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विराट के पास है तेंदुलकर के रिकौर्ड को तोड़ने का शानदार मौका : गुंडप्पा विश्वनाथ

पिछले काफी वक्त से टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली का विश्व क्रिकेट में धमाल जारी है और उनकी तुलना अकसर सचिन तेंदुलकर से होती है. क्रिकेट के कई जानकार विराट को सचिन के 100 शतक के रिकौर्ड को तोड़ने का दावेदार करार दे चुके हैं, जिसमें एक और नया नाम जुड़ गया है. ये कोई और नहीं बल्कि पूर्व भारतीय दिग्गज गुंडप्पा विश्वनाथ हैं. जी हां, भारत के पूर्व क्रिकेटर गुंडप्पा विश्वनाथ भी अब मौजूदा भारतीय कप्तान विराट कोहली की बल्लेबाजी के कायल हो गए हैं. उन्होंने विराट की तारीफ करते हुए कहा है, उनके पास मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों के रिकौर्ड को तोड़ने का शानदार मौका है.

उनका कहना है कि कोहली में बल्लेबाजी की वो क्षमता दिखती है जो सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों के विश्वरिकौर्ड को तोड़ने की क्षमता रखती है. मौजूदा दौर के बल्लेबाजों में सिर्फ कोहली के पास यह शानदार मौका है जो इस उपलब्धि को हासिल कर सकते हैं.

गुंडप्पा विश्वनाथ कोलकाता में अंडर-14 आमंत्रण क्रिकेट टूर्नामेंट में आये थे इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि, ‘कोहली ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और अपने प्रदर्शन में लगातार निरंतरता दिखायी है. वह एक के बाद एक करके लगातार शतक बना रहे हैं. उनके पास सचिन तेंडुलकर के रिकौर्ड को तोड़ने का पूरा मौका होगा, लेकिन यह थोड़ा सा कठिन होगा.’

विश्वनाथ ने कहा, सब को पता है कि कोहली क्या कर रहे है, वह कमाल का प्रदर्शन कर रहे है. उनकी रन बनाने की भूख, आक्रमकता कमाल की है. रिकौर्ड तो बनते ही हैं टूटने के लिए. मैं कोहली लिए खुश हूं और मुझे उम्मीद है कि सचिन भी इससे उतने ही खुश होंगे. हालांकि अभी कोहली का ये सफर लंबा है.

भारतीय कप्तान विराट कोहली इस समय अपने बेहतरीन फौर्म में चल रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका में खेली गयी द्वपक्षीय एकदिवसीय श्रृंखला में कोहली ने 500 से ज्यादा रन बनाए हैं. किसी भी बाइलेटरल सीरीज में ऐसा करने वाले विराट कोहली दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए हैं. उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाजी कर सीरीज में तीन शतक जमाए. अब वनडे मैचों में उनके शतकों की संख्या भी 35 पहुंच गयी है जो कि सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे नंबर पर है.

कभी बैंक डूब जाए तो आपके पैसों का क्या होगा?

पंजाब नेशनल बैंक में हुए महाघोटाले के बाद एक बार फिर लोगों के जेहन में यह सवाल घुमड़ने लगा है कि क्‍या बैंकों में जमा उनके पैसे डूब जाएंगे? बैंक कर्मचारियों के इस घोटाले में शामिल होने से चिंता और भी बढ़ गई है. महज चंद सप्‍ताह पहले ही अफवाह थी कि बैंक से जुड़े कुछ ऐसे नियम बनने जा रहे हैं, जिससे बैंकों में जमा आम आदमी के पैसे की गारंटी सरकार की नहीं रह जाएगी. और अगर वे पैसे आपके खाते में सुरक्षित भी रहते हैं तो भी आप अपने मन से उन्‍हें निकाल नहीं सकेंगे.

हालांकि सरकार और उससे जुड़ी विभिन्‍न एजेंसियों के द्वारा बार-बार सफाई दिए जाने के बाद लोगों का डर कम हुआ. लेकिन पीएनबी की धोखाधड़ी ने इसे एक बार फिर सतह पर ला दिया है. लोगों को एक बार फिर डर सताने लगा है कि इस तरह के स्‍कैम से अगर बैंक डूब जाएं तो उनके पैसे का क्‍या होगा? आखिर अब उनका पैसा बैंक में कितना सुरक्षित है?

लोगों के सवाल और आशंकाएं प्रस्‍तावित फाइनेंशियल रेजौल्‍यूशन एंड डिपौजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल, 2017 को लेकर हैं. जानकारों की मानें तो बैंक में जमा 1 लाख रुपये तक की रकम इंश्योर्ड है. हालांकि इसके अलावा जो पैसे हैं, वे किसी भी कानून के तहत गारंटीड नहीं हैं. जबकि आमतौर पर बैंकों में जमा लोगों के पैसे को पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि कोई भी सरकार और रिजर्व बैंक किसी भी बैंक को डूबने नहीं देती है.

जानकारों का यह भी मानना है कि छोटे बैंक में जमा आपके पैसे की सुरक्षा करने की गारंटी भी सरकार की होती है. सरकार किसी बैंक को फेल नहीं होने दे सकती, क्योंकि इसकी बड़ी राजनीतिक कीमत उसे चुकानी पड़ सकती है.

आइये जानते हैं FRDI बिल के बारें में विस्‍तार से-

फाइनेंशियल रेजौल्‍यूशन एंड डिपौजिट इंश्योरेंस बिल (एफडीआरआई) बिल 2017 का उद्देश्य रेजौल्‍यूशन कौर्पोरेशन का गठन करना है. यह वित्तीय कंपनियों की निगरानी करने के लिए बनाया गया है. यह इन कंपनियों की रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से वर्गीकरण करेगा. कंपनियों को यह अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों से अलग कर दिवालिया होने से रोकेगा. हाल ही में कई कंपनियों ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन दिया है. इस तरह इससे लोगों को एक तरह की सुरक्षा ही मिलेगी, क्‍योंकि यह कौरपोरेशन कंपनियों या बैंकों को दिवालिया होने से बचाएगा.

