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40 + में भी दिखना चाहती हैं हसीन, तो आजमाइये ये आसान से टिप्स

बात चाहे 20 प्लस की हो या 50 प्लस की, हर उम्र में महिलाएं अपनी खूबसूरती को निखारने के लिए कई जतन करती रहती हैं. मेरी पड़ोसिन 50 प्लस की हैं, लेकिन उम्र के इस दौर में भी अपने मेकअप और लुक को ले कर बहुत ही ऐक्टिव हैं. हो भी क्यों न? उम्र के इस पड़ाव में अपने लुक को निखारने की जरूरत 20 प्लस की लड़कियों से ज्यादा होती है, क्योंकि ढलती उम्र में ढीली त्वचा, रिंकल्स और फाइन लाइंस चेहरे की रंगत चुरा लेती हैं. अत: चेहरे की रौनक को पाने के लिए अपनाएं इन मेकअप ट्रिक्स को, जिन्हें बता रही हैं मेकअप आर्टिस्ट और सैलिब्रिटी हेयर डिजाइनर सिमरन और परमजीत सोई:

फेस मेकअप ट्रिक्स : चेहरे को अच्छी तरह साफ कर के दागधब्बों पर कंसीलर लगाएं ताकि वे आसानी से छिप सकें. फिर उस पर हलके हाथों या ब्रश से कौंपैक्ट पाउडर लगाएं. अब इस पर स्किन मैचिंग फाउंडेशन बेस का इस्तेमाल करें.

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इसे पूरे चेहरे पर लगाते हुए अच्छी तरह से मर्ज करें. कभी भी ज्यादा बेस का इस्तेमाल न करें वरना यह स्किन को और भी खराब दिखाएगा. बेस लगाने के बाद हलके ब्रश से मैचिंग लूज पाउडर लगाएं ताकि बेस सैट हो जाए.

आईज मेकअप : बेस लगाने के बाद आई मेकअप की शुरुआत करें. आंखों पर क्रीम बेस शैडो न लगा कर पाउडर बेस शैडो ही लगा कर अच्छी तरह ब्रश से मर्ज करें. फिर लाइट ब्राउन या पीच कलर का शैडो लगाएं. इसे हलके हाथों से आंखों के बाहरी किनारों से ले कर अंदर की तरफ लाते हुए लगाएं. बाहर की तरफ अंदर से हलका डार्क ही रखें. अब ब्राउन व ब्लैक कलर मिक्स कर के ब्रश से लाइनर लगाएं. अंदर से लगाते हुए बाहर की तरह हलका सा ऊपर उठाते हुए लगाएं.

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अगर वाटर लाइन एरिया में काजल की जरूरत लगे तभी लगाएं नहीं तो बाहर की तरफ हलका लाइनर लगा कर ब्रश से मर्ज कर दें. आईब्रोज को शार्प दिखाने के लिए बालों के कलर की आईब्रो पैंसिल का प्रयोग करें. लेकिन उसे ज्यादा परमानैंट न करें. हलकी पैंसिल चला कर कौटन से पोंछ दें ताकि वह आर्टिफिशियल न लगे.

लिप मेकअप : होंठों के आकार के अनुसार उन की आउट लाइन बनाएं. यदि होंठ पतले हैं तो बाहर की तरफ निकालते हुए आउट लाइन बनाएं और मोटे हैं तो अंदर की तरफ दबाते हुए आउट लाइन बनाएं. आउट लाइन भी डार्क कलर की न करें.

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जो कलर आप की लिपस्टिक का है उसी कलर से करें. लिपस्टिक का कलर भी उम्र के अनुसार लाइट पिंक, पीच व लाइट ब्राउन ही रखें. फिर आउट लाइन के बाद होंठों पर लिपस्टिक फिल करें.

चीक्स मेकअप : आखिर में चीक्स को उभारने के लिए चीक्सबोन पर ब्रश की सहायता से नीचे से ऊपर की ओर एक स्ट्रोक में पीच कलर का ब्लशर लगाएं. ऐसे ही दूसरी साइड के गाल पर लगाएं.

रौयल हेयरस्टाइल : बालों पर हलकी बैककौंबिंग कर एक साइड के बालों को अच्छी तरह से नीड कर के पिन लगाएं. ऐसा ही दूसरी तरफ के बालों को कर के फ्रैंच रोल बना कर पिन लगाएं.

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अब आगे के बालों का 1-1 सैक्शन ले कर बैककौंबिंग करें. वन साइड बालों को हलका नीड कर के पिन लगाएं. हेयरस्टाइल बन जाने के बाद पूरे बालों पर हेयर स्प्रे लगाएं. फिर उसे आर्टिफिशियल फ्लौवर से पीछे की तरफ सजाएं. अब साड़ी से मैचिंग लाइट ज्वैलरी पहनें. रौयल लुक तैयार है.

राजनीति हो या गृहस्थी, बात मेहनत से ही बनती है

गुजरात के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी का संघर्ष एक बात साफ करता है कि जीवन संघर्ष का नाम है और कुछ पाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है. नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों ने दिखावे के लिए मंदिरों में खूब मत्थे टेके पर असल में उन्हें जितनी भी सीटें मिलीं, अपनी कर्मठता के कारण. अगर नरेंद्र मोदी चुप बैठ जाते और रातदिन भाषणों की झड़ी न लगाते तो राहुल गांधी गुजराती पेड़ा गटक जाते. अगर राहुल गांधी यह सोच कर 10 जनपथ में दुबक जाते कि 1947 से उन का परिवार सत्ता के शिखर पर ही है तो आज वे कहीं के न होते.

