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महिलाओं में धुंआ उड़ाने की बढ़ती हसरत

बदलती जीवनशैली और पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही आज की महिलाओं में पुरुषों की कई खराब आदतें भी तेजी से जगह बनाने लगी हैं. युवकों और युवतियों की कई आदतें और हरकतें एक जैसी होती जा रही हैं. यह बात युवकों और युवतियों में धूम्रपान की आदत पड़ने के सिलसिले में भी देखी जा सकती है.

जिस तरह धूम्रपान का चलन लड़कों में होता है यानी वह एकदूसरे की देखादेखी धूम्रपान शुरू करते हैं लगभग उसी तरह युवतियों में भी एकदूसरे का साथ देने के तौर पर यह आदत पड़ जाती है. लड़कों में धूम्रपान को जवां होने के प्रतीक के रूप में भी लिया जाता है तो लड़कियां इसे आधुनिकता के प्रतीक के तौर पर लेती हैं. उन में भी दूसरों की देखादेखी इस की शुरुआत हो जाती है.

जो महिलाएं तंबाकू का सेवन युवावस्था में ही कर लेती हैं उन में कई प्रकार के कैंसर होने के खतरे बढ़ जाते हैं. तंबाकू के धुएं में लगभग 2,500 रसायन होते हैं जो एक कार के एक्जौस्ट द्वारा छोड़े गए धुएं से कई गुना ज्यादा जहरीले होते हैं.

महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों में से 29 प्रतिशत का कारण धूम्रपान होता है. यही नहीं, गर्भाशय, ग्रीवा के कैंसर के मामलों में से 30 प्रतिशत में सिगरेट के धुएं में व्याप्त रसायनों का होना एक बड़ा कारण होता है. यही नहीं 55-65 वर्ष की महिलाओं में हृदयाघात एवं मस्तिष्काघात के मामलों में से 55 प्रतिशत में धूम्रपान एक बड़ा कारण होता है.

यदि कोई महिला 15 साल की उम्र के आसपास धूम्रपान शुरू कर देती है तो इस की वजह से शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है. नतीजतन, 35-45 साल की उम्र में ही उस की हड्डियों के टूटने का खतरा पैदा हो जाता है.

धूम्रपान करने से न सिर्फ दांत खराब हो जाते हैं बल्कि सांस से बदबू भी आने लगती है. आंखों में एवं होंठों के पास की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. उन में सलवटें पड़ने लगती हैं. यदि धूम्रपान के साथसाथ कोई महिला सन बाथिंग भी करती है तो त्वचा के कैंसर का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है.

गर्भधारण का खतरा

आजकल कई कारणों से महिलाएं गर्भधारण नहीं करना चाहतीं. इस के लिए उन्हें गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिन्हें प्रतिदिन लेना पड़ता है. यदि कोई महिला गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल करती हो और धूम्रपान भी करती हो, खासकर 35 साल की आयु के बाद, तो तंबाकू के अंदर के रसायन गोली के क्रियाशील तत्त्व एस्ट्रोजेन के स्तर को कम करते हैं और उसे निष्क्रिय भी कर देते हैं यानी गर्भ निरोधकों के इस्तेमाल के बावजूद गर्भधारण का खतरा पैदा हो जाता है.

महिलाओं में तरहतरह के योनिगत संक्रमण होते हैं. इन में से जीवाणु वेजिनासिस (बीवी) आम होता है. लगभग 25 प्रतिशत महिलाएं इस से पीडि़त होती हैं. कई अन्य वजहों के साथसाथ धूम्रपान भी इस के पीछे एक मुख्य कारण होता है. जीवाणु वेजिनासिस (बीवी) से पीडि़त आधी महिलाओं को इस के लक्षण ही नहीं मालूम होते हैं. गर्भावस्था एक खास अवस्था मानी जाती है. इसलिए उसे सुरक्षित बनाने हेतु सतर्क रहना जरूरी हो जाता है.

गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान एक खतरनाक बेवकूफी है. इस से गर्भस्थ शिशु में ‘जहर’ प्रविष्ट तो होता ही है गर्भपात का भी खतरा पैदा हो जाता है. गर्भावस्था के दौरान 10 सिगरेट पीने वाली महिलाओं में गर्भस्राव का खतरा होता है. यही स्थिति तब भी बनने की आशंका रहती है जब उन के पति, दोस्त, साथी आदि धूम्रपान करते हों जिन के निकट गर्भवती महिला रहती है. यदि कोई गर्भवती महिला धूम्रपान के साथसाथ मद्यपान भी करती है तो बारबार गर्भपात या गर्भस्राव का खतरा बना रहता है.

बुढ़ापा जल्दी

धूम्रपान की वजह से महिलाओं में हड्डियों के छीजने में वृद्धि हो जाती है एवं कैल्शियम की कमी होने लगती है. फलस्वरूप हड्डियों की उम्र में 10 साल की वृद्धि हो जाती है जिस के चलते कूल्हे की हड्डी के टूटने के खतरे में 45 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है. धूम्रपान करते रहने से यह खतरा 25 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. धूम्रपान करने वाली महिलाओं में बुढ़ापा जल्दी आ जाता है क्योंकि उन की रीढ़ की हड्डी में झुकाव होने लगता है. ध्यान रहे हड्डियों पर धूम्रपान का असर स्थायी होता है.

जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं और गर्भनिरोधकों का भी इस्तेमाल करती हैं उन में मस्तिष्काघात होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी हो जाता है कि धूम्रपान करने वाली महिलाएं 35 साल के बाद गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल बंद कर दें. धूम्रपान का दृष्टि पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. मोतियाबिंद के लगभग 20 प्रतिशत मामलों में धूम्रपान एक कारण होता है. मुंह से छोड़ा गया धुआं सब से पहले आंखों के ही संपर्क में आता है. यह आंखों की कई बीमारियों का कारण बनता है. यहां तक कि धुएं से महिला अंधी भी हो सकती है.

