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संकट में नीतीश कुमार : सृजन घोटाला, सरकार का मुंह काला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 18 अगस्त को सृजन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी. इस घोटाले में कई सरकारी बैंक भी लिप्त हैं. मामले में अब तक 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. 9 एफआईआर भागलपुर में और 1 सहरसा में दर्ज की गई हैं. 12 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और अब तक 1,200 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले का पता चला है. जांच में लगे अफसरों को घोटाले की रकम के और बढ़ने की आशंका हैं.

18 अगस्त को बैंक औफ बड़ौदा के सहायक मैनेजर अतुल रमण को गिरफ्तार किया गया. साल 2013 में अतुल की बहाली हुई थी. एसआईटी की टीम ने भागलपुर के परबत्ती इलाके में स्थित उस के घर से उसे उठाया.

अतुल ने एसआईटी को बताया कि वह सृजन महिला विकास समिति भागलपुर की संचालिका मनोरमा देवी के इशारों पर काम कर रहा था. उस की नौकरी नई थी, इस वजह से उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह मनोरमा देवी के निर्देशों का पालन भर कर रहा था.

अतुल पर आरोप है कि वह सरकारी रकम को सृजन के खाते में ट्रांसफर करवाने में मुख्य भूमिका अदा करता था. उस के बदले उसे मनोरमा देवी से मोटा कमीशन मिलता था.

अप्रैल महीने में उस ने तिलकामांझी खानपट्टी में रहने वाली बीबी हुजमान निगार नाम की महिला से इशाकचक थाना के बरहपुरा महल्ले में 51 लाख रुपए में एक मकान खरीदा था. अतुल की पत्नी जूली के नाम पर बैंक औफ बड़ौदा के खाते में 5 लाख 12 हजार रुपए जमा हैं. इस के अलावा तिलकामांझी के बैंक औफ इंडिया में 1 लाख रुपए समेत ततारपुर और स्टेट बैंक के सिटी ब्रांच और यूको बैंक में उस के और उस की पत्नी के नाम पर काफी रुपए जमा हैं. अतुल और उस की पत्नी के पास 10 लाख 5 हजार रुपए के गहने हैं.

अतुल ने एसआईटी के सामने कुबूल किया कि बैंक औफ बड़ौदा के सीनियर मैनेजर वरुण कुमार सिन्हा और रिटायर सहायक संत कुमार सिन्हा बैंक के सरकारी खातों को देखते थे और वही दोनों सृजन के खाते में रुपए ट्रांसफर करते थे.

अतुल का दावा है कि सरकारी खातों में कई गड़बडि़यां देख कर उस ने वरुण कुमार सिन्हा से इस की शिकायत की थी तो कहा गया कि खातों को देखने का काम उस का नहीं है. जैसा कहा जाता है, वैसा करते रहो. अतुल ने घोटाले में बैंक के पूर्व मैनेजर जी पी पांडा, सरफराउद्दीन, अरुण कुमार सिंह, इंडियन बैंक के अजय कुमार पांडे, मनोरमा देवी का ड्राइवर अंसार और वंशीधर समेत कई नामों का खुलासा किया है.

सृजन की सचिव प्रिया कुमार और उस के पति अमित कुमार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस पटना, दिल्ली, रांची और बेंगलुरु में छापामारी कर रही है. मनोरमा देवी की बहू प्रिया कुमार रांची के एक बड़े कांग्रेसी नेता की बेटी है. उस नेता का एक रिश्तेदार केंद्र सरकार में मंत्री भी है. केंद्र में उन के मंत्री रहते हुए सृजन को केंद्र सरकार की कई योजनाएं मिली थीं. पुलिस इस की भी छानबीन कर रही है. मनोरमा के बेटे अमित कुमार के बारे में पुलिस को जानकारी मिली है कि दिल्ली में अमित कोई कार्यक्रम करता तो केंद्रीय मंत्री उस में शामिल होते थे.

सृजन घोटाले की किंगपिन मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और उस की पत्नी प्रिया पुलिस को लगातार चकमा देने में कामयाब रहे हैं. दोनों अपने करीबियों से फोन के बजाय व्हाट्सऐप से बातें कर रहे हैं, जिस से पुलिस को उन का लिंक नहीं मिल रहा है. बिहार पुलिस के अनुरोध पर अमित और प्रिया के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है. हैरत की बात यह है कि पद्म सम्मान के लिए भी मनोरमा देवी दावा कर चुकी थी. 1,200 करोड़ रुपए के महाघोटाले की मास्टरमाइंड और सृजन की संस्थापिका मनोरमा ने वर्ष 2016 के पद्म सम्मान के लिए गृह मंत्रालय को आवेदन भेजा था. 13 फरवरी, 2017  को मनोरमा की मौत हो गई. सृजन एनजीओ को बनाना और उस से 6 हजार महिलाओं को जोड़ कर उन्हें स्वरोजगार मुहैया कराने का आधार बना कर आवेदन किया गया था.bihar politics

घोटाले का खेल

सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम के एनजीओ के जरिए घोटाले का खेल साल 2006-07 में ही शुरू हो चुका था. घोटाले से परदा हटने में करीब 10 वर्ष लग गए और घोटालेबाज चांदी काटते रहे. भागलपुर जिला प्रशासन को विभिन्न योजनाओं की रकम सरकार द्वारा भेजी जाती थी. भागलपुर जिला प्रशासन के बैंक खातों में पहुंची रकम को प्रशासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के लिए खोले गए सरकारी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था. घोटाले की नींव वहीं से पड़ी.

अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर से इन बैंकों के खातों से रुपए सृजन के खातों में ट्रांसफर कर दिए जाते थे. एनजीओ द्वारा रुपयों को बाजार में ब्याज पर लगाया जाता था. जब किसी योजना के लिए राशि की निकासी का चैक जारी होता तो उतना रुपया एनजीओ द्वारा संबंधित खाते में डाल दिया जाता था. यह खेल पिछले 10-11 सालों से चल रहा था.

एनजीओ की संचालिका मनोरमा देवी की फरवरी 2017 में मौत हो गई. उस के बाद सरकार द्वारा लाभार्थियों को देने वाले चैक बाउंस होने लगे. जांच में पता चला कि सरकारी खातों में तो रुपए हैं ही नहीं, जबकि बैंक स्टेटमैंट में रुपया होने की बात कही जाती थी. मनोरमा देवी की मौत के बाद खेल बिगड़ गया और सारे मामले का खुलासा होने लगा. जांच में पाया गया है कि भागलपुर सैंट्रल कोऔपरेटिव बैंक का इंडियन बैंक के खाते में रखे 30 करोड़ 17 लाख 52 हजार रुपए और बैंक औफ बड़ौदा में रखे 17 करोड़ 94 लाख 85 हजार रुपए गायब हैं. दोनों बैंकों के स्टेटमैंट में तो रुपया दिखा रखा है, लेकिन खाते से रुपया गायब है.

एडीजी (हैडक्वार्टर) संजीव कुमार सिंघल ने बताया, ‘‘मनोरमा देवी की मौत के बाद सृजन से जुड़े अकाउंट डिसऔर्डर होने लगे, तो हंगामा खड़ा हो गया. जब मामले की जांच की गई तो पिछले 10 वर्षों से हो रहे घोटाले का भंडाफोड़ होने लगा.’’

बैंक और प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत से हुए इस घोटाले में दर्जनों अफसरों और सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के तमाम पदधारकों के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और फर्जी निकासी के मामले भागलपुर के तिलकामांझी थाने में दर्ज कराए गए.