यह राजनीतिक पाठ हर घर को पढ़ना चाहिए. सफल गृहस्थी का राज भी यही है कि हर समय सतर्क रहो, कर्मठ रहो और घर के हर सदस्य को काम में लगाए रखो. बहुत से परिवार विनाश केवल इसलिए देखते हैं, क्योंकि उन की औरतें अपनी मूल जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेती हैं और घर को ठीक करने की जगह अपने साजशृंगार या किट्टी पार्टियों में तंबोला खेलने में दक्ष होने को सफलता मान लेती हैं.

घर में पैसा हो तो भी उसे बचाए रखने में उतनी ही मेहनत करना जरूरी है जितनी नरेंद्र मोदी ने लोक सभा में 2 तिहाई सीटों और 29 में से 19 राज्यों की विधान सभाओं के कब्जे के बाद की. हां, उन की कमी इस बात की रही कि उन्होंने सारा बोझ अपने कंधों पर डाल लिया. यह भी हर हाउसवाइफ या वर्किंगवाइफ को एक सबक है कि ज्यादा काम करना थकाता नहीं वरन मजबूती ही देता है. ऐफिशिएंट और इंटैलीजैंट औरत ही घर व बाहर को ढंग से देख सकती है.

नरेंद्र मोदी ने जिस तरह गुजरात का जिम्मा वहां के अनजाने से मुख्यमंत्री विजय रूपानी पर ही नहीं छोड़ दिया, उसी तरह घर में रसोई या साफसफाई दूसरों पर न छोड़ें भले ही वे कितने ही दक्ष या विश्वसनीय ही क्यों न हों. यह न भूलें कि हर समय आप के घर पर भी दूसरों की नजर है जैसे राहुल गांधी की गुजरात पर थी. पति की खुद की और बच्चों की मनमानी व उन की सुरक्षा पर सतर्क रहना चाहिए.

राजनीति से सबक सीखें कि घर में भी केवल रोब से ही नहीं लेनदेन का भी योगदान होता है. जिस तरह राहुल गांधी ने कांग्रेस को बचाए रखने के लिए हार्दिक पटेल, जिग्नेश मवानी, अल्पेश ठाकुर की सहायता ली, वैसे ही सास, ननद, जेठानी, पड़ोसिन की सहायता लेना गलत नहीं है. यह सहायता बोझ नहीं होती, बल देती है.

इन चुनावों में दोनों पार्टियों ने बेहद पैसा खर्चा. हर सभा करने पर लाखों रुपए खर्च होते हैं. खुद के वजूद को बचाने के लिए यह पैसा होना जरूरी है. फक्कड़ हो कर राजनीति नहीं की जाती. कांग्रेस अमीर भाजपा से कहीं कम नहीं दिखी. इसी तरह हर घरवाली को शादी, उत्सव, बीमारी, मुकदमे के लिए पैसा बचा कर रखना चाहिए. छोटे खर्चों की लगभग कटौती से ही बड़ी लड़ाई को लड़ने का बल मिलता है. आजकल छोटे से रोग पर भी हजारों खर्च हो जाते हैं. पढ़ाई पर लाखों लग जाते हैं.

राजनीति का एक पाठ यह भी है कि ऊंचनीच चलती रहती है. बहन या जेठानी के पास ज्यादा है तो ईर्ष्या से काम नहीं चलता, मेहनत से बात बनती है. रातदिन लगे रहना जरूरी है. पति की भी हिम्मत बढ़ाएं. उन्हें ही कमाना है तो पत्नी को संभालना है. दोनों कमाते हैं तो भी संभालने की जिम्मेदारी घरवाली की है. विरासत में मिले पैसे व रोब को भी संभालना आसान नहीं. एक बार की फतह हरदम नहीं चलती. जिंदगी लगातार चलने वाली रेस है.

साडि़यों और अन्य ड्रैसों से भी आगे दुनिया है, दुनिया की चुनौतियां हैं. हर घर पर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी छाप रहनी चाहिए तभी सफलता मिलेगी.

फेसबुक करने जा रहा है बड़ा बदलाव, मिलेगी सिर्फ काम की जानकारी

साल 2018 में बहुत कुछ बदल रहा है. इसमें से एक सबसे चर्चित सोशल मीडिया प्लेटफौर्म फेसबुक भी इस साल कुछ बदलाव करने की योजना बना रहा है. चर्चा है कि फेसबुक जल्द ही नए फीचर शुरू करने वाला है. इन फीचर्स के आने के बाद यूजर्स को सिर्फ काम की चीजें मिलेंगी. फेसबुक अपने उपभोक्ताओं को यूजर्स फ्रेंडली अनुभव देने के लिए जल्द ही बड़े बदलाव करने वाला है. जिसके बाद यूजर्स को फेसबुक बिल्कुल नए और बेहतर ढंग से देखने को मिलेगा.

क्या होगा बदलाव

इस बदलाव के अंतर्गत फेसबुक की न्यूजफीड में ‘रिलिवेंट कंटेंट’ की तुलना में ज्यादा ‘मीनिंगफुल’ कंटेंट नजर आएगा. इस बदलाव के अंतर्गत फेसबुक की न्यूजफीड में उनके काम का ज्यादा कंटेंट ज्यादा नजर आएगा. फेसबुक के इस नए प्लान के बाद यूज़र्स को फेसबुक पर कम समय खर्च कर, ज्यादा मीनिंगफुल और रिलेवेंट कंटेंट मिल सकेगा.

फेक न्यूज पर लगाम की तैयारी

फेसबुक पर लम्बे समय से फेक न्यूज और गलत जानकारी फैलाने के आरोप लगते आए, जिसकी वजह से यूज़र्स पर नकरात्मक प्रभाव पड़ता है. इस कदम के जरिए फेसबुक का प्रयास है, वह यूजर्स तक सटीक और बेहतर कंटेंट पहुंचा सके.

