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भारत चीन के बीच नदियां बनी हथियार

मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त. कुछ ऐसा ही हो रहा है चीन के मामले में. उरी हमले के बाद भारत सोच रहा था कि पाकिस्तान के सथ हुए सिंधु जल विवाद की समीक्षा की जाए. तभी राजनीतिक हलकों से आशंका प्रकट की गई थी कि इस के जवाब में पाकिस्तान का मित्र चीन ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक सकता है. यह खबर फैलने से पहले चीन ने अपनी सब से बड़ी परियोजना हाइड्रो प्रोजैक्ट के लिए तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी को बंद कर दिया. चीन के इस कदम से भारत के असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पानी की आपूर्ति में कमी आ सकती है. हालांकि चीन ने भारत व पाक के बीच चल रहे तनाव को ले कर किसी का पक्ष नहीं लिया है और बातचीत से मामले का हल निकालने की अपील की है मगर  पाकिस्तान धमकी दे चुका है कि अगर भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो वह चीन के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रुकवा

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने परियोजना के प्रशासनिक ब्यूरो के प्रमुख झांग युन्बो के हवाले से कहा कि तिब्बत के शिगाजे में यारलुंग झांग्बो (ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) की सहायक नदी शियाबुकू पर बन रही लाल्हो परियोजना में 4.95 अरब युआन (74 करोड़ डौलर) का निवेश किया गया है. शिगाजे को शिगात्जे के नाम से भी जाना जाता है. यह सिक्किम से लगा हुआ है. ब्रह्मपुत्र शिगाजे से हो कर अरुणाचल आती है. यह अभी साफ नहीं हुआ है कि नदी का प्रवाह रोकने का नदी के निचले बहाव वाले देशों, जैसे भारत और बंगलादेश में जल प्रवाह पर क्या असर होगा. भारत और पाकिस्तान के बीच तो नदी जल को ले कर अंतर्राष्ट्रीय संधि है मगर चीन और भारत के बीच ब्रहपुत्र के पानी को ले कर कोई संधि नहीं है. पिछले साल चीन ने 1.5 अरब डौलर की लागत वाले जम पनबिजली स्टेशन का संचालन शुरू कर दिया था, जिसे ले कर भारत में चिंताएं उठी थीं. ब्रह्मपुत्र नदी पर बना यह पनबिजली स्टेशन तिब्बत में सब से बड़ा पनबिजली स्टेशन है.

लेकिन चीन कहता रहा है कि उस ने भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया है. उस ने साथ ही जल प्रवाह रोकने की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि उस के बांध नदी परियोजनाओं के प्रवाह पर बने हैं जिन्हें जल रोकने के लिए नहीं बनाया गया है. चीन से संकेत मिले हैं कि तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्यधारा पर 3 और पनबिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन की मंजूरी दी गई है. भारत-चीन सीमा विवाद के बाद भारत-चीन जल विवाद भी अब गंभीर रूप लेता नजर आ रहा है. चीन ने  पिछले साल तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनी अपनी सब से बड़ी पनबिजली परियोजना- जम हाइड्रोपावर स्टेशन की सभी 6 इकाइयों का समावेश पिछले पावर ग्रिड में कर दिया है. इस परियोजना से जल आपूर्ति में बाधा होने की आशंका पर भारत की चिंता बढ़ गई थी. तब से ही भारत को डर है कि चीन इन बांधों से पानी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है. कभी वह पानी छोड़ कर भारत के उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में बाढ़ का गंभीर खतरा ला सकता है तो कभी पानी रोक कर सूखे के हालात पैदा कर सकता है.

शन्नान प्रिफेक्चर के ग्यासा काउंटी में स्थित जम हाइड्रो पावर स्टेशन को जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है. यह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का इस्तेमाल करता है. ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है. यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर यहां से बंगलादेश जाती है. इस बांध को विश्व के सब से ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केंद्र के रूप में जाना जाता है. यह अपने किस्म की सब से बड़ी परियोजना है जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट प्रति घंटे बिजली उत्पादन करेगी. परियोजना के प्रबंधन ने कहा, ‘‘यह मध्य तिब्बत की बिजली की किल्लत दूर करेगी और बिजली की कमी वाले क्षेत्र में विकास लाएगी. यह मध्य तिब्बत का एक अहम ऊर्जा आधार भी है.’’ इस बीच, चीन यह कह कर भारत की चिंताएं दूर करने की कोशिश कर रहा है कि ये ‘रन औफ द रिवर’ परियोजनाएं हैं जिन का डिजाइन पानी के भंडारण के लिए नहीं किया गया है.

भारत की चिंता

ब्रह्मपुत्र पर भारत के एक अंतरमंत्रालय विशेषज्ञ समूह यानी आईएमईजी ने 2013 में कहा था कि ये बांध ऊपरी इलाके में बनाए जा रहे हैं. समूह ने निचले इलाकों में जल के प्रवाह पर इन के प्रभाव के मद्देनजर इन पर निगरानी का आह्वान किया था. समूह ने रेखांकित किया था कि 3 बांध-जिएशू, जांगमू और जियाचा-एकदूसरे से 25 किलोमीटर के दायरे में और भारतीय सीमा से 550 किलोमीटर की दूरी पर हैं. वर्ष 2013 में बनी सहमति के अनुसार, चीनी पक्ष ब्रह्मपुत्र की बाढ़ के आंकड़े जून से अक्तूबर के बजाय मई से अक्तूबर के दौरान प्रदान करने में सहमत हुआ था. 2008 और 2010 के नदी जल करारों में जून से अक्तूबर के दौरान आंकड़े प्रदान करने का प्रावधान था. भारत को चिंता है कि अगर पानी बाधित किया गया तो ब्रह्मपुत्र नदी की परियोजनाएं, खासतौर पर अरुणाचल प्रदेश की अपर सियांग और लोअर सुहांस्री परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.

आजकल दुनिया में जल विवाद आम होते जा रहे हैं क्योंकि दुनिया में तेजी से पेयजल का अभाव बढ़ता जा रहा है और  वह तेल की तरह अमूल्य वस्तु बनने लगा है. कई सामरिक विशेषज्ञ भविष्यवाणी करते रहे हैं कि भविष्य में विश्व में कई स्थानों पर पानी के कारण तनाव पैदा हो सकते हैं. इस की सब से बड़ी मिसाल तो हमारे सामने ही है, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बाद पानी गंभीर विवाद का मुद्दा बन कर उभर रहा है. मई 2007 में समाचार एजेंसी यूपीआई के एडिटर इमिरेटस मार्टिन वाकर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘इस समय पृथ्वी का सब से खतरनाक स्थान इराक या गाजा पट्टी में नहीं है, न ही ईरान और उत्तर कोरिया की भूमिगत प्रयोगशालाओं में है. वह विश्व की छत तिब्बत के पूर्वी पठार पर है. यह वह स्थान है जो उस नदी का स्रोत है जिसे चीनी सांगपो कहते हैं. यह समुद्रतल से 14,000 फुट ऊपर है और विश्व में सर्वोच्च है. भारत और बंगलादेश में इस नदी को ब्रह्मपुत्र कहा जाता है जिस पर बंगलादेश अपने आधे पेयजल के लिए निर्भर है. बंगलादेश की फसलें इसी नदी के पानी से लहलहाती हैं. भारत के असम राज्य के लिए तो ब्रह्मपुत्र जीवनरेखा का काम करती है. ब्रह्मपुत्र तिब्बत के पठार की वह सब से बड़ी नदी है जिस का उद्गम कैलाश पर्वत के पास वाले हिमखंड में होता है. करीब 4,000 मीटर की ऊंचाई से बहने वाली यह सब से बड़ी नदी है. तिब्बत में 2,057 किलोमीटर तक बहने के बाद सांगपो नदी जब भारत में प्रवेश करती है तब हो जाती है-ब्रह्मपुत्र. इस नदी की एक विशेषता यह है कि भारतीय सीमा के पास नामचा बरवा पहाड़ (7,782 मीटर) के पास वह बड़ी तेजी से यू टर्न लेती है.