इस बिल के बेल-इन प्रावधान को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है. यह प्रावधान डूबने वाली वित्तीय कंपनी को वित्तीय संकट से बचाने के लिए उसे कर्ज देने वाली संस्था और जमाकर्ताओं की रकम के इस्तेमाल की इजाजत देता है.

बेल-इन का साधारण शब्दों में मतलब है कि अपने नुकसान की भरपाई कर्जदारों और जमाकर्ताओं के पैसे से करना. जब उन्हें लगेगा कि वे संकट में हैं और उन्हें इसकी भरपाई करने की जरूरत है, तो वह आम आदमी के जमा पैसों का इस्तेमाल करते हुए अपने घाटे को पाटने की कवायद कर सकेगा.

जानकारों का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पिछले 50 साल में देश में शायद ही कोई बैंक दिवालिया हुआ है. हालांकि, अलग-अलग बैंकों में अपना पैसा रखकर आप अपना जोखिम घटा सकते हैं.

मौजूदा व्यवस्था में बैंक में रखे आपके पैसों को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (DICGC) इंश्योंरेंस कवर देता है. ये बीमा भी तब ही मिलता है, जब कोई बैंक इसके लिए प्रीमियम भरता है. अच्छी बात यह है कि लगभग सभी सरकारी और निजी बैंकों ने यह इंश्योंरेंस लिया हुआ है. लेक‍न बुरी बात यह है कि ये संस्था भी बैंक में रखे आपके पूरे पैसे सुरक्ष‍ित नहीं रखती है.

DICGC के मुताबिक बैंक में आपने चाहे जितने भी पैसे रखें हों, आपके सिर्फ 1 लाख रुपये ही इंश्योर्ड होते हैं. इसका मतलब यह है कि अगर आप ने किसी बैंक  में 1 लाख रुपये से ज्यादा रखे हैं, तो उसमें से सिर्फ आपके 1 लाख रुपये को ही बीमा कवर प्राप्त है.

बैंक में रखे आपके लाखों रुपयों की डूबने की नौबत तब आती है, जब कोई बैंक दिवालिया हो जाता है. जब कोई बैंक जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने में सक्षम नहीं होता, तब ये बीमा कवर आपके काम आता है.

जानकारों के मुताबिक, जैसे ही कोई फाइनेंशियल सर्विस कंपनी (बैंक भी शामिल) क्रिटिकल कैटिगरी में आती है तो उसका प्लान तैयार किया जाता है. इसके तहत बैंक की लायबिलिटी को रद्द करने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं. इस बेल-इन-क्लौज में डिपौजिटर्स का पैसा भी आ सकता है. वैसे आपको यह जानकर हैरत होगी कि कस्टमर्स का पैसा 5वें नंबर की लायबलिटी है. ऐसे में चिंता होना स्‍वाभाविक है. लेकिन लोगों की चिंता को देखकर इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

ज्यादातर समय पर जब भी कोई बैंक परेशानी में होता है या फिर उसकी वित्तीय स्थ‍िति बिगड़ने लगती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक कई समाधान करके उसे संभाल लेता है. इस नियम से आपको डरने की जरूरत नहीं, बल्क‍ि इसकी जानकारी रखने की आवश्यकता है. इससे आप वक्त आने पर सही फैसला ले सकेंगे.

बुरे दौर से गुजर रही अफ्रीकी टीम के लिये एक और बुरी खबर

टीम इंडिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीतने के बाद मेजबान टीम दक्षिण अफ्रीका के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा. पहले वनडे सीरीज में उसके एक साथ 3 खिलाड़ी चोट के कारण बाहर हो गए. इस कारण अफ्रीका को अपने ही घर में वनडे सीरीज में टीम इंडिया के खिलाफ शर्मनाक हार देखनी पड़ी. अब टी20 सीरीज शुरू होते ही उसके लिए एक और बुरी खबर आई है. उसके स्टार बल्लेबाज एबी डिविलियर्स अब पूरी टी 20 सीरीज से बाहर हो गए हैं.

स्टार बल्लेबाज एबी डिविलियर्स घुटने की चोट के कारण अब भारत के खिलाफ तीन मैचों की टी-20 अंतरराष्ट्रीय सीरीज से बाहर हो गए, जिससे दक्षिण अफ्रीका की परेशानी और बढ़ गई. पांचवें वनडे अंतरराष्ट्रीय मैच से एक दिन पूर्व डिविलियर्स के बायें घुटने में चोट लगी थी, लेकिन वह अंतिम दो वनडे में खेले थे, लेकिन कल उन्होंने टीम की ट्रेनिंग में हिस्सा नहीं लिया.

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दक्षिण अफ्रीका के टीम मैनेजर मोहम्मद मूसाजी के हवाले से ‘ईएसपीएनक्रिकइंफो’ ने कहा, ‘पांचवें वनडे से पहले बल्लेबाजी करते हुए उसके घुटने में चोट लगी थी. शुक्रवार को उसने फिटनेस परीक्षण पास किया, लेकिन मैच के दौरान चोट काफी बढ़ गई.’

क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने साथ ही कहा कि आस्ट्रेलिया के खिलाफ डरबन में एक मार्च से शुरू हो रही चार टेस्ट की सीरीज से पहले चोट से उबरने के लिए डिविलियर्स को आराम की सलाह दी गई है. भारत के खिलाफ तीसरे टेस्ट के दौरान डिविलियर्स के दायें हाथ की अंगुली में चोट लगी थी और वह पहले तीन वनडे में नहीं खेल पाए थे. डिविलियर्स ने चौथे वनडे में वापसी की थी, हालांकि उन्होंने उस मैच में बड़ी पारी नहीं खेली थी, लेकिन उसी मैच में टीम अफ्रीका को जीत मिली थी. बाकी के मैचों में वह कामयाब नहीं रहे थे. लेकिन डिविलियर्स जिस तरह के बल्लेबाज हैं, उनके लिए वापसी करना कभी भी मुमकिन हैं. ऐसे में बुरी फौर्म से गुजर रही अफ्रीका के लिए ये एक और आफत वाली खबर है.

