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इस ट्रिक से पता चलेगी हर फोन की कौल डिटेल

यदि कोई आपसे किसी मोबाइल की पुरानी कौल डिटेल निकालने के बारे में पूछे तो शायद आप इसके लिए मना कर दें. लेकिन यह मुमकिन है. जी हां, यहां हम आपको ऐसी ट्रिक बता रहे हैं जिससे आप किसी भी मोबाइल की पुरानी कौल डिटेल का आसानी से पता लगा सकते हैं. अब यदि आपसे कोई मोबाइल की पुरानी से पुरानी कौल डिटेल का पता लगाने के लिए कहे तो आप आसानी से पता लगा सकते हैं. इसके लिए लिए आपको सिर्फ मोबाइल में एक ऐप डाउनलोड करना होगा. जिस भी मोबाइल की कौल डिटेल आप चाहते हैं उसमें यह ऐप आपको डाउनलोड करना होगा.

ये है ऐप

mubble app नाम का यह फ्री एंड्रायड ऐप है. 4.49MB वाले इस ऐप को Recharge Plans & Prepaid Bill भी कहा जाता है. यह 4.2 या इससे ऊपर के एंड्रायड औपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है. ऐप डेवलपर का दावा है कि इससे Airtel, Vodafone, Idea, JIO, BSNL, Aircel, Reliance, Docomo के अलावा अन्य टेलिकौम औपरेटर्स के नंबर्स की डिटेल निकाली जा सकती है.

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फ्री में डाउनलोड होगा ऐप

जिस ऐप के बारे में हम बात कर रहे हैं उसके जरिए आप 7 से लेकर 30 दिन तक की कौल डिटेल पता लगा सकते हैं. डिटेल बाकायदा पीडीएफ फाइल में ईमेल के जरिए आपको मिलेगी. जिस ईमेल का एड्रेस आप ऐप में देंगे, वहीं पर कौल डिटेल आएगी. गूगल प्ले स्टोर से यह ऐप फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है. डाउनलोड करने के बाद आपको कुछ परमीशन इसे देना होंगी. परमीशन देते ही मिनटों में आपको कौल डिटेल मिल जाएगी.

ऐप ऐसे करेगा काम

अपने फोन में ऐप इंस्टौल करने के बाद आप जिस भी नंबर की कौल डिटेल प्राप्त करना चाहते हैं, वो नंबर आपको डालना पड़ता है. प्राइवेसी को लेकर यूजर कुछ परमिशन लेने के बाद ऐप काम करना शुरू कर देता है. बिल का मेल उसी आईडी पर आता है जो लौगइन के दौरान दी गई होती है. इसमें डेट, टाइम, नंबर और कौल ड्यूरेशन जैसी पूरी डिटेल होती है. इसके जरिए यूजर 7 दिन से 30 तक का कॉल डिटेल निकाल सकते हैं.

बैलेंस और डाटा चेक कर सकेंगे

इस ऐप से यूजर्स अपना बैलेंस और डाटा चेक कर सकते हैं. लो डाटा बैलेंस होने पर ये रिमाइंडर भी देता है. यहां से आप किसी भी मोबाइल नंबर पर रिचार्ज करा सकते हैं.

वीडियो : बिग बौस विनर शिल्पा शिंदे ने अपने फैन्स को दिया संदेश

बिग बौस 11 की विनर शिल्पा शिंदे अपनी जीत पर बेहद खुश हैं. सलमान खान द्वारा बिग बौस 11 के विनर की अनाउंसमेंट के बाद शिल्पा के फैन्स भी काफी खुश हैं और शिल्पा को इस सीजन का विजेता घोषित करते वक्त सलमान खुद भी काफी खुश नजर आए. शिल्पा के लिए बिग बौस का यह सफर काफी अहम रहा. इतना ही नहीं अब शिल्पा केवल ‘भाभी जी घर पर हैं’ कि भाभी बन कर ही नहीं बल्कि ‘बिग बौस 11’ की विनर के तौर पर जानी जाएंगी.

शिल्पा ने फैन्स को कहा थैंक्स

घर से बाहर आने के बाद जैसे ही शिल्पा को पता चला कि उन्हें देश की जनता का सपोर्ट मिला है तो उन्होंने अपने फैन्स के लिए एक वीडियो शेयर किया. वीडियो में उन्होंने अपने सभी फैन्स को शुक्रिया कहा. गौरतलब है कि शिल्पा के फैन्स ने उन्हें जिताने के लिए एक नया रिकौर्ड बना दिया. ट्विटर पर शिल्पा बिग बौस की पहली ऐसी कंटेस्टेंट हैं जिनके लिए इतने ज्यादा ट्वीट किए गए हैं. यहां देखें शिल्पा द्वारा शेयर किया गया वीडियो

कई टीवी सीरियल में कर चुकी हैं काम

बता दें, शिल्पा शिंदे पिछले काफी सालों से टीवी की दुनिया से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने भाभी जी घर पर हैं से पहले भी कई सीरीयल्स में काम किया है. उन्होंने सब टीवी के कार्यक्रम चिड़िया घर और उससे पहले टीवी सीरीयल मायका में भी काम किया है. हालांकि, बिग बौस में आने से पहले वह लगभग 2 सालों से छोटे पर्दे से दूर थीं. घर के अंदर शिल्पा और विकास का रिश्ता काफी सुर्खियों में रहा था.

सौरभ गांगुली ने बीसीसीआई से कहा इनपर नजर रखो

राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में खेल रही भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम ने रविवार को औस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत के साथ आईसीसी अंडर-19 विश्व कप में अपने अभियान की सधी शुरुआत की है. बे ओवल मैदान पर रविवार को खेले गए मैच में भारत ने औस्ट्रेलिया को 100 रनों से हरा दिया. इस जीत के साथ भारतीय टीम के खाते में दो अंक आ गए हैं. टौस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने सात विकेट के नुकसान पर औस्ट्रेलिया को 329 रनों का लक्ष्य दिया. इस लक्ष्य को औस्ट्रेलिया हासिल नहीं कर पाई और 228 रनों पर ही ढेर हो गई.

कप्तान पृथ्वी शौ (94) और मनोज कालरा (86) ने 180 रनों की शानदार शतकीय साझेदारी कर भारत को मजबूत शुरुआत दी तो वहीं भारतीय टीम के ते गेंदबाज कमलेश नागकोटी और शिवम मावी ने अपनी गेंदबाजी से औस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.

भारत ने शानदार बल्लेबाजी के दम पर औस्ट्रेलिया के सामने जीत के लिए 329 रनों का लक्ष्य रखा. लक्ष्य का पीछा करने उतरी आस्ट्रेलिया टीम के लिए कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी परेशानी का सबब बने रहे. आस्ट्रेलिया के लिए चार विकेट लेने वाले एडवर्ड्स ने ही अच्छी बल्लेबाजी भी की. उन्होंने सबसे अधिक 73 रन बनाए, लेकिन टीम के अन्य बल्लेबाज अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रहे.  नागरकोटी और शिवम ने तीन-तीन विकेट लिए, वहीं अभिषेक शर्मा और अनुकूल रौय को एक-एक सफलता मिली. औस्ट्रेलिया के दो बल्लेबाज उप्पल और राल्स्टन रन आउट हुए. इस मैच में कप्तान पृथ्वी को ‘प्लेयर औफ द मैच’ का पुरस्कार मिला.

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भले ही कप्तान पृथ्वी शौ को ‘प्लेयर औफ द मैच’ चुना गया हो, लेकिन टीम इंडिया के इन दोनों तेज गेंदबाजों ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है.

कमलेश नागरकोटी की धारदार रफ्तार

राजस्थान के बाडमेर के रहने वाले कमलेश नागरकोटी ने अंडर-19 विश्वकप के पहले ही मैच में अपनी गेंदबाजी की एक अलग छाप छोड़ी है. औस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप के अपने पहले ही मैच में कमलेश ने 149-150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी और दिग्गजों को हैरान करके रखा दिया. रविवार को न्यूजीलैंड माउंट मोंगानुई में खेले गए अंडर-19 विश्व कप के मैच में औस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय तेज गेंदबाजों ने जमकर कहर बरपाया. कमलेश नागरकोटी की अगुवाई में भारतीय गेंदबाजों का दबदबा बना रहा. कमलेश ने कई गेंदें 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ऊपर की फेंकी. मैच के दौरान नागरकोटी ने सबसे तेज गेंद 149 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फेंकी.

शिवम मावी ने ढाया कहर

कमलेश नागरकोटी के साथ ही उत्तर प्रदेश के नोएडा के रहने वाले शिवम मावी ने भी अपनी तेज गेंदबाजी से सभी को आकर्षित किया. शिवम मावी ने भी लगभग 145 किलोमीटर की रफ्तार से गेंद फेंककर औस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के पसीने छुड़ा दिए. मावी ने सबसे तेज गेंद 146 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फेंकी.

सौरव गांगुली हुए नागरकोटी-मावी के मुरीद

न्यूजीलैंड में हो रहे अंडर 19 वर्ल्ड कप में राहुल द्रविड़ के इन दोनों ‘रणबांकुरों’ की रफ्तार देखकर सौरव गांगुली भी हैरान रह गए. गांगुली ने इन दोनों युवा तेज गेंदबाजों का जिक्र अपने टि्वटर औफिशियल अकाउंट पर भी किया. गांगुली ने इस ट्वीट में टीम इंडिया के कप्तान सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और बीसीसीआई को टैग किया और कहा कि इन दोनों पेसरों पर नजर रखी जाए. सौरव ने अंडर-19 टीम में खेल रहे तीन युवा पेसरों को सबसे तेज और जूनियर टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज करार दिया.

ऐसा रहा मैच में भारतीय पारी का रोमांच

कप्तान पृथ्वी शौ (94) और मनोज कालरा (86) ने 180 रनों की शानदार शतकीय साझेदारी कर भारत को मजबूत शुरुआत दी. इसी स्कोर पर पृथ्वी विल सदरलैंड की गेंद पर विकेट के पीछे खड़े बेक्सटर जे होल्ट के हाथों लपके गए.

शतक से चूके पृथ्वी शौ

पृथ्वी अपना शतक पूरा करने से केवल छह रन दूर रह गए. उन्होंने 100 गेंदों पर आठ चौके और दो छक्के लगाए. उनके आउट होने के बाद कालरा भी मैदान पर ज्यादा देर तक नहीं टिक पाए. उन्हें परम उप्पल ने कप्तान जेसन सांघा के हाथों कैच आउट कर भारत का दूसरा विकेट गिराया.

शुभम ने जड़ा अर्धशतक

इसके बाद टीम की पारी संभालने आए शुभम गिल (63) और हिमांशु राणा (14) ने 49 अंक ही जोड़े थे कि जैक एडवर्ड्स ने औस्टीन वौ के हाथों राणा को कैच आउट कर पवेलियन का रास्ता दिखाया. एडवर्ड्स ने इसके बाद गिल को भी मैदान पर टिकने नहीं दिया और 272 के स्कोर पर कैच आउट कर भारत का चौथा विकेट भी गिरा दिया.

अभिषेक ने कराया 300 का आंकड़ा पार

गिल के आउट होने के बाद भारतीय टीम के बाकी बल्लेबाज कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और टीम के विकेट लगातार गिरते रहे. अभिषेक शर्मा ने 23 रनों की पारी खेली और इसके बाद कोई भी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया. इस प्रकार भारतीय टीम की पारी 328 रनों पर समाप्त हो गई.

औस्ट्रेलिया के लिए एडवर्ड्स ने सबसे अधिक चार विकेट लिए. इसके अलावा, सदरलैंड, उप्पल और वौ को एक-एक सफलता हासिल हुई.

न्याय के लिए न्यायमूर्तियों की गुहार

दिल्ली प्रैस की अंगरेजी पत्रिका ‘दी कैरेवान’ द्वारा औनलाइन प्रकाशित रिपोर्ट 4 जजों की प्रैस कांफ्रैंस के लिए मुख्यतया उत्तरदायी रही. यह जस्टिस रंजन गोगोई ने स्पष्ट कर दिया है. दी कैरेवान की उक्त रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई की विशेष अदालत के जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की नागपुर में मृत्यु संदेहास्पद स्थिति में हुई थी. जज लोया गुजरात में सोहराबुद्दीन की मुठभेड़ में हुई मौत के मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर लगे आरोपों की जांच कर रहे थे.

दी कैरेवान की उस रिपोर्ट के तथ्यों को झूठा या गलत साबित करने के लिए पहले कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा रिपोर्टें भी प्रकाशित/प्रसारित की गई थीं पर उन से कोई संतुष्ट नहीं हुआ था. मुंबई हाईकोर्ट में मुंबई लौयर्स एसोसिएशन ने एक रिट याचिका प्रस्तुत की थी और उस पर 23 जनवरी से सुनवाई शुरू होनी है. इसी बीच, किसी ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर दी और मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इसे स्वीकार करते हुए अपनी मरजी की एक बैंच को मामला सौंप दिया.

दी कैरेवान की रिपोर्ट के तथ्य सही प्रश्न ही उठा रहे हैं, इसीलिए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के बाद के 4 वरिष्ठ न्यायमूर्तियों ने गहरी आपत्ति की और शुक्रवार 12 जनवरी को 12.15 बजे एक प्रैस कांफ्रैंस कर वह मतभेद जनता के बीच जाहिर कर डाला जो आमतौर पर जजों के चैंबरों तक सीमित रहता है.

दी कैरेवान की रिपोर्ट सनसनी फैलाने के लिए नहीं थी और उस में तथ्यों को तोड़ामरोड़ा नहीं गया था. हमेशा की तरह दिल्ली प्रैस की पत्रिकाएं तथ्यों पर आधारित सामग्री प्रकाशित करती हैं चाहे हमारा तथ्यों को देखने का नजरिया अलग हो. दिल्ली प्रैस की पत्रिकाएं सरिता, मुक्ता, सरस सलिल इस तरह के तथ्यपरक लेखों के लिए 1945 से ही प्रसिद्ध रही हैं और सरिता में प्रकाशित गौपूजा, कितना महंगा धर्म, राम का अंतर्द्वंद्व, न्यायालयों में भ्रष्टाचार, संसद सदस्य चादरवाला जैसे मामलों में लंबे मुकदमे चले, पर हर मामले में न निष्ठा को चुनौती दी जा सकी न तथ्य गलत साबित किऐ जा सके. आखिरकार, हर मामले में जीत दिल्ली प्रैस की पत्रिकाओं की ही हुई.

जज बृजमोहन हरकिशन लोया का मामला भी ऐसा ही है. दी कैरेवान की रिपोर्ट में केवल मृत्यु के बाद हुई घटनाओं से पैदा संशय पर प्रकाश डाला गया है. अपने न्यायिक दायित्व को ईमानदारी से निभाते हुए जज लोया ने अमित शाह को न्यायालय में प्रस्तुत होने से छूट देने से भी इनकार कर दिया था जबकि उन के बाद आने वाले जज ने कुछ ही दिनों में अमित शाह को निर्दोष घोषित कर दिया.

इस मामले की सुनवाई मुंबई उच्च न्यायालय में ही चलनी चाहिए थी पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर और अपनी इच्छा द्वारा बनाई एक बैंच को सौंप कर 4 वरिष्ठ जजों को चौंका दिया और उन्हें मामला चैंबरों से निकाल कर पूरे देश की जनता के सामने लाने को मजबूर कर दिया.

कुछ की आपत्ति है कि इन 4 जजों ने आंतरिक मामले और मतभेद को सामने ला कर न्यायपालिका को कमजोर किया है पर सच यह है कि जनता के समर्थन से ही न्यायपालिका मजबूत रह सकती है. यदि इंदिरा गांधी के समय जनसमर्थन होता तो न्यायपालिका उस समय अनावश्यक आपातकाल को गैरकानूनी घोषित कर सकती थी. एक प्रधानमंत्री का न्यायिक फैसले के कारण हटना किसी भी सूरत में आपातस्थिति नहीं हो सकती. आज वही माहौल बन रहा है जहां मंत्रिमंडल, संसद, सांसद, राज्य सरकारें असहाय सी हैं और जज तक सरकारी हां में हां मिला रहे हैं.

न्यायपालिका स्वतंत्र होती तो नोटबंदी जैसे कदम को आम व्यक्ति की संपत्ति छीनना कहा जा सकता था. न्यायपालिका इस मामले पर सरकारी दबाव से टालमटोल कर रही है. जब वह ट्रिपल तलाक कर क्रांतिकारी निर्णय दे सकती हैं तो संपत्ति जब्त करने के मूर्खतापूर्ण सरकारी फैसले पर क्यों नहीं दे सकती.

देश की स्वतंत्रता जनता के हाथ में है. वोट अगर धर्म और जाति के नाम पर दिए जाने को स्वतंत्रता कहा जाए तो उत्तर कोरिया भी स्वतंत्र है जहां 99.7 प्रतिशत लोग अपने वोट तानाशाह को देते हैं. स्वतंत्रता न्याय व अभिव्यक्ति के पैमानों पर तय होती है. हम इस स्वतंत्रता की रक्षा खुद करें. 4 जजों ने जनता के सामने स्पष्ट किया है कि यह खतरे में है. क्या जनता न्यायपालिका के साथ खड़ी है?

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5 जुलाई, 2017 को इलाहाबाद और कानपुर के बीच स्थित जिला कौशांबी के थाना कोखराज के गांव पन्नोई के पास सड़क किनारे एक युवती की लाश पड़ी होने की खबर फैलते ही वहां अच्छीखासी भीड़ लग गई. लाश औंधे मुंह पड़ी थी. उस के आसपास खून भी फैला था, जो सूख कर काला पड़ चुका था. किसी ने इस बात की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दी तो थोड़ी ही देर में पुलिस कंट्रोलरूम की सूचना पर थाना कोखराज पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई.

पुलिस ने लाश सीधी कराई तो पता चला कि युवती के माथे के बीचोबीच सटा कर गोली मारी गई थी. वहां बड़ा सा छेद स्पष्ट दिखाई दे रहा था. मृतका ने नीले रंग की जींस और गुलाबीसफेद रंग की डौटेड कुर्ती पहन रखी थी. शक्लसूरत और पहनावे से वह बड़े घर की लग रही थी.

थानाप्रभारी की सूचना पर एसपी अशोक कुमार पांडेय भी घटनास्थल पर आ गए थे. उन्होंने भी थानाप्रभारी बृजेश द्विवेदी के साथ घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. लाश के पास से कोई खोखा नहीं मिला था. वहां जितना खून फैला होना चाहिए था, वह भी नहीं था. इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या कहीं और कर के लाश यहां ला कर फेंकी गई थी.

पुलिस ने वहां जमा लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन शिनाख्त हो नहीं सकी. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस के बाद थाने आ कर पन्नोई गांव के चौकीदार की ओर से अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

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लाश की शिनाख्त के चक्कर में ही उस का पोस्टमार्टम 9 जुलाई को किया गया. 2 डाक्टरों अनुभव शुक्ला और रेखा सिंह के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. इस की वीडियोग्राफी भी कराई गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतका के साथ दुष्कर्म हुआ था. वह प्रेग्नेंट भी थी. डाक्टरों ने दुष्कर्म और प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए स्वाब और स्मीयर प्रिजर्व कर लिए थे.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार,युवती की मौत करीब 115 से 120 घंटे पहले हुई थी. इस का मतलब लाश मिलने से करीब 40 घंटे पहले ही उस की हत्या हो चुकी थी यानी उस की हत्या 4/5 जुलाई की रात 12 से 1 बजे के बीच हुई थी. युवती के माथे से जिस तरह सटा कर गोली मारी गई थी, उस से साफ लगता था कि गोली मारने वाला उस का कोई करीबी था.

लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी तो पोस्टमार्टम के बाद 10 जुलाई को पुलिस ने उस का अंतिम संस्कार करा दिया. कौशांबी पुलिस के लिए यह मामला एक चुनौती बन गया था, क्योंकि 7 दिनों बाद भी मृतका की पहचान नहीं हो सकी थी.

एसपी अशोक कुमार पांडेय ने लाश की शिनाख्त और मामले के खुलासे के लिए थाना पुलिस को तो लगाया ही, क्राइम ब्रांच की भी एक टीम को लगा दिया. घटना के 8 दिनों बाद यानी 12 जुलाई को लाश के फोटो वाट्सऐप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए तो किसी व्यक्ति ने फोन कर के क्राइम ब्रांच को बताया कि कौशांबी में मिली लाश हिना तलरेजा की है. फेसबुक पर इस का एकाउंट है.

पुलिस के लिए यह सूचना काफी महत्त्वपूर्ण थी. पुलिस ने हिना तलरेजा का एकाउंट खंगाला तो उस का पता और मोबाइल नंबर मिल गया. पुलिस ने उस नंबर पर फोन किया तो वह बंद था. उस की लोकेशन पता की गई तो उस की अंतिम लोकेशन इलाहाबाद के मीरापुर से सटे मोहल्ला दरियाबाद की मिली. उसी के आधार पर पुलिस ने अनुमान लगाया कि मृतका इलाहाबाद की रहने वाली हो सकती है.

इस के बाद क्राइम ब्रांच की टीम मृतका के घर वालों की तलाश में इलाहाबाद पहुंची. आखिर 4 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद 18 जुलाई को पुलिस उस की मां नीलिमा तलरेजा तक पहुंच गई. 18 जुलाई को थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम इलाहाबाद के मीरापुर पहुंची तो पता चला कि हिना वहां किराए पर रहती थी.

हिना की लाश का फोटो दिखाने पर मकान मालिक ने बताया कि यह फोटो हिना तलरेजा की है, महीने भर पहले यह अपनी मां के साथ उन के यहां किराए पर रहती थी, लेकिन उन्होंने उन से अपना मकान खाली करा लिया था. उस के पिता की मौत हो चुकी थी. उन के मकान से जाने के बाद मांबेटी कहां रह रही हैं, यह वह नहीं बता सके. उन्होंने यह जरूर बताया था कि हिना सिविल लाइंस स्थित किसी हुक्का बार में काम करती थी.

पुलिस खोजतेखोजते सिविल लाइंस स्थित उस हुक्का बार तक पहुंच गई, जहां हिना काम करती थी. हुक्का बार की मालकिन दामिनी चावला (बदला हुआ नाम) ने भी फोटो देख कर उस की शिनाख्त हिना तलरेजा के रूप में कर दी. उन के बताए अनुसार, खुद को पर्सनैलिटी मेकर बताने वाली हिना का इलाहाबाद के कई बारों में आनाजाना था. उसे शराब की लत लग चुकी थी. शराब का निमंत्रण मिलने पर वह किसी भी समय, किसी के भी साथ, कहीं भी चली जाती थी. कुछ दिनों पहले वह शराब पी कर एक बार में बेहोश हो गई थी, तब 2 लड़कों ने उसे अपनी कार से उस के घर पहुंचाया था.

दामिनी चावला के माध्यम से पुलिस हिना की मां तक पहुंची. वह मीरापुर में ही दूसरी जगह पर किराए पर रह रही थीं. पुलिस ने उन्हें फोटो दिखाई तो बेटी की लाश की फोटो देखते ही वह रो पड़ीं. पुलिस ने उन्हें शांत कराया तो उन्होंने बताया कि 4 जुलाई, 2017 की शाम 7 बजे वह दिल्ली जाने की बात कह कर घर से निकली थी. उसी दिन रात को उस ने 10:44 और 10:45 बजे अपनी 2 फोटो फेसबुक पर शेयर किए थे. उस के बाद से उस के एकाउंट पर कोई अपडेट नहीं था. उस ने मां से भी संपर्क नहीं किया था. वह तो यही समझ रही थीं कि हिना दिल्ली में है.

जांच आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने हिना के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर अंतिम बार जिन 2 लोगों से बात हुई थी, उन के नाम अदनान खान और खालिद थे. दोनों थाना शाहगंज के रहने वाले थे. पुलिस उन के घर पहुंची तो दोनों ही अपनेअपने घरों से गायब मिले. इस से पुलिस को उन पर शक हुआ.

पुलिस ने अदनान खान और खालिद के बारे में पता किया तो पता चला कि हिना ने फरवरी, 2015 में अदनान खान से लवमैरिज की थी. सबूत के तौर पर मैरिज सर्टिफिकेट भी पुलिस को मिल गया था. दोनों ने न सिर्फ शादी की थी, बल्कि रजिस्टर्ड भी कराया था. इस शादी से न हिना की मां खुश थीं और न अदनान के घर वाले. खालिद अदनान का दोस्त था.

पुलिस ने अदनान और खालिद के बारे में मुखबिरों से पता कराया तो पता चला कि वे मुंबई में हैं. पुलिस की एक टीम उन्हें पकड़ने के लिए मुंबई गई तो वे दोनों वहां नहीं मिले. पुलिस के पहुंचने से पहले ही वे वहां से भाग चुके थे. इसलिए पुलिस की टीम को खाली वापस आना पड़ा.

29 जुलाई, 2017 की सुबह थानाप्रभारी बृजेश द्विवेदी को अपने किसी मुखबिर से पता चला कि अदनान और खालिद रंगीलेछबीले मजार के पास घूमते देखे गए हैं. थानाप्रभारी पुलिस बल के साथ मजार पर पहुंच गए और उसे घेर लिया.

पुलिस से घिरा देख कर 3 युवक इधरउधर भागने लगे. उन में से 2 तो भाग गए, लेकिन एक पकड़ा गया. पता चला कि हट्टेकट्टे बदन वाला वह युवक अदनान खान है. उसे थाना कोखराज लाया गया, जहां पूछताछ में बड़ी आसानी से उस ने हिना की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

अदनान के बताए अनुसार, उसी ने अपने 2 दोस्तों खालिद और विक्की के साथ मिल कर हिना की हत्या की थी. उस का कहना था कि उस के पास उस की हत्या के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं बचा था. ब्लैकमेल करकर के उस ने उस का जीना हराम कर दिया था. तंग आ कर उस ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी थी. उस ने हिना तलरेजा की हत्या की जो कहानी सुनाई थी, वह इस प्रकार थी—

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23 साल की हिना तलरेजा इलाहाबाद के मोहल्ला मीरापुर की रहने वाली थी. रतन कुमार तलरेजा और नीलिमा तलरेजा की एकलौती संतान होने की वजह से वह लाड़प्यार में पलीबढ़ी थी. मांबाप के लाड़प्यार ने उसे काफी जिद्दी बना दिया था. वह जो मांगती थी, उसे मिल जाता था. वह जो चाहती थी, वही करती थी. मांबाप ने उसे कभी रोकाटोका नहीं.

