‘बस एक पल’, ‘आई एम’, ‘शब’ जैसी विचारोत्तेजक फिल्मों के सर्जक ओनीर पहली बार पूर्णरूपेण रोमांटिक फिल्म ‘‘कुछ भीगे अल्फाज’’ लेकर आए हैं. वर्तमान समय में जबकि युवा पीढ़ी पूरी तरह से फेसबुक, ट्वीटर व व्हाट्स अप जैसे सोशल मीडिया की दीवानी है. इस आधुनिक सोशल मीडिया की ही वजह से न सिर्फ दो अजनबी इंसानों की प्रेम कहानी परवान चढ़ती है, बल्कि यह दोनों अपनी कमजोरियों से उबरते हैं.

फिल्म की कहानी के केंद्र में कलकत्ता के एक एफएम रेडियो पर देर रात प्रसारित होने वाला कार्यक्रम ‘‘कुछ भीगे अल्फाज’’ और सोशल मीडिया है. रेडियो के इस कार्यक्रम में रेडियो जौकी अल्फाज (जेन खान दुर्रानी) रोमांटिक कहानियों के साथ रोमांटिक गाने सुनाते हैं. पर वह अपनी असली पहचान हर किसी से छिपाकर रखते हैं. इसी वजह से वह सोशल मीडिया के किसी प्लेटफार्म पर नहीं हैं. उनकी इसी जिद के चलते रेडियो मालिक को भी नुकसान होता है. क्योंकि अल्फाज सामने नहीं आना चाहते.

उधर कलकत्ता की एक विज्ञापन एजेंसी से जुड़ी और अपनी मां के साथ रह रही अर्चना प्रधान (गीतांजली थापा) के चेहरे पर 8 साल की उम्र से ही सफेद दाग/ ल्यूकोडर्मिक है. वह इसी के चलते  हीन भावना से ग्रस्त है. उसे लगता है कि उसे प्यार करने वाला कोई युवक नहीं मिलेगा. इसलिए वह हर दिन ब्लाइंड डेट पर जाती रहती है. सहकर्मी अप्पू (श्रेय तिवारी) से उसकी अच्छी दोस्ती है. वह अल्फाज के कार्यकम्र की बहुत बड़ी फैन है. ब्लाइंड डेट पर जाने के लिए फेसबुक पर उनके नाम चुनकर फोन करती रहती है, जिन्होंने अपने बारे में खुलकर फेसबुक पर बयां नहीं किया है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...