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घूंघट में सरपंच: तरक्की की राह नहीं आसान

कुछ समय पहले एक गांव में हुए एक कार्यक्रम में जाने का मौका मिला. उस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महिला सरपंच थीं. मंच पर 5 लोग बैठे थे, लेकिन उन में कोई भी औरत नहीं थी.

मैं ने एक गांव वाले से पूछा, ‘‘क्या आप की सरपंच बाहर गई हुई हैं?’’

वह बोला, ‘‘जी नहीं, वह तो यहीं बैठी है.’’

मैं ने कहा, ‘‘कहां हैं?’’

उस ने भीड़ में इशारे से कहा, ‘‘जो औरत घूंघट में बैठी है, वही सरपंच है.’’ मुझे हैरानी हुई और पूछा, ‘‘जब वे सरपंच हैं, तो मंच पर क्यों नहीं बैठीं? जमीन पर क्यों बैठी हैं?’’

गांव वाले ने बताया, ‘‘मंच पर सरपंचपति बैठे हैं. हर बार वे ही अपनी पत्नी की जगह शामिल होते हैं.’’ मुझ से रहा नहीं गया. मैं ने वह कार्यक्रम करा रहे लोगों से उस महिला सरपंच को मंच पर बिठाने को कहा. इस पर उन में से एक आदमी ने कहा, ‘‘यह गांव है, शहर नहीं. यहां की औरतें चाहे सरपंच क्यों न बन जाएं, वे रहती घूंघट में ही हैं. वे तो नाममात्र की सरपंच होती हैं. असल में तो उन का पति ही सारा काम देखता है.

‘‘कई सरपंच तो 5वीं जमात पास भी नहीं होतीं. यहां तक कि उन्हें दस्तखत करने तक नहीं आते. ऐसे में वे मंच पर कैसे बैठेंगी? वे घूंघट में ही रहती हैं. ‘‘जो औरत अनपढ़ हो, वह भला भाषण कैसे देगी? यही वजह है कि ज्यादातर महिला सरपंच घर में ही बैठी रहती हैं और गांव वाले उन के पतिको ही सरपंच मानते हैं. गांव में तो सरपंचपति की ही चलती है.’’ मैं ने कहा, ‘‘जो औरत परदे में रहती हो, किसी से बातचीत तक नहीं करती हो, उसे सरपंच बनाने का क्या मतलब है? क्या इन की जगह किसी पढ़ीलिखी, जागरूक औरत को गांव वाले सरपंच नहीं चुन सकते?’’

‘‘क्या करें, सरपंच का पद औरत के लिए रिजर्व किया गया है. गांव के माहौल को तो आप जानते ही हैं. यहां की औरतें तो कुएं की मेढक होती हैं. उन्होंने बाहर की दुनिया देखी ही नहीं होती है.’’ यह बात सुन कर मैं ने कहा, ‘‘जब वे अपने हकों और फर्ज तक को नहीं जानतीं, तो गांव की दूसरी औरतों के हक के लिए लड़ाई कैसे लड़ेंगी?’’ वे जनाब इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे पाए. कार्यक्रम खत्म होने के बाद मैं ने सरपंचपति से भी मुलाकात की और उसे नारी सशक्तीकरण की अहमियत समझाई, लेकिन उस के आगे मर्द होने का अहम आड़े आ गया. मालूम पड़ा कि वह खुद भी पढ़ालिखा नहीं था और दकियानूसी खयालों का था. वह खुद नहीं चाहता था कि उस की पत्नी का घूंघट उठे. वह तो बस पत्नी की सत्ता हथियाना चाहता था. यह कहानी किसी एक गांव या किसी एक महिला सरपंच की नहीं है, बल्कि ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जिन में सरपंच भले ही पत्नी हो, लेकिन उस की चाबी पति के हाथों में होती है. सरपंच होने के बावजूद उसे दुनियादारी की कोई खबर नहीं होती. पति जैसी पट्टी पढ़ाता है, वह उसे मान लेती है. पति जहां दस्तखत करने या अंगूठा लगाने को कहता है, वह वैसा ही कर देती है. दरअसल, घूंघट में रहने वाली महिला सरपंच अपने पति के हाथ की कठपुतली बन कर रह जाती है.

