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जीएसटी रेट घटा, फिर भी महंगा हो सकता है रेस्तरां में खाना

गुवाहाटी में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में रेस्तरां में खाने पर लगने वाला जीएसटी 18 से 5 प्रतिशत कर दिया गया था. जीएसटी रेट में किए गए बदलाव 15 नवंबर, 2017 से लागू हो गए. जीएसटी रेट घटने से वैसे तो खाना सस्ता होना चाहिए, लेकिन एक वजह से ऐसा होने में मुश्किल आ सकती है.

होटल व रेस्तरां में आपको जीएसटी तो 5 फीसदी ही देना होगा, लेकिन आपके बिल में ये फायदा शायद ही दिखे. जानिए आखिर क्यों जीएसटी रेट घटने के बाद भी आपको इसका फायदा मिलना मुश्क‍िल दिख रहा है.

दरअसल एसी और नौन-एसी होटलों पर जीएसटी रेट तो 5 फीसदी कर दिया गया है, लेक‍नि होटल मालिकों से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ छीन लिया गया है.

वहीं, रेस्तरां मालिकों का कहना है कि जीएसटी 5 फीसदी करने के बाद भी इसका ज्यादा फायदा उन्हें नहीं मिल पाएगा. उनका कहना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा उनसे लिये जाने की वजह से उनकी जेब पर बोझ पड़ेगा. ऐसे में रेस्तरां मालिक इसका समाधान कीमतें बढ़ाकर निकाल सकते हैं.

नये बदलाव से नाराज कई रेस्तरां मालिक मेन्यू प्राइस में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी करने की तैयारी कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो ग्राहकों को जीएसटी के घटे स्‍लैब का फायदा नहीं मिल पाएगा.

हालांकि जब तक रेस्तरां ऐसा कोई फैसला नहीं लेते हैं, तब तक आम लोगों को घटे रेट का फायदा मिलता रहेगा. इसका मतलब है कि आपको सिर्फ और सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी रेट अपने बिल पर भरना होगा.

अभी तक नौन एसी रेस्‍टोरेंट्स में खाने पर 12% और एसी रेस्तरां में खाने पर 18% जीएसटी देना होता था. इसके साथ रेस्तरां मालिकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट भी मिलता था, लेकिन अब यह क्रेडिट नहीं मिलेगा.

हालांकि कुछ होटल हैं, जहां आपको अभी भी 18 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा. अगर आप किसी ऐसे होटल में खाना खाने जाते हैं, जहां एक कमरे का किराया एक रात के लिए 7500 रुपये से ज्यादा है, तो यहां आपको 18 फीसदी जीएसटी रेट अदा करना होगा. इसमें ज्यादातर फाइव स्टार होटल आते हैं.

फाइव स्टार होटल के अलावा आउटडोर कैटरिंग पर भी 18 फीसदी जीएसटी आपको देना होगा.  इस मामले में टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गई है. हालांकि ये लोग इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा ले सकते हैं.

अब घर बैठे करें बिल का भुगतान, जरूरी दस्तावेजों को बनाने में मदद करेगा ये एप

केंद्र सरकार ने एक नई एप पेश की है जिससे पैन कार्ड बनवाया जा सकता है. इस एप का नाम उमंग है. इस एप के जरिए गैस सिलेंडर बुक करने से लेकर आधार और अन्य कई सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है. इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.

कैसे इस्तेमाल करें उमंग एप?

  • सबसे पहले एप को डाउनलोड करें, इसके बाद MyPAN सेक्शन में जाएं. नया पैन कार्ड अप्लाई करने के लिए फौर्म 49ए को भरना होगा.
  • इसके अलावा अगर आप पैन कार्ड की डिटेल्स में कोई बदलाव करना चाहते हैं MyPAN में जाकर CSF फौर्म भरना होगा.
  • इसके साथ ही पैन कार्ड एप्लीकेशन स्टेट्स की जानकारी भी इस एप से ली जा सकती है.
  • पैन कार्ड बनवाने के लिए दी जाने वाली फीस का भुगतान भी इसी एप से किया जा सकता है.

आपको बता दें कि इस एप को दूरसंचार मंत्रालय और नेशनल ई-गवर्नेंस डिविजन ने डेवलप किया है. इस एप के जरिए पैन कार्ड बनवाने के अलावा कई और काम भी किए जा सकते हैं. इस एप से उपभोक्ता कई सरकारी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं. पैन कार्ड बनवाने के अलावा अगर यूजर चाहें तो आधार की जानकारी को इस एप के जरिए अपडेट कर सकते हैं. आधार के बारे में लगभग सभी जानकारी आपको इस एप पर मिल जाएगी.

वहीं, गैस सिलेंडर बुक करने के लिए अगल से एप इंस्टौल करने की भी जरुरत नहीं है. इसके जरिए भारत, इंडेन और एचपी के सिलेंडर बुक किए जा सकते हैं. अगर यूजर पासपोर्ट से जुड़ा कोई काम करना चाहते हैं तो वो भी इस एप के जरिए संभव है. इसमें उपभोक्ता अपने ड्राइविंग लाइसेंस की कौपी भी सेव रख सकते हैं.

जानें ऐसी ही अन्य यूटीलिटी एप्स के बारे में

ई-निवारण एप

यूपी सरकार ने ई-निवारण मोबाइल एप लौन्च की है जिसके जरिए एप से ही बिल जमा किया जा सकेगा. इस एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. डाउनलोड होने के बाद एप को ओपन करें. इसमें बिल में दर्ज अकाउंट नंबर को एंटर करें. इसके बाद ई-मेल और पासवर्ड जनरेट करना होगा.

जैसे ही पासवर्ड जनरेट हो जाएगा उसके बाद ई-मेल और मोबाइल नंबर को वेरिफाई करना होगा. इसके बाद एप पर आपका अकाउंट बन जाएगा. इस एप के होम पेज पर बिजली बिल जनरेट, बिल पेमेंट, शिकायत, नई सूचनाओं के विकल्प दिए गए होंगे. इसे इस्तेमाल करने के लिए उपभोक्ता एप को ओपन करें. अपना अकाउंट ओपन कर मीटर रीडिंग को फीड करें. रीडिंग फीड करने के 24 घंटे में बिल राशि आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेज दी जाएगी. उपभोक्ता पेमेंट के औप्शन में जाकर डेबिट व क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर पाएंगे.

इलेक्ट्रिसिटी और वौटर सर्विस

इस एप को इलेक्ट्रिसिटी और वौटर अथौरिटी ने बनाया है. इसके जरिए उपभोक्ता अपने पानी के बिल के बारे में पता कर सकते हैं. साथ ही उपभोक्ता इससे बिजली तथा पानी के बिल पेमेंट भी कर सकते हैं. इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. इस एप के जरिए उपभोक्ता बड़ी आसानी से बिजली और पानी के बिल का भुगतान कर पाएंगे.

आजकल कंपनियां कई तरह के शैंपू बना रही हैं. अपने बालों के लिए सही शैंपू चुनने का क्या तरीका है.

सवाल
अपने बालों के लिए सही शैंपू चुनने का क्या तरीका है?

जवाब
आजकल कंपनियां कई तरह के शैंपू बना रही हैं. शैंपू के चुनाव के लिए यह जानना जरूरी है कि आप के बाल कैसे हैं. अगर बाल धोने के बाद गरमी के मौसम में अगले ही दिन और सर्दी के मौसम में 2 दिनों में ही चिपचिपे लगें और उन्हें धोने की जरूरत महसूस हो, तो समझें आप के बाल तैलीय यानी औयली हैं.

अगर गरमियों में 2 दिन बाद और सर्दियों में 3 दिन धोने की जरूरत महसूस हो, तो बाल सामान्य हैं. अगर गरमियों में 3 दिन तक और सर्दियों में 4 दिन तक बाल धोने की जरूरत महसूस न हो, तो आप के बाल ड्राई हैं.

शुष्क बालों के लिए हमेशा मिल्की यानी कंडीशनर युक्त शैंपू इस्तेमाल करें. बहुत शुष्क या दोमुंहे बालों के लिए क्रीमी शैंपू के साथ ऐक्स्ट्रा कंडीशनर भी इस्तेमाल करें. औयली बालों के लिए ज्यादातर डीप क्लीन शैंपू का इस्तेमाल अच्छा रहता है.

गूगल प्ले स्टोर से हटाया गया यूसी ब्राउजर, जानें वजह

गूगल प्ले स्टोर से यूसी ब्राउजर हटा लिया गया है. यूसी ब्राउजर के पूरी दुनिया में 50 करोड़ से भी ज्यादा यूजर्स हैं जिसमें से सबसे ज्यादा भारत में 10 करोड़ यूजर्स हैं. मोबाइल ब्राउजर में 50 फीसदी के शेयर के साथ यह सबसे ज्यादा इस्तेमल किया जाने वाला मोबाइल ब्राउजर है.

गूगल ने इस ऐप को प्ले-स्टोर से क्यों हटाया है, इसका अभी तक गूगल या यूसी को ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है लेकिन यूसी ब्राउजर अब प्ले-स्टोर पर नहीं है.

वहीं रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि यूसी ब्राउजर को दूसरे ऐप को यूजर्स को रिडायरेक्ट करके उन्हें गुमराह कर रहा था. रिडायरेक्शन के कारण कई बार यूजर्स के फोन में थर्ड पार्टी ऐप भी इंस्टाल हो जाता है और ऐसे में यूजर्स के फोन में मैलवेयर के आने का खतरा रहता था.

बता दें कि प्ले स्टोर से यूसी ब्राउजर को अस्थाई तौर पर 7 दिनों के लिए हटा दिया गया है जिसकी शुरुआत 13 नवंबर से हो चुकी है. दरअसल, गूगल के पालिसी के हिसाब से इस ब्राउजर की सेटिंग्स फिट नहीं है जिसकी वजह से इसे हटाया गया है.

फिलहाल प्ले स्टोर पर इसका मिनी वर्जन उपलब्ध है. जब तक यूसी ब्राउजर गूगल प्ले स्टोर पर वापस नहीं आ जाता, तब तक यूजर्स यूसी ब्राउजर मिनी यूज कर सकते हैं, जो यूसी का ही एक दूसरा विकल्प है.

वैसे बता दें कि फिलहाल यूसी ब्राउजर के नए वर्जन को गूगल प्ले स्टोर के डिवेलपर कंसोल पर अपलोड कर दिया गया है और इसका मूल्यांकन किया जा रहा है.

मालूम हो कि इससे पहले यह भी रिपोर्ट सामने आई थी कि यूसी ब्राउजर इंडिया के यूजर्स की जानकारियों को चीन की सरकार के साथ शेयर करता है. वहीं आईटी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि इस मामले में दोषी पाए जाने पर यूसी ब्राउजर को प्रतिबंधित किया जा सकता है.

आखिर कब बन पाएगा मोदी का इमरजेंसी एक्शन प्लान

एक साल पहले नई दिल्ली को अपनी गिरफ्त में लेने वाली जहरीली धुंध राजधानी में फिर लौट आई है और इस बार यह पहले से कहीं बदतर है. इस साल यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय सुरक्षित स्तर से करीब 30 गुना ज्यादा तक बढ़ गई थी, जो हर दिन दो पैकेट से अधिक सिगरेट पीने के बराबर माना गया है.

