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125 साल के इतिहास में कोका कोला पहली बार पेश करेगी एल्कोहलिक ड्रिंक

अब ठंडा का मतलब सिर्फ कोका-कोला नहीं रह जायेगा, क्योंकि अपनी 125 साल पुरानी परंपरा को बदलते हुए कोका कोला ने अपने पहले एल्कोहलिक ड्रिंक को लौन्च करने की घोषणा की है. ये ड्रिंक जापान में लांच की जाएगी. जो जापानी ड्रिंक जिसे चू-ही (जौ व आलू के फर्मेंनटेशन से बना हुआ ड्रिंक) कहा जाता है के जैसा ही होगा जो कि आसुत जापानी पेय सोचु से बना हुआ होगा. चू-ही के बाजार में कई फ्लेवर्स मौजूद हैं. इसमें 3 से 8 फीसदी तक एल्कोहल होता है. जिस कारण से इसका सीधे तौर पर बीयर से कौंप्टीशन होता है.

कैसा होगा कोका कोला का एल्कोहलिक ड्रिंक

3 से 8 फीसदी होगा एल्कोहाल

कोका कोला ने कहा है कि इस ड्रिंक में 3 से 8 फीसदी के बीच एल्कोहल होगा. जापान में अगर कंपनी का ये प्रोडक्ट सफल होता है तो इसको अन्य देशों में भी लॉन्च किया जाएगा.

बीयर जैसा होगा स्वाद

कंपनी ने कहा है कि इस ड्रिंक का स्वाद बीयर जैसा होगा. कोका कोला के जापान इकाई के अध्यक्ष जौर्ज गार्डुनो ने कहा कि पहली बार हम लोग कम या हल्के एल्कोहल के क्षेत्र में उतर रहे हैं. गार्डुनो ने कहा कि यह कोका-कोला के इतिहास में अपने आप में अनूठा है.

इन फ्लेवर में मिलेगा यह ड्रिंक

कोका कोला इस ड्रिंक को अंगूर, स्ट्राबैरी, कीवी और व्हाइट पीच फ्लेवर में उतारेगी. यह ड्रिंक कैन में मिलेगा. कंपनी ने इस ड्रिंक में एल्कोहल की मात्रा कम रखने का फैसला लिया है. गार्डूनो ने कहा कि कुछ कारणों के करके ड्रिंक में एल्कोहल की मात्रा की पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है.

महिलाओं पर है टारगेट

कोका कोला यह ड्रिंक महिलाओं को टारगेट करके निकालने जा रही है. जापान में बीयर नहीं पीने वाली महिलाओं के बीच इस तरह का ड्रिंक काफी लोकप्रिय है.

दिलचस्प बात यह है कि कोका कोला कंपनी का इरादा दवा को पेटेंट कराने का था जिसे 19वीं शताब्दी में जौन पेंबर्टन ने खोजा था. आज भी इस जाने माने पेय को एक ट्रेड सीक्रेट माना जाता है. आपको बता दें कि कोक के उत्पाद करीब 200 देशों में बेचे जाते हैं और एक अनुमान के मुताबिक करीब 1.8 बिलियन लोग हर रोज कोक पीते हैं.

विशेष रूप से अरबपति निवेशक वारेन बफेट, जो कि अपनी फर्म बर्कशायर हैथवे के जरिये कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं, भी इस पेय के एक उपभोक्ता हैं. बीते साल हुई बर्कशायर हैथवे की सालाना बैठक में वारेन बफेट ने अपने सहयोगियों से मजाक में कहा था कि यह संभव है कि उनका शरीर एक-चौथाई कोक से बना हुआ हो. बफेट ने कहा कि वो कोका-कोला से प्रति दिन 750 कैलोरी प्राप्त करते हैं, इसका मतलब यह है कि वो दिन में कोक के 5 केन का उपभोग करते हैं. हम अपनी इस खबर में आपको इससे जुड़ी 3 प्रमुख बातें बताने जा रहे हैं.

130 साल में लौन्च करेगी पहला एल्कोहलिक ड्रिंक : कोक ने बीते कुछ सालों के दौरान समय समय पर डाइट कोक के काफी सारे वेरियंट पेश किए हैं. इसमें कैफीन फ्री कोका कोला, कोका कोला जीरो सुगर और कोका कोला चेरी इत्यादि शामिल हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोका कोला अपने 125 सालों के इतिहास में किसी एल्कोहलिक ड्रिंक को पेश करेगी.

चू-ही की तर्ज पर बनने वाला यह पेय सिर्फ जापान के लिए होगा : कोका कोला इस समय एल्कोहलिक पेय चू-ही पर काम कर रही है जो कि जापानी पेय सोचु, पानी और मसाले का बना हुआ होगा. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक यह ड्रिंक सिर्फ जापान के लिए ही लौन्च होगा. कोका कोला जापान के बिजनेस हैड जौर्ज गौर्डुनों ने बताया कि यह कोक के बाजार के लिहाज से मामूली सा प्रयोग है.

अपने मुख्य क्षेत्र से इतर प्रयोग : जार्ज गार्डुनों का कहना है कि कोक अब नौन-एल्कोहलिक पेय पदार्थों के अपने प्रमुख क्षेत्रों के बाहर प्रयोग करने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि हम इससे पहले लो-एल्कोहलिक कैटेगरी में काम कर चुके हैं, लेकिन यह एक उदाहरण है जो कि बताता है कि हम नई संभावनाओ की भी तलाश कर रहे हैं.

पायल रोहतगी और संग्राम सिंह की शादी

2018 की शुरुआत के साथ ही टीवी कलाकारों के विवाह के बंधन में बंधने की खबरें आनी शुरू हो चुकी हैं. ताजा तरीन खबर है कि टीवी कलाकार पायल रोहतगी और उनके प्रेमी संग्राम सिंह भी इस वर्ष ठंडी के मौसम में विवाह के बंधन में बंधने वाले हैं. वैसे इन दोनों ने आज से चार वर्ष पहले 2014 में सगाई की थी. पर तब से दोनों ही कहते रहे हैं कि इन्हेशादी करने की जल्दी नहीं है. पर अब संग्राम सिंह ने कहा है कि वह इस वर्ष के अंत तक शादी के बंधन में बंध जाएंगे.

संग्राम सिंह ने कहा है- ‘‘सच तो यही है कि सगाई करने के बाद एक साल के अंदर ही हम शादी करना चाहते थे. मगर उसके बाद से हम दोनों अपने करियर में इस कदर व्यस्त रहे किशादी को लेकर सोचने का वक्त ही नहीं मिला. इस साल के अंत में हम शादी करने की सोच रहे हैं. हम इस साल ठंडी के मौसम में शादी करने की सोच रहे हैं, पर हम अभी भी माता पिता बनने की नहीं सोच रहे हैं. वैसे पायल के माता पिता प्रगतिशील सोच के हैं. इसलिए वह पायल की शादी का इंतजार कर सकते हैं.’’

अब हीरो से ज्यादा फीस पा रही हैं अभिनेत्रियां

8 मार्च यानि अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस का दिन दुनिया की तमाम महिलाओं को समर्पित है. महिला दिवस महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के तौर पर मनाया जाता है. आज महिलाएं पुरुष प्रधान समाज को बराबरी की टक्कर दे रही हैं. हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषो की बराबरी कर रही हैं या उनसे आगे निकल चुकी हैं. चाहे वह अंतरिक्ष में जाने की बात हो या फिर फिल्मों की. बात अगर फिल्मों की करें तो आज अभिनेत्रियां हर लिहाज से हीरो को चुनौती दे रही हैं. वे एक्शन और स्टंट सीन कर रही हैं साथ ही अपने बलबूते पर फिल्म हिट करा रही हैं.

आज अभिनेत्रियां अबला नारी के किरदार की बजाय में दमदार किरदार का चयन कर रही हैं. वह पर्दें पर सिसकती या दुबकती नहीं बल्कि तलवार और बंदूक लेकर अपनी अदाएं दिखा रही हैं. दूसरा अहम मुद्दा बौलीवुड में अभिनेत्रियों की कम फीस को लेकर गरमाया रहता है. लेकिन अब यह सोच बदल रही है. इंडस्ट्री में कई ऐसी अदाकारा हैं जो हीरो से ज्यादा फीस पा रही हैं. फिल्म पद्मावत में दीपिका पादुकोण को रणवीर सिंह और शाहिद कपूर से ज्यादा फीस मिली. विद्या बालन, कंगना रनौत जैसी हीरोइंस अपने दम पर फिल्म को सुपरहिट करा रही हैं. दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी, कंगना रनौत, विद्या बालन, रानी मुखर्जी, तापसी पन्नू, जायरा वसीम जैसी कई अभिनेत्रियों ने महिलाओ के मुद्दे पर आधारित फिल्मे बनाकर फिल्म को अपने दम पर सुपरहिट करवाया है.

इसके साथ ही बौलीवुड में महिलाओ पर आधारित भी कई फिल्में बन चुकी हैं और आगे भी बनेंगी. खास बात यह है कि बाकी फिल्मों के मुकाबले दर्शक महिलाओं पर आधारित फिल्में देखना ज्यादा पसंद करते हैं. सबसे अहम बात यह है कि बौलीवुड में अब अभिनेत्रियों के लिए स्क्रिप्ट लिखी जाने लगी है. इसी शानदार पहल को आगे बढ़ाते हुए एक नजर डालते हैं बौलीवुड की वूमेन्स सेंट्रिक फिल्मस और अभिनेत्रियों की फीस पर….

क्वीन

कंगना ने अपनी एक्टिंग के दम पर इस फिल्म को सुपरहिट कराया था. यह फिल्म उनके फिल्मी करियर में मील का पत्थर साबित हुई.