यहीं पर चीन दुनिया का सब से बड़ा बांध बना रहा है और बड़े पैमाने पर नहरों, जलसेतु और सुरंगों के जरिए इस के पानी को उत्तरी चीन के सूखे इलाकों की तरफ मोड़ना चाहता है. यह भी चर्चा है कि तिब्बत से निकलने वाली 2 और बड़ी नदियों यांगत्से और होआंग हो पर भी चीन ऐसी ही परियोजनाएं शुरू कर रहा है. लेकिन चीन की ब्रह्मपुत्र पन बिजली परियोजना से भारत और बंगलादेश बुरी तरह प्रभावित होने वाले हैं. यही कारण है कि यह हिस्सा दुनिया का सब से खतरनाक हिस्सा बन सकता है. इस कारण पानी भारत-चीन के पहले से तनावग्रस्त रिश्तों में विवाद का एक नया मुद्दा बन कर उभर रहा है. इस विवाद में भी पलड़ा चीन का ही भारी है क्योंकि चीन ने तिब्बत पर कब्जा करने के बाद दुनिया के दूसरे सब से बड़े जल स्रोत पर कब्जा जमा लिया है. विशाल ग्लेशियरों, भूमिगत जल के विपुल स्रोतों और समुद्रतल से काफी ज्यादा ऊंचाई के कारण पोलर ध्रुवों के बाद तिब्बत विश्व का ताजा पेयजल का सब से बड़ा स्रोत है.

जीवनदायिनी ब्रह्मपुत्र

विश्व की 10 में से 3 प्रमुख नदियां :ब्रह्मपुत्र (जिसे तिब्बत में सांगपो कहते हैं), यांगत्जे और मेकांग का स्रोत तिब्बत के पठार में है. तिब्बत से निकलने वाली अन्य नदियां हैं – होआंग हो (या पीली नदी), सालवीन, अरुण, करनाली, सतलज और सिंधु. इन नदियों का 90 प्रतिशत पानी बह कर चीन, भारत, बंगलादेश, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम देशों में पहुंचता है. दक्षिण एशिया में हमारे लिए ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलज, अरुण और करनाली नदियां प्रमुख हैं जिन का पानी करोड़ों लोगों को जीवन देता है.

एक अनुमान के मुताबिक, हिमालय का 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा बर्फीले हिमखंडों से ढका है और करीब 30 से 40 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सा मौसमी बर्फ से. हिमालय का करीब 1,00,000 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा हिमखंडों से ढका है और इस में करीब 12,000 क्यूबिक किमी ताजे पानी का भंडार है. इसे हम पानी का एक आश्चर्यकारक टैंक कह सकते हैं.

बारहों मास बहने वाली इन नदियों का पानी इन हिमखंडों से ही निकलता है. मानसून के पानी पर निर्भर क्षेत्र में पानी का यह एक स्थिर स्त्रोत है क्योंकि इन क्षेत्रों में मानसून की बरसात साल के कुछेक महीनों में ही होती है. मौसमी वर्षा पर आधारित नदियों के खाके से अलग बहतीं और समूचे दक्षिण एशिया को निरंतर पानी की आपूर्ति करतीं तिब्बत की नदियां इसीलिए महत्त्वपूर्ण हैं. तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी अकसर शांत होती है और इस में नाव चलाई जा सकती है. वह भारत में अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले से हो कर असम में प्रवेश करती है जहां उस से 2 अन्य नदियां दिहांग और लोहित मिलती हैं.

आलोचकों का कहना है कि नीचे रहने वाले लोग पूरी तरह से चीन के बांध अधिकारियों की दया पर निर्भर हो जाएंगे जो कभी भी बाढ़ ला सकते हैं या उन के पानी की आपूर्ति रोक सकते हैं. इस बात में काफी दम भी है. भारत और बंगलादेश सूखे वाले मौसम में पर्याप्त पानी की सप्लाई और बारिश में बाढ़ से बचाव के लिए चीनी अधिकारियों पर निर्भर हो जाएंगे जो जब चाहे पानी छोड़ या रोक सकते हैं.

राजनीतिक हथियार बनता जल

भारत व चीन के बीच उभर रहे इस पानी विवाद पर टिप्पणी करते हुए रक्षा मामलों के विशेषज्ञ बह्म चेलानी कहते हैं, ‘‘चीन और भारत दोनों ही जल संकट से त्रस्त हैं. खेती और बड़े उद्योगों को ध्यान में रखते हुए इन दोनों देशों में पानी की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है. साथ ही, बढ़ते मध्यवर्ग को पानी की अधिक आवश्यकता पड़ रही है. अगर पानी की मांग वर्तमान दर से बढ़ती रही तो इस की कमी के कारण उद्योग और कृषि की विकास दर में कमी आ जाएगी. प्रमुख भारतीय नदियों का उद्गम तिब्बत है और खतरनाक बात यह है कि चीन आज तिब्बत क्षेत्र से अन्य नदियों को जोड़ने की बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है. ‘‘इस से इस क्षेत्र से निकलने वाली नदियों का पानी भारत नहीं पहुंच पाएगा. और भारत व अन्य संबद्ध देशों की अनेक नदियां सूख जाएंगी, किंतु इस से पहले कि पानी स्थानांतरित करने की ये परियोजनाएं चालू हों, चीन को एक व्यवस्थागत नीति तैयार कर लेनी चाहिए और जिन देशों में चीन के उद्गम वाली नदियां बहती हैं उन से उसे परस्पर सहयोग पर आधारित समझौता कर लेना चाहिए.’’

चीन का शह व मात का खेल

चेलानी आगाह करते हैं, ‘‘बड़े बांध, बैराज, नहरें और सिंचाई तंत्र पानी को एक राजनीतिक हथियार में बदल सकते हैं. एक ऐसा हथियार जो युद्ध के दौरान विध्वंस मचा सकता हैं और शांतिकाल में संबद्ध देशों का असंतोष दूर कर सकता है. यहां तक कि नाजुक समय में पानी के संबंध में उपयुक्त आंकड़े जारी न कर के इसे एक राजनीतिक उपकरण की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. लाभ की स्थिति में रहने वाले देश के खिलाफ प्रभावित देशों को अपनी सैन्य क्षमता इतनी बढ़ा लेनी चाहिए कि पानी पर नियंत्रण के मामले में नुकसान की स्थिति के बीच संतुलन बिठाया जा सके.’’ हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में पिछले वर्षों के दौरान आई बाढ़ का कारण यही है कि चीन ने अपनी परियोजनाओं से पानी छोड़ने के संबंध में भारत को पूर्व सूचना जारी नहीं की थी. असलियत यह है कि तिब्बत से निकलने वाली अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय नदियों पर चीन बांध बनाने में जुटा है. जिन नदियों पर अब तक कोई परियोजना शुरू नहीं की गई है वे सिंधु और सलवीन हैं. सिंधु पाकिस्तान से होती हुई भारत पहुंचती है जबकि सलवीन और म्यांमार थाईलैंड से गुजरती है. चीन के येनान प्रांत में स्थानीय निकाय भूकंप संभावित क्षेत्र में सलवीन नदी पर बांध बनाने की योजना बना रहा है. भारत चीन पर बराबर दबाव बना रहा है कि वह पारदर्शिता अपनाए, पानी से संबंधित आंकड़ों का आदानप्रदान करे, किसी भी नदी के प्राकृतिक प्रवाह को न मोड़े और सीमापार से भारत में आने वाली नदियों का जल कम न करे.

भारत का मीडिया पिछले कई वर्षों से सरकार को आगाह कर रहा था कि  चीन सरकार तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बना कर उस के जलप्रवाह को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है. ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को अवरुद्ध कर के अथवा उस की दिशा बदल कर चीन उत्तरपूरब में पूरे पर्यावरण को बदल सकता है.

ऐसी दशा में चीन ब्रह्मपुत्र का प्रयोग भारत के खिलाफ एक हथियार के रूप में कर सकता है. चीन जिस प्रकार से पाकिस्तान का प्रयोग कर के भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है, कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी कि इस जल हथियार का प्रयोग भी भविष्य में किया जाए. अभी तो भारत सिंधु जल संधि का हथियार ही प्रयोग करना चाहता था. लेकिन उस को चीन ने यह दिखा कर भौचक्का कर दिया है कि वह पाकिस्तान के पक्ष में ब्रह्मपुत्र का पानी रोक सकता है. इस तरह पानी को ले कर शह और मात का खेल चल रहा है.

