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मैं एक युवती से पिछले 2 साल से प्रेम करता हूं. हम दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन…

सवाल

मेरी उम्र 21 वर्ष है. मैं एक युवती से पिछले 2 साल से प्रेम करता हूं. हम दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन एक तो वह युवती मुझ से एक साल बड़ी है दूसरा हमारी जाति अलग है. मैं तो अपने पेरैंट्स को मना भी लूं, लेकिन युवती के पापा हृदयरोगी हैं. युवती कहती है अगर हमारी वजह से उन्हें कोई तकलीफ हुई तो वह रिलेशन तोड़ देगी. मैं क्या करूं?

जवाब

कमाल की बात है कि आप पिछले 2 साल से रिलेशन में हैं और अब जाति अलग होने की बात सोच रहे हैं. क्या प्रेम करते वक्त जाति का पता नहीं था? दूसरा, युवती अगर एक वर्ष बड़ी है तो क्या हुआ, आप तो एकदूसरे से प्रेम करते हैं न. अब रही पेरैंट्स की बात तो पहले अपने पैरों पर खड़े होइए और कुछ बन कर दिखाइए, क्योंकि उस युवती के पेरैंट्स तो यही चाहेंगे कि लड़का अच्छा कमाता हो ताकि हमारी बेटी को सुखी रख सके. बाकी रही जाति की बात आप किसी अन्य के जरिए उस के मातापिता को समझाएं कि जातिधर्म से बड़ा इंसानी धर्म है.

यकीन मानिए उन के किसी जानकार को माध्यम बना कर अपनी बात प्यार से रखी जाएगी तो हार्ट अटैक भी नहीं आने का. हां, उस के मातापिता को यह समझ आ जाना चाहिए कि हमारी लड़की भी इसे चाहती है और यह होनहार भी है. बस और क्या चाहिए.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

ये है पाकिस्तानी कलाकारों के विरोध की मूल वजह

उड़ी में भारतीय सेना पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के प्रति जबरदस्त गुस्सा है. बौलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. सबसे पहले गायक अभिजीत ने पाकिस्तानी कलाकारों और इन कलाकारों को अपनी फिल्म का हिस्सा बनाने वाले फिल्मकार करण जोहर व महेश भट्ट पर निशाना साधा. उसके बाद महाराष्ट्र की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी ‘महाराष्ट् नव निर्माण सेना’ ने पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया. उसके बाद शिवसेना व भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के भी बयान आ गए. तो वहीं जीटीवी ने अपने ‘‘जी जिंदगी’’ चैनल पर पाकिस्तानी सीरियलों का प्रसारण बंद करने का ऐलान कर दिया.

इधर बौलीवुड दो खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है. महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री रहे कांग्रेसी नेता स्व.विलास राव देशमुख के बेटे रितेश देशमुख खुलकर पाकिस्तानी कलाकारों के पक्ष में आ गए हैं. तो वहीं पाकिस्तानी कलाकारों के संग फिल्म बना चुके या बना रहे फिल्मकारों के अलावा निर्देशक हंसल मेहता भी पाकिस्तानी कलाकारों के भारत छोड़ने की बात करने वालों का विरोध कर रहे हैं. यानी कि इस मसले पर बौलीवुड के अंदर भी राजनीति गर्मा गयी है.

पाकिस्तानी कलाकारों के साथ खड़े लोग कला, कलाकार व संस्कृति की दुहाई दे रहे हैं. हम भी मानते हैं कि आतंकवादी हमले या सैनिक कारवाई से कलाकार का कोई रिश्ता नहीं होता. कला व कलाकार को देश की सीमाओं के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. मगर आज कश्मीर के उड़ी क्षेत्र में आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तानी कलाकार जिस तरह से भारतीय राजनीतिक पार्टियों या बौलीवुड के कुछ लोगों के निशाने पर हैं, उसके लिए पूर्णरूपेण पाकिस्तानी कलाकार ही दोषी हैं.

