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पति कमाए पत्नी उड़ाए : पति की जेब को देख कर ऐसे चलाएं समझदारी से घर

संगीता शुरू से ही ऐशोआराम में पलीबढ़ी थी. उसे मायके में किसी भी चीज की कमी नहीं थी. जब जो चाहती, खरीदती. अपनी मरजी के मुताबिक खर्च करती. लेकिन शादी के बाद उस के खर्च करने की आदतों पर जैसे पाबंदी लग गई.

दरअसल, उस के पति राजीव की कमाई महीने में सिर्फ 35 हजार रुपए ही थी. घर का खर्च और इकलौते बेटे की स्कूल की फीस व पढ़ाईलिखाई पर आने वाले अतिरिक्त खर्च का बोझ ही राजीव बड़ी मुश्किल से उठा पाता था. ऐसे में संगीता आएदिन फालतू के खर्च कर डालती थी. बातबात में राजीव को एहसास दिलाती कि वह अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ 35 हजार रुपए ही कमाता रह जाएगा.

संगीता की तो जैसे अब आदत हो गई थी दूसरों से राजीव की तुलना करने की, ‘‘आज शालिनी ने 5 हजार रुपए की सुंदर साड़ी खरीदी तो कभी हमारे पड़ोसी ने नया म्यूजिक सिस्टम खरीदा, पता नहीं हम कभी कुछ खरीदेंगे भी या नहीं.’’

राजीव कई बार संगीता को समझाता पर उस के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती थी. संगीता वही करती जो उस का दिल करता. संगीता की फुजूलखर्च की आदत से राजीव परेशान रहता, आएदिन उन में बहस होती.

संगीता अकेली ऐसी पत्नी नहीं है बल्कि हर मिडिल क्लास में संगीता जैसी नासमझ पत्नियां मिल जाएंगी जो अपनी सीमाओं से परे जा कर खर्च करती हैं. उन की आदत ही होती है बिना सोचेसमझे शौपिंग करते रहने की, चाहे घर का बजट ही क्यों न गड़बड़ा जाए.

मैरिज काउंसलर नीशू शुक्ला कहती हैं, ‘‘यदि घर में कमाने वाला सिर्फ एक व्यक्ति हो और उस की मासिक आय सामान्य हो तो हर पत्नी का यह फर्ज होता है कि वह सोचसमझ कर ही खर्च करे. किसी को भी अपनी सीमाओं को नहीं भूलना चाहिए, फिर बात कम बजट में घर चलाने की ही क्यों न हो.

‘‘दांपत्य रिश्ता इतना नाजुक होता है कि उस में जरा सी अनबन, वैचारिक मतभेद, गलत आदतों के कारण गांठें पड़ने लगती हैं. कई बार बहस, लड़ाईझगड़े का कारण पैसा भी होता है. समस्या तब भी होती है जब पति की इनकम कम हो और पत्नी जरूरत से ज्यादा खर्च करने वाली हो. ऐसे में घर चलाना वाकई मुश्किल हो जाता है.’’

वे आगे कहती हैं, ‘‘जब शादी होती है तो किसी लड़की को यह पता नहीं होता कि जहां वह जा रही है उस घर का कल्चर, विचार या फिर आर्थिक स्थितियां कैसी होंगी. यह भी सच है कि हर घर का रहनसहन, पैसे खर्च करने का तरीका, जीने का अंदाज दूसरों से अलग होता है. इसलिए महिलाओं को कभी भी किसी की बेहतर कमाई, बेहतर जिंदगी की अपने घर से तुलना नहीं करनी चाहिए. महिलाओं को लौजिकल हो कर चीजों को स्वीकार करना चाहिए.

‘‘यदि शादी से पहले आप मायके में ऐशोआराम से रहती थीं तो आप को स्वयं सोचना होगा कि क्या आप पति की सीमित आय में पहले की तरह जी सकेंगी? क्या यह आप का फर्ज नहीं बनता कि आप अपने पति की सीमाओं को समझते हुए उन का साथ दें बजाय फुजूल खर्च करने के?’’

आर्थिक सीमाओं पर ध्यान

बेटीदामाद के रिश्ते या उन के किसी भी मामले में अभिभावकों को दखल नहीं देना चाहिए. खासकर लड़की के मातापिता को अपनी बेटी की फुजूल खर्च की आदत को सही ठहराना बंद कर देना चाहिए. वरना बेवजह उन के रिश्ते में तनाव पैदा होगा.

लड़की को इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि अब वह अपनी मां के घर नहीं रहती जहां वह अपनी मरजी से खर्च करती थी. वह तब खर्च करती थी जब उस के पिता के पास पर्याप्त पैसा था. अब उसे पति के वेतन में ही पूरे महीने का खर्च चलाना है, इसलिए अपनी जरूरतों और इच्छाओं में फर्क करना सीखे.

यह भी रखें ध्यान
– पतिपत्नी दोनों अपने रिश्ते में पारदर्शिता रखें. पत्नी अपने घर, पति और बच्चे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए खर्च करे.

– घर चलाने की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं बल्कि पतिपत्नी दोनों की ही समान रूप से होती है.

– पति की महीनेभर की कमाई जितनी है उसी में खुश रहना सीखें. बातबात में ताना देने से कमाई तो नहीं बढ़ जाएगी.

– किसी की देखादेखी शौपिंग न करें, पहले अपनी जरूरत देखें.

लड़की शादी से पहले यह जानने की कोशिश करे कि होने वाली ससुराल की आर्थिक स्थिति, खानेपीने का स्तर आदि कैसा है. शादी के बाद वहां की परिस्थितियों में वह स्वयं को स्थापित कर पाएगी या नहीं. यदि लड़की को लगता है कि सिर्फ उस के पति की कमाई से घरखर्च या उस की जरूरतें पूरी नहीं हो सकतीं तो वह खुद भी कोई पार्टटाइम काम शुरू कर सकती है.

यदि आप काम भी नहीं कर सकतीं तो पति जितना भी कमा कर लाता है उस में ही ऐडजस्ट करें, उसे स्वीकार करें.

यदि शौपिंग करनी भी है तो दूसरों की देखादेखी कुछ भी न खरीद लें. सोचसमझ कर खर्च करें. थोड़ीबहुत बचत करने की कोशिश करें ताकि 3-4 महीने के इकट्ठे हुए पैसों से आप मनचाहा सामान ले सकें. याद रखें कि हर समय हालात एक से नहीं होते. धैर्य रखें और पति की परेशानियां को बढ़ाने के बजाय कम करें.

कहां, कब और किस चीज पर पैसे खर्च करना जरूरी है, पहले उस का बजट बना लें और लिस्ट तैयार कर लें. शौपिंग करते हुए स्वयं से यह सवाल जरूर करें कि आप को किस चीज की सब से ज्यादा जरूरत है. इच्छाओं की पूर्ति तो बाद में भी होती रहेगी. पैसे खर्च करने में जल्दबाजी न दिखाएं. यह सोचने में समय लगाएं कि क्या आप को किसी महंगे या थोक मात्रा में सामान की वाकई जरूरत है.

जहां सेल लगी हो वहां जाने से खुद को रोकें. वजह, एक तो वहां सामान की क्वालिटी अच्छी नहीं होती और वहां अकसर महिलाएं बिना सोचेसमझे कुछ भी खरीद लेती हैं. जब भी शौपिंग पर जाएं, कैश ले कर जाएं न कि क्रैडिट कार्ड. सिर्फ इमरजैंसी के लिए एक ही क्रैडिट कार्ड अपने पास रखें. पति की आर्थिक सीमाओं की चिंता है तो जब भी शौपिंग करें सामान की लिस्ट तैयार कर लें. लिस्ट में लिखे गए सामान ही खरीदें. बातबात में पति को ताना देना, उन्हें दूसरों से कम आंकना, उन की काबिलीयत पर शक करना बंद करें वरना आप का रिश्ता कमजोर हो कर टूट सकता है.

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स्मार्टफोन के वौल्यूम बटन हैं बड़े काम के, जानें इसके बारे में

आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते तो हैं, पर शायद ही आप अपने स्मार्टफोन के सभी फीचर्स के बारे में जानते हों. क्या आप जानते हैं कि स्मार्टफोन के वौल्यूम का बटन दबाते ही आपके फोन की फ्लैश लाइट जल जाएगी. अगर नहीं तो आज हम आपको स्मार्टफोन के वौल्यूम बटन के बारे में कुछ खास जानकारी देने जा रहे हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आपके वौल्यूम बटन से कई काम किए जा सकते हैं. आप इन बटन से अपने फोन की ब्राइटनेस बढ़ाने, फ्लैश लाइट चालू करने, साउंड प्ले और पोज, स्क्रीन को टर्न औफ जैसे कई काम कर सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि ये कैसे यह संभव है.

सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाएं. यहां से Button Mapper App डाउनलोड कर इंस्टौल कर लें. इसके बाद जब आप इसे ओपन करेंगे तो आपसे कुछ इजाजत मांगी जाएंगी. इजाजत देने के बाद नेक्सट पर क्लिक करके सबसे आखिर में आने के बाद आपको डिस्प्ले पर सबसे ऊपर Button Mapper  लिखा दिखाई देगा. इसके नीचे भी कई विकल्प दिखाई देंगे. इनमें वौल्यूम अप, वौल्यूम डाउन, हैडसेट बटन आदि होंगे.

यहां स्क्रीन पर सबसे नीचे GO का विकल्प दिखाई देगा, जिसपर क्लिक करने के बाद नया पेज खुलेगा. यहां एक्सेसिबिलिटी को औन कर दें. इसके बाद बैक आ जाएं. अब आपको वौल्यूम अप और वौल्यूम डाउन के बटन दिखाई देंगे. इनमें से जिस पर भी आपको सेट करना हो उसे सिलेक्ट कर लें. इसके बाद आपके फोन के स्क्रीन पर नए विकल्प आ जाएंगे. इनमें सबसे ऊपर आ रहे कस्टमाइज के विकल्प को औन कर लें. इसके नीचे भी 3 विकल्प दिखाई देंगे. सिंग्ल टैप, डबल टैप और लौन्ग प्रेस. इनमें से किसी 1 को सिलेक्ट कर लें. टैप करने के बाद अन्य विकल्प की एक लिस्ट खुल जाएगी.

अब इस वौल्यूम बटन के इस विकल्प पर जो भी शौर्टकट रखना चाहते हों उसे सिलेक्ट कर लें. इस पर आप जो भी सिलेक्ट करेंगे उस पर वही विकल्प काम करेगा. इसके बाद विकल्पों के अनुसार अगर आप वौल्यूम डाउन का बटन दबाएंगे तो फ्लैश लाइट औन हो जाएगी, इसी तरह अन्य विकल्पों का इस्तेमाल कर आप वौल्यूम बटन के और भी इस्तेमाल कर सकेंगे.

VIDEO : लिप्स मेकअप का ये है आसान तरीका

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एमआरपी से ज्यादा दाम वसूलने पर अब हो सकती है सजा

एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं. ऐसे में सरकार अब एक्शन में आ गई है. उपभोक्ता मंत्रालय ने इससे निपटने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है. इसके तहत एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने पर अब पांच लाख के जुर्माने के साथ-साथ दो साल तक जेल भी हो सकती है. बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर केंद्र सरकार कानून में संशोधन करने जा रही है. उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मौजूदा हालातों में जो प्रावधान हैं उनमें जुर्माने और सजा का प्रावधान काफी कम है.

लीगल मेट्रोलौजी एक्ट’ में होगा संशोधन

पिछले महीने मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था. इस बैठक में जुर्माना व सजा को बढ़ाने पर सहमति बनी थी. इसके तहत मंत्रालय ने एमआरपी की अधिक कीमत वसूलने पर सख्ती करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इसके लिए ‘लीगल मेट्रोलौजी एक्ट’ की धारा 36 में जल्द संशोधन किया जाएगा.

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अभी कितना है जुर्माना

मौजूदा व्यवस्था को देखें तो पहली गलती पर 25000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है. इसमें संसोधन कर इस राशि को एक लाख रुपए करने का प्रस्ताव है. वहीं, दूसरी गलती पर मौजूदा जुर्माना 50000 रुपए है, जबकि इसे 2.5 लाख रुपए किए जाने का प्रस्ताव है. तीसरी गलती पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है. वहीं, इसमें भी संसोधन कर इसे 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है.

संशोधित कानून में बढ़ेगी सजा

मौजूदा समय में एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने पर 1 साल तक की सजा का प्रावधान है. अब इसे 1 साल, 1.5 साल और 2 साल तक की सजा करने का प्रस्ताव दिया गया है. अभी उपभोक्ता मंत्रालय के पास 1 जुलाई 2017 से 22 मार्च 2018 तक 636 शिकायतें मिलीं हैं. पिछले नौ महीने में सबसे ज्यादा शिकायतें महाराष्ट्र से मिलीं हैं. इसके बाद यूपी से 106 और दिल्ली से सिर्फ 3 शिकायतें मिली हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक, इस प्रकार के लाखों मामले हो सकते हैं, लेकिन जागरुकता की कमी के कारण बहुत कम लोग शिकायत कर पा रहे हैं.

कैसे और कहां करें शिकायत

  • 1800-11-4000 उपभोक्ता टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं
  • +918130009809 पर एसएमएस से पूरी जानकारी दे सकते हैं
  • उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट gov.in पर भी औनलाइन शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं
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इस खिलाड़ी के बौल टेंपरिंग पोस्ट पर लोगों का हमला, कहा अपने दिन मत भूलो…

औस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा स्टीव स्मिथ की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में गेंद के साथ छेड़छाड़ करने से क्रिकेट जगत हैरान है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन कैमरन बेनक्रौफ्ट ने गेंद पर पीले टेप का उपयोग किया, जो कैमरे में कैद हो गया. दिन का खेल खत्म होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में स्टीव स्मिथ ने स्वीकार किया कि गेंद के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिसकी जानकारी टीम के अन्य खिलाड़ियों को भी थी.

इसके बाद से औस्ट्रेलिया टीम की चारों तरफ आलोचना हो रही है. स्मिथ को कप्तानी, डेविड वार्नर को उप-कप्तानी से हटा दिया गया. बेनक्रौफ्ट पर मैच फीस का 75 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया और आईसीसी ने उन्हें 3 डिमेरिट अंक दिए हैं. स्मिथ पर एक मैच का बैन और मैच फीस का 100 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया.

बहरहाल, इतने बड़े विवाद के बीच पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वकार यूनिस ने लोगों का आकर्षण अपनी तरफ खींचने के लिए एक ट्वीट किया, जिसके बाद वह अपनी ही की गई टिप्पणी से फैंस के निशाने पर आ गए.

वकार का पोस्ट और लोगों का हमला

दरअसल, वकार ने ट्वीट किया कि पिछले औस्ट्रेलियाई मैचों की भी जांच हो. उन्होंने पहले भी ऐसा किया होगा. वकार ने लिखा- ‘मुझे मत बताना कि ऐसा पहली बार हो रहा है… हमें कुछ पुरानी फुटेज भी देखनी चाहिए…’

इस पोस्ट के बाद वकार को तारीफ के बजाय आलोचनाएं ज्यादा झेलनी पड़ी. वह ट्रोल हो गए. वकार के पोस्ट पर जवाब देते हुए फैंस ने वह फोटो भी डाल दी, जिसमें खुद वकार बौल टेंपरिंग करते दिख रहे हैं. याद हो कि 18 साल पहले गेंद से छेड़छाड़ के मामले में वकार यूनिस सस्पेंड हुए थे. तब मैच रेफरी जौन रीड ने ट्राई सीरीज के बीच श्रीलंका के खिलाफ वकार को सस्पेंड कर दिया था.