विभिन्न अंगों के कैंसरों का खतरा

धूम्रपान से न सिर्फ थायराइड की बीमारी का खतरा बढ़ता है बल्कि विभिन्न अंगों के कैंसरों की आशंका भी बढ़ जाती है. कुछ महिलाओं में (जीनिक विशिष्टता के चलते) धूम्रपान के कारण स्तन कैंसर के मामले अपेक्षाकृत अधिक होते हैं.

गर्भधारण में स्त्री की डिंबग्रंथि यानी ओवरी की बड़ी भूमिका होती है. क्योंकि यही डिंब ओवम यानी अंडे को पैदा करती है. इस में पुटी बन जाती है. कुछ में ऐसा होना एक प्रकार की प्रवृत्ति बन जाती है. दूसरों के मुकाबले धूम्रपान करने वाली महिलाओं में कार्यकारी डिंब के विकसित होने का खतरा दोगुना होता है.

डेनमार्क में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक धूम्रपान न करने वाली स्त्रियों के मुकाबले धूम्रपान करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा 8 साल पहले होता है. अध्ययनों से पता चला है कि 20 प्रतिशत एशियाई, 35 प्रतिशत अफ्रीकी-अमेरिकी एवं मध्य पूर्व की

50 प्रतिशत महिलाओं में एक खास जीन का अभाव होता है. यह जीन तंबाकू में निहित जहरीले रसायनों के दुष्प्रभाव को कम करता है. केवल इतना ही नहीं धूम्रपान करने से फेफड़ों का कैंसर भी होता है. ऐसा नहीं है कि धूम्रपान न करने वाली महिलाओं को फेफड़ों का कैंसर नहीं हो सकता है परंतु ऐसा ‘पोजेसिव स्मोकिंग’ के कारण होता है. इस प्रकार का धूम्रपान लगभग 17 प्रतिशत मामलों में फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है.

दिल के रोग बढ़ते जा रहे हैं और महिलाएं भी इस की गिरफ्त में आती जा रही हैं. इतना कि सभी प्रकार के कैंसरों वाली महिलाओं से दोगुनी महिलाएं अकेले हृदय रोग एवं हृदयाघात से मरती हैं. स्त्रियों में अचानक मृत्यु के 60 प्रतिशत मामलों के पीछे हृदय पर हमला होता है. धूम्रपान हृदय रोगों से पीडि़त होने के खतरे को बढ़ा देता है. एक दिन में एक डब्बी सिगरेट इस खतरे में 5 गुना वृद्धि कर देती है. मात्र 1-5 सिगरेट प्रतिदिन हृदय वाहिनी रोगों के खतरे को दोगुना कर देती है. हां, धूम्रपान बंद कर देने के 4-6 वर्ष बाद हृदयाघात का खतरा धूम्रपान न करने वाली महिलाओं जैसा ही हो जाता है.

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तमाशबीन नहीं जागरूक बने जनता

देश की समस्याएं हर रोज और ज्यादा उलझती लग रही हैं और ऐसा लगता नहीं कि देश की व्यवस्था जिन राजनीतिबाजों और नौकरशाहों के हाथों में है वे इन्हें सुलझाना जानते हैं या चाहते हैं. देश अगर सोचे कि सर्वोच्च न्यायालय, सीएजी (महालेखा परीक्षक), चुनाव आयुक्त, स्वतंत्र प्रैस जैसी संस्थाएं कुछ कर सकती हैं तो वह गलत है. ये संस्थाएं सरकार के कामकाज पर नजर रखने के लिए हैं, समस्याओं को हल करने में सरकार को सहयोग देने के लिए नहीं.

देश की अधिकांश समस्याओं के बारे में आम जनता की बढ़ती उदासीनता इन समस्याओं के विकराल रूप लेने की जड़ है. आम जनता अब तमाशबीन बनती जा रही है. वह समस्याओं के बारे में केवल उतना जानतीसमझती है जितना उसे सीधेसीधे महसूस होता है. आज प्याज के दाम बढ़ गए हैं, सड़कें टूट गई हैं, पार्किंग की जगह नहीं मिल रही है जैसी समस्याओं के बारे में जनता भुक्तभोगी तो होती है पर उस पर किया क्या जाए, यह न वह समझती है न समझने में रुचि रखती है.

नेता और अफसर, जो इस जनता, जो खुद अर्धशिक्षित, अर्धसूचित होती है, में से निकलते हैं या इस से वास्ता पड़ता है, उन अंधों की तरह होते हैं जो जानवरों की भीड़ में हाथी, घोड़े, जेबरा, सांप को पहचानने की कोशिश कर रहे लगते हैं.न उन्हें कोई बताने वाला है, न कोई रोकने वाला.

अति शक्तिशाली माना जाने वाला मीडिया केवल इन विकराल समस्याओं के अंश भर को छूता है. मीडिया को लगने लगा है कि जनता की खुद की इन समस्याओं में कोई रुचि नहीं है. आज मीडिया के रूप में जो दिख रहे हैं वे सैंसेशनलिज्म या तमाशबीनी को ही जनता की रुचि समझते हैं और नतीजा यह है कि वे इन समस्याओं को सतही तौर पर लेते हैं.

आम जनता जब तक भेड़ों की तरह हांके जाने में संतुष्ट रहे या भेडि़यों को गड़रिए के रूप में देख कर खुद को सुरक्षित समझेगी, वह निश्चित ही लुटेगी और परेशान होगी. देश के नीति निर्धारकों को अगर सही निर्णय लेने को बाध्य करना है तो जनता में कुछ को तो कम से कम समस्याओं की गहराई में जाने, समझने, पढ़ने, लिखने और उस पर बहस करने की आदत डालनी ही होगी.

