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नेपाली औरतों का देहव्यापार : क्यों और कैसे?

नेपाल के सुदूर पश्चिमांचल में राप्ती क्षेत्र के दांग गांव की नीरमाया. उसे उस का पति प्रेम दूसरे बच्चे के पैदा होने के समय गर्भावस्था में ही छोड़ कर कोरिया में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में ड्राइवर का काम करने चला गया. घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण नीरमाया ने विदेश में काम दिलाने वाले एजेंट विष्णु थापा से विदेश में घर का काम करने, बच्चे की देखभाल करने का काम दिलवाने के लिए कहा.

नीरमाया को लगा कि विदेश में काम करने पर अच्छे पैसे मिलेंगे. एजेंट विष्णु थापा ने नीरमाया को नेपाली 25 हजार रुपए में काम दिलाने का वादा किया. बदले में सऊदी अरब जाने का टिकट लेने और 2 लाख रुपए कमीशन के रूप में विदेश भेजने के एवज में नीरमाया से मांगा. नीरमाया ने कर्ज ले कर 1 लाख रुपया विष्णु थापा को दिया, बाकी पैसे के लिए उस ने विदेश से भिजवाने की बात कही.

नीरमाया शेख के 6 साल के बच्चे की देखभाल के लिए सऊदी अरब चली गई. 19 साल की नीरमाया गोरी, सुंदर थी. 2-3 महीने तक वह ठीक से काम करती रही. शेख के यहां से समय पर पैसे मिल जाते. नीरमाया उन पैसों को नेपाल में अपने गांव दांग में वैस्टर्न यूनियन बैंक के मारफत भिजवा देती. नीरमाया ने 1 लाख रुपया एडवांस ले कर विष्णु थापा को भी भिजवा दिया.

एक दिन अरब शेख की पत्नी घर पर नहीं थी. शेख ने नीरमाया के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बना लिया. फिर तो नीरमाया शेख के दोस्तों के साथ रोज ही हमबिस्तर होने लगी. बदले में उसे लगभग रोज ही 5-7 हजार नेपाली रुपए मिल जाते थे. रोजरोज सहवास करतेकरते वह थक जाती. अरेबियन लोग नएनए तरीके से, अप्राकृतिकरूप से नीरमाया के साथ सैक्स करते जो कि नीरमाया को ठीक नहीं लगता. नीरमाया न चाहते हुए भी सैक्स के धंधे में उतर गई. नीरमाया ने धीरेधीरे तकरीबन 10 लाख नेपाली रुपए जोड़ लिए थे. नीरमाया का शेख से 5 साल का अनुबंध था.

नीरमाया बीमार भी रहने लगी. अरब मालकिन को नीरमाया ने भरोसा दिलाया कि उसे कुछ महीनों के लिए नेपाल भेज दिया जाए. वह अपने साथ कम उम्र की लड़की ले कर आएगी. नीरमाया को पता था कि यदि वह उन लोगों को झांसा नहीं देगी तो उसे नेपाल नहीं भेजा जाएगा. उस का पासपोर्ट मालिक के पास ही था. नीरमाया नेपाल में अपने गांव दांग वापस आ गई.

नीरमाया दोबारा सऊदी अरब नहीं गई. सब्जी की दुकान खोल कर नीरमाया अपनी आजीविका चला रही है. अपने दोनों बच्चों को दांग गांव के अच्छे स्कूल में पढ़ा रही है.

वेश्यावृत्ति का जाल

नीरमाया ने बताया कि सऊदी अरब में नेपाली लड़कियां काफी पसंद की जाती हैं. पहले उन्हें घरेलू काम के लिए बुलाया जाता है, फिर उन्हें धीरेधीरे वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है. इन लड़कियों से धंधा शेख अपने ही घर में करवाते हैं.

पिछले साल दिल्ली पुलिस की स्पैशल सैल को आईबी के द्वारा सूचना मिली कि नौकरी की आड़ में नेपाली युवतियों को वेश्यावृत्ति के लिए खाड़ी देशों में भेजा जा रहा है.

पुलिस ने ऐक्शन लिया और वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की तस्करी कर के उन्हें खाड़ी देशों में भेजने वाले 3 नेपाली नागरिकों के साथ एक असामी युवक को भी गिरफ्तार कर लिया.

स्पैशल सैल के एक अधिकारी ने बताया कि नेपाल सरकार द्वारा गल्फ देशों में नेपाली महिलाओं को नौकरी करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसलिए नेपाली एजेंट भारत के रास्ते नेपाली युवतियों को खाड़ी देशों में घरों में काम कराने के साथसाथ उन्हीं युवतियों से वहां वेश्यावृत्ति करवाते हैं. ये एजेंट नेपाली युवतियों से विदेश में नौकरी दिलवाने के नाम पर तरकीबन ढाई लाख नेपाली रुपए वसूलते हैं. इन एजेंटों को पता होता है कि वहां युवतियों का पासपोर्ट मालिक अपने पास रख लेता है. ऐसे में इन्हें अरब शेखों के साथ जिस्मफरोशी करनी ही होगी.

नेपाल के झापा की 13 साल की तोमागिरी, मातापिता की ऐक्सिडैंट में मृत्यु होने से, अनाथ हो गई. मामा ने कुछ दिनों तक कुछ नहीं कहा, बाद में तोमा लोगों के घरों में काम करने लगी. कम पैसे होने से मामा तोमागिरी के साथ मारपीट करने लगा.

मामा ने एजेंट से बात कर तोमा को बैंकौक भेज दिया. कुछ दिनों तक बैंकौक के होटल में तोमा वेटर का काम करती रही. बाद में उसी होटल में मैनेजर ने तोमा को धीरेधीरे वेश्यावृत्ति के धंधे में यह कह कर लगा दिया कि यह काम का हिस्सा ही है. तोमा को वेश्यावृत्ति में मजा आने लगा था. 7-8 सालों में तोमा ने इतना पैसा बना लिया था कि उस ने वापस नेपाल आ कर घर बनाया और आराम से रहने लगी. तोमा चुप बैठने वाली कहां थी. नेपाल में ही वह लड़कियों से धंधा कराने लगी. आखिर एक दिन वह पुलिस द्वारा पकड़ी गई. खुलासे में उस ने यह आपबीती नेपाल पुलिस को बताई.

हिमालय की गोद में बसे नेपाल एवं नेपाली महिलाओं का सौंदर्य अतुलनीय है. आदिकाल से ही वेश्यावृत्ति एक सुलभ व्यापार माना जाता रहा है. जिसे खुशी या नाखुशी से युवतियां अपनाती हैं. इस में पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं, बल्कि उन्हें पैसे मिलते हैं.

दिल्ली स्थित नेपाली राजदूतावास में कार्यरत एक अधिकारी के मुताबिक, ‘‘नेपाल सरकार ने नेपाली कानून की एक विशेष धारा के अंतर्गत गरीब, अशिक्षित, पढ़ीलिखी, 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को खाड़ी देशों के घरों में काम करने के लिए यानी हाउसमेड के तौर पर प्रतिबंधित कर दिया है.

श्रम मंत्रालय, महिला तथा बालबालिका मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय सऊदी अरब, दुबई, ओमान, बहरीन, कतर, कुवैत, इराक, लेबनान आदि देशों में नेपाली महिलाओंयुवतियों को नहीं भेजने का निर्णय किया है.’’

औरतों की तस्करी

हौंगकौंग दुनिया का सब से बड़ा ‘नेपाली महिलाओं के देहव्यापार’ का बाजार माना जाता है. वहां नेपाली औरतों को नौकरी के बहाने तस्करी कर के ले जाया जाता है. उन की उम्र 11 से 16 वर्ष तक की होती है. एक आंकड़े के मुताबिक, इंडियन सैक्स ट्रेड में 3 लाख से ज्यादा नेपाली लड़कियां शामिल हैं. नेपाल से औरतों की तस्करी कर के वेश्यावृत्ति में झोंकना एक बड़ा फायदे वाला बिजनैस बन गया है.

एक नेपाली डिप्लोमैट के मुताबिक, ‘‘हमारी नेपाली युवतियों को वेश्यावृत्ति में लगाने के कई कारण हैं जो किसी से भी नहीं छिपे हैं. हिमालय की गोद में बसे नेपाल का सौंदर्य पूरे विश्व में प्राकृतिक छटा के लिए मशहूर है. तो वहीं, नेपाली लड़कियों की खूबसूरती भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें नेपाल सरकार देख रही है. हालांकि उन्हें सुलझाना बेहद मुश्किल है.’’

दिल्ली के जीबी रोड पर छापों के दौरान अकसर तहखानों से कई नेपाली लड़कियों, आंध्रप्रदेश की नाबालिग लड़कियों को बरामद किया जाता है. उन्हें नारी निकेतन भेज दिया जाता है. छूटने पर उन्हें वहीं जीबी रोड पर आना पड़ता है क्योंकि उन के लिए कोई और ठौर नहीं बचता.

नेपाल की जनसंख्या बहुत ज्यादा है. वहां लोग बेहद गरीबी की हालत में जीवन गुजारते हैं. खेती से गुजारा करना मुश्किल होता है. लोग ज्यादातर जमींदारों, मंत्रियों, अफसर एवं राजशाही परिवारों से संबंधित ठकुरी के यहां काम करते हैं. लड़कियां पढ़ नहीं पाती हैं. मजबूर हो कर मातापिता ही लड़कियों को 11 से 12 साल की उम्र में दलालों के हाथ 10 से 30 हजार रुपए ले कर बेच देते हैं.

रोल्पा जिले की मीना ने बताया कि उस के पिता ने उसे 25 हजार रुपए ले कर एजेंट के हाथों बेच दिया. एजेंट ने 16 साल की मीना को 50 हजार रुपए में मुंबई के रैडलाइट एरिया में बेच दिया. घर के कामकाज के बहाने लाई गई मीना को पहली ही रात को 7 पुरुषों से संबंध बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा. पुलिस द्वारा छापा मारने पर ही मीना को वापस नेपाल भेजा गया. मीना अभी घर पर ही रह कर मजदूरी का काम कर रही है. कुछ दिन पहले 218 नेपाली लड़कियों को मुंबई पुलिस ने छुड़ाया. उन में से 70 फीसदी लड़कियों में एचआईवी पौजिटिव पाया गया. पैसा तो इन को मिला लेकिन ये लड़कियां केवल सैक्स के लिए ही हो कर रह गईं.

लहान की सुनीता थापा ने बताया कि यदि ग्राहक खुश हो कर ज्यादा पैसा दे भी दे, तो भी उसे उतने ही पैसे दिए जाते हैं जितना उस से कहा जाता है.

सोशल एक्टिविस्ट दुर्गा घिमिर के मुताबिक, ‘‘नेपाली लड़कियों, औरतों का शोषण कभी भी कम नहीं होगा, पैसों के लिए, अच्छे रहनहसन के लिए उन के परिवार उन्हें या तो वेश्यावृत्ति में धकेल देते हैं या छोटेछोटे बच्चेबच्चियों को चाय की दुकान पर बरतन साफ करने में लगा दिया जाता है या फिर मातापिता उन्हें बेच देते हैं. ये सब अशिक्षा की वजह से है. नेपाल के अंदरूनी एवं ग्रामीण इलाके में लड़कियां पढ़ाई की सुविधा से वंचित हैं.’’

पहाड़ी इलाके में दूरदूर तक जहां मीलों चल कर गांवों में पहुंचा जाता है, एजेंट वहां अपने धंधे की तलाश में रहते हैं. मासूम, छोटी लड़कियों को काम करवाने के बहाने अपने साथ ले आते हैं. एजेंट मातापिता की गरीबी का फायदा उठाते हुए लालच दे कर लड़कियों को खरीद कर ले आते हैं. वे लड़कियों को बेच देते हैं. कुछ दिनों तक वे लड़की के मातापिता को पैसे भेजते हैं, बाद में पैसा भेजना बंद कर देते हैं.

सिंधुपाल चौक की सृजना राई कहती है कि घर की गरीबी देख कर वह काठमांडू के छोटे से होटल में काम करने आई. कमरे में झाड़ूपोंछे का काम करने लगी. खूबसूरती की वजह से होटल में बराबर आने वाले दिनेश थापा के संपर्क में आई. दिनेश ने उसे एक घर का सपना दिखा दिया. दिनेश के साथ भाग कर वह लखनऊ आ गई.

कुछ दिनों तक धर्मशाला में रहने के बाद मुंबई घुमाने के नाम पर दिनेश थापा ने सृजना को मुंबई के एक कोठे में 40 हजार रुपए में बेच दिया. सृजना 15 से 20 ग्राहकों को रोज हमबिस्तर होने देती. कोठे पर आने वाले एक ग्राहक प्रदीप (बदला हुआ नाम), जो बराबर सृजना के पास आता, को आपबीती सुना कर सृजना ने पहले काम करने वाले होटल में चिट्ठी भिजवाई. नेपाल पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया. कार्यवाही कर के मुंबई के रैडलाइट एरिया से उसे बरामद कर वापस काठमांडू भेज दिया.

इकाम की सुनीता दनुवार जब सो कर उठी तो उसे कुछ पता नहीं चला कि वह कहां है. उस के कपड़े बदले हुए थे, बाल कटे हुए थे. एक आदमी खड़ा हो कर उसे घूर रहा था. वह कह उठा, ‘कच्चा मीट.’ सुनीता यह सुन कर चुप हो गई. फूटफूट कर रोने लगी, चिल्लाने लगी. उस वक्त उस की उम्र 12-13 साल की थी. अब सुनीता 35 साल की हो चुकी है. उसे या तो मामा ने बेचा या मातापिता ने. उसे याद है घर पर 2 जवान आए थे. उसे खाने में मिठाई दी थी. उस के बाद उसे कुछ भी याद नहीं.

वह मुंबई 3 दिनों के सफर में लाई गई थी. उस ने सोचा था कि वह बरतन, कपड़े साफ करेगी लेकिन कोठे की मालकिन ने उस से कहा कि उसे मर्दों को खुश करना होगा. इनकार करने पर एक आदमी चाकू ले कर आया, और कहा उसे काट कर कुत्ते के आगे फेंक दिया जाएगा. एक दिन में उसे 30-30 मर्दों के साथ सैक्स संबंध बनाने पड़ते. कुछ दिनों के बाद उसे दूसरे कोठे पर बेच दिया गया. सुनीता के अनुसार, 18 हजार से ज्यादा नेपाली लड़कियां मुंबई में देहव्यापार से जुड़ी हैं.

सुनीता 18 वर्ष की उम्र में 1997 में शक्तिसमूह एनजीओ के मदद से छुड़ा ली गई थी. सुनीता अपने गांव लमही में सिलाईकढ़ाई कर के अपना गुजारा कर रही है.

कोठों पर गुंडेबाजी

कोठे पर आने वाले लोग चोरीछिपे आते हैं, या अकेले रहते हुए 3 से 5 सौ रुपए दे कर अपने कमरे में बुलाते हैं.

63 वर्षीय दिलीप चंद्रावत हर उम्र की महिला के साथ सैक्स संबंध बनाते हैं. नेपाली बाला मधु को वे बराबर बुलाते. आखिर एक दिन मधु के गुंडों ने ही दिलीप के साथ मारपीट कर उस को लूट लिया. गुंडे लोग ज्यादा से ज्यादा वसूली मांगते हैं, जो कमजोर होता है, उसे लूटते हैं. गुंडेबाजी हर कोठे पर होती है. दुनिया के हर जिस्मफरोशी अड्डों पर होती है.

झापा की लक्ष्मी विश्वकर्मा 15 साल की थी, तभी पिता के मित्र ने पैसे ले कर लक्ष्मी को वेश्यावृत्ति के धंधे वालों को बेच दिया. लक्ष्मी बताती है कि जब वह सहवास करने से मना करती तो उसे मारा जाता. शुरूशुरू में उसे एक दिन में 30-35 लोगों के साथ सहवास करना पड़ता. कई बार तो ऐसा होता कि सुबह से शामरात तक इस से भी ज्यादा लोगों के साथ सैक्स करना पड़ता. अड्डे की मालकिन मीना उस के पैसे जमा करती. मांगने पर केवल कुछ ही पैसे देती, बाकी उस से छीन लेती. लक्ष्मी ने कहा, ‘‘वह यदि जिस्म बेच रही है तो यह उस का अपना हक है, उस के पैसों को क्यों लूटा जाता है.’’ आगे चल कर लक्ष्मी ने 4-5 लड़कियों को रख कर अपना अलग ही काम करना शुरू कर दिया.