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इसी के साथ कंगना अभिनेताओं से ज्यादा फीस लेती हैं. कंगना एक फिल्म के लिए 11 से 12 करोड़ रूपए लेती है. कंगना बौलीवुड में अपनी एक्टिंग और खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं.

कहानी

अपनी एक्टिंग के दम पर फिल्म को हिट कराने वाली अभिनेत्री विद्या बालन एक फिल्म के 7 से 8 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं. विद्या बौलीवुड में अपनी एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं. सुजाय घोष की फिल्म कहानी में विद्या बालन अपने पति की तलाश में भटकती हैं. इस फिल्म में इनकी अदाकारी को जमकर सराहा गया था. उन्हें इस फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था.

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इसके अलावा पिछले साल रिलीज हुई विद्या बालन की तुम्हारी सुलु ने सभी का दिल छू लिया था. तुम्हारी सुलु के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला. यह एक हाउसवाइफ के मशहूर रेडियो जौकी बनने की कहानी है.

इंग्लिश विंग्लिश

एक्ट्रेस श्रीदेवी अब हमारे बीच नहीं रहीं. लेकिन फिल्मी पर्दे पर उनकी मौजूदगी हमेशा बरकरार रहेगी. इंग्लिश विंग्लिश से उन्होंने 15 साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की थी.

बैंड बाजा बारात

बैंड बाजा बारात फिल्म अनुष्का ने अपने दम पर सुपरहिट कराई थी. बहुत कम समय में ही अनुष्का ने बौलीवुड में बिना किसी गौड फादर के एक अच्छा नाम और मुकाम हासिल किया है.

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अनुष्का की लिस्ट में कई हिट फिल्में हैं. अनुष्का शर्मा अपनी एक फिल्म के लिए 5 से 6 करोड़ रुपए लेती हैं.

हाइवे

आलिया भट्ट ने अपने करियर की शुरूआत में ही अपनी एक्टिंग से फिल्म को हिट कराया था. कम उम्र में बौलीवुड में सफल एक्ट्रेस है. आलिया बौलीवुड की बहुत क्यूट एक्ट्रेस है.

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आलिया अपनी मेहनत के लिए काफी फेमस है. आलिया एक फिल्म के 4 से 5 करोड़ रूपए लेती हैं.

पद्मावत

बौलीवुड में अब तक एक्टर को ज्यादा फीस मिलती थी लेकिन दीपिका को फिल्म पद्मावत के लिए एक्टर से भी ज्यादा फीस मिली है.

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इस फिल्म के साथ दीपिका बौलीवुड में एक फिल्म को करने के लिए ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस है. बता दें कि दीपिका एक फिल्म के लिए 13 से 15 करोड़ रूपए लेती हैं.

 

लज्जा

माधुरी दीक्षित और मनीषा कोइराला स्टारर फिल्म लज्जा में देश की महिलाओं के हालात को दिखाया गया है. पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के संघर्ष की अलग-अलग कहानी को बयां किया गया है.

मदर इंडिया

इंडियन सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्म मदर इंडिया आज भी लोगों को याद है. इस मेलोड्रामा फिल्म में दिखाया गया कि कैसे गरीबी से जूझती एक महिला सारी मुश्किलों को पार कर अपने बच्चों को बड़ा करती है. इस ऐतिहासकि रोल को नरगिस ने अपनी शानदार अदाकारी से जीवंत कर दिया था.

सीक्रेट सुपरस्टार

दंगल गर्ल जायरा वसीम की फिल्म सीक्रेट सुपरस्टार की दमदार स्क्रिप्ट का ही कमाल है कि इसने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी शानदार कमाई की.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : गूगल ने कुछ इस तरह से पेश किया आज का डूडल

आज 8 मार्च यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इस खास दिन के मौके पर गूगल ने भी कुछ खास किया है. जी हां, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को ध्यान में रखते हुए आज गूगल ने इस पर खास डूडल बनाया है. जब आप गूगल खोलेंगे तो आपको एक अलग अंदाज में गूगल लिखा दिखाई देगा, इसमें Google के दूसरे O को काफी बड़ा बनाया गया है.

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इसमें आपको एक महिला दिखाई देगी. इसमें प्ले का निशान भी बना हुआ है आप जैसे ही प्ले के निशान पर क्लिक करेंगे तो आपको 12 फोटो और दिखाई देंगे.

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इन 12 फोटो में से एक फोटो में महिला की पेंटिंग बनी है, दूसरे फोटो में तीन महिलाएं साथ खड़ी दिखाई देंगी, तीसरें में एक महिला स्वेटर बुनते दिखेगी, चौथे में एक महिला किताब पढ़ती नजर आएगी ठीक इसी तरह हर एक फोटो में आपको कुछ न कुछ अलग दिखाई देगा. दरअसल यह 12 फोटो केवल फोटो नहीं हैं, बल्कि हर फोटो में एक कहानी बताई गई है. जिसे आप एक के बाद एक फोटो पर क्लिक करके देख सकते हैं.

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इनमें से एक फोटो की कहानी में आप देखेंगे कि एक महिला खड़ी है. इसमें लिखा है. मेरी चाची बहुत खुश थीं. और आंटी के हाथ में पेड़ लगा दिखेगा और कुछ पेड़ सामने भी रखे दिखेंगे. इसके बाद जब आप अगले फोटो पर जाएंगे तो कुछ कांटे जैसी चीज महिला का पीछा करते दिखाई देगी. इस फोटो के साथ लिखा है, लेकिन एक दिन चाची को कैंसर हो गया और सबकुछ बदल गया. यह बहुत ही कठिन था. इसके बाद उनको अपनी शक्ति का अंदाजा हुआ. इसमें महिला को एक पेड़ के साथ दिखाया गया है. इसके बाद जब अगली फोटो पर जाएंगे तो सब बदला दिखाई देगा.

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आप इसी तरह से इन सभी फोटो पर क्लिक कर और उसके बाद उस फोटो के नीचे आ रहे नेक्स्ट के निशान पर क्लिक करके कहानी देख सकते हैं. हर एक फोटो के नीचे एक लाइन भी लिखी गई है.

सफेद कार का आतंक : चोरी की वारदातों ने कर दिया हैरान

12 जून, 2017 को गुमानी शंकर जिस वक्त कोटा से रवाना हुए, उस समय सुबह के 9 बजे थे. कारोबारी गुमानी शंकर को अपने परिवार के साथ एक वैवाहिक समारोह में भाग लेने श्यामनगर जाना था. गाड़ी वह खुद ड्राइव कर रहे थे. बगल वाली सीट पर उन का पोता हिमांशु बैठा था, जबकि पीछे की सीट पर उन की पत्नी लाडबाई और बहू सुनीता बैठी थी. उन्होंने हाईवे पर अनंतपुरा बाईपास से गुजर कर करीब एक किलोमीटर का फासला तय किया था कि रियरव्यू में उन्हें दाईं तरफ से सफेद रंग की एक कार तेजी से आती दिखाई दी.

गुमानी शंकर बहुत अच्छे ड्राइवर नहीं थे, इसलिए उन्होंने उस कार को साइड देने के लिए अपनी कार की रफ्तार कम कर ली. पीछे से आती कार तेजी से आगे निकल कर गुमानी शंकर की कार के आगे जाकर रुक गई. मजबूरी में गुमानी शंकर को अपनी कार रोकनी पड़ी.

इस से पहले कि गुमानी शंकर कुछ समझ पाते, मुंह पर ढांटा बांधे भारीभरकम एक आदमी ड्राइविंग सीट की ओर का गेट खोल कर फुरती से उन्हें परे धकेलते हुए अंदर आ घुसा और चाबी निकाल कर इग्नीशन औफ कर दिया. चाबी जेब में रख कर उस व्यक्ति ने गन चमकाई तो गुमानी शंकर की आंखें फटी रह गईं. उन के मुंह से बोल तक नहीं निकला. उस ने धमकाते हुए कहा, ‘‘खबरदार! कोई जरा भी आवाज नहीं निकालेगा.’’

गुमानी शंकर की अपनी जगह से हिलने तक की हिम्मत नहीं हुई. उस आदमी की बात से सभी समझ गए कि ये लुटेरे हैं. उस ने पहले डैश बोर्ड टटोला, उस के बाद उन के कपड़ों की तलाशी ली. उसे 30 हजार रुपए मिले, जिन्हें उस ने अपनी जेब में रख लिए.

गुमानी शंकर चाह कर भी कोई विरोध नहीं कर सके. उस ने महिलाओं के गले से मंगलसूत्र तोड़  लिए. गुमानी शंकर ने दिलेरी दिखाने की कोशिश में मुंह खोलना चाहा, लेकिन अपनी तरफ तनी हुई गन ने उन के कसबल ढीले कर दिए. तभी लुटेरों में से एक ने कहा, ‘‘जा रहे हैं सेठ, अफसोस है कि माल उम्मीद से बहुत कम मिला. अब यह सोच कर हलकान मत होना कि हम कौन हैं. बेहतरी इसी में है कि इस वारदात को ही भूल जाओ.’’

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इस के बाद लुटेरे फुरती से अपनी कार में सवार हुए और कार मोड़ कर अनंतपुरा की तरफ निकल गए. गुमानी शंकर ने कार से बाहर निकल कर उन्हें देखना चाहा, लेकिन तब तक वे आंखों से ओझल हो चुके थे. उन्होंने तत्काल मोबाइल निकाल कर पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर मिलाया. लेकिन पुलिस से संपर्क नहीं हो सका. थकहार कर वह ड्राइविंग सीट पर बैठ गए.

