औनलाइन बैंकिंग ट्रांजैक्शन या इंटरनेट बैंकिंग करने वालों के लिए बड़ी खबर है. इंटरनेट बैंकिंग करते समय कई लोग दूसरे बैंकों की वेबसाइट पर क्लिक करते रहते हैं या फिर किसी अन्य औफर की तलाश में वेबसाइट्स को देखते रहते हैं तो अब आपको इससे अलर्ट रहने की जरूरत है. आरबीआई ने इसको लेकर एक अलर्ट जारी किया है. दरअसल, आरबीआई का यह अलर्ट एक वेबसाइट को लेकर है. रिजर्व बैंक ने ग्राहकों को उस पर ना जाने की सलाह दी है. आरबीआई ने इस वेबसाइट को फर्जी बताया है. वहीं, सरकारी बैंक ने भी अपने ग्राहकों को इस वेबसाइट का लिंक भी शेयर किया है.
आरबीआई वेबसाइट की टू-कौपी
रिजर्व बैंक ने जिस वेबसाइट को फर्जी बताया है, उसे बिल्कुल रिजर्व बैंक की वेबसाइट की तर्ज पर तैयार किया गया है. आरबीआई के चीफ जनरल मैनेजर जोस.जे कट्टूर के मुताबिक, www.indiareserveban.org यूआरएल से रिजर्व बैंक औफ इंडिया की फर्जी वेबसाइट बनाई गई है. फर्जी वेबसाइट का ले आउट भी रिजर्व बैंक की ओरिजनल वेबसाइट की तरह है. इसलिए इंटरनेट बैंकिंग या औनलाइन ट्रांजैक्शन करते वक्त ग्राहकों को सावधानी बरतनी होगी. यूआरएल को ठीक तरह से चेक करके ही आगे कोई ट्रांजैक्शन करें.
बैंकिंग डिटेल्स हो सकती हैं चोरी
आरबीआई के मुताबिक, फर्जी वेबसाइट के जरिए आपकी बैंकिंग डिटेल्स चोरी हो सकती हैं. आपको लाखों रुपए का चूना लगाया जा सकता है. फर्जी वेबसाइट के होम पेज पर बैंक वेरीफिकेशन विद औनलाइन अकाउंट होल्डर्स शीर्षक से प्रोविजन है. ऐसा लगता है कि यह सेक्शन बैंक के कस्टमर की गोपनीय बैंकिंग और पर्सनल डिटेल हासिल करने और फ्रौड करने के लिए बनाया गया है.
अकाउंट डिटेल्स बिल्कुल शेयर न करें
आरबीआई ने यह बात कई बार स्पष्ट की है कि वह बैंक ग्राहकों से बैंक अकाउंट से जुड़ी किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मांगता. आरबीआई ने फिर यूजर्स को अलर्ट किया है कि वह किसी भी ग्राहक से बैंक अकाउंट डिटेल, पासवर्ड, पिन नंबर या कार्ड से जुड़ी जानकारियां नहीं मांगता है. ऐसी वेबसाइट को औनलाइन कोई जानकारी देना उनके लिए वित्तीय तौर पर नुकसानदेह हो सकता है. उनकी डिटेल का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है.
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आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप में अपना शानदार प्रदर्शन करने वाले टीम इंडिया के तेज गेंदबाज का ध्यान अब बड़े गेम खेलने को लेकर है. यह खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि कमलेश नागरकोटी है. जी हां, कमलेश का पूरा ध्यान आईपीएल की तरफ है और वह आईपीएल में खेलने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले महीने हुई आईपीएल सीजन -11 की नीलामी में कोलकाता नाइट रायडर्स ने कमलेश नागरकोटि को 3.2 करोड़ रुपये में खरीदा था. अब कमलेश दक्षिण अफ्रीका के पूर्व स्टार खिलाड़ी जैक कैलिस और औस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी साइमन कैटिच के साथ काम करने को लेकर बेहद ही उत्सुक हैं. नागरकोटी का मानना है कि आईपीएल प्रतिभा दिखाने का एक अच्छा मंच है और केकेआर के कैंप में मिशेल जौनसन और मिशेल स्टार्क के साथ गेंदबाजी करके उनके गेंदबाजी में और निखार आएगा और वो आगामी चुनौती के लिए तैयार रहेंगे.
कमलेश नागरकोटी ने कहा, ‘जब मुझे पता चला कि मैं केकेआर का हिस्सा हूं, तो मैं बेहद खुश था कि मुझे कैलिस और कैटिच दोनों के साथ खेलने का मौका मिलेगा. इन दोनों खिलाड़ियों से सीखने के लिए बहुत कुछ है और उनके साथ काम करने का अनुभव निश्चित रूप से मुझे एक बेहतर खिलाड़ी बनाएगा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं बहुत परेशान था और मैं आईपीएल की नीलामी बिल्कुल नहीं देखता था. मेरे रूममेट पंकज यादव ने मुझे अपने चयन के बारे में बताया और मैं अपनी खुशी को नियंत्रित नहीं कर सका. मैं आईपीएल में अपने शानदार प्रदर्शन करने के लिए काफी उत्सुक हूं.’
बता दें कि नागरकोटी ने अंडर-19 वर्ल्ड में अपने शानदार प्रदर्शन से खुद को साबित किया कि वो एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं. उन्होंने शिवम मावी के साथ मिलकर टीम इंडिया के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया था. विजय हजारे ट्रौफी में राजस्थान के लिए लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत करने वाले नागरकोटी ने अंडर-19 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की खिताबी जीत के दौरान 16.33 की औसत से 9 विकेट चटकाए थे. 18 साल के कमलेश नागरकोटी ने अंडर-19 वर्ल्ड कप के लीग मैचों में 149 किमी/घंटे रफ्तार की गेंदबाजी से सबको चकित कर दिया था. अब देखना ये है कि कमलेश एक बार फिर अपने बेहतरीन प्रदर्शन से लोगों का दिल जीतने में कितना सफल होते हैं.
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टीवी क्वीन एकता कपूर की गिनती फिल्म इंडस्ट्री के टौप प्रोड्यूसर्स में होती है. दो दशक से भी ज्यादा वक्त में कई टीवी शोज का निर्माण कर चुकी 42 साल की एकता ने, कई बौलीवुड फिल्में भी प्रोड्यूस की हैं. दिग्गज अभिनेता जीतेंद्र की बेटी एकता कपूर इनदिनों काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें अपना वैलेंटाइन मिल चुका है.
एकता ने इंस्टाग्राम पर अपने वैलेंटाइन की तस्वीरें भी साझा की हैं, इन फोटो में उनके वैलेंटाइन हाथों में फूल लिए नजर आ रहे हैं. ये कोई और नहीं बल्कि एकता कपूर के भतीजे लक्ष्य कपूर हैं. डेढ़ साल के हो चुके लक्ष्य को एकता अपना वैलेंटाइन बता रही हैं.
मालूम हो कि लक्ष्य अभिनेता तुषार कपूर के बेटे हैं, जिनका जन्म जून 2016 को सेरोगेसी के जरिए हुआ था. एकता अक्सर इंस्टाग्राम पर लक्ष्य की तस्वीरें साझा करती रहती हैं.