धंधे में बुराई

काठमांडू के कपन की हिमानी सुब्बा, जो कि 25 साल की है, का मानना है, ‘‘नेपाली लड़की गरीब घर में ब्याही जाती है, अशिक्षित है, उस के पास शिक्षा नहीं है, इसलिए ससुराल में थकहार कर जिस्मफरोशी करने लगती है. एक दिन में वह 2-3 हजार रुपए तक कमा लेती है. इस से घर चल रहा है. इस में बुराई क्या है? कभीकभी पुलिस खलनायक बन कर तंग करती है.’’

नेपाली लड़कियों की मांग भारत की सैक्स इंडस्ट्री से ले कर विदेशों की सैक्स इंडस्ट्री तक है. एजेंट पैसों के लालच में डिमांड की पूर्ति के लिए नेपाली लड़कियों को गांवगांव से खरीद कर लाते हैं. 10 साल से ले कर 18 साल तक की लड़कियों को घरों में काम दिलवाने के बहाने उन्हें देहव्यापार के धंधे में धकेल दिया जाता है. नेपाली लड़कियां बेहद खूबसूरत होने के साथ भोलीभाली होती हैं. आसानी से सैक्स संबंध बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं. एजेंट के बहकावे में आ कर वे इस धंधे में लिप्त हो जाती हैं.

सैक्स रैकेट का जाल

देश की राजधानी दिल्ली का रैडलाइट एरिया यानी जीबी रोड जहां गरीबी और मजबूरी सरेआम नीलाम होती है, जहां लड़कियों के जिस्म का सौदा किया जाता है और मासूम लड़कियां हर रोज कई मौत मरती हैं और जहां लोग शराब पी कर महिलाओं पर टूटने को तैयार रहते हैं, हर दिन वहां किशोरियों को ला कर बेचा जाता है और उन के साथ अत्याचार किया जाता है. इसी जीबी रोड के ‘दाग’ मिटाने की कवायद में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आफाक और उस की पत्नी सायरा समेत 8 लोगों को मकोका के तहत गिरफ्तार कर जीबी रोड के गंदे ‘खेल’ का परदाफाश किया है. यहां के सभी चकलाघरों में तहखाने हैं, जहां युवतियों को छिपा कर रखा जाता है. आने वाले ग्राहकों में कई नामी कालेजों के छात्र भी होते हैं.

सैक्स रैकेट का सिंडिकेट चलाने वाला आफाक हुसैन और उस की पत्नी सायरा के 6 कोठों में 40 कमरे पाए गए जिन में करीब 250 लड़कियां थीं. क्राइम ब्रांच के मुताबिक, 50-60 हजार रुपए में लड़कियों को खरीद कर

2 लाख रुपए तक जीबी रोड में बेच दिया जाता था. आफाक की हर रोज की कमाई 10 लाख रुपए से ऊपर थी. आफाक हुसैन का पूरा गिरोह है, जिस में अधिकतर लड़कियां पश्चिम बंगाल, झारखंड, नेपाल, बिहार से लाई जा रही थीं. कोठों में लड़कियों को कंट्रोल करने के लिए सीनियर महिलाएं तैनात थीं, जिन्हें नायिकाएं कहा जाता है.

5 हजार लड़कियों को सैक्स रैकेट के दलदल में उतारने वाले आफाक और सायरा बेगम का नैटवर्क सिर्फ दिल्ली के जीबी रोड तक ही सीमित नहीं था बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दुबई तक फैला था. वह नेपाल, बंगलादेश के अलावा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार से लाई गई लड़कियों को दुबई भेजता था और मोटी रकम वसूल करता था.

जीबी रोड के 6 कोठों पर सैक्स रैकेट चलाने वाले आफाक और सायरा अपने नैटवर्क के जरिए लड़कियों को गुमराह कर के दिल्ली लाते थे. इन लड़कियों को जीबी रोड पर अलगअलग कोठों व पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुरादनगर, अलीगढ़ और गाजियाबाद में 2 से 4 लाख रुपए में बेच दिया जाता था. लड़कियों की खरीदफरोख्त के लिए मेरठ का ब्रह्मपुरी स्थित रैडलाइट खासा चर्चित है. समयसमय पर वहां से नाबालिग लड़कियों को बरामद भी किया जा चुका है.

क्या देहव्यापार कभी रुक पाएगा?

सैक्स संबंध बनाने के लिए कुछ देशों में मान्यताप्राप्त स्थान हैं जहां पुरुष जा कर अपनी शारीरिक जरूरत की पूर्ति करते हैं. पुरुषों को ही इस में ज्यादातर आनंद मिलता है. सैक्सपूर्ति हेतु पुरुष पैसा दे कर महिलाओं को घंटे दो घंटे के लिए ले कर आते हैं. अपनी सैक्सुअल इच्छा पूरी करते हैं क्योंकि कई बार पुरुष अपने मुताबिक आनंद नहीं उठा पाते हैं.

63 वर्षीय मुन्ना हवेली के छोटे से कमरे में सुबह के 7 से 9 बजे के बीच, 25 से 40 वर्षीय महिला को बुला कर सैक्स संबंध स्थापित करते हैं. इस के लिए मुन्ना वियाग्रा की गोली खा कर संभोग करते हैं. अपने इस काम को अकसर रामजीलाल जैसे दोस्तों के साथ शेयर करते हैं. दरअसल, देहव्यापार ऐसा व्यापार है जो सदियों से होता आया है. इस को रोकना नामुमकिन है. न नेपाल में ‘सैक्स बाजार’ कम होगा, न ही भारत में नेपाली लड़कियों का क्रेज कम होगा.

देह व्यापार कभी खत्म नहीं होगा. हां, कानून बनते रहेंगे, पुलिस कार्यवाहियां करती रहेगी और सैक्स धंधे के दलाल व जिस्मफरोशी के जरिए पैसे कमाने वाली महिलाएं कानून व पुलिस को धता बताते हुए धंधे को बढ़ावा देते रहेंगे. हकीकत यह है कि यह धंधा सड़क से ले कर फ्लैटों, बंगलों, बड़ीबड़ी पार्टियों, होटलों यानी तकरीबन हर जगह जारी है, जारी रहेगा.

सैक्स पर वर्जना ही है बहुत हद तक युवतियों के साथ छेड़छाड़ का कारण

सैक्स का सुख अनैतिक है, यह न जाने क्यों आज की आधुनिक जनता ने भी अपना रखा है. ठीक है हम जानवरों की तरह हर जगह खुले में सैक्स कर के जनसंख्या वृद्धि कर प्राकृतिक काम नहीं कर सकते पर सैक्स से जुड़े हर काम को करना और फिर उस पर नाकभौं सिकोड़ना न केवल चारित्रिक दोगलापन है बल्कि भ्रम पैदा करने वाला है.

आज युवाओं का विवाह 14-15 वर्ष की आयु में न हो कर 30-35 में होने लगा है. सैक्स के सब से सक्रिय सालों में कुछ न हो, यह समाजिक मांग गलत है. सैक्स की आजादी समाज ने देनी है पर समाज आज भी उस युग में जीना चाहता है जब 10साल की लड़की की शादी 12 साल के लड़के से कर दी जाती थी और 15 साल की आयु में वह मां बन जाती थी.

आज युवाओं को सैक्स के प्रति अपना रवैया बदलने की छूट देनी होगी, क्योंकि यह प्राकृतिक आवश्यकता है. सैक्स गंदा है, यह भावना बदलनी होगी. यह संपूर्णता देता है, सुख देता है, साथी को लंबे समय तक बांधे रखता है, यह समझना होगा. सैक्स का प्राकृतिक परिणाम बच्चा अब लोगों के हाथ में है.

