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KYC करें अपडेट वरना खाता हो जाएगा बंद

अगर आपका खाता पंजाब नैशनल बैंक में है तो अपनी जानकारी तुरंत अपडेट कराएं वरना आपका अकाउंट ब्लॉक किया जा सकता है. पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) ने अपने सभी कस्मटर्स को 1 अक्टूबर 2016 तक केवाईसी (नो योर कस्टमर) अपडेट कराने के लिए कहा है. बैंक का कहना है कि जो ग्राहक ऐसा नहीं करते हैं, एटीएम समेत उनका अकाउंट ब्लॉक किया जा सकता है. केवाईसी, कस्टमर के बारे में जानकारी अपडेट करने की प्रक्रिया है. इससे सुनिश्चित होता है कि बैंकिंग सेवाओं का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है.

पीएनबी ने कहा है कि अगर किसी भी अकाउंट का केवाईसी अपडेट नहीं है तो 1 अक्टूबर 2016 के पहले इसे जरूर अपडेट करा लें. जो अकाउंट होल्डर्स ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक के पास उनका एटीएम, पॉइंट ऑफ सेल और इंटरनेट मोबाइल बैंकिंग समेत सभी बैंकिंग ट्रांजेक्शन ब्लॉक करने का अधिकार है.

सेविंग्स अकाउंट के लिए अकाउंट होल्डर्स को पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, नरेगा कार्ड, इलेक्शन आईडी, पैन कार्ड (केवल आईडी प्रुफ के लिए) की फोटो कॉपी जमा करानी होगी. करंट अकाउंट्स के लिए अड्रेस प्रूफ और अपनी पहचान से जुड़े दस्तावेजों की कॉपी जमा करा सकते हैं. प्रोपराइटर्स अपनी पहचान और अड्रेस से जुड़े दस्तावेज जमा करा सकते हैं. 

उग्रवाद, भ्रष्ट नेता और विकास की इबारत

भारत की सीमाओं के अंदर गोया एक अलग ही संसार है पूर्वोत्तर. चीन की संस्कृति से प्रभावित, लेकिन रहन सहन भारतीयता से परिपूर्ण और बदला-बदला सा खानपान इस बात का अहसास कराता है. प्राकृतिक विविधताओं के बीच नदी में लिपटा संसार का सबसे लंबा द्वीप, कंचनजंघा की बर्फीली पहाड़ियों पर सर्पीले रास्ते, दुनिया का सबसे नम स्थान, घने मनोहारी जंगल, मूसलधार बारिश, चाय के बाग, सौंदर्य बिखेरते परंपरागत आवास और जंगलों में गैंडे व याक का वास. यही है सेवन सिस्टर्स यानी पूर्वोत्तर की पहचान.

प्रकृति ने पूर्वोत्तर को हर तरह की सौगात दी. लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इसका समुचित दोहन होना अब भी बाकी है. इन आठ राज्यों में असम, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम व सिक्किम में उग्रवाद व अलगाववादी ताकतें विकास की हवा पहुंचने नहीं दे रही हैं. पहाड़ी राज्यों में ट्रेन रूट व सड़कों का अभाव विकास को भी आगे नहीं बढ़ने दे रहा है. कई राज्यों में तो एक किमी भी रेल पटरी नहीं बिछी. समूचे पूर्वोत्तर के बाशिंदे मुख्यत: सड़क परिवहन पर ही निर्भर हैं.

अरुणाचल से लेकर सिक्किम तक पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में स्वाधीनता और स्वायत्तता का जुनून छा रहा है. इन राज्यों में सीमा विवाद भी चरम पर है. बांग्लादेशी घुसपैठ खत्म नहीं हो रही तो चीन की अरुणाचल पर गिद्धदृष्टि है. वोट की राजनीति के चलते उग्रवादी तत्वों को हवा मिल रही है. राज्य सरकारें केंद्र से आतंकवाद से जूझने के लिए मिलने वाली राशि के लालच में उग्रवादी तत्वों के साथ नूराकुश्ती खेल रही हैं. यहां सिक्किम ही इकलौता राज्य है, जो तीन तरफ विदेशी सीमाओं से घिरे होने के बावजूद शांति का टापू बना हुआ है. बांग्लादेशी घुसपैठ से पश्चिम बंगाल भी अछूता नहीं है. इसके प्रमाण कोलकाता स्थित रेडलाइट एरिया समेत जेलों में बंद बांग्लादेशी कैदियों से मिलते हैं.

