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अमेरिका को संवार रहे हैं ‘भारतीय’

अमेरिकी शोध संस्था की एक ताजा रिपोर्ट में इस मान्यता को चुनौती दी गयी है कि दूसरे देशों से अमेरिका आने वाले प्रवासी अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बोझ हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015-16 में प्रवासियों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 2,000 अरब डॉलर का योगदान दिया और इन प्रवासियों में भारत से आए लोगों का समूह 'सबसे उद्यमशील समूह है.'

नैशनल अकैडमीज ऑफ सायेंस, इंजिनियरिंग ऐंड मेडिसिन ने 'आव्रजन के आर्थिक एवं वित्तीय परिणाम' पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रवासियों के योगदान से 2015-16 में अमेरिका की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में अनुमानित तौर पर करीब 2,000 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई. इस रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि प्रवासियों और उनकी आगे की पीढ़ी ने अमेरिका की आर्थिक वृद्धि, देश में नवप्रवर्तन और उद्यमों के विकास में अहम योगदान दिया है.

इसमें कहा गया, 'भारतीय प्रवासी देश में यहां के मूल निवासियों सहित किसी भी जातीय समूह में सबसे अधिक उद्यमशील हैं.' रिपोर्ट ने यह तथ्य भी उजागर किया है कि अमेरिका में परिवहन, आवास, मनोरंजन और सेवा-सत्कार क्षेत्र में एक चौथाई कंपनियां प्रवासियों की ही हैं. '

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इमीग्रेशन से नफे और नुकसान का मुद्दा हमेशा ही गरम रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्‍ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि सत्ता में आने पर वह अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.

निवेश और बचत में न हो कन्फ्युज

बचत और निवेश में काफी अंतर होता है. बचत हम अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं, जबकि निवेश लंबी अवधि में अपने वित्‍तीय लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए किया जाता है.

अक्‍सर लोग बचत को ही निवेश समझ बैठते हैं और बाद में परेशानी उठाते हैं. अधिकांश लोग बचत और निवेश में यह गलती करते हैं, लेकिन समय रहते इसे सुधारा जा सकता है. यदि देर कर दी तो शायद ये गलती काफी महंगी साबित हो सकती है.

बचत और निवेश में अंतर क्या है?

निवेश में यह कोशिश होती है कि धनराशि बढ़े. इसमें बचत के मुकाबले ज्‍यादा रिस्क होता है, लेकिन अधिक रिटर्न मिलने की संभावना भी है. निवेश लंबे समय के लिए किया जाता है. दूसरी तरफ बचत करना सुरक्षित होता है, लेकिन इसमें रिटर्न की गति धीमी होती है. ये पैसा बचाने और सुरक्षित रखने का अच्छा जरिया है, जो कम समय के लक्ष्यों को पूरा करने में मददगार साबित होता है.

लंबी अवधि के लिए होता है निवेश

निवेश के तहत आप अपने धन को एक या कई जगह लगाते हैं, और लंबी अवधि के लिए बुद्धिमानी से धन का इस्तेमाल, प्रोफिट के लिए करते हैं. निवेश किए हुए धन को आप जल्द ही वापस नहीं निकालते, बल्कि धन के बढ़ने का इंतजार करते हैं. वैसे कुछ निवेश कम अवधि के लिए भी किए जाते हैं.

कई जगह करें निवेश

निवेश में डायवर्सिफिकेशन होना चाहिए. अपने धन का जोखिम कम करने के लिए आपको अलग-अलग तरह के निवेश करने चाहिए. क्योंकि सारा धन एक ही जगह निवेश करने से नुकसान की संभावना अधिक रहती है. आप अपना पैसा स्टॉक, बॉन्ड्स और म्यूचुअल फंड में लगा सकते हैं. जमीन या रियल एस्‍टेट (प्रॉपर्टी) में निवेश कर सकते हैं. सोना खरीदना भी अपने आप में निवेश ही माना जाता है.