सैक्स पर वर्जना ही बहुत हद तक युवतियों के साथ छेड़छाड़ का कारण है, जोकि सामने दिखती है और जिस के लिए उस का शरीर बिलबिलाता है, उसे पाने के लिए पुरुष मन बहुत कुछ करने लगा है. इसी भीड़भाड़ में युवती को दबोच लेना शामिल है और अकेले में बलात्कार कर लेना.

यह ठीक है कि पश्चिमी देशों में जहां उन्मुक्त सहमति का सैक्स आम है, वहां भी बलात्कार है पर वहां फिर भी युवतियां हर समय भयभीत नहीं रहतीं और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जैसे मामले कम ही होते हैं, क्योंकि एक महिला साथी साथ हो तो दूसरी की ओर मन आसानी से आकर्षित नहीं होता. पैसे वाला सड़क पर पड़े 5 रुपए के नोट को नहीं उठाता, दूसरों की जेब नहीं काटता.

सैक्स को वर्जित फल न मान कर सामान्य प्रेम का शारीरिक प्रदर्शन माना जाए तो बहुत सी सामाजिक समस्याएं दूर हो जाएं. सैक्स प्रेम का स्वरूप है जबरदस्ती का नहीं, यदि यह युवाओं को समझा सकें तो बलात्कार कम हो सकते हैं, क्योंकि कुछ भी हो बलात्कार वहशीपन है और करने वाले के अहम को पूरा कर सकता है. सहज स्त्री सुख नहीं दे सकता.

हेट स्टोरी 4: अति घटिया सेक्सी फिल्म

‘‘हेट स्टोरी” की सिक्वल फिल्म की यह चौथी फिल्म है,  यह फिल्म अर्धनग्न शरीर, गर्मागर्म दृश्य व घटिया संवादों से युक्त एक अति घटिया फिल्म है. कुल मिलाकर सेक्सी देह को पाने की साजिश व बदले की कहानी है फिल्म ‘‘हेट स्टेारी 4’’.

फिल्म की शुरूआत अर्धनग्न मौडल ताशा व अन्य लड़कियों के एक शो के हिस्से से होती है और कैमरा उनके शरीर पर उपर से नीचे गुजरता है. पर फिल्म की कहानी के केंद्र में दो भाई राजवीर खुराना(करण वाही) और आर्यन खुराना(विवान भटेना) तथा इनके बीच आने वाली मौडल ताशा(उर्वशी रौतेला) है. ताशा अपने रूप सौंदर्य व अति सेक्सी अदाओं से इन दोनो भाईयो को अपने उपर मरने के लिए मजबूर करती है.

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पेशे से राजवीर फोटोग्राफर और आर्यन उद्दोगपति है. इनके पिता(गुलशन ग्रोवर) भी हैं. इन भाईयों के बीच ताशा के आने की वजह से हत्या व ब्लैकमेलिंग सहित कई घटनाएं तेजी से बदलती हैं.

पटकथा व कहानी के स्तर पर भी यह कमजोर फिल्म है. लेखक निर्देशक व कलाकारों का सारा ध्यान अभिनय की बजाय कपड़ों के उतरने व चढ़ने में ही रहता है. फिल्म का संवाद है- ‘‘बेडरूम में की गई प्रौमिस बोर्डरूम में नही लाते.’’

जहां तक अभिनय का सवाल है तो पूरी फिल्म देखकर दिमाग में यही बात आती है कि इससे जुडे़ कलाकार यही सवाल पूछते रहे कि अभिनय क्या होता है? करण वाही, विवान भटेना व उर्वशी रौतेला में से कोई भी अभिनय को लेकर गंभीर नजर नही आता. इन कलाकारों को अपने चेहरे के भावों पर काफी काम करने की जरुरत थी.

फिल्म की लोकेशन और कैमरामैन का काम जरुर आकर्षित करता है. पर फिल्म में रहस्य रोमांच भी बहुत सामान्य सा है. फिल्म के गीत संगीत भी प्रभावहीन हैं.

दो घंटे दस मिनट की अवधिवाली फिल्म ‘‘हेट स्टोरी 4’’ का निर्माण टीसीरीज ने किया है. निर्देशक विशाल पंड्या, कहानी समीर अरोड़ा, पटकथा लेखक समीर अरोड़ा व विशाल पंड्या, संवाद लेखक मिलाप झवेरी, संगीतकार मिठुन, तनिष्क बागची व टोनी कक्कर, कैमरामैन सुनीता राडिया तथा कलाकार हैं-करण वाही, विवान भटेना, उर्वशी रौतेला, गुलशन ग्रोवर, इहाना ढिल्लों, रीटा सिद्दिकी व अन्य.

यूं हुआ शमी के कारनामों का खुलासा, ऐसे परत दर परत खुला मामला!

क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां ने उन पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं और पुलिस से उनकी शिकायत भी की है, जबकि शमी ने आरोपों को झूठा करार दिया है. इस बीच बीसीसीआई ने आरोपों के चलते शमी का कौन्ट्रेक्ट खत्म कर दिया है. शमी की पत्नी ने उन पर जो आरोप लगाए हैं वो चौंका देने वाले हैं. मंगलवार सुबह साढ़े पांच बजे हसीन जहां ने नागपुर में रहने वाली लड़की का नाम लिखते हुए पूछा कि क्या कोई उसको जानता है? 11 बजे हसीन ने एक और लड़की का नाम लिखते हुए उसे शमी की गर्लफ्रेंड बताया. देखते ही देखते चंद घंटों में हसीन ने 11 पोस्ट कर दिए. हसीन ने शमी द्वारा इन लड़कियों के साथ की गईं अश्लील बातचीत के कुछ स्क्रीन शौट भी पोस्ट किए लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया. इसके बाद उन्होंने पुलिस में 5 पन्ने की शिकायत की है और पुलिस अब इन आरोपों की जांच कर रही है.

शमी पर हैं ये गम्भीर आरोप

इल्जाम नंबर एक- हसीन जहां का कहना है कि शमी मैच फिक्सिंग में शामिल है.

इल्जाम नंबर दो- हसीन जहां के मुताबिक शमी एक पाकिस्तानी लड़की के संपर्क में रहे हैं जिससे वह शादी भी करना चाहते थे.

इल्जाम नंबर तीन- शमी ने पाकिस्तानी लड़की से दुबई में पैसे लिए थे जो ब्रिटेन के किसी मोहम्मद भाई ने भेजे थे.

इल्जाम नंबर चार- शमी के घरवाले उनकी शादी बौलीवुड की किसी हीरोइन से कराना चाहते थे.

इल्जाम नंबर पांच- हसीन जहां का आरोप है कि शमी उन पर अपने भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दवाब डालते थे.

इल्जाम नंबर छह- शमी ने अपनी बीएमडब्ल्यू में एक मोबाइल छुपा कर रखा था जिसमें वह इंग्लैंड का नंबर इस्तेमाल करता था.

शमी की पत्नी ने कोलकाता के लाल बाजार थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है. हसीन जहां ने पुलिस को जो शिकायत दी है वो पांच पन्नों की है. इस शिकायत में हसीन जहां ने विस्तार से शमी पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं जिसमें कई लड़कियों के साथ संबंध, मारपीट, उत्पीड़न जैसे आरोप शामिल हैं.

आइये जानें कैसे परत दर परत खुला मामला

जान से मारने की धमकी

हसीन ने कहा कि शमी ने एक फोन अपनी कार के डैशबोर्ड में छुपा रखा था. एक दिन मुझे वह फोन मिल गया. मुझे उस कार से कुछ कंडोम भी मिले. यह फोन लौक था लेकिन कई बार पैटर्न बदलने पर लौक खुल गया. इसके बाद मैंने उनकी गैर महिलाओं से बातचीत के स्क्रीन शौट ले लिए. जैसे ही शमी को अपना फोन गायब होने की जानकारी मिली तो वह बुरी तरह से भड़क उठे. शमी ने उन्हें धमकी दी है कि जिस तरह से चुपचाप रह रही थी, रहो नहीं तो अंजाम बुरा होगा. हसीन जहां ने ये भी कहा कि शमी और उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी हत्या का भी प्रयास किया. वह दो सालों से ये सब बर्दाश्त कर रही थीं लेकिन अब बर्दाश्त से बाहर होने के बाद उन्होंने ये कदम उठाया है.