एफआईआर में भागलपुर के 3 पूर्व जिलाधीशों नर्मदेश्वर लाल, संतोष कुमार मल्ल और विपिन कुमार के जाली हस्ताक्षर से बैंक प्रबंधकों द्वारा सृजन के खाते में रकम ट्रांसफर करने का आरोप लगाया गया है. नर्मदेश्वर लाल के फर्जी दस्तखत से 20 करोड़ रुपए और संतोष मल्ल व विपिन कुमार के जाली दस्तखतों से 5-5 करोड़ रुपए की निकासी की गई थीं.

आर्थिक अपराध इकाई के आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार कहते हैं, ‘‘जिला भू अर्जन विभाग और जिला नजारत के खातों से सरकारी रकम का गोलमाल हुआ है. इन विभागों के लेखा अधिकार और मुलाजिम घोटाले में शामिल हैं. इस के साथ ही इंडियन बैंक और बैंक औफ बड़ौदा के मुलाजिम भी इस में शामिल हैं. सृजन घोटाला के जरिए जहां दोनों बैंकों को मोटा बिजनैस मिल रहा था वहीं बैंक के अफसरों और मुलाजिमों की जेबें भी गरम हो रही थीं.’’

अफसरों की मिलीभगत

सवाल उठता है कि इतने बड़े घोटाले का खेल पिछले एक दशक से चल रहा था और किसी को भनक तक नहीं लगी? सरकारी खाते में रकम जाते ही उसे तुरंत कैसे सृजन के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था? सालाना औडिट में भी इस घोटाले का पता क्यों नहीं लग पाता था?

मुख्यमंत्री नगर विकास योजना की 12 करोड़ 20 लाख रुपए की राशि जब इंडियन बैंक के सरकारी खाता नंबर-6268727981 में जमा होनी थी तो किस ने और कैसे उस राशि को सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में जमा करवा दिया? प्रशासन और बैंक अफसरों की सांठगांठ के बगैर ऐसा मुमकिन ही नहीं है. वहीं दूसरी ओर, सृजन की ओर से करीब ढाई वर्षों बाद उसी सरकारी खाते में 20 करोड़ रुपए जमा कर दिए गए. आखिर सरकारी खाते में आरटीजीएस के जरिए इतनी बड़ी रकम क्यों जमा की गई?

सृजन के जरिए करोड़ों रुपयों के घोटाले का पैसा रियल स्टेट कारोबार में लगाया गया है. सरकारी खातों से सृजन के खाते में जमा की गई रकम में से करोड़ों रुपए दूसरे राज्यों में भी ट्रांसफर किए गए हैं. आरटीजीएस और चैक के जरिए दिल्ली, गाजियाबाद, गुड़गांव, ओडिशा और झारखंड के रियल स्टेट कंपनियों को रुपए दिए गए हैं.

घोटाले से भरी तिजोरियां

सृजन घोटाले की रकम की सूंड़ धीरेधीरे बढ़ती ही जा रही है. यह 1,200 करोड़ रुपए के आसपास पहुंच चुकी हैं और इस के अभी भी बढ़ने की आशंका है. घोटाले में शामिल भागलपुर जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार का मासिक वेतन 60 हजार रुपए हैं जबकि वह करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा है.

पटना के श्रीकृष्णपुरी महल्ले के भगवान कुंज अपार्टमैंट के फ्लैट नंबर 205 में ईओयू ने छापा मारा तो 45 लाख रुपए नकद, करोड़ों रुपए के गहने, अलगअलग बैंकों की 19 पासबुकें बरामद की गईं. पटना के शास्त्रीय महल्ले के आदर्श नगर में अरुण के नाम से जमीन है और बारीपथ में 1 करोड़

15 लाख रुपए की 2 दुकानें हैं. फ्रेजर रोड के डुंडा शाही कमर्शियल कौंपलैक्स में 2 दुकानें उस के नाम से हैं, जिन की कीमत 2 करोड़ रुपए के करीब है. अरुण की पत्नी इंदू देवी करोड़ों रुपए की दौलत की मालकिन है.

भागलपुर के पूर्व एसडीओ कुमार अनुज की पत्नी दिव्या सिन्हा सृजन से जुड़ी हुई थी. उन्होंने अनुज को 8 लाख रुपए की हार्ले डैविंसन मोटरसाइकिल गिफ्ट में दी थी. अनुज के घर का खर्च भी सृजन के पैसे से चल रहा था क्योंकि पिछले 10 महीने में उस ने अपने वेतन की निकासी ही नहीं की थी.

एनजीओ सृजन की स्थापना 1996 में हुई थी. दावा किया गया था कि संस्था गांव की औरतों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और नैतिक विकास का काम करती है. इस का कार्य क्षेत्र भागलपुर जिला के सबौर, गौरडीह, कहलगांव, जगदीशपुर, सन्हौला समेत 16 प्रखंडों तक फैला हुआ है.

इस का मकसद औरतों को एकजुट करना, उन्हें स्वरोजगार के लिए ट्रेनिंग देना, बचत करने का गुर सिखाना, उत्पादन और मार्केटिंग की जानकारी देना, साक्षरता को बढ़ाना और प्राथमिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना है. अपने मकसद से भटक कर संस्था प्रशासनिक अफसरों और बैंकों के अफसरों के साथ मिल कर सरकारी फंड का बंदरबांट करने में लग गई थी.

किसानों को मुआवजा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के रुपए जिले में जाते थे, उन्हें फर्जी तरीके से सृजन के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था. जांच में खुलासा हुआ है कि जिलाधीश और दूसरे अफसरों के हस्ताक्षर वाले चैक को पहले सरकारी खातों में जमा कराया जाता था, उस के बाद उस रकम को सृजन के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था.

सृजन उन रुपयों को खुलेबाजार में कर्र्ज पर लगाती, व्यापारियों को उधार देती, रियल स्टेट के कारोबार में लगाती, अफसरों को कर्ज बांटती थी. सरकारी खातों में जब जितने रुपयों की जरूरत होती तो सृजन उतने रुपए सरकारी खातों में डाल देती थी. इस मामले में बैंक अफसर सृजन को जानकारी देते थे कि किसी योजना के लिए रुपए निकासी का चैक आया है और सृजन के संचालक उतने रुपए सरकारी खाते में डाल देते थे. इस वजह से सृजन की कारस्तानी पकड़ में नहीं आती थी. सृजन की मुख्य संचालिका मनोरमा देवी की मौत के बाद सारे गोरखधंधे से परदा हटने लगा.

नेताओं और सरकारी अफसरों के साथ मिल कर ही सृजन ने घोटाले के पौधे को सींचसींच कर बड़ा पेड़ बना दिया था. समाज कल्याण विभाग की मानें तो वर्ष 2002-03 में जब अमिताभ वर्मा सहकारिता विभाग के सचिव थे तो उन्होंने भी सृजन को काफी मदद पहुंचाई थी. 1988 से ले कर 2003 तक सरकार ने तमाम कोऔपरेटिव बैंकों के अधिकार छीन लिए थे और उन के सभी पदों के लिए होने वाले चुनाव पर रोक लगा रखी थी. उस के बाद भी सृजन की संचालिका मनोरमा देवी को बिहार स्टेट कोऔपरेटिव बैंक का डायरैक्टर बना दिया गया था.