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Facebook पर भूलकर भी पोस्‍ट न करें ये चीजें

पूरी बर्थडेट कभी न डालें

बर्थडे के दिन अपनी फेसबुक वौल पर “हैप्‍पी बर्थडे” मैसेज पढ़कर यूजर्स सबको बेहद खुशी होती है. यही वजह है कि हम में से ज्‍यादातर लोग अपने जन्‍मदिन की तारीख फेसबुक पर जरूर मेंशन करते हैं, लेकिन ऐसा करते वक्‍त हम ये भूल जाते हैं कि हम चोरों को अपने बारे में बेहद निजी जानकरी दे रहे हैं. वैसे यूजर्स को बर्थ डेट मेंशन करने से बचना चाहिए, लेकिन फिर भी अगर आप ऐसा करना ही चाहते हैं तो कम से कम से बर्थ ईयर के बारे में कोई जानकारी न दें. वैसे भी जो आपके सच्‍चे और पक्‍के दोस्‍त होंगे उन्‍हें आपके बर्थडे के बारे में मालूम ही होगा.

रिलेशनशिप स्‍टेटस

चाहे आप रिलेशन में हों या न हों, उसे सार्वजनिक रूप से जाहिर न करने में ही अक्‍लमंदी है. अगर आप अपना स्‍टेटस कमिटेड से सिंगल करते हैं तो उन लोगों को मौका मिल जाता है जो काफी समय से आपके पीछे पड़े हुए थे. इससे उन्‍हें यह भी पता चल जाता है कि अब आप ज्‍यादातर समय अकेले रहते हैं. ऐसे में बेहतर यही रहेगा कि अपने प्रोफाइल में रिलेशनशिप स्‍टेटस को ब्‍लैंक ही छोड़ दिया जाए.

करंट लोकेशन

ऐसे कई लोग हैं जिन्‍हें फेसबुक पर लोकेशन टैग करना बहुत अच्‍छा लगता है ताकि वे बता सकें कि 24 घंटे सातों दिन वे कहां रहते हैं. यानी कि आप खुलेआम इस बात का ऐलान करते फिर रहे हैं कि आप छुट्टियों पर हैं (और आपके घर में कोई नहीं है). इस पर अगर आप ये भी बता दें कि आप कितने दिनों के लिए बाहर गए हैं तो चोरों का काम आसान हो जाता है और वे आसानी से आपके घर पर हाथ साफ करने की साजिश रच लेते हैं. अच्‍छा यह रहेगा कि छुट्टियों से वापिस आने पर आप फोटो अपलोड कर अपने दोस्‍तों को जताएं कि जब वो काम कर रहे थे तब आप घूमने, खाने-पीने और शौपिंग में बिजी थे.

घर पर अकेले हैं तो रखें खास एहतियात

पेरेंट्स को इस बात का खास ध्‍यान रखना चाहिए कि जब उनके बच्‍चे घर पर अकेले हों तब न तो खुद और न ही बच्‍चे इस बारे में अपने-अपने फेसबुक एकाउंट पर कुछ लिखें. वैसे भी जब आप घर पर अकेले होते हैं तब खुद किसी अजनबी के घर जाकर उसे इस बारे में जानकारी नहीं देते हैं तो फेसबुक पर भी ऐसा न करें. हमें लगता है कि सिर्फ हमारे दोस्‍त ही हमारा स्‍टेटस पढ रहे हैं, लेकिन असल में हमें पता ही नहीं होता है कि कौन-कौन उसे पढ़ रहा है. हो सकता है कि आपके दोस्‍त का एकाउंट हैक हो गया हो या दफ्तर में उसके पीछे खड़े होकर कोई चुपके से आपके स्‍टेटस को पढ़ रहा हो. सबसे अच्‍छा तरीका यही है कि आप फेसबुक पर ऐसा कोई स्‍टेटस अपलोड न करें जिसे आप किसी अजनबी से कभी शेयर नहीं करेंगे.

बच्‍चों की तस्‍वीरें उनके नाम से टैग न करें

कई बार तो हम बच्चों की फोटो को ही अपनी प्रोफाइल पिक्‍चर बना लेते हैं. 10 में से नौ पेरेंट्स ऐसे हैं जो डिलीवरी के बाद अस्‍पताल में रहते हुए ही अपने बच्‍चों का पूरा नाम और डेट तथा टाइम फेसबुक पर पोस्‍ट कर देते हैं. बच्‍चों की फोटो पोस्‍ट करने के साथ ही उन्‍हें और उनके दोस्‍तों को अपने भाई-बहनों, कजिन्‍स और दूसरे रिश्‍तेदारों के साथ टैग कर देते हैं. इस जानकारी का इस्‍तेमाल बदमाश आपके बच्‍चे को बहलाने के लिए कर सकते हैं. आपके बच्‍चों का विश्‍वास जीतने के लिए वे उन्‍हें नाम से बुलाने के साथ ही उनके दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों का नाम भी ले सकते हैं ताकि उन्‍हें यकीन हो जाए कि वो अजनबी नहीं हैं.

शानदार फौर्म में होने के बाद भी नहीं हुआ रहाणे का चयन

भारतीय कप्तान विराट कोहली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच से अजिंक्य रहाणे को बाहर रखने के फैसले पर सवाल उठाने वाले आलोचकों पर ताना कसते हुए कहा कि जो उनके उप कप्तान को टीम से बाहर चाहते थे अब वे ही उनकी वापसी के लिये होहल्ला मचा रहे हैं.