फोन खोने पर इस तरह करें व्हाट्सऐप री-स्टोर

फोन खोने या चोरी हो जाने पर हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. फोन चोरी होने पर उसमें सुरक्षित डेटा का खो जाना पैसों के नुकसान के साथ एक बड़ा नुकसान है. आजकल हर कोई व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करता है. फोन खोने पर जाने वाले डेटा में व्हाट्सऐप डेटा भी बहुत महत्वपूर्ण है. हम तो यही चाहेंगे कि किसी के भी साथ ऐसा ना हो, लेकिन अगर कभी आपके साथ ऐसा होता है और आप अपने व्हाट्सऐप डेटा को रिस्टोर करना चाहते हैं तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको बता रहे हैं कुछ आसान से स्टेप्स जिन्हें अपनाकर आप अपना व्हाट्सऐप री-स्टोर कर सकते हैं.

तो चलिए जानते हैं इसके बारें में-

फोन खो जाने पर सबसे पहले तो आप अपने सिम प्रोवाइडर को फोन करके अपना सिम तुरंत लौक कराएं ताकि आपके नंबर का गलत इस्तेमाल ना किया जा सके. ऐसा होने के बाद आपके खोए हुए डिवाइस पर आपके नंबर वाला व्हाट्सऐप नहीं चल पाएगा. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि व्हाट्सऐप चलाने पर रजिस्टर्ड नंबर पर एक वेरिफिकेशन का कोड आएगा लेकिन सिम बंद होने के कारण वह कोड नहीं मिलेगा और आपके नंबर वाला व्हाट्सऐप नहीं चल पाएगा.

सिम बंद करवाने के बाद किसी भी मोबाइल स्टोर पर जाकर अपना नया सिम निकलवा लें. अब आप किसी भी नए डिवाइस पर व्हाट्सऐप इंस्टाल कर सकते हैं. याद रखें, एक नंबर से एक समय पर सिर्फ एक ही फोन में व्हाट्सऐप चालू हो सकता है.

यूजर के पास अपना अकाउंट दोबारा चालू करने के लिए 30 दिन का समय होता है. एक महीने के बाद आपका अकाउंट अपने आप डिलीट हो जाएगा. इस दौरान अगर कोई आपको मैसेज भेजेगा तो वे पेंडिंग में रहेंगे लेकिन 30 दिन बाद वे भी डिलीट हो जाएंगे. इसके अलावा अगर आपने किसी औनलाइन क्लाउड पर बैकअप ले रखा है तो आप अपनी चैट हिस्ट्री को री-स्टोर कर पाएंगे.

आप व्हाट्सऐप टीम को भी मेल कर सकते हैं. इसके लिए मेल में आपको Lost/stolen: Deactivate my account के साथ अपने व्हाट्सऐप नंबर भी लिखने होंगे.

पीएनबी महाघोटाले का असर कहीं आप पर तो नहीं

पीएनबी महाघोटाले ने जहां देश को हिला कर रख दिया है. वहीं, केंद्र सरकार भी अब कोई ढिलाई नहीं बरतना चाहती है. देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में सीबीआई और ईडी लगातार छापेमारी कर रही हैं. देशभर में नीरव मोदी, मेहुल चौकसी के कई ठिकानों पर छापे मारे गए. सोमवार को सीबीआई ने पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच को सील कर दिया. साथ ही बैंक के बाहर नोटिस भी चस्पा कर दिया है. फिलहाल, अगले आदेश तक बैंक में कोई काम नहीं होगा. आम नागरिकों से लेकर बैंक कर्मचारियों तक के ब्रांच में जाने पर रोक लगा दी गई है. इस ब्रांच में जिसका भी खाता है वो फिलहाल कोई काम नहीं कर पाएगा.

ब्रैडी हाउस ब्रांच में जांच होगी

पीएनबी के ब्रैडी हाउस ब्रांच में जांच शुरू हो गई है. रविवार को ही सीबीआई की एक टीम ने कई दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया. वहीं, पीएनबी के अधिकारियों से भी पूछताछ की गई. इसके अलावा सीबीआई ने विपुल अंबानी और नीरव मोदी के स्टाफ से भी आठ घंटे पूछताछ की गई.

आपको बता दें, विपुल अंबानी का ताल्लुक धीरूभाई अंबानी परिवार से है. वह धीरूभाई अंबानी के छोटे भाई नटुभाई अंबानी के बेटे हैं और वह नीरव मोदी की कंपनी फायरस्टार के फाइनेंस डिपार्टमेंट के प्रेसिडेंट हैं. सीबीआई ने उन्हें कुछ दस्तावेजों के साथ दफ्तर बुलाया था.

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कमीशन राशि का होता था बंटवारा

सीबीआई ने पीएनबी के 11 अफसरों, विपुल अंबानी के अलावा गिरफ्तार गए पीएनबी के रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी समेत तीन आरोपियों से भी पूछताछ की. शेट्टी ने पूछताछ में खुलासा किया कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियों को फर्जी एलओयू जारी करने के लिए मोटा कमीशन मिलता था. इस कमीशन राशि का बंटवारा मुंबई की ब्रैडी हाऊस शाखा के घोटाले में लिप्त सभी कर्मचारी में होता था.

पासवर्ड का भी होता था गलत इस्तेमाल

शेट्टी ने बताया कि वह फर्जी एलओयू (लेटर औफ अंडरटैकिंग) के लिए लेवल-5 पासवर्ड का अनधिकृत रूप से उपयोग करता था. स्विफ्ट सिस्टम के जरिए भी नीरव और मेहुल की कंपनियों को फर्जी एलओयू जारी करने की सूचना विदेशी बैंकों को भी दी जाती थी. विदेशों में कई बैंकों ने नीरव और मेहुल की कंपनियों को 11,400 करोड़ रुपए (1.77 अरब डौलर) का भुगतान किया गया.

आप पर भी होगा असर

घोटाले का असर आम खाताधारकों पर भी पड़ेगा. दरअसल, सीबीआई ने जिस ब्रांच को सील किया है. वहां, अभी कोई काम नहीं होगा. इसका मतलब यह है कि रोजाना का लेनदेन करने वालों को बड़ा झटका लगेगा. साथ ही दस्तावेजों से जुड़े कामकाज पर भी असर पड़ेगा. ब्रांच में जमा पैसा न बाहर जाएगा न ही कोई पैसा अंदर आएगा. जिनके ड्राफ्ट, कैश मेमो, बैलेंसशीट ब्रांच में होगी वह भी नहीं निकल सकेगी.

गूगल ने हटाया अपना यह अहम फीचर, क्या आपने ध्यान दिया

गूगल ने अपने सर्च इंजन से एक अहम फीचर हटा दिया है. ये फीचर उसके इमेज औप्शन से जुड़ा हुआ है. बताया जा रहा है कि गूगल ने ये कदम कौपी राइट की परेशानी को देखते हुए हटाया है. दरअसल, अब आपको गूगल इमेज में किसी भी फोटो पर व्यू इमेज का औप्शन नहीं मिलेगा. इस फीचर का इस्तेमाल करते हुए पहले यूजर फोटो को उसके ओरिजनल साइज में देख पाता था. इतना ही नहीं उसे डाउनलोड करना भी आसान होता था. लेकिन अब इमेज को ओरिजनल साइज में डाउनलोड करना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा.

गूगल ने ट्विटर पर दी जानकारी

इस संबंध में गूगल ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए जानकारी दी है. गूगल की ओर से ट्वीट करते हुए लिखा गया, हम यूजर्स और कई वेबसाइट से जुड़ने के लिए इमेज सेक्शन में कुछ बदलाव करने जा रहे हैं. इसके अंतर्गत व्यू इमेज का बटन हटा दिया जाएगा. हालांकि, विजिट बटन बरकरार रहेगा, ताकि यूजर इमेज से जुड़ी खबर को संबंधित वेबसाइट पर पढ़ सकें.

गैटी इमेज के साथ करार है अहम वजह

बताया जा रहा है कि गूगल के इस कदम के पीछे उसका गैटी इमेज के साथ हुआ एक करार है. इमेज सेक्शन में हुए ये बदलाव स्टौक फोटो प्रोवाइडर गैटी इमेज के साथ गूगल की पार्टनरशिप के बाद देखने को मिल रहे हैं. गूगल ने हाल ही में गैटी इमेज के साथ मल्टी-ईयर ग्लोबल लाइसेंसिंग डील साइन की है. इस करार के तहत गूगल को इमेज सेक्शन में गैटी के फोटो के साथ उससे संबंधित कौपीराइट जानकारी भी देनी होगी.

कुछ को पसंद, कुछ को नापसंद आया बदलाव

गौरतलब है कि इससे पहले कई फोटोग्राफर्स ने गूगल के जरिए लोगों द्वारा बिना परमिशन के आसानी से फोटो डाउनलोड किए जाने पर आपत्ति जताई थी. कौपीराइट होने के बावजूद इन्हें इमेज सेक्शन के जरिए लोग डाउनलोड कर रहे थे. गैटी इमेज के द्वारा भी इसी तरह की शिकायत की गई थी.

इस बदलाव को लेकर लोगों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है. जहां प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स और कुछ वेबसाइट इस बदलाव से खुश हैं, तो वहीं आम लोगों में से कुछ इसे गूगल का अब तक का सबसे बेकार बदलाव बता रहे हैं.

अरिजीत से अब तक नाराज हैं सलमान खान, अब इस फिल्म से हटवाया गाना

फिल्म ‘सुल्तान’ की रिलीज के वक्त अभिनेता सलमान खान की सिंगर अरिजीत सिंह से नाराजगी की बात सामने आई थी, जो अब तक खत्म नहीं हुई है. कई मौकों पर अरिजीत सिंह के माफी मांगने के बाद भी सलमान खान की नाराजगी नहीं दूर हो पाई है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सलमान के दखल के बाद फिल्म ‘वेलकम टू न्यूयौर्क’ से अरिजीत सिंह के गाने को हटा दिया गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ दिन पहले ही सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म ‘वेलकम टू न्यूयौर्क’ का गाना ‘नैन फिसल गए’ रिलीज हुआ है. इस गाने में सलमान खान ने काम किया है लेकिन फिल्म का हिस्सा बनने से पहले सलमान ने फिल्म से अरिजीत के गाने को हटाने के लिए कहा था.

बता दें, फिल्म के गाने ‘इश्तिहार’ को पहले अरिजीत की आवाज में रिकौर्ड किया जाना था लेकिन सलमान के मना करने के बाद फिल्म के इस गाने को राहत फतेह अली खान ने आवाज दी. इस फिल्म में दिलजीत दोसांज, करण जौहर, ऋतेश देशमुख और बोमन ईरानी जैसे कलाकार अहम भूमिकाओ में हैं.

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बाबुल सुप्रियो ने पाक सिंगर को लेकर उठाए सवाल

बता दें, बाबुल सुप्रियो ने भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगाने की मांग करते हुए कहा है कि, ‘मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि जब भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ा हुआ है, तो हम सीमा पार प्रतिभा और कौशल की तलाश क्यों कर रहे हैं’. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि एफएम पर पाकिस्तानी गायकों के गाने चलाए जाए और न्यूज चैनल्स पर पाकिस्तानी हमले में शहीद हुए भारतीय जवानों की खबरें. इसके साथ ही सुप्रियो ने फिल्म ‘वेलकम टू न्यूयौर्क’ के निर्माताओं से एक गाने से राहत फतेह अली खान की आवाज़ को हटाने की मांग की है.

अरिजीत ने फेसबुक पर की थी रिक्वेस्ट

गौरतलब है कि अरिजीत सिंह ने सलमान खान की फिल्म ‘सुल्तान’ के लिए गाना गाया था और बाद में उन्होंने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट करते हुए सलमान खान से रिक्वेस्ट भी की थी कि वह इस फिल्म से उनके गाने को न हटाए लेकिन सलमान ने फिल्म से अरिजीत के गाने को हटवा दिया था. इसके बाद सलमान की फिल्म ‘टाइगर जिंदा’ है में भी सलमान ने अरिजीत को गाने का मौका नहीं दिया था और इस वजह से उनकी फिल्म के गाने ‘दिल दियां गल्ला’ को आतिफ असलम ने आवाज दी थी.

डांस मेरा एक्स्ट्रा टैलेंट है और अभिनय मेरा पैशन : उर्वशी

फिल्म ‘सिंह साहब द ग्रेट’ से कैरियर की शुरुआत करने वाली खूबसूरत अभिनेत्री उर्वशी रौतेला, उत्तराखंड के हरिद्वार की हैं. स्कूल के दिनों से मौडलिंग की शुरुआत करने वाली उर्वशी ने साल 2015 को ‘मिस दिवा’ का खिताब जीता और ‘मिस इंडिया यूनिवर्स 2015’ का प्रतिनिधित्व भी किया. हिंदी के अलावा उसने कन्नड़ और बंगाली फिल्मों में भी काम किया है. फिल्म ‘हेट स्टोरी 4’ में उर्वशी मुख्य भूमिका निभा रही हैं. जिसे लेकर वह बहुत खुश हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था. पेश है अंश.

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इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

ये एक अलग खास रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है. कहने को तो ये हेट स्टोरी है, पर इस श्रृंखला को सबसे अधिक प्यार मिला है. ये मेरे कैरियर की पहली महिला प्रधान फिल्म है. मैं खुश होने के साथ – साथ नर्वस भी हूं, क्योंकि बाकी फिल्मों के साथ इसकी तुलना की जाएगी. उसका मुझे डर है. इसके अलावा इससे पहले की फिल्मों में मैंने सेकेण्ड लीड की भूमिका की थी, जिसमें कामयाबी या असफलता दोनों बट जाया करती थी. इसमें सब मुझे ही सहना पड़ेगा.

फिल्म में ‘हील्स कोरियोग्राफी’ है, जिसे आपने किया है, कैसे और कहां से सीखा?

मैंने डांस के 11 फौर्म सीखे है. मसलन भरतनाट्यम, जैज, बेले, बौलीवुड डांस आदि. इससे मुझे किसी भी प्रकार के डांस को सीखने में मेहनत नहीं लगती. इसके अलावा मैंने इस फिल्म में एक सुपर मौडल की भूमिका निभाई है, जो बहुत साहसी, मजबूत, आत्मविश्वास से परिपूर्ण होने के साथ-साथ सौफ्ट और संवेदनशील भी है. ऐसे में जब मैंने इस के एक गाने को सुना, तो नया करने की इच्छा हुई और मैंने किया और इसे करने में समय नहीं लगा.

क्या फिल्मों में आना इत्तफाक था या पहले से सोचा था?

मैंने फिल्मों में आने की कल्पना कभी भी नहीं की थी. मैं जिमनास्ट, एस्ट्रोनौट, बास्केटबौल प्लेयर या एरोनौटिकल इंजीनीयर बनना चाहती थी. फिल्मों में आने के लिए परिवार वालों और दोस्तों ने कहा. पहले मुझे लगा था कि मैं इस क्षेत्र में सफल होउंगी या नहीं, पर जब मौडलिंग के औफर आने लगे, तो अपने ऊपर विश्वास हुआ और जब दो बार मिस इंडिया का खिताब जीती, तो आत्मविश्वास बढ़ा.

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किस फिल्म ने आपको प्रेरित किया?

मैंने पहले थिएटर में फिल्म ‘कहो न प्यार है’ देखी थी, उसमें ऋतिक के अभिनय से बहुत प्रेरित हुई थी. इसके बाद जब उन्होंने फिल्म ‘काबिल’ का गाना ‘हसीनों का दीवाना….’ डांस के लिए बुलाया, तो मुझे बहुत खुशी हुई थी. डांस मेरी एक्स्ट्रा टैलेंट है और अभिनय मेरा पैशन है.

परिवार का सहयोग कैसे था?

मैं इकलौती संतान हूं और बचपन से ही पैम्पर चाइल्ड रही हूं. मैं 16 साल की उम्र में मुंबई आ गयी थी. मेरी मां मीरा रौतेला, एक बिजनेस वुमन होने के साथ-साथ इंडस्ट्री की सबसे सुंदर महिला हैं और मेरे पिता भी व्यवसायी हैं, उनसे मानसिक और भावनात्मक सहयोग जो जरुरी होता है वह मिला.

‘मिस दिवा’ से अब तक का सफर कैसा था? कितना संघर्ष था?

मुझे मिस इंडिया बनना था और मैंने कई ब्यूटी प्रेजेंट भी जीता है, जिससे लोगों के बीच में जल्दी पोपुलर हो गयी थी, इससे मुझे मौडलिंग और एक्टिंग के औफर भी मिलने लगे थे. मुश्किल की अगर बात करें तो मैंने 16 साल की उम्र में ‘मिस यूनिवर्स’ के लिए पूरी तैयारिया की थी, लेकिन कौम्पीटिशन के समय पर मैं 20 दिन छोटी पड़ने की वजह से भाग नहीं ले सकी, यह मेरे लिए बहुत दुखद था. इसके अलावा सही फिल्मों के मिलने के लिए भी संघर्ष होता है.

क्या कभी ‘कास्टिंग काउच’ का पाला पड़ा?

कास्टिंग काउच का सीधा सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन कभी मुझे लीड बताकर किसी स्टार किड्स को ले लेना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है. इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद है, लेकिन अगर मेरे अंदर प्रतिभा है, तो मैं उसे किसी न किसी दिन अवश्य बाहर लाने में समर्थ होउंगी. समय लगता है, पर काम अवश्य मिलता है.

फिल्मों में अन्तरंग दृश्य को करने में कितनी सहज हैं?