इस शर्मनाक हरकत के कारण निलंबित होने वाले पहले खिलाड़ी बने थे वकार

जुलाई 2000 में वकार ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट के दौरान गेंद से छेड़छाड़ की थी. बौल टेपरिंग मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निलंबित होने वाले वह पहले खिलाड़ी (एक मैच के लिए) थे. तेज गेंदबाज पर मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया गया था.

इससे पहले भी कई दिग्‍गज खिलाड़ी पर लग चुके हैं बौल टैंपरिंग के आरोप

ऐसा पहली बार नहीं है जब बौल टैंपरिंग की वजह से क्रिकेट जगत में भूचाल आया है. इससे पहले भी कई बार यह मुद्दा उठ चुका है और कई दिग्‍गज खिलाड़ी पर यह आरोप लगाए जा चुके हैं.

फाफ डु प्‍लेसिस (2016)

नवंबर 2016 में औस्‍ट्रेलिया के खिलाफ एडीलेड टेस्‍ट में दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी फाफ डु प्‍लेसिस को बौल टैंपरिंग करते देखा गया. उनके मुंह के मिंट के उपयोग से बौल की कंडीशन को बदलते देखा गया. उनको आईसीसी के सेक्‍शन 42(3) का दोषी पाया गया और दंड स्‍वरूप पूरे मैच की फीस काट ली गई.

शाहिद आफरीदी (2010)

पर्थ में औस्‍ट्रेलिया और पाकिस्‍तान के बीच वनडे मैच हो रहा था. उसमें पाकिस्‍तानी कप्‍तान शाहिद आफरीदी को बाल के एक तरफ के हिस्‍से को दांतों से चबाते हुए देखा गया. इसके बाद उनको दो मैचों के लिए निलंबित कर दिया गया और बाद में उन्‍होंने माफी मांग ली.

सचिन तेंदुलकर (2001)

नवंबर, 2001 में पोर्ट एलिजाबेथ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्‍ट मैच में सचिन तेंदुलकर के खिलाफ बौल टैंपरिंग का आरोप लगा. मैच रेफरी माइक डेनिस ने उन पर एक मैच का बैन लगा दिया. सचिन ने अपने बयान में कहा कि उन्‍होंने बौल की सीम को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की, वह तो केवल बौल पर लगी घास को हटा रहे थे. खेल प्रशंसकों ने डेनिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. आईसीसी ने तेंदुलकर को आरोपों से मुक्‍त कर दिया.

माइकल अथर्टन(1994)

इंग्‍लैंड के इस प्‍लेयर पर 1994 में आरोप लगा कि उन्‍होंने अपनी पौकेट में से कोई चीज निकालकर बौल पर रगड़ी. अथर्टन ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वह अपने पौकेट में जमा मिट्टी से अपने हाथ सुखाने का प्रयास कर रहे थे. उन पर बौल टैंपरिंग का चार्ज नहीं लगाया गया और दो हजार पौंड जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया.

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बौल टैंपरिंग मामले में हरभजन ने कसा तंज, कहा वाह आईसीसी

भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने आस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज कैमरन बेनक्रोफ्ट पर मैच फीस का सिर्फ 75 प्रतिशत जुर्माना और प्रतिबंध नहीं लगाने के आईसीसी के फैसले की निंदा की. हरभजन ने 2001 के दक्षिण अफ्रीका टेस्ट का जिक्र किया जब पांच भारतीयों सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, शिवसुंदर दास, दीपदास गुप्ता और उन पर मैच रैफरी माइक डेनिस ने विभिन्न अपराधों में कम से कम एक टेस्ट का प्रतिबंध लगाया था.

उन्होंने 2008 के सिडनी टेस्ट का भी हवाला दिया जब एंड्रयू साइमंडस के खिलाफ कथित नस्लीय टिप्पणी के कारण उन पर तीन टेस्ट का प्रतिबंध लगाया गया था. हरभजन ने ट्वीट किया ,‘‘वाह आईसीसी वाह. फेयरप्ले. बेनक्रोफ्ट पर कोई प्रतिबंध नहीं जबकि सारे सबूत थे. वहीं 2001 में दक्षिण अफ्रीका में जोरदार अपील करने के कारण हम छह पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और वह भी बिना सबूत के. और सिडनी 2008 तो याद होगा. दोषी साबित नहीं होने पर भी तीन टेस्ट का प्रतिबंध. अलग अलग लोग अलग अलग नियम.’’

दक्षिण अफ्रीका और औस्ट्रेलिया के बीच तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन हुई बौल टैंपरिंग की घटना के बाद मचे बवंडर में अब आईसीसी ने अपना फैसला सुनाया था. इस कृत्य को अंजाम देने वाले आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज केमरन बेनक्रौफ्ट और टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ की सजा का ऐलान किया था. इस घटना में स्टीव स्मिथ ने प्रेस कौन्फ्रेंस कर अपनी गलती पहले ही मान ली थी. मैच के चौथे दिन स्मिथ ने टीम की कप्तानी छोड़ दी.

गौरतलब है कि इस घटना ने पूरे क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है. चारों तरफ आस्ट्रेलिया टीम की जमकर आलोचना की जा रही है. यहां तक कि आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री तक ने इस घटना की निंदा की है.

बिशन सिंह बेदी ने भी की कड़ी आलोचना

भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने आस्ट्रेलिया के शीर्ष क्रिकेटरों से जुड़े गेंद से छेड़खानी विवाद को आधुनिक क्रिकेट की बड़ी त्रासदियों में से एक बताते हुए खिलाड़ियों को खेल को संकट में डालने के लिये कसूरवार ठहराया. बेदी ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि गलती हुई है और इसके लिये खिलाड़ी जिम्मेदार हैं. कप्तान ने इसे स्वीकार कर लिया है और शीर्ष प्रबंधन ने भी. यह एक या दो खिलाड़ियों का काम नहीं है. मेरे ख्याल से यह आधुनिक क्रिकेट की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है.’

बेदी ने कहा कि युवाओं को सही संदेश देने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘कड़ी सजा की कोई सीमा नहीं होनी चाहिये. हम युवाओ को गुमराह करते हैं. हर कीमत पर जीतने का रवैया गलत है. जीतना अहम है, लेकिन सही तरीके से जीतने का संदेश देना चाहिये.’ भारत के पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा ने कहा कि आईसीसी को देखना है कि खेल किस दिशा में जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘यदि कोई गेंद को चकता रहा है तो उसमें बदलाव भी कर रहा है. अभी देखना होगा कि नियम क्या कहते हैं क्योंकि मैने घटना देखी नहीं है.’

पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान क्लार्क ने कहा, धोखा – कह दो, यह बुरा सपना है पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा कि गेंद छेड़छाड़ प्रकरण आस्ट्रेलियाई टीम के लिये‘ बुरा सपना’ है और पूर्व क्रिकेटरों ने इसमें लिप्त खिलाड़ियों की निंदा की. आस्ट्रेलियाई टीम के पूर्व कप्तान क्लार्क ने ट्वीट किया, ‘‘ यह क्या है…. क्या मैं अभी सोकर उठा हूं. कृपया मुझे बताईये कि यह बुरा सपना है.’