आलम यह था कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित करनी पड़ी. मौजूदा धुंध वायु प्रदूषण का सबसे खतरनाक स्तर है और द लैंसेट पत्रिका में छपी खबर की मानें, तो साल 2015 में भारत में 25 लाख लोगों की मौत की वजह यही धुंध थी.

आज दिल्ली अगर दुनिया की 20 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार है या ‘गैस चैंबर’ कही जाने लगी है, तो इसकी असल वजह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना है. ये किसान इतने गरीब हैं कि वे कृषि अपशिष्टों का निपटारा कम प्रदूषित तरीके से नहीं कर पाते. मगर पराली का इस्तेमाल खाद या बायो-गैस बनाने में करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित और मदद करने की बजाय राज्य सरकारें पराली जलाने पर ही प्रतिबंध लगा देती हैं, जिस पर किसान स्वाभाविक रूप से ज्यादा ध्यान नहीं देते.

जिन लोगों के पास उपाय है, वे तो घरों में ‘एयर प्यूरीफायर’ और बाहर निकलने पर ‘मास्क’ का इस्तेमाल कर सकते हैं, पर धुंध में गरीबों को कहीं से कोई राहत नहीं मिलती. दिवाली से ऐन पहले भारत की सर्वोच्च अदालत ने पटाखों पर प्रतिबंध जरूर लगा दिया था, पर इससे तात्कालिक राहत मिली. ऐसे में, जरूरी है कि वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं. कामचलाऊ उपायों की खिचड़ी कारगर नहीं रहने वाली.

हांफ रहे लाखों भारतीय चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सख्त नेतृत्व का परिचय दें, जिसका वायदा उन्होंने 2014 में चुनाव के वक्त किया था. इस मामले में वह एक ऐसा ‘इमरजेंसी एक्शन प्लान’ बना सकते हैं और उन्हें बनाना भी चाहिए, जिसमें ऐसे फंड की व्यवस्था हो, जो राज्य सरकारों के लिए हो. इस पैसे से राज्य सरकारें किसानों को जल्द ही उन तरीकों को अपनाने में मदद करें, जिनकी मदद से पराली का कम प्रदूषित निपटान संभव हो सके.

दिल्ली-हरियाणा मिलकर घटाएंगे वाहनों का प्रदूषण

प्रदूषण के मसले पर हरियाणा और दिल्ली ने साझा रणनीति बनाई है. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने दो घंटे तक न केवल प्रदूषण फैलने से रोकने के मुद्दे पर मंथन किया, बल्कि बैठक में लिए गए फैसलों के बाद साझा बयान भी जारी किया.

यह पहला मौका था, जब दोनों मुख्यमंत्रियों ने किसी मुद्दे पर आम राय कायम करके साझा बयान जारी किया है. चंडीगढ़ स्थित हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल के निवास पर आयोजित बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा आला अधिकारी भी उपस्थित थे. बैठक में कहा गया कि धुंध अस्थायी, जबकि प्रदूषण स्थायी समस्या है. इससे निपटने के लिए ठोस रणनीति लागू करनी होगी.

इससे दोनों राज्यों के करोड़ों लोगों को इसका लाभ मिलेगा. फैसला लिया गया कि भविष्य में हरियाणा तथा दिल्ली सरकार द्वारा पुराने वाहनों का पंजीकरण नहीं किया जाएगा. दोनों राज्यों की सरकारें सीएनजी के माध्यम से चलने वाले वाहनों को ही प्राथमिकता देंगी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेट्रोल के 15 साल पुराने और डीजल के 10 साल पुराने वाहन नहीं चलाने संबंधी दिए गए आदेशों का पालन किया जाएगा.

अश्विन की सुहागरात पर जब टीम इंडिया ने किया कुछ ऐसा कि…

टीम इंडिया के खिलाड़ियों की मौज-मस्ती किसी से भी छिपी नहीं है. चाहे क्रिकेट का मैदान हो या बाहर, खिलाड़ी अक्सर मस्ती करते नजर आते हैं. खिलाड़ियों के मस्ती-मजाक का एक वाकया टीम इंडिया के हरफनमौला खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन की फर्स्ट नाइट पर भी सामने आया है.

अश्विन की पत्नी प्रीति नारायण ने इसका खुलासा करते बताया कि उस रात टीम ने उन लोगों के कमरे में घुसकर बड़ी खुराफात कर दी थी.

दरअसल, बीते 13 नवंबर को अश्विन की 6वीं सालगिरह थी. इस दौरान अश्विन ने पत्नी को प्यारा सा मैसेज करते हुए लिखा, ‘हमारी शादी को 6 साल हो गए प्रीति. ये वक्त कितनी जल्दी निकल गया. मेरे हर मुश्किल समय में मेरे साथ खड़े रहने के लिए शुक्रिया.’

अश्विन के इस मैसेज के बाद पत्नी ने उन्हें शुक्रिया कहा. प्रीति ने लिखा, ‘शुक्रिया, कठिन वक्त को हमने मिलकर मुकाबला किया. लेकिन क्या तुम्हें लगता है कि हमारी शादी इतनी मजबूत हो गई है कि हम साथ में केटो (डाइट) ले सकते है.

प्रीति ने एक और ट्वीट कर शादी के सालगिरह की बधाई दी. साथ ही उन्होंने शादी का फोटो भी पोस्ट किया और बताया कि शादी की फर्स्ट नाइट को क्या हुआ था. प्रीति ने अगले ट्वीट में लिखा, आज ही के दिन 6 साल पहले हमारी शादी हुई थी और हम कोलकता गए थे. घरवालों ने मुझसे कहा था कि उसे (अश्विन) सोने देना क्योंकि अगले दिन उसका मैच था. लेकिन, उस रात कमरे कुछ अलार्म छुपाकर रखे गए थे जो सारी रात बजते रहे थे. अच्छी बात थी कि अगले दिन टीम को बल्लेबाजी करनी थी.

प्रीति ने आगे लिखा, ‘वह मेरा पहला टेस्ट मैच था. मैं जितना इस मैच के लिए घबराई थी, उतनी ही उत्साहित भी थी. मुझे सबसे अजीब तब लगा जब मैं मैदान में अश्विन को पहचान नहीं पाई.’

मालूम हो कि अश्विन और प्रीति दोनों ने एक ही कालेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और तभी दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे. बाद में दोनों के परिवार को उनके बारे में पता चला और वो उनकी शादी के लिए तैयार हो गए.

चांद की चाहत में थानेदार : जकिया ने सिखाया पुलिस वाले को सबक

जकिया चौहान 13 जून, 2017 को अपने घर पर ही थी. उस का घर जोधपुर शहर में चौपासनी हाउसिंग बोर्ड सोसाइटी में था. यह सोसाइटी पुलिस थाने से करीब सौ मीटर की दूरी पर है. जकिया जिस मकान में रहती थी, उस के भूतल पर उस का ब्लैक मैजिक कैफे चलता था और पहली मंजिल पर वह रहती थी.

उस दिन शाम के समय उस के पास थानाप्रभारी कमलदान चारण का फोन आया. कमलदान चारण जोधपुर शहर के राजीव गांधी नगर के थानाप्रभारी थे. उन्होंने जकिया से कहा, ‘‘मैं आज शाम को आऊंगा, घर पर ही रहना, एंजौय करेंगे.’’

‘‘साहबजी, यह भी तो बता दो कि कितने बजे आओगे?’’ जकिया ने पूछा.

‘‘यही कोई 8-साढ़े 8 बजे तक आ जाऊंगा.’’ उन्होंने कहा.

‘‘ठीक है साहब, मैं इंतजार करूंगी.’’ कहते हुए जकिया के चेहरे पर कुटिल मुसकान उभर आई. थानाप्रभारी से बात खत्म होने के बाद जकिया ने तुरंत अपने मोबाइल से एक नंबर डायल किया. दूसरी ओर से फोन रिसीव किया गया तो उस ने कहा, ‘‘सरजी, मैं जकिया बोल रही हूं. उस थानाप्रभारी ने आज रात 8-साढ़े 8 बजे घर आने को कहा है. मुझे बड़ा डर लग रहा है.’’

‘‘तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. तुम बस इतना ध्यान रखना कि वह तुम से किसी बात पर नाराज न होने पाए.’’ दूसरी तरफ से कहा गया.

‘‘ठीक है सरजी.’’ कह कर जकिया ने फोन काट दिया.crime story

इस के बाद जकिया सोच में डूब गई. उस ने गणपत को फोन किया. गणपत उस के ब्लैक मैजिक कैफे में काम करता था. उस समय वह कैफे में ही था, इसलिए 2 मिनट में ही पहली मंजिल पर पहुंच गया.

गणपत के आते ही जकिया ने कहा, ‘‘आज वह आशिक थानेदार आ रहा है. तुम सब चीजों का ध्यान रखना. किसी तरह की कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.’’

जकिया कमलदान चारण को थानेदार कहती थी. गणपत ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, ‘‘मैडम, आप पूरी तरह बेफिक्र रहें. कोई गड़बड़ नहीं होगी. सारा काम ठीक तरीके से हो जाएगा.’’

अपनी बात कह कर गणपत कैफे में चला गया. जकिया अपने बैड पर लेट गई. लेटेलेटे वह थानेदार कमलदान चारण से करीब 10 दिनों से चल रही मुलाकातों और बातों के बारे में सोचती रही. फिर उस ने थानेदार द्वारा भेजे गए वाट्सऐप मैसेज को पढ़ा. मैसेज पढ़ कर उस की आंखों में गुस्सा तैर आया. लेकिन उस ने खुद को किसी तरह संयमित किया और उठ कर घर के छोटेमोटे काम निपटाने लगी.

रात करीब पौने 8 बजे गणपत जकिया के कमरे में आया. उस ने उसे सारी बातें समझा कर उसे पहली मंजिल पर ही अन्य कमरे में छिपा दिया. इस के बाद उस ने बैड पर फैला छोटामोटा सामान हटा कर ढंग से रख दिया. बैड की चादर करीने से बिछाई और कुरसी पर बैठ कर आशिक थानाप्रभारी का इंतजार करने लगी.

रात करीब साढ़े 8 बजे थानाप्रभारी कमलदान चारण का फोन आया, ‘‘जकिया डार्लिंग, मैं आ गया हूं.’’

‘‘ठीक है, सीढ़ी वाला गेट खुला हुआ है. आप सीधे पहली मंजिल पर आ जाइए.’’ जकिया ने कहा.

लगभग एक मिनट बाद थानाप्रभारी जकिया के कमरे में दाखिल हुए. आते ही उन्होंने दरवाजे की सिटकनी लगा दी. वह एकदम फ्री मूड में नजर आ रहे थे. उन्होंने टीशर्ट और जींस पहन रखी थी. उन्हें कमरे में रखी कुरसी पर बैठने का इशारा करते हुए जकिया ने कहा,‘‘आइए जनाब, हम आप का ही इंतजार कर रहे थे.’’

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‘‘जानम, इंतजार तो हम आप का कर रहे थे.’’ थानेदार ने जकिया की हथेली अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘लेकिन कोई बात नहीं, इंतजार का भी अपना अलग ही मजा है. आखिर आज वह इंतजार खत्म हो जाएगा.’’

