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प्रेम विवाह और नाक फुलाती पंचायतें

अपने कुदरती खजाने के लिए मशहूर शांत राज्य केरल में शादी का एक ऐसा मामला गरमाया हुआ है, जिस ने ‘लव जिहाद’ के जिन को बोतल से दोबारा बाहर निकाल दिया है. हालांकि वह जिन भी शर्मिंदा है कि प्यार जैसी पाक चीज को समाज की नाक की खातिर क्यों बारबार बलि का बकरा बनाया जाता है?

मामला कुछ यों है कि केरल के कोट्टायम जिले के टीवीपुरम इलाके की रहने वाली अखिला अशोकन ने एक मुसलिम नौजवान शफीन से निकाह करने के लिए अपने धर्म को बदला और हादिया बन कर उस की जीवनसंगिनी बन गई.

हादिया और शफीन ने निकाह तो कर लिया था, पर उन के आगे की राह कांटों भरी थी, क्योंकि हादिया के पिता अशोकन ने इस मामले को ‘लव जिहाद’ का नाम दे कर केरल हाईकोर्ट का रुख कर लिया था.

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अशोकन ने यह आरोप लगाया कि उन की बेटी अखिला यानी हादिया से जबरदस्ती धर्म बदलवाया गया है और उसे ले कर चिंता जताई कि हादिया को आतंकवादी संगठन आईएस में शामिल कराने के लिए सीरिया भेज दिया जाएगा. यह भी कहा जा रहा है कि इसलामिक स्टेट ने हादिया को अपने यहां भरती किया है, शफीन तो मुहरा भर है.

बता दें कि निकाह के बाद शफीन हादिया को मस्कट ले जाने वाले थे, जहां उन के मातापिता भी रहते हैं, लेकिन चूंकि हादिया यानी अखिला के पिता अशोकन अदालत का दरवाजा खटखटा चुके थे, इसलिए अदालत ने शफीन के हादिया के साथ मस्कट जाने पर रोक लगा दी.

इतना ही नहीं, केरल हाईकोर्ट ने इस शादी को गैरकानूनी करार देते हुए इसे ‘लव जिहाद’ बताया और हादिया को उस के परिवार वालों के हवाले कर दिया. साथ ही, 16 अगस्त को मामले की जांच नैशनल इनवैस्टिगेशन एजेंसी को सौंप दी.

केरल हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए शफीन ने सुप्रीम कोर्ट से नैशनल इनवैस्टिगेशन एजेंसी की जांच को बंद करने की गुजारिश करते हुए एक याचिका दायर की थी, जिस में एजेंसी पर निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप लगाया गया था.

उस याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पिता अशोकन को नसीहत देते हुए कहा था कि उन्हें अपनी बेटी की निजी जिंदगी में दखलअंदाजी करने का कोई हक नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, लड़की की उम्र 24 साल है और उसे अपने भविष्य के बारे में फैसला करने का पूरा हक है. मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने सवाल उठाया कि यह मामला ‘लव जिहाद’ का है या नहीं, यह बाद की बात है, लेकिन क्या हाईकोर्ट के पास संविधान के अनुच्छेद 226 में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल कर के इस शादी को खारिज करने का हक है?

पीठ ने इस मामले की जांच नैशनल इनवैस्टिगेशन एजेंसी द्वारा कराने के आदेश के मुद्दे पर भी सवाल खड़ा किया. साथ ही, कोर्ट ने लड़की का ब्रेनवाश करने की संभावनाओं को तलाशने का निर्देश दिया.

इधर नैशनल इनवैस्टिगेशन एजेंसी ने बताया कि केरल में कई कट्टरपंथी समूह लोगों का धर्म बदलवाने की कोशिश में लगे हैं और वे ताजा मुसलिम बने लोगों को जिहाद के नाम पर अफगानिस्तान और सीरिया भेज रहे हैं. हादिया के मामले में भी ऐसा ही होने का शक जताया गया.

जब हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच की, तो पाया कि अशोकन की नई याचिका के बाद हादिया की जल्दबाजी में शादी करा दी गई थी. ऐसा भी लगा कि हादिया को अपने होने वाले पति के बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी. हादिया का धर्म बदलवाने वाली औरत की संदिग्ध और आपराधिक गतिविधियों की बात भी कोर्ट के सामने आई.

जज इस नतीजे पर भी पहुंचे थे कि हादिया का दिमाग अपने काबू में नहीं है. उस पर कट्टरपंथ का इतना गहरा असर है कि वह सहीगलत सोचने की हालत में नहीं है.

नतीजतन, इसी साल 25 मई को हाईकोर्ट ने इस निकाह को गैरकानूनी मानते हुए रद्द कर दिया और माना कि इस शादी की कानून की नजर में कोई अहमियत नहीं है.

हादिया और शफीन के निकाह का मामला तो ‘लव जिहाद’ की तलवार पर बड़ी अदालतों में लटका हुआ है, लेकिन हमारे देश में अपनी जातबिरादरी या धर्म से बाहर प्यार और उस के बाद शादी करने वाले जोड़ों पर सितम ढाने वाली गांवों की पंचायतें भी किसी से कम नहीं हैं.

बात साल 2016 की है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के महेशवारा गांव में एक लड़के को गांव की ही एक लड़की से प्यार हो गया और 14 दिसंबर को वे दोनों गांव से भाग कर एक रिश्तेदारी में चले गए और शादी कर ली.

पता चलने पर लड़की के पिता और गांव वाले उन्हें वापस गांव ले आए और 17 दिसंबर की रात को पंचायत हुई. लड़के ने लड़की के साथ रहने की इच्छा जताई, तो पंचायत ने तालिबानी फैसला सुनाते हुए गांव से बाहर शादी करने को कहा और गांव में रहने के एवज में

51 हजार रुपए और 5 मन चावलदाल देने की सजा सुनाई.

लड़के के घर वालों ने यह शर्त मानने से इनकार कर दिया, तो दबंगों ने लड़कालड़की को जम कर पीटा और गांव से बाहर निकाल दिया.

