उड़ी में भारतीय सेना पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के प्रति जबरदस्त गुस्सा है. बौलीवुड में पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. सबसे पहले गायक अभिजीत ने पाकिस्तानी कलाकारों और इन कलाकारों को अपनी फिल्म का हिस्सा बनाने वाले फिल्मकार करण जोहर व महेश भट्ट पर निशाना साधा. उसके बाद महाराष्ट्र की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी ‘महाराष्ट् नव निर्माण सेना’ ने पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया. उसके बाद शिवसेना व भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के भी बयान आ गए. तो वहीं जीटीवी ने अपने ‘‘जी जिंदगी’’ चैनल पर पाकिस्तानी सीरियलों का प्रसारण बंद करने का ऐलान कर दिया.

इधर बौलीवुड दो खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है. महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री रहे कांग्रेसी नेता स्व.विलास राव देशमुख के बेटे रितेश देशमुख खुलकर पाकिस्तानी कलाकारों के पक्ष में आ गए हैं. तो वहीं पाकिस्तानी कलाकारों के संग फिल्म बना चुके या बना रहे फिल्मकारों के अलावा निर्देशक हंसल मेहता भी पाकिस्तानी कलाकारों के भारत छोड़ने की बात करने वालों का विरोध कर रहे हैं. यानी कि इस मसले पर बौलीवुड के अंदर भी राजनीति गर्मा गयी है.

पाकिस्तानी कलाकारों के साथ खड़े लोग कला, कलाकार व संस्कृति की दुहाई दे रहे हैं. हम भी मानते हैं कि आतंकवादी हमले या सैनिक कारवाई से कलाकार का कोई रिश्ता नहीं होता. कला व कलाकार को देश की सीमाओं के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. मगर आज कश्मीर के उड़ी क्षेत्र में आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तानी कलाकार जिस तरह से भारतीय राजनीतिक पार्टियों या बौलीवुड के कुछ लोगों के निशाने पर हैं, उसके लिए पूर्णरूपेण पाकिस्तानी कलाकार ही दोषी हैं.

जी हां! इस कटु सत्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता. कुछ समय पहले जब पेरिस में आतंकवादी हमला हुआ था, तब सबसे पहले पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान ने इस आतंकवादी हमले की भर्त्सना करते हुए ट्वीट किया था. फवाद खान ने लिखा था-‘‘शाक्ड एंड सैडेन्ड, प्रेइंग फार पेरिस, प्रेइंग फार ह्यूमानिटी.’’ यानि कि फवाद खान ने ट्वीट किया था-‘‘हैरान व दुःखी. बहुत दुःखी हूं. पेरिस और मानवता के लिए प्रार्थना कर रहा हूं.’’ फवाद खान के इस ट्वीट के बाद उस वक्त भारत में मौजूद लगभग हर पाकिस्तानी कलाकार ने इसी तरह का ट्वीट किया था.

मगर यही फवाद खान अब चुप हैं. अब फवाद खान अपने चुप रहने के अधिकार का उपयोग कर रहे हैं. इनकी चुप्पी ने गुस्से को बढ़ावा दिया है. बौलीवुड से जुड़े लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि जब पेरिस पर आतंकवादी हमला हुआ था, तो फवाद खान को बहुत दुःख हुआ था, पर जब भारत पर आतंकवादी हमला हुआ, तो उन्हें दुःख क्यों नहीं हुआ. जबकि वह पेरिस में नहीं रह रहे थे और न ही वहां काम करके धन कमा रहे थे. पेरिस के विपरीत फवाद खान पिछले दो ढाई वर्षों से भारत में रह रहे हैं और बौलीवुड में काम करके धन कमा रहे हैं. यानी कि भारत तो उनकी कर्मभूमि बनी हुई है. पर जब इन पाकिस्तानी कलाकारों की कर्मभूमि पर आतंकवादी हमला हुआ, तो इन्हे न हैरानी हुई और न ही दुःख हुआ. बौलीवुड के लोगों के साथ साथ भारतीय दर्शक भी करण जोहर, हंसल मेहता, महेश भट्ट या मुकेश भट्ट से पूछ रहा है कि क्या पाकिस्तानी कलाकारों की इस कृत्य पर उनकी राय व सोच क्या है?