चारण ने जकिया का हाथ छोड़ कर कुरसी के बजाय बैड पर बैठते हुए कमरे में चारों ओर पुलिसिया नजरें दौड़ाईं. उस के बाद हंसते हुए कहा, ‘‘भई, इस कमरे में कोई कैमरा वगैरह तो नहीं लगा रखा?’’

‘‘थानेदार साहब, आप भी कैसी बातें करते हैं?’’ जकिया ने अपने चेहरे पर मधुर मुसकान बिखेरते हुए कहा, ‘‘मैं क्या आप को कोई चालबाज हसीना नजर आती हूं? इस कमरे में न तो कोई कैमरा लगा है और न ही कोई दूसरा आदमी है. यहां केवल आप हैं और मैं हूं.’’

‘‘ये हुई न बात,’’ चारण ने जकिया को अपने पास आने का इशारा करते हुए कहा, ‘‘जकिया, तुम सचमुच बड़ी समझदार हो.’’

‘‘साहबजी, मुझे इस जमाने ने समझदार बना दिया है, वरना मैं तो कहां दुनियादारी जानती थी.’’ जकिया ने कमलदान चारण को अपनी बातों में उलझाते हुए कहा, ‘‘इसी दुनियादारी के कारण मैं ने अपने पति को छुड़वाने के लिए आप को एक लाख रुपए नकद और एक लाख रुपए का चैक दे दिया था. अरे हां, आज आप मेरा वह एक लाख रुपए का चैक वापस करने वाले थे, उस का क्या हुआ?’’

कमलदान चारण ने जेब से चैक निकाल कर जकिया को दिखाते हुए कहा, ‘‘देखो, चैक तो मैं ले आया हूं. लेकिन यह चैक दूंगा तभी, जब तुम मुझे खुश कर दोगी.’’

जकिया ने खुद को उस की गिरफ्त से छुड़ाते हुए कहा, ‘‘साहब, ऐसी भी क्या जल्दी है. इतनी गरमी में आए हो, पहले कुछ ठंडा या गरम पी लो. बताओ, क्या लोगे, कोल्ड कौफी या हौट कौफी?’’

‘‘हौट तो तुम हो ही,’’ थानेदार ने जकिया की कमसिन देह को ललचाई नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘तुम कह रही हो तो कोल्ड कौफी पी लेंगे. और हां, तुम्हारे कैफे में तो हुक्का बार भी चलता है. आज किसी अच्छे से फ्लेवर का हुक्का पिला दो तो तुम्हारे साथ का मजा दोगुना हो जाएगा.’’

‘‘साहबजी, हुक्का आप को फिर कभी पिलवा दूंगी.’’ जकिया ने कहा, ‘‘आज तो आप कोल्ड कौफी से ही काम चला लीजिए.’’

कह कर जकिया ने अपने मोबाइल फोन से एक नंबर डायल किया. दूसरी तरफ से फोन रिसीव किया गया तो जकिया ने कहा, ‘‘2 कोल्ड कौफी भेज दो.’’

कमलदान चारण जकिया को अपनी बांहों में लेने को बेचैन था. जकिया उस की बेचैनी को समझ रही थी. उस ने जकिया का हाथ थामा तो उस ने कहा, ‘‘थोड़ा सब्र कीजिए साहब, वेटर कौफी ले कर आता होगा, पहले कौफी तो पी लें.’’

तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया तो जकिया ने कहा, ‘‘शायद कौफी ले कर आ गया.’’

जकिया दरवाजा खोलने के लिए उठी. उस ने जैसे ही दरवाजा खोला, 4-5 हट्टेकट्टे आदमी सीधे कमरे में घुस आए. उन में से एक अधेड़ उम्र के आदमी ने बैड पर बैठे थानाप्रभारी कमलदान चारण से कहा, ‘‘हम भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से हैं.’’crime story

एसीबी की टीम को देख कर कमलदान चारण के मन में छाई सारी उमंगें और रंगीनियां पलभर में गायब हो गईं. उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. वह समझ नहीं पाया कि अचानक यह सब कैसे हो गया?

जकिया ने कहा, ‘‘यही है वह थानेदार, जो मेरी अस्मत लूटने मेरे घर पर आया है.’’

एसीबी की टीम अपने काम में जुट गई. थानाप्रभारी कमलदान चारण की तलाशी में टीम को एक लाख रुपए का वह चैक मिल गया, जो जकिया ने दिया था. टीम ने कमलदान चारण को गिरफ्तार कर लिया. देर रात तक एसीबी की टीम जकिया के घर फर्द बनाने और जब्ती वगैरह की काररवाई में लगी रही.

थानाप्रभारी कमलदान चारण से की गई पूछताछ और एसीबी की जांचपड़ताल में जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी—

इसी साल 3 जून को थाना राजीव गांधी नगर के थानाप्रभारी कमलदान चारण ने मुखबिर की सूचना पर पंकज वैष्णव और गणपत बिश्नोई को एक किलोग्राम अफीम ले जाते हुए गिरफ्तार किया था. पंकज वैष्णव जकिया का पति था. वह अफीम ये लोग होंडा सीआरवी कार में रख कर ले जा रहे थे.

थाने ले जा कर दोनों से पूछताछ की गई तो गणपत ने खुद को इंजीनियरिंग का छात्र बताया और छोड़ देने की गुहार लगाई. थानाप्रभारी ने गणपत के घर वालों को थाने बुला लिया. बाद में सौदेबाजी कर के उस ने गणपत को छोड़ दिया.

पंकज वैष्णव ने बताया कि होंडा सीआरवी कार उस की पत्नी जकिया चौहान की है. इस के बाद थानाप्रभारी ने जकिया को थाने बुला लिया. जकिया कमलदान चारण से अपने पति पंकज को छोड़ देने की सिफारिश करने लगी.

कमलदान चारण ने कहा कि उस के पास से एक किलोग्राम अफीम मिली है, इसलिए इसे जेल जाना ही पड़ेगा, साथ ही केस चलने तक कार भी नहीं छोड़ी जाएगी.

जकिया ने पुलिस के एक दलाल से बात की तो उस के कहने पर थानाप्रभारी इस बात पर सहमत हो गए कि कार को मुकदमे में नहीं दिखाएंगे, लेकिन इस के लिए 2 लाख रुपए खर्च करने होंगे. जकिया ने कहा कि उस के पास इतनी रकम नहीं है तो बिचौलिए ने कहा कि थानाप्रभारी इस से कम में नहीं मानेगा. परेशान हो कर जकिया ने किसी तरह एक लाख रुपए का इंतजाम किया. 1 लाख रुपए नकद और एक लाख रुपए का चैक जकिया ने बिचौलिए के जरिए थानाप्रभारी कमलदान चारण को दे दिए.

थानेदार ने वह चैक इस शर्त पर लिया था कि एक लाख रुपए नकद देने के बाद वह उसे वह चैक लौटा देगा. थानाप्रभारी ने पंकज कुमार वैष्णव और गणपत बिश्नोई को कार में एक किलोग्राम अफीम के साथ पकड़ा था. पर रिश्वत में मोटी रकम मिलने के बाद उस ने गणपत और होंडा सीआरवी कार को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया था. उस ने 3 जून, 2017 को केवल पंकज कुमार वैष्णव के खिलाफ ही राजीवगांधी नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया.

आमतौर पर एनडीपीएस एक्ट के मामले की जांच एसीपी द्वारा दूसरे थाने के समकक्ष अधिकारी को दी जाती है. लेकिन कमलदान चारण ने एसीपी (प्रतापनगर) स्वाति शर्मा को ऐसी पट्टी पढ़ाई कि उन्होंने इस मामले की जांच राजीव गांधी नगर थाने के ही एसआई को सौंप दी. इस की वजह यह थी कि पहली ही मुलाकात में कमलदान जकिया चौहान की खूबसूरती पर मर मिटा था.

इस के लिए उस ने जकिया से वादा भी किया था कि वह इस मामले में उस के पति को छुड़वाने की हरसंभव कोशिश करेगा. जकिया से बातें करने के लिए उस ने उस का मोबाइल नंबर ले लिया था.

कार भले ही छूट गई थी, लेकिन जकिया का पति पंकज जेल में बंद था. जकिया उसे जल्द से जल्द छुड़ाना चाहती थी. परेशानी यह थी कि एनडीपीएस एक्ट के मामले में जल्दी से जमानत नहीं होती. फिर पंकज के पास पुलिस ने एक किलोग्राम अफीम दिखाई थी.crime story

कानून के जानकारों का कहना था कि 250 ग्राम तक अफीम बरामद होने पर सजा का प्रावधान कम है, लेकिन कौमर्शियल क्वालिटी की ज्यादा मात्रा में बरामद अफीम के मामले में 10 से 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. इसी कारण जकिया चिंतित थी. वह पंकज की जल्द से जल्द जमानत कराने की कोशिश में जुटी थी. इस के लिए वह कभी कमलदान चारण को फोन करती तो कभी थाने जा कर उस से जमानत में मदद करने की गुहार लगाती.

कमलदान चारण जकिया की इस मजबूरी का फायदा उठाना चाहता था. वह जकिया को हासिल करने की कोशिश करने लगा. उस ने जकिया से यह भी कह दिया कि वह पंकज से बरामद अफीम की मात्रा 200 ग्राम दिखा देगा, जिस से उस की जमानत जल्द हो जाएगी.

पंकज को जेल भेजने के एकदो दिन बाद ही कमलदान चारण जकिया से प्यारमोहब्बत की बातें करने लगा. वह उसे वाट्सऐप पर ‘आई लव यू’ के अलावा तरहतरह के मैसेज भेजने लगा. वह जकिया की खूबसूरती की तारीफें करता और कहता कि पति को छुड़वाने के लिए उसे कुछ तो कंप्रोमाइज करना ही पड़ेगा.

उस की इस तरह की बातों से जकिया समझ गई कि उस की नीयत ठीक नहीं है. उस की बातों से वह डर गई. उस का दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई. उस का मन तो कर रहा था कि वह उस के सामने जा कर सीधे उस के गाल पर चांटा जड़ दे. पर वह ऐसा नहीं कर सकती थी.

वह कमलदान चारण को सबक सिखाने के बारे में सोचने लगी. एक तरफ पति की चिंता थी और दूसरी तरफ अस्मत बचाने का संघर्ष. वह चाहती थी कि चारण को ऐसा सबक मिले कि वह जिंदगी भर याद रखे. इस के लिए उस ने अपने कैफे में काम करने वाले सब से विश्वासपात्र गणपत बिश्नोई को कमलदान की गलत नीयत की बात बताई.

गणपत को पता था कि थानाप्रभारी ने उसे अफीम के मामले में छोड़ने के लिए घर वालों से मोटी रकम ली थी. इसलिए वह भी उसे सबक सिखाना चाहता था. उस ने अपने परिचित एसीबी के एक अधिकारी से बात की. उस की सलाह पर जकिया ने 9 जून, 2017 को एसीबी में थानाप्रभारी कमलदान चारण के खिलाफ रिश्वत और अस्मत मांगने की शिकायत कर दी.