साल 2013 में छत्तीसगढ़ में एक दलित लड़के द्वारा अंतर्जातीय शादी करने पर उसे कड़ी सजा मिली. दरअसल, रामगढ़ जिले के कोसमंदा गांव के निर्मल सारथी ने दूसरी जाति की एक लड़की सुमन से अगस्त, 2010 में घर वालों को बिना बताए घर से भाग कर शादी कर ली थी.

इस के बाद सारा गांव नाराज हो गया. पंचायत बैठी, तो निर्मल सारथी की मां रामबाई और छोटे भाई को बुलाया गया और उन की पिटाई की गई. वे दोनों किसी तरह अपनी जान बचा कर भागे.

अगले दिन रामबाई अपने परिवार वालों के साथ थाने पहुंची, पर उन लोगों की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. पुलिस सुपरिंटैंडैंट और कलक्टर से भी शिकायत की गई, पर कोई फायदा नहीं हुआ.

उधर गांव की पंचायत ने अंतर्जातीय शादी करने वाले निर्मल सारथी और उस के परिवार वालों को गांव में नहीं रहने का लिखित फरमान जारी कर दिया.

इस सिलसिले में वहां के विधायक शुक्राजीत नायक का कहना था, ‘‘एक विधायक होने के नाते मैं अंतर्जातीय शादी के हक में हूं, लेकिन आप को समझना होगा कि जाति और समाज की पंचायत को किनारे कर के ऐसा कुछ करना मुमकिन नहीं है. किसी को अगर शादी करनी है, तो इस में सब की रजामंदी होनी चाहिए.’’

निर्मल सारथी से शादी करने वाली सुमन का मानना था, ‘‘हम ने कोई गुनाह नहीं किया है. हम बालिग हैं, लेकिन हमारे चलते मेरे पति के परिवार वालों को सताया जा रहा है. गांव में मेरे परिवार वालों और दूसरी बड़ी जातियों के डर के चलते कोई भी हमारी मदद नहीं कर रहा है.’’

हालांकि बाद में कुछ सामाजिक संगठनों के दखल से निर्मल सारथी और सुमन गांव लौट आए, लेकिन उन्हें बाद में भी तरहतरह से सताने की कोशिश की गई.

बिहार के समस्तीपुर जिले में एक प्रेमी जोड़े को अंतर्जातीय शादी करना महंगा पड़ गया. वहां के मोहिउद्दीन नगर थाना क्षेत्र के नगर बाजार की महादलित परिवार की लड़की विभा कुरसाहा गांव के एक लड़के राजवल्लभ राय से प्यार करती थी. उन दोनों ने

27 अगस्त, 2016 को शादी कर ली थी. लेकिन नाराज पंचायत ने उन्हें गांव छोड़ देने का फरमान सुना डाला और उन के साथ मारपीट की.

ये तो चंद उदाहरण हैं. कई मामलों में तो इस तरह की शादियों में औनर किलिंग तक हो जाती है. शादी के बाद लड़का और लड़की को भाईबहन की तरह रहने की सजा सुनाई जाती है, चाहे वे एक बच्चे के मांबाप बन चुके हों. दूसरे धर्म में शादी या किसी दूसरी बिरादरी में गठबंधन कर लेना पंचायतों को इतना खलता है कि वे अपने हाथ खून से रंग लेती हैं.

औनर किलिंग के मामले में हरियाणा बदनाम रहा है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार समेत दूसरे राज्यों में भी ऐसी शादी करने वालों पर कहर बरपाने वाली पंचायतें बैठी हैं, जिन की फूली नाक ऐसे रिश्तों को कतई बरदाश्त नहीं करती है.

दुख की बात तो यह है कि पंचायतें सरेआम अपराध करती हैं या अपराध करने के लिए उकसाती हैं, इस के बावजूद सरकार और पुलिस प्रशासन इन के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही नहीं कर पाते हैं या ऐसा करने से बचते हैं.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी इन पंचायतों की वकालत करते हुए इन्हें समाज सुधार का अहम हथियार बता देते हैं.

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सवाल उठता है कि ऐसी क्या वजह है, जो ऐसी शादियों के खिलाफ वे ही लोग खड़े हो जाते हैं, जिन से इंसाफ पाने की उम्मीद की जाती है?

दरअसल, चाहे आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन हमारे देश के ज्यादातर लोगों की सोच रूढि़वादी मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाई है. ऐसी शादियों को वे अपनी आन, बान और शान पर बट्टा लगा मानते हैं और उन के खिलाफ जा कर शादी करने वालों की वे हत्या कर देने में झिझक महसूस नहीं करते हैं.

ज्यादातर मामलों में तो पंचायत का अंदरूनी मामला समझ कर प्रशासन उस से कन्नी काट लेता है. हां, ज्यादा दबाव पड़ता है, तो पुलिस दिखावे के लिए एफआईआर दर्ज कर लेती है, लेकिन उस के बाद कार्यवाही करने से बचती है. कभी कोई पुलिस वाला समाज के खिलाफ जा कर मामले की तह तक पहुंचना भी चाहता है, तो पंचायत की एकजुटता के चलते उसे सुबूत ही नहीं मिल पाते हैं.

अगर ऐसी शादियों को करने वाली लड़कियों के नजरिए से देखा जाए, तो वे बहुत बोल्ड कदम उठाती हैं. उन्हें मालूम होता है कि ऐसा करने की सजा के एवज में उन की जान पर भी बन सकती है. तो क्या लड़कियों के फैसलों को दबाने के लिए मर्दवादी पंचायत उन के सपनों को कुचलने की चाल चलती हैं? एक लड़की हो कर हमारे खिलाफ जाएगी, इसे तो सजा मिलनी ही चाहिए, पंचायतों की यही सोच उन्हें गांव से बेदखल करने, आबरू लूटने या जान से मार देने के बेतुके फरमान सुना देती हैं, ताकि और लड़कियां ऐसा कदम उठाने से पहले सौ बार सोचें.

पंचायतों की इस तानाशाही का इलाज क्या है? झूठी शान दिखाने के लिए 2 हंसतेखेलते लोगों की जिंदगी मुहाल कर देने में कौन सी मर्दानगी है? इस का सब से आसान इलाज तो यही लगता है कि जनता में ऐसी शादियों को ले कर जागरूकता आनी चाहिए, पर ऐसा करना भी टेढ़ी खीर है, क्योंकि पंचायतों से ज्यादा तो वे परिवार आगबबूला होते हैं, जिन के बच्चों ने यह हिम्मती कदम उठाया होता है.

