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दूसरी औरत पहली के लिए खतरा

दुनिया भर में वेश्यावृत्ति में औरतों को देह परोस कर पैसा पाने से ज्यादा पैसा वेश्याओं का लालच दे कर पुरुषों से लूटा जाता है. दिल्ली में एक ऐसा गिरोह पकड़ा गया है, जो मसाजपार्लर चलाने के नाम पर ठगी करता था. वह गिरोह मसाज का बहाना बना कर ग्राहकों को फंसाता था. जब आदमी कपड़े उतार चुका होता तो उसी गिरोह के लोग पुलिस की वरदी में पहुंच जाते और उसे लूट लेते. इस काम में औरतें पूरी तरह शामिल रहती हैं और वे ही वे कीड़ा होती हैं, जिन से मछली फंस ही जाती है. ऐसा कमोबेश सारे देशों और सारे शहरों में होता है. औरतें 1-2 बार तो नानुकुर करती हैं पर फिर साथ देने लगती हैं, क्योंकि जीने के लिए पैसा चाहिए. फिर चाहे वह देह परोस कर मिले या आकर्षित कर के.

औरतों के प्रति यह उत्सुकता घरों पर बहुत भारी पड़ती है. पत्नियों को जब पता चलता है कि पति इस तरह लुट कर आया है, तो उन को मालूम नहीं होता कि वे हमदर्दी दिखाएं या गुस्सा करें. पति का इस तरह का कार्य पत्नी के स्वाभिमान के खिलाफ होता है और वह इस बात को किसी से शेयर भी नहीं कर सकती. परिणामस्वरूप पतिपत्नी के बीच एक दरार पड़ जाती है. वेश्यावृत्ति के मामलों में आमतौर पर हमदर्दी वेश्याओं के प्रति दर्शाई जाती है कि उन्हें देह बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों का अपहरण भी होता है. वे आमतौर पर बीमार रहती हैं और जल्दी बूढ़ी हो जाती हैं. उन के उद्धार के लिए बहुत रोना रोया जाता है पर उन औरतों का क्या जिन के पति या बेटे इस तरह की औरतों के पास जा कर पैसा बरबाद कर के आते हैं? पुरुषों में दूसरी औरत के लिए स्वाभाविक प्राकृतिक चाह होती है, पर हमेशा से यह दूसरी औरत पहली वाली के लिए खतरा बनी रही है. यहां मामला सिर्फ सौतिया ढाह का नहीं है, घर की पूरी व्यवस्था का है. यदि पति को किसी से प्रेम हो जाए तो पत्नी फिर भी तसल्ली दे सकती है कि तलाक तो लिया जा सकता है. बाजारू औरतों के चक्कर में लूटे गए पति के बारे में किस से कैसी शिकायत करे पत्नी या मां?

कानून और पुलिस इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. यह मामला तो सामाजिक है और अफसोस यह है कि समाज में विचारक कम हैं तोड़फोड़ करने वाले, धमकी देने वाले, खिल्ली उड़ाने वाले या मजा लेने वाले ज्यादा. यह व्यापार चल रहा ही इसलिए है कि समाज की इस लूट को बंद कराने में कोई रुचि नहीं है. भले इस की वजह से सारी पत्नियां या मांएं परेशान रहती हों.

सोशल साइट्स पर अनसोशल ऐक्टिविटीज

भोपाल के रूपेश ने बेंगलुरु की प्रभा से फेसबुक पर फ्रैंडशिप की. प्रभा रूपेश से काफी प्रभावित हुई. उस से मिलने वह भोपाल आई. प्रभा को देखते ही रूपेश उत्तेजित हो गया और उस ने कौफी में नशीला पदार्थ मिला कर प्रभा के साथ शारीरिक संबंध बना लिए और उस की फिल्म भी तैयार कर ली. अब फिल्म को नैट पर डालने की धमकी दे कर वह प्रभा के साथ कई दिन तक दुष्कर्म करता रहा. आखिर प्रभा किसी तरह वहां से भाग कर पुलिस स्टेशन पहुंची. उस ने पुलिस को सारी बातें बताईं. पुलिस ने रूपेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

जबलपुर की एक 43 साल की महिला ने 20 वर्षीय कालेज गर्ल बन कर फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाया. उस ने युवकों को प्रभावित करने के लिए अपने फोटो के बजाय एक मौडल का फोटो लगा दिया. फोटो देख कर उस से फ्रैंडशिप करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ने लगी. उस ने अपनी रोमांचक और मीठीमीठी बातों से मुजफ्फरनगर के विनीत को फंसा लिया. विनीत उस से प्यार करने लगा.

एक दिन विनीत अपनी प्रेमिका से मिलने जबलपुर पहुंच गया. जब उस ने अपनी प्रेमिका के रूप में एक अधेड़ उम्र की महिला को देखा तो वह आपा खो बैठा. उस ने न केवल महिला की गोली मार कर हत्या कर दी बल्कि खुद को भी गोली मार ली.

बुरहानपुर के इमानउल्लाह ने फेसबुक पर खुद को अविवाहित बता कर इंदौर की एक डाक्टर रजिया से फ्रैंडशिप कर उस से चैटिंग व डेटिंग की. इमानउल्लाह ने उसे अपनी बातों के जाल में फंसा कर प्यार के नाम पर न केवल उस के साथ बीसियों बार बलात्कार किया बल्कि उस से लाखों रुपए भी ऐंठे. यहां मध्य प्रदेश की 3 घटनाओं का उल्लेख किया गया है. पूरे देश में ऐसी अनेक घटनाएं आएदिन घट रही हैं. फ्रैंडशिप भले ही सोशल हो, पर अब लोगों के इरादे अनसोशल होने लगे हैं. सोशल नैटवर्क पर फ्रैंडशिप झूठ, धोखा और फरेब बन कर रह गई है. सोशल साइट पर फ्रैंड रिक्वैस्ट फिर फ्रैंडशिप, उस के बाद डेटिंग और बाद में किडनैपिंग, रेप, मर्डर जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. इस की शिकार युवतियां ही नहीं युवक भी होते हैं. युवतियों के साथ छेड़छाड़, बलात्कार और धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं. युवतियां भी फेक प्रोफाइल और दूसरे का फोटो लगा कर युवकों को प्यार के जाल में फंसा कर अपना शिकार बना रही हैं. सोशल साइट्स जहां लोगों की लाइफ का हिस्सा बन गई हैं वहीं लोग इन का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.

साइबर क्राइम ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो सोशल साइट्स के जरिए झूठी फ्रैंडशिप का नाटक करते हैं. ऐसे गिरोह के लोग काफी शातिर किस्म के होते हैं. वे वर्चुअल दुनिया की फ्रैंडशिप का ऐसा तानाबाना बुनते हैं कि पढ़ीलिखी युवतियां भी इन के झांसे में आसानी से आ जाती हैं और अपना सबकुछ लुटा कर पछताती हैं.

एक सर्वे के अनुसार सोशल साइट्स पर चैटिंग करने वालों में 65 फीसदी लोग फ्लर्ट के लिए, 40 फीसदी, कामोत्तेजक बातचीत तथा 30 फीसदी साइबर सैक्स के लिए लौगइन रहते हैं. सोशल नैटवर्क के इन अनसोशल धोखेबाजों के जाल में कोई भी फंस सकता है. यहां इन धोखेबाजों से बचने के कुछ उपाय बताए जा रहे हैं. इन पर ध्यान दें :

नैट चैटिंग

नैट चैटिंग के दौरान सावधान रहें. नैट पर आप जिस से चैटिंग कर रहे हैं वह आप के लिए पूरी तरह से अनजान है. वह आप से किसी भी तरह की बातें जैसे अश्लील कमैंट कर सकता है. आप को बातों में फंसा कर झूठे प्यार का नाटक कर सकता है. यदि आप उस के बहकावे में आ कर उस के प्रश्नों का उत्तर खुल कर दे रही हैं तो वह आप को अपनी गिरफ्त में ले सकता है. सावधान, आजकल ऐसे ऐप्स आ गए हैं जो आप के बेडरूम और बाथरूम तक में झांक कर आप को परेशानी में डाल सकते हैं. अनजान व्यक्ति से चैटिंग करते समय सजग रहने की जरूरत है.