डायरैक्टर बनने के बाद जब डैलिगेट्स के चुनाव हुए तो उस में मनोरमा हार गई थी. कुल 17 वोट का इस्तेमाल हुआ था और मनोरमा 2 वोट से चुनाव हार गई थी. उस समय भागलपुर के सैंट्रल कोऔपरेटिव बैंक के एमडी रहे कवींद्र नाथ ठाकुर ने हद से बाहर जा कर मनोरमा की मदद की. उन्होंने जीते हुए डैलीगेट्स के नाम सहकारिता विभाग के हैडक्वार्टर को भेजे ही नहीं और मनोरमा पूरे 5 वर्षों तक डायरैक्टर बनी रह गई और बेधड़क हो कर घोटाले का खेल खेलती रही.

कोऔपरेटिव बैंक की डायरैक्टर बनने के बाद मनोरमा का संपर्क बड़े नेताओं और अफसरों के बीच बढ़ने लगा. बैंक के नियमों और भारतीय रिजर्व बैंक की गाइडलाइन की अनदेखी कर मनोरमा ने अपने ही एनजीओ सृजन को बड़ेबड़े लोन दे दिए थे. सृजन के जरिए सरकारी रकम कई नेताओं को भी कर्ज के रूप में दी गई थी.

वर्ष 2007 से ले कर 2014 तक भागलपुर सैंट्रल कोऔपरेटिव बैंक के एमडी रहे पंकज झा ने भी खुलेदिल और हाथों से मनोरमा की अवैध तरीके से मदद की. बैंक के अकाउंट्स मैनेजर हरिशंकर उपाध्याय के साथ मिल कर पंकज ने सरकारी खाते को स्टेट बैंक से हटा कर इंडियन बैंक में खुलवा लिया. उस के बाद कोऔपरेटिव बैंक में रखे किसानों के रुपए सृजन के खाते में ट्रांसफर होने लगे. उस के बाद घोटाले ने काफी तेज रफ्तार पकड़ ली थी. हरिशंकर की पहुंच व पैरवी इतनी दमदार थी कि उस की बहाली भागलपुर सैंट्रल कोऔपरेटिव बैंक में हुई और वहीं से वह रिटायर भी हुआ. कभी भी उस का तबादला नहीं हुआ.

सृजन महाघोटाला को छिपाने और दबाने के लिए घोटालेबाजों ने एक के बाद एक कई घोटाले कर डाले. घोटाले का परतदरपरत खुलना साबित करता है कि अभी इस की कई परतें खुलनी बाकी हैं. 1996 में हुए 960 करोड़ रुपए के चारा घोटाले को इस ने काफी पीछे छोड़ दिया है. सरकारी खजाने का जम कर दुरुपयोग हुआ और उस से करोड़ों रुपए बनाए गए. सरकारी अफसरों के साथ सृजन के लोगों की ऐसी सांठगांठ थी कि नियमों के खिलाफ जा कर प्रखंडों के सरकारी खाते सृजन में खोले गए. वर्ष 2006 में उस समय भागलपुर के जिलाधीश विपिन कुमार ने सृजन में खोले गए सभी सरकारी खातों को बंद करने का आदेश दिया था. जिलाधीश के आदेश के बाद 2-4 खातों को तो बंद कर दिया गया पर बाकी खाते चलते रहे.

सृजन के जरिए घोटाले का खेल साल 2000 से ही शुरू हो गया था. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि लालूराबड़ी के राज से ही सृजन का खेल शुरू हो गया था. संस्था को दफ्तर के लिए साल 2000 में ही ट्राइसेम भवन 30 साल के लिए लीज पर दे दिया गया था. राबड़ी के शासनकाल में ही उसे साबौर में 24 डिसमिल जमीन दी गई. सरकारी रकम को सृजन के खाते में जमा करने का आदेश 2003 में ही जारी किया गया था.

सृजन घोटाले में गिरफ्तार नाजिर महेश मंडल की हिरासत में मौत हो जाने के बाद और भी हंगामा खड़ा हो गया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कहते हैं कि सृजन घोटाला मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले से भी बड़ा है. घोटाले के आरोपियों को मारा जा रहा है, ताकि सचाईर् सामने नहीं आ सके. मंडल की मौत पर पुलिस सफाई दे रही है कि उस की मौत बीमारी की वजह से हुई है.

बिहार के डीजीपी पी के ठाकुर कहते हैं कि 14 अगस्त को गिरफ्तार किया गया महेश मधुमेह और किडनी का मरीज था. उसे न्यायिक हिरासत में भेजते समय बीमारी के सारे कागजात साथ भेजे गए थे. जेल अस्पताल के अलावा मायागंज के अस्पताल में भी उस का इलाज कराया गया. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मापदंड के मुताबिक कैदी का पूरा ध्यान रखा गया था.

भागलपुर के पूर्व जिलाधीश के पी रमैया ने 20 दिसंबर, 2003 को चिट्ठी लिख कर सभी बीडीओ को आदेश दिया था कि सृजन के खाते में सरकारी योजनाओं की रकम जमा की जाए. रमैया की वह चिट्ठी जिला प्रशासन के रिकौर्ड से गायब है. 24 अगस्त को एसआईटी ने जब चिट्ठी की मूल कौपी की मांग की तो वह चिट्ठी नहीं मिली. चिट्ठी की एंट्री जिस रजिस्टर में की जाती है, वह भी गायब है. एसआईटी और ईओयू के पास चिट्ठी की फोटोकौपी है और वे मूल कौपी पाना चाहते हैं.

ऐसे उजागर हुआ महाघोटाला

भागलपुर भू अर्जन कार्यालय ने 74 करोड़ रुपए का बैंक औफ बड़ौदा का चैक बिहार सरकार के खाते में ट्रांसफर करने के लिए भेजा. रिकौर्ड के मुताबिक, भू अर्जन के खाते में 175 करोड़ रुपए जमा थे. चैक को ट्रेजरी से चालान के साथ स्टेट बैंक भेजा गया. स्टेट बैंक ने चैक के खाते को क्लीयरैंस के लिए बैंक औफ बड़ौदा को भेजा.

बैंक औफ बड़ौदा ने विभिन्न कारण बता कर 3 बार चैक को स्टेट बैंक को वापस कर दिया. स्टेट बैंक ने उस चैक को भू अर्जन विभाग को लौटा दिया. बैंक द्वारा अलगअलग वजहें बता कर एक ही चैक को 3 बार वापस लौटाने से प्रशासन के कान खड़े हो गए.

प्रशासन ने बैंक औफ बड़ौदा को पत्र भेज कर रकम देने को कहा और एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी तो बताया गया कि खाते में पर्याप्त रकम नहीं है. इस की जानकारी 30 जुलाई को जिलाधीश को दी गई. मामले की जांच की गई तो महाघोटाला सामने आया.

कई सवालों का जवाब देना है सरकार को

सृजन घोटाले की भनक सीए संजीत कुमार को 2013 में लगी थी और उन्होंने आरबीआई से इस की शिकायत भी की थी. आरबीआई ने सहयोग समिति के रजिस्ट्रार को जांच का आदेश दिया था पर उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. भागलपुर, बांका और सहरसा जिलों के प्रशासन ने सृजन घोटाले को दबाने की खूब कोशिश की. 2003 में तब के डी एम रमैया ने भी बीडीओ को सृजन के खाते में सरकारी रकम जमा कराने का निर्देश दिया था. 2008 में तब के डीएम ने उस आदेश पर रोक तो लगा दी पर मामले की जांच नहीं की. अगर जांच की गई होती तो मुमकिन है कि उसी समय घोटाले का भंडाफोड़ हो जाता. इस के साथ ही, कभी इस बात की पड़ताल किसी ने नहीं की कि सहरसा जिला के भू अर्जन विभाग का खाता भागलपुर के बैंक औफ बड़ौदा में क्यों रखा गया था?