हर गांव में तकरीबन आधी आबादी औरतों की होती है. आज भले ही औरतें थोड़ाबहुत पढ़लिख लेती हों, लेकिन गांव का माहौल होने की वजह से उन के चेहरे से घूंघट नहीं हटा है. ऐसे में सरपंच होते हुए भी उन की अपनी कोई पहचान नहीं होती. वे अपने पति के नाम से ही जानी जाती हैं. कैसी अजीब बात है कि सरपंच के चुनाव में मतदाता बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और उसे अपना वोट देते हैं, जिस का चेहरा तक उन्होंने नहीं देखा होता. ऐसे में उसे पहचानने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. ज्यादातर घूंघट में रहने वाली महिला सरपंच को मतदाता उस के पति को देख कर वोट देते हैं. घूंघट में रहने वाली सरपंच अपने मतदाताओं को पहचानती तक नहीं है. घूंघट में रहना लोकतंत्र और औरत जाति के लिए एक चुनौती है. समय के साथ बहुतकुछ बदल गया है और आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन नहीं बदली है तो गांव के लोगों की सोच. घूंघट में जीना यहां की औरतों की जिंदगीभर की कहानी है. औरतें भले ही इस बात को न मानें कि वे घूंघट में घुटनभरी जिंदगी जी रही हैं, लेकिन इस कड़वी सचाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.

राजनीति घूंघट में रह कर नहीं हो सकती. इस के लिए बेबाक होना पड़ता है, तभी उस का असर पड़ता है. जब औरतें घूंघट में होंगी, किसी कार्यक्रम में मंच पर बैठेंगी ही नहीं या घूंघट निकाल कर बैठेंगी, तो वहां के हालात बड़े अजीबोगरीब हो जाते हैं. गांवों में तरक्की हुई है, बराबरी बढ़ी है, लेकिन नहीं बदली है तो वहां के लोगों की सोच. औरतों को अपने से कमतर मानने की सोच के चलते ही उन के चेहरे से परदा नहीं हट पा रहा है. औरतों के सिर से घूंघट हटाने के लिए एक सजग क्रांति की जरूरत है. इस के लिए लड़कियों के मातापिता को आगे आना होगा. उन्हें अपनी बेटियों की शादी उसी परिवार में करानी चाहिए, जहां घूंघट का बंधन नहीं हो और वे आसानी से सांस ले सकें. घूंघट में रह कर औरतें अपनी जिंदगी के तानेबाने को कैसे बुन सकती हैं? घूंघट में रह कर राजनीति या समाजसेवा नहीं की जा सकती. गांव की तरक्की न केवल औरतों के पढ़ेलिखे होने पर टिकी है, बल्कि घूंघट मुक्त समाज पर भी निर्भर करती है.

कुश्ती में गोल्ड जीतते ही फिल्मी अंदाज में भागी दिव्या

दिव्या काकरान भारतीय कुश्ती में नया नाम नहीं है. 19 साल की दिव्या एशियन चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं. लेकिन राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में अभी तक गोल्ड नहीं जीत पाई थीं. अब उनका यह सपना भी पूरा हो गया है. खास बात यह है कि उनकी साधारण पृष्ठभूमि के कारण ही वह गोल्ड मेडल जीत सकीं.

मध्यप्रदेश के इंदौर में आयोजित राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप के दौरान यह बात सामने आई जब दिव्या ने 68 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड जीत कर बाहर की दौड़ लगा दी. यह नजारा कुछ कुछ फिल्मों जैसा था. जब दिव्या ने दौड़ लगाई तो किसी को समझ ही नहीं आया कि वह कहां जा रही हैं.

दिव्या भागते हुए सीधे बाहर लगे एक स्टाल में पहुंची जहां पहलवानों के कपड़े बिक रहे थे. अब तक किसी को भी समझ नहीं आया था कि वहां हो क्या रहा है. इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता दिव्या ने अपना जीता हुआ मेडल पहलवानों के कपड़े बेचने वाले एक व्यक्ति के गले में डाल दिया. यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि दिव्या के पिता सूरज काकरान थे. ऐसा भावुक पल केवल फिल्मों में ही देखने को मिलता है, लेकिन वहां यह सबकुछ हकीकत में हो रहा था. अंदर बेटी कुश्ती का फाइनल मैच खेल रही थी और बाहर पिता पहलवानों के कपड़े बेच रहे थें.

इस घटना ने सभी का ध्यान दिव्या की साधारण पृष्ठभूमि पर खींच लिया, लेकिन उस वक्त माहौल जश्न का था. हो भी क्यों न, यह राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में जीता गया दिव्या का पहला गोल्ड मेडल जो था.

आपको बता दें कि दिव्या दिल्ली की रहने वाली हैं और 10 साल की उम्र से ही लड़कों के साथ पहलवानी में मुकाबला कर रही हैं. उनकी मां पहलवानों के लिए कपड़े सिलती हैं और उन कपड़ो को उनके पिता बेचते हैं. उनके घर के हालात सही नहीं है इसलिए दिव्या अपनी पहलवानी से घर की आजीविका में खासा योगदान देना चाहती हैं, जो हो नहीं पाता.

हालांकि पिता सूरज का कहना है कि अभी उनका गुजारा दिव्या की कमाई से ही चल पा रहा है, शायद यही वजह रही कि उसने इस चैम्पियनशिप में उत्तर प्रदेश की ओर से खेलने का फैसला किया, क्योंकि उत्तर प्रदेश में चैम्पियन पहलवानों को अच्छी ईनामी राशि दी जाती है.

अब सस्ता हुआ घर खरीदना, इस बैंक ने सबसे सस्ते होम लोन का किया एलान

यदि आप अपना घर लेने की सोच रहे हैं तो इसके लिए सबसे अच्छा समय चल रहा है. बैंकों की तरफ से इस समय सस्ती दर पर होम लोन औफर किए जा रहे हैं. ऐसे में आप भी इस मौके का फायदा उठा सकते हैं. बैंक औफ बड़ौदा (BOB) और एसबीआई (SBI) की तरफ से सस्ते होमलोन की घोषणा किए जाने के बाद देना बैंक ने भी सस्ती ब्याज दर पर लोन देने का ऐलान किया है. सस्ती ब्याज दर के मामले में देना बैंक (Dena Bank) ने एसबीआई (SBI) को भी पीछे छोड़ दिया है.

पिछले दिनों सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई (SBI) और बैंक औफ बड़ौदा (BOB) की तरफ से 8.30 प्रतिशत की दर पर होमलोन देने की घोषणा की गई थी. अब देना बैंक ने 8.25 फीसदी पर होम लोन उपलब्ध कराने की घोषणा की है. इस तरह होम लोन पर ब्याज दर के मामले में देना बैंक ने एसबीआई को भी पीछे छोड़ दिया है. देना बैंक की यह पेशकश खुदरा कर्ज कार्निवल का हिस्सा है. ये इस साल के अंत तक रहेगा.

देना बैंक के खुदरा कर्ज कार्निवल के तहत 16 नवंबर 2017 से 31 दिसंबर 2017 तक होमलोन 8.25 फीसदी से लेकर 9.0 प्रतिशत ब्याज पर दिया जाएगा. आपको बता दें कि देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने नवंबर के शुरुआत में 8.3 प्रतिशत पर होमलोन और 8.7 प्रतिशत पर औटो लोन देने की घोषणा की थी. उस समय होमलोन की यह दर सबसे सस्ती थी.

बैंक की तरफ से कहा गया कि आवास ओर वाहन कर्ज को बढ़ावा देने के लिए ‘कार्निवल’ की शुरुआत की जा रही है. इसके तहत 75 लाख रुपए तक का कर्ज 8.25 प्रतिशत और कार लोन 9 प्रतिशत सालाना ब्याज पर दिया जाएगा. हालांकि महिलाओं को वाहन के लिए कर्ज 8.9 प्रतिशत ब्याज पर मिलेगा. देना बैंक ने कहा है कि वे इस अवधि में कर्ज के लिए किसी तरह की प्रोसेसिंग शुल्क नहीं लेगा.

आपको बता दें कि फिलहाल कई निजी बैंकों की तरफ से 8.35 प्रतिशत की दर पर होमलोन औफर किया जा रहा है. इस हिसाब से आपके लिए देना बैंक के अलावा एसबीआई और बैंक औफ बड़ौदा से होमलोन लेना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

अपने पुराने स्मार्टफोन को सिक्योरिटी कैमरा बनाकर करें घर की सुरक्षा

आज के समय में कुछ भी नामुमकिन नहीं है. बदलते दौर की बदलती टेक्नोलाजी ने आज हमारे हर काम को बेहद आसान कर दिया है. इसी टेक्नोलाजी के द्वारा आप अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल न सिर्फ कालिंग के लिए बल्कि कैमरा, स्कैनिंग जैसे कई कामों के लिए भी करते हैं. इतना ही नहीं, अगर आपके पास कोई पुराना स्मार्टफोन है तो आप उसे सिक्योरिटी कैमरा बनाकर उसका इस्तेमाल अपने घर की सुरक्षा के लिए भी कर सकते हैं. जी हां, आप अपने स्मार्टफोन के जरिये दुनिया के किसी भी कोने पर रह कर अपने घर या आफिस की रखवाली कर सकते हैं.

तो आइये जानते हैं उन दो ऐप के बारे में जिससे आप अपने पुराने स्मार्टफोन को सिक्योरिटी कैमरे की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.

इसके लिए सबसे पहले आपके पास एक एंड्रायड स्मार्टफोन का होना जरूरी है. अब अपने फोन में गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद आईपी वेबकेम (IP Webcam), होम सिक्योरिटी अलफ्रेड (Home Security-Alfred) ऐप को डाउनलोड करें. यह आपके फोन के कैमरे को और भी ताकतवर बनाता है.

आईपी वेबकेम (IP Webcam) ऐप कैसे करेगा काम

आईपी वेबकेम ऐप को अपने एंड्रायड स्मार्टफोन में पहले डाउनलोड करें. इसके बाद ऐप को ओपन करने से पहले सेटिंग में जाकर ऐप के अंदर जाएं. इसके बाद आपके फोन में मौजूद जितने भी कैमरा ऐप हैं, उन्हें फोर्स स्टाप कर दें. इसके बाद आईपी वेबकेम ऐप को ओपन करें.

अब प्लग-इन के विकल्प पर जाएं, उसमें दिए गए सभी फीचर्स को इन्स्टाल कर आन कर दें. अगर इसमें किसी फीचर को आन नहीं करेंगे तो वो फीचर काम नहीं करेगा.

अब ऐप में बैक जाकर सबसे नीचे दिए स्टार्ट सर्वर आप्शन को टैप करें. उसमें आने वाले विंडो को यस (yes) कर दें.

विंडो में वेबकेम (Webcam) का आईपी (IP) एड्रेस आएगा. इसे आप कापी कर लें, कापी करने के बाद इस आईपी एड्रेस को उस फोन या लेपटाप पर डालकर एंटर करें, जिसमें से आपको लाइव वीडियो देखना है.

इस सम्पूर्ण प्रक्रिया के बाद एक विंडो खुल जाएगी. यहां ब्राउजर पर टैप करें और आपको लाइव वीडियो दिखने लगेगा.

होम सिक्योरिटी अलफ्रेड (Home Security-Alfred) ऐप

इसके लिए भी सबसे पहले अपने पुराने फोन पर होम सिक्योरिटी अलफ्रेड ऐप डाउनलोड करें. अब आप जिस फोन या फिर टैबलेट से इसे मानिटर करना चाहते हैं, उसपर भी इस ऐप को इंस्टाल कर लें. इसके बाद ऐप को ओपन कर उनमें एक ही ईमेल एड्रेस से लाग-इन कर लें. उसके बाद यह तय कर लें कि किस फोन को सिक्योरिटी कैमरा बनाना है और किसे रिसीवर. ध्यान रखें कि इसके काम करने के लिए आपके फोन में वाई-फाई या फिर इंटरनेट कनेक्शन का होना जरूरी है.

जब आप सेटअप कर लेंगे तो आपको तस्वीरें दिखाई देने लगेंगी.

अब इन सम्पूर्ण प्रक्रिया के बाद आपका सिक्योरिटी कैमरा घर की सुरक्षा करने के लिए तैयार है. इसके लिए घर में फोन को उस जगह लगाएं, जहां पर उसे आसानी से चार्ज किया जा सकें, नहीं तो फोन की बैटरी डाउन होने पर आप मानिटरिंग नहीं कर सकेंगे.

रिटायरमेंट के बाद चौकीदारी का काम करता था ये भारतीय खिलाड़ी

बीते जमाने के फिल्मी सितारों की गुरबतों के किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी के बारे में बताएंगे जो रिटायर होने के बाद पाई-पाई को मोहताज हो गया. आज की पीढ़ी जनार्दन नवले को नहीं जानती. लेकिन नवले की मार्मिक कहानी से आपका भी दिल भर जाएगा.

जनार्दन नवले 1932 में इंग्लैण्ड के दौरे पर जाने वाली भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के सदस्य थे. जनार्दन नवले विकेटकीपर के तौर पर भारतीय टीम में खेलते थे. उन्होंने भारत के लिए दो टेस्ट मैच खेले थे जिनमें क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लौर्ड्स के मौदान पर खेला गया टेस्ट भी शामिल था.

एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय टीम से अलग होने के बाद नवले की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी थी. कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने अपने अंतिम दिन मुंबई-पुणे हाईवे पर भीख मांगकर गुजारे थे. वहीं कुछ अन्य लोगों के अनुसार नावले ने पुणे की एक चीनी मिल में चौकीदारी करते हुए दिन काटे.

नवले का जन्म सात दिसंबर 1902 को महाराष्ट्र के फूलगांव में हुआ था. वो भारतीय टीम में अपना पहला मैच 25 जून 1932 को इंग्लैण्ड के खिलाफ लौर्ड्स पर खेले थे. मैच की दोनों पारियों में उन्होंने विकेट कीपिंग करे अलावा दोनों परियो में सलामी बल्लेबाज भी रहे थे.

उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच भी इंग्लैण्ड के खिलाफ ही 15 दिसंबर 1933 को खेला था. महज दो टेस्ट खेलने वाले नवले ने कुल 42 रन बनाए थे. उनका बल्लेबाजी औसत 13 रन प्रति मैच रहा. उनका अधिकतम स्कोर 13 रन रहा. दो टेस्ट मैचों में उन्होंने एक स्टंपिंग की, नवले ने 65 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे.

प्रथम श्रेणी में उन्होंने 19.18 के औसत से 1976 रन बनाए थे. प्रथम श्रेणी में नवले ने नौ अर्धशतक बनाए थे. प्रथम श्रेणी में उनका अधिकतम स्कोर 96 रहा था. नवले की तारीफ करते हुए मशहूर पत्रिका विज़्डन ने लिखा था, “पहले दर्जे के विकेटकीपर, जो भी करते हैं उसमें बहुत फुर्तीले हैं.” नवले का 76 वर्ष की उम्र में सात सितंबर को 1979 को पुणे में निधन हो गया.

आम आदमी की जेब पर भारी पड़ेगा बीएस-6 ईंधन

दिल्ली में लगातार प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए अगले साल से ही बीएस-6 (BS-6) पेट्रोल और डीजल लाने का फैसला लिया गया है. यह फैसला राज्य सरकार की तरफ से लिया गया है. हालांकि माना जा रहा है कि बीएस-6 को जिस वजह से राजधानी दिल्ली में लागू किया जा रहा है, उसमें यह ज्यादा बदलाव करे या न करे लेकिन यह आपकी जेब पर ज्यादा असर जरूर डालने वाला है.

क्या है बीएस-6

बीएस-6 का पूरा नाम भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड्स है जिसे BS यानि भारत स्टेज के नाम से भी जाना जाता है. बीएस-6 उत्सर्जन मानक है, जिसका इस्तेमाल इंजन और मोटर व्हीकल्स से निकलने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्र‍ित करने के लिए किया जाता है.

बीएस-6 फ्यूल के तहत पेट्रोल और डीजल में सल्फर की मात्रा को प्रति मिलियन (PPM) के दसवें हिस्से तक ही सीमित कर दिया जाता है. बीएस-6 ईंधन वाले वाहनों को नाइट्रोजन आक्साइड उत्सर्जन 68 फीसदी से कम करना होगा. उन्हें पर्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन को भी मौजूदा मानक से 5 गुना ज्यादा कम करना होगा.

क्यों लिया बीएस-6 का फैसला

पिछले दिनों 7 नवंबर से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. इसी बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राज्य सरकार ने बीएस-6 ईंधन को दो साल पहले ही इस्तेमाल करने का फैसला कर लिया है. हालांकि बीएस-6 गाड़ियां 2020 से ही आएंगी. माना जा रहा है कि इसके लागू होने पर प्रदूषण नियंत्रण के मानक कड़े हो जाएंगे.

बढ़ेगा खर्च

भारतीय आटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स सोसायटी (एसआईएम) को बीएस-6 ईंधन में अपग्रेड करने के लिए जो सुरक्षा मानक अपनाए जाएंगे, जिसके लिए भारी खर्च करना पड़ सकता है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसे लागू करने में एक लाख करोड़ रुपये तक का खर्च आएगा. इसमें आटो इंडस्ट्री को 35 से 45 फीसदी खर्च करना पड़ सकता है. इस खर्च की वजह से कंपनियों की जेब पर दबाव बढ़ेगा. खर्च वहन करने के लिए कम्पनियां कारों की कीमतो में बढ़ोतरी करेगी, जिससे कारें काफी हद तक महंगी हो जाएगी. कारें महंगी होगी तो जाहिर सी बात है कि इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा.