जनता को समस्याओं की आंधी के सामने रेत में मुंह नहीं छिपाना चाहिए, उस का डट कर मुकाबला करने की योग्यता अपनानी होगी. अन्ना हजारे या दिसंबर रेप कांड में जिस तरह लोग घर से बाहर निकले, ऐसा हर रोज करना होगा. दिल्ली के जंतरमंतर पर जमा होने का फर्ज केवल कुछ ही अदा करें, यह नहीं चलेगा. जनता को हर समस्या को, जितनी गहराई में संभव हो, जानने का प्रयास करना होगा, केवल ट्विटर या फेसबुक पर लिख कर छोड़ना बंद करना होगा. जनता को अपनी राय, अपने सुझाव, सही व सुलझी भाषा में देना सीखना होगा वरना इस देश का पाकिस्तान, नेपाल या सोमालिया बनना निश्चित है.

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नपुंसकता तन से नहीं मन से उपजा रोग

चिकित्सा की भाषा में नपुंसकता यानी इंपोटैंस उस स्थिति को कहते हैं जिस में व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से यौन क्रिया का आनंद नहीं ले पाता है. जरूरी नहीं कि यह बीमारी अधिक उम्र के पुरुष में ही हो, बल्कि कुछ नौजवान भी इस के शिकार हो जाते हैं. यह बीमारी प्रजननहीनता यानी इंफर्टिलिटी से अलग है जिस में व्यक्ति के वीर्य में या तो शुक्राणु नहीं होते या बहुत ही कम मात्रा में होते हैं जिस के कारण वह व्यक्ति यौन क्रिया तो सफलतापूर्वक कर लेता है लेकिन संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होता है.

दरअसल, इस के पीछे शारीरिक व मानसिक दोनों कारण होते हैं. नए शोधों से पता चला है कि मधुमेह व हार्मोन के असंतुलन से नपुंसकता हो सकती है. शरीर में किसी प्रकार के संक्रमण के कारण व्यक्ति नपुंसकता का शिकार हो सकता है या फिर शरीर में चोट लगना, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान व मदिरापान जैसे अन्य शारीरिक कारण भी हो सकते हैं.

हमारे जीवन में हार्मोंस का बहुत महत्त्व है या कहें कि हमारी दिनचर्या इन हार्मोंस के कारण ही संभव है. यदि किसी पुरुष में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य हो तो उस के नपुंसक होने की संभावना काफी कम हो जाती है. दरअसल, सैक्स की इच्छा के लिए हार्मोन का शरीर में उचित अनुपात में बने रहना जरूरी है. आधुनिक अध्ययनों से साबित हो गया है कि नपुंसकता के 80 प्रतिशत मरीजों के पीछे मानसिक कारण होते हैं जबकि 20 प्रतिशत मरीज शारीरिक कारणों से जुड़े होते हैं. सही तरीके से खानपान व रहनसहन न होने से भी व्यक्ति नपुंसकता का शिकार हो सकता है.

आज की भागतीदौड़ती जिंदगी, बढ़ते तनाव, प्रदूषण और कई बुरी आदतों के साथ असमय खानपान व रहनसहन ने स्वास्थ्य की कई परेशानियों व बीमारियों को जन्म दिया है. इन में नपुंसकता भी है. हालांकि, यह कोई नई बीमारी नहीं है लेकिन आज यह आंकड़ा चौंकाने वाला है कि भारत में हर 10वां व्यक्ति यौनक्रिया में अक्षम है. मधुमेह जैसी कुछ बीमारियां भी नपुंसकता पैदा कर सकती हैं. चूंकि मधुमेह से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है इसलिए अगर व्यक्ति मधुमेह को नियंत्रित नहीं रखता तो उस में 5-10 साल बाद नपुंसकता आ सकती है. लिंग में रक्त बहाव में अंतर आने या लिंग में चोट आ जाने से भी नपुंसकता आ जाती है.

इस के अलावा वीर्य का पतला या गाढ़ा होना निरंतर वीर्य स्खलन पर आधारित होता है और यह देखा जा सकता है कि कितने दिनों के बाद वीर्य स्खलित हुआ है. शीघ्रपतन में वीर्य स्खलन अगर स्त्री के चरमानंद के पूर्व या संभोग से पूर्व ही हो जाता है, तो यह यौन शक्ति की कमी का लक्षण है. जो लोग सहवास के समय अत्यधिक उत्तेजित हो जाते हैं और स्खलन को नियमित नहीं कर पाते हैं, इस समस्या से ग्रसित हो जाते हैं. इस समस्या के मुख्य कारण संभोग के समय अत्यधिक घबराहट, जल्दबाजी में यौन संबंध स्थापित करना है, लेकिन इस का नपुंसकता से कोई ताल्लुक नहीं है.

विभिन्न जांचों द्वारा थायराइड हार्मोन, प्रोलैक्टिन हार्मोन तथा टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है. सैक्सोलौजिस्ट सब से पहले यह पता लगाते हैं कि शरीर में किस हार्मोन की कमी है. उस के बाद उस हार्मोन को पूरा करने के लिए मरीज को हार्मोन दिए जाते हैं. मधुमेह के कुछ रोगियों या मानसिक रोगियों पर दवाएं प्रभावित नहीं होती हैं तो ऐसे मरीजों में सर्जरी की मदद से कभीकभी पेनाइल प्रोस्थेटिक डिवाइस के प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है. कुछ दवाएं भी इलाज के लिए सहायक होती हैं.

यह मरीज पर निर्भर करता है कि वह कितना जल्दी अपनेआप को मानसिक तौर पर तैयार कर लेता है. आजकल थोड़ी सी जागरूकता समाज में आई है, लेकिन लोग कई बार नीमहकीम के चक्कर में पड़ जाते हैं और अपनी जिंदगी से काफी हताश हो चुके होते हैं, इलाज करने पर वे ठीक हो जाते हैं. लेकिन रोग जितना पुराना हो जाता  है या मरीज स्वयं को जितना हताश कर लेता है, डाक्टर को रोग ठीक करने में उतनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जब भी किसी व्यक्ति को नपुंसकता की संभावना लगे, तुरंत किसी सैक्सोलौजिस्ट से उचित सलाह ले लेनी चाहिए.

संसार में धूम मचा देने वाली वियाग्रा को ले कर भी कई विरोधाभास हैं. वियाग्रा के सकारात्मक परिणाम कम नकारात्मक परिणाम ज्यादा आ रहे हैं क्योंकि जिस व्यक्ति की आयु 40 से कम है और नपुंसकता का शिकार है उसी व्यक्ति को वियाग्रा की गोली डाक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए. लेकिन आज 60 वर्ष से ऊपर के वृद्ध भी इस दवा को ले रहे हैं, चूंकि 60 वर्ष के बाद अकसर कामवासना क्षीण हो जाती है. ऐसे में अपनी सेहत के साथ जबरदस्ती करने से निश्चित तौर पर इस के दुष्परिणाम ही होंगे.

वैसे भी आजकल बाजार में नपुंसकता को ठीक करने के लिए ढेर सारी दवाएं मिल रही हैं. अगर व्यक्ति की समझ ठीक है तो दवा की कोई जरूरत नहीं है. यदि किसी व्यक्ति को कोई शंका हो तो डाक्टर की सलाह के बाद ही उसे किसी दवा का इस्तेमाल करना चाहिए.

आधुनिक लाइफस्टाइल के कारण?भी युवा पीढ़ी में नपुंसकता की समस्या बढ़ती जा रही है. युवा पीढ़ी में नपुंसकता होने का मूल कारण है सही जानकारी का न होना. मातापिता तथा बच्चों में सही तालमेल की कमी.

आजकल इलैक्ट्रौनिक मीडिया तरहतरह की तसवीरें दिखा कर नवयुवकों को उत्तेजित करता है. जहां तक यौन शिक्षा का प्रश्न है, इसे पाठ्यक्रम में जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि किशोरावस्था में शारीरिक विकास के साथसाथ मानसिक विकास भी होता है. युवाओं में जानकारी प्राप्त करने की जो इच्छा है वह सही रूप से, सही जगह से, सही तरीके से मिले.

आने वाली पीढ़ी को नपुंसकता की भयानक त्रासदी से बचाने के लिए बच्चों को सही जानकारी की शुरुआत मांबाप के द्वारा ही की जानी चाहिए. अगर बच्चा कोई गलत हरकत करता है तो मांबाप को उसे समझाना चाहिए. उसे यौन शिक्षा के बारे में जानकारी देनी चाहिए.

साथ ही स्कूल के अध्यापकों को यौन शिक्षा के बारे में बच्चों को बताना चाहिए. मीडिया अपना जितना समय सैक्स संबंधी प्रचार करने में बरबाद कर रहा है उस की जगह यदि अच्छी सेहत या स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम दिखाए तो लोगों में जागरूकता आ सकती है क्योंकि जनजागृति इस रोग का अहम निदान है.

प्रस्तुति : मनोज श्रीवास्तव 

(यह लेख यौनरोग विशेषज्ञ डा. प्रेमाबाली  से बातचीत पर आधारित है.)

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कच्ची उम्र में ही जरूरत से ज्यादा मैच्योर होते जा रहे हैं बच्चे

आजकल कच्ची उम्र में ही बच्चे जरूरत से ज्यादा मैच्योर होते जा रहे हैं. वे मनमानी करते हैं और जिद को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. अगर उन्हें कभी मातापिता ने किसी बात पर डांट दिया तो वे उसे मन पर लगा लेते हैं. ऐसे में मातापिता सोचने लगते हैं कि बच्चे बिगड़ रहे हैं.

घर में टैलीविजन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सावधान इंडिया, सीआईडी, क्राइम पैट्रोल, गुमराह जैसी क्राइम थीम वाले धारावाहिक पूरा परिवार साथ बैठ कर देखता है. धारावाहिक में अपराध से जुड़े कई पहलुओं को बढ़ाचढ़ा कर ग्लैमरस अंदाज में दिखाया जाता है. इन सब का गहरा असर बच्चों के मासूम व कोमल मन पर पड़ता है.

महानगरों में ज्यादातर मातापिता नौकरी करते हैं. लिहाजा, बच्चे ज्यादातर घर में अकेले ही होते हैं. चूंकि मातापिता के अलावा घर में बुजुर्ग यानी दादादादी या नानानानी भी नहीं होते, जो बच्चों के मन की बात को समझें और विचारों को बांटें. लिहाजा, अकेलेपन में कई मासूम अपनी ही काल्पनिक दुनिया में खोए रहते हैं. कभीकभी तो ये बच्चे कुंठा के शिकार भी हो जाते हैं.

बच्चों के लिए समय निकालें

मातापिता बच्चों को भौतिक सुविधाएं तो दे देते हैं पर समय बिलकुल भी नहीं देते, जिस की उन्हें बहुत जरूरत होती है. और फिर इसी कारण बच्चे जानेअनजाने मातापिता से मन ही मन एक दूरी बना लेते हैं. उन से अपने मन की बात शेयर करना बंद कर देते हैं. ऐसी स्थिति में मातापिता को समझाने के तौर पर छोटी सी डांट भी उन के लिए बहुत बड़ी बात बन जाती है.

कई बार देखने को मिलता है कि मातापिता का गुस्सा मासूम बच्चों के कोमल मन में भय पैदा कर देता है. उन्हें मातापिता से केवल प्यार की ही उम्मीद होती है, जबकि मातापिता आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में अपने बच्चों को सब से आगे देखना चाहते हैं. वे भूल जाते हैं कि उन का प्यार बच्चे को आगे बढ़ने में मदद करेगा, न कि उन की डांट. बच्चा अगर परीक्षा में अच्छे अंकों से भी पास होता है तो उसे मातापिता ‘इस से ज्यादा अंक लाने चाहिए’, ‘पूरा दिन खेलते रहते हो’, ‘अब से पढ़ाई पर ध्यान दो’ वगैरह कह कर उस के कोमल मन पर प्रहार करते हैं. बच्चे तो सिर्फ शाबाशी के दो बोल की उम्मीद रखते हैं. लेकिन बदले में उन्हें मिलती है डांटफटकार.

इस डर से बच्चा मानसिक तौर पर विचारहीन हो जाता है और बाद में आत्महत्या जैसा क्रूर कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है.

गुजरात के कई शहरों में आएदिन ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं. किसी बच्चे ने रिजल्ट के डर से आत्महत्या कर ली तो किसी ने डांट की वजह से. कई मामलों में तो बच्चों के आत्महत्या करने की वजह खुद मातापिता ही नहीं समझ पाए हैं.

चिंताजनक बातें

ऐसी ही कुछ घटनाएं भावनगर और अहमदाबाद में हुईं, जिन में मातापिता बच्चों की आत्महत्या करने की वजह समझ ही नहीं पाए. भावनगर के मालणका गांव में कक्षा 7 में पढ़ने वाले 13 वर्षीय श्रयेश भरतभाई चौहान ने किसी कारण से अपने घर में ही गले में फंदा डाल कर आत्महत्या कर ली. वहीं अहमदाबाद में कक्षा 5 की छात्रा चांदनी प्रजापति (उम्र 12 साल) ने भी घर की छत के हुक में दुपट्टा डाल कर आत्महत्या कर ली.

चांदनी के घर वालों की मानें तो परीक्षा के डर की वजह से उस ने यह कदम उठाया. जबकि स्कूल से जुड़े शिक्षकों व कर्मचारियों का कहना था कि चांदनी अपनी क्लास की सब से होशियार छात्रा थी. ऐसे में परीक्षा के डर से आत्महत्या की बात गले नहीं उतरती. दोनों पक्षों की अलगअलग बातों से तय नहीं हो पाया कि आखिर चांदनी ने आत्महत्या क्यों की?

अहमदाबाद के नरोड़ा विस्तार में रहने वाली 12वीं की छात्रा खुशबू अशोकभाई पटेल ने बोर्ड की परीक्षा दी थी. कैमिस्ट्री के पेपर में 15 नंबर के प्रश्नों के उत्तर छूट जाने की वजह से घर वालों ने उसे खूब डांटा. खुशबू के मन पर इस डांट का ऐसा घातक असर पड़ा कि उस ने घर की छत से ही छलांग लगा दी.

ऐसा ही कुछ कविता के साथ भी हुआ. अहमदाबाद के अमराईवाड़ी विस्तार में रहने वाले कैलाशभाई गवाणे की 2 बेटियां करिश्मा (उम्र 19 वर्ष) और कविता (उम्र 17 वर्ष) थीं. कैलाशभाई चाहते थे कि उन की बेटी कविता परीक्षा में अच्छे अंकों से पास हो. इस बात को ले कर बापबेटी में बहस हुई, जिस का अंजाम यह हुआ कि पिता की डांट से आहत कविता ने शहर के नेहरू ब्रिज से छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली.

अहमदाबाद के मेघाणीनगर निवासी संपतभाई पाटिल के घर में उन का 14 वर्षीय बेटा प्रशांत अपनी मां के साथ किसी शादी में जाना चाहता था लेकिन उस की मां उसे साथ नहीं ले गईं. जब वे शाम को घर वापस आईं तो उन्होंने प्रशांत की लाश घर के झूले से लटकती देखी.

ऐसे ही कई और मामले अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं जिन में मांबाप के गैरजिम्मेदाराना रवैए, डांट और जरूरत से ज्यादा प्रैशर के चलते बच्चे अ?ात्महत्या करने पर विवश हो जाते हैं.

ज्यादा बोझ न डालें

इन मामलों से सबक ले कर मातापिता को अपने बच्चों को, उन की मनोस्थिति को समझना चाहिए. तभी इस समस्या को सुलझाया जा सकता है. बच्चों पर पढ़ाई बोझ बनती जा रही है, ऊपर से मातापिता का अच्छे अंक लाने का प्रैशर, इस बोझ में और इजाफा कर देता है.

मनोचिकित्सक हिमांशु देसाई कहते हैं, ‘‘संयुक्त कुटुंब छूटते जा रहे हैं, मातापिता 1 या 2 बच्चे के साथ रहते हैं. ऐसे में वे अपनी इच्छाएं अपने बच्चों के द्वारा ही पूरी करना चाहते हैं. कई बार यह बच्चे की सहनशीलता की हद से बाहर की बात हो जाती है. परिणामस्वरूप, जब बच्चा मांबाप की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाता तब वह डर जाता है और आत्महत्या करने का फैसला कर बैठता है.’’

बदलते दौर में बच्चों की बदलती प्रवृत्ति के मद्देनजर अब यह जरूरी हो गया है कि मातापिता बच्चों की बातों, इच्छाओं को न सिर्फ सम्मान दें बल्कि अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से उन के लिए समय भी निकालें ताकि कोई और मासूम मौत को गले न लगाए.

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जानें, स्मार्टफोन के पानी में गिर जाने पर क्या करें, क्या ना करें

आजकल बाजार में बहुत से वाटरप्रूफ स्मार्टफोन मौजूद हैं लेकिन अभी भी ज्यादातर स्मार्टफोन वाटरप्रूफ नहीं होते. आइए, हम आपको बताते हैं कि अगर आपका स्मार्टफोन पानी में भीग जाए तो क्या करें और क्या ना करें…

– अगर आपका स्मार्टफोन पानी में गिर जाए या पानी से भीग जाए तो तुरंत उसे स्विच औफ कर दें. उसके बाद उसे साफ और सूखे कपड़े से पोंछ लें और फिर इसे किसी पेपर टिशू या किचन टावल में लपेट दें ताकि वह फोन में मौजूद पानी को सोख ले. इसके बाद तुरंत फोन से सिम कार्ड और मेमरी कार्ड निकाल लें और फोन को हर तरफ से झटकें ताकि उसके भीतर गया पानी बाहर आ जाए.

– इसके बाद अपने फोन को आप कच्चे चावलों से भरे डिब्बे में चावलों के बीच रखकर 24 से 48 घंटे के लिए डिब्बे को टाइट बंद कर दें. चावल के दाने फोन में मौजूद सारी नमी को सोख लेते हैं.

– आप फोन को सुखाने के लिए इसका बैक पैनल खोलकर सीधे धूप में भी रख सकते हैं. धूप में भी कुछ ही देर में फोन में मौजूद सारा पानी सूख जाता है. हालांकि ऐसा करने में यह ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादा तेज धूप में बहुत देर तक फोन न रखें क्योंकि गर्मी से इसके प्लास्टिक कौम्पोनेंट पिघल भी सकते हैं.

कभी न करें ये काम

– याद रखें कि भीगे हुए फोन को इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि पानी फोन के सर्किट्स को नुकसान पहुंचा सकता है और स्मार्टफोन हमेशा के लिए खराब हो सकता है.

-फोन के पानी में भीग जाने पर कभी भी इसे हेयरड्रायर से सुखाने की कोशिश न करें. हेयरड्रायर की हवा बहुत गर्म होती है और इससे फोन के इलेक्ट्रौनिक कौम्पोनेंट्स खराब हो सकते हैं. इसके अलावा फोन को सुखाने के लिए उसे किसी हौट अवन या रेडियेटर पास भी न रखें.

-फोन के भीगने के बाद इसे चार्ज न करें क्योंकि इससे शौर्ट सर्किट हो सकता है जो डिवाइस को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा फोन में कोई नुकीली चीज डालने का प्रयास भी न करें क्योंकि अगर ऐसा होता है तो पानी आपके फोन के और भीतर जा सकता है और फोन के कौम्पोनेंट्स खराब हो सकते हैं.

अगर आप ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखें तो फोन के भीग जाने पर भी आप उसे सही कर सकते हैं.

BHEL ने किया ISRO से करार, बनाएगी लीथियम आयन बैटरी

बिजली उपकरण बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भेल ने विभिन्न क्षमता की लिथियम आयन बैटरी के विनिर्माण के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता किया है. जिसके तहत कंपनी अंतरिक्ष स्तर के विभिन्न क्षमता के लिथियम आयन सेल (बैटरी) का विनिर्माण करेगी. जिसमें इसरो की तरफ से विकसित तकनीक का इस्तेमाल होगा और अभी इसरो विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) में इसका इस्तेमाल करता है.

भेल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि इसरो अभी तक इसरो अंतरिक्ष श्रेणी वाली लीथियम आयन बैटरी की सोर्सिंग विदेशी वेंडरों से करता है और बीएचईएल ऐसी आयातित बैटरी का असेंबलिंग व टेस्टिंग करती है और इसका इस्तेमाल उपग्रह व इसे भेजे जाने वाले वाहनों में होता है. इस प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से भेल लिथियम आयन बैटरी इसरो तथा अन्य संबंधित कंपनियों के लिये बना सकेगी. लिथियम आयन प्रौद्योगिकी का उपयोग ऊर्जा भंडारण तथा इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जा सकता है. भेल इस बैटरी के विनिर्माण के लिये बेंगलुरू के कारखाने में आधुनिक संयंत्र लगाएगी.

इसरो के अधिकारी ने कहा तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने अंतरिक्ष श्रेणी वाली लीथियम आयन बैटरी के उत्पादन की तकनीक का कामयाबी के साथ विकास किया है, जिसने विभिन्न जांच परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन किया है. ऐसी बैटरी का इस्तेमाल अभी विभिन्न उपग्रहों आदि में हो रहा है. उन्होंने आगे कहा, हमें ऐसी बैटरी अपने उपग्रह के लिए काफी संख्या में चाहिए, लेकिन अपने पायलट प्लांट में हम बहुत ज्यादा उत्पादन नहीं कर सकते. हमें बड़ा संयंत्र चाहिए. औटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन औफ इंडिया ने ऐसी बैटरी का इस्तेमाल दोपहिया व चारपहिया वाहनों में कामयाबी के साथ किया है

सिंधु करेंगी कौमनवेल्थ गेम्स में भारतीय दल की अगुवाई

रियो ओलंपिक की सिल्वर मेडल विजेता और स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु कौमनवेल्थ गेम्स 2018 की ओपनिंग सेरिमनी में तिरंगा लेकर भारतीय दल की अगुवाई करेंगी. इस बार कौमनवेल्थ गेम्स 2018 गोल्ड कोस्ट में आयोजित होने हैं. बता दें भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) ने इस संबंध में बैठक की थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कौमनवेल्थ खेलों में राष्ट्र ध्वज लेकर भारतीय दल का नेतृत्व यह बैडमिंटन स्टार करेंगी.

