधड़ी की शिकायत दर्ज करवानी है तो आप जिला उपभोक्ता फोरम के दरवाजे खटखटा सकते हैं. 20 लाख से 1 करोड़ तक के मामलों में राज्य उपभोक्ता फोरम और 1 करोड़ से ऊपर की धोखाधड़ी में राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया जा सकता है.

शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया सरल और कम खर्च वाली है. आप स्वयं भी अपना केस लड़ सकते हैं. मगर दावा 2 साल के अंदर दायर करें. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रावधान है कि उपभोक्ता फोरम 3 माह के भीतर मामला निबटाए.

अब फेसबुक और ट्विटर से ऑर्डर करें पिज्जा

अमेरिकी रेस्तरां श्रृंखला पिज्जा हट ने पिज्जा और अन्य खाद्य उत्पादों का ऑर्डर करने के लिए एक नए सोशल मंच 'चैटबॉट' की घोषणा की है. यहां ग्राहक सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक और ट्विटर से बातचीत के माध्यम से भोजन का ऑर्डर दे सकते हैं.

यह सुविधा अगस्त महीने से सभी पिज्जा हट सोशल अकाउंट पर उपलब्ध होगी, जिसकी शुरुआत सैन फ्रैंसिस्‍को में 2016 वेंचरबीट मोबाइलवीट कॉन्‍फ्रेंस में मुख्य डिजिटल अधिकारी बॉरन कॉसर्स ने एक डेमो से की थी. बॉपन ने कहा, 'पिज्जा हट के लिए ऑर्डर लेने वाला यह नया मंच ग्राहकों तक अपने पसंदीदा भोजन की पहुंच को आसान बनाने का एक और उदाहरण है.'

इस सुविधा के लिए पिज्जा हट ने तकनीकी कंपनी कन्‍वर्सेबल के साथ भागीदारी की है. कंपनी ने बताया, 'इस सेवा के माध्यम से ग्राहक किसी भी अमेरिकी पिज्जा हट स्टोर के फेसबुक व ट्विटर खातों पर बात करते हुए अपने पसंदीदा और बुक किए गए ऑर्डर को दोबारा ऑर्डर करने में सक्षम हैं. इसके साथ ही ग्राहक इस सुविधा के तहत अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब और नवीनतम सौदों और छूट की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं.'

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें