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करण के शो में एक बार फिर कंगना ने ली करण की चुटकी

डायरेक्टर करण जौहर और एक्ट्रेस कंगना रनौत के बीच पिछले दिनों ‘नेपोटिज्म’ को लेकर बहस छिड़ी थी. यह बहस पूरी बौलीवुड इंडस्ट्री में फैल गई थी. हालांकि कंगना रनौत अपनी बेबाकी के लिए जानी जाती हैं और उनसे झूठ या किसी का दिल खुश करने वाले कमेंट कम ही सुनने को मिलते हैं. पिछले साल कंगना और करण जौहर के बीच हुआ विवाद तो आपने सुना ही होगा और अब साल की शुरुआत में कंगना ने फिर करण जौहर की उन्‍हीं के शो पर चुटकी ले ली है.

गुरुवार को कंगना रनौत ‘इंडियाज नेक्‍स्‍ट सुपरस्‍टार’ के सेट पर बतौर मेहमान पहुंची. इस शो के जज फिल्‍ममेकर करण जौहर और रोहित शेट्टी हैं. करण और कंगना के बीच पिछले दिनों कई मनमुटाव नजर आए थे. बावजूद इसके शो के सेट पर करण और कंगना कैमरा के लिए प्ले करते हुए नजर आए. इस दौरान दोनों एक दूसरे से बातचीत भी कर रहे थे और हंसी भरी बातों में एक दूसरे को तंज भी कस रहे थे. इन सबके बीच इस शो के सेट पर एक गेम खेला गया, जिसमें यह बताना था कि आप लोग एक दूसरे को कितने अच्‍छे से जानते हैं.

इस खेल के दौरान कंगना से पूछा गया कि करण अपने टौक शो में मेहमानों को क्या औफर करते हैं? तो कंगना ने यहां मौके पर चौका मारने में देर नहीं लगायी. कंगना ने कहा, ‘जहर पिलाता है मुझसे पूछो.’ हालांकि कंगना के इस डायलौग के बाद वहां सब जोर से हंसने लगे और खुद कंगना भी हंस पड़ीं.

प्रियंका चोपड़ा भी बन चुकी हैं गेस्‍ट

बता दें कि इस इस शो की पहली मेहमान बनकर प्रियंका चोपड़ा पहुंची. प्रियंका के बाद सिद्धार्थ मल्‍होत्रा भी इस शो की शूटिंग कर चुके हैं. कंगना को जब चैनल की तरफ से इस शो का न्यौता भेजने की खबरें आईं तो कयास लगाए जा रहे थे कि शायद करण जौहर से सामना टालने के चलते कंगना यहां न आएं, लेकिन कंगना ने ऐसा नहीं किया.

करण के टौक शो में शुरू हुआ विवाद

बता दें कि अपनी फिल्‍म ‘रंगून’ के प्रमोशन के लिए कंगना रनौत, करण के टौक शो ‘कौफी विद करण’ में सैफ अली खान के साथ पहुंची थीं. यहां कंगना ने करण जौहर के बौलीवुड में भाई-भतीजावाद को प्रमोट करने वाला व्‍यक्ति कह दिया था. इस शो के बाद करण, कंगना पर काफी बरसे थे और कंगना ने भी एक ओपन लेटर लिखा था. लेकिन पिछले साल चले विवाद के बाद इस साल की शुरुआत इन दोनों ने फिर से दोस्‍ती के साथ की है. अब देखते हैं कि यह दोस्‍ती कितनी चलती है.

दो रन के हेर फेर पर अंबाती रायडू ने टीम के साथ किया हंगामा

विशाखापत्तनम में सैयद मुश्ताक अली टी20 टूर्नामेंट कर्नाटक और हैदराबाद के बीच चल रहे मैच में एक अजीब वाकया हुआ. कर्नाटक ने पहले बल्लेबाजी की लेकिन उनकी पारी खत्म होने के बाद, थर्ड अंपायर ने रीप्ले देखकर ‘भूल’ सुधार की औ स्कोर में दो रन पारी खत्म होने के बाद जोड़ दिए. मजेदार बात यह रही कि हैदराबाद मैच को दो ही रन से हार गया. इसी पर हैदराबाद के खिलाड़ियों ने आपत्ति उठाई और हंगामा कर दिया.

बताया जा रहा है कि कुछ गलती हैदराबाद के कप्तान अंबाती रायडू की भी जिन्हें हैदराबाद की पारी शुरू होते समय ही मामला स्पष्ट करवा लेना था, लेकिन रायडू का कहना है कि उन्होंने अंपायरों से बात की थी जिसके जवाब में अंपायरों ने कहा की वे मैच खत्म होने के बाद इसपर फैसला करेंगे.

एक घंटे चले इस हंगामे की वजह से आंध्र और केरल के बीच होने वाले अगले मुकाबले को 13-13 ओवर का करवाना पड़ा. बीसीसीआई ने इस मामले में संज्ञान लिया है और रिपोर्ट मांगी है. पूरी संभावना है कि बीसीसीआई इस मामले में कार्यावाही कर सकती है क्योंकि बीसीसीआई ने मामले को पूरी गंभीरता से लिया है.