अब तक एक बात उन के दिलोदिमाग में घर कर गई थी कि लुटेरे सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार में आए थे और उस पर नंबर प्लेट नहीं थी. उन की भाषा भरतपुरिया लहजा लिए हुए थी, इस का मतलब वे उधर के थे.

लुटेरों का अगला शिकार गोविंदनगर निवासी सुरेंद्र नायक बने. नायक अपनी पत्नी टीना के साथ बाइक पर थे. गुरुवार 15 जून की सुबह 9 बजे नायक डीडीआई अस्पताल के मुहाने पर पहुंचे थे कि ट्रैफिक नियमों को दरकिनार करते हुए सामने से तेजरफ्तार आ रही सफेद कार को देख कर वह हड़बड़ा गए.

नायक बाइक का संतुलन संभाल पाते, उस के पहले ही कार से फुरती से निकल कर 2 ढांटाधारी युवकों ने उन्हें घेर लिया. उन में से एक ने गन दिखा कर बाइक की चाबी निकाल ली. जबकि दूसरे ने यह कहते हुए झटके से नायक की पत्नी के गले से मंगलसूत्र खींच लिया कि दिनदहाड़े इतने कीमती जेवर पहन कर घर से निकलना अच्छा नहीं है. आइंदा से इस बात को याद रखना.

कोई कुछ समझ पाता, उस के पहले ही दोनों युवक कार में बैठ कर छूमंतर हो गए. लुटेरे बाइक की चाबी भी साथ ले गए थे. नतीजतन नायक के पास हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं रहा. पीसीआर को सूचना दी गई तो थोड़ी देर में पुलिस की टीम वहां पहुंच गई, लेकिन तब तक उन के करने के लिए कुछ नहीं बचा था. ताज्जुब की बात यह थी कि भीड़भरी सड़क पर इतनी बड़ी वारदात हो रही थी और किसी ने उन की मदद नहीं की.

अगले 8 दिनों में कोटा महानगर के अलगअलग इलाकों में दिनदहाड़े लूट की एक दरजन वारदातों ने शहर में तहलका मचा दिया. बदमाश बेखौफ हो कर हाईवे पर दिनदहाड़े हथियारों के बल पर जिस तरह लूटपाट कर रहे थे, पुलिस के लिए खुली चुनौती थी.

हर वारदात में बिना नंबर की स्विफ्ट डिजायर कार और गन के साथ लूटपाट करने वाले दो ढांटाधारी युवकों की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया था कि सभी वारदातें एक ही गिरोह कर रहा है. क्योंकि हर वारदात का स्टाइल एक जैसा था. ट्रैफिक नियमों को धता बताते हुए अचानक शिकार के सामने नमूदार होना और गन दिखा कर जो भी मालमत्ता मिले, लूट कर भाग जाना.

लूटी जाने वाली कार और बाइक सवार को निहत्था करने के मकसद से चाबी साथ ले जाना भी उन की वारदात में शामिल था, ताकि उन का पीछा न किया जा सके. वारदातों से सहमे लोगों में भरोसा बनाए रखने के लिए एसपी अंशुमान भोमिया ने मीडिया के जरिए लोगों को आश्वस्त किया कि लूट के मामलों की गहराई से जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि अपराधियों और अपराध में इस्तेमाल की जा रही कार के बारे में पता लगाया जा रहा है. अपराधी जल्दी ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे. इस बीच पुलिस यह जान चुकी थी कि लुटेरों की कार का नंबर आरजे25 सीए 4717 है.

लुटेरे सिर्फ कोटा तक ही सीमित रहे हों, ऐसा नहीं था. जब एसपी अंशुमान भोमिया अपने मातहतों के साथ लूट की घटनाओं की समीक्षा कर रहे थे, उन्हें चौंकाने वाली सूचना मिली कि लूट की ऐसी ही वारदातें बूंदी, टोंक, बारां और उदयपुर में भी हो चुकी हैं.

लुटेरे जीआरपी थाना क्षेत्र, सवाई माधोपुर में 2 ट्रेनों में भी लूट की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. ट्रेनों में लूटपाट के दौरान उन्होंने सिर्फ महिलाओं को ही निशाना बनाया था. उन्होंने महिलाओं से कहा था कि किसी भी तरह की गलत हरकत से बचना चाहती हैं तो बिना देर किए जेवर उतार कर दे दें. डरीसहमी महिलाओं ने एक पल की भी देर नहीं की थी.

एक तरफ पुलिस सफेद स्विफ्ट डिजायर कार वाले लुटेरों की तलाश में भटक रही थीं तो दूसरी तरफ उन की गतिविधियां चरम पर थीं. हालात दिनोंदिन पेचीदा होते जा रहे थे. इस पर कोटा संभाग के आईजी विशाल बंसल ने एसपी अंशुमान भोमिया को सलाह दी कि लुटेरों को गिरफ्तार करने के लिए विशेष दल का गठन कर के कोटा, बूंदी और टोंक पुलिस का जौइंट औपरेशन शुरू कराएं.

एसपी अंशुमान भोमिया लुटेरों को पकड़ने के लिए एडीशनल एसपी अनंत कुमार के निर्देशन में डीएसपी शिवभगवान गोदारा, राजेश मेश्राम, सीआई अनिल जोशी, लोकेंद्र पालीवाल, धनराज मीणा, शौकत खान, रामनाथ सिंह और सर्किल इंसपेक्टर श्रीचंद को शामिल कर के विशेष टीमों का गठन कर दिया.

पहली टीम सीआई लोकेंद्र पालीवाल की अगुवाई में कोटा, बूंदी हाईवे पर नजर रख रही थी, जबकि दूसरी टीम अनिल जोशी के नेतृत्व में मुखबिर तंत्र के जरिए शहर से रिसने वाली सूचनाएं खंगाल रही थी. बूंदी और टोंक पुलिस ने भी अपने खुफिया तंत्र को हाईवे पर मुस्तैद कर दिया था.

बूंदी के एसपी राजेंद्र सिद्धू के निर्देशन में लुटेरों की तलाश में जुटी पुलिस की जांच में 2 बातें सामने आईं. पहली तो यह कि लुटेरे नाकों से गुजरने से बच रहे थे, साथ ही उन के निशाने पर वही लोग होते थे, जिन के साथ महिलाएं होती थीं. लुटेरे जरूरत से ज्यादा दुस्साहसी थे. यही वजह थी कि वे हर वारदात में एक ही स्विफ्ट डिजायर कार इस्तेमाल कर रहे थे और घूमफिर कर उन्हीं इलाकों में वारदात कर रहे थे.

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पुलिस ने लूट में इस्तेमाल की जा रही कार को टारगेट कर के पूरे कोटा शहर की कड़ी नाकेबंदी कर दी. नाकेबंदी के दौरान करीब एक हजार कारों को चैक किया गया, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.

लुटेरों की टोह में पुलिस पूरी तरह सक्रिय थी, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लग रही थी. कशमकश के दौरान एसपी अंशुमान भोमिया के दिमाग में एक खयाल कौंधा, हालांकि खयाल दूर की कौड़ी था, लेकिन टटोलने में कोई हर्ज नहीं था.

दूर की यह कौड़ी 31 मई की वारदात से जुड़ी थी, जिस में जीआरपी पुलिस ने जयपुर सुपरफास्ट में लूटपाट करने वाले अबरार और सोनू मीणा नाम के 2 लुटेरों को सवाई माधोपुर से पकड़ा था. पूछताछ में उन्होंने अपने 2 साथियों के नाम भी बताए थे, जो फरार हो गए थे.

जीआरपी थानाप्रभारी गंगासहाय शर्मा के मुताबिक उन के नाम वारिस उर्फ भूरिया तथा राजेश मीणा थे. अंशुमान भोमिया ने एडीशनल एसपी अनंत कुमार शर्मा को मन की बात बताई तो वह भी सहमत हो गए. उन के बारे में पुलिस को जो पुख्ता जानकारी हासिल हुई, उस के मुताबिक, दोनों ही जेल से हाल ही में छूटे थे.

21 जून बुधवार की रात जौइंट औपरेशन के तहत अनंत कुमार शर्मा अपनी गाड़ी से गश्त कर रहे थे. अचानक वायरलैस से उन्हें सूचना मिली कि लुटेरे टोंक जिले में वारदात करने के बाद उनियारा की तरफ जा रहे हैं. बूंदी के एसपी राजेंद्र सिद्धू को इस बाबत सूचना मिल चुकी थी और उन की हिदायत पर लाखेरी और इंद्रगढ़ पुलिस स्विफ्ट डिजायर कार का पीछा कर रही थी.

राजेंद्र सिद्धू ने टोंक और उनियारा पुलिस को भी सतर्क कर दिया था. सूत्रों से पता चला कि स्विफ्ट डिजायर कार में बैठे लुटेरों ने खतरा भांप कर इंद्रगढ़ लाखेरी पुलिस पर फायर भी किया था, लेकिन उन्होंने पीछा करना नहीं छोड़ा.

पुलिस के इस जौइंट औपरेशन में कोटा, बूंदी और टोंक पुलिस ने लुटेरों को चारों ओर से घेर लिया. नतीजतन टोंक जिले के थाना सोंप में पुलिस ने उन्हें कल्याणपुरा पायगा गांव के पास रोक लिया. पकड़े गए युवक वारिस उर्फ भूरिया तथा राजेश मीणा थे. अनंत कुमार शर्मा भी पुलिस टीम के साथ पहुंच गए थे. थाना सोंप में काररवाई के बाद दोनों लुटेरों और जब्त कार को लाखेरी, इंद्रगढ़ पुलिस को सौंप दिया गया.