फिल्म में कहां क्या करना है मुझे पता होता है, इसके लिए में शोध भी करती हूं. अगर फिल्म में कोई इमोशन को दिखाना है, तो अपने मूड को बनाने के लिए मैं 500-500 बार पुशअप मारती थी. अचानक से अगर बेड सीन करना है, तो उसे करने के लिए मैं अपने ट्रिक्स का इस्तेमाल करती हूं. किसी चरित्र में जाने के लिए मैं अपने आप को पूरी तरह से तैयार करती हूं.

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फैशन कितना पसंद करती हैं? कितनी फूडी हैं?

मुझे क्रिएटिविटी बहुत पसंद है और ड्रेस में भी मैं खुद ही कुछ न कुछ क्रिएट करती रहती हूं. मुझे अपनी ‘क्लोदिंग लाइन’ भी निकालने की इच्छा है. मुझे बर्साची के पोशाक बहुत पसंद है. मुझे फैशन पसंद है. मैं बहुत फूडी हूं. हर तरह के व्यंजन पसंद है. मां के हाथ की बनाई हुई भिन्डी की सब्जी, पनीर के पराठे, रबड़ी के साथ इमरती, रसमलाई आदि सब पसंद है. मैं जंक फूड नहीं खाती, हेल्दी फूड लेती हूं. साथ ही हेल्थ ट्रेनिंग खूब लेती हूं.

आपका स्टाइल स्टेटमेंट क्या है? आपकी खूबसूरती का राज क्या है?

मैं हमेशा लुक बदलती रहती हूं. गाने में, फिल्मों में अलग-अलग लुक मैं खुद क्रिएट करती हूं. इससे मुझे काम करने में मजा आता है.

मेरी खूबसूरती का राज मेरे माता-पिता हैं, जिन्होंने अपनी जींस को मुझे दिया. इसके अलावा उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां है.

क्या कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?

मुझे प्रोजेक्ट से अधिक खास निर्देशक के साथ काम करने की इच्छा है, जिसमें संजय लीला भंसाली और राजू हिरानी का नाम सबसे ऊपर है.

आपको लेकर कई बार ट्रोलिंग हुई है, उसे कैसे लिया?

‘ट्रोलर्स’ तो करते ही रहेंगे, उस पर मैं अधिक ध्यान नहीं देती, ‘इग्नोर’ करती हूं.

क्या कुछ सामाजिक काम करती हैं?

मेरी एक फाउंडेशन उर्वशी रौतेला फाउंडेशन है, जिसके तहत वहां के गरीब बच्चों को हर तरह की सुविधाएं दी जाती है.

पंडों और भिखारियों में आखिर फर्क क्या है

इंद्रेश कुमार आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और कार्यकर्ता हैं जो महज 21 साल की उम्र में बीई करने के बाद आरएसएस से जुड़ गए थे. वे एक चुनौती पूर्ण और दुसाहसी काम करते रहे हैं वह है देश के तमाम मुसलमानों को आरएसएस से जोड़ने का, वावजूद यह जानने समझने के देश का इतिहास तो इतिहास वर्तमान भी इस पर सहमत नहीं. इंद्रेश मुसलमानों को हिन्दू नहीं बनाते बल्कि यह कहते हैं कि मुसलमानों को मुख्यधारा से जुड़ जाना चाहिए.

अब यह मुख्यधारा है क्या बला यह बताने की जरूरत नहीं कि वह हिन्दुत्व है जो इंद्रेश कुमार जैसे संघियों की राय में कोई धर्म नहीं बल्कि एक जीवन पद्धति है और मुसलमान इसके अपवाद नहीं. अक्सर आरएसएस की तरफ से रोजा इफ्तार दावतों में दिखने बाले इंद्रेश सालों बाद भी वहीं खड़े हैं जहां से चले थे यानि एक फ्लौप मुहिम की अगुवाई वे अभी तक कर रहे हैं.

अक्सर अपने बड़बोलेपन के चलते सुर्खियों और विवादों में रहने वाले इस वरिष्ठ कार्यकर्ता ने 13 फरवरी को दिल्ली के एक कार्यक्रम में एक दिलचस्प बात यह कही कि भीख मांगना भी देश के 20 करोड़ लोगों का रोजगार है, जिन्हें किसी ने रोजगार नहीं दिया उन लोगों को धर्म में रोजगार मिलता है , जिस परिवार में पांच पैसे की भी कमाई न हो उस परिवार का दिव्यांग और दूसरे सदस्य धार्मिक स्थलों में भीख मांगकर परिवार का गुजारा करता है, ये छोटा काम नहीं है.

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नरेंद्र मोदी के पकौड़ा बेचो के मशवरे पर भी वे कुछ कुछ बोले पर मुद्दे की बात 20 करोड़ भिखारी हैं जो बकौल इंद्रेश कुमार धर्म स्थलों पर भीख मांगकर गुजर करते हैं. बिना किसी लाग लपेट के कहा जाये तो धर्म वाकई सबसे बड़ा नियोक्ता और दाता है. निसंदेह इस सच बयानी के लिए इंद्रेश साधुवाद के पात्र हैं पर जाने क्यों वे धर्मस्थलों की अंदर पसरे लेनदेन पर खामोश रह गए. पैसा देने पर अंदर बाहर दोनों जगह आशीर्वाद और दुआएं मिलती हैं फर्क सिर्फ इतना है कि बाहर बाला तिरस्कृत और भीतर बाला स्वीकृत है, बाहर वाले की जात पात किसी को नहीं पता रहती पर अंदर लेने बाले पंडें के बारे में सब जानते हैं कि वह ब्राम्हण ही होता है.