वर्चुअल लव की हकीकत

प्यार करना अच्छी बात है, पर चैटिंग के वक्त किसी को दिल दे बैठना ठीक नहीं है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि आप वर्चुअल लव करते हैं तो आप अपने व्यक्तित्व को पीछे छोड़ आते हैं. वर्चुअल लव असल में विकृत इच्छाओं और कुंठाओं को जाहिर करने का जरिया है. मनोवैज्ञानिक प्रोफैसर माइकल होम का कहना है, ‘‘वर्चुअल लव एक तरह का धोखा है. जिसे यह बीमारी लग जाती है, वह नैट पर अधिक समय बिताने लगता है. उसे पता ही नहीं चलता कि कब वह सिटिजन से नैटिजन हो गया है.’’

सैक्सटिंग

सोशल साइट्स पर सैक्सटिंग की प्रौब्लम भी काफी दिखाई दे रही है. सैक्सटिंग यानी सैक्सुअल टैक्स्ट या फोटोग्राफ मोबाइल, ईमेल, एमएमएस के जरिए सैक्सुअल, न्यूड और अश्लील फोटोग्राफ, मैसेज, वीडियो या औडियो भेजना. सैक्सटिंग किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं. अपने नैट फ्रैंड को क्लोज लाने के लिए सिर्फ युवक ही नहीं युवतियां भी इस का इस्तेमाल करती हैं. इस में इन्वौल्व होने पर ब्लैकमेलिंग का खतरा बढ़ जाता है.

एडवांस ऐप्स ऐंड टैक्नो

एक डिजिटल रोमियो कहीं बैठ कर भी एडवांस ऐप्स और टैक्नो के सहारे अपनी गर्लफ्रैंड के बैडरूम या बाथरूम में प्रवेश कर सकता है. इंदौर में बैठे एक युवक ने अपने कंप्यूटर में टोजोन प्रोग्राम के जरिए भोपाल की एक युवती का लैपटौप अपने कंट्रोल में ले लिया और उस की गंदी फिल्म बना ली. इस बात का पता उसे अपने मित्रों से चला जब उन्होंने बताया उस की गंदी फिल्म नैट पर अपलोड है. एडवांस ऐप्स के जरिए महिलाओं और युवतियों की निजी लाइफ में झांकने और सेंध लगाने का काम किया जा रहा है. टोजोन और मोर्फिन दोनों खतरनाक साइबर तकनीक मानी जाती हैं.

पर्सनल डाटा शेयर

उत्साह में आ कर कई युवकयुवतियां अपना पर्सनल डाटा शेयर कर देते हैं, जिस की वजह से कई बार वे बड़ी प्रौब्लम में फंस जाते हैं. सोशल नैटवर्किंग साइट पर आईडी बनाते समय अपना पर्सनल नंबर, पर्सनल जानकारी, फोटोग्राफ आदि किसी से चैट करते समय शेयर न करें. इस के मिसयूज के अधिक चांस रहते हैं, अपना कोई भी पासवर्ड शेयर न करें. अपना पासवर्ड समयसमय पर बदलते रहें.

रोजी बिंदास स्वभाव की युवती थी और खुद को खुली किताब की तरह पेश करती थी. उस ने अपना फेसबुक अकाउंट का पासवर्ड कई दोस्तों, यहां तक कि वर्चुअल बौयफ्रैंड को भी दे रखा था. एक दिन उस ने अपना अकाउंट खोला तो सिर पकड़ कर रह गई. उस की साइट पर ढेर सारी नग्न तसवीरें पोस्ट की गई थीं. यही नहीं उस की तसवीर के साथ छेड़छाड़ कर उसे भी अश्लील बना कर पोस्ट किया गया था. उस के किसी वर्चुअल फ्रैंड ने यह हरकत की थी. इसलिए कहा जाता है कि अपनी सोशल साइट का पासवर्ड भी किसी को न दें.

सर्च इंजन का इस्तेमाल

किसी भी चीज की जानकारी लेने के लिए सर्च इंजन पर सर्च करने से पहले उसे ठीक से देख लें. कहीं ऐसा न हो कि आप ऐसी साइट पर पहुंच जाएं जिसे देख कर आप को शर्मसार होना पड़े. ऐंटर दबाने से पहले टाइप किए शब्दों को अच्छे से मिला लें. स्पैलिंग की छोटी सी मिस्टेक पोर्न साइट के दर्शन करा सकती है.

फोटो अपलोड

सोशल साइट्स पर फोटो अपलोड करना बड़ा आसान है. जैसे ही मौका मिलता है लोग सैल्फी खींचते हैं और उसे अपलोड कर देते हैं. फोटो अपलोड होते ही उस की तकनीक से जुड़ी 50 से अधिक जानकारियां अपलोड हो जाती हैं. फोटो अपलोड करने से पहले उस का मेटाडाटा जरूर हटा दें. इसी मेटाडाटा के जरिए हैकर आप के कंप्यूटर या मोबाइल तक पहुंचता है. अपने प्रोफाइल पर ऐसे फोटो अपलोड न करें.

सोशल साइट्स काफी उपयोगी हैं, लेकिन इन पर होने वाली अनसोशल ऐक्टिविटीज इन की खासीयत को खत्म कर रही हैं. सोशल साइट्स पर अनसोशल लोगों के चंगुल से बचने के लिए उन पर अपने बारे में कम सूचनाएं दें. लंबा समय नैट पर न बिताएं, साइबर रिश्ते से बचें. 

–       सोशल साइट पर किसी को भी अपना पर्सनल नंबर न दें.

–       साइबर रोमियो की इमोशनल बातों में आ कर अपनी पर्सनल जानकारी उस से शेयर न करें.

–       सामने वाले की बातों पर कभी भी विश्वास न करें.

– सोशल साइट पर इश्क की गिरफ्त में आ कर अपने वास्तविक जीवन को न भुला दें.

तो कम हो जायेंगे रसोई गैस के दाम?

भारत और अमेरिका के एक संयुक्त अभियान के बाद हिंद महासागर में नैचुरल गैस की एक बड़ी डिसकवरी हुई है. इससे ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नया रिसोर्स खुलेगा.

पेट्रोलियम मिनिस्ट्री और अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) ने मिलकर बंगाल की खाड़ी में नैचुरल गैस हाइड्रेट (फ्यूल का एक बर्फ जैसा रूप) की खोज की है. अमेरिकी एजेंसी ने कहा, 'यह हिंद महासागर में इस तरह की पहली डिसकवरी है और इसमें काफी प्रॉडक्शन की क्षमता है.' ऐसा अनुमान है कि दुनिया में गैस हाइड्रेट रिजर्व गैस के सभी पुराने सोर्सेज से काफी अधिक है.

भारत ने सितंबर 2014 में देश में गैस हाइड्रेट्स की खोज और पायलट प्रॉडक्शन टेस्टिंग के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने पर सहमति दी थी. गैस हाइड्रेट्स को नैचुरल गैस का बड़ा सोर्स माना जाता है. भारत में गैस हाइड्रेट रिसोर्सेज पश्चिमी, पूर्वी और अंडमान समुद्री क्षेत्र में मौजूद हैं. यूएसजीएस एनर्जी रिसोर्सेज प्रोग्राम के कोऑर्डिनेटर, वॉल्टर गुइड्रोज ने कहा, 'नई डिसकवरी से गैस हाइड्रेट के ग्लोबल एनर्जी रिसोर्स को अनलॉक करने और इसके सुरक्षित प्रॉडक्शन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी को तय करने में मदद मिलेगी.'