जी हां! इस कटु सत्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता. कुछ समय पहले जब पेरिस में आतंकवादी हमला हुआ था, तब सबसे पहले पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान ने इस आतंकवादी हमले की भर्त्सना करते हुए ट्वीट किया था. फवाद खान ने लिखा था-‘‘शाक्ड एंड सैडेन्ड, प्रेइंग फार पेरिस, प्रेइंग फार ह्यूमानिटी.’’ यानि कि फवाद खान ने ट्वीट किया था-‘‘हैरान व दुःखी. बहुत दुःखी हूं. पेरिस और मानवता के लिए प्रार्थना कर रहा हूं.’’ फवाद खान के इस ट्वीट के बाद उस वक्त भारत में मौजूद लगभग हर पाकिस्तानी कलाकार ने इसी तरह का ट्वीट किया था.

मगर यही फवाद खान अब चुप हैं. अब फवाद खान अपने चुप रहने के अधिकार का उपयोग कर रहे हैं. इनकी चुप्पी ने गुस्से को बढ़ावा दिया है. बौलीवुड से जुड़े लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि जब पेरिस पर आतंकवादी हमला हुआ था, तो फवाद खान को बहुत दुःख हुआ था, पर जब भारत पर आतंकवादी हमला हुआ, तो उन्हें दुःख क्यों नहीं हुआ. जबकि वह पेरिस में नहीं रह रहे थे और न ही वहां काम करके धन कमा रहे थे. पेरिस के विपरीत फवाद खान पिछले दो ढाई वर्षों से भारत में रह रहे हैं और बौलीवुड में काम करके धन कमा रहे हैं. यानी कि भारत तो उनकी कर्मभूमि बनी हुई है. पर जब इन पाकिस्तानी कलाकारों की कर्मभूमि पर आतंकवादी हमला हुआ, तो इन्हे न हैरानी हुई और न ही दुःख हुआ. बौलीवुड के लोगों के साथ साथ भारतीय दर्शक भी करण जोहर, हंसल मेहता, महेश भट्ट या मुकेश भट्ट से पूछ रहा है कि क्या पाकिस्तानी कलाकारों की इस कृत्य पर उनकी राय व सोच क्या है?

पाकिस्तानी सीरियलों व ‘खुदा के लिए’ जैसी पाकिस्तानी फिल्म में अभिनय करने के बाद भारतीय टीवी चैनल ‘जिंदगी’ पर प्रसारित पाकिस्तानी सीरियलों से भारत में फवाद खान की पहचान बनी. उसके बाद वह बौलीवुड से जुड़ गए. फवाद खान ने सोनम कपूर के साथ फिल्म ‘खूबसूरत’ की. फिर ‘कपूर एंड संस’ जैसी फिल्म की. अब करण जोहर की दीवाली के समय रिलीज होने वाली फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में नजर आने वाले हैं. इसके अलावा करण जोहर ने उन्हे अपनी अगली फिल्म में भी लिया है.

दिसंबर 2014 में फवाद खान ने हमसे बातचीत करते हुए कहा था-‘‘भारत व पाकिस्तान के बीच सौ किलोमीटर का फर्क होगा. आने जाने में दो घंटे लगते हैं. अन्यथा दोनों देशों की तहजीब, भाषा, संस्कृति सब एक है. मुझे तो भारतीयों ने बहुत अच्छे ढंग से स्वीकार किया है. सच कहूं तो हम कलाकार तो पूरे विश्व में शांति, अमन और सौहार्द का ही संदेश फैलाते रहते हैं. भारत में लोगों ने मेरा गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. मैं मुंबई में कई जगहों पर गया. मुझे मुंबई में अच्छी, प्रगतिशील व पाजीटिव हवाओं का अहसास हुआ. इसके अलावा मैं जयपुर व बीकानेर भी गया, जहां पर पुरानी इमारतों को देखकर आश्चर्य हुआ कि लोगों ने किस तरह उन्हे संभाल कर रखा हुआ है. लोगों से मुलाकात करने में आनंद आया.’’ पर भारत पर हुए आतंकवादी हमले के बाद वह शांति की बात क्यों नहीं कर रहे हैं.