इधर कोलकाता जरूर हाईटेक बनने को करवट बदल रहा है. एशिया के सबसे बड़े आईटी पार्क के द्वार खुल रहे हैं. यहां सड़कों पर जीवन बसता है. गगनचुंबी अट्टालिकाओं के बीच शापिंग मॉल में मल्टीनेशनल कंपनियों का पिज्जा तीन सौ रुपए में बिकता है तो फुटपाथ पर मात्र बीस रुपए में भी खाना मिल जाता है. कोलकाता दिहाड़ी मजदूर का पेट भरता है तो अरबपतियों को मालामाल भी करता है. पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे बिहार की तस्वीर से बदनामी की कालिख धुल रही है. बिहार अब पुराने ढर्रे से निकलकर पटरी पर आ रहा है. अपराधों से कांपने वाले बिहार में अब राज्य सरकार की सख्ती से अपराधी कांपने लगे हैं. यहां भी विकास अब जाकर शुरू हो रहा है. इन्वेस्टर्स बिहार का रुख कर रहे हैं.

सियासतदां मानते हैं कि छोटे राज्यों के गठन से विकास को गति मिली है. लेकिन झारखंड में यह उक्ति गलत सिद्ध हो रही है. झारखंड नेताओं के सियासी खेल का अखाड़ा बन गया है. भ्रष्ट नेताओं के कारनामों और कुर्सी का बेजा फायदा उठाने की ललक ने राज्य को विकास के मामले में बहुत पीछे धकेल दिया है. छत्तीसगढ़ नक्सलवाद के झंझावतों से जूझते हुए भी विकास की इबारत लिख रहा है. रायपुर विकास की अंगड़ाई लेते शहरों में शुमार हो चला है. यहां शापिंग मॉल कल्चर की हवा बहने लगी है.

सियासतदां मानते हैं कि छोटे राज्यों के गठन से विकास को गति मिली है. लेकिन झारखंड में यह उक्ति गलत सिद्ध हो रही है. भ्रष्ट नेताओं के कारनामों और कुर्सी का बेजा फायदा उठाने की ललक ने राज्य को विकास के मामले में बहुत पीछे धकेल दिया है. छत्तीसगढ़ नक्सलवाद के झंझावतों से जूझते हुए भी विकास की इबारत लिख रहा है. रायपुर विकास की अंगड़ाई लेते शहरों में शुमार हो चला है. यहां शापिंग मॉल कल्चर की हवा बहने लगी है.

मौजूदा नंबर पर ही लें Jio सर्विस का मजा

रिलायंस जियो की सर्विस शुरू होने के बाद कस्‍टमर को सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत सिम की हो रही है. सिम मिल भी जा रहा है तो वह कई दिनों तक एक्टिवेट नहीं हो पा रहा है. ऐसे में कस्‍टमर्स के पास अपने मौजूदा नंबर पर ही जियो सर्विस का लाभ लेने का ऑप्‍शन मौजूद हैं. इसके लिए कस्‍टमर को मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) का प्रयोग करना होगा.

रिलायंस जियो को मुकेश अंबानी ने 5 सितंबर को लॉन्‍च किया था. 31 दिसंबर तक ‘जियो वेलकम ऑफर’ के तहत जियो की डाटा, कॉल सभी सर्विस फ्री हैं. इसके बाद डाटा पैक के अनुसार चार्ज देना होगा. जियो के तहत कॉलिंग सर्विस लाइफ टाइम फ्री है.