सुरक्षा मानक बनेंगे वजह

कारों की कीमत बढ़ने के पीछे इनके सुरक्षा मानकों को लेकर किये जा रहे इंतजाम वजह बनेंगे. 2018 में पेट्रोल-डीजल के बीएस-6 नार्म्स का होने के बाद 2020 में गाड़ियों के लिए बीएस-6 सुरक्षा मानक लागू किये जाएंगे. इससे कारों की कीमतों में 60 हजार रुपये की बढ़ोतरी होने की आशंका है. दरअसल केंद्र सरकार कारों के लिए नये सेफ्टी नार्म्स जारी करने जा रही है. इन नियमों को लागू करने से कारों की कीमत में इजाफा होगा. आटोमोबाइल इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है कि जब नये नियम लागू हो जाएंगे, तब कारों की कीमत में ये इजाफा होना तय है. उनके मुताबिक यह बढ़ोतरी कच्चे माल, सप्लाई चेन और फारेक्स निवेश में बढ़ने वाले खर्च की वजह से होगी.

प्रियांक की एक्स गर्लफ्रेंड ने कहा, हर शो पर चाहिये उसे एक लड़की

कई दिनों से बिग बौस के घर में प्रियांक और बेनाफ्शा की नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. दोनों साथ में न सिर्फ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताते नजर आ रहे हैं बल्कि रात में भी साथ सोते हुए भी दिखे हैं. प्रियांक और बेनाफ्शा की करीबियां देख पिछले दिनों प्रियांक की गर्लफ्रेंड दिव्या ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया. वहीं वह टेलीविजन पर ये सब देख कर काफी दुखी हैं. वह कहती हैं कि वह ये सब देख कर काफी विचलित हो गई हैं.

खबरों की मानें तो दिव्या बताती हैं, ‘मैंने इस चीज का हमेशा ध्यान रखा कि हम दोनों एक दूसरे को डेट कर रहे हैं. हालांकि जब वह बिग बौस के पहले हफ्ते में घर से बाहर हो गए थे तो भी मैं उनसे मिल नहीं पाई थी. ‘आगे दिव्या कहती हैं, ‘मैं उस प्रियांक को जानती थी जो जेन्युअन थे. उनकी फीलिंग्स दिखावटी नहीं थी. पर अब वो नहीं हैं.’

इसी के साथ ही दिव्या ने अपना माइंड चेंज कर लिया है. वह कहती हैं कि ‘अब प्रियांक और उनके बीच में कुछ नहीं बचा है. मुझे नहीं लगता कि प्रियांक सच्चे हैं. मैं पूरी तरह से उनसे अलग हो चुकी हूं. जो वो शो पर बेनाफ्शा के साथ कर रहा है. स्पलिट्सविला में वह मेरे साथ करता था. उसे हर शो पर एक लड़की चाहिए.’

आगे दिव्या कहती हैं कि अगर यह प्रियांक सिर्फ गेम के लिए कर रहे हैं तो यह बहुत गन्दा गेम है. वहां दूसरे लोग भी खेलने वाले हैं. पर वो ऐसा नहीं कर रहे हैं. हितेन और विकास भी तो खेल रहे हैं ना. लेकिन वह तो लड़कियों के साथ टची नहीं हो रहे हैं.

Raj, agar yeh tujhe pyaar karti hai, toh yeh palat ke dekhegi. Palat… Palat… Palat… @divyaagarwal_official

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ठीक इसी प्रकार बंदगी और पुनीश ने रोमांस की सारी हदे पार कर दी हैं. एक बार जब एक विज्ञापन एजेंसी के द्वारा जब बंदगी को एक कंडोम का प्रचार करने को कहा था तो बंदगी ने साफ साफ मना करते हुए कहा था कि उन्हे भले ही एक्टिंग का शौक हो लेकिन वो ऐसा कोई काम नही करेंगी जिससे की उनके परिवार वालो को शर्मसार होना पड़े.

लेकिन अब बिग बौस शो पर जो बंदगी और पुनीश के बीच चल रहा है उसके बारे सलमान ने भी उन्हें चेताया था लेकिन उनपर उस चीज का कोई फर्क नही पड़ा.

राष्ट्रीय चैनल पर यह सब होता देखा बंदगी के पिता की तबीयत बिगड़ने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, वहीं दूसरी ओर बंदगी के पिता को उनके मकान मालिक ने घर से निकाल दिया है.

अपने स्मार्टफोन से भी आप ले सकते हैं प्रोफेशनल फोटो, जानें पूरी प्रक्रिया

आजकल सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर अपनी फोटोज और जिंदगी से जुड़ी कहानियों को शेयर करना ट्रेंड बन चुका है. खास पलों को शेयर करने के लिए सभी चाहते हैं कि वो अच्छी से अच्छी पिक्चर्स पोस्ट करें. इसके लिए लोग कैमरा फोकस्ड स्मार्टफोन लेते हैं ताकि अच्छी पिक्चर क्लिक कर सकें. लेकिन फिर भी अगर आप अच्छी पिक्चर नहीं ले पा रहें तो हम कुछ टिप्स देने जा रहे हैं. इन टिप्स की मदद से आप बेहतर पिक्चर क्लिक कर पाएंगे.