पंचायतों में घर के लोग ही अपनी औलाद की फजीहत ज्यादा करते हैं. शर्म की बात तो यह है कि ऐसी दरिंदगी होने के बावजूद कोई पीडि़त को बचाने का जोखिम नहीं उठाता है.

सख्त कानून बना कर ऐसे मामलों को रोका जा सकता है, लेकिन उस में पुलिस प्रशासन का सहयोग होना बहुत जरूरी है. वह पुख्ता सुबूत जुटाए, लड़कालड़की को सिक्योरिटी दे, मांबाप व पंचायत को समझाए, तो ऐसी शादियों को ले कर होने वाले अपराधों में भी कमी आ सकती है.

इस के अलावा सियासी दलों को भी ऐसी शादियों को बढ़ावा देने में पहल करनी चाहिए. सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है. उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल सरकार अंतर्जातीय शादी करने वाले जोड़ों को 50 हजार रुपए बतौर उपहार देती है. तमिलनाडु में ऐसा करने वाले जोड़ों को सरकारी नौकरी में मदद मिलती है.

जब भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे ‘राष्ट्रहित’ में सही मानते हुए मान्यता दे दी है, तो छोटी पंचायतों को देश की सब से बड़ी पंचायत का सम्मान करना चाहिए, तभी इस देश से सही माने में जातिवाद की बुराई दूर हो पाएगी.

दोस्त को गोली मार खुदकुशी की

सेना में लांसनायक संतोष कुमार ने मंगलम कालोनी में किराए के मकान में अपने दोस्त रिकेश कुमार सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी. उस के बाद संतोष ने भी गोली मार कर खुदकुशी कर ली.

धायं… धायं… धायं… एक के बाद एक 3 गोलियां चलीं और आसपास के लोगों को कुछ पता ही नहीं चल सका. हैरानी की बात तो यह भी थी कि मकान में रहने वाले मकान मालिक और बाकी किराएदारों को भी गोली चलने की आवाज सुनाई नहीं पड़ी.

24 सितंबर, 2017 को पटना के दानापुर ब्लौक में हुई इस वारदात में किसी ‘तीसरे’ के होने के संकेत ने पुलिस का सिरदर्द बढ़ा दिया है.

दानापुर थाने के बेली रोड पर बसी मंगलम कालोनी में सेना के 32 साला लांसनायक संतोष कुमार सिंह ने लाइसैंसी राइफल से 22 साला दोस्त रिकेश कुमार सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी और उस के बाद खुद को भी गोली मार ली.

संतोष किराए के मकान में अपने परिवार के साथ रहता था. मकान के आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि हत्या वाले दिन रिकेश कुमार के अलावा एक और आदमी संतोष के घर पर था. किसी ने उस तीसरे शख्स को बाहर निकलते नहीं देखा. पुलिस को उस का कोई अतापता नहीं मिल पा रहा है.

कुछ महीने पहले ही संतोष का तबादला अरुणाचल प्रदेश में हो गया था. उस के बाद दोनों फोन पर ही लंबी बातें किया करते थे. संतोष छुट्टी में घर आता, तो रिकेश से मिलता था.

24 सितंबर, 2017 को संतोष ने रिकेश को फोन कर अपने घर बुलाया. रिकेश ने आने से मना किया और कहा कि घर में काफी काम है. उस के बाद संतोष ने उस से कहा कि उस ने घर पर ही उस के लिए खाना बनवाया हुआ है.

खाने के नाम पर रिकेश ने उस के घर आने के लिए हामी भरी. कुछ देर बाद रिकेश संतोष के घर पहुंच गया और कमरे में बैठ कर टैलीविजन देखने लगा. उसी दौरान वे दोनों बातचीत भी करते रहे. किसी बात को ले कर दोनों में तीखी झड़प शुरू हो गई. कुछ ही देर में संतोष चिल्लाने लगा, पर रिकेश उस की बातों को अनसुना कर टैलीविजन देखता रहा.

संतोष शादीशुदा था और रिकेश की शादी नहीं हुई थी. घर वाले उस के लिए लड़की ढूंढ़ रहे थे. संतोष कुछ महीने पहले तक बिहार में ही पोस्टैड था. वह बिहार रैजीमैंट के ट्रेनिंग सैंटर में इंस्ट्रक्टर था.

रिकेश की भी सेना में सिपाही के पद पर बहाली हुई थी और वह ट्रेनिंग सैंटर में ही ट्रेनिंग ले रहा था. उसी दौरान उस की मुलाकात संतोष से हुई और कुछ ही समय में वे दोनों गहरे दोस्त बन गए.

पुलिस ने उन दोनों के मोबाइल फोन का रिकौर्ड खंगाला, तो दोनों के बीच की बातचीत को सुन कर लगा कि उन की दोस्ती हदें पार कर चुकी थी. दोनों हर तरह की बातें खुल कर किया करते थे.

पुलिस के मुताबिक, रिकेश के एक दोस्त ने बताया कि रिकेश किसी को कुछ बताए बगैर ही बैरक से बाहर निकल गया था. देर तक जब वह बैरक में नहीं पहुंचा, तो उस के साथी जवानों ने रिकेश की मां को फोन कर मामले की जानकारी दी.

रिकेश की मां उस समय भोपाल में थीं. उन्होंने पटना से सटे दानापुर इलाके में रहने वाली अपनी बेटी पिंकी को रिकेश के बारे में पता करने को कहा.

पिंकी अपने पति मनोज को साथ ले कर देर रात संतोष के घर पहुंची. उस ने मकान मालिक राजेंद्र सिंह से संतोष और रिकेश के बारे में पूछा. मकान मालिक ने उन को घर में नहीं घुसने दिया और सुबह आने को कहा.

दूसरे दिन सुबह पिंकी अपने ससुर जगेश्वर सिंह के साथ संतोष के घर पहुंची. पिंकी ने दरवाजा खटखटाया, पर अंदर से कोई जवाब नहीं मिला. उस के बाद उस ने जोर से चिल्ला कर आवाज लगाई. काफी कोशिश के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो उस ने मकान मालिक को मामले की जानकारी दी.

