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सड़कों पर आवारा घूमती गाएं और गौशालाओं पर उठते सवाल

गाय का दूध पीने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. आज भी गांवदेहातों में कई घर गाय का दूध और उस से बनी हुई चीजें जैसे दही, मक्खन और घी बेच कर पल रहे  हैं. गाय के गोबर से बने उपले लाखों घरों के चूल्हों का ईंधन बने हुए हैं.

पर, आज गाय की बदहाली और अनदेखी किसी से छिपी नहीं है. गाय के नाम पर सरकारी पैसा बटोरने वाले तथाकथित गौसेवक गाय का निवाला खा रहे हैं. यही वजह है कि गाय जब तक दूध देती है, तब तक पशुपालक उस की अच्छी तरह देखभाल करते हैं और जैसे ही वह दूध देना बंद करती है, तो पशुपालक उसे सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं.

नतीजतन, बहुत सी गाएं सड़कों पर आवारा घूमती कचरे के ढेर में पड़ी प्लास्टिक की पौलीथिन तक खाती नजर आती हैं.

मध्य प्रदेश के भोपाल जबलपुर नैशनल हाईवे नंबर 12 पर आवारा घूमती गायों का समूह सड़क पर हमेशा नजर आता है. इन में से कुछ गाएं आएदिन ट्रक वगैरह की चपेट में आ कर मौत का शिकार हो जाती हैं और कुछ अपाहिज भी.

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सड़कों पर घायल गायों की सुध लेने के लिए कोई नहीं आता. औसतन हर 10 किलोमीटर के दायरे में सड़क किनारे मरी पड़ी गाय की बदबू लोगों का ध्यान खींचती है, पर किसी जिम्मेदार अफसर या नेता का ध्यान इस ओर नहीं जाता.

वहां के बाशिंदे बताते हैं कि गायों की खरीदफरोख्त करने वाले लोग इन गायों को साप्ताहिक लगने वाले एक बाजार से दूसरे बाजार में ट्रकों से ले जाते हैं. कई बार बाजार में मवेशी की सही कीमत न मिलने के चलते ट्रांसपोर्ट का खर्चा बचाने या तथाकथित गौरक्षकों के डर से वे उन्हें दूसरे बाजार के लिए नहीं ले जा पाते.

कुछ कारोबारी गायों के शरीर पर रंग से कोई निशान बना कर उन्हें सड़क पर छोड़ देते हैं. अगले हफ्ते वही कारोबारी आ कर उन की तलाश करते हैं और ज्यादातर गाएं उन्हें मिल भी जाती हैं, जिन्हें वे फिर से बाजार में खरीदफरोख्त के लिए ले जाते हैं.

आवारा घूमती गायों की यह हालत गाय के नाम पर हायतोबा मचाने वाले गौरक्षकों को धता बताती नजर आती है.

मध्य प्रदेश में तो बाकायदा गौसेवा आयोग भी बना है, जिस के अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है, पर प्रदेश में गायों की बदहाली गौसेवा आयोग के वजूद पर ही सवालिया निशान लगाती है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके बाबूलाल गौर ने प्रदेश में गौशाला अनुदान का मुद्दा उठा कर सरकार पर सवाल खड़े किए थे. उन के मुताबिक, प्रदेश में गौशाला अनुदान को ले कर कोई साफ नीति नहीं है.

हो रही है चंदा वसूली

मध्य प्रदेश के कई शहरों में छोटीबड़ी दुकानों पर गाय की आकृति वाली प्लास्टिक की चंदा जमा करने वाली गुल्लकें रखी हुई हैं, जिन में दुकान पर आने वाले ग्राहक चंदे के नाम पर कुछ पैसे डालते हैं.

एक दुकानदार से इस बारे में पूछा गया कि गौशाला चलाने वाली संस्थाओं के नुमाइंदे इन गुल्लकों को दुकान पर छोड़ जाते हैं और एक निश्चित समय में उस में डाली गई रकम निकाल कर ले जाते हैं.

गौशाला चलाने के नाम पर ज्यादातर लोग किसी राजनीतिक दल से जुड़े लोग होते हैं, जो स्वयंसेवी संस्थाएं बना कर सरकारी अनुदान का जुगाड़ करने में माहिर होते हैं.

सड़कों पर आवारा घूमती गायों और इन गुल्लकों को देख कर यह सवाल उठता है कि आखिर गौसेवा के नाम पर उगाहे जा रहे इस चंदे का इस्तेमाल कौन सी गायों की सेवा के लिए किया जाता है?

हालांकि कुछ गौशालाएं आज भी हैं, जो बिना चंदे या सरकारी अनुदान के प्रचार से कोसों दूर कमजोर और बीमार गायों की सेवा कर रही हैं. पर दर्जनों संगठन गौसेवा के नाम पर देश में हिंसा फैला रहे हैं.

गौरक्षकों की टोली आएदिन सड़कों पर गायों को ले जाने वाले ट्रकों को रोक कर ड्राइवर और क्लीनर से मारपीट कर उन से जबरन वसूली करने में भी पीछे नहीं रहती है.

लाखों का घोटाला

छत्तीसगढ़ राज्य में चल रही गौशालाओं को सरकार लाखों रुपए का अनुदान दे रही है, लेकिन इन में से कई ऐसी गौशालाएं भी हैं, जहां गायों को दानापानी तक नहीं मिलता है. कई जगह हालात और भी खराब होने की खबर है.

प्रदेश की 3 गौशालाओं में हुई गायों की मौत के बाद खासा बवाल मचा. जानकारों का साफ कहना है कि अगर गौशालाओं की सही रिपोर्ट तैयार की गई, तो प्रदेश में एक बड़ा चारा घोटाला सामने आएगा.

प्रदेश का गौसेवा आयोग इस समय 67 गौशालाओं को लाखों रुपए का अनुदान दे रहा है. अनुदान देने के लिए यह नियम है कि गाय के लिए प्रतिदिन 25 रुपए की दर से गायों की तादाद के हिसाब से सालभर के लिए अनुदान दिया जाता है.

प्रदेशभर में 115 रजिस्ट्रर्ड गौशालाएं हैं, जिन्हें हर साल सरकार की ओर से करोड़ों रुपए का अनुदान दिया जाता है. इस मामले की तह तक जाने के बाद कुछ अहम दस्तावेज में दुर्ग की शगुन गौशाला में फर्जीवाड़ा होने की बात सामने आई है.

इस संस्था के रजिस्ट्रेशन की तारीख 6 अक्तूबर, 2010 दर्ज है. गौरतलब है कि 905 पशुओं की तादाद वाली इस गौशाला में सरकार की तरफ से जाने वाली अनुदान राशि साल 2014-15 में 20 लाख, साल

2015-16 में 19 लाख 62 हजार, साल 2016-17 में 10 लाख यानी 3 साल में इस गौशाला को तकरीबन 50 लाख रुपए अनुदान के रूप में मिले.

देखा जाए, तो साल 2010 के बाद इस संस्था द्वारा नियम के मुताबिक हर साल औडिट रिपोर्ट विभाग को दी जानी थी, जिस के आधार पर उसे अनुदान राशि दी जानी थी, लेकिन साल 2016 में रजिस्ट्रेशन के बाद से ही औडिट रिपोर्ट नहीं दी गई थी. इस के बावजूद सरकार की तरफ से उन्हें गैरकानूनी तौर पर पिछले 3 सालों में 49 लाख, 62 हजार की रकम दी जा चुकी है.

ऐसे में यह सवाल उठना लाजिम है कि किस आधार पर अफसरों ने बिना औडिट किए ही उस गौशाला को अनुदान राशि दी? राशि का उपयोग गौशालाओं में किस तरह से किया जा रहा है, इस की जांच भी अब तक नहीं की गई.

बेमेतरा जिले की 2 गौशालाओं में 18 अगस्त, 2017 को 157 गायों की असमय मौत का मामला सामने आने के बाद से प्रशासन का ध्यान गौशालाओं की ओर गया है.

वहीं, दूसरी ओर भूखप्यास से मर रही गायों को बचाने के लिए उन्हें दूसरी गौशालाओं में शिफ्ट किया गया है. गंभीर रूप से बीमार गायों का वहीं पर इलाज किया जा रहा है. लेकिन गौशालाओं को करोड़ों रुपए का अनुदान मिलने के बावजूद भी गायों के लिए चारेपानी का पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किया गया.

अनुदान की रकम कहां खर्च की गई और आरोपियों को किन का संरक्षण मिला हुआ है, इस दिशा में कोई जांच अब तक नहीं की गई है.

इस पूरे मामले में गौसेवा आयोग की कमजोरी उजागर हुई है. आयोग की ओर से अनुदान को ले कर अब तक हालात साफ नहीं हैं.

जानकारी के मुताबिक, गौशालाओं पर शासन द्वारा 30 करोड़ रुपए से अधिक का अनुदान जारी किए जाने की बात सामने आई है. इस के बावजूद जिले की 2 गौशालाओं में 157 गायों व साजा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम राजपुर में 5 सौ से ज्यादा गायों की अकाल मौत होने का कलंक छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार पर लग चुका है.

गौशाला और नया प्रयोग

मध्य प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रयोग करने के मामले में नए झंडे गाड़ रहा है. इन में सब से ताजा उदाहरण है भोपाल के पत्रकारिता यूनिवर्सिटी में गौशाला खोलने का फैसला.

इस अनूठी योजना के जनक हैं यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बृजकिशोर कुठियाला. उन की अगुआई में पिछले कुछ सालों में इस पत्रकारिता यूनिवर्सिटी में नए प्रयोग के कई रिकौर्ड बने हैं.

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व संचार यूनिवर्सिटी मध्य प्रदेश सरकार का संस्थान है. इस की स्थापना मध्य प्रदेश सरकार के एक अधिनियम के तहत की गई है.

पिछले दिनों यूनिवर्सिटी ने बाकायदा एक टैंडर नोटिस छाप कर गौशाला खोलने की मंशा जाहिर की. उस से पता चला कि भोपाल में बने रहे 50 एकड़ में फैले अपने नए कैंपस का 10वां हिस्सा यूनिवर्सिटी ने गाय पालने के लिए रिजर्व कर रखा है.

नक्शे के मुताबिक, कैंपस के अगले हिस्से में पढ़ाई होगी, वहीं बीच के हिस्से में शिक्षक और भावी पत्रकार रहेंगे व पीछे की तरफ पशु रहेंगे.

वाइस चांसलर की सोच है कि इस गौशाला से कैंपस में रहने वाले लोगों को असली दूध और ताजा दही मिलेगा और गोबर गैस के अलावा खाद भी मिलेगी, जो सब्जियां उगाने के काम आएंगी. दूध ज्यादा हुआ, तो बाजार में बेच कर यूनिवर्सिटी थोड़ेबहुत पैसे भी कमा लेगी.

वे याद दिलाते हैं कि पुराने समय में नालंदा और तक्षशिला जैसी यूनिवर्सिटी में भी अपनी गौशाला होती थी.

वाइस चांसलर कुछ दिनों में कहने लगेंगे कि नालंदा में बिजली नहीं थी, तो बिजली कटवा दो. गाडि़यां नहीं थीं, तो घोड़े वाले रथों को रखेंगे. तरक्की तो यही है कि सुदूर पूर्व में देखा जाए, गौदान किया जाए.

वैसे, मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नंदकिशोर सिंह चौहान ने यह कह कर इस योजना की तारीफ की है, ‘‘यह एक अनूठा आइडिया है और पहली दफा कोई शैक्षणिक संस्थान हमारी प्राचीन परंपरा का पालन कर रहा है.’’

नेता के प्यार में दिल दिया और जान भी दी

जहां पर भी राजनीति व प्यार का मिलन हुआ है, वहां पर ज्यादातर लड़कियों के साथ धोखा ही होता रहा है. बहुत कम ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने प्यार को निभाया और प्रेमिकाओं की जान बची रही.

उत्तर प्रदेश में एक बड़े नेता हुए, जिन के प्यार में गिरफ्तार हुई कमसिन लड़की को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. वह लड़की जिस दबंगता से कविता पढ़ती थी, उसी दिलेरी से प्यार के मैदान में नहीं टिकी रह सकी. इस का नतीजा यह हुआ कि जब उस के पेट में नाजायज प्यार की निशानी आई, तो उस के नाम की सुपारी दे दी गई.

इस तरह एक होनहार लड़की तथाकथित प्यार की भेंट चढ़ गई. उसे क्या पता था कि जिस शादीशुदा नेता के प्यार में वह गिरफ्तार है, वही उस की जान का दुश्मन निकलेगा. लड़की की जान गई और नेता जेल पहुंच गए.

इसी तरह एक और बड़े नेता के प्यार की आंच में से एक पत्रकार लड़की पेट से हो गई, तो उसे भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया.

एक एयरलाइंस चलाने वाले नेता ने भी अपनी तथाकथित प्रेमिका को मौत के घाट उतार दिया और खुद जेल यात्रा पर निकल गए. वैसे, यह राज हमेशा बना रहेगा कि इन सारे मामलों में कौन कुसूरवार था, नेता या जानबूझ कर प्यार की आग में कूदने वाली वह लड़की, जो शायद नेता के जाल में फंस कर उलझ गई?

हरियाणा के भी एक नेता के प्यार में फिदा हो कर एक वकील औरत ने अपने प्राण गंवा दिए थे.

इस तरह की घटना राजस्थान में भी घटी, जहां एक नेता के प्यार में उलझी औरत की सुपारी मंत्री की पत्नी ने दी और वह बच न सकी.

क्या वजह होती है कि ज्यादातर मामलों में शादीशुदा नेता के जाल में लड़कियां ऐसी फंसती हैं कि उन्हें अपनी जान की भी परवाह नहीं रहती है? वे यह भूल जाती हैं कि इन नेताओं के रुतबे के साथ उन के परिवार का भी वजूद होता है, जो हकीकत में उन से ज्यादा ताकतवर होता है.

इसी तरह एक बड़े नामी मंत्री की पत्नी ने जब बड़े होटल में खुदकुशी की, तब नेता पर शक किया गया. हालांकि यह मौत आज भी राज ही है.

दरअसल, अपने दबदबे के चलते नेता मजे तो लूट लेते हैं, पर लड़की को गले में अटकी हड्डी की तरह न निगल सकते हैं, न उगल सकते हैं. हां, सांपछछूंदर जैसे हालात में फंसे इन नेताओं के प्यार के किस्से देश के राजनीतिक हलकों में सुर्खियां जरूर बटोरते रहे हैं. ज्यादातर मामलों में इस तरह के प्यार का नतीजा लड़की की जान जाने के रूप में होता है.

दिल लुभाएंगे दुलहन के ये अंदाज

शादी के दिन लड़की रिश्ते की नई गांठ जीवनसाथी के साथ बांध कर सालों का सफर तय करने निकल पड़ती है. यही वह दिन होता है जब दुलहन सब से सुंदर और सब से खास दिखना चाहती है. वह चाहती है कि शादी में सब कुछ एकदम सटीक और आकर्षक हो.

शादी के दिन सब से हट कर दिखने के लिए दुलहन को कई बातों का खयाल रखना पड़ता है. हेयरस्टाइल से ले कर मेकअप और शादी का लहंगा चुनने का मुश्किल काम उसे करना पड़ता है, जिस के लिए युवतियां हजारों रुपए खर्च कर देती हैं. शादी के जोड़े में ली हुई तसवीरें दुलहन के लिए जिंदगी भर की पूंजी की तरह होती हैं, जिन्हें देख कर वह मन ही मन मुसकराती है.

लेकिन ब्राइडल वियर का चुनाव करते समय कई युवतियां यह नहीं समझ पातीं कि किस रंग, डिजाइन और पैटर्न का ब्राइडल वियर खरीदें.

मुंबई की ड्रैस डिजाइनर उन्नति गांधी कहती हैं कि शादी का दिन दुलहन के लिए खास दिन होता है. इसलिए सिर्फ यह बात जरूरी है कि वह कैसी दिखना चाहती है. लेकिन यह भी जरूरी है कि वह अपने ब्राइडल वियर का रंग और उस की डिजाइन अपनी बौडी शेप के हिसाब से चुने.

मुंबई की ड्रैस डिजाइनर नाचिकेत बर्वे का मानना है कि दुलहन का परिधान ऐसा होना चाहिए, जिसे वह बाद में भी इस्तेमाल कर सके. कई बार युवतियां अपनी शादी का जोड़ा ऐसा खरीदती हैं, जिसे बाद में नहीं पहना जा सकता. इसलिए दुलहन को कस्टमाइज लहंगे के बारे में भी सोचना चाहिए, जिसे मिक्स और मैच कर के बनाया गया हो.

डिजाइनर नैना जैन का कहना है कि दुलहन को हमेशा अपने कंफर्ट के बारे में सोचना चाहिए. अकसर युवतियां भारी लहंगे ले लेती हैं, जिसे कई घंटे पहनने के बाद थक जाती हैं. इसलिए ध्यान रखें कि शादी का लहंगा वजनी न हो.

हाइट कम हो तो जंचेगा ऐसा लहंगा

उन्नति गांधी बताती हैं कि युवतियों को हाइट के अनुसार बने ब्लाउज पहनने चाहिए. कम हाइट वाली युवतियों को लंबी जैकेट पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे पहनने से उन की हाइट और भी कम दिखाई देगी.

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नाचिकेत कहती हैं कि कम हाइट होने पर ऐसा लहंगा चुनना चाहिए, जिस में ब्रौड बौर्डर्स न बने हों. इस के अलावा यह भी ध्यान रखें कि लहंगे पर हैवी ऐंब्रायडरी न हो.

लहंगे के लिए रंगों का चुनाव

जब भी शादी के लहंगे की बात आती है, तो जेहन में केवल लाल रंग ही आता है. लेकिन लाल और हरे जैसे टिपिकल रंगों के अलावा भी कई ऐसे रंग होते हैं, जो दुलहन पर खूब जंचते हैं.

उन्नति कहती हैं कि दुलहन को लहंगे के रंगों के साथ ऐक्सपैरिमैंट करना चाहिए. सामान्य रंग जैसे लाल और हरे को छोड़ कर पिंक, स्काई ब्लू व ऐक्वा ब्लू रंगों को भी चुनना चाहिए.

भारतीय स्किन टोन पर वैसे तो हर रंग फबता है, लेकिन नाचिकेत की सलाह है कि दुलहन को ऐसे नियोन रंगों से बचना चाहिए, जो बेहद भड़कीले हों. ऐसे रंग पहनने से आप की स्किन टोन फीकी दिखाई देती है.

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नैना जैन के अनुसार दुलहन स्किन कलर के अनुसार ड्रैस के रंगों का चुनाव कर सकती है. गोरे रंग पर पेस्टल कलर्स और गेहुएं रंग पर नीला, रानी, गाजरी जैसे मीडियम टोन के रंग अच्छे लगते हैं तो सांवले रंग पर लाल, मजैंटा और लाइट ब्लू कलर जंचता है.

बौडी शेप को जानना है जरूरी

उन्नति के अनुसार अगर आप हैवी लोअर बौडी टाइप की हैं, तो आप के ऊपर घेरदार लहंगा जंचेगा. इस तरह के लहंगे से आप की लोअर बौडी को शेप मिलेगी और अगर आप हैवी अपर बौडी टाइप की हैं, तो आप को फिश कट लहंगा पहनना चाहिए, जो आप के शरीर की सुंदरता को और उभारेगा.

आजकल भारतीय शादियों में भी वैस्टर्न लुक को भी पसंद किया जाता है. शादी के कुछ समारोहों में लड़कियां घाघराचोली की जगह गाउन पहनना पसंद करती हैं. छोटे शहरों में भी यह ट्रैंड बन गया है.

नाचिकेत का मानना है कि दुलहन को अपने लिए गाउन पसंद करने से पहले अपनी बौडी शेप और हाइट पर ध्यान देना चाहिए. अगर गाउन बौडी शेप के अनुसार न हो, तो वह लुक बिगाड़ सकता है.

ट्रैंड में हैं गाउन के ये स्टाइल्स

अब भारतीय शादियों में भी वैस्टर्न लुक को पसंद किया जा रहा है. युवतियां घाघराचोली की जगह गाउन पहनना पसंद कर रही हैं. बड़े शहरों में ही नहीं, छोटे शहरों में भी यह ट्रैंड बन गया है. आजकल कई तरह के गाउन चलन में हैं, जिन में ड्रैप गाउन सब से ज्यादा प्रचलित है.

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इस ईवनिंग गाउन में 2 तरह के ड्रैप देखे जा सकते हैं. एक साइड ड्रैप है और दूसरा फ्रंट ड्रैप. इस के अलावा साड़ी ड्रैप गाउन भी युवतियों को बहुत पसंद आ रहा है. इस में साड़ी को गाउन की तरह पहना जाता है. ऐसे ही घेर वाले गाउन में सिंड्रेला गाउन बहुत फेमस है, साथ ही स्ट्रेट गाउन और कट आउट गाउन का चलन भी जोरों पर है. कट आउट गाउन उन के लिए है, जिन की बौडी परफैक्ट टोन शेप में हो.

कैसे करें इंडोवैस्टर्न ड्रैस का चुनाव

डिजाइनर उन्नति गांधी कहती हैं कि यदि दुलहन अपने लुक के साथ ऐक्सपैरिमैंट करने की चाह रखती है, तो उस का स्टाइल व लुक और निखर कर आएगा. इंडोवैस्टर्न भी एक ऐसा ही ट्रैंड है, जिस में ट्रैडिशनल और मौडर्न टेस्ट को साथ मिलाया जाता है. दुलहन अपनी शादी के किसी फंक्शन में इंडोवैस्टर्न स्टाइल की धोती और उस के साथ पैप्लम टौप या जैकेट पहन सकती है.

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इन दिनों फ्लैप धोती और सलवार धोती का चलन है, जिस के साथ फैशनेबल टौप्स बेहद जंचते हैं. जिन युवतियों की हाइट अच्छी होती है वे रौयल लुक के प्लाजो के साथ क्रौप टौप और फ्लोर लैंथ जैकेट पहन सकती हैं. इन के साथसाथ इन दिनों वनशोल्डर ड्रैस भी बेहद पसंद की जा रही है, जिस का लुक बिलकुल कफ्तान की तरह होता है.

जोड़े के डिजाइन के साथ करें ऐक्सपैरिमैंट

जरूरी नहीं कि घाघराचोली को एक ही तरह से पहनें. इसे इस तरह से पहनना चाहिए, जिस से इस का लुक बदल जाए. दुलहन अपना दुपट्टा अलगअलग तरह से ड्रैप कर सकती है, जिस से उसे गाउन का लुक मिल सकता है. इसी तरह जरूरी नहीं कि साड़ी को एक ही तरह से पहना जाए, साड़ी को अलग तरह से बांध कर उसे बिलकुल अलग लुक दे सकती हैं. कुछ फंक्शन में धोती साड़ी भी पहनी जा सकती है.

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नाचिकेत का मानना है कि दुलहन को हमेशा ऐसा लहंगा लेना चाहिए, जिसे वह दूसरे कपड़ों के साथ मैच कर के पहन सके जैसे शादी के जोड़े के ब्लाउज के साथ साड़ी और लहंगे के साथ जैकेट ब्लाउज, वहीं जोड़े के दुपट्टे के साथ प्लेन सलवारकमीज भी पहनी जा सकती है.

इस के अलावा ड्रैस को बोल्ड और ब्यूटीफुल लुक देने के लिए चोली के साथ ऐक्सपैरिमैंट्स किए जा सकते हैं. नाचिकेत के अनुसार वन शोल्डर चोली, बैकलैस ब्लाउज, स्लैश लैग्स, औफशोल्डर चोली जैसे डिजाइनों का इस्तेमाल किया जा सकता है. बस दुलहन को इस बात का ध्यान रखना होगा कि ये स्टाइल उस की बौडी शेप पर आकर्षक लगते हैं या नहीं.

ग्लैमरस ब्राइडल लुक

4 कली लहंगा : अकसर देखा जाता है कि बड़ी उम्र की महिलाएं अपनी बौडी को शेप में नहीं रख पाती हैं, इसलिए वे लहंगा पहनने से डरती हैं. लेकिन ढाई मीटर कपड़े से बना 4 कली का लहंगा बौडी को शेप भी देता है और यह पहनने में भी बेहद आरामदायक होता है. ये मोटापे को बड़ी खूबसूरती से छिपा लेता है.

ब्राइट लहंगा लाइट दुपट्टा : जिन्हें ब्राइट कलर का ब्राइडल आउटफिट पसंद नहीं उन के लिए यह कौंबिनेशन परफैक्ट है. ब्राइट पिंक या रैड कलर के ऐंब्रौयडर्ड लहंगे के साथ हलके रंग के बौर्डर वाले नैट दुपट्टे पर बूटी, सितारों का काम करा सकती हैं. यह कौंबिनेशन दिन की शादी में फबेगा.

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शरारा लहंगा : इस लहंगे को युवतियां मेहंदी के फंक्शन में पहनना ज्यादा पसंद करती हैं. इस लहंगे की बनावट ऐसी होती है कि यह हिप से बौडी शेप को खूबसूरती से उभारता है और नीचे का घेर इसे रौयल लुक देता है. इस लहंगे से दुलहन को ट्रैडिशनल कम डिफरैंट लुक मिलता है.

ट्रेल वाला लहंगा : ग्लैमरस ब्राइडल लुक पाने के लिए इस लहंगे से बेहतर और कोई लहंगा नहीं. चूंकि इस पर हैवी ऐंब्रौयडरी होती है इसलिए इस के साथ कुंदन या और कोई हैवी ज्वैलरी मैच न कराएं. अच्छी हाइट वाली छरहरी लड़कियों के लिए यह स्टाइल परफैक्ट है.

कम खर्च की शादी

शादी और कम खर्च यह सुनना शायद सभी को अजीब लगे, पर अब शादी पर कम खर्च का चलन शुरू हो गया है, क्योंकि इस से समय और पैसा दोनों की ही बचत होती है. कुछ लोगों को यह सोच कंजूसी लग सकती है, क्योंकि वे सोचते हैं कि लकड़ी की मेजों पर सफेद चादरें बिछा कर, कैंडल लाइट कर और कम लोगों को आमंत्रित कर शादी के खर्च को कम किया जा सकता है. मगर ऐसा बिलकुल नहीं है.

कम खर्च की शादी के लिए यह जरूरी नहीं कि आप सब कुछ त्याग दें या न करें, बल्कि जो चीजें शादी में जरूरी नहीं होतीं या केवल दिखावे के लिए होती हैं उन्हें छोड़ प्रमुख चीजों पर ध्यान दें. इस प्रकार केवल थोड़ी सी समझदारी और सही प्लानिंग से ही आप शादी को अपने मनमुताबिक और यादगार बना सकते हैं.

इस बारे में वैडिंग प्लानर आशु गर्ग बताते हैं कि शादी सब के लिए यादगार बने इस की मैं हमेशा कोशिश करता हूं, क्योंकि शादी का खर्च व्यक्ति के बजट के आधार पर होना चाहिए ताकि किसी को भी बोझ न महसूस हो. यही मेरे लिए चुनौती होती है. ऐसे में इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है:

डिटेलिंग पर दें ध्यान

पीच कलर के साथ रैड और गोल्डन का चलन विवाह में सालों से है. वैडिंग में इन का खास महत्त्व होता है, लेकिन अब इन में हलके और प्राकृतिक रंगों के मिश्रण को भी अधिक महत्त्व दिया जा रहा है. इस में वैसी ही कलाकृतियों वाले फर्नीचर और पेड़पौधे इस की शोभा को बढ़ाते हैं.

बड़ीबड़ी चीजों से बनावटी सजावट का समय अब नहीं है. अब लोग अपनी पसंद से घर या विवाह मंडप को सजाते हैं, जिस में सजाने वाले का व्यक्तित्व और पसंद पूरी तरह से दिखाई देती है. यह उन के लिए एक चुनौती होती है. इस में कपल्स अधिकतर बौलीवुड की सजावट का सहारा लेते हैं, जिस में डिटेलिंग पर अधिक जोर होता है, जो अधिकतर तरहतरह के कलर कौंबिनेशन पर आधारित होती है ताकि पिक्चर्स अच्छी निकलें.

कम खर्चे की शादी में खूबसूरती के अलावा अधिकतर कपल्स चाहते हैं कि उन की साज सजावट में भी एक शानदार लुक हो, इसलिए डिटेलिंग के अलावा छोटीछोटी चीजों पर भी खुद ध्यान देने की जरूरत होती है. इस में अतिथियों का मनोरंजन सब से ऊपर होना चाहिए. इस के अलावा स्टेज प्रैजेंटेशन, गैस्ट टेबलों का आकार जो गोल या चौकोर में हो और सिल्क के रंगीन कपड़े से ढकी हों ताकि एक कोणीय व्यू मिले.

एक डिजाइन को बड़ा दिखाएं

कम खर्चे की शादी में अधिकतर लोग दीवारों पर कम सजावट करते हैं, जबकि हकीकत में एक अच्छा थीम या डिजाइन सोच कर उसे ही बड़े और कलरफुल तरीके से दिखाना उचित होता है, जिस का केंद्र बिंदुविवाह होना चाहिए. इस में रंग और लाइट्स से ले कर हर बेसिक चीज शामिल होनी चाहिए.

फ्लौवर पावर

फूलों की सजावट आप के हर लुक को शानदार बना देती है. आशु कहते हैं कि फूलों के साथ आप तरहतरह के ऐक्सपैरिमैंट कर वैवाहिक परिदृश्य को अधिक सुंदर बना सकते हैं. फूल सजाने के लिए, दूल्हादुलहन के लिए, सैंटर टेबल और दीवार की डैकोरेशन आदि सभी जगहों पर किसी न किसी रूप में प्रयोग किए जा सकते हैं. गैस्ट टेबल और दीवारों को सजाने के लिए अगर बनावटी फूलों का भी सहारा लिया जाए, तो खर्च और भी कम होता है. इस के अलावा कलरफुल बैरीज और स्ट्राबैरीज को भी सजावट के लिए प्रयोग कर सकते हैं. ये फ्रैश लुक को बनाए रखने में मददगार साबित होती हैं.

नैचुरल लाइटिंग

रोशनी को वैडिंग में सब से खास माना जाता है. अगर यह सही तरह से कर ली जाए, तो सिंपल और ऐलिगैंट वैडिंग कल्पना जो आप ने की है वह गैस्ट और वैडिंग दोनों को ही आकर्षक लगती है. नैचुरल लाइटिंग विवाह के खर्चे को हमेशा कम करती है. मसलन, ओपन हौल, कोलोनियल स्टाइल हौल्स या मध्यम रोशनी के कैफे स्टाइल आदि सभी पारंपरिक और शिल्पकारी की पराकाष्ठा को बयान करते हैं.

डिनर फिएस्टा

विवाह में भोजन सब से महत्त्वपूर्ण होता है, जिस में संतुलित आहार होने के साथसाथ उस की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है. लंबी लिस्ट मेनू होने से अतिथि खुश हों, यह जरूरी नहीं, क्योंकि वे पूरे मेनू का स्वाद चखने में असमर्थ होते हैं. इसे साधारण और गुणवत्तापूर्ण रखें, क्योंकि आज लोग क्वांटिटी से अधिक क्वालिटी पर विश्वास रखते हैं. इसे परोसने के लिए थोड़ी कला और प्यार रखें ताकि उन्हें एक अच्छा माहौल मिले.

ट्रीट ओ ट्रीट

विवाह में आजकल केक काटने का चलन है. ऐसे में अलगअलग स्टाइल के केक इस की शोभा को बढ़ाते हैं. इस में आप अपनी कला को शामिल कर इसे खूबसूरत बना सकते हैं. जरूरत हो तो कुछ फूलों से इस की शोभा और अधिक बढ़ाई जा सकती है.

परिधान हों यादगार

हैवी ऐंब्रौयडरी वाले गाउन्स और लहंगों का जमाना अब नहीं है. ऐसे में स्टाइलिश और सुंदर दिखने वाले गाउन्स आज की मांग हैं. कपल्स आजकल आरामदायक और क्लासिक ड्रैस पहनना पसंद करते हैं, जिस में कट्स और प्लीट्स पर ध्यान देना आवश्यक होता है. लहंगाचोली या साड़ी, सिल्क या शिफौन के कपड़े पर मनपसंद रंग के अनुसार अच्छी कढ़ाई ही वैडिंग को शानदार बनाती है. साथ में सफेद लिली का बुके या बालों में फूल लगाने पर दुलहन मूर्तिकला की प्रतिरूप लगती है. गहने जरूरत के हिसाब से लेने चाहिए और उन में नथ, बाजूबंद और कमरबंद को शामिल करना न भूलें.

कम कीमत में चाहिए पावर बैंक तो ये हैं बेस्ट औप्शन

आज के दौर में हर कोई स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है. पहले जो फोन इस्तेमाल किये जाते थे उनकी बैटरी एक बार चार्ज करने के बाद तीन दिन तक चलती थी. वहीं, अब स्मार्टफोन्स की बैटरी एक दिन भी ठीक से नहीं चल पाती. अब हर जगह चार्जर ले जाना तो संभव नहीं है. ऐसे में अब यूजर्स ने अपने फोन को चार्ज करने के लिए पावर बैंक का प्रयोग करना शुरू कर दिया है. आमतौर पर पावर बैंक खरीदते समय यूजर्स सबसे ज्यादा ध्यान उसकी बैटरी क्षमता पर देते हैं. तो आइये जानते हैं कम कीमत में मिलने वाले पावरबैंक के बारे में.

Xiaomi Mi Power Bank 2i (20000mAh)

शाओमी मी पावर बैंक 2i में 20,000 एमएएच की बैटरी दी गई है. जिसकी किमत 1,499 रुपये है. यह 2i क्वालकौम क्विक चार्ज 3.0 को सपोर्ट करता है. इसके अलावा यह ड्यूल-USB आउटपुट के साथ आता है, जिसकी मदद से आप फोन को चार्ज करने के साथ-साथ मी पावर बैंक को भी चार्ज कर सकते हैं. इसकी मदद से आप ब्लूटूथ हेडसेट और फिटनेस बैंड जैसे डिवाइस को भी कम बिजली में चार्ज कर सकते हैं.

Honor 10000 Power Bank

हौनर कंपनी ने 1,399  किमत में अपना पावर बैंक 10,000 एमएएच बैटरी के साथ बाजार में पेश किया है. इसे एल्यूमिनियम यूनीबौडी से डिजाइन दिया गया है. इसे केवल एक बार चार्ज करने पर आप अपने आईफोन 6 को तीन बार तक चार्ज कर सकते हैं. इस पावर बैंक में दो USB पोर्ट दिए गए हैं जिसकी मदद से एक ही समय में आप दो डिवाइस को चार्ज कर सकते हैं.

Lenovo PA13000mAh Power Bank

लेनोवो MP1060 पावर बैंक 3.7V 10,000 एमएएच लिथियम-पौलिमर बैटरी के साथ आता है. यह पावर बैंक तापमान को भी कंट्रोल करने के साथ आपके डिवाइस को ज्यादा गर्म होने से बचाता है. इस पावर बैंक की मदद से ओवरचार्जिंग और डिस्चार्जिंग को रोका जा सकता है.

Ambrane P-1310 13000mAH Power Bank

Ambrane कंपनी ने हाल ही में भारत में अपना 20000 एमएएच PP2000 Plush सीरीज पावर बैंक को पेश किया है. इस पावर बैंक की मदद से आप कई डिवाइस को चार्ज कर सकते हैं. पावर की अल्ट्रा लार्ज कैपासिटी, आपके स्मार्टफोन को 6-7 गुना तक फुल चार्ज कर सकता है. इसकी कीमत 1,999 रुपये है.

Intex 11,000mAh

इस पावरबैंक के जरिए आप किसी भी स्टैंडर्ड स्मार्टफोन को 4 बार तक चार्ज कर सकते हैं. इस डिवाइस की खास बात यह है कि यह तीन USB पोर्ट्स के साथ आता है. यह आपको 1 साल की वारंटी के साथ सिर्फ 999 रुपये में उपलब्ध है.

आपके अपने घर का सपना अब बैंक करा रहे हैं पूरा

जो लोग अपने घर के सपने को साकार करने के लिए नया होम लोन लेने का मन बना रहे हैं या फिर लोन ले चुके हैं और किस्त चुका रहे हैं तो उनके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि अब उनके इस सपने को पूरा करने के लिए बैंक उनकी मदद कर रहा है. कई बैंक ऐसे हैं जिन्होंने अपने होम लोन पर ब्याज दरों में कमी की है. बैंकों और कई वित्तीय संस्थाओं ने होम लोन की ब्याज दरों में कटौती की है. वेतनभोगी और नौकरीशुदा महिलाओं को होम लोन देना बैंकों की प्राथमिकता में शामिल है.

एसबीआइ से लेकर आइसीआइसीआइ बैंक, जैसे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों ने अपने होम लोन पर ब्याज की दरों में कमी की हैं. तो आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं बैंको और उनकी होमलोन के बारें में.

एसबीआई होम लोन

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सस्ते मकानों के होम लोन पर ब्याज में दो किस्तों में 0.30 प्रतिशत तक की कटौती की है. 30 लाख रुपये से कम के लोन की ब्याज दरों में 0.30% कटौती की गयी है और यह 8.30% पर आ गयी है. नयी महिला ग्राहकों को यह 8.30 प्रतिशत की दर पर होम लोन उपलब्ध करा रहा है.

आइसीआइसीआइ बैंक होम लोन

निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई ने भी 30 लाख रुपये से कम के होम लोन के लिए ब्याज की दरें घटा दी हैं. यह 30 लाख रुपये तक के कर्ज पर ब्याज दर 0.30 प्रतिशत घटाने की घोषणा की है. इसके तहत वेतनभोगी महिलाओं को 8.35 प्रतिशत तथा अन्य नौकरीशुदाओं को 8.4 प्रतिशत ब्याजदर पर होम लोन दिया जाएगा.

पीएनबी होम लोन

पीएनबी आम लोगों के लिए 8.35 फीसदी की ब्याज दर पर होम लोन उपलब्ध करा रहा है.

एचडीएफसी होम लोन

अब एचडीएफसी महिलाओं को 30 लाख रुपये तक का कर्ज 8.35 प्रतिशत ब्याज पर दे रहा है, जबकि अन्य के लिए यह कर्ज 8.40 प्रतिशत पर उपलब्ध होगा. तीस लाख रुपये से लेकर 75 लाख रुपये के कर्ज पर नयी ब्याज दर सभी ग्राहकों के लिए 8.50 प्रतिशत होगी, जबकि 75 लाख रुपये से अधिक का ऋण 8.55 प्रतिशत ब्याज पर मिलेगा.

एक्सिस बैंक होम लोन

एक्सिस बैंक 8.35 फीसदी पर लोन दे रहा है. स्वरोजगार कर रहे लोगों के लिए ब्याज दर 8.4 फीसदी रखी गयी है.

शिखर धवन बने वनडे में 4000 रन बनाने वाले दूसरे सबसे तेज बल्लेबाज

टीम इंडिया ने श्रीलंका के खिलाफ विशाखापट्टनम में हुए तीसरे और अंतिम वनडे में आठ विकेट से जीत हासिल करते हुए लगातार आठवीं द्विपक्षीय सीरीज जीती. यह वनडे टीम इंडिया के ओपनर बल्‍लेबाज शिखर धवन के लिए विशेष उपलब्धि वाला रहा. टीम इंडिया के धाक्कड़ खिलाड़ी शिखर धवन ने रविवार को वाई. एस. राजशेखर रेड्डी एसीए-वीसीए स्टेडियम में अपने चार हजार रन पूरे कर एक खास मुकाम हासिल किया.

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धवन ने 95 पारियों में अपने चार हजार रन पूरे किए इतना ही नहीं उन्होंने ने इस मैच में 85 गेंदों में 13 चौके और दो छक्कों की मदद से 100 रन बनाते हुए अपनी टीम को एक अहम जीत दिलाने में भी मदद की. बता दें कि भारत ने श्रीलंका को तीन वनडे मैचों की सीरीज में 2-1 से मात दी.

धवन से पहले भारतीय बल्लेबाजों में सिर्फ विराट कोहली ही ऐसे हैं जिन्होंने कम पारियों में चार हजार रन अपने खाते में डाले.

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धवन ने चार हजार रन पूरे करने के लिए 95 पारियां खेली जबकि कोहली ने चार हजार रन पूरे करने के लिए 93 पारियां खेली थीं. वहीं कुल पांच खिलाड़ियों ने धवन से कम पारियों में चार हजार रन पूरे किए हैं. उन्होंने इस प्रारूप में 12 शतक लगाए हैं. वह सबसे कम पारियों में 12 शतक लगाने वाले 5वें बल्लेबाज हैं.

भारतीय बल्लेबाजों में धवन से पहले कोहली ने 83 पारियों में 12 शतक लगाए थे. इसी तरह सबसे तेज 12 शतक दक्षिण अफ्रीका के बाएं हाथ के विकेटकीपर बल्‍लेबाज क्विंटन डी काक ने भी लगाए हैं. क्विंटन डी ने महज 74 पारियों में 12 शतक जड़े हैं.

अगर आपके पास है LIC पौलिसी, तो आप ले सकते हैं सस्ता लोन

आमतौर पर भारतीय परिवारों में किसी न किसी सदस्य की भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की पौलिसी रहती है. लेकिन शायद ही आपको यह जानकारी हो कि यह भविष्य सुरक्षित जीवन बनाएं रखने के साथ ही सस्ता लोन लेने के काम भी आती है.

एलआईसी की पौलिसी आपको निवेश, कर लाभ और लोन की भी सुविधा देती है. आमतौर पर लोगों में यही धारणा है कि लोन सिर्फ आपकी व्यक्तिगत कमाई के आधार पर ही मिलता है. लेकिन हम आपको बता दें कि एलआईसी की पौलिसी पर आप लोन ले सकते हैं और वह भी बाजार रेट से कम पर. आपको बता दें कि भारतीय जीवन बीमा नि‍गम से ली गई पौलि‍सी पर आप लोन ले सकते हैं.

ऐसे मिलेगा पौलिसी पर लोन

आपको बता दें कि आज के समय में सभी सरकारी और निजी सेक्‍टर के बैंक, बीमा पौलि‍सी पर लोन की सुविधा देते हैं. हालांकि यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि बीमा पौलिसी पर मिलने वाला लोन, पर्सनल लोन की तरह कम होता है लेकिन आसानी से मिल जाता है. इस लोन को लेने के दौरान बीमा पौलिसी को गांरटी के तौर पर बैंक के पास रखना होता है. लोन अमाउंट पौलिसी की सरेंडर वैल्यू पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए यदि आपकी पौलिसी की सरेंडर वैल्यू एक लाख रुपए हैं तो आपको 80 रुपए तक का लोन आसानी से मिल जाएगा. इतना ही नहीं यह लोन अन्य बैंकों के हिसाब से कम ब्याज दर पर भी होगा.

किन पौलिसी पर मिल सकेगा लोन

यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सभी बीमा पौलिसी पर लोन नहीं मि‍लता. ग्राहक को एलआईसी के एंडोमेंट प्‍लान के तहत लोन फैसेलिटी मि‍लती है. इन पर सरकारी और निजी बैंक दोनों ही लोन देने के लि‍ए तैयार हो जाते हैं. इसके अलावा आपको ब्याज समेत लोन लौटाने के साथ ही बैंक की तरफ से यह विकल्प भी दिया जाता है कि आप ब्याज का भुगतान करें और लोन की रकम दावा भुगतान के समय काटने के लिए कहें.

इन दस्तावेजों की जरूरत

यदि आप भी बीमा पौलिसी पर लोन लेना चाहते हैं तो इसके लिए शुरुआत में आपको आवेदन पत्र भरना होगा. इसके बाद आपसे पौलिसी की मूल प्रति को बैंक जमा करवाएगा. साथ ही पौलिसी से मिलने वाले सभी लाभों को लोन की अवधि के दौरान, बैंक या कंपनी में जमा रखा जाएगा. इसके लिए बाकायदा आपसे पेपर्स पर साइन कराए जाते हैं. जब तक आप लोन की राशि को चुकता नहीं कर देते तब तक पौलिसी जमानत के तौर पर रहती है. इसके अलावा बैंक पौलिसी की भविष्‍य में जमा की जाने वाली प्रीमियम की रसीद भी मांगता है.

कि‍तनी ब्‍याज दर पर मि‍लता है लोन

बीमा पौलिसी पर मिलने वाले लोन की ब्‍याज दर का निर्धारण भुगतान किए गए प्रीमियम और दिए जाने वाले प्रीमियम की संख्‍या पर निर्भर करता है. इस पर ब्याज दर साधारण लोन पर लगने वाली ब्‍याज दर से कम होती है. आपको बता दें कि भारतीय जीवन बीमा निगम की वर्तमान ब्‍याज दर 9 प्रतिशत हैं. वहीं बैंक से लोन लेने पर आपको 10 से 14 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना पड़ता है.

ऐसे किया जाता है लोन का भुगतान

बीमा पौलिसी पर लिए जाने वाले लोन का भुगतान अन्य लोन की तरह किश्तों में किया जाता है. यह कंपनी या बैंक की पौलि‍सी के अनुसार अलग-अलग होता है. इसकी न्‍यूनतम अवधि 6 महीने होती है. कई कंपनियां और बैंक बचे हुए पौलिसी टर्म के हिसाब से भी लोन औफर करती हैं.

अनुराग कश्यप को अभिषेक बच्चन का सहारा

वक्त इंसान से क्या क्या नहीं करवाता है. सूत्रों पर यकीन किया जाए, तो यह वक्त ही है, जो कि बौलीवुड के असफल कलाकार अभिषेक बच्चन और बौलीवुड के असफल निर्देशक अनुराग कश्यप को एक साथ ऐसी फिल्म के साथ जोड़ रहा है, जो फिल्म पिछले दो वर्षों से बन नहीं पा रही है. सूत्रों का दावा है कि आनंद एल राय ने दो वर्ष पहले फिल्म ‘‘मनमर्जिया’’ शुरू की थी, जिसके निर्देशक समीर शर्मा और कलाकार आयुष्मान खुराना व भूमि पेडणेकर थे. 25 प्रतिशत शूटिंग होने के बाद इस फिल्म से समीर शर्मा की छुट्टी कर दी गयी. चार माह बाद फिल्म ‘निल बटे सन्नाटा’ फेम निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी के निर्देशन में यह फिल्म शुरू हुई, पर चार दिन बाद ही पुनः फिल्म बंद हो गयी और अश्विनी अय्यर तिवारी ने फिल्म ‘‘मनमर्जिया’’छोड़ दी.

सूत्रों का दावा है कि दो बार निर्देशक बदले जाने के बाद आनंद एल राय को जब ‘मनमर्जिया’ के लिए कोई सफल निर्देशक नहीं मिला, तो उन्होंने बेकार घूम रहे असफल निर्देशक अनुराग कश्यप को जोड़ा. अनुराग कश्यप के निर्देशक के तौर पर जुड़ते ही इस फिल्म को आयुष्मान खुराना व भूमि पेडणेकर ने फिल्म छोड़ दी. तब इस फिल्म के साथ तापसी पन्नू और मलयालम कलाकार दलक्वीर सलमान को जोड़ा गया. मगर सूत्र बता रहे हैं कि यह दोनों कलाकार भी अब इस फिल्म में नहीं हैं. सूत्रों का दावा है कि हर तरफ से हार कर अब फिल्म ‘‘मनमर्जिया’’ से अभिषेक बच्चन को जोड़ा गया है.

वैसे अनुराग कश्यप और अभिषेक बच्चन दोनों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है.

ज्ञातब्य है कि अभिषेक बच्चन की पिछली कई फिल्में बुरी तरह से असफल रहने के बाद से उनके पास फिलहाल कोई फिल्म नहीं है. तो दूसरी तरफ यही हालात अनुराग कश्यप के हैं. अनुराग कश्यप की लगातार कई फिल्में असफल होने के बाद उनके तीनों भागीदारों ने उनसे रिश्ता खत्म कर‘‘फैंटम’’ कंपनी ही बंद कर भागीदारी वाली कंपनी‘फैंटम’में बिखराव हो गया. अनुराग कश्यप के तीन भागादारों ने उनका साथ छोड़ दिया. हर तरफ से निराश होकर अनुराग कश्यप को बड़ी मुश्किल से दो वर्ष से की हुई फिल्म ‘मनमर्जिया’मिली है, पर उनके साथ कोई कलाकार काम करने को तैयार नहीं था. तो अब वह असफल कलाकार अभिषेक बच्चन पर दांव लगाने जा रहे हैं.

भाई के लिए वरूण धवन के पास वक्त नहीं

वरूण धवन का करियर बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है. आज की तारीख में वह इस कदर व्यस्त हैं, कि उनके पास अपने निर्देशक भाई रोहित धवन के लिए भी वक्त नहीं है. सूत्रों के अनुसार निर्माता साजिद नाड़ियादवाला के लिए रोहित धवन एक सुपर हीरो वाली फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रहे हैं, जिसका निर्देशन रोहित धवन ही करेंगे. रोहित धवन अपनी इस फिल्म से अपने भाई व अभिनेता वरूण धवन को जोड़ना चाहते हैं, मगर रोहित की इस फिल्म में अभिनय करने के लिए वरूण धवन के पास वक्त नहीं है.

सूत्र बता रहे हैं कि वरूण धवन इन दिनों फिल्म ‘‘अक्टूबर’’ का पैचवर्क की शूटिंग कर रहे हैं. इसके बाद वह जनवरी माह में अनुष्का शर्मा के साथ फिल्म ‘‘सुई धागा’’ की शूटिंग शुरू करेंगे. इसके बाद उन्हे अभिषेक बर्मन की मल्टीस्टारर फिल्म पूरी करनी है. इतनी व्यस्तता के चलते वरूण ने अपने भाई रोहित से साफ कह दिया है कि वह उन्हे कम से कम 2019 तक समय नहीं दे सकते.

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मजेदार बात यह है कि रोहित धवन चाहते हैं कि वह अभिनेता के तौर पर सफल अपने छोटे भाई के साथ फिल्म करें, पर छोटा भाई तो अलग ही व्यस्त है. वरूण धवन के मना करने पर अब रोहित धवन क्या करेंगे पता नहीं मगर साजिद नाड़ियाडवाला ने उन्हे सलाह दी है कि वह इस फिल्म के लिए रितिक रोशन से बात कर लें.

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