कोहली ने दूसरे टेस्ट मैच की पूर्व संध्या पर कहा, ‘‘यह दिलचस्प है कि सप्ताह भर में या पांच दिन में चीजें कैसे बदल जाती हैं. पहले टेस्ट मैच से पहले कोई नहीं सोच रहा था कि उसे अंतिम एकादश में होना चाहिए और अचानक लोग अन्य विकल्प को देखने लगे. ’’

कप्तान की टिप्पणी दिलचस्प हैं क्योंकि रहाणे के अंतिम एकादश में चयन को लेकर कभी सवाल नहीं उठा. असल में विदेशों में उनके शानदार रिकौर्ड को देखते हुए उन्हें टीम में नहीं चुना जाना हैरानी भरा था. भारत ने यह मैच 72 रन से गंवाया. कोहली ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘हमारे लिए एक टीम के तौर पर सही संतुलन खोजना है. अगर खिलाड़ी इस तरह के संतुलन में फिट बैठता है तो उसे टीम में रखते हैं. बाहर से लोग क्या बोल रहे हैं, क्या चर्चाएं हैं हम निश्चित तौर पर उस पर गौर नहीं करते.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘वह (रहाणे) बेहतरीन खिलाड़ी है. उसने दक्षिण अफ्रीका विशेषकर विदेशों में अच्छा प्रदर्शन किया है. वह संभवत: विदेशों में हमारा लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी रहा है.’’ कोहली ने फिर से दोहराया की रोहित शर्मा को उनकी वर्तमान फार्म के कारण टीम में लिया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं रोहित शर्मा को उन पर तरजीह देने के कारणों के बारे में पहले ही कह चुका हूं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अंजिक्य इस मैच में नहीं खेलेगा. अभी सभी विकल्प खुले हैं और हम अभ्यास के बाद फैसला करेंगे.’’

कप्तान ने संकेत दिये कि अंतिम एकादश में बदलाव किये जा सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक सलामी जोड़ी की बात है तो हम अभ्यास सत्र के बाद इस पर फैसला करेंगे. हम कुछ अलग कर सकते हैं लेकिन अभी वास्तव में घबराने की जरूरत नहीं है.’’ कोहली ने कहा कि पिच में पर्याप्त तेजी और उछाल हो सकती है लेकिन यह न्यूलैंड्स के विकेट की तरह ज्यादा हरा नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह जीवंत विकेट लग रहा है. हमें ऐसी ही उम्मीद थी. यह पिच फिर से अपनी सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने के लिये चुनौती देगी और हम इसके लिये तैयार हैं.’’ कोहली ने बल्लेबाजों से कहा कि वह उछाल से हैरान न हों. कप्तान ने कहा, ‘‘हमें यहां की उछाल से हैरान नहीं होना चाहिए. हमें उछाल में अचानक बदलाव पर अपना धैर्य बनाये रखना होगा.’’

तो ‘पद्मावत’ 25 जनवरी को भी नहीं होगी रिलीज?

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘‘पद्मावत’’ को सिनेमाघरों में प्रदर्शन की इजाजत दे दी है. सूत्र दावा कर रहे हैं कि अब ‘वायकाम 18’ इस फिल्म को 25 जनवरी को अक्षय कुमार की फिल्म ‘‘पैडमैन’’ के साथ प्रदर्शित करेगी. इसके बाद ही 25 जनवरी को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘अय्यारी’’ के निर्माता निर्देशक नीरज पांडे ने अपनी फिल्म को नौ फरवरी को प्रदर्शित करने का ऐलान किया. मगर फिल्म की निर्माण से जुड़ी कंपनी ‘वायकाम 18’ और संजय लीला भंसाली की तरफ से अभी तक फिल्म ‘‘पद्मावत’’ के प्रदर्शन की आधिकारिक तारीख घोषित नहीं की गयी है.

उधर फिल्म‘‘पद्मावत’’का ‘करणी सेना’की तरफ से लगातार विरोध जारी है. इसी विरोध के बीच राजस्थान सरकार ने ऐलान कर दिया है कि वह फिल्म‘‘पद्मावत’’को राजस्थान में प्रदर्शित नहीं होने देगी. मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र के सिंगल थिएटर और मल्टीप्लैक्स मालिकों ने कहा है कि वह ‘पद्मावत’ को तभी दिखाएंगे, जब पुलिस उनकी सुरक्षा का लिखित आश्वासन दे. पर ऐसा नहीं होने जा रहा है.

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मुबई पुलिस ने तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को खत लिखकर दे दिया है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की तैयारी के चलते वह फिल्म ‘पद्मावत’ के लिए सिनेमाघरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं ले सकती,  इसलिए ‘पद्मावत’ को 25 जनवरी को प्रदर्शित करने की इजाजत न दी जाए. गोवा राज्य की पुलिस ने भी गणतंत्र दिवस के साथ ही विदेशी सैलानियों का मौसम व उनकी सुरक्षा का हवाला देते हुए गोवा के मुख्यमंत्री से फिल्म ‘पद्मावत’ के प्रदर्शन पर बैन लगाने की मांग की है.

उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश की सरकारें भी ‘पद्मावत’ के प्रदर्शन को लेकर उत्सुक नजर नही आ रही है. जिन राज्यों ने नवंबर माह में इस फिल्म पर बैन लगाने का ऐलान किया था, उन राज्य सरकारों ने अभी तक फिल्म पर से बैन हटाए जाने की कोई घोषणा नहीं की है.

यानी कि हालात ऐसे हैं कि 25 जनवरी को फिल्म‘‘पद्मावत’’के प्रदर्शित होने के आसार नजर नहीं आ रहे है.शायद यही वजह है कि ‘वायकाम 18’ और संजय लीला भंसाली ने अभी तक फिल्म के प्रदर्शन की तारीख को लेकर खुद कुछ नहीं कहा है.

