आपका मोबाइल नंबर जल्द ही बदलने वाला है. सरकार इसकी तैयारी कर रही है. अब मोबाइल नंबर 10 अंकों का नहीं बल्कि 13 अंकों के साथ आएंगे. 1 जुलाई 2018 के बाद नया नंबर लेने पर 13 अंकों को मोबाइल नंबर मिलेगा. केंद्रीय संचार मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस संबध में निर्देश जारी कर दिए हैं. बीएसएनएल ने भी इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. अधिकृत सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठक में इस संबध में निर्णय लिया गया है.
इसलिए बंद होगी दस नंबरों की सीरीज
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कहा गया कि 10 अंकों के लेवल में अब नए मोबाइल नंबरों की गुंजाइश नहीं बची है. इसी कारण 10 से अधिक अंकों की सीरीज शुरू की जाए और बाद में सभी मोबाइल नंबरों को 13 अंकों का कर दिया जाए.
सिस्टम अपडेट करने को कहा
मोबाइल नंबर की नई सीरीज आने से सभी सेवाप्रदाता कंपनियों को अपना सिस्टम अपडेट करना होगा. इस संबंध में सभी सर्कल की दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को आदेश जारी कर दिया गया है. बीएसएनएल के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दिसंबर 2018 तक पुराने मोबाइल नंबर भी इसी प्रक्रिया के तहत अपडेट होंगे.
वर्तमान नंबर कैसे बदलेंगे, प्रक्रिया तय नहीं
सूत्रों के अनुसार वर्तमान में चल रहे 10 अंकों के मोबाइल नंबरों को अक्टूबर से 13 अंकों के अनुसार अपडेट करना शुरू किया जाएगा. यह काम 31 दिसंबर तक पूरा करना होगा. हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि वर्तमान में चल रहे मोबाइल नंबरों में बदलाव कैसे होगा. नंबरों में 3 डिजिट आगे की तरफ से जुड़ेंगे या अंत में.
मोबाइल के सौफ्टवेयर भी होंगे अपडेट
सूत्रों ने यह भी बताया कि इस संबध में मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने सौफ्टवेयर को भी 13 अंकों के मोबाइल नंबर के अनुसार अपडेट कर लें, ताकि उपभोक्ताओं को परेशानी न हो.
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भारत में अपने आप में स्वायत्त संस्थाएं कहलाने वाली संस्थाएं भी इस कदर अपने अपने मंत्रालयों के अधीन होती हैं, कि इन संस्थाओं से जुड़ने वाले शख्स चाहकर भी कोई अच्छा काम नही कर पाते हैं. ऐसा ही कुछ इन दिनों बड़ी तेजी से उभरकर आ रहा है. स्मृति ईरानी के सूचना प्रसारण मंत्री बनने के बाद तथाकथित दो स्वायत्त संस्थाओं के चेयरमैन के जाने के बाद यह बात खुलकर सामने आ गयी है. स्मृति ईरानी के केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री बनते ही दो संस्थाओं के चेयरमैन हट गए.
सबसे पहले ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ के चेयरमैन पहलाज निहलानी की छुट्टी हुई. सूचना प्रसारण मंत्रालय ने पहलाज निहलानी को उनके पद से बर्खास्त किया था. मगर‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी औफ इंडिया’ के चेयरमैन मुकेश खन्ना ने तो अपना कार्यकाल खत्म होने के दो माह पहले ही सूचना प्रसारण मंत्रालय व केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति इरानी की कार्यशैली के विरोध में त्यागपत्र दे दिया.
कई फिल्मों के अलावा कई सीरियलों में अभिनय कर चुके मुकेश खन्ना की पहचान ‘शक्तिमान’ के रूप में होती है. मुकेश खन्ना ने बच्चों के लिए ‘शक्तिमान’ नामक सीरियल का निर्माण और उसमें पहले भारतीय सुपर हीरो शक्तिमान का मुख्य किरदार भी निभाया था. यह सीरियल पूरे सात वर्ष तक प्रसारित हुआ. आज भी ‘शक्तिमान’ बच्चों का सबसे पसंदीदा सीरियल माना जाता है.