इस डिसकवरी के लिए पिछले वर्ष मार्च से जुलाई तक एक्सप्लोरेशन किया गया था. एक्सप्लोरेशन के दौरान साइंटिस्ट्स ने ओशन ड्रिलिंग, प्रेशर कोरिंग, डाउनहोल लॉगिंग और एनालिटिकल एक्टिविटीज की थीं. यूएसजीएस का कहना है कि गैस हाइड्रेट्स से नैचुरल गैस का प्रॉडक्शन करना संभव है, लेकिन हाइड्रेट्स की लोकेशन और प्रकार के अनुसार कुछ तकनीकी चुनौतियां हो सकती हैं.

नई डिसकवरी के लिए अगला कदम प्रॉडक्शन टेस्टिंग का होगा. इसमें यह देखा जाएगा कि इस डिस्कवरी से नैचुरल गैस का प्रॉडक्शन करना फायदेमंद होगा या नहीं. एक्सप्लोरेशन में हिस्सा लेने वाले यूएसजीएस के सीनियर साइंटिस्ट टिम कोलेट ने बताया कि यह गैस हाइड्रेट्स की एनर्जी रिसोर्स क्षमता को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है.

 

जब पाक के खिलाफ वीरू ने 1 बॉल में बनाए 17 रन

टीम इंडिया के पूर्व धाकड़ बल्‍लेबाज वीरेंद्र सहवाग को विस्‍फोटक बल्‍लेबाज की संज्ञा भी दी जाती है. सहवाग को बेस्‍ट ओपनर बल्‍लेबाज भी माना जाता है. सहवाग की यह खूबी थी कि वे बॉल को मैदान के किसी भी कोने में आसानी से पहुंचा देते थे, उन्‍हें गेंदबाजों की लाइन-लेंथ बिगाड़ने के लिए भी जाना जाता है.

सहवाग के नाम एक अटूट रिकॉर्ड है जो अभी तक नहीं टूटा. साल 2004 में पाकिस्तान दौरे पर विस्फोटक सहवाग ने एक बॉल में 17 रन बनाने का कारनामा किया था. यह कारनामा सहवाग ने गेंजबाज नवेद उल हसन के खिलाफ किया था जिससे वह बौखला गए थे.

नवेद उल हसन ने तीन लगातार नो बॉल की,  जिसमें से दो बॉलों पर चौके लगे. उसके बाद एक सही बॉल की, जिस पर कोई रन नहीं बना. इसके बाद नवेद ने फिर दो बॉल नोबॉल की, इसमें से एक बॉल पर चौका लगा, जबकि दूसरी पर कोई रन नहीं बना.

इस प्रकार 3 चौके से 12 और पांच नो बॉल के पांच अतिरिक्त रन मिलाकर कुल 17 रन बने थे. नावेद ने उस ओवर में कुल पांच नो-बॉल किया था और सहवाग ने इसमें जबरदस्‍त स्‍ट्रोक मारे थे.

जब सैक्स पार्टनर ब्लैकमेल करने लगे

युवावस्था में कब प्रेम हो जाए पता ही नहीं चलता और दो दिलों का साथ रहतेरहते सीधा सैक्स से संबंध न जुड़े इस से भी इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में सैक्स संबंध तो बनते ही हैं और इस में दोनों की रजामंदी भी होती है. आपसी चाह व जवानी के आकर्षण में ये संबंध बन तो जाते हैं, लेकिन बाद में अधिकतर युवक अपनी इच्छापूर्ति के लिए या फिर अपनी मांगें मनवाने के लिए इन क्षणों का गलत इस्तेमाल करते हुए अपनी प्रेमिका से आगे भी इस की मांग करते हैं और अगर गर्लफ्रैंड न माने और उस की हरकतों की वजह से रिश्ता तोड़ दे तो फिर ब्लैकमेलिंग कर अपनी मनमानी करते हैं. इस ब्लैकमेलिंग के कारण कई बार युवतियां इतना टूट जाती हैं कि वे गलत रास्ता अख्तियार कर लेती हैं. ऐसा ही कुछ दीपा के साथ भी हुआ. वह अपने प्रेमी के प्यार में इस कदर पागल हो गई कि उस ने अपना सबकुछ उसे सौंप दिया, लेकिन जब उसे अपनी इस गलती का एहसास हुआ तो उस ने अपने प्रेमी से भी भविष्य में इस गलती को न दोहराने और दोनों को खुद पर संयम रखने की बात कही. लेकिन उस के प्रेमी को तो ऐसा चसका लग गया कि अब वह बारबार दीपा से इस की मांग करने लगा व उस के न मानने पर वह उसे धमकाता हुआ ब्लैकमेल करने लगा.

दीपा भी लोकलाज के भय से उस की हर बात चुपचाप मानने लगी लेकिन जब स्थिति बेकाबू हो गई तो उस ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया. ऐसा सिर्फ दीपा के साथ ही नहीं बल्कि अधिकांश युवतियों के साथ होता है. इसलिए यदि आप भी अपने प्रेमी की ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रही हैं तो कोई गलत कदम उठाने के बजाय डट कर उस का मुकाबला करें, कदापि उस की ब्लैकमेलिंग का शिकार न बनें. आप यदि निम्न बातों पर ध्यान देंगी तो आसानी से राह निकल आएगी.

शर्तें मानने की भूल न करें

प्रेम में जहां युवतियां अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार रहती हैं, वहीं प्रेमी को सबक सिखाने के लिए भी किसी हद तक जाने में गुरेज नहीं करतीं. ऐसे में अगर आप का प्रेमी आप से कोई गलत बात मानने को कहे और आप के न मानने पर उन अंतरंग क्षणों के उस ने जो वीडियो क्लिप बनाए थे, को उजागर करने के लिए कहे तो ऐसे में आप डरें नहीं और न ही उस की गलत बातों को मानें बल्कि उसे बोल्डली जवाब दें कि मैं तुम्हारी ऐसी धमकियों से डरने वाली नहीं हूं, क्योंकि उस में अगर मेरी गलती थी तो तुम भी बराबर के भागीदार थे और तुम ने ही मुझे ऐसा करने के लिए उकसाया है, इसलिए तुम्हें जो करना है कर लो. इस से उसे समझ आ जाएगा कि यहां बात बनने वाली नहीं है बल्कि यहां तो मेरे ही फंसने के चांसेज ज्यादा हैं. ऐसे में वह आप को दोबारा ब्लैकमेल करने की कोशिश नहीं करेगा.

गिड़गिड़ाएं नहीं, सामना करें

अकसर जब गलती हमारी तरफ से होती है तो हम खुद को सही साबित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. अगर आप का पार्टनर आप को ब्लैकमेल करे तो उस के सामने गिड़गिड़ाएं नहीं कि प्लीज मुझे माफ कर दो, तुम्हारे ऐसा करने से कौन मुझ से शादी करेगा, मेरे पेरैंट्स मुझे घर से निकाल देंगे वगैरावगैरा, बल्कि उसे ईंट का जवाब पत्थर से दें ताकि उस की अक्ल ठिकाने आ जाए. अगर आप उस के सामने गिड़गिड़ाएंगी तो वह आप को और परेशान करेगा. एक बात याद रखें कि जुर्म करने वाला जितना दोषी होता है उतना ही जुर्म सहने वाला भी होता है. इसलिए जब वह आप को परेशान करे तो कड़े शब्दों में कह दें कि अगर दोबारा ऐसी हरकत करने की कोशिश की तो पुलिस को शिकायत कर धज्जियां उड़ाने में मुझे देर नहीं लगेगी. आप की हिम्मत देख कर वह कदम पीछे खींचने में ही अपनी भलाई समझेगा.

पेरैंट्स से न छिपाएं

सामने वाला आप को तभी ज्यादा तंग करता है जब उसे पता होता है कि आप अकेली हैं और घर पर डांट के डर से किसी से भी हमारे बीच बने अवैध संबंधों की बात शेयर नहीं करेंगी. ऐसे में भलाई इसी में है कि आप अपने पेरैंट्स से कुछ न छिपाएं. इस बात के लिए भी तैयार रहें कि पेरैंट्स यह सुन कर आप पर नाराज भी होंगे, लेकिन कुछ ही देर में वे नौर्मल हो कर आप को और आप की स्थिति को समझेंगे और आप को इस सिचुऐशन से बाहर निकालने के लिए जीजान लगा देंगे.