हैदराबाद की इस स्टार शटलर को उनकी नई भूमिका के बारे में जानकारी दे दी गई है. सिंधु को कौमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए पदक जीतने का सबसे प्रमुख दावेदारों में से एक माना जा रहा है. इसलिए इस बार के कौमवेल्थ खेलों में देशवासियों को उनसे उम्मीद है कि वह इस बार कौमनवेल्थ खेलों में पहले के प्रदर्शन को और बेहतर बनाते हुए यहां महिला एकल में स्वर्ण पदक अपने नाम करेंगी.

मालूम हो कि शुक्रवार को सिंधु पिछले सप्ताह औल इंग्लैंड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंची थीं. इससे पहले वर्ष 2014 में ग्लासगो में आयोजित हुए कौमनवेल्थ खेलों में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कौमनवेल्थ खेलों के पिछले तीन संस्करणों के बाद ऐसा पहली बार होगा जब कोई बैडमिंटन खिलाड़ी इन खेलों में भारतीय दल का नेतृत्व करेगा. इससे पहले साल 2006 में मेलबर्न में आयोजित कौमनवेल्थ खेलों में ऐथेन्स ओलिंपिक में रजत पदक विजेता शूटर राज्यवर्धन सिंह राठौर ने ध्वज लेकर भारतीय दल का नेतृत्व किया था. राठौर वर्तमान में केंद्रीय खेल मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

2010 में दिल्ली कौमनवेल्थ खेलों के दौरान बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाले शूटर अभिनव बिंद्रा ने भारतीय दल की अगुवाई की थी. इसके बाद साल 2014 में ग्लासगो कौमनवेल्थ खेलों के दौरान लंदन ओलिंपिक में शूटिंग में रजत पदक अपने नाम करने वाले विजय कुमार ने यह जिम्मेदारी निभाई थी.

इस नये लुक के साथ आईपीएल में उतरेंगे युवराज सिंह

भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर चल रहे औलराउंडर क्रिकेटर युवराज सिंह लंबे अर्से बाद इस साल एक बार फिर किंग्स इलेवन पंजाब के लिए खेलते नजर आएंगे. युवराज सिंह आईपीएल की शुरुआती सीजनों में किंग्स के लिए कप्तानी कर चुके हैं. काफी समय बाद एक बार फिर पंजाब की टीम ने अपने इस पुराने खिलाड़ी पर भरोसा जताया है. किंग्स इलेवन पंजाब टीम ने 2 करोड़ की बेस प्राइज में युवराज सिंह को इस साल अपनी टीम में शामिल किया है.

आईपीएल में इस साल युवराज सिंह एक नये हेयरस्टाइल लुक में नजर आएंगे. युवराज ने इसकी जानकारी आफिशियल इंस्टाग्राम अंकाउट पर एक तस्वीर शेयर कर दी है. इस तस्वीर में युवराज सिंह बेहद अलग अंदाज में दिखाई दे रहे हैं. युवी ने तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा, ”लंबे बालों की वजह से काफी समस्याएं हो रही थी जो अब खत्म हो गई. अंगदबेदी और के एल राहुल से माफी चाहूंगा, जिन्होंने मुझे थोड़े से छोटे बाल कराने की नसीहत दी थी. इस नए लुक के लिए आलिम हकीम को धन्यावाद”. युवराज के तस्वीर पोस्ट करते ही फैन्स ने कमेंट्स की झड़ी लगा दी.

फैन्स युवी के इस नए लुक को बेहद पसंद कर रहे हैं और साथ ही उम्मीद कर रहे हैं कि युवी इस साल धमाकेदार अंदाज में सीजन की शुरुआत करेंगे. युवराज सिंह पंजाब टीम के अहम हिस्सा हैं और टूर्नामेंट में टीम को अच्छा करने के लिए युवी का बेहतर प्रदर्शन बेहद जरूरी है. युवराज सिंह से पहले भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली भी हेयर स्टाइल की एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर कर चुके हैं.

वहीं भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी अक्सर अपनी हेयर स्टाइल को बदलते रहते हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि युवी अपने इस नये हेयर स्टाइल के साथ मैदान पर कितना सफल होते हैं. पिछले कुछ सीजनों में आरसीबी, दिल्ली और हैदराबाद जैसी टीमों के लिए खेल युवी अपनी पुरानी छाप छोड़ने में बुरी तरह से नाकाम रहे थे. ऐसे में यह सीजन युवी के करियर के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है.

आईफोन के लुक में वीवो ने लौन्च किया अपना यह स्मार्टफोन

स्मार्टफोन बनाने वाली चीनी कंपनी Vivo ने अपना फ्लैगशिप स्मार्टफोन भारत में Vivo V9 लौन्च कर दिया है. इस स्मार्टफोन की सबसे खास बात इसमें दी गई इसकी Apple iPhone X जैसी डिस्प्ले है. इसमें 6.3 इंच की बड़ी डिस्प्ले दी गई है. इसे शैंपेन गोल्ड, पर्ल ब्लैक और सैफायर ब्लू कलर में लौन्च किया गया है. इसे अमेजन और फ्लिपकार्ट से 23 मार्च को 3 बजे से प्री बुक किया जा सकता है. इसकी सेल 2 अप्रैल से शुरू होगी. इसे औफलाइन भी सेल किया जाएगा.

अमेजन से इस फोन को प्री और्डर करने पर इसपर 2,000 रुपए का एक्स्ट्रा एक्सचेंज औफर मिलेगा, एक बार स्क्रीन टूटने पर मुफ्त में सही कराने का औफर भी है. वहीं 12 महीने की नो कौस्ट ईएमआई पर भी इसे खरीदा जा सकता है. इसके साथ ही 500 रुपए के Bookmyshow के मूवी वाउचर भी मिलेंगे. इसके अलावा अमेजन पे से पेमेंट करने पर 5% का कैशबैक भी मिलेगा. इसकी कीमत की बात करें तो इसकी कीमत 22,990 रुपए रखी गई है.

