आरबीआई गवर्नर के रूप में अपनी पहली बातचीत में ऊर्जित पटेल ने महंगाई के खतरे को कम तवज्जो दी और ग्रोथ पर फोकस बढ़ाने पर जोर दिया. 5 सितंबर को रघुराम राजन से आरबीआई की बागडोर संभालने वाले पटेल ने मीडिया से दूरी बनाए रखी थी और कोई बयान देने से परहेज किया था.

मीडिया की नजरों से दूर हुई इस बैठक में शामिल होने वालों ने यह नतीजा निकाला है कि अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी में अगर ब्याज दरों में कमी नहीं की जाए तो भी ब्याज दरों और लिक्विडिटी के मामले में आरबीआई का रुख नरम रह सकता है. ब्याज दरों पर अब कोई भी फैसला छह सदस्यों की नवगठित मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी करेगी, जिसमें पटेल मेंबर हैं.

बैठक में हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, 'गवर्नर की सोच यह है कि जीएसटी लागू होने से महंगाई सिर नहीं उठाएगी. उन्होंने कहा कि कई चीजों के दाम घटेंगे और इससे कंजम्प्शन के दूसरे आइटम्स की कीमतों में बढ़ोतरी का असर कुछ हद तक घटाने में मदद मिलेगी.

उनका यह भी मानना है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेंक्स के कैलकुलेशन में पब्लिक सेक्टर हाउसिंग और रेंट को दिया गया वेटेज घटाया जाना चाहिए. पटेल ने अर्थशास्त्रियों के एक ग्रुप से इस पर अनौपचारिक बातचीत की थी कि वैट घटाया जाना चाहिए या नहीं.' हाल में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महंगाई घट रही है, जबकि इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन ग्रोथ नेगेटिव टेरिटरी में चली गई है.

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