वर्ष 2013 में जयश्री ठाकुर का 7 करोड़ 32 लाख रुपए का चैक सृजन में क्यों जमा कराया गया जबकि सृजन कोईर् बैंक नहीं था और न ही उसे आरबीआई से लाइसैंस मिला था? बांका जिला की भू अर्जन पदाधिकारी रही जयश्री ठाकुर के घर पर आर्थिक अपराध इकाई ने आय से अधिक संपति के मामले में छापा मारा था. उस समय भी प्रशासन ने मामले की जांच क्यों नहीं की?

खास बात यह है कि सृजन का हर साल औडिट होता था. औडिट रिपोर्ट में साफ था कि वहां बैंक चलाया जाता है, जबकि उसे केवल कोऔपरेटिव सोसाइटी चलाना था. औडिट रिपोर्ट सहकारिता विभाग और जिलाधीश को भेजी जाती थी पर कभी किसी ने जांच की जरूरत नहीं समझी.

उबलते लालू यादव

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव कहते हैं कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी के संरक्षण में घोटाला हुआ है. यह पशुपालन से भी बड़ा घोटाला है. दोनों ने घोटाले को छिपाने के लिए ही सरकार बनाई है. घोटाले की शुरुआत साल 2005 में हुई और उसी साल नीतीश मुख्यमंत्री और सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री बने थे.

लालू कहते हैं कि सृजन घोटाला करीब 2 हजार करोड़ रुपए का है और इस के मास्टरमाइंड सुशील कुमार मोदी हैं. वर्ष 2005 से ले कर 2013 तक वही वित्त मंत्री थे. उन के साथ ही भाजपा नेता और भागलपुर के पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन, गिरिराज सिंह और सुशील कुमार मोदी की बहन समेत 20 आईएएस अफसर भी फंसेंगे. 25 जुलाई, 2012 को केंद्र सरकार को इस घोटाले के बारे में चिट्ठी लिख कर जानकारी दी गई थी और जांच करने की अपील की गई थी, लेकिन कोईर् जांच नहीं कराई गई. लालू दावा करते हैं कि पूरा घोटाला नीतीश कुमार की जानकारी में था, पर वे चुप्पी साधे रहे.

स्विम सूट पहनकर पूल में उतरी शाहरुख की बेटी सुहाना, क्या आपने देखी तस्वीर?

शाहरुख की तरह उनके परिवार के सदस्य भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. यहां तक कि उनके तीनों बच्चों की फैन फोलोइंग किसी स्टार से कम नहीं है. खास तौर पर खबरों में शाहरुख की बेटी सुहाना का नाम अक्सर आ जाता है. कभी अपने बिकिनी पोज को लेकर, तो कभी अपने लुक को लेकर सुहाना चर्चा में बनी हुई रहती हैं.

एक बार फिर सुहाना खबरों में छा गई हैं. सोशल मीडिया पर इन दिनों सुहाना की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें सुहाना अपने बिकिनी अवतार में दिखाई दे रही हैं. ये तस्वीर उनके फैन क्लब पेज से पोस्ट की गई है. तस्वीर में सुहाना स्विमिंग पूल के अंदर दिखाई दे रही है और उन्होंने ब्लू कलर का स्विम सूट पहन रखा है.

लोगों को उनकी ये तस्वीर बेहद पसंद आ रही है. इसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. इससे पहले भी सुहाना अपनी बिकिनी पिक्स शेयर कर चुकी हैं, जिसे लेकर लोगों ने उन्हें ट्रोल करने की कोशिश की थी. लेकिन उनकी इस तस्वीर को लोग सराह रहे हैं. क्या आपने देखी उनकी ये तस्वीर.

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जानिए दिलीप कुमार नाम का ये शख्स कैसे बन गया ए आर रहमान

ए आर रहमान. इस नाम से भला कौन वाकिफ नहीं है. देश के प्रमुख संगीतकारों में से एक ए आर रहमान का जन्म 6 जनवरी 1967 को तमिलनाडु में हिंदू परिवार में हुआ था. उनका पहला नाम दिलीप कुमार था. लेकिन उनके दिलीप से ए आर रहमान बनने के पीछे बड़ी ही दिलचस्प कहानी बताई जाती है.

उनका हिंदू से मुस्लिम बनना न ही किसी के प्यार में पड़ने के कारण हुआ और न किसी और दबाव में. हां लेकिन एक वजह जरूर थी, जिसके चलते उन्हें हिंदू से मुसलमान बनना पड़ा. बताया जाता है कि 1989 में रहमान की छोटी बहन काफी बीमार पड़ गई थी, तब डौक्टरों ने कह दिया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है. इसी बीच रहमान मस्जिदों में अपनी बहन की ठीक होने की मुराद मांगते थे और वे ठीक हो गईं तो उन्होंने इस्लाम को अपना लिया.

वहीं दूसरी ओर उनकी बायोग्राफी ‘द स्पिरिट औफ म्यूजिक’ में यह बताया गया है कि उन्होंने एक ज्योतिषी के कहने पर अपना नाम बदला. रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अपना नाम अच्छा नहीं लगता था.

एक दिन जब उनकी मां मेरी और बहन की कुंडली दिखाने एक ज्योतिषी के पास गई तो उस हिंदू ज्योतिषी ने ही उन्हें नाम बदलने की सलाह दी थी. इसके बाद उनका नाम ए आर रहमान पड़ गया. आपको बता दें रहमान को उनकी फिल्म स्लमडौग मिलेनियर के लिए दो औस्कर अवौर्ड से नवाजा गया है. वे दो ग्रैमी अवौर्ड जीतने वाले पहले भारतीय संगीतकार हैं. रहमान को इसके अलावा एक बौफ्टा अवौर्ड, एक गोल्डन ग्लोब, 4 नैशनल फिल्म अवौर्ड, 15 फिल्मफेयर अवौर्ड और 13 फिल्मफेयर साउथ के अवौर्ड मिल चुके हैं.

कुछ दिन पहले ही रहमान का गौरी लंकेश को लेकर एक बयान आया था. जिसमें उन्होंने कहा था यदि पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता गौरी शंकर की हत्या जैसी घटनाएं होती रहेंगी तो यह उनका भारत नहीं है. ये बात उन्होंने मुंबई में आयोजित अपनी आगामी फिल्म ‘वन हार्ट : द ए.आर.रहमान कंसर्ट फिल्म’ के प्रीमियर के मौके पर यह बयां की थी.

लंकेश को लेकर पूछने पर रहमान ने कहा, मैं यह सुनकर बहुत दुखी हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि भारत में ऐसी बातें नहीं होंगी. अगर भारत में ऐसा होता है तो फिर यह मेरा भारत नहीं है. मैं चाहता हूं कि मेरा भारत प्रगतिशील और विनम्र बने. आपको बता किं ‘वन हार्ट..’ रहमान के उत्तरी अमेरिकी के 14 शहरों में हुए कंसर्ट टूर पर आधारित फिल्म है. इसमें रहमान और उनके बैंड के सदस्यों के साक्षात्कार और उनके रिहर्सल आदि शामिल हैं. इसमें रहमान के निजी व्यक्तित्व की जानकारी भी मिलती है.