– सबसे पहले आपको अपने करंट ऑपरेटर के पास एमएनपी के लिए टैक्‍स मैसेज भेजना होगा. इसके लिए मैसेज बॉक्‍स में PORT लिखकर 1900 नंबर पर भेजना होगा.

– इस फॉर्मेट में एसएमएस भेजें:- < PORT > < space> < mobile number > फिर इसे 1900 पर सेंड कर दें. इसके लिए कोई चार्ज नहीं होगा.

– इस मैसेज को सेंड करने के बाद आपको एक यूनिक पोर्टिंग कोड (यूपीसी) का एसएमएस आएगा.

– यह कोड 15 दिन के लिए वैलिड रहता है. कस्‍टर इसके बाद अपने नंबर को रिलायंस में पोर्ट कर सकते हैं.

कस्‍टमर किसी भी रिलायंस मोबाइल स्‍टोर या रिटेलर के पास जाकर कस्‍टमर अप्‍लीकेशन फॉर्म (सीएएफ) भरें.

मोबाइल स्‍टोर या रिटेलर के पास आपको इस फॉर्म के साथ कुछ जरूरी डॉक्‍यूमेंट जैसे एड्रेस प्रूफ, आइडेंटिटी प्रूफ और एक फोटो देना होगा.

इस प्रॉसेस को पूरा करने के बाद रिलायंस मोबाइल स्‍टोर या रिटेल से आपको एक सिम जारी कर दिया जाएगा.

इस सिम के एक बार एक्टिवेट होने के बाद आप अपने पुराने नंबर पर ही रिलायंस जियो की सर्विस का लाभ ले सकेंगे.

रिलायंस जियो सिम को एक्टिवेट होने में 7 दिन तक का समय लग सकता है.

नया सिम एक्टिवेट होने के बाद पुरान सिम डिएक्टिवेट हो जाएगा. इसके लिए आपको 19 रुपए फीस देनी होगी.

– नंबर पोर्ट होने के बाद सिम एक्टिवेट होने से पहले आपका फोन दो घंटे के लिए डेड हो सकता है. यह समय रात के 10 बजे से सुबह 5 बजे तक का हो सकता है.

– एकबार जब आपका सिम ‘नो सर्विस’ दिखाने लगे तो इसके बाद आप नया रिलायंस जियो सिम लगा सकते हैं.

– यह बात भी ध्‍यान रखिए कि एक बार जियो में नंबर पोर्ट कराने के बाद आप 90 दिन तक एमएनपी अपने पुराने ऑपरेटर या किसी अन्‍य के पास नहीं करा पाएंगे.

– बता दें, एजीएम में मुकेश अंबानी ने सभी ऑपरेटर्स से गुजारिश की थी कि वह कस्‍टमर को जियो अपनाने में उनके एमएनपी के अधिकार को न रोकें.

– रिलायंस जियो की सर्विस का अनुभव उसके कस्‍टमर के लिए काफी खराब हो रहा है. जियो का आरोप है कि दूसरे टेलिकॉम ऑपरेटर इंटरकनेक्टिविटी नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते जियो की कॉल फेल हो रही है.

– जियो का आरेाप है कि पिछले हफ्ते उसकी करीब 5 करोड़ कॉल फेल हुई है.

प्रगति में रोड़ा, पूंजी की बरबादी

भारतीय कभी अमेरिकी नहीं बन पाएंगे. यह हौलीवुड का अदना सा फाइटर हीरो नाथन जौंस जानता है. उस ने भारतीय फिल्मों में काम करना शुरू किया है और जब उस से पूछा गया कि दोनों देशों की फिल्म प्रोडक्शन में क्या अंतर है तो उस ने कहा कि उन के यहां पूरा अनुशासन है और जिस ने जो करना है वह पहले लिख लिया जाता है. सुधार किया जाता है. कई बार फिल्माते हुए सैट पर भी, लेकिन भारत की तरह नहीं जहां हर चीज अस्तव्यस्त है.