मंत्रियों के नौनिहाल, कुछ तो है कमाल

भावी पीढ़ी अपने पुश्त दर पुश्त चले आ रहे व्यवसाय या पेशे को ही अपने जीविकोपार्जन के रूप में अपनाए, यह धारणा अब पुरानी हो चुकी है. आज के दौर में मातापिता अपने बच्चों को उन की रुचि के अनुसार काम या पेशा चुनने की छूट देते हैं. देश की सत्ता संभाल रहे धुरंधर राजनेताओं के बच्चों ने भी क्या अपने मातापिता की भांति राजनीति में अपनी सक्रियता दिखाई है या किसी दूसरे क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं, यह विषय रोचक होने के साथ ही खासा महत्त्व का भी है.

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की छोटी बेटी साशा ओबामा गरमी की छुट्टियों में इंटर्नशिप के दौरान मैसाचुसेट्स के मार्थाज विनेयार्ड स्थित नैंसी नाम के एक रेस्तरां में फूड सर्व करने का काम करती दिखाई दी. बौस्टन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, साशा का काम सुबह की शिफ्ट में 4 घंटे का होता है.

साशा की ये तसवीरें सोशल मीडिया पर आते ही चर्चा का विषय बन गईं कि क्या दुनिया के सब से ताकतवर देश के प्रमुख की बेटी इतना मामूली काम कर सकती है. तो आइए अपने देश के मंत्रियों के बच्चों के बारे में जानें कि उन्होंने पढ़ाई कर के कौनकौन से पेशे को अपनाया है.

पंकज सिंह

देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के 2 बेटों में बड़े पंकज सिंह ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में सरस्वती शिशु मंदिर से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की. उन्होंने अपने ननिहाल झारखंड के डाल्टनगंज से आगे की पढ़ाई की है. दिल्ली से एमबीए की डिगरी लेने वाले पंकज सिंह 2001 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. 2010 में उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा का सचिव बनाया गया. 2012 में वे प्रदेश भाजपा के महासचिव बने और वर्तमान में वे तीसरी बार महासचिव के पद पर कार्य कर रहे हैं. वे सामाजिक तथा राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय हैं.

उत्पल पर्रिकर

अपनी सादगी के लिए मशहूर केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के पुत्र उत्पल पर्रिकर ने गोआ के कंसेसाओ कालेज औफ इंजीनियरिंग से 2002 में बैचलर डिगरी हासिल करने के बाद मास्टर्स डिगरी अमेरिका में ली है. वहां की सिलिकौन वैली में 3 वर्ष काम करने के बाद वे भारत लौटे हैं तथा गोआ में अपनी कंपनी का काम संभाल रहे हैं.

चिराग पासवान

केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास के सुपुत्र चिराग पासवान का नाम बिहार के सियासी पटल पर तेजी से उभरते हुए राजनेताओं में शामिल है. कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करने वाले चिराग एक फैशन डिजाइनर भी हैं. बहुत कम समय में उन्होंने राजनीतिक गलियारे में अपनी खास जगह बनाई है एक युवा नेता के रूप में, एक संगठनकर्ता के रूप में. चिराग में मौके को भांप कर तेजी से निर्णय लेने की अपार क्षमता है.

खूबसूरत व गोरेचिट्टे चिराग ने बौलीवुड में भी अपना हाथ आजमाया. 2011 में उन की एक फिल्म ‘मिलें न मिलें हम’ रिलीज हो चुकी है. फिल्म अधिक नहीं चली लेकिन चिराग के राजनीतिक भविष्य में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं.

बांसुरी स्वराज

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की एकमात्र संतान बांसुरी स्वराज हैं, जोकि औक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और इनर टैंपल से कानून में बैरिस्टर की डिगरी ले चुकी हैं. अपने पिता की भांति ही वे भी आपराधिक मामलों की वकील हैं और दिल्ली हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं. पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के वकीलों की टीम में बांसुरी स्वराज भी हैं.

सोनाली जेटली

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पेशे से वकील हैं. उन के दोनों बच्चे सोनाली और रोहन भी वकील हैं. ये ‘चैंबर्स औफ बक्शी ऐंड जेटली नामक’ एक ग्रुप भी चलाते हैं. बेटी उस की संस्थापक सदस्य है और बेटा भी उस से जुड़ा हुआ है. सोनाली ने एमिटी ला स्कूल से कानून में बैचलर डिगरी की पढ़ाई की है. इसी कालेज से रोहन जेटली भी ला ग्रेजुएट हैं. सोनाली की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई दिल्ली के कार्मेल कौन्वैंट स्कूल से हुई है, जबकि रोहन ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है.

अपूर्व जावड़ेकर

देश के शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के 2 बेटों में आशुतोष पेशे से दंत चिकित्सक हैं. वे गीतसंगीत से भी खासा प्रेम रखते हैं. दूसरे बेटे अपूर्व अभी फिलहाल अमेरिका के बौस्टन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहे हैं. बौस्टन जाने से पहले उन्होंने ‘दिल्ली स्कूल औफ इकोनौमिक्स’ से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और कौमर्स में स्नातक किया है.

वरुण गांधी

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी वर्तमान में सांसद हैं. लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स ऐंड पौलिटिकल साइंस से कानून और अर्थशास्त्र की डिगरी लेने वाले वरुण ने ऋषि वैली स्कूल आंध्र प्रदेश व द ब्रिटिश स्कूल नई दिल्ली से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की है. ये लोकसभा में सुलतानपुर से सदस्य हैं. भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और पार्टी के इतिहास में सब से युवा राष्ट्रीय महासचिव भी हैं. इन्होंने 1999 में पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र में अपनी मां के लिए प्रचार कार्य शुरू किया था व 2004 में भाजपा की सदस्यता प्राप्त की.

हरकीरत कौर

केंद्रीय उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल के तीनों बच्चों में हरकीरत सब से बड़ी व मेधावी हैं. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कालेज से राजनीतिशास्त्र में बीए औनर्स किया है. 2013 में उन्होंने 12वीं पास की तथा मनोविज्ञान में सौ फीसदी अंकों के साथ टौप भी किया. स्थानीय मीडिया में उन के पहले मतदान ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. उन की राजनीति में कोई खास रुचि नहीं है.

ध्रुव गोयल

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल की पुत्री राधिका इंगलैंड के वैस्टमिंस्टर में पढ़ाई कर रही हैं. उन के बेटे ध्रुव ने अपनी पढ़ाई के दौरान लगभग एक वर्ष तक हार्वर्ड अंडरग्रेजुएट काउंसिल के उपाध्यक्ष का कार्यभार संभाला. उन्होंने एक साल का इंटर्नकोर्स भी किया है व अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर न्यूयौर्क स्थित ब्लैक रौक संस्थान में कौर्पोरेट रणनीति विशेषज्ञ के रूप में काम करना शुरू किया है.

सभी मंत्रियों के बच्चे अपनेअपने क्षेत्र में खासा कमाल दिखा रहे हैं. उन्होंने पिता या मां की विशिष्ट स्थिति का लाभ नहीं उठाया होगा, यह नहीं कहा जा सकता है पर बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां मातापिता का ज्यादा काम नहीं होता. इन युवाओं ने पितामाता की राजनीतिक सक्रियता के बावजूद अपनी अच्छी पढ़ाई की, अपना कैरियर बनाया, यह काबिलेतारीफ है. हो सकता है देरसवेर वे सब राजनीति में आ जाएं पर वह उन की अपनी मेहनत से होगा, तश्तरी में मिला उपहार नहीं.   

कमजोर नहीं है औरत

अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हाड़ी और एंड्रिया तेरियांग अभिनीत फिल्म ‘पिंक’ में औरत की निर्बलता और समाज के औरतों के प्रति गलत रवैए को ले कर गंभीर सवाल उठाया गया है कि अगर कोई औरत रात को देर से घर लौटती है या छोटे कपड़े पहनती है या मर्दों के साथ बैठ कर शराब पीती है तो वह निश्चित तौर पर खराब औरत है.