मकान मालिक की सहमति के बाद संतोष के मकान का दरवाजा तोड़ा गया. दरवाजा टूटने के बाद जब वे लोग अंदर गए, तो सभी के मुंह से चीखें निकल पड़ीं, कमरे के अंदर संतोष और रिकेश की खून से सनी लाशें पड़ी हुई थीं.

संतोष और रिकेश के परिवार समेत पुलिस भी इस बात से हैरान है कि राइफल की 3 गोलियां चलीं, पर मकान मालिक को उस की आवाज कैसे नहीं सुनाई दी?

हैरानी की बात यह भी है कि मकान में रहने वाले बाकी किराएदारों को भी आवाज नहीं सुनाई पड़ी. कमरे में संतोष की राइफल के साथ 3 जिंदा कारतूस और 3 खोखे बरामद हुए. कमरे में लगा टैलीविजन चल रहा था. कमरे से पुलिस ने संतोष और रिकेश के मोबाइल फोन बरामद किए.

22 सितंबर को संतोष अपनी बीवी रिंकी देवी और 10 साल के बेटे आयुष को सारण जिले के चकिया थाना के दुरघौली गांव में छोड़ आया था. दुरघौली उस का पुश्तैनी घर है. उस के पिता धर्मदेव सिंह किसान हैं.

रिकेश आरा के दोबाहा गांव का रहने वाला था और उस के पिता का नाम विजय कुमार सिंह है. रिकेश की बहन पिंकी और बाकी घर वालों ने बताया कि संतोष अपनी बहन से रिकेश की शादी करवाना चाहता था. उस ने अपनी बहन से रिकेश को मिलवाया भी था. उस के बाद रिकेश उस से फोन पर अकसर बातें करने लगा था.

रिकेश के घर वाले संतोष की बहन को पसंद नहीं करते थे और शादी के लिए राजी नहीं हो रहे थे. संतोष लगातार रिकेश पर शादी का दबाव बना रहा था और रिकेश यह कह कर शादी टाल रहा था कि उस के घर वालों को लड़की पसंद नहीं है.

संतोष की बीवी रिंकी देवी का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था. उस ने किसी से किसी तरह का झगड़ा होने की बात से साफ इनकार किया.

संतोष के कमरे में टंगे संतोष और रिकेश के हंसतेमुसकराते कई फोटो देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन दोनों के बीच काफी गहरी दोस्ती थी.

रिकेश का सिर बाथरूम के अंदर था और जिस्म का बाकी हिस्सा कमरे में था. ऐसा लग रहा था कि उसे मारने के बाद उस की लाश को घसीट कर बाथरूम की ओर ले जाया गया था.

रिकेश के पैर के पास ही संतोष की लाश पड़ी हुई थी. उस के पेट के ऊपर राइफल रखी हुई थी और उस की नली के आगे के हिस्से में खून के दाग थे.

रिकेश के शरीर में 2 गोलियों के निशान थे और संतोष की ठुड्डी पर गोली का निशान था. उस के सिर के पिछले हिस्से में काफी गहरा जख्म था.

संतोष के गले में रस्सी भी बंधी हुई थी और उस का दूसरा छोर सीलिंग पंखे से बंधा हुआ था. इस से यह पता चलता है कि संतोष ने पहले गले में फंदा डाल कर पंखे से लटक कर जान देने की कोशिश की होगी. उस में कामयाबी नहीं मिलने के बाद उस ने गोली मार कर खुदकुशी कर ली.

हिंदुत्व का वीभत्स रूप : राजसमंद में लव जिहाद के नाम पर बर्बर हत्या

देश में फैलाए जा रहे धार्मिक नफरत के माहौल में एक अच्छा खासा आदमी किस तरह दूसरे मजहब के लोगों से घृणा करने लगता है और एक दिन बेरहम तरीके से वह अपने दोस्त का कत्ल करने से नहीं हिचकिचाता. राजस्थान के राजसमंद में 48 साल के मोहम्मद अफराजुल की हत्या करने वाला शंभू लाल रैगर इस की जीतीजागती मिसाल है. दलित समुदाय का शंभूलाल इसी विषैली हवा की चपेट का शिकार बन गया.

6 दिसंबर को उदयपुर जिले के राजसमंद के राजनगर में शंभूलाल ने अजराजुल की लव जिहाद के नाम पर फावड़े और गैंती से निर्ममतापूर्वक हत्या की और फिर पेट्रोल डाल कर जला दिया. इस बेरहम कत्ल का वीडिया बनाया गया और उसे सोशल मीडिया पर जारी कर के नफरत की आग को और हवा देने की कोशिश की गई.

यह भयावह वीडियो ज्योंही वायरल हुआ, इसे देख कर लोग स्तब्ध रह गए. अनेक लोगों ने इस हत्या की निंदा की पर सोशल मीडिया पर कई हिंदू कट्टरपंथियों ने हत्या को जायज ठहराते हुए शंभूलाल का समर्थन किया और उसे हीरो का दर्जा देने का प्रयास किया गया.

शंभू ने अपने नाबालिग भतीजे से तीन वीडियो बनाए थे. एक हत्या के समय का लाइव वीडियो हैं. दो वीडियो कत्ल करने से पहले के हैं. इन में से एक वीडियो में वह स्त्री सम्मान, लव जिहाद और देशभक्ति जैसे मुद्दों पर भाषण दे रहा है. कत्ल के वीडियो में वह दावा कर रहा है कि अपनी बहन की बेइज्जती का बदला लेने के लिए और लव जिहाद को खत्म करने के लिए इस हत्या को अंजाम दे रहा है. वह चेतावनी भी दे रहा है कि हिंदू लड़कियों को पथभ्रष्ट करने वालों का अंजाम यही होगा.

इस हत्या को उस ने लव जिहाद, मेवाड़ प्रेम, इस्लाम विरोध और महाराणा प्रताप की वीरता की बात की है. इस वीडियो को लाखों लोग देख चुके हैं.