इन तरीकों को अपनाकर अपने फोन की स्पीड़ बढ़ाएं

मौजूदा समय में 1 बिलियन से ज्यादा लोग एंड्रौयड फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें से अधिकांश लोगों को उनके एंड्रौयड डिवाइस के स्लो होने की शिकायत होती है. साथ ही, समय के साथ साथ डिवाइस की स्पीड और भी धीमी होने की शिकायत आम हो जाती है.

आपके एंड्रौयड फोन की स्पीड कम होने के कई कारण हो सकते हैं. इसका मुख्य कारण फोन में कम मैमोरी, रैम और दूसरी समस्या जैसे कि वायरस भी हो सकते हैं. यहां हम आपकी इस समस्या का समाधान लेकर आए हैं. कुछ आसान तरीकों को अपनाकर आप भी अपने स्लो डिवाइस को मिनटों में फास्ट कर सकते हैं.

इंटरनल स्टोरेज को मैनेज करें

किसी भी एंड्रौयड डिवाइस की खास चीज उसकी इंटरनल मैमोरी होती है. इसलिए कभी भी फोन को खरीदने से पहले उस स्मार्टफोन के स्टोरेज की जानकारी ले लें. हमेशा उस फोन को खरीदे जो ज्यादा इंटरनल स्टोरेज के साथ आते हैं.

ब्लौटवेयर रिमूव करें

अगर आपके डिवाइस में 2 जीबी से ज्यादा रैम है तो आपको ब्लौटवेयर की चिंता करने की जरुरत नहीं है. लेकिन फोन में 2 जीबी से कम रैम है तो आप डिवाइस से ब्लौटवेयर को रिमूव कर दें. ऐसा करने से आपके फोन की क्षमता और बढ़ेगी और डिवाइस की स्पीड भी बढ़ेगी.

सिस्टम कैशे को क्लियर करें

जिन एप्स का इस्तेमाल आप रोजाना करते हैं उनके कैशे तैयार होने लगते हैं. ये कैशे आपके फोन के स्टोरेज को कम कर देते हैं. इसके अलावा, इन कैशे की वजह से आपके डिवाइस की स्पीड भी कम होती जाती है. ऐसे में यह जरुरी होता है कि अपने फोन स्टोरेज में जाकर समय-समय पर कैशे को क्लियर या डिलीट करते रहें. ऐसा करने से आपके डिवाइस की स्पीड बढ़ेगी.

जरुरी एप्स को ही करें इंस्टौल

एंड्रौयड औपरेटिंग सिस्टम में एप्स को इंस्टौल करना काफी आसान होता है. लेकिन, ऐसा जरुरी नहीं कि फोन में सभी एप्स को इंस्टौल किया जाए। औनलाइन ऐसे कई एप्स मौजूद हैं जो आपके डिवाइस के रैम और स्टोरेज को कम करते हैं। ऐसे में, अपने एंड्रैयड डिवाइस में हमेशा उन्ही एप्स को इंस्टौल करें जो आपके लिए जरुरी हो.

फालतू एप्स को हटा दें

जैसा कि हमने पहले ही बताया कि एंड्रौयड डिवाइस में एप्स को इंस्टौल करना काफी आसान होता है. औनलाइन ऐसे कई एप्स मौजूद हैं जो आपके फोन के स्पेस को कम करते हैं और आपके डिवाइस की स्पीड को धीमा कर देते हैं. ऐसे में अपने फोन में केवल उन्हीं एप्स को इंस्टौल करें जो जरुरी हो. वहीं, जिन एप्स का आप ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते उन्हें अपने फोन से डिलीट कर दें.

अनावश्यक विजेट्स को करें रिमूव

कई यूजर्स अपने एंड्रौयड डिवाइस में विजेट्स का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. आपको बता दें कि ये विजेट्स आपके स्मार्टफोन की स्पीड को धीमा कर सकते हैं. ये विजेट्स आपके फोन के रैम को कम करता है.

डिवाइस के एनिमेशन्स करें डिसेबल

सभी एंड्रौयड डिवाइस में एनिमेशन स्केल मौजूद होते हैं जो उनकी क्वालिटी के आधार पर होते हैं. ये एनिमेशन्स आपके एंड्रौयड डिवाइस के बैटरी और परफौर्मेंस पर काफी प्रभाव डालते हैं. हालांकि, इनका एंड्रौयड डिवाइस की परफौर्मेंस पर भी असर पड़ता है. इसलिए, इसका इस्तेमाल कम करना चाहिए. इसे बंद करने के लिए आपको फोन की सेटिंग – डेवलपर औप्शन > विंडो ट्रांसिशन स्केल – 0.0 को सिलेक्ट करना होगा। इसी तरह आप फोन के एनीमेशन स्केल को भी बंद कर सकते हैं.

अपने एंड्रौयड के फर्मवेयर को अपडेट करें

एंड्रौयड डिवाइस की स्पीड में तेजी लाने के लिए हमेशा इसके नए फर्मवेयर को अपग्रेड करते रहना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि हर नए अपडेट में कुछ नया दिया हुआ होता है जो आपके डिवाइस को पहले से ज्यादा बेहतर बनाता है. इसलिए आपके एंड्रौयड डिवाइस को लेटेस्ट वर्जन से अपडेट करते रहना चाहिए. इसके लिए फोन के About Phone औप्शन में जाकर लेटेस्ट अपग्रेड को चेक कर लें.

औटो सिंक को करें डिसेबल

अगर आपका एंड्रौयड डिवाइस कई अकाउंट्स जैसे कि व्हाट्सएप, स्नैपचैट, जीमेल, औउटलुक से कनेक्टेड है तो आपको फोन के औटो सिंक फीचर को बंद कर देना चाहिए. औटो-सिंक फीचर आपके फोन की परफौर्मेंस को कम करती हैं. साथ ही, इससे आपके फोन की बैटरी भी ज्यादा खर्च होती है.

बैकग्राउंड रनिंग एप्स करें रिमूव

कुछ एप्स डिवाइस के शुरु होते ही काम करने लगते हैं. ऐसे में ये एप्स फोन के बैकग्राउंड में चलते रहते हैं. इन एप्स के कारण भी आपके एंड्रौयड डिवाइस की परफौर्मेंस धीमी होती है. साथ ही, फोन की स्पीड भी कम होती जाती है. ऐसे में फोन में चलने वाले इन एप्स को रिमूव कर देना चाहिए.

यात्रीगण कृप्या ध्यान दें, आपके ई-टिकट पर इस तारीख तक नहीं लगेगा कोई सर्विस चार्ज

सरकार ने रेल यात्रियों के लिए बड़ी राहत वाली घोषणा की है. आईआरसीटीसी से औनलाइन ट्रेन का टिकट बुक करने पर अब आपको मार्च तक सर्विस चार्ज नहीं देना होगा. पिछले साल नवंबर में लागू किए गए नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल मोड पर टिकट बुक करने पर सर्विस चार्ज माफ कर दिया गया था.

पहले यह सुविधा केवल 30 जून तक थी जिसे बाद में 30 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया था और अब सर्विस चार्ज न देने की तारीख को मार्च 2018 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. बता दें कि आईआरसीटीसी से औनलाइन टिकट बुक कराने पर 20 से 40 रुपए प्रति टिकट पर सर्विस चार्ज लिया जाता है.