निवेश के प्रकार

– सरकारी बांड्स

– स्टॉक

– म्यूचुअल फंड

– प्रॉपर्टी

– सोना

निवेश का जोखिम ऐसे करें कम

अपना पोर्टफोलियो तैयार करें. पोर्टफोलियो निवेशों का संग्रह (कलेक्शन) है. आप निवेश में जोखिम कम कर सकते हैं अगर आपने अलग-अलग जगह या संपत्ति में निवेश किया हो. निवेश की शुरुआत करते वक्त दो बाते बहुत मायने रखती हैं. ये हैं डायवर्सिफिकेशन और एसेट अलोकेशन.

इन ऐप्स की बदौलत फोन नहीं होगा डिस्चार्ज

लोगों की सबसे अहम जरूरत बन चुका मोबाइल फोन भी कभी-कभी परेशान कर देता है. सुबह उठते सबसे पहले आपको जिस चीज की याद आती है वो होता है मोबाइल फोन. ऐसे में अगर मोबाइल फोन स्लो काम करने लग जाए या बात करते करते फोन की बैटरी दगा दे दे तो आपका दिमाग खराब होना लाजमी है.

लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि बाजार में ऐसे काफी सारे ऐप उपलब्ध हैं जो आपकी इन छोटी-मोटी परेशानियों को झट से दूर कर सकते हैं. इन सारे ऐप्स को आप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं.

ये ऐप्स आपके फोन की सेहत को हमेशा दुरुस्त रखेंगे और आपको कभी भी परेशानी नहीं होगी. अगर आपका फोन एंड्रॉयड है तो आप इन्हें अभी डाउनलोड कर सकते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही ऐप्स के बारे में बताएंगे जो आपके स्मॉर्टफोन को वाकई में स्मॉर्ट बना देंगे.

क्लीन हिस्ट्री: यह ऐप आपके फोन के लिए काफी बेहतर साबित हो सकता है. अगर आप इस ऐप को डाउनलोड करते हैं तो यह आपके मोबाइल की इंटरनेट सर्च हिस्ट्री, डाउनलोडिंग, ऐप कैशे मेमोरी को क्लीन करके स्पेस बनाता है ताकि मोबाइल फोन स्मूथनेस के साथ काम कर सके.

शेयर इट: यह ऐप भी कमाल का है. यह ब्लूटूथ की समस्या का रामबाण इलाज है. आमतौर पर ब्लूटूथ छोटी फाइलों को तो झट से भेज देता है, लेकिन वह बड़ी फाइल भेजने में असमर्थ होता है, जबकि आपक शेयर इट के जरिए बड़ी से बड़ी फाइल को भी चंद सेकेंडों में एक फोन से दूसरे फोन में साझा कर सकते हैं.

डीयू बैटरी: स्मार्टफोन की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि इसकी बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है. ऐसे में यह ऐप आपकी मदद कर सकता है. यह ऐप बैटरी की लाइफ को 50 फीसदी तक बढ़ा देती है. यह न सिर्फ चार्जिंग की स्पीड को बढ़ा देता है बल्कि बैकग्राउंड में चालू ऐप्स जिस ऊर्जा की खपत कर रही होती हैं उसे भी रोक देता है.    

फ्री में बढ़ाएं जियो 4जी की इंटरनेट स्पीड

रिलायंस जियो ने मार्केट में आते ही बवाल मचा दिया है. इस वक्त जियो के कई यूजर्स हैं और कई ऐसे हैं जो रिलायंस जियो 4जी सिम इस्तेमाल करना चाहती हैं. लेकिन हर यूजर जियो की स्पीड से खुश नहीं है.

रिलायंस जियो के प्रीव्यू ऑफर के दौरान यूजर्स ने जियो 4जी की शानदार स्पीड का अनुभव किया. यूजर्स को लगभग 10 से 20 एमबीपीएस स्पीड मिल रही थी. लेकिन जियो की कमर्शियल लॉन्च के बाद जियो की डिमांड अधिक तेजी से बढ़ी मगर जियो की स्पीड पहले से काफी कम हो गई. ऐसा जियो नेटवर्क पर ज्यादा भर पड़ने से हुआ है.