एसीबी ने उसी दिन शिकायत का सत्यापन कराया. इस सत्यापन में जकिया और थानाप्रभारी कमलदान चारण की कार में बैठ कर की गई सौदेबाजी की सारी बातें रिकौर्ड की गईं. कमलदान जकिया से कह रहा था, ‘मुझे तुम से दोस्ती और प्यार हो गया है. इसलिए तुम ने जो एक लाख रुपए का चैक दिया है, उसे मैं वापस कर दूंगा.’ जकिया ने ये सारी बातें रिकौर्ड कर ली थीं. इस बातचीत में चारण ने यह भी कहा था कि वह 10 से 12 जून तक गांव जाने की वजह से छुट्टी पर रहेगा. गांव से लौटने पर वह उस के पास एंजौय करने आएगा.

गांव जाने के बाद भी कमलदान चारण जकिया से मोबाइल पर संपर्क में रहा. इस बीच वह वाट्सऐप पर मैसेज भी भेजता रहा. वह 12 जून, 2017 की शाम को जोधपुर लौट आया. जोधपुर लौटने पर उस ने 12 जून की शाम को जकिया को फोन कर के नई सड़क स्थित एक होटल में बुलाया. जकिया ने मां की बीमारी का बहाना बना कर उस दिन उसे टाल दिया.

अगले दिन यानी 13 जून को कमलदान चारण ने जकिया को फोन कर के शाम को उस के घर आने की बात कही तो जकिया ने एसीबी को सूचित कर दिया. एसीबी अधिकारियों ने शाम होते ही जकिया के घर के आसपास डेरा डाल दिया. एसीबी के डीएसपी जगदीश सोनी ने जकिया को पहले ही समझा दिया था कि थानाप्रभारी कमरे में आ कर गलत हरकत करने की कोशिश करने लगे तो वह कोल्ड कौफी मंगाने के बहाने फोन कर देगी. जकिया ने ऐसा ही किया, जिस के बाद एसीबी द्वारा वह गिरफ्तार कर लिया गया.

थानाप्रभारी की गिरफ्तारी से जोधपुर पुलिस की बड़ी बदनामी हुई. जोधपुर पुलिस कमिश्नर अशोक राठौड़ ने इस पूरे मामले की जांच बोरानाड़ा के एसीपी सिमरथाराम को सौंप दी. वहीं पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर डीसीपी (पश्चिम) समीर कुमार सिंह ने थानाप्रभारी कमलदान चारण को 14 जून को निलंबित कर दिया. एसीबी ने उसी दिन शाम को कमलदान चारण को मजिस्ट्रैट के घर पर पेश किया. न्यायाधीश ने चारण को 2 दिनों के रिमांड पर एसीबी को सौंप दिया.

रिमांड के दौरान एसीबी ने एक लाख रुपए के चैक के बारे में पूछताछ की तो कमलदान चारण ने कहा कि उस के पास कोई चैक नहीं था. एक लाख रुपए नकद लेने की बात से भी उस ने इनकार कर दिया. प्यार और दोस्ती के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह उस महिला से प्रेम नहीं करता, बल्कि वही उसे फंसा रही थी.

एसीबी ने जब उसे रिकौर्डिंग सुनाई तो उस ने कहा कि यह आवाज उस की नहीं है. कमलदान चारण ने एसीबी को बताया कि जब उन्होंने 3 जून को उस महिला के पति पंकज को अफीम के साथ गिरफ्तार किया था, तब से वह रोजाना थाने आ कर रोती थी. पति के जेल जाने के बाद वह खुद को बेसहारा बता कर बारबार मदद की गुहार लगाती थी. जिस से उसे उस पर तरस आ गया और यही उस की गलती थी.

उस औरत ने आंसुओं की आड़ में उसे हनीट्रैप में फंसाया. वह तो उसे दिलासा दे कर सहारा देने की कोशिश कर रहा था. अफीम वाले मामले में और भी कई लोगों के नाम आने की संभावना है, इसी वजह से उस ने उन के खिलाफ यह साजिश रची.

जोधपुर पुलिस कमिश्नर अशोक राठौड़ ने चारण की गिरफ्तारी को एक सबक बताया. उन्होंने 15 जून को जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के सभी अधिकारियों व थानाप्रभारियों को एक पत्र लिख कर कहा है कि ईमानदारी व ड्यूटी में कमी बरदाश्त नहीं होगी. पत्र में लिखा गया है कि इस घटना से पुलिस की प्रतिष्ठा पर आंच आई है, लेकिन अच्छी बात यह है कि गंदगी बाहर हो गई.

एसीबी ने रिमांड अवधि पूरी होने पर कमलदान चारण को 16 जून को अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया.

बाद में पुलिस ने नए सिरे से जांच कर के 19 जून, 2017 की देर रात को गणपत बिश्नोई को अफीम की तस्करी के मामले में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उसे 4 दिनों के रिमांड पर लिया. पुलिस ने जकिया की वह कार भी जब्त कर ली है, जिसे छोड़ने के लिए जकिया ने कमलदान चारण को रिश्वत दी थी.

22 जून को पुलिस ने निलंबित थानाप्रभारी कमलदान चारण को भी अफीम तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया है. उसे पहले जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लिया गया. थाने में पूछताछ और गिरफ्तार आरोपी गणपत बिश्नोई से क्रौस एग्जामिनेशन के बाद उसे गिरफ्तार किया गया.

कमलदान चारण अफीम तस्करी के उस मामले में गिरफ्तार हुआ, जिस में वह परिवादी था. यानी परिवादी ही आरोपी बन गया. उसे एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन 59 के तहत गिरफ्तार किया गया है. यह धारा एन्फोर्समेंट एजेंसियों के लिए बनी हैं. जो अफसर अपनी ड्यूटी भूल कर अवैध गतिविधियों में लिप्त हो जाता है और आरोपियों को बचाने का प्रयास करता है, उसे इस सेक्शन के तहत गिरफ्तार किया जाता है. इस सेक्शन में जमानत मिलने के आसार बहुत कम होते हैं. इस धारा में न्यूनतम सजा 10 साल और अधिकतम 20 साल है. अब बात करें जकिया चौहान की. जकिया जोधपुर की रहने वाली है. वह 29 सितंबर, 2008 को जोधपुर से अचानक गायब हो गई थी.

उसी साल 4 अक्तूबर को उस के अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ था. बाद में वह दिसंबर में लौट आई थी. तब उस ने कहा था कि वह अपनी मरजी से गई थी. उस समय जकिया की एक युवक से दोस्ती की बात सामने आई थी.

बाद में सन 2009 में उस ने जोधपुर के नामी कांट्रैक्टर के बेटे साहिल से निकाह कर लिया था. साहिल से जकिया को एक बेटा हुआ. बेटा इस समय 7 साल का है. कुछ समय बाद साहिल और जकिया में विवाद होने लगा. यह विवाद इतना बढ़ गया कि करीब 7-8 महीने पहले दोनों में तलाक हो गया.

तलाक होने पर साहिल ने जकिया को कुछ रकम दी. जकिया ने उन पैसों से ब्लैक मैजिक कैफे शुरू किया. कहा जाता है कि इस कैफे में हुक्का बार भी चलता है. जोधपुर  में अन्य हुक्का बार पर पुलिस ने कई बार काररवाई की, लेकिन जकिया के हुक्का बार पर कभी काररवाई नहीं हुई.

पंकज वैष्णव मूलरूप से फलौदी का रहने वाला है. जोधपुर के रातनाड़ा में उस का मकान है. वह कपड़े का काम करता था. जकिया से जानपहचान हुई तो दोनों ने विवाह कर लिया. गणपत बिश्नोई फींच के पास रोहिचा का रहने वाला है. वह बीटेक कर रहा है. गणपत जकिया के ब्लैक मैजिक कैफे में काम करता था.

यह बात भी सामने आई है कि गणपत जकिया का दोस्त था और जकिया उसे बचाना चाहती थी. गणपत का पिता ओमाराम बिश्नोई अफीम का धंधा करता था. उस के खिलाफ अफीम तस्करी के 3 मामले दर्ज हैं. गणपत ही अपने गांव से अफीम लाया था.

वह पंकज के साथ कार में सवार हो कर अफीम बेचने जा रहा था. वह जिसे अफीम बेचने जा रहा था, उसी ने मुखबिरी कर दोनों को पकड़वा दिया. वह ग्राहक हिस्ट्रीशीटर था और बाद में चारण का मुखबिर बन गया था.

अफीम तस्करी में पुलिस ने जो कार जब्त की है, जकिया ने वह कार अपने धर्मभाई की बताई थी. पुलिस की जांच में पता चला कि 15 लाख रुपए की यह कार जकिया ने ही खरीदी थी और उस की किस्तें भी वह खुद ही चुका रही थी. साहिल ने इस कार का एक दिन भी उपयोग नहीं किया था. अफीम तस्करी के मामले का पता चलने पर साहिल ने जकिया से इस बात पर झगड़ा भी किया था.

बहरहाल, इस मामले में पूर्व थानाप्रभारी कमलदान चारण, पंकज वैष्णव और गणपत बिश्नोई जेल पहुंच गए हैं.

जहां चारण को यह मामला उलटा पड़ गया, वहीं जकिया ने भी जिस कार को छुड़ाने के लिए एक लाख रुपए की रिश्वत दी, वह कार जब्त हो गई. जकिया का आरोप है कि उस के पति पंकज वैष्णव को पुलिस ने अफीम के झूठे मामले में फंसाया है.

– कथा पुलिस सूत्रों व अन्य रिपोर्ट्स पर आधारित

सिंदूर के सौदागर : शादी का झांसा देकर लोगों को ठग रही थी ये लड़की

31 मई, 2017 की दोपहर को जब सर्किल इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह एसपी अंशुमान भोमिया से मिलने पहुंचे तो उन के मन में उथलपुथल मची हुई थी. इस की वजह भी वाजिब थी, क्योंकि एसपी साहब आमतौर पर लंच ब्रेक के समय अपने मातहतों को तलब नहीं करते थे. जबकि उन्होंने श्रीचंद सिंह को तत्काल बुलाया था. बहरहाल, इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह सैल्यूट कर के एसपी साहब के सामने जा खड़े हुए.

‘‘तुम्हारे लिए एक खबर है, जो मध्य प्रदेश पुलिस से मिली है.’’ अंशुमान भोमिया ने इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह की ओर देखते हुए कहा, ‘‘उज्जैन और इंदौर में एक गिरोह सक्रिय है, जो शादी कराने के नाम पर लूटखसोट करता है. इस गिरेह ने कोटा में भी पांव पसार लिए हैं.’’

‘‘कोई लीड मिली है सर?’’ श्रीचंद सिंह ने पूछा तो श्री भोमिया ने कहा, ‘‘लीड नहीं, पूरी खबर है. रिद्धिसिद्धिनगर में रहने वाले कारोबारी बसंतीलाल जैन इस गिरोह के हाथों ठगे गए हैं. उन के साथ जबरदस्त धोखा हुआ है, जिस से पूरा परिवार सदमे में है. उन का पैसा भी गया और समाज में खासी बदनामी भी हुई. वे लोग कल तुम से मिलेंगे. इस मामले की जांच मैं तुम्हें सौंपता हूं. अपनी एक विश्वस्त टीम तैयार करो और लग जाओ काम पर.’’