जीतेंद्र और शोभा कपूर की बेटी एकता साल 1995 से इंडस्ट्री से जुड़ी हुई हैं. 17 साल की उम्र में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी. ‘हम पांच’, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कहानी घर घर की’, ‘पवित्र रिश्ता’, ‘बड़े अच्छे लगते हैं’, ‘नागिन’ जैसे टीवी शो का निर्माण किया है.
बौलीवुड फिल्मों के प्रोडक्शन में 2001 में एकता ने फिल्म ”क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता” से कदम रखा. इसके बाद उन्होंने 2003 और 2004 में ”कुछ तो है” और “कृष्णा काटेज” में काम किया. इसके बाद संजय गुप्ता की फिल्म ”शूटआउट एट लोखंडवाला” की को-प्रोड्यूसर रहीं.
2010 से 2014 के बीच में उन्होंने उनकी ”लव सेक्स और धोखा”, ”वन्स अपौन ए टाइम इन मुंबई”, ”शोर इन द सिटी”, ”रागिनी एमएमएस”, ”क्या सुपर कूल हैं हम”, ”द डर्टी पिक्चर”, ”एक थी डायन”, ”लुटेरा, वन्स अपौन ए टाइम इन मुंबई दोबारा”, ”रागिनी एमएमएस2”, शादी के साइड एफेक्टस”, ”मैं तेरा हीरो” जैसी फिल्मों के लिए काम किया.
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वेलेंटाइन वीक चल रहा है, इस समय सबसे बड़ी दिक्कत होती है कि अपने पार्टनर को क्या गिफ्ट दिया जाए. अगर आप अपनी फ्रेंड को कोई गिफ्ट देना चाह रहे हैं तो इसमें हम आपकी कुछ सहायता कर सकते हैं. हम आपको कुछ ऐसे गिफ्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो महंगे नहीं हैं, इसके साथ ही यूजफुल भी हैं. गर्ल्स अपनी बौडी को लेकर काफी सजग रहती हैं आप चाहें तो फिटनेस बैंड दे सकते हैं. अच्छा फिटनेस बैंड आपको 1,500 रुपए तक में भी मिल जाएगा. इतने रुपए में एमआई और एचआरएक्स का फिटनेस बैंड मिल जाएगा.
गर्ल्स अपने फोन पर तरह-तरह के मोबाइल कवर लगाना पसंद करती हैं. तो आप खूबसूरत रंग-बिरंगा या क्रिस्टल का मोबाइल कवर भी गिफ्ट में दे सकते हैं. 300 रुपए तक में अच्छा केस मिल जाएगा. लड़कियों को घड़ियां भी बहुत पसंद होती हैं. ऐसे में जब बात गैजेट की हो रही है तो आप स्मार्टवौच गिफ्ट कर सकते हैं. उन्हें काफी पसंद आएगी. स्मार्टवौच आपको 1,000 रुपए से लेकर 35 हजार तक की रेंज में मिल जाएगी.
लड़कियां अक्सर किसी चीज को कहीं रखकर भूल जाती हैं और यह इसलिए होता है क्योंकि वे सोचती बहुत हैं. अगर आप इसमें उनकी कुछ हेल्प करना चाहते हैं तो इस समस्या के समाधान के लिए क्यूब की फाइंडर गिफ्ट कर सकते हैं. इसकी मदद से एक ऐप जरिए आप स्मार्टफोन, चाबी समेत कई चीजें खोज सकेंगे. इसकी मदद से आप फोन को बिना टच किए फोटो भी क्लिक कर सकेंगे, इसकी कीमत 8,000 रुपए है.
डिजिटल बौडी वेट मशीन भी एक अच्छा गिफ्ट हो सकता है. अगर आप इसे किसी को गिफ्ट करना चाहते हैं तो औनलाइन 500 रुपए तक में आपको अच्छी डिजिटल बौडी वेट मशीन मिल जाएगी. स्मार्टफोन की बैटरी अगर वीक हो जाए और उसे चार्जिंग पर लगाने के लिए उससे कुछ समय के लिए दूर बैठना पड़े तो वह टाइम काटना बड़ा मुश्किल हो जाता है, तो इस वैलेंटाइन आप पावरबैंक गिफ्ट कर सकते हैं. 700 रुपए से लेकर 1,500 रुपए में आपको 11,000 से लेकर 20,000 mAH तक के पावरबैंक मिल जाएंगे. आप जिसे गिफ्ट देना चाहते हैं वह अगर म्यूजिक के शौकीन हैं तो हैडफोन या ईयरफोन भी गिफ्ट कर सकते हैं. 1,000 रुपए तक में अच्छा हेडफोन या ईयरफोन मिल जाता है.
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क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के खिलाड़ी अगर विदेशी भूमि से भी मैडल ले आएं तो उन के जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता. अन्य खेलों के ज्यादातर खिलाड़ी बहुत गरीब घरों से आते हैं और जैसे ही वे मैडल पाने की उम्र से बाहर हो जाते हैं, उन की थोड़ीबहुत पूछ जो होती थी, खत्म हो जाती है.
क्रिकेट में तो 20-30 खिलाडि़यों को अच्छा पैसा मिल जाता है पर हौकी, फुटबाल, एथलैटिक्स, कुश्ती, मुक्केबाजी आदि खेलों के पदक प्राप्त खिलाड़ी शुरू से ही खेल अफसरों की कृपा के आदी हो जाते हैं. उन्हें हमेशा पिछड़ा समझा जाता है और खेल अफसर केवल इन खिलाडि़यों को अपने पद के लाभ उठाने का माध्यम बनाते हैं. पदक प्राप्त कर चुके खिलाडि़यों के ईंटगारा उठाते या सब्जी बेचते फोटो अकसर छपते रहते हैं पर देश पर इस का कोई असर नहीं पड़ता.
यह तो मूल बात है कि समाज हो, घर हो या देश हो, पैसा तो काम करने के बाद ही मिलेगा. जब पदक पाया तो जो किया उसे संभाल कर रखा तो ठीक वरना बाद में कोई भाव न देगा, यह स्वाभाविक है. कभी पदक प्राप्त किया था इस बलबूते पर जीवनभर पैंशन पाने की तमन्ना करना ही गलत है. पदक पाने वाला देश या समाज से जीवनभर देखभाल करने की उम्मीद न करे.
असल दिक्कत यह है कि जब खिलाडि़यों को तैयार करा जा रहा होता है तब उन में एक गरूर भर दिया जाता है. उन्हें किसी भी कमाऊ क्षेत्र की योग्यता पाने के लिए तैयार करने की जगह केवल मैडल पाने का मजदूर बना कर रख दिया जाता है. वे न अच्छे श्रमिक रह जाते हैं न अच्छे कारीगर. न अच्छे अफसर और न ही अच्छे प्रशिक्षक. इन सब के लिए पर्याप्त शिक्षा की जरूरत होती है जो इन खिलाडि़यों को नहीं दी जाती.
मैडल पाने के बाद हार पहना कर इन के फोटो खिंचवा कर इन्हें एक तरह से रिटायर कर दिया जाता है और ये पदकों की चमक में जीवन की असलियत भी भूल जाते हैं. अगर ये पिछड़ी या दलित जातियों के हुए तो थोड़ा भी मानसम्मान पदक पाने के 2-3 साल बाद नहीं बचता.
खेलों को भविष्य की संपन्नता की चाबी समझना ही गलत है. एक बार का पदक जीवनभर की गारंटी नहीं बन सकता. इस बारे में हर खिलाड़ी को पहली सफलता के बाद ही समझ लेना चाहिए. ये वे सितारे हैं जिन्हें तभी तक देखा जाता है जब तक चमक रहे हैं. अपनी रोशनी खो बैठने के बाद ये बेकार ही हो जाते हैं.
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ग्रामीण इलाकों और बैंकिंग सेवा से अब तक दूर रहने वाले देशभर के दूर-दराज के इलाकों के लोगों को भी अब अत्याधुनिक बैंकिंग सेवाएं मिल सकेंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि अब आपका नजदीकी डाकघर जल्द ही बैंक बनने जा रहा है. अब आप दूसरे बैंकों की तरह इसमें पैसे डिपौजिट कर सकेंगे और यह आपको दूसरे बैंकों के मुकाबले कई फ्री सेवाएं भी देगा. इस साल अप्रैल से इंडिया पोस्ट्स पेमेंट्स बैंक (IPPB) देश भर में अपना कामकाज शुरू कर देगा और इसमें डिजिटल लेनदेन भी शामिल होंगे.
इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ए पी सिंह के मुताबिक वर्ष 2018 के अंत तक उसके सभी तीन लाख कर्मचारी यह सेवा देने लगेंगे. इसके बाद पहुंच के मामले में यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा भुगतान बैंक होगा.
शुरुआत में IPPB करीब 3,500 कर्मचारियों के साथ कामकाज चालू करेगा, जिनमें से अधिकांश बैकिंग और संबंधित क्षेत्रों से संबंध रखने वाले हैं. एक विज्ञप्ति में भारतीय डाक विभाग ने कहा, “इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) विस्तार कार्यक्रम तेजी से प्रगति कर रहा है और अप्रैल 2018 में इसे राष्ट्रीय स्तर पर चालू करने की तैयारी है.”
खबर है कि ये पेमेंट बैंक इंडिया पोस्ट्स के 1.55 लाख डाक घरों के जरिये काम करेगा. देश भर के 650 जिलों में डाक घर मौजूद हैं जो करीब 70 फीसदी ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रखते हैं. जिले में इन बैंकों के कई कस्टमर एक्सेस प्वाइंट्स होंगे, ताकि उन तक भी पहुंचा जाए जो अभी तक बैंकिंग नहीं कर रहे हैं.
यह बैंक, डाकघर बचत बैंक के 17 करोड़ से ज्यादा सक्रिय खाताधारकों को NEFT, RTGS, UPI और बिल पेमेंट सेवाएं जैसे कहीं से भी लेनदेन करने योग्य डिजिटल भुगतान के फायदे लेने में सक्षम करेगा. IPPB की योजना है कि इस साल के अंत तक वो अपने सभी डाकियों को स्मार्टफोन से लैस कर दे ताकि ग्राहकों के घर के दरवाजे पर ही बैंकिंग सेवाएं दी जा सकें.
देश के पुराने बैंक एटीएम और अन्य इंटरनेट बैंकिंग सुविधाओं के लिए पैसे चार्ज करते है, लेकिन पोस्टऔफिस पेमेंट बैंक के कस्टमर को एटीएम लेने के लिए किसी तरह का कोई चार्ज नहीं देना होगा. इसी तरह मोबाइल अलर्ट के लिए भी बैंक कोई चार्ज नहीं लेगा. अभी ज्यादातर बैंक 25 रुपए से लेकर 50 रुपए तक एसएमएस अलर्ट के लिए चार्ज लेते हैं. इसी तरह क्वार्टरली बैलेंस मेंटेन करने के लिए भी कोई चार्ज नहीं देना पड़ेगा.
फिलहाल IPPB 1 लाख रुपये बैलेंस तक के बचत खाते खोलने की सुविधा दे रहा है, और इसके साथ ही सभी तरह के वैयक्तिक लेनदेन और डिजिटल भुगतान की सेवाएं. आगे चलकर यह बैंक चालू खाता के साथ ही बीमा, म्यूचुअल फंड्स, पेंशन, क्रेडिट उत्पाद और विदेशी मुद्रा जैसी छर्ड पार्टी वित्तीय सेवाएं भी देगा.
इस बैंक की परिकल्पना रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने की थी. नवंबर 2014 में डाक विभाग ने रिजर्व बैंक औफ इंडिया में पेमेंट्स बैंक के लिए आवेदन किया था और सितंबर 2015 में इसे सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी. माना जा रहा है कि इससे बैंकिंग सेक्टर में विविधता आएगी और अब तक बैंकिंग व्यवस्था से दूर रही जनता भी जुड़ेगी. कोई भी उपभोक्ता अपने पहचान पत्र के जरिए इससे जुड़ सकता है. इसके जरिए बैंक खाता खुलवाने के झंझटों से भी आप बच सकते हैं.
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साउथ इंडियन फिल्मों की चर्चित अदाकारा अमाला पौल पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा में हैं. पिछले दिनों उन्होंने एक बिजनेसमैन के खिलाफ यौन उत्पीड़न का एक मामला दर्ज करवाया था, जिसके बाद से वह सुर्खियों में आ गई थीं. उनके इस कदम की सभी तारीफ कर रहे थे.
वहीं हाल ही में सोशल मीडिया पर एक्ट्रेस ने इस मामले में एक और बयान दिया है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर कहा, ‘यह हर महिला का कर्तव्य है कि वह खुद के लिए खड़ी हों’. अमाला ने ट्वीट कर कहा, ‘वह मुझे एक मांस के लोथड़े की तरह बेच देना चाहता था. उसकी हिम्मत ने मुझे डरा दिया था. उसके अस्तित्व ने मुझे बीमार कर दिया था’.
Thank you Vishal for standing by me and assuring me that I must not let it go, and I didn’t, now I believe it’s every woman’s duty, to not let it go and stand for themselves. He was ready to trade me off like a meatloaf, his guts make me sick, his existence makes me sick #MeToohttps://t.co/SEPrE4bxPr
अमाला साउथ की बोल्ड अभिनेत्रियों में से एक हैं. उन्होंने पिछले दिनों खुद के साथ हुए यौन शोषण के एक मामले की वजह से चर्चा बटोरी थी. वहीं अमाला के इस कदम की तारीफ सभी कर रहे हैं. इस मामले में अमाला के सपोर्ट में तमिलनाडू के चर्चित निर्माता और एक्टर विशाल ने भी ट्विटर पर उनकी तारीफ की.
इसके जवाब में अमाला ने ट्विटर पर #MeToo के साथ लिखा, ‘धन्यवाद विशाल मेरे साथ खड़े रहने के लिए और बताने के लिए कि मुझे इसे जाने नहीं देना चाहिए, और मैंने नहीं जाने दिया. अब मुझे लगता है कि यह हर औरत का कर्तव्य है कि वह उन्हें इस तरह नहीं जाने दें और खुद के लिए खड़ी हों. वह मुझे मांस के लोथड़े के समान बेचने को तैयार था.
इससे पहले एक्टर और निर्माता विशाल ने अमाला के लिए ट्वीट कर कहा, ‘तुम्हारा ये कदम वाकई काबिल-ए-तारीफ है. हाल ही के इस वाक्ये ने तुम्हारी बोल्डनेस को दिखाया है. यौन उत्पीड़न के किसी मामले में इस तरह सामने आने के लिए काफी हिम्मत चाहिए. विशाल ने यहां पुलिस विभाग के एक्शन की भी तारीफ की. उनका मानना था कि इस मामले से आरोपी कुछ सीखेगा’.