यदि आप भी जियो की कम स्पीड से परेशान हैं तो आप नीचे दिए ट्रिक्स अपनाकर स्पीड को बढ़ा सकते हैं. ये 6 ट्रिक्स आपके रिलायंस जियो 4जी की स्पीड जरुर बढ़ा देंगी.

एपीएन सेटिंग्स में बदलें

अपने रिलायंस जियो 4जी की स्पीड बढ़ाने के लिए आप एपीएन सेटिंग्स में बदलाव कर सकते हैं. इसके लिए आप सेटिंग्स में जाएं और मोबाइल नेटवर्क्स के विकल्प में जाएं. आप प्रिफर्ड नेटवर्क टाइप को LTE में सेट करें. अब वापस जाकर एपीएन (एक्सेस पॉइंट नेम्स) सेलेक्ट करें और स्क्रॉल करते हुए नीचे जाएं व एपीएन प्रोटोकॉल विकल्प चुनें. इसे lpv4/lpv6 कर दें. इसके बाद बेयरर विकल्प में जाकर LTE सेलेक्ट और सभी सेटिंग्स को सेव कर दें.

रूट फोन के लिए

यदि आपके पास रूट हुआ एंड्रायड फोन है तो 3जी/4जी स्पीड ऑप्टिमाइजर एपीके अपने फोन में डाउनलोड करें, और नेटवर्क स्पीड सेलेक्ट करें. वहां आपको 12/28/7 चुनना है. इसके बाद अप्लाई पर क्लिक कर फोन को रीस्टार्ट कर दें.

वीपीएन के इस्तेमाल से

स्नैप वीपीएन को प्ले स्टोर से डाउनलोड करें. एप खोलने पर आपको देश की लिस्ट और उनके सामने सिग्नल स्ट्रेंथ दिखाई देगी. अच्छी स्ट्रेंथ वाले देश को सेलेक्ट करें और कनेक्ट करें. जैसे ही कनेक्शन हो जाता है, अपने इंटरनेट की स्पीड चेक करें. LTE बैंड बदलें

बैंड 40 बेहतर स्पीड ऑफर करता है जबकि बैंड 3 और 5 बेहतर कवरेज देता है. बैंड 40 में आपको 50 एमबीपीएस की डाउनलोड स्पीड मिलती है. आप LTE बैंड को अपने आप से बदल सकते हैं. यदि आपका फोन क्वालकॉम या मीडियाटेक चिपसेट वाला है.

सर्वर का नाम बदलें

आप एपीएन सेटिंग्स में जाकर सर्वर पर जाएं. वहां जाकर आपको www.google.com टाइप करना है और सेटिंग्स को सेव करना है. तब आप इंटरनेट को कनेक्ट करें और एक बार फिर इंटरनेट स्पीड देखें.

क्लियर कैश

एंड्रायड सिस्टम रैंडमली कुछ फाइल्स इस्तेमाल करता है और उन्हें सेव कर लेता है. इन फाइल्स को कैश फाइल्स कहते हैं. जियो कैश फाइल्स के जरिए यूजर्स को कुछ बढ़ा कंटेंट डाउनलोड करने से रोक सकता है. इसलिए कैश फाइल डिलीट कर आप स्पीड बढ़ा सकते हैं.

जल्द बिक जाएगा ट्विटर

माइक्रोब्‍लॉगिंग साइट ट्विटर जल्‍द ही बिक सकता है. एक बिजनस न्‍यूज चैनल ने अपने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि टेक्‍नॉलजी क्षेत्र की कई कंपनियों ने ट्विटर को खरीदने में दिलचस्‍पी दिखाई है और जल्‍द ही इस बारे में आधिकारिक रूप से घोषणा हो सकती है.

सूत्रों के मुताबिक, जिन कंपनियों ने ट्विटर को खरीदने में दिलचस्‍पी दिखाई है वे गूगल और सेल्‍सफोर्स डॉट कॉम हैं. खरीदारी को लेकर ट्विटर की कई कंपनियों से बातचीत चल रही है जिनमें ये दोनों कंपनियां भी शामिल हैं. बता दें कि गूगल जहां दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन कंपनी हैं वहीं सेल्‍सफोर्स अमेरिका स्थित एक बड़ी क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग कंपनी है.