पाकिस्तानी सीरियलों व ‘खुदा के लिए’ जैसी पाकिस्तानी फिल्म में अभिनय करने के बाद भारतीय टीवी चैनल ‘जिंदगी’ पर प्रसारित पाकिस्तानी सीरियलों से भारत में फवाद खान की पहचान बनी. उसके बाद वह बौलीवुड से जुड़ गए. फवाद खान ने सोनम कपूर के साथ फिल्म ‘खूबसूरत’ की. फिर ‘कपूर एंड संस’ जैसी फिल्म की. अब करण जोहर की दीवाली के समय रिलीज होने वाली फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में नजर आने वाले हैं. इसके अलावा करण जोहर ने उन्हे अपनी अगली फिल्म में भी लिया है.

दिसंबर 2014 में फवाद खान ने हमसे बातचीत करते हुए कहा था-‘‘भारत व पाकिस्तान के बीच सौ किलोमीटर का फर्क होगा. आने जाने में दो घंटे लगते हैं. अन्यथा दोनों देशों की तहजीब, भाषा, संस्कृति सब एक है. मुझे तो भारतीयों ने बहुत अच्छे ढंग से स्वीकार किया है. सच कहूं तो हम कलाकार तो पूरे विश्व में शांति, अमन और सौहार्द का ही संदेश फैलाते रहते हैं. भारत में लोगों ने मेरा गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. मैं मुंबई में कई जगहों पर गया. मुझे मुंबई में अच्छी, प्रगतिशील व पाजीटिव हवाओं का अहसास हुआ. इसके अलावा मैं जयपुर व बीकानेर भी गया, जहां पर पुरानी इमारतों को देखकर आश्चर्य हुआ कि लोगों ने किस तरह उन्हे संभाल कर रखा हुआ है. लोगों से मुलाकात करने में आनंद आया.’’ पर भारत पर हुए आतंकवादी हमले के बाद वह शांति की बात क्यों नहीं कर रहे हैं.

इतना ही नहीं पाकिस्तान पर आंतकवादी हमला होने पर हमसे बात करते हुए फवाद खान ने कहा था-‘‘मैं अंदर से बहुत ही ज्यादा विचलित हूं. मेरी समझ में नहीं आ रहा कि किसी पर इस कदर की हैवानियत सवार हो सकती है. मासूम बच्चों पर बंदूक चलाते हुए उनके हाथ नहीं कांपे. मासूम बच्चों को मारना तो बर्बरता का सर्वाधिक नीच कर्म है. जिस दिन यह दुःखद और दर्दनाक हादसा हुआ, उसी दिन से मैं हर दिन इस हादसे के शिकार परिवार वालों के लिए खुदा से दुआएं मांग रहा हूं. खुदा मेरे देश की मदद करे.’’

फवाद खान तो एक उदाहरण हैं. बौलीवुड में कार्यरत सभी पाकिस्तानी कलाकार इसी तरह से व्यवहार कर रहे हैं. अपनी चुप्पी को अपना हक बताने वाली पाकिस्तानी मूल की अदाकारा सारा लारेन 2010 से भारत में रह रही हैं और बौलीवुड में काम कर रही हैं, उन्होंने ‘मनसे’के अल्टीमेटम के बाद कहा कि उन्हे अपनी जिंदगी का खतरा नजर आ रहा है. मगर भारत पर हुए आतंकवादी हमले से सारा लारेन को भी हैरानी या दुःख नही है.