इतना ही नहीं पाकिस्तान पर आंतकवादी हमला होने पर हमसे बात करते हुए फवाद खान ने कहा था-‘‘मैं अंदर से बहुत ही ज्यादा विचलित हूं. मेरी समझ में नहीं आ रहा कि किसी पर इस कदर की हैवानियत सवार हो सकती है. मासूम बच्चों पर बंदूक चलाते हुए उनके हाथ नहीं कांपे. मासूम बच्चों को मारना तो बर्बरता का सर्वाधिक नीच कर्म है. जिस दिन यह दुःखद और दर्दनाक हादसा हुआ, उसी दिन से मैं हर दिन इस हादसे के शिकार परिवार वालों के लिए खुदा से दुआएं मांग रहा हूं. खुदा मेरे देश की मदद करे.’’

फवाद खान तो एक उदाहरण हैं. बौलीवुड में कार्यरत सभी पाकिस्तानी कलाकार इसी तरह से व्यवहार कर रहे हैं. अपनी चुप्पी को अपना हक बताने वाली पाकिस्तानी मूल की अदाकारा सारा लारेन 2010 से भारत में रह रही हैं और बौलीवुड में काम कर रही हैं, उन्होंने ‘मनसे’के अल्टीमेटम के बाद कहा कि उन्हे अपनी जिंदगी का खतरा नजर आ रहा है. मगर भारत पर हुए आतंकवादी हमले से सारा लारेन को भी हैरानी या दुःख नही है.

वास्तव में पाकिस्तानी कलाकार भारत में रहकर धन कमाते हैं, पर कला उनके लिए दोयम दर्जे पर रहती है. उन्हे हमेशा पाकिस्तान के प्रति वफादारी के साथ यह डर सताता रहता है कि पाकिस्तानी दर्शक नाराज न हो जाएं. मार्च 2016 में हमसे बात करते हुए इस बात को कबूल करते हुए फवाद खान ने कहा था-‘‘मैं काम के कुछ पहलुओं को लेकर अलग सोच रखता हूं. मेरी यह सोच मेरे अपने वतन पाकिस्तान के दर्शकों की रूचि का ध्यान रखकर बनी है. मसलन-इंटीमसी के सीन हैं. मैं इस तरह के सीन परदे पर अंजाम नहीं दे सकता. मेरे जो मूल दर्शक हैं, उन्हे जो चीजें या सीन सहज नहीं करती हैं, उनसे बचने का मेरा प्रयास रहता है.’’ 

जनवरी 2016 में ही मावरा होकाने ने हमसे बात करते हुए यह कबूल किया था कि पाकिस्तान में लड़कियों के लिए हालात सही नही है. उस वक्त मावरा ने कहा था-‘‘आप अपनी जगह पूरी तरह से सही हैं. पाकिस्तान में ऐसे हालात आज भी हैं. पर मुझे पाकिस्तान और वहां के लोगों से प्यार है. मैं विश्व के जिन देशों मे भी गयी हूं, मुझे हर जगह प्यार मिला. अब भारत आयी हूं, तो यहां निखिल सर व राधिका मैम के रूप में प्यारा परिवार मिल गया है. मैं जहां भी जाती हूं, मुझे प्यार मिलता है. पाकिस्तानी दर्शक भी मुझे बहुत चाहते हैं. मैं अपने वतन के लोगों को नाराज करने वाला काम नहीं कर सकती. पाकिस्तान में भी हर अभिनेत्री को इतना प्यार नहीं मिलता है, जितना मुझे मिला है. मैं एकमात्र ऐसी अदाकारा हूं, जिसकी कभी आलोचना नहीं हुई.’’