29 सितंबर को आईआरसीटीसी, रेलवे टिकट एजेंसी और रेलवे बोर्ड द्वारा यात्रियों को सर्विस चार्ज न देने की सुविधा को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे. एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार इस मामले पर बात करते हुए रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 33 प्रतिशत आईआरसीटीसी का राजस्व औनलाइन बुकिंग से वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज से आता है. पिछले वित्तीय साल के राजस्व संग्रह की बात करें तो 1500 करोड़ टिकट बुकिंग पर आईआरसीटीसी को 540 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था.

आपको बता दें कि आईआरसीटीसी रेल कनेक्ट ऐप और डिजिटल भुगतान फर्म मोबिक्विक के बीच टिकट बुकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर साझेदारी की गई है. इसकी सूचना आईआरसीटीसी ने अपनी एक प्रेस रिलीज में दी.

इस प्रेस रिलीज के अनुसार मोबिक्विक के साथ आईआरसीटीसी ने ईजी-टू-यूज इंटरफेज शुरु करने के लिए साझेदारी की है. मोबिक्विक डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग और वालेट जैसे माध्यमों के जरिए ग्राहकों को आसान तरीके से भुगतान करने की सुविधा मुहैया कराता है.

मोबिक्विक के अनुसार आईआरसीटीसी के साथ साझेदारी इसलिए की गई है ताकि देश को डिजिटल बनाने में मदद की जा सके. वहीं मोबिक्विक का दावा है कि इस चालू वित्त वर्ष में रिजर्व और अनरिजर्व टिकटों में 17 प्रतिशत बुकिंग बिना नकद राशि के की गई है.

मेरी बीवी का अंग बेहद कसा है. संबंध बनाते समय मेरे अंग की चमड़ी चारों तरफ से फट जाती है. क्या करूं?

सवाल
मैं 35 साल का हूं. 9 साल व 7 साल के 2 बच्चों का पिता हूं. बीवी 30 साल की है. बीवी का अंग बेहद कसा है. संबंध बनाते समय मेरे अंग की चमड़ी चारों तरफ से फट जाती है. क्या करूं?

जवाब
शादी के 10-11 सालों बाद आप को यह दिक्कत हो रही है यानी आप के अंग में कोई खराबी आ गई होगी. आप माहिर डाक्टर को अपनी तकलीफ बता कर इलाज कराएं.

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सैक्स में और्गेज्म की है बड़ी भूमिका, आप भी जानिए

सैक्स की सफलता और्गेज्म पर टिकी होती है. अत: पतिपत्नी दोनों को ही और्गेज्म तक पहुंच सैक्स का आनंद लेना चाहिए. यदि सहवास के दौरान पतिपत्नी दोनों लगन के साथ सैक्स क्रिया का लुत्फ लेते हैं, तो और्गेज्म तक पहुंचना दोनों के लिए आसान हो जाता है. यदि और्गेज्म तक नहीं पहुंचते हैं तो दोनों में तनाव रहता है, झगड़े होने लगते हैं.

दिलीप जब पत्नी रूपा के साथ संबंध बनाते हैं तो फोरप्ले पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, जबकि उन की पत्नी फोरप्ले के साथ तन्मयता से सैक्स करना चाहती हैं. दिलीप के ऐसा न करने से रूपा और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती. अकसर दोनों में इस बात को ले कर झगड़ा होता है.

क्या है और्गेज्म

और्गेज्म सैक्स संबंध की मजबूत कड़ी है. मैडिकल साइंस के अनुसार सहवास के समय शरीर में होने वाले विभिन्न बदलावों और चरमसुख को ही और्गेज्म कहा जाता है. नईनई शादी होने पर सैक्स करने पर महिलाएं और्गेज्म का लुत्फ नहीं उठा पातीं. पर कुछ समय बाद लगातार सैक्स संबंध बनाने पर और्गेज्म पर पहुंच पाती हैं. सर्वे के अनुसार महिलाओं में फर्स्ट और्गेज्म के लिए सही उम्र 18 साल ही है.

गहरीगहरी सांसें लें: और्गेज्म के लिए पतिपत्नी के मन में दृढ़शक्ति और जिज्ञासा होनी जरूरी है. इस का आनंद पूरा शरीर उठाता है. इस की शुरुआत सांसों से होती है. सैक्स संबंध के समय सांसों पर ध्यान दें.

और्गेज्म के समीप पहुंचने पर गहरी सांसें लें और छोड़े. औक्सीजन शरीर में रक्त प्रवाह को तेज करती है. जितनी औक्सीजन लेते हैं सैक्स सुख उतना ही मजेदार बन जाता है.

सैक्स खिलौना: सैक्स टौयज की मदद से बिलकुल अलग तरह का आनंद अनुभव होता है. यह और्गेज्म तक पहुंचने का सब से आसान उपाय है. सैक्ससुख को अनुभव करने के लिए सैक्स टौयज की जरूरत नहीं होती है, लेकिन यह सहवास में उत्तेजना बढ़ाने में सहायक होता है.

कल्पनाओं का सहारा लें: सैक्सी सपने देख कर भी चरमसुख की प्राप्ति होती है. यह सहवास क्रिया को मजेदार और उत्तेजक बनाने में सहायक होता है. यदि पार्टनर के साथ उत्तेजना महसूस नहीं हो रही हो तो ऐसी स्थिति में कल्पना और्गेज्म तक पहुंचाती है.

कामोत्तेजक अंगों से खेलें: सहवास के दौरान अपने शरीर को ऐक्टिव रखें. ज्यादातर महिलाएं शरीर को कड़ा कर लेती हैं, जो गलत है. और्गेज्म के लिए शरीर का भरपूर इस्तेमाल करें.

अलगअलग आसन अपनाएं: सहवास करते वक्त केवल साधारण और आसान तरीके से सैक्स न करें पार्टनर के साथ अलगअलग सैक्स आसन अपना कर सहवास करें. ऐसा करने से और्गेज्म तक पहुंचना आसान हो जाता है.

सैक्स क्रिया में शरीर को लिप्त करें: रिलैक्स रहने की कोशिश करें. संबंध बनाते समय शरीर के 1-1 पार्ट को लिप्त करने की कोशिश करें. कामोत्तेजना के कारण मांसपेशियां सिकुड़ रही हैं तो रिलैक्स रहने की कोशिश करें. फ्रैश मूड से सहवास कर और्गेज्म तक पहुंचें.

फोरप्ले को स्थान दें: सैक्स से पहले चुंबन, स्पर्श, सहलाना, आलिंगन क्रिया करें, क्योंकि इस से कामवासना जाग्रत होती है.

डा. चंद्रकिशोर के मुताबिक पुरुषों की सैक्स इच्छा केवल शरीर तक ही सीमित होती है, जबकि महिलाएं सहवास को भावना से जोड़ती हैं. अत: फोरप्ले से और्गेज्म तक पहुंच कर इंटरकोर्स का सही आनंद लें.

हैल्थ चैकअप कराएं: यदि ये सब कर के भी सहवास में संतुष्टि नहीं मिल रही है, और्गेज्म तक नहीं पहुंच पा रही हैं, तो तुरंत डाक्टर से चैकअप करवाएं. कई बार ज्यादा दवा का सेवन भी और्गेज्म तक नहीं पहुंचने देता है. और्गेज्म तक न पहुंचने से आपसी रिश्ते खोखले होने लगते हैं. आपस में झगड़े होने लगते हैं, मानसिक तनाव होता है, यहां तक कि मैरिड लाइफ खतरे में पड़ जाती है. इसलिए पतिपत्नी दोनों ऐसे संबंध बनाएं कि दोनों ही चरमोत्कर्ष तक पहुंचें.