क्या थी वह गलती

कर्नाटक जब टौस जीत कर पहले बल्लेबाजी कर रही थी, तब कर्नाटक के ओपनर करुण नायर ने मोहम्मद सिराज की बौल को मिडविकेट की बाउंड्री तक पहुंचाया. चौका बचाने के चक्कर में हैदराबाद के मेहंदी हसन का पैर फील्डिंग के दौरान बाउंड्री की रस्सी को छू गया था, लेकिन अंपायरों को पता नहीं चला और जहां 4 रन मिलने चाहिए थे सिर्फ 2 रन ही दिए गए. पारी समाप्त होने पर जब टीवी रिप्ले देखने के बाद कर्नाटक के खिलाडियों ने थर्ड अंपायर को इस बारे मे सूचना दी, तो कर्नाटक के स्कोर में 2 रन जोड़ दिए गए. लेकिन स्कोरर और मैदानी अंपायरों के बीच तालमेल की गड़बड़ी के चलते वे 2 रन स्कोर में नहीं जुड़ सके.

दो रन से हुआ फैसला और फिर हंगामा

205 रन का पीछा करने उतरी हैदराबाद की टीम ने निर्धारित 20 ओवर में 203 रन बना दिए. लेकिन मैच खत्म होने के बाद हैदराबाद के कप्तान अंबाती रायडू अपनी टीम के साथ मैदान पर आए और सुपर ओवर करवाने की मांग करने लगे. रायडू का कहना था कि, उन्हें भी नियमों के बारे में पता है, अगर अंपायर किसी को आउट देते हैं और वह मैदान के बाहर चला जाता है. यदि उसके बाहर जाने के बाद पता चले कि बल्लेबाज़ को गलत आउट दिया गया है, तो क्या उसे वापस बल्लेबाज़ी के लिए बुलाया जाता है? रायडू का कहना था कि अगर कोई अंपायर किसी गेंद को नो-बौल न दे और बाद में पता चले कि वो गेंद नो बौल थी, तो क्या उसका रन बाद में स्कोर में जोड़ा जाता है? लेकिन अंपायर अपना फैसला दे चुके थे और वो कर्नाटक को विजेता घोषित कर चुके थे.

सचिन तेंदुलकर के बेटे ने कुछ इस तरह औस्ट्रेलिया में मचाया धमाल

क्रिकेट के मैदान पर लगातार अपने प्रदर्शन से सुर्खियों में रहने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ने एक बार फिर अपने शानदार प्रदर्शन से लोगों का दिल जीत लिया है. हाल ही में कूच बिहार ट्रौफी में पांच विकेट लेने वाले अर्जुन ने अब औस्ट्रेलिया में अपना परचम लहराया है.

18 साल के अर्जुन ने औस्ट्रलिया में स्प्रिट औफ ग्लोबल चैलैंज में हिस्सा लेते हुए सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर बल्ले और गेंद से शानदार प्रदर्शन किया. हाल ही में अर्जुन ने स्पिरिट औफ ग्लोबल चैलेंज में हिस्सा लिया. सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर हुए इस मैच में अर्जुन टीम इंडिया के क्रिकेटर्स क्लब की ओर से खेल रहे थे. टी20 फौर्मेट में खेले गए इस मैच में हांगकांग के खिलाफ अर्जुन ने 27 गेंद पर 48 रन बनाए और जब बारी गेंदबाजी की आई तो उन्होंने चार अहम विकेट भी झटके.

अपने इस शानदार प्रदर्शन के बाद पहली बार अर्जुन ने अपने आदर्श खिलाड़ी के बारे में बताया. एक हिन्दी न्यूज चैनल से बात करते हुए अर्जुन ने कहा कि उन्हें बचपन से ही तेज गेंदबाजी करना पसंद है. अर्जुन से उनके रोल मौडल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने मिचेल स्टार्क और बेन स्टोक्स का नाम लिया.

बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्जुन ने आगे कहा कि मुझे लगा कि भारत में तेज गेंदबाज ज्यादा नहीं है. बड़े होने के साथ साथ में मजबूत भी हो रहा हूं मैं भारत के लिए एक तेज गेंदबाज के रूप में पहचान बनाना चाहता हूं.’

जब अर्जुन से पूछा गया कि क्या उनपर मैदान पर उतरते समय किसी तरह का दबाव रहता है? इसके जवाब में अर्जुन ने कहा, ‘मैं किसी प्रकार का दबाव नहीं लेता. बात जब गेंदबाजी की आती है तो हर गेंद में अपना सब कुछ झोंक देता हूं. वहीं, जब बल्लेबाजी करता हूं तो इस बात पर ध्यान देता हूं कि किस बौल पर शौट खेलने हैं और किस पर संभल कर रहना है.’

इसरो ने रचा इतिहास, कामयाब हुआ 100वां सैटेलाईट लौन्च

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में सेंचुरी लगा दी है. थोड़ी देर पहले श्रीहरिकोटा से इसरो का 100वां सैटेलाइट लौन्च हुआ. इसरो ने एक साथ 31 सैटेलाइट अंतरिक्ष में लौन्‍च किए. PSLV C-40 अपने साथ सबसे भारी कार्टोसैट 2 सीरीज के उपग्रह के अलावा 30 दूसरी सैटलाइट भी अंतरिक्ष में ले गया है.

इसमें एक भारतीय माइक्रो सैटेलाइट और एक नैनो सैटेलाइट के अलावा 28 छोटे विदेशी उपग्रह हैं. इसरो के वैज्ञानिक एएस किरण ने बताया कि पिछले पीएसएलवी लौन्च के दौरान हमें समस्याएं हुईं थी और आज जो हुआ है उससे यह साबित होता है कि समस्या को ठीक से देखा गया और उसमें सुधार किया गया.

देश को इस नए साल का उपहार देने के लिए शुभकामनाएं. आपको बता दें कि चार महीने पहले 31 अगस्त 2017 इसी तरह का एक प्रक्षेपास्त्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में देश के आठवें नेविगेशन उपग्रह को वितरित करने में असफल रहा था. पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है.

ISRO के 100वें सैटेलाइट लौन्च की 10 खास बातें

  • PSLV C-40 अपने साथ 31 सैटेलाइट लेकर उड़ा, जिसमें कार्टोसैट-2 सीरीज़ के निगरानी सैटेलाइट के अलावा एक भारतीय माइक्रो सैटेलाइट और एक नैनो सैटेलाइट है.
  • 28 छोटे विदेशी सैटेलाइट भी अंतरिक्ष में भेजे गए, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, फिनलैंड और दक्षिण कोरिया के सैटेलाइट हैं, जिनमें अकेले अमेरिका के 19 सैटेलाइट हैं.
  • कार्टोसैट 2 सैटेलाइट सीरीज एक निगरानी उपग्रह है जिसकी मदद से अब डिफेंस और कृषि क्षेत्र की तत्‍काल जानकारी मिलेगी. इसका इस्‍तेमाल तटीय क्षेत्रों और शहरों की निगरानी के लिए इस्‍तेमाल किया जाएगा.
  • कार्टोसैट 2 सैटेलाइट सीरीज में हाईरेजुलेशन कैमरा लगा है जिससे खींची फोटो का इस्‍तेमाल किया जाएगा. ये लौन्‍च चार स्‍तर पर है और अब तक तीन लौन्‍च सफल रहे हैं.
  • इसरो के एएस किरण ने बताया कि पिछले पीएसएलवी लौन्च के दौरान हमें समस्याएं हुईं थी और आज जो हुआ है उससे यह साबित होता है कि समस्या को ठीक से देखा गया और उसमें सुधार किया गया. देश को इस नए साल का उपहार देने के लिए शुभकामनाएं.
  • पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम का काटरेसेट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है. इसके साथ सह यात्री उपग्रह भी है जिसमें 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल हैं.
  • चौथे चरण के पीएसएलवी-सी-40 की ऊंचाई 4 मीटर और वजन 320 टन होगा. पीएसएलवी के साथ 1332 किलो वजनी 31 उपग्रह एकीकृत किए गए हैं ताकि उन्हें प्रेक्षपण के बाद पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में तैनात किया जा सके.
  • 42वें मिशन के लिए इसरो भरोसेमंद कार्योपयोगी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी40 को भेजेगा जो कार्टोसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 30 सह-यात्रियों, जिनका कुल वजन करीब 613 किलोग्राम है.
  • श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लौन्च पैड से इस 4 मीटर लंबे रौकेट को प्रक्षेपित किया जाएगा. सह-यात्री उपग्रहों में भारत का एक माइक्रो और एक नैनो उपग्रह शामिल है जबकि छह अन्य देशों – कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के तीन माइक्रो और 25 नैनो उपग्रह शामिल किए जा रहे हैं.
  • इसरो और एंट्रिक्स कौर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए व्यापारिक समझौतों के तहत इन 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा. यह 100वां उपग्रह कार्टोसेट -2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह होगा. कुल 28 अंतर्राष्ट्रीय सह यात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका, पांच दक्षिण कोरिया और एक-एक कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के हैं.

26/11 जैसा हमला रोकने में मदद करेगा इसरो

इस साल 26/11 जैसे आतंकी हमलों से बचने के लिए सरकार इसरो की मदद लेने जा रही है. सुरक्षा को चाक-चौबंद करने के लिए गृह मंत्रालय जल्द ही इसरो की मदद लेगी. इसरो आने वाले समय में सेटेलाइट तस्वीरों के जरिए संदिग्ध जहाजों और नौकाओं का निगरानी की जाएगी. साथ ही समुद्र से सटे तटीय इलाको और समुद्र की सुरक्षा के लिए इसरो मार्च 2018 तक 100 ट्रांसपोर्डर भी देगा. इसके तहत सैटेलाइट निगरानी के लिए 20 मीटर कम लंबी नावों के लिए प्रस्तावित किया गया है.

10 दिन में रौकेट बनाने का प्लान

इस साल इसरो ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस साल इसरो ने सैटालाइट लौन्च सिस्टम में एक बड़ी क्रांति लाई है. इसरो ने इस साल घोषणा की है कि वो एक छोटे लौन्च व्हीकल को तैयार करने में जुटा है, जिसे सिर्फ तीन दिनों में असेंबल किया गया जा सकेगा. पीएसएलवी जैसे रौकेट्स को तैयार करने में आमतौर पर 30 से 40 दिन लग जाते हैं, ऐसे में इसरो का यह प्रयास सैटलाइट लौन्चिंग की दिशा में बड़ी क्रांति जैसा होगा. यही नहीं इस रौकेट को तैयार करने में पीएसएलवी की तुलना में 10 फीसदी राशि ही खर्च होगी.

दुनिया भर में लौन्च व्हीकल की मैन्युफैक्चरिंग कौस्ट फिलहाल 150 से 500 करोड़ रुपये तक होती है. यह 2018 के अंत या फिर 2019 की शुरुआत तक तैयार हो सकता है. इस व्हीकल की कीमत पीएसएलवी के मुकाबले 10 फीसदी ही होगा. हालांकि यह रौकेट 500 से 700 किलो तक के सैटलाइट्स को ही लौन्च कर सकेगा.

2021 तक पहला प्राइवेट रौकेट लौन्च करेगा इसरो

इसरो ने फैसला किया है कि प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर स्पेस रौकेट बनाएगा. ऐसा पहली बार होगा कि पूरी तरह से प्राइवेट एजेंसी के द्वारा इस तरह के रौकेट बनाए जाएंगे. 2021 तक इस रौकेट को लौन्च करने का प्लान किया गया है. इसरो की ही एक वैज्ञानिक का कहना था कि हम मौजूदा लौन्च पैड्स से ही सैटेलाइट को लौन्च करने की संख्या बढ़ाना चाह रहे हैं. हम श्रीहरिकोटा में तीसरे लौन्च पैड का प्लान भी कर रहे हैं. इससे हमारी क्षमता बढ़ेगी.

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अभी भी हमारे पास संचार प्रणाली के मद्देनजर कम सैटेलाइट हैं, इसलिए इसरो सैटेलाइट लौन्च करने की प्रकिया को दोगुना करने के प्रयास में है. अभी हम एक साल में 8 से 10 सेटेलाइट लौन्च करते हैं. 2018 तक ये 20 के करीब होगा. हमारा टारगेट अगले 5 साल में 60 सैटेलाइट लौन्च करने का है.

सबसे विशाल रौकेट के प्रक्षेपण के लिए तैयार है इसरो

भारत में विकसित करीब 200 बड़े हाथियों के बराबर वजन वाला रौकेट ‘भारतीय जमीन से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचा सकता है.’ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रौकेट केंद्र पर देश के सबसे आधुनिक और भारी जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क तीन (जीएसएलवी एमके-3) को रखा गया है जो अब तक के सबसे वजनदार उपग्रहों को ले जाने में सक्षम है. इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विश्व के कई करोड़ डौलर के प्रक्षेपण बाजार में मजबूत स्थिति बना ली है.

दुनिया की सबसे तेज एसयूवी लौन्च, 305 किमी प्रति घंटे की है रफ्तार

लंबौर्गिनी ने आज भारत में अपनी सुपर लग्जरी एसयूवी Urus लौन्च कर दी है. उरुस लंबौर्गिनी की दूसरी एसयूवी है, इससे पहले कंपनी ने LM002 एसयूवी लौन्च की थी. कंपनी ने कार को दमदार लुक दिया है. MLB प्लेटफौर्म पर बनी इस कार की कीमत 3 करोड़ रुपए रखी गई है. हालांकि, कंपनी भारत में सिर्फ 25 यूनिट ही बेचेगी.

जबरदस्त हैं फीचर्स

लंबौर्गिनी उरुस में 4.0 लीटर का ट्वीन टर्बो वी8 इंजन दिया गया है, जो 650पीएस की ताकत और 850 एनएम का टौर्क उत्पन्न करता है. इस ताकत के साथ यह दुनिया की सबसे तेज रफ्तार वाली एसयूवी बन जाती है. कार की टौप स्पीड की बात करें तो यह 305 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है.

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8 स्पीड औटोमेटिक ट्रांसमिशन

कार महज 3.6 सेकेंड में 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है. कार 8 स्पीड औटोमेटिक ट्रांसमिशन के साथ आती है. कार में औफ रोड, सैंड, स्नो रोड, स्पोर्ट और ट्रैक ड्राइविंग मोड का विकल्प मिलता है. उरुस में 23 इंच के व्हील्स दिए गए हैं, साथ ही हेडलैम्प को ऐंग्री लुक दिया गया है. कार में आपको 616 लीटर का बूटस्पेस मिलता है.

3 करोड़ रुपए है कीमत

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लंबौर्गिनी उरुस की कीमत लगभग 3 करोड़ रुपए के आसपास होगी. परफौर्मेंस के मामले में इस कार का कोई मुकाबला नहीं है, हालांकि बेंटले बेंटायगा और रेंज रोवर एसवीआर जैसी गाड़ियों को उरुस से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. यह कार बाजार में कई कलर्स में उपलब्ध है.

निरर्थक होती हैं धार्मिक प्रार्थनाएं

विनायक शाह मध्यप्रदेश के महकौशल क्षेत्र के शहर जबलपुर के जाने माने वकील हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते इस बात पर एतराज जताया था कि देश भर के केन्द्रीय विद्यालयों में सुबह जो प्रार्थना होती है वह पूरी तरह असंवैधानिक है. बकौल विनायक सरकारी स्कूलों में धार्मिक मान्यताओं और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय वैज्ञानिक तथ्यों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए. अपनी दलील में दम लाने हालांकि इन वकील साहब ने संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 का हवाला दिया था, पर यह उनकी दलीलों का ही असर था कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार और केंद्रीय स्कूलों को नोटिस जारी करते 4 सप्ताह में जबाब मांगा है.