हिना खूबसूरत भी थी और महत्त्वाकांक्षी भी. वह इतनी दौलत कमाना चाहती थी कि दुनिया की हर चीज उस के कदमों में हो. इस के लिए वह कुछ भी करने को तैयार थी. पढ़ाईलिखाई के साथसाथ उसे अच्छे फैशनेबल कपड़े पहनने और बनठन कर रहने का भी शौक था.

उस ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स भी किया था. उसी बीच उस की दोस्ती कुछ अमीर लड़कों से हो गई तो वह उन्हीं के बीच ज्यादा समय बिताने लगी. धीरेधीरे यह उस का शौक बन गया. अमीरजादों के साथ रह कर उसे बीयर की ऐसी लत लगी कि बीयर के बिना वह रह ही नहीं सकती थी.

हिना पूरी तरह स्वच्छंद हो चुकी थी. वह किसी भी तरह की शर्म भी नहीं करती थी. खुलापन उसे अच्छा लगता था. विचार भी उस के वैसे ही थे. वह कुछ कर पाती, उस के पहले ही अचानक उस के पिता की मौत हो गई. पिता की मौत के बाद उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं रहा. मां थी सीधीसादी, उस के कहने का उस पर कोई असर नहीं पड़ता था. वह वही करती थी, जो उस का मन करता था.

पिता की मौत के बाद हिना ने अपना खर्चा चलाने के लिए सिविल लाइंस स्थित एक हुक्का बार में नौकरी कर ली. पुलिस के अनुसार, हिना जिस हुक्का बार में नौकरी करती थी, वह वहां अन्य काम करने वालों की तरह नहीं रहती थी. कहते हैं, हुक्का बार में उस का जलवा मालिक से भी बढ़ कर था.

उस का फैशन, बातचीत का लहजा वहां आने वाले बड़े से बड़े रईसजादों को भी मात देता था. उस की अदाएं और ग्लैमर लोगों को न सिर्फ लुभाता था, बल्कि उस की ओर आकर्षित कर के उस का नजदीकी भी बना देता था. यही वजह थी कि हिना की फ्रैंड सर्किल में शहर के बड़े से बड़े रईसजादे शामिल थे.

31 साल का अदनान खान रईस मांबाप की बिगड़ी औलाद था. पुलिस के अनुसार, अदनान के पिता अहमद खान शहर के बड़े कारोबारियों में हैं. अदनान पिता की कमाई दोस्तों पर उड़ाता था. खालिद और विक्की उस के खास दोस्त थे. दोनों परछाई की तरह उस के साथ लगे रहते थे. उस के अच्छेबुरे हर काम में उस का साथ देते थे.

अदनान फेसबुक पर काफी सक्रिय रहता था. फेसबुक पर उस ने हिना का फोटो देखा तो वह उसे भा गई. फेसबुक पर हिना का परिचय देखा तो उसे यह जान कर बड़ी खुशी हुई कि वह इलाहाबाद की ही रहने वाली है. उस में हिना का मोबाइल नंबर भी था. उस ने हिना से बात की तो उस ने बता दिया कि वह सिविल लाइंस स्थित हुक्का बार में काम करती है. फिर क्या था, अदनान उस से मिलने वहां पहुंच गया.

वह अपने दोस्तों के साथ सिविल लाइंस स्थित हुक्का बार में हिना से मिला तो उसे देख कर उस पर मर मिटा. इस के बाद वह हर दिन वहां जाने लगा. उस ने पहले हिना से जानपहचान बनाई, उस के बाद दोस्ती कर ली. अदनान आकर्षक पर्सनैलिटी वाला युवक तो था ही, पैसे वाले बाप की बिगड़ी औलाद भी था. इसलिए हिना को भी उस में रुचि पैदा हो गई. दोनों ने एकदूसरे में रुचि दिखाई तो उन्हें प्यार हो गया. फिर तो हिना अकसर अदनान के साथ दिखाई देने लगी. यह सन 2015 की बात है.

अदनान और हिना का प्यार गहराया तो दोनों ने शादी का फैसला कर लिया. हिना हिंदू थी, जबकि अदनान मुसलिम. हिना की मां नीलिमा ने इस शादी से मना कर दिया. अदनान के घर वाले भी इस शादी के लिए राजी नहीं थे. ऐसे में हिना और अदनान ने घर वालों से बगावत कर के मसजिद में निकाह कर लिया.

बेटी की इस हरकत से नाराज हो कर नीलिमा ने उस से बात करना बंद कर दिया. हिना पहले से ही आजाद थी, अब और आजाद हो गई. क्योंकि अब कोई रोकनेटोकने वाला नहीं रहा. एक साल तक तो अदनान और हिना में खूब पटी, लेकिन उस के बाद संबंध बिगड़ने लगे. इस की वजह यह थी कि हिना खुले हाथों खर्च करने वालों में थी. अब अदनान को उस का खर्चा उठाना भारी पड़ने लगा था.

हिना अदनान से शादी के बाद भी हुक्का बार की नौकरी कर रही थी. अदनान को यह पसंद नहीं था. इस के अलावा हिना की आदतों को बदलने के लिए वह उसे कहीं भी आनेजाने से रोकने लगा. वह उसे एक अच्छी बीवी की तरह देखना चाहता था, पर हिना तो पूरी तरह बिगड़ चुकी थी. वह मनमानी कर रही थी, जबकि अदनान रोक रहा था. बस, दोनों में विवाद होने लगा, जिस से रिश्तों में खटास आने लगी.

आखिर एक दिन दोनों में काफी तकरार हो गई. परिणामस्वरूप दोनों अलग रहने लगे. पति से अलग होने के बाद हिना शराब भी पीने लगी. जल्दी ही उसे शराब की ऐसी लत लग गई कि वह शराब पीने के लिए दोस्तों के साथ कभी भी, कहीं भी जाने लगी. इस तरह दोस्तों के साथ रात बिताना उस के लिए आम बात हो गई.

हिना के जाने के बाद अदनान ने हिना को बताए बगैर दूसरी शादी कर ली. लेकिन इस तरह की बातें छिपी कहां रहती हैं, हिना को भी उस की शादी की जानकारी हो गई. चूंकि उस का हिना से तलाक नहीं हुआ था, इसलिए जानकारी होते ही उस ने अदनान के खिलाफ कोहना पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करा दी. शिकायत दर्ज कराने की जानकारी अदनान को हुई तो उस ने माफी मांग कर किसी तरह उसे मना लिया.

अदनान ने माफी मांग कर किसी तरह हिना को मना तो लिया था, लेकिन वह जानता था कि हिना इतनी आसानी से उस का पीछा छोड़ने वाली नहीं है. वह उस की दूसरी शादी को कभी स्वीकार नहीं करेगी. हुआ भी यही, हिना ने साफसाफ कह दिया कि वह उसी के साथ जीना और मरना चाहती है. अगर उस ने ऐसा नहीं किया तो वह उस का जीवन नरक बना देगी. हिना की इस धमकी से अदनान डर गया और परेशान रहने लगा.

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दूसरी शादी कर के अदनान ने अपनी परेशानी बढ़ा ली थी. हिना लगातार उस से पैसों की डिमांड करती रहती थी, नईनई जगह घुमाने को कहती थी.

दूसरी तरफ अदनान की पत्नी को भी शक होने लगा था. उसे लगता था कि हिना के अभी भी उस के पति से संबंध हैं. दूसरी बीवी को किसी कीमत पर अदनान खोना नहीं चाहता था. ऐसा ही उस की बीवी के साथ भी था. यही वजह थी कि अदनान हिना को रास्ते से हटाने के बारे में सोचने लगा.

काफी सोचविचार कर आखिर अदनान ने हिना को खत्म करने का निर्णय ले लिया. यह काम वह अकेला नहीं कर सकता था. इसलिए अपने दोस्तों खालिद और विक्की से बात की तो वे इस काम में उस का साथ देने को तैयार हो गए. फिर तीनों ने बैठ कर हिना को खत्म करने की योजना बना डाली. उसी  के तहत उस ने एक पिस्टल खरीदी.

योजना के मुताबिक, 4 जुलाई की शाम अदनान ने हिना को फोन किया और होटल में खाना खाने के लिए दरियाबाद बुलाया. उस के बुलाने पर हिना टैंपो से दरियाबाद पहुंच गई. घर से निकलते समय उस ने मां नीलिमा तलरेजा से कहा था कि वह दिल्ली जा रही है.

‘‘क्यों, दिल्ली क्यों जा रही है?’’ नीलिमा ने पूछा.

‘‘मम्मी, वहां थोड़ा काम है, मैं जल्दी ही आ जाऊंगी.’’

‘‘बेटी, तुम अपने काम के तरीके बदल लो, जमाना बहुत खराब है. देखो न, अखबारों में रोज तरहतरह की खबरें छपती रहती हैं. जिस तरह काम चल रहा है, चलने दो. हमें पैसे से ज्यादा तुम्हारी जरूरत है बेटी.’’ नीलिमा ने हिना को समझाते हुए कहा.

‘‘कहा न, मैं जल्दी ही लौट आऊंगी. मम्मी, आप बेकार ही परेशान हो रही हैं. 2-4 दिनों की ही तो बात है. अपना खयाल रखना. खानेपीने का भी ध्यान रखना.’’ हिना ने कहा.

‘‘वैसे भी तू मेरी कहां सुनने वाली है. कभी सुना है कि आज ही सुनेगी. हमेशा से अपनी मरजी की करती आई है और आज भी करेगी. तू भी अपने खानेपीने का खयाल रखना और जल्दी से जल्दी वापस आ जाना.’’ नीलिमा ने हिना को समझाया.

नीलिमा हिना को समझा ही रही थीं कि वह घर से निकल गई. वह दरियाबाद पहुंची तो चौराहे पर अदनान कार लिए खड़ा था. उस के साथ खालिद और विक्की भी थे. हिना के आते ही अदनान ने कहा, ‘‘आज मौसम बड़ा सुहाना है, इसलिए चलो किसी ढाबे पर खाना खाते हैं.’’

अदनान के मन में क्या है, हिना को क्या पता था. इसलिए वह उन के साथ जाने को तैयार हो गई. सभी कार में बैठ गए. कार खालिद चला रहा था. कार कानपुर जाने वाली रोड पर चल पड़ी. रास्ते में चारों ने बीयर पी. रात 10 बजे के करीब कौशांबी के मूरतगंज स्थित एक ढाबे पर सब ने खाना खाया. खाना खाने के बाद चारों फिर चल पड़े. कार में बैठेबैठे ही हिना ने 2 सेल्फी ली और उन्हें फेसबुक पर पोस्ट कर दी. हलके नशे में हिना काफी खुश थी.

खालिद ही अभी भी कार चला रहा था. विक्की उस की बगल वाली सीट पर बैठा था. हिना और अदनान पिछली सीट पर बैठे थे. ढाबे से कुछ दूर जाने के बाद अदनान की वासना जाग उठी. उस ने हिना से शारीरिक संबंध बनाने की बात की तो उस ने मना कर दिया. इस के बाद उस ने चलती गाड़ी में ही उस के साथ जबरदस्ती की. इस के बाद विक्की और खालिद ने भी बारीबारी से जबरदस्ती की.

उन लोगों की इस हरकत से हिना बुरी तरह बौखला उठी और जोरजोर से चीखनेचिल्लाने लगी. हिना के चिल्लाने से अदनान और उस के साथी डर गए. कोई बवाल हो, उस के पहले ही अदनान ने झट से पिस्टल निकाली और हिना के माथे पर बीचोबीच रख कर गोली चला दी. उसी एक गोली में हिना ढेर हो गई.

इस के बावजूद अदनान को डर था कि कहीं हिना बच न जाए. आश्वस्त होने के लिए उस ने उस के गोली वाले घाव में चाकू डाल कर घुमा दिया. इस के बाद उस के दोनों मोबाइल फोन और पर्स ले लिया, ताकि उस की शिनाख्त न हो सके. लाश को उन्होंने वहां से थोड़ी दूर स्थित पन्नोई गांव के पास सड़क के किनारे फेंक दिया और इलाहाबाद लौट आए.

अदनान ने खालिद और विक्की को उस रात अपने घर पर ही रोक लिया था. रात तीनों ने एक साथ सोए थे. अगले दिन से तीनों रोजाना अखबारों में देखने लगे कि हिना की पहचान हुई या नहीं?

13 जुलाई को अखबारों में छपा कि लाश की शिनाख्त हो गई है तो तीनों के हाथपांव फूल गए. 14 जुलाई को तीनों अपनाअपना घर छोड़ कर मुंबई भाग गए. लाश की शिनाख्त होने के बाद कौशांबी पुलिस इलाहाबाद के मीरापुर पहुंची तो हिना की जिंदगी की सच्चाई सामने आ गई.