‘‘ठीक है सर, मैं संभाल लूंगा.’’ कह कर श्रीचंद सिंह ने सैल्यूट किया और एसपी साहब के औफिस से बाहर आ गए.

अगले दिन यानी 1 जून को बसंतीलाल जैन अपने बेटों सुशील जैन और मनोज जैन के साथ थाना कुन्हाड़ी आ कर थानाप्रभारी इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह से मिले. इस से पहले कि बसंतीलाल अपना परिचय देते, पहचान लेने के अंदाज में उन्होंने उन्हें बैठने को कहा तो बसंतीलाल ने उन्हें कृतज्ञता की दृष्टि से देखा. बैठते ही उन्होंने श्रीचंद सिंह को अपने बेटों का परिचय दिया. उस के बाद मनोज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘सर, यह मेरा छोटा बेटा मनोज है. इसी की शादी में हम धोखे का शिकार हुए हैं.’’

श्रीचंद सिंह ने हमदर्दी जताते हुए कहा, ‘‘आप की पीड़ा मैं समझ रहा हूं. आप सिलसिलेवार सब कुछ बताइए कि आप के साथ कैसे और क्या हुआ? आप इत्मीनान रखिए, हम बदमाशों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.’’crime story

बसंतीलाल के चेहरे पर राहत के भाव आए और मुरझाए चेहरे पर क्षीण सी मुसकान तैर गई. बसंतीलाल ने एक पल के लिए बड़े बेटे सुशील की तरफ देखा. उस के चेहरे पर सहमति के भाव नजर आए तो उन्होंने आश्वस्त हो कर अपनी नादानी और शादी के बहाने धोखाधड़ी करने वालों के कमीनेपन की कहानी सुनानी शुरू कर दी.

‘‘बड़े खुराफाती लोगों से वास्ता पड़ा आप का तो…’’ करीब एक घंटे तक बसंतीलाल जैन की आपबीती सुनने के बाद इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘‘वारदात का पता आप को अप्रैल में चला और आप पुलिस के पास अब पहुंच रहे हैं 2 महीने बाद?’’

‘‘अब क्या कहूं सर? अपनी जिल्लत और अंधविश्वास की गाथा किसी को सुनाने का हौसला नहीं कर पा रहा था.’’ बसंतीलाल ने कहा, ‘‘बदमाशों का असली चेहरा तो अप्रैल में फेसबुक देखने से ही उजागर हुआ. उसी से उन की करतूतों का पता चला. शादी में 5 लाख रुपए नकद और 15 लाख के जेवर हड़पने के बाद अब 30 लाख और वसूलने की फिराक में हैं. हमें धमका रहे हैं कि रुपए नहीं मिले तो घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के मामले में फंसा देंगे. इस के बाद तो पुलिस का ही सहारा बचा.’’

‘‘ठीक है.’’ श्रीचंद सिंह ने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘‘आप सबइंसपेक्टर के पास जा कर एफआईआर दर्ज करवा दीजिए, उस के बाद देखते हैं.’’

कोटा के कुन्हाड़ी स्थित रिद्धिसिद्धि नगर की चंचल विहार कालोनी के रहने वाले पत्थर कारोबारी बसंतीलाल जैन के परिवार में उन की पत्नी के अलावा 2 बेटे सुशील और मनोज थे. दोनों ही बेटे पिता के पारिवारिक कारोबार  में हाथ बंटा रहे थे. बडे़ बेटे सुशील का विवाह हो चुका था. अब उन्हें छोटे बेटे मनोज की शादी की चिंता थी.

वैवाहिक रिश्तों को ले कर बसंतीलाल की भी एक ही सोच थी कि परिवार मानसम्मान वाला हो और लड़की संस्कारी. मनोज की उम्र 32 साल हो चुकी थी. अभी तक ठीकठाक रिश्ता न मिलने से बसंतीलाल काफी चिंतित थे. अच्छे रिश्ते के लिए उन्होंने अपने सभी परिचितों को कह भी रखा था. इसी साल जनवरी की शुरुआत में उन के जयपुर के एक परिचित अशोक जैन ने बसंतीलाल और उन के बेटों के बारे में उज्जैन निवासी पूनमचंद जैन को जानकारी देते हुए कहा कि काफी अच्छे लोग हैं. ऐसे परिवारों का साथ संयोग से ही मिलता है. उन्होंने उन्हें उन के बारे में बता दिया है, जल्दी ही वे लोग उन से संपर्क करेंगे.

पूनमचंद जैन और बसंतीलाल की मुलाकात इंदौर में रहने वाले संजय जैन के माध्यम से हुई थी. संजय जैन का पता अशोक जैन ने यह कहते हुए दिया था कि रिश्ते की बात वह संजय जैन के माध्यम चलाएं तो ज्यादा बेहतर रहेगा. संजय जैन पूनमचंद जैन को ले कर कोटा पहुंचे. बातचीत में अपने परिवार का ब्यौरा देते हुए पूनमचंद ने बताया कि 4 भाईबहनों में नेहा सब से बड़ी है. 2 भाई हैं पारस और महावीर तथा एक छोटी बहन है नीहारिका.’’

मनोज से नेहा के रिश्ते की बात चलाते हुए जहां पूनमचंद ने उस के रूपगुणों का भरपूर बखान किया, वहीं बसंतीलाल ने भी अपने बेटे मनोज को समझदार और सुशील स्वभाव का बताया.

पूनमचंद ने बातचीत में नेहा को देखने का भी प्रस्ताव रखा, पर बसंतीलाल फोटो देख कर ही आश्वस्त हो गए. पूनमचंद ने बातचीत में जिस तरह से जैन समाज के नियम, कर्म और समाज के विशिष्ट शख्सियतों की चर्चा की, उस से बसंतीलाल काफी प्रभावित हुए. दोनों परिवार एकमत थे, इसलिए शुभ काम में देरी का कोई मतलब नहीं था.

फलस्वरूप नेहा और मनोज की सगाई 15 जनवरी, 2017 को कर दी गई. सगाई समारोह का आयोजन कुन्हाड़ी स्थित होटल कान्हा पैलेस में किया गया. बसंतीलाल मूलरूप से खानपुर के चांदखेड़ी कस्बे के रहने वाले थे. इसलिए शादी पूरी धूमधाम के साथ बसंतीलाल के पैतृक गांव चांदखेड़ी से हुई.crime story

शादी में कन्या पक्ष के काफी रिश्तेदर आए थे. शादी का पूरा खर्च बसंतीलाल के परिवार ने ही वहन किया, यहां तक कि उन के रहने और आवाजाही के लिए गाडि़यां भी वर पक्ष ने ही उपलब्ध कराई थीं. मनोज और नेहा के परिणय सूत्र में बंध जाने के बाद नेहा दुलहन बन कर चंचल विहार, कोटा स्थित अपनी ससुराल आ गई.

मनोज थोड़ा संकोची स्वभाव का था, जबकि नेहा दबंग किस्म की मौडर्न लड़की थी. अभी बसंतीलाल के घर वाले हंसीठिठोली के साथ मनोज को शादी की बधाइयां ही दे रहे थे कि सजीसंवरी दुलहन ने यह कह कर मनोज के होश उड़ा दिए कि उस ने व्रत ले रखा है, इसलिए जब तक वह पूरा नहीं हो जाता, तब तक वह न तो सुहाग कक्ष में आ सकता है और न उसे छू सकता है.

उस ने यह भी कहा कि यह व्रत एक विशिष्ट पूजा के साथ उज्जैन लौटने पर ही टूटेगा. शुरू में लोगों ने दुलहन के इस हठ को यह सोच कर हल्के में लिया कि वह समझानेबुझाने से मान जाएगी. लेकिन नेहा को न मानना था और न मानी. मनोज नहीं चाहता था कि शादी की शुरुआत में ही मतभेद बढ़ें और बात घर के बाहर जाए.

नतीजतन मनोज को उस की मनमानी के आगे झुकना पड़ा. बाद में नेहा उज्जैन गई तो एक महीने तक न तो उस ने अपनी कोई खैरखबर दी और न ही लौटने की मंशा जताई. मनोज की काफी मानमनुहार के आगे झुक कर वह कोटा आई भी तो केवल 2 दिनों के लिए. वह यह कह कर वापस चली गई कि उस के भाई की शादी है. इन 2 दिनों में भी नेहा ने मनोज को अपने पास नहीं फटकने दिया था.

मनोज तो नेहा की मनमानी से दुखी था ही, बसंतीलाल को भी उस का व्यवहार अटपटा लग रहा था. उन्होंने मनोज से पूछा भी कि यह कैसा समधियाना है कि बहू के भाई की शादी है और हमें खबर तक नहीं. उत्सुकतावश उन्होंने नेहा के पिता पूनमचंद से बात करने के लिए फोन किया तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला.

नेहा के व्यवहार से असमंजस में डूबा जैन परिवार अब क्या किया जाए, इसी उधेड़बुन में था कि तभी अचानक नेहा लौट आई तो सब ने राहत की सांस ली. लेकिन यह खुशी भी 2 दिनों से ज्यादा नहीं टिकी. उस ने यह कहते हुए सीकर जाने की रट लगा दी कि उसे वहां बहन की शादी में जाना है.

इस अजबगजब की स्थिति में उलझे बसंतीलाल के सब्र का पैमाना छलक गया. आखिर उन्होने नेहा से पूछा, ‘‘बहू, यह कैसी रिश्तेदारी है कि तुम्हारे भाई की शादी हुई, हमें बुलाना तो दूर औपचारिक खबर तक नहीं दी गई? अब तुम कह रही हो कि तुम्हारी बहन की शादी है? लेकिन तुम्हारे पिता की तरफ से हमें कोई खबर नहीं दी गई हैं. उन का फोन भी औफ आ रहा है.’’

इस सवाल का जवाब नेहा ने 2 टूक लहजे में दिया, ‘‘इतने बड़े व्यापारी हैं पापा, नहीं होगा उन के पास बात करने का समय. क्या शादी के वक्त ऐसा कोई वादा किया गया था कि पापा हर खबर आप को देंगे? मुझे सीकर जाना है तो बस जाना है.’’

बहू के इस जवाब से बुरी तरह आहत और अपमानित बसंतीलाल सिर थाम कर बैठ गए. बड़ा बेटा सुशील भी हतप्रभ रह गया. लेकिन मनोज बुरी तरह सुलग उठा. पर नेहा की गुस्से से भरी आंखों को देख वह भी विवश हो कर रह गया. नेहा सीकर जाने की जिद पूरी कर के ही मानी. उस के जाने के बाद हतप्रभ बेटे को बसंतीलाल ने यह कह कर दिलासा दी कि इस उम्र में लड़कियों का मातापिता से ज्यादा लगाव होता है. इसलिए इस बात को दिल से न लगाए, आहिस्ताआहिस्ता सब ठीक हो जाएगा.

जैसी उम्मीद थी कि धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा, लेकिन वैसा नहीं हुआ. अलबत्ता बसंतीलाल की उलझनें और बढ़ गईं. दरअसल, महीना भर बीतने के बाद भी जब नेहा नहीं लौटी और न ही उस ने कोई खबर दी तो आशंकित परिवार  ने उज्जैन जाना ठीक समझा. पर उज्जैन पहुंच कर उन्हें आघात तब लगा, जब पूनमचंद परिवार सहित अपने बताए पते पर नहीं मिला.