यहां विनायक शाह के दूसरे तर्कों पर भी ध्यान देना जरूरी है, जिनके चलते जस्टिस आरएफ नरीमन और नवीन सिन्हा की पीठ ने सरकार और स्कूलों से सफाई मांगी है. विनायक खुद भी एक केंद्रीय स्कूल में पढ़े हैं, उनका कहना है कि प्रार्थना के कारण बच्चों में वैज्ञानिक द्रष्टिकोण विकसित होने में मुश्किल आती है, क्योंकि भगवान और धार्मिक आस्था का जो पूरा नजरिया है, वो बच्चों की सोचने समझने की प्रक्रिया में आधार हो जाता है और वे उसी तरह सोचने लगते हैं (जाहिर है उस तरह जैसे कि धर्म के ठेकेदार चाहते हैं).

विनायक यह भी कुछ गलत या अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं कह रहे कि आम जीवन की मुश्किलों का समाधान खोजने की जगह बच्चे द्वारा अंदर भगवान को याद करना और उससे भीख मांगने की भावना बनने लगती है और ऐसे में जांचने-परखने और सुधार करने की भावना कहीं न कहीं खो जाती है.

अपनी याचिका में विनायक ने यह भी कहा है कि प्रार्थना बच्चों पर थोपी जाती है , ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय के, नास्तिक और दूसरे बच्चों और उनके अविभावकों को लगता है कि ये संवैधानिक रूप से गलत है. संविधान के अनुच्छेद 28 के तहत धार्मिक निर्देश हैं और इसलिए इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. संविधान का अनुच्छेद 28 (1) कहता है कि ऐसे किसी भी शिक्षण संस्थान में धार्मिक आदेश नहीं दिये जा सकते जो पूरी तरह सरकार के पैसे से चलता हो.

संविधान की आड़ से परे देखें तो विलाशक कोई नया सवाल विनायक ने नहीं किया है. ईश्वर के अस्तित्व और फिर उसकी आड़ में पनपती दुकानदारी पर एतराज हर वक्त में तर्कवादियों द्वारा जताया जाता रहा है और जताया भी जाता रहेगा. बात अकेले स्कूलों की नहीं बल्कि हर उस जगह की है जहां भगवान होता नहीं, लेकिन उसका होना मानना पड़ता है. बात अकेले बच्चों की भी नहीं बल्कि उन तमाम वयस्कों की भी है, जो उम्र के एक मुकाम पर आकर महसूसने लगते हैं कि कैसे वे धर्म की ओट में ठगे जाते रहे हैं, लेकिन भगवान और उसके कथित चमत्कारों का नशा उनकी रग रग में इस तरह दौड़ने लगता है कि वे ईश्वर नाम की परिकल्पना से हटकर कुछ और सोचने में ही थर्राने लगते हैं, भगवानवादी टाइप लोग इसे आस्था और श्रद्धा करार देकर उनका नशा और बढ़ाते रहते हैं.

स्कूली प्रार्थना में भगवान आया क्यूं और कैसे इस सवाल का जबाब बेहद साफ है कि यह साजिश किसी 1964 में नहीं बल्कि सदियों पुरानी है कि बस एक बात बच्चे के होश संभालने के पहले ही उसकी नसों में खून के साथ बहा दो कि तेरा कुछ नहीं है, तू कुछ नहीं है जो कुछ भी है वह उस ऊपर वाले का है, जो इस सृष्टि का निर्माता और संचालक है और वही इसे नष्ट करेगा. तमाम धर्म इसी परिकल्पना के इर्द गिर्द परिक्रमा करते रहते हैं और ईश्वरीय गाज से बचने उसके मानने बाले दक्षिणा पंडों को अर्पित करते रहते हैं.

और जो लोग इस ठगी पर एतराज जताते हैं उन्हें झट से नास्तिक करार दे दिया जाता है पर चूंकि अब नास्तिक शब्द पहले की तरह गाली नहीं रह गया है इसलिए उन्हें देशद्रोही, कम्युनिस्ट या वामपंथी बगैरह कहते हतोत्साहित करने का कुचक्र रचा जाने लगा है, इस पर भी बात नहीं बनती तो देखते ही देखते धर्म के नाम पर आग लगने लगती है, दंगे फसाद होने लगते हैं, जहां धर्म तो कतई नहीं दिखता, दिखता है तो धर्म रक्षा के नाम पर उठता धुंआ और कीड़े मकोड़े सरीखे मरने वाले लोग जिन्हें ईश्वर की सर्वोत्तम कृति करार दिया जाता है.

दरअसल में केंद्रीय स्कूलों में धार्मिक प्रार्थना का मुद्दा ऐसे वक्त में उठा है जब सारे देश में धार्मिक उन्माद चरम पर है, लोग बिना सोचे समझे भक्तिकाल की तरह पंडे पुजारियों के डमरू पर बंदरों की तरह नाच रहे हैं और इस तरह नाच रहे हैं कि खुद भी नाचने की वजह भूल गए हैं. राजनैतिक पैमाने जो अपेक्षाकृत ज्यादा आसान है पर देखें तो विकास देशहित संवैधानिक अधिकार और लोकतन्त्र कभी कभार भी नहीं दिख रहे. सामने है तो भगवा हज हाउस, कोरेगांव का वर्ग संघर्ष, दलित अत्याचार, शंकराचार्यों का सरकारी तौर पर पूजन, सरकारी पैसे से बूढ़ों की तीर्थयात्राओं जैसे सैकड़ों बेहूदे गैरज़रूरी लेकिन धार्मिक कृत्य.