खुलासा होने के बाद पुलिस ने अज्ञात की जगह अदनान खान, खालिद और विक्की को नामजद आरोपी बना दिया. अदनान के दोनों साथियों खालिद और विक्की को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस उन के ठिकानों पर छापा मारने लगी, लेकिन वे नहीं मिले. कथा लिखे जाने तक उन की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी.

अदनान खान को पुलिस ने अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया था. उस की वह कार भी पुलिस ने बरामद कर लिया था, जिस में हिना की हत्या हुई थी. अदनान ने जो किया, शायद उसे उस के गुनाहों की सजा मिल जाए, लेकिन हिना ने समाज की वर्जनाओं को तोड़ कर खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी. हर रात आंखों में नए सपने सजाने वाली बिंदास हिना ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उस की जिंदगी इस तरह छिन जाएगी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में दामिनी चावला परिवर्तित नाम है.

– साथ में राजीव वर्मा

खिलाड़ियों का खिलाड़ी : भ्रष्टाचार के खेल की पूरी कहानी

इसी साल जनवरी की बात है. देश की नामी कंपनी एसपीएमएल इंफ्रा लिमिटेड (पुराना नाम सुभाष प्रोजैक्ट्स ऐंड मार्केटिंग लिमिटेड) के गुड़गांव के सैक्टर-32 स्थित औफिस के लैंडलाइन पर फोन आया तो औपरेटर ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘‘गुड मौर्निंग एसपीएमएल.’’

दूसरी ओर से फोन करने वाले ने रौबीली आवाज में कहा, ‘‘मैं एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जयपुर से एसपी शंकरदत्त शर्मा बोल रहा हूं.’’

‘‘यस सर, बताइए, हमारी कंपनी आप की क्या सेवा कर सकती है?’’

‘‘आप की कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी अभी फरार हैं, इसलिए किसी जिम्मेदार आदमी से मेरी बात कराइए.’’ दूसरी ओर से उसी तरह रौबीली आवाज में कहा गया.

‘‘सर, सेठी साहब तो नहीं हैं, लेकिन उन के रिश्तेदार औफिस में आए हुए हैं. आप कहें तो उन से बात करा दूं?’’ औपरेटर ने फोन करने वाले से नम्रता से पूछा.

‘‘सेठी के रिश्तेदार का नाम क्या है?’’ फोन करने वाले ने पूछा.

‘‘सर, उन का नाम सनी पांड्या है. आप कहें तो मैं आप की उन से बात करा दूं.’’ औपरेटर ने कहा.

‘‘ठीक है, आप मिस्टर सनी पांड्या से मेरी बात कराइए.’’ फोन करने वाले ने कहा.

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औपरेटर ने इंटरकौम द्वारा सनी पांड्या को बता कर लाइन दे दी कि जयपुर से एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा उन से बात करना चाहते हैं. लाइन कनेक्ट होते ही फोन करने वाले ने पुलिसिया अंदाज में कहा, ‘‘पांड्या साहब, आप ऋषभ सेठी के रिश्तेदार हैं, इसलिए आप को तो पूरे मामले का पता ही होगा?’’

‘‘साहब, मुझे ज्यादा तो पता नहीं है कि क्या मामला है. सिर्फ इतना पता है कि जयपुर एंटी करप्शन ब्यूरो कुछ जांच कर रही है.’’ सनी पांड्या ने कारोबारी अंदाज में कहा.

‘‘पांड्या साहब, ऐसा कैसे हो सकता है कि आप को मामले की जानकारी न हो. आप से कुछ बात करनी है. आप अपना मोबाइल नंबर बताइए.’’ दूसरी ओर से कहा गया.

‘‘साहब, मेरा मोबाइल नंबर आप नोट कर लीजिए,’’ पांड्या ने अपना मोबाइल नंबर बताते हुए कहा, ‘‘लेकिन मेरा इस मामले में किसी तरह का कोई लेनादेना नहीं है.’’

‘‘वह तो मुझे पता है कि आप का इस मामले में कोई लेनादेना नहीं है,’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘मैं आप के रिश्तेदार के भले की बात करने वाला हूं. खैर, मैं आप को बाद में फोन करता हूं.’’

इतना कह कर फोन काट दिया गया. फोन कटने के बाद पांड्या साहब सोचने लगे कि एसीबी के एसपी साहब ने फोन क्यों किया? कुछ देर तक वह इसी विषय पर सोचते रहे. उन्हें पता था कि एसपीएमएल इंफ्रा कंपनी राजस्थान के जलदाय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रिश्वत दे कर काम कराने के आरोप में फंसी हुई है.

अभी पांड्या इसी मसले पर विचार कर रहे थे कि उन के मोबाइल पर फोन आया. उन्होंने फोन रिसीव किया तो फोन करने वाले ने कहा, ‘‘पांड्या साहब, मैं जयपुर से एसीबी का एसपी शंकरदत्त शर्मा बोल रहा हूं. उस समय एक जरूरी फोन आ गया था, इसलिए बात नहीं हो सकी थी.’’

‘‘जी बताइए, कैसे याद किया?’’ पांड्या ने पूछा.

‘‘एसपीएमएल कंपनी का जो मामला एसीबी में चल रहा है, उस की जांच मैं ही कर रहा हूं,’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘मैं इस मामले को रफादफा कर सकता हूं. रिश्वत देने के प्रकरण से ऋषभ सेठी और कंपनी के अन्य डाइरेक्टरों के नाम भी इस मामले से निकाल दूंगा.’’

‘‘सर, इस के लिए हमें क्या करना होगा?’’ पांड्या ने पूछा.

‘‘इस के लिए आप को 10 करोड़ रुपए देने होंगे.’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘सर, यह रकम तो बहुत ज्यादा है.’’ पांड्या ने कहा.

‘‘आप के रिश्तेदार सेठीजी करोड़ों रुपए के बिल पास कराने के लिए इंजीनियरों को लाखोंकरोड़ों रुपए की घूस दे देते हैं. फिर आप को 10 करोड़ रुपए ज्यादा कैसे लग रहे हैं?’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘सर, ऐसी बात नहीं है,’’ पांड्या ने सफाई देते हुए कहा, ‘‘इतनी बड़ी रकम हम नहीं दे सकेंगे.’’

‘‘ठीक है, आप को एक दिन की मोहलत देता हूं. आप ऋषभ सेठी से बात कर लें,’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘मैं आप को कल फिर फोन करूंगा. तब बता देना कि क्या विचार है.’’

इस के बाद फोन कट गया. पांड्या फिर सोच में डूब गए. उन्हें बड़ा अजीब लग रहा था कि एसपी स्तर का एक आईपीएस अधिकारी खुद फोन कर के उन से मामला रफादफा करने के लिए 10 करोड़ रुपए घूस मांग रहा था. जिस नंबर से पांड्या के मोबाइल पर फोन आया था, उस नंबर के बारे में उन्होंने पता कराया.

अरबों रुपए के टर्नओवर वाली एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों के लिए किसी फोन नंबर के बारे में पता कराना चुटकी बजाने जैसा काम था. कुछ ही देर में उन्हें पता चल गया कि एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा के मोबाइल नंबर से ही उन के मोबाइल पर फोन आया था.

अब शक करने जैसी कोई बात नहीं थी. उन्होंने कंपनी के अधिकारियों से बात की. उस के बाद तय किया गया कि अगर एसपी साहब मामला रफादफा करने की बात कह रहे हैं तो उन से बात आगे बढ़ाई जाए.

अगले दिन सनी पांड्या को एसपी साहब के फोन का इंतजार था. जैसे ही एसपी शंकरदत्त शर्मा का फोन आया, उन्होंने तुरंत फोन रिसीव कर लिया तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘पांड्या साहब कैसे हैं? मैं एसपी शंकरदत्त शर्मा बोल रहा हूं.’’

‘‘मैं तो ठीक हूं साहब,’’ पांड्या ने कहा, ‘‘मैं ने कंपनी के अधिकारियों से बात की है. अगर आप मामला रफादफा करते हैं तो वे ज्यादा से ज्यादा 2 करोड़ रुपए दे सकते हैं.’’

‘‘पांड्या, शायद तुम्हारी कंपनी के अधिकारियों को पुलिस की ताकत का अहसास नहीं है. अभी तो कंपनी के 2 ही एजीएम गिरफ्तार हुए हैं. जल्दी ही ऋषभ सेठी और केशव गुप्ता भी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे. उस के बाद तुम्हें पता चलेगा कि हम लोग क्या चीज हैं.’’ फोन करने वाले ने धमकाते हुए कहा.

‘‘साहब, बाद का किस ने देखा है. जो होना है, होता रहेगा. लेकिन फिलहाल हम 2 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं दे सकेंगे.’’ पांड्या ने कहा.

‘‘पांड्या, काम करने के तो मैं 10 करोड़ रुपए ही लूंगा, बाकी तुम्हारी मरजी है.’’ दूसरी ओर से फोन करने वाले ने दोटूक लहजे में कहा.

‘‘साहब, हमारी हैसियत इतनी ही है.’’ पांड्या ने विनती करते हुए कहा.

‘‘ठीक है, जैसी तुम्हारी इच्छा.’’ कह कर दूसरी ओर से फोन काट दिया गया.

इस बारे में क्या हुआ, यह जानने से पहले हम थोड़ा आगे की कहानी जान लें, जिस के लिए हमें करीब एक साल पीछे जाना होगा. आइए जानें कि शंकरदत्त शर्मा किस मामले की बात कर रहे थे.

एसीबी ने जयपुर में राजस्थान के जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर आर.के. मीणा को 10 लाख रुपए और एडिशनल चीफ इंजीनियर सुबोध जैन को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में 19 जुलाई, 2016 को गिरफ्तार किया था. आरोप था कि यह रिश्वत एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों ने इन दोनों इंजीनियरों को दी थी.

एसीबी ने उसी दिन दोनों आरोपी इंजीनियरों के जयपुर स्थित आवासों की तलाशी ली तो चीफ इंजीनियर आर.के. मीणा के घर से एसीबी को 12.41 लाख रुपए नकद और प्रौपर्टी के कागजात मिले थे. एडिशनल चीफ इंजीनियर सुबोध जैन के आवास से 9 लाख रुपए नकद, प्रौपर्टी के दस्तावेज एवं ढाई लाख रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी मिली थी. दोनों के एकएक बैंक लौकर भी मिले थे.

सुबोध जैन राजस्थान की पिछली कांग्रेस सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रमोद जैन भाया के ओएसडी (औफिसर औन स्पैशल ड्यूटी) भी रहे थे. वह सरकार की ओर से विभिन्न मामलों की स्टडी के लिए जापान सहित कई देशों की यात्रा कर चुके थे.

जलदाय विभाग की ओर से जैन को आईएएस कैडर देने का प्रस्ताव भेजा गया था. अगर वह गिरफ्तार न होते तो बेटे को वकालत की मास्टर डिग्री की पढ़ाई के लिए एडमिशन दिलाने 22 जुलाई, 2016 को सिंगापुर जाने वाले थे. रिश्वत की रकम वह सिरहाने रख कर सोते थे. एसीबी की काररवाई के दौरान वह बैड पर मुंह ढक कर पड़े थे.

दोनों इंजीनियरों के पकड़े जाने से एक दिन पहले चंबल नादौती वाटर सप्लाई योजना सवाई माधोपुर के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर उदयभानु माहेश्वरी ने इसी कंपनी के अधिकारियों से 15 लाख रुपए की रिश्वत ली थी. उस समय वह एसीबी की पकड़ में नहीं आए थे. हालांकि कुछ दिनों बाद उन्होंने एसीबी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. एसीबी ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया था.

इस मामले में एसीबी ने जलदाय विभाग के 3 इंजीनियरों आर.के. मीणा, सुबोध जैन और उदयभानु माहेश्वरी के अलावा एसपीएमएल कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी और वाइस प्रेसीडेंट केशव गुप्ता सहित 4 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इन में केशव गुप्ता कंपनी का राजस्थान का काम संभालते थे.

सब से पहले 2 इंजीनियरों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद पूछताछ में ऋषभ सेठी का नाम सामने आने पर उच्चाधिकारियों ने अलवर से एसीबी की टीम को ऋषभ सेठी को गिरफ्तार करने के लिए गुड़गांव भेज दिया था. अलवर की एसीबी टीम गुड़गांव के थाना सुशांतलोक पुलिस को साथ ले कर एसपीएमएल कंपनी के औफिस पहुंची, लेकिन तब तक सेठी फरार हो चुके थे.

एसीबी की जांच में सामने आया कि एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को अपने करोड़ों रुपए के बिल पास करवाने, वर्क और्डर जारी करवाने एवं कंपनी के प्रोजैक्ट्स में सहयोग करने के लिए रिश्वत दी थी. रिश्वत की यह राशि एसपीएमएल कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट केशव गुप्ता के कहने पर कंपनी के सहायक महाप्रबंधक प्रफुल्ल मोरेश्वर ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को दी थी.