जैसे ही इस बारे में खबर आई है कि ट्विटर को खरीदने के लिए कंपनियां संभावित डील पर बातचीत कर रही हैं, ट्विटर के शेयरों में 15 प्रतिशत से ज्‍यादा का उछाल आ गया है.

इस मामले पर करीबी नजर रखने वाले सूत्रों ने कहा कि ट्विटर के बोर्ड ऑफ डायरेक्‍टर्स बिक्री संबंधी डील को लेकर काफी इच्‍छुक हैं लेकिन बहुत जल्‍दी इस तरह के डील की संभावना नहीं है. सूत्रों ने कहा कि इस बात का भरोसा नहीं दिया जा सकता कि इस तरह की डील परवान चढ़ेगी लेकिन बिक्री संबंधी बात काफी तेजी से आगे बढ़ रही है और इस साल के आखिर तक संभवत: डील हो सकती है.

लगातार 45 दिन दौड़ अमेरिकी अल्ट्रामैराथनर ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

6000 हजार फीट ऊंचे पहाड़ों पर अमेरिकी अल्ट्रामैराथनर कार्ल मेल्टजर ने एक अनोखा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. जी हां, इतनी ऊंचाई पर वे लगातार 45 दिन दौड़े. वह रोज 15 घंटे में 77 किमी दौड़ते थे. इस दौरान वे सनक और जुनून में कई नदियां और पुल पार करते रहे. उन्होंने 5 लाख फीट क्लाइंबिंग भी की.

आखिर कैसे किया उन्होंने ये सब

कार्ल ने स्प्रिंगर माउंटेन पर पहुंच कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने यह रेस 45 दिन 22 घंटे 38 मिनट में पूरी की. उन्होंने अपने दोस्त और ट्रेनिंग पार्टनर स्कॉट जुरेक (46 दिन, 8 घंटे, 7 मिनट) का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया.

इस दौरान कार्ल ने 345122 कैलोरी बर्न की. अमेरिका के 12 स्टेट क्रॉस किए. रेस में 20 पेयर शूज बदले. यानी, हर दो दिन में एक पेयर शू. 678 घंटे दौड़ लगाई.

अपालाचियन ट्राइल रेस में 11 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था. लेकिन कार्ल सबसे तेज रहे. वे तीसरी बार इस रेस में हिस्सा ले रहे थे. रेस फिनिश होने के बाद उन्होंने पिज्जा और बीयर के साथ जीत का जश्न मनाया.

वे रेस के दौरान अनहेल्दी डाइट लेते थे. उनके पास हमेशा कैंडी होती. दिनभर में पांच एनर्जी ड्रिंक लेते. बर्गर, पेस्ट्री, आइसक्रीम और जंक फूड खाते थे. वे ऐसी डाइट लेते, जिसमें शुगर और प्रोटीन का कांबिनेशन होता था. रोजाना रेस के बाद सोने से पहले बीयर पीते थे.

नेताओं के बंगले

अब देश में जो इने गिने प्रतिबद्ध कांग्रेसी बचे हैं 88 वर्षीय मोतीलाल वोरा उनमें से एक हैं. वे लंबे समय से कांग्रेस के कोषाध्यक्ष हैं और कोष न के होने के बाद भी उसे संभाल रहे हैं .

वोरा के पास राजनीति का पर्याप्त अनुभव है वे 2 बार मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री रहे कई दफा केंद्रीय मंत्री रहे और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी बनाए गए. मुद्दत से वोरा भोपाल नहीं आए थे और आए भी तो राज्य सरकार के नोटिस पर जो उन्हें भोपाल में आवंटित आवास खाली करने के लिए मिला था.

भोपाल के 74 बंगला में स्थित बी – 29 में अर्से से सन्नाटा था क्योकि यहाँ कोई रहता नहीं था हालांकि ऐसे आवासों की भोपाल या किसी भी शहर में कमी नहीं जो पूर्व मंत्रियों वगैरह को आवंटित हैं लेकिन खाली पड़े रहते हैं.