इन से देश का भला होने की उम्मीद अगर किसी को है तो उसे पूरा हक है कि वह देश की सबसे बड़ी अदालत को कोसे और ऊपर वाले की अदालत की दुहाई दे पर यह पूछने का हक उसे कतई नहीं रह जाएगा कि देश में यह क्या हो रहा है, मंहगाई और बेरोजगारी क्यों बढ़ रहे हैं आम लोगों का सुकून कहां गया और समाज में इतनी बैचनी क्यों है.

यही वह साजिश है जिसके शिकार लोग सदियों से ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं, भजन पूजन कीर्तन और आरतियां करते खुद पंडों के लिखे इन शब्दों को दोहरा रहे हैं ‘मैं मूरख खल कामी कृपा करो भरता…’

…तो हंसाते और डराते नजर आएंगे श्रद्धा कपूर और राजकुमार राव

अब आप डरने और हंसने के लिए तैयार हो जाइये, क्योंकि अब आपको एक ही फिल्म में ये दोनों चीजे मिलेंगी. जी हां, राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर बेहद जल्द ही हौरर कौमेडी फिल्म में नजर आएंगे. राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर अभिनीत हौरर कौमेडी फिल्म का नाम ‘स्त्री’ रखा गया है. इस फिल्म के जरिए राजकुमार व श्रद्धा पहली बार पर्दे पर साथ नजर आएंगे.

राजकुमार ने गुरुवार को फिल्म के क्लैपबोर्ड के साथ एक तस्वीर साझा कर इस बात की सूचना दी. उन्होंने तस्वीर शेयर करते हुए इसके कैप्शन में लिखा, “अब हमारे पास फिल्म का नाम है. हौरर कामेडी ‘स्त्री’ की शूटिंग बेहद जल्द ही शुरू होने वाली है. ये शूटिंग काफी रोमांचक होने वाली है. फिल्म ‘स्त्री’ को अमर कौशिक द्वारा निर्देशित या जाएगा. इसे राज और डीके द्वारा लिखित और दिनेश विजन, राज और डीके द्वारा निर्मित किया जाएगा.”

‘स्त्री’ का निर्देशन ‘शोर इन द सिटी’, ‘गो गोआ गौन’ और ‘हैप्पी एंडिंग’ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर राज और डीके कर रहे हैं.

इस फिल्म से जुड़ी अधिक जानकारी का फिलहाल खुलासा नहीं हुआ है. लेकिन माना जा रहा है कि राजकुमार व श्रद्धा बेहद ही अलग अंदाज में नजर आने वाले हैं. यह पहला मौका है जब एक्टर राजकुमार राव हौरर कौमेडी जैसी फिल्म में नजर आएंगे. इससे पहले वह यूपी की कहानियों पर बनी फिल्म्स में दिखे हैं.

बता दें कि श्रद्धा कपूर इनदिनों बाहुबली प्रभास के साथ फिल्म ‘साहो’ की शूटिंग में व्यस्त हैं. इस फिल्म को पूरा करने के बाद श्रद्धा कपूर अपनी अगली फिल्म ‘स्त्री’ की शूटिंग शुरू करेंगी.

मुक्काबाज : जिम्मी शेरगिल और विनीत कुमार सिंह का दमदार अभिनय

‘‘बांबे वेल्वेट’’ की असफलता के साथ ही अनुराग कश्यप और नए तरह का सिनेमा हाशिए पर चला गया था. मगर अब अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म ‘‘मुक्काबाज’’ से एक बार फिर उनकी वापसी होगी, इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन ‘‘मुक्काबाज’’ से अनुराग के अंध प्रशंसकों को निराशा होगी. ‘‘मुक्काबाज’’ भीं अनुराग की चिर परिचित शैली के अनुसार सिस्टम के खिलाफ बात करती है, पर इस बार शैली व अंदाज कुछ अलग है. ‘मुक्काबाज’ महज बाक्सिंग/मुक्केबाजी के खेल पर आधारित फिल्म नहीं है. बल्कि अनुराग कश्यप ने अपने अंदाज में इस फिल्म में खेल जगत में व्याप्त भ्रष्टाचार व सिस्टम पर उंगली उठाने के साथ ही जातिगत भेदभाव आदि का भी सटीक चित्रण किया है.

उत्तर प्रदेश के बरेली शहर की पृष्ठभूमि में ‘‘मुक्काबाज’’ की कहानी के केंद्र में बरेली शहर के बाहुबली राजनेता व कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष भगवान दास मिश्रा (जिम्मी शेरगिल) और कुश्ती बाज श्रवण कुमार (विनीत कुमार सिंह) के इर्दगिर्द घूमती है. इसी के साथ इसमें भगवानदास मिश्रा की भतीजी सुनयना मिश्रा (जोया हुसेन) और श्रवण कुमार की प्रेम कहानी भी है.

फिल्म की कहानी के अनुसार नीची जाति के बाक्सर/मुक्केबाज श्रवण, भगवान दास मिश्रा के जिम में ट्रेनिंग लेते हैं और उनके शागिर्द हैं. भगवान दास मिश्रा अपने यहां के सभी बाक्सरों से अपने घरेलू काम करवाने से लेकर अपने शरीर की मालिश भी करवाते हैं. भगवान दास की गूंगी भतीजी सुनयना पर नजर पड़ते ही वह अपना दिल उसे दे बैठते हैं और फिर एक दिन गरीब व खुद्दार श्रवण, भगवान दास के शरीर की मालिश करने से मना कर देता है. वह भगवान दास की इस आव्हान का ‘‘हम ब्राम्हण है, हम आदेश देते हैं’’ को तवज्जो नहीं देता. इस पर भगवान दास को गुस्सा आता है.