पुलिस उन्हें ले कर बूंदी के लिए रवाना हुई. उन के पास भारी संख्या में जेवरात के अलावा 66 हजार रुपए नकद, एक देशी कट्टा और रिवौल्वर था. पूछताछ में उन्होंने बूंदी और सवाई माधोपुर में वारदातों के अलावा कोटा हाईवे पर की गई वारदातों को भी स्वीकार किया. बूंदी में 5 मामले दर्ज होने से लुटेरों को पहले बूंदी पुलिस को सौंपा गया.

अनिल कुमार शर्मा कोटा पहुंचे तो 2 अन्य लुटेरों के पकड़े जाने की सूचना मिली. इन के नाम मनोज उर्फ बंटी तथा दानिश थे. दोनों के कब्जे से 2 भरी हुई पिस्टलें बरामद हुई थीं. अंशुमान भोमिया के मुताबिक आरोपियों से शुरुआती पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि उन्होंने कुछ समय पहले ही यह कार सवाई माधोपुर के एक व्यक्ति से डेढ़ लाख रुपए में खरीदी थी. लेकिन सौदे की रकम अभी तक नहीं चुकाई गई थी.

एसपी भोमिया ने बताया कि लुटेरों ने वारदातों में जिस कार का उपयोग किया था, उस के आगेपीछे के 4 और 7 नंबर साफ कर दिए गए थे. इस से 17 का अंक ही नजर आ रहा था. उन्होंने बताया कि नाकेबंदी के दौरान एक हजार से ज्यादा सफेद स्विफ्ट डिजायर कारों को चैक किया गया था. फिलहाल आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों के आधार पर

प्रेम का तीसरा कोण : जिस्म की प्यासी औरत ने करवाए कत्ल

दिल्ली के रहने वाले साहिल और नीरज दोस्तों के साथ गरमियों की छुट्टियां बिताने 22 मई, 2017 को मनाली गए थे. उन्हें पता था कि गरमियों में वहां घूमने वालों की तादाद बढ़ जाती है, इसलिए उन्होंने होटल में कमरे पहले ही बुक करवा लिए थे. पहले दिन होटल में आराम करने के बाद अगले दिन सभी पहाड़ों की ओर घूमने निकल गए.

मैदानी इलाके में भीषड़ गरमी होने के बावजूद कुल्लू मनाली का मौसम सुहाना था. दोपहर लगभग 12 बजे तक कुदरती नजारों के फोटो और सेल्फी लेते हुए नीरज ग्रुप के साथ फालीनाला की ओर निकल गया. उसी तरफ पर्वतीय झाड़ियों से आए दुर्गंध के एक झोंके ने उन सब को कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया.

जिधर से दुर्गंध आ रही थी, सभी दोस्त उसी ओर बढ़े. उन्हें वहां झाड़ियों में एक युवक की लाश दिखाई दी. उन्होंने शोर मचाया तो उधर से गुजरने वाले सैलानी उन के पास पहुंच गए. सभी लाश पहचानने की कोशिश करने लगे. उसी बीच किसी ने पुलिस को फोन कर दिया.

सूचना पा कर थाना मनाली पुलिस वहां पहुंच गई. थोड़ी देर बाद डीएसपी पुनीत रघु भी घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक की उम्र 30-35 साल रही होगी. उस के शरीर पर जींस और प्रिंटेड शर्ट थी. शरीर पर कहीं चोट का कोई निशान नजर नहीं आ रहा था, वहां संघर्ष का भी कोई निशान नहीं था. बस, जहां लाश पड़ी थी, उस के पास 3-4 लोगों के पैरों के घिसटने जैसे निशान थे.

मृतक की जेबों की तलाशी लेने पर जेब से कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिस से उस की शिनाख्त हो सकती. उस बीच एसपी पदम चंदर भी आ गए थे. मौकामुआयना करने के बाद उन्होंने मामले की जांच डीएसपी पुनीत रघु को सौंप दी थी. घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस के बाद थाने आ कर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

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हत्यारों का पता लगाने से पहले मृतक की शिनाख्त जरूरी थी. लिहाजा पुलिस यह पता लगाने में जुट गई कि मृतक कौन और कहां का रहने वाला था, पुलिस ने मृतक का फोटो सभी स्थानीय अखबारों में छपवा कर शिनाख्त की अपील की. इस का नतीजा यह निकला कि अगले दिन राजीव सिंह और दुर्गादत्त ने थाने आ कर बताया कि अखबार में लाश का जो फोटो छपा है, वह उन की कंपनी के कुक बिंदु सिंह का लगता है.

थानाप्रभारी ने लाश के फोटो और कपड़े उन दोनों को दिखाए तो उन्होंने कपड़े देखते ही कहा कि ये कपड़े तो बिंदु सिंह के ही हैं. इस के बाद थानाप्रभारी ने उन से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वे एडी हाइड्रो प्रोजैक्ट साइंस-2011 में काम करते हैं. बिंदु सिंह भी उसी प्रोजैक्ट में बतौर कुक काम करता था. वह चक जिले के गांव तोपरा कुठेर का रहने वाला था.

कंपनी की तरफ से उसे प्रोजैक्ट के गेस्टहाउस में रहने के लिए क्वार्टर मिला था. ड्यूटी खत्म होने के बाद वह क्वार्टर पर चला जाता था. लेकिन 22 मई, 2017 की शाम के बाद उसे किसी ने नहीं देखा. रात को वह क्वार्टर पर भी सोने नहीं गया था. प्रोजैक्ट अधिकारियों ने उस की तलाश कराई. वे भी उस की तलाश कर रहे थे.

राजीव और दुर्गादत्त से बातचीत के बाद पुलिस ने कंपनी से बिंदु का पता ले कर उस के घर सूचना भिजवा दी. घर वालों ने भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंच कर बिंदु की लाश की शिनाख्त कर दी. पोस्टमार्टम के बाद लाश घर वालों को सौंप दी गई. इस के बाद डीएसपी ने एडी हाइड्रो प्रोजैक्ट पहुंच कर मृतक के बारे में पूछताछ की. वहां से पता चला कि उस की किसी से दुश्मनी नहीं थी. हां, वह खानेपीने का शौकीन जरूर था.

सहकर्मियों ने बताया कि बिंदु जब अपने क्वार्टर पर नहीं मिला तो उन्होंने कई बार उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह बंद मिला. इस से पुलिस को पता चला कि बिंदु के पास मोबाइल फोन था. अगर उस के पास मोबाइल फोन था तो वह कहां गया? थानाप्रभारी एक बार फिर घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन्होंने बारीकी से छानबीन की तो उन्हें झाडि़यों के पास से एक मोबाइल फोन मिला. उन्होंने थाने लौट कर फोन का काल लौग देखा तो पता चला कि एक नंबर से बिंदु को लगातार कई फोन किए गए थे.

जांच में वह नंबर मीना नाम की युवती का पाया गया. मीना के बारे में पता लगवाया तो जानकारी मिली कि वह एक विधवा और चरित्रहीन औरत थी. उस के कई लोगों से नाजायज संबंध थे. मृतक के सहकर्मियों ने बताया कि बिंदु का मीना के साथ उठनाबैठना था. पुलिस मीना को थाने ले आई. डीएसपी पुनीत रघु की मौजूदगी में उस से पूछताछ शुरू हुई.

पहले तो मीना ने बिंदु को पहचानने से ही इनकार कर दिया था, लेकिन जब उस पर सख्ती की गई तो उस ने बिंदु की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि यह काम उस ने अपने 2 अन्य प्रेमियों की मदद से किया था.

मीना की निशानदेही पर तिब्बती कालोनी के पास से देविंदर शर्मा और जीतराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. तीनों को अदालत में पेश कर के एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान तीनों से पूछताछ की तो बिंदु की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह प्रेम त्रिकोण पर आधारित नाजायज संबंधों का पुलिंदा थी—

मीना हिमालय की गोद में बसे क्षेत्र मनाली के गांव शारू की रहने वाली थी. वह सुंदरता की मूरत थी. सैलानियों की सैरगाह होने के कारण पर्यटकों को देख कर बचपन से ही उस के मन में महत्त्वाकांक्षा ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए थे. वह यही सपने देखती थी कि उस के पास भी कोठी, लंबी कार, नौकरचाकर हों.

जब वह जवान हुई तो स्थानीय लोगों के अलावा सैलानी भी उस के सौंदर्य के दीवाने हो उठे थे. वे भी उसे सपने दिखाते थे. वह भी सपने देखती चली गई. वह सपने तो देखती, पर सपनों की ताबीर उसे कहीं दिखाई नहीं देती थी. वह आसमान की ऊंचाइयों को छूना चाहती थी पर उस के परिवार की ऐसी स्थिति नहीं थी कि उस की महत्त्वाकांक्षाएं पूरी होती.

उस के पिता मेहनतमजदूरी कर के किसी तरह घर का खर्च चलाते थे. यहां तक कि मां भी मजदूरी करती थी. एक दिन उसे अपने इस छोटे संसार में प्रेम नाम का युवक मिल गया, जिस ने वादा किया कि वह उस के सपनों को साकार करेगा. मीना ने उस के ऊपर विश्वास कर लिया और अपना घर छोड़ कर उस के साथ चली आई.

प्रेम के घर वालों ने जब मीना को नहीं स्वीकारा तो उस ने अपने परिवार से विद्रोह कर सन 2008 में मीना से मंदिर में शादी कर ली और अपने गांव बंजार में अलग मकान किराए पर ले कर रहने लगा. मीना ने सोचा था कि शायद अब उस के सपनों को ताबीर मिलेगी, पर यह उस की कल्पना थी. शादी के कुछ समय बाद ही प्रेम की अकाल मौत हो गई. उस के बाद मीना मायके लौट आई.