आशंकाओं में डूबतेउतराते बसंतीलाल ने जब फोन पर उन से संपर्क किया तो उन का कहना था कि वे फिलहाल अपने रिश्तेदारों के यहां आए हुए हैं. नेहा भी उन्हीं के साथ है. पूनमचंद ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि वह नेहा को ले कर जल्दी ही पहुंचेंगे.

हैरानपरेशान बसंतीलाल के परिवार ने राहत की सांस ली. कुछ ही दिनों बाद नेहा कोटा पहुंच गई. लेकिन बसंतीलाल परिवार की खुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रही सकी. एक पखवाड़े बाद ही नेहा ने यह कहते हुए उज्जैन जाने की रट लगा दी कि वह यहां के माहौल में ऊब गई है और कुछ दिनों के लिए चेंज चाहती है.

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बसंतीलाल अच्छे कारोबारी थे तो दुनियादार भी थे. अंदेशों से घिरे बसंतीलाल ने नेहा की जिद पर यह सोच कर घुटने टेक दिए कि मनमानी पर उतारू लड़की ने कोई उलझन खड़ी कर दी तो बेमतलब की परेशानी खड़ी हो जाएगी. लेकिन पिछले 3 महीनों में नेहा की हरकतों ने उन के मन मे अंदेशों के हजार फन खड़े कर दिए थे. अपने बेटे सुशील और परिवार के शुभचिंतकों से अपनी शंका साझा करते हुए उन्होंने मशविरा मांगा कि अब उन्हें क्या करना चाहिए?

उन का शंकित होना स्वाभाविक था. सामने सवाल ही सवाल थे. टूट कर चाहने वाला शील स्वभाव पति, छोटी बहू होने के नाते परिवार का भरापूरा लाड़प्यार और मानसम्मान. इस के बावजूद नेहा ससुराल से बारबार क्यों भाग रही है? क्यों वह अपने पति को पास फटकने नहीं दे रही है? समधियाने में शादीब्याह हो रहे हैं, लेकिन उन्हें बुलाना तो दरकिनार, कोई खबर तक नहीं दी जा रही है.

रिश्ते की बात के समय स्नेह भाव उडे़लने वाले पूनमचंद जैन से सीधे मुंह बात तक करना मुश्किल हो रहा था. रिश्ते का जरिया बने अशोक जैन और संजय जैन भी बातचीत से कन्नी काट रहे थे. अशोक जैन का यह कहना उन्हें बुरी तरह आहत कर गया कि ‘भाई साहब, रिश्ता बताना मेरा काम था, ऊंचनीच और भलाबुरा आप को देखना चाहिए था. इस में मैं क्या कर सकता हूं?’

जिस समय बसंतीलाल का परिवार ऊहापोह में डूबा हुआ था, उसी समय एक विस्फोटक घटना ने उन की रहीसही उम्मीद छीन ली. बसंतीलाल जिस बहू के आने की उम्मीद गंवा चुके थे, वह एकाएक लौटी तो जरूर, लेकिन उस के चेहरे पर स्त्री सुलभ मुसकान के बजाय आक्रामक तेवर थे. अपने पिता पूनमचंद के साथ कोटा पहुंची नेहा ने जो कहा, उस ने पहले से ही हताश बंसतीलाल परिवार पर वज्रपात का काम किया.

नेहा ने गुस्से में कहा, ‘‘अब तुम सीधेसीधे 50 लाख रुपए देने की तैयारी कर लो, वरना घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना में फंसा कर तुम सभी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दूंगी.’’

यह सुन कर मनोज तो वहीं गश खा कर गिर पड़ा. नेहा और पूनमचंद जिस अफरातफरी के साथ आए थे, वैसे ही वापस लौट गए.

बदहवास और बेहाल करने वाली इन घटनाओं के बीच सदमे में डूबे जैन परिवार के लिए उम्मीदों का सूरज भी उगा. यह इत्तफाक ही था कि 25 मई को बसंतीलाल के बड़े बेटे सुशील की पत्नी शालिनी (परिवर्तित नाम) जब नेहा के कमरे की सफाई कर रही थी तो उसे बैड के नीचे एक मोबाइल फोन पड़ा मिला. वह मोबाइल फोन नेहा का था. उस ने मोबाइल अपने पति सुशील को दे दिया. उत्सुकतावश सुशील ने उस की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में एक ऐसा नंबर पकड़ में आया, जिस पर रोजाना सब से ज्यादा फोन किए गए थे. सुशील ने जब यह बात अपने पिता बसंतीलाल और भाई मनोज को बताईं तो उन्होंने जिज्ञासावश मैमोरी कार्ड को खंगालना शुरू किया.

फिर तो हकीकत जान कर उन की आंखें फटी रह गईं. मैमोरी कार्ड से पता चला कि नेहा का असली नाम माया उर्फ सोना ठाकुर था और किसी संजय से उस के अनैतिक संबंध थे. यह बात पता चलने के बाद जैन परिवार ने उस के नाम की फेसबुक खोजनी शुरू कर दी.

उन की मेहनत रंग लाई और नेहा उर्फ सोना ठाकुर की फेसबुक मिल गई. फेसबुक पर उस के अलगअलग लोगों के साथ उत्तेजक भावभंगिमाओं और अश्लील मुद्राओं वाले फोटोग्राफ्स थे. इस से यह पुष्टि हो गई कि नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर कालगर्ल थी और उस का पूरा गिरोह देहव्यापार में डूबा था. संजय जैन इस गिरोह का सरगना था. इस जानकारी के बाद ही बसंतीलाल एसपी अंशुमान भोमिया से मिले थे.

जांच आगे बढ़ाने और किसी भी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर के कोटा और उस के आसपास के संबंधों की जानकारी जरूरी थी. यह सूचना बसंतीलाल के परिवार अथवा उन के परिचितों से ही मिल सकती थी. श्रीचंद सिंह की इस थ्यौरी की ठोस वजह थी कि जो गिरोह देहव्यापार से जुड़ा है और शादी कर के लोगों को फंसाने का काम भी करता है, उस का कहीं न कहीं स्थानीय संपर्क जरूर होगा.

श्रीचंद सिंह के जेहन में एक ऐसी ही घटना और भी थी, जो नजदीकी कस्बे रामगंजमंडी में घटी थी. इस घटना में लुटेरी दुलहन ने पति की हत्या कर के उस की लाश को जमीन में गाड़ दिया था. इस वारदात को अंजाम देने में भी मध्य प्रदेश के ही किसी गिरोह का हाथ था.

रामगंजमंडी की वारदात को जेहन में रखने की वजह यह थी कि बसंतीलाल जैन ने अपने बयान में इस बात का जिक्र किया था कि रिश्ते की बातचीत के दौरान पूनमचंद ने नेहा का जो आधार कार्ड दिखाया था, वह रामगंजमंडी से बनवाया गया था.

रामगंजमंडी में श्रीचंद सिंह और उन की टीम को इस से ज्यादा कोई जानकारी नहीं मिली कि नेहा का आधार कार्ड बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था. कार्ड बनवाने वाले कौन थे, काफी कोशिश के बाद भी उन का कुछ पता नहीं चला. पुलिस टीम ने सूत्र हाथ लगने की उम्मीद में करीबी शहर बारां में भी खोजखबर ली. वहां भी कुछ  समय पहले ऐसी ही वारदात हुई थी.

इस घटना में कोतवाली पुलिस ने एक मैरिज ब्यूरो संचालक तथा 2 युवतियों समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन इस से भी श्रीचंद सिंह को नेहा के स्थानीय संपर्क सूत्रों की कोई जानकारी नहीं मिली. 5 दिनों तक आसपास के इलाकों की जांच में पुलिस को इस से ज्यादा कुछ नहीं मिला.

अपनी अब तक की जांच का ब्यौरा श्रीचंद सिंह ने एसपी अंशुमान भोमिया को दिया. उन्होंने अपनी जांच की सभी जानकारियां भी उन से साझा कीं. उन्होंने मामले की गहन जांच के लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन और इंदौर जाने के निर्देश दिए.

अगले दिन 6 जून को श्रीचंद सिंह अपनी टीम के साथ उज्जैन के लिए रवाना हो गए. इस बीच एसपी अंशुमान भोमिया ने इंदौर क्राइम ब्रांच के एएसपी अमरेंद्र सिंह को भी अपनी रणनीति से अवगत कराया.

उधर श्रीचंद सिंह अपनी टीम के साथ इंदौरउज्जैन के कस्बाई इलाकों में डेरा डाले हुए वहां की पुलिस की मदद से ऐसे गिरोहों की जानकारी जुटाने में लगे थे. 7 दिनों की अथक भागदौड़ के बाद आखिर नतीजा सामने आ गया. राजस्थान और मध्य प्रदेश का यह साझा औपरेशन कामयाब रहा.

8 जून को लुटेरी दुलहन नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर पुलिस की गिरफ्त में आ गई. इंदौर क्राइम ब्रांच के एएसपी अमरेंद्र सिंह के अनुसार, कोटा पुलिस से मिली सूचना के बाद नेहा को गिरफ्तार कर लिया गया. कोटा पुलिस के सीआई श्रीचंद सिंह ने इंदौर क्राइम ब्रांच के एएसपी को नेहा के उज्जैन स्थित लीला का बागीचा में छिपे होने की इत्तला दी थी.

नेहा के गिरफ्त में आते ही श्रीचंद सिंह ने एसपी भोमिया को टीम की कामयाबी की जानकारी दी. एमपी पुलिस ने आवश्यक काररवाई के बाद नेहा को कोटा पुलिस के हवाले कर दिया. उसी दिन नेहा को गिरफ्तार कर के श्रीचंद सिंह अपनी टीम के साथ कोटा आ गए.

कुन्हाड़ी थाना पुलिस ने नेहा को शनिवार 9 जून को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान पुलिस पूछताछ में नेहा ने कई चौंकाने वाले रहस्य उजागर किए. उस ने स्वीकार किया कि 11 साल पहले उस की शादी इंदौर में गोमा की फैल निवासी मुकेश ठाकुर से हुई थी. उस की एक बेटी भी थी.

लेकिन पति से झगड़े के बाद वह अलग रहने लगी. संजय ने उसे दौलत कमाने के लिए फर्जी शादी का रास्ता बताया. वह उस के साथ इस धंधे से जुड़ गई. उस ने बताया कि संजय ने उसे जैन समाज की बेटी बता कर मनोज जैन के परिवार को उस का फोटो भेजा था.

फोटो पसंद करने और रिश्ता पक्का करने के लिए वह भी पूनमचंद जैन के साथ कोटा आया था. नेहा के नाम से आधार कार्ड भी उसी ने बनवाया था, ताकि राजस्थान का परिवार उस पर विश्वास कर सके.

फर्जी मातापिता रिश्तेदार और घराती भी संजय ने तैयार किए थे. उसी ने ही फर्जी शादी की पूरी प्लानिंग की थी, साथ ही उन लोगों ने एक माह तक मनोज और उस के घर वालों की रेकी की थी. नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर फिलहाल न्यायिक अभिरक्षा में है.