पुलिस को किया था आगाह

हसीन ने कहा कि आठ जनवरी को उनके साथ यूपी में घरेलू हिंसा हुई. इसके बाद वह कोलकाता आईं तो उन्होंने लोकल थाने में इसकी जानकारी दी. हालांकि तब हसीन ये नहीं चाहती थी कि परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाए. उनका कहना है कि शायद शमी का परिवार मेरी हत्या भी कर देता. उन्होंने मुझे मारने की कोशिश भी की थी. हसीन ने कहा कि शमी कई लड़कियों से अश्लील चैट करते हैं. मौका मिलने पर कइयों के साथ होटल में समय भी गुजार चुके हैं. दक्षिण अफ्रीकी दौरे से लौटते समय भी उन्होंने एक लड़की के साथ दुबई में रात गुजारी थी. हसीन का दावा है कि शमी मैच फिक्सिंग के लिए पाकिस्तानी लड़की से भी पैसे लेते थे.

शमी ने भुगता पत्नी की शिकायत का खामियाजा

पत्नी के लगाए गए आरोपों के तुरंत बाद ही शमी ने ट्वीट करके खुद का बचाव किया, लेकिन हसीन दोपहर में अपने वकील के साथ कोलकाता पुलिस मुख्यालय पहुंचीं और मौखिक शिकायत की. शमी की पत्नी की शिकायत को देखते हुए बीसीसीआइ ने बुधवार शाम को जारी अपने नए केंद्रीय अनुबंध से शमी का नाम काट दिया. बीसीसीआइ के 26 अनुबंधित खिलाड़ियों में इस तेज गेंदबाज का नाम नहीं है. शमी अभी तक बोर्ड के ग्रेड-बी में थे. हाल ही में दिल्ली डेयरडेविल्स ने उन्हें तीन करोड़ रुपये में खरीदा है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि बीसीसीआइ ने शमी का अनुबंध फिलहाल होल्ड पर रखा है.

मीडिया के सामने आकर ये बोले शमी

जिस मोबाइल की चैट मेरी पत्नी दिखा रही हैं वह फोन मेरा नहीं है. हमारे परिवार में सब लोग खुशी से रहते हैं. मेरे परिवार को फंसाने की साजिश है. दुबई में रात रुकने के मामले में उन्होंने कहा कि वहां मैं अकेला था. मेरा करियर बर्बाद करने की साजिश है. मेरे लिए मेरा परिवार, मेरी बेटी ही सब कुछ है. मैंने उनकी हर ख्वाहिश पूरी की है. मैंने इस विवाद के बाद हसीन से बात करने की कोशिश की लेकिन वह कौल रिसीव नही कर रहीं. उनके पापा भी बात नहीं कर रहे हैं. बीसीसीआइ में अभी मेरी किसी से बात नहीं हुई है.

विवादों से शमी का पुराना नाता

पहले शमी व उनकी पत्नी की फोटो फेसबुक पर पोस्ट होते ही चर्चित हुई थी. तब हसीन के कपड़ों को लेकर कुछ लोगों ने हो-हल्ला मचाया था, लेकिन उस समय शमी ने आलोचकों को करारा जवाब देते हुए पत्नी प्रेम जाहिर किया था.

नागौर की कसूरी मेथी कमाई से छाई बहार

राजस्थान का मारवाड़ इलाका लजीज खाने की वजह से दुनियाभर में अपनी खास पहचान रखता है, चाहे बीकानेर की नमकीन भुजिया हो या रसगुल्ले की बात हो या फिर जोधपुर के मिरची बड़े व कचौरी की, एक खास तसवीर उभर कर सामने आती है. वहीं दूसरी ओर इस इलाके में मसालों की खेती भी की जाती है. प्रदेश का नागौर जिला एक ऐसी ही मसाला खेती के लिए दुनियाभर में जाना जाता है और वह है कसूरी मेथी की खेती.

डाक्टर और वैज्ञानिक कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए भी कसूरी मेथी के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. कई औषधीय गुणों से भरपूर इस मेथी का इस्तेमाल पुराने जमाने से ही पेटदर्द के साथसाथ कब्ज दूर करने और बलवर्धक औषधीय के रूप में होता आया है.

मेथी की बहुपयोगी पत्तियां सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथसाथ खाने को लजीज बनाने में भी खास भूमिका निभाती हैं. खास तरह की खुशबू और स्वाद की वजह से मेथी का इस्तेमाल सब्जियों, परांठे, खाखरा, नान और कई तरह के खानों में होता है.

नागौर की यह मशहूर मेथी अंतर्राष्ट्रीय कारोबार जगत में बेहद लजीज मसाले के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है. अब तो मेथी का इस्तेमाल लोग ब्रांड नेम के साथ करने लगे हैं.

सेहत की नजर से देखें तो मेथी में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन व प्रोटीन मौजूद है. किसान सेवा समिति, मेड़ता के एक किसान बलदेवराम जाखड़ बताते हैं कि किसी जमाने में पाकिस्तान के कसूरी इलाके में ही यह मेथी पैदा होती थी, जिस के चलते इस का नाम कसूरी मेथी पड़ा. धीरेधीरे इस की पैदावार फसल के रूप में सोना उगलने वाली नागौर की धरती पर होने लगी.

आज हाल यह है कि नागौर दुनियाभर में कसूरी मेथी उपजाने वाला सब से बड़ा जिला बन गया है. यहां की मेथी मंडियों ने विश्व व्यापारिक मंच पर अपनी एक अलग जगह बनाई है. न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी नागौर की कसूरी मेथी बिकने के लिए जाती है.

नागौर के ही एक मेथी कारोबारी बनवारी लाल अग्रवाल के मुताबिक, ‘‘कई मसाला कंपनियों ने कसूरी मेथी को दुनियाभर में पहचान दिलाई है. देश की दर्जनभर मसाला कंपनियां कसूरी मेथी को खरीद कर देशविदेश में कारोबार करती हैं. इसी वजह से इस मेथी का कारोबारीकरण हो गया है.’’

नागौर जिला मुख्यालय में 40 किलोमीटर की दूरी में फैले इलाके खासतौर से कुचेरा, रेण, मूंडवा, अठियासन, खारड़ा व चेनार गांवों में मेथी की सब से ज्यादा पैदावार होती है. मेथी की फसल के लिए मीठा पानी सब से अच्छा रहता है. चिकनी व काली मिट्टी इस की खेती के लिए ठीक रहती है.

कसूरी मेथी की फसल अक्तूबर माह में बोई जाती है. 30 दिन बाद इस की पत्तियां पहली बार तोड़ने लायक हो जाती हैं. इस के बाद फिर हर 15 दिन बाद इस की नई पत्तियां तोड़ी जाती हैं.

मेथी के एकएक पौधे की पत्तियां किसान अपने हाथों से तोड़ते हैं. लोकल बोलचाल में मेथी की पत्तियां तोड़ने के काम को लूणना या सूंठना कहते हैं. पहली बार तोड़ी गई पत्तियां स्वाद व क्वालिटी के हिसाब से अच्छी होती हैं.

वर्तमान में मेथी की पैदावार में संकर बीज का इस्तेमाल सब से ज्यादा होता है. यहां के किसान इसे काश्मीरी के नाम से जानते हैं. कसूरी मेथी उतारने में सब से ज्यादा मेहनत होती है, क्योंकि इस के हर पौधे की पत्तियों को हाथ से ही तोड़ना पड़ता है.

कैसे करें खेती

भारत में मेथी की कई किस्में पाई जाती हैं. कुछ उन्नत हो रही किस्मों में चंपा, देशी, पूसा अलविंचीरा, राजेंद्र कांति, हिंसार सोनाली, पंत रागिनी, काश्मीरी, आईसी 74, कोयंबूटर 1 व नागौर की कसूरी मेथी खास हैं.

इस की अच्छी खेती के लिए इन बातों पर ध्यान देना जरूरी है:

आबोहवा व जमीन : कसूरी मेथी की खेती के लिए शीतोष्ण आबोहवा की जरूरत होती है, जिस में बीजों के जमाव के लिए हलकी सी गरमी, पौधों की बढ़वार के लिए थोड़ी ठंडक और पकने के लिए गरम मौसम मिले. वैसे, यह मेथी हर तरह की जमीन में उगाई जा सकती है, लेकिन अच्छी उपज के लिए बलुई या दोमट मिट्टी सही रहती है.