हैंड्स फ्री सेल्फी

बिना सेल्फी स्टिक के सेल्फी लेने में अक्सर पिक्चर ब्लर हो जाती है. ऐसे में प्लास्टिक कार्ड को दो बार फोल्ड कर के स्टैंड बना लें. उसके ऊपर फोन इस तरह रखें की फोन खड़ा हो जाए। इस तरह टाइमर लगाकर अच्छी सेल्फी ली जा सकती है.

पैनोरामा मोड

फोन में पैनारोमा मोड का भी अच्छी पिक्चर क्लिक करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें लौन्ग शौट लिए जा सकते हैं. इसके लिए औब्जेक्ट को पहले से फिक्स होना जरुरी है. औब्जेक्ट के फ्रेम से बहार जाने के बाद या तो कैमरे को रोक दें या बहुत स्लो कर दें. ऐसा तब तक करें जब तक औब्जेक्ट दूसरी जगह ना पहुंच जाएं.

प्लस बटन का करें इस्तेमाल

सेल्फी खींचने के लिए आप स्मार्टफोन की वौल्यूम बढ़ने में इस्तेमाल होने वाले + बटन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी के साथ फोन में हैडफोन लगा कर उसके + बटन से भी फोटो क्लिक की जा सकती है. इससे हाथ के हिलने से ब्लर फोटो आने की संभावना कम होती है

अंडरवाटर शूटिंग

अगर आपका कैमरा वाटर प्रूफ है तो अंडरवाटर शूटिंग में भी बेहतरीन पिक्चर्स ली जा सकती हैं. फोन को पानी में डाल कर खुद पानी के बाहर फोटो लेना चाहते हैं तो ईयरफोन का इस्तेमाल किया जा सकता है.

रिफ्लेक्टर का करें इस्तेमाल

फोटो लेते समय अगर रोशनी के कारण एक साइड डार्क और एक ब्राइट आ रही है तो रिफ्लेक्टर का इस्तेमाल करें. इसके लिए फौइल पेपर का इस्तेमाल किया जा सकता है.

HDR मोड का करें इस्तेमाल

आजकल फोन के कैमरे में ही बहुत से मोड दिए गए होते हैं. इनका इस्तेमाल कर बेहतर पिक्चर आउटपुट लाया जा सकता है. अपने कैमरे का HDR मोड औन कर के पिक्चर्स लें. इससे भी आप अच्छी पिक्चर्स क्लिक कर सकते हैं.

फोन को गुब्बारे के साथ बांध दें

फोन को हीलियम के गुब्बारे के साथ बांध के टाइमर लगा के आपको अच्छे शौट्स मिल सकते हैं. इस तरह की फोटोग्राफी करते समय फोन का सर्च औप्शन ओपन रखें. ताकि गलती से अगर गुब्बारा धागे से खुल कर उड़ जाए तो आपके फोन को आसानी से ढूंढा जा सकें.

मैक्रो शौट्स

इस तरह की फोटोग्राफी के लिए फोन के कैमरे के लैंस पर लेजर पौइंटर या पौकेट फ्लैशलाइट का लैंस किसी पिन या सेलोटेप की सहायता से लगा दें. इससे बढ़िया मैक्रो पिक्चर्स ली जा सकती हैं.

चश्मे को बनाएं पोलोराइज्ड फिल्टर

इसके लिए आपको अपने धूप के चश्मे को फोन के कैमरे के आगे लगाकर फोटो लेनी होगी. इसके लिए चश्मा पोलोराइज्ड होना चाहिए.

चलती गाड़ी से गिर पड़ी प्रियंका चोपड़ा, जानिये पूरा माजरा

लंबे वक्त से हौलीवुड प्रोजेक्ट्स में बिजी बौलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अमेरिकन टीवी सीरीज क्वांटिको के तीसरे सीजन की शूटिंग में व्यस्त हैं. हालांकि काम के बीच में मस्ती की शौकीन प्रियंका काम के साथ-साथ कुछ ना कुछ ऐसा कर लेती हैं जो न सिर्फ उन्हें बल्कि उनके फैन्स को भी एंटरटेन कर जाता है.

हाल ही में प्रियंका ने अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में प्रियंका अपने को-स्टार रोशेल टौवे के साथ गाड़ी में मस्ती करती हुई नजर आ रही हैं. हालांकि वीडियो में उस वक्त ट्विस्ट आता है जब गाड़ी के दरवाजे से लटक रहीं प्रियंका अचानक से नीचे गिर जाती हैं और उसी बीच उनके हंसने की आवाज आती है और देखने वाले कंफ्यूज हो जाते हैं.