भीख और दक्षिणा के फर्क से मुंह भले ही इंद्रेश चुराएं पर इस सच को वे अस्वीकार नहीं कर सकते कि दक्षिणा या चढ़ावा भी पुश्तैनी रोजगार है फर्क स्तर का है. करोड़ों पंडों के पेट और परिवार इसी से पल रहे हैं और भीख मांगने से तो यह काम लाख गुना बेहतर है. अमित शाह ने नरेंद्र मोदी के मशवरे को विस्तार देते हुए राज्यसभा में यह कहा था कि भीख मांगने से तो बेहतर है कि पकोड़ा बेचा जाये यह कोई शर्म की बात नहीं.  यही बात इंद्रेश कुमार ने भी कही लेकिन वे तो भीख को भी बुरा, छोटा या हिकारत वाला काम नहीं मानते. भाजपा और आरएसएस की मानसिकता का सूक्ष्म अंतर अमित शाह और इंद्रेश कुमार के बयानों से समझ  आता है कि धर्म के नाम पर भीख मांगना कोई हीनता नहीं इस लिहाज से तो करोड़ों पंडों को सम्मानजनक रोजगार मिला हुआ है.

समझ यह भी आता है कि रोजगार के मुद्दे पर भगवा खेमा अपनी बात स्पष्ट कह और कर चुका है कि सत्ता में रहते भाजपा इसके लिए कुछ नहीं करेगी, अब यह लोगों की मर्जी है कि वे पकोड़े तलें या धर्मस्थल पर भीख मांगे. दोनों ही काम छोटे नहीं. बड़ा काम धर्मस्थल के अंदर दक्षिणा समेटने का है और एक जाति विशेष के लिए आरक्षित है जो अक्सर जातिगत आरक्षण पर हाय हाय करती रहती है.

मान लेने में ही भलाई है कि अब देश में कोई समस्या नहीं है, अच्छे दिन आ चुके हैं धर्मस्थलों के बाहर रुपये दो रुपये की भीख के एवज में भगवान से भला करवाने वाले 20 करोड़ भारतीय ही भारत को विश्वगुरु बनवाएंगे जिनके चेहरे पर मेल की खुरचन है, होठों से बहती लार है फूले पेट और बिखरे बाल हैं, दयनीयता से लबरेज ये 20 करोड़ लोग अपने पिछले और इस जन्म के पापों की सजा भुगत रहे हैं. ये दरिद्रनरायण भी पंडों की तरह भक्त और भगवान के बीच की कड़ी हैं. ये जोड़ी और बच्चे सलामत रहें की गुजारिश उस भगवान से दूसरों यानि दाता के लिए करते हैं जिसने इनकी किस्मत में भीख मांगने जैसा गौरवशाली कर्म लिख दिया है. ये तगड़ी दक्षिणा लेकर मोक्ष नहीं दिलवा सकते सिर्फ इसलिए कि ये मंदिर के बाहर हैं और पंडे नहीं हैं.

ये 20 करोड़ अनुत्पादक लोग ही धर्म की श्रेष्ठता और महत्ता स्थापित करते हैं इसलिए इनका बने रहना जरूरी है.

कुछ भीगे अल्फाज : बेहतरीन अभिनय से सजी सुंदर प्रेम कहानी

‘बस एक पल’, ‘आई एम’, ‘शब’ जैसी विचारोत्तेजक फिल्मों के सर्जक ओनीर पहली बार पूर्णरूपेण रोमांटिक फिल्म ‘‘कुछ भीगे अल्फाज’’ लेकर आए हैं. वर्तमान समय में जबकि युवा पीढ़ी पूरी तरह से फेसबुक, ट्वीटर व व्हाट्स अप जैसे सोशल मीडिया की दीवानी है. इस आधुनिक सोशल मीडिया की ही वजह से न सिर्फ दो अजनबी इंसानों की प्रेम कहानी परवान चढ़ती है, बल्कि यह दोनों अपनी कमजोरियों से उबरते हैं.

फिल्म की कहानी के केंद्र में कलकत्ता के एक एफएम रेडियो पर देर रात प्रसारित होने वाला कार्यक्रम ‘‘कुछ भीगे अल्फाज’’ और सोशल मीडिया है. रेडियो के इस कार्यक्रम में रेडियो जौकी अल्फाज (जेन खान दुर्रानी) रोमांटिक कहानियों के साथ रोमांटिक गाने सुनाते हैं. पर वह अपनी असली पहचान हर किसी से छिपाकर रखते हैं. इसी वजह से वह सोशल मीडिया के किसी प्लेटफार्म पर नहीं हैं. उनकी इसी जिद के चलते रेडियो मालिक को भी नुकसान होता है. क्योंकि अल्फाज सामने नहीं आना चाहते.

उधर कलकत्ता की एक विज्ञापन एजेंसी से जुड़ी और अपनी मां के साथ रह रही अर्चना प्रधान (गीतांजली थापा) के चेहरे पर 8 साल की उम्र से ही सफेद दाग/ ल्यूकोडर्मिक है. वह इसी के चलते  हीन भावना से ग्रस्त है. उसे लगता है कि उसे प्यार करने वाला कोई युवक नहीं मिलेगा. इसलिए वह हर दिन ब्लाइंड डेट पर जाती रहती है. सहकर्मी अप्पू (श्रेय तिवारी) से उसकी अच्छी दोस्ती है. वह अल्फाज के कार्यकम्र की बहुत बड़ी फैन है. ब्लाइंड डेट पर जाने के लिए फेसबुक पर उनके नाम चुनकर फोन करती रहती है, जिन्होंने अपने बारे में खुलकर फेसबुक पर बयां नहीं किया है.

एक दिन अर्चना अनजाने में एक गलत नंबर मिला बैठती है, जो कि अल्फाज का है. उसके बाद अल्फाज से वह अक्सर बातें करने लगती है. इधर करियर में उंचाइयां छूने के लिए अर्चना का बनाया हुआ एक जोक अप्पू अपने नाम से मालिक को दे देता है, इस बात से अर्चना को ठेस पहुंचती है और वह नौकरी छोड़ कर घर बैठ जाती है. तब अर्चना अपनी मां के कहने पर वाट्स अप से जुड़ जाती है. अब अर्चना ‘कुछ भीगे अल्फाज’ कार्यक्रम में अल्फाज द्वारा पेश की गयी शायरी को किसी तस्वीर या कोई चेहरा बना कर सोशल मीडिया पर डालना शुरू करती है.