पर वोरा का मामला कुछ अलग था इसलिए राज्य सरकार को उनका बंगला खाली करवाने एक नया नियम बनाना पड़ा था कि अब पूर्व सीएम जिस राज्य के विधायक होंगे उन्हें उसी राज्य में इस तरह की सुविधाएं मिलेंगी गौरतलब है कि पूर्व मुख्य मंत्रियों को प्रोटोकाल के तहत केबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिलता है .

वोरा चूंकि मूलतः छतीसगढ़ के हैं इसलिए लगता ऐसा है कि यह नया नियम उन्हीं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था जिसका पालन करते हुए उन्होंने नोटिस की मियाद के काफी पहले ही भोपाल से अपना डेरा डंगर समेट कर एक तरह से समझदारी का ही परिचय दिया और यह भी पूरी परिपक्वता से कहा कि बंगला खाली करने से उनका नाता मध्य प्रदेश से नहीं टूटने छूटने वाला.

तमाम बड़े शहर खासतौर से राज्यों की राजधानियां अब आवासों की कमी से जूझ रहीं हैं हर जगह नेता बड़े बंगलों पर अंगद के पाँव की तरह कब्जा जमाये बैठे हैं. मिसाल वोरा जी की ही लें तो यह बंगला 1981 से उनके पास था 1993 के बाद वे कभी-कभार ही भोपाल आए यानि इतने साल यह बंगला एक तरह से दुरुपयोग का शिकार ही रहा इधर राज्य सरकार की परेशानी यह थी कि उसके पास अपने मंत्रियों को देने आवासों का टोटा पड़ गया था.

वोरा के खाली करते ही यह बंगला एक राज्य मंत्री ललिता यादव को आवंटित कर दिया गया जो अभी विधायक निवास से अपना दफ्तर चला रहीं थीं. तुरंत और बगैर हील हुज्जत किए बंगला खाली कर देने से वोरा की सज्जनता ही प्रदर्शित होती है जिसकी उम्मीद अब हर उस नेता से की जानी चाहिए कि वह खुद सरकारी आवास खाली कर सज्जनता दिखाएं.

सरकार को भी चाहिए कि वह ऐसे बंगले खाली कराये जिन में कोई नहीं रहता यह जनता के पैसे की फिजूलखर्ची तो है ही साथ ही एक अच्छे खासे मकान का बेजा इस्तेमाल भी है. बात अकेले नेताओं की ही नहीं है सरकार कई राजनतिक दलों के कार्यालयों, कर्मचारी संगठनों और पत्रकारों को भी आवास देती है क्यों देती है यह समझ से परे बात नहीं कि ऐसा उपकृत करने के लिए किया जाता है उपकार की यह परंपरा जनहित में बंद होनी चाहिए.    

अब रितेश के साथ सलमान को निर्देशित करेंगे रवि जाधव

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार रवि जाधव की बतौर निर्देशक पहली फिल्म ‘बैंजो’ का बॉक्स ऑफिस पर अंततः क्या हश्र हेागा, यह तो वक्त ही बताएगा. मगर रवि जाधव ने अपनी फिल्म ‘बैंजो’ के थिएटर तक पहुंचने से पहले ही लंबा हाथ मार लिया था.

जी हां! रवि जाधव अब छत्रपति शिवाजी पर एक बायोपिक फिल्म बनाने जा रहे हैं. वह इस फिल्म को हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में बनाने वाले हैं. इस फिल्म में रवि जाधव, रितेश देशमुख के साथ सलमान खान को भी निर्देशित करने वाले हैं.

इस बात की पुष्टि करते हुए खुद रवि जाधव कहते हैं कि ‘यह सच है कि मैं छत्रपति शिवाजी महाराज पर हिंदी व मराठी दोनों भाषाओं में एक फिल्म बनाने की तैयारी कर रहा हूं. इस फिल्म में शीर्ष  भूमिका रितेश देशमुख निभाएंगे. मगर हमारी इस फिल्म में सलमान खान की भूमिका भी अहम होगी. सलमान खान हमारी फिल्म में कैमियो करते हुए नहीं नजर आएंगे.’