उस का कहना था कि तमिल फिल्म निर्माता जो बौलीवुड से बेहतर हैं, कोई काम ढंग से नहीं करते, सबकुछ बिखरा सा रहता है और हर कोई मनमानी करता नजर आता है.

भारत के साथ दिक्कत ही यह है कि हमारे यहां अनुशासन  से रहना भी नहीं सिखाया जाता. हम कहीं कतार में सीधे नहीं लग सकते. हम मेज पर सामान ढंग से नहीं रख सकते. हमारी फिल्मों में सैट निर्माताओं को नकली शहर बसाते हुए खयाल रखना पड़ता है कि कूड़े के ढेर नजर आएं, दीवारों पर पान की पीक दिखे, सड़कों पर पानीपूरी खा कर बिखरे पत्ते दिखें.

फिल्मों में भी हमारी अस्तव्यस्तता दिखती है. पहले तो सालों में बनती थीं पर जब से विदेशी निर्माता आए हैं, कुछ ढंग से काम होने लगा है और 6 माह पहले रिलीज की तिथि आ जाती है. अब तो सैंसर बोर्ड को फोर्स किया जा रहा है कि वह समय पर फिल्म देखे और सर्टिफाई करे.

नाथन जौंस ने आस्टे्रलिया में रह कर भारतीयों के बारे में बहुत कुछ जाना था, क्योंकि उस के पड़ोस में कई भारतीय मूल के परिवार थे. यहां का दर्शक असल में एक काम को लंबा खींचते देखना चाहता है. यहां खलनायक मरता दिखता है, पर फिर उठ जाता है और नायक को मारने दौड़ता है. यही अंतिम क्षण तक बहुत देर तक पहुंचने की आदत है जो हमारे सामाजिक व व्यावसायिक जीवन में बुरी तरह घुसी है.

देश की प्रगति में रोड़ा हमारी पूंजी की कमी इतनी नहीं जितनी पूंजी की बरबादी है. हम कोई चीज ढंग से इस्तेमाल करना ही नहीं जानते. गंदगी तो एक बात है वरना अधूरा काम छोड़ना तो हमारी फितरत बनी हुई है. स्कूलकालेजों से हमें यह शिक्षा दी जाती है कि हर चीज का शौर्टकट है, इस का भरपूर उपयोग करो. चाहे कक्षा की बात हो या कैंटीन की. हमारे यहां बिखरे डैस्क और भिनभिनाती मक्खियां हमारे जीवन का अंग हैं.

यह आश्चर्य है फिर भी केवल जनसंख्या के बल पर हम विशाल अर्थव्यवस्था बन गए हैं और हमारे आका अपने को चीन, अमेरिका के बराबर समझने लगे हैं. देखा जाए तो हमारी संसद तक बिखरी रहती है. कहीं जाले लगे हैं, कहीं प्लास्टर उखड़ा है, कहीं कूड़े के ढेर हैं. सुंदर अभिनव बिल्डिंग को जिस तरह रखा जा रहा है, यह देश की स्थिति बताती है.                               

युवा शटलर लक्ष्य सेन ने रचा इतिहास

उत्तराखंड के युवा शटलर लक्ष्य सेन ने ऑल इंडिया सीनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट में खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है. वह सबसे कम उम्र में खिताब जीतने वाले खिलाड़ी बने गए हैं. वर्तमान में लक्ष्य सेन अंडर-17 वर्ग में नेशनल चैंपियन भी हैं.

अल्मोड़ा निवासी लक्ष्य सेन अब सीनियर खिलाड़ियों पर भी भारी पड़ने लगे हैं. ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश में खेली जा रहे टूर्नामेंट में अपने से उम्र में बड़े शटलरों को शिकस्त देकर लक्ष्य ने यह कारनामा कर दिखाया है.