लगभग तीन वर्ष पहले जब मुकेश खन्ना को ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ का चेयरमैन बनाया गया था, तब उम्मीद जगी थी कि अब बच्चों के लिए कुछ बेहतरीन फिल्मों का निर्माण ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ करेगी. मगर परिणाम वही ढाक के तीन पात रहे. अब अपने पद से त्यागपत्र देने के बाद मुकेश खन्ना ने बताया कि उन्हे बच्चों के लिए बेहतर काम करने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय और इस मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों से आपेक्षित सहयोग नहीं मिला. मुकेश खन्ना का दावा है कि उनके हर कदम का विरोध किया गया.
मुकेश खन्ना कहते हैं- ‘‘केंद्र में नई सरकार बनने के बाद मेरे पास ‘पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट’ और ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ में से किसी एक का चेयरमैन बनने का प्रस्ताव आया था. मैने बड़ी विनम्रता से इंकार कर दिया था. उसके बाद मेरे पास ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ का चेयरमैन बनने का प्रस्ताव आया. दो दिन मैने सोचा, तो मुझे लगा कि ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ से जुड़कर मैं बच्चों के लिए कुछ अच्छी फिल्मों का निर्माण कर सकता हूं.’’
मुकेश खन्ना आगे कहते हैं- ‘‘मगर मेरे अनुभव बहुत ही खराब व दुःखदायी रहे. ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ का चेयरमैन बनने के बाद मैने पाया कि हालात ऐसे हैं कि कोई भी चेयरमैन बच्चों के लिए कुछ कर ही नहीं सकता. मैने देखा कि ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ ने अब तक 260 फिल्मों का निर्माण किया है, पर सभी ‘कलात्मक सिनेमा’ और ‘फेस्टिवल’ वाली फिल्में है, जिन्हें बच्चें तो क्या बूढ़ा भी न देखना चाहे. मैने अपने तरीके से चीजों को सही करने का प्रयास किया. मैने सबसे पहले फिल्मों की पटकथा चयन करने वाली में बदलाव कर कुछ समझदार व अच्छे लोगों को जोडा. काफी मशक्कत के बाद करीबन 12 फिल्मों को स्वीकृति प्रदान की. इनमें से चार एनीमेशन फिल्में हैं. पर मसला बजट का अड़ गया. ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ को प्रति वर्ष फिल्मों का निर्माण करने के लिए दस करोड़ रूपए मिलते हैं. इनमें से एक करोड़ रूपए ‘उत्तरपूर्वी भारत’ की फिल्म के लिए होता है. अब आप बताएं कि इस युग में इतने कम पैसे में बेहतर सिनेमा कैसे बनेगा? खैर,हमने कुल चार फिल्मों का निर्माण किया. पर समस्या यह आ गयी कि इनका वितरण कैसे किया जाए. जब तक यह फिल्में सही ढंग से सिनेमा घरों में रिलीज नहीं होंगी, बच्चों को इन फिल्मों की जानकारी नहीं मिलेगी, बच्चे यह फिल्में नहीं देखेंगे, तब तक इनका निर्माण बेकार है. मगर फिल्म के प्रमोशन और उन्हे सिनेमाघर में रिलीज करने के लिए ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’के पास कोई बजट नही है.’’
मुकेश खन्ना आगे कहते हैं- ‘‘हमने इसका रास्ता निकालने के लिए प्रयास किए और बड़ी मशक्कत के बाद यह नियम बनवाया कि ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ की फिल्म को निजी निर्माता के साथ मिलकर सिनेमाघर में पहुंचाया जाए. पर इसमें भी मंत्रालय के अधिकारी कई तरह के रोड़े डालते रहते हैं.’’
मुकेश खन्ना आगे कहते हैं- ‘‘जब मैने ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’’ के चेयरमैन का पद संभाला, तो उस वक्त सूचना प्रसारण मंत्री अरूण जेटली थे. उनसे मेरा परिचय ‘शक्तिमान’ के निर्माण के दौरान से रहा है. तो उन्होने मेरी बातों को सुना और उस पर अमल करने का आश्वासन दिया. पर कुछ काम होता, उससे पहले उनके हाथ से मंत्रालय चला गया. फिर वेंकैया नायडू आए. उनसे भी पहचान रही है. उन्हे भी मेरे सुझाव पसंद आए. कुछ काम हुआ भी. पर बात आगे बढ़ती, उससे पहले ही वह उपराष्ट्रपति बन गए. अब सूचना प्रसारण मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी आ गयी. उनके आने के बाद तो मेरे लिए काम करना बहुत मुश्किल हो गया. अब तो सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी सहित सभी कई तरह के कानून का हवाला देकर मेरे हर कदम का विरोध करने लगे. कह दिया कि फिल्म को सिनेमाघर में प्रदर्शित करने के लिए पहले टेंडर मंगवाइए, वगैरह वगैरह. मैने सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी से मिलने का वक्त मांगा. मगर स्मृति जी ने मेरे पत्र को पाने की सूचना देना भी उचित नहीं समझा. पूरे चार माह तक इंतजार करने के बाद मैने ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ के चेयरमैन पद से त्यागपत्र देने का निर्णय लेते हुए अपना त्यागपत्र भेज दिया. पूरे सत्रह दिन तक मैं चुप रहा. सत्रह दिन बाद ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ के सीईओ के पास पत्र आया कि चेयरमैन के पद से मेरा त्यागपत्र मंजूर कर लिया गया है. दुःख की बात यह है कि मंत्री महोदया ने मेरा त्यागपत्र स्वीकार करने से पहले यह भी नही पूछा कि मुझे ऐसा करने की जरुरत क्यों पड़ी?
मुकेश खन्ना कहते हैं- ‘‘मैं महसूस कर रहा हूं कि यहां किसी की कोई सुनवायी नही है. जब ‘चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’ के चेयरमैन को मिलने के लिए ‘सूचना प्रसारण मंत्री’ समय नहीं दे सकती, तो काम कैसे होगा? सब कुछ ठप्प सा हो गया है.’’
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वर्ष 2016 में आई फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ ने दर्शकों और समीक्षकों के बीच खूब वाहवाही लूटी थी. पिछले कुछ दिनों से इस फिल्म के सीक्वल को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है. अब खबरे आ रही हैं कि इसका सीक्वल ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ 24 अगस्त को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है.
इसके पहले भाग में भगौड़ी दुल्हन की भूमिका निभा चुकीं डायना पेंटी एक बार फिर से ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ में सोनाक्षी सिन्हा के साथ वापसी कर रही हैं. जिनका भी किरदार एक भगौड़ी दुल्हन का है.
डायना ने ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी है. डायना ने हाल ही में इस फिल्म का टीजर शेयर करते हुए लिखा, अब पता चला कि अकेली मैं ही हैप्पी नहीं हूं. एक और है जो भाग खड़ी हुई है. जूते बांध लो सोनाक्षी सिन्हा. ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’. 24 अगस्त.
फिल्म के पहले भाग का निर्देशन कर चुके मुदस्सर अजीज इसके सीक्वल के भी निर्देशक हैं. यह गायक जस्सी गिल की पहली बौलीवुड फिल्म होगी.
फिल्म के पहले भाग का निर्देशन कर चुके मुदस्सर अजीज इसके सीक्वल के भी निर्देशक हैं. यह गायक जस्सी गिल की पहली बॉलीवुड फिल्म होगी. उन्होंने ट्वीट किया, इस खबर को आप लोगों से साझा करते हुए रोमांच और गर्व महसूस हो रहा है. यह मेरी पहली बौलीवुड फिल्म है, जो 24 अगस्त को रिलीज होगी. बता दें कि इस फिल्म में डायना पेंटी और सोनाक्षी सिन्हा को अलावा अभय देओल, अली फजल और जिम्मी शेरगिल प्रमुख भूमिकाओं में नजर आएंगे.
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पंजाब नेशनल बैंक हुए महाघाटोले के बाद से बैंकिंग सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. रिजर्व बैंक औफ इंडिया ने खुलासा किया है कि हर चार घंटे में बैंक का एक स्टाफ घोटाले में शामिल होता है. वहीं, एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि बैंक राइट औफ के जरिए खुद को डूबने में लगे हुए हैं. ऐसे में देश के करीब 49 बैंक के दिवालिया होने की कगार पर खड़े हैं.
पिछले महीने एक अफवाह ने भी जोर पकड़ा था, जिसमें बैंक से जुड़े कुछ ऐसे नियम बनने जा रहे हैं, जिससे बैंक में जमा आम आदमी के पैसे की गारंटी नहीं होगी. हालांकि, वित्त मंत्री ने खुद इसे खारिज करते हुए कहा था कि लोगों का पैसा सुरक्षित है. लेकिन, पीएनबी घोटाले के बाद फिर से लोगों के जहन में यह सवाल है कि अगर बैंक दिवालिया हो जाए तो उनके पैसे का क्या होगा? क्या बैंक अकाउंट खत्म हो जाएंगे? उनका पैसा डूब जाएगा?