16 मार्च को बाघा बार्डर के पास सरहद रेस्टारेंट बात करते हुए पाकिस्तानी फिल्मकार ने इशारे में ही अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा था-‘‘कलाकार को किसी न किसी सूरत में भारत हो या पाकिस्तान हो, बंदिश का सामना करना ही पड़ता है. यह कहना गलत होगा कि किस देश में कम या ज्यादा बंदिशें हैं.’’ इतना ही नही पाकिस्तानी अभिनेता जावेद शेख की बेटी और बौलीवुड फिल्म ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ में अभिनय कर चुकीं पाकिस्तानी अदाकारा मोमल शेख ने जुलाई 2016 में हमसे बात करते हुए साफ तौर पर कहा था-‘‘भारत के लोगों की सोच काफी विकसित है. उस हिसाब से यहां बहुत बेहतरीन फिल्में बन रही है. एक दर्शक की हैसियत से मुझे भी बालीवुड फिल्में देखना पसंद है, अच्छा लगता है. लेकिन हद से ज्यादा कोई चीज हो, तो गलत भी हो जाती है. जहां तक मेरा सवाल है तो मैं वही करना चाहूंगी, जिसे हमारे देश के लोग, मेरे प्रशंसक भी स्वीकार कर सकें.’’

यदि हम इन पाकिस्तानी कलाकारों के बयानों पर गौर करें तो एक बात साफ तौर पर उभर कर आती है कि यह पाकिस्तानी कलाकार भले ही भारत में रहकर भारतीय फिल्मों में अभिनय कर कलाकार के तौर पर शोहरत बटोर रहे हों, धन कमा रहे हों, मगर इनकी पहली प्राथमिकता हमेशा इनका अपना वतन पाकिस्तान ही होता है. ऐसे में इनसे यह उम्मीद करना कि यह पाकिस्तानी कलाकार भारत पर हुए आतंकवादी हमले की भर्त्सना करेंगे, गलत ही है.

क्या आपके इंटरनेट की स्पीड भी घटती-बढ़ती रहती है?

अगर आप ब्रॉडबैंड कनेक्शन यूज करते हैं तो आपको कभी-कभी स्पीड कम होने की परेशानी आती होगी. वीडियो चलते-चलते अचानक से बफरिंग होने लगती है या फिर ऑनलाइन गेम खेलने में परेशानी आती है. ऐसी ही कुछ परेशानियों से निजात पाने के लिए हम आपको कुछ आसान सी ट्रिक्स बताने जा रहे हैं जिनके जरिए आप अपने इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड बढ़ा सकते हैं.

1. सबसे पहले पीसी के स्टार्ट मेन्यू पर जाएं और win+R प्रेस करें. इसके बाद "Gpedit.msc" टाइप करें. इसके बाद OK प्रेस करें.

2. आपकी कंप्यूटर स्क्रीन पर एक टैब ओपन होगा जिसमें आपको Computer configuration पर क्लिक करना है.

3. इसके बाद Administrative templates पर क्लिक करें. फिर Network पर क्लिक करें.

4. अब आपके सामने कई ऑप्शन्स आएंगे जिनमें से आपको Qos Packet Scheduler को सेलेक्ट करना है.

5. इसके बाद Limits reservable bandwidth पर टैप करें.

6. अब एक नया टैब ओपन होगा जिसमें 3 ऑप्शन्स दिए गए हैं इसमें से आपको Disabled को सेलेक्ट करना है.

7. फिर Apply पर टैप कर OK पर क्लिक करें.

इससे आपके पीसी की इंटरनेट स्पीड बढ़ जाएगी. तो चलिए आपको ये भी बता देते हैं कि आखिर इस तरीके से इंटरनेट की स्पीड कैसे बढ़ जाती है.

क्यों बढ़ती है स्पीड?