वास्तव में पाकिस्तानी कलाकार भारत में रहकर धन कमाते हैं, पर कला उनके लिए दोयम दर्जे पर रहती है. उन्हे हमेशा पाकिस्तान के प्रति वफादारी के साथ यह डर सताता रहता है कि पाकिस्तानी दर्शक नाराज न हो जाएं. मार्च 2016 में हमसे बात करते हुए इस बात को कबूल करते हुए फवाद खान ने कहा था-‘‘मैं काम के कुछ पहलुओं को लेकर अलग सोच रखता हूं. मेरी यह सोच मेरे अपने वतन पाकिस्तान के दर्शकों की रूचि का ध्यान रखकर बनी है. मसलन-इंटीमसी के सीन हैं. मैं इस तरह के सीन परदे पर अंजाम नहीं दे सकता. मेरे जो मूल दर्शक हैं, उन्हे जो चीजें या सीन सहज नहीं करती हैं, उनसे बचने का मेरा प्रयास रहता है.’’ 

जनवरी 2016 में ही मावरा होकाने ने हमसे बात करते हुए यह कबूल किया था कि पाकिस्तान में लड़कियों के लिए हालात सही नही है. उस वक्त मावरा ने कहा था-‘‘आप अपनी जगह पूरी तरह से सही हैं. पाकिस्तान में ऐसे हालात आज भी हैं. पर मुझे पाकिस्तान और वहां के लोगों से प्यार है. मैं विश्व के जिन देशों मे भी गयी हूं, मुझे हर जगह प्यार मिला. अब भारत आयी हूं, तो यहां निखिल सर व राधिका मैम के रूप में प्यारा परिवार मिल गया है. मैं जहां भी जाती हूं, मुझे प्यार मिलता है. पाकिस्तानी दर्शक भी मुझे बहुत चाहते हैं. मैं अपने वतन के लोगों को नाराज करने वाला काम नहीं कर सकती. पाकिस्तान में भी हर अभिनेत्री को इतना प्यार नहीं मिलता है, जितना मुझे मिला है. मैं एकमात्र ऐसी अदाकारा हूं, जिसकी कभी आलोचना नहीं हुई.’’

16 मार्च को बाघा बार्डर के पास सरहद रेस्टारेंट बात करते हुए पाकिस्तानी फिल्मकार ने इशारे में ही अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा था-‘‘कलाकार को किसी न किसी सूरत में भारत हो या पाकिस्तान हो, बंदिश का सामना करना ही पड़ता है. यह कहना गलत होगा कि किस देश में कम या ज्यादा बंदिशें हैं.’’ इतना ही नही पाकिस्तानी अभिनेता जावेद शेख की बेटी और बौलीवुड फिल्म ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ में अभिनय कर चुकीं पाकिस्तानी अदाकारा मोमल शेख ने जुलाई 2016 में हमसे बात करते हुए साफ तौर पर कहा था-‘‘भारत के लोगों की सोच काफी विकसित है. उस हिसाब से यहां बहुत बेहतरीन फिल्में बन रही है. एक दर्शक की हैसियत से मुझे भी बालीवुड फिल्में देखना पसंद है, अच्छा लगता है. लेकिन हद से ज्यादा कोई चीज हो, तो गलत भी हो जाती है. जहां तक मेरा सवाल है तो मैं वही करना चाहूंगी, जिसे हमारे देश के लोग, मेरे प्रशंसक भी स्वीकार कर सकें.’’

यदि हम इन पाकिस्तानी कलाकारों के बयानों पर गौर करें तो एक बात साफ तौर पर उभर कर आती है कि यह पाकिस्तानी कलाकार भले ही भारत में रहकर भारतीय फिल्मों में अभिनय कर कलाकार के तौर पर शोहरत बटोर रहे हों, धन कमा रहे हों, मगर इनकी पहली प्राथमिकता हमेशा इनका अपना वतन पाकिस्तान ही होता है. ऐसे में इनसे यह उम्मीद करना कि यह पाकिस्तानी कलाकार भारत पर हुए आतंकवादी हमले की भर्त्सना करेंगे, गलत ही है.

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