सैक्स दांपत्य जीवन का अहम हिस्सा है. इसे नजरअंदाज न करें. पतिपत्नी के संबंध को जिस तरह आपसी व्यवहार व सहयोग मधुरता देता है, ठीक उसी तरह सुखी सैक्स भी संबंध को और प्रगाढ़ बनाता है.

21 साल पहले आज ही के दिन शाहिद अफरीदी ने बनाया था सबसे तेज शतक का रिकार्ड

पिच पर आते ही गेंदबाजों की धुनाई के लिए मशहूर शाहिद आफरीदी को उनके फैन्स बूम बूम के नाम से भी जानते हैं. क्रिकेट इतिहास की अगर धुआंधार पारियों को ढ़ूंढा जाए तो उसमें पहला नाम शाहिद आफरीदी का होगा.

आज ही के दिन क्रिकेट की दुनिया में पाकिस्तान के इस विस्फोटक बल्लेबाज ने 21 साल पहले 4 अक्टूबर 1996 को नैरौबी में ऐसी पारी खेली, जो कई सालों तक सबके लिए एक बड़ी लकीर बनी रही. ऐसी बड़ी लकीर जिसे छोटा करने में दुनिया भर के बल्लेबाजों को करीब 18 साल लग गए.

मात्र 16 साल की उम्र में आफरीदी ने श्रीलंका के खिलाफ 37 गेंदों में शतक लगाकर वनडे में सबसे तेज शतक बनाने का कारनामा किया था. अफरीदी ने इस मैच में चौके (6) से ज्यादा छक्के (11) बरसाए. आखिरकार अफरीदी 40 गेंदों में 102 रन बनाकर लौटे.

आफरीदी की इस रिकार्डतोड़ शतक की मदद से पाकिस्तान ने 371 रन का स्कोर बनाया था, जो उस समय वनडे का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था. इस मैच में पाकिस्तान ने श्रीलंका को 82 रनों से मात दी थी. इस मैच में शाहिद ने एक विकेट भी लिया था.

बाद में सीजे एंडरसन ने 36 गेंदों पर यह कारनामा कर अफरीदी का रिकार्ड तोड़ा. हालांकि 18 जनवरी 2015 को एबी डिविलियर्स ने केवल 31 गेंदों पर यह रिकार्ड बड़े अंतर से अपने नाम कर लिया है. इस लिस्ट में अफरीदी अब भी तीसरे नंबर पर मौजूद हैं.

उन्होंने इस पारी से श्रीलंका के धाकड़ बल्लेबाज सनथ जयसूर्या का रिकार्ड तोड़ा था. जयसूर्या ने छह महीने पहले ही 48 गेंदों में सबसे तेज शतक लगाने का विश्व रिकार्ड कायम किया था.

पाकिस्तान के इस औलराउंडर ने 398 वनडे, 27 टेस्ट और 98 टी20 मैचों में हिस्सा लिया. वह अपने पहले ही मैच में रिकार्ड बनाने के अलावा मैन औफ द मैच भी रहे थे.

वनडे में सबसे तेज शतक का रिकार्ड

खिलाड़ी गेंद खिलाफ साल
एबी डिविलियर्स (दक्षिण अफ्रीका) 31 वेस्टइंडीज 2015
कोरी एंडरसन (न्यूजीलैंड) 36 वेस्टइंडीज 2014
शाहिद अफरीदी (पाकिस्तान) 37 श्रीलंका 1996
मार्क बाउचर (दक्षिण अफ्रीका) 44 जिम्बाब्वे 2006
शाहिद अफरीदी (पाकिस्तान) 45 भारत 2005
ब्रायन लारा (वेस्टइंडीज) 45 बांग्लादेश 1999

औनलाइन पेमेंट करते वक्त ध्यान में रखें ये 8 बातें

नोटबंदी के बाद से औनलाइन पेमेंट और ट्रांजेक्शन्स का चलन बढ़ता जा रहा है. सरकार भी कैशलेस इकोनामी के लिए लोगों को बढ़ावा दे रही है. ये आसान होने के साथ समय भी कम लेता है.

औनलाइन पेमेंट करते समय फ्रौड होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिन्हें सुनकर आपको चिंता हो सकती है. लेकिन आपको जरने की कोई जरूरत नहीं है. आप औनलाइन पेमेंट करते समय कुछ सावधानियों को अपनाकर फ्रौड की संभावनाओं से बच सकते हैं.

जानें 8 ऐसे टिप्स जो आपके औनलाइन पेमेंट और ट्रांजेक्शन को सिक्योर बनाने में पूरी मदद करेंगे.

पब्लिक वाई-फाई और कंप्यूटर्स के इस्तेमाल से बचें

कभी भी पब्लिक वाई-फाई पर अपने फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन्स न करें क्योंकि हैकर्स बड़ी आसानी से पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क को हैक कर सकते हैं और आपकी लौगिन-पासवर्ड डिटेल्स चुरा सकते हैं. अगर आपको बाहर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने ही हैं तो अपने फोन के मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल करें.

सावधानी से सर्च करें

अक्सर आप इंटरनेट पर जो भी सर्च करते हैं वो सर्च हिस्ट्री की मेमोरी में रहता है लेकिन इसमें कई बार ऐसे भी लिंक खुल जाते हैं जो मालवेयर होते हैं. ऐसे लिंक अगर आपकी सर्च हिस्ट्री में पड़े रहेंगे तो आपको औनलाइन पेमेंट करते समय अपने सिक्योर डेटा के चोरी होने का खतरा रहेगा. तो आपके लिए यही सलाह है कि आप समय-समय पर अपनी सर्च हिस्ट्री क्लियर करते रहें और संदेहास्पद लिंक को अपने सिस्टम या लैपटाप से साफ करते रहें.

अपना महत्वपूर्ण डेटा अपने पास रखें

किसी भी पेमेंट साइट और वेब ब्राउजर पर अपनी बैंक डिटेल्स और पर्सनल डिटेल्स को सेव न करें. जब भी काम खत्म हो जाए तब हमेशा लौग आउट कर लें. इंफौर्मेशन को हमेशा टाइप करना चाहिए न कि आपको कौपी पेस्ट करना चाहिए.

एक ही ई-मेल एड्रेस का इस्तेमाल करें

अपने फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन्स, औनलाइन पेमेंट के लिए एक डेडीकेटेड ई-मेल एड्रेस का इस्तेमाल करें जिससे आपके ये ट्रांजेक्शन्स और सिक्योर हो सकें, फिशि मेल्स और स्पैम के जरिए आपके ई-मेल की हैकिंग न हो सके और आपका बैंक खाता सिक्योर रहे.

क्लिक करने की जगह टाइप करें

अपने पसंदीदा रिटेलर्स की वेबसाइट खोलते समय उसके लिए औटोमैटिक रूप से सामने आए लिंक को खोलने की जगह उसका यूआरएल टाइप करें. ध्यान रखें कि आप जो यूआरएल टाइप कर रहे हैं उसकी शुरुआत में https ही हो क्योंकि ये ‘s’ सिंबल एक सिक्योर साइट का संकेत होता है.