जब आप के बौयफ्रैंड को इस का पता चलेगा कि अब आप अकेली नहीं हैं तब उस के हौसले खुद ब खुद पस्त हो जाएंगे.

नशा न बाबा न

जब कुछ चीजें हमारे बस में नहीं रहतीं तब हम तनाव में रहने के कारण डिप्रैशन का शिकार हो जाते हैं और अपने गम को भुलाने के लिए नशीली चीजों का सेवन करने से भी नहीं कतराते, जिस से परिस्थितियां पहले से भी ज्यादा बदतर होने लगती हैं. ऐसे में आप खुद को कंट्रोल में रखें, क्योंकि आप की ऐसी हालत का कोई भी फायदा उठा सकता है और इस दौरान कोई भी ऐसा कदम न उठाएं जिस से आप को जिंदगीभर पछताना पड़े.

सब कुछ खत्म न समझें

भले ही आप अपने बौयफ्रैंड की ब्लैकमेलिंग से परेशान हों, लेकिन फिर भी इस की वजह से अपना सबकुछ न छोड़ दें. यह न सोचें कि मेरा तो सबकुछ खत्म हो गया है, बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी जिंदगी जीएं, दोस्तों से मिलेंजुलें व घूमेंफिरें. यदि कोई फ्रैंड विश्वासपात्र है तो उस से अपने मन की हर बात शेयर करें. निश्चित ही आप को वहां से सही राय मिलेगी. इस दौरान उसे भी खुशी से जी कर दिखा दें कि उस की इन धमकियों से आप की लाइफ रुकने वाली नहीं है.

सोशल साइट्स से दूरी सही

ब्लैकमेलिंग के दौरान खुद को सोशल साइट्स से दूर कर लें, क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि वह आप के फोटो के साथ छेड़छाड़ कर के आप के प्रोफाइल पर टैग कर दे या फिर कुछ अश्लील बातें लिख कर आप को लोगों के सामने बदनाम करने की कोशिश करे. ऐसे में आप हर किसी को तो सफाई देने से रहीं और जरूरी भी नहीं कि हर कोई आप की बात पर विश्वास करे. इस से अच्छा है कि सोशल साइट्स से खुद को दूर ही रखें.

गलत कदम न उठाएं

हो सकता है कि आप ने भावनाओं में बह कर अपने प्रेमी के साथ एक रात बिता ली हो और इन अंतरंग पलों की वीडियो आप के पार्टनर ने चोरीछिपे बना ली हो और उसी के आधार पर वह आप को ब्लैकमेल कर रहा हो कि अगर तुम ने मेरे दोस्तों को खुश नहीं किया तो मैं यह वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल कर दूंगा और आप इस डर से सुसाइड जैसा कदम उठा बैठें जो सही नहीं है, क्योंकि इस से नुकसान आप का ही होगा. दुनिया आप को ही गलत ठहराएगी. इस से अच्छा है कि डट कर उस का मुकाबला करें और उसे सबक सिखाएं, ताकि वह भविष्य में किसी और से ऐसी हरकत न कर पाए.

सोसायटी की चिंता न करें

जब आप ने बौयफ्रैंड बनाते वक्त सोसायटी की चिंता नहीं की थी तो अब क्या परवा.

अगर आप इस डर के मारे अकेले ही उस के सारे जुल्म सहती रहेंगी तो वह आप को और सताएगा. इसलिए जब भी वह आप को धमकी दे कि अगर मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हारी कालोनी में आ कर तुम्हारा तमाशा बनाऊंगा तो आप खुलेआम इस चैलेंज को ऐक्सैप्ट करें. फिर अगर उस ने आप के एरिया में आ कर सचाई बताने या फिर आप को फंसाने की कोशिश की तो आप इस बात को स्वीकार न करें कि आप के बीच रिलेशन था और उलटा उसे ही फंसा कर भीड़ के हवाले कर दें, जिस से भविष्य में वह किसी भी लड़की के साथ ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा.

अकेले में मिलना यानी खतरा

हो सकता है कि आप का बौयफ्रैंड खुद को सुधारने की बात कहे और अपनी गलती का पश्चात्ताप करने के लिए आप को ऐसी अनजान जगह पर बुलाए जिस के बारे में आप ने पहले कभी नहीं सुना हो तो ऐसे में आप उस से बिलकुल न मिलें, क्योंकि भले ही आप उस की मीठीमीठी बातों में आ कर उसे माफ करने के बारे में सोच भी लें, लेकिन उस के मन में आप के प्रति क्या चल रहा है इस बारे में सिर्फ वही जानता है इसलिए उस पर दोबारा विश्वास करने की भूल न करें. साथ ही उस के दोस्तों की बातों में भी न आएं, क्योंकि हो सकता है कि यह भी उसी की कोई नई चाल हो, जिस में आप को फंसाने की साजिश हो. इसलिए भावुकता में आ कर होश न खोएं.

पुलिस से मदद लें

ब्लैकमेलिंग की सूचना तुरंत पुलिस को दें और पुलिस को पूरी बात से अवगत कराएं. इस बात से डरें नहीं कि अगर आप के साथी को पता चल गया तो वह आप को और तंग करेगा, क्योंकि पुलिस इस तरह से जांच करेगी कि आप का नुकसान भी नहीं होगा और अपराधी पकड़ा भी जाएगा.

इन बातों का रखें ध्यान

कोई आप को बाद में ब्लैकमेल न करे इस के लिए रिलेशन के दौरान इन बातों का ध्यान रखें :

पर्सनल बातें न बताएं : हम ब्लैकमेलिंग का शिकार तभी होते हैं जब अपने पार्टनर पर खुद से भी ज्यादा विश्वास कर उसे अपनी हर पर्सनल बात बता देते हैं, जिस से जब रिलेशन टूटता है तो वह इन्ही सब बातों से हमें ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है. इसलिए कोशिश करें कुछ बातों को गुप्त रखने की.

खुद पर संयम रखना सीखें :  यह सच है कि जब 2 विपरीत सैक्स आमनेसामने होते हैं तो उन में एकदूसरे को पा लेने की इच्छा होती है और कई बार इसी इच्छा के चलते सारी हदें पार हो जाती हैं. भले ही उस दौरान आप खुद पर कंट्रोल न रख पाएं लेकिन अगर पार्टनर उन पलों को कैमरे में कैद करने को कहे तो साफ इनकार कर दें, क्योंकि वह इसी के जरिए आप को ब्लैकमेल कर सकता है.

अलर्ट रहें : अगर आप अपने बौयफ्रैंड को कुछ गलत करते देखें तो चुप न रहें, बल्कि उसे टोकें और खुद भी अलर्ट रहें.

लिखित प्रूफ न दें : आप चाहे अपने बौयफ्रैंड से कितना भी प्यार और उस पर कितना भी विश्वास करें लेकिन फिर भी लिखित में कोई ऐसा प्रूफ न छोड़ें जो आप को आगे चल कर मुसीबत में डाल दे.

इस तरह आप खुद को ब्लैकमेलिंग का शिकार होने से बचा सकती हैं.

ओलंपिक में कोई पदक की गारंटी नहीं दे सकता: हीना पंडित

हीना पंडित बड़ी हो कर डैंटिस्ट बनना चाहती थी. अपने सपने को साकार करने के लिए उस ने बाकायदा डैंटल सर्जरी (बीडीएस) में डिग्री भी ली, लेकिन जब कैरियर बनाने की बात आई तो उसे दरकिनार करते हुए उस ने हाथों में पिस्टल थाम ली. उस के मन में कुछ करने का जनून था. उस की कड़ी मेहनत रंग लाई और वह दुनिया के दिग्गज पिस्टल निशानेबाजों की छुट्टी करते हुए विश्व चैंपियन बन गई. हीना भारत की पहली निशानेबाज है, जिस ने वर्ल्डकप 2013 में स्वर्ण पदक जीता और 2014 में दुनिया की शीर्ष रैंकिंग हासिल की. अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में वह अपने प्रदर्शन में जिस तरह का निखार ला रही है, उस ने इस साल ब्राजील के रियो शहर में होने वाले ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीदें जगा दी हैं.