यह बात भी सामने आई थी कि जलदाय विभाग के कुछ अधिकारी प्रोजैक्ट हासिल करने वाली कंपनियों एवं फर्मों से 15 फीसदी तक कमीशन के रूप में लेते थे. एसपीएमएल कंपनी को भरतपुर में पाइपलाइन बिछाने एवं मेंटीनेंस का 250 करोड़ रुपए का टेंडर मिलने वाला था. इस के अलावा राजस्थान के अन्य जिलों में एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजैक्ट मिलने वाले थे.

इस हिसाब से रिश्वत की राशि करोड़ों रुपए में होती है. प्रोजैक्ट हासिल करने के लिए कंपनी के प्रतिनिधियों की जलदाय विभाग के कई अधिकारियों से बातचीत चल रही थी. कंपनी तथा जलदाय विभाग के अधिकारियों के फोन एसीबी ने सर्विलांस पर लगा रखे थे. इसी से रिश्वत के इस खेल का खुलासा हुआ था. एसीबी ने रिश्वत देने के आरोप में एसपीएमएल कंपनी के सहायक महाप्रबंधक प्रफुल्ल मोरेश्वर को 19 जुलाई, 2016 को गिरफ्तार कर लिया था.

एसपीएमएल कंपनी बौंबे स्टौक एक्सचेंज व एनएसई में सूचीबद्ध है. कंपनी ने दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में जलदाय, सीवरेज सहित इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई बड़े प्रोजैक्ट हासिल कर रखे थे. राजस्थान में इस कंपनी के हजारों करोड़ रुपए के नएपुराने प्रोजैक्ट चल रहे थे. रिश्वत मामले में नाम आने से इस कंपनी के शेयर के भाव तुरंत गिर गए थे.

कंपनी ने मार्च, 2016 में समाप्त वित्त वर्ष में 1407 करोड़ रुपए की कुल संचालन आय अर्जित की थी. कंपनी ने सन 2016 में ही टाटा प्रोजैक्ट्स के साथ मिल कर राजस्थान अरबन ड्रिंकिंग वाटर, सीवरेज ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेशन से प्रदेश के 11 शहरों में सीवरेज सिस्टम के निर्माण और ट्रीटेड वेस्ट वाटर से जुड़े 1275 करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट हासिल किए थे.

बाद में एसीबी ने इस मामले में एसपीएमएल कंपनी के जयपुर औफिस में काम करने वाले सहायक महाप्रबंधक आकाशदीप तोतला को नवंबर, 2016 के पहले सप्ताह में गिरफ्तार कर लिया था. इस रिश्वत प्रकरण में नामजद किए गए मुख्य सूत्रधार एसपीएमएल कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी एवं वाइस प्रेसीडेंट केशव गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए एसीबी ने कई बार गुड़गांव सहित अन्य जगहों पर छापे मारे, लेकिन वे पकड़ में नहीं आए.

बाद में एसीबी ने अदालत से सेठी और गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए वारंट हासिल कर लिए थे. कंपनी के ये दोनों अधिकारी फरार थे. यह उसी बीच की बात है, जब शंकरदत्त शर्मा के नाम से सनी पांड्या के पास फोन आया था. पांड्या ने एसपीएमएल कंपनी के अधिकारियों के जरिए पता कराया कि क्या एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा इस तरह फोन कर के 10 करोड़ रुपए मांग सकते हैं?

कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि एसपी शंकरदत्त शर्मा ईमानदार अधिकारी हैं. वह इस तरह की हरकत कतई नहीं कर सकते. अगर लेनदेन से काम बनता तो उन के 2 अफसरों को गिरफ्तार न किया जाता और न ही कंपनी के डाइरेक्टर और वाइस प्रेसीडेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती.

काफी सोचविचार कर एक दिन बाद सनी पांड्या ने सीबीआई में इस की शिकायत कर दी और वह रिकौर्डिंग भी सौंप दी, जो उन्होंने 10 करोड़ रुपए मांगने वाले से बात की थी. सीबीआई ने पांड्या की ओर से सौंपी गई रिकौर्डिंग को सुन कर जांच शुरू कर दी, क्योंकि उसे यह मामला संदिग्ध लग रहा था. शुरुआती जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले की जानकारी राजस्थान के एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी के पुलिस महानिदेशक को दे दी.

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पेचीदा एवं तकनीकी मामला होने की वजह से एसीबी के आईजी सचिन मित्तल ने इस मामले की जांच शुरू कर दी. एसपी शंकरदत्त शर्मा के मोबाइल नंबर एवं एसीबी मुख्यालय के लैंडलाइन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो साफ हो गया कि एसपी शंकरदत्त शर्मा के नाम से किसी अन्य आदमी ने फरजी तरीके से फोन कर के 10 करोड़ रुपए मांगे थे.

सवाल यह था कि जब एसपी शंकरदत्त शर्मा ने ऋषभ सेठी के रिश्तेदार सनी पांड्या को फोन नहीं किया था तो उन के मोबाइल पर शंकरदत्त शर्मा का नंबर डिसप्ले कैसे हो रहा था?

इस मामले में एसीबी के अधिकारियों ने टेलीकौम के तकनीकी विशेषज्ञों से जानकारी मांगी तो पता चला कि आजकल विदेशी सौफ्टवेयर के जरिए स्पूफिंग काल किए जा सकते हैं. स्पूफिंग काल गेटवे के जरिए होती है. इसे वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल (वीओआईपी) काल भी कहते हैं.

दरअसल, कई विदेशी कंपनियां ऐसा सौफ्टवेयर तैयार कर के उन के सर्वर बेचती हैं, जिन के जरिए कोई भी अपने मोबाइल से फोन कर सकता है, लेकिन फोन रिसीव करने वाले के पास नंबर वह डिसप्ले होगा, जो इस सौफ्टवेयर का उपयोग करने वाला चाहेगा. अगर किसी का मोबाइल स्विच औफ है तो भी उस के नंबर से इस सौफ्टवेयर द्वारा फोन किया जा सकता है.

इस का टेलीकौम कंपनियों के पास कोई रिकौर्ड नहीं होता. केवल सौफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों के सहयोग से ही जिस नंबर व मोबाइल फोन से फोन किया गया था, उस का आईपी एड्रैस पता किया जा सकता है. सरकारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी यह काम बहुत आसान नहीं है.

भारत में स्पूफिंग काल के कोई 2-4 मामले ही अब तक सामने आए हैं. राजस्थान में इस तरह का यह पहला मामला था. जांच में पता चला कि फोन हांगकांग की एक गेटवे सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के जरिए किए गए थे. वे फोन दुनिया के 9 देशों के गेटवे सर्विस प्रोवाइडरों के जरिए रूट की गई थीं.

एसीबी के अधिकारियों ने अमेरिका, यूके, दक्षिणी अफ्रीका और चीन सहित 9 देशों की कंपनियों का सहयोग लिया. इस में कई महीने लग गए.

लंबी जांच के बाद एसीबी को उस मोबाइल नंबर का आईपी एड्रैस मिल गया. यह एयरटेल का सिम था, जो श्रीगंगानगर के साहिल राजपाल के नाम आवंटित था. इस के बाद एसीबी ने साहिल के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया.

इस बीच एसीबी को जलदाय विभाग सहित दूसरे विभागों के अधिकारियों से भी कई और शिकायतें मिलीं. इन शिकायतों में भी बताया गया था कि एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा या किसी अन्य अधिकारी के नाम से उन्हें फोन कर के उन से रिश्वत की मांग की जा रही है.

इन शिकायतों के साथ एसीबी को 5 मोबाइल काल रिकौर्डिंग भी मिली, जिन में फोन करने वाले ने रिश्वत मांगी थी. जलदाय विभाग के एक इंजीनियर सी.एल. जाटव से एसीबी के एसपी शंकरदत्तर शर्मा के नाम से फोन कर के डेढ़ लाख रुपए ले भी लिए गए थे.

उन्होंने एसीबी के अधिकारियों को बताया कि एसपी शंकरदत्त शर्मा के मोबाइल नंबर एवं एसीबी के लैंडलाइनों से किसी ने उन के मोबाइल पर फोन कर के खुद को एसपी शंकरदत्त शर्मा बता कर जलदाय विभाग के घूसकांड से नाम निकालने के लिए 10 लाख रुपए मांगे थे. जाटव ने डेढ़ लाख रुपए दे भी दिए थे. इस के बाद भी बारबार पैसों के लिए एसीबी के नंबरों से फोन आ रहे थे.

एसीबी के अधिकारियों ने उन के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में शंकरदत्त शर्मा और एसीबी औफिस के लैंडलाइन नंबर मिल गए, लेकिन शंकरदत्त शर्मा की काल डिटेल्स में सी.एल. जाटव के नंबर नहीं मिले. यह भी कड़वा सच था कि उन का नाम जलदाय घोटाले में था ही नहीं, लेकिन साहिल के एसीबी का एसपी बन कर कई बार धमकाने से वह डर गए थे और डेढ़ लाख रुपए एसपी साहब के नाम पर दे भी दिए थे.

व्यापक जांच के बाद श्रीगंगानगर के साहिल राजपाल का नाम सामने आया तो एसीबी ने उस के बारे में पता किया. पता चला कि वह राजस्थान के पूर्वमंत्री और आजकल भाजपा के वरिष्ठ नेता राधेश्याम गंगानगर का पोता है.

साहिल के राजनीतिक परिवार से जुड़ा होने की जानकारी एसीबी के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों को दे दी.

वहां से हरी झंडी मिलने के बाद एसीबी ने 9 अगस्त, 2017 को जयपुर के जालूपुरा स्थित एक विधायक के सरकारी आवास से साहिल राजपाल को गिरफ्तार कर लिया. साहिल पूर्वमंत्री राधेश्याम गंगानगर के दूसरे बेटे वीरेंद्र राजपाल का बेटा था. वह इंग्लिश औनर्स से ग्रैजुएट था. एसीबी ने साहिल के खिलाफ 25 पेज की एफआईआर दर्ज की थी. इस एफआईआर के साथ फरवरी, 2017 से अब तक जुटाए गए दस्तावेजों के करीब 200 पेज लग चुके हैं.

पूछताछ में साहिल ने एसीबी के अधिकारियों को बताया कि उस ने जनवरी, 2017 से जुलाई तक विभिन्न सरकारी विभाग के अफसरों को विदेशी सौफ्टवेयर के जरिए एसीबी के लैंडलाइन एवं एसीबी अफसरों के मोबाइल नंबरों से न जाने कितने फोन किए हैं. वह अपने या किसी दूसरे के मोबाइल फोन से अफसरों को फोन करता था, लेकिन रिसीव करने वाले के मोबाइल पर एसीबी के नंबर डिसप्ले होते थे.

5 दिनों के रिमांड के दौरान पूछताछ में साहिल ने एसीबी को बताया कि उस ने जलदाय विभाग के एडिशनल चीफ इंजीनियर, 2 सुपरिंटेंडेंट इंजीनियरों और करीब 10 अन्य इंजीनियरों तथा रसद विभाग के अधिकारियों से एसीबी के एसपी के नाम से करीब 20 करोड़ रुपए मांगे थे.

वह एसपी शंकरदत्त शर्मा बन कर अधिकारी से पैसे मांगता था और उन का ड्राइवर बन कर पैसे लेने जाता था. उस ने एसीबी के अधिकारियों और जलदाय विभाग के इंजीनियरों के फोन नंबर विभागीय वेबसाइट से हासिल किए थे. स्पूफिंग काल के लिए उस ने एसटीडी बूथ से आईएसडी काल भी किए थे. उस ने कई बार एसटीडी बूथों से चंडीगढ़, गुड़गांव और दिल्ली फोन कर के अधिकारियों के नंबर लिए थे. एसीबी ने इन बूथों की भी जांच की है. चेन्नै से भी स्पूफिंग काल करने का पता चला है.

साहिल किसी भी अधिकारी को स्पूफिंग काल करने से पहले डायरी में लिख कर उस का अभ्यास करता था, ताकि पुलिसिया लहजे से बातचीत करने में कोई गलती न हो. एसीबी को उस के आवास से ऐसी 2 डायरियां मिली हैं, जिन में एसीबी के एसपी शंकरदत्त शर्मा के नाम से शुरुआत कर के कई बातें लिखी गई हैं.

डायरियों में कई नाम मिले हैं, जिन से अंदाजा लगाया जा रहा है कि साहिल ने उन्हें स्पूफिंग काल कर के पैसों की मांग की होगी. पुलिस ऐसे पीडि़तों का पता लगाने का प्रयास कर रही है. हालांकि एसीबी के पास अभी कुछ ही शिकायतें आई हैं. ज्यादातर पीडि़त अभी सामने नहीं आए हैं.

एसीबी को जालूपुरा स्थित विधायक के आवास की तलाशी में शराब की 34 बोतलें मिली थीं, जिन में विदेशी शराब भी थी. एसीबी की सूचना पर थाना जालूपुरा पुलिस ने शराब की उन बोतलों को जब्त कर लिया था और साहिल के खिलाफ अवैध रूप से शराब रखने का मामला दर्ज किया था. यह सरकारी आवास विधायक मोहनलाल गुप्ता के नाम से आवंटित था. इस में विधायक गुप्ता नहीं रहते थे. वहां साहिल रुका हुआ था.