मायके लौट कर कुछ दिन वैधव्य गुजारने के बाद मीना के सपनों और महत्त्वाकांक्षाओं ने फिर अंगड़ाई ली. पर इस बार उस ने अपने सपनों को बेकाबू नहीं होने दिया. जीवन में अब तक के मिले अनुभव से वह यह बात अच्छी तरह समझ गई थी कि वही सपने देखने चाहिए, जो पूरे हो सकें.

उसी दौरान उस की मुलाकात बिंदु सिंह से हुई. बिंदु चंबा के तोपरा कुठेर का रहने वाला था और मनाली स्थित साइंस-2011 के अंतर्गत चलने वाले एडी प्रोजैक्ट में बतौर कुक का काम करता था. उम्र में भले ही वह उस से बड़ा था, पर दिलोजान से उस की सुंदरता और अदाओं पर फिदा था.

दोनों के बीच प्रेमसंबंध स्थापित हो गए. वह मीना से शादी करना चाहता था, पर मीना अब किसी एक की बन कर नहीं रहना चाहती थी. उस ने बिंदु के साथ शादी का वादा तो किया, पर मन से वह इस के लिए तैयार नहीं थी. वह तो बस उस के साथ मौजमस्ती कर अपना समय गुजारना चाहती थी.

उसी बीच मीना की मुलाकात देविंदर शर्मा से हुई. वह पैसे वाला था और मीना का दीवाना था. उस से भी मीना के नाजायज संबंध बन गए. मीना उस के साथ भी ऐश करने लगी. वह मीना को महंगे उपहार खरीद कर देता. 2 युवकों से संबंध होने के बावजूद मीना ने अन्य युवकों से भी संबंध बना लिए. मजे की बात यह थी कि कई युवकों से संबंध होने की भनक उस ने अपने किसी प्रेमी को नहीं लगने दी.

उस का हर प्रेमी यही समझता था कि वह केवल उसी की है. पर मीना की यह चालाकी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी. एक दिन बिंदु सिंह को जब इस बात का पता चला तो उस के दिल को गहरा सदमा लगा. उस ने मीना से इस बारे में बात की तो उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम भी किस गुजरे जमाने की बात करते हो बिंदु, आजकल की दुनिया कुछ और है. तुम ने जो सुना है, वह सच है पर हकीकत यह है कि वे सब केवल मेरे दोस्त हैं और कुछ नहीं. मैं उन के साथ घूमतीफिरती हूं, ऐश करती हूं, बस और कुछ नहीं करती.’’

‘‘लेकिन किसी दूसरे युवक से तुम्हारी यह दोस्ती मुझे पसंद नहीं है.’’ बिंदु ने कहा.

‘‘क्यों? मैं तुम्हारी बीवी या गुलाम हूं, जो तुम्हारे इशारों पर नाचूंगी?’’ मीना ने तपाक से कहा.

मीना की बात सुन कर बिंदु अवाक रह गया. लेकिन उस समय उस ने चुप रहने में अपनी भलाई समझी. अगले दिन से ही वह मीना पर शादी के लिए दबाव बनाने लगा. दूसरी ओर देविंदर शर्मा भी कई दिनों से उस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था.

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मीना असमंजस में फंस चुकी थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह इन बातों से अपना पीछा कैसे छुड़ाए. कुछ दिनों तक तो वह दोनों को कोई न कोई बहाना बना कर टालती रही. आखिर ऐसा वह कब तक चलता. बिंदु को शक ही नहीं, पूरा विश्वास था कि मीना उसे उल्लू बना रही है.

एक दिन उस ने मीना की बांह पकड़ कर गुस्से में पूछा, ‘‘मीना, सचसच बताओ, तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं? अब यह बहानेबाजी मुझे पसंद नहीं.’’

‘‘मैं अभी शादी नहीं करना चाहती.’’ मीना ने दोटूक कहा.

‘‘अभी करना नहीं चाहती या मुझ से करनी ही नहीं है?’’ बिंदु ने पूछा.

‘‘तुम जो भी समझो.’’ मीना ने बिंदु को टका सा जवाब दे कर चुप कराना चाहा, पर बिंदु भी उस दिन शायद कुछ और ही तय कर के आया था.

शादी की तारीख पक्की करने को ले कर दोनों में तीखी झड़प हो गई. अंत में बिंदु ने उसे धमकाते हुए कहा, ‘‘ठीक है, तुम जितना चाहो, झूठ बोलो और बहाने बनाओ, लेकिन मैं सच कह रहा हूं कि अगर एक सप्ताह में तुम ने मेरे साथ शादी नहीं की तो मैं तुम्हारी सभी वीडियो पूरे मनाली को दिखा दूंगा, तब पता चलेगा कि तुम कितनी सतीसावित्री हो.’’

बिंदु के मुंह से धमकी भरे ये शब्द सुन कर मीना भीतर तक कांप उठी. यह बात 15-16 मई के आसपास की है. अब मीना को बिंदु से डर लगने लगा था, क्योंकि उस ने उसे खूब महंगे गिफ्ट खरीदवाए थे. मीना किसी एक खूंटे से बंध कर नहीं रहना चाहती थी. वह हर हालत में बिंदु से छुटकारा पाना चाहती थी.

इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने का उसे एक ही उपाय दिखाई दिया कि उसे रास्ते से हटवा दिया जाए. उसी शाम मीना ने देविंदर शर्मा से मिल कर बताया कि बिंदु उन के प्यार का दुश्मन बन गया है. वह कहता है कि अगर उस ने उस से शादी नहीं की तो वह उस की हत्या कर देगा.

यह सुन कर देविंदर शर्मा तैश में आ गया. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘उस के बाप का राज है. मेरे पास आ कर तो देखे. तुम ने उसे क्या जवाब दिया?’’

देविंदर के इस सवाल पर मीना ने अपना तीर चलाते हुए कहा, ‘‘मैं क्या कहती, मैं तुम्हारी हत्या होते थोड़े ही देख सकती हूं. इसलिए मैं ने कह दिया कि मैं उस से शादी करने को तैयार हूं, पर वह देविंदर को कुछ न कहे.’’

‘‘तुम पागल तो नहीं हो गई हो, जो बेवजह उस की गीदड़भभकी से डर गई. मैं नहीं डरने वाला उस से और तुम्हें उस के साथ शादी करने की कोई जरूरत नहीं है…समझी.’’ देविंदर ने कहा.

‘‘तो फिर मैं क्या करूं? जब तक बिंदु जिंदा है, वह कभी मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं होने देगा.’’ मीना ने आंसू टपकाते हुए कहा.

मीना को रोता देख कर देविंदर का खून खौल उठा. उस ने कहा, ‘‘उस की ऐसी की तैसी. इस के पहले कि वह मुझे खत्म करे, मैं ही उस का काम तमाम कर यह झंझट खत्म कर दूंगा. पर पहले तुम यह बताओ कि तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं?’’

‘‘मैं तो हमेशा से ही तुम्हारी हूं देविंदर.’’

‘‘तो फिर ठीक है.’’ देविंदर ने कहा.

बस उसी दिन से बिंदु की हत्या का तानाबाना बुना जाने लगा. इस काम के लिए देविंदर ने अपने एक दोस्त जीतराम को कुछ पैसों का लालच दे कर तैयार कर लिया. जीतराम मीना को भी जानता था. पैसों के अलावा उसे मीना के शरीर का भी लालच था.

अपनी योजना के अनुसार, 22 मई, 2017 की शाम 7 बजे मीना ने बिंदु को फोन कर के शादी की बात करने के बहाने फालीनाला के पास बुला लिया. देविंदर और उस का दोस्त जीतराम वहां एक झाड़ी की ओट में पहले ही आ कर छिप कर बैठ गए थे.

बिंदु जैसे ही फालीनाला पहुंचा, वहां पहले से मौजूद मीना उसे अपनी बातों में उलझा कर उस जगह ले गई, जहां देविंदर और जीतराम छिपे बैठे थे. इस बीच शादी की बात को ले कर मीना बिंदु से उलझने लगी. बिंदु का सारा ध्यान मीना की बातों पर था. उसी समय देविंदर और जीतराम ने उसे पीछे से दबोच लिया. बिंदु ने खुद को उन के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की, पर असफल रहा.

उसी बीच मीना ने अपने गले से दुपट्टा निकाल कर बिंदु के गले में डाल कर कहा, ‘‘लो देविंदर, कर दो इस की शादी. यह शादी के लिए मरा जा रहा है.’’

तभी सब ने पोजीशन बदल कर अपनाअपना मोर्चा संभाल लिया. मीना ने आगे से बिंदु के हाथ पकड़ लिए. जीतराम ने पीछे से पकड़ लिया तो देविंदर ने बिंदु के गले में पड़ा मीना का दुपट्टा पूरी ताकत से कस दिया. थोड़ी देर में उस की सांसें रुक गईं. इस के बाद वे बिंदु की लाश को वहीं छोड़ कर चले गए.

रिमांड अवधि खत्म होने पर पुलिस ने तीनों को पुन: मनाली की सक्षम अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर

हीरोइन नहीं हीरो बनना चाहती हूं : सोनारिका भदौरिया

साउथ की फिल्मों से अपना ऐक्टिंग कैरियर शुरू करने वाली सोनारिका भदौरिया ने माइथालौजिकल कैरेक्टर से ले कर ग्लैमरस व नौनग्लैमरस सभी तरह के किरदार बड़े ही संजीदा तरीके से निभाए हैं. इस समय वे सोनी चैनल पर प्रसारित हो रहे ऐतिहासिक शो ‘पृथ्वी वल्लभ’ में मृणाल की भूमिका निभा रही हैं.

रीयल लाइफ में कैसी हैं?