खाद व उर्वरक : अच्छी फसल के लिए 5 से 6 टन गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत तैयार करते समय मिला देनी चाहिए.

इस के अलावा 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40-40 किलो फास्फोरस व पोटाश प्रति हेक्टेयर देने से उपज में बढ़ोतरी होती है. नाइट्रोजन की बाकी बची आधी मात्रा और फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बोआई से पहले देते हैं. बाकी नाइट्रोजन 15-15 दिन के अंतराल पर 2 बार में देते हैं.

बोआई : कसूरी मेथी को अगर बीज के रूप में उगाना है, तो इसे मध्य सितंबर से नवंबर माह तक बोया जाता है. लेकिन अगर इसे हरी सब्जी के लिए उगाना है तो मध्य अक्तूबर से मार्च माह तक भी बो सकते हैं. वैसे, अच्छी उपज लेने के लिए नागौर इलाके में इसे ज्यादातर अक्तूबर से दिसंबर माह के बीच ही बोया जाता है.

इस की बोआई लाइनों में करनी चाहिए. लाइन से लाइन की दूरी 15 से 20 सैंटीमीटर व गहराई 2 से 3 सैंटीमीटर रखनी चाहिए. ज्यादा गहराई पर बीज का जमाव अच्छा नहीं रहता.

बीज बोने के बाद पाटा जरूर लगाएं, ताकि बीज मिट्टी से ढक जाए. यह मेथी 8 से 10 दिनों में जम जाती है.

सिंचाई : कसूरी मेथी के पौधे जब 7-8 पत्तियों के हो जाएं तब पहली सिंचाई कर देनी चाहिए. यह समय खेत की दशा, मिट्टी की किस्म व मौसमी बारिश वगैरह के मुताबिक घटबढ़ सकता है. हरी पत्तियों की ज्यादा कटाई के लिए सिंचाई की तादाद बढ़ा सकते हैं.

फसल की हिफाजत  : कसूरी मेथी में पत्तियों व तनों के ऊपर सफेद चूर्ण हो जाता है व पत्तियां हलकी पीली पड़ जाती हैं. बचाव के लिए 800 से 1200 ग्राम प्रति हेक्टेयर ब्लाईटाक्स 500-600 लिटर पानी में घोल बना कर पौधों पर छिड़क दें.

पत्तियां व तनों को खाने वाली गिड़ार से बचाने के लिए 2 मिलीलिटर रोगर 200 लिटर पानी में घोल कर फसल पर छिड़काव करें. छिड़काव कटाई से 5 से 7 दिन पहले करें.

कटाई : बोआई के 3-4 हफ्ते बाद कसूरी मेथी हरी सब्जी के तौर पर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बाद में फूल आने तक हर 15 दिन में कटाई करते हैं. बीज उत्पादन के लिए 2 कटाई के बाद कटाई बंद कर देनी चाहिए.

उपज और स्टोरेज : सब्जी के लिए मेथी की औसत उपज 80 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व बीज के लिए 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हासिल होती है. हरी सब्जी के लिए मेथी की पत्तियों को अच्छी तरह से सुखा कर एक साल तक स्टोर कर सकते हैं और बीज को 3 साल तक स्टोर किया जा सकता है.

गौरतलब है कि कसूरी मेथी के बीजों को मसाले के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है.

नई तकनीक से उगाएं खरबूजा

आमतौर पर ज्यादातर किसान खरबूजे की खेती परंपरागत तरीके से करते हैं, जिस की वजह से निम्न क्वालिटी वाली कम उपज मिलती है. किसानों को इस की खेती वैज्ञानिक तरीके से करनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छी क्वालिटी वाली ज्यादा उपज मिल सके.

जलवायु : खरबूजे के अच्छे उत्पादन के लिए गरम और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है. इस के बीज के अंकुरण के लिए 27 से 30 डिगरी सैल्सियस तापमान सही माना गया है. खरबूजे की फसल को पाले से ज्यादा नुकसान होता है.

ध्यान रहे, फल पकने के दौरान खासतौर पर तेज धूप, गरम हवा यानी लू फलों में मिठास के लिए जरूरी समझी जाती है. आर्द्र वातावरण होने के कारण इस की फसल में फफूंदीजनित रोग लग जाते हैं और फलों पर कीड़ों का प्रकोप हो जाता है.

जमीन : खरबूजे को तमाम तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, परंतु सही जल निकास वाली रेतीली दोमट जमीन, जिस का पीएच मान 6 से 7 सही माना गया है, ज्यादा अच्छी होती है. इस से कम पीएच मान 5.5 वाली जमीन में इसे अच्छी तरह नहीं उगाया जा सकता. भारी मिट्टी में पौधों की बढ़वार तो ज्यादा हो जाती है, पर फल देरी से लगते हैं.

नदियों के किनारे कछारी जमीन में भी इन के पौधों को आसानी से उगाया जा सकता है. ज्यादा क्षारीय मिट्टी इस के लिए अच्छी नहीं मानी गई है.

खेत की तैयारी : नदी तट पर लताओं के लिए गड्ढे खोद कर थाले बनाते हैं. गड्ढे से तब तक बालू हटाते रहते हैं, जब तक कि उन की तली में पानी न निकलने लगे. हर ड्ढे में 5 किलोग्राम कंपोस्ट, 100 ग्राम अरंडी की खली, 25 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 30 ग्राम म्यूरेट औफ पोटाश का मिश्रण भर देते हैं.

खरबूजा उगाने के लिए खेतों में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. उस के बाद कल्टीवेटर या हैरो से 2-3 जुताई करें. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं. फिर क्यारियां और सिंचाई नालियां बना लेनी चाहिए. खरबूजे को ऊंची उठी क्यारियों में बोना चाहिए. क्यारियों की चौड़ाई फसल और उस की किस्म पर निर्भर करती है. मध्यम फैलने वाली किस्मों के लिए 3 मीटर और बोआई दोनों किनारों पर की जाती है. हिल से हिल की दूरी 50-60 सैंटीमीटर रखनी चाहिए. बीजों की बोआई लंबी सिंचाई नालियों में भी की जा सकती है.

खाद और उर्वरक : भारत के विभिन्न भागों में खरबूजे की फसल के लिए खाद और उर्वरक की सही मात्रा का पता लगाने के लिए तमाम जांचें की गई हैं. इन का जिक्र इस तरह है:

शर्मा और शुक्ल : साल 1952 में खरबूजे की अर्का हंस किस्म में नाइट्रोजन और फास्फोरस दे कर अच्छी पैदावार ली गई थी. आंध्र प्रदेश में अत्यधिक सुगंध, ज्यादा गूदे और मजबूत छिलका वाला खरबूजा हासिल करने के लिए फसल में उर्वरक के रूप में चमगादड़ों की गीली बीट का इस्तेमाल किया गया था.

नाथ : साल 1945 में राजस्थान की हलकी मिट्टी में उगाई गई खरबूजे की फसल में शुरू में प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल गोबर की खाद के अलावा 88 किलोग्राम अमोनिया सल्फेट देने की सिफारिश की गई थी.

खरबूजे के लिए खाद और उर्वरक की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि जमीन की उर्वराशक्ति कैसी है और उस में कौन सी किस्म उगाई जा सकती है. मध्यम उर्वरता वाली जमीन में 200 क्विंटल कंपोस्ट, 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश देने से अच्छी उपज मिल जाती है.

पहली जुताई से पहले ही खेत में समान रूप से गोबर की खाद बिखेर देनी चाहिए. नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा का घोल बना कर आखिरी जुताई के समय जमीन में डाल देनी चाहिए. नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा को फूल आने के बाद डालना चाहिए.

बोआई

समय : खरबूजे की बोआई इस बात पर निर्भर करती है कि उसे कहां उगाना है. यदि आप इसे नदियों के किनारे उगाने जा रहे हैं तो इस की बोआई नवंबर से जनवरी माह तक थालों में करें.

उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में इस की बोआई फरवरी माह में करनी चाहिए, जबकि दक्षिणी भारत के मैदानी इलाकों में दिसंबरजनवरी माह में बोआई करनी चाहिए. पश्चिम बंगाल, बिहार के पालारहित इलाकों में नवंबरदिसंबर माह में बोआई करनी चाहिए. पर्वतीय इलाकों में इस की बोआई अप्रैल माह के मध्य में की जाती है.

विधि : कुछ किसान खेतों में खरबूजे को हल के पीछे कूंड़ में बोते हैं, जबकि प्रगतिशील किसान 90 सैंटीमीटर चौड़े थाले और 10 सैंटीमीटर नालियां बना कर बोआई करते हैं. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 180-240 सैंटीमीटर और थाले की दूरी 60-120 सैंटीमीटर रखते हैं.

इस तरह से बोई गई फसल में पानी कम लगता है और सीधा फसल में नहीं जा पाता है. बीजों को बोने से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगोने से अंकुरण अच्छा होता है.

एक हेक्टेयर खेत के लिए 2-3 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. प्रत्येक थाले में 3 बीज बोते हैं. जब पौधों में 4 पत्तियां आ जाती हैं तो 2 कमजोर पौधों को उखाड़ देते हैं.

सिंचाई

खरबूजे की अच्छी उपज लेने हेतु जमीन में नमी बनाए रखने की जरूरत होती है. नदी तट पर बोई गई फसल की सिंचाई नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि जलकोशिका क्रिया द्वारा जड़ों तक पानी पहुंचता रहता है. शुरू में थोड़ेथोड़े दिनों के अंतराल बाद सिंचाई करनी चाहिए.

जब फल पकने वाले हों तो सिंचाई कम करनी चाहिए, क्योंकि इस स्थिति में पानी देने से फलों की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है.

सिंचाई हमेशा उथली करनी चाहिए. गरमियों में 5 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए. हलकी रेतीली मिट्टी में थोड़ी ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है.

फसल की सुरक्षा

खरपतवार पर नियंत्रण : खरबूजे की फसल के साथ अनेक खरपतवार उग आते हैं जो फसलों के साथ नमी, पोषक तत्त्वों और धूप के लिए होड़ करते हैं. नतीजतन, पौधों की बढ़वार और उपज पर बुरा असर पड़ता है.

फसल की शुरुआती अवस्था में पौधों के समीप उथली निराईगुड़ाई करनी चाहिए. उस के बाद और भी उथली निराईगुड़ाई करनी चाहिए.

जब लताएं जमीन को अच्छी तरह ढक लेती हैं तब खरपतवार पनप नहीं पाते हैं. यदि खरपतवार दिखाई दें तो उन्हें हाथ से उखाड़ दें, क्योंकि उस समय निराई की जाएगी तो लताओं को नुकसान पहुंचने का डर ज्यादा रहता है.

फलों की तुड़ाई : खरबूजे के फलों की तुड़ाई का तजरबा किसानों को होना चाहिए. फलों को किस अवस्था में तोड़ा जाए, यह मुख्य रूप से किस्म, तुड़ाई का समय, तापमान और बाजार तक पहुंचने में लगने वाले समय पर निर्भर करता है.

आमतौर पर खरबूजे का फल पकने पर डंठल से खुद ही अलग हो जाता है और उस जगह पर एक बड़ा सा दाग छूट जाता है, इसे फुल स्लिप का नाम दिया गया है. अगर फल को इस अवस्था में 1-2 दिन पहले ही तोड़ लिया जाए तो डंठल का कुछ भाग फल से चिपका रह जाता है. इसे हाफ स्लिप कहते हैं.

लोकल बाजार में बेचने के लिए फल  पूरी तरह डंठल से हटने पर ही तोड़े जाते हैं, लेकिन दूर के बाजारों में बेचने के लिए फल 1-2 दिन पहले ही तोड़ लिए जाते हैं.

उपज : खरबूजे की उपज कई बातों पर निर्भर करती है. जमीन की उर्वराशक्ति, उगाई जाने वाली किस्म और फसल की देखभाल प्रमुख है. प्रति हेक्टेयर 125-150 क्विंटल उपज मिल जाती है, जबकि खरबूजे की ‘खरबूजा चयन 3’ नामक किस्म से 31.60 टन तक उपज मिल सकती है.सुजाता भार्गव

आप भी हो सकते हैं टीडीएस घोटाले के शिकार, बचने के लिए करना ना भूलें ये काम

इन दिनों देश में घोटालों की बाढ सी आ गई है आप बैंको में होने वाले घोटालों से तो पूरी तरह से वाकिफ होंगे. घोटालों के मौसम में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा 3200 करोड़ रुपये के टीडीएस घोटाले के उजागर होने के बाद इसके शिकार आप भी हो सकते हैं, यानी कि आप पर भी इसकी गाज गिर सकती है. मालूम हो कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 447 कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया है, लेकिन इसकी गाज उन कर्मचारियों पर भी गिरेगी जिनका टैक्स जमा नहीं किया गया है.

ITR के लिए जरूरी होता है टीडीएस

अगर आपकी सैलरी से कंपनी टीडीएस काटती है तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देना जरूरी होता है. बिना टीडीएस की जानकारी दिए आईटीआर गलत फाइल हो सकता है, जिसकी जांच होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपसे पहले पूछताछ और बाद में आपके खिलाफ केस दर्ज कर सकता है. विभाग टैक्स चोरी के अपराध में आप पर जुर्माना भी लगा सकता है. इसलिए आपको टीडीएस कटने के बाद उसके जमा होने की भी जानकारी होनी चाहिए.

हर तिमाही के बाद जमा होता है टीडीएस

प्रत्येक कंपनी को हर तिमाही के खत्म होने के एक महीने के अंदर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास टीडीएस जमा करना होता है. 31 मार्च को खत्म होने वाली तिमाही के लिए टीडीएस जमा करने की आखिरी तारीख 31 मई है. इसके बाद फौर्म 26 एएस को 31 मई के बाद अपलोड किया जाएगा.

फौर्म 16 और 26ए एस में दिखेगा अंतर

टीडीएस जमा नहीं होने पर इसका अंतर आपके फौर्म 16 और 26ए एस में दिखेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि टीडीएस कटने की जानकारी फौर्म 16 में तो दिखेगी, लेकिन 26ए एस में टैक्स जमा होने के तौर पर नहीं दिखेगा. ऐसा होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके पास डिमांड नोटिस भेज सकता है. इसलिए अपने फौर्म 26 एएस को हर तिमाही के बाद चेक करना ना भूलें.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट हर टैक्सपेयर के फौर्म 26 एएस को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करता रहता है. https://incometaxindiaefiling.gov.in/e-Filing/UserLogin/LoginHome.html?nextPage=taxCred पर आप लौगिन करके इसको देख सकते हैं. लौगिन करने के लिए आपको यूजर आईडी के तौर पर अपना पैन नंबर, पासवर्ड (कम से कम आठ करेक्टर का), जन्म तिथि और कैप्चा कोड देना होगा. इसको सबमिट करने के बाद आपका पेज खुल जाएगा. यहां पर माई अकाउंट सेक्शन पर जाकर के फौर्म 26 एएस को चेक कर सकते हैं.

इसे भी जान लें

देरी से ITR फाइल करने के नियमों में हुआ बदलाव

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने देरी से रिटर्न फाइल करने के नियमों में काफी बदलाव किया है. वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 का अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न भरना भूल गए हैं तो फिर आपको 5 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. इन दोनों वित्त वर्ष के रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 मार्च 2018 है.

फाइनेंस एक्ट में किए गए हैं ये बड़े बदलाव

वित्त मंत्रालय ने आईटीआर फाइल करने को लेकर फाइनेंस एक्ट 2016 में कई तरह के बदलाव किए हैं. सेक्शन 139 (4) के मुताबिक अब टैक्स पेयर केवल वित्त वर्ष की समाप्ति के एक साल बाद का ही रिटर्न फाइल कर सकते हैं.