शंभू को पुलिस ने जल्दी ही पकड़ लिया. उस ने पूछताछ में बताया कि वह कुछ सालों से अपने महल्ले में रहने वाली एक औरत के साथ रहता था. वह साथ में काम करती थी. बाद में वह औरत उसे छोड़ कर अफराजुल के पास रहने लगी. शंभू और अफराजुल दोस्त बताए जाते हैं और एक ही महल्ले में रहते थे. शंभू ठेकेदारी का काम करता था और अफराजुल पश्चिम बंगाल से उस के लिए मजदूरों को लाता था.

पुलिस के मुताबिक शंभू ने बताया कि उस के महल्ले की दो लड़कियां गायब हो गई थीं. इन में से वह सुनीता [बदला हुआ नाम] को वह मालदा जिले के सैयदपुर गांव जा कर वापस लाया था. वह सुनीता की मां की गुहार पर खुद ही सैयदपुर गया था. लड़की की मां से उसे लाने के एवज में शंभू ने 10 हजार रुपए इनाम के तौर पर लिए थे. अफराजुल इसी गांव का था. चर्र्चा थी कि उसे अफराजुल ने भगाया था.

यह भी बताया गया कि सुनीता को सैयदपुर गांव से लाने से नाराज बंगाली मजदूरों ने शंभू को मारापीटा भी था. इस से वह सनकी हो गया था. पिछले कई दिनों से इंटरनेट पर लव जिहाद से जुड़े भाषण सुन रहा था. पुलिस का मानना है कि वह इन बातों से परेशान रहने लगा. और साथ के मुस्लिम मजदूरों से नफरत करने लगा. इस के बाद वह हत्या की योजना बना रहा था.

आपसी रंजिश के मामले को वह पूरे हिंदू समाज से जोड़ने में सफल हो गया. इस घटना से लगता है कि अब हिंदू कट्टरता को अपना कर एक आतंकवादी मानसिकता का रूप लेता जा रहा है. हत्या और दंगाफसाद करने वाले लोग माथे पर भगवा पट्टी और जुबान पर भगवान का नारा लगा कर हत्या और आगजनी को अंजाम देने लगे हैं.

देश भर में घातक किस्म का हिंदुत्व पांव पसार रहा है जो लोगों के मनमस्तिष्क में जहर की तरह घुसपैठ कर रहा है. यह काम भारत में राष्ट्रवाद, देशभक्ति के नाम पर बड़े शातिराना तरीके से कराया जा रहा है.

पिछले कुछ समय से देश में जिस तरह की विचारधारा को प्रचारित किया जा रहा है, नफरत का वातावरण बनाया जा रहा है यह घटना उस विचारधारा की सफलता को दर्शा रही है. देश में धर्मयुद्घ जैसा माहौल बन चुका है. एक बेकसूर मजदूर की हत्या को धर्म का जामा पहना देना उस विचारधारा और समूह का षड्यंत्र है जो दूसरे धर्म के लोगों की हत्या को उकसाती है. वीडियो में शंभू की भावभंगिमा, भाषा उसी हिंदुत्व से प्रेरित लगती है.

यह दशकों से फैलाई जा रही जहरीली विचारधारा का नतीजा है. यह जो माहौल फैलाया जा रहा है उस से शंभू रैगर ही पैदा हो सकते हैं. लाखों की संख्या में इस नफरत के माहौल का असर युवाओं पर पड़ रहा है. युवा बेराजगारों को रोजगार नहीं तो पाकिस्तान, तालिबान, आईएसआईएस की तरह आतंकी समूह बना कर धर्मयोद्घा बनाया जा रहा है. देश में धार्मिक कट्टरता से प्रभावित कर के युवाओं को आतंक की ओर झोंका जा सकता है. लाखों युवा धर्म के नाम पर जान देने और जान लेने को तैयार हैं. इन लोगों का बे्रैनवाश कराया जा रहा है ताकि उन के जरिए दंगे, हत्याएं करवाई जा सकें. देश में एक विषैली पौध तैयार हो रही है. ऐसे में भारत और मजहबी कट्टरपंथी पाकिस्तान में फर्क क्या रह जाता है.

हिंदू आतंकवाद की इस लेबोरेटरी में दलित, पिछड़ा, आदिवासी समुदाय के युवाओं का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जयपुर से गाय ले जा रहे हरियाणा के नूह के पशुपालक पहलू खान की जान लेने वाले पिछड़ समुदाय के युवा ही थे. इन वर्गों के युवा महज औजार हैं और हिंदुत्व के लिए इस्तेमाल होने के लिए तैयार हैं. बाबरी मस्जिद को ढहाने में यही लोग आगे थे. राममंदिर निर्माण के लिए झंडा उठाने वालों में पिछड़े सब से अधिक पैरोकार बने दिखाई दे रहे हैं. यह समुदाय बल में सब से ऊपर हैं. बुद्धि में नहीं. बुद्धि चलाने वाले तो बहुत थोड़े से हैं, हिंदुत्व की मलाई वही चाट रहे हैं.

मेवाड़ का कर्ज चुकाने, देशभक्ति दिखाने और हिंदुत्व की इज्जत के लिए क्या शंभू रैगर जैसों की जरूरत है? दलितों, पिछड़ों को इस साजिश पर सोचनासमझनो होगा कि उन के दिमाग में धर्म, जाति की नफरत का जहर कौन घोल रहा है और क्यों?

 

‘गूगल मैप गो’ गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध, ये होंगे फायदे

गूगल ने हाल ही में भारत में आयोजित अपने सालाना इवेंट गूगल फार इंडिया (Google For India) के दौरान इंडिया फर्स्ट फीचर्स लौन्च करने के साथ ही गूगल मैप के खास वर्जन का भी ऐलान किया था. दरअसल उन्होंने गूगल मैप के जिस वर्जन की बात कही थी वह ‘गो’ सीरीज का है. ‘गूगल मैप गो’ एडिशन की खासियत ये है कि यह कम स्पेसिफिकेशन्स वाले स्मार्टफोन्स में भी काम करेगा.

गूगल द्वारा लौंच नया वर्जन गूगल मैप गो (Google Maps Go) अब गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है और इसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं. गूगल ने ‘गूगल मैप गो’ के अलावा भी ‘गो’ सीरीज के कुछ दूसरे ऐप्स भी लौन्च किए हैं, जिनमे गूगल गो और फाइल गो शामिल हैं.