नासिर हुसैन, शेन वार्न ने भी की निंदा

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने भी इस प्रकरण में अपनी प्रतिक्रिया नहीं छुपायी, उन्होंने कहा, ‘आस्ट्रेलियाई टीम की यह धोखाधड़ी करने की पूर्व नियोजित योजना थी.’ आस्ट्रेलिया के महान क्रिकेटर शेन वार्न ने कहा कि जिसने भी बैनक्रोफ्ट को धोखाधड़ी करने को कहा, उसकी पहचान की जानी चाहिए. पूर्व लेग स्पिनर वार्न ने कहा, मुझे कैमरन बैनक्रोफ्ट के लिये सहानुभूति है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि उसने यह खुद किया होगा और यह अपनी जेब मे डाला होगा.’

उन्होंने कहा, ‘किसने उसे ऐसा करने के लिये कहा? यह ढूंढना अहम है. मुझे लगता है कि हमें इसकी तह तक जाना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ और ऐसी क्या वजह थी.’ वार्न ने कहा, ‘आपको जिम्मेदारी लेनी होगी. आप पकड़े गये हो और आपको जिम्मेदारी लेनी होगी कि आप क्या छुपा रहे थे. आप मैच में ऐसा नहीं कर सकते.’ इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा कि पूरी आस्ट्रेलियाई टीम और कोच हमेशा धोखेबाज के रूप में याद रखे जायेंगे. वान ने कहा ,‘‘एक मैच का प्रतिबंध और मैच फीस का शत प्रतिशत जुर्माना स्मिथ के लिये. बेनक्रोफ्ट पर 75 प्रतिशत जुर्माना और डिमेरिट अंक. यह समय मिसाल कायम करने का था और यह कैसी सजा सुनाई है.’’

वान ने ट्विटर पर लिखा, ‘स्टीव स्मिथ, उनकी टीम और सारे प्रबंधन को स्वीकार करना होगा कि उनके करियर को जो कुछ भी हो, उन्हें खेल में धोखाधड़ी करने की कोशिश के लिये याद रखा जाएगा.’  इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज केविन पीटरसन को इस बात का यकीन नहीं था कि कोच डेरेन लीमैन को इस घटना की जानकारी नहीं थी. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा, ‘‘एक मैच का प्रतिबंध और मैच फीस का शत प्रतिशत जुर्माना स्मिथ के लिये. बेनक्रोफ्ट पर 75 प्रतिशत जुर्माना और डिमेरिट अंक. यह समय मिसाल कायम करने का था और यह कैसी सजा सुनाई है.’’

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मां की बरसी पर भावुक हुए अर्जुन कपूर, शेयर की तस्वीर

बौलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस श्रीदेवी के निधन के बाद अर्जुन कपूर अपनी सौतेली बहन जाह्नवी कपूर और खुशी कपूर का ध्यान रख रहे हैं. अर्जुन की बहन अंशुला कपूर भी अपनी बहनों के साथ खड़ी नजर आईं. अर्जुन कपूर ने इसी बीच अपनी मां मोना कपूर को याद करते हुए एक तस्वीर शेयर की है. तस्वीर के साथ ही अर्जुन ने एक भावुक कर देने वाला खत भी लिखा है. दरअसल बोनी कपूर की पहली पत्नी और अर्जुन कपूर की मां मोना कपूर ने 25 मार्च 2012 को दुनिया को अलविदा कहा था. अर्जुन ने यह तस्वीर मां की बरसी पर 25 मार्च यानी रविवार को शेयर की है.

अर्जुन ने मां की बरसी में इमोशनल मैसेज में लिखा, मैं आज पटियाला में शूटिंग कर रहा हूं, काश मैं आपको फोटो भेज पाता यह दिखाने के लिए की यह लोकेशन कितनी खूबसूरत है. मां आप मेरी फिल्मों को देखने के लिए आप मेरे साथ रेड कारपेट पर नहीं चल सकीं. यकीन नहीं होता कि 6 साल हो गए. पिछले छह सालों में आप हमेशा मेरे साथ रहीं और मेरी 9 फिल्मों की साथी हैं. अर्जुन ने अपनी बहन का जिक्र करते हुए लिखा, हमें नहीं पता हम लाइफ में कितना अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन आपने हमें जो सिखाया है हम उसी रास्ते में चल रहे हैं. मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं.

As I was shooting by a canal today in Patiala wishing I could send u a picture of how nice the location was Mom I realised I never quite got to walk the red carpet with u to show u one of my films but I’m certain in the last 6 years u have walked every step of the way with me thru these 9 films Along with mine & Anshula s personal journeys…wish u were here Mom so much has transpired so much where I would have looked at u for answers and looked at u to draw strength…I don’t know if I’m doing a decent job at it but I’m taking one day at a time and making each moment count trying to be a truthful reflection of u n ur teachings…can’t believe it’s been 6 years to the day but I have thought of u every breath I have taken pls smile spread ur warmth n positivity wherever u are cause god knows the world me and Anshula need it…love u forever and beyond…

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मोना शौरी कपूर उस समय अर्जुन को हमेशा के लिए अकेला छोड़ गई थी जब उनकी डेब्यू फिल्म ‘इशकजादे’ रिलीज होने वाली थी. मोना शौरी कपूर एक पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती थी. साल 1983 में मोना और बोनी की अरेंज मैरिज हुई थी. शादी के वक्त मोना की उम्र 19 साल थी जबकि बोनी कपूर उनसे 10 साल बड़े थे. बोनी और मोना की शादी 13 साल तक ही चल सकी, इसके बाद बोनी की श्रीदेवी से नजदीकियां बढ़ने लगी जिसके कारण मोना ने बोनी कपूर से तलाक ले लिया था. बोनी और मोना कपूर के दो बच्चे अर्जुन कपूर और अंशुला कपूर हैं.

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औस्कर को अमेरिका तक सीमित क्यों मानती हैं रिचा चड्ढा

बौलीवुड अभिनेत्री रिचा चड्ढा ‘‘गैंग आफ वासेपुर’’, ‘‘मसान’’, “फुकरे रिटर्न’’ सहित कई बेहतरीन फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुकी हैं. वह अपनी फिल्मों की ही वजह से तीन बार ‘कान फिल्म फेस्टिवल’ जा चुकी हैं.

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कुछ दिन पहले ही रिचा चड्ढा अपने प्रेमी व अभिनेता अली फजल का मनोबल बढ़ाने के लिए उनके साथ अमेरिका गयी थीं. वहां औस्कर अवार्ड में अली फजल की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’’ मेकअप व कास्ट्यूम के लिए नोमीनेट हुई थी. औस्कर अवार्ड की समाप्ति के बाद अब रिचा चड्ढा अमेरिका से वापस लौटी हैं.

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तीन बार कान फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा रहने के बाद और ‘औस्कर’ अवार्ड को बाहर से समझने के बाद रिचा चड्ढा मानती हैं कि दोनों में जमीन आसमान का अंतर है.

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हमसे एक्सक्लूसिव बात करते हुए रिचा चड्ढा ने कहा- ‘‘कान फिल्म फेस्टिवल में यूरोपीय सिनेमा के साथ साथ पूरे विश्व के सिनेमा को महत्व दिया जाता है. मगर औस्कर में ज्यादातर अमेरिकन फिल्मों को ही महत्व दिया जाता है. औस्कर में विश्व सिनेमा को लेकर एक छोटी सी कैटेगरी है, जिसे ‘फारेन लैंगवेज’ की कैटेगरी नाम दिया गया है. औ

औस्कर में ब्रिटिश व अमेरिकन फिल्मों का ही महत्व होता है. यूरोपीय सिनेमा को भी कम महत्व मिलता है. पर ‘कान’ में पूरे विश्व को महत्व मिलता है. इसी वजह से ‘कान’ में ‘गैंग्स औफ वासेपुर’, ‘मसान’ सहित कई भारतीय फिल्में जा चुकी हैं. वहां ब्राजील की फिल्में भी आती हैं. इनकी एक शर्त होती है कि यदि आपके देश की कोई फिल्म ‘कान फिल्म फेस्टिवल’ का हिस्सा बनना चाहती है, तो उस फिल्म को उनके देश में दो हफ्ते दिखाया जाना चाहिए. मुझे यह जायज लगता है.’’