पुलिस की एक टीम अभी भी इंदौर में पड़ाव डाले हुए है, ताकि गिरोह के सरगना संजय और उन के साथियों को गिरफ्तार किया जा सके. पुलिस ने नेहा और उस के गिरोह के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया है.

बसंतीलाल जैन और उन के घर वालों का कहना है कि हमारे लाखों रुपए चले गए और मनोज का घर भी नहीं बस पाया. पूरा परिवार सदमे में है. लेकिन उन का एक ही मकसद है कि ऐसे लोग बेनकाब हों, ताकि समाज के दूसरे लोग सतर्क हो सकें.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मां-बाप पर भारी अंकिता : प्यार की एक अनोखी कहानी

कानपुर शहर के स्वरूपनगर इलाके में एक मोहल्ला है आर्यनगर. इस मोहल्ले में ज्यादातर उच्च या मध्यमवर्ग के लोग रहते हैं. रूपेश गौतम का परिवार आर्यनगर में धर्मशाला के पास रहता था. उन के परिवार में पत्नी प्रीति के अलावा 2 बेटियां वंदना और अंकिता थीं. वंदना ज्यादा पढ़ीलिखी तो नहीं थी, पर थी सुंदर. सयानी होते ही रूपेश गौतम ने उस का विवाह रमेश से कर दिया था. रमेश सरकारी नौकरी में था. वंदना अपने पति के साथ खुश और सुखी थी.

रूपेश गौतम की दूसरी बेटी अंकिता भी काफी सुंदर थी. अंकिता जैसेजैसे सयानी होती गई, उस के रूपलावण्य में निखार आता गया. 17 वर्ष की होतेहोते यौवन ने अंकिता की सुंदरता में चार चांद लगा दिए. अंकिता की खूबसूरती ने कई युवकों को उस का दीवाना बना दिया. सूरज भी उन्हीं दीवानों में एक था.

सूरज अंकिता के पड़ोस में ही रहता था. उस के पिता भैरोप्रसाद गौतम औटो पार्ट्स का व्यापार करते थे. जबकि सूरज इलेक्ट्रीशियन था और मकानों में बिजली की वायरिंग के ठेके लेता था. 5 भाइयों में सूरज तीसरे नंबर का था. वह हाईस्कूल से आगे नहीं पढ़ सका था. बाद में उस ने अपने एक दोस्त की सलाह पर बिजली का काम सीखा और कुशल इलेक्ट्रीशियन बन गया.

सूरज हृष्टपुष्ट सजीला नौजवान था. वह खूब कमाता था और बनसंवर कर रहता था. सूरज मन ही मन अंकिता को चाहने लगा था. अंकिता भी उस की आंखों की भाषा समझती थी. वह उसे अच्छा भी लगता था. फलस्वरूप धीरेधीरे उस के मन में भी सूरज के प्रति आकर्षण पैदा होने लगा.

अंकिता स्वरूपनगर स्थित विद्या मंदिर इंटर कालेज में पढ़ती थी और रोजाना पैदल ही कालेज जाती थी. उस के कालेज आनेजाने के समय सूरज उस का पीछा किया करता था. उस की आंखों की भाषा पढ़ कर अंकिता भी गाहेबगाहे उसे कनखियों से देखने लगी थी. अंकिता की इसी अदा से सूरज समझ गया कि अंकिता भी उसे चाहने लगी है.social

धीरेधीरे दोनों के दिलों में प्यार का समंदर उमड़ने लगा. एक दिन सूरज को अपने पीछे आता देख अंकिता ठिठक कर रुक गई. उस का दिल जोरों से धड़क रहा था. अंकिता के अचानक रुकने से सूरज भी चौंक कर ठिठक गया. अंकिता उस के दिल में समाई हुई थी. जब उस से नहीं रहा गया तो वह लंबेलंबे डग भरते हुए अंकिता के सामने जा कर खड़ा हो गया.

‘‘तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो?’’ अंकिता ने त्यौरियां चढ़ा कर पूछा.

‘‘तुम से कुछ कहना था अंकिता.’’ सूरज झिझकते हुए बोला.

‘‘बोलो, क्या कहना चाहते हो?’’ अंकिता ने उस की आंखों में आंखें डाल कर पूछा.

सूरज ने अपनी जेब से कागज की एक पर्ची निकाली और अंकिता को थमा कर बोला, ‘‘घर जा कर पढ़ लेना. सब समझ में आ जाएगा.’’

अंकिता ने मन ही मन मुसकराते हुए वह कागज ले लिया और बिना कुछ बोले अपने घर चली गई. हालांकि अंकिता को अनुमान था कि उस कागज में क्या लिखा होगा, फिर भी वह उसे पढ़ कर तसल्ली कर लेना चाहती थी. घर पहुंच कर उस ने कपड़े बदले और अपने कमरे में जा कर सूरज का दिया हुआ कागज निकाल कर पढ़ा. उस में लिखा था—

‘आई लव यू अंकिता. तुम्हें देखे बगैर मुझे चैन नहीं मिलता. अगर तुम मुझे न मिलीं तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगा. —तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा सूरज गौतम.’

पत्र पढ़ कर अंकिता के दिल के तार झनझना उठे. उस की चाहत को पर लग गए. अंकिता ने उस पत्र की एकएक लाइन को कईकई बार पढ़ा. उस के मन में सतरंगी सपने तैरने लगे. दिन बीता और रात हुई तो अंकिता ने रात में सूरज के नाम एक पत्र लिखा. पत्र में उस ने अपनी सारी भावनाएं उड़ेल दीं. उस ने लिखा—

‘मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूं. इतना प्यार, जितना कभी किसी ने नहीं किया होगा. कह इसलिए नहीं सकी कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ. तुम्हारे बिना मैं भी नहीं जीना चाहती. मैं तो चाहती हूं कि हर समय तुम्हारी बांहों के घेरे में बंधी रहूं.

—तुम्हारी अंकिता.’

उस दिन मारे खुशी के अंकिता को ठीक से नींद नहीं आई. अगली सुबह जब वह कालेज जाने के लिए घर से निकली तो सूरज उसे पीछेपीछे आता दिखाई दिया. नजरें मिलीं तो दोनों मुसकरा दिए. अंकिता बेहद खुश नजर आ रही थी. अंकिता ने सावधानी से अपना लिखा पत्र जमीन पर गिरा दिया और आगे बढ़ गई. पीछेपीछे चल रहे सूरज ने इधरउधर देखा और पत्र को उठा कर दूसरी तरफ चला गया. एकांत में जा कर उस ने अंकिता का पत्र पढ़ा तो वह खुशी के मारे झूम उठा. जो हाल अंकिता के दिल का था, वही हाल सूरज का भी था. अंकिता ने पत्र का जवाब दे कर उस का प्यार स्वीकार कर लिया था.

दोपहर बाद जब कालेज की छुट्टी हुई तो अंकिता ने सूरज को गेट पर इंतजार करते पाया. एकदूसरे को देख कर दोनों के दिल मचल उठे. कालेज से चंद कदमों की दूरी पर मोती झील पार्क था. दोनों पार्क में जा पहुंचे. पार्क के सुनसान कोने में बैठ कर दोनों ने अपने दिल का हाल एकदूसरे को कह सुनाया.

सूरज ने एक नजर आसपास डाली और मौका देख कर अंकिता को अपनी बांहों में भर कर उस के गालों का चुंबन अंकित कर दिया. यह उस के प्यार की मोहर थी. सूरज के चुंबन से अंकिता के गाल शर्म से गुलाबी हो उठे. वह सूरज की बांहों से निकल कर भागी तो सूरज ने दौड़ कर उसे पीछे से पकड़ लिया. दोनों देर तक एकदूसरे से छेड़छाड़ करते रहे. पार्क में कुछ देर प्यार की अठखेलियां कर के दोनों घर लौट आए.

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अंकिता और सूरज के बीच प्यार का इजहार हुआ तो जैसे उन की दुनियां ही बदल गई. इस के बाद दोनों अकसर मिलने लगे. अंकिता और सूरज के दिलोदिमाग पर प्यार का ऐसा जादू चढ़ा कि उन्हें एकदूसरे के बिना सब कुछ सूनासूना सा लगने लगा. जब भी मौका मिलता, दोनों घंटोंघंटों एकांत में बैठ कर अपने ख्वाबोंख्यालों की दुनिया सजाने लगते.

अब तक दोनों ने साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं थीं. एक बार मन से मन मिला तो फिर दोनों के तन मिलने में देरी नहीं लगी. समय यूं ही बीतता रहा. समय के साथ अंकिता और सूरज का प्यार परवान चढ़ता रहा. इस बीच अंकिता इंटर पास कर के बीए (प्रथम वर्ष) में आ गई थी.

अंकिता और सूरज ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की कि उन के प्रेमसंबंधों का किसी को पता न चले. लेकिन एक दिन अंकिता के चचेरे भाई ने उसे और सूरज को मोतीझील पार्क में हंसीठिठोली करते देख लिया. वहां तो वह कुछ नहीं बोला, पर घर आ कर उस ने अंकिता की मां के कान भर दिए. अंकिता जब घर लौटी तो उस की मां प्रीति उस पर बरस पड़ी, ‘‘कहां से आ रही है?’’

‘‘कालेज से आ रही हूं.’’

‘‘कालेज की छुट्टी हुए तो घंटों बीत गए. सचसच बता कहां थी?’’

अंकिता समझ गई कि उस की चोरी पकड़ी गई है. कोई चारा न देख उस ने सिर झुका लिया. हकीकत जान कर प्रीति ने समाज और बिरादरी का हवाला दे कर अंकिता को खूब समझाया. उस ने हिदायत दी कि भविष्य में वह सूरज से न मिले. अंकिता पर लगाम कसने के लिए प्रीति ने कुछ दिनों तक उस का कालेज जाना बंद करा दिया, साथ ही उस पर निगरानी भी रखने लगी.

कहते हैं कि लाख पहरे बैठाने के बाद भी प्यार को कैद नहीं किया जा सकता. अंकिता का प्यार भी पहरे का मोहताज नहीं बन सका. मांबाप की निगरानी के बावजूद अंकिता का सूरज से मिलना बंद नहीं हो सका. किसी न किसी बहाने वह सूरज से मिलने का मौका ढूंढ ही लेती थी. जब कभी मिलना संभव नहीं होता तो वह उस से मोबाइल फोन पर बतिया लेती थी.

उन्हीं दिनों एक दिन अंकिता कालेज से देर से घर लौटी तो उस की मां उस पर फट पड़ी, ‘‘आ गई गुलछर्रे उड़ा कर. पढ़ाई का बहाना बना कर घर से निकलती है और उस लफंगे सूरज के साथ प्यार की पींगे बढ़ाती है. आखिर तुझे हो क्या गया है? क्यों हमारी इज्जत नीलाम करने पर तुली है?’’