Limits reservable bandwidth को डिसेबल करने से आपका कम्प्यूटर विंडोज रिलेटेड ऐसे टास्क्स अलाउ करना बंद कर देता है. यही नहीं, इस तरीके से ऑटोमैटिक अपडेट्स भी बंद हो जाते हैं. ऐसे में इंटरनेट की स्पीड भी बढ़ जाती है.

टिप्स: इसके अलावा कई ऐसे प्रोग्राम भी होते हैं जो बेवजह इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं और उनका कोई यूज नहीं होता. ऐसे प्रोग्राम्स को बंद कर दें. कई एंटी-वायरस भी आते हैं जो सिस्टम को स्कैन कर क्लीन करते हैं. इसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

अन्ना हजारे की बायोपिक फिल्म का ट्रेलर हुआ रिलीज

अन्ना हजारे पर बनने वाली बायोपिक 'अन्ना: किसन बाबूराव हजारे' के मेकर्स ने फिल्म का ट्रेलर जारी कर दिया है. फिल्म में किसान बाबूराव हजारे की जिंदगी की सारी सच्ची घटनाओं को दिखाया जाएगा. उन्हें जिंदगी में किन-किन चीजों से प्रेरणा मिली, किन किन लोगों ने उन्हें प्रभावित किया, ये सारी घटनाएं हमें फिल्म में देखने को मिलेंगी. बाबूराव हजारे जब छोटे थे तो उनकी एक अलग विचारधारा थी और जिंदगी को लेकर उनके बहुत सारे प्रश्न थे. बाबूराव को अपनी जिंदगी का मकसद उनकी जिंदगी में घट रही घटनाओं से समझ आता है.

शुरुआत में बाबूराव हजारे इंडियन आर्मी में ड्राइवर थे. इसके बाद उन्होंने लोगों के हित के लिए काम करना शुरू किया. वो लोगों को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित करते थे. उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिए अनशन और श्रमदान का सहारा लिया. बाद में कैसे वो अन्ना हजारे के रूप में उभरे और लोकपाल बिल के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में कैसे उन्होंने सरकार से लड़ाई की, ये सारी चीजें फिल्म में बखूबी दर्शाने की कोशिश की गई है.

फिल्म का निर्माण राइज पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड और निर्देशन शशांक उदापुरकर ने किया है. पहली बार निर्देशन कर रहे शशांक मराठी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता हैं. उन्होंने फिल्म में अन्ना हजारे का किरदार निभाने के साथ ही फिल्म के डायलॉग और स्क्रिप्ट भी लिखी है.

 

रेलवे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी

त्यौहारी सीजन से पहले रेल कर्मचारियों को इस साल भी 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस मिल सकता है यानी प्रत्येक कर्मचारी को 18,000 रुपये के बोनस का भुगतान होगा. सरकार अगले हफ्ते इसका ऐलान कर सकती है.

मिलेगा 78 दिन का बोनस

नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमैन के महासचिव एम राघवैया ने कहा, ‘हमने इस साल रेल कर्मचारियों के लिए 78 दिन की उत्पादकता संबद्ध बोनस की मांग की है. सरकार इसकी घोषणा अगले सप्ताह कर सकती है. दशहरे से पहले रेलवे के 12 लाख कर्मचारियों को हर साल उत्पादकता से संबंधित बोनस दिया जाता है. उन्होंने कहा कि 78 दिन के वेतन का मतलब प्रत्येक कर्मचारी को 18,000 रुपये के बोनस का भुगतान है.

माल ढुलाई में कमी तथा छोटी दूरी की ट्रेनों में रेल यात्रियों की संख्या में कमी की वजह से रेलवे आमदनी में करीब 10,000 करोड़ रुपये की कमी का सामना कर रही है. माना जा रहा है कि 78 दिन के बोनस प्रस्ताव पर अगले सप्ताह कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है. बोनस की घोषणा से रेलवे पर करीब 2,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

जापान करेगा 2026 एशियाई खेलों की मेजबानी

जापान के एइची प्रीफेक्चर और उसकी राजधानी नगोया को 2026 एशियाई खेलों की मेजबानी सौंपी गई है जो देश के व्यस्त अंतरराष्ट्रीय खेल कैलेंडर में एक और बड़ी प्रतियोगिता होगी.