औरतों को ले कर समाज में पहले से ही गलत धारणाएं बनी हुई हैं. मध्यवर्गीय परिवार के लोग, जिन के लिए इज्जत से बढ़ कर कुछ नहीं है, समाज के ढकोसलों की बदौलत ही अपनी बेटियों को प्रतिभावान होने के बावजूद आगे बढ़ने नहीं देते.

नारी के अधिकार और उस की निर्बलता को ले कर हमेशा से ही चर्चा होती रही है. एक तरफ जहां नारी प्रधानमंत्री, पायलट, डाक्टर, पत्रकार जैसे मजबूत स्थानों पर सफलता से डटी है वहीं दूसरी तरफ उसे निर्बल माना जाता है. उसे समाज में रहने के लिए हिदायतें दी जाती हैं कि उस को क्या करना है, क्या नहीं करना है.

औरतों को सामाजिक मर्यादा में रह कर दहेज, बलात्कार जैसे अत्याचारों से जूझना पड़ रहा है. इसी आधार पर अमिताभ बच्चन ने अपनी नाती और पोती के नाम एक खुलापत्र लिखा. पत्र में उन्होंने साफ किया है कि उन की नाती या पोती अपने अंतर्मन की शक्ति को कैसे समझे और उस को अपनी ताकत कैसे बनाए. क्या निर्बल कहलाने वाली नारी अपनी अंतर्शक्ति के चलते समाज से लड़ कर अपना स्थान पा सकती है? एक स्त्री अपनी आंतरिक शक्ति को कैसे पहचाने जहां समाज उस को ऐसा करने का मौका ही नहीं देता? और अपनी इसी आंतरिक शक्ति के चलते वह विषम परिस्थिति में अपनेआप को कैसे बचा सकती हैं? ऐसे ही कई दिलचस्प मगर गंभीर सवालों के जवाब दिए फिल्म ‘पिंक’ की उन 3 हीरोइनों ने, जिन्होंने इस फिल्म में पुरुषों और समाज द्वारा किए गए अत्याचारों का जवाब अपने स्टाइल में दिया है.

हम ने एक खास बातचीत के दौरान ‘पिंक’ की तीनों हीरोइनों तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हाड़ी और एंड्रिया तेरियांग से बात की.

तापसी पन्नू

आधी से ज्यादा औरतों को यही पता नहीं होता कि वे अंदर से कितनी मजबूत हैं. यह बात तो बाद में आती है कि औरतें अपनी आंतरिक शक्ति का इस्तेमाल कैसे करती हैं. अगर हम अपनी आंतरिक शक्ति या क्षमता को पहचान लें, तभी उस का इस्तेमाल कर पाएंगे. औरत में बहुत ज्यादा हिम्मत होती है. हिम्मत का मतलब यह नहीं होता कि हमें सामने वाले को मुक्का मार कर गिराना है. आंतरिक शक्ति का मतलब है कि विषम परिस्थिति में अपना दिमाग लड़ा कर उस स्थिति से कैसे निकलें. उस दौरान ही हमारी सोचसमझ का पता चलता है कि अपने ऊपर आई मुसीबत से हम कैसे निबट सकते हैं. जैसे, मैं दिल्ली में रहती थी, तब बस में आतेजाते वक्त लोग अकसर गलत जगह टच करने की कोशिश करते थे. उस वक्त मैं अपने साथ सेफ्टी पिन ले कर जाती थी. और जो भी गलत हरकत करता, उसे जोर से सेफ्टी पिन चुभा देती थी. मैं निर्बल नारी की तरह सब सहन नहीं करती थी.

मेरा मानना है, औरतों में बहुत दिमाग होता है. हम एक समय में चार चीजें कर सकती हैं. सब से बड़ी बात तो यह है कि हम बच्चा पैदा करने की ताकत रखती हैं. आदमी से फूल जैसे बच्चे को संभालने के लिए कह दो तो उस की डर के मारे सांस फूल जाएगी. औरत एक पत्नी, मां बन कर जहां पूरा घर संभालती है वहीं आदमी अकेला अपनेआप को ही नहीं संभाल पाता. उसे हर उम्र में बहन, बीवी, प्रेमिका और सब से खास मां की जरूरत पड़ती है. औरत शादी कर के अकेले ससुराल जाती है और वहां पर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाती है जबकि आदमी, उस औरत को लेने के लिए बरात ले कर जाता है.

कहने का मतलब यह है कि मैं ने अपनी अभी तक की छोटी सी जिंदगी को खुद सरवाइव किया है और बहुत सारी मुश्किलों का सामना किया है. लेकिन उस दौरान मैं ने अपनी दिमागी ताकत का इस्तेमाल कर के अपनेआप को बचाया है. और आज भी मैं सरवाइव कर रही हूं. मैं सफलता के साथ अपनी पहचान बना रही हूं क्योंकि मैं ने अपनी आंतरिक शक्ति को पहचाना है और मुझे पता है कि मुझे उस का प्रयोग कैसे करना है. ऐसे ही हर लड़की को अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान कर, दिमाग का इस्तेमाल कर के अपनी रक्षा खुद ही करनी पड़ेगी. अपनेआप को निर्बल कहलाने से बेहतर है आप दिमाग का इस्तेमाल कर के अपनी आंतरिक शक्ति के जरिए समाज में अपना स्थान बनाएं.

कीर्ति कुल्हाड़ी

मुझे इस बात का दुख होता है कि 21वीं सदी में भी औरतों को अपनेआप को बचाना पड़ता है. अपने औरत होने पर वे कहीं न कहीं शर्म महसूस करती हैं. शायद, इस की वजह यह है कि समाज में औरत को मनोरंजन की चीज समझा जाता है. अगर औरत घर की है तो उस पर किसी की बुरी नजर न पड़े, इसलिए उस पर कई सारे प्रतिबंध होते हैं. वहीं, अगर औरत बाहर की है तो उसे अश्लीलता की नजर से देखना गलत नहीं माना जाएगा. ऐसी समाज की सोच है.

दरअसल, जब चीजें दबाई जाती हैं तो वे गलत रूप में सामने आती हैं. मैं ने इंडियन और वैस्टर्न कल्चर दोनों देखे हैं. इंडिया में सैक्सुअलिटी को ले कर क्रेज पश्चिमी देशों से आया है जबकि आज पश्चिम में सैक्स का क्रेज खत्म सा हो चुका है.

जहां तक आंतरिक शक्ति की बात है, तो हर औरत में आंतरिक शक्ति होती है. औरत को तो कहा ही गया है शक्ति का रूप. लिहाजा, औरतें अपने औरत होने पर शर्मिंदा न हों बल्कि अपने औरत होने की ताकत को सही ढंग से इस्तेमाल करें. जहां तक औरत के निर्बल होने की बात है तो औरत ही नहीं, मर्द भी निर्बल होता है. अगर उस के सामने चार ताकतवर आदमी आ गए और उसे सैक्सुअली या फिजिकली हर्ट किया और वह आदमी बचाव नहीं कर पाया तो वह भी निर्बल है. इसलिए औरतें ही निर्बल होती हैं, ऐसा सोच कर अपनेआप को कमजोर न समझें.

औरत को निर्बल इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि समाज में औरतों पर ज्यादा रोकटोक होती है, शराब मत पियो, देर रात तक बाहर मत रहो, सिगरेट मत पियो, छोटे कपड़े मत पहनो आदि.

आंतरिक शक्ति का मतलब है कि आप सब से पहले अपनी सोच बदलें कि औरत होना कोई गुनाह नहीं है या कोई कमजोरी नहीं है. अगर आप अपनेआप को सुरक्षित रखने की ताकत रखती हैं तो आप रात को बाहर निकल सकती हैं. आप अगर दिलोदिमाग से ताकतवर हैं तो आप वह सबकुछ कर सकती हैं जो पुरुष कर सकते हैं. लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि आप को क्या करना है और क्या नहीं करना है. अगर आप को सहीगलत की पहचान हो जाएगी तो आप अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान लेंगी.