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फीचर्स की बात करें तो Vivo V9 स्मार्टफोन में क्वालकौम का स्नैपड्रैगन 626 प्रोसेसर दिया गया है. फोन की स्पीड अच्छी रहे इसके लिए इसमें 4 GB की रैम दी गई है. इसमें 64GB की इंटरनल मैमोरी दी गई है. माइक्रोएसडी कार्ड से इसकी इंटरनल मैमोरी को 256GB बढ़ाया जा सकता है. यह स्मार्टफोन कंपनी के फनटच 4.0 पर आधारित लेटेस्ट एंड्रौयड 8.1 ओरियो पर काम करेगा.

Vivo V9 के कैमरे की बात करें तो फ्रंट पैनल पर 24 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है जो एफ/2.0 अपर्चर के साथ आता है. फ्रंट कैमरा एआर स्टीकर्स, फेस अनलौक और फेस ब्यूटी मोड जैसे फीचर दिए गए हैं. कंपनी का दावा है कि इन फीचर से बेहतर आउटपुट पाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इस्तेमाल में लाया जाता है. फोन के रियर में डुअल रियर कैमरा सेटअप दिया गया है. इनमें प्राइमरी कैमरा 16 मेगापिक्सल का और सेकेंडरी 5 मेगापिक्सल का दिया गया है. रियर कैमरे का भी अपर्चर एफ/2.0 ही है.

फोन को पावर देने के लिए इसमें 3,260mAH की बैटरी दी गई है. Vivo V9 में कनेक्टिविटी के लिए 4G एलटीई, वीओएलटीई, वाई-फाई, ब्लूटूथ, जीपीएस और माइक्रो-यूएसबी पोर्ट शामिल हैं. सिक्योरिटी के लिए इसके बैक पैनल पर फिंगरप्रिंट स्कैनर दिया गया है. थाइलैंड में लौन्च किए गए इस फोन को गोल्ड व ब्लैक सेरामिक रंग में उपलब्ध कराया गया है.

इस खूबसूरत जगह पर होगी सोनम कपूर की शादी, तारीख हुई तय

सोनम कपूर इन दिनों अपनी फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ की शूटिंग में बिजी हैं. इसके अलावा वो अक्सर अपने ब्वायफ्रेंड आनंद आहूजा के साथ भी नजर आती रहती हैं. खबरों की मानें तो फिल्म की शूटिंग खत्म होने के तुरंत बाद वो अपने ब्वायफ्रेंड से शादी करने जा रही हैं. बता दें कि सोनम और आनंद दोनों एक-दूसरे को लंबे समय से डेट कर रहे हैं. पहले खबर आई थी कि सोनम और आनंद राजस्थान में शादी करेंगे. लेकिन हाल ही में आई खबरों के मुताबिक अब शादी राजस्थान में नहीं बल्कि स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में होगी.

मई, 2018 में होगी सोनम कपूर और आनंद अहूजा की शादी

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सोनम कपूर अपने ब्वायफ्रेंड आनंद अहूजा के साथ इस साल मई के महीने में शादी कर लेंगी. शादी की तारीख 11 और 12 मई रखी गई है. सोनम ने हाल ही में दिल्ली पहुंचकर आनंद से मुलाकात की जिसके बाद अब वो रिलैक्स करने और स्पा लेने के लिए औस्ट्रिया गई हुईं हैं. कुछ दिन पहले सोनम को राज मेहतानी के हाई एंड ज्वेलरी स्टोर में शौपिंग करते हुए देखा गया था, जो कोलकाता में है.

जेनेवा में बजेगी शादी की शहनाई

बताया गया कि सोनम और उनके परिवार वाले शादी को और भी स्पेशल बनाने के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन की तलाश में थे. डेस्टिनेशन लिस्ट में उदयपुर और जयपुर का नाम सबसे टौप पर था. लेकिन, अभी जनवरी के महीने में सोनम जोकि एक वौच ब्रैंड की एम्बेसडर हैं, जेनेवा गई हुईं थी. तभी उन्हें वो जगह काफी पसंद आई. उस समय उनके साथ उनकी बहन रिया कपूर भी मौजूद थीं. सोनम और रिया ने जेनेवा के कई लोकेशन्स को देखा जिसके बाद उन्होंने इसी जगह को शादी की डेस्टिनेशन के तौर पर फिक्स करने का प्लान बनाया.

अनिल कपूर निजी तौर पर मेहमानों को फोन करके दे रहे हैं आमंत्रण

कहा जा रहा है कि अब डेस्टिनेशन बुक होने के बाद दिल्ली और मुंबई में मौजूद कपूर परिवार के मेंबर्स एयर टिकट्स की बुकिंग्स में लगे हुए हैं. साथ ही, पिता अनिल कपूर खुद निजी तौर पर मेहमानों को फोन करके आमंत्रण दे रहे हैं. कपूर परिवार ने शादी की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं.

हिंदू रीती रिवाज से होगी शादी

ये भी रिवील किया गया कि जेनेवा में सोनम और आनंद की सगाई की जाएगी जिसके बाद शादी के कार्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी. यहां संगीत, मेहंदी सेरेमनी भी रखी जाएगी और पूरे हिंदू रीती रिवाज के साथ शादी का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा.

आपको बता दें कि पेशे से आनंद दिल्ली के बिजनेसमैन हैं. आनंद फैशन ब्रांड Bhane के मालिक हैं. उन्होंने व्हार्टन बिजनेस स्कूल (यूएस) से पढ़ाई की है. बता दें, Bhane सोनम के फेवरेट फैशन ब्रांड्स में से एक है. कई मौके पर वे Bhane के डिजाइन्स कैरी करती हैं.

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