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इन तरीकों को अपनाकर अपने स्मार्टफोन को बनाएं और भी सुरक्षित

कंप्यूटर की ही तरह स्मार्टफोन में भी सुरक्षा से सम्बंधित कई परेशानियां आती हैं. अब तक एंड्रौयड पर वायरस के कई हमले भी हो चुके हैं. ऐसा माना जाता है की एंड्रौयड स्मार्टफोन्स के मुकाबले ऐप्पल का आईओएस कहीं अधिक सुरक्षित है. लेकिन हर स्मार्टफोन में यह खतरा होता ही है. पिछले साल सितंबर में आई एक रिपोर्ट के अनुसार एंड्रौयड प्लेटफार्म पर 30 प्रतिशत से ज्यादा रैनसमवेयर पाए गएं. इसी के साथ 10 मिलियन एंड्रौयड ऐप्स को सस्पीशियस की कैटेगरी में डाला गया.

अब, जब मोबाइल मालवेयर बढ़ रहे हैं, यूजर्स को यह सुनिश्चित करना जरुरी है की उनका फोन सुरक्षित हो. इन तरीकों को अपनाकर आप अपने मोबाइल को सुरक्षित रख सकते हैं.

फोन को रखें लौक : फोन लौक लगाने से सिर्फ डिवाइस सुरक्षित नहीं रहती बल्कि इससे दूसरे लोग आपके फोन के जरुरी डाटा को एक्सेस भी नहीं कर पाते. कुछ सालों पहले डिवाइस को लौक करना थोड़ा मुश्किल या लम्बा काम लगता था. लेकिन अब फिंगरप्रिंट सेंसर और फेस अनलौक जैसी टेक्नोलौजी के चलते फोन को सुरक्षित रखना और भी आसान हो गया है. इसी के साथ फोन के रीस्टार्ट होने पर भी पहले पिन लौक जरुर डाल के रखें.

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औपरेटिंग सिस्टम को रखें अपडेट : एंड्रौयड यूजर्स में औपरेटिंग सिस्टम को अपडेट ना रखने की आदत है. एंड्रौयड का सबसे आम औपरेटिंग सिस्टम नौगट 7 का फरवरी 2018 तक मात्र 28.5 फीसद मार्किट शेयर रहा है. ऐप्पल यूजर्स के मामले में यह परिस्थिति थोड़ी बेहतर है. आईओएस के लेटेस्ट वर्जन 11.2 का मार्किट शेयर 70 फीसद है.

कई एंड्रौयड यूजर्स को उनके हैंडसेट पर लेटेस्ट अपडेट्स ना मिलने की भी शिकायत रहती है. इससे यूजर्स के फोन्स आसानी से वायरस की चपेट में आ सकते हैं. इस स्थिति में अगर आपके मोबाइल पर लम्बे समय से अपडेट नहीं आ रहे हैं तो या तो आप कस्टमर केयर सेंटर जा के इसका कुछ निवारण निकालें या अपना हैंडसेट बदलने की योजना बनाएं. इसी के साथ नया स्मार्टफोन खरीदते समय ऐसा हैंडसेट खरीदें जिस पर अपडेट्स मिलती हों.

असुरक्षित ब्रैंड्स के फोन लेने से बचें : कुछ फोन्स समय-समय पर अपडेट्स मिलने के लिए मशहूर होते हैं. इनमें गूगल पिक्सल, ऐप्पल आईफोन आदि सम्मिलित हैं. बजट स्मार्टफोन्स में भी कई विकल्प मौजूद हैं. कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं जिन्हें डाटा सुरक्षा के मामले में सही नहीं माना जाता. ऐसे ब्रैंड्स के स्मार्टफोन लेने से बचें.

एन्क्रिप्शन : अपनी फोन स्टोरेज को एन्क्रिप्ट कर के रखें. आपके स्मार्टफोन में ईमेल, कौंटैक्ट्स, फाइनेंशियल ऐप्स आदि जरुरी डाटा होता है. अगर आपका फोन गुम जाए या चोरी हो जाए तो आप नहीं चाहेंगे की आपकी जरुरी जानकारी किसी गलत हाथ में पड़े. इसलिए अपने फोन की स्टोरेज को एन्क्रिप्ट कर के रखें. इससे अगर किसी और के हाथों में आपका फोन जाता भी है तो आपका डाटा सुरक्षित रहेगा.

वायरस के लिए करें स्कैन : मोबाइल डिवाइसेज में आजकल आसानी से वायरस आ जाते हैं. इससे बचने के लिए समय-समय पर अपने फोन को स्कैन करते रहें. गूगल प्ले के ऐप्स में भी कई बार वायरस आ जाते हैं. इससे बचने के लिए किसी भी ऐप को किसी भी सोर्स से डाउनलोड करने से पहले स्कैन कर लें.

फोन को जेलब्रेक ना करें : आईफोन यूजर्स अक्सर अपनी डिवाइसेज को जेलब्रेक करते हैं. ऐसा करने से डिवाइसेज सुरक्षित नहीं रहती. इसी तरह, एंड्रौयड यूजर्स अपने फोन को रुट करते हैं. इन दोनों ही प्रक्रियाओं में यूजर का फोन सुरक्षित नहीं रहता इसलिए ऐसा करने से बचें.

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पीएनबी पर मंडरा रहा है डिफाल्टर होने का खतरा

भारतीय बैंकिंग जगत में देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक यानि पंजाब नेशनल बैंक पर डिफाल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है. भारतीय बैकिंग के इतिहास में इस अभूतपूर्व घटना से बचने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक औफ इंडिया को दखल देना पड़ सकता है. बता दें कि पंजाब नैशनल बैंक की ओर से जारी लेटर औफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) के आधार पर यूनियन बैंक औफ इंडिया ने करीब 1000 करोड़ रुपये के लोन दिए थे, जिनकी अदायगी उसे अगले कुछ ही दिनों में करनी होगी, यानी कि अगर पीएनबी 31 मार्च तक वह रकम नहीं लौटाता है तो यूनियन बैंक औफ इंडिया उसे डिफाल्टर घोषित कर देगा. यही नहीं यूनियन बैंक के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक को दिए लोन को एनपीए भी घोषित किया जा सकता है.

जानकारों के मुताबिक अगर सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा इस मामलें में जल्द हस्तक्षेप कर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो बैकिंग इतिहास में यह पहला मामला होगा जब कोई एक बैंक देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक को डिफाल्टर की सूची में डालेगा.

यूनियन बैंक के एमडी राजकिरण राय ने कहा, ‘हमारे लिए तो यह पीएनबी के सपौर्ट वाले डौक्युमेंट्स पर वैध दावा है. यह हमारे बही-खाते में फ्रौड नहीं है. हम औडिटर्स से राय लेंगे. हालांकि हम नहीं चाहते हैं कि पीएनबी को डिफाल्टर के रूप में लिस्ट किया जाए. हमें सरकार या आरबीआई की ओर से दखल दिए जाने की उम्मीद है क्योंकि 31 मार्च तक रिजौल्यूशन होना है.’

लेटर औफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू)

एलओयू आमतौर पर व्यापार के लिए आसान और सस्ता साधन माना जाता है. कुछ बैंकों ने आरबीआई के अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा भी की है. हाल में एलओयू से धोखाधड़ी के मामलों का खुलासा होने के बाद रिजर्व बैंक ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. एक बैंकर के मुताबिक इंडस्ट्री को जल्द एलओयू का विकल्प मिलेगा. बता दें कि एलओयू के जरिए 20 से 40 बिलियन डालर का व्यापार होता रहा है. अमेरिकी फेडरर की आसान मनी पौलिसी से डालर की तरलता के बीच इसमें पिछले सात से आठ वर्षों में बढ़ोत्तरी हुई थी.