एंड्रिया तेरियांग

हर औरत में आंतरिक शक्ति होती है. मुझ में भी है. इस बात का एहसास उस वक्त हुआ जब मैं ने अपनी जगह, अपनी पहचान बनाने के लिए खुद सरवाइव करना शुरू किया. मैं छोटी सी, नाजुक सी हूं, लिहाजा मेरे डैड मेरे लिए बहुत फिक्रमंद थे कि मैं अकेले कैसे सरवाइव करूंगी. लेकिन मैं ने न सिर्फ म्यूजिकल वर्ल्ड में बल्कि मौडलिंग की दुनिया में भी अपनी अलग पहचान बनाई.

उस के बाद जब हिंदी फिल्म ‘पिंक’ में काम करने के लिए मुंबई आई तो मेरे डैड बहुत तनाव में थे कि मैं अकेले कैसे सरवाइव करूंगी. लेकिन मैं ने बिना हिंदीभाषा के ज्ञान के यहां पर अपना काम किया. धीरेधीरे मेरी फैमिली को विश्वास होने लगा कि मैं छोटा पैकेट बड़ा धमाका हूं.

मेरा मानना है मेरी आंतरिक शक्ति, मेरा खुद पर विश्वास और मेरी प्रबल इच्छाशक्ति है. अगर आप को अपने ऊपर विश्वास है तो कोई भी आप का बाल बांका नहीं कर सकता. औरत में सोचनेसमझने की आदमियों से ज्यादा तीव्र शक्ति होती है. उस में यह शक्ति होती है कि वह सामने वाले आदमी को देख कर समझ जाती है कि वह उस के लिए अच्छा सोचता है या बुरा. लिहाजा, अपनी आंतरिक शक्ति के जरिए मैं ऐसे लोगों से बहुत दूरी बनाए रखती हूं जो मेरा बुरा करने की सोचते हैं.

कई बार हम नहीं भी जानते कि हमारे साथ क्या होने वाला है, जैसे रास्ते चलते किसी औरत का अपहरण कर उस का बलात्कार कर दिया जाए. यह बहुत ही खराब होता है लेकिन इसे एक हादसा समझ कर भूलने की कोशिश करें, इसे दिल से लगा कर अपनी जिंदगी को खराब न करें. हादसा किसी के साथ भी हो सकता है. उस के लिए मर्द या औरत होना जरूरी नहीं.

आप चाहें तो अपनी इच्छाशक्ति के जरिए समाज को बदल भी सकते हैं. अगर आप कामयाब हैं तो लोगों का आप के प्रति सोचने का नजरिया भी बदल जाएगा. लेकिन वहीं अगर आप कमजोर या निर्बल हैं तो कई सारे गलत लोग, जो आप के अगलबगल में हैं, आप की कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे.

लब्बोलुआब यह है कि यह तय करना आप को है कि निर्बल या कमजोर बन कर समाज के खराब लोगों का शिकार बनना है या अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान कर समाज में अपनी पहचान बनाने के साथ अपना और अपने परिवार का नाम रोशन करना है.

कानून की पेचीदगियों को समझना जरूरी

आम लोगों में कानून से जुड़ी कई ऐसी भ्रांतियां व्याप्त हैं जो उन्हें सिर्फ आर्थिक ही नहीं, सामाजिक नुकसान भी पहुंचा सकती हैं. आप ऐसे किसी कन्फ्यूजन में हों, तो उन्हें दूर कर लें. लोन में गारंटर के रूप में साइन करने में हर्ज नहीं : गारंटर के रूप में रघुनाथ ने 4 साल पहले अपने बचपन के दोस्त विपिन के होमलोन के पेपर्स पर बिना सोचेसमझे साइन कर दिए. पेपर साइन करते वक्त उस के मन में 2 विचार थे. पहला, विपिन तो पुराना दोस्त है, मुझ से गलत पेपर्स साइन नहीं करवाएगा. दूसरा, अरे गारंटर के लिए साइन ही तो कर रहा हूं, लोन कौन सा मुझे चुकाना है. वह तो विपिन की जिम्मेदारी है.

उस के दोनों ही विचार तब गलत साबित हो गए जब उस के पास बैंक का नोटिस आया और गारंटर के रूप में लोन चुकाने के लिए कड़ा तकाजा. वकीलों से बातचीत करने के बाद ही उसे पता चला कि किसी भी कानूनी कागज पर बिना सोचेसमझे साइन करना कितना भारी पड़ सकता है. यह भी बाद में पता चला कि गारंटर के रूप में साइन करना महज कागजी खानापूर्ति नहीं होती, बल्कि कर्जदार के कर्ज न चुकाने की सूरत में बैंक गारंटर पर कानूनी कार्यवाही कर के उस से भी वसूली कर सकता है. आप भी जान लें कि एक गारंटर के रूप में आप की जिम्मेदारी तभी संपूर्ण होती है जब बैंक को लोन की रकम पूरी मिल जाती है. कर्जदार की मृत्यु या उस के डिफौल्टर होने पर ऋण चुकाने की जिम्मेदारी गारंटर की होती है. जब तक लोन का रीपेमैंट नहीं हो जाता तब तक आप की क्रैडिट रिपोर्ट पर भी इस का असर पड़ता है और आप को खुद के लिए लोन मिलने में दिक्कत आ सकती है.

वारिस को संपत्ति का हक देने के लिए औनलाइन वसीयत काफी : इन दिनों कई वैब पोर्टल और कंपनियां औनलाइन वसीयत लिखने के लिए उपलब्ध हैं जहां आप उन के मार्गदर्शन के मुताबिक सूचनाएं दर्ज करते हुए अपनी वसीयत लिख सकते हैं. आप की दी गई सूचनाओं को इकट्ठा कर के वैबसाइट खुद ही आप की वसीयत ड्राफ्ट कर देगी. इस में करीब 10 हजार रुपए खर्च होंगे.

कई लोग वसीयत ड्राफ्ंिटग हो कर आने पर समझते हैं कि बस, अब काम पूरा हो गया. लेकिन, भारतीय कानून औनलाइन विल को स्वीकार नहीं करता. आप को इस ड्राफ्ंिटग का पिं्रट लेना होगा और 2 गवाहों के सामने इस पर अपने हस्ताक्षर करने होंगे. बिना गवाहों या आप के हस्ताक्षर के, इस ड्राफ्ंिटग का कोई कानूनी महत्त्व नहीं समझा जाएगा. जरूरी तो नहीं है पर बेहतर होगा कि आप इसे रजिस्टर भी करवा लें. हां, वसीयत लिखते वक्त ध्यान रखें, जिसे अपनी संपत्ति देनी हो उस का घरेलू या आधाअधूरा नाम न लिखें, अगर नकद रकम है तो रकम का स्पष्ट उल्लेख करें, अचल संपत्ति का पूरा ब्योरा, नाप आदि अवश्य दें.

किसी भी प्रतिनिधित्व के लिए लेटर औफ अथौरिटी पर्याप्त : वैसे तो अपने फाइनैंशियल मैटर्स की देखभाल यथासंभव खुद ही करनी चाहिए लेकिन काम अधिक हो, तो व्यक्तिगत रूप से हर काम करना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में हम किसी व्यक्ति को अधिकारपत्र या फिर लेटर औफ अथौरिटी दे देते हैं. पत्रवाहक उस पत्र को दिखा कर कई रूटीनवर्क कर सकता है, जैसे बैंक से अकाउंट स्टेटमैंट लाना, चैकबुक लाना, किसी कार्यालय से कागजात लाना या किसी व्यक्ति या संस्था विशेष के पास रखा कोई सामान लाना आदि. लेकिन यह कोई रजिस्टर्ड डौक्यूमैंट नहीं है, इसलिए इसे किसी बड़े लेनदेन या जटिल फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. जमीनजायदाद की खरीदफरोख्त आदि के लिए आप को अपने प्रतिनिधि को पावर औफ अटौर्नी देनी पड़ेगी.

इस में लेनदेन विशेष का ब्योरा सिलसिलेवार दर्ज रहता है और यह किसी खास लेनदेन के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है. आप को किसी को पावर औफ अटौर्नी देते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति विश्वसनीय हो, अपने अधिकारों का दायरा समझता हो, आप को पता हो कि आप उस व्यक्ति को क्याक्या अधिकार दे रहे हैं और डौक्यूमैंट में उस के रद्द होने की समयसीमा व ब्योरा भी दर्ज होना चाहिए.