पुरुष एकल वर्ग के फाइनल में 10वीं वरीयता प्राप्त लक्ष्य सेन ने दूसरी वरीयता प्राप्त कर्नाटक के डेनियल फरीद एस को सीधे सेटों में 21-9, 21-19 से हराकर खिताब जीत लिया. इससे पहले खेले गये सेमीफाइनल मैच में लक्ष्य ने टूर्नामेंट के प्रथम वरीयता प्राप्त चंडीगढ़ के श्रेयाश जायसवाल को 21-19, 11-21, 21-18 और क्वार्टर फाइनल में अपने बड़े भाई चिराग सेन को 21-12, 21-15 से हराया था.

लक्ष्य सेन को बैडमिंटन का खेल विरासत में मिला है. उनके पिता डीके सेन राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच हैं. उनकी देखरेख में लक्ष्य ने बैडमिंटन का ककहरा सीखा. उत्तरांचल स्टेट बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव ने बताया कि सीनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट में एकल वर्ग का खिताब जीतने वाले लक्ष्य सेन सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं.

वह अभी 17वें वर्ष में चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के ही बोधित जोशी ने टूर्नामेंट में कांस्य पदक हासिल किया है.

लक्ष्य की इस सफलता पर अध्यक्ष एडीजी अशोक कुमार, सचिव बीएस मनकोटी, जिला बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव नवनीत सेठी, आइजी संजय गुंज्याल, बैडमिंटन प्रशिक्षक दीपक रावत ने शुभकामनाएं दी हैं.

जब एक इनिंग में बने थे 1000 से ज्यादा रन

28 दिसंबर, 1926 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट का हाइएस्ट स्कोर बना था. ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच खेले गए इस मैच में विक्टोरिया टीम ने करीब 191 ओवर खेलते हुए अपनी पहली इनिंग में 1107 रन बनाए थे.

ऐसे बना था स्कोर

28 दिसंबर, 1926 को विक्टोरिया ने अपनी पहली इनिंग में 1107 रन बनाए थे. विक्टोरिया की ओर से एक ट्रिपल सेन्चुरी, एक डबल सेन्चुरी, दो सेन्चुरी और दो हाफ सेन्चुरी लगी थीं.

मैच के टॉप स्कोरर विक्टोरिया के ओपनर बिल पॉन्सफोर्ड रहे थे, जिन्होंने 352 रन बनाए थे. ये मैच ऑस्ट्रेलिया के घरेलू टूर्नामेंट शेफील्ड शील्ड में हुआ था.

मैच में विक्टोरिया के खिलाफ न्यू साउथ वेल्स की टीम ने पहली इनिंग में 221 रन और दूसरी इनिंग में 230 रन बनाए थे. विक्टोरिया ने इस मैच में एक इनिंग और 656 रन से जीत दर्ज की थी.

क्रिकेटरों के बोर्ड से जुड़ने में ‘कूलिंग ऑफ’ सबसे बड़ा रोड़ा

भारतीय टीम के पूर्व निदेशक रवि शास्त्री ने लोढ़ा समिति द्वारा प्रस्तावित तीन साल के 'कूलिंग ऑफ' (दो बार पद पर आसीन होने के लिए तीन साल का अंतर) के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पूर्व क्रिकेटर बीसीसीआई प्रशासन में जुड़ने से बचेंगे.

शास्त्री को लगता है कि एक प्रशासक को कम से कम छह साल तक काम करने का समय मिलना चाहिए और स्पष्ट किया कि भारत जैसे बड़े देश को 'पांच चयनकर्ताओं' की जरूरत है, न कि तीन की, जिसकी उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित लोढ़ा पैनल द्वारा सिफारिश की गई है.

शास्त्री ने कहा, "मुझे लगता है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत की जरूरत है. इस संबंध में प्रयास किये जाने चाहिए और इसे एक दूसरे के खिलाफ द्वंद्व नहीं बनाना चाहिए."

शास्त्री ने स्पष्ट किया कि अगर इस तरह का नियम जैसे 'दो बार पद पर आसीन होने के लिए तीन साल का अंतर' शामिल कर दिया गया तो कोई भी पूर्व क्रिकेटर बीसीसीआई प्रशासन पद से नहीं जुड़ेगा.