इस फिल्म में साथ दिखेंगे मिथुन और नसीरुद्दीन शाह

हेट स्टोरी, बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम जैसी कई फिल्में डायरेक्ट करने वाले विवेक अग्निहोत्री ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर फिल्म बनाने की घोषणा की है. उन्होंने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी कि इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और मिथुन चक्रवर्ती साथ नजर आएंगे. फिल्म का नाम ‘द ताशकंद फाइल्स’ होगा. अग्निहोत्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े रहस्य पर बनने वाली फिल्म के लिए जरूरी है कि हम महान कलाकारों के साथ विश्वसनीयता से काम करें.

फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट किया कि हमारे दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी. यह हृदयाघात था या उन्हें जहर दिया गया था? 52 साल बाद भी आजाद भारत में गुप्त रखी गई इस बात का खुलासा नागरिकों, उनके परिजनों व समर्थकों के समक्ष नहीं हुआ है. कुछ लोग कहते हैं कि उनकी नैचुरल डेथ हुई थी जबकि कुछ लोगों को इसपर संदेह है.

उन्होंने आगे लिखा “हिंदुस्तान का नागरिक होने के नाते, हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है कि हमारे दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत कैसे हुई इसके बारे में जानें. कई साल के शोध के बाद मैं फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ बनाने जा रहा हूं और उनकी मौत के इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर रहा हूं.”

दरअसल, करीब पांच दशक गुजर जाने के बाद भी लालबहादुर शास्त्री की मौत कैसे हुई? यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है. भारत पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध खत्म होने के बाद 10 जनवरी 1966 को शास्त्री जी ने पाकिस्तानी सैन्य शासक जनरल अयूब खान के साथ उज्बेकिस्तान के ताशकंद शहर में ऐतिहासिक शांति समझौता किया था.

आश्चर्यजनक रुप से उसी रात शास्त्री जी का निधन कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से हुआ था. बता दें, वो पहले व्यक्ति थे, जिन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया था.

फिल्म के डायरेक्टर ने इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और मिथुन चक्रवर्ती के होने की पुष्टी तो कर दी है मगर लाल बहादुर शास्त्री की भूमिका में कौन नजर आएगा इसका अभी खुलासा नहीं हुआ है. कहा जा रहा है कि फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री शास्त्री जी की भूमिका के लिए एक प्रसिद्ध कलाकार का चुनाव करेंगे और इसकी घोषणा भी जल्द ही की जाएगी. फिल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू की जाने की उम्मीद है.

तो क्या जियो कौइन लेकर आ रहे हैं मुकेश अंबानी..?

रिलायंस जियो ने टेलीकौम में एंट्री के साथ ही धमाल मचा दिया था, तो क्या मुकेश अंबानी की टु-डु लिस्ट में अगली बारी क्रिप्टोकरेंसी की है? क्या अब जियो बिटकौइन की तरह क्रिप्टोकरेंसी लाने की तैयारी कर रही है? एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस जियो इन्फोकौम खुद की क्रिप्टोकरेंसी जियो कौइन लाने की योजना पर काम कर रही है. एक रिपोर्ट का दावा है कि 50 सदस्यों का एक दल ब्लौकचेन टेक्नोलौजी पर काम कर रहा है. यह टीम मुकेश के बड़े बेटे आकाश अंबानी की देखरेख में काम कर रही है.

रिपोर्ट् में कहा गया है कि कंपनी का टार्गेट 25 साल तक के 50 लोगों को भर्ती करके आकाश अंबानी की टीम तैयार की जाएगी.

क्या है ब्लौकचेन टेक्नोलौजी

ब्लौकचेन टेक्नोलौजी दरअसल एक तरह की ट्रांजैक्शन लिस्ट का रिकौर्ड है, जिसे क्रिप्टोग्राफी से लिंक और सिक्योर किया जाता है. हर ब्लौक में एक हैश प्वौइंटर होता है जो इसे दूसरे ब्लौक से जोड़ता है. यह टेक्नोलौजी दो लोगों के बीच हुए ट्रांजैक्शन को रिकौर्ड कर सकता है. इसमें रिकौर्ड की जानकारियां कौपी नहीं की जा सकती हैं. यह डेटाबेस क्लाउड पे होते हैं ताकि इसमें कोई भी किसी प्रकार का छेड़छाड़ न कर सके और न ही स्पेस की कमी हो.

साधारण शब्दों में कहें तो ब्लौकचेन एक ऐसी टेक्नोलौजी है जिससे बिटकौइन का कारोबार चलता है.

रिलायंस जियो के जियो कौइन लेकर आने की खबर उस वक्त आई है जब साउथ कोरिया में क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंजों और इन्हें मान्यता देनेवाले बैंकों पर सरकार की कठोर कार्रवाई करने के बाद दुनियाभर में बिटकौइन की कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. दक्षिण कोरिया में क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंजों पर ताले जड़ने की तैयारी से क्रिप्टोकरंसी की दुनिया में मांग का सबसे बड़ा स्रोत सूख जाने का डर है. गौरतलब है कि दुनियाभर में क्रिप्टोकरंसी की खपत में अकेले 20 प्रतिशत हिस्सा दक्षिण कोरिया का है.

ब्लूमबर्ग के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, बिटकौइन की कीमत 12 प्रतिशत गिरकर 12,801 डौलर पर आ गई. बाद में 6 प्रतिशत तक सुधार आया. वहीं, रिपल 14 प्रतिशत जबकि इथेरियम 4 प्रतिशत टूट गई. दरअसल, दुनियाभर की सरकारें डिजिटल करेंसीज के बढ़ते दाम से लोगों में इसके प्रति बढ़ती दीवानगी से चौकन्ना हो गई हैं. लोगों से लेकर वौल स्ट्रीट बैंक्स तक को क्रिप्टोकरेंसीज आकर्षित कर रही है.