पूछताछ में पता चला है कि साहिल राजपाल का श्रीगंगानगर में प्रौपर्टी का कारोबार था. प्रौपर्टी में मंदी के कारण उसे लाखों रुपए का घाटा हो गया था. घाटा पूरा करने के लिए उस ने जयपुर जा कर दिमाग लगाना शुरू किया. उस बीच मीडिया में जलदाय विभाग की रिश्वतखोरी की खबरें सुर्खियों में थीं.

साहिल हौलीवुड फिल्में खूब देखता था. इन्हीं फिल्मों से उसे आइडिया आया कि उन लोगों को ब्लैकमेल किया जा सकता है, जो भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हैं. ऐसे लोग जांच एजेंसियों के शिकंजे से निकलने के लिए मोटी रकम देने को जल्दी तैयार हो जाते हैं.

इस के लिए साहिल ने एसीबी के एसपी व अन्य अफसरों के नाम का उपयोग किया. राजनीतिक परिवार से जुड़ा होने की वजह से साहिल की श्रीगंगानगर में पुलिस अधिकारियों से भी अच्छी सांठगांठ थी. वह पैसे ले कर पुलिसकर्मियों व दूसरे विभागों के कर्मचारियों के तबादले कराता था. हालांकि लोग तबादलों के लिए राधेश्याम गंगानगर के पास आते थे.

राज्य में भाजपा की सरकार होने और भाजपा का वरिष्ठ नेता होने की वजह से लोग अधिकारियों पर उन का प्रभाव होने की बात मान कर तबादलों के लिए निवेदन करते थे.

वहीं साहिल के ताया रमेश राजपाल भाजपा के जिला उपाध्यक्ष हैं. इस कारण भी लोग मानते थे कि इस परिवार का अधिकारियों पर रुतबा है. तबादले के लिए दादा और ताया के पास आने वाले लोगों को मौका मिलने पर साहिल अपना शिकार बनाता था.

5 दिनों का रिमांड पूरा होने के बाद 14 अगस्त को एसीबी ने साहिल को अदालत में पेश कर 7 दिनों का रिमांड और लिया. एसीबी उस की एक साल की मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर चैक कर रही है. इस के अलावा बैंक से उस के खातों की भी डिटेल मांगी गई है. एसीबी उस के साथियों के बारे में भी पता कर रही है.

विधि विज्ञान प्रयोगशाला से जांच कराने के लिए उस की आवाज के नमूने लिए गए हैं. एसीबी ने जलदाय विभाग के इंजीनियर सी.एल. जाटव और एसपीएमएल कंपनी के डाइरेक्टर ऋषभ सेठी के रिश्तेदार सनी पांड्या के बयान दर्ज किए हैं.

दोनों ने एसीबी को वह रिकौर्डिंग भी सौंप दी थी, जो उन्होंने फोन पर एसपी के नाम से रकम मांगने के दौरान बातचीत की तैयार की थी.

इन रिकौर्डिंग की आवाज से साहिल की आवाज का मिलान किया जाएगा. एसीबी ने इन रिकौर्डिंग की ट्रांस्क्रिप्ट तैयार की है. पूर्वमंत्री राधेश्याम गंगानगर का कहना है कि उन का पोता ऐसा नहीं कर सकता. उन के परिवार को न्याय मिलेगा. न्याय प्रणाली पर उन्हें पूरा भरोसा है.

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साहिल का कहना है कि इस मामले में उसे फंसाया गया है. सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि साहिल की गिरफ्तारी का असर राधेश्याम गंगानगर के राजनीतिक कैरियर पर भी पड़ सकता है.

साहिल के ताया रमेश राजपाल भाजपा जिला उपाध्यक्ष होने की वजह से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे थे. साहिल के पिता वीरेंद्र राजपाल गंगानगर क्लब के अध्यक्ष रहे हैं.

भारतपाक विभाजन के समय पाकिस्तान से आ कर श्रीगंगानगर में बसे राधेश्याम यहां की राजनीति की धुरी रहे हैं. कांग्रेस से 3 बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री रहे राधेश्याम ने सन 2008 में टिकट कटने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था. वह चाहे सत्ता में रहे हों या न रहे हों, उन के परिवार का विवादों से पुराना नाता रहा है.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए भाजपा से जवाब मांगा है. जयपुर की पूर्व महापौर और प्रदेश कांग्रेस महासचिव ज्योति खंडेलवाल ने जयपुर के किशनपोल के विधायक मोहनलाल गुप्ता की भूमिका को भी संदिग्ध बताते हुए मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है.

– कथा एसीबी सूत्रों एवं अन्य रिपोर्ट्स पर आधारित

100 करोड़ की फिरौती का फंडा आपको हैरान कर देगा

22 जुलाई, 2017 की शाम को फिरोजाबाद के राजातालाब आर्किड ग्रीन के रहने वाले संजीव गुप्ता की पत्नी सारिका गुप्ता 2-3 लोगों के साथ टुंडला कोतवाली पहुंची तो कोतवाली प्रभारी अरुण कुमार सिंह हैरान ही नहीं हुए, बल्कि उन्हें किसी अनहोनी की आशंका भी हुई. क्योंकि वह सारिका गुप्ता को अच्छी तरह जानतेपहचानते थे. उस के पति संजीव गुप्ता शहर के जानेमाने व्यवसायी थे.

सारिका गुप्ता सीधे अरुण कुमार सिंह के पास पहुंची थी. उन्होंने उसे सामने पड़ी कुरसी पर बैठने के लिए कह कर आने की वजह पूछी तो उस ने जो बताया, सुन कर वह दंग ही नहीं रह गए, बल्कि परेशान भी हो उठे. उस ने बताया था कि साढ़े 5 बजे के करीब उस के पति संजीव गुप्ता अपने होटल सागर रत्ना से अपनी मीटिंग खत्म कर के सीधे घर आने वाले थे.

लेकिन अब तक वह न घर पहुंचे हैं और न ही उन का फोन मिल रहा है. जब भी उन्हें फोन किया जाता है, फोन बंद बताता है. इतना सब बता कर उस ने आशंका भी व्यक्त की कि कहीं उन का अपहरण तो नहीं हो गया है.

बहरहाल, अरुण कुमार सिंह ने सारिका से तहरीर ले कर उसे आश्वासन दिया कि पुलिस जल्दी ही उस के पति को ढूंढ निकालेगी. जबकि वह जानते थे कि यह काम इतना आसान नहीं है.

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संजीव गुप्ता शहर का जानामाना नाम था. फिरोजाबाद शहर के राजातालाब इलाके की आर्किड ग्रीन में उस की शानदार कोठी थी, जहां कई महंगी कारें खड़ी रहती थीं. शहर के होटल सागर रत्ना में ही नहीं, कई स्कूलों में भी उस की हिस्सेदारी थी. इस के अलावा वह ब्याज पर पैसा उठाने के साथसाथ करोड़ों की कमेटी और सोसायटी चलाता था, जिस में शहर के ही नहीं, आसपास के शहरों के भी बड़ेबड़े लोग शेयर डालते थे.

ऐसे आदमी का गायब होना पुलिस के लिए परेशानी ही थी. पैसे वाला आदमी था, उस का अपहरण भी हो सकता था, इसलिए अरुण कुमार सिंह ने तुरंत इस बात की सूचना पुलिस अधिकारियों को दे दी. अपहरण की आशंका को ध्यान में रख कर तुरंत शहर की नाकाबंदी कराते हुए शहर भर की पुलिस को सतर्क कर दिया गया.

रात भर पुलिस अपने हिसाब से संजीव गुप्ता की तलाश करती रही, लेकिन कुछ पता नहीं कर पाई. अगले दिन यानी 23 जुलाई को सारिका गुप्ता एक बार फिर कोतवाली पहुंची और शक के आधार पर नीता पांडेय, उस के पति प्रदीप पांडेय और अमित गुप्ता तथा कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ अपराध क्रमांक 641/2017 पर भादंवि की धारा 364ए, 506, 120बी के तहत नामजद मुकदमा दर्ज करा दिया.

उन्होंने पुलिस को अपने मोबाइल में 2 मैसेज भी दिखाए, जो उन के पति के ही फोन से आए थे. उन संदेशों में उन से संजीव गुप्ता की रिहाई के लिए सौ करोड़ की फिरौती मांगी गई थी. फिरौती न देने पर संजीव गुप्ता को मौत के घाट उतारने की धमकी दी गई थी.

यह मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने संजीव गुप्ता के दोनों मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगवा दिए, साथ ही सुरक्षा की गरज से संजीव की कोठी पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया. एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने पुलिस की कई टीमें बना कर संजीव की तलाश में लगा दिया. इस के साथ एसटीएफ की भी एक टीम बना कर इस मामले में लगा दी गई थी.

पुलिस ने संजीव के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर अलीगढ़, दिल्ली, नोएडा, चंडीगढ़, जम्मूकश्मीर तक उस की खोज की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. उस के मोबाइल का स्विच औफ रहता था, बस थोड़ी देर के लिए औन होता था. उसी के हिसाब से जो लोकेशन मिलती थी, पुलिस वहां पहुंच जाती थी.

24 जुलाई को सारिका के मोबाइल पर एक बार फिर संदेश आया कि कोठी पर पुलिस क्यों तैनात है, पुलिस को वहां से हटवाओ. सारिका ने यह संदेश पुलिस अधिकारियों को दिखाया तो कुछ पुलिस वालों को वहां से हटा दिया गया, लेकिन पूरी तरह से पुलिस नहीं हटाई गई.

संजीव गुप्ता को गायब हुए 3 दिन हो चुके थे. यह घटना शहर में चर्चा का विषय बनी हुई थी. ज्यादातर लोगों का कहना था कि संजीव का अपहरण नहीं हुआ, बल्कि वह खुद ही कहीं छिपा बैठा है. दूसरी ओर संजीव की पत्नी और भांजे विप्लव गुप्ता ने संजीव के अपहरण का आरोप नीता पांडेय पर लगाया ही नहीं था, बल्कि शक के आधार पर मुकदमा भी दर्ज करा दिया था.

नीता का पति प्रदीप पांडेय समाज कल्याण विभाग में वरिष्ठ लिपिक था. भाजपा का जिला संगठन ब्राह्मण समाज ही नहीं, सरकारी कर्मचारी भी प्रदीप पांडेय और नीता पांडेय के साथ थे. इसलिए पुलिस नीता पांडेय, उस के पति प्रदीप पांडेय और अनिल गुप्ता के खिलाफ कोई काररवाई नहीं कर पा रही थी.

पुलिस द्वारा की गई जांच के अनुसार, नीता पांडेय का आरओ और बोतलबंद पानी का व्यवसाय था. उन्होंने सन 2015 में संजीव गुप्ता से 15 लाख रुपए ब्याज पर लिए थे, जिस का ब्याज पहले ही काट कर संजीव ने उसे 10 लाख 80 हजार रुपए दिए थे. इस के बाद जबरदस्ती उस से 25 लाख रुपए की कमेटी डलवाई थी. बाद में ब्याज जोड़ कर वह उस से 60 लाख रुपए मांगने लगा था.

नीता ने इतना रुपया देने से मना किया तो संजीव जबरदस्ती वसूल करने की कोशिश करने लगा. मजबूर हो कर नीता ने 1 जुलाई, 2017 को भादंवि की धारा 406, 452, 504, 506 एवं 6 के तहत संजीव, दीपक और विप्लव गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था. जबकि दोनों के बीच झगड़ा अप्रैल से ही चल रहा था.

यह मामला सुर्खियों में तब आया, जब नीता पांडेय ने जिलाधिकारी से संजीव गुप्ता द्वारा धमकी देने की शिकायत के साथ ब्याज पर पैसे उठाने की शिकायत कर दी थी. जिलाधिकारी ने एसपी (सिटी) और एसडीएम को इस मामले को सुलझाने का आदेश दिया था. लेकिन बुलाने पर भी संजीव समझौते के लिए नहीं आया.

धीरेधीरे नीता पांडेय और संजीव गुप्ता का विवाद इतना बढ़ गया कि यह प्रदेश के डीजीपी और मुख्यमंत्री तक पहुंच गया. ऐसे में कुछ और लोग नीता के साथ आ गए थे, जिन्हें कमेटी का अपना पैसा डूबता नजर आ रहा था. संजीव गुप्ता शहर का बड़ा आदमी ही नहीं, रसूख वाला भी था. उस के सामने हर किसी के आने की हिम्मत नहीं थी.

सपा सरकार के समय उस का अलग ही रुतबा था. लेकिन सत्ता बदलते ही उस का रुतबा जाता रहा. उस की कमेटी और सोसायटी का व्यवसाय शहर ही नहीं, अन्य शहरों तक फैला था, जिस की वजह से लगभग रोज ही होटल में पार्टियां होती रहती थीं, जिस में बड़ेबड़े लोग शामिल होते थे.