उन्होंने पूछते हुए कहा, "मैं बीसीसीआई से क्यों जुडूंगा, अगर यह तीन साल तक बाहर रहने का नियम होगा? कोई भी तीन साल में क्या कर पायेगा? अगर मेरा पास कोई रचनात्मक विचार है जो मैं कर सकता हूं तो आपको कैसे पता कि जो उस पद पर मेरे बाद आएगा, वह उसे करने के लिए इतना योग्य होगा? "

उन्होंने कहा, "अगर मैंने कोई बेहतरीन काम किया है तो इसके लिए मेरा सम्मान किया जाना चाहिए. अगर मुझे छह साल का कार्यकाल मिलता है तो इसमें कोई नुकसान नहीं. यहां तक कि भारत के राष्ट्रपति उम्मीदवार को पांच साल दिए जाते हैं.”

यात्रा से जुड़ी उलझनों को सुलझाएगा ‘गूगल ट्रिप्स’

नए शहर में घूमने जाने से पहले कई तरह के सवाल आपके इर्द-गिर्द घूमते हैं. मिसाल के तौर पर किस जगह रुकेंगे और उसके आस-पास घूमने के लिए क्या है और उस होटल के पास किराए पर बाइक या कार मिलेंगी या नहीं. इस तरह के सवालों का हल निकालने के लिए मुफ्त एप्लीकेशन का प्रयोग कर सकते हैं.

गूगल ट्रिप्स: यह एप नई जगह पर आपका पर्सनल गाइड बनकर रहता है और जरूरी बातों की जानकारी फोन से पहुंचाता है. यह एप यूजर की लोकेशन के पास मौजूद पर्यटन स्थल की भी जानकारी देता है. Google Trips नाम वाला यह एप गूगल प्ले स्टोर और आईट्यूंस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है.

यह एप जीमेल पर आने वाले टिकट से यात्रा संबंधी जानकारी जुटाता है. इसे डाउनलोड करने के बाद जीमेल पर टिकट आते ही उपभोक्ता को उस लोकेशन से संबंधित जानकारी मिलने लगती है.

इसका दूसरा खास फीचर यह है कि इसमें हवाई जहाज के किराए और ट्रेन रिजर्वेशन से संबंधित सूचनाएं भी सर्च की जा सकती हैं. इसे ऑफलाइन भी प्रयोग किया जा सकता है मगर उस मोड में कुछ फीचर कम हो जाते हैं.

इस एप्लीकेशन को गूगल प्ले स्टोर पर 4.3 रेटिंग दी गई है. इस एप में स्थानीय परिवहन की भी जानकारी देने का फीचर है. साथ ही गूगल मैप से रास्ता दिखाने का विकल्प भी है.

कीमत की तुलना करता है स्काईस्कैनर

किसी नई जगह घूमने की सोच रहे हैं मगर वहां जाने के लिए हवाई जहाज का किराया और होटल में मिलने वाले कमरों के किराए का अनुमान नहीं है तो उन लोगों के लिए Skyscanner Flights, Hotel, Car एप एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.

यह एप वेबसाइट ‘माईस्मार्ट प्राइज’ की तरह की तरह कीमतों की तुलना करके बताता है. साथ ही इसमें प्राइस अलर्ट भी सेट किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर दिल्ली से गोवा जाने के लिए हवाई जहाज का टिकट देख रहे हैं मगर सस्ते टिकट का इंतजार हैं तो इस स्काइस्कैनर एप में अलर्ट सेट कर सकते हैं. ऐसा करने से जैसे ही कीमतों में बदलाव होगा तो यह एप उसी समय नोटिफिकेशन से अलर्ट भेज देगा.

मौसम की जानकारी देगा एप

फोन में मौजूद जीपीएस से यूजर की लोकेशन पर नजर रखने वाला ‘डार्क स्पाई’ एप मौसम में होने वाले बदलावों के जानकारी 15 मिनट पहले ही अलर्ट कर देता है. यह यूजर के फोन पर नोटिफिकेशन भेजकर बताता है कि बारिश कब शुरू होगी और इसके कब तक जारी रहने का अनुमान है. इस एप पर यूजर किसी खास लोकेशन का नाम डालकर वहां के मौसम की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं. यह आंधी-तूफान की आशंका के प्रति भी आगाह करता है.