बात बढ़ने पर श्रवण, भगवान दास को मुक्का जड़ देता है. फिर भगवान दास के इशारे पर बाकी के सारे बाक्सर उसकी पिटाई कर देते हैं. उसके बाद भगवान दास अपनी ताकत का उपयोग कर उसे जेल भिजवा देते हैं, जहां जेलर उसे सलाह देता है कि वह जेल में बाक्सिंग की प्रैक्टिस पर ध्यान दे. जेल से निकलकर वह सुनयना से मिलता है. उनका प्यार पल्लवित होने लगता है. सुनयना को अहसास होता है कि श्रवण पहला पुरुष है, जिसने उसके गूंगी होने पर उस पर तरस खाने की बजाय उसके सपनों को पूरा करने में उसका साथ देने की बात कही है.

इधर भगवान दास ने सारी ताकत श्रवण के बाक्सिंग/मुक्केबाजी के करियर को खत्म करने पर लगा रखी है. जबकि श्रवण मानता  है कि ‘‘नाम भगवान होने से कोई भगवान नहीं हो जाता.’’

Mukkabaaz Movie Review

एक दिन अपने दोस्त गोपाल तिवारी (श्रीधर दुबे) की सलाह पर श्रवण बरेली से वाराणसी पहुंचता है, जहां उसे संजय कुमार (रवि किशन) का साथ मिलता है. संजय कुमार उसे मदद करने का भरोसा दिलाने के साथ ही मुक्केबाजी की प्रतियोगिताओं में हिसा लेने का मौका दिलाते हैं. वह खुद भी बाक्सर रहे हैं और अब वह भाटिया के साथ मिलकर बाक्सरों को प्रशिक्षित करने का काम भी करते हैं.

भगवान दास वाराणसी पहुंचकर संजय कुमार को धमकाते हैं कि वह श्रवण का साथ न दे. पर संजय कुमार, श्रवण का साथ देता है. श्रवण कुमार, राज्य स्तर पर विजेता बनकर उभरता है. उसे रेलवे में नौकरी भी मिल जाती है. इससे भगवानदास तिलमिला जाते हैं. उधर अचानक सुनयना के पिता गोपाल की आत्मा उन्हे झकझोरती है और वह अपने छोटे भाई भगवानदास की मर्जी के खिलाफ सुनयना व श्रवण की शादी करवा देते हैं. भगवान दास का मानना है कि उसकी भतीजी की वजह से गलत हुआ है.

अब भगवान दास पहले अपने बडे़ भाई गोपाल व उनकी पत्नी को घर से बेघर कर देते हैं. फिर साजिश रचकर अपने भाई, भाभी व सुनयना को अगवा कर बंदी बना देता है. भाई गोपाल की टांग तोड़ हमेशा के लिए अपाहिज कर देता है. सुनयना को को एक इंजेकशन देना शुरू करते हैं.

उधर श्रवण के पास भगवान दास, सुनयना से तलाक के कागज भिजवाते हैं, पर वह साइन नहीं करता है. श्रवण से वह कहते हैं कि वह मुक्केबाजी में राष्ट्रीय चैम्पियन बनने का सपना छोड़ दे. भगवानदास की साजिश के ही चलते घायल अवस्था में श्रवण व संजय कुमार अस्पताल पहुंचते हैं. इससे भी श्रवण हार नहीं मानता. राष्ट्रीय चैंपियन के मैच में वह भगवान के चुने प्रतियोगियों का धूल चटाना शुरू करता है. तभी उसे उस जगह का पता चलता है, जहां सुनयना को बंदी बनाकर रखा गया है. वह रात में सुनयना को छुड़ाने जाता है. वहां भगवान दास के आदमियों के हाथों श्रवण घायल होता है, पर विजयश्री बनकर उभरता है.

अब एक बार फिर उसे घायल होने की वजह से बाक्सिंग मैच खेलने नहीं दिया जाता. पर भगवान दास इस शर्त पर उसे खेलने की अनमति देते है कि इसके बाद वह मुक्केबाजी से संन्यास ले लेगा. बाक्सिंग रिंग के अंदर श्रवण जान बूझकर परास्त हो जाता है.

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जहां तक अभिनय का सवाल है,तो श्रवण के किरदार में विनीत कुमार सिंह ने दमदार परफार्मेंस दी है. वह परदे पर एक वास्तविक बाक्सर को न सिर्फ जीवंत करते हैं, बल्कि उसकी यथार्थ परक जिंदगी को जीते हुए नजर आते हैं. विनीत कुमार सिंह ने खुद ही पटकथा लिखी है और खुद भी वाराणसी के रहने वाले हैं, इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र की भाषा के लहजे को बाखूबी फिल्म में अपने किरदार के माध्मय से पेश किया है. भ्रष्ट, अति पक्षपाती, गुस्सैल, बदले की भावना से काम करने वाले खेल संघ के अध्यक्ष व बाहुबली भगवान दास मिश्रा के किरदार को जिस तरह से परदे पर जीवंतता जिम्मी शेरगिल ने प्रदान की है, उसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है.