टेंप्ररेरी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें

आप टेंप्ररेरी क्रेडिट कार्ड या ऐसे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें जिनकी पेमेंट लिमिट कम हो. अक्सर मर्चेंट ग्राहकों को अस्थाई या टेंप्ररेरी क्रेडिट कार्ड देते हैं जो वनटाइम परचेज या उसी रिटेलर के यहां खरीदारी पर काम आ सकते हैं. तो अगर असावधानीवश आपका क्रेडिट कार्ड खो भी जाए तो उससे आपके बैंक खाते में रखे पैसे को किसी तरह का खतरा नहीं होगा.

सही ऐप डाउनलोड करें

अक्सर स्मार्टफोन की एप्स में मालवेयर होते हैं तो इन्हें डाउनलोड करने से आपको बचना चाहिये. ऐप को डाउनलोड करने से पहले इसके बारे में पढें, इसकी रेटिंग, टर्म्स और कंडीशन्स पढ़ लें. सिर्फ औफिशियल प्ले स्टोर, ऐप स्टोर से ऐप ही डाउनलोड करें.

पासवर्ड मैनेजर का यूज करें

पासवर्ड मैनेजर आपको कई सारे अकाउंट्स को मैनेज करने में मदद करता है, और अक्सर की जाने वाली गलतियों से बचाता है. जैसे अक्सर लोग अपने सारे अकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड रखने की गलती करते हैं, इससे आपको पूरी तरह से बचाने का काम पासवर्ड मैनेजर के जरिए हो सकता है.

मारुति ने लौंच किया इस शानदार कार का नया एडिशन

देश की शीर्ष कार निर्माता कंपनियों में से एक मारुति सुजुकी इंडिया ने अपनी कार एस क्रौस में बदलाव कर नए एडिशन के साथ बाजार में एक बार फिर लौन्च किया है. लौन्च की गई इस नई एस क्रौस के चार अलग अलग एडिशन है, जिनकी कीमत 8.49 लाख रुपये से शुरू होकर 11.29 लाख रुपये तक है.

मारुति सुजुकी इंडिया और उसके सप्लायरों ने इस नई एस क्रौस के लिये 100 करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया है. मारुति सुजुकी इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा, ‘एस-क्रौस का नया मौडल, परिवर्तन की हमारी यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा. हमें भरोसा है कि एस-क्रौस प्रीमियम शहर में मारुति सुजुकी की स्थिति को मजूबत करेगा.’

माइलेज

नई एसक्रौस के सभी 4 वैरिएंट में मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ 1248CC का डीजल इंजन दिया गया है और कंपनी के मुताबिक इसका माइलेज 25.1 किलोमीटर/लीटर है. सरल शब्दों में कहें तो यह कार 1 लीटर डीजल में करीब 25 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है.

कंपनी ने अपनी नई एस क्रौस को चार अगल-अलग Sigma DDiS 200SH, Delta DDiS 200SH, Zeta DDiS 200SH और Alpha DDiS 200SH वैरिएंट  के साथ बाजार में उतारा है. इनकी कीमत 8 लाख 49 हजार से 11 लाख 29 हजार रुपए के बीच तय की गई है.

स्टेरिंग

इस कार में आप ड्राइविंग सीट के साथ ही स्टेरिंग को भी अपने मुताबिक एडजस्ट कर सकते हैं. इसमें औटो वाइपर सिस्टम भी दिया गया है, जिससे बारिश होने पर वायपर अपने आप चालू हो जाएंगे.

फीचर्स

नई कार के इंटीरियर फीचर्स की बात करें तो इसमें सामने दिए गए डैश बोर्ड में बदलाव करते हुए इसे जर्मन लक्जरी कार का लुक दिया गया है. टच स्क्रीन इंफोटेंमेंट सिस्टम भी दिया गया है, जो एंड्राइड औटो और एप्पल कार प्ले के साथ कम्पैटिबल है. वहीं क्रूज कंट्रोल और ड्राइवर साइड एंटी पिंच विंडो जैसे कई अनोखे फीचर भी इस नई एस क्रॉस में दिए गए हैं. नई एस क्रौस में बेहतर सीटिंग दी गई है जो लौन्ग ड्राइव के दौरान काफी आरामदायक और कंफर्ट है. फ्रंट गेट के दोनों साइड पानी की बोटल रखने का स्पेस दिया गया है. पीछे की सीट के बीच में भी इसी तरह की सुविधा है. वहीं लगेज रखने के लिए अच्छे खासे स्पेस के साथ एक डिग्गी दी गई है, जिसमें आप पहले से ज्यादा लगेज रख सकते हैं.

इंजन

नई एस क्रौस में पौवरफुल 1.6 लीटर का इंजन है. साथ ही DDiS 200 डीजल इंजन के साथ स्मार्ट हाइब्रिड टेक्नौलजी का इस्तेमाल भी किया गया है. इसके अलावा 216/60 कॉन्फिग्रेशन के साथ 16 इंच के वाइडर टायर दिए गए हैं जो, आपकी ड्राइव को पहले से शानदार बनाते हैं और सड़क पर बेहतर पकड़ भी देतें हैं.

रियर लैम्प्स

कंपनी ने कई जरूरी बदलाव के साथ नई एस-क्रौस को कई मामलों में शानदार लुक और फील दिया है. इसमें आगे लार्ज क्रोम ग्रिल दिए गए हैं, जो इसे एक हैवी और मस्क्यूलर लुक देते हैं. वहीं एस-क्रौस के रियर लैम्प्स में एलईडी का प्रयोग इसे मौडर्न लुक देता है.

सलमान खान ने सरेआम कहा कुछ ऐसा कि उनकी एक्स को आ सकता है गुस्सा

सलमान खान अपनी प्रोफेशनल लाइफ को लेकर जितने चर्चित हैं, उससे भी ज्यादा उनकी पर्सनल लाइफ इंटरेस्टिंग है. वे हमेशा किसी न किसी दिलचस्प वाकये को लेकर खबरों में बने रहते हैं. इसी तरह उनकी लव लाइफ और गर्लफ्रेंड्स के किस्से भी किसी से छुपे नहीं हैं. चाहे वो सोमा अली, संगीता बिजलानी हो या ऐश्वर्या और कैटरिना, उनकी गर्लफ्रेंड्स को लेकर हर बात फैन्स तक पहुंचती है.

सलमान का नाम तो वैसे कई अदाकाराओं के साथ जुड़ा, लेकिन कहा जाता है कि ऐश्वर्या से उन्हें सच्चा प्यार हुआ था और आज तक वे ऐश्वर्या को नहीं भूल पाए हैं. कुछ खबरों की मानें तो सलमान ने ऐश्वर्या की वजह से ही आज तक शादी नहीं की है, लेकिन इस बात का उन्हें कोई मलाल नहीं है. हाल ही में उन्होंने ऐसा ही बयान एक टीवी शो के दौरान दिया.

उन्होंने एक टीवी शो के प्रीमियर में दर्शकों के सामने कहा कि वे ‘एक्स’ बनकर बहुत खुश हैं. असल में वे एक कंटेस्टेंट के साथ स्टेज पर एक एक्ट का हिस्सा बने थे, जिसमें उन्होंने अपने डायलोग के तौर पर ये बात की. उन्होंने कहा कि ‘मैं एक्स बनकर खुश हूं.’

अब उन्होंने ये बात अपनी किस गर्लफ्रेंड को निशाना बनाते हुए कही है ये तो हम नहीं जानते, लेकिन हम इतना जरूर कह सकते हैं कि ये बात सुनकर उनकी एक्स गर्लफ्रेंड्स बुरा मान सकती हैं.

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