गूगल मैप गो ऐप को कंपनी ने हल्का बनाया है और यह प्रोग्रेसिव वेब ऐप वर्जन है. फिलहाल यह ऐप एंड्रायड स्मार्टफोन यूजर्स के लिए ही है और Android 4.1 के पहले के वर्जन में यह नहीं काम करेगा. इसके फीचर गूगल मैप्स जैसे ही हैं, लेकिन इसमें कुछ नए फीचर्स हैं.

गूगल ने इंडिया फर्स्ट स्ट्रैटजी के तहत Google Maps में बाइक विकल्प भी जोड़ा है. कंपनी इसके जरिए बाइकर्स को फायदा देना चाहती है जो गूगल मैप्स के जरिए नेविगेशन करते हैं. बाइक सेलेक्ट करके बाइकर्स शार्टकट से अपनी मंजिल तक जल्दी पहुंच सकते हैं. जल्द ही इसका अपडेट जारीकर आपको यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गूगल फौर इंडिया इवेंट में कंपनी ने Android Oreo Go Edition भी लौन्च किया है जो 512MB से लेकर 1GB रैम वाले स्मार्टफोन्स में चलेगा. इस औपरेटिंग सिस्टम के लिए कंपनी ने कई कस्टमाइज ऐप्स भी लौन्च किये हैं जो Go सीरीज के हैं.

क्रिकेटर अजिंक्या रहाणे के पिता की कार से टकराकर हुई महिला की मौत

भारतीय टीम के दाएं हाथ के बल्लेबाज अजिंक्‍य रहाणे के पिता की कार से एक महिला का एक्सीडेंट हो गया. जानकारी के मुताबिक एक्सीडेंट के बाद कोल्हापुर पुलिस ने शुक्रवार सुबह रहाणे के पिता मधुकर बाबूराव रहाणे को गिरफ्तार कर लिया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘सीनियर” रहाणे सुबह के चार बजे नेशनल हाईवे 4 पर अपनी हुंडई आई-20 से मुंबई जा रहे थे. इस मौके पर परिवार भी साथ में था. कंगल इलाके में मधुकर रहाणे ने कार पर से अपना नियंत्रण खो दिया और आशा ताई काम्बले नाम की 65 साल की महिला को टक्कर मार दी. गंभीर रूप से जख्मी हुई महिला को स्थानीय लोग हास्पिटल ले गए, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

बताया जा रहा है कि दुर्घटना के वक्‍त कार की रफ्तार काफी तेज थी. पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर बाबूराव को गिरफ्तार तो कर लिया पर मामला हाई प्रोफाइल होने की वजह से वह इस मामले पर ज्यादा कुछ बोलने से बच रही है. पुलिस ने कार मालिक के खिलाफ आईपीसी की धारा 304A, 337, 338, 279 और 184.MV एक्ट के तहत केस दर्ज किया है. फिलहाल बाबूराव रहाणे को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.

आपको बता दें कि अजिंक्या फिलहाल भारत और श्रीलंका के बीच हो रहे वनडे सीरीज में व्यस्त हैं. उन्होंने 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की थी. 2013 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका टेस्ट करियर शुरू हुआ. सीरीज का तीसरा और अंतिम वनडे रविवार को विशाखापट्टनम में खेला जाना है. इसके बाद भारतीय टीम का साउथ अफ्रीका दौरा है. जिसमें अजिंक्य रहाणे का  भी चयन किया गया है.

पांच मिनट के परफौर्मेंस की इतनी मोटी रकम लेंगी प्रियंका चोपड़ा

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक नाम कमा चुकी एक्‍ट्रेस प्रियंका चोपड़ा इंटरनेशनल आर्टिस्‍ट बन चुकी हैं. प्रियंका के फैन्‍स की संख्‍या जितनी भारत में हैं, उतनी ही विदेशों में भी है और यही कारण है कि बौलीवुड की यह ब्‍यूटी दो बार अमेरिकन टीवी का प्रतिष्ठित अवौर्ड पीपुल्‍स चौइस अवौर्ड जीत चुकी है. ऐसे में अब अगर कोई प्रियंका चोपड़ा को किसी इवेंट में बुलाना चाहता है, तो उन्‍हें काफी भारी भरकम रकम चुकानी पड़ेगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रियंका चोपड़ा को ‘जी सिने अवौर्ड्स 2017’ में लाने की कोशिश की जा रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार प्रियंका को ‘जी सिने अवार्ड्स 2017’ के होने वाले इवेंट में 5 मिनट के डांस परफौर्मेंस के लिए लगभग 5 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं.

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खबर है कि प्रियंका चोपड़ा स्टेज पर लगभग पांच मिनट तक परफौर्म करती हुई नजर आने वाली हैं. प्रियंका चोपड़ा की लोकप्रियता को देखते हुए चैनल भी उनकी इस मांग को पूरा करने के लिए राजी है. यानी प्रियंका की परफौर्मेंस के लिए इस शो के व्यवस्थापक एक मिनट का एक करोड़ रुपये अदा करने वाले हैं.

बता दें कि प्रियंका चोपड़ा इसी साल अपनी पहली हौलीवुड फिल्‍म ‘बेवौच’ में नजर आ चुकी हैं. इसके साथ ही वह इस साल अपने अमेरिकन टीवी शो ‘क्‍वांटिको’ का तीसरा सीजन भी लेकर आ रही हैं. प्रियंका इस शो में मुख्‍य भूमिका में नजर आती हैं और इसके लिए उन्‍हें काफी तारीफें मिली हैं. प्रियंका जल्‍द ही दो और हौलीवुड फिल्‍मों का हिस्‍सा बनने वाली हैं.

हाल ही में इस ‘देसी गर्ल’ को ब्रिटेन में एशिया की सबसे सेक्सी महिला का ख़िताब मिला है. लंदन के विकली न्यूज़लेटर ईस्टर्न आई द्वारा कराए गए ’50 सेक्सिएस्ट एशियन वुमन’ पोल में सबसे ज्यादा वोट पाकर प्रियंका नंबर 1 बनी हैं. यानी अब जी सिने अवौर्ड में फैन्‍स को अपनी देसी गर्ल जल्‍द ही नजर आने वाली हैं.