कोर्ट के बाहर सैटलमैंट कर लेने के बाद कुछ नहीं हो सकता : कांति प्रसाद और उस के बिजनैस पार्टनर प्रशांत के बीच विवाद हो गया. बात कोर्टकचहरी तक पहुंच गई. लेकिन फिर कांति प्रसाद के पार्टनर ने उस से आउट औफ कोर्ट सैटलमैंट करने की बात कही. कांति की भी कोर्टकचहरी के चक्कर लगाने में दिलचस्पी नहीं थी, इसलिए उस ने हामी भर ली. लेकिन बाद में उसे पता चला कि प्रशांत ने समझौते में छिपी शर्तें डाल कर उस के साथ धोखा किया है. कांति प्रसाद हाथ मल कर रह गया क्योंकि उसे लगा था कि अब कुछ नहीं हो सकता. बहुत सारे लोग ऐसा ही सोचते हैं. लेकिन यह सच नहीं है. सच यह है कि धोखाधड़ी के मामले में आप हमेशा कोर्ट जा सकते हैं. कोर्ट इस बात की समीक्षा करेगा कि समझौता या इकरारनामा किस मंशा से और किन परिस्थितियों में किया गया. अगर कोर्ट उस में धोखाधड़ी या गलत मंशा पाता है तो करार को रद्द कर देगा. अगर आर्बिट्रेशन एग्रीमैंट भी किया गया है और आप उस से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप किसी वकील के मारफत उस के खिलाफ अपील कर सकते हैं.

कोर्ट में ओरिजिनल पेपर जमा करने पड़ते हैं : कई लोग कोर्ट में कागजात जमा करते वक्त बड़ी भूल कर बैठते हैं और यह सोच कर कि कोर्ट फोटोकौपी स्वीकार नहीं करेगा, वास्तविक कागजात जमा कर बैठते हैं. ऐसे में आप के कागजात खो सकते हैं. प्रोसीजर के मुताबिक, जब आप कोर्ट में कोई याचिका या मुकदमा दायर करते हैं, तो प्रमाण के रूप में वास्तविक दस्तावेज की सर्टिफाइड फोटोकौपी और एफिडेविट जमा करने की जरूरत होती है. हां, जब सुनवाई के लिए आप को बुलाया जाए तब जज आप से वास्तविक कागजात दिखाने को कह सकते हैं, जो आप को साथ रखने चाहिए. लेकिन आप के पास किसी कारणवश वास्तविक कागजात नहीं हैं, तो आप उस वक्त भी उन्हें गैजेटेड औफिसर द्वारा सर्टिफाइड फोटोकौपी दिखा सकते हैं. आप को वास्तविक कागजात अपने वकील को भी सौंपने चाहिए. ओरिजिनल डौक्यूमैंट्स आप स्कैन कर के कंप्यूटर या अपने मेल में सेव कर लें.

कंज्यूमर कोर्ट में जाने के लिए वकील जरूरी नहीं : उत्पादकों, सेवाप्रदाताओं व अन्य कंपनियों से परेशान कई लोग उपभोक्ता अदालत में सिर्फ इस डर से नहीं जाते हैं कि कौन कोर्टकचहरी के चक्कर में पड़े और ऊपर से वकील की मोटी फीस भी चुकानी पड़ेगी. सच तो यह है कि कंज्यूमर कोर्ट में जाने के लिए वकील की जरूरत नहीं होती, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी रूलिंग दे दी है. वर्ष 2000 में मुंबई डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने उपभोक्ता द्वारा 2 टूर औपरेटर्स के खिलाफ दी गई अर्जी को यह कह कर ठुकरा दिया था कि आप को वकील के मारफत आना होगा. लेकिन बाद में फोरम के इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट ने कहा कि कंज्यूमर फोरम में शिकायत के लिए वकील की कोई जरूरत नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने विस्तारपूर्वक अपने निर्णय में सलाह दी कि कंज्यूमर कोर्ट की कार्यवाही का तरीका ऐसा होना चाहिए कि सामान्यजन भी अपना पक्ष पेश कर सकें.

जब चाहें कोर्ट में केस कर सकते हैं: भारतीय कानून किसी भी नागरिक को न्याय पाने का पूरा मौका देता है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप जब चाहें कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. सिविल केस वर्ष 1963 के लिमिटेशन ऐक्ट के दायरे में ही दर्ज किए जा सकते हैं. इस के तहत कोई मुकदमा आप घटना या शिकायत के 3 महीने से ले कर 3 साल के भीतर ही दायर कर सकते हैं. समयसीमा मामले के ऊपर निर्भर करती है. अगर आप तय समयसीमा में मुकदमा दायर नहीं करते तो इसे समयातीत करार दे कर रिजैक्ट किया जा सकता है. ज्यादातर प्रतिवादी के वकील ऐसे केस का विरोध ज्यादा करते हैं. हां, कभीकभी परिस्थितियों में कोर्ट समयसीमा के बाद भी किसी मामले पर सुनवाई कर सकता है. अगर केस दायर करने वाला व्यक्ति नाबालिग है या मानसिक रूप से अक्षम है, तो उस के लिए समयसीमा में छूट दी जा सकती है.

मैं पैतृक संपत्ति को जिसे चाहूं गिफ्ट कर सकता हूं : माना कि एचयूएफ (हिंदू संयुक्त परिवार) की स्थापना कर के आप कतिपय टैक्स लाभ अर्जित कर सकते हैं लेकिन प्रौपर्टी के अंतरण को ले कर कुछ प्रतिबंध होते हैं. बौंबे हाईकोर्ट द्वारा कुछ समय पहले किए गए एक फैसले के मुताबिक, एचयूएफ के संयुक्तरूप से मालिकाना हक वाली पैतृक संपत्ति को आप तभी किसी को दे सकते हैं जब आप परिवार के अकेले जीवित सदस्य हों.

किसी भी एचयूएफ में संपत्ति का मालिकाना हक सभी सदस्यों का संयुक्त रूप से होता है, इसलिए किसी भी सदस्य का उस पर संपूर्ण अधिकार नहीं हो सकता. ऐसे में कोई वह संपत्ति तीसरे व्यक्ति को गिफ्ट में या रकम के बदले नहीं दे सकता.

 

(यह लेख कोलकाता हाईकोर्ट के वकील इंद्रनील चंद्र और स्नेहा गिरी से बातचीत पर आधारित है).    

बिखरी जुल्फों की स्याही

बस सांसों की गरमी है
लफ्ज नहीं दरम्यान बचे
बीते शर्मोहया के दिन
प्रणय के बस तूफान बचे

बांहों के हैं पाश कसे से
बिखरी जुल्फों की स्याही
अधर न रह जाएं प्यासे से
मन में न रेगिस्तान बचे

दूर हुई काया की पीड़ा
रोमरोम गुलजार हुए
भोर तलक न होश में आए
शेष न कुछ अरमान बचे

दीवारों के नयन झुके हैं
परदे हैं महकेमहके सेबच्चोंके मुखसे
दर्पन फूल करें सरगोशी
दीये की कैसे जान बचे.

       

– अनुराग मिश्र ‘गैर’

सर्जिकल स्ट्राइक के माने

सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान सीमा पर युद्घ नहीं हुआ लेकिन उस को ले कर चुनावी मैदानों में युद्घ हो रहा है. नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उस पर ज्यादा छाती ठोंकने की जरूरत नहीं है. उन्होंने यह केवल अपनी साख को सुरक्षित रखने के लिए कहा है या यह भाजपा नेताओं को निर्देश है, मालूम नहीं. सेना द्वारा स्ट्राइक को अंजाम दिए जाने के बाद आए भाजपाई बयानों को  ले कर विवाद जारी है. कांग्रेस सर्जिकल स्ट्राइक को सेना का अपना मामला बनाए रखने की सलाह दे रही है और दावा कर रही है कि उस के शासन के दौरान भी इस तरह की स्ट्राइक की गई थीं.