रवि जाधव आगे कहते हैं, ‘छत्रपति शिवाजी पर फिल्म बनाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. महाराष्ट्र के लोगों के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज, भगवान की तरह हैं. इसलिए हम इस फिल्म को हल्के में नहीं ले सकते. हम इस फिल्म को बहुत बड़े बजट के साथ अति भव्य स्तर पर बनाने वाले हैं.’

इमेज बदलना चाहते है आजम खां

उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम खां का नाम फायर ब्रांड वक्ता के रूप में जाना जाता है. यह बात अपनी जगह पूरी तरह से सही है कि आजम खां जैसे साफ-साफ और मीठा बोलने वाले लोग राजनीति में गिने चुने हैं. आजम खां बहुत ही मीठे तरह से अपनी बात पूरी शालीनता से करते है. परेशानी की बात यह है कि वह दूसरे तमाम नेताओं की तरह चिकनी-चुपड़ी बातें नहीं कर पाते और सवाल होगा तो आजम खां का जबाव भी आयेगा. मीठे अंदाज में कही कड़वी बात हर बार ब्रेकिंग न्यूज का हिस्सा बन जाती है. यही वजह है कि उनको फायर ब्रांड नेता भी कहा जाता है.

समाजवादी पार्टी में आजम खां को अमर सिंह विरोधी खेमें का माना जाता है. सपा में अमर सिंह के आने के बाद आजम खां ने तय किया है कि वह विवादों से दूर रहेंगे. सच्चाई यह है कि आजम खां के बयानों से दूसरे लाभ में उठाते हैं और आजम खां को नुकसान सहना पड़ता है. अब आजम खां ने तय किया है कि वह विवादों से खुद को दूर रखेंगे.

सपा में परिवार विवाद के समय जहां तमाम नेता अलग-अलग खेमे में नजर आये वहां आजम खां तटस्थ बने रहे और उनकी कोशिश रही कि परिवार का विवाद खत्म हो जाये. पार्टी में वह ऐसे नेताओं में शामिल थे जो दोनो गुट के बीच विवाद को खत्म करने में लगे रहे. आजम खां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के ज्यादा करीब है. इसके बाद भी आजम खां शिवपाल यादव के बेहद करीब नजर आये. आजम की कोशिश रही कि मुलायम परिवार में दूरी नजर न आये.

अब आजम ने खुद को सुधार लिया है. वह चाहते हैं कि प्रदेश में समाजवाद पार्टी कि सरकार बने. ऐसे में वह खुद को गंभीर और विवादों से दूर रखने वाले नेताओं की श्रेणी में शामिल करना चाहते है. पिछले कुछ समय से आजम खां की छवि तुनकमिजाज नेता की बनी जिसका नुकसान उनको और सपा दोनों को हुआ. असल में आजम खां इमानदार नेता है. आज के दौर में अपने को फिट नहीं कर पाते ऐसे में उनका गुस्सा और चिड़चिड़ापन झलकने लगता है. विरोधी इसी बात का लाभ उठाकर उनको हाशिये पर ले जाने का प्रयास करते हैं. आजम अब इस बात को समझ चुके हैं. खुद को बड़बोलेपन से दूर रखकर नई शुरूआत करना चाहते हैं.

दिल साला सनकीः पैसे की बर्बादी

एक बहुत पुरानी कहावत है ‘पेड़ बबूल का बोओगो तो कांटे ही मिलेंगे’. इसी कहावत को चरितार्थ करती है फिल्म ‘दिल साला सनकी’. कथानक के स्तर पर यह फिल्म ऐसा कुछ नही पेश करती जिसके चलते इसे देखने के लिए गाढ़ी कमाई खर्च की जाए.

एक औरत को लेकर युद्ध होना, दो दोस्तों का दुश्मन बन जाना, महाभारत होना आम और घिसी पिटी कहानी है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि बचपन में एक बच्चे को किसे अपना आदर्श चुनना चाहिए, इसके जवाब की इस अति लचर पटकथा वाली फिल्म से की भी नहीं जानी चाहिए.