बता दें अमाला ने कुछ समय पहले एक आदमी के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़ा एक मामला दर्ज करवाया था. उनका आरोप था कि डांस रिहर्सल के दौरान उनके साथ एक व्यक्ति ने छेड़छाड़ की. उन्होंने कहा कि वह आदमी उनके अकेले में बात करने की कोशिश कर रहा था जिसकी वजह से वह काफी असहज महसूस कर रही थीं. वह उनके मलेशिया के इवेंट के बारे में भी सब जानता था. इसी वजह से अमाला ने उस आदमी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी.
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बिग बौस कंटेस्टेंट तथा बौलीवुड में काम कर चुकीं एली अवराम बीते दिनों क्रुणाल पांड्या की शादी में दिखीं, जिसके बाद उनका नाम हार्दिक पांड्या से जोड़ा गया. इतना ही नहीं खबर ये तक आई कि दोनों एक-दूसरे को डेट भी कर रहे हैं. हालांकि अब इस अफवाह पर एली अवराम ने विराम लगा दिया है.
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि लोगों का काम इन अफवाहों पर भरोसा करना है. मुझे इसपर कुछ सफाई देने की जरूरत नहीं, बीते सालों में मुझे लेकर काफी बातें बोली गईं लेकिन मैंने इन सबका जवाब देना ठीक नहीं समझा. एक सेलिब्रेटी होने के नाते आपके बारे में काफी बाते होती हैं और इसकी आपको आदत डाल लेनी चाहिए क्योंकि आप अफवाहों पर ज्यादा अधिक कुछ नहीं कर सकते.
बता दें कि हार्दिक पांड्या ने अभी तक 25 एकदिवसीय मैचों की 16 पारियों में 40.76 की औसत के साथ तीन बार नाबाद रहते हुए 530 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 120.72 की स्ट्राइक के साथ 4 अर्धशतक जड़े हैं. साथ ही 28 छक्के और 31 चौके लगाए. इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 83 रहा. वहीं बात अगर गेंदबाजी की करें तो उन्होंने 5.55 की इकौनमी के साथ 28 विकेट झटके हैं.
बता दें कि इससे पहले कोलकाता की 22 वर्षीय फेमस मौडल लीशा शर्मा पिछले साल हार्दिक पांड्या के साथ काफी सुर्खियों में आई थीं. 5 फीट 10 इंच की हाइट वाली लीशा जमशेदपुर की रहने वाली हैं, जिन्होंने कई नामी ब्रांड्स के लिए मौडलिंग की है. हार्दिक पांड्या और लीशा एक-दूसरे को काफी वक्त से जानते हैं.
जब लीशा से हार्दिक के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि हार्दिक एक हीरा इंसान हैं. हार्दिक जमीन से जुड़े, शांत और एक परफेक्ट शख्स हैं. लीशा का कहना है की वह दोनों अच्छे दोस्त हैं. इसमें कोई शक नहीं है की हार्दिक एक परफेक्ट डेटिंग मटेरियल हैं.’
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3 जुलाई, 2017 को आतिश नाइक पत्नी तनुजा के साथ अपने गांव वरड़गांव आया था. तनुजा को घर में ही छोड़ कर वह दोपहर को होटल से खाना लाने गया तो शाम तक नहीं लौटा. इस बीच तनुजा भी घर से बाहर नहीं निकली तो पड़ोस में रहने वाली आतिश की चाची मोहिनी को चिंता हुई. क्या बात है, जानने के लिए उन्होंने आतिश के मोबाइल पर फोन किया तो उस का फोन बंद था.
उन्होंने आतिश के घर का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से कोई आवाज नहीं आई. किसी अनहोनी की आशंका से उन का दिल बैठने लगा. जब आतिश से संपर्क नहीं हो सका और तनुजा ने भी दरवाजा नहीं खोला तो घबरा कर मोहिनी ने गोवा के मडगांवराय में रहने वाली आतिश की बहन को फोन कर के यह बात बता दी.
चाची की बात सुन कर आतिश की बहन घबरा गई. उस ने भी भाई को फोन किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. इस के बाद वह पति के साथ वरड़ गांव के लिए रवाना हो गई. गांव पहुंच कर आतिश की बहन दूसरी चाबी से घर का ताला खोल कर अंदर दाखिल हुई तो वहां का मंजर देख उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. अंदर की स्थिति हैरान कर देने वाली थी. उस ने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी.
घटनास्थल चूंकि फोंडा पुलिस थाने के अंतर्गत आता था. पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना थाना फोंडा को मिली तो थानाप्रभारी सुदेश आर. नाइक तुरंत इंसपेक्टर परेश सिनारी, नितिन हरर्णकर आदि के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. घटनास्थल थाने से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए पुलिस टीम 20 मिनट में वहां पहुंच गई. तब तक गांव के तमाम लोग इकट्ठा हो चुके थे.
पड़ोस में रहने वाली आतिश नाइक की चाची मोहिनी नाइक ने पुलिस को बताया कि आतिश अपनी पत्नी तनुजा के साथ उसी दिन सुबह करीब 8 बजे आया था और उन से अपने घर की चाबी ले गया था. घर के अंदर जाने के बाद दोनों के बीच कहासुनी होने लगी थी. पता नहीं वे किस बात पर झगड़ रहे थे. उन के लड़नेझगड़ने की आवाजें घर के बाहर तक आ रही थीं. पतिपत्नी के बीच इस तरह की कहासुनी होती रहती है, इसलिए उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था.
दोपहर करीब 12 बजे वह आतिश और तनुजा को खाने के लिए बुलाने गईं तो आतिश दरवाजे पर ताला लगा कर कहीं जा रहा था. उन्होंने उस से खाने के लिए पूछा तो उस ने कहा, ‘‘तनुजा नानवेज खाना चाहती है, इसलिए होटल से नानवेज लाने जा रहा हूं. तनुजा सोई हुई है, इसलिए दरवाजे पर ताला लगा दिया है.’’
दोपहर का गया आतिश शाम तक लौट कर नहीं आया तो उन्होंने यह बात आतिश के बहनबहनोई को बता दी. पुलिस टीम घर में दाखिल हुई तो कमरे में खाट पर तनुजा की लाश सीधी अवस्था में पड़ी थी. उस के सीने पर एक तकिया रखा था.
इस से लगा कि तनुजा की हत्या उसी तकिए से की गई थी. तकिए के बीचोबीच एक दिल बना था, जिस में ‘लव यू’ लिखा था. इस के अलावा तकिए के एक कोने में ‘रेस्ट इन पीस’ लिखा हुआ था. कातिल ने लव यू लिख कर अपने मन का दर्द जाहिर किया था और रेस्ट इन पीस लिख कर शांति से आराम करने को कहा था. शायद हत्या करने वाला मृतका से काफी दुखी था.
सूचना पा कर एसपी कार्तिक कश्यप और डीएसपी सुनीता सावंत भी घटनास्थल पर आ गई थीं. इन्हीं के साथ फोरैंसिक टीम भी आई थी. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो अधिकारियों ने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. इस के बाद जरूरी काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया गया.
मोहिनी नाइक की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी. हत्या का शक आतिश नाइक पर था. लेकिन वह फरार था. उस का पता नहीं चल रहा था. उस का फोन भी बंद था.
पुलिस आतिश को खोज रही थी, तभी पता चला कि उस ने अपनी बहन और बहनोई को फोन कर के कहा है कि उसी ने तनुजा की हत्या की है और वह गांव आ रहा है. यह पता चलते ही पुलिस सतर्क हो गई. फोंडा बसअड्डा और आतिश के घर के आसपास पुलिस लगा दी गई.
फोंडा आने वाली हर बस पर पुलिस की नजर थी. एक बस से जैसे ही आतिश उतरा, पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. डीएसपी सुनीता सावंत के सामने उस से पूछताछ शुरू हुई तो उस ने बिना हीलाहवाली के तनुजा की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने पत्नी की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—
26 साल के आतिश नाइक के मातापिता की मौत तभी हो गई थी, जब वह 4 साल का था. मांबाप की मौत के बाद उसे गोवा के तटवर्ती इलाके मड़गांवराय में रहने वाली उस की बहन और बहनोई ने पालापोसा. आतिश की बहन और बहनोई जिस मोहल्ले में रहते थे, उसी मोहल्ले में तनुजा का भी परिवार रहता था.
वैसे तनुजा के घर वाले मूलरूप से कर्नाटक के कारवार शहर के रहने वाले थे. रोजीरोटी की तलाश में वे गोवा के मड़गांवराय आए थे. तनुजा और आतिश हमउम्र थे. चूंकि दोनों के परिवार आसपास रहते थे, इसलिए उन के बीच पारिवारिक संबंध थे. आतिश और तनुजा एक ही क्लास में पढ़ते थे, इतना ही नहीं दोनों स्कूल भी साथसाथ आतेजाते थे.
पढ़ाई के मामले में तनुजा आतिश से होशियार थी. आतिश का मन पढ़ाई में कम लगता था, नतीजा यह हुआ कि वह 10वीं में फेल हो गया. फेल होने के बाद उस ने पढ़ाई छोड़ दी और अपने बहनोई के साथ धंधे में लग गया, जबकि तनुजा पढ़ती रही. आतिश ने पढ़ाई भले छोड़ दी थी, लेकिन उस का तनुजा से मिलनाजुलना बरकरार था.
दोनों ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उन्हें एकदूसरे से प्यार हो गया. उन के दिलों में प्यार के अंकुर फूटे तो वे एकदूसरे को जीवनसाथी के रूप में देखने लगे. उन्हें लगता था, जैसे वे दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हैं. दोनों सारी मर्यादाओं को ताक पर रख कर साथसाथ पार्क, पिकनिक, सिनेमा और रेस्टोरेंट जाने लगे.
समय के साथ दोनों का प्यार बढ़ता गया. आतिश ने अपना खुद का कैटरिंग का काम शुरू कर दिया, जो अच्छा चल निकला. तनुजा ने भी अच्छे नंबरों से 12वीं पास कर ली. अब दोनों शादी के बारे में सोचने लगे. लेकिन जब इस बात की जानकारी तनुजा के घर वालों को हुई तो वे सन्न रह गए. जबकि आतिश के घर वालों पर इस बात का किसी तरह का कोई असर नहीं हुआ.
तनुजा के घर वाले उस के भविष्य को ले कर परेशान थे. उन्होंने तनुजा को आतिश से मिलनेजुलने से रोका. तनुजा ने घर वालों की बात पर ध्यान न देते हुए कहा, ‘‘आखिर आतिश में बुराई क्या है, हम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं. उस का कामधंधा भी ठीक चल रहा है.’’
तनुजा की इस बात पर उस के पिता ने कहा, ‘‘बेटा, उस में कोई बुराई नहीं है, लेकिन तुम यह क्यों नहीं समझतीं कि वह तुम्हारे काबिल नहीं है. वह 10वीं फेल है. तुम्हारा भविष्य और कैरियर दोनों उज्ज्वल हैं. तुम पढ़लिख कर आगे बढ़ सकती हो. तुम्हें अच्छी नौकरी और शादी के लिए अच्छा परिवार मिल सकता है. हम जो भी कह रहे हैं, तुम्हारे भले के लिए कह रहे हैं.’’
‘‘लेकिन पापा…’’ तनुजा अपनी बात पूरी कर पाती, उस के पहले ही उस के पिता ने कहा, ‘‘देखो बेटी, अब तुम बच्ची नहीं हो, 20-22 साल की हो गई हो. तुम खुद सोचसमझ सकती हो, मेरी भी कुछ मानमर्यादा है, समाज है. हम बस यही चाहते हैं कि तुम कोई ऐसा कदम मत उठाना, जिस से समाज और सोसायटी में मेरा और परिवार का सिर शर्म से झुक जाए.’’
तनुजा अजीब स्थिति में फंस गई थी. एक तरफ मातापिता और परिवार था तो दूसरी ओर प्यार था. कुछ दिनों तक तनुजा के दिलोदिमाग में मंथन चलता रहा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. आखिर उस ने परिवार के बजाय प्यार को ज्यादा महत्त्व दिया और घर वालों से बगावत कर के सन 2015 में आतिश से प्रेम विवाह कर लिया. इस विवाह में आतिश का पूरा परिवार उस के साथ था, जबकि तनुजा के परिवार का कोई भी सदस्य शादी में शामिल नहीं हुआ था. विवाह के बाद दोनों किराए का मकान ले कर रहने लगे. दोनों काफी खुश थे. उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं थी. आतिश अपने काम में रम गया तो तनुजा ने गृहस्थी संभाल ली.
लेकिन तनुजा जल्द ही घरगृहस्थी के कामों से ऊब गई. आतिश के काम पर जाने के बाद वह घर में अकेली रह जाती थी, जिस से उस का मन नहीं लगता था. ऐसे में उस ने आगे की पढ़ाई करने का फैसला लिया. उस के इस फैसले पर आतिश ने भी मोहर लगा दी. उस ने मड़गांवराय के एक कालेज में तनुजा का दाखिला करा दिया.
दाखिला होने से तनुजा बहुत खुश हुई. आतिश उस की पढ़ाई में हर तरह से सहयोग कर रहा था. लेकिन समय के साथ दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. इस की वजह यह थी कि तनुजा अब कालेज के माहौल में रम गई थी. उस का आचारविचार और व्यवहार बदल गया था.
उस के कई नए दोस्त और सहेलियां बन गई थीं. वह उन के बीच समय भी बिताने लगी थी. घर और आतिश के प्रति वह लापरवाह हो गई थी. कालेज से घर आने के बाद भी वह घंटों मोबाइल से चिपकी रहती, बिना बताए यारदोस्तों के साथ पार्टी और पिकनिक पर चली जाती.
यह सब देख कर आतिश के मन में तरहतरह के सवाल उठने लगे. वह उस पर शक करने लगा. उसे डर लगने लगा कि कहीं वह तनुजा को खो न दे. अपने इस डर को दूर करने के लिए जब भी वह उस से बात करने की कोशिश करता, तनुजा उस पर बरस पड़ती और ताने मारने के साथसाथ उस का अपमान भी करने से नहीं चूकती.