FRDI बिल से लोगों को खतरा?
फाइनेंशियल रेजौल्यूशन एंड डिपौजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल, 2017 को सरकार लागू करने का मन बना रही है. इसके बाद से ही लोगों के मन में सवाल है उनके पैसे का क्या होगा. क्योंकि, बिल के मुताबिक, बैंकों में जमा 1 लाख रुपए तक की रकम पूरी तरह इंश्योर्ड है. लेकिन, इससे ऊपर की रकम किसी भी कानून के तहत इंश्योर्ड नहीं है. हालांकि, सरकार बार-बार यह सफाई देती है कि बैंकों में जमा लोगों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि कोई भी सरकार और रिजर्व बैंक किसी भी बैंक को डूबने नहीं देगी.
पैसे की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी
एसबीआई के पूर्व अधिकारी प्रदीप कुमार राय का मानना है कि बैंक में जमा लोगों के पैसे की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है. सरकार किसी बैंक को डूबने नहीं दे सकती. क्योंकि इसकी बड़ी राजनीतिक कीमत उसे चुकानी पड़ सकती है.
क्या है FRDI बिल?
एफडीआरआई बिल 2017 का मकसद रेजौल्यूशन कौर्पोरेशन का गठन करना है. यह वित्तीय कंपनियों की निगरानी करेगा. साथ ही इन कंपनियों को रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक लिस्ट करेगा. कंपनियों को दिवालिया होने से रोकेगा. हाल ही में कई कंपनियों ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन दिया है. इस तरह इससे लोगों को एक तरह की सुरक्षा ही मिलेगी, क्योंकि यह कौरपोरेशन कंपनियों या बैंकों को दिवालिया होने से बचाएगा.
ऐसे होगा लोगों के पैसे का इस्तेमाल
FRDI बिल के बेल-इन प्रावधान को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है. दरअसल, इस प्रावधान में डूबने वाली वित्तीय कंपनी को संकट से बचाने के लिए उसे कर्ज देने के लिए जमाकर्ताओं की रकम का इस्तेमाल किया जाएगा. इसकी इजाजत यह प्रावधन देता है. हालांकि, बेल-इन के अलावा भी वित्तीय संस्था को नाकाम होने से बचाने के कई विकल्पों शामिल हैं.
कैसे बचा सकते हैं अपना पैसा?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि FRDI बिल से घबराने की जरूरत नहीं है. यही वजह है कि पिछले 50 साल में देश में शायद ही कोई बैंक दिवालिया हुआ है. हालांकि, अलग-अलग बैंकों में अपना पैसा रखकर आप अपना जोखिम घटा सकते हैं.
वित्त मंत्रालय की सफाई
वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक, FRDI बिल में जमाकर्ताओं को अधिक पारदर्शी तरीके से ज्यादा सुरक्षा दी गई है. हालांकि, पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया में एफआरडीआई बिल में जमाकर्ताओं की सुरक्षा और बेल-इन प्रावधान को लेकर कुछ संदेह जताए गए हैं, जो पूरी तरह से बेबुनियाद हैं.
बेल-इन की जरूरत नहीं होगी
वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि किसी भी रेजौल्यूशन केस में बेल-इन प्रावधान के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होगी. सार्वजनिक क्षेत्र यानी सरकारी बैंकों के मामले में तो इसकी जरूरत बिल्कुल नहीं होगी, क्योंकि इस तरह की आकस्मिक स्थिति आने की संभावना नहीं है.
जारी रहेगा एक लाख की रकम का बीमा
मौजूद बैंकिंग सिस्टम में बैंकों में जमा एक लाख रुपए तक की रकम का बीमा होता है. इसी तरह का संरक्षण एफआरडीआई बिल में भी जारी रहेगा. मौजूदा व्यवस्था में डिपौजिटर्स इंश्योरेंस स्कीम के तहत 1 लाख रुपए तक आपका पैसा बैंक में सुरक्षित है. इसमें सभी तरह के बैंक शामिल हैं.
बैंक डूबने से पहले तैयार होता है प्लान
प्रदीप कुमार राय के मुताबिक, जैसे ही कोई बैंक या फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी क्रिटिकल कैटिगरी में आती है तो उसे संभालने के लिए प्लान तैयार किया जाता है. इसके तहत बैंक की लायबिलिटी को कैंसिल करने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं. इस बेल-इन-क्लौज में डिपौजिटर्स का पैसा भी आ सकता है. वैसे आपको यह जानकर हैरत होगी कि कस्टमर्स का पैसा 5वें नंबर की लायबलिटी है. ऐसे में चिंता होना स्वाभाविक है. लेकिन, लोगों की चिंता को देखकर इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
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90 के दशक में पाकिस्तान के लिए वनडे में एंट्री करने वाले औलराऊंडर अमीर हनीफ को बड़ा झटका लगा है. उनके 18 साल के बेटे मोहम्मद जारयाब ने बीते दिन फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि जारयाब का कराची अंडर-19 क्रिकेट टीम में चयन नहीं हुआ था. इस कारण वह डिप्रेशन में आ गया और आखिरकार उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया.
खबर के अनुसार जरयाब ने जनवरी में लाहौर में अंडर 19 टूर्नामेंट में कराची का प्रतिनिधित्व किया था जहां से चोट के कारण उसे घर भेज दिया गया था. जरयाब ने इस कदम का विरोध किया था लेकिन उसे आश्वासन दिया गया कि उसे दोबारा चुना जाएगा. हालांकि बाद में उसे यह कहकर हटा दिया गया कि उसकी उम्र अधिक है.
जारयाब के पिता हनीफ ने कहा है कि उनका बेटा अंडर-19 क्रिकेट में खेल चुका है. वह अच्छा प्रदर्शन कर रहा था. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि मात्र एक टीम में न चुने जाने पर वह इतना हताश हो जाएगा कि खुद को खत्म कर लेगा. उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे पर दबाव बनाया गया, उसे कहा गया था कि वह अधिक उम्र का है. उसके प्रति कोचों के बर्ताव ने उसे ऐसा करने के लिए बाध्य किया.
जारयाब हनीफ का सबसे बड़ा बेटा था और कौलेज में प्रथम वर्ष का छात्र था. पढ़ाई के साथ क्रिकेट को भी वह बराबर समय देता था. उसने कई बार अपने प्रदर्शन से चौंकाया लेकिन उसके अंतिम प्रदर्शन ने उन्हें झकझोंर दिया है. यह ऐसा घाटा है जो कभी पूरा नहीं हो पाएगा. बेटे की मौत के बाद हनीफ ने पाकिस्तानी कोचों को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कोचों का खिलाडिय़ों के प्रति रवैया ठीक नहीं है. वह इसके खिलाफ कदम उठाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अपना बेटा खो चुके हैं, नहीं चाहते हैं कि कोई दूसरा भी अपना बेटा खोए.
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इंग्लैंड के केविन पीटरसन पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) के तीसरे टूर्नामेंट के बाद पेशेवर क्रिकेट करियर को अलविदा कहेंगे. पीएसएल तीन की शुरुआत गुरुवार से दुबई में होगी. पीटरसन पीएसएल में क्वेटा ग्लैडिएटर्स की ओर से खेलते हैं. इस आक्रामक बल्लेबाज ने ग्लैडिएटर्स से जुड़ने के लिए दुबई रवाना होने से पूर्व अपने बेटे के साथ गले मिलते हुए तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट की.
पीटरसन ने क्रिकेट करियर के अंत का संकेत देते हुए कहा, ‘‘क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में जेसिका टेलर और अपने बच्चों को असंख्य बार अलविदा कहा और आज शाम मुझे यह अंतिम बार करना होगा. मुझे अलविदा कहने से नफरत है लेकिन पता है कि यह काम है और करना होगा.’’
पीटरसन ने क्वेटा को पहले दो पीएसएल के फाइनल में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई लेकिन पिछले साल मार्च में वह अपने परिवार की सुरक्षा चिंताओं के कारण खिताबी मुकाबले के लिए लाहौर नहीं गए.
2005 में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने इंग्लैंड के लिए 104 टेस्ट, 136 वनडे और 37 टी20 मैच खेले. पीटरसन ने अपने टेस्ट करियर में 23 शतक और 35 अर्धशतक की मदद से 8,181 रन बनाए हैं. वहीं, 134 वनडे मैचों में 41.32 की औसत से उनके बल्ले से 4,442 रन निकले जिनमें 9 शतक और 25 अर्धशतक शामिल हैं.
पीटरसन इंग्लैंड के केवल तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय टी20 मैचों में हजार से ज्यादा रन बनाए हैं. इसके अलावा पीटरसन इंग्लैंड के क्रिकेट इतिहास में पीटरसन सबसे अधिक रन बनाने वाले पांचवें बल्लेबाज हैं.