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तथाकथित ब्रह्मज्ञानी रजनीश का भ्रमजाल

किस तरह मध्य प्रदेश के एक शहर जबलपुर का दर्शनशास्त्र का प्राध्यापक अपनी भोगविलास की सांसारिक अभिलाषाओं को पूरा करने के लिए अपने ज्ञान व तर्कशक्ति के बल पर शब्दों का ऐसा चक्रव्यूह रचने में कामयाब रहा जिस में दुनियाभर के धुरंधर विद्वान भी बिना फंसे नहीं रह सके और किस तरह लोग उस के एक इशारे पर लाखों डौलर लुटाने के लिए तैयार हो जाते थे. किस तरह मामूली चप्पल, घड़ी व सूती पोशाक पहनने वाला व्यक्ति, हीरे जड़ी स्विस घडि़यां, महंगी राजसी पोशाक और महंगे गुच्ची चश्मे लगा कर दुनिया की सब से कीमती कार रौल्स रौयस में घूमने लगा. किस तरह प्राध्यापक से आचार्य रजनीश, फिर भगवान रजनीश और आखिर में ओशो नाम धारण करने वाला यह ढोंगी, लालची व कामुक इंसान भारत से ले कर अमेरिका तक में करोड़ोंअरबों रुपए की संपत्ति खड़ी करने में कामयाब रहा.

इस की एक ऐसी अजीबोगरीब दास्तान है जिस में किसी सस्ते सैक्स उपन्यासों जैसा रस तो है ही, साथ ही धर्म का घिनौना स्वरूप भी देखने को मिलता है. पूरी दास्तान का दिलचस्प विवरण रजनीश की एक पूर्व प्रेमिका आनंद शीला ने अपनी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक ‘डौंट किल हिम’ में पेश किया है.

शीला ने खुद यह स्वीकार किया है कि उस की दिलचस्पी रजनीश के आध्यात्मिक ज्ञान में नहीं थी, वह तो उन से प्यार करने लगी थी. रजनीश से अपनी पहली मुलाकात का विवरण इस गुजराती महिला ने कुछ इन शब्दों में दिया है :

‘‘मुंबई में हम अपने जिस चचेरे भाई के यहां ठहरा करते थे उस के सामने के ही बंगले में रजनीश रह रहे थे. सो, मेरी उन से मिलने की इच्छा जल्दी ही पूरी हो गई. यह मुलाकात मेरे जीवन की एक नई शुरुआत में बदल गई. उन की सचिव योग लक्ष्मी ने हमारा स्वागत किया. कुछ क्षण बाद ही मैं अपने पिता के साथ रजनीश के कमरे में जा पहुंची. उन्होंने मुसकराते हुए अपने हाथ फैला कर मेरा स्वागत किया. मैं आनंदविभोर हो कर सीधे उन के आलिंगन में समा गई थी, कुछ क्षण बाद उन्होंने अपना आलिंगन ढीला कर दिया, लेकिन मेरा हाथ फिर भी पकड़े रखा. मैं ने पूरे आत्मसमर्पण के भाव से अपना सिर उन की गोद में रखा हुआ था और अचानक मुझे लगा कि मैं उन के बिना एक पल भी नहीं रह सकती.’’

रजनीश ने शीला को अगले दिन दोपहर के ढाई बजे फिर मिलने के लिए बुलाया. शीला दूसरी मुलाकात के लिए बहुत बेचैन और उस ने बड़ी मुश्किल से रात बिस्तर पर करवटें बदलते हुए काटी. दूसरी मुलाकात में शीला ने रजनीश को बताया कि उस के लिए रात काटना मुश्किल हो गया था. इस पर रजनीश का उत्तर था, ‘‘शीला, यह बिलकुल सीधी बात है, तुम मेरे से प्यार करने लगी हो और मैं भी तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

यह शायद रजनीश का शीला जैसी अल्हड़ जवान लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसाने का एक हथकंडा था, जो वे अपने पास आने वाली हरेक जवान लड़की पर आजमाते रहे होंगे. और इस प्रकार रजनीश के प्रेम में पागल शीला सबकुछ छोड़छाड़ कर रजनीश की शिष्या बन गई थी. भगवा वस्त्र, गले में रजनीश के फोटो वाला लौकेट और रजनीश द्वारा दिया गया उस का नया नाम, ‘मां आनंद शीला’.

रजनीश के निकट पहुंचने के बाद शीला ने महसूस किया कि सैक्स के प्रति उन की किसी तरह की कोई वर्जना नहीं थी. इतना ही नहीं वे एक कुशल व्यापारी भी थे और आदमी की मूलभूत कमजोरियों का लाभ उठाना जानते थे. वे जल्दी ही मुंबई छोड़ कर पूना जा पहुंचे जहां उन्होंने अपने विदेशी शिष्यों के पैसे से कुछ ही समय में एक भव्य आश्रम खड़ा कर लिया. वे अपनी सभी योजनाओं के महत्त्व, उन के बाजार और उन की मांग से वाकिफ थे. पूना आश्रम कुछ इस तरह चलता था कि वहां आने वाले हरेक व्यक्ति को आश्रम की हरेक गतिविधि में भाग लेने के लिए एक निर्धारित फीस देनी पड़ती थी, यहां तक कि उन का प्रवचन सुनने के लिए भी टिकट खरीदना पड़ता था.

उन्होंने विदेशी मनोचिकित्सक को बुला कर थैरेपी के अलगअलग कोर्स शुरू कर दिए थे. हर व्यक्ति अपनी इच्छा या जरूरत के मुताबिक कोई भी कोर्स चुन सकता था. भारत के लिए इस तरह के कोर्स एक नई बात थी. इन कोर्स में सब से लोकप्रिय कोर्स था सामूहिक सैक्स वाला, जिस में लोग चीखनेचिल्लाने के अलावा सामूहिक रूप से यौन क्रीड़ा में लिप्त हो जाते थे.

इस कोर्स का केवल एक ही नियम था कि बिना एकदूसरे की सहमति के यौन क्रीड़ा में लिप्त नहीं हुआ जा सकता. कई बार इस कोर्स में भाग लेने वाले व्यक्ति चीखतेचिल्लाते थे और अकसर यौन क्रीड़ाएं हिंसक रूप धारण कर लेती थीं. सैक्स को रजनीश अनेक दुखों का कारण मानते थे और अपने शिष्यों के मन से सैक्स संबंधी सभी वर्जनाएं समाप्त कर के उन्हें खुली छूट दे देते थे.

आश्रम में सैक्स से जुड़ी सारी नैतिक मान्यताओं को खंडित कर दिया गया था और हरेक आश्रमवासी को किसी भी स्त्री के साथ सोने की खुली छूट थी बशर्ते वह स्त्री भी उस पुरुष के साथ सोने के लिए तैयार हो. यह एक तरह का हिप्पियों जैसा कल्चर था, जिस में सैक्स के साथसाथ मादक पदार्थों का सेवन भी जुड़ गया था. लेकिन, आश्रम में किसी लड़की का गर्भवती होना ठीक नहीं माना जाता था. अगर कोई स्त्री गर्भवती हो जाती थी तो रजनीश उसे गर्भपात करवाने की सलाह देते थे.