कभीकभी वह यह भी कह देती कि मेरे मांबाप ठीक ही कहते थे कि तुम मेरे लायक नहीं हो. पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि मैं ने तुम जैसे कम पढ़ेलिखे से विवाह कर लिया. मेरा एहसान मानने के बजाय तुम मुझ पर संदेह करते हो. न तुम्हारे पास कोई अच्छी सर्विस है और न ही भविष्य उज्ज्वल है. इस के बावजूद मैं तुम पर भरोसा करती हूं, पर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है.
दोनों के बीच विवाद बढ़ जाता तो तनुजा लड़झगड़ कर कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली जाती. कुछ दिनों बाद आतिश ससुराल जा कर उसे मना कर ले आता. मातापिता के समझाने के बाद तनुजा का रवैया कुछ दिनों तक तो ठीक रहता, लेकिन फिर वैसा ही हो जाता. धीरेधीरे तनुजा का व्यवहार और ताने आतिश की बरदाश्त से बाहर होते गए.
पहली जुलाई, 2017 को तनुजा कालेज से काफी देर से घर आई. घर आते ही वह मोबाइल फोन से चिपक गई तो आतिश का धैर्य जवाब दे गया. उसे यकीन हो गया कि उस का किसी से अफेयर चल रहा है. उस ने उस से कालेज से देर से आने और आते ही फोन करने के बारे में पूछा तो वह ठीक से जवाब देने के बजाय उसे ही चुप कराने लगी. इस से आतिश का रहासहा धैर्य भी जवाब दे गया. उस ने उसी समय एक खतरनाक फैसला ले लिया.
3 जुलाई, 2017 को आतिश गांव घुमाने के बहाने तनुजा को वहां ले गया. उसे मालूम था कि गांव वाले घर की एक चाबी चाची मोहिनी के पास रहती है. चाची ही उस के घर और काश्तकारी की देखरेख करती थीं. गांव पहुंच कर आतिश ने बीती बातों का जिक्र फिर से छेड़ दिया. वह उस पर कालेज छोड़ने और दोस्तों से ज्यादा बातें न करने का दबाव बनाने लगा, जबकि तनुजा यह नहीं चाहती थी. उसे अपनी कालेज लाइफ भी देखनी थी.
वह कह रही थी कि उस के दोस्त सिर्फ दोस्त हैं. इस के अलावा उन का उस से कोई और रिश्ता नहीं है. लेकिन संदेह का कीड़ा आतिश के दिमाग में घुस कर कुछ इस तरह हावी हो गया था कि उस की सोचने और समझने की शक्ति खत्म हो गई थी. उसे अब तनुजा की किसी भी बात पर भरोसा नहीं हो रहा था, जिस की वजह से आतिश ने सोते समय तनुजा के मुंह पर तकिया रख कर उस की हत्या कर दी.
पत्नी की हत्या कर के वह कुछ देर तक बुत बना उसे देखता रहा. इस के बाद उस ने तनुजा के पर्स से लिपस्टिक निकाली और तकिए के कवर पर दिल का आकार बना कर उस के अंदर ‘लव यू’ और तकिए के एक कोने में ‘रेस्ट इन पीस’ लिख दिया. इस के बाद जब वह बाहर आ कर मुख्य दरवाजे पर ताला लगा रहा था, तभी उस की चाची मोहिनी आ गईं. उस ने चाची को बताया कि वह तनुजा के लिए होटल से नानवेज लाने जा रहा है.
आतिश वहां से सीधे कर्नाटक के वेलगांव में रहने वाले अपने एक दोस्त के यहां चला गया. लेकिन वहां उसे सुकून नहीं मिला. उस के सामने बारबार तनुजा का सुंदर चेहरा घूम रहा था. अगले दिन सुबह उस ने अपनी बहन को फोन कर के अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा कि अब वह भी अपने जीवन का अंत करने जा रहा है, क्योंकि तनुजा के बिना उस के जीवन में कुछ नहीं बचा है.
उस के बहनबहनोई ने उसे समझाते हुए ऐसा करने से मना किया और उसे गांव लौट आने को कहा. उन के समझाने पर आतिश जब अपने गांव पहुंचा तो उस की ताक में बैठी पुलिस ने उसे पकड़ लिया. आतिश ने अपना अपराध स्वीकार कर के पूरी बात पुलिस को बता दी.
विस्तार से पूछताछ के बाद पुलिस ने आतिश के खिलाफ तनुजा की हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में था. मामले की जांच थानाप्रभारी सुरेश नाइक कर रहे थे.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
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21 जून, 2017 की सुबह करीब 6 बजे की बात है. पूर्वी दिल्ली के सीमापुरी थाना के एएसआई हीरालाल नाइट ड्यूटी पर थे. उन्हें पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि दिलशाद गार्डन के पी ब्लौक के फ्लैट नंबर-पी 13 में हिंसक वारदात हो गई है. मामले की सूचना दर्ज कर वह हैडकांस्टेबल कर्मवीर को साथ ले कर मोटरसाइकिल से घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.
घटनास्थल थाने से करीब एक किलोमीटर दूर था, इसलिए वह 10 मिनट के अंदर ही वहां पहुंच गए. फ्लैट के बाहर खड़े लोग कानाफूसी कर रहे थे. हीरालाल ने उन में से किसी से घटना के बारे में पूछा तो पता चला कि उस फ्लैट में रहने वाले विनोद बिष्ट ने अपनी पत्नी रेखा के ऊपर कातिलाना हमला किया है.
हीरालाल फ्लैट के अंदर पहुंचे तो उन्हें कमरे के फर्श पर खून ही खून फैला दिखाई दिया. वहां मौजूद लोगों ने उन्हें बताया कि गंभीर रूप से घायल रेखा और उस के बेटे विनीत को पीसीआर वैन गुरु तेगबहादुर (जीटीबी) अस्पताल ले गई है. घटनास्थल की निगरानी के लिए एएसआई हीरालाल ने हैडकांस्टेबल कर्मवीर को वहीं छोड़ दिया और खुद जीटीबी अस्पताल पहुंच गए.
अस्पताल पहुंचने पर उन्हें पता चला कि रेखा ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था. उस के बेटे विनीत का इलाज चल रहा था. हीरालाल विनीत से मिले. उस ने बताया कि मां को बचाने की कोशिश में उस के पिता ने उस के ऊपर भी चापड़ से वार कर दिया था, जिस से उस की हथेली कट गई थी. उन्होंने घायल विनीत का बयान दर्ज कर लिया.
विनीत का बयान ले कर एएसआई हीरालाल ने घटना की सूचना थानाप्रभारी संजीव गौतम को फोन द्वारा दे दी. इस के बाद अन्य औपचारिक काररवाई पूरी कर के उन्होंने रेखा की लाश को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया.
थानाप्रभारी संजीव गौतम ने घटना की जानकारी एसीपी हरेश्वर वी. स्वामी और डीसीपी नूपुर प्रसाद को दी और खुद घटनास्थल के लिए चल दिए. थानाप्रभारी विनोद बिष्ट के पड़ोसियों से घटना के संबंध में पूछताछ कर रहे थे, तभी क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम, एसीपी हरेश्वर वी. स्वामी के साथ डीसीपी नूपुर प्रसाद भी पहुंच गईं. दोनों अधिकारियों ने घटनास्थल का मुआयना किया और जीटीबी अस्पताल में भरती विनीत से मिलने पहुंच गए.