पीटरसन इंग्लैंड की टीम के खास खिलाड़ियों में थे लेकिन 2013-14 की एशेज सीरीज के दौरान 0-5 से हुई इंग्लैंड की हार के बाद उन्हें टीम से हटा दिया गया था. इसके बाद पीटरसन ने कई टी20 टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया इसमें आईपीएल भी शामिल है. आईपीएल में उन्होंने 2014 में 11 और 2016 में 4 मैचों में हिस्सा लिया. इसके अलावा उन्होंने औस्ट्रेलिया के बिग बैश लीग टी20 टूर्नामेंट में भी हिस्सा ले चुके हैं. आईपीएल में उन्होंने आरसीबी, दिल्ली और पुणे की ओर से खेले हैं.
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मारुति सुजुकी ने औटो एक्सपो 2018 में नई मारुति स्विफ्ट को धमाकेदार तरीके से लौन्च किया था. अब इसकी बिक्री भी भारतीय बाजार में शुरू कर दी गई है. डीलर्स को इसकी डिलिवरी भी शुरू हो चुकी है. लेकिन, अगर आपने भी स्विफ्ट बुक कराई है या फिर आप बुक कराने की सोच रहे हैं तो यह कार आपको अभी नहीं मिलेगी. कंपनी ने इसकी वेटिंग 2 महीने तक बढ़ा दी है. मतलब ये कि अगर आपने अभी नई स्विफ्ट बुक की तो यह 2 महीने बाद ही आपको डिलिवर होगी.
कितने में होगी बुकिंग?
नई मारुति सुजुकी स्विफ्ट की बुकिंग के लिए आपको 40 हजार रुपए देने होंगे. प्री-बुकिंग जनवरी 2018 से शुरू हो चुकी है. मारुति ने साफ किया है कि नई मारुति सुजुकी स्विफ्ट का वेटिंग पीरियड 6 से 8 हफ्ते (करीब 2 महीने) का है. ऐसे में अगर आप अभी नई मारुति सुजुकी स्विफ्ट की बुकिंग कराते हैं तो आपको इसे चलाने के लिए दो महीने का इंतजार करना पड़ेगा.
और भी बढ़ सकती है वेटिंग
मारुति को उम्मीद है कि उसकी नई स्विफ्ट की बुकिंग पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी. ऐसा होने पर स्विफ्ट के वेटिंग पीरियड में भी बढ़ोतरी हो सकती है. पिछले महीने तक मारुति ने पुरानी स्विफ्ट की बिक्री जारी रखी थी. स्विफ्ट का करीब 15 हजार यूनिट्स प्रति माह की बिक्री का एवरेज रहा. उस वक्त इसका वेटिंग 2 हफ्ते या कहीं-कहीं 3 हफ्ते तक था. आपको बता दें, नई जेनरेशन वाली स्विफ्ट पुराने मौडल के मुकाबले करीब 20 हजार रुपए महंगी है. कंपनी ने इसमें कई बदलाव किए हैं. पहले से ज्यादा बेहतर फीचर्स, दमदार परफौर्मेंस और माइलेज बढ़ाया है.
मारुति की दूसरी गाड़ियों पर भी लंबी वेटिंग
नई स्विफ्ट के अलावा मारुति की दूसरी कारों की वेटिंग लंबी है. मारुति सुजुकी ने हाल ही में अपनी कारों का वेटिंग पीरियड बढ़ाया है. नई स्विफ्ट की डिमांड को देखते हुए गाड़ियों की वेटिंग लंबी की गई है. हालांकि, शहर और मौडल्स के आधार पर वेटिंग पीरियड तय होगा.
4 महीने में मिलेगी विटारा ब्रेजा
मारुति की विटारा ब्रेजा देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कौम्पैक्ट एसयूवी है. विटारा ब्रेजा लगातार कई महीनों से टौप 10 सेलिंग कारों में से एक है. लगातार बढ़ती डिमांड की वजह से ब्रेजा का वेटिंग पीरियड भी ज्यादा है. विटारा ब्रेजा की बुकिंग कराने पर करीब 4 महीने तक का इंतजार करना पड़ता है. विटारा ब्रीजा की कीमत 7.28 लाख रुपए से 9.73 लाख रुपए (एक्स शोरूम, दिल्ली) है.