वाटस अप पर वह अल्फाज को भी जोड़ती है. तो अल्फाज तक भी सारी चीजें पहुंचती है. कहानी आगे बढ़ती है. एक दिन अर्चना अपने चेहरे की कमी का जिक्र अल्फाज से कर देती है. अल्फाज उसे समझाता है कि वह निराश न हो, क्योंकि असली प्यार में चेहरे की रंगत नहीं देखी जाती. उसे प्यार करने वाला युवक अवश्य मिलेगा. फिर अर्चना, अल्फाज को ट्राम में मिलने के लिए बुलाती है. दोनों पहुंचते हैं, पर मुलाकात नहीं हो पाती.

एक दिन अर्चना एफएम रेडियो के औफिस जाती है, तो उसे अल्फाज की असलियत पता चल जाती है. तब अल्फाज खुद को गुमनाम रखने की वजह बताते हैं. पता चलता है कि शिमला में कालेज के दिनों में अल्फाज बास्केटबाल खेलते थे. उन्हे अपनी सहपाठी व कालेज में मशहूर एक लड़की से प्यार हो गया था. यह लड़की कालेज में भाषण व निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लेती थी. जब उसे अल्फाज की सबसे ज्यादा जरुरत होती है, उस वक्त अल्फाज खेल के चक्कर में उसका साथ नहीं देते हैं. वह लड़की आत्महत्या कर लेती है.

कालेज का प्रिंसिपल सब कुछ जानते हुए भी अल्फाज के दादाजी के सामने लड़की की मौत के लिए एक वाचमैन पर दोष मढ़ देते हैं. असलियत अल्फाज के दादाजी को भी पता नहीं चलती. पर इस अपराध बोध से ग्रस्त अल्फाज शिमला से कलकत्ता आ जाते हैं और अब अपनी पहचान छिपाकर रहकर रेडियो जाकी के रूप में ऐसी रोमांटिक कहानियां सुनाते हैं, जिससे दो प्रेमियों या पति पत्नी के बीच की दूरी मिट सके.

तब अर्चना, अल्फाज को दर्द से उबरने के लिए प्रेरित करती है. अंत में अर्चना के कहने पर अल्फाज ट्राम में मिलने आते हैं और दोनों की प्रेम कहानी आगे बढ़ जाती है.

अभिषेक चटर्जी लिखित पटकथा पर ओनीर ने रोमांस, सोशल मीडिया, एफएम रेडियो के देर रात के कार्यक्रम, कलकत्ता, कलकत्ता की ट्राम और बारिश का बहुत सुंदर संयोजन किया है. ओनीर ने एक बार फिर साबित किया है कि वह किसी भी विषय पर एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म बना सकते हैं. वैसे तो फिल्म कि गति थोड़ी धीमी है, पर रोमांस का असली मजा भी शायद इसी में है.

बतौर निर्देषक ओनीर ने एक बार फिर साबित किया है कि वह रोमांस को भी परर्दे पर बहुत बेहतर तरीके से पेश कर सकते हैं, उन्होंने तमाम दृश्यों को बहुत बेहतर तरीके से गढ़ा है. फिल्म उदासीन मूड़ से वर्तमान तक को बेहतर ढंग से चित्रित करती है. अभिषेक चटर्जी की पटकथा लेखक के तौर पर पहली फिल्म है. उन्होंने एक अच्छी पटकथा लिखी है. पर यदि इसकी गति थोडी बढ़ जाती, तो अच्छा होता. अर्चना, अल्फाज के कार्यक्रम की फैन है, वह हर दिन अल्फाज का रेडियो कार्यक्रम ध्यान से सुनती है और अल्फाज से भी हर दिन बात करती है, मगर वह अल्फाज की आवाज पहचान नहीं पाती. यह पटकथा लेखक के अलावा निर्देशक की भी सबसे बड़ी चूक है. फिल्म में पुराने गानों को अच्छे ढंग से उपयोग किया गया है. शायरी काफी अच्छी लिखी गयी हैं. कुछ संवाद अच्छे बन पड़े हैं.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो बतौर अभिनेता जेन खान दुर्रानी के करियर की यह पहली फिल्म है. प्यार में चोटिल व अपराध बोध से ग्रसित रेडियो जौकी अल्फाज के जटिल किरदार को काफी अच्छे ढंग से निभाया है. यूं तो वह अपने अंदर के दर्द व अपराध बोध को बेहतर तरीके से पेश कर पाए हैं, अपने दर्द को छिपाकर लोगों को रोमांटिक कहानियां व शायरी सुनाते हुए लोगों को प्रेरित सुनाते हुए शानदार आवाज के रूप में शोहरत बटोरते हैं, पर लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए अभी उन्हें और मेहनत करने की जरूरत है. कई जगह चेहरे के भाव सही ढंग से नहीं उभरते. अर्चना के किरदार में गीतांजली थापा ने कमाल का अभिनय कर पूरी फिल्म को अपनी फिल्म बना लेती हैं.

ल्यूकोड्म से पीड़ित होते हुए भी अपने दर्द को छिपाकर जिस तरह से वह एक सामान्य लड़की के रूप आती हैं, वह कमाल का अभिनय है. फिल्म खत्म होते होते दर्शकों के दिलो दिमाग पर गीतांजली थापा अपनी छाप छोड़ जाती हैं. अप्पू के किरदार में श्रेय तिवारी भी ठीक ठाक हैं.

कुल मिलाकर यह एक ऐसी प्रेम कहानी है, जिसे अवश्य देखना चाहिए. विक्रम मेहरा और सिद्धार्थ आनंद कुमार द्वारा ‘सारेगामा’ व ‘यूडली फिल्मस’ के बैनर तले निर्मित फिल्म ‘‘कुछ भीगे अल्फाज’’ के लेखक अभिषेक चटर्जी, निर्देशक ओनीर, संगीतकार शाश्वत श्रीवास्तव, कैमरामैन नुसरत एफ जाफरी तथा कलाकार हैं – गीतांजली थापा, जेन खान दुर्रानी, श्रेय तिवारी, मोना अंबेगांवकर, चंद्रेय घोष, सौरव दास, साहेब भट्टाचरजी, शंखू करमरकर व अन्य.

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