क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए. विनीत से बात कर के साफ हो गया था कि घर के मुखिया विनोद बिष्ट ने ही वारदात को अंजाम दिया था, इसलिए पुलिस ने विनोद के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 324 के तहत मामला दर्ज कर लिया.
विनोद बिष्ट फरार हो चुका था. उस की गिरफ्तारी के लिए डीसीपी नूपुर प्रसाद ने एसीपी हरकेश्वर वी. स्वामी के निर्देशन में सीमापुरी थाने और स्पैशल स्टाफ की एक टीम का गठन किया, जिस में थानाप्रभारी संजीव गौतम, अतिरिक्त थानाप्रभारी जे.के. सिंह, एसआई राहुल, गौरव, एएसआई हीरालाल, हैडकांस्टेबल कर्मवीर, कांस्टेबल जगवीर एवं स्पैशल स्टाफ के एएसआई अशोक राणा आदि को शामिल किया.
अतिरिक्त थानाप्रभारी जे.के. सिंह ने आरोपी के भाई मदन बिष्ट को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. उस से विनोद के मोबाइल नंबर, दोस्तों के नाम तथा उस के छिपने के संभावित जगहों के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह पौड़ी गढ़वाल स्थित अपने पैतृक घर जा सकता है.
एसीपी के निर्देश पर पुलिस टीमों को बसअड्डों तथा रेलवे स्टेशनों पर भेजा गया, मगर विनोद पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा. पुलिस टीमें खाली हाथ लौट आईं. पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया था. मुखबिर की सूचना पर अतिरिक्त थानाप्रभारी जे.के. सिंह अपनी टीम के साथ विनोद के फ्लैट के निकट पहुंच कर उस का इंतजार करने लगे.
कुछ देर बाद किसी ने बताया कि पार्क के पास एक आदमी छिपा बैठा है. पुलिस टीम ने वहां पहुंच कर उस आदमी को हिरासत में ले लिया. वह कोई और नहीं, विनोद बिष्ट ही था. उस की पीठ पर एक पिट्ठू बैग था. बैग की तलाशी ली गई तो उस में से एक खून सनी शर्ट और एक चापड़ बरामद हुआ. पुलिस टीम उसे ले कर थाने आ गई. थाने में जब विनोद से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार कर पत्नी की हत्या करने की जो वजह बताई, वह इस प्रकार थी—
मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल का रहने वाला विनोद अपने परिवार के साथ पिछले 30 सालों से दिल्ली के दिलशाद गार्डन के पी ब्लौक में रह रहा था. उस के परिवार में पिता सतीश बिष्ट, माता शकुंतला देवी, भाई मदन बिष्ट, उस की पत्नी कुसुम और विनोद की पत्नी रेखा तथा 2 बेटे थे.
उस का बड़ा बेटा विनीत पढ़ने में ठीकठाक था. वह 10वीं में पढ़ रहा था, जबकि छोटा बेटा संचित छठीं कक्षा में पढ़ता था. विनोद की सन 2001 में रेखा से शादी हुई थी.
शादी के बाद से पतिपत्नी अपने फ्लैट में खुशहाल जीवन गुजार रहे थे. विनोद कृष्णानगर के गुरमीत टेंटहाउस में मैनेजर था, जहां उसे अच्छा वेतन मिलता था. किसी बात की कमी न होने के कारण उस के दोनों बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे थे.
विनोद की ड्यूटी अकसर रात में होती थी. ऐसे में वह सुबह घर लौटता था. छोटा भाई मदन बिष्ट अपने परिवार के साथ पड़ोस में ही रहता था. दोनों भाई दिल्ली में ही रह रहे थे. उन्हें गांव जाने का मौका न के बराबर मिलता था, इसलिए कुछ सालों पहले विनोद ने अपने मातापिता को भी अपने पास दिल्ली बुला लिया था.
विनोद के बड़े बेटे विनीत को 10वीं में अच्छे नंबर मिले थे. बेटे के अंक देख कर विनोद और रेखा काफी खुश थे और उस के भविष्य की रूपरेखा तय करने में जुटे थे.
वैसे तो विनोद और रेखा का दांपत्य ऊपर से शांत और स्वच्छ नजर आ रहा था. लेकिन हकीकत कुछ और थी. रेखा की उम्र 36 साल के आसपास थी. लेकिन मौडर्न लाइफस्टाइल और आकर्षक डिजाइनर कपड़ों में वह मुश्किल से 25 साल की लगती थी. वह रोजाना अपने छोटे बेटे को स्कूल छोड़ने जाती थी, जहां और भी कई बच्चों के मातापिता आते थे.
उसी कालोनी का रहने वाला विकास भी अपने बेटे को स्कूल छोड़ने जाता था. उसे रेखा बहुत अच्छी लगती थी. वह चोरीछिपे उसे निहारता रहता था. रेखा उसे इस तरह चोरीछिपे ताकते हुए देखती तो उसे मन ही मन अजीब सी खुशी मिलती. विकास ऊंची कदकाठी का तनदुरुस्त युवक था. शक्लसूरत अच्छी होने के साथ वह खुद को मेंटेन रखता था. कुछ दिनों तक रेखा ने उसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी. वह उस की नजरों को नजरअंदाज करती रही.
पर रेखा ज्यादा दिनों तक अपने इस रुख पर कायम नहीं रह सकी. विकास की चाहत ने उस के दिल में घंटी बजानी शुरू कर दी. वह भी कनखियों से उसे देखने लगी. एक दिन दोनों की नजरें मिलीं तो रेखा ने मुसकरा दिया. इस के बाद विकास की हिम्मत बढ़ गई. उस के समीप आ कर उस ने पूछा, ‘‘कहां से आती हैं आप?’’
रेखा ने भी उसे निराश नहीं किया. जवाब में उस ने कहा, ‘‘पी ब्लौक से.’’
इस के बाद दोनों इधरउधर की बातें करने लगे. जाते समय दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंबर दे दिए.
इस के बाद उन्हें जब भी मौका मिलता, अपने दिल की बातें कर लेते. रात को विनोद घर पर नहीं होता था और रेखा के बच्चों का बैडरूम अलग था. अकेली तनहाई में जब रेखा को नींद न आती तो वह मोबाइल पर विकास से मीठीमीठी बातें कर के अपने दिल की आग को शांत करने की कोशिश करती.
दोनों जवान और खूबसूरत होने के साथ एकदूसरे के प्रति आकर्षित थे. कुछ ही दिनों में दोनों ने मोबाइल पर समय तय कर के मिलना शुरू कर दिया. रेखा को घर के कामकाज से बाहर जाना ही पड़ता था. ऐसे में वह विकास को फोन कर देती थी. विकास उस से मिलने आ जाता था.
मुलाकातों का सिलसिला चल निकला तो दोनों करीब आ गए और उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. इस के बाद रेखा के स्वभाव में परिवर्तन यह आ गया कि उस ने पति की ओर ध्यान देना बंद कर दिया.