एइची प्रीफेक्चर के गवर्नर हिदीकी ओहुमरा और नगोया शहर के मेयर तकाशी कावामुरा में पांचवें एशियाई बीच खेलों की मेजबानी कर रहे दनांग में ओसीए आम सभा की बैठक के दौरान संयुक्त दावेदारी के बाद एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) ने उन्हें मेजबानी सौंपने की आधिकारिक पुष्टि की.

ओसीए को शुरुआत में 2026 खेलों के मेजबान का फैसला 2018 में करना था लेकिन अगले आठ साल में तीन ओलंपिक प्रतियोगिताओं की मेजबानी के कारण जामान को 2026 एशियाई खेलों  मेजबान चुनने का फैसला किया गया.

दक्षिण कोरिया को 2018 में पियोंगचांग में शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी करनी है जबकि तोक्यो 2020 ओलंपिक की मेजबानी करेगा. शीतकालीन खेल 2022 में बीजिंग में होंगे.

जापान को टोक्यो में 2020 में ओलंपिक के अलावा 2019 में रग्बी विश्व कप, 2017 में एशियाई शीतकालीन खेल और 2021 विश्व तैराकी प्रतियोगिता की मेजबानी करनी है.

मुसलिमों पर मोदी की नई सोच

छुआछूत के मुद्दे पर दलित अलग थलग पड़ते थे, तो राष्ट्रवाद के नाम पर मुसलिम. अब भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह समझ आ रहा है. वह दलित और मुसलिमों को लेकर नई सोच बना रहे हैं, जो देश और समाज के हित में है. परेशानी की बात यह है कि उनकी बात खुद उनके संगठन और उससे जुड़े संगठनों को कितना समझ में आयेगी. पाकिस्तान के साथ गरम माहौल के बीच केरल के कोझीकोड में भाजपा की नेशनल काउंसिल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ‘मुसलिमों को अपना समझे. इनको वोट बैंक का माल नहीं समझा जाना चाहिये.’

प्रधानमंत्री मोदी ने जनसंघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय के कथन को सामने रखते हुए कहा ‘मुसलमानो को न पुरस्कृत किया जाये और न फटकारा जाये, बल्कि उन्हे अपने पांव पर खड़ा करके मजबूत बनाया जाये. उन्हे अपना समझा जाये. न कि वोट बैंक की वस्तु या फिर नफरत का सामान.’ प्रधानमंत्री मोदी यही नहीं रुकते हैं, वह आगे वह कहते हैं ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने मुसलमानो को करीब आने और उनकी तरक्की के लिये यह मंत्र 50 साल पहले दिया था. कुछ लोगों ने पहले जनसंघ और बाद में भाजपा को समझने में गलती की. कुछ जानबूझ कर अब भी ऐसा कर रहे है‘.

असल में नरेन्द्र मोदी को मुसलिम और दलित प्रेम यूं ही नहीं जन्मा है. गोरक्षा के नाम पर पहले मुसलिमों और बाद में दलितों के साथ भेदभाव भरा व्यवहार किया गया. इसमें राष्ट्रवादी कहे जाने वाले संगठनों का बहुत बड़ा हाथ था. गोमांस के नाम पर कई हिंसक कांड हुये, जिसमें भाजपा ने चुप्पी साध ली थी. जब यह मसले आगे बढ़े तो प्रधानमंत्री ने 80 फीसदी गोरक्षा संगठनों को फर्जी बता दिया. अब दलितों के बाद मुसलिमों की बारी आई. पाकिस्तान के साथ तनाव भरे माहौल में भाजपा पर नैतिक दबाव आने लगा. उस पर मुसलिम विरोध का पुराना लेबल लगा है. ऐसे में माहौल को हल्का करने के लिये प्रधानमंत्री मोदी ने अपना मुसलिम राग छेड़ दिया.