‘मेगा शो’ में बदल गई राहुल कि ‘किसान यात्रा’

देवरिया से दिल्ली तक राहुल कि किसान यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ी वह एक मेगा शो में बदलती दिखी. इसमें किसान तो पीछे छूट गये मंदिर, मंस्जिद, गुरूद्वारा और चर्च की परिक्रमा ही दिखने लगी. यह किसी सामान्य राजनीतिक यात्रा सी होकर रह गई है. राहुल गांधी वैसे तो ‘देवरिया से दिल्ली’ तक ‘किसान यात्रा’ निकाल रहे थे पर इसमें वह किसानों के अलावा धार्मिक पांखड करते भी नजर आये.

किसान यात्रा बेहद गंभीर और सामयिक विषय था. देश में किसान बड़ी परेशानियों से गुजर रहे हैं. ऐसे में राहुल गांधी से उम्मीद थी कि वह कुछ नई बहस शुरू कर सकेंगे. राहुल गांधी कि किसान यात्रा में कुछ अलग नहीं दिखा. सामान्य नेता की तरह वह किसानों के कर्ज माफ करने की बात ही करते नजर आये. राहुल गांधी को पता ही नहीं है कि अब कर्ज माफ करने का ट्रम्प कार्ड से किसानों को रिझाया नहीं जा सकता.

ऐसे किसानों की संख्या बहुत अधिक है जिन्हें कर्ज मिलता ही नहीं है. कांग्रेस संगठन की कमजोरी और नेताओं में मुखरता के अभाव में किसान यात्रा पर खाट पंचायत भारी पड़ी. राहुल गांधी के भाषण से ज्यादा चर्चा गांव वालों के खाट ले जाने की हुई. राहुल गांधी ने अपनी किसान यात्रा में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजपार्टी की आलोचना कम की इससे यह साफ जाहिर होता है कि वह चुनाव के बाद के समीकरण देखकर चल रहे हैं.

असल में राहुल की किसान यात्रा आगे चल कर एक मेगा शो में तब्दील हो गई. इसमें उन्होंने केवल किसानों की ही बात नहीं की पर वह बाकी मुद्दों पर भी बात करते नजर आए. धार्मिक एजेंडें को लेकर चलते हुए उन्होंने मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा और चर्च जाकर माथा टेका. पाकिस्तान के साथ भारत के बिगड़ते रिश्तों के बीच मुस्लिम वर्ग में कांग्रेस के प्रति एक झुकाव दिख रहा है. इसको देखते हुए राहुल लखनऊ में मुसलिम बिरादारी के बड़े लोगों से भी मिले.

कांग्रेस की छवि हिंदू विरोधी न दिखे इसलिये वह मंदिर भी गये. अयोध्या से यात्रा की शुरूआत और वहां पूजापाठ करते नजर आये. लखनऊ में वह दलित जातियों के लिये रविदास मंदिर गये. देवरिया से शुरू हुई किसान यात्रा जैसे जैसे आगे बढ़ी वोट के लिये राहुल को शहरों में लाया जाने लगा, जहां किसान नहीं रहते. उनकी किसान यात्रा में और दूसरी राजनीतिक यात्राओं में फर्क खत्म हो गया. यह सच है कि राहुल की यात्रा में लोगों की भीड़ दिख रही थी. ऊंची जाति के ब्राहमणों के अलावा मुस्लिम एक बार फिर से कांग्रेस की ओर उम्मीद से देख रहे हैं. दलितों में भी कांग्रेस के प्रति मोह बढ़ता दिख रहा है. अब देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस इस झुकाव को वोट में कैसे बदलती है. भीड़ को वोट में बदलने के लिये कांग्रेस को युवा मेहनती नेताओं को आगे लाना पड़ेगा. जब तक कांग्रेस यह होमवर्क नहीं करती भीड़ को वोट में नहीं बदला जा सकेगा.