इसी संजीव गुप्ता की वापसी के लिए 100 करोड़ की फिरौती मांगी जा रही थी. यह हैरान करने वाली बात थी. पुलिस को भी इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था. 22 जुलाई की शाम को संजीव गायब हुआ था और 23 जुलाई की रात एक बज कर 40 मिनट पर 100 करोड़ की फिरौती का संदेश उस की पत्नी के फोन पर वाट्सऐप द्वारा आ गया था. यह भी संदेह पैदा करने वाली बात थी.

100 करोड़ की फिरौती की वजह से ही यह मामला राजधानी लखनऊ तक पहुंच गया था. विधान परिषद में भी मामला उठाया गया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सख्त आदेश था कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए, इसीलिए इस मामले को सुलझाने में पुलिस जीजान से जुटी थी.

इसी का नतीजा था कि पुलिस को अपने सूत्रों से पता चला कि संजीव गुप्ता की कार अलीगढ़ के गभाना में खड़ी है. उस का मोबाइल फोन औन तो होता था, पर बहुत थोड़ी देर के लिए. फिर भी उस की जो लोकेशन मिलती थी, पुलिस उसी ओर भागती थी. अब तक की भागदौड़ से पुलिस को लगने लगा था कि यह अपहरण का मामला नहीं है. यह योजना बना कर किया गया अपहरण का नाटक है.

पुलिस ने नीता पांडेय से पूछताछ की तो उस ने कहा कि अगर सारिका गुप्ता को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की जाए तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी. लेकिन पुलिस ऐसा करने से कतरा रही थी, क्योंकि ऐसा करने पर उस पर अंगुली उठ सकती थी. जबकि पुलिस पर इस मामले को सुलझाने का काफी दबाव था. अधिकारी भी मामले को सुलझाने में लगी टीमों पर दबाव बनाए हुए थे.

पुलिस ने संजीव के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि उस पर कमेटी और सोसायटी मैंबरों का करोड़ों का कर्ज था. पैसे वाले लोगों ने अपना चोरी का पैसा उस की कमेटी में लगा रखा था. उन्हें जब लगा कि उन का पैसा डूबने वाला है तो परेशान हो कर वे अपना पैसा उस से वापस मांगने लगे थे, जबकि उस के पास लौटाने के लिए पैसा नहीं था. उस ने कमेटी और सोसायटी का पैसा अपनी अय्याशी और शानोशौकत में उड़ा दिया था.

पुलिस जांच में एक आदमी ने बताया कि उस ने संजीव को 23 जुलाई को फिरोजाबाद में देखा था. इस से पुलिस को लगा कि संजीव का अपहरण नहीं हुआ है. वह अपहरण का नाटक कर रहा है. वह देश छोड़ कर भाग न जाए, पुलिस ने उस का पासपोर्ट जब्त कर लिया था.

पुलिस ने शहर के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो सारी पोल खुल गई. संजीव अपनी कार में अकेला ही नजर आ रहा था. गभाना में जहां उस की कार मिली थी, वहां एक पंक्चर बनाने वाले ने भी बताया था कि इस कार से एक ही आदमी उतरा था और कार लौक कर के वह चला गया था.

आखिर 28 जुलाई को एसटीएफ की टीम ने नाटकीय ढंग से संजीव गुप्ता को पानीपत के होटल स्वर्ण महल से बरामद कर लिया और फिरोजाबाद ला कर 29 जुलाई की सुबह एसएसपी अजय कुमार पांडेय के सामने पेश कर दिया. इस तरह संजीव गुप्ता की सकुशल बरामदगी से पुलिस ने राहत की सांस ली.

पुलिस की मेहनत तो सफल हो गई थी, पर उस की अपहरण की कहानी पर किसी को विश्वास नहीं था. संजीव गुप्ता ने कहा कि एसटीएफ और एसएसपी साहब ने उसे बचा लिया. अपनी बात कहते हुए वह कभी रोने लगता था तो कभी हंसने लगता था. उस के बताए अनुसार, जब वह मीटिंग खत्म कर के होटल सागर रत्ना से निकला और बाहर खड़ी कार में बैठा तो पीछे छिप कर बैठे एक युवक ने उस की पीठ पर पिस्टल सटा कर चुपचाप गाड़ी चलाते रहने को कहा.

रास्ते में 2-3 लोग और बैठ गए. उन्होंने उस का फोन ले कर उस की पत्नी को 100 करोड़ की फिरौती का संदेश भेजा. लेकिन वह अपनी इस बात पर टिका नहीं रह सका. बारबार बयान बदलता रहा. पुलिस को पहले से ही उस पर शक था, बयान बदलने से शक और बढ़ गया. इस के बावजूद पुलिस तय नहीं कर पा रही थी कि उस के साथ क्या किया जाए? अब तक उस की मदद के लिए तमाम लोग आ गए थे.

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पुलिस के पास अभी संजीव के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं थे, इसलिए सबूतों के अभाव में पुलिस ने उस के खिलाफ कोई काररवाई न करते हुए उसे उस के घर वालों के हवाले कर दिया. पुलिस की यह हरकत लोगों को नागवार गुजरी, क्योंकि सभी जानते थे कि संजीव का अपहरण नहीं हुआ था. उस ने खुद ही अपने अपहरण का नाटक किया था.

सब से ज्यादा विरोध तो नीता पांडेय ने किया. उस ने संजीव से जान का खतरा बताते हुए उसे जेल भेजने की गुहार लगाई. संजीव को पुलिस ने घर भेज दिया तो वही नहीं, उस के घर वाले भी खुश थे कि उन का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया. लेकिन पुलिस की स्थिति संदिग्ध होने लगी थी, इसलिए पुलिस अभी चुप नहीं बैठी थी.

अगले दिन आईजी मथुरा अशोक जैन फिरोजाबाद आए तो स्थिति बदलने लगी. पुलिस को होटल सागर रत्ना के गार्ड ने बताया था कि उस दिन संजीव गुप्ता ने उस होटल में कोई मीटिंग नहीं की थी. एक आदमी ने बताया था कि संजीव उस दिन अकेला ही कार में था. होटल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में भी संजीव अकेला ही कार में दिखाई दिया था.

एसटीएफ टीम ने उस कार को भी ढूंढ निकाला, जिस में संजीव जम्मू में अकेला घूमता रहा था. 22 जुलाई यानी संजीव के लापता होने वाले दिन उस की लोकेशन एटा, अलीगढ़ की मिली थी. 24 जुलाई को वह जम्मू में था. एसटीएफ टीम जब वहां होटल में पहुंची तो वह वहां से निकल चुका था. इस तरह के सारे सबूत जुटा कर पुलिस ने उस के खिलाफ काररवाई करने का मन बना लिया.

अब तक संजीव गुप्ता और सारिका गुप्ता की स्थिति काफी बदल चुकी थी. जो लोग उन की मदद के लिए खड़े रहते थे, अब उन्होंने दूरियां बना ली थीं. लोगों ने उन के नंबर ब्लौक कर दिए थे. लोग इस अपहरण के ड्रामे से हैरान थे, इसलिए लोग अब किसी तरह के पचड़े में नहीं पड़ना चाहते थे.

31 जुलाई की शाम को इंसपेक्टर अरुण कुमार सिंह संजीव गुप्ता की कोठी पर पहुंचे और संजीव गुप्ता तथा सारिका गुप्ता से अलगअलग पूछताछ की. संजीव और उस के घर वालों ने तो समझा था कि सब ठीक हो गया है, पुलिस को उन्होंने गुमराह कर दिया है, पर ऐसा नहीं था.

1 अगस्त, 2017 को पुलिस ने संजीव गुप्ता, सारिका गुप्ता, उस के भांजे विप्लव गुप्ता तथा सारिका के भाई सागर गुप्ता को हिरासत में ले कर थाने ले आई. अधिकारियों के सामने जब इन से अलगअलग पूछताछ शुरू हुई तो पुलिस की सख्ती के आगे सभी टूट गए और उन की जुबान खुल गई. संजीव को जब सीसीटीवी कैमरों की फुटेज दिखाई गई तो वह फूटफूट कर रोने लगा.

संजीव ने पुलिस को सारी कहानी सचसच बता दी. उस ने बताया कि लेनदारों तथा नीता पांडेय से छुटकारा पाने के लिए उस ने अपनी पत्नी सारिका, भांजे विप्लव और साले सागर के साथ मिल कर अपने अपहरण की योजना बनाई थी. नीता पांडेय और उस के पति को फंसा कर वह विदेश भाग जाना चाहता था.

पूछताछ के बाद पुलिस ने संजीव के बयानों के आधार पर सारिका, विप्लव और सागर के खिलाफ भादंवि की धारा 419, 420, 467, 468, 469, 471, 500, 507, 120बी, 34, 182, 186 और 187 के तहत मुकदमा दर्ज कर चारों को जेल भेज दिया. इस पूछताछ में संजीव गुप्ता ने जो बताया, उस के अनुसार, कहानी कुछ इस प्रकार थी.

संजीव गुप्ता बड़ेबड़े सपने देखने वाला नौजवान था. फर्श पर रह कर वह अर्श छूना चाहता था. कभी शहर की एक तंग गली में उस का चूडि़यों का छोटा सा गोदाम था. लेकिन वह रंगबिरंगी चूडि़यों के बीच जिंदगी के गोलगोल रंगीन सपने बुन रहा था. वह सपने ही नहीं देख रहा था, बल्कि धीरेधीरे उन सपनों को हकीकत का जामा भी पहनाने लगा था. पर इस के लिए उसे पैसों की जरूरत थी.

उस ने फिरोजाबाद ही नहीं, आगरा, मथुरा के बड़ेबड़े व्यापारियों से संपर्क बनाए और कमेटी और किटी का काम शुरू किया. लोग उस की कमेटी और किटी में बड़ीबड़ी रकम लगाने लगे. इसी पैसे को वह ब्याज पर उठाने लगा. बाजार में उस का लाखों रुपए ब्याज पर उठ गया. मजे की बात यह थी कि वह ब्याज के रुपए काट कर लोगों को रुपए उधार देता था.

समय पर किस्त न आने से संजीव अलग से ब्याज लेता था. धीरेधीरे वह बड़ा आदमी बनने लगा. पैसा आया तो वह अन्य धंधों में पैसे लगाने लगा. कमेटी में जो लोग पैसा डालते थे, वह दो नंबर का था. संजीव का सारा काम भी 2 नंबर का होता था, इसलिए हर कोई एकदूसरे की चोरी छिपाए रहा. पैसा आया तो संजीव गुप्ता के खर्चे बढ़ने लगे.

लोगों के पैसों से संजीव ने प्रौपर्टी तो बनाई ही, बड़ीबड़ी कारें भी खरीदीं. लेकिन बाद में लोग अपने पैसे मांगने लगे. अब उसे घाटा भी होने लगा था, जिस से लोगों को अपना पैसा डूबता नजर आया. फिर तो वह उस पर पैसा लौटाने के लिए दबाव डालने लगे. लोगों के दबाव से परेशान संजीव गुप्ता नीता पांडेय से 60 लाख रुपए मांगने लगा तो परेशान हो कर नीता ने उस पर मुकदमा कर दिया.

संजीव अब परेशान रहने लगा था. इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए उस ने एक योजना बनाई, जिस में उस ने पत्नी सारिका, भांजे विप्लव और साले सागर गुप्ता को शामिल किया. अगर संजीव की योजना सफल हो गई होती तो नीता पांडेय और उस के पति प्रदीप पांडेय जेल में होते और वह विदेश में मौज कर रहा होता.

योजना के अनुसार, संजीव ने सारिका की बहन के बेटे विप्लव गुप्ता तथा साले सागर को फिरोजाबाद बुला लिया. सागर सीए भी था और वकील भी. संजीव ने सागर को अपने ऊपर सूदखोरी के चल रहे मुकदमे की पैरवी के लिए बुलाया था, लेकिन आने पर अपने अपहरण की पटकथा लिखवा डाली.

सारिका किटी पार्टियों की शान मानी जाती थी. कमेटी और किटी में रुपए डालने के लिए सदस्यों को पटाने का काम वही करती थी. कमेटी चलाने की जिम्मेदारी भी उसी की थी. पति के अपहरण के इस ड्रामे में मुख्य भूमिका उसी की थी.

संजीव ने अपने अपहरण का तानाबाना काफी मजबूती से बुना था, पर पुलिस की मुस्तैदी और दूरदर्शिता के कारण उस का ड्रामा सफल नहीं हुआ. पत्रकारों के सामने संजीव, सारिका, विप्लव और सागर को पेश कर के एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने बताया कि संजीव अपनी कार को ऐसे रास्तों से अलीगढ़ गया, जिन पर कोई टोलनाका नहीं था.

इसी वजह से वह सीसीटीवी कैमरों की नजर में नहीं आ सका. अलीगढ़ के गभाना टोल प्लाजा के पहले ही उस ने अपनी कार हाईवे के किनारे खड़ी कर के लौक कर दी और बस से दिल्ली के आईएसबीटी बसअड्डे पहुंचा. वहां से चंडीगढ़, मोहाली होते हुए 24 जुलाई को वह जम्मू पहुंच गया.