मौजूदा दौर में भारत में क्रिप्टोकरेंसी लीगल नहीं है. भारत में भी वित्त मंत्री अरुण जेटली और रिजर्व बैंक औफ इंडिया (आरबीआई) ने भी चेतावनी दे दी है कि लोग बिटकौइन का लेनदेन अपने रिस्क पर करें. लेकिन अगर जियो ऐसी कोई तैयारी कर रहा है तो संभव है आने वाले समय में यहां इसे लीगल किया जाए.

भारत में फिलहाल यूजर्स बिटकौइन से पैसे कमाने के लिए जेब पे नाम के एक ऐप का सहारा लेते हैं. यहां बिटकौइन को खरीदा और बेचा जा सकता है. बहरहाल, जियो ने डिजिटल करंसी बनाने से जुड़ी खबरों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मार्ट कौन्ट्रैक्ट्स के लिए ब्लौकचेन टेक्नौलजी का फायदा उठाने की अंबानी की योजना अभी आरंभिक चरण में है.

कभी छूट गई थी इनकी नौकरी, अब वारेन बफे की जगह लेगा ये भारतीय

दुनिया के सबसे बड़े निवेशक और शीर्ष धनकुबेरों में शामिल वारेन बफे की कंपनी बर्कशियर हैथवे इंक की कमान एक भारतीय संभाल सकता है. बर्कशियर हैथवे इंक ने बुधवार को अपने दो टौप एग्जिक्युटिव्स ग्रेगरी एबल और अजित जैन को प्रमोट किया गया. अब ये दोनों कंपनी के संचालन के लिए वारेन बफे का उत्तराधिकार हासिल करने के बेहद करीब पहुंच गए हैं. अजित जैन भारतीय मूल के हैं. उनका जन्म ओडिशा में हुआ था. भारतीय मूल के अजित जैन बफे के उत्तराधिकारी की दौड़ में सबसे आगे हैं. हालांकि, बफे ने इसकी अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की है.

किसे क्या मिला प्रोमोशन

बर्कशियर हैथवे एनर्जी के चीफ एग्जिक्युटिव 55 वर्षीय ग्रेगरी एबल को नौन-इंश्योरेंस कारोबार के लिए बर्कशियर का वाइस चेयरमैन नियुक्त किया गया है. वहीं, कंपनी के टौप इंश्योरेंस एग्जिक्युटिव 66 वर्षीय अजीत जैन को इंश्योरेंस कारोबार का वाइस चेयरमैन बनाया गया है. इसके साथ ही, दोनों को बर्कशियर के बोर्ड में भी शामिल किया गया है. उनके बोर्ड में शामिल होने से अब कंपनी के डायरेक्टरों की संख्या 12 से बढ़कर 14 हो गई है.

बफे बने रहेंगे चेयरमैन

87 वर्षीय वारेन बफे बर्कशियर हैथवे के चेयरमैन और चीफ एग्जिक्युटिव बने रहेंगे और चार दशकों तक बफे की ओर से काम करने वाले 94 वर्षीय चार्ली मंगर वाइस चेयरमैन के पद पर कार्यरत रहेंगे. दोनों अभी बड़ी पूंजी के आवंटन और अधिग्रहण समेत निवेश से जुड़े बड़े फैसले लेते रहेंगे.

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कौन हैं अजित जैन?

अजित जैन का जन्म 1951 में ओडिशा में हुआ था. 1972 में उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से ग्रैजुएशन किया और मेकनिकल इंजिनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की. 1973 से 76 के बीच वह आईबीएम में सेल्समैन रहे. 1976 में आईबीएम ने भारत में अपना औपरेशन बंद कर दिया और जैन की नौकरी चली गई. साल 1978 में वह अमेरिका चले गए और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए डिग्री लेकर मैककिंजी ऐंड कंपनी ज्वौइन की.

न्यूयौर्क में सेटेल्ड हैं जैन

80 के दशक में वह भारत लौटे और यहां शादी कर ली. फिर वह अपनी पत्नी के साथ अमेरिका लौट गए. 1986 में उन्होंने मैंककिंजी को छोड़कर वौरने बफे की कंपनी बर्कशियर हैथवे जौइन कर ली. अजित जैन अभी न्यूयौर्क में रहते हैं.

12,000 करोड़ रुपए के हैं मालिक

सेल्समैन के रूप में करियर की शुरुआत करने और फिर कंपनी बंद होने के बाद बेरोजगार होने वाले जैन आज की तारीख में करीब 12,000 करोड़ रुपए से अधिक (दो अरब डौलर) की संपत्ति के मालिक हैं.

जैन ने बफे को बनाया मालामाल

दुनिया के सबसे बड़े निवेशक और शीर्ष धनकुबेरों में शामिल बफे कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि जैन की वजह से उन्होंने अरबों डौलर की कमाई की. वर्ष 2015 में निवेशकों के नाम पत्र में भी बफे ने जैन की जमकर तारीफ की थी.

कालाकांडी : कहानी शून्य अति वाहियात फिल्म

कहानी शून्य अति वाहियात फिल्म क्या हो सकती है? यह जानने के लिए अक्षत वर्मा लिखित व निर्देशित फिल्म ‘‘कालाकांडी’’ देखनी चाहिए. यह अक्षत वर्मा वही हैं, जिन्होंने आमिर खान निर्मित फिल्म ‘‘दिल्ली बेले’’ का लेखन किया था. अब लेखक के साथ ही बतौर निर्देशक वह पहली फिल्म ‘‘कालाकांडी’’ लेकर आए हैं. फिल्म ‘‘कालाकांडी’’ देखकर आमिर खान ने दावा किया है कि ‘दिल्ली बेले’ के बाद ‘कालाकांडी’ वह पहली फिल्म है, जिसे देखकर उन्हे सबसे ज्यादा हंसी आयी. अब आमिर खान की इस बात को सच मानकर सिनेमाघर के अंदर जाने वाला दर्शक रोता हुआ सिनेमाघर से बाहर निकलने वाला है.