हीना ने जनवरी में एशियाई ओलंपिक क्वालिफायर चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीत कर रियो के लिए क्वालिफाई किया है. उसे निशानेबाजी विरासत में मिली है. पिता राजवीर सिंह और भाई कर्णवीर सिंह दोनों राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रह चुके हैं. ससुराल में भी निशानेबाजी का माहौल है. पति रौनक पंडित और ससुर अशोक पंडित दोनों अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज रहे हैं. उन का अनुभव भी हीना के प्रदर्शन में काम आ रहा है.

पंजाब से ताल्लुक रखने वाली हीना 2013 से शादी के बाद मुंबई में रह कर अपने अभियान को आगे बढ़ा रही है. पति रौनक पंडित हीना के प्रशिक्षक हैं. वर्ष 2014 में देश के सर्वश्रेष्ठ खेल पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हीना पिछले दिनों एक कार्यक्रम के सिलसिले में राजधानी दिल्ली आई थी. प्रस्तुत हैं उस दौरान उस से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

रियो ओलंपिक की तैयारियां कैसी चल रही हैं?

पहले सबकुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन जनवरी में ओलंपिक कोटा सीट हासिल करने के बाद गंभीरता से तैयारियां शुरू हो गई हैं. फरवरी में शरीर को कुछ आराम दिया ताकि फ्रैश माइंड से तैयारियां शुरू कर सकूं. अब मेरी नजरें रियो में होने वाले प्री ओलंपिक वर्ल्डकप टैस्ट पर हैं. इस दौरान हमें वहां का मौसम, वातावरण और दूसरी बातें महसूस होंगी. फिलहाल मैं यही कह सकती हूं कि तैयारियां पूरे जोरशोर से चल रही हैं और उस में मैं लापरवाही बरतना बिलकुल नहीं चाहूंगी.

रियो में आप से क्या उम्मीद की जानी चाहिए?

अगर रियो में पिछली बार की तरह ही प्रदर्शन जारी रहा तो मैं पदक जीतने की गारंटी दे सकती हूं. वैसे दुनिया का कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक जैसे बड़े खेल में पदक की गारंटी नहीं दे सकता. मैं भी उन में से एक हूं, लेकिन मैं अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की गारंटी दे सकती हूं. फिलहाल मैं अभी अपने ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहती. यदि मैं पहले दिन से ही पदक के बारे में सोचने लगी तो पदक नहीं आएगा. रियो में मुझे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा. मैं अपनी नौर्मल परफौर्मैंस पर ही ज्यादा ध्यान दे रही हूं. इन्हीं सब बातों पर पूरा ध्यान दे कर मैं तैयारी में जुटी हुई हूं. जहां तक ओलंपिक की बात है, वहां काफी नईनई चीजें देखने को मिलती हैं, जिस से निशानेबाज परेशान हो जाता है. इस का सीधा असर उस के प्रदर्शन पर भी पड़ सकता है. इसलिए हम हर चीज के बारे में बहुत सोचसमझ कर तैयारी कर रहे हैं.

खुद को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए क्या तैयारियां कर रही हैं?

यह सब ट्रेनिंग का हिस्सा है. एक खिलाड़ी के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी होता है. इस के लिए मैं दिमाग पर पूरा नियंत्रण बनाने का अभ्यास करती हूं. हम इसे स्पोर्ट्स साइंस कहते हैं. दिमाग को कैसे नियंत्रित करना है, इस के लिए एडवांस टे्रनिंग की जरूरत होती है. इस के लिए मैं कनाडा के एक स्पोर्ट्स वैज्ञानिक की सलाह ले रही हूं. वे इस क्षेत्र के जानेमाने वैज्ञानिक हैं. पिछले 4 साल से मैं इस पर काम कर रही हूं. मुझे ये सब करने से काफी सफलता मिली है. आप ने देखा होगा कि कड़े मुकाबले में मैं बेहतर रिजल्ट निकाल रही हूं.

रियो में किनकिन देशों के निशानेबाजों से मुख्य चुनौती मिलेगी?

मैं पूरी दुनिया के निशानेबाजों के लिए खुद एक बड़ी चुनौती हूं. 10 मीटर एयर पिस्टल में चीन, रूस, उक्रेन, यूरोपीय देश सर्बिया के निशानेबाज काफी अच्छा कर रहे हैं. फिलहाल मैं चाहती हूं कि तनाव के माहौल में मेरी एकाग्रता बनी रहे. मैं सरकार और उन एजेंसियों का धन्यवाद करना चाहूंगी जिन के कारण मैं ट्रैनिंग में सही दिशा में आगे बढ़ रही हूं. अभ्यास सत्र में सटीक निशाने लगा रही हूं. मैं बाकी देशों के निशानेबाजों से बेहतर लय में हूं. जहां तक भारतीय निशानेबाजों का सवाल है तो इस बार हमारा प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. मामूली अंतराल से हमारे निशानेबाजों ने ओलंपिक कोटा सीट अंक गंवाया. हमें उम्मीद थी कि रियो के लिए कम से कम 17-18 भारतीय निशानेबाज क्वालिफाई करेंगे. लंदन ओलंपिक में हम ने 11 कोटा सीट हासिल की थीं. इस बार 12 निशानेबाज रियो में भारत की चुनौती पेश करेंगे. भारतीय दल में युवा और अनुभवी निशानेबाज हैं. अब तो पूरी दुनिया भारतीय निशानेबाजों को गंभीरता से लेने लगी है. पूरी दुनिया में निशानेबाजी का स्तर बहुत ऊपर है. उस में भारतीय निशानेबाज भी हैं. रियो में हमें किसी खेल में कुछ पदक मिल सकते हैं तो वह है निशानेबाजी. हमारे निशानेबाजों में दबाव में खेलने का अच्छाखासा अनुभव है. सभी बेहतर से बेहतर टे्रनिंग ले रहे हैं. अभी सोचना और कुछ कहना बहुत मुश्किल है. मैं इतना गारंटी के साथ कह सकती हूं कि हमारा प्रदर्शन लंदन ओलंपिक के मुकाबले बेहतर रहेगा.

पदक रिकौर्ड

दुनिया की शीर्ष रैंकिंग 7 अप्रैल, 2014.
आईएसएसएफ वर्ल्डकप : 2013 (जरमनी)
– स्वर्ण पदक 10 मीटर एयर पिस्टल.

कौमनवैल्थ गेम्स : 2010 (नई दिल्ली)
– स्वर्ण पदक 10 मीटर एयर पिस्टल (टीम)
.- व्यक्तिगत में रजत पदक.
एशियाई खेल : 2010 (चीन)

-10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में अनुराज सिंह और सोनिया राय ने रजत पदक जीता.

एशियाई खेल : 2014 (कोरिया)

–  कांस्य पदक (टीम) 25 मीटर एयर पिस्टल.

विश्व पुलिस खेल (पोलैंड)

– 2010 में 10 मीटर एयर पिस्टल में रजत पदक.

एशियन शूटिंग चैंपियनशिप

– 2015 (कुवैत) 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक.

– 2007 (कुवैत) कांस्य पदक.

एशियन एयर गन चैंपियनशिप

– 2009 (दोहा) 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक.

वर्ल्डकप

–       2009 (बीजिंग) 10 मीटर एयर पिस्टल में रजत पदक.

–       2014 (अमेरिका) 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक.

–       2013 में पहली भारतीय महिला निशानेबाज जिस ने स्वर्ण पदक जीता.

–       10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में अंजलि भागवत (2003) और गगन नारंग (2008) के बाद तीसरी भारतीय निशानेबाज बनी, जो राइफल पिस्टल वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंची.

–       10 मीटर एयर पिस्टल में 203.8 अंकों के साथ वर्ल्ड रेकौर्ड दर्ज है.

–       2014 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित.

–       2012 लंदन ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल में भाग लिया, लेकिन क्वालिफाइंग राउंड में 12वें स्थान पर रही.