पहले टैक्सपेयर दो साल पुराना रिटर्न भी फाइल कर सकते थे. इस हिसाब से देखा जाए तो फिर जिन लोगों ने मार्च 2017 तक अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है उनको केवल 31 मार्च 2018 तक ही रिटर्न फाइल करने का समय मिलेगा. अगर 31 मार्च के बाद रिटर्न फाइल किया तो सेक्शन 271एफ के अनुसार 5 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा.

गूगल के इस नये औपरेटिंग सिस्टम से और स्मार्ट हो जाएगा आपका स्मार्टफोन

गूगल नया औपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड ‘पी’ लाने जा रहा है इसके आने के बाद आपका स्मार्टफोन और भी ज्यादा स्मार्ट हो जाएगा. जैसा कि पहले भी देखा गया है कि हर बार नया औपरेटिंग सिस्टम आने पर उसमें काफी कुछ नया होता है. गूगल का सबसे लेटेस्ट औपरेटिंग सिस्टम अभी एंड्रायड ओरियो है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि गूगल जल्द अपने नए औपरेटिंग सिस्टम से पर्दा हटाएगा. खबरें यह भी हैं कि गूगल के नए औपरेटिंग सिस्टम का नाम ‘पी’ हो सकता है. गूगल हर साल मई में होने वाली अपनी सालाना कौन्फ्रेंस में अपने नए प्रौडक्ट्स को लौन्च करता है. माना जा रहा है कि इस बार भी गूगल अपने एंड्रायड ‘पी’ का पहला डेवलेपर वर्जन जारी करेगा.

एंड्रायड ‘पी’ को गूगल असिस्टेंट के साथ जोड़ा जा सकता है. इससे फोन की बैटरी लाइफ पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत हो जाएगी. एंड्रायड के इस वर्जन को ‘पिस्ताचियो आइसक्रीम’ कहा जा रहा है. जबकि औफिशियली इस औपरेटिंग सिस्टम का अभी तक कोई भी नाम नहीं दिया गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गूगल एंड्रायड ‘पी’ का पहला डेवलेपर प्रिव्यू मार्च में जारी कर सकता है. आने वाले दिनों में डेवलेपर्स से इसके फीचर्स के बारे में और भी खबरें सुनने को मिल सकती है. हमें मिली एक रिपोर्ट के मुताबिक एंड्रायड ‘पी’ औपरेटिंग सिस्टम में कई शानदार फीचर्स शामिल होंगे, इनमें से एक फीचर कौल ब्लौकिंग का है जो इसमें शामिल किया जाएगा. इस फीचर के आने के बाद आपको अपने स्मार्टफोन पर आने वाले प्रमोशनल कौल से छुटकारा मिल जाएगा. दरअसल ये फीचर अनजान नंबर, प्राइवेट नंबर या जिन नंबरों की कौलर आईडी नहीं होगी, उन नंबर्स को अपने आप ब्लौक कर देगा.

खबरें हैं कि गूगल का नया औपरेटिंग सिस्टम और्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर भी काम कर सकता है. जिससे फोन को इस्तेमाल करना और भी आसान हो जाएगा, यानी साफ है कि इस औपरेटिंग सिस्टम की मदद से आपका फोन और भी ज्यादा स्मार्ट हो जाएगा.

बुलेट प्रेमियों के लिये खुशखबरी, सस्ते में खरीद सकते हैं बुलेट

अगर आपको भी बुलेट मोटरसाइकिल चलाना पसंद है. लेकिन आप कीमत ज्यादा होने के कारण नहीं खरीद पा रहे तो यह खबर आपके लिए है. जी हां कंपनी ने एक स्टोर खोला है जिसमें बुलेट की मोटरसाइकिल कम कीमत में मिलेंगी. प्रीमियम मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी रौयल एनफील्ड (Royal Enfield) ने पुरानी मोटरसाइकिल बेचने के कारोबार में कदम रखा है.

कंपनी ने अपनी इस पहल के तहत खोले गए स्टोर को ‘विंटेज स्‍टोर’ नाम दिया है. इस तरह का पहला स्टोर कंपनी ने चेन्नई में खोला है. भविष्य में इसके देश भर में विस्तार की प्लानिंग है. कंपनी का कहना है कि विंटेज स्टोर एक नई परिकल्पना है जिसमें उपयोग हो चुकी महंगी बाइक को बिल्कुल नये रूप में पेश किया जएगा.

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पुरानी मोटरसाइकिल की अच्छी मांग

यह स्टोर रौयल एनफील्ड के उन संभावित ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करेगा जो बेहतर गुणवत्ता और प्रमाणित पुरानी मोटरसाइकिल खरीदना चाहते हैं. रौयल एनफील्ड के प्रमुख (इंडिया बिजनेस) शाजी कोशी ने पहले स्टोर के शुभारंभ के बाद कहा कि विंटेज के साथ हमने एक ऐसी जगह बनाई है जहां मोटरसाइकिल एक ग्राहक से दूसरे ग्राहकों को जाएंगी. उन्होंने कहा, ‘हमने गौर किया है कि पुरानी और बेहतर रौयल एनफील्ड मोटरसाइकिल की अच्छी मांग है.’

10 स्टोर और खोलने की योजना

कोशी ने यह भी बताया कि कंपनी की आने वाले दिनों में 10 स्टोर खोलने की योजना है. उन्होंने कहा कि विंटेज स्टोर में केवल रौयल एनफील्ड मोटरसाइकिल की ही बिक्री की जाएगी. स्टोर के जरिये मोटरसाइकिल खरीदने के लिए लोन उपलब्ध कराने में भी सहायता दी जाएगी. साथ ही ग्राहकों को मोटर बीमा के साथ बिक्री के बाद की सेवा सुविधा भी मिलेगी. आपको बता दें कि देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति भी अपने स्टोर ट्रू वैल्यू के जरिए पुरानी कारों की बिक्री करती है.

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ग्राहकों का अच्छा रिस्पांस

इसी तरह से अन्य स्टोर के माध्यम से देशभर के बाजार में पुरानी कारों की बिक्री की जाती है. इन स्टोर को ग्राहकों का अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है. यह पहला मौका है जब किसी कंपनी ने सेकेंड हैंड बाइक की बिक्री के लिए स्टोर खोला है.

दीपिका को चार माह आराम करने की सलाह

विशाल भारद्वाज ने जब दीपिका पादुकोण और इरफान को लेकर एक अनाम रोमांटिक फिल्म निर्देशित करने का ऐलान किया, तो सबसे ज्यादा खुश दीपिका पादुकोण हुई थीं. वह ‘पद्मावत’करने के बाद से विवादों के चलते लगातार तनाव में जी रही थीं. ‘पद्मावत’के बाद उन्होंने कोई अन्य फिल्म नहीं की. ‘पद्मावत’काफी गंभीर किस्म की फिल्म थी. तो दीपिका को लगा कि अब एक हल्की फुलकी फिल्म करके वह इंज्वाय करेंगी.

इस फिल्म की शूटिंग दस मार्च से शुरू होनी थी, मगर अचानक इरफान खान की बीमारी की खबर से यह फिल्म अधर में लटक गयी. तो दूसरी तरफ दीपिका पादुकोण को लेकर दो तीन तरह की खबरें गर्म हैं. एक तरफ चर्चा है कि दीपिका पादुकोण अपनी शादी की तैयारी में व्यस्त हैं. इसीलिए उन्होंने रणवीर सिंह को अपने माता पिता से बंगलोर जाकर मिलवाया और उनके बीच लंबी बातचीत हुई. वहीं खबर गर्म है कि दीपिका पादुकोण पीठ दर्द से परेशान हैं. उनकी बीमारी को देखते हुए डाक्टरों ने दीपिका पादुकोण को पूरे चार माह तक पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी है. इन्हीं खबरों के बीच दीपिका पादुकोण को फिटनेस ट्रेनर यास्मीन कराचीवाला के पास भी जाते हुए देखा गया.

उधर बौलीवुड का एक तबका दीपिका पादुकोण की पीठ दर्द की बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रहा है..अब सवाल है कि वह बीमारी को लेकर झूठ क्यों बोलेंगी?  उनके पास एक भी फिल्म नहीं है…वह तो चाहेंगी कि जल्दी से एक अच्छी फिल्म की शूटिंग शुरू करें.

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