यह सर्जिकल स्ट्राइक आतंकवाद का खात्मा कर देगी, इस की कोई गारंटी नहीं है. हर देश अपनी सुरक्षा के लिए कभीकभार दूसरे देश में, तो कभी अपने देश में ही नाटकीय लगने वाली सैनिक कार्यवाहियां करता  रहता है. न्यूयौर्क के ट्विन टावर्स पर आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान व इराक को नेस्तनाबूद कर डाला. पर हुआ  क्या? आतंकवाद आज भी वैसा ही है. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कुछ सप्ताहों में ही श्रीनगर से कुछ दूर बने 75 कमरे वाले एंटरप्रैन्योर डैवलपमैंट सैंटर पर केवल 2 आतंकवादियों ने हमला कर दिया और सैंटर को पूरा नष्ट करने बाद ही इन 2 को मारा जा सका. सर्जिकल स्ट्राइक क्यों, कैसे और किस लाभ के लिए की गई, यह सेना का मामला है. यह आतंकवाद की कमर तोड़ दे या पाकिस्तान की सरकार को झुकने को मजबूर कर दे, यह कल्पना नहीं की जानी चाहिए. यह पहले से साबित हो चुका है कि देशों में शांति मेजों पर बैठ कर आती है, युद्घ के मैदानों से नहीं. हम सेना के बल पर पाकिस्तान के सिरफिरे कट्टरवादियों को भयभीत कर चुप करा सकेंगे, ऐसा नहीं लगता.

सर्जिकल स्ट्राइक पर ज्यादा शोर सेना के लिए घातक हो सकता है क्योंकि हम सेना को उकसा रहे हैं कि वह इस तरह के और ऐक्शन ले, चाहे जरूरी हों या नहीं. सेना का काम खामोश रह कर देश की रक्षा करना होता है. सेना किसी भी राजनीतिक दल के प्रचार का हिस्सा न बने, यह देश के लोकतंत्र के लिए आवश्यक है. सेना की कार्यवाही पर श्रेय लेंगे तो जवाब में दूसरे दल भी सेना को घसीटेंगे और तब सेना के हाथ बंध जाएंगे जो देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक होगा. पाकिस्तान से युद्घ का जो माहौल बनाया जा रहा है, वह निरर्थक है. इसी देश ने नहीं, सभी देशों ने इस तरह के युद्घ देखे हैं. पर जनता की खुशहाली युद्घ जीतने से नहीं, दूसरी चीजों से आती है. द्वितीय विश्वयुद्घ के बाद जरमनी और जापान हार गए थे पर आज देखें कि वे कहां हैं. दोनों के पास सेनाएं नाम की हैं पर आज उन की जनता सुरक्षित है, सुसंस्कृत है और सुखी भी.

गौरव खन्ना और आकांक्षा चामोला 24 नवंबर को करेंगे शादी

इन दिनों टीवी इंडस्ट्री के कलाकार प्रेम विवाह को अहमियत दे रहे हैं. ऐसी ही एक शादी अब 24 नवंबर को कानपुर में होने जा रही है. जी हां! सीरियल ‘‘तेरे बिन’’ के कलाकार गौरव खन्ना अपने लंबे समय की प्रेमिका और सीरियल ‘‘स्वारांगिनी’’ में शीर्ष भूमिका निभा रही अभिनेत्री आकांक्षा चमोला के साथ 24 नवंबर को शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. गौरव खन्ना के परिवार वालों ने जो षाशादी का कार्ड बांटा है, वह काफी अनूठा है और चर्चा का विषय बना हुआ है.

इस निमंत्रण कार्ड के अनुसार यह षादी 24 नवंबर को कानपुर में संपन्न होगी. पर उससे पहले  23 नवंबर को सगाई, संगीत सेरेमनी के साथ साथ एक रिसेप्शन पार्टी का आयोजन किया गया है. 24 नवंबर को पंजाबी रीति रिवाजों के साथ शादी होगी. उसके बाद 25 नवंबर को माता की चौकी का आयोजन किया गया है. आकांक्षा चमोला का दावा है कि शादी के मौके पर पहनने के लिए सारी पोशाकें दोनों ने एक साथ मिलकर खरीदी हैं.

इस शादी को लेकर गौरव खन्ना कहते है-‘‘मेरी जिंदगी में तमाम खूबसूरत लड़कियां आयीं. मैंने तमाम लड़कियों के साथ काम किया. पर आकांक्षा से मिलते ही मुझे लगा था कि इनमें कुछ अलग बात है. पहली ही मुलाकात में मुझे अहसास हुआ कि मैं इनके साथ पूरी जिदंगी बिता सकता हूं. इसीलिए हम शादी कर रहे हैं. आकांक्षा और मुझमें बहुत समानताएं हैं. हां! मैं थोड़ा संकोची किस्म का इंसान हूं. पर वह सामाजिक इंसान हैं.’’

आकांक्षा कहती हैं-‘‘हम दोनों ही सीरियल की शूटिंग में काफी व्यस्त हैं. पर हमने अपनी शादी के लिए बीस दिन की छुट्टी ली है. इन बीस दिनों में ही शादी की तौयारियां, शादी के समारोह के साथ साथ शादी के बाद कुछ रिश्तेदारों से मिलने जाने वाले हैं. पर हनीमून पर जाने का अभी कोई इरादा नहीं है. क्योंकि हम दोनों बहुत व्यस्त हैं और बीस दिन से ज्यादा की छुट्टी नही मिल सकती थी.

अभिषेक बच्चन का करियर संवारेंगे मिलाप झवेरी

एक बहुत पुरानी कहावत है- ‘‘भगवान ने मिलायी जोड़ी, एक अंधा और एक कोढ़ी’’.’’ बौलीवुड में लोग इस कहावत को तब से गुनगुना रहे हैं, जब से खबर मिली है कि अब अभिषेक बच्चन के करियर को मिलाप झवेरी संवारेंगे.      

अभिषेक बच्चन का अभिनय करियर लगभग डूबा हुआ है. उनकी पिछली कई फिल्में लगातार असफल होती रही हैं. आज की तारीख में उनके पास कोई काम नहीं है. तो दूसरी तरफ मिलाप झवेरी द्वारा लिखित तथा निर्देशिसत ‘‘मस्तीजादे’’ और उनके द्वारा लिखित ‘‘द ग्रेट ग्रैंड मस्ती’’ जैसी घटिया एडल्ट सेक्स कामेडी वाली फिल्में बाक्स आफिस पर बुरी तरह से मात खा चुकी हैं. और अब यह दोनों एक दूसरे का सहारा बनने जा रहे हैं. इसी के चलते लोग ‘‘भगवान ने मिलायी जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी..’’ गुनगुना रहे हैं. मगर इसे गुनगुनाने वाले लोगों को कुछ लोग जवाब भी दे रहे हैं कि फिल्में असफल होती है, कलाकार या निर्देशक असफल नहीं होता.

सूत्रों की माने तो अभिषेक बच्चन के डूबते करियर को फिर से उभारने का बीड़ा अभिषेक बच्चन के खास दोस्त बंटी वालिया ने उठाया है. बंटी वालिया, अभिषेक के लिए फिल्म का निर्माण करने जा रहे हैं. सूत्रों का दावा है कि अभिषेक बच्चन के अभिनय वाली इस फिल्म की पटकथा तैयार नहीं है. इस फिल्म के लिए पटकथा लेखक व निर्देशक की बंटी वालिया को लंबे समय से तलाश थी. पर बालीवुड में उन्हें कोई निर्देशक मिला नहीं, जो अभिषेक की फिल्म को निर्देशित करने के लिए तैयार हो सके. बड़ी मुश्किल से मिलाप झवेरी तैयार हुए हैं. तो अब मिलाप अभिषेक बच्चन को ध्यान में रखकर फिल्म की पटकथा लिखने जा रहे हैं, जिसका निर्देशन वही करेंगे. फिल्म के निर्माता होंगे बंटी वालिया. पटकथा पूरी होने के बाद फिल्म की नायिका का चयन किया जाएगा.

यह फिल्म पूरी तरह से एक्शन ड्रामा वाली फिल्म होगी, जो कि अभिषेक बच्चन और मिलाप झवेरी दोनों के लिए एक नया अनुभव होगा. अब तक अभिषेक बच्चन व मिलाप झवेरी ने इस तरह की कोई फिल्म नहीं की है.