–       2006 में निशानेबाजी को कैरियर बनाया. तब 12वीं कक्षा की छात्रा थी. जूनियर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई. महीनेभर बाद राष्ट्रीय सीनियर टीम में चुनी गई.

‘टॉयलेट मैन’ कहलाए जाने की ख्वाहिश रखता है ये निर्देशक

राष्ट्रीय स्तर के तैराक से राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार बने राकेश ओम प्रकाश मेहरा ‘अक्स’, ‘रंग दे बसंती’, ‘दिल्ली 6’ और ‘‘भाग मिल्खा भाग’’ जैसी फिल्में निर्देशित कर अपनी छवि अलग सोच वाले निर्देशक की बना चुके हैं. फिल्म ‘रंग दे बसंती’ के प्रदर्शन के बाद ही संसद में एक कानून में बदलाव किया गया था. युवा वर्ग में एक जागरूकता आयी. यानी कि फिलमें समाज पर असर डालती हैं. यह बात उभर कर आयी. अब वही फिल्मकार एक रोमांटिक फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ को लेकर चर्चा में है. तो दूसरी तरफ राकेश ओम प्रकाश मेहरा लड़कियों के लिए ‘टॉयलेट मुहीम’ की वजह से भी सुर्खियों में हैं. राकेश ओम प्रकाश मेहरा की गिनती चंद बेहतरीन सोच वाले उत्कृष्ट फिल्म निर्देशकों में होती है. मगर उनकी ख्वाहिश है कि लोग उन्हे फिल्म निर्देशक की बजाय ‘‘टॉयलेट मैन’’ के रूप में याद करें. आखिर उनके मन में यह ख्याल क्यों आया?

वास्तव में राकेश को यह बात व्यथित करती है कि हमारे देश की लड़कियां ग्यारह साल की उम्र में महज स्कूल में ‘टॉयलेट’  के अभाव में पढ़ाई छोड़ देती हैं. उन्होंने अपने मन के दर्द को बयां करते हुए ‘‘सरिता’’ पत्रिका से खास बातचीत में कहा-‘‘हमारे देश में लड़कियों का बहुत बुरा हाल हो रहा है. शोषण बढ़ता जा रहा है. आप देखिए, स्कूलों में भी लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है. जिसकी वजह से तमाम लड़कियां ग्यारह बारह साल की उम्र में पहुंचते ही पढ़ाई छोड़ देती हैं. इसलिए मैं एक मुहीम से जुड़ा हूं. जिसके तहत हम स्कूलों में लड़कियों के लिए खासतौर पर टायलेट बनवा रहे हैं.

यह मुहीम दो साल पहले शुरू हुई है. वास्तव में हमारी फिल्म ‘रंग दे बसंती’ के बाद कुछ युवको ने मुझसे संपर्क किया कि वह समाज में बदलाव लाने के लिए कुछ काम करना चाहते हैं. कुछ युवक दो साल पहले विदेश की अपनी नौकरी छोड़कर आ गए. हमने योजना बनायी और पिछले एक साल से हम टॉयलेट बनाने का काम कर रहे हैं. हमने गुजरात के अहमदाबाद के म्यूनिसिपल स्कूल से शुरूआत की. फिर बरोडा के स्कूल को लिया. पहले पचास टॉयलेट बने. फिर सौ और अब तीन सौ टॉयलेट बना चुके हैं. मैने अभी सारे टॉयलेट लड़कियों के लिए बनवाए हैं. हमने देखा कि म्यूनीसिपल स्कूल में लड़कियों के लिए टॉयलेट नहीं है. यदि किसी स्कूल में हैं, तो वह इस हालात में हैं कि उनका उपयोग नहीं किया जा सकता. मुझसे लड़कियां, उनके माता पिता अब मिलते हैं और अपने हालात बताते हैं.’’

‘‘टॉयलेट मुहीम’’ से जुड़ने की चर्चा करते हुए राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने आगे कहा-‘‘वास्तव में दो साल पहले पहली बार मैं गांधीधाम, साबरमती के आश्रम गया था. बहुत बड़ी इमारत है. बीच में दो छोटी सी कुटिया यानी कि कोठरी है. एक में गांधी जी रहते थे. दूसरे में विनोबा भावे रहते थे. पास में ही एक अलग छोटी सी कुटिया है, जिसमें कस्तूरबा गांधी सोती थी. बीच में आंगन है. चौका है. एक पेड़ है. मेरे दिमाग मे आया कि हद कर दी, उस इंसान ने तो. चार सौ स्क्वायर फुट की जगह में रहते हुए चरखा पकड़कर गांधी जी ने देश को आजादी दिलायी. आखिर यह क्या इंसान था. फिर मैं एक दूसरे कमरे में गया, तो उनका टॉयलेट देखा. उसके बाद मेरे मन में आया कि मुझे इस मुहीम की शुरूआत करनी चाहिए. मेरे दिमाग में आया कि मैं तो फिल्मकार हूं, किसी उद्योगपति को फोन करुंगा, तो पांच करोड़ रूपए मिल जाएंगे. एक टॉयलेट को बनाने और उसकी एक साल तक देखभाल करने के लिए सफाई कर्मी को रखने का खर्च पांच लाख रूपए आते हैं. यानी कि पांच करोड़ में सौ टॉयलेट बन जाएंगे. मेरी कोशिश रंग लायी. कारपोरेट कंपनियों ने इन टॉयलेट को गोद लेना शुरू किया. जिसके चलते गुजरात में अब तक साढ़े तीन सौ टॉयलेट बन गए.’’

वह आगे कहते हैं-‘‘हम महाराष्ट् में भी इस काम को अंजाम दे रहे हैं. मुंबई से सटे थाणे में हमारे पहले टॉयलेट का उद्घाटन आगामी छह अगस्त को होने वाला है. राजस्थान में हमने बाड़मेर में 50 और जोधपुर में 50 टॉयलेट बनाए हैं. अब वहां भी हमारी रिसर्च के आधार पर कुछ कारपोरेट कंपनियां आगे आ रही हैं. महाराष्ट् के मराठवाडा क्षेत्र में सबसे अधिक टॉयलेट की जरूरत है. मैं तो चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा टॉयलेट बन जाएं, जिससे लड़कियों की तकलीफ कम हो. जब लड़कियां बाहर मैदान में शौच के लिए जाती हैं, तो उनके साथ तमाम हादसे होते रहते हैं. दो चार दिन पहले ही मैंने पढ़ा कि मेरठ में एक महिला शौच के लिए गयी थी. पर लोगों ने बलात्कार कर उसका शव पेड़ पर लटका दिया. कितनी दुःखद स्थिति हमारे देश में हैं. महिला शौच के लिए जाती है और बलात्कार करा कर वापस आती है.’

राकेश ओम प्रकाश मेहरा इतने पर ही नहीं रूकते हैं. वह कहते हैं-‘‘हम लोग लिंग भेद को लेकर भाषणबाजी करते हैं. हम एक टीवी के रियालिटी शो में एक एपीसोड में इसकी चर्चा कर लेते हैं और अपने आपको महान बताने लगते हैं. दो चार अंग्रेज आते हैं, भाषणबाजी करके चले जाते हैं. ऐसे लोगों को हमारे देश के ऐसे क्षेत्रों में भेजना चाहिए, तब इन्हें असलियत पता चलेगी.’’