भाजपा की राजनीति का केन्द्र बिंदू मुसलिम विरोध रहा है. देश में मंदिर मस्जिद विवाद के पहले हिन्दू मुसलिम एक साथ गंगा जमुनी सभ्यता के साथ रहते थे. अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के बाद देश में साम्प्रदायिक माहौल खराब हुआ. मुम्बई का बम विस्फोट ऐसी पहली बड़ी घटना थी जिसने इस दूरी को आतंकवाद से जोड़ दिया. इसके बाद देश में होने वाली आतंकी घटनायें बढ़ने लगी. देश विरोघी ताकतों को मजहबी दूरी बढ़ाने में मदद मिली. वह इस दूरी के बहाने देश को आतकवाद के मुहाने पर ले आये.

भाजपा वोट के धुव्रीकरण का आरोप कांग्रेस और दूसरे दलों पर लगाती है. सच यह है कि खुद भाजपा कांग्रेस और दूसरे दलों की तरह ही वोट बैंक की परिपाटी पर ही चलती रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान भारत के संबंधों को प्रचार के रूप में प्रयोग किया गया और कांग्रेस पर पाकिस्तान समर्थक होने के आरोप लगे. सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक के बाद एक इस बात का आभास होने लगा है कि देश की एकता और अखंडता के लिये दलित और मुसलिम भी बेहद जरूरी हैं. इनको साथ लेकर चले बिना देश का विकास संभव नहीं है. मुश्किल बात यह है कि यह सच प्रधानमंत्री तो समझ गये, पर उनसे जुडे फायर ब्रांड वक्ता यह बात समझे तो बात बने.      

                   

ग्रोथ पर है RBI गवर्नर की नजर

आरबीआई गवर्नर के रूप में अपनी पहली बातचीत में ऊर्जित पटेल ने महंगाई के खतरे को कम तवज्जो दी और ग्रोथ पर फोकस बढ़ाने पर जोर दिया. 5 सितंबर को रघुराम राजन से आरबीआई की बागडोर संभालने वाले पटेल ने मीडिया से दूरी बनाए रखी थी और कोई बयान देने से परहेज किया था.

मीडिया की नजरों से दूर हुई इस बैठक में शामिल होने वालों ने यह नतीजा निकाला है कि अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी में अगर ब्याज दरों में कमी नहीं की जाए तो भी ब्याज दरों और लिक्विडिटी के मामले में आरबीआई का रुख नरम रह सकता है. ब्याज दरों पर अब कोई भी फैसला छह सदस्यों की नवगठित मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी करेगी, जिसमें पटेल मेंबर हैं.

बैठक में हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, 'गवर्नर की सोच यह है कि जीएसटी लागू होने से महंगाई सिर नहीं उठाएगी. उन्होंने कहा कि कई चीजों के दाम घटेंगे और इससे कंजम्प्शन के दूसरे आइटम्स की कीमतों में बढ़ोतरी का असर कुछ हद तक घटाने में मदद मिलेगी.

उनका यह भी मानना है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेंक्स के कैलकुलेशन में पब्लिक सेक्टर हाउसिंग और रेंट को दिया गया वेटेज घटाया जाना चाहिए. पटेल ने अर्थशास्त्रियों के एक ग्रुप से इस पर अनौपचारिक बातचीत की थी कि वैट घटाया जाना चाहिए या नहीं.' हाल में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महंगाई घट रही है, जबकि इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन ग्रोथ नेगेटिव टेरिटरी में चली गई है.

फ्री वाई फाई का इस्तेमाल पड़ सकता है महंगा

पब्लिक वाई फाई का इस्तेमाल करते समय आपको सावधानी बरतना जरूरी है.