खुले यौनाचार का नतीजा यह हुआ कि 70 से 80 प्रतिशत आश्रमवासी यौन रोगों से पीडि़त हो गए, जिस के कारण बाद में कंडोम के इस्तेमाल पर बल दिया जाने लगा. अब रजनीश दुनियाभर में सैक्स गुरु के रूप में मशहूर हो गए थे और पूरी दुनिया से लोग कुछ समय के लिए अपने मानसिक तनाव दूर करने व एक व्यस्त जिंदगी से कुछ दिनों की नजात पाने के लिए रजनीश के पूना स्थित आश्रम में आने लगे थे. अब आश्रम में पैसे की कोई कमी नहीं रही थी और आसपास के सारे बंगले महंगे दामों पर खरीद कर उन्हें भी आश्रम में ही शामिल कर लिया गया था. इस के बावजूद आश्रम में रजनीश के शिष्यों की भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि इन तथाकथित संन्यासियों को बारीबारी से अलगअलग पारियों में सुलाना पड़ता था.

दिनबदिन अनुयायियों की बढ़ती भीड़ के कारण आश्रम में गंदगी बढ़ती जा रही थी और लोग बीमार पड़ने लगे थे. हालांकि आश्रम के भीतर ही गर्भपात व दूसरे इलाजों के लिए एक अस्पताल बना दिया गया था, लेकिन यह अस्पताल भी बीमारों की बढ़ती भीड़ के कारण छोटा पड़ने लगा था.

नौबत यहां तक आ पहुंची थी कि स्वयं रजनीश भी अकसर बीमार रहने लगे. दमा, मधुमेह, कमर का दर्द और रोज मिलने वाली मौत की धमकियों के कारण वे अब अपने कमरे तक ही सीमित रहने लगे थे. इन बीमारियों के कारण उन्हें अपने दैनिक प्रवचन बंद करने पड़े. उन के सभी करीबी शिष्य इस बात की कोशिश में पूरी तरह जुट गए कि किसी तरह उन्हें स्वस्थ रखा जा सके. परफ्यूम व सैंट की खुशबू से उन का दमा भड़क जाता था, इसलिए उन से मिलने वाले हरेक व्यक्ति पर कड़ी नजर रखी जाने लगी और अगर उन में से किसी ने परफ्यूम या सैंट लगाया होता था तो उसे रजनीश से मिलने की इजाजत नहीं दी जाती थी.

उक्त खुले यौनाचार के बारे में शीला ने अपनी पुस्तक में बड़ा दिलचस्प वर्णन किया है. उस ने जब एक संन्यासी से इस विषय में बात की तो उस ने बताया कि सुबह नाश्ते के बाद उसे एक लड़की भा गई थी, उस के बाद दोपहर के भोजन के बाद एक अन्य सुंदरी उस के पास चली आई, जबकि रात को वह एक तीसरी लड़की के साथ सोया था. इस पर शीला ने उस से व्यंग्य में कहा था, ‘तो हरेक खाने के बाद तुम्हें डैजर्ट (कुछ मीठा व्यंजन) खाने की आदत पड़ गई है.’

अब तक शीला रजनीश के कुछ गिनेचुने अंतरंग लोगों में शामिल हो गई थी और रजनीश ने आश्रम के संचालन की बहुत सारी जिम्मेदारियां भी उसे सौंप दी थीं. तभी ‘भगवान’ ने शीला के समक्ष अपना एक अनोखा कम्यून बनाने का सपना विस्तार से रखा, जिसे वे अमेरिका में स्थापित करना चाहते थे. शीला ने उत्तरपश्चिमी अमेरिका के औरेगौन नामक स्थान पर 65 हजार एकड़ में फैली एक निर्जन जगह खरीद कर उन के इस सपने को साकार कर दिखाया.

रजनीश शीला के इस काम से बहुत प्रभावित हुए थे और उसे इस कम्यून का सर्वेसर्वा बना दिया था. कम्यून के सभी कार्यक्रम ठीक ढंग से चलने लगे थे. रजनीश के सपने के आखिरी अध्याय की शुरुआत हो चुकी थी. रजनीश अकादमी और एक भव्य पुस्तकालय का काम भी शुरू हो चुका था. रजनीश के प्रवचनों की पुस्तकें यथासमय प्रकाशित होने लगी थीं, अलगअलग उत्सवों का आयोजन भी नियमित रूप से होने लगा था.

रजनीश दुनियाभर में सब से ज्यादा विवादास्पद व विलक्षण व्यक्ति के रूप में उभर कर सामने आ चुके थे. इन सब के साथ ही यूरोप में फैले रजनीश के विभिन्न केंद्र भी बहुत सुचारु रूप से चल रहे थे और आएदिन आमदनी के नएनए स्रोत खुलते जा रहे थे. लेकिन रजनीश अब उदास रहने लगे थे. वे अपने जीवन में एक नए रोमांच की तलाश में थे और इसीलिए एक दिन उन्होंने शीला को अपने पास बुला कर आदेश दिया कि वह

30 दिन के भीतर उन के व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए 30 नई रौल्स रौयस कारें खरीद ले. दुनियाभर के सामने अपनेआप को भगवान स्थापित करने वाला तथाकथित आध्यात्मिक व्यक्ति अचानक एक ऐसे नन्हे बालक में तबदील हो गया था जिसे अपने मनोरंजन के लिए हर दिन एक नए खिलौने की तलाश होती थी.

इन 30 महंगी कारों को खरीदने के लिए तब 40 लाख डौलर की जरूरत थी और इतना नकद पैसा कम्यून के पास नहीं था. तब तक करोड़ों डौलर उस बयाबान में रजनीश का स्वप्नलोक बनाने में खर्च हो चुके थे. इस के अलावा कम्यून के रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए भी हर महीने एक बड़ी रकम की जरूरत पड़ती थी. लेकिन इन सब समस्याओं के बावजूद रजनीश को नाराज नहीं किया जा सकता था, इसलिए शीला ने किसी तरह कुछ नई जुगाड़ें बैठा कर उन के लिए इन कारों का बंदोबस्त कर दिया था.

एक दिन भारी बारिश के कारण कम्यून के पास स्थित बांध टूट गया था और चारों तरफ बाढ़ जैसी परिस्थितियां बन गई थीं. इस बाढ़ ने इतना विकराल रूप धारण कर लिया था, मानो वह पूरे कम्यून को ही निगल जाएगी. उस दिन रजनीश बहुत बुरे मूड में थे. उन का विवेक से झगड़ा हो गया था.

विवेक लंदन की वह औरत थी जो रजनीश के साथ इस तरह से रहती थी मानो वह उन की पत्नी ही हो. अकसर रजनीश दूसरी औरतों के साथ भी शारीरिक संबंध स्थापित करते थे और विवेक उस दिन उन के इसी व्यवहार के कारण भड़क गई थी. वह उन से झगड़ते समय उन्हें धमकी देती रहती थी कि वह उन्हें छोड़ कर चली जाएगी और सारी दुनिया को उन की सचाई बता कर उन्हें बरबाद कर देगी.

इस से पहले 1978 में पूना में भी वह किसी बात पर रजनीश से नाराज हो चुकी थी और अपनी स्त्रीसुलभ जलन के कारण उस ने उन से बदला लेने के लिए एक योजना बनाई थी. उस दिन वह बिना किसी कंडोम के उन के साथ सो गई और इस की वजह से वह गर्भवती हो गई. यह एक धर्मगुरु के लिए बहुत ही खतरनाक स्थिति थी, जो दुनिया की आंखों में रजनीश की प्रतिष्ठा को हमेशा के लिए धूल में मिला सकती थी. रजनीश को जब विवेक के गर्भवती होने की बात पता चली तो उन्होंने किसी तरह उस का गर्भपात करवा कर अपनेआप को इस स्थिति से बाहर निकाल लिया था.

उस भीषण बाढ़ वाले दिन कम्यून में भी किसी दूसरी औरत को ले कर रजनीश और विवेक का झगड़ा काफी बढ़ चुका था, इसलिए उन्होंने रेडियो पर संदेश भेज कर शीला को तुरंत अपने पास आने का आदेश दे डाला, क्योंकि वही उन्हें इस स्थिति से बाहर निकाल सकती थी. बाढ़ के कारण घोड़े के अलावा रजनीश के पास पहुंचने का और कोई साधन नहीं था.