आपकी इस मुहीम का नाम क्या है? इस सवाल पर राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने कहा-‘‘हमारी यह मुहीम ‘युवा अनस्टापेबल’ संस्था का ही हिस्सा है. ‘युवा अनस्टेपबल’ का अर्थ हुआ, ऐसा युवा जिसे रोका ना जा सके. (फिर वह हमें इस वेबसाइट को दिखाते हैं और पुराने टॉयलेट की स्थिति तथा नए बनाए गए टॉयलेट के फोटोग्राफ दिखाते हुए कहते हैं) मैं तो दिल्ली के स्कूल में पढ़ा हूं. मैंने बहुत देखा है. अब हमारी मुहीम तेजी से आगे बढ़ने वाली है. अमेरिका से भी कुछ पैसा आने वाला है. इससे हमारे टॉयलेट कुछ ज्यादा बन जाएंगे. ‘युवा अनस्टापेबल’ का केंद्र अहमदाबाद में है. कई युवा काम कर रहे हैं. मैं उनका मेंटर बना हुआ हूं. सच कह रहा हूं. मैं बौलीवुड से जुड़ा हुआ हूं. मैंने कुछ अच्छी फिल्में बनायी हैं, उसका फायदा मुझे मिल रहा है. हमने जो काम कर रहे है, वह सभी के सामने है. हमने ‘केपीएमजी’ को इस मुहीम का पूरा एकाउंट संभालने के लिए कहा है. आईआईएम अहमदाबाद से कहा है कि इसका जो असर है, उसे स्टडी करें. इस तरह अच्छा काम लोग कर रहे हैं. जो पैसा आ रहा है, जो खर्च हो रहा है, उसका हिसाब एक अलग स्वतंत्र संस्था रख रही है. जो टॉयलेट/ शौचालय बनाए जा रहे हैं, वह किस तरह का काम है, वह सब लोगों के सामने हैं, जिसे लोग कभी भी देख सकते हैं. हमारी मुहीम पूरी पारदर्शिता के साथ चल रही हैं. यह काम होना ही है.’’

राकेश ओमप्रकाश मेहरा का मानना है कि ‘टॉलयलेट’ तो होना ही है. वह कहते हैं-‘‘सच कहूं तो मुझे नहीं लगता कि मैं कोई अच्छा काम कर रहा हूं. मुझे लगता है कि यह काम होना ही है. जिस तरह से हम भोजन करते हैं. रात में सोते हैं. उसी तरह से सुबह शौच जाने के लिए टॉयलेट होना ही है. अब आप सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रह सकते. सरकार तो अपना काम कर रही है.’’

वह आगे कहते हैं-‘‘टॉयलेट मुहीम को शुरू करने के बाद मेरी मुलाकात कई अच्छे लोगों से हुई. महिंद्रा ग्रुप से मेरी बात हुई. तो पता चला कि उनकी कंपनी ने भी इसी तरह की मुहीम शुरू कर रखी हैं और कई करोड़ रूपए खर्च कर चुकी है. इसी तरह श्रीमती मूर्ती ‘अक्षरधाम’ के नाम से बहुत कुछ कर रही हैं. तो मैं खुश हूं कि मेरी टॉयलेट की मुहीम तेजी से आगे बढ़ रही है.’’

अपनी ख्वाहिश की चर्चा करते हुए राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने  कहा-‘‘मुझे लोग ‘टॉयलेट मैन’ कहें , तो खुशी होगी. मेरी ख्वाहिश है कि लोग मुझे फिल्म निर्देशक भले ना कहें, पर ‘टॉयलेट मैन’ जरूर कहें. यदि मुझसे कोई पूछे कि मरते समय तुझे क्या कहा जाए? एक फिल्म निर्देशक या टॉयलेट मैन. तो मैं चाहूंगा कि लोग मुझे ‘टॉयलेट मैन’ के रूप में याद करें. मेरे लिए यह बहुत महत्व रखता है. यही मेरी ख्वाहिश है. मैं तो चाहता हूं कि हर स्कूल में इतने टॉयलेट बनाए जाएं कि किसी भी लड़की को स्कूल में टॉयलेट ना होने की वजह से पढ़ाई ना छोड़नी पड़े. मैं चाहता हूं कि हर घर में टॉयलेट हो. फिर वह घर चाहे गांव का हो या शहर का. जिससे किसी लड़की को घर से बाहर सड़क पर या जंगल में या खेतों में षौच के लिए ना जाना पडे़’’

भारत में खुलेगा ‘एप्पल’ का स्टोर

एप्पल के सीईओ टिम कुक ने कहा है कि कंपनी भारत में अपने स्टोर्स खोलने की तैयारी में है. उनके मुताबिक, भारत एप्पल के लिए सबसे अहम बाजारों में से एक है. सरकार की तरफ से पिछले महीने फॉरन ब्रांड्स के लिए लोकल सोर्सिंग नियमों को सख्त बनाए जाने के बावजूद आईफोन बनाने वाली कंपनी ने इस तरह का ऐलान किया है.

थर्ड क्वॉर्टर अर्निंग कॉल के मौके पर ऐनालिस्ट्स से बातचीत में कुक ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक है. उन्होंने बताया, 'मौजूदा फाइनैंशल इयर के पहले तीन क्वॉर्टर के दौरान भारत में हमारी आईफोन सेल्स पिछले साल के मुकाबले 51 पर्सेंट ज्यादा रही. हम भारत में रिटेल स्टोर्स खोलने पर विचार कर रहे हैं और हमें देश में जबरदस्त संभावना दिख रही है.'

सूत्रों ने बताया कि एप्पल नए नियमों को स्टडी कर रही है. कुक ने यह बयान लॉन्ग टर्म नजरिये को देखते हुए दिया है. कंपनी की तुरंत स्टोर खोलने की योजना नहीं है. हालांकि, मौजूदा नियमों के कारण इस पर फैसला होने में थोड़ा वक्त लग रहा है, क्योंकि इस बात को लेकर चीजें साफ नहीं हैं कि ऐपल भारत से सोर्सिंग करने में कब तक सक्षम होगी? हाल-फिलहाल में ऐसी संभावना नहीं दिखती.'

एप्पल जैसे टेक्नॉलजी दिग्गजों के लिए नया नॉर्म मुश्किल पैदा करेगा. पुराने नियमों के मुताबिक, अडवांस और स्टेट ऑफ द आर्ट टेक्नॉलजी वाले प्रॉडक्ट्स बेचने वाली कंपनियों के लिए लोकल सोर्सिंग शर्त से तकरीबन छूट थी. हालांकि, नए नियमों में सिर्फ तीन साल की छूट मिलेगी. इसके बाद इन फर्मों को उस प्रावधान का पालन करना होगा, जिसके तहत कंपनियों द्वारा अगले 5 साल में खरीदे गए कुल सामानों की एवरेज वैल्यू का 30 फीसदी हिस्सा लोकल इकाइयों से खरीदना होगा. 8 साल के बाद लोकल सोर्सिंग की शर्त हर साल पूरी करनी होगी.

Twitter देगा अब आंखों को सुकून

माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने अपने एंड्रॉयड एप में डार्क थीम अपडेट किया है, जिससे रात में इसका इस्तेमाल करने से आंखों पर कम जोर पड़ेगा. टेक वेबसाइट ‘माशेबल डॉट कॉम’ पर बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि यह फीचर एप के मुख्य मेनू में उपलब्ध (आपके प्रोफाइल आइकन या हैमबर्गर आइकन के पास) है, जहां से उपयोगकर्ता इसे आसानी से ऑन या ऑफ कर सकते हैं.

एक बार नाइट मोड चालू करने पर यह एप को गहरे रंगों में रंग देता है जो ट्वीटबोट और अन्य थर्ड पार्टी ट्विटर क्लाइंट की तरह है जो कुछ समय पहले से उपलब्ध हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि यह फीचर आईओएस के लिए उपलब्ध होगा या नहीं इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.

जब तक ट्विटर आईओएस उपयोगकर्ताओं के लिए यह सुविधा नहीं प्रदान करती तब तक आईओएस उपयोगकर्ता एपल के एक फीचर का उपयोग कर ऐसा ही अनुभव हासिल कर सकते हैं. यह फीचर आईओएस 9.3 के साथ जारी किया गया था. एक बार शुरू होने पर यह स्वचालित ढंग से रात में डार्क मोड को लागू कर देता है, जिससे आंखों पर कम जोर पड़ता है.