डिजायर के लिए कितना इंतजार?
मारुति सुजुकी ने पिछले साल नई जेनरेशन डिजायर को लौन्च किया था. लौन्च के बाद से ही डिजायर देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार बन चुकी है. डिजायर का वेटिंग पीरियड भी स्विफ्ट की तरह लंबा है और इसकी डिलिवरी 2 से 3 महीने में हो रही है. इसकी कीमत 5.56 लाख रुपए से 9.43 लाख रुपए है. हालांकि, डिजायर का वेटिंग पीरियड पेट्रोल और डीजल वैरिएंट के हिसाब से अलग-अलग है.
बलेनो की वेटिंग सबसे लंबी
मारुति सुजुकी के मुताबिक, पिछले कुछ समय में बलेनो का वेटिंग पीरियड कम हुआ है. हालांकि, अब भी बलेनो का वेटिंग पीरियंड 18 से 19 हफ्ते के बीच है. वेटिंग पीरियड के मामले में यह मारुति की सबसे लंबी वेटिंग वाली कार है. ज्यादा डिमांड और सीमित उत्पादन की वजह से इतनी वेटिंग आई थी. मारुति सुजुकी बलेनो अभी देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में शामिल है.
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इन दिनों अपने इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स में व्यस्त बौलीवुड की देसी गर्ल यानी प्रियंका चोपड़ा के बौलीवुड में लौटने की खबरें एक बार फिर से तेज हो गई हैं. खबरे हैं कि प्रियंका चोपड़ा अपनी हिट फिल्म ‘ऐतराज’ के सीक्वेल में नजर आ सकती हैं. ‘ऐतराज’ साल 2004 में रिलीज हुई थी, जिसमें प्रियंका ने नेगेटिव किरदार निभाया था. इस फिल्म में अपने बोल्ड रोल से प्रियंका ने खूब सुर्खियां बटोरीं थी. वहीं फिल्म में उनकी एक्टिंग को खूब सराहा गया था. 14 साल पहले आई सुभाष घई की इस थ्रिलर फिल्म को अब्बास मस्तान ने डायरेक्ट किया था और इस फिल्म को प्रोड्यूज किया था शोमैन सुभाष घई ने.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घई पिछले दो साल से इस फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं और पिछले महीने ही इस पर काम पूरा हुआ है. सुभाष घई ने अपने एक इन्टरव्यू में बताया कि उन्होंने प्रियंका चोपड़ा से इस फिल्म के बारे में बात की है. प्रियंका को फिल्म का आइडिया पसंद आया है. वहीं, सीक्वल में एक नई कहानी और एक नया टाइटल होगा. खबरे हैं कि प्रियंका न्यूयार्क से लौटने के बाद सुभाष घई से फाइनल मीटिंग करेंगी और अपनी डेट्स देंगी.
प्रियंका इन दिनों अपने अमेरिकन टीवी शो के साथ ही हौलीवुड फिल्मों में भी बिजी हैं. वह जल्द ही फिल्म ‘ए किड लाइक जेक’ में नजर आने वाली हैं. इसके साथ ही वह फिल्म ‘इजंट इट रोमांटिक’ की भी शूटिंग कर रही हैं.
बता दें कि फिल्म ‘ऐतरात’ में प्रियंका चोपड़ा, अक्षय कुमार और करीना कपूर की जोड़ी नजर आई थी. प्रियंका चोपड़ा को 2004 में इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस इन निगेटिव कैरेक्टर का अवार्ड भी मिला था. इस फिल्म में अक्षय और प्रियंका की स्क्रीन कैमेस्ट्री बहुत जोरदार थी. इसके चलते दोनों एक्टर्स के लिंक-अप की खबरें चलनी शुरू हो गई थी. ऐसे में देखना है कि 13 साल बाद अक्षय और प्रियंका की जोड़ी बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगी या नहीं.
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व्हाट्सऐप के डिजीटल पेमेंट सिस्टम को लौन्च करने के बाद देश की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम (Paytm) व्हाट्सऐप के खिलाफ अपील दायर करने की तैयारी में है. पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कहा कि व्हाट्सऐप के डिजीटल भुगतान सर्विस करने के खिलाफ उनकी कंपनी यूपीआई के पास अपील दायर करेगी. उन्होंने कहा कि इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सऐप ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में शुरुआत करने के लिए कई अनुचित तरीकों का इस्तेमाल किया है.