जब शीला रजनीश के पास पहुंची तो उन्होंने उस से कहा कि वे विवेक से तंग आ चुके हैं और उस से छुटकारा पाना चाहते हैं. उन्होंने शीला को आदेश देते हुए कहा, ‘‘इस का लंदन का टिकट कटवा कर इसे तुरंत यहां से रवाना कर दो. अब मैं इसे एक मिनट के लिए भी बरदाश्त नहीं कर सकता.’’

शीला यह कह कर वापस अपने निवास पर लौट आई कि वह जल्दी से जल्दी उन के आदेश का पालन करेगी, लेकिन अपने निवास पर पहुंचते ही उसे रजनीश का यह संदेश मिला कि विवेक ने अपने दुर्व्यवहार के लिए माफी मांग ली है और वे उसे एक मौका और देना चाहते हैं.

शीला ने अपनी पुस्तक में इस किस्से का वर्णन करते हुए लिखा है : ‘‘इस हादसे से मुझे कई सीख मिलीं. पहली तो यह कि रजनीश भी सामान्य लोगों जैसी भावनाओं व कमजोरियों वाले व्यक्ति हैं और दूसरी यह कि एक तथाकथित ब्रह्मज्ञानी पुरुष भी सैक्स के बिना नहीं रह सकता.’’

शीला और रजनीश का साथ ज्यादा दिनों तक नहीं रह सका. एक दिन वह रजनीश को छोड़ कर स्विट्जरलैंड चली गई और उस के जाते ही कम्यून न सिर्फ विवादों में घिरता गया, बल्कि धीरेधीरे उस का अस्तित्व ही समाप्त हो गया. रजनीश ने शीला पर आरोप लगाया कि वह कम्यून के साढ़े 5 करोड़ डौलर ले कर भाग गई थी, इस के विपरीत शीला का कहना था कि कम्यून तो कर्जे में दबा हुआ था और उस के पास इतना पैसा कभी रहा ही नहीं.

शीला के अनुसार, वह रजनीश के पागलपन की मांगें पूरी करतेकरते तंग आ गई थी और इसीलिए उसे व उस के कई निकट साथियों को कम्यून छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन कम्यून छोड़ने से ही शीला को इस मामले से मुक्ति नहीं मिली. उस पर व आश्रम के अन्य लोगों पर अपने विरोधियों को जहर दे कर मारने, अमेरिका का वीजा हासिल करने के इरादे से रजनीश के दुनियाभर के अनुयायियों की फर्जी शादी का षड्यंत्र रचने जैसे कई आरोप लगाए गए. इतना ही नहीं, औरेगौन के सभी स्थानीय लोग सैक्स व ड्रग्स का केंद्र बने रजनीश के कम्यून के घोर विरोधी बन गए और वे उसे तुरंत बंद करने की मांग करने लगे.

उक्त सभी मामलों में शीला, रजनीश व उस के अन्य कई अनुयायियों के खिलाफ मुकदमा शुरू हो गया. शीला ने आखिरकार उस इलाके के सलाद पार्लर के खाने में जहर मिलाने, रजनीश के व्यक्तिगत डाक्टर व औरेगौन के एक जज की हत्या का प्रयास करने के आरोपों को स्वीकार कर लिया. इस के फलस्वरूप उसे 30 महीने की जेल काटनी पड़ी.

शीला का अपने बचाव में कहना है कि अमेरिका में मुकदमा लड़ने के लिए 20 लाख डौलर की जरूरत थी, जो उस के पास नहीं थे. इस के अलावा कम्यून के सभी लोग रजनीश के कहने पर उस के खिलाफ गवाही देने के लिए तैयार हो गए थे, जिस की वजह से उसे सजा मिलनी निश्चित थी. ऐसे में उस के सामने अपराध स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा ही नहीं था.

रजनीश को भी अपराधी मानते हुए अदालत ने 4 लाख डौलर के जुर्माने व 10 साल की जेल की सजा सुनाई. बाद में उन्हें अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया. रजनीश ने अमेरिका से अपने निजी हवाई जहाज में बैठ कर कई देशों में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन कोई भी देश उन्हें अपने यहां रखने के लिए तैयार नहीं हुआ. आखिर उन्हें मजबूर हो कर पुणे स्थित अपने आश्रम में ही लौटना पड़ा. भारत लौटने के कुछ समय बाद ही 1990 में उन का देहांत हो गया.

क्रिस्टोफर काल्डर, जो किसी समय रजनीश के पक्के भक्त थे, आज उन के सब से कट्टर विरोधी बन गए हैं. उन का कहना है, ‘‘आप अपनेआप से ही पूछिए कि आखिर रजनीश क्या चाहते थे और उन्हें क्या मिलता था? इस का एक ही उत्तर है, वे हमेशा अपने भक्तों से करोड़ों डौलर वसूल करने की फिराक में रहते थे. इस के अलावा उन की अन्य आवश्यकताओं में सर्वोच्च सत्ता, सुंदर लड़कियों का हरम व ड्रग्स की निरंतर सप्लाई शामिल है, रजनीश अपने चारों ओर दैविक रहस्यों का आडंबर खड़ा कर के अपने असीमित ज्ञान के बल पर लोगों को बेवकूफ बना रहे थे और किसी माफिया बौस की तरह की जिंदगी जी रहे थे. वे सीधे आप की आंखों में देख कर बिना पलक झपकाए किसी असत्य को सत्य साबित करने की क्षमता रखते थे और शायद इसी वजह से वे आर्थिक रूप से एक सफल गुरु बन सके.’’

काल्डर की ही तरह पश्चिमी आस्ट्रेलिया की जेन स्टौर्क 9 साल तक रजनीश की शिष्या रही और इस दौरान वह अपना नाम व पोशाक बदल कर मां शांति भद्र बन गई. वह रजनीश के पीछे इतनी पागल थी कि वह उन्हें खुश करने के लिए उन के कहने पर किसी की हत्या समेत कुछ भी कर सकती थी. अपनी नई पुस्तक ‘ब्रेकिंग द स्पैल’ में उस ने अपने रजनीश के साथ बिताए इन सालों का पूरा विवरण दिया है. उस ने लिखा है कि किस प्रकार वह इस कल्ट द्वारा निगल ली गई थी और जब उसे रजनीश के डाक्टर की हत्या की कोशिश करने के जुर्म में लंबी जेल की सजा सुनाई गई, तभी उस का यह मोह भंग हुआ.

जेन स्टौर्क ने गौर किया कि आश्रम के 87 प्रतिशत तथाकथित संन्यासी यौन रोगों से पीडि़त थे और जिन औरतों को गर्भ ठहर जाता था उन का रजनीश तुरंत गर्भपात करवा देते थे.

अमेरिका में अपना कम्यून बनाने के बाद रजनीश ने अपार संपत्ति एकत्र कर ली थी, जिसे उन्होंने सोने की घडि़यों, आभूषणों व 90 रौल्स रौयस पर बिना कुछ सोचेसमझे बरबाद कर दिया. जेन के शब्दों में, ‘‘रजनीश ने अमेरिका पहुंच कर वहां के तौरतरीके अपना लिए थे और वे संन्यासी से एक स्टार शोमैन में तबदील हो गए थे.’’

1985 में जब जेन की बेटी काइली का बलात्कार किया गया तो शुरू में उस ने सोचा कि लोग शायद रजनीश को बदनाम करने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं, लेकिन फिर आखिरकार उसे हकीकत को स्वीकार करना पड़ा और एक दिन वह भी शीला की तरह कम्यून से भाग कर जरमनी चली गई. कम्यून छोड़ने के बाद उसे भी शीला की ही तरह गिरफ्तार कर लिया गया और आखिर हत्या करने की कोशिश के अपराध में जेल भेज दिया गया.

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