जकिया चौहान 13 जून, 2017 को अपने घर पर ही थी. उस का घर जोधपुर शहर में चौपासनी हाउसिंग बोर्ड सोसाइटी में था. यह सोसाइटी पुलिस थाने से करीब सौ मीटर की दूरी पर है. जकिया जिस मकान में रहती थी, उस के भूतल पर उस का ब्लैक मैजिक कैफे चलता था और पहली मंजिल पर वह रहती थी.

उस दिन शाम के समय उस के पास थानाप्रभारी कमलदान चारण का फोन आया. कमलदान चारण जोधपुर शहर के राजीव गांधी नगर के थानाप्रभारी थे. उन्होंने जकिया से कहा, ‘‘मैं आज शाम को आऊंगा, घर पर ही रहना, एंजौय करेंगे.’’

‘‘साहबजी, यह भी तो बता दो कि कितने बजे आओगे?’’ जकिया ने पूछा.

‘‘यही कोई 8-साढ़े 8 बजे तक आ जाऊंगा.’’ उन्होंने कहा.

‘‘ठीक है साहब, मैं इंतजार करूंगी.’’ कहते हुए जकिया के चेहरे पर कुटिल मुसकान उभर आई. थानाप्रभारी से बात खत्म होने के बाद जकिया ने तुरंत अपने मोबाइल से एक नंबर डायल किया. दूसरी ओर से फोन रिसीव किया गया तो उस ने कहा, ‘‘सरजी, मैं जकिया बोल रही हूं. उस थानाप्रभारी ने आज रात 8-साढ़े 8 बजे घर आने को कहा है. मुझे बड़ा डर लग रहा है.’’

‘‘तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. तुम बस इतना ध्यान रखना कि वह तुम से किसी बात पर नाराज न होने पाए.’’ दूसरी तरफ से कहा गया.

‘‘ठीक है सरजी.’’ कह कर जकिया ने फोन काट दिया.crime story

इस के बाद जकिया सोच में डूब गई. उस ने गणपत को फोन किया. गणपत उस के ब्लैक मैजिक कैफे में काम करता था. उस समय वह कैफे में ही था, इसलिए 2 मिनट में ही पहली मंजिल पर पहुंच गया.

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