फिल्म की कहानी के केंद्र में बादल है. और शहर का गुंडा बच्चा भाई (जिम्मी शेरगिल) हैं. पांच वर्ष के बच्चा को एक छोटे शहर के गुंडे तिवारी दद्दा ने उठाकर अपने बेटे की तरह पाला और उसे अपनी तरह दबंग गुंडा ही बनाया. एक दिन ऐसा आता है, जब बच्चा, तिवारी दद्दा की हत्या कर खुद उस शहर का नामी गुंडा बच्चा भाई बन बैठता है. शहर की पुलिस भी उन्हीं के इशारे पर नाचती है.

शहर के एक नाई का आठ वर्षीय बेटा बादल, बच्चा भाई को अपना आदर्श मानता है. उसकी महत्वाकांक्षा बच्चा भाई की तरह गुंडा बनना है. बड़ा होकर बादल (योगेश कुमार), बच्चा की शरणागति स्वीकार कर उनके लिए काम करने लगता है. बहुत जल्द बादल, बच्चा भाई का अतिविष्वासी बन जाता है. शहर में आकर बसे मास्टर शर्मा (शक्ति कपूर) की बेटी मेघा (मदालसा शर्मा) को बादल दिल दे बैठता है. पर मेघा उसे नापसंद करती है. मास्टर शर्मा जी को भी यह रिश्ता पसंद नही.

मास्टर जी अपने मित्र व पत्रकार के साथ पुलिस स्टेशन जाते हैं. पुलिस इंस्पेक्टर उन्हें सलाह देता है कि वह बच्चा भाई के पास जाएं. बच्चा भाई उनकी मदद का आश्वासन देते हैं. मगर बच्चा भाई खुद ही पहली नजर में मेघा को दिल दे बठते हैं. मेघा को अपनी पत्नी बनाने के लिए बच्चा भाई खुद ही अपनी अति सुंदर पत्नी की हत्या कर डालते हैं. उधर अब बादल, बच्चा भाई के खिलाफ विद्रोह कर देता है.

पर बच्चा भाई एक तरफ बादल को अधमरा कर शहर से बाहर धमकी देकर छोड़ आते हैं कि जिंदा बच जाए, तो शहर वापस मत आना. दूसरी तरफ बच्चा भाई हर तरह का दबाव मास्टर शर्मा के परिवार पर बनाते है कि वह मेघा की शादी उनसे कर दे. शादी के कार्ड छप जाते हैं. शादी की तैयारी भी शुरू हो जाती हैं. अब बादल की पहली प्रेमिका भी उसकी मदद के लिए आ जाती है. अंततः बादल, बच्चा भाई और उसके गुंडों को मौत के घाट उतारकर अपने प्रेम मेघा को पा लेता है.

फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी फिल्म की कहानी, पटकथा व निर्देशन है. निजी जिंदगी में पेशे से डॉक्टर और ब्लैक बेल्ट धारी फिल्म के नायक योगेश कुमार में उत्कृष्ट अभिनेता बनने के गुण नजर नही आते. एक्शन दृष्यों में भी वह कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए. ज्यादातर दृष्यों में वह किसी न किसी कलाकार की नकल करते हुए ही नजर आए हैं. यही हालत मदालसा शर्मा की है. जिम्मी शेरगिल पर ‘साहेब बीबी और गैंगस्टर’ ही हावी है. उन्हें इसे भूलकर आगे बढ़ना होगा. बच्चा भाई की कवितामय पत्नी के छोटे किरदार में हृषिता भट्ट जरुर आकर्षित करती हैं.

एक घंटा 51 मिनट अवधि वाली फिल्म ‘दिल साला सनकी’ के निर्माता व निर्देशक सुशिकैलाश, रचनात्मक निर्देशक इसरार अहमद, कथा व पटकथा राजन अग्रवाल, नृत्य निर्देशक रिकी गुप्ता, एक्शन निशांत खान, कैमरामैन जगन चैवली और सेबिस्टियन एंथनी, गीतकार रवि चोपड़ा, संगीतकार प्रमोद पंत तथा योगेश कुमार, जिम्मी शेरगिल, मदालसा शर्मा, शक्ति कपूर, शगुफ्ता अली, गार्गी पटेल, संदीप विर्क, हृषिता भट्ट व अन्य कलाकार हैं.

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