इन दिनों बहुत सारे पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर फ्री वाई फाई की सुविधा उपलब्ध है  और समय काटने के लिए अक्सर लोग रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट पर फ्री वाई फाई का इस्तेमाल करते हैं. पर फ्री वाई फाई का इस्तेमाल करते समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे आप अपने सोशल अकाउंट्स और अन्य जानकारियां सुरक्षित रह सकें.

– सोशल मीडिया पर अपनी जानकारियां शेयर करते समय सावधानी बरतें.

– जब आप छुट्टी पर जाएं तो अपनी लोकेशन की जानकारी दूसरों से शेयर न करें. यह जानकारी सिर्फ उन्हीं को दें जो जिन्हें देना जरूरी है. इससे आपकी प्राइवेसी सिक्योर रहती है.

– ब्लूटूथ और वाईफाई से शेयर करते समय अपनी पुरानी हिस्ट्री क्लियर करना न भूलें. खास तौर पर जब आप पेमेंट ट्रांजिक्शन की जानकारी शेयर कर रहे हों.

– किसी असुरक्षित वाई फाई या ब्लूटूथ डिवाइस से कनेक्ट होने से पहले अपना पुराना ट्रांसफर डाटा क्लियर करना जरुरी है वरना जिस डिवाइस से आप कनेक्ट कर रहे हैं उसे आपकी पुराने डाटा की जानकारी मिल सकती है. अपने बैंक अकाउंट के ट्रांजैक्शन पर भी नजर बनाएं रखें.

– पब्लिक वाई फाई से जब आप कनेक्टेट हों तब पैसे का लेन देन करने से परहेज करें. 

500वें टेस्ट में 200 विकेट ले अश्विन ने बनाया रिकॉर्ड

ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन अपने 37वें टेस्ट मैच में 200वां विकेट लेकर सबसे कम मैचों में यह उपलब्धि हासिल करने वाले दुनिया के दूसरे नंबर के गेंदबाज बन गए हैं. न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर टेस्ट मैच में अश्विन शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं.

अश्विन ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट क्रिकेट मैच के चौथे दिन कीवी कप्तान केन विलियमसन को आउट करके यह उपलब्धि हासिल की. आस्ट्रेलिया के क्लेरी ग्रिमेट ने 36 टेस्ट मैचों में 200 विकेट लिए थे. जबकि अश्विन ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उनसे एक टेस्ट मैच अधिक खेला.

अश्विन ने लिली और वकार यूनिस को पीछे छोड़ा

भारत के इस ऑफ स्पिनर ने इस तरह से डेनिस लिली और वकार यूनिस को पीछे छोड़ा जिन्होंने 38वें टेस्ट मैच में 200 विकेट पूरे किए थे. मौजूदा समय में खेल रहे गेंदबाजों में दक्षिण अफ्रीका के डेल स्टेन 39 मैचों में इस मुकाम पर पहुंचे थे.

यदि भारतीय रिकार्ड की बात करें तो अश्विन ने एक दूसरे ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का रिकार्ड तोड़ा जिन्होंने 46वें मैच में अपना 200वां विकेट हासिल किया था. उनके बाद अनिल कुंबले 47, भगवत चंद्रशेखर 48 और कपिल देव 50 मैच का नंबर आता है.

अश्विन भारत के नौं और पांचवे स्पिनर बने

अश्विन भारत की तरफ से 200 विकेट लेने वाले नौवें गेंदबाज और पांचवें स्पिनर बन गए हैं. भारत की तरफ से 200 या इससे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में अनिल कुंबले 619, कपिल देव 434, हरभजन सिंह 417, जहीर खान 311, बिशन सिंह बेदी 266, चंद्रशेखर 242, जवागल श्रीनाथ 236, ईशांत शर्मा 209 और अश्विन 200 शामिल हैं.

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