मैं जिस तरह के किरदार निभाती हूं उस के बहुत करीब रहती हूं, क्योंकि मैं जैसा सोचती हूं वैसा ही करती हूं. मैं ने कई फिल्मों में ग्लैमरस रोल किए हैं, लेकिन बहनजी टाइप सीधीसादी लड़की कभी नहीं बनी हूं. मानती हूं कि मैं बड़ी हौट हूं तभी तो साउथ से सीधे इस इंडस्ट्री में पहुंची.

किस तरह के किरदार पसंद हैं?

शुरू से ही मेरी कोशिश रही है कि मैं ऐसे किरदार निभाऊं जिन में महिला केंद्र में रहे. मैं ने महिलाओं को हमेशा कमजोर, कमतर देखा है, इसलिए एक बदले वाली सोच बचपन से रही है ताकि महिलाएं अपनेआप को कमजोर न महसूस करें. वे पुरुषों से बराबरी से कदम से कदम मिला कर चलें. मैं हमेशा ऐसा किरदार निभाना चाहती थी जो खूबसूरत होने के साथसाथ बुद्धिमान और बहादुर भी हो. जब शो ‘पृथ्वी वल्लभ’ के निर्माता सिद्धार्थ पाठक ने इस की कहानी सुनाई तो मैं ने तुरंत हां कर दी.

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तो क्या पुरुषों को पसंद नहीं करतीं?

नहीं, ऐसा नहीं है कि मैं पुरुषों से नफरत करती हूं, लेकिन औरत को कभी कमजोर नहीं देखना चाहती. जब मैं छोटी थी, तो पापा मुझे बच्चा खान बोलते थे. उस समय पापा ने मेरे लिए लकड़ी के छोटेछोटे डंबल बनवा दिए थे. जब पापा वर्कआउट करते तो मैं भी उन के पीछे छोटेछोटे हाथों से डंबल उठाती. बचपन से ही रैंबो, रौकी मेरे सुपरहीरो रहे हैं. जब मैं इन्हें देखती तो हमेशा सोचती कि सभी सुपरहीरो मेल ही क्यों होते हैं, फीमेल क्यों नहीं. मैं हमेशा सोचती थी कि कुछ ऐसा करूं ताकि सब की धुनाई कर सकूं क्योंकि मैं बचपन से ही हीरोइन नहीं, हीरो की तरह बनना चाहती थी.

हीरो जैसा बनने के लिए कितनी मेहनत की?

इस शो में मैं योद्धा बनी हूं. इस रोल को निभाने के लिए मैं ने घुड़सवारी सीखी, तलवारबाजी और फाइटिंग सीखी. इन सब में कठिनाइयां तो बहुत आईं, लेकिन हीरो बनने की इच्छाशक्ति से सभीकुछ सीख लिया. जब मैं पहली बार घोड़े पर बैठी और ट्रेनर ने लगाम मेरे हाथ में दी, तब का अनुभव यादगार है.

कैसे फिट रखती हैं अपनेआप को?

मैं ने साउथ की कई फिल्में की हैं वहां हीरोइनों को ज्यादा स्लिमट्रिम नहीं दिखाया जाता. जब मुझे इस शो के लिए कास्ट किया गया तब मैं थोड़ी मोटी थी. शो के निर्माता ने मुझे वजन कम करने को कहा. उस दिन के बाद जब 2 महीने बाद मैं शूटिंग पर आई तो सब मुझे देख कर हैरान थे, क्योंकि उस समय मेरे ऐब्स भी डेवलप हो गए थे.

2 महीने मैं ने डाइट पर खासा ध्यान दिया, जम कर जिम में पसीना बहाया और एकदम नए अवतार में आ गई थी. लेकिन मेरा ऐब्स वाला लुक इस शो की हीरोइन के लिए फिट नहीं था, इसलिए दोबारा मुझे हाई कैलोरी वाली डाइट लेनी पड़ी. आज भी शूटिंग के बाद जब भी समय मिलता है, मैं ऐक्सरसाइज करना नहीं भूलती. मैं स्ट्रैस कभी नहीं लेती हमेशा खुश रहने की कोशिश करती हूं.

प्यार में कितना यकीन रखती हैं?

रोमांस के मामले में अभी तक सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित हूं. पर्सनल ऐक्सपीरियंस इतना नहीं है कि मैं सब के साथ शेयर कर सकूं. हां, मैं अपनी फैमली, खासकर पापा के बहुत करीब हूं और बापबेटी के प्यार को मैं बड़े अच्छे से डिफाइन कर सकती हूं.

सोशल मीडिया पर किसी को ट्रोल करना सही मानती हैं?

पिछले शो में मैं ने एक माइथालौजिकल किरदार निभाया था. दर्शकों का भावनात्मक रूप में जुड़ना मैं सही मानती हूं, लेकिन यह जुड़ाव तब तक होना चाहिए जब तक मैं शो कर रही हूं. शो के बाद मेरी निजी जिंदगी है. जब मैं ने अपनी बिकनी वाली तसवीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं तो लोगों ने बहुत बुरे कमेंट दिए जिन्हें मैं सही नहीं मानती. किसी की भी निजी जिंदगी में घुसपैठ नहीं होनी चाहिए.

सनकी फैन का वल्गर मैसेज

‘महादेव’ सीरियल देखने के बाद स्वप्निल शो में पार्वती का किरदार निभाने वाली सोनारिका भदौरिया से मन ही मन प्यार करने लगा और किसी तरह ऐक्ट्रैस का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. उस के बाद शुरू हुआ अश्लील मैसेज और वीडियो का सिलसिला. सोनारिका के मुताबिक, स्वप्निल उसे मैसेज में लिखता था,  ॑मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रहूंगा, तुम मुझ से शादी नहीं करोगी तो मैं मर जाऊंगा.’ इस सिरफिरे आशिक से तंग आ कर सोनारिका ने उस के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया था. तब जा कर उस शख्स को पुलिस ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से गिरफ्तार किया.

बिकिनी पर बरपा हंगामा

सोनारिका भदौरिया ने छोटे परदे पर पार्वती का किरदार अदा किया था. हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर बिकिनी वाले कुछ फोटो पोस्ट किए. शायद वे अपनी इमेज को बदलना चाहती हैं. बिकिनी पहनी हुई तसवीर देख कुछ लोग भड़क गए. उन्होंने कमैंट्स के रूप में गालियां देनी शुरू कीं. भद्दी बातें लिखीं. इस से सोनारिका आहत हुईं. सोनारिका ने यह तसवीरें अपने अकाउंट से हटा लीं. सोनारिका का कहना है कि वे इस तरह के नकारात्मक कमैंट्स की आदी नहीं है, लिहाजा वे फोटो हटा रही हैं.

गुनाह जो छिप न सका : अवैद्य संबंधों के चक्कर में गई कई जानें

16 फरवरी, 2017 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के गांव सिरकोई भूड़ निवासी अरविंद  गांव की ही रहने वाली शीतल के घर पहुंचा. प्रौपर्टी डीलर अरविंद शीतल को मुंहबोली बहन मानता था. शीतल एक बुटीक में काम करती थी.

अरविंद ने शीतल के घर जा कर उस की मां अनीता देवी से कहा कि गजरौला में उस की मौसेरी बहन की शादी है, इसलिए वह शीतल को उस के साथ भेज दें. अनीता अरविंद को घर के सदस्य की तरह मानती थी और उस पर विश्वास करती थी, इसलिए उस ने शीतल को उस के साथ गजरौला भेज दिया.

अगले दिन यानी 17 फरवरी, 2017 को अरविंद गजरौला से लौट कर घर आ गया, पर उस के साथ शीतल नहीं आई. अनीता ने अरविंद से शीतल के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘आंटी, शीतल मेरे साथ गई जरूर थी, पर रास्ते में मुझ से 1500 रुपए ले कर लौट आई थी.’’

इस के बाद अरविंद ने शीतल के घर वालों को विश्वास में ले कर कहा, ‘‘देखो, मुझे यह बात कहनी तो नहीं चाहिए, जो आप को बुरी लगे. पर मैं बताना चाहता हूं कि आजकल शीतल पर महेंद्र कुछ ज्यादा ही मेहरबान है. उन दोनों के बीच कुछ चल रहा है. मुझे लगता है कि शीतल महेंद्र के साथ ही गई है.’’

शीतल की मां अनीता तुरंत महेंद्र के घर पहुंच गई. उस ने पूछा कि महेंद्र कहां है तो उस के घर वालों ने बताया कि उस का कल से ही कुछ पता नहीं है. जब भी उसे फोन किया जाता है, उस के फोन की घंटी तो बजती है, लेकिन वह फोन उठाता नहीं है. यही बात अनीता ने भी बताई कि शीतल के फोन की घंटी तो बज रही है, पर वह फोन उठा नहीं रही है.

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महेंद्र और शीतल के घर वालों ने यही समझा कि दोनों को अभी दुनियादारी की समझ नहीं है, जल्दी ही वापस आ जाएंगे. लेकिन जब 2 दिन बाद भी दोनों घर नहीं आए तो शीतल और महेंद्र के घर वालों ने मझोला थाने में उन की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थाना मझोला पुलिस ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.

सोचा कि प्रेमप्रसंग का मामला है, इसलिए दोनों के घर वालों से कह दिया कि वे अपनीअपनी रिश्तेदारियों में उन्हें खोजें. जब मिल जाएं तो थाने आ कर खबर कर दें.

जब कहीं से भी शीतल और महेंद्र के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो दोनों के घर वालों ने मुरादाबाद के एसएसपी मनोज तिवारी, जिलाधिकारी सुहैर बिन सगीर, डीआईजी ओमकार सिंह से गुहार लगाई. इस पर भी उन की शिकायत पर कोई कारवाई नहीं हुई.