बच्चन परिवार की यह बेरुखी

अमिताभ बच्चन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अमूमन वह हर कलाकार की फिल्म के प्रदर्शन से पहले अपने ट्विटर, ब्लाग व फेसबुक पर उस कलाकार की तारीफों के पुल बांधते रहते हैं. हर फिल्म के प्रदर्शन से पहले आयोजित होने वाले शो व फिल्म के प्रीमियर पर सपरिवार पहुंचते हैं. फिल्म देखकर उस फिल्म की तारीफ में जो कुछ भी कह सकते हैं, वह कहते रहते हैं. मगर उनका अपनी बहू ऐश्वर्या राय बच्चन की फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ को लेकर चुप रहना हर किसी के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है. अब तक उन्होंने इस फिल्म के किसी गाने, ट्रेलर या ऐश्वर्या राय बच्चन के अभिनय को लेकर भी अपने ट्विटर, ब्लाग या फेसबुक पर कुछ भी नहीं लिखा.

इतना ही नहीं करण जोहर ने सोमवार को अपनी फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’ का एक खास शो आयोजित किया, जिसमें रणबीर कपूर के पिता ऋषि कपूर सहित पूरे कपूर परिवार के साथ साथ अनुष्का शर्मा का पूरा परिवार मौजूद था. लेकिन इस शो में अमिताभ बच्चन के परिवार से कोई नहीं पहुंचा. यहां तक कि इस फिल्म में अभिनय करने वाली ऐश्वर्या राय बच्चन भी नहीं पहुंची. हर कलाकार की फिल्म देखने पहुंचने वाला बच्चन परिवार अपने ही परिवार की सदस्य की फिल्म के समय नामौजूद रहा. इससे बौलीवुड से जुड़े लोग आश्चर्यचकित हैं तथा बौलीवुड में अटकलों का बाजार गर्म हो चुका है.

बौलीवुड में अटकलें गर्म हैं कि  क्या अमितभ बच्चन और करण जोहर के संबंध बिगड़ चुके हैं? क्या करण जोहर और ऐश्वर्या राय के बीच तलवारे खिंच गयी हैं? बौलीवुड के बिचौलियों का मानना है कि अमिताभ बच्चन अब तक करण जोहर को अपना पारिवारिक सदस्य मानते रहे  हैं. लेकिन जिस तरह से करण जोहर ने फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में उनकी बहू ऐश्वर्या राय बच्चन और रणबीर कपूर के उपर अति बोल्ड व गर्मागर्म अंतरंग दृश्यों को फिल्माया है, उससे अमिताभ बच्चन नाराज हैं. सूत्रों का मानना है कि अमिताभ बच्चन को करण जोहर से ऐसी उम्मीद नहीं थी. इसी के चलते बच्चन परिवार ने ‘ऐ दिल है मुश्किल’ से किनारा कर लिया है. वैसे जिन दृश्यों को लेकर अमिताभ बच्चन को आपत्ति थी, उन चार दृश्यों पर सेंसर बोर्ड ने कैंची चलवाकर छोटा कर दिया है.

तो दूसरी तरफ बौलीवुड में यह चर्चा भी गर्म है कि जब से ऐश्वर्या को इस बात की जानकारी हुई है कि फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ में उनका किरदार अनुष्का शर्मा के मुकाबले काफी छोटा है, तब से वह करण जोहर से नाराज हैं. इसी नाराजगी के परिणाम स्वरूप बच्चन परिवार ने फिल्म के खास शो का बहिष्कार किया.

जबकि बौलीवुड का एक तबका अमिताभ बच्चन के इस रवैए को फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान की मौजूदगी से जोड़कर देख रहा है. इन लोगों का मानना है कि अमिताभ बच्चन अपने आपको सबसे बड़ा देशभक्त मानते हैं. वह ऐसा कोई कदम उठाना पसंद नहीं करते, जो देश या देश के लोगों की भावनाओं उनके अपने प्रशंसकों की भावनाओं से मेल ना खाएं. लोगों का मानना है कि अमिताभ बच्चन को इस बात का अहसास है कि देश के लोगों में और उनके प्रशंसकों में पाकिस्तान के प्रति काफी गुस्सा है. इसी के चलते उन्होंने अपने पूरे परिवार के साथ ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के खास शो से दूरी बनाकर संकेत दे दिया है. इस तरह की सोच रखने वालों से बौलीवुड के कुछ लोग सवाल पूछ रहे हैं कि, यदि यही सच है, तो  क्या अमिताभ बच्चन के प्रशंसक भी फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ से दूरी बनाकर रखेंगे?

करण जोहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के खास शो से अमिातभ बच्चन परिवार की दूरी ने बौलीवुड में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है. पर पूरा बच्चन परिवार इस मसले पर कुछ भी कहने को तैयार नही हैं. कहीं यह भी फिल्म के प्रचार का एक हिस्सा तो नहीं है.

सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े

बेचारे राम गोपाल वर्मा..अपने असफल करियर को सही ढंग से पटरी पर लाने के लिए फिल्मकार राम गोपाल वर्मा ने इस बार काफी सोच समझकर फिल्म ‘‘सरकार 3’’ बनाने का निर्णय लिया था. इस फिल्म से जुड़े हर मसले पर निर्णय लेते समय उन्होंने काफी फूंक फूंक कर कदम रखा. वह पिछले एक सप्ताह से अपनी इस फिल्म की शूटिंग लगातार कर रहे हैं. फिल्म ‘‘सरकार 3’’ में सुभाष नागरे का किरदार निभा रहे अभिनेता अमिताभ बच्चन भी कठिन मेहनत कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार अमिताभ बच्चन ने  सुबह तीन बजे तक फिल्म ‘सरकार 3’ के लिए शूटिंग की और फिर दस बजे गाने की रिकार्डिंग के लिए भी पहुंच गए.

मगर फिल्म ‘‘सरकार 3’’ भी  अदालती पचड़े में फंस गयी है. ज्ञातब्य है कि ‘सरकार 3’ राम गोपाल वर्मा निर्देशित फिल्म ‘सरकार’ की तीसरी फ्रेंचाइजी है. बहरहाल, इसी सप्ताह फिल्म ट्रेड पत्रिकाओं में नरेंद्र हिरावत एंड कंपनी के वकीलों ने नोटिस छापकर फिल्म ‘‘सरकार 3’’ पर कापीराइट का दावा किया है. इस नोटिस में लिखा है-‘‘हमारे ग्राहक /क्लाइंट व फिल्म वितरक नरेंद्र हिरावत के पास ही इस फिल्म के मूल फिल्म के नगेटिव हैं. इस फिल्म का कापीराइट, नगेटिव्स का राइट आदि का पूर्ण स्वामित्व उन्हीं के पास है. इस फिल्म का सिक्वअल, प्रीक्वल, रीमेक सहित जो भी अधिकार हो सकते हैं, वह सारे अधिकार उन्ही के पास हैं. इसलिए इस पर ‘सरकार 3’ बनाने का हक राम गोपाल वर्मा को नहीं है.’’ इस नोटिस में लिखा है कि इस नोटिस को राम गोपाल वर्मा के अलावा फिल्म से जुड़े सभी कलाकारों को भेजी गयी है.

इतना ही नहीं नरेंद्र हीरावत ने भी कहा है-‘‘मैने सुना है कि राम गोपाल वर्मा ने ‘सरकार 3’ की शूटिंग शुरू कर दी है. यदि उन्होंने हमारी नोटिस को तवज्जो नहीं दिया, तो हम अदालत जाकर शूटिंग रोकने का आदेश लेकर आएंगे. फिल्म शुरू करने से पहले राम गोपाल वर्मा ने हमसे कोई बात भी नहीं की.’’

इस साल अमिताभ बच्चन जिन दो सिक्वअल फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं, उनमें से ‘आंखे 2’ के बाद ‘सरकार 3’ दूसरी फिल्म होगी, जो  कि अदालती पचड़े में फंसेगी.  फिल्म ‘‘सरकार 3’’ में अमिताभ बच्चन, मनोज बाजपेयी, जैकी श्राफ, यामी गौतम, अमित साध, रोनित राय व अन्य कलाकार अभिनय कर रहे हैं.

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