रविंद्र जडेजा ने किया युवराज वाला कमाल, एक ओवर में जड़ दिये 6 छक्के

भारतीय खिलाड़ी रवींद्र जडेजा ने सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में जामनगर और अमरेली के बीच खेले गए टी20 मैच में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया है. जामनगर की तरफ से खेल रहे जडेजा ने एक ही ओवर में छह छक्के जड़े और केवल 69 गेंदो पर 154 रन बना दिए. रवींद्र जडेजा द्वारा बनाए गए रनों की मदद से जामनगर टीम ने 20 ओवरों में 6 विकेट खोकर 239 रन बनाए. जडेजा ने दसवें ओवर में रन बनाना शुरु किया और 15वें ओवर में उन्होंने छह बौल पर 6 छक्के जड़ दिए. अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए जडेजा ने 10 छक्के और 15 चौकों की मदद से 154 रन बना दिए.

वहीं जामनगर ने अपनी प्रतिद्वंदी टीम अमरेली के सामने 240 रनों का लक्ष्य रखा था जिसे टीम के खिलाड़ी पूरा नहीं कर पाए और टीम 5 विकेट खोकर 118 रनों पर ही सिमट गई. विशाल वसोया ने 36 रन बनाए जबकि निलाम वाम्जा केवल 32 रन ही बना पाए. जामनगर के लिए गेंदबाज महेंद्र जेठवा ने कमाल करके दिखाया. महेंद्र ने 4 ओवरों में छह रन देकर अमरेली टीम के तीन विकेट चटकाएं. जडेजा द्वारा बनाए गए रनों की मदद से जामनगर 121 रनों से मैच को जीतने में कामयाब हुआ और उन्होंने अपने खाते में चार प्वाइंट भी जमा करा लिए.

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आपको बता दें कि बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज जडेजा के लिए यह साल उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. टेस्‍ट में तो जडेजा की शुरुआत धमाकेदार हुई और वह आईसीसी की गेंदबाजों और औल-राउंडर्स की रैकिंग में टौप पर पहुंच गएं. हालांकि वह इसे बरकरार नहीं रख सके और जल्‍द ही सीमित ओवरों की टीम से भी बाहर हो गएं. जडेजा और रविचंद्रन अश्विन ने हाल में कई वनडे और टी20 मैच नहीं खेले हैं. हालांकि जडेजा को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर तीन टेस्‍ट मैचों की सीरीज के लिए भारतीय टीम में जगह दी गई है.

इससे पहले युवराज सिंह ने टी 20 मैच के दौरान सन 2007 में इंग्लैंड के तेज बौलर स्टुअर्ट ब्रौड के एक ओवर में 6 छक्के जड़कर कुछ चुनिंदा लोगो की सूची में शामिल हो गएं थे. युवी ने इस मैच में न केवल ब्रौड के एक ओवर में छह छक्‍के जमाए थे बल्कि महज 16 गेंद पर तीन चौकों व सात छक्‍कों की मदद से 58 रन बना डाले थे.

उस दिन युवराज ऐसी बल्‍लेबाजी कर रहे थे कि इंग्‍लैंड के गेंदबाज और क्षेत्ररक्षक उनके आगे डरे-सहमे नजर आ रहे थे. वैसे ब्रौड की इस ‘जोरदार धुलाई’ के पहले युवराज की इंग्‍लैंड के हरफनमौला एंड्रयू फ्लिंटाफ से भी किसी बात पर बहस हुई थी और मस्‍करेन्‍हास फैक्‍टर के साथ इस बहस का मुद्दा भी युवराज की बैटिंग में जुड़ गया था.

इस मैच के बाद युवराज ने कहा था, उन्होंने कहा, ‘जब मेरे ओवर में पांच छक्के लगे थे तो इसके बाद मुझे जितनी संख्या में फोन आए, शायद शतक बनाने के बाद भी उतने नहीं आते. तब मैंने ईश्वर से कहा कि यह ठीक नहीं है, आपको मुझे मौका देना होगा और आज मुझे यह मौका मिल गया.’

वीडियो : जब सबके सामने सुष्मिता ने लगाए ठुमके

सुष्मिता सेन अपने दिलकश अंदाज के लिए मशहूर हैं. उन्हें ब्यूटी विद माइंड कहा जाता है. लेकिन जब वे अपने मूड में आती हैं तो मस्ती करने का कोई मौका नहीं छोड़तीं. उनका ऐसा ही कुछ मस्ती भरा अंदाज उस समय देखने को मिला जब वे मुंबई के सेंट एंड्रयूज कौलेज के फेस्ट में पहुंचीं. इस दौरान जब उनकी फिल्म ‘मैं हूं न’ का गाना ‘तुमसे मिलके दिल का है जो हाल’ चला तो वह खुद को डांस करने से रोक नहीं पाईं.

गाने के बोल सुनते ही सुष्मिता के पैर खुद ब खुद थिरकने लगे और उन्होंने कौलेज के फेस्ट के दौरान डांस कर रहे स्टूडेंट के साथ ठुमके लगाने शुरू कर दिये. सुष्मिता वहां सबके सामने दिल खोलकर नाचीं. उन्होंने कौलेज स्टूडेंट्स के साथ इस गाने के स्टेप्स पूरी शिद्दत के साथ फौलो किए. इससे पूरा माहौल ही मस्ती भरा हो गया.

सुष्मिता का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. इसे काफी पसंद किया जा रहा है.

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बता दें कि ‘मैं हूं न’ में सुष्मिता सेन ने शाहरुख खान की टीचर का किरदार निभाया है. सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स का ताज पहनने वाली पहली भारतीय महिला हैं. 1994 में उन्होंने यह खिताब जीता था. इसके बाद लारा दत्ता ने साल 2000 में यह खिताब जीता. सुष्मिता सेन अपनी फिटनेस के लिए मशहूर हैं. सुष्मिता फिल्म इंडस्ट्री की पौपुलर सिंगल मदर्स में से एक हैं. उन्होनें दो बेटियों अलीशा और रिने को गोद लिया है. हाल ही में वे 42 साल की हुई हैं और उन्होंने इस उम्र में भी अपने फिटनेस के जुनून को नहीं छोड़ा है.