मजबूरन शीतल के घर वालों ने महिला थाने और एएसपी औफिस के बाहर जाम लगा दिया. महिला थाना और एएसपी औफिस आसपास ही स्थित हैं. एएसपी यशवीर सिंह ने शीतल के घर वालों को समझाबुझा कर भरोसा दिया कि पुलिस जल्द ही शीतल का पता लगाएगी. इस आश्वासन के बाद जाम खुल गया.

28 फरवरी, 2017 को संभल जिले के थाना असमोली के गांव घूंघरपुर का चेतन सिंह सुबह अपने आम के बाग में गया तो उस ने देखा कि कुछ कुत्ते किसी लाश को खा रहे हैं.

चेतन सिंह ने तुरंत इस की सूचना थाना असमोली पुलिस को फोन द्वारा दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी ब्रजेश यादव फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. वह शव किसी महिला का था. घुटने के नीचे का हिस्सा छोड़ कर पूरी लाश कुत्ते खा गए थे. कपड़ों से पुलिस ने अनुमान लगाया कि लाश महिला की है. पास ही एक गड्ढा था, जिस से अंदाजा लगाया कि लाश इसी गड्डे में दफनाई गई थी.

एसआई मेघराज सिंह ने मौके की जरूरी काररवाई पूरी कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने उस का डीएनए कराने के लिए सैंपल सुरक्षित कर लिया.

अगले दिन किसी युवती की सड़ीगली लाश मिलने की खबर अखबार में छपी. अनीता के कई रिश्तेदार संभल में रहते थे. उन्हें पता था कि अनीता की बेटी शीतल कई दिनों से लापता है. अखबार में अज्ञात युवती की लाश मिलने की खबर पढ़ कर एक रिश्तेदार ने शीतल के घर वालों को फोन कर दिया.

यह जानकारी मिलने के बाद शीतल के पिता जसपाल सिंह पत्नी अनीता को ले कर थाना असमोली पहुंच गए. पुलिस ने जब बरामद कपड़े आदि उन्हें दिखाए तो दोनों ही फूटफूट कर रोने लगे. वे कपड़े उन की बेटी शीतल के थे. कपड़ों की शिनाख्त से स्पष्ट हो गया कि चेतन सिंह के बाग में जो लाश मिली थी, वह जसपाल की बेटी शीतल की थी.

19 मार्च, 2017 को जिला अमरोहा के थाना सैद नगली के गांव ढक्का निवासी शराफत हुसैन के आम के बाग में भी जमीन में गड़ी एक लाश को कुत्ते नोचनोच कर खा रहे थे. शराफत हुसैन ने थाना सैद नगली पुलिस को यह बात बताई तो थोड़ी देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई.

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पुलिस ने गड्ढा खोद कर जब लाश बाहर निकाली तो वह किसी पुरुष की थी, पर उस का सिर गायब था. घटनास्थल की तलाशी में वहां से थोड़ी दूरी पर एक मानव सिर मिल गया.

जल्दी ही इस लाश के मिलने की खबर पूरे जिले में फैल गई. थाना मझोला में शीतल और महेंद्र की गुमशुदगी दर्ज थी. शीतल की लाश संभल के थाना असमोली में मिल चुकी थी, जबकि महेंद्र के बारे में अभी तक कुछ नहीं पता चला था.

इसलिए मुरादाबाद के थाना मझोला की पुलिस 20 मार्च, 2017 को महेंद्र के 3 भाइयों कमल, सतपाल और अशोक को साथ ले कर थाना सैद नगली पहुंची. तीनों भाइयों ने उस शव की शिनाख्त अपने भाई महेंद्र के शव के रूप में कर दी. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव महेंद्र के भाइयों को सौंप दिया.

20मार्च, 2017 को महेंद्र का शव मुरादाबाद आया तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. सैकड़ों लोग शव को ले कर सम्राटनगर गेट के पास साईं अस्पताल के सामने दिल्ली रोड पर पहुंच गए. राष्ट्रीय राजमार्ग पर महेंद्र की लाश रख कर जाम लगा दिया. गांगन तिराहे से ले कर स्टेशन रोड, हरिद्वार रोड पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया. जाम की सूचना मिलते ही थाना मझोला पुलिस के साथ एएसपी डा. यशवीर सिंह भी पहुंच गए.

भीड़ आक्रोशित थी. वह हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग कर रही थी. माहौल को देखते हुए मुरादाबाद के अन्य थानों की पुलिस बुला ली गई. पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी पहुंच गए. उन्होंने भीड़ को आश्वासन दिया कि अभियुक्तों को 5 दिनों के अंदर गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इस आश्वासन के बाद शाम 4 बजे से लगा जाम रात 8 बजे खुला.

जाम स्थल पर ही महेंद्र की अर्थी तैयार की गई और उसे लोको शेड शमशान घाट ले जा कर अंतिम संस्कार कर दिया गया. शीतल की मां अनीता ने बताया था कि 16 फरवरी को अरविंद शीतल को बुला कर ले गया था. उस के बाद वह लौट कर नहीं आई थी और अब तो अरविंद भी अपने घर से गायब था. महेंद्र के घर वालों ने भी प्रौपर्टी डीलर अरविंद पर शक जाहिर किया था.

पुलिस ने अरविंद के घर दबिश दी, लेकिन वह घर पर नहीं मिला. पुलिस ने उस के घर वालों पर दबाव बनाया. इस का नतीजा यह निकला कि अरविंद ने 23 मार्च, 2017 को मुरादाबाद की सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से पुलिस ने उसे 2 दिनों के रिमांड पर ले कर पूछताछ की.

पूछताछ में अरविंद ने स्वीकार कर लिया कि शीतल और महेंद्र की हत्या उसी ने कराई थी. इस के बाद उस ने दोनों हत्याओं की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

अरविंद की बहन दुर्गेश का गांव में ही बुटीक था. शीतल उसी के बुटीक पर काम करती थी. चूंकि वह उस की बहन की सहेली थी, इसलिए अरविंद उसे मुंहबोली बहन मानता था. दुर्गेश का शीतल के यहां आनाजाना था. उसी बीच सिरकोई भूड़ निवासी महेंद्र के अवैध संबंध दुर्गेश से हो गए. महेंद्र प्रौपर्टी डीलर का काम करता था.

घर वालों ने दुर्गेश को बहुत समझाया कि वह महेंद्र से संबंध न रखे, क्योंकि वह उन की बिरादरी का नहीं है. घर वालों के समझाने से दुर्गेश मान गई. इस के बाद घर वालों ने दुर्गेश की आननफानन में शादी कर दी. कुछ दिनों ससुराल में रह कर दुर्गेश मायके आ कर रहने लगी.

जब दुर्गेश के पति को पता चला कि उस की पत्नी के महेंद्र से संबंध थे तो उस ने दुर्गेश को तलाक दे दिया. इसी वजह से अरविंद महेंद्र से रंजिश रखने लगा.

पति से तलाक होने के बाद दुर्गेश का महेंद्र से मिलनाजुलना फिर से शुरू हो गया. घर वालों के समझाने के बाद भी दुर्गेश ने उस से मिलना बंद नहीं किया. इस की वजह से उन की बदनामी हो रही थी. एक दिन अरविंद ने गुस्से में दुर्गेश को गला घोंट कर मार डाला और लाश को सिरकोई भूड़ के पास रेलवे लाइन पर डाल आया.

ट्रेनों के गुजरने से दुर्गेश की लाश कट गई. रेलवे पुलिस और थाना मझोला पुलिस ने इसे आत्महत्या मान कर जांच आगे नहीं बढ़ाई. बहन को ठिकाने लगाने के बाद अरविंद ने ठान लिया कि वह महेंद्र को भी नहीं छोड़ेगा. वह महेंद्र को ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगा.

कुछ दिनों पहले की बात है. शीतल का मोहल्ले के ही रवि से प्रेमसंबंध था. उस के घर वालों ने एक दिन उसे रवि के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. घर वालों ने रवि को थाना मझोला पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने जब शीतल से पूछताछ की तो घर वालों के दबाव में उस ने रवि के खिलाफ बयान दे दिया. पुलिस ने रवि को जेल भेज दिया. रवि अभी भी मुरादाबाद जेल में बंद है.

बाद में शीतल को अफसोस हुआ कि उसे घर वालों के दबाव में रवि के खिलाफ बयान नहीं देना चाहिए था, क्योंकि वह सचमुच उसे चाहती थी. वह अकसर अपने प्रेमी रवि से मिलने जेल जाती रहती थी. उस ने रवि को भरोसा दिया था कि वह उसे जल्दी ही छुड़ा लेगी.

शीतल किसी भी तरह रवि की जमानत कराना चाहती थी, पर इस के लिए उसे रुपयों की जरूरत थी. चूंकि अरविंद शीतल को बहन मानता था और शीतल भी उस पर भरोसा करती थी, इसलिए एक दिन उस ने अरविंद को कहा कि उस के बयान से रवि जेल चला गया है. पर अब वह उसे हर हालत में जेल से बाहर निकलवाना चाहती हूं.

अरविंद यह सुन कर बहुत खुश हुआ, क्योंकि जिस बात की वह योजना बना रहा था, वह शीतल की मदद से आसानी से पूरा हो सकती थी. उस ने कहा, ‘‘शीतल, तुम मेरी बहन हो. क्या मैं तुम्हारे इतने भी काम नहीं आ सकता. पर शीतल मेरा एक छोटा सा काम है, तुम उसे करा दो.’’

‘‘बोलो, क्या करना है?’’ शीतल ने कहा.