रेखा के बदलते रंगढंग देख कर विनोद को उस पर शक होने लगा. वह दिन में घर पर ही रहता था, इसलिए उस ने उस की हरकतों पर नजर रखनी शुरू कर दी. एक दिन उस ने रेखा के मोबाइल फोन के सारे नंबर चैक किए. जब भी उसे कोई अंजान नंबर दिखाई दे दिया, उस ने पूरी तसल्ली के साथ उस नंबर के बारे में पूछा. रेखा निडर हो कर जवाब दे रही थी, पर विनोद महसूस कर रहा था कि रेखा उस से कुछ छिपा रही है.
शक की दीवार रिश्तों के बीच आई तो दांपत्य में कड़वाहट घुलने लगी. उन के बीच अविश्वास की खाई चौड़ी होती गई. परिणामस्वरूप अकसर दोनों के बीच किसी न किसी बात को ले कर लड़ाईझगड़ा होने लगा.
कुछ दिनों पहले विनोद के मातापिता पौड़ी गढ़वाल चले गए. इसी बीच एक दिन रेखा बेटे को स्कूल से लाने गई तो उसे विकास मिल गया. विकास से बातें कर रेखा अपने सारे दुख दूर कर लेती थी. वह विकास से बातें कर रही थी कि उस के मोबाइल पर विनोद का फोन आ गया. वह पति का फोन रिसीव कर उस से बातें करने लगी. बीचबीच में वह अपने साथ चल रहे प्रेमी विकास से भी बातें करती रही.
वह प्रेमी से जो बातें कर रही थी, उसे विनोद भी सुन रहा था. विनोद ने उन बातों को अपने फोन में रिकौर्ड कर लिया था. रेखा की इन बातों से विनोद समझ गया कि रेखा का जरूर किसी से संबंध है. वह घर आई तो विनोद ने बेटे को दूसरे कमरे में भेज कर रेखा को अपने पास बिठा कर मोबाइल की रिकौर्डिंग सुनाई. रिकौर्डिंग में कुछ ऐसी बातें भी थीं, जो कोई औरत अपने पति या प्रेमी से ही कर सकती थी.
रिकौर्डिंग सुन कर रेखा सन्न रह गई. विनोद ने उस दिन रेखा को जम कर पीटा. शाम को उस ने रेखा को नया मोबाइल नंबर दिला दिया, साथ ही उस ने उसे चेतावनी दी कि अब अगर उस ने उस से बात की तो ठीक नहीं होगा. फोन नंबर बदलने के कारण उस की प्रेमी से बात नहीं हो पा रही थी. इस की वजह यह थी कि विकास का नंबर उसे याद नहीं था और विनोद ने फोन से उस का नंबर डिलीट कर दिया था. रेखा को प्रेमी से बात किए बिना चैन नहीं मिल रहा था. इसलिए उस ने अपना नया नंबर विकास को दे दिया. वह फिर प्रेमी से मिलने लगी. यानी उस ने प्रेमी से मिलनाजुलना नहीं छोड़ा.
विनोद को जब पता चला कि रेखा अब भी प्रेमी से मिलती है तो उसे बहुत गुस्सा आया. उस ने रेखा से साफ कह दिया कि अगर उसे उस के साथ रहना है तो ठीक से रहे अन्यथा अपने प्रेमी के साथ रहने चली जाए. वह उसे कुछ नहीं कहेगा.
लेकिन रेखा भी अब ढीठ हो गई थी. उस ने विनोद की बात एक कान से सुनी अैर दूसरे से निकाल दी. लिहाजा उन के बीच कलह बढ़ने लगी. जब भी दोनों के बीच ज्यादा झगड़ा होता, रिश्तेदार बीचबचाव कर के सुलह करा देते. इस की वजह से घरेलू कलह का मामला कभी थाने तक नहीं पहुंचा.
20 जून, 2017 मंगलवार को दिलशाद गार्डन में स्थानीय साप्ताहिक बाजार लगा था. बाजार में रेखा को विकास मिल गया. दोनों आपस में बातें करने लगे. उसी बीच वहां विनोद पहुंच गया. उस ने रेखा और विकास को देखा तो उस का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. लेकिन गुस्से को काबू कर वह अपने फ्लैट पर आ गया. रेखा घर लौटी तो उस ने दोटूक कहा, ‘‘तुम अब मेरे साथ नहीं रह सकती. तुम मेरा घर छोड़ कर उसी कमीने के साथ रंगरलियां मनाने चली जाओ.’’
इस पर रेखा ने कहा कि वह घर छोड़ कर नहीं जाएगी और जो उस का मन करेगा, वही करेगी. पत्नी की बात सुन कर विनोद को गुस्सा तो बहुत आया, पर वह कुछ सोच कर गुस्से को पी गया.
अगले दिन छोटे बेटे को स्कूल से लाने के लिए विनोद खुद गया और उसे उस के ननिहाल छोड़ कर अकेला घर आया. विनोद का साला भी दिलशाद गार्डन में ही रहता था. रेखा ने बेटे को मायके में छोड़ आने की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. शाम को दोनों में काफी लड़ाई हुई. इस के बाद विनोद ड्यूटी पर कृष्णानगर चला गया. वहां वह रात भर शराब पीता रहा. योजना बना कर उस ने मीट काटने वाला चापड़ अपने बैग में छिपा कर रख लिया और सुबह 5 बजे घर पहुंचा.
योजना को अंजाम देने के लिए विनोद ने छोटे भाई के कमरे की कुंडी बाहर से बंद कर दी. इस के बाद उस ने रेखा से दरवाजा खोलने को कहा. जैसे ही रेखा ने फ्लैट का दरवाजा खोला, विनोद ने उसे मारना शुरू कर दिया. रेखा ने बेटे विनीत को बचाने के लिए आवाज दी. उसी समय विनोद ने छिपाया चापड़ निकाल लिया.
खतरा भांप कर रेखा बचने के लिए बाहर भागी, लेकिन विनोद चौकन्ना था. वह किसी कीमत पर रेखा को छोड़ना नहीं चाहता था. उस ने चापड़ से रेखा के सिर पर वार कर दिया. रेखा के सिर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. वह वहीं फर्श पर गिर पड़ी.
विनीत ने मम्मी को बचाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो चापड़ उस के हाथ पर लग गया. पापा की इस हरकत से डर कर विनीत चाचा मदन को बुलाने बाहर भागा. उस गुस्से में विनोद ने रेखा के ऊपर 35 वार किए. विनीत चाचा के कमरे की बाहर से लगी कुंडी खोल कर उन्हें बुला लाया. रेखा की चीखपुकार सुन कर पड़ोसी भी वहां आ गए थे. लोगों को देख कर विनोद वहां से भाग निकला.
आनंद विहार के पास एक सुनसान पब्लिक टायलेट में जा कर उस ने अपना रक्तरंजित शर्ट बदला और उसे पिट्ठू बैग में रख लिया. दिन भर उस ने कौशांबी में गुजारा. शाम को उसे अपने घायल बेटे विनीत की चिंता हुई तो वह उस के बारे में जानने के लिए फ्लैट पर आ रहा था. वह अपने कपड़े और नकदी ले कर पौड़ी गढ़वाल भाग जाना चाहता था, लेकिन अतिरिक्त थानाप्रभारी जे.के. सिंह की टीम ने उसे फ्लैट पर पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया.
22 जून को पत्नी के के हत्यारे विनोद को कड़कड़डूमा की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. आखिर रेखा की चरित्रहीनता ने एक हंसतेखेलते परिवार को बरबाद कर दिया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
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