अंकिता कुछ देर मौन रही, फिर जब मां की बातें बर्दाश्त नहीं हुईं तो वह बोली, ‘‘मां मैं आप की इज्जत नीलाम नहीं कर रही हूं. प्यार करना कोई गुनाह नहीं है, सूरज और मैं एकदूसरे से प्यार करते है और शादी करना चाहते हैं. सूरज अच्छा लड़का है, अपनी ही जातिबिरादरी का, कमाता भी अच्छा है. आखिर उस में बुराई क्या है, जो आप लोग उस का विरोध कर रहे हैं?’’social

इस पर प्रीति तमतमा कर बोली, ‘‘तो बात शादी तक जा पहुंची. देखती हूं, तू उस से कैसे ब्याह रचाती है? आज के बाद तेरी पढ़ाईलिखाई सब बंद, घर के बाहर निकलना भी बंद.’’

शाम को रूपेश गौतम घर आए तो प्रीति ने पति को सारी बात बताई. इस पर रूपेश ने भी अंकिता को जम कर फटकारा और उस के घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी.

अंकिता पर पहरा लगा तो उस का सूरज से मिलनाजुलना बंद हो गया. मिल न पाने से अंकिता और सूरज दोनों परेशान हो उठे. सूरज अंकिता से मोबाइल पर बात करने की कोशिश करता, लेकिन बात नहीं हो पाती. बात होती भी कैसे, मां ने अंकिता का न केवल फोन छीन लिया था, बल्कि उस का सिम भी निकाल कर फेंक दिया था. सूरज अंकिता के घर के आसपास मंडराता रहता. लेकिन अंकिता उसे कहीं नहीं दिखती थी. सूरज को घर के सामने मंडराता देख कर प्रीति उसे बेइज्जत करती, लेकिन सूरज कोई जवाब नहीं देता.

कहते हैं, सच्चा प्यार करने वालों को कोई न कोई राह मिल ही जाती है. अंकिता के साथ भी यही हुआ. करीब साल भर तक घर वालों की कड़ी निगरानी में रहने के बाद सब को लगा कि अब अंकिता के सिर से सूरज के प्यार का भूत उतर गया है. इसलिए उन्होंने उसे घर के बाहर जाने की छूट दे दी. वह कालेज भी जाने लगी. यह अलग बात थी कि अंकिता कालेज जाती तो उस की मां भी उस के साथ जाती थी.

सूरज को जब पता चला कि अंकिता कालेज जाने लगी है तो वह कालेज के गेट पर उस का इंतजार करने लगा. कई दिनों के बाद एक दिन सूरज की अंकिता से मुलाकात हो गई. लेकिन उस की मां साथ थी, इसलिए दोनों में बात नहीं हो सकी. कुछ देर बाद अंकिता की मां प्रीति घर चली गई तो अंकिता कालेज के गेट पर आ गई. सूरज उसी का इंतजार कर रहा था.

अंकिता सड़क पार कर के उस के पास पहुंच गई. फिर दोनों वहां से मोतीझील पार्क पहुंचे. एकांत में दोनों मिले तो बिछुड़ने का दर्द छलक पड़ा. अंकिता सूरज के सीने से लग कर सुबकने लगी. कुछ देर में आंसुओं का सैलाब थमा तो वह बोली, ‘‘सूरज, अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मुझे ऐसी जगह ले चलो, जहां प्यार के दुश्मन न हों. अगर तुम ने जल्दी ही कोई रास्ता न निकाला तो मैं जीवित नहीं रह पाऊंगी.’’

अंकिता की बात सुन कर सूरज उसे अपनी बांहों में भर कर बोला, ‘‘धीरज रखो अंकिता, हम जल्दी ही यह शहर छोड़ देंगे. क्योंकि तुम्हारी जुदाई मुझ से भी बर्दाश्त नहीं होती. न खानेपीने में मन लगता है, न काम में.’’

‘‘पर हम घर छोड़ कर जाएंगे कहां?’’ अंकिता ने पूछा.

‘‘मैनपुरी जिले के बेवर कस्बे में मेरा एक अजीज दोस्त रहता है. उसे हम दोनों के प्रेम संबंधों की जानकारी है. उस ने हमारी मदद करने का वादा किया है. घर छोड़ने के बाद उसी का घर हमारा ठिकाना होगा.’’ सूरज ने अंकिता को बताया. आपसी सहमति से घर छोड़ने का निश्चय कर अंकिता और सूरज अपनेअपने घर चले गए. सूरज पैसे जुटाने में जुट गया, जबकि अंकिता गुपचुप तरीके से घर छोड़ने की तैयारी में लग गई. उस ने घर वालों को जरा भी आभास नहीं होने दिया कि वह घर छोड़ने वाली है.

20 जून, 2017 को प्रीति की तबीयत खराब थी. उपयुक्त मौका देख कर अंकिता ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया. अपने फैसले के बारे में उस ने मोबाइल से सूरज को भी अवगत करा दिया और मोतीझील पार्क के गेट पर मिलने को कहा. इस के बाद अंकिता ने मां से कहा कि वह एडमिशन फार्म लेने कालेज जा रही है. 1-2 घंटे बाद वापस लौट आएगी. प्रीति ने साथ चलने को कहा तो वह बोली, ‘‘मां, तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है, तुम आराम करो. मैं जल्दी ही लौट आऊंगी.’’

मां को आश्वासन दे कर अंकिता घर से निकल पड़ी. वादे के मुताबिक वह मोतीझील पार्क के गेट पर जा पहुंची. वहां सूरज पहले से ही उस का इंतजार कर रहा था. वहां से दोनों रावतपुर बसस्टैंड पहुंचे और बस से बेवर के लिए रवाना हो गए.

इधर जब शाम तक अंकिता घर नहीं लौटी तो प्रीति का माथा ठनका. उस ने यह जानकारी अपने पति रूपेश गौतम को दी तो वह भी दुकान छोड़ कर घर आ गए. रूपेश ने अंकिता की खोज शुरू की, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. रूपेश व प्रीति को शक हुआ कि कहीं सूरज तो उन की बेटी को बहलाफुसला कर भगा नहीं ले गया. सच्चाई का पता लगाने प्रीति उस के घर गई. पता चला कि सूरज भी घर से गायब है. इस से प्रीति को पक्का यकीन हो गया कि सूरज ही उस की बेटी अंकिता को भगा ले गया है.

21 जून को 10 बजे प्रीति अपने पति रूपेश गौतम के साथ थाना स्वरूपनगर पहुंची. थाने पर उस समय इंसपेक्टर संजय कुमार सिंह मौजूद थे. प्रीति ने उन्हें अपनी तहरीर दे दी. तहरीर में प्रीति ने लिखा था कि वह आर्यनगर धर्मशाला के पास रहती है. पड़ोस में रहने वाले भैरोप्रसाद का बेटा सूरज उस की बेटी अंकिता को बहलाफुसला कर कहीं भगा ले गया है. तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर के उस की बेटी को बरामद करने की कृपा करें.

इंसपेक्टर संजय कुमार सिंह ने तहरीर ले कर प्रीति को आश्वासन दिया कि वह शीघ्र ही उन की बेटी को बरामद कर के आरोपी को जेल भेज देंगे. आश्वासन मिलने के बाद प्रीति व रूपेश घर लौट आए. संजय कुमार सिंह ने इस मामले की जांच बेनाझाबर चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य को सौंप दी.

चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य ने जांच शुरू की तो पता चला कि अंकिता और सूरज एकदूसरे से प्रेम करते हैं. अंकिता अपनी मरजी से सूरज के साथ गई है. फिर भी मौर्य ने सूरज के पिता भैरोप्रसाद को चौकी बुलवा कर उन पर दबाव बनाया कि वह सूरज को घर लौट आने को कहें, वरना जेल जाने की नौबत आ सकती है. पुलिस की धमकी से भैरोप्रसाद डर गए. उन्होंने सूरज के मोबाइल पर बात करने का प्रसास किया, लेकिन बात न हो सकी.

24 जून को प्रीति और रूपेश बेटी की चिंता में डूबे थे, तभी प्रीति के मोबाइल की घंटी बजी. प्रीति ने मोबाइल उठा कर हैलो कहा तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘मां, मैं अंकिता बोल रही हूं. मैं बेवर में सूरज के साथ राजीखुशी से रह रही हूं. मैं ने आर्यसमाज मंदिर में सूरज के साथ शादी कर ली है.’’

प्रीति ने घर वापस आने के लिए कहा तो वह बोली, ‘‘मां, अगर आप लोग जिद छोड़ कर सूरज के साथ मेरी शादी के लिए राजी हो जाओ तो मैं घर आ सकती हूं.’’

अंकिता की बात सुन कर प्रीति ने फोन काट दिया. प्रीति ने अंकिता का फोन आने की जानकारी चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य को दी तो मौर्य ने प्रेमीयुगल से फोन कर बात की. मौर्य ने प्रेमीयुगल को घर लौट आने को कहा, साथ ही उन की मदद करने का आश्वासन भी दिया.

सूरज को चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य की बात पर यकीन नहीं हुआ. लेकिन जब अंकिता ने सूरज को समझाया तो वह वापस लौटने को राजी हो गया. 3 जुलाई की दोपहर में सूरज और अंकिता हाथ में हाथ डाले बेनाझाबर चौकी पहुंच गए.

दोनों ने चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य को अपनी प्रेमकहानी और आर्यसमाज मंदिर में शादी करने की बात बताई और सुरक्षा देने के साथ मदद की गुहार भी लगाई. अंकिता ने मौर्य को खुद के बालिग होने के सबूत भी दिए. सबूत देखने के बाद मौर्य ने प्रेमीयुगल को एक करने का निर्णय ले लिया. उन्होंने सबूत के तौर पर अंकिता का बयान दर्ज कर लिया.

रामशरण मौर्य ने अंकिता और सूरज के घर वालों को चौकी पर बुलवा लिया. दोनों पक्षों के बीच करीब एक घंटे तक पंचायत चली. जिस के अगुवा खुद रामशरण मौर्य बने. लंबी बहस के बाद सूरज के घर वाले तो शादी के लिए राजी हो गए, लेकिन अंकिता की मां प्रीति व पिता रूपेश गौतम राजी नहीं हुए. चूंकि अंकिता बालिग थी और सूरज से शादी को राजी थी, इसलिए मौर्य ने दोनों की शादी करवाने का निश्चय कर लिया.

चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य ने चौकी में ही फूल मालाएं मंगवा लीं, साथ ही मिठाई व कोल्डड्रिंक भी. वधू पक्ष के लोग शादी में शामिल नहीं हुए, जबकि वर पक्ष के लोग ढोल मंजीरे के साथ चौकी आ गए. कई युवक ढोल की थाप पर थिरकने लगे. चौकीप्रभारी ने आगंतुकों का स्वागत किया. ढोल की थाप के बीच अंकिता और सूरज ने एकदूसरे को जयमाला पहनाईं. इस अनोखी शादी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.

जयमाला होने के बाद चौकी के बगल में स्थित धर्मशाला में अंकिता व सूरज के फेरे कराए गए. पूरे रस्मोरिवाज के साथ दोनों की शादी संपन्न हुई. चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य ने खुद कन्यादान किया. शादी संपन्न होने के बाद मिठाई बांटी गई.

शादी के बाद अंकिता और सूरज ने चौकीप्रभारी रामशरण मौर्य को अपना दत्तक पिता माना और उन के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. इस के बाद सूरज अपने घर वालों के साथ अपनी दुलहन अंकिता को चौकी से विदा करा कर घर ले गया. इस तरह अंकिता और सूरज के प्यार की जीत हुई.

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