‘‘देखो, आजकल महेंद्र से तुम्हारी कुछ ज्यादा ही बन रही है. तुम्हें तो पता है कि दुर्गेश की आत्महत्या के बाद से मैं महेंद्र से बात नहीं करता. हम दोनों प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते हैं. कांशीरामनगर के पास एक बड़े प्लौट का सौदा मैं ने कर लिया है. महेंद्र उस में टांग अड़ा रहा है. वह पार्टी को मेरे बारे में उलटासीधा बता कर गुमराह कर रहा है. तुम्हें कुछ नहीं करना. बस तुम पार्टी के पास महेंद्र को ले आना. वहां पर आमनेसामने पार्टी से बात हो जाएगी. इस काम के लिए तुम्हें 50 हजार रुपए और एक प्लौट मिल जाएगा.’’ अरविंद ने कहा.

‘‘इतना सा काम है, यह तो मैं चुटकी बजा कर करा दूंगी.’’ शीतल ने कहा.

16 फरवरी, 2017 की शाम घूमने के बहाने वह महेंद्र को ले गई. दिल्ली रोड स्थित गांगन नदी के तिराहे से सैद नगली के लिए औटो बुक कर के वहां पहुंच गई. वहां अरविंद, सुपारीकिलर गुलाम, अरविंद का भाई राजू और मामा कल्लू मिल गए. सब ने मिल कर पहले शीतल की हत्या की, क्योंकि वह पूरे मामले की राजदार थी. इस के बाद उन्होंने महेंद्र को भी मौत के घाट उतार दिया.

इन लोगों ने महेंद्र की लाश सैद नगली के गांव ढक्का की एक बाग में गड्ढा खोद दबा दिया तो वहां से 2 किलोमीटर दूर संभल के थाना असमोली के गांव घूंघरपुर के एक बाग में शीतल को दफना दिया.

पुलिस ने अरविंद की निशानदेही पर मोबाइल फोन और हत्या में प्रयुक्त फरसा सोनकपुर के जंगल से बरामद कर लिया था. विस्तार से पूछताछ के बाद पुलिस ने अरविंद को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक अन्य अभियुक्त पुलिस के हाथ नहीं लगे थे. पुलिस सरगरमी से उन की तलाश कर रही थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

थोथा मंत्र है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया

हरियाणा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश  आदि राज्यों की सरकारों ने कहा है कि उन्हें नए इंजीनियरिंग कालेजों की जरूरत नहीं है. हर राज्य में पहले से निर्धारित सीटों में से आधी से ज्यादा खाली हैं. इंजीनियरिंग कालेजों की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है. इन निजी कालेजों को छात्रों की फीस पर निर्भर रहना पड़ता है और कम छात्रों का अर्थ है कि कम छात्रों को पूरी फैकल्टी व विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर का आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा.

देश के 3,291 इंजीनियरिंग कालेजों की 15.5 लाख सीटों में से आधी का खाली रहना बताता है कि देश के युवाओं का भविष्य संकट में है. इंजीनियरिंग स्किल देश की उन्नति में अनिवार्य है और इंजीनियर का कैरियर अब तक एक अच्छा व स्थायी माना जाता था. इंजीनियरों की घटती मांग और महंगी होती इंजीनियरिंग की शिक्षा का अर्थ है कि देश के कारखानों की हालत भी खराब है और मेक इन इंडिया केवल थोथा मंत्र है.

इंजीनियरिंग वास्तव में हमारी सोच के खिलाफ है. हम ठहरे विश्वगुरु, हम भला लोहे से काम क्यों करेंगे. हमारे यहां तो अच्छी नौकरियां पटवारी, हवलदार, इंस्पैक्टर, छोटे अफसर, क्लर्क, बाबू की हैं. कंप्यूटर हमें सुहाता है क्योंकि उस में हाथ काले नहीं करने पड़ते.

इंजीनियरों को मैले कारखानों में काम करना पड़ता है. उन्हें गरम या ठंडे मौसम में बिना सुखसुविधा के रहना पड़ता है. उन का वास्ता शूद्रों व दलितों से पड़ता है जिन्हें हमारे शासक न जाने क्याक्या कहते हैं. उन्हें पुचकार कर इंजीनियरों को उन से काम लेना पड़ता है.

किसी भी देश का विकास उस के इंजीनियरों के बलबूते होता है, ऐडमिनिस्ट्रेटरों, फाइनैंशियल एनालिस्टों, एमबीओं, बाबुओं, पटवारियों से नहीं. ये लोग केवल उन सामानों के निर्माण का लाभ उठाते हैं, वितरण करते हैं या उन की कीमत निर्धारित करते हैं जो इंजीनियरों ने बनाए. देश में इंजीनियर नहीं हैं, तभी हम जुगाड़ संस्कृति के गुणगान गाते हैं क्योंकि हमें मैकेनिकों से वे काम लेने पड़ते हैं जो इंजीनियरों के लायक हैं.

इंजीनियरों की हमें पगपग पर जरूरत है. हमारे यहां कोई मकान सीधा नहीं बनता, कोई धार सीधी नहीं खिंचती क्योंकि हमारे यहां प्रशिक्षित व योग्य इंजीनियर हैं ही नहीं. यहां इंजीनियरों का इतना अभाव है कि सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति चीन में ढाली जा रही है. सरकारी विभागों के इंजीनियर हेराफेरी में ज्यादा लगे रहते हैं, कमीशन खाना उन का मुख्य काम होता है. हालांकि, अब ये नौकरियां कम भी होती जा रही हैं.

रेलों, सड़कों, मकानों की दुर्घटनाओं की वजह इंजीनियरों या इंजीनियरिंग मस्तिष्क की कमी का होना है. अगर इंजीनियरिंग कालेजों में सीटें नहीं भर रहीं, तो देश को चौकन्ना होना चाहिए. लेकिन यहां तो गौपूजा, गौमूत्र और गंगा मैया का गुणगान हो रहा है. ऐसे देश में तो इंजीनियरिंग कालेजों की जगह वैदिक यज्ञशालाओं के निर्माण की शास्त्रीय विधि में ज्यादा आस्था रहती है. इस पर भी पंडों की पुश्तैनी जमातों का ही एकाधिकार है. इंजीनियर तो केवल थोड़े ऊंचे मिस्त्री हैं, राज या मैकेनिक की तरह के.

5 स्टैप्स फौर टीनऐज ब्यूटी, बड़े काम की हैं ये टिप्स

सौफ्ट स्किन मेक गुड मौइश्चराइजर 

टीनगर्ल्स फेसवाश कर के अपनी स्किन के अनुसार मौइश्चराइजर चूज करें. औइली स्किन के लिए लाइट औयल व फ्री और ड्राई स्किन के लिए इंटैंस केयर मौइश्चराइजर इस्तेमाल करें. ड्राई स्किन के लिए ग्लिसरीन और रोजवाटर भी अच्छे औप्शन हैं. अच्छी क्वालिटी और एसपीएफ वाला  मौइश्चराइजर ही उपयोग करें. यह स्किन को ग्लो देने के साथ मेकअप बेस का भी काम करता है.

lifestyle

डोंट फौरगेट टू यूज फेसपाउडर

टीनएजर की स्किन अधिकतर औयली होती है, लेकिन इस से घबराना कैसा. जब भी कालेज या डेटिंग के लिए तैयार हो रही हों, मेकअप के साथ फेस पाउडर का उपयोग जरूर करें. यह आप के कौंपलैक्शन को निखारने के साथसाथ स्किन को स्मूथ टच भी देता है.

lifestyle

पिंपल्स प्रौब्लम

टीनएज में लड़कियां कई परेशानियों से जूझती हैं, खासकर तब जब उन्हें सुंदर दिखने के नुस्खों की आवश्यकता होती है. टीनएज में लड़कियों के चेहरे पर पिंपल्स निकल आते हैं, जिस से उन की सुंदरता और त्वचा की गुणवत्ता पर खराब असर पड़ता है. त्वचा पर मुहांसे या पिंपल होने का मुख्य कारण जवानी में प्रवेश करना या हार्मोन में परिवर्तन हो सकता है. रोकथाम के लिए कुछ उपाय अपनाएं :

lifestyle

सुबहशाम चेहरा अच्छी तरह साफ करें और सोने से पहले चेहरे का मेकअप अच्छी तरह उतार लें. हमेशा हंसतींमुसकराती रहें. अपने चेहरे, त्वचा और बालों पर ज्यादा कुछ न लगाएं. रोज सुबह ब्रश करने से पहले चेहरे पर शहद और अदरक का पेस्ट लगाएं. यह आप के चेहरे को झाइयों से दूर रखता है.

कंसीलर स्किन का बैस्ट फ्रैंड

जिस तरह आप की बैस्ट फ्रैंड आप की कमियों, गलतियों को छिपा देती है वैसे ही कंसीलर भी आप की त्वचा की कमियों को ढक देता है. स्किन के दागधब्बे, चेहरे पर पिंपल्स, ऐक्ने के निशान आदि को कंसीलर खत्म कर देता है और आप का चेहरा मेकअप के लिए बेदाग नजर आने लगता है. टीनएजर की स्किन बड़ी सौफ्ट रहती है, इसलिए किसी भी तरह के फाउंडेशन की जरूरत इन्हें नहीं पड़ती है.

lifestyle

लुकिंग गौर्जियस लुक

वाऊ… गौर्जियस लुक, हौटी का कौंपलीमैंट पाने के लिए आई और लिप्स मेकअप पर खास ध्यान दें. थीम के अनुसार आई मेकअप मस्कारा, आईलाइनर का यूज करें, कैटी आई मेकअप आजकल ट्रैंड में है, इसे आजमा सकती हैं. कालेज जाते वक्त ज्यादा डार्क लिपकलर यूज न करें. न्यूड और लाइट पिंक लिपस्टिक का उपयोग करें.

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