मारुति एसयूवी जिम्नी की फोटोज लीक, कम दाम में है बंपर कार

एसयूवी के शौकीन लोगों के लिए खुशखबरी है, देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी ‘मारुति’ ‘एसयूवी ब्रीजा’ (BREZZA) की कामयाबी के बाद एक और कौम्पैक्ट एसयूवी को भारतीय बाजार में लौन्च कर सकती है. मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक कंपनी जल्द ही देश में कौम्पैक्ट ‘SUV जिम्नी’ (JIMNY) को लौन्च कर सकती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि इंडियन मार्केट से पहले मारुति की इस एसयूवी को जिनेवा मोटर शो-2018 में पेश किया जा सकता है. कंपनी की तरफ से इस कौम्पैक्ट एसयूवी को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है. फिर भी लौन्च से पहले ही इसकी जानकारी लीक हो गई है.

फर्स्ट लुक में मारुति की एसयूवी कार ‘जिम्नी’ (JIMNY) का डिजाइन काफी दमदार लग रहा है. इसमें आगे की तरफ सर्कुलर हेडलैंप और साइड में चौड़े व्हील वाले आर्च दिए गए हैं. फोटो में साफ दिखाई दे रहा है कि जिम्नी के रेग्युलर मौडल में 3 डोर हैं. लीक हुई जानकारी के अनुसार नई ‘जिम्नी’ में 1.2 लीटर का पेट्रोल इंजन दिया गया है. ‘जिम्नी’ में 6 सीट होने की उम्मीद की जा रही है.

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‘मारुति जिम्नी’ में 1.0 लीटर बूस्टरजेट टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन का विकल्प भी दिया जा सकता है. ‘जिम्नी’ के पुराने मौडल की बात करें तो इसमें 1.3 लीटर का पेट्रोल इंजन दिया गया था. ‘जिम्नी’ के पुराने इंजन को 5-स्पीड मैन्युअल और 4-स्पीड औटोमेटिक गियरबौक्स से जोड़ा गया था. हालांकि अभी तक यह जानकारी सामने नहीं आई कि नई ‘जिम्नी’ में औटोमेटिक ट्रांसमिशन होगा या मैन्युअल.

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मारुति की नई एसयूवी जिम्नी का बाहर से लुक दमदार है. इसके इंटीरियर की बात करें तो इसमें जिप्सी से मिलता-जुलता टू-डायल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर दिया गया है. लीक हुई जानकारी के अनुसार जिम्नी में औटो क्लाइमेट कंट्रोल यूनिट को मारुति स्विफ्ट से और फ्लैट बौटम स्टीयरिंग व्हील को मारुति की डिजायर से लिया गया है. इसके अलावा जिम्नी में 7.0 इंच स्मार्टप्ले इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर भी है.

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मारुति इस कार में सुरक्षा के लिहाज से मल्टीपल एयरबैग की भी सुविधा देगी. मारुति सुजुकी जिम्नी की शुरुआती कीमत 6.5 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) होने की उम्मीद है. इस एसयूवी का मुकाबला भारतीय बाजार में महिंद्रा थार से होने की उम्मीद है.

मोबाइल वौलेट का प्रयोग करते समय ना करें ये गलतियां

भारत को डिजिटल बनाने की मोदी सरकार की योजना और नोटेबंदी के परिणामस्वरूप लोग अब पहले के मुताबिक कहीं ज्यादा डिजिटल ट्रांजैक्शन करने लगे हैं. यूं तो डिजिटल ट्रांजैक्शन के बहुत से मोड है, जैसे की- नेट बैंकिंग, चेक, ड्राफ्ट, क्रेडिट, डेबिट कार्ड से पेमेंट आदि. लेकिन लोगों को आजकल सबसे आसान तरीका मोबाईल वौलेट का लगता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल नवम्बर के बाद से मोबाइल वौलेट के जरिए ट्रांजैक्शन में कई गुना तेजी आ गई है. इसका एक कारण यह भी है की आजकल सस्ते और बजट स्मार्टफोन लौंच हो रहे हैं, जिसके चलते अधिकतर लोगों के पास मोबाइल होता है. मोबाइल वौलेट से जहां पेमेंट करना आसान है. वहीं, इसका इस्तेमाल करते हुए कुछ सावधानी बरतना जरुरी है. आपको बताते हैं मोबाइल वौलेट का इस्तेमाल करते हुए कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए.

ओटीपी या जानकारी शेयर ना करें

सबसे जरुरी बात तो यह है की ट्रांजैक्शन के लिए आने वाला ओटीपी या मोबाइल वौलेट की जानकारी किसी से भी शेयर ना करें. मोबाइल वौलेट कंपनियां भी अपने यूजर्स को इस बारे में सूचित करती रहती हैं. इसी के साथ यह भी बताया जाता है की किसी का फोन आने पर भले ही वो कंपनी से आए, उससे ओटीपी या वौलेट सम्बंधित जानकारी ना दें.

लौगआउट रखें अकाउंट

अधिकतर लोग अपने फोन मोबाइल वौलेट ऐप में लौगिन कर के रखते हैं. ऐसे में अगर आपके फोन का पासवर्ड ना हो तो कोई भी इसका गलत इस्तेमाल कर सकता है. इसी के साथ आपका फोन खो जाने पर, आपके वौलेट में मौजूद सारा पैसा भी चला जाएगा.

वौलेट में कैश एड करते समय न करें रिफ्रेश या बैक

कभी-कभी वौलेट में अकाउंट से पैसे भेजते समय नेटवर्क दिक्कतों की वजह से थोड़ा समय लग जाता है. ऐसे में उपयोगकर्ता को रिफ्रेश या बैक करने से बचना चाहिए. तब तक कुछ न करें, जब तक आपके पास ट्रांजैक्शन फेल या सक्सेसफुल होने का मैसेज न आ जाए.

ऐप लौक का करें इस्तेमाल

अगर आपने अपने स्मार्टफोन में लौक नहीं लगाया है तो कम से कम ऐप लौक का इस्तेमाल जरूर कर लें. इससे अगर आप मोबाइल वौलेट में हमेशा लौग-इन कर के भी रखेंगे तो वो सुरक्षित रहेगा. लौक ना होने से आपके वौलेट का किसी अन्य के द्वारा इस्तेमाल कर लिए जाने का खतरा पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है.

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