आमतौर पर ज्यादातर किसान खरबूजे की खेती परंपरागत तरीके से करते हैं, जिस की वजह से निम्न क्वालिटी वाली कम उपज मिलती है. किसानों को इस की खेती वैज्ञानिक तरीके से करनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छी क्वालिटी वाली ज्यादा उपज मिल सके.

जलवायु : खरबूजे के अच्छे उत्पादन के लिए गरम और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है. इस के बीज के अंकुरण के लिए 27 से 30 डिगरी सैल्सियस तापमान सही माना गया है. खरबूजे की फसल को पाले से ज्यादा नुकसान होता है.

ध्यान रहे, फल पकने के दौरान खासतौर पर तेज धूप, गरम हवा यानी लू फलों में मिठास के लिए जरूरी समझी जाती है. आर्द्र वातावरण होने के कारण इस की फसल में फफूंदीजनित रोग लग जाते हैं और फलों पर कीड़ों का प्रकोप हो जाता है.

जमीन : खरबूजे को तमाम तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, परंतु सही जल निकास वाली रेतीली दोमट जमीन, जिस का पीएच मान 6 से 7 सही माना गया है, ज्यादा अच्छी होती है. इस से कम पीएच मान 5.5 वाली जमीन में इसे अच्छी तरह नहीं उगाया जा सकता. भारी मिट्टी में पौधों की बढ़वार तो ज्यादा हो जाती है, पर फल देरी से लगते हैं.

नदियों के किनारे कछारी जमीन में भी इन के पौधों को आसानी से उगाया जा सकता है. ज्यादा क्षारीय मिट्टी इस के लिए अच्छी नहीं मानी गई है.

खेत की तैयारी : नदी तट पर लताओं के लिए गड्ढे खोद कर थाले बनाते हैं. गड्ढे से तब तक बालू हटाते रहते हैं, जब तक कि उन की तली में पानी न निकलने लगे. हर ड्ढे में 5 किलोग्राम कंपोस्ट, 100 ग्राम अरंडी की खली, 25 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 30 ग्राम म्यूरेट औफ पोटाश का मिश्रण भर देते हैं.

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