अगर आप प्रियंका चोपड़ा के फैन हैं और उनकी फिक्र में पड़ गए हैं तो बता दें कि चिंता की कोई बात नहीं है यह सिर्फ एक कैमरा ट्रिक है. असल में यह वीडियो एक स्क्रीन के सामने बनाया गया है. स्क्रीन को गाड़ी के दूसरी तरफ रख कर कैमरा को सामने की तरफ रख कर शूट किया गया है.

इससे देखने वाले को यह भ्रम होता है कि गाड़ी चल रही है. वीडियो में लगता है कि गाड़ी चल रही है और प्रियंका के दोस्त रोसेल उन्हें बाहर की तरफ धक्का दे रहे हैं. प्रियंका पहले तो हाथ पैर मारकर बचने की कोशिश करती हैं लेकिन फिर बाद में वह अपना नियंत्रण खो देती हैं और गिर जाती हैं.

गौरतलब है कि प्रियंका क्वांटिको के सीजन 1 और सीजन 2 में काम कर चुकी हैं और साल के शुरुआती में आई हौलीवुड फिल्म बेवौच से अपना हौलीवुड डेब्यू कर चुकी हैं. फिल्म की कहानी और बाकी चीजों की लोगों ने तारीफ की थी हालांकि लोगों को फिल्म में प्रियंका का रोल कुछ खास पसंद नहीं आया.

आखिर क्यों कास्टिंग काउच पर चुप्पी साधती है बौलीवुड इंडस्ट्री

हाल ही में हौलीवुड के मशहूर निर्माता हार्वे वाइंस्टीन के ऊपर कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. हार्वे वाइंस्टी पर लगाए गये आरोप सामने आने के बाद यौन उत्पीड़न को लेकर बहस छिड़ गई है. लेकिन बौलीवुड में आज भी फिल्म इंडस्ट्री में होने वाले यौन उत्पीड़न, कास्टिंग काउच जैसे मामलों पर कभी खुलकर बात नहीं होती. बौलीवुड में कास्टिंग काउच के मामले में आज तक कोई नाम सामने क्यों नहीं आया? इस बारे में कभी आपने सोचा है? अगर नहीं, तो बौलीवुड अभिनेत्री राधिका आप्टे बता रही हैं इसका जवाब.

राधिका आप्टे कहती हैं, “बौलीवुड में कास्टिंग काउच के मामले में सामने न आने की वजह डर है…क्योंकि जो लोग महात्वाकांक्षी हैं, वे डरे हुए हैं. वे सोचते हैं कि यदि वे इस पर किसी का नाम लेते हैं, जो बेहद रसूखदार हैं तो फिर उनके साथ क्या होगा? लेकिन डरने से कुछ नहीं होने वाला, मैं बस यही बात कह रही हूं कि हर किसी को अपना मुंह खोलना पड़ेगा.”

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इसकी शुरुआत ‘नहीं’ कहने से होती है, चाहे आपकी महात्वकांक्षा कितनी भी बड़ी क्यों न हो. आपको इस बारे में बहादुर बनने और खुद की प्रतिभा पर भरोसा करने की जरूरत है. ‘नहीं’ कहें और बोलना शुरू करें क्योंकि अगर कोई एक शख्स बोलता है तो उनकी कोई नहीं सुनने वाला, लेकिन जब 10 लोग बोलते हैं, तो हर कोई उनकी बातें सुनता है.”

राधिका आप्टे का मानना है कि यौन उत्पीड़न सिर्फ ग्लैमर व शोबिज की दुनिया में ही नहीं बल्कि हर दूसरे घर में होता है. भारत सहित दुनिया में हर जगह बाल दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा होती है.

अभिनेत्री ने जोर देते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न का शिकार सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष, छोटे बच्चे और हर कोई होता है. लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल हर स्तर पर करते हैं, जिसे समाप्त करने की जरूरत है.

आपको बता दें कि राधिका ने फिल्म ‘वाह! लाइफ हो तो ऐसी’ से 2005 में बौलीवुड में आगाज किया था और अब जल्द ही वह ट्विंकल खन्ना के प्रोडक्‍शन हाउस की पहली फिल्‍म ‘पैडमैन’ में नजर आएंगी. इस फिल्म में वह अक्षय कुमार और सोनम कपूर के साथ दिखेंगी. पैडमैन अगले साल 26 जनवरी 2018 में रिलीज होगी.

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