दर्शक विनीत कुमार सिंह व जिम्मी शेरगिल की परफार्मेंस के लिए भी इस फिल्म को देखना चाहेगा. जोया हुसेन ने गूंगी सुनयना के रूप में अच्छा काम किया है, मगर जिस तरह से उनकी निडरता व साहस का चित्रण किया गया है, वह कई जगह भद्दा लगता है. रवि किशन व श्रीधर दुबे भी अपने अपने किरदारों को बड़ी सहजता से जिया है.

फिल्म की लंबाई कुछ ज्यादा हो गयी है, जिसे कम किया जा सकता था. फिल्म के नायक विनीत कुमार सिंह ने खुद ही पटकथा लिखी है, जिसमें कुछ बदलाव अनुराग कश्यप ने किया है. इसके चलते भी पटकथा में बेवजह के कुछ सीन जोडे़ गए हैं. विनीत कुमार सिंह ने प्रेम संबंधो के सीन ज्यादा पिरो दिए हैं, जो कि कोई मायने नहीं रखते. प्रेम कहानी में जो ताजगी व नयापन होना चाहिए था, वह भी गायब है. फिल्म का क्लायमेक्स बेवजह रबर की तरह खींचा गया है. यही वजह है कि इंटरवल के बाद की फिल्म प्रभावित नहीं करती.

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फिल्म के संवाद काफी बेहतरीन बन पड़े हैं. फिल्म के अंदर जहां कुछ गीत बेमानी लगते हैं, वहीं व्यंगात्मक गीत फिल्म के साथ न्याय करते हैं. लेखक के तौर पर अनुराग कश्यप व विनीत कुमार सिंह को इस बात के लिए बधाई दी जानी चाहिए कि उन्होंने ‘बुरे’ को ‘बुरा’ कहने से परहेज नहीं किया. मगर श्रवण कुमार जिस अंदाज में अपने पिता से बात करता है, वह थोड़ा सा  अखरता है.

दो घंटे 35 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मुक्काबाज’’ का निर्माण  आंनद एल राय की कंपनी ‘कलर एलो प्रोडक्शन’ के साथ अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोटावणे, मधु मेंटोना व विकास बहल की कंपनी ‘फैंटम’ ने किया है. निर्देशक अनुराग कश्यप, लेखक अनुराग कश्यप, विनीत कुमार सिंह, मुक्ति सिंह, केडी सत्यम , रंजन चांडेल व प्रसून मिश्र, संगीतकार प्रशांत पिल्लैय, कैमरामैन राजीव रवि, शंकर रमण, जय पटेल व जयेश नायर तथा कलाकार हैं-विनीत कुमार सिंह, जिम्मी शेरगिल, रवि किशन, जोया हुसेन, श्रीधर दुबे, नीरज गोयत, दीपक तंवर व अन्य.

केसरी में अक्षय कुमार के साथ नजर आएंगी ये एक्ट्रेस

अक्षय कुमार की फिल्म ‘केसरी’ की हीरोइन का नाम रिवील कर दिया गया है. करण जौहर के ट्वीट के बाद सामने आया कि इस फिल्म में अक्षय के साथ परिणीति चोपड़ा नजर आने वाली हैं. करन जोहर ने ट्विटर पर अभिनेत्री को टैग करते हुए कहा, “ फिल्म ‘केसरी’ की मुख्य अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा हैं.” यह फिल्म ‘सारागढ़ी’ के युद्ध पर आधारित है.

हाल ही में परिणीति की गोलमाल फिल्म ने कमाई के नए रिकौर्ड बनाए हैं. ऐसे में उनके हाथ अक्षय के साथ मूवी का होना किसी जैकपौट जैसा है. अक्षय कुमार की फिल्में बैक टू बैक हिट होने के साथ कमाई भी अच्छी कर रहीं हैं.

बता दें कि अक्षय ने भी कुछ दिन पहले अपनी फिल्म ”केसरी” का फर्स्ट लुक जारी किया. इस फर्स्ट लुक में अक्षय कुमार केसरिया रंग की पगड़ी पहने सिख के किरदार में नजर आ रहे हैं. अक्षय कुमार ने अपनी इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ”इस तस्वीर को शेयर करते हुए असीमित गर्व और आभार व्यक्त करना चाहता हूं. नए साल 2018 की शुरुआत मेरे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट और फिल्म केसरी से कर रहा हूं. आपकी दुआओं और प्यार की जरूरत हमेशा रहेगी.

बता दें कि पहले इस फिल्म से सलमान का नाम भी जुड़ रहा था. लेकिन बाद में सलमान इस प्रोजेक्ट से हट गए. सलमान के इस प्रोजेक्ट से हटने की पुष्टि खुद अक्षय ने की थी. इस साल अक्षय की पहली फिल्म ‘पैडमैन’ होगी. अक्षय साल 2018 की पारी की शुरुआत इस बायोपिक से कर रहे हैं. यह फिल्म अरुणाचलम मुरुगनाथम की जिंदगी पर आधारित है. उन्होंने कम पैसों में सैनिटरी नैपकिन बनाने की मशीन का आविष्कार किया था. इस आविष्कार के बाद उन्हें पदम श्री से सम्मानित भी किया गया था.  आर बाल्की निर्देशित इस फिल्म को अक्षय की पत्नी ट्विंकल खन्ना ने प्रोड्यूस किया है. ये फिल्म 26 जनवरी 2018 यानि इस गणत्रंत दिवस पर रिलीज होने वाली है.

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