फिल्म की कहानी के केंद्र में रिलीन (सैफ अली खान) और उनके दो भाई अंगद (अक्षय ओबेराय) और कुणाल (कुणाल राय कपूर) तथा दो गैंगस्टरों (विजय राज और दीपक डोबरियाल) के इर्द गिर्द घूमती है. पर इनकी कहानी का एक दूसरे से कोई संबंध नजर नहीं आता. फिल्म शुरू होती है रिलीन से, जो कि अपने पेट दर्द के सिलसिले में डाक्टर के पास गया है. डाक्टर कहता है कि उसे पेट का कैंसर है. रिलीन को यकीन नहीं होता, क्योंकि वह शराब, सिगरेट, नान वेज कुछ नहीं लेता. पर डाक्टर कह देता है कि उसकी जिंदगी सिर्फ दो से छह माह की ही है. वह घर वापस आने लगता है तो रास्ते में उसका दोस्त उसे एक नशे की गोली खिला देता है.

इधर घर पर छोटे भाई अंगद की रेखा (ईशा तलवार) के साथ शादी की तैयारी चल रही है. अचानक अंगद के पास एक लड़की का फोन आता है, जो कि उसके साथ गंदी व अति सेक्सी बातें करती है. अंगद को उसके साथ बात करने में मजा आता है. वह लड़की उसे मिलने के लिए एक होटल के कमरे में बुलाती है. तभी रिलीन घर पहुंचता है, तो उनकी मां कहती है कि अंगद को साथ लेकर जाए और अंगद के बाल कटवाकर लाए.

तीसरा भाई कुणाल अपनी प्रेमिका (शोभिता धूलीपाला) के घर में उसके साथ लगभग नग्नअवस्था में है. प्रेमिका को दूसरे दिन अमेरिका जाना है. कुछ समय बाद दोनों इंज्वाय करने के लिए एक पार्टी में पहुंचते हैं, जहां पुलिस का छापा पड़ता है. कुणाल अपनी प्रेमिका के साथ भागता है.

Kaalakaandi movie review:

इधर दो गैंगस्टर एक फिल्म निर्देशक से अपने बास के कहने पर फिरौती की रकम लेकर आए हैं. पर वह चाहते हैं कि यह रकम दोनों हजम कर जाएं, तो उसकी योजना बनाने लगते हैं.

घर से कार में बैठकर रिलीन व अंगद निकलते हैं. रिलीन पर गोली का असर शुरू होता है. वह रोमांटिक हो जाते हैं. उन्हे अजीब सी चीजे नजर आने लगती है. सड़क के किनारे खड़ी तीन वेश्याओं में से एक हिजड़े के पास जाकर रिलीन कहते हैं कि वह उसे नग्न देखना चाहते हैं. उसे लेकर वह होटल जाते हैं. अंगद लड़की से मिलने होटल के कमरे में जाता है और रिलीन उस हिजड़े के साथ होटल के ट्वायलेट में जाते हैं. इधर अंगद उस लड़की के साथ हम बिस्तर होता है, तभी उस लड़की का प्रेमी आ जाता है, तो अंगद को आधे अधूरे कपड़ों में भागना पड़ता है. अब अंगद अपने भाई रिलीन से कहता है कि उसे रेखा से शादी नहीं करनी है. पर जब वह यह बात रेखा से कहने जाता है, तो रेखा की सुंदरता पर मोहित होकर इरादा बदल देता है. अंगद की शादी होती है और फिर पार्टी चलती है.

Kaalakaandi movie review:

दोनों गैंगस्टर रकम हथियाने के लिए एक दूसरे को घायल करने की योजना बनाते हैं. दीपक, विजय राज पर गोली चलाता है और विजय राज मर जाता है. दूसरी गोली से वह खुद को घायल कर अपने बास के पास पहुंचता है, पर बास उसकी कहानी को झूठा करार देता है. अब वह सड़क के किनारे आकर बैठ जाता है.

रिलीन घर की पार्टी छोड़कर खुशी खुशी बाहर निकलता है और उसी खुशी में बंदूक से गोली चलाता है, जो कि सीधे उपर जाती है, पर नीचे आकर दीपक को लग जाती है.

कुणाल अपनी प्रेमिका को एयरपोर्ट पहुंचाता है. पर एयरपोर्ट पर उसका अमेरिका जाने का इरादा बदल जाता है. अब कुणाल व उसकी प्रेमिका समुद्र किनारे आकर बैठ जाते हैं.

Kaalakaandi movie review:

फिल्म ‘‘दिल्ली बेले’’ की ही तरह ‘‘कालाकांडी’’ में भी अस्सी प्रतिशत संवाद अंग्रेजी भाषा में हैं. वह भी अंग्रेजी भाषा का एसेंट/ लहजा ऐसा है कि हर दर्शक आसानी से नहीं समझ सकता. फिल्म में गालियों की भी भरमार है. फिल्म की भाषा की वजह से सिंगल थिएटर का दर्शक इस फिल्म से दूरी बनाकर रखेगा. मल्टीप्लैक्स में भी आधे लोगों के सिर के उपर से फिल्म के संवाद  जाएंगे.