सैयामी खेर व हर्षवर्धन की केमिस्ट्री का राज

बॉलीवुड में राकेश ओम प्रकाश मेहरा की प्रेम कहानी प्रधान फिल्म ‘मिर्जिया’ से दो नवोदित कलाकार सैयामी खेर व हर्षवर्धन कपूर अभिनय जगत में कदम रख रहे हैं.

इस फिल्म के कुछ किसिंग सीन काफी चर्चा में हैं. कहा जा रहा है कि इन दोनों नवोदित कलाकारों ने सिनेमा के परदे पर बिना किसी झिझक के शानदार किसिंग सीन दिए हैं. इन दोनो कलाकारों ने जितनी शिद्दत से अति संजीदा प्रेम या चुंबन दृष्यों को अंजाम दिया है, उससे यही आभास होता है कि दोनों काफी मंजे हुए कलाकार हैं. अन्यथा एक दूसरे से अनजान दो नए कलाकारों से पहली फिल्म में इस तरह के दृष्यों की उम्मीद कम ही की जाती है.

बॉलीवुड में जितनी चर्चा फिल्म के किसिंग सीन की हो रही है, उतनी ही चर्चा इन दोनों कलाकारों के बीच की केमिस्ट्री और इनके बीच के रिश्ते को लेकर भी हो रही है.

बॉलीवुड के कुछ लोग इसे फिल्म के निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा द्वारा इन दोनों कलाकारों को अठारह माह तक दिलायी गयी गहन ट्रेनिंग  का असर बता रहे हैं. तो कुछ लोग तरह तरह की बातें कर रहे हैं.

जबकि हर्षवर्धन के साथ अपनी इस बेहतरीन केमिस्ट्री के लिए सैयामी खेर स्पोर्ट्स में रूचि को बताती हैं. वह कहती हैं, ‘‘हर्षवर्धन के साथ ट्यूनिंग बनाने में समस्या नहीं आयी. मुझे स्पोर्ट्स में काफी दिलचस्पी है और हर्षवर्धन को भी. तो दिल्ली में जब हम छह माह के लिए एक साथ ट्रेनिंग ले रहे थे, तब हम लोग एक साथ टीवी पर क्रिकेट मैच देखा करते थे. इसलिए हमारे बीच बहुत जल्दी दोस्ती हो गयी थी. फिर हमने पूरे दो साल एक साथ बिताए हैं, तो हम एक दूसरे को ज्यादा बेहतर समझ पाए. हमारे बीच बॉन्डिंग बढ़ गयी.’’

तो वहीं हर्षवर्धन कपूर का दावा है कि वह और सैयामी अगली फिल्म में इससे भी बेहतर केमिस्ट्री के साथ काम कर सकेंगे. वह कहते हैं, ‘‘मेरी व सैयामी की परवरिश में बहुत बड़ा अंतर है. मेरी तरह वह अभिनय को नही अपनाती. वह जो अहसास करती है, उसे ही परफॉर्म करती है. वह बहुत ही ज्यादा स्पॉनटेनियस कलाकार है. जबकि मैं हर सीन पर बहुत सोचता हूं.”

उन्होंने कहा, “देखिए, जून 2013 में हम और सयामी खेर मिले थे. तीन साल हो गए, तो अब जाकर हमें लग रहा है कि हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए. पहले एक डेढ़ साल तो हम दोनों के बीच ना के बराबर बातचीत हुई. वह ट्रेनिंग का दौर था. हमारी जिम्मेदारी इतनी थी कि एक दूसरे को समझने व बात करने का समय ही नहीं होता था. अब हम काफी करीब आ गए हैं. अब जब हम दूसरी फिल्में करेंगे, तो वहां ज्यादा फायदा होगा क्योंकि अब हम सहज हो चुके हैं.’’

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