मैं अलग तरह की फिल्में करना चाहता हूं: टाइगर श्रौफ

चटपट सवाल जवाब

पंसदीदा पर्यटन स्थल : गोआ

मनपसंद रंग : ब्लैक

रंग जो मूड बदल दे : सफेद

डेली वर्कआउट : 4 घंटे, जिस में डांस, जिम, मार्शल आर्ट आदि शामिल हैं

गुस्सा कब आता है : जब कोई सीन ठीक से नहीं कर पाता

पसंदीदा खाना : पापा के हाथ का बना दालचावल, ढोकला, थेपला

तनाव दूर करने का तरीका : आइसक्रीम और चौकलेट खाना

मनपसंद डिजाइनर : कोई नहीं, साधारण कपड़े पहनता हूं

सफल होने का मंत्र : हमेशा सकारात्मक सोच रखना

प्रेरणास्रोत : रितिक रोशन

फिल्म ‘हीरोपंती’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले 26 वर्षीय टाइगर श्रौफ का असली नाम जय हेमंत है. अत्यंत शांत स्वभाव के टाइगर की बचपन से ही खेल और मार्शल आर्ट में रुचि थी. उन्हें पढ़ाई का शौक अधिक नहीं था, लेकिन मातापिता की तरफ से उन्हें आजादी थी कि वे अपना कैरियर खुद चुन सकें. वे अपने पिता और प्रसिद्ध अभिनेता जैकी श्रौफ को अपना आदर्श मानते हैं और मां आयशा श्रौफ की बातों को टाल नहीं सकते. पिछले दिनों उन की दूसरी फिल्म ‘बागी’ रिलीज हुई, जिस में उन्होंने बहुत मेहनत की है औैर मार्शल आर्ट की नई विधा को परदे पर उतारा है. प्रस्तुत हैं, उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश :

आप में फिल्मों में आने की रुचि कैसे पैदा हुई?

दरअसल, मैं खेल में अधिक दिलचस्पी लेता था. 4 साल की उम्र में मैं ंने मार्शल आर्ट सीखना शुरू किया, लेकिन पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता था. पापा के अभिनय से मैं तब अधिक प्रेरित नहीं था, लेकिन जब वे कहीं जाते तो लोग उन्हें घेर लेते थे. तब यह देख कर मुझे खुशी मिलती थी. मैं ने कभी सोचा नहीं था इस क्षेत्र में मेरा कैरियर बनेगा. ग्रैजुएशन करने के बाद मैं ने सोचा कि मैं किस लाइन में जाऊं. चूंकि भारत में तो क्रिकेट के अलावा औैर किसी खेल को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता, इसलिए मैं खेल को कैरियर नहीं बनाना चाहता था. उस समय फिल्मों के भी औफर्स आने लगे थे, जिन में एक फिल्म ‘हीरोपंती’ थी. तब मैं ने फैसला कि या कि स्पोर्ट्स के अनुशासन को अगर फिल्म लाइन में प्रयोग करूंगा तो अधिक लाभ होगा. अच्छा यह हुआ कि ‘हीरोपंती’ खूब चली. दर्शकों ने मेरे काम को पसंद किया. साजिद नाडियाडवाला के साथ मेरा 3 फिल्मों का कौंट्रैक्ट है. मैं खुश हूं कि बहुत जल्दी मुझे दर्शकों का प्यार मिला. दूसरी फिल्म में समय लगा, क्योंकि इस के लिए काफी तैयारी करनी पड़ी.

इस फिल्म में 5 साल की मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग आप ने 3 महीने में पूरी की. इस की क्या वजह थी?

बचपन से मैं मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ले रहा हूं. इस फिल्म में मैं ने ‘कज्लरी पैतु’ नामक मार्शल आर्ट सीखी, जो हर तरह के मार्शल आर्ट की जननी है. इस में मेरे ट्रेनर भारद्वाज ने भी ऐक्ंिटग की है. उन्होंने इस शैली को शुरू से बहुत ही आसान तरीके से सिखाया है.

आप के लुक में काफी बदलाव आया है. कितना मेकओवर किया है और कैसे?

मैं खुद पर काफी काम करता हूं. मैं सोशल नहीं हूं. मेरे सिर्फ 2-3 दोस्त ही हैं. मेरी लाइफस्टाइल साधारण है. घूमनेफिरने का भी समय नहीं है. पार्टियों में रुचि बिलकुल नहीं है. यही मेरी लाइफ है. हर दिन अपने में कुछ सुधार लाने की कोशिश करता हूं. इसी से शायद मेरे लुक में बदलाव आ गया है.

सैलिब्रिटी पिता होने की वजह से आप पर कितना दबाव रहता है?

पिता के अभिनेता होने की वजह से लोगों को मुझ से काफी उम्मीदें हैं, जो मेरे लिए बहुत मुश्किल होता है. लेकिन उस प्रैशर से मुझे ताकत मिलती है कि मैं और मेहनत करूं ताकि पिता का नाम आगे बढ़ा सकूं.

क्या आप अपने पिता से अपने अभिनय या फिल्मों के बारे में कभी चर्चा करते हैं?

मैं कोई चर्चा नहीं करता. मैं उन की टक्कर का नहीं हूं. उस फ्रेम में मैं फिट नहीं हो सकता. मैं खुद की एक अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा हूं. जब वे मिलते हैं तो अधिक बात फिल्मों के बारे में नहीं करता, परिवार के बारे में बातचीत करता हूं.

आप सोशल नहीं पर आज क्या सोशल मीडिया से ही कलाकार पौपुलर होते हैं? ऐसे में आप कुछ खो नहीं रहे हैं क्या?

मैं मेहनत पर विश्वास करता हूं. काम अच्छा है तो वह सब को दिखता है. मैं खुश हूं कि पहली फिल्म से ही मेरे फैन फौलोवर्स काफी हैं. सोशल नैटवर्किंग जरूरी है, पर काम भी साथ में करना आवश्यक है.

पहली फिल्म से दूसरी फिल्म के दरमियान आप खुद में क्या बदलाव पाते हैं?

मैं मजदूर हूं. मैं खुद को स्टार नहीं समझता. मैं काम के लिए लालची हूं. हर तरह की अलगअलग फिल्में करना चाहता हूं और दर्शकों का प्यार पाना चाहता हूं. बदलाव यही है कि अधिक काम करने की इच्छा जागी है.

सैलिब्रिटी पुत्र होने की वजह से कितना फायदा है?

फायदा यह है कि आप सब की नजर में जल्दी आते हैं और दर्शकों की आशा हम से दोगुनी हो जाती है. नौर्मल न्यू कमर्स समझते हैं कि यह जैकी श्रौफ का बेटा है, इसलिए फिल्म मिल गई और चल गई. मैं जो भी करूं उसे प्रूव करना मुश्किल होता है. खुद की पहचान जब तक न बने, तब तक हार्डवर्क करना पड़ता है. आज प्रतियोगिता बहुत है, मैं खुद को उस भीड़ से अलग सिद्ध करना चाहता हूं.

आप का ड्रीम प्रौजैक्ट क्या है?

मैं स्पाइडर मैन और सुपर मैन की ऐक्ंिटग हौलीवुड में करना चाहता हूं. दुनिया की यात्रा माइकल जैक्सन की तरह कर, परफौर्म करना चाहता हूं, ताकि देश का नाम रोशन हो.

फिल्म ‘बागी’ के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

यह एक मुश्किल फिल्म थी, मैंटली, फिजिकली औैर इमोशनली यह चुनौतीपूर्ण फिल्म थी. इस में मेहनत, प्रैक्टिस और रिहर्सल बहुत करनी पड़ी.

आप कभी बागी हुए?

मैं कभी बागी नहीं हुआ. मैं एक शांत लड़का हूं और मातापिता से डरता हूं. मेरे मातापिता ने मुझे आजादी दी पर मैं ने कभी उस का गलत फायदा नहीं उठाया.

श्रद्धा कपूर के साथ अभिनय करना कितना सहज था?

श्रद्धा कपूर से बहुत कुछ सीखने को मिला. हम दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे. इतनी सारी हिट फिल्में करने के बाद भी वह बहुत साधारण है.

आप के पास अभी कितनी फिल्में हैं?

कई फिल्मों पर बात हो रही है. अभी आगे ऐक्शन कौमेडी पर आधारित रेमू डिसूजा की फिल्म ‘फ्लाइंग जाट’ आने वाली है.

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