नियमों का पालन नहीं किया
विजय शेखर शर्मा ने व्हाट्सऐप के नए फीचर को सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा बताते हुए कहा है कि व्हाट्सऐप के इस फीचर शुरू होने के कारण डिजिटल लेनेदेन की सुरक्षा पर सवाल उठ सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि व्हाट्सऐप ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में उतरने के लिए नियमों का पालन नहीं किया है. पेटीएम के सीईओ ने कहा कि व्हाट्सऐप से पैसे भेजने के लिए लौग-इन और आधार कार्ड की अनिवार्यता नहीं की गई है.
पेटीएम ने इसके खिलाफ नेशनल पेमेंट्स कौर्पोरेशन औफ इंडिया (एनपीसीआई) में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है. गौरतलब है कि यूपीआई सिस्टम को एनपीसीआई ने ही तैयार किया है. पेटीएम के सीईओ ने कहा कि व्हाट्सऐप ने अपनी जरूरत के हिसाब से नियमों में फेरबदल किया है.
उन्होंने कहा कि व्हाट्सऐप ने इसका ट्रायल शुरू कर दिया है. लाखों यूजर्स को व्हाट्सऐप पेमेंट फीचर को ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल करने की आजादी दी गई है जबकि ट्रायल में 5 से 7 हजार लोगों को ये अनुमति मिलती है.
गौरतलब है कि मौजूदा समय में भारत में 20 करोड़ व्हाट्सऐप यूजर्स हैं. ऐसे में व्हाट्सऐप का नया फीचर आने के बाद पेटीएम को बड़ा नुकसान हो सकता है.
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बौलीवुड एक्ट्रेस जरीन खान अक्सर अपने बोल्ड लुक की वजह से चर्चा में रहती हैं. हौरर फिल्म 1921 में नजर आ चुकीं जरीन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और आए दिन अपनी फोटो को शेयर करती रहती हैं. इन तस्वीरों पर जरीन को अक्सर ट्रोलर्स के भद्दे कमेंट्स का सामना भी करना पड़ता है. जरीन जहां इन ट्रोलर्स के कमेंट्स को अनदेखा करती आई हैं. वहीं हाल ही में एक टीवी शो के जरिए उन्हें ट्रोलर पर अपनी भड़ास निकालने का मौका मिला. जरीन एमटीवी के शो ट्रोल पुलिस में पहुंची जहां उन्हें अपने आलोचकों को जवाब देते देखा गया.
इस शो से जुड़ा एक वीडियो अब इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, जिसमें जरीन खान अपने ट्रोलर को जवाब देती दिख रही हैं. इस वीडियो को जरीन ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी शेयर किया है. वह वीडियो में एक्टर रणविजय सिंह के साथ दिख रही हैं. इसमें उनके खिलाफ भद्दे कमेंट्स करने वाला ट्रोलर भी नजर आ रहा है. उसने जरीन पर किए कमेंट्स को फ्रेम करवाकर दीवार पर लगाया हुआ है.
जरीन उसे देख कहती हैं कि, ‘अकेले रहकर दिमाग खराब हो गया है क्या, तू क्या है कौन पहचानता है तुझे. वह रणविजय को देख कहती हैं कि इसे डौक्टर की जरूरत है. इसके बाद जरीन गुस्से में झल्लाते हुए कहती हैं कि दूं क्या एक तमाचा गाल पर. हाथ देखा है ना मेरा…तेरे मुंह से बड़ा है. तेरा जबड़ा कहां जा कर गिरेगा तुझे पता भी नहीं चलेगा’.
इस वीडियो शेयर करते हुए जरीन ने लिखा, ‘अगर तुम्हे मेरे से कुछ भी कहना है तो मेरे मुंह पर कहो कायरों की तरह छिपकर दूसरे यूजरनेम के साथ नहीं’. बता दें जरीन की तस्वीरों पर भद्दे कमेंट करने वाला ट्रोलर पिछले काफी समय से एक फेक यूजर आई के साथ उन पर अश्लील कमेंट किया करता आया है. वह जरीन को उनके लुक और बौडी के लिए काफी बातें लिख चुका था. इस शो के जरिए जरीन ने अपने ट्रोलर का सामना किया. वह इस दौरान कभी गुस्से में तो कभी इमोशनल नजर आईं. जरीन ने फिल्म वीर से बौलीवुड में एंट्री ली थी. वह कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं.
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