वहां से वह मनाली गया और 25 से 27 जुलाई तक वहीं रहा. वह रोहतांग भी गया, जहां से मनाली आ गया. मनाली से देहरादून होते हुए 28 जुलाई को वह पानीपत आया, जहां स्वर्ण होटल पहुंचा और योजना के अनुसार अपने अपहरण की कहानी होटल के कर्मचारियों को सुनाई.

दूसरी ओर सारिका ने कई बार सूटकेस ले कर कोठी से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के पहरे की वजह से वह जा नहीं सकी. यह भी उस का एक ड्रामा था. अगर वह निकल जाती तो लोगों से कहा जाता कि सौ करोड़ की फिरौती दे कर वह पति को छुड़ा कर लाई है.

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संजीव एक तीर से कई निशाने साधना चाहता था. अपहरण की आड़ में नीता पांडेय और उस के पति को जेल भिजवा कर उन से छुटकारा पाना चाहता था. सौ करोड़ की फिरौती दे कर आने के नाम पर वह कमेटी के कर्ज से छुटकारा पाना चाहता था. क्योंकि लोगों को उस से सहानुभूति हो जाती.

पर सच्चाई सामने आ जाने से संजीव की योजना पर पानी फिर गया. इस की वजह थी ज्यादा लालच. उस ने सौ करोड़ की जो फिरौती की बात की थी, उस पर किसी ने विश्वास नहीं किया.  जिन धाराओं में संजीव और सारिका को जेल भेजा गया है, उन का जेल से बाहर आना मुश्किल है. शानदार कोठी में रहने वाले पता नहीं कब तक जेल की कोठरी में रहेंगे.

संजीव के वकील ने उन की जमानत के लिए अदालत में अरजी लगा कर जमानत की काफी कोशिश की, लेकिन सरकारी वकील की दलीलें सुन कर न्यायाधीश श्री पी.के. सिंह ने जमानत की अरजी खारिज कर दी. एसटीएफ ने जिस तरह इस मामले का खुलासा किया, किसी को उम्मीद नहीं थी. उन की इस काररवाई से खुश हो कर एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने उन्हें प्रशस्तिपत्र के साथ 15 हजार रुपए का नकद इनाम दिया है.

इंसपेक्टर अरुण कुमार सिंह का तबादला हो गया है. उन की जगह पर नए कोतवाली प्रभारी भानुप्रताप सिंह आए हैं. वह संजीव गुप्ता और उस के साथियों को रिमांड पर ले कर एक बार फिर पूछताछ करना चाहते हैं.

वीडियो : जब रोहित शर्मा ने बनाया चहल का मजाक

टीम इंडिया साउथ अफ्रीका दौरे पर है. पहला टेस्ट हारने के बाद टीम इंडिया शानदार वापसी करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है. टीम इंडिया एक तरफ प्रैक्टिस में पसीना बहा रही है तो वहीं टीम इंडिया के युवा लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल अपना क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रहे हैं.

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बता दें कि टीम इंडिया के स्टार स्पिनर युजवेंद्र चहल फिलहाल टीम के साथ नहीं है, लेकिन जल्द ही वे साउथ अफ्रीका के खिलाफ होने वाली वनडे सीरीज में खेलते नजर आएंगे. 1 फरवरी से साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज है. जिसके लिए चहल साउथ अफ्रीका रवाना होंगे.

चहल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है. जिसमें वह गोल्फ में हाथ आजमाते नजर आ रहे हैं. वो वहां महेंद्र सिंह धोनी का हेलिकोप्टर शौट खेलने की कोशिश कर रहे हैं. जहां इस वीडियो को फैंस ने पसंद किया तो वहीं टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज रोहित शर्मा ने मजाकिए अंदाज में ऐसा कमेंट किया, जिसे पढ़कर आप लोटपोट हो जाएंगे.

चहल ने गोल्फ स्टिक के साथ एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की तो रोहित शर्मा ने उनके फोटो पर कमेंट किया कि ”खुद मत उड़ जाना गोल्फ स्टिक के साथ.” रोहित का कमेंट पढ़ने के बाद चहल भी चुप नहीं रहे और उन्होंने भी रोहित को जोरदार जवाब दिया. चहल ने लिखा- ”हाहा… स्टिक होती तो शायद उड़ जाता पर ये गोल्फ क्लब है भईय्या..”

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वैसे चहल ने भले ही रोहित को चुप करा दिया हो, लेकिन कई अन्य फैन्स ने भी हेल्थ को लेकर उनकी जमकर खिंचाई की. हालांकि कुछ फैन्स ने रोहित के भी मजे लिए और उनसे बैटिंग पर ध्यान देने के लिए कहा.

बता दें कि रोहित और युजवेंद्र भले ही टीम में सीनियर-जूनियर हों, लेकिन दोनों के बीच काफी अच्छी बौन्डिंग हैं. वे अक्सर हंसी-मजाक करते नजर आते हैं.

ग्रुप एडमिन को और भी ज्यादा पावरफुल बनाएगा व्हाट्सऐप

व्हाट्सऐप मैसेंजिंग ऐप यूजर्स की सुविधा को देखते हुए लगातर नए फीचर्स लेकर आ रहा है. हाल ही में खबर आई थी कि व्हाट्सऐप औडियो कौल से वीडियो कौल पर स्विच करने का नया बटन देगा. इससे आपको औडियो से वीडेयो कौल पर जाने के लिए कौल काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस फिचर के बाद अब व्हाट्सऐप अपना एक और नया फीचर लाने की तैयारी कर रहा है. यह फीचर है व्हाट्सऐप ग्रुप के एडमिन को और पावरफुल बनाने का.

आपको बता दें कि व्हाट्सऐप अब ग्रुप चैट में एक नए बटन की टेस्टिंग कर रहा है जिसके जरिए एक एडमिन किसी दूसरे एडमिन को ‘डीमोट’ या ‘डिस्मिस’ कर सकेगा. यानी व्हाट्सऐप ग्रुप एडमिन के पास दूसरे एडमिन को बिना ग्रुप से हटाए, एडमिन के पद से हटाने की सुविधा दा जाएगी. जबकि वर्तमान में अगर कोई एडमिन ग्रुप के किसी व्यक्ति को एडमिन बनाता है और उसे कुछ वक्त बाद एडमिन के पद से हटाता है तो वह व्यक्ति ग्रुप से ही बाहर हो जाता है, लेकिन नए फिचर में ऐसा नहीं होगा.

इस नए फीचर के तहत व्हाट्सऐप में ‘डिसमिस एज एडमिन’ (Dismiss as Admin) का विकल्प दिया जाएगा. यह विकल्प ग्रुप इन्फो सेक्शन में होगा. गूगल प्ले स्टोर से व्हाट्सऐप का बीटा वर्जन डाउनलोड करने वाले यूजर्स फिलहाल इस विकल्प को देख सकते हैं.

तीन डौट पर क्लिक कर आप Group Info सेक्शन एक्सेस कर सकते हैं. ग्रुप इन्फो में आपको किसी एडमिन को बिना ग्रुप से निकाले एक एडमिन के तौर पर डिस्मिस करने का विकल्प दिख जाएगा, लेकिन इसके लिए आपको किसी ग्रुप का एडमिन होना जरूरी है.

नीरस हो रहे रिश्ते में रोमांस जगाने के ये टिप्स आजमा कर तो देखें

जब लंबे समय तक साथ रह कर ऐसा अनुभव होने लगे कि आप सोलमेट के साथ नहीं, फ्लैटमेट के साथ रह रहे हैं, तो समझ लीजिए आप को कुछ तरीके अब सोचने ही पड़ेंगे कि कैसे रोमांस फिर से लाया जाए. कुछ बोरियत को उम्र का बढ़ना मान लेते हैं और फिर इस बोरियत से बचने के लिए कहीं और आकर्षित होने लगते हैं. मगर ऐसी नौबत आने ही न दें.

रिलेशनशिप थेरैपिस्ट रीता कोठारी का कहना है, ‘‘परफैक्ट रिलेशनशिप का आइडिया ही एक भ्रम है. सब में अच्छीबुरी आदतें होती हैं. बस प्यार ही वह भावना है, जो इस रिश्ते को सहेज कर रख सकती है और एकदूसरे की बुरी आदतों की उपेक्षा कर सकती है.’’

आइए, जानें कि विशेषज्ञ आप के रिश्तों को सुधारने के लिए क्या होमवर्क करने के लिए कहते हैं:

आलिंगन से बढ़ता है विश्वास

रिलेशनशिप कोच आदिति का कहना है, ‘‘आलिंगन से विश्वास बढ़ता है और हैप्पीनैस हारमोंस औक्सीटोसिन और सैरोटोनिन बढ़ते हैं. इस से निराशा कम होती है और अंडरस्टैंडिंग बढ़ती है. जानें कि आप के पार्टनर को क्या अच्छा लगता है. कुछ पल बांहों में रहना या कम देर रहना. रिसर्च कहती है कि बहिर्मुखी लोगों को दिन में 8 बार हग करना अच्छा लगता है.’’

मनोवैज्ञानिक डा. अंजलि कहती हैं, ‘‘रिसर्च के अनुसार प्रिय की मौजूदगी से किसी भी कार्य को करने की सामर्थ्य बढ़ती है. जो कपल्स साथ ऐक्सरसाइज करते हैं उन की बौंडिंग ज्यादा अच्छी होती है. एक दंपती ने अपना अनुभव बताया कि दोनों ने एक डांस क्लास साथ जौइन की तो दोनों के रिश्ते में बहुत सकारात्मक परिवर्तन हुआ. अत: कोई भी ऐक्टिविटी साथ जरूर करें.’’

कैसे बढ़ाएं अंतरंगता

अंजलि आगे कहती हैं, ‘‘बैड पर एक ही समय जाएं. इस से दोनों को कुछ समय साथ रहने को मिलेगा जिस से अंतरंगता बढ़ेगी. हां, यह प्रतिदिन तो संभव नहीं हो

सकता, क्योंकि कोई पार्टनर देर तक काम कर रहा हो सकता है या बाहर हो सकता है पर कोशिश करें कि ऐसा महीने में 7 दिन तो हो.

1991 में जेफरी लार्सन की रिसर्च के अनुसार जिन पतिपत्नी का स्लीपिंग पैटर्न मैच नहीं करता उन्हें ऐडजस्टमैंट में मुश्किलें आती हैं.

छोटेछोटे संकेत से बढ़ाएं प्यार

एकदूसरे का हाथ पकड़ कर दिन की शुरुआत करें या मौर्निंग वाक के समय या चाय पीते हुए. इस से प्यार में ऊष्मा बढ़ती है या बाहर जाने पर टेबल तक ही हाथ पकड़ लें. हाथ और उंगलियों में सब से ज्यादा स्पर्श की अनुभूति होगी. इस टच से स्ट्रैस हारमोंस कम होते हैं और दोनों रिलैक्स्ड होते हैं. इसलिए एकदूसरे के हाथ में अपना हाथ देने में देर न करें. इस स्पर्श का आनंद उठाएं.

वैवाहिक जीवन की सफलता और इसे आनंददायक बनाने के लिए पार्टनर को थैंक्स बोलते रहना बहुत जरूरी है. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे को टेकेन फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं पर रोज किसी न किसी बात पर एकदूसरे को प्यार से थैंक्स कहने से यही लगेगा कि दोनों की हर बात पर एकदूसरे का ध्यान है. ये छोटेछोटे संकेत प्यार बढ़ाते हैं.

मोबाइल से दूर रहें

अमेरिकन साइकोलौजिकल ऐसोसिएशन के अध्ययन के अनुसार स्मार्टफोन के ज्यादा प्रयोग से रिश्तों में अनिश्चितता आती है, गैजेट्स ने पतिपत्नी के समय और स्पेस पर असर डाला है. दोनों भले ही साथ खाना खा रहे हों पर ध्यान फोन पर होता है. साथ होने पर आधा घंटा फोन से दूर रहने की आदत डालना इतना मुश्किल भी नहीं है. हो सके तो डाइनिंग टेबल को नो फोन जोन बना दें. आधा घंटा भी बात कर के दोनों एकदूसरे के साथ और जुड़ सकते हैं.

हंसने से फील गुड हारमोन इंडोर्फिंस बढ़ता है जो इम्यून सिस्टम को अच्छा रखता है. महिलाएं पुरुषों में सैंस औफ ह्यूमर होना पसंद करती हैं पर इस के लिए स्टैंडअप कौमेडियन होना जरूरी नहीं है. कोई फनी मूवी साथ देखें या कोई फनी चीज किसी बुक से सुनाएं, साथ हंसें और हंसाएं.

बिताएं खुशनुमा पल

धीरेधीरे समय के साथ काम और परिवार की जिम्मेदारी में सैक्स पीछे छूटता चला जाता है. सब से ध्यान हटा कर हफ्ते में कम से कम 1 बार ही सही सैक्स का आनंद अवश्य लें.

कभीकभी अकेले कहीं समय बिताने जाएं, यह जरूरी है. चाहे आप को हर काम अपने पार्टनर के साथ करने की आदत हो पर कभीकभी सिर्फ अपनी कंपनी ऐंजौय करें.

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