जहां तक फिल्म की कहानी व पटकथा का सवाल है, तो फिल्म में कहानी का कोई सिर पैर नहीं है. पटकथा भी बड़ी वाहियात है. फिल्म में न रोमांस है, न रोमांच है और न ही हास्य के पल हैं. फिल्म में अति वाहियात व मूर्खतापूर्ण दृश्यों की भरमार है. सबसे अहम बात यह है कि कहानी जहां से शुरू हुई थी, उससे अक्षत वर्मा पूरी तरह से भटक गए हैं. कहानी में कैंसर की वजह से मौत के दिनों को गिन रहे रिलीन किस तरह खुशी तलाशते हैं या उन पर क्या बीतती है, उससे परे हो गई है. बेवजह ड्रग्स व पुलिस की कार्यशैली को भी कहानी में पिरोकर फिल्म को चूं चूं का मुरब्बा बना दिया गया है. ‘दिल्ली बेले’ के मुकाबले भी ‘कालाकांडी’ बहुत ही ज्यादा निचले स्तर की फिल्म है. निर्देशक के तौर भी अक्षत वर्मा पूरी तरह से असफल नजर आते हैं.

Kaalakaandi movie review:

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो किसी भी कलाकार की अभिनय क्षमता असरदार नहीं है. सभी का परफार्मेंस काफी निराशाजनक है. कुछ दृश्यों को नजरंदाज कर दें तो सैफ अली का भी अभिनय अति साधारण है. नील गोपालन की प्रतिभा को जाया किया गया है. फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावहीन है. बाक्स आफिस पर इस फिल्म की दुर्गति होती नजर आ रही है.

एक घंटा 52 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘कालाकांडी’’ का निर्माण रोहित खट्टर और आशी दुआ ने किया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक अक्षत वर्मा, कहानी लेखक देवेश कपूर, संगीतकार समीर उद्दीन व शाश्वत सचदेव, कैमरामैन हिमान धमीजा तथा कलाकार हैं – सैफ अली खान, अक्षय ओबेराय, कुणाल राय कपूर, दीपक डोबरियाल, विजय राज, शोभित धोलीपाला, ईशा तलवार, शिवम पाटिल व अन्य.

स्मार्टफोन पर ये काम पहुंचा सकता है भारी नुकसान

स्मार्टफोन का इस्तेमाल आज हर कोई करता है. इसका इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही साथ कई सारी दिक्कतें भी बढ़ती जा रही हैं. हम आज आपको कुछ ऐसे काम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका प्रयोग अक्सर ही लोग अपने स्मार्टफोन में करते हैं. यह काम कभी नहीं करने चाहिए. इससे आपके फोन को भारी नुकसान हो सकता है.

अननोन सौर्सेज से एप इंस्टौल करना

अननोन सौर्सेज से किसी भी तरह के ऐप्स इंस्टौल करने से बचें. गूगल प्ले स्टोर के अलावा किसी और जगह से कोई भी ऐप इंस्टौल करना आपके फोन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. वह कोई वायरस भी हो सकता है. इससे आपका डेटा भी चोरी हो सकता है.

रिसेंट ऐप्स बंद करना

अगर आप सोचते हैं कि रिसेंट ऐप्स को मेनुअली बार बार बंद करने से आपका फोन फास्ट हो जाता है, तो आप गलत हैं. ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है, बल्कि ऐसा करने से अगली बार जब ऐप को खोलेंगे तो वह फिर से शुरू होगी और बैटरी और प्रोसेसर पर ज्यादा लोड डालेगी.

एंटीवायरस और बैटरी सेवर

एंड्रायड फोन में एंटीवायरस की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर आप गूगल प्ले स्टोर से ऐप्स को इंस्टौल करते हैं तो एंटीवायरस की कोई जरूरत नहीं है. यह उल्टा आपके फोन को स्लो करता है.

फोन में बैटरी सेवर को भी इंस्टौल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह किसी काम का नहीं होता है. यह सिर्फ ऐप्स को बंद करने का काम करता है. इससे ज्यादा कुछ असर नहीं होता.

फेक ऐप्स और फेक मैसेज

फेक ऐप्स को फोन में इंस्टौल न करें. कुछ ऐप्स दावा करती हैं कि अगर आपके फोन में फिंगर प्रिंट स्कैनर नहीं है तो ऐप से आ जाएगा. फिंगर प्रिंट स्कैनर हार्डवेयर का काम है तो सौफ्टवेयर से कैसे आ जाएगा. इस तरह का कोई भी दावा करने करने वाले ऐप्स को कतई इंस्टौल करें.

फेक मैसेज के झांसे में आकर फालतू के ऐप इंस्टौल न करें. ऐसे ऐप आपके फोन के लिए खतरनाक होते हैं. इनका कोई फायदा नहीं होता है. यह आपके फोन में वायरस लाने के साथ ही कई तरह की समस्याएं पैदा कर देती हैं.

इग्नोर ऐप परमिशन

अगर कोई भी ऐप फोन का ऐसा एक्सेस मांगे जिसे उसकी जरूरत ही न हो तो इसका इजाजत बिलकुल न दें. जैसे कि टौर्च की ऐप कौन्टेक्ट्स की परमिशन मांगती है तो उसे परमिशन न दें. इससे आपका डेटा चोरी हो सकता है.

क्लियर कैश मेमोरी

किसी भी कैश मैमोरी क्लीयर करने वाले ऐप को इंस्टौल न करें. इसका कोई फायदा नहीं होता. बल्कि नुकसान हो जाता है. अगर मैमोरी कम पड़ रही है तो या तो मैमोरी कार्ड लगाएं या फिर मेनुअली फोन की मैमोरी को खाली करें.

फोन रीस्टार्ट करें

फोन को लगातार इस्तेमाल करते रहते हैं. इसलिए फोन को ब्रेक देने के लिए उसे 5-6 दिन में एक बार रीस्टार्ट जरूर कर लें.

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