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हमारी कक्षा में गर्लफ्रैंड बनाना स्टेटस की बात मानी जाती है. मेरी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है. क्या करूं.

सवाल

मैं 9वीं कक्षा का स्टूडैंट हूं. हमारी कक्षा में गर्लफ्रैंड बनाना स्टेटस की बात मानी जाती है, जिस की गर्लफ्रैंड नहीं है उसे दब्बू, फट्टू जैसे नामों से बुलाया जाता है. इस से मेरा कौन्फिडैंस कम होने लगा है. मेरी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है, मैं पढ़ाई में अच्छा हूं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप दब्बू, फट्टू जैसी उपमाओं का कोई जवाब न दें, लेकिन हर हाल में अपने कौन्फिडैंस लैवल को बनाए रखें. आप शांत रहें और नहले पर दहला मारते हुए यह कहें कि सभी गर्ल्स आप की फ्रैंड हैं, आप सब की तो एकदो हैं, मेरी तो बहुत हैं. जितना चिढ़ेंगे, वे उतना ही आप को चिढ़ाएंगे, लेकिन इस वजह से खुद में हीनभावना न लाएं.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

अपरिपक्व पटकथा व निर्देशन की मिसाल है 1:13:7

बचपन से भूत प्रेत की कहानियां सुनते सुनते कुछ लोग भूत प्रेत में यकीन करना शुरू कर देते हैं. कुछ लोग इसे सुपर नेच्युरल पावर मानने लगते हैं. तो वहीं कुछ लोग दूसरो की इस यकीन का गलत फायदा उठाने का प्रयास करते हैं. यह कहानी भी ऐसे ही एक मिथ व सच की बात करती है. मगर लोगों के मन में बसे भूत प्रेत के डर का दूसरे किस तरह अपने स्वार्थ के लिए फायदा उठाते हैं, यह संदेश फिल्म में उभरकर नहीं आता.

आत्मा, भूत प्रेत आदि से युक्त हारर व रहस्यप्रधान फिल्म ‘एक तेरा सात’ कहीं से न डराती है और न ही प्रेम कहानी का अहसास कराती है..

फिल्म की कहानी राजस्थान में जोधपुर के एक राजपरिवार के इर्दगिर्द घूमती है. राजे रजवाड़े तो रहे नहीं, मगर जो पहले राजा हुआ करते थे, वह अब राजनेता बन गए हैं. ऐसे ही एक राजनेता सिंह (विश्वजीत प्रधान) हैं. उनकी अपनी संतान नही है. उन्होंने अपने भतीजे को गोद लेकर अपने बेटे कुंअर आदित्य प्रताप सिंह (शरद मल्होत्रा)के रूप में पाला है.

फिल्म शुरू होती है कुंअर आदित्य प्रताप सिंह के राज महल दरबार हाल से. उनके फूफा इसे आलीशान होटल में बदलना चाहते हैं, मगर वह ऐसा नहीं चाहता. कुंअर आदित्य प्रताप ने दरबार हाल में एक ऐसा माहौल बना रखा है, जिससे सभी को लगता है कि यहां पर भूत प्रेत बसते हैं. एक पर्यटक आता है और वह रात में मारा जाता है. उसकी जांच के लिए एक राजपूत पुलिस इंस्पेक्टर सूर्यकांत सिंह (दीप राजा राणा) आता है. पुलिस इंस्पेक्टर सूर्यकांत सिंह उसी दिन से कुंअर आदित्य का पीछा करना शुरू करता है.

कहानी धीरे धीरे खुलती है. कुंअर आदित्य प्रताप सिंह जब शिमला में पढ़ रहे होते हैं, तो वह एक दिन एक खूबसूरत लड़की कस्तूरी (रितु ददलानी) की जान बचाते हैं और वह उन्हे अपना दिल दे बैठती है. आदित्य व कस्तूरी वहीं मंदिर में शादी कर लेते हैं. जब वह वापस जोधपुर पहुंचते हैं तो एक दिन कुंअर आदित्य प्रताप की फैक्टरी में आग लग जाती है, जिसमें एक अनाथ लड़की मर जाती है, पर पहले आदित्य को लगता है कि कस्तूरी जलकर मर गयी. जबकि कस्तूरी जिंदा होती है. कस्तूरी के मरने की खबर आग की तरह फैलती है. तब इंश्योरेंस कंपनी के मैनेजर आदित्य को फोनकर दुःख प्रकट करते हुए कहते हैं कि यदि उनकी पत्नी कस्तूरी इस अग्निकांड में नही मरी होती, तो यह केस सही न माना जाता. लोग कहते कि आपने इश्योंरेंस से बीस करोड़ रूपए वसूलने के लिए खुद ही फैक्टरी में आग लगा दी. यह फोन आने के बाद आदित्य व कस्तूरी निर्णय लेते हैं. कस्तूरी दिल्ली अपने माता पिता के पास चली जाती है.

इधर आदित्य दरबार हाल में कस्तूरी की तस्वीर लगा कर भूत प्रेत के वास का हल्ला मचा देता है. आदित्य को बीस करोड़ रूपये का इंतजार है. इस बीच आदित्य की अमरीका में रहने वाली दोस्त सोनाली (मेलानी नजरथ) आती है. वह सोनाली को भी परेशान करना शुरू करता है. सोनाली उसका पीछा नही छोड़ती, तो वह उससे कहता है कि वह दिल्ली चलकर रहे. वह अमावस्या को पंडित की सलाह पर एक हवन करके कस्तूरी की आत्मा को शांति दिलाकर उसके पास आएगा. हवन करने के बाद आदित्य व सोनाली एक साथ दिल्ली में रहना शुरू करते हैं, जहां उसे एक दिन निकिता (रितु ददलानी) मिलती है, आदित्य उसे कस्तूरी कहता है, धीरे धीरे आदित्य, सोनाली को यकीन दिला देता है कि आदित्य कस्तूरी के प्यार में पागल है और वह उसे छोड़कर अमरीका वापस  लौट जाती है.

जब वह इंश्योंरेस कंपनी में मैनेजर बनकर भारत आती है, तो बिना किसी जांच के वह आदित्य को बीस करोड़ रूपए देकर अपनी दोस्ती निभाती है. इंश्योंरेंस से बीस करोड़ रूपए मिलते ही कुंअर आदित्य, निकिता का अपहरण का नाटक कर दरबार हाल पहुंच जाता है. जहां आदित्य के नौकर उसका कस्तूरी महारानी के रूप में स्वागत करते हैं. वहां पर पुलिस इंस्पेक्टर सूर्यकांत सिंह आकर कहता है कि उसे सच पता है. और वह उसे गिरफ्तार करने आया है. पर गिरफ्तारी से बचने के लिए आदित्य, इंस्पेक्टर के घर पर पांच करोड़ रूपए पहुंचाने के लिए राजी हो जाता है. उसके बाद राज खुलता है कि इंस्पेक्टर तो मर चुका है. इंस्पेक्टर अपनी पत्नी व बच्चों को भूख से मरते नही देख सकता था, इसलिए वह उन्हे पैसा दिलाना चाहता था. इंस्पक्टर की आत्मा का संकेत पाकर आदित्य अपने फूफा की हत्या कर देता है.

फिल्म के लेखक व निर्देशक अरशद सिद्दिकी का पहला प्रयास समझकर उनकी गलतियों को भले ही नजरंदाज कर दे, अन्यथा यह अपरिपक्व पटकथा व अपरिपक्व निर्देशक की फिल्म है. कुछ दृश्य काफी अच्छे बन पड़े हैं. फिल्म का इंटरवल से पहले का हिस्सा काफी धीमी गति से आगे बढ़ता है. इंटरवल के बाद कई घटनाक्रम घटित होते हैं और सच सामने आता है. फिल्म में प्रेम कहानी उभर नहीं पाती. पटकथा में तमाम कमियां हैं. संवाद भी आकर्षित नहीं करते. फिल्म का संगीत तो बहुत ही बेकार है. मगर फिल्म दर्शकों को बांधकर नहीं रखती. कई दृश्यों में हंसी आती है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो शरद मल्होत्रा ने काफी निराश किया. जबकि इस किरदार में उनके लिए अभिनय प्रतिभा को दिखाने के काफी मौके थे, पर हो सकता है कि पटकथा लेखक की गलती व उनके चरित्र चित्रण की कमियों ने उन्हे बांध दिया हो. दीपराजा राणा हर फिल्म में एक जैसी ही चाल ढाल में नजर आते हैं. रितु ददलानी, खूबसूरत जरुर लगी मगर बहुत उम्मीदें नहीं बंधाती हैं.

वी नजरथ, प्रदीप के शर्मा और आइफा स्टूडियो निर्मित फिल्म ‘‘1:13:7’’के लेखक व निर्देशक अरशद सिद्दिकी, संवाद लेखक बाबी खान, संगीतकार सुनील सिंह, लियाकत अजमेरी व अली पिकू तथा कलाकार हैं – शरद मल्होत्रा, रितु ददलानी, मेलानी नजरथ, विश्वजीत प्रधान, दीपराज राणा व अन्य.

‘हिंदी मीडियम’ को लेकर किसने उड़ायी गलत खबर?

उड़ी आतंकवादी हमले के बाद से भारतीय फिल्मों में पाक कलाकारों के अभिनय करने पर बैन की मांग के साथ ही नित नए विवाद व खबरें सामने आ रही हैं.

अभी दो तीन दिन पहले ही कई अंग्रेजी व कुछ हिंदी अखबारों में प्रमुखता के साथ खबर छपी थी कि साकेत चौधरी के निर्देशन में बनने वाली फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ का निर्माण फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. दिनेश वीजन और भूषण कुमार द्वारा संयुक्त रूप से बनायी जा रही इस फिल्म में इरफान खान के साथ ही पाकिस्तानी अभिनेत्री सबा कमर अभिनय कर रही हैं. इस हास्य फिल्म की कहानी दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले दंपति की है. फिल्म में इरफान की पत्नी के किरदार में सबा कमर हैं.

पाकिस्तानी अभिनेत्री सबा कमर ‘‘मंटो’’ और ‘‘लाहौर से आगे’’ जैसी पाकिस्तानी फिल्मों के अलावा कुछ पाकिस्तानी सीरियलों में अभिनय कर चुकी हैं. ‘हिंदी मीडियम’ उनकी पहली बौलीवुड फिल्म है.

मजेदार बात यह है कि एक बड़े अंग्रेजी अखबार ने तो दो दिन पहले पृष्ठ पर फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ की शूटिंग स्थगित होने की खबर के साथ यह भी लिखा कि ‘‘हिंदी मीडियम’’ की शूटिंग न होने पर जो तारीखें अब खाली हुई हैं, उन तारीखों में इरफान खान किसी अन्य फिल्म की शूटिंग करने की बजाय उन दिनों को अपने परिवार के साथ बिताने के अलावा पढ़ने लिखने में बिताएंगे. इस अखबार ने लिखा है कि इरफान अपनी हौलीवुड फिल्म ‘‘इंफॅर्नो’’ के प्रदर्शन के बाद सबसे पहले ‘‘हिंदी मीडियम’’ की शूटिंग करने वाले थे, लेकिन अब यह फिल्म अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गयी है.

पर हमें इस खबर पर यकीन नहीं हुआ. क्योंकि सबा कमर व इरफान की फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ का फस्ट लुक ट्रेलर तो 27 मई को ‘‘यूट्यूब’’ पर भी आ गया था. इसलिए हमने सच जानने का प्रयास किया, तो ‘‘सरिता’’ पत्रिका को पता चला कि सारे भारतीय अखबार गलत खबर ही छाप रहे हैं. हकीकत में तो सबा कमर व इरफान के अभिनय से सजी साकेत चौधरी की फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ की शूटिंग तो सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में ही पूरी हो गयी थी.

इतना ही नहीं हमने तथ्यों को पुख्ता करने के लिए जब इरफान के निजी पी आर से संपर्क किया, तो अभिनेता इरफान के पी आर  ने 19 अक्टूबर को एसएमएस भेजकर हमारी खबर की पुष्टि की. इरफान के पी आर ने एसएमएस में लिखा-‘‘जी हां! फिल्म दो सप्ताह पहले ही पूरी हो गयी है.’’

इरफान खान के अधिकृत प्रवक्ता के में कहा गया है-‘‘इससे संबंधित सभी खबरें झूठी हैं. इरफान ने इस फिल्म की शूटिंग पहले ही पूरी कर ली है. इरफान इस वक्त तनूजा चंद्रा और होमी अडजानिया के साथ अपनी अगली फिल्मों को पूरा कराने पर ध्यान दे रहे हैं. जहां तक उनकी किसी फिल्म के स्थगित होने का सवाल है, तो यह सच नहीं है. उन्होंने अपनी सभी फिल्मों की शूटिंग पूरी कर दी है. किसी भी फिल्म का एक भी शिड्यूल अधूरा नहीं है.’’

वैसे फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ को लेकर फिल्म के निर्माताद्वय दिनेश वीजन व भूषण कुमार तथा निर्देशक साकेत चौधरी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं. हमने इस फिल्म को लेकर इरफान का पक्ष जानने के लिए इरफान खान को ‘ईमेल’ भेजा, पर यह समाचार लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं मिला.

यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ की शूटिंग पूरी हो चुकी है, तो फिर इस फिल्म को लेकर जो खबरे छपी, उनका औचित्य या मकसद क्या है? जबकि फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ के प्रदर्शन की तारीख अभी तक नहीं है.

पाकिस्तान में नहीं नजर आएंगे भारतीय टीवी चैनल

बौलीवुड में पाक कलाकारों के बैन के मसले पर बौलीवुड दो खेमों में बंट गया. बौलीवुड की एक संस्था ‘इम्पा’ ने पाक कलाकारों के बौलीवुड फिल्मों में अभिनय करने पर बैन लगाने की बात की, तो उसका भी बौलीवुड से जुड़े कुछ लोगों के अलावा दूसरी बौलीवुड की ही दूसरी संस्था ‘गिल्ड’ ने विरोध किया.

मगर अब पाकिस्तान ने बौलीवुड के इस खेमेबाजी को आइना दिखा दिया. पाकिस्तानी अखबार ‘डान’ की वेबसाइट पर 19 अक्टूबर की शाम सात बजे पोस्ट हुई खबर में कहा गया है कि पाकिस्तान में 21 अक्टूबर की दोपहर तीन बजे के बाद एक भी भारतीय टीवी चैनल नहीं दिखाई पड़ेंगे.

‘‘पाकिस्तान इलेट्रानिक मीडिया रेग्यूलेटरी अथारटी’’ यानी कि ‘पेमरा’ ने बुधवार 19 अक्टूबर को बैठक कर समस्त भारतीय चैनलों के पाकिस्तान में प्रसारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का एकमत से फैसला लिया. ‘डान’ की वेबसाइट के अनुसार ‘पेमरा’ ने अपनी बैठक के बाद मीडिया को बयान जारी कर यह जानकारी दी. वास्तव में पाकिस्तान की सरकार ने ‘पेमरा’ को भारतीय टीवी चैनल बैन करने की सलाह दी थी.

‘‘पेमरा’’ के बयान मे कहा गया है- ‘‘पाकिस्तान में भारतीय चैनलों पर बैन 21 अक्टूबर की दोपहर तीन बजे से प्रभावी होगा. यदि किसी रेडियो स्टेषशन या टीवी चैनल ने इसका उल्लंघन किया, तो उसे कारण बताओ नोटिस दिए बगैर तत्काल प्रभाव से उसका लायसेंस निलंबित कर दिया जाएगा. यह बैन केबल व रेडियो पर भी भारती कंटेंट/सामग्री के प्रसारण पर लागू होगा.उल्लंघन करने वाले पर कानून के तहत कारवाही की जाएगी.’’

पेमरा के बयान में आगे कहा गया है-‘‘सरकारी नियंत्रण वाली अथारिटी पेमरा ने परवेज मुशर्रफ द्वारा भारत को एक तरफा दिए गए अधिकार भी रद्द करता है.’’

ज्ञातब्य है कि उड़ी पर आतंकवादी हमले के बाद से भारत व पाक के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है. जिसके चलते पाकिस्तान में ‘पेमरा’ ने यह निर्णय लिया है. उधर भारत सरकार के एक अधिकारी ने कुछ दिन पहले ही स्पष्ट किया था कि पाक कलाकारों के वीजा रद्द करने के बारे में सरकार विचार नहीं कर रही है.

आमिर खानः आप तो ऐसे न थे

बौलीवुड के समस्त कलाकारों, फिल्म सर्जकों व तकनीशियनों में से अभिनेता आमिर खान की अपनी एक अलग पहचान है. वह हमेशा स्पष्ट रूप से अपनी बात बिना किसी हिचक के कहते आए हैं. इतना ही नहीं टीवी कार्यक्रम ‘‘सत्यमेव जयते’’ की वजह से आमिर खान की अपनी एक अलग पहचान बनी है. आमिर खान की गिनती ‘मीडिया फ्रेंडली’ कलाकारों में की जाती है. वह जब भी पत्रकारों से मिलते हैं, तो बड़ी बेबाकी से खुलकर बात करते हैं.

अब तक आमिर खान की आदत रही है कि वह अपनी हर फिल्म के प्रदर्शन से कई माह पहले से उस फिल्म को लेकर पत्रकारों से एक बार नहीं कई बार मिलते थे. आमिर खान की आदत रही है कि वह अपनी फिल्म के गानों को एक एक कर कई बार में बाजार में लाते थे. हर गाने को बाजार में लाते समय वह एक कार्यक्रम आयोजित करते थे और उस गाने को पत्रकारों को दिखाकर उस गाने को लेकर पत्रकारों से बात करते थे. इसी तरह वह अपनी फिल्म के हर ट्रेलर को लांच करते समय भी पत्रकारों को ट्रेलर दिखाकर उस ट्रेलर को लेकर बातें करते थे.

लेकिन अचानक आमिर खान ने अपनी इस आदत को हाशिए पर ढकेलते हुए अपनी नई फिल्म ‘‘दंगल’’ के नए ट्रेलर को इंटरनेट, यूट्यूब व सोशल मीडिया पर  रिलीज कर दिया. बिना किसी शोरशराबे के चुपचाप टीवी चैनलों के दफ्तरों में फिल्म ‘दंगल’ का ट्रेलर पहुंचा दिया गया. इस बार ट्रेलर लांच करने के लिए आयोजित कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया और किसी पत्रकार से नहीं मिले. आखिर आमिर खान को इस तरह का कदम उठाने की जरुरत क्यों पड़ी? जबकि आमिर खान ने जुलाई माह में मुंबई के एक पांच सितारा होटल में एक भव्य समारोह का आयोजन कर पत्रकारों की भीड़ के बीच अपनी फिल्म ‘‘दंगल’’ का पोस्टर लांच किया था. उस वक्त आमिर खान ने पत्रकारों से कई घंटे बात की थी.

इस सवाल का जवाब तलाश करते हुए जब हमने आमिर खान के कुछ करीबियों से बात की, तो पता चला कि इन दिनों आमिर खान काफी डरे हुए हैं. आमिर खान को भी एक अदद सफल फिल्म की सख्त जरुरत है. आमिर खान नहीं चाहते कि उनके किसी बयान की वजह से वह विवादों में फंसे, जिसका खामियाजा फिल्म ‘‘दंगल’’ को भुगतना पड़े.

आमिर खान के एक अति नजदीकी सूत्र की माने तो इन दिनों बौलीवुड व पूरे देश में पाक कलाकारों का मुद्दा हावी है. उधर पाकिस्तानी सरकार द्वारा पाक में भारतीय टीवी चैनलों को बैन किए जाने का मुद्दा भी गरमा गया है. तो आमिर खान इस बात से डर गए कि कहीं ट्रेलर लांच में पत्रकारो ने उनसे पाक कलाकारों को बैन करने पर सवाल कर दिया, तो वह क्या जवाब देंगे. उन्होंने जो भी जवाब दिया, उसको लेकर कोई नया विवाद खड़ा हो गया, तो उनकी फिल्म ‘‘दंगल’’ के रिलीज पर सवालिया निशान खड़ा हो जाएगा. इसी डर की वजह से उन्होने ट्रेलर लांच के कार्यक्रम को रद्द कर दिया.

आमिर खान से जुड़े सूत्र कहते हैं कि आमिर खान के लिए ‘दंगल’ बहुत बड़ी फिल्म है और वह इस फिल्म पर किसी भी विवाद की छाया नहीं पड़ने देना चाहते. इसलिए वह पत्रकारों से दूरी बनाकर चल रहे हैं.

असहिष्णुता, राजनीति व सामाजिक सहित हर मुद्दे पर खुलकर राय देने वाले, अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाले आमिर खान पाक कलाकारों के मसले पर अपनी स्पष्ट राय देने की बजाय छिप क्यों रहे है? सबसे बड़ा सवाल है कि इस तरह आमिर खान पत्रकारों व मीडिया से कब तक मुंह छिपाए रहेंगे?

GST रेट पर नहीं बन सकी सहमति

जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के दूसरे दिन टैक्स की रेट पर फैसला नहीं हो पाया. आम सहमति नहीं बन पाने के कारण फैसला टाल दिया गया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीटिंग के बाद कहा, 'जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 3-4 नवंबर को होगी, जिसमें टैक्‍स रेट का औपचारिक एलान होगा.' जीएसटी काउंसिल की यह तीसरी मीटिंग थी. टैक्‍स रेट पर सहमति बन गई तो 9-10 नवंबर को भी काउंसिल की दोबारा मीटिंग होगी.

राज्‍यों के मुआवजे पर आम सहमति

– जेटली ने कहा, ‘राज्‍यों के मुआवजे के लिए फंड पर चर्चा हुई. इस पर लगभग आम सहमति बन गई है. अगली मीटिंग में इसका एलान करेंगे.’

– जेटली ने कहा, ‘मुआवजे के लिए फंड कहां से आएगा, इस पर भी चर्चा की गई. राज्‍यों के मुआवजे के लिए 2015-16 को आधार बनाया गया है.’

मीटिंग के पहले दिन क्‍या हुआ?

– जीएसटी काउंसिल मीटिंग के पहले दिन मंगलवार को रेट पर 4 टियर स्ट्रक्चर का प्रपोजल केंद्र सरकार ने सौंपा. जिसमें 4 से 26 फीसदी के बीच चार टैक्स स्लैब बनाने का प्रपोजल है.

– जीएसटी काउंसिल को 5 रेट स्ट्रक्चर के भी प्रपोजल मिले थे, जिस पर जिस पर बुधवार को अंतिम फैसला होना था.

इन पर भी बनी सहमति

– जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के पहले दिन राज्यों को मिलने वाले हर्जाने के फॉर्मूल और उसके डेफिनिशन पर सहमति बन गई है.

– काउंसिल ने यह भी तय किया कि रेवेन्यू लॉस की भरपाई के लिए सेस भी लगाया जा सकता है.

– इसके अलावा सरकार ने यह भी संकेत दे दिए हैं कि रेट तय करने में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि आम आदमी पर महंगाई का बोझ न पड़े.

जीएसटी रेट को लेकर कहां है असहमति?

– बीते साल चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यन की अगुवाई वाले एक पैनल ने बल्क गुड्स और सर्विसेज के लिए 17-18 फीसदी स्टैंडर्ड रेट रखने का सुझाव दिया था.

– वहीं पैनल ने गुड्स के लिए लो रेट 12 फीसदी और लग्जरी कार, एयरेटेड बेवरेजिस, पान मसाला और तंबाकू आदि पर अधिकतम 40 फीसदी टैक्स लगाने की सिफारिश की थी.

– महंगी धातुओं पर 2-6 फीसदी के दायरे में टैक्स रखने की सिफारिश की गई थी. कांग्रेस 18 फीसदी रेट रखने पर जोर दे रही है.

जीएसटी से नहीं बढ़ेगी महंगाई

जेटली के मुताबिक, जीएसटी के लिए जो रेट तय किए जाएंगे, उसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा, कि उसका असर महंगाई बढ़ाने के रूप में न हो. इसके पहले सीईए अरविरंद सुब्रमण्यन कमेटी मोटे तौर पर 2 से 40 फीसदी के बीच का जीएसटी स्लैब रेट प्रपोजल किया है. मीटिंग के बाद जेटली ने यह भी कहा कि इसके अलावा 11 राज्य जो भौगोलिक रूप से डिसएडवाटेंज की स्थिति में हैं उन्हें भी रेवेन्यू के दायरे में लाया जाएगा. यानी रेवेन्यू डेफिनिशन में शामिल किया जाएगा.

विशाखापत्तनम वनडे पर मंडरा रहे खतरे के बादल

भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेली जा रही पांच वनडे मैचों की सीरीज का आखिरी मैच वाइजैग स्टेडियम से छिन सकता है. विशाखापत्तनम की पिच पर नमी अधिक है, इस कारण यह पिच क्रिकेट के मुफीद नहीं है. इस सीजन में विशाखापत्तनम में बारिश खूब हुई है, जिससे पिच पर नमी बढ़ गई है और यह नमी पांचवें वनडे तक सूखने वाली नहीं है.

हाल ही में असम और राजस्थान के बीच यहां हुए रणजी ट्रॉफी मैच में पिच की बेरुखी साफ देखने को मिली थी. जब दोनों टीमें इस मैदान पर मैच खेल रही थीं, तो मैच के तीसरे दिन में यहां 17 विकेट गिर गए थे.

असम के कोच सुनील जोशी ने ही सबसे पहले पिच के इस खराब व्यवहार पर ध्यान खींचा था. जोशी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि इस पिच पर कुछ गेंदें तो टखनों तक ही उछल पा रही थीं. अगले महीने यहां इंटरनैशनल मैच होना है, तब इस पिच का तैयार हो पाना मुश्किल है. जोशी ने लिखा कि पिच के इस व्यवहार के कारण ही हमारी टीम का यह मैच बुरी तरह प्रभावित हुआ.

आंध्र प्रदेश क्रिकेट असोसिएशन के सचिव जी गंगाराजू ने बताया कि इस पिच को हाल ही में तैयार किया गया है, लेकिन बारिश के कारण इसे पूरी तरह से तैयार नहीं किया जा सका. इस पिच को 4 महीने पहले बनाया गया था, लेकिन सीजन में ज्यादा बारिश के कारण इसे पूरी तरह तैयार नहीं किया जा सका. अब बीसीसीआई जल्द ही एक क्यूरेटर को पिच की जांच के लिए भेजेगी, अगर क्यूरेटर ने पिच को हरी झंडी दे दी, तब ही यहां मौजूदा सीरीज का अंतिम मैच संभव हो पाएगा.

बीसीसीआई के सचिव अजय शिर्के ने बताया कि अगर विशाखापत्तनम में मैच संभव नहीं हुआ तो हमारे पास मैच के रिजर्व स्टेडियम भी हैं. सीरीज प्लान करते हुए हम पहले से चार-पांच विकल्प तैयार रखते हैं. यह कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं होगी.

औरतों की स्वतंत्रता खतरे में

दिल्ली के एक इलाके में जहां ग्वाले टाइप के लोग रहते हैं, एक युवक ने दोस्तों के साथ मिल कर एक युवती को उसी के घर में घुस कर जला डाला, क्योंकि उस का कहना था कि युवती उस से विवाह कर ले. युवती को यह युवक 10-15 दिन से छेड़ रहा था. युवती के भाई ने युवक से बात की तो झगड़ा हो गया, जिस के बदले में दोस्तों के बल पर युवती को ही जला डाला गया.

देश में ही नहीं, विदेशों में भी युवतियां युवकों की इस तरह की जबरदस्ती आज 21वीं सदी में भी सह रही हैं. यह आदमखोर व्यसन कि जो औरत दिखे उसे बलपूर्वक छीन लो, अगवा कर लो, उस का बलात्कार कर लो, सदियों से चल रहा है. हमारा देश तो विलक्षण है, क्योंकि हमारे यहां पौराणिक ग्रंथों को रस ले कर सुनाया जाता है जिन में देवीदेवता या उन के समकक्ष राजा जबरन अपहरण कर के युवतियों को उठा ले जाते थे.

ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया भर में आज भी चल रही है और जिस युवती को उठा लिया जाता है उसे इतनी यातना दी जाती है, उस का बलात्कार इतनी बार किया जाता है कि वह अपना आत्मसम्मान खो बैठती है और अपने मातापिता या पति का घर मालूम होते हुए भी उन के पास वापस जाने की हिम्मत नहीं करती कि उसे अपनाया नहीं जाएगा, दूषित समझ कर घरनिकाला दे दिया जाएगा.

ऊपर के मामले में भी ऐसी ही सोच रही होगी कि जिसे अपनी पत्नी बनाना चाहा हो, उस के साथ जोरजबरदस्ती कैसे की जा सकती है? क्या दल, बल और छल के सहारे प्यार पैदा किया जा सकता है? दुनिया के पुरुषों में यह धारणा बैठी हुई है कि यह संभव है और यही दिल्ली के भलस्वा डेरी इलाके में हुए कांड में हुआ. युवक युवती की रजामंदी का इंतजार नहीं करते, इनकार सुनते नहीं.

इस मामले में युवा 16 युवकों को ले कर युवती के घर में घुस गया. यह कैसा समाज है जहां 16 युवक बजाय कानून और सामाजिक व्यवहार का पाठ पढ़ाने के अपराध में शामिल हो रहे हैं और संकरी गलियों में बसे इलाके वाले लोग तमाशबीन बने रहते हैं.

अफसोस यह है कि आज भी युवती का इनकार कोई माने नहीं रखता, क्योंकि सामाजिक नियम उसे बताते हैं कि पैदा होते ही वह पिता, भाई, चाचा और पुरुषों की सुने. उसे रोज घरों में पुरुषों का स्त्रियों पर अत्याचार दिखता है. वह जानती है, उस पर न जाने किसकिस का हाथ उठ जाए, किसकिस के व्यंग्यबाण उसे छलनी कर जाएं, कौन लक्ष्मण उस की नाक काट जाए और फिर भी अपराध न कहलाए.

औरतों की स्वतंत्रता लोकतंत्र की भावना के बावजूद अभी बहुत पीछे है. लोकतंत्र में तो अभी पूरी तरह पैर जमाने का हक भी नहीं मिला है. युवतियों के लिए इस तरह के मामले चुनौती हैं. उन्होंने दिखाना है कि आज के तकनीकी युग में तो जेंडर भेदभाव चल ही नहीं सकता पर उस की लड़ाई उन्हें लड़नी पड़ेगी. आजादी लड़ कर मिलती है, तश्तरी में परोसी नहीं जाती.

कश्मीर, सेना और सरकार

कश्मीर की समस्या का समाधान क्या सेना निकाल सकती है? हमारे लिये यह सवाल है, मगर केंद्र की मोदी सरकार इस निर्णय पर पहुंच चुकी है, कि हथियारों के साथ वार्ता ही समस्या का समाधान है.

गोलियां दागे, पैलट गन का उपयोग करे, कर्फ्यू हो और वार्ताओं की पेशकश भी हो और यह हिदायतें भी हों, कि जनाब, संभल कर बात करें, हम घुस कर मारते भी हैं. ‘घुस कर मारने‘ को सरकार अपनी ऐसी उपलब्धि समझ रही है, जिसमें सेना की बेबाक स्थिति है.

आप सवाल नहीं कर सकते. यह देश और सेना की भावनाओं के खिलाफ है.

अंजाने ही, या सोच समझ कर, आप यह कह रहे हैं, कि देश और सेना एक है. सरकार की सोच यह है, कि दोनों पर उसकी पकड़ है, इसलिये राजनीतिक हितों को साधने के लिये सेना को जरिया बनाना कारगर नीति है.

एक तस्वीर छपी इस खबर के साथ कि गांदरबल में सेना क्रिकेट प्रतियोगिता करा रही है. तस्वीर में दो जवान दस-बारह साल के पांच-सात लड़कों से हाथ मिला रहे थे जिन्हें खिलाड़ी कहा गया. एक बल्ला भी दिख रहा था मैदान से टिका हुआ. सेना जिला, तहसील और गांवों में ‘आवामी मुलाकात‘ का आयोजन कर रही है. विश्वास बहाली के लिये स्कूल और दुकानें खुलवायी जा रही हैं. खबर लिखने वाले ने इसे ‘मुन्ना भाई की झप्पी‘ कहा. हम क्या कहें? यह हमारी समझ से बाहर है.

हमारे खयाल से यह कश्मीर की समस्या को छोटा बनाना, गलत दिशा देना और वहां की आम जनता को धोखा देना है. हमारे खयाल से यह सेना के खतरे को बढ़ाना है.

यदि सेना की भूमिका राजनीति में बढ़ती चली जायेगी, तो आने वाले कल में सेना सरकार का उपयोग कर सकती है. वैसे भी, भारतीय लोकतंत्र के भीतर वित्तीय ताकतों ने, भाजपा और मोदी के जरिये, अपनी सरकार बना ली है, जिसमें सेना की हिस्सेदारी उनके हित में है. भारत में साम्राज्यवादी सहयोग से फासीवाद सेना को अपना सहयोगी बनाने में लगी है. जो कश्मीर या देश की किसी भी समस्या का समाधान नहीं.

 

नहीं बिका माल्या का विला

गोवा में समुद्र किनारे स्थित माल्या के पॉश विला को कोई खरीदार नहीं मिला है. बुधवार को हुई नीलामी प्रक्रिया में किसी भी खरीदार ने दिग्गज शराब कारोबारी के इस विला को खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. 19 अक्टूबर (बुधवार) को हुई नीलामी में इस विला के लिए आरक्षित मूल्य 85.29 करोड़ रुपए रखा गया है.

बैंकों ने इस विला को खरीदने की इच्छा रखने वालों के लिए 26-27 सितंबर तथा 5-6 अक्टू्बर की तारीख निरीक्षण के लिए तय की थी. इन चार दिनों में काफी सारी इकाइयों ने विला का निरीक्षण किया. विजय माल्या पर 17 बैंकों का 9000 करोड़ रुपया बकाया है.

बैंकों के कंसोर्टियम के लिए बड़ा झटका

शराब कारोबारी विजय माल्या के इस पॉश विला को कोई खरीदार न मिलना एसबीआई के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम के लिए बड़ा झटका है. बैंकों के इस कंसोर्टियम को माल्या की बंद पड़ चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से 6,963 करोड़ रुपए वसूलने हैं. इसमें अगर साल 2014 से अब तक का ब्याज और किंगफिशर से अन्य मदों में वसूले जाने वाले शुल्क को जोड़ दिया जाए तो यह रकम कुल 9,000 करोड़ रुपए बैठती है.

तीन एकड़ में फैला है माल्या का शानदार विला

विजय माल्या का यह शानदार विला तीन एकड़ में फैला है. यानी इसमें एक नहीं बल्कि फुटबॉल के तीन मैदान बनाए जा सकते हैं. माल्या का यह विला शानदार पार्टियों के लिए अक्सर चर्चा में रहता था, जिसमें बीते दिंसबर को उनके जन्मदिन पर दी गई पार्टी भी शामिल है. इस पार्टी में एनरीके